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Class 12 Economics Science/Commerce Jac Board 2024 Answer key

Class 12 Economics Science/Commerce Jac Board 2024 Answer key

 Class 12 Economics Science/Commerce Jac Board 2024 Answer key

झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION - 2024

ECONOMICS Science /Commerce (Optional)

10.02.2024

Total Time: 3 Hours 15 minute

Full Marks: 80

सामान्य निर्देश

1. This Question Booklet has two Parts - Part-A and Part-B. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग भाग-A तथा भाग-B हैं।

2. Part-A is of MCQ Type having 30 marks and Part-B is of Subjective Type having 50 marks.

भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।

3. The candidate has to answer in the Answer Booklet which will be provided separately.

परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. Part-A There are 30 Multiple Choice Questions having four (4) options (A, B, C & D). The candidate has to write the correct option in the Answer Booklet. All questions are compulsory. Each question carries 1 mark. There is no negative marking for wrong answer.

भाग-A इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D ) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. Part-B There are three sections: Section-A, B & C.

This part is of Subjective Type having Very Short Answer, Short Answer & Long Answer Type questions. Total number of questions is 22.

Section-A Question Nos. 31-38 are Very Short Answer Type. Answer any 6 questions. Each question carries 2 marks.

Section-B Question Nos. 39-46 are Short Answer Type. Answer any 6 questions. Each question carries 3 marks. Answer the questions in maximum 150 words each.

Section-C Question Nos. 47-52 are Long Answer Type. Answer any 4 questions. Each question carries 5 marks. Answer the questions in maximum 250 words each.

भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।

खण्ड-A प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है।

खण्ड-B प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।

खण्ड-C प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।

6. Candidates are required to answer in their own words as far as practicable.

परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. Candidate has to hand over his/her Answer Booklet to the Invigilator compulsorily before leaving the examination hall.

परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

8. Candidates can take away the Question Booklet after completion of the Examination.

परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

Part-A

(बहुविकल्पीय प्रश्न)

Question Nos. 1 to 30 are Multiple Choice Type. Each question has four options. Select the correct option and write it in the Answer Sheet. Each question carries 1 mark.1x30=30

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

1. निम्नलिखित में से किसका अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत होता है ?

(A) सामान्य कीमत स्तर

(B) बेरोजगारी का अध्ययन

(C) मुद्रा की पूर्ति

(D) उपभोक्ता का संतुलन

2. वस्तु की मात्रा के सापेक्ष कुल उपयोगिता में परिवर्तन की दर को क्या कहा जाता है ?

(A) औसत उपयोगिता

(B) कुल उपयोगिता

(C) कुल लाभदायकता

(D) सीमांत उपयोगिता

3. उदासीनता वक्र विश्लेषण से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-से कथन सही हैं ?

निम्न कूटों का प्रयोग करते हुए सही विकल्प का चयन कीजिए :

I. उपभोक्ता का अधिमान एकदिष्ट होता है।

II. सामान्यतः, एक उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर अवतल होता है।

III. उदासीनता मानचित्र में मूल बिन्दु से दूरी पर अवस्थित उदासीनता वक्र अपेक्षाकृत अधिक उपयोगिता स्तर को मापता है।

IV. संतुलन की अवस्था में उदासीनता वक्र की ढाल कीमतों के अनुपात के बराबर होती है।

(A) I तथा II

(B) II तथा III

(C) I, II तथा III

(D) I, III तथा IV

4. एक घटिया वस्तु के लिए माँग वक्र की ढाल होती है

(A) धनात्मक

(B) ऋणात्मक

(C) शून्य

(D) अनंत (∞)

5. उपभोक्ता की आय बढ़ने से किस प्रकार की वस्तु की माँग कम हो जाती है ?

(A) विलासी वस्तु

(B) आरामदायक वस्तु

(C) जीवनरक्षक वस्तु

(D) गिफिन वस्तु

6. निम्नलिखित में से प्रतियोगी वस्तुओं का एक संयोग कौन-सा है ?

(A) कार और पेट्रोल

(B) कलम और स्याही

(C) ब्रेड और बटर

(D) कंबल और रजाई

7. निम्नलिखित में से किस वक्र का आकार 'U' आकार का होता है ?

(A) औसत उत्पाद

(B) सीमांत लागत

(C) कुल लागत

(D) इनमें से कोई नहीं

8. पैमाने के वृद्धिमान प्रतिफल के उत्पादन फलन में साधनों को 3 गुना से वृद्धि करने पर उत्पादन में किस अनुपात से वृद्धि होगी ?

