12th 2. राष्ट्रीय आय का लेखांकन Macro Economics JCERT/JAC Reference Book

12th 2. राष्ट्रीय आय का लेखांकन Macro Economics JCERT/JAC Reference Book

12th 2. राष्ट्रीय आय का लेखांकन Macro Economics JCERT/JAC Reference Book

2.2.1 समष्टि अर्थशास्त्र की कुछ मूलभूत संकल्पनाएं-

आधुनिक अर्थशास्त्र को एक विषय के रूप में स्थापित करने वाले अर्थशास्त्रियों में अग्रणी एडम स्मिथ ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण कृति को 'एन इंक्वायरी इन्टू द नेचर एंड कॉउस ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशंस' का नाम दिया। किसी राष्ट्र की आर्थिक संपत्ति का सृजन कैसे होता है? देश के अमीर अथवा गरीब कैसे बनते हैं? यह एहसास के कुछ केंद्रीय प्रश्न है? ऐसा नहीं है कि जिन देशों को खनिज अथवा वन अथवा अधिक उपजाऊ भूमि जैसी प्राकृतिक संपदा उपहार स्वरूप प्रकृति से प्राप्त हुई है, वह देश प्राकृतिक रूप से सबसे धनी है। वास्तव में संसाधन संपन्न अफ्रीका और लैटिन अमरिका विश्व के सबसे गरीब देश है, जबकि अनेक समृद्ध देशों के पास कोई प्राकृतिक संपदा नहीं है। एक समय था जब प्राकृतिक संसाधनों के कब्जे को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था, लेकिन तब भी उत्पादन प्रक्रम के द्वारा संसाधन का रूपांतरण होता था।

आर्थिक संपत्ति अथवा किसी देश के धनी होने के लिए उसके पास केवल संसाधनों का होना आवश्यक नहीं है, मुख्य बात यह है कि इन संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए जिससे उत्पादन का प्रवाह उत्पन्न हो तथा उस प्रक्रम से कैसे आय और संपत्ति का सृजन किया जाए।

उत्पादन के इस प्रवाह की उत्पत्ति कैसे होती है? उत्पादन के प्रवाह का सृजन करने के लिए लोग अपनी ऊर्जा को एक सामाजिक और तकनीकी ढांचे के अंतर्गत प्राकृतिक और मानव निर्मित वातावरण में एक साथ लगाते हैं। हमारी आधुनिक आर्थिक व्यवस्था में उत्पादन के इस प्रवाह की उत्पत्ति लाखों छोटे- बड़े उद्यमियों के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोगों को नियोजित करने वाले बड़े-बड़े निगमों से लेकर एकल उद्यमी व्यवसाय शामिल हैं।

राष्ट्रीय आय- किसी भी अर्थव्यवस्था में 1 वर्ष के दौरान उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य राष्ट्रीय आय कहलाता है।

अंतिम वस्तुयें एवं सेवाएं- किसी भी अर्थव्यवस्था में अनेक उत्पादक इकाइयां उत्पादन क्रियाओं में भाग लेती हैं तथा कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करती है। कृषि क्षेत्र में लगा हुआ कृषक जहां गेहूं तथा चावल का उत्पादन करता है, औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली फर्म कपड़ा, स्कूटर, कार, टेलिविजन आदि के रूप में उत्पादन करती हैं। वहीं प्रशासन बैंकिंग, संवहन, यातायात आदि में लगी हुई इकाइयां भी उत्पादन करती हैं पर मूर्त वस्तु का उत्पादन नहीं करती हैं बल्कि सेवाओं का सृजन करती हैं। महालेखा विभाग में काम करने वाला कर्मचारी विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाला शिक्षक या अस्पतालों में काम करने वाला डॉक्टर या इसी प्रकार के कार्य में लगा हुआ व्यक्ति भी उत्पादन क्रिया में भाग लेता है, इनके द्वारा किया जाने वाला उत्पादन को हम 'सेवा' कहते हैं।

मध्यवर्ती वस्तुएं- मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं होती हैं जिनका अस्तित्व अंतिम वस्तुओं को बनाने में समाप्त हो जाता हैं। जैसे उत्पादन क्रिया में प्रयुक्त होने वाला वस्तुओं में कच्चा माल।

उपभोग वस्तुएं- उत्पादित वस्तुओं में भी कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जो उपभोग के रूप में काम में आती है जैसे गेहूं, कपड़ा, चाय, चीनी आदि। इन्हें हम उपभोग वस्तुएं कहते हैं।

पूंजीगत वस्तुएं- उत्पादन प्रक्रिया में कुछ ऐसी वस्तुएं हो सकती है जो 'उत्पादन क्रिया में ही प्रयुक्त होती है जैसे मशीन इत्यादि इन्हें हम पूंजीगत वस्तुएं करते हैं।

उपभोग वस्तुएं जहां उपभोग क्रिया के दौरान समाप्त हो जाती है वही पूंजीगत वस्तुएं उत्पादन क्रिया में प्रयोग के आने के बाद पूर्णतया समाप्त नहीं होती हैं।

