Class 12 Political Science अध्याय-9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Question Bank-Cum-Answer Book

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प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Political Science

अध्याय-9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. भारत में नई आर्थिक नीति कब से लागू हुआ?

a. 1984

b. 1989

c. 1991

d. 1995

2. भारत की संसद में शामिल है।

a. लोक सभा

b. केवल राज्य सभा

c. राज्य सभा और लोक सभा दोनों

d. लोक सभा, राज्य सभा और राष्ट्रपति

3. शून्यकाल संबंधित है:

a. संसद से

b. न्यायालय से

c. (a) और (b) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

4. अन्य पिछड़ी जाति (OBC) का अर्थ है

a. अनुसूचित जाति से

b. अनुसूचित जनजाति से

c. अनुसूचित जाति-जनजाति से अलग शैक्षणिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय

d. उपर्युक्त सभी

5. कार सेवा का आयोजन कब किया गया ?

a. 1992

b. 1993

c. 1994

d. 1995

6. मण्डल आयोग का नाम किसके नाम पर पड़ा ?

a. बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल

b. विश्वनाथ प्रशाद मण्डल

c. विनोद प्रसाद मण्डल

d. इनमे से कोई नहीं

7. बामसेफ का पूर्ण रूप क्या है ?

a. बैकवॉर्ड एण्ड माइनोरिटी एम्प्लाईज फेडरेशन

b. ब्लॉक एण्ड मैनोरिटी एम्प्लोयी फॉन्ड

c. बैकवर्ड एण्ड मॉरल एम्प्लाईज फेडरेशन

d. इनमे से कोई नहीं

8. राजीव गांधी की हत्या कब की गई?

a. 1990

b. 1991

c. 1992

d. 1993

9. बाबरी मस्जिद का ध्वंस कब हुआ ?

a. 1992

b. 1993

c. 1994

d. 1995

10. 1989 में काँग्रेस के प्रभाव में कमी के कारण थे?

a. करिश्माई नेता का अभाव

b. काँग्रेस में गुटबाजी

c. क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव

d. इनमे से सभी

11. हिन्दू अथवा हिन्दुत्व शब्द को किसने गढ़ा था?

a. राजा राम मोहन राय

b. बी डी सावरकर

c. राम मनोहर लोहिया

d. इनमे से कोई नहीं

12. बाबरी मस्जिद का निर्माण किसने करवाया था ?

a. मुहम्मद हुसेन

b. बाबा फरीद

c. मीर बाकी

d. इनमे से कोई नहीं

13. निम्नलिखित में से किसने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया ?

a. राष्ट्रीय मोर्चा

b. कांग्रेस

c. बसपा

d. भाजपा

14. निम्नलिखित में से कौन प्रधानमंत्री नही बने।

a. सोनिया गांधी

b. इंद्र कुमार गुजराल

c. चंद्रशेखर

d. अटल बिहारी बाजपेई

15. भारतीय जनता पार्टी के गठन किन वर्ष हुई?

a. 1986

b. 1980

c. 1975

d. 1960

16. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कौन थे?

a. कांशीराम

b. मायावाती

c. चंद्रशेखर

d. बिंदेश्वरी मंडल

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. गठबंधन सरकार से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- जब चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब कई दल आपसी सहयोग से सरकार बनाते हैं। दूसरे शब्दों में वैसी सरकार जो एक से अधिक दलों से बनी हो गठबंधन सरकार कहलाती है। इस प्रकार के सरकार में किसी एक दल को प्रभुत्व नही रहता।

2. दलगत व्यवस्था की चुनौतियां को लिखें।

उत्तर- दलगत व्यवस्था की चुनौतियों के रूप में हम गरीबी, विस्थापन, सामाजिक सुरक्षा, आजीविका एवं न्यूनतम मजदूरी को ले सकते हैं।

3. सामूहिक उत्तरदायित्व का अर्थ बताइए।

उत्तर- सामूहिक उत्तरदायित्व वह सिद्धान्त है जिसके अन्तर्गत संसदीय प्रणाली में सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल को एक इकाई माना जाता है मन्त्रिमण्डल के जो भी निर्णय होते हैं। वे इसके सदस्यों की सहमति से लिए माने जाते हैं तथा इसके लिए सभी मन्त्रिमण्डल के सदस्य समान रूप से उत्तरदायी होते हैं।

4. 1984 तथा 1989 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को कितनी कितनी सीटें मिलीं ?