(A) 2 गुना

(B) 3 गुना से अधिक

(C) 1 गुना

(D) 3 गुना

9. जब सीमांत लागत औसत लागत से अधिक होती है, तब

(A) औसत लागत घटती है

(B) सीमांत लागत घटती है

(C) औसत लागत बढ़ती है

(D) औसत लागत न्यूनतम होती है

10. किसी वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि करने पर उसकी पूर्ति की मात्रा 5% से बढ़ जाती है। तो वस्तु की पूर्ति होगी।

(A) पूर्णतया बेलोचदार

(B) इकाई लोचदार

(C) बेलोचदार

(D) लोचदार

11. यदि सरकार के द्वारा वस्तु के उत्पादन पर इकाई कर लगाती है, तो उस वस्तु की पूर्ति

(A) कम हो जाएगी

(B) शून्य हो जाएगी

(C) में असीमित वृद्धि होगी

(D) अपरिवर्तित होगी

12. जब एक फर्म का पूर्ति वक्र कीमत अक्ष के समांतर होता है तो पूर्ति कीमत के सापेक्ष ………… होती है।

(A) लोचदार

(B) अति-लचीला

(C) पूर्णतया लोचदार

(D) पूर्णतया बेलोचदार

13. अन्य बातें समान रहने पर साधनों की कीमतों के बढ़ने से संतुलन कीमत पर क्या प्रभाव होगा ?

(A) संतुलन कीमत बढ़ेगी

(B) संतुलन कीमत घटेगी

(C) संतुलन कीमत शून्य होगी

(D) संतुलन कीमत अपरिवर्तित रहेगी

14. बाजार में फर्मों के निर्बाध प्रवेश और बहिर्गमन की स्थिति में बाजार कीमत किसके बराबर होती है ?

(A) न्यूनतम सीमांत लागत

(B) न्यूनतम औसत लागत

(C) माँग और पूर्ति द्वारा निर्धारित कीमत

(D) सीमांत आगम

15. निम्नलिखित में से कौन एक समष्टिगत आर्थिक एजेंट है ?

(A) एक उपभोक्ता

(B) एक उत्पादक

(C) एक दुकानदार

(D) बैंक

16. निम्नलिखित में से किस पुस्तक के लेखक जे. एम. केन्स हैं ?

(A) वेल्थ ऑफ नैशन

(B) ईकॉनोमिक्स

(C) प्रिन्सपल्स ऑफ ईकॉनोमिक्स

(D) द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉइमेन्ट इंटरेस्ट एण्ड मनी

17. निम्नलिखित में से किस चर का संबंध समय के एक निश्चित बिन्दु से होता है ?

(A) वस्तु

(B) प्रवाह

(C) स्टॉक

(D) इनमें से कोई नहीं

18. जीडीपी की गणना की किस विधि में अंतिम वस्तुओं के मौद्रिक मूल्य को शामिल किया जाता है ?

(A) उत्पाद विधि

(B) आय विधि

(C) व्यय विधि

(D) इनमें से सभी

19. वस्तु विनिमय प्रणाली का एक दोष निम्न में से कौन-सा है ?

(A) मूल्य संचय का अभाव

(B) आवश्यकता के दोहरे संयोग का अभाव

(C) मूल्य मापन की समस्या

(D) इनमें से सभी

20. व्यावसायिक बैंक का एक कार्य निम्नलिखित में से कौन-सा नहीं है?

(A) ऋण निर्गमन

(B) बचत बैंक खाता में जमा स्वीकार करना

(C) सरकार का बैंक

(D) सावधि जमा खाता खोलना

21. यदि केन्द्रीय बैंक वैधानिक तरलता अनुपात को बढ़ा दे तो व्यावसायिक बैंकों को ऋण देने की क्षमता में

(A) वृद्धि होती है

(B) कमी होती है

(C) कोई परिवर्तन नहीं होता

(D) वृद्धि या कमी हो सकती है.

22. ब्याज दर में वृद्धि होने से मुद्रा की किस माँग में कमी होती है ?

(A) दैनिक लेनदेन माँग

(B) मुद्रा की आपातकालीन माँग

(C) आड़ी माँग

(D) सट्टेबाजी माँग

23. उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति किस फलन की ढाल को मापती है ?

(A) उत्पादन फलन

(B) निवेश फलन

(C) उपयोगिता फलन

(D) उपभोग फलन

24. यदि किसी अर्थव्यवस्था में गुणक का मान 4 है तो बचत की सीमांत प्रवृत्ति का मान स्था होगा ?

(A) 0.25

(B) 0.75

(C) 2.5

(D) 4

25. उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति में वृद्धि समग्र माँग को किस प्रकार प्रभावित करती है ?

(A) समग्र माँग का वक्र में कोई परिवर्तन नहीं होता

(B) समग्र माँग का वक्र की ढाल बढ़ेगी

(C) समग्र माँग का वक्र दाहिनी ओर विवर्तित होगी

(D) समग्र माँग का वक्र बायीं ओर विवर्तित होगी

26. सरकार के राजस्व आय का एक स्रोत निम्न में से कौन-सा है ?

(A) विनिवेश

(B) विदेशी कर्ज

(C) घरेलू कर्ज

(D) सरकारी निवेश से लाभांश

27. किस प्रकार के बजट में सरकार का व्यय उसके आगम से अधिक होता है ?