उपभोग वस्तुएं दो प्रकार की होती है पहला सामान्य उपभोग वस्तुएं या कम टिकाऊ उपभोग वस्तुएं दूसरा टिकाऊ उपभोग वस्तुएं।

कम टिकाऊ उपभोग वस्तुएं- ऐसी वस्तुएं जो उपभोग क्रिया में तुरंत समाप्त हो जाती है जैसे रोटी फल आदि।

टिकाऊ उपभोग वस्तुएं- ऐसी उपभोग वस्तुएं जो अधिक लंबे काल तक उपभोग के दौरान बनी रहती है जैसे फ्रिज पंखा टेलीविजन कार आदि। इन्हें हम टिकाऊ उपभोग वस्तुएं कहते हैं।

प्रवाह- आय अथवा निर्गत अथवा लाभ ऐसी संकल्पना है, जिससे तभी अर्थ निकलता है जब अवधि निर्धारित हो। इनको प्रवाह कहते हैं, क्योंकि यह एक समयावधि के लिए होते हैं। अतः हमें इनके परिमाणात्मक माप प्राप्त करने के लिए एक समयावधि अंकित करनी पड़ती है। चूकी किसी अर्थव्यवस्था में अधिकांश लेखांकन कार्य वार्षिक होते हैं, इसलिए इनमें से अधिकांश को वार्षिक रूप में ही अभिव्यक्त किया जाता है, प्रवाह एक समयावधि से संबंधित है।

स्टॉक- इसका संबंध किसी निश्चित समय पर होता है। पूंजीगत वस्तुएं हमें उत्पादन के विभिन्न चक्रों में सेवाएं प्रदान करती हैं। फैक्ट्री के भवन और मशीन विशिष्ट समयावधि से असंबद्ध होते हैं। अगर किसी नई मशीन को शामिल किया जाता है, तब उसमें सम्मिलन अथवा कमी हो सकती है अथवा मशीन और अनुपयोगी होती है तथा उसे बदला नहीं जाता है, इसे स्टॉक कहते हैं।

स्टॉक परिवर्तों और प्रवाह परिवर्तों के बीच अंतर- जब एक नल से किसी हौज को भरा जा रहा है। नल से प्रति मिनट कितना पानी हौज में भरा जा रहा है, वह प्रवाह है। लेकिन जितना पानी टैंक में किसी समय विशेष में उपलब्ध होता है, वह स्टॉक होता है।

सकल निवेश- अंतिम निर्गत का हिस्सा पूंजीगत वस्तुएं भी होती है इनमें मशीनें औजार और उपकरण भवन कार्यालय का स्थान गोदाम या आधार भूत संरचना जैसे सड़क सेतु हवाई अड्डा या घाट आदि हो सकते हैं

मूल्यह्रास- एक वर्ष में उत्पादित सारी पूंजीगत वस्तुओं से पूर्व से विद्यमान पूँजी स्टॉक में अतिरिक्त वृद्धि नहीं होती पूंजीगत वस्तुओं के वर्तमान निर्गत का एक महत्वपूर्ण अंश विद्यमान पूंजीगत वस्तुओं के स्टॉक के अंश के रख-रखाव और प्रतिस्थापन में चला जाता है यही कारण है कि पूर्व से विद्यमान पूंजी स्टाक में टूट-फूट होती है, जिसे मूल्यह्रास कहा जाता है।

अथवा पूंजीगत वस्तुओं की नियमित टूट-फूट का समायोजन करने के क्रम में सकल निवेश के मूल्य से किए गए लोप को मूल्यह्रास कहते हैं।

अर्थात् मूल्यह्रास एक प्रकार से किसी पूंजीगत वस्तु की टूट-फूट के लिए वार्षिक भत्ता है। मूल्यह्रास वस्तु के उपभोग के वर्षों की संख्या से लागत में भाग देने पर प्राप्त होता है।

निवल निवेश- अर्थव्यवस्था में पूंजीगत वस्तुओं में नए योग का माप निवल निवेश अथवा नई पूंजी रचना के द्वारा होता है जिसे निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है।

निवल निवेश = सकल निवेश - मूल्यह्रास

किसी व्यक्ति के पास वस्तुओं को खरीदने की क्षमता आय से आती है। आय की प्राप्ति कोई व्यक्ति श्रमिक (मजदूरी) अथवा उद्यमी (लाभ) अथवा भूस्वामी (लगान) अथवा पूँजीधारी (ब्याज) के रूप में प्राप्त करता है। संक्षेप में, उत्पादन के कारकों के स्वामी के रूप में लोग जो आय प्राप्त करते हैं उनका उपयोग वे वस्तु और सेवाओं की अपनी मांग की पूर्ति के लिए करते हैं।