उत्तर- कांग्रेस ने 1984 के चुनाव में लोकसभा की 415 सीटें तथा 1989 में 197 सीटें जीती थीं।'

5. राष्ट्रीय मोर्चे द्वारा बनायी गई सरकार को कठपुतली सरकार क्यों कहा जाता था ?

उत्तर- राष्ट्रीय मोर्चे द्वारा बनायी गई सरकार को कठपुतली इसलिए कहा जाता था क्योंकि वह दो राजनीतिक समूहों भाजपा और वाम मोर्चा के समर्थन से बनी थी।

6. राष्ट्रीय मोर्चा को कठपुतली की तरह नचाने वाले दलों के नाम बताइए।

उत्तर- राष्ट्रीय मोर्चा को कठपुतली की तरह नचाने वाले दो दल भारतीय जनता पार्टी और वाम मोर्चा है।

7. अनुभववाद या प्रयोगवाद का अर्थ बताइए।

उत्तर- किसी सिदधान्त के आधार पर नहीं बल्कि जैसा उस समय उपयुक्त हो वैसा करो, प्रयोगवाद कहलाता है।

8. केन्द्र में पहली मिली-जुली सरकार कब बनी?

उत्तर- केन्द्र में पहली मिली-जुली सरकार वर्ष 1977 में गठित हुई ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. गठबंधन की राजनीति के इस नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं। इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-से तर्क देंगे?

उत्तर- उपर्युक्त कथन के पक्ष में निम्न तर्क दिए जा सकते हैं.

1. गठबंधन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत अंतर की जगह सत्ता में हिस्सेदारी की बातों पर जोर देते हैं।

2. पद की लोलुपता ने विचारधारा के विपरीत भी दलों को गठबंधन करने के लिए प्रेरित किया।

2. 1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य बदलाव क्या थे?

उत्तर- 1989 के बाद प्रमुख बदलाव:-

* कांग्रेस प्रणाली की समाप्ति ।

* राष्ट्रीय राजनीति में जनता दल व भारतीय जनता पार्टी की प्रभावशाली भूमिका ।

* राष्ट्रीय राजनीति में मंडल मुद्दे का उदय

* आर्थिक नीति (जिसे नई आर्थिक नीति के रूप में भी जाना जाता है। का अनुसरण विभिन्न सरकारों द्वारा किया जाता है

* अयोध्या विवाद:- दिसंबर 1992 में अयोध्या (जिसे बाबरी माजिद के नाम से जाना जाता है में विवादित ढांचे के विध्वस में कई घटनाओं का समापन हुआ।

3. गठबंधन सरकारों के उदय के कारण लिखें।

उत्तर- गठबंधन सरकारों के उदय के कारण :-

1. राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का कमजोर होना।

2. क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का प्रादुर्भाव व सरकारों के निर्माण में बढ़ती भूमिका।

3. जाति व सम्प्रदाय आधारित अवसरवादी

4. शाहबानों प्रकरण क्या है?

उत्तरः शाहबानों प्रकरण- शाहबानों एक मुस्लिम महिला थीं जिसे तलाक के बाद पति ने गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया था सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 44 ( समान नागरिक संहिता) के तहत शाहबानों को पति के गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।

5. बहुदलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को क्या लाभ हुए?