(A) संतुलित बजट

(B) घाटे का बजट

(C) अधिशेष बजट

(D) इनमें से सभी

28. भारत में निम्नलिखित में से किस उत्पाद को जीएसटी से बाहर रखा गया है ?

(A) तंबाकू उत्पाद

(B) लेखन सामग्री

(C) आभूषण

(D) पेट्रोलियम उत्पाद

29. सरकार के द्वारा इकमुश्त कर लगाने से अर्थव्यवस्था में संतुलन आय पर क्या प्रभाव होता है ?

(A) संतुलन आय में वृद्धि होगी

(B) संतुलन आय में कमी होगी

(C) संतुलन आय अपरिवर्तित रहेगी

(D) कहा नहीं जा सकता

30. भारत में विदेशी मुद्रा के प्रवाह का एक कारण है

(A) विदेशी उपहार

(B) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

(C) वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात

(D) इनमें से सभी

Part-B

(विषयनिष्ठ प्रश्न )

Section - A

(अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2x6-12

31. उत्पादन संभावना वक्र से आप क्या समझते हैं ? रेखाचित्र से दर्शाइए।

उत्तर- एक ऐसा वक्र जो दिए हुए साधनों तथा तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादनों की वैकल्पिक संभावनाओं को प्रकट करता है, उत्पादन संभावना वक्र कहलाता है।

यदि अर्थव्यवस्था दो वस्तुओं का उत्पादन करता है तो इन सीमाओं के भीतर दोनों वस्तुओं के कई संयोगो का उत्पादन किया जा सकता है। इसे तालिका द्वारा प्रकट किया जाये तो उस तालिका को उत्पादन संभावना अनुसूची कहेंगे ।

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चित्र में, बिन्दु A,B,C,D,E क्रमश: गेहूं और कपड़ा के विभिन्न संयोग को व्यक्त करता है। इन बिंदुओं को मिलाने से एक वक्र प्राप्त होता है, जिसे उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं। इसे रूपांतरण रेखा भी कहा जाता है ; क्योंकि इस रेखा से ज्ञात होता है कि यदि एक वस्तु X (कपड़ा) का अधिक उत्पादन किया जाता है तो दूसरी वस्तु Y(गेहूं) से उत्पादन के साधन हटाकर X वस्तु के उत्पादन में लगाये जाते हैं अर्थात Y वस्तु के साधन को X वस्तु के साधन में रूपांतरण किया जाता है।

32. गिफिन वस्तु से आप क्या समझते हैं? इस वस्तु के लिए माँग वक्र को रेखाचित्र से दर्शाइये।

उत्तर- ऐसी निम्न कोटि की वस्तुएं हैं जिनका आय प्रभाव ऋणात्मक होता है तथा कीमत प्रभाव धनात्मक होता हैइनके मूल्य में वृद्धि से इनकी माँग में भी वृद्धि हो जाती है तथा मूल्य में कमी से माँग में भी कमी हो जाती है। ऐसी वस्तुओं को गिफेन वस्तु कहते हैं। इसका प्रतिपादन रॉबर्ट गिफेन ने किया था।

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जब मांग का नियम विफल हो जाता है, तो कीमत और मात्रा के बीच विपरीत संबंध अच्छा नहीं रहता है। इसके बजाय, मांग वक्र ऊपर की ओर झुक सकता है, जो ऊंची कीमत पर अधिक खरीदारी दर्शाता है।

33. उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- वाटसन के शब्दों में,"एक फर्म के भौतिक उत्पादन और उत्पादन के भौतिक कारकों के संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।"

                                           Qx =f(L,K)

जहां Qx = x वस्तु का भौतिक उत्पादन , L = श्रम की भौतिक इकाइयां ,K= पूॅंजी की भौतिक इकाइयां ,f= फलन

34. यदि किसी वस्तु की कीमत में 8% की वृद्धि होने से उस वस्तु की पूर्ति में 10% की वृद्धि होती है तो वस्तु की पूर्ति लोच की गणना कीजिए। अपने उत्तर पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर - वस्तु की पूर्ति लोच = पूर्ति मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन ÷ कीमत में प्रतिशत परिवर्तन

            Es = 10 ÷ 8 = 1.25

अतः पूर्ति की लोच ईकाई से अधिक है।

35. किन्हीं चार प्रश्नों को लिखिए जिसका संबंध समष्टि अर्थशास्त्र से होता है।

उत्तर - चार प्रश्न जिसका संबंध समष्टि अर्थशास्त्र से होता है।

1. राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं।

2. दो -क्षेत्रकीय अर्थव्यवस्था में चक्रीय प्रवाह समझाइए।

3. प्रभावपूर्ण मांग की व्याख्या करें।

4. मुद्रा स्फीति से आप क्या समझते हैं।

36. "मुद्रा लेखे की इकाई का कार्य करती है।" इस कथन से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - मुद्रा लेखे की इकाई के रूप में मूल्य का मापदंड करती है लेखे की इकाई से अभिप्राय यह है कि प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है। मुद्रा के द्वारा सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य अथवा कीमतों को मापा जा सकता है तथा व्यक्त किया जा सकता है।

37. वित्तीय बाजार को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- गेन्ट के शब्दों में, "वित्त बाजार एक ऐसा संयन्त्र है जो कि उधारकर्ताओं को ऋण उपलब्ध कराता है तथा ऋणदाताओं को वित्त लगाने का अवसर प्रदान करता है। "

38. तैरती विनिमय दर को परिभाषित कीजिए।

उत्तर - तैरती विनिमय दर एक मुद्रा की कीमत है जो अन्य मुद्राओं के साथ मांग और आपूर्ति द्वारा तय की जाती हैइसमें एक मुद्रा की कीमत अन्य मुद्राओं के सहयोग से मांग और आपूर्ति द्वारा तय की जाती हैयह एक अस्थायी विनिमय दर होती है जो बाजार की मांग और आपूर्ति पर आधारित होती है

Section - B

(लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 3 x 6 = 18

39. एक माँग की रेखा ऋणात्मक ढाल की क्यों होती है ?

उत्तर - मूल्य बढ़ने से मांग घटती है और मूल्य घटने से मांग बढ़ती है । इसे मांग का नियम दर्शाता है । मूल्य और मांग में विपरीत संबंध होने के कारण मांग वक्र ऊपर से नीचे दाहिनी और झुकती है ।

कारण

माँग की रेखा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर खींचती है। इसके निम्नलिखित कारण है -

(1) सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम :- वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग , जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।

(2) आय प्रभाव :- एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप खरीददार की वास्तविक आय में परिवर्तन होने के कारण वस्तु की मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन को आए प्रभाव कहा जाता है।

अगर कीमत अधिक हो जाती है तो उपभोक्ता की उस वस्तु के रूप में वास्तविक आय घट जाती है जिससे मांग घट जाती है।

(3) सम-सीमांत उपयोगिता नियम :- प्रत्येक वस्तु की मात्रा अधिक खरीदने से उसकी सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है। इसलिए उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक मात्रा तभी खरीदेगा जब उस वस्तु की कीमत कम होकर सीमांत उपयोगिता के बराबर हो जाएगी। इससे स्पष्ट होता है कि कीमत कम होने पर वस्तु की अधिक मात्रा खरीदी जाएगी तथा कीमत बढ़ने पर कम मात्रा खरीदी जाएगी।

(4) उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन :- प्रो. मेयर्स ने इस तथ्य को स्पष्ट किया है ।जब किसी वस्तु के मूल्य में कमी होती है तो उसके क्रेताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है; अतः वस्तु की बाजार मांग बढ़ जाती है । इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो बहुत से क्रेता जिनकी आय कम होती है, इस वस्तु का क्रय बंद कर देते हैं। अतः वस्तु की मांग घट जाती है।

40. औसत लागत से आप क्या समझते हैं? यह सीमांत लागत से किस प्रकार संबंधित है ? रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए।

उत्तरमूल्य सिद्धांत में AC तथा MC का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

 कुल उत्पादन लागत को उत्पादित इकाइयों से भाग लेकर औसत लागत ज्ञात किया जाता है।

  औसत लागत TCUnitofProduce

एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से लागत में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है

    MC = TCn – TCn-1

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चित्र से स्पष्ट है कि AC वक्र गिरता है तथा MC वक्र एक सीमा तक गिरती है। किंतु एक अवस्था के बाद यह बढ़ना आरंभ करता है। जब AC वक्र निम्नतम होता है तब MC वक्र AC वक्र को निम्नतम बिंदु पर काटते हुए तीव्र गति से ऊपर बढ़ता है। अर्थात MC,AC वक्र से ऊपर होता है MC वक्र AC वक्र को निम्नतम बिंदु पर काटती है

इसे गणितीय विधि द्वारा सिद्ध किया जा सकता है -

  Let, π = a+bx+cx2

   Where π कुल लागत , x = उत्पादन , a,b,c = स्थिरांक  

AC=πX=a+bx+cx2x

d(AC)dx=x(b+2cx)-(a+bx+cx2)(1)x2

=b+2cxx-(a+bx+cx2)x2

 लागत न्यूनतम करने पर d(AC)dx=0

b+2cxx-(a+bx+cx2)x2=0

b+2cxx=(a+bx+cx2)x2

b+2cx=(a+bx+cx2)x

 MC = AC

 MC रेखा AC रेखा को निम्नतम बिंदु  पर काटती है और बराबर होती है।

41. निम्न स्थितियों का बाजार संतुलन पर पड़ने वाले प्रभावों को रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए :

a) माँग में कमी

b) पूर्ति में वृद्धि

c) माँग और पूर्ति में एक समान दर से कमी।

उत्तर - 

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a) माँग में कमी : यदि माँग में कमी होती है, तो बाजार में उत्पादों की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे उनकी कीमतें घट सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, उत्पादों की आपूर्ति और माँग के बीच कीमत संतुलन बिगड़ सकता है।

b) पूर्ति में वृद्धि : यदि पूर्ति में वृद्धि होती है, तो बाजार में उत्पादों की उपलब्धता बढ़ सकती है, जिससे उनकी कीमतें घट सकती हैं।

c) माँग और पूर्ति में एक समान दर से कमी : यह स्थिति बाजार में संतुलन को अधिक सुदृढ़ बना सकती है। उत्पादों की माँग और पूर्ति के बीच संतुलित रहने से कीमतों में बड़ी ही कमी होती है और बाजार में स्थिरता बनी रहती है।

42. राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ? राष्ट्रीय आय को सकल घरेलू उत्पाद से कैसे ज्ञात किया जाता है ?

उत्तर- राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन (कारक) आय का जोड़।

NY=ni=1FYi

यहां NY = राष्ट्रीय आय ,  = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।

राष्ट्रीय आय को सकल घरेलू उत्पाद से ज्ञात करने के लिए आमतौर पर ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) का उपयोग किया जाता है। GDP एक देश की वास्तविक आर्थिक गतिविधियों का मूल्यांकन करता है, जो संग्रहित वस्त्र, खाद्य, और सेवाओं के उत्पादन और वितरण में होती है। इसके माध्यम से, सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य प्राप्त किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय आय का आकलन किया जा सकता है।

GDP को तीन मुख्य तत्वों से प्राप्त किया जाता है:

उत्पाद सेवाएं : इसमें उत्पादन का मूल्य और सेवाओं का मूल्य शामिल होता है।

व्यय : उत्पादन के लिए विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी और खर्च शामिल होता है।

निवेश : इसमें स्थायी और अस्थायी संपत्ति के निवेश, जैसे कि निर्माण या उत्पादक उपकरणों की खरीदारी, शामिल होती है।

ये तीनों तत्व मिलाकर ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट को निर्धारित करते हैं, जो देश की सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य होता है। इससे राष्ट्रीय आय का आकलन किया जा सकता है।

43. भारत में मुद्रा की पूर्ति की माप की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- किसी भी समय पर मुद्रा की आपूर्ति का अर्थ है अर्थव्यवस्था में विद्यमान मुद्रा का कुल परिमाण

23 जून 1998 में डाॅ. वाई. वी. रेड्डी की अध्यक्षता में गठित कार्यदल ने मुद्रा आपूर्ति के संकेतकों ( M1 , M2 , M3 , M4 ) की सिफारिश की।

1. M1 = जनता के पास ( करेन्सीनोट तथा सिक्के) + बैंको की मांग जमाऐ ( चालू और बचत खातों की ) + रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाये

2. M2 = M1 + डाकघरों की बचत बैंक जमाये

3. M3 = M1 + बैंकों की सावधि जमाये

4. M4 = M3 + डाकघर की कुल जमाये

मुद्रा की पूर्ति मुद्रा अधिकारियों द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्धारित की जाती है। मुद्रा की पूर्ति के दो निर्धारक तत्व हैं - व्यावसायिक बैंकों की जमा राशि तथा लोगों द्वारा रखी जाने वाली मुद्रा की मात्रा

 सूत्र से ,

M = D + C ------------------------(1)

जहां , M = मुद्रा की मात्रा , D = बैंको की मांग जमा राशि, C = लोगों के पास मुद्रा की मात्रा।

शक्तिशाली मुद्रा तीन तत्त्वो से निर्धारित होती है - लोगों द्वारा नद मुद्रा की मांग (C) बैंकों द्वारा रिजर्व अनुपात की मांग (RR), एवं बैंको द्वारा अतिरिक्त रिजर्व की मांग (ER)

सूत्र से,

H = C + RR + ER --------------------(2)

यदि हम CD को Cr ,RD को RRr तथा ERD ERr से प्रतिस्थापित कर दे तो सूत्र निम्न प्रकार होगा -

44. सरकारी बजट के किन्हीं तीन उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान सरकार की प्राप्तियों (आय) तथा सरकार के व्यय के अनुमानों का विवरण होता है।

सरकारी बजट के उद्देश्य

(1) आय तथा संपत्ति का पुनः वितरण :- संपत्ति और आय का समान बटवारा सामाजिक न्याय का प्रतीक है जो कि भारत जैसे किसी भी कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य होता है।

(2) संसाधनों का पुनः आवंटन :- अपनी बजट संबंधी नीति द्वारा देश की सरकार संसाधनों का आवंटन इस प्रकार करती है जिससे अधिकतम लाभ तथा सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके

(3) आर्थिक स्थिरता :- अर्थव्यवस्था में तेजी और मंदी के चक्र चलते हैं। सरकार अर्थव्यवस्था को इन व्यापार चक्रसे सुरक्षित रखने के लिए सदा वचनबद्ध होती हैसरकार आर्थिक स्थिरता की स्थिति को प्राप्त करने का प्रयत्न करती है