यहां हम एक वर्तुल प्रवाह को देख सकते हैं, जो बाजार के माध्यम से सुगम बनता है। उत्पादन प्रक्रम के संचालन के लिए उत्पादन के कारकों की मांग जो फर्म करती है, उससे लोगों के अदायगी का सृजन होता है, फलतः वस्तुओं और सेवाओं की लोगों की मांग से फर्म के लिए अदायगी का सृजन होता है और इससे उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री होती है।

अतः समाज का उपयोग का कार्य और उत्पादन जटिलतापूर्वक एक दूसरे से जुड़े होते हैं और वास्तव में यहाँ एक प्रकार का वर्तुल कार्य उत्पादन होता है। अर्थव्यवस्था में उत्पादन प्रक्रम से उनके लिए कारक अदायगी का सृजन होता है, जो उसमें संलग्न होते हैं और उत्पादन के निर्गत के रूप में वस्तुओं और सेवाओं का सृजन होता है। इस प्रकार सृजित आय से अंतिम उपयोग की वस्तुओं को खरीदने की शक्ति की रचना होती है और इस प्रकार व्यवसायी के द्वारा उनकी बिक्री संभव होती है, जो उनके उत्पादन का मुख्य उद्देश्य हैं।

आय का वर्तुल प्रवाह और राष्ट्रीय आय गणना की विधि

कोई सरल अर्थव्यवस्था सरकार, बाह्य व्यापार अथवा किसी बचत के बिना किस प्रकार कार्य करती है। फर्म, परिवारों को उसके उत्पादक कार्यकलाप, जिसका वह निष्पादन करता है, के लिए भुगतान करती है। जैसा कि हमने उल्लेख किया है कि वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के दौरान चार प्रकार की मौलिक योगदान किए जा सकते हैं। पहला मानवीय श्रम का योगदान, जिसका पारिश्रमिक मजदूरी कहलाता है। दूसरा पूंजी का योगदान, जिसका पारिश्रमिक ब्याज है। तीसरा उद्यमवृत्ति का योगदान, जिसका पारिश्रमिक लाभ है। चौथा स्थिर प्राकृतिक संसाधनों का योगदान, जिनका पारिश्रमिक लगान है।

सरलीकृत अर्थव्यवस्था में कोई परिवार अपनी आय का निपटान कर सकते हैं। वह अपनी समस्त आय को घरेलू फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय कर सकते हैं। परिवार बचत नहीं करते हैं और वह नहीं सरकार को कोई कर अदा करते हैं, क्योंकि यहां कोई सरकार नहीं है और ना ही वे वस्तुओं का आयात करते हैं, क्योंकि इस सरलीकृत अर्थव्यवस्था में कोई बाह्य व्यापार नहीं होता है।

अगली अवधि में फर्म वस्तुओं और सेवाओं का पुनः उत्पादन करती है तथा उत्पादन के कारकों को पारिश्रमिक प्रदान करती है। इन पारिश्रमिकों का उपयोग पुनः वस्तुओं और सेवाओं के क्रय के लिए होगा। अतः हम कल्पना कर सकते हैं कि अर्थव्यवस्था की समस्त आय हर वर्ष दो क्षेत्रकों फर्म और परिवार के बीच वर्तुल पथ पर प्रवाहमान रहेगी।

12th 2. राष्ट्रीय आय का लेखांकन Macro Economics JCERT/JAC Reference Book

उपयुक्त रेखा चित्र में ऊपर के दो तीर वस्तुओं और सेवाओं के बाजार को प्रदर्शित करते हैं ऊपर का तीर वस्तुओं और सेवाओं की अदायगी के प्रवाह को, नीचे का तीर वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार, रेखाचित्र के निचले भाग के दो तीर उत्पादन बाजार के कारकों को प्रदर्शित करता है। सबसे नीचे का तीर जो परिवार को फर्म से जोड़ता है, परिवार द्वारा फर्म को प्रदान की गई सेवा को संकेतित करता है। इन सेवाओं का उपयोग करके फर्म निर्गत का निर्माण करती है। इसके ऊपर का तीर जो फर्म को परिवार से जोड़ता है, फर्म द्वारा परिवार को उनकी सेवा के लिए किए गए भुगतान को प्रदर्शित करता है।

यदि हम फर्मों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के समस्त मूल्यों का मूल्यांकन करते हैं तो (A पर) प्रवाह का मापन कर सकते हैं। यह विधि व्यय विधि को प्रदर्शित करती है। यदि हम (B पर) सभी फर्मों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के समस्त मूल्यों का माप करते हैं, तो यह विधि उत्पाद विधि कहलएगी। (C पर) सभी कारक अदायगियों के कुल योग का मापन आय विधि कहलायेगी

2.2.1 उत्पाद विधि अथवा मूल्यवर्धित विधि-

इस विधि को शुद्ध उत्पादन विधि या मूल्य वर्धित विधि भी कहते हैं इस विधि के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद 1 वर्ष की अवधि में किसी अर्थव्यवस्था में अवस्थित सभी उत्पादक संसाधनों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्यों के योगफल के समान होता है

