Class 12 Political Science अध्याय- 2 एक दलीय प्रभुत्व का युग Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Political Science अध्याय- 2 एक दलीय प्रभुत्व का युग Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Political Science अध्याय- 2 एक दलीय प्रभुत्व का युग Question Bank-Cum-Answer Book


प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Political Science

अध्याय- 2 एक दलीय प्रभुत्व का युग

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

प्रश्न 1. चुनाव आयोग का गठन कब हुआ?

A. जनवरी 1949

B. जनवरी 1950

C. फरवरी 1949

D. फरवरी 1950

प्रश्न 2. भारत के पहले चुनाव आयुक्त कौन थे?

A. विनोद कुमार

B. राजेंद्र प्रसाद

C. सुकुमार सेन

D. विनोद पांडे

प्रश्न 3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन कब हुआ?

A. 1883

B. 1884

C. 1885

D. 1886

प्रश्न 4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक कौन थे?

A. दादा भाई नौरोजी

B. ए. ओ. ह्यूम

C. राजगोपालाचारी

D. एस. एन. बनर्जी

प्रश्न 5. भारतीय राजनीतिक दलीय व्यवस्था को किस श्रेणी में रखा गया है?

A. एक दलीय

B. द्विदलीय

C. बहुदलीय

D. निर्दलीय

प्रश्न 6. निर्वाचन आयोग की स्थापना किस अनुच्छेद के द्वारा की गई है?

A. अनुच्छेद 321

B. अनुच्छेद 322

C. अनुच्छेद 324

C. अनुच्छेद 325

प्रश्न 7. भारत के पहले विदेश मंत्री कौन थे?

A. जवाहरलाल नेहरू

B. सरदार वल्लभभाई पटेल

C. भीमराव अंबेडकर

D. राजेंद्र प्रसाद

प्रश्न 8. कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का लक्ष्य लागू किया गया?

A. कोलकाता अधिवेशन 1928

B. लाहौर अधिवेशन 1929

C. कराची अधिवेशन 1931

D. दिल्ली अधिवेशन 1932

प्रश्न 9. कामराज योजना कांग्रेस द्वारा कब लागू किया गया था?

A. 1959

B. 1960

C. 1963

D. 1962

प्रश्न 10. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने किस प्रकार का समाजवाद अपनाया?

A. मार्क्स का वैज्ञानिक समाजवाद

B. ब्रिटेन का लोकतांत्रिक समाजवाद

C.. लेनिन का समाजवाद

D. गांधी का सर्वोदय समाजवाद

प्रश्न 11. कांग्रेस का विभाजन किस वर्ष हुआ?

A. 1966

B. 1907

C. 1968

D. 1969

प्रश्न 12. प्रथम गैर कांग्रेसी सरकार कौन सा राज्य में बना?

A. तमिलनाडु

B. आंध्र प्रदेश

C. उड़ीसा

D. केरल

प्रश्न 13. भारत में कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता में आने का कब अवसर मिला?

A. 1952 के पहले चुनाव के बाद

B. 1957 के दूसरे चुनाव के बाद

C. 1962 के तीसरे चुनाव के बाद

D. 1967 के चौथे चुनाव के बाद

प्रश्न 14. भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई?

A. 1950

B. 1951

C. 1980

D. 1981

प्रश्न 15. किस राजनीतिक दल ने भारत में पूंजीवाद तथा खुले बाजार की अर्थव्यवस्था का समर्थन किया?

A. स्वतंत्र पार्टी

B. भारतीय जनता पार्टी

C. कांग्रेस पार्टी

D. समाजवादी पार्टी

प्रश्न 16. भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना कब हुई थी?

A. 1948

B. 1949

C. 1950

D. 1951

प्रश्न 17. भारतीय जनसंघ के संस्थापक कौन थे?

A. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

B. लालकृष्ण आडवाणी

C. अटल बिहारी बाजपेयी

D. मुरली मनोहर जोशी

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. एक दलीय प्रभुत्व किसे कहते हैं?

उत्तर- किसी भी देश में बहुत सारे दलों का होना, परंतु बहुत सालों तक एक ही पार्टी का वर्चस्व होना एक दलीय प्रभुत्व कहलाता है।

प्रश्न 2. प्रथम आम चुनाव में कौन सी पार्टी प्रमुख विपक्ष पार्टी के रूप में उभरी?