उत्तर- बहुदलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए है।

1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व बहुदलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीति में सभी वर्गों तथा हितो को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। इस प्रणाली से सच्चे लोकतंत्र की स्थापना होती है।

2. मतदाताओं को अधिक स्वतंत्रता अधिक दलों के कारण - मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग कराने के लिए अधिक स्वतंत्रताए होती हैं

3. मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है।

6. मंडल मुद्दा क्या है? संक्षेप में लिखें।

उतर- मंडल मुद्दा - 1978 में जनता पार्टी सरकार ने दूसरे पिछड़ा आयोग का गठन किया। इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल थे इसलिए इसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है।

मंडल आयोग की मुख्य सिफारिशें

1) अन्य पिछड़ा वर्ग OBC को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण ।

2) भूमि सुधारों को पूर्णता से लागू करना।

1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वी. पी. सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की। इसके खिलाफ देश के विभिन्न भागों में मंडल विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए।

7. अयोध्या विवाद के बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर- अयोध्या विवाद:- 16 वीं सदी में मीर बाकी द्वारा अयोध्या में बनवाई मस्जिद के बारे में कहा गया कि यह मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनवाई गई। यह मामला अदालत में गया और 1940 के दशक में ताला लगा दिया गया। बाद में जब ताला खुला तो इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति हुई। 6 दिसम्बर 1992 को मस्जिद का ढांचा तोड़ दिया गया। इससे कारण देश में साम्प्रदायिक हिंसा फैली और 1993 में मुम्बई में दंगे हुई। विवाद की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया।

8. गुजरात में हिंदू मुस्लिम दंगो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर- अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों से भरी एक बोगी में आग लग गई। इस आग के पीछे मुस्लिमों का हाथ होने का संदेह था। परिणास्वरूप मुसलमानों के खिलाफ व्यापक हिंसा हुई जिसमें लगभग 1100 लोग मारे गए जिसमें ज्यादातर मुसलमान थे। इस दंगा को मुस्लिम विरोधी दंगा कहा गया। यह दंगों 2002 में गुजरात के गोधरा नामक स्टेशन पर हुआ था।

मानव अधिकार आयोग ने हिंसा को नियंत्रित करने और पीड़ितों को राहत देने में विफल रहने में गुजरात सरकार की भूमिका की आलोचना की।

9. मन्त्रियों के व्यक्तिगत व सामूहिक उत्तरदायित्व में अन्तर बताइए।

उत्तर- संसदीय प्रणाली में मन्त्री संसद या उसके लोकप्रिय सदन के प्रति उत्तरदायी होते हैं। यह उत्तरदायित्व दो प्रकार का होता है - व्यक्तिगत व सामूहिक व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का यह अर्थ है कि हर मन्त्री अपने किए काम के लिए उत्तरदायी है। अतः प्रधानमन्त्री उसका त्यागपत्र मांग सकता है। सामूहिक उत्तरदायित्व का अर्थ है कि सभी मन्त्रीगण साथ तैरते व साथ डूबते हैं। यदि सदन में अविश्वास का प्रस्ताव पास हो जाए तो प्रधानमन्त्री त्यागपत्र देता है जो सभी का त्यागपत्र माना जाता है।

10. गठबंधन सरकार की एक राजनीतिक समस्या का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर- गठबंधन राजनीति में विचारों की एकरूपता नहीं होती। बार-बार पार्टियाँ गठबंधन छोड़ती है और इसलिए प्रायः गठबंधन टूटते रहते हैं या बदलते रहते हैं। इससे लोगों का बहुदलीय प्रणाली में विश्वास कम होता है। प्रायः वे दो दलीय या तीन अथवा कभी- कभी एक दलीय प्रणाली के समर्थक भी बन जाते है। गठबंधन की सरकारें अस्थायी, कम गतिशील रहती है।

11. कांग्रेस की गठबन्धन राजनीति की व्याख्या कीजिए ?

उत्तर- वर्तमान में भारत में गठबन्धन सरकारों का युग है। अतः कांग्रेस को गठबन्धन के सन्दर्भ में अपनी नीति बदलनी पड़ी। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) का गठन कर कांग्रेस ने केन्द्र में सरकार का गठन किया। पुनः 2009 में संप्रग ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर केन्द्र में सरकार का गठन किया। महाराष्ट्र राज्य में कांग्रेस एक गठबन्धन सरकार चला रही है। आज कांग्रेस गठबन्धन की अपरिहार्यता को स्वीकार कर चुकी है।

12. लोकतन्त्र को प्रतिनिधि शासन क्यों कहा जाता है?