उत्पादन, मध्यवर्ती वस्तुएं और मूल्यवर्धित

 

किसान (राशि रुपए में)

बेकर (राशि रुपए में)

कुल उत्पादन

100

200

मध्यवर्ती वस्तुए

0

50

मूल्य वर्धित

100

2000-50=150

माल- सूची-

अर्थशास्त्र में, अबिक्रित निर्मित वस्तु अथवा अर्धनिर्मित वस्तुओं अथवा कच्चे मालों का स्टॉक जो कोई फार्म 1 वर्ष से अगले वर्ष तक रखता है उसे माल सूची कहते है।

नोट- माल सूची में परिवर्तन एक समयावधि के बाद ही होते हैं इसलिए इसे प्रवाह परिवर्त कहते हैं

2.2.2 आय विधि- अर्थव्यवस्था में प्रत्येक उत्पादित वस्तु या सेवा के मूल्य के समतुल्य ही आय भी सृजित हो जाती है। अतः यदि हम सभी आयो का योग कर ले तो वे आंकड़े भी सारे उत्पादन के मूल्य के समान ही होंगे। उत्पादन के पांच साधन होते हैंः भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन, और साहस इन पांचों संसाधनों में उत्पादन का संपूर्ण मूल्य क्रमशः लगान, मजदूरी, ब्याज, वेतन एवं लाभ के रूप में बट जाता है। इस विधि के अनुसार, 1 वर्ष में उत्पत्ति के विभिन्न साधनों को जो शुद्ध आय प्राप्त होती है, उसका योग ही राष्ट्रीयआय होती है। इस विधि से जीएनपी में निम्न मदों को जोड़ा जाता है :-

(i) मजदूरी तथा वेतन

(ii) किराए

(iii) ब्याज

(iv) लाभांश (Dividends)

(v) अवितरित निगम (Corporate) लाभ

(vi) मिश्रित आय

(vii) प्रत्यक्ष कर

(vii) परोक्ष कर

(ix) मूल्य ह्रास (Depreciation)

(x) विदेशों से अर्जित शुद्ध आय

कर्मचारियों को मजदूरी तथा वेतन के रूप में दिया गया पारिश्रमिक सकल घरेलू उत्पाद के निर्माण की प्रक्रिय में सृजित आय का सबसे बड़ा घटक होता है।

'संसाधन आयों के द्वारा आकलित सकल घरेलू उत्पाद के मान को हम सकल घरेलू आय (GDI) का नाम भी दे सकते है।

चूंकि आय विधि के तहत हम GNP की गणना कर रहे हैं और साधनों को जो आय मिलेगी उसमें से प्रत्यक्ष कर घटा होगा, इसीलिए आय विधि से GNP ज्ञात करने के लिए व्यक्तियों, निगमों और अन्य व्यवसायों पर लगाये गए प्रत्यक्ष कर को शामिल करेंगे।

परोक्षकर (Indirect Tax में)- सरकार कई प्रकार के अप्रत्यक्षकर लगती है जैसे बिक्री कर (Sales Tax), उत्त्पाद शुल्क (Excise Duty) आदि इन करों को वस्तुओं की कीमतों में ही सम्मिलित कर लिया जाता है। परन्तु इनसे प्राप्त राजस्व सरकारी खजाने में जाता है, उत्पादन साधनों को प्राप्त नहीं होता। इसलिए इनसे प्राप्त आय सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित की जाती है। मूल्य ह्रास (Depreciation)

यह राशि भी उत्पादन साधनों की आय का भाग न होने के कारण सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित की जाती है।

मिश्रित आय- अनिगमित व्यवसायों में प्रायः आय को ब्याज, मजदूरी, भाड़ा और लाभ में विभाजित कर पाना संभव नहीं होता। उदहारण के लिए स्वरोजगार में लगे व्यक्ति की सारी आमदनी का आकलन तो हो सकता है, पर उसमें से ब्याज, भाड़ा, मजदूरी आदि का पृथक्कीकरण सम्भव नहीं होगा। अतः इसे हम मिश्रित आय कहते हैं।

व्यय विधि (Expenditure Method):- इस विधि को "उपभोग बचत एवं उपयोग विनियोग विधि" के नाम भी जानते हैं। यह विधि इस मान्यता पर आधारित है कि राष्ट्रीय आय एवं राष्ट्रीय व्यय दोनों समान होते हैं। इस विधि के अनुसार, देश के लोगों द्वारा एक वर्ष में जो व्यय किया जाता है, उसका योग राष्ट्रीय आय होती है। यह उपभोग के साथ विनियोग पर भी किए जाता है। उपभोग पर किए जाने वाले व्यय को अन्तिम उपभोग व्यय" कहते हैं तथा यह व्यय परिवारों और सरकार द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही सरकार, पारिवारिक क्षेत्र तथा निगमित एवं अर्द्ध- निगमित क्षेत्र अपना उत्पादन बढ़ाने एवं मूल्य हास के लिए पूंजीगत वस्तु खरीदते है तथा इस व्यय को विनियोग के अन्तर्गत लिया जाता है। इस विधि के अनुसार, अर्थव्यवस्था के दो स्वरूप हो सकते हैं-