(4)  सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध :- सरकार के बजट संबंधी नीति से ही प्रकट होता है कि वह किस प्रकार सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से विकास की गति को तीव्र करने के लिए उत्सुक है। प्राय: सार्वजनिक उद्यमो को न क्षेत्रों में लगाने का प्रयत्न किया जाता है जहां प्राकृतिक एकाधिकार पाया जाता है

45. यदि किसी अर्थव्यवस्था में उपभोग फलन C = 25 + 0.6Y है, तो गुणक के मान की गणना कीजिए।

उत्तर - उपभोग फलन C = 25 + 0.6Y

MPC = 0.6

K=11-MPC=11-0.6

K=100.4=2.5

46. मितव्ययिता के विरोधाभास की व्याख्या कीजिए।

उत्तर -मितव्ययिता के विरोधाभास से अभिप्राय यह है कि यदि अर्थव्यवस्था के सभी लोग अपनी आय से बचत के अनुपात को बढ़ा दें तो अर्थव्यवस्था में बचत के कुल मूल्य में वृद्धि नहीं होगी। इसका कारण यह है कि सीमांत बचत प्रवृत्ति के बढ़ने से सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कम हो जाती है। और निवेश गुणक भी कम हो जाता है। फलस्वरूप आय में वृद्धि की दर भी कम हो जाती है। इस प्रकार बचत बढ़ाने से कुल बचत का बढ़ना आवश्यक नहीं है। नीचे दिए चित्र में स्पष्ट है कि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति के कम SS से S1 S1 पर खिसक गया। फलस्वरूप राष्ट्रीय आय भी घटकर Oy1 से Oy2 हो जाती है। जिससे बचत फिर कम हो जाएगी। इस प्रकार बचत में वृद्धि नहीं हो सकेगी। मितव्ययिता से हम आय बढ़ाना चाहते थे, परंतु यह विरोधाभास है कि इससे आय बढ़ने की बजाय कम हो गई।

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Section - C

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें। 5 x 4 = 20

47. माँग की कीमत लोच को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है -

1. प्रतिस्थापक वस्तुओं की उपलब्धता :- यदि किसी वस्तु की प्रतियोगी वस्तु आसानी से बाजार में मिल जाती है तो उस वस्तु की कीमत में थोड़ी सी वृद्धि से ही उपभोक्ता प्रतियोगी वस्तुओं का प्रयोग करने लगते हैं अर्थात वस्तु की मांग पर कीमत परिवर्तन का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है अर्थात वस्तु की मांग लोचदार होती है।

2. वस्तु की प्रकृति :- अनिवार्य वस्तु की मांग बेलोचदार होती है। इसके विपरीत विलासिता की मांग लोचदार होती है।

3. आदतें तथा फैशन :- जब उपभोक्ता एक बार विशेष वस्तु के उपभोग के लिए आदत बना लेते हैं तो वह निश्चित मात्रा तक कीमत परिवर्तन की ओर ध्यान नहीं देते जिस तरह तंबाकू, शराब आदि तो इन वस्तुओं की मांग बहुत कम लोचशील होती है। इसी प्रकार जिन वस्तुओं का फैशन प्रचालित हो जाता है वह भी कम लोचशील होती हैं।

4. उपभोक्ता स्वभाव :- यदि उपभोक्ता किसी वस्तु के उपभोग का आदि हो जाता है तो कीमत परिवर्तन का मांग पर प्रभाव बहुत कम होता है। इसलिए वैसी वस्तुओं की मांग बेलोचदार होती है।

5. वस्तु के प्रयोग की संख्या :- यदि वस्तु के प्रयोग की संख्या अधिक होती है तो कीमत परिवर्तन का मांग पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है अतः वस्तु की मांग अधिक लोचदार होती है।

48. एक फर्म का उत्पादन फलन Q = Lα Kb है। स्पष्ट कीजिए कि इस उत्पादन फलन में पैमाने के प्रतिफल की माप α+ b है।

उत्तर - पैमाने का स्थिर प्रतिफल का मतलब है - अगर उत्पादन के दोनों साधनो को जिस अनुपात में बढ़ाएंगे उत्पादन उसी अनुपात में बढ़ेगा। यदि साधन श्रम (L)  और पूंजी (K) को n Times बढ़ाते हैं तो

उत्तर - पैमाने का स्थिर प्रतिफल का मतलब है - अगर उत्पादन के दोनों साधनो को जिस अनुपात में बढ़ाएंगे उत्पादन उसी अनुपात में बढ़ेगा। यदि साधन श्रम (L)  और पूंजी (K) को n Times बढ़ाते हैं तो

Q=LαKβ

Q1=(nL)α(nK)β

Q1=nαLαnβKβ

Q1=nαnβ(LαKβ)

Q1=nα+β(LαKβ)

Q1=nα+β(Q)

चूंकि α+β

इसलिए Q1 = n (Q)

49. एक पूर्ण-प्रतियोगी बाज़ार में फर्म के पूर्ति वक्र को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर - एक फर्म का पूर्ति वक्र उसके सीमांत लागत वक्र का भाग है। अतः कोई भी कारक, जो एक फर्म के सीमांत लागत वक्र को प्रभावित करता हो, इसके पूर्ति वक्र का निर्धारक होता है।

प्रौद्योगिकीय प्रगति- मान लीजिए, एक फर्म निश्चित वस्तुओं के उत्पादन के लिए उत्पादन के दो कारकों-पूँजी तथा श्रम का उपयोग करती है- फर्म द्वारा संगठनात्मक नवप्रवर्तन के पश्चात्, पूँजी तथा श्रम के उसी स्तर से अब निर्गत की अधिक इकाइयों का उत्पादन होता है। दूसरे शब्दों में, एक निश्चित निर्गत स्तर का उत्पादन करने के लिए संगठनात्मक नव प्रवर्तन के कारण फर्म आगतों की कम इकाइयाँ उपयोग करती है। यह अपेक्षित है कि निर्गत के किसी भी स्तर पर यह फर्म की सीमांत लागत को कम करेगा। कुल सीमांत लागत वक्र की दाहिनी ओर (अथवा नीचे की ओर) शिफ्ट है। चूँकि फर्म का पूर्ति वक्र अनिवार्य रूप से सीमांत लागत वक्र का एक भाग है, प्रौद्योगिकीय प्रगति फर्म के पूर्ति वक्र को दाहिनी ओर शिफ्ट करती है। किसी भी दी हुई बाजार कीमत पर, फर्म अब निर्गत की अधिक इकाइयों की पूर्ति करती है।

आगत कीमतें - आगत कीमतों में परिवर्तन फर्म के पूर्ति वक्र को भी प्रभावित करता है। यदि एक आगत की कीमत (जैसे, श्रम की मजदूरी दर) में वृद्धि होती है, उत्पादन लागत बढ़ जाती है। निर्गत के किसी भी स्तर पर फर्म की औसत लागत के परिणामस्वरूप वृद्धि, सामान्यतः निर्गत के किसी भी स्तर पर फर्म की सीमांत लागत में वृद्धि के साथ होती है, अर्थात् अब सीमांत लागत वक्र में बायीं ओर (अथवा ऊपर की ओर) शिफ्ट करती है। इससे अभिप्राय है कि फर्म का पूर्ति वक्र बायीं ओर शिफ्ट हो जाता है: किसी भी बाजार कीमत पर अब फर्म निर्गत की कम इकाइयों की पूर्ति करती है।

50. साधन लागत पर जीडीपी (GDPFC) की गणना की उत्पाद विधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर - साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा मजदूरी, लागत, ब्याज तथा लाभ के रूप में अर्जित आय तथा पूँजी उपभोग मूल्य का जोड़ है।

साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) में घिसावट व्यय (मूल्य हास) भी सम्मिलित होता है, जबकि साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) में घिसावट व्यय शामिल नहीं होता।

GDPFC = NDPFC + घिसावट व्यय

या

NDPFC = GDPFC  - घिसावट व्यय

51. निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए :

a) प्रत्याशित उपभोग और यथार्थ उपभोग

b) प्रत्याशित निवेश तथा यथार्थ निवेश।

a) उत्तर - प्रत्याशित उपभोग वह होता है जो हम सोचते हैं या अपेक्षा करते हैं कि हमें किसी वस्तु या अनुभव से मिलेगा। यदि हम उन्हें प्राप्त नहीं करते हैं, तो यह हमें निराशा में डाल सकता है।

यथार्थ उपभोग, दूसरी ओर, वह होता है जो हम वास्तव में अनुभव करते हैं। यह उपभोग हमें उस समय मिलता है जब हम किसी वस्तु या अनुभव का सामना करते हैं, और यह आमतौर पर हमारी अपेक्षाओं और सोच से अलग होता है।

b) उत्तर - प्रत्याशित अथवा इच्छित निवेश वह निवेश है जो निवेशकर्ता किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आय तथा रोजगार के विभिन्न स्तरों पर करने की इच्छा रखते हैं।

यथार्थ अथवा वास्तविक निवेश वह निवेश है, जो निवेशकर्ता किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आय तथा रोजगार के विभिन्न स्तरों पर वास्तव में करते हैं।

उदाहरण-मान लीजिए कि एक उत्पादक वर्ष के अंत तक अपने भंडार में 200 ₹ के मूल्य की वस्तु जोड़ने की योजना बनाता है। अतः उस वर्ष उसका प्रत्याशित निवेश 200 ₹ है। किंतु बाजार में उसकी वस्तुओं की माँग में अप्रत्याशित वृद्धि होने के कारण उसकी विक्रय में उस परिमाण से अधिक वृद्धि होती है, जितना कि उसने बेचने की योजना बनाई थी। इस अतिरिक्त माँग की पूर्ति के लिए उसे अपने भंडार से 60₹ के मूल्य की वस्तु बेचनी पड़ती है। अतः वर्ष के अंत में उसकी माल-सूची में केवल 200 ₹ - 60 ₹ = 140 ₹ की वृद्धि होती है। इस प्रकार, उसको प्रत्याशित निवेश 200 ₹ है, जबकि उसका यथार्थ निवेश केवल 140 ₹ है।

52. राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ? राष्ट्रीय आय की गणना की व्यय विधि का वर्णन कीजिए।

उत्तरराष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन (कारकआय का जोड़।

NY=ni=1FYi

यहां NY = राष्ट्रीय आय ,  = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।

व्यय विधि वह विधि है जिसके द्वारा एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद पर किए गए अन्तिम व्यय को मापा जाता है। यह अन्तिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है।

एक लेखा वर्ष में अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर होने वाला व्यय अन्तिम व्यय कहलाता है।

राष्ट्रीय आय की गणना की व्यय विधि में सम्मिलित कदम हैं-

कदम 1. अन्तिम व्यय करने वाली आर्थिक इकाइयों की पहचान- सर्वप्रथम एक देश की घरेलू सीमा में ऐसी आर्थिक इकाइयों की पहचान की जाती है जो अन्तिम व्यय करती हैं। अन्तिम व्यय अन्तिम उपभोग तथा अन्तिम निवेश पर किया जाता है। अन्तिम व्यय करने वाली चार प्रमुख आर्थिक इकाइयाँ हैं-

(क) परिवार क्षेत्र (ख) उत्पाद क्षेत्र (ग) सरकारी क्षेत्र (घ) शेष विश्व क्षेत्र I

कदम 2. अन्तिम व्यय का वर्गीकरण - दूसरे कदम के रूप में अन्तिम व्यय को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है-

(i) निजी अन्तिम उपभोग व्यय (Private Final Consumption Expenditure),

(ii) सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय (Government Final Consu- mption Expenditure),

(iii) सकल स्थायी पूँजी-निर्माण (Gross Fixed Capital Formation),

(iv) स्टॉक में परिवर्तन (Change in Stock),

(v) शुद्ध निर्यात (Net Export) |

कदम 3. अन्तिम व्यय की गणना- सकल घरेलू उत्पाद पर अन्तिम व्यय के वर्गीकरण के बाद इसके विभिन्न संघटकों (Components) की गणना की जाती है। इसके लिए अग्र दो प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है-

(i) सकल बिक्री की मात्रा (Quantity of Gross Sale),

(ii) फुटकर कीमतें (Retail Prices) ।

विक्रय की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा को उनकी सम्बन्धित फुटकर कीमतों से गुणा करके और फिर उनका योग करके बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य (GDPMP) प्राप्त हो जाता है।

कदम 4. विदेशों से शुद्ध साधन आय का आकलन- GNPMP का मूल्य ज्ञात करने के लिए विदेशों से शुद्ध साधन आय (NFIA) का आकलन किया जाता है। इसे GNPMP में जोड़कर GNP का मूल्य प्राप्त हो जाता है।

कदम 5. राष्ट्रीय आय का अनुमान- राष्ट्रीय आय निकालने के लिए GNPMP में से घिसावट व्यय और शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटा दिए जाते हैं।

सूत्र से

(1) GDPMP = निजी अंतिम उपभोग व्यय सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + सकल स्थायी पूँजी निर्माण स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात

(ii) GNPMP = GDPMP + NFIA

(iii) NNPFC = GNPMP - घिसावट - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = राष्ट्रीय आय

व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ आवश्यक हैं-

(1) कुल व्यय का माप करते समय, दोहरी गणना से बचने के लिए, केवल अन्तिम व्यय को ही उसमें शामिल किया जाना चाहिए, मध्यवर्ती व्यय को नहीं। अन्तिम व्यय वह व्यय है जो अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च किया जाता है। मध्यवर्ती वस्तुओं तथा सेवाओं पर किया गया व्यय पहले से ही अन्तिम वस्तुओं पर किये गये व्यय में शामिल कर लिया जाता है।

(2) पुरानी वस्तुओं पर किया जाने वाला व्यय कुल व्यय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि पुरानी वस्तुओं का मूल्य पहले ही उस वर्ष की राष्ट्रीय आय में शामिल कर लिया जाता है जिस वर्ष उनका उत्पादन होता है। अतः चालू वर्ष के कुल व्यय में पुरानी वस्तुओं पर किया गया व्यय शामिल नहीं किया जाता।

(3) शेयरों तथा बॉण्डों पर किया गया व्यय भी कुल व्यय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ये केवल कागजी दावे हैं और इनका अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह से सम्बन्ध नहीं होता। ऐसे व्यय कोई मूल्य वृद्धि नहीं करते।

(4) सरकार द्वारा हस्तांतरण भुगतान, जैसे- वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति आदि पर किया गया व्यय भी इसमें शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनके बदले में कोई वस्तु या सेवा प्राप्त नहीं होती।

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