उत्तर- लोकतन्त्रीय व्यवस्था को मोटे तौर पर दो प्रकार से संचालित किया जा सकता है-

(i) प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र,

(ii) परोक्ष प्रजातन्त्र या

प्रतिनिधि शासन चूँकि आज विश्व में बड़े-बड़े राष्ट्र अस्तित्व में हैं जिनकी करोड़ों की जनसंख्या तथा विशाल आकार के कारण वहाँ जनता सीधे शासन नहीं चला सकती अर्थात् प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र वहाँ व्यावहारिक रूप से सम्भव नहीं है। आजकल जनता द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनकर उनको देश की बागडोर सौंप दी जाती है। अधिकांश देशों में लोकतन्त्र का यही रूप प्रचलित है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी क्लासेज एम्प्लायज फेडरेशन) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

1. बामसेफ का गठन सन 1978 में हुआ था। यह संगठन मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लोगों का संगठन था जो सरकारी नौकरियों में थे।

2. इस संगठन ने बहुजन (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग) की तरफदारी की।

3. बामसेफ आगे चलकर दलित शोषित समाज संघर्ष समिति बना।

4. आगे चलकर यही समिति बहुजन समाज पार्टी बनी यह पार्टी मुख्य रूप से दलितों के अधिकारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठाती है।

5. प्रारंभ में बसपा एक छोटी पार्टी थी जिसका आधार हरियाणा और पंजाब में था लेकिन आगे चलकर पार्टी का उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त जनाधार बना।

6. बसपा के मुख्य नेता कांशीराम थे जिन्होंने पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुचाया। उनके बाद अब सुश्री मायावती जी इस पार्टी की अध्यक्ष है।

2. कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर- हम इस कथन से सहमत है। पक्ष में तर्क: कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है क्योंकि अभी भी कुछ राज्यों में कांग्रेस की सत्ता कायम है। 1975 से 1977 तक आपातकाल की स्थिति रही लेकिन कांग्रेस को सफलता मिली। 1989 से 1991 तक फिर कांग्रेस सबसे बड़ी विरोधी दल रही। 1991 के मध्यावधि चुनाव में फिर से कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। 1996 में वामपंथियों ने गैर- कांग्रेसी सरकार का समर्थन किया क्योंकि कांग्रेस और वाम दोनों ही भाजपा को सत्ता से बाहर रखना चाहते थे। 2004 से यू.पी.ए. सरकार का नेतृत्व कांग्रेस ही कर रही थी। जुलाई 2007 तथा 2012 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी कांगेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अतः यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस का प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है लेकिन अभी भी देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर कायम है।

3. गठबंधन सरकार के लाभ और हानियों को बतलाइए।

उत्तर- गठबंधन सरकार का लाभः

(i) बहुदलीय व्यवस्था वाले देशों में संसदीय सरकार की स्थापना गठबंधन की राजनीति के आधार पर ही संभव हैक्योंकि मतदाता किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं देते।

(ii) सरकार पर किसी एक दल का प्रभुत्व नहीं जमता 1988 तक सरकार पर कांग्रेस का ही नियंत्रण था। आरंभ में तो उसने सभी वर्गों और हितों का ध्यान रखा लेकिन बाद में अपनी मनमानी करनी आरंभ कर दी। शक्ति के दुरुपयोग के आधार पर आपातकाल की घोषणा गठबंधन की राजनीति में नहीं हों सकती थी।

(iii) सरकार अधिक-से-अधिक वर्गों, हितों तथा विचारधाराओं का ध्यान रखने लगती है और उसे जनता की सरकार कहना सार्थक प्रतीत होता है। यह समाज के विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व करने लगती है।

(iv) गठबंधन की राजनीति में छोटे-छोटे दलों को भी सरकार में भागीदारी मिलने लगती है। लोकसभा में जिन दलों के पांच सदस्य भी हो कई बार उन्हें भी मंत्रिमंडल में भगीदारी मिलने लगती है।

(v) कुछ समय बाद संसदीय शासन प्रणाली में बहुदलीय व्यवस्था के अंतर्गत गठबंधन की राजनीति की संस्कृति विकसित होने लगती है और यह दो-गठबंधनीय प्रणाली में बदलने लगती है जैसे कि भारत में हुआ है। अब भारत में दो प्रमुख दलों के नेतृत्व में गठबंधन का अस्तित्व है- कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन तथा भाजपा नेतृत्व वाला गठबंधन। इससे गठबंधन सरकारें भी दो दलीय व्यवस्था की तरह अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल होती हैं। राजग ने अपने पाँच वर्ष पूरे किए और संप्रग ने भी अपना कार्यकाल पूरा किया।

गठबंधन की राजनीति का एक लाभ यह है कि सरकार समयानुसार अपनी नीतियों को बदलती रहती है। सरकार में कई दलों के सम्मिलित होने के कारण कोई न कोई घटक नई आवश्यकता तथा समस्याओं के प्रति आवाज उठाता है और सरकार का ध्यान उस ओर आकर्षित करता है।

गठबंधन सरकार की हानियाँ:

(i) प्रथम कठिनाई तो यह है कि गठबंधनों का बनना, विभिन्न विचारधाराओं तथा नीतियों को मानने की घोषणा करने वाले दलों का आपस में मिलना आसान नहीं होता और इससे संसदीय शासन प्रणाली में सरकार का निर्माण एक समस्या बन जाता है।

(ii) गठबंधन सरकारें सामान्य रूप से अस्थाई होती है और जल्दी-जल्दी बदलती हैं। 1977 वाली सरकार 2 वर्ष भी नहीं चल पाई। 1998 में बनी सरकार एक वर्ष चली। सरकार अच्छी प्रकार से काम नहीं कर सकती।

(iii) गठबंधन सरकार में मंत्रिमंडल की राजनीतिक एकरूपता नहीं रहती, गठबंधन में सहयोगी दल कई बार एक-दूसरे की आलोचना करते दिखाई देते हैं। प्रधानमंत्री की स्थिति प्रभावकारी नहीं होती और उसे मंत्रियों की नियुक्ति में अपनी पसंद लागू करने का व्यावहारिक मौका नहीं मिलता। सहयोगी दलों के अध्यक्ष ही उस दल से लिए जाने वाले मंत्रियों के नामों की सूची सौंपते हैं और प्रधानमंत्री को वह माननी पड़ती है ।

(iv) शासन की नीति में न तो एकरूपता आती है और न ही निरंतरता बनी रह सकती है। जल्दी-जल्दी नीतियों के बदलने, सरकारों के बदलने और सहयोगी दलों की आपसी खींचातानी से आदमी को राजनीति से, लोकतंत्र से निराश होने लगता है। वह राजनीतिक दलों तथा दलीय राजनीति में विश्वास खोने लगता है।

(v) गठबंधन की राजनीति से राजनीतिक नैतिकता पर चोट पहुँचती है क्योंकि इसमें अधिकतर गठबंधन विचारों तथा सिद्धांतों की बलि देकर बनते हैं। आज एक दल दूसरे दल की आलोचना करता है तो अगले दिन उसे गले लगाने को तैयार हो जाता है।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग 1 ( समकालीन विश्व राजनीति)

अध्याय - 01

शीत युद्ध का दौर

अध्याय - 02

दो ध्रुवीयता का अंत

अध्याय - 03

समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

अध्याय - 04

सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र

अध्याय - 05

समकालीन दक्षिण एशिया

अध्याय - 06

अंतर्राष्ट्रीय संगठन

अध्याय - 07

समकालीन विश्व में सुरक्षा

अध्याय - 08

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

अध्याय - 09

वैश्वीकरण

भाग 2 (स्वतंत्र भारत में राजनीति )

अध्याय - 01

राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

अध्याय 02

एक दल के प्रभुत्व का दौर

अध्याय - 03

नियोजित विकास की राजनीति

अध्याय - 04

भारत के विदेश संबंध

अध्याय - 05

कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

अध्याय - 06

लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

अध्याय - 07

जन आंदोलनों का उदय

अध्याय - 08

क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

अध्याय - 09

भारतीय राजनीति नए बदलाव

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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