(1) बन्द अर्थव्यवस्था

(2) खुली अर्थव्यवस्था

(1) बन्द अर्थव्यवस्था

बन्द अर्थव्यवस्था से तात्पर्य उस अर्थव्यवस्था से होता जिसका विदेशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता है, अर्थात् बन्द अर्थव्यवस्था में आयात-निर्यात की क्रियाएं नहीं होती है। वर्तमान में व्यवहार में बन्द अर्थव्यवस्था का स्वरूप नहीं पाय जाता है। बन्द अर्थव्यवस्था भी दो प्रकार की हो सकती है

(1) द्विक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था (2) त्रिक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था

(1) द्विक्षेत्रिय अर्थव्यवस्था (Two Sector Economy) द्विक्षेत्रिय अर्थव्यवस्था में केवल दो ही क्षेत्र होते हैं परिवार और फर्म अर्थात् उपभोक्ता एवं उत्पादका इस प्रकार द्विक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में घरेलू क्षेत्र (Household Sector) एवं व्यवसाय क्षेत्र (Business Sector) के बीच मुद्रा के चक्रीय प्रवाह होते हैं। द्विक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में दो प्रकार के बाजार होंगे। पहला बाजार उपभोग्य वस्तुओं और सेवाओं का होगा इसे 'उत्पाद बाजार' कहेंगे। दूसरे में साधन सेवाओं का क्रय - बिक्रय होता है-इसे संसाधन बाजार का नाम दिया जाता है। परिवारों को विशुद्ध उधारदाता माना जाता है। इसका कारण वैयक्तिक बचते है, जो परिवार की आय और उपभोग का अन्तर होती है। फर्मे कुल मिलाकर विशुद्ध उधार प्राप्तकर्ता रहती है- क्योंकि इन्हें नए कारखानों, यंत्र-संयंत्रो आदि में निवेश के लिए वित्त जुटाना होता है। सभी उधार राशियों का लेनदेन वित्तीय क्षेत्र के माध्यम से होता है।

द्विक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय होती है-

Y = C + S

चूंकि बचत सदैव निवेश के बराबर होता है अर्थात

S = I है. अतः Y = C + I

यहां Y = राष्ट्रीय आय, C = उपभोग, I = निवेश

(2) त्रिक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था (Three Sector Economy) त्रिक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में उत्पादक एवं उपभोक्ता के अतिरिक्त सरकार का भी अस्तित्व होता है। सार्वजनिक क्षेत्र अपनी भूमिका कर (T) लगाने एवं सार्वजनिक व्यय (G) करने के रूप अदा करती है। त्रिक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय होगा:

Y = C + S + T

चूंकि T= G तथा S = I होता है अतः Y = C + I + G

खुली अर्थव्यवस्था-

इसे चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था भी कहते है क्योंकि खुलीअर्थव्यवस्था में उत्पादक, उपभोक्ता वर्ग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के अतिरिक्त वैदेशिक आर्थिक लेन-देन का क्षेत्र भी पाया जाता है, अर्थात खुली अर्थव्यवस्था से तात्पर्य उस अर्थव्यवस्था से होता है जिसमें आयात (M) एवं निर्यात (X) की क्रियाएं संपादित होती है। वर्तमान में व्यवहार में लगभग विश्व की सभी अर्थव्यवस्था खुली अर्थव्यवस्था के रूप में ही है खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय होगाः

Y = C + S + T + (X-M)

Y = C+ I + G + (X-M)

राष्ट्रीय आय समिकायें

द्विक्षेत्रीय मॉडल में- C + S = GNP = C + I

त्रिक्षेत्रीय मॉडल में- C + S + T = GNP = C + I + G

S + T = I + G

S + (T -G) = 1

इसमें S व्यक्तिगत बचत है जो घरेलू क्षेत्र तथा व्यापारिक क्षेत्र की बचत प्रदर्शित करती है।

(T - G) = सरकारी क्षेत्र की बचत

कुछ समष्टि अर्थशास्त्रीय तादात्म्य -

चिन्ह ('') तादात्म्य को बताता है। समानता ('=') चिन्ह के सामान तादात्म्य चिन्ह में दाएं ओर की वस्तुओं और बायीं ओर की वस्तुओं के बीच समानता नहीं देखी जाती बल्कि तादात्म्य सदैव इनसे निरपेक्ष होता है

सकल घरेलू उत्पाद (GDP)

किसी देश की आर्थिक भौगोलिक सीमा के अंतर्गत 1 वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य उस देश का सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है चाहे वह उत्पादन देश के नागरिक द्वारा किया जाए अथवा विदेशी द्वारा। इसमें विदेशी क्षेत्र से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाता है

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)