उत्तर- भारतीय साम्यवादी पार्टी।

प्रश्न 3. भारत के प्रथम गृह मंत्री कौन थे?

उत्तर- सरदार वल्लभभाई पटेल

प्रश्न 4. 1952 के प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी तथा भारतीय जन संघ के चुनाव चिन्ह क्या है?

उत्तर- 1952 के प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी थी और भारतीय जनसंघ के चुनाव चिन्ह दीपक था।

प्रश्न 5. लोकतांत्रिक चुनाव में संसार में पहली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार कब और कहां बनी?

उत्तर- 1957 ई०, केरल ।

प्रश्न 6. भारत में 1977 के चुनाव बाद किसे प्रधानमंत्री बनाया गया था?

उत्तर- मोरारजी देसाई ।

प्रश्न 7. भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन थे?

उत्तर- मौलाना अबुल कलाम आजाद ।

प्रश्न 8. राजग का पूरा नाम बताइए!

उत्तर- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ।

प्रश्न 9. कामराज योजना का क्या उद्देश्यथा?

उत्तर- कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेतागण अपनी सरकारी सेवा छोड़कर कांग्रेस संगठन के लिए काम करें ताकि कांग्रेस को फिर से मजबूती मिल सके।

प्रश्न 10. भारत के चार राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नाम लिखिए!

उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय समाजपार्टी ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारत के चुनाव आयोग के गठन व कार्यों पर प्रकाश डालिए!

उत्तर- भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया गया है। अतः इसके लिए स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अनुच्छेद 324 के अंतर्गत एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है।

इसका मुख्य कार्य लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव का संपादन करना है। इसके साथ ही स्थानीय निकायों के चुनाव तथा पंचायत चुनाव भी कराना इसका जिम्मेवारी है। चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए मतदाता सूची तैयार करता है तथा चुनाव आचार संहिता को लागू करता है।

चुनाव आयोग का मुखिया मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा जिसे संसद द्वारा महाभियोग लगाकर ही विशेष बहुमत से हटाया जा सकता है। संविधान में चुनाव आयोग को सरकार के नियंत्रण से मुक्त रखने का प्रयास किया गया है ताकि वह बिना किसी सरकारी दबाव के अपने कार्यों का संपादन निष्पक्ष रूप से कर सके।

प्रश्न 2. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?

उत्तर- लोकतांत्रिक सरकार को व्यावहारिक रूप देने में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनितिक दल की निम्नलिखित भूमिका महत्वपूर्ण है-

1. राजनितिक दल चुनाव लड़ते हैं और जन समस्याओं को देश के समक्ष रखकर राजनीतिक जागरूकता पैदा करते हैं।

2. लोकतंत्र में जनता की भागीदारी को बढ़ाते हैं जो कि लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है।

3. राजनीतिक दल सरकार व जनता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं तथा जनता की समस्याओं से सरकार को अवगत कराते हैं।

4. विपक्षी दल के रूप में राजनीतिक दल सरकार की तानाशाही व मनमानी पर रोक लगाते हैं।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि लोकतंत्र में राजनितिक दलों की भूमिका लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए एक विशेष कड़ी हैं।

प्रश्न 3. सार्वभौमिक मताधिकार से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्व है?

उत्तर- सार्वभौमिक मताधिकार का तात्पर्य है सभी नागरिकों को मत देने का अधिकार। चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वंश, जन्म स्थान और लिंग के हो।

इसके निम्नलिखित महत्व है-

1. यह समानता की अवधारणा पर आधारित है। जैसे समस्त वयस्क नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि के हो किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म. जाति, वंश, जन्म स्थान और लिंग के आधार पर मताधिकार देने में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।

2. यह लोकतंत्र के महत्वपूर्ण आयामों में से एक है।

3. यह सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाता है तथा लोकतंत्र में जनता की गरिमा और महत्व को सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 4. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भारत में कब अपनाया गया? इसके क्या लाभ हैं?

उत्तर- भारत में 1990 के दशक में मतदान के लिए चुनाव आयोग द्वारा पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया गया। 2004 के लोकसभा चुनावों से सभी निर्वाचन क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाने लगा है। इसके निम्नलिखित लाभ हैं:-

1. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के प्रयोग से फर्जी मतदान पर बहुत हद तक रोक लग गई।

2. मतपत्र के स्थान पर अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है।

3. इससे मतगणना में आसानी होती है।

4. इससे किसी का वोट बदला नहीं जा सकता है।

5. यह सुविधाजनक एवं इससे समय का बचत होता है।

प्रश्न 5. भारतीय जनसंघ के क्या उद्देश्य थे?

उत्तर- भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 ईस्वी में श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई थी। वैचारिक समर्थन की दृष्टि से इसकी जड़े स्वतंत्रता आंदोलन के समय स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा हिंदू महासभा में निहित है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य थे-

1. भारतीय जनसंघ भारत में एक राष्ट्र व एक संस्कृति के विचार का समर्थन करता है।

2. भारतीय संस्कृति और परंपराओं के आधार पर ही एक आधुनिक और मजबूत भारत का निर्माण हो सकता है।

3. यह अखंड भारत की कल्पना करता है जिसके अंतर्गत पाकिस्तान और भारत के पुनः विलय का समर्थन करता है।

4. हिंदी को राज भाषा बनाए जाने की प्रबल समर्थक थी।

5. अल्पसंख्यकों के प्रति कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति की विरोधी थी।

6. भारत को सैनिक रूप से मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए आणविक शस्त्रों के विकास का भी प्रबल समर्थन करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. एक दलीय प्रभुत्व से आप क्या समझते हैं? कांग्रेस को एक दलीय प्रभुत्व की स्थिति कैसे प्राप्त हुई?

उत्तर- एक दलीय प्रभुत्व का तात्पर्य है, कई वर्षों तक किसी एक दल का ही पूरे देशभर में कोई प्रतिद्वंदी ना हो और वह कई दशकों तक प्रत्येक चुनाव को हमेशा जीतता रहा हो। ऐसा ही स्थिति भारत में 1952 से 1967 के बीच कांग्रेस को प्राप्त था। इसके वर्चस्व के लिए कई कारण उत्तरदायी हैं जो निम्नलिखित हैं-

क) राष्ट्रीय आंदोलन की विरासत कांग्रेस को अपना वर्चस्व बनाने में सफलता इसलिए प्राप्त हुई कि राष्ट्रीय आंदोलन के समय उसे सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त था जो उसे विरासत में प्राप्त हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण नेता जैसे- जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आदि को देश में व्यापक लोकप्रियता प्राप्त थी क्योंकि कांग्रेस ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था अतः देश की जनता की सहानुभूति उसे प्राप्त थी।

ख) कांग्रेस का देशव्यापी संगठनात्मक विस्तार- राष्ट्रीय आंदोलन के समय कांग्रेस का देशव्यापी ढांचा तैयार हो चुका था। उसके संगठन की इकाइयां प्रदेश, जिला तथा ग्रामीण स्तर तक देश के सभी भागों में विद्यमान थी। किसी भी पार्टी को चुनाव में जीत के लिए मजबूत संगठन की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत विपक्षी दलों का संगठनात्मक ढांचा अत्यंत सीमित था तथा देश के एकाध क्षेत्रों तक ही सीमित था।

ग) कांग्रेस का व्यापक सामाजिक समर्थन- कांग्रेस एक पार्टी के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों का गठबंधन था। उच्च वर्गों के साथ-साथ निम्न वर्गों, मुसलमानों, किसानों व जमींदारों सभी का समर्थन इसे प्राप्त था। इस व्यापक सामाजिक समर्थन की जड़े तो राष्ट्रीय आंदोलन में निहित थी, लेकिन इसका पूरा फायदा कांग्रेस को चुनाव के दौरान प्राप्त हुआ ।

घ) विपक्षी दलों की शैशवावस्था दूसरी तरफ विपक्षी दलों को लोकतांत्रिक राजनीति का ना तो अनुभव प्राप्त था और ना ही उनकी संगठन क्षमता देशव्यापी थी। अतः लोकतंत्र के आरंभिक वर्षों में उनका प्रभाव मजबूत नहीं हो पाया।

(ङ) मतदान प्रणाली का स्वरूप भारत में निर्वाचन प्रणाली फर्स्ट पास्ट द पोस्ट पद्धति के तहत होता है। इस पद्धति में किसी पार्टी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं। उस सीट में उसे ही विजयी घोषित कर दिया जाता है, भले ही उस क्षेत्र के मतदाताओं के बहुमत का समर्थन उसे प्राप्त ना हो।

(च) नेहरू का व्यक्तित्व- कांग्रेस का नेतृत्व आजादी के समय से ही जवाहरलाल नेहरू के हाथों में था तथा आरंभ से ही उन्हें महात्मा गांधी का भी समर्थन प्राप्त था। उनके उदारवादी व्यक्तित्व के कारण कांग्रेस में एक करिश्माई नेतृत्व उत्पन्न हो गया। इसका पूरा लाभ कांग्रेस पार्टी को प्राप्त हुआ।

इन सभी कारणों से कांग्रेस को एक दलीय प्रभुत्व की स्थिति प्राप्त हुई।

प्रश्न 2. भारत में साम्यवादी पार्टी की नीतियों व कार्यक्रमों पर प्रकाश डालते हुए 1964 में उसके विभाजन के कारणों का उल्लेख कीजिए!

उत्तर- भारत में साम्यवादी विचारधारा को रूस की 1917 की साम्यवादी क्रांति से प्रोत्साहन मिला। पहली बार मानवेंद्र नाथ राय ने मास्को में भारतीय साम्यवादी पार्टी की स्थापना की थी लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सकी, तत्पश्चात 1925 में कानपुर में भारतीय साम्यवादी पार्टी की स्थापना की गई। राष्ट्रीय आंदोलन के समय 1941 तक साम्यवादियों ने कांग्रेस की व्यापक रणनीति के अंतर्गत ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। कांग्रेस तथा साम्यवादियों में मतभेद की स्थिति 1941 में तब उत्पन्न हुई जब रूस के प्रभाव में आकर भारत में साम्यवादियों ने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन को समर्थन देने की घोषणा की जबकि इस मामले में कांग्रेस का रुख तटस्थता का था। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी इसी कारण साम्यवादियों ने हिस्सा नहीं लिया। फिर भी आजादी के पूर्व ही साम्यवादीओं के संगठन का विस्तार हो चुका था। तथा पूरे देश में साम्यवादी पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता भी विद्यमान थे।

भारत में प्रथम सप्ताहिक मार्क्सवादी पत्रिका 'सोशलिस्ट' के संपादन का श्रेय एस. ए. डांगे को जाता है। उन्होंने भारत के श्रमिक आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के समय से एक मौलिक प्रश्न उठा कि भारतीय स्वतंत्रता का स्वरूप क्या है। साम्यवादी पार्टी के एक तबके का मानना था कि यह स्वतंत्रता वास्तविक नहीं है क्योंकि इसमें पूंजीपतियों और जमींदारों के हितों की पूर्ति होती है। इसलिए उन्होंने जमींदारों के विरुद्ध भारत के विभिन्न हिस्सों विशेषकर तेलंगना में हिंसक समाधि आंदोलन का समर्थन किया। प्रथम लोकसभा चुनाव के समय उनके सामने यह वैचारिक प्रश्न उत्पन्न हुई कि उन्हें समाजवाद की स्थापना के लिए हिंसात्मक क्रांति का सहारा लेना चाहिए अथवा लोकतांत्रिक समाजवाद को स्वीकार करते हुए चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए अंततः 1951 में साम्यवादी पार्टी ने हिंसात्मक क्रांति का मात्र छोड़कर संसदीय लोकतंत्र का रास्ता अपनाया तथा चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया पहले चुनाव में भारतीय साम्यवादी पार्टी को लोकसभा में 16 सीटें प्राप्त हुई तथा वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी थी तथा दूसरे और तीसरे चुनाव में भी उसकी यह स्थिति बनी रही।

साम्यवादी पार्टी का विभाजन सोवियत संघ तथा चीन में वैचारिक मतभेद होने के कारण 1964 में भारतीय साम्यवादी पार्टी का दो पार्टियों में विभाजन हो गया-भारतीय साम्यवादी पार्टी(C.P.I.) तथा मार्क्सवादी साम्यवादी पार्टी (C.P.M.)| इनमें भारतीय साम्यवादी पार्टी सोवियत संघ की विचारधारा की पक्षधर थी जबकि मार्क्सवादी पार्टी चीन की विचारधारा से प्रेरित थी। आज भी दोनों दलों के वैचारिक स्थिति यही है।

प्रश्न 3- भारतीय राजनीति में जनसंघ की नीतियों व कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए उसकी सफलताओं पर प्रकाश डालिए?

उत्तर- भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 ई० में श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई थी । वैचारिक समर्थन की दृष्टि से इसकी जड़े स्वतंत्रता आंदोलन के समय स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा हिंदू महासभा में निहित है। वैचारिक दृष्टि से भारतीय जनसंघ अन्य राजनीतिक दलों से इस अर्थ में भिन्न था कि इसने भारत में एक राष्ट्र, एक संस्कृति के विचार का समर्थन किया। राष्ट्रीय जनसंघ का मानना था कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के आधार पर ही एक आधुनिक और मजबूत भारत का निर्माण हो सकता है। इस पार्टी ने अपनी अखंड भारत की कल्पना के अंतर्गत पाकिस्तान और भारत के पुनः विलय का समर्थन किया। पार्टी हिंदी को राजभाषा बनाये जाने की प्रबल समर्थक थी तथा अल्पसंख्यकों के प्रति सरकार की तुष्टीकरण की नीति की विरोधी थी। उन्होंने भारत को सैनिक रूप से मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए आणविक शस्त्रों के विकास का भी प्रबल समर्थन किया।

अगर हम भारतीय जनसंघ की राजनीति की बात करें तो आरंभिक चुनाव में भारतीय जनसंघ को कोई खास सफलता नहीं मिली। 1952 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 3 सीटें, 1957 के चुनाव में 4 सीटें तथा 1962 के चुनाव में उन्हें 14 सीटें प्राप्त हुई। इस पार्टी का जनाधार मुख्यतः उत्तर भारत के राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि के शहरी क्षेत्रों में ही केंद्रित था। व्यापारी वर्ग को इस पार्टी का परंपरागत आधार माना जाता है। आरंभिक काल में भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेता थे- श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, बलराज मधोक आदि।

1977 में जब कांग्रेस के विरुद्ध विपक्षी दलों द्वारा एकत्र होकर जनता पार्टी का गठन किया गया तो जनसंघ का भी उस में विलय हो गया। लेकिन शीघ्र ही 2 वर्ष बाद जनता पार्टी का विघटन हो गया तथा भारतीय जन संघ के नेताओं ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। भारतीय जनता पार्टी के आरंभिक नेताओं में अटल बिहारी बाजपेयी तथा लालकृष्ण आडवाणी प्रमुख है। अटल बिहारी वाजपेयी 1980 में भारतीय जनता पार्टी के प्रथम अध्यक्ष बने।

भारत में लोकतंत्र की जड़े जैसे-जैसे मजबूत होती गई तथा विपक्षी दलों का जनाधार बढ़ता गया वैसे वैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था में कांग्रेस का वर्चस्व भी कम होता रहा। 1989 के बाद राष्ट्रीय विपक्षी दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों का भी प्रभाव बढ़ता गया। लेकिन कोई भी राष्ट्रीय पार्टी अकेले दम पर लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने की स्थिति में नहीं बन सकी। यद्यपि 2014 के 16वीं लोकसभा के लिए संपन्न चुनाव में एन.डी.ए को प्राप्त 337 सीटों में भाजपा ने अकेले ही 283 सीटों पर विजय प्राप्त कर स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया है और 2019 के चुनाव में भाजपा 303 लोकसभा सीट तक जीती।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय राजनीति में जनसंघ की शुरुआत 2 लोकसभा सीट से शुरू होकर 2019 में लोकसभा सीटों का संख्या 303 तक पहुंच गया। वर्तमान में यह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग 1 ( समकालीन विश्व राजनीति)

अध्याय - 01

शीत युद्ध का दौर

अध्याय - 02

दो ध्रुवीयता का अंत

अध्याय - 03

समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

अध्याय - 04

सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र

अध्याय - 05

समकालीन दक्षिण एशिया

अध्याय - 06

अंतर्राष्ट्रीय संगठन

अध्याय - 07

समकालीन विश्व में सुरक्षा

अध्याय - 08

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

अध्याय - 09

वैश्वीकरण

भाग 2 (स्वतंत्र भारत में राजनीति )

अध्याय - 01

राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

अध्याय 02

एक दल के प्रभुत्व का दौर

अध्याय - 03

नियोजित विकास की राजनीति

अध्याय - 04

भारत के विदेश संबंध

अध्याय - 05

कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

अध्याय - 06

लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

अध्याय - 07

जन आंदोलनों का उदय

अध्याय - 08

क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

अध्याय - 09

भारतीय राजनीति नए बदलाव

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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