Class 12 Political Science अध्याय- 9 वैश्वीकरण Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Political Science अध्याय- 9 वैश्वीकरण Question Bank-Cum-Answer Book

 Class 12 Political Science अध्याय- 9 वैश्वीकरण Question Bank-Cum-Answer Book


प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Political Science

अध्याय- 9 वैश्वीकरण

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) की पहली बैठक कब हुई?

a. 2000

b. 2001

c. 2002

d. 2003

2. भूमंडलीकरण किस विचारधारा पर आधारित है?

a. समाजवाद

b. साम्यवाद

c. उदारवाद

d. इनमें से कोई नहीं

3. विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब हुई

a. जनवरी 1956

b. जनवरी 1995

c. फरवरी 1999

d. अप्रैल 2000

4. वर्ल्ड सोशल फोरम की प्रथम बैठक किस देश में हुई?

a. ब्राज़ील

b. भारत

c. अमेरिका

d. केन्या

5. वैश्वीकरण के कारण भारत का स्वरूप किस प्रकार का हो गया है?

a. वैश्विक गांव का

b. मुख्य बाजार का

c. अंतर्राष्ट्रीय बाजार का

d. किसी का नहीं

6. वैश्वीकरण की नीति से सबसे अधिक नकारात्मक रूप से कौन प्रभावित हुए ?

a. गरीब

b. पूंजीपति

c. मध्यम वर्ग

d. कोईनहीं

7. निम्नलिखित में कौन वैश्वीकरण का कारक नहीं है?

a. प्रौद्योगिकी

b. संचार साधन

c. खेल

d. पूंजी

8. प्राचीन काल में किस स्थल मार्ग से एशिया और यूरोप का व्यापार होता था ?

a. रेशम मार्ग

b. सूती मार्ग

c. उत्तराखंड

d. दक्षिणापथ

9. आईएमएफ और विश्व बैंक कब से काम शुरू किया?

a. 1945

b. 1947

c. 1951

d. 1972

10. गिरमिटिया किसे कहा जाता था?

a. रोगियों को

b. अनुबंधित मजदूरों को

c. अंग्रेजों को

d. एक प्रकार के पक्षी को

11. " सोचो विश्व के संदर्भ में और देश का हित करो” यह कथन किस विद्वान का है?

a. अमर्त्य सेन

b. यूनुस खान

c. मनमोहन सिंह

d. रोमिला थापर

12. आधुनिक युग में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में होने वाली सबसे बड़ी क्रांति कौन सी है?

a. औद्योगिक क्रांति

b. समाजवादी क्रांति

c. भौगोलिक क्रांति

d. वाणिज्यिक क्रांति

13. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस वर्ष आरंभ हुआ ?

a. 1914

b. 1922

c. 1927

d. 1929

14. कॉर्न लॉ किस देश से संबंधित है ?

a. भारत

b. ब्रिटेन

c. अमेरिका

d. ब्राजील

15. भारत में वैश्वीकरण के जनक कौन थे?

a. नरसिम्हा राव

b. जवाहरलाल नेहरू

c. राजेंद्र प्रसाद

d. मनमोहन सिंह

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः वैश्वीकरण का तात्पर्य विश्व के विभिन्न समाजों और अर्थव्यस्थाओं के एकीकरण से है। यह उत्पादों, विचारों, दृष्टिकोणों, विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं आदि के आपसी विनिमय के परिणाम से उत्पन्न होता है।

2. सामाजिक सुरक्षा कवच से आपका क्या अभिप्राय है?

उत्तर: आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वैश्वीकरण के बुरे प्रभावों से बचाने के संस्थानिक उपाय ।

3. सांस्कृतिक समरूपता तथा सांस्कृतिक विभिन्नता से आपका क्या आशय है?

उत्तर: सांस्कृतिक समरूपता विश्व संस्कृति के नाम पर दूसरे देशों पर अमेरिका की संस्कृति लादना ।

सांस्कृतिक विभिन्नता में विभिन्न संस्कृतियाँ दूसरे संस्कृतियों की अच्छी बातों को अपनी संस्कृति में शामिल करती है। जिस कारण प्रत्येक संस्कृति अनूठी बन जाती है।

4. सोशल फोरम के तहत कौन-कौन से समूह वैश्वीकरण का विरोध कर रहे हैं?

उत्तर : मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर तथा युवा कार्यकर्ता आदि एकजुट होकर वैश्वीकरण का विरोध कर रहे हैं।

5. बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हो?

उत्तर- वह कम्पनी जो एक से अधिक देशों में आर्थिक गतिविधियां चलाती हैं। जैसे कोका कोला, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि

6. क्या साम्राज्यवाद ही वैश्वीकरण है ?

उत्तर- नहीं, सामाज्यवाद में एक देश अपनी सीमा के बाहर के क्षेत्र के लोगों पर आर्थिक तथा राजनीतिक कब्जा करता है जबकि वैश्वीकरण में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता है।

7. कल और आज के वैश्वीकरण में क्या अन्तर है?

उत्तर- पहले के समय में वस्तु तथा तैयार माल का आवागमन होता था। परन्तु अब व्यक्ति, वस्तु, विचार, पूंजी, तकनीक तथा कच्चे अन्तर्राष्ट्रीय माल का भी आवागमन होता है।

8. दो महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं के नाम बताइए?

उत्तर-

क. मुद्रा कोष ।

ख. विश्व व्यापार संगठन ।

9. भारत वैश्वीकरण को किन तरीको से प्रभावित कर रहा है। कोई दो कारण दीजिए?

उत्तर-

क. भारतीय लोग विदेशों में जाकर अपनी संस्कृति व रीति-रिवाज को बढ़ावा दे रहे है।

ख. भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व को आकर्षित किया है।

10. वैश्वीकरण से विश्व में वस्तुओं के व्यापार पर क्या प्रभाव हुआ है?

उत्तर-

क. विभिन्न देशों में अपने आयात प्रतिबंधों में कमी।

ख. पूंजी के आवागमन पर रोक कम हुई।

11. "यूट्यूब वैश्वीकरण का प्रतीक नहीं है" तथा "होंडा मोटर बाइक्स वैश्वीकरण का प्रतीक है” इन दोनों कथनों में से कौन सा कथन सत्य है और कौन सा कथन असत्य?

उत्तरः यूट्यूब वैश्वीकरण का प्रतीक है जबकि होंडा मोटर बाइक्स वैश्वीकरण का प्रतीक नहीं है।

12. आर्थिक बैश्विकरण के तीन तत्व लिखें।

उत्तरः

क. अंतर्राष्ट्रीय व्यापर

ख. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

ग. पूंजी बाजार प्रवाह ।

13. "ग्लोकल" पदबंध का अर्थ क्या होता है?

उत्तर: ग्लोकल पदबंध का आशय है विदेशी वस्तुओं को अपनाने के साथ-साथ स्वदेशी भी बने रहना।

14. भारत और चीन को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट क्यों दी गई है?

उत्तर- भारत और चीन को क्योटो प्रोटोकॉल के बाध्यताओं से विकासशील देश होने के कारण छूट प्राप्त है।

15. खुली अर्थव्यवस्था क्या है?

उत्तर- खुली अर्थव्यवस्था का आशय होता है अर्थव्यवस्था पर राज्य का कम से कम हस्तक्षेप तथा विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ स्वतंत्र लेनदेन व्यवस्था।

16. उदारीकरण क्या है?

उत्तर- उदारीकरण एक ऐसी विचारधारा है जिसके अंतर्गत प्रत्येक वस्तु, व्यक्ति और विचार को स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होने अथवा आने जाने की छूट हो। उदारीकरण को वैश्वीकरण का सैद्धांतिक पक्ष कहा जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?

उत्तरः वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का योगदान महत्वपूर्ण है। वैश्वीकरण के विकास में सबसे अधिक योगदान प्रौद्योगिकी का ही माना जाता है क्योंकि इसने ही विश्व के लोगों को इतना करीब ला दिया की पूरी विश्व एक वैश्विक गांव के रूप में उभर कर सामने आई।'

निम्न बिंदुओं से वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी के योगदान को समझा जा सकता है।

1. प्रौद्योगिकी प्रगति ने सारे संसार में लोगों वस्तुओं पूंजी और विचारों के प्रवाह में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि की है।

2. प्रौद्योगिक की प्रगति के कारण आज संसार के किसी भी भाग में बैठा व्यक्ति हजारों लाखों मील की दूरी पर घटने वाली घटनाओं से तुरंत ही परिचित हो जाता है। लगता है कि वह उसी स्थान पर मौजूद है और उसके आसपास की घटना घट रही हैं।

3. प्रौद्योगिक में हुई प्रगति के कारण अपने घर में बैठा व्यक्ति सारे संसार से जुड़ा हुआ महसूस करता है वह घर बैठे ही विदेशों से व्यापार करता है धन का भुगतान करता है। आपस में बातचीत करता है यहां तक कि सम्मेलनों तथा बैठकों में भागीदारी भी करता है।

4. प्रौद्योगिकी विभिन्न देशों की संस्कृति की संस्कृतियों टीवी तथा इंटरनेट के माध्यम से अंतः क्रिया करने में भूमिका निभाई है और वे एक दूसरे को ऐसे प्रभावित करने लगी है जैसे लोग प्रत्यक्ष रूप से सामने आकर बातचीत से प्रभावित होते हैं।

ऐसा कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि वैश्वीकरण के प्रसार में सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान प्रौद्योगिकी का है।

2. नव उपनिवेशवाद को परिभाषित करें।

उत्तर- नव उपनिवेशवाद एक ऐसी अवधारणा है, जिसके अंतर्गत एक समृद्ध एवं शक्तिशाली देश किसी कमजोर देश पर सीधे आर्थिक शोषण ना करके उसका अप्रत्यक्ष रूप से शोषण करता है। ऐसा वह कमजोर देश को आर्थिक सहायता देकर उस देश की नीतियों तथा उस देश में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण स्थापित करता है तथा उन नीतियों एवं गतिविधियों को अपने लाभ हेतु लागू करता है अतः ऐसा माना जा सकता है कि नव उपनिवेशवाद पुराने उपनिवेशवाद का एक नया रुप है।

3. वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष से तात्पर्य हैवैश्वीकरण द्वारा विश्व में आने वाले बदलाव। वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने दुनिया भर में कई प्रकार के महान आर्थिक परिवर्तन उत्पन्न कर दिए जिससे विश्व का आर्थिक ढांचा ही बदल गया।

आमतौर पर वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष के आधारित आधारभूत पहलू निम्नलिखित है:

क. वस्तुओं सेवाओं और पूंजी तथा तकनीक का विश्वास विश्व में बाधा रहित प्रवाह का होना ।

ख. वैश्विक आर्थिक संस्थाओं अर्थात अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का बढ़ता हुआ प्रभाव।

ग. विश्व में बढ़ती आर्थिक समृद्धि के साथ बढ़ती आर्थिक विषमता बहुराष्ट्रीय कंपनी का फैलता हुआ प्रभाव।

4. वैश्वीकरण के विरोध में किन्हीं चार कारणों को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- वैश्वीकरण के विरोध के लिए निम्नलिखित तर्क दिया जाता है कि वर्तमान वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूंजीवाद की एक विशेष व्यवस्था है जो अमीरों को और अमीर बना रही है और गरीबों को और गरीब बना रही है

दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के कारण चिंतित है इनका कहना है। कि राजनैतिक रूप से राज्य के कमजोर होने से जनता को नुकसान होता है।

कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता का होना आवश्यक है क्योंकि वैश्वीकरण ने संस्कृति को नुकसान पहुंचाने का भी कार्य किया है।

5. विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके मुख्य घटकों को लिखें।

उत्तर- विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का अर्थ है मानव समाज में इस भावना का विकास होना की सारे संसार के लोग वे चाहे किसी भी देश या क्षेत्र में रहते हों आपस में एक ही परिवार के सदस्य है और उन्हें एक-दूसरे से सहयोग करके ही जीवन व्यतीत करना है।

विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं।

1. संचार तथा परिवहन के शीघ्रगामी साधन जिन से व्यक्तियों, वस्तुओं तथा पूँजी के प्रवाह में गति आई है और पारस्परिक जुड़ाव संभव हुआ।

2. सूचना प्रसारण के साधन जैसे की टी.वी., इंटरनेट, कंप्यूटर आदि जिनके कारण संसार के लोग प्रत्येक घटना के बारे में सूचित रहते है और आपस में जुड़े महसूस करते हैं।

3. सामान्य अर्थव्यवस्था अर्थात बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था जो अब सभी देशों ने अपना ली है।

4. विश्वव्यापी समस्याओं जैसे की आतंकवाद एड्स की बीमारी, प्राकृतिक आपदाएँ जैसे समुद्री तूफान, भूकंप आदि जिनका समाधान कोई देश अकेले नहीं कर सकता। इस प्रकार के गंभीर समस्यायों के लिए एक दुसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है।

6. वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिकाको लिखें।

उत्तर- वैश्वीकरण ने विकासशील देशों में राज्य की भूमिका को बहुत बहुत हद तक प्रभावित किया है। राज्य अब न्यूनतम हस्तक्षेपकारी धारणा का पालन करती है और मुख्य रूप से कानून व्यवस्था बनाए रखना तथा अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना तक ही सीमित है, इस प्रकार राज्य अब कई ऐसे लोग कल्याणकारी कार्यों का छोड़ दी है जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक तलाश करना था। लोक कल्याणकारी राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक हो गया है। आज विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय निगमों की भूमिका में वृद्धि हुई है जिससे सरकारों के अपने दम पर फैसले लेने की क्षमता में भी भारी कमी आई। ऐसा कहा जा सकता है कि कुछ अर्थों में वैश्वीकरण ने राज्य की सत्ता में बढ़ोतरी की है अब राज्य को आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त है जिसके माध्यम से वे अपने नागरिकों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्रित कर सकती है। इसके माध्यम से ज्यादा बेहतर ढंग से अब कार्य करने में सक्षम है उनकी क्षमता में वृद्धि हुई है. इस प्रकार नई प्रौद्योगिकी के परिणाम स्वरूप राज्य अब पहले की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली दिखलाई पड़ती है। परिणास्वरूप राज्य अब काफी हद तक अपने स्वरूप को बदलते हुए अपनी भूमिका में भी परिवर्तन कर ली है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. वैश्वीकरण क्या है ? वैश्वीकरण के गुणों और दोषों को विस्तार पूर्वक लिखें

उत्तर- वैश्वीकरण का तात्पर्य विश्व के विभिन्न समाजों और अर्थव्यस्थाओं के एकीकरण से है। यह उत्पादों, विचारों, दृष्टिकोणों, विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं आदि के आपसी विनिमय के परिणाम से उत्पन्न होता है।

वैश्वीकरण के गुण / लाभ अथवा महत्व :-

A. नवीन तकनीकों का आगमन

वैश्वीकरण द्वारा विदेशी पूँजी के निवेश में वृद्धि होती है एवं नवीन तकनीकों का आगमन होता है, जिससे श्रम की उत्पादकता एवं उत्पाद की किस्म में सुधार होता है।

B. जीवन स्तर में वृद्धि

वैश्वीकरण से जीवन-स्तर में वृद्धि होती है, क्योंकि उपभोक्ता को पर्याप्त मात्रा में उत्तम किस्म की वस्तुएँ न्यूनतम मूल्य पर मिल जाती हैं।

C. विदेशी विनियोजन

वैश्वीकरण के विकसित राष्ट्र अपनी अतिरिक्त पूँजी अर्द्धविकसित एवं विकासशील राष्ट्रों मे विनियोग करते है। विदेशी पूँजी के आगमन से इन देशों का विनियोग बड़ी मात्रा मे हुआ है।

D. विदेशों में रोजगार के अवसर

वैश्वीकरण से एक देश के लोग दूसरे देशों में रोजगार प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।

E. विदेशी व्यापार मे वृध्दि

आयात-निर्यात पर लगे अनावश्यक प्रतिबन्ध समाप्त हो जाते है तथा संरक्षण नीति समाप्त हो जाने से विदेशी व्यापार मे पर्याप्त वृद्धि होती है।

F. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग मे वृध्दि

जब वैश्वीकरण अपनाया जाता है, तो आर्थिक सम्बंधों में तो सुधार होता ही है, साथ ही राजनीतिक सम्बन्ध भी सुधरते है। आज वैश्वीकरण के कारण भारत के अमेरिका, जर्मनी एवं अन्य यूरोपीय देशों से सम्बन्ध सुधर रहे हैं।

G. तकनीकी ज्ञान में बढ़ोतरी

तीव्र आर्थिक विकास वैश्वीकरण से प्रत्येक राष्ट्र को अन्य राष्ट्रों से तकनीकी ज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर मिलता है।

H.. विदेशी मुद्रा कोष मे वृद्धि

जिस राष्ट्र का उत्पादन श्रेष्ठ किस्म का, पर्याप्त मात्रा होता है, उसका निर्यात व्यापार तेजी से बढ़ता है। परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा कोष में वृद्धि होती है एवं भुगतान सन्तुलन की समस्या का निदान होता है।

I. उत्पादकता में वृद्धि

अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के कारण देश में अपनी वस्तुओं की मांग बनाये रखने एवं निर्यात में सक्षम बनने के लिए देशी उद्योग अपनी उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुधार लाते है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, कार उद्योग, टेक्सटाइल उद्योग ने इस दिशा मे प्रभावी सुधार किया है।

वैश्वीकरण के दोष (हानियाँ) एवं दुष्परिणाम :

A. आर्थिक असन्तुलन

वैश्वीकरण के कारण विश्व मे आर्थिक अन्तुलन पैदा हो रहा है। गरीब राष्ट्र अधिक गरीब एवं अमीर राष्ट्र अधिक सम्पन्न हो रहे हैं। इसी प्रकार देश में भी गरीब एवं अमीर व्यक्तियों के बीच विषमता बढ़ रही हैं।

B. देशी उधोगों का पतनः

वैश्वीकरण के कारण स्थानीय उधोग धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं। विदेशी माल की प्रतियोगिता के सामने देशी उद्योग टिक नही पाते हैं। उनका माल बिक नही पाता है या घाटे मे बेचना पड़ता है। परिणामस्वरुप कई उद्योग बंद होने के कगार पर हैं या बंद हो गए हैं।

C. राष्ट्र प्रेम की भावना को आघातः

वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग्य समझते हैं।

D. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं का दबाव

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, गैट (GATT) आदि अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के दबाव में सरकार काम कर रही हैं। हितों की अवहेलना करके सरकार को इनकी शर्तें माननी पड़ती हैं। भारत जैसे राष्ट्र को अपनी आर्थिक, वाणिज्यिक एवं वित्तीय नीतियाँ इन संस्थाओं के निर्देशों के अनुसार बनानी पड़ रही हैं।

E. आर्थिक परतन्त्रता

वैश्वीकरण अर्द्धविकसित एवं पिछड़े हुए राष्ट्रों को विकसित राष्ट्रों का गुलाम बना रहा है। इसके कारण पिछड़े हुए राष्ट्र अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों की हर उचित - अनुचित बात को बनाने के लिए मजबूर हो रहे है।

F. घातक अन्तर्राष्ट्रीय कानून

अन्तर्राष्ट्रीय पेटेन्ट कानून, वित्तीय कानून, मानव सम्पदा अधिकार कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। पेटेन्ट की आड़ में बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ शोषण कर रही है। कई परम्परागत उत्पादन पेटेन्ट के अंतर्गत आने के कारण महँगे हो गए है।

G. विलासिता के उपयोग में वृद्धि

वैश्वीकरण के कारण पाश्चात्य राष्ट्रों में प्रचलित विलासिता के साधन का भारतीय बाजारों में निर्बाध प्रवेश हो गया है। इससे सांस्कृतिक पतन का खतरा बढ़ गया है।

2. वैश्वीकरण की क्या आर्थिक परिनीतियां हुई हैं ? इस संदर्भ में वैश्वीकरण का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा है?

उत्तर-  वैश्वीकरण का सर्वाधिक स्पष्ट प्रभाव किसी भी राष्ट्र के आर्थिक क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दिखलाई पड़ती है। वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। इस प्रकार दुनिया में आर्थिक व्यापार पर अब पहले से कहीं कम प्रतिबंध है व्यवहारिक पटल पर इसका यह अर्थ है कि धनी देश अपना धन अपने देश की जगह कहीं औरभी निवेश कर सकते हैं खासकर विकासशील देशों में जहां उन्हें ज्यादा मुनाफा की संभावना रहती है। वैश्वीकरण के कारण पर्यटकों के सामने राष्ट्र की सीमाओं की बाधा नहीं रही। कंप्यूटर और इंटरनेट से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका उदाहरण है विकसित देश अपनी वीजा नीति के जरिए अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को बड़ी सावधानी से बनाए रखते हैं ताकि दूसरे देशों के नागरिक रोजगार के तलाश में आसानी से उनके देश में ना प्रवेश कर जायें।

वैश्वीकरण के परिणाम विश्व के विभिन्न भागों में अलग- अलग हुए हैं आर्थिक वैश्वीकरण के कारण पूरे विश्व में जनमत गहराई से बढ गया है, सरकारें अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रही हैं. और इससे सामाजिक न्याय से संबंध रखने वाले लोग चिंतित हैं उनका कहना है कि वैश्वीकरण से आबादी की एक बहुत छोटे तबके को फायदा होगा जबकि एक बड़ा वर्ग और जनकल्याण जैसे शिक्षा स्वास्थ्य सफाई की सुविधा आदि के लिए सरकार पर आश्रित है, बदहाल हो सकते हैं। सामाजिक न्याय के समर्थक इस बात पर बल देते हैं कि कुछ संस्थानिक उपाय किए जाने चाहिए या सामाजिक सुरक्षा कवच तैयार किया जाना चाहिए ताकि जो लोग ऑर्थिक दृष्टि से कमजोर है उन पर वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव ना पड़े जबकि विश्व के अनेक लोगों की मान्यता है कि गरीब और गरीबी पर पहुंच जाएंगे। कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे उपनिवेशीकरण की संज्ञा तक दे डाली है।

वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव

आर्थिक वृद्धि - 1991 के बाद से हमने देखा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में काफी वृद्धि हुई है। अगर हम पुराने आंकड़ों को देखें तो 1950 से 1980 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 3.5% थी। लेकिन 2002 और 2012 के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था 7% से 8% की गति से बढ़ी। इसका मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय लोगों को वैश्वीकरण से लाभ हुआ है।

रेमिटेंस (Remittance) विदेशों में रहने वाले भारत के नागरिकों द्वारा भारत को भेजा जाने वाला धन, जिसे हम प्रेषण (Remittance) कहते हैं। 1991 में 21 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस भारत में आया, लेकिन 2017 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में रेमिटेंस, 68 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। आज भारत दुनिया में रेमिटेंस का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।

निवेश- भारत में विदेशी निवेश की वृद्धि बहुत तेजी से हुई है। 1991 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत के GDP का केवल 0.1% था। लेकिन आज प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत की जीडीपी का 2% तक पहुंच चुका है।

रोजगार- वैश्वीकरण के कारण भारत में लाखों नई - नौकरियां पैदा हुई है। जैसे आउटसोर्सिंग वैश्वीकरण प्रक्रिया के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक है। आउटसोर्सिंग में, एक कंपनी बाहरी स्रोतों से नियमित रूप से सेवा प्राप्त करती है, ज्यादातर अन्य देशों से, जो देश के कानूनी सलाह, विज्ञापन, IT सर्विसेज, और अन्य सेवाओं देश के भीतर प्राप्त करती है।

3. भारत में वैश्वीकरण का विरोध होने का प्रमुख कारणों की विवेचना करें।

उत्तर- भारत ने वैश्वीकरण के विकास में योगदान दिया है परंतु इसके साथ ही भारत में इसका विरोध भी दिखलाई पड़ता है जिसकी निम्नलिखित कारण माने जा सकते हैं।

a. भारत के वामपंथी दल वैश्वीकरण का विरोध करते हैं। क्योंकि इसे वे पूंजीवादी के प्रसारण तथा विस्तार का एक साधन मानते है।

b. भारत में कई वर्गों का यह मानना है कि वैश्वीकरण ने भारतीय संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव डाला है जिससे भारतीय संस्कृति का पाश्चात्यकरण होता जा रहा है जैसे भारत में वैलेंटाइन डे जैसे दिवस वर्तमान में मनाए जा रहे हैं जो भारतीय संस्कृति से बिल्कुल विपरीत है।

c. दक्षिणपंथी संगठन तथा कुछ समाजसेवी संस्थाएं भारत में टीवी पर विदेशी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं उनके अनुसार विदेशी चैनल विदेशी संस्कृति का प्रसारण करते हैं और कई बार भारत में ऐसे दृश्यों का प्रसारण करते हैं जिससे भारतीय युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

d. भारत में कई वर्ग विदेशी निवेश को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं मानते और उन पर 49% से अधिक विदेशी निवेश की स्वीकृति दिए जाने के प्रबल विरोधी हैं

e. भारत में ऐसी धारणा है वैश्विकरण के अंतर्गत विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से विकसित पाश्चात्य देश अपने हितों की सुरक्षा करना चाहते हैं और गरीब तथा विकासशील देशों के हितों की ओर ध्यान नहीं देते इसलिए भारत जैसे विकासशील देश में वैश्वीकरण का विरोध हो रहा है।

4. वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।

उत्तर : वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

1. राज्य की अपनी अर्थव्यवस्था का निर्धारण करने की क्षमता में बहुत कमी आई है क्योंकि आज सभी देशों में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था मुक्त व्यापार खुली प्रतियोगिता आदि को अपनाया गया है अतः इस दृष्टि से राज्य की भूमिका में बदलाव आया है।

2. राज्य द्वारा आयात- निर्यात के कड़े नियम बनाने तथा उन्हें लागू करने की भूमिका में परिवर्तन आया है क्योंकि वैश्वीकरण में व्यक्तियों वस्तुओं पूंजी तथा विचारों के तीव्र प्रवाह की धारणा आधारभूत है। अतः परमिट पासपोर्ट लाइसेंस आदि की बाधाएं कम हुई है और राज्य की दृष्टि से भूमिका कम हुई है।

3. आज विकासशील देशों में भी सामाजिक कल्याण सामाजिक सुरक्षा आदि की प्राथमिकताएं बाजार द्वारा निश्चित होती है सरकारों ने इन क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को सीमित किया है।

4. वैश्वीकरण के वातावरण में राज्यों की अपनी निर्भरता बढ़ी है इससे राज्य की स्वेच्छापूर्वक राष्ट्रीय तथा विदेश नीति के निर्धारिण की शक्ति भी कम किया है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की नीतियों तथा निर्णय को मानने के लिए बाध्य किया है।

5. वैश्वीकरण ने राज्य की प्रभुत्ता तथा राष्ट्रीय सीमाओं पर हो रहे उसके नियंत्रण को प्रभावित किया है।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग 1 ( समकालीन विश्व राजनीति)

अध्याय - 01

शीत युद्ध का दौर

अध्याय - 02

दो ध्रुवीयता का अंत

अध्याय - 03

समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

अध्याय - 04

सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र

अध्याय - 05

समकालीन दक्षिण एशिया

अध्याय - 06

अंतर्राष्ट्रीय संगठन

अध्याय - 07

समकालीन विश्व में सुरक्षा

अध्याय - 08

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

अध्याय - 09

वैश्वीकरण

भाग 2 (स्वतंत्र भारत में राजनीति )

अध्याय - 01

राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

अध्याय 02

एक दल के प्रभुत्व का दौर

अध्याय - 03

नियोजित विकास की राजनीति

अध्याय - 04

भारत के विदेश संबंध

अध्याय - 05

कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

अध्याय - 06

लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

अध्याय - 07

जन आंदोलनों का उदय

अध्याय - 08

क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

अध्याय - 09

भारतीय राजनीति नए बदलाव

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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