किसी देश के नागरिकों द्वारा 1 वर्ष में उत्पादित्त अंतिम वस्तुओं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य उस देश का सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है, चाहे वह उत्पादन भारत में रह रहे भारतीयों द्वारा किया जाए अथवा विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा उसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल किया जाता है

GNP = GDP (X-M)

यहां X का तात्पर्य है, देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय तथा M का तात्पर्य है, विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय

(X-M) = NFIA या विदेशों से प्राप्त निवल या शुद्ध संसाधन आय

निवल घरेलू उत्पाद (NDP)

सकल घरेलू उत्पाद में से मूल्यह्रास या घिसावट व्यय निकालने पर निवल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है

NDP = GDP - हास

निवल राष्ट्रीय उत्पाद (NNP)

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद की गणना सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से आंचल पूंजी का उपयोग मूल्य को घटाकर की जाती है

NNP = GNP - पूँजी उपभोग भत्ता या ह्रास

कारक लागत पर निर्वल राष्ट्रीय उत्पाद राष्ट्रीय, आय बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (अप्रत्यक्ष कर-उपदान) = बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद निवल अप्रत्यक्ष कर

(निवल अप्रत्यक्ष कर अप्रत्यक्ष कर-उपदान)

राष्ट्रीय प्रयोज्य आय :

बाजार कीमतों पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद शेष विश्व के दूसरे देशों से प्राप्त अन्य चालू अंतरण।

निजी आय : निजी क्षेत्र को उपगत होने वाले घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय राष्ट्रीय ऋण ब्याज विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय सरकार से चालू अंतरण शेष विश्व से अन्य निवल अंतरण।

वैयक्तिक आय : राष्ट्रीय आय-अवितरित लाभ-परिवारों द्वारा की गई निवल ब्याज अदायगी-निगम कर सरकार और फर्मों से परिवारों को की गई अंतरण अदायगी।

वैयक्तिक प्रयोज्य या व्यय योग्य आय :

वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक कर अदायगी गैर कर अदायगी

वैयक्तिक कर अदायगी (आयकर) और वैयक्तिक गौर कर अदायगी (शुल्क)

2.3.1 वस्तुएं और कीमतें

वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की गणना इस प्रकार की जाती है कि वस्तुओं का मूल्यांकन स्थिर कीमतों पर होता है। चुकी यह कीमतें स्थिर रहती हैं, इसलिए यदि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में परिवर्तन होता है. तो यह निश्चित है कि उत्पादन के परिमाण में परिवर्तन होगा। इसके विपरीत मौद्रिक सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य मात्र ही है।

ध्यान दीजिए मौद्रिक सकल घरेलू उत्पाद और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात से हमें यह ज्ञात होता है कि कीमत में आधार वर्ष (जिस वर्ष की कीमतों का प्रयोग वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की गणना में की जाती है) की तुलना में चालू वर्ष में किस प्रकार वृद्धि हुई। अतः इन मापो में अंतर केवल आधार वर्ष और चालू वर्ष की कीमत में अंतर के कारण ही होता है। मौद्रिक और वास्तविक सकल घरेलू उत्पादओं का अनुपात सुपरिचित कीमत सूचकांक होता है। इसे सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक कहते हैं। सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक = GDP/gdp |

कभी-कभी अवस्फीतिक को प्रतिशत के पदों में भी प्रदर्शित किया जाता है। इस स्थिति में,

अवस्फीतिक = GDP/gd×100

2.3.2 उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI)

यह वस्तुओं को दी गई टोकरी, जिनका क्रय प्रतिनिधि उपभोक्ता करते हैं, का कीमत सूचकांक है। यह ध्यान देने योग्य है कि अनेक वस्तुओं की कीमतें दो समुदायों में होती है एक खुदरा कीमत होती है जो उपभोक्ता वास्तव में अदा करता है दूसरी थोक कीमत होती है इस कीमत पर बहुतात्रा में वस्तुओं का व्यापार होता है इन दोनों के मूल्यों में अंतर हो सकते हैं

2.3.3 थोक मूल्य सूचकांक (WPI)

बहुमात्रा में व्यापार की जाने वाली वस्तुओं का क्रय साधारण उपभोक्ता नहीं करते हैं। उपभोक्ता कीमत सूचकांक के समान थोक कीमत सूचकांक को थोक कीमत सूचकांक (WPI) कहते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका जैसे देशों में इसे उत्पादक कीमत सूचकांक (PPI) कहते हैं। ध्यान रहे कि उपभोक्ता कीमत सूचकांक (थोक कीमत सूचकांक के सादृश्य) में सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक से अंतर हो सकता है क्योंकि, पहला उपभोक्ता जिन वस्तुओं का क्रय करते हैं, उनसे देश में उत्पादित सभी वस्तुओं का प्रतिनिधित्व नहीं होता है। सकल घरेलू उत्पाद और अवस्फीतिक में सभी ऐसी वस्तुएं और सेवाएं है।

दूसरा उपभोक्ता कीमत सूचकांक में प्रतिनिधि उपभोक्ता द्वारा उपभोग की गई वस्तुओं की कीमतें शामिल है। अतः इसमें आयातित वस्तुओं की कीमतें शामिल हैं। सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक में आयातित वस्तुओं की कीमतें शामिल नहीं होती है।

तीसरा उपभोक्ता कीमत सूचकांक में भार नियत रहता है। लेकिन सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक में प्रत्येक वस्तु के उत्पादन स्तर के अनुसार उनमें अंतर होता है।

2.4 सकल घरेलू उत्पाद और कल्याण-

हम किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद के उच्चतर स्तर को उस देश के लोगों के उच्च कल्याण के सूचकांक के रूप में समझने का लालच कर सकते हैं, किंतु यह सही नहीं हो सकता। इसमें कम से कम तीन कारण हैं।

1- सकल घरेलू उत्पाद का वितरण यदि देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो रही है, तो कल्याण में उसके अनुसार वृद्धि नहीं हो सकती है। इस स्थिति में संपूर्ण देश के कल्याण में वृद्धि नहीं हो सकती। यदि हम देश के कल्याण में उन्नत समृद्ध लोगों के प्रतिशत से करें, तो निश्चित रूप से सकल घरेलू उत्पाद का एक अच्छा सूचकांक नहीं है।

2- गैर- मौद्रिक विनिमय अर्थव्यवस्था के अनेक कार्यकलापों का मूल्यांकन मौद्रिक रूप में नहीं होता। उदाहरणार्थ, महिलाएं जो अपने घरों में घरेलू सेवाओं का निष्पादन करती हैं, उसके लिए उसे कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। मुद्रा की सहायता के बिना अनौपचारिक क्षेत्रक में जो विनिमय होते हैं, उसे वस्तु विनिमय कहते हैं।

अतः सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन मानक तरीके से करने पर हमें उत्पादक कार्यकलाप और किसी देश के कल्याण का स्पष्ट संगत नहीं मिलता है।

3- बाह्य कारण बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी फर्म या व्यक्ति के लाभ (हानि) से हैं, जिससे दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है। बाह्य कारणों का कोई बाजार नहीं होता है, जिसमें उनको खरीदा या बेचा जा सके। यदि हम सकल घरेलू उत्पाद को अर्थव्यवस्था के कल्याण की माप के रूप में लें, तो हमें वास्तविक कल्याण का अति मूल्यांकन प्राप्त होगा। यह ऋणात्मक बाह्य कारण का उदाहरण था। यह धनात्मक बाह्य कारण की स्थितियां भी हो सकती है। ऐसी स्थितियों में सकल घरेलू उत्पाद से अर्थव्यवस्था के वास्तविक कल्याण का अल्प मूल्यांकन होगा।

2.5 सारांश-

राष्ट्रीय आय लेखांकन पाठ में हम देखते हैं कि समष्टि अर्थशास्त्र की कार्य पद्धति का वर्तुल पथ कैसा है, फर्म परिवारों के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं, परिवार फर्म को प्रदान की गई सेवा के लिए पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं। किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की गणना निम्न तीन विधियों के आधार पर किया जाता है- उत्पाद विधि, आय विधि और व्यय विधि

सकल घरेलू उत्पाद में अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को शामिल करते हैं तथा मध्यवर्ती वस्तु के मूल्य को घटते हैं इसके अंतर्गत सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, शुद्ध घरेलू उत्पाद, शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद शुद्ध, राष्ट्रीय प्रयोज्य आय, निजी आय, वैक्तिक आय, वैक्तिक प्रयोज्य आय वस्तुओं और कीमतें, उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) थोक कीमत सूचकांक (WPI) सकल घरेलू उत्पाद और कल्याण इत्यादि के बारे में अध्ययन किया गया। निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि सकल घरेलू उत्पाद किसी देश के आर्थिक कल्याण के सूचक नहीं हो सकता।

2.6 पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

प्रश्न 1. उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?

उत्तर : उत्पादन के चार कारण निम्नलिखित हैं

1. श्रम-किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कार्य जो धन उपार्जन के लिए किया जाता है श्रम कहलाता है।

2. भूमि-अर्थशास्त्र में उत्पादन में प्रयोग होने वाले सभी प्राकृतिक साधनों को भूमि में शामिल किया जाता है।

3. पूँजी-उत्पादन में प्रयोग होने वाले मनुष्य उत्पादित साधनों को पूँजी में शामिल किया जाता है।

4. उद्यमी-उद्यमी ऐसे लोग हैं जो बड़े निर्णयों के नियंत्रण का कार्य करते हैं और उद्यम के साथ जुड़े बड़े जोखिम का वहन करते हैं।

श्रम के पारिश्रमिक को वेतन कहते हैं।

भूमि के पारिश्रमिक को किराया लगान कहते हैं।

पूँजी के पारिश्रमिक को ब्याज कहते हैं।

उद्यमी के पारिश्रमिक को लाभ कहते हैं।

प्रश्न 2. किसी अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर : एक अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर होता है क्योंकि अंतिम व्यय और कारक अदायगी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रत्येक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से दो बाजार होते हैं।

1. उत्पादन बाजार

2. कारक बाजार

परिवार फर्मों के कारक साधन जैसे-भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी आदि की आपूर्ति करते हैं जिनके बदले में फर्ने। इन्हें लगान, किराया, मजदूरी, ब्याज और लाभ केग रूप में कारक भुगतान करती है। परिवारों को जो आय प्राप्त होती है उससे वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए फर्मों से अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदते हैं। इस प्रकार उत्पादकों का व्यय लोगों की आय और लोगों का व्यय उत्पादकों की आय बनता है। एक अर्थव्यवस्था में दो बाजारों में चक्रीय प्रवाह को हम निम्नलिखित चित्र द्वारा दिखा सकते हैं।

प्रश्न 3. स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए। निवल निवेश और पूँजी में कौन स्टॉक है और कौन प्रवाह? हौज में पानी के प्रवाह से निवल निवेश और पूँजी की तुलना कीजिए।

उत्तर : स्टॉक और प्रवाह दोनों चर मात्रा के अन्तर का आधार समय है। एक को समय बिंदु के संदर्भ में मापा जाता है। तो दूसरे को समयावधि के संदर्भ में मापा जाता है। प्रवाह चर-प्रवाह एक ऐसी मात्रा है जिसे समय अवधि के संदर्भ में मापा जाता है, जैसे घंटे, दिन, सप्ताह, मास, वर्ष आदि के आधार पर मापा जाता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आय एक प्रवाह है जो किसी देश में, एक वर्ष में उत्पादित अंतिम पदार्थ व सेवाओं के शुद्ध प्रवाह के मौद्रिक मूल्य को मापता है। अन्य शब्दों में, राष्ट्रीय आय, अर्थव्यवस्था की एक वर्ष की समयावधि में होने वाली प्राप्तियों को दर्शाता है। प्रवाह चरों के साथ जब तक समयावधि न लगी हो इनका कोई अर्थ नहीं निकलता। मान लो श्रीमान (X) की आय रू 2000 है तो आप उनके वित्तिय स्तर के विषय में क्या कहेंगे? कुछ भी नहीं कह सकते। यदि उनकी आय रू 2000 प्रति वर्ष है। तो वे बहुत निर्धन हैं यदि यह है 2000 प्रति माह है तो वे गरीबी रेखा से थोड़ा ऊपर हैं, यदि यह है 2000 प्रति सप्ताह है तो वे मध्यम वर्ग में हैं, यदि यह 2000 प्रति दिन है तो वे अमीर हैं और यदि यह है 2000 प्रति घंटा है तो बहुत अमीर हैं। अतः प्रवाह चरों का अर्थ समयावधि के बिना नहीं निकाला जा सकता। स्टॉक-स्टॉक एक ऐसी मात्रा है जो किसी निश्चित समय बिन्दु पर मापी जाती है। इसकी व्याख्या समय के किसी बिन्दु जैसे 4 बजे, सोमवार, 1 जनवरी 2014 आदि के आधार पर की जाती है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय पूँजी एक स्टॉक है जो देश के अधिकार में किसी निश्चित तिथि को मशीनों, इमारतों, औजारों, कच्चामाल आदि के स्टॉक के रूप में करती है। स्टॉक का संबंध एक निश्चित तिथि से होता है। मान लो श्रीमान (X) का बैंक शेष रू 2000 है तो इसके साथ यह बताना जरूरी है कि कब, किस समय बिन्दु पर। उचित अर्थ के लिए कहना चाहिए कि 1 जुलाई, 2014 को श्रीमान (X) का बैंक शेष रू 2000 है। निवल निवेश एक प्रवाह है और पूँजी स्टॉक है क्योंकि निवल निवेश का संबंध एक समय काल से है, जबकि पूँजी एक निश्चित समय पर एक व्यक्ति की संपत्ति का भण्डार बनाती है। पूँजी एक हौज के समान है जबकि निवल निवेश उस हौज में पानी के प्रवाह के समान है। हौज में पानी का स्तर एक निश्चित समय बिन्दु पर मापा जाता है, अतः यह एक स्टॉक है, जबकि बहते हुए पानी का संबंध समय-काल से है।

प्रश्न 4. नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अन्तर है? किसी फर्म की माल सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए?

उत्तर : नियोजित माल सूची संचय तथा अनियोजित माल सूची संचय में अन्तर इस प्रकार है-

मूल्यवर्धित = उत्पादन का मूल्य - मध्यवर्ती उपभोग

उत्पादन का मूल्य = बिक्री + माल - सूची संचय

अतः मूल्यवर्धित = बिक्री + माल - सूची संचय - मध्यवर्ती उपभोग,

प्रश्न 5. तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?

उत्तर : प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य एक सा आना चाहिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जितना उत्पादन होगा, उतनी ही कारक आय सृजित होगी और जितनी साधन आय सृजित होगी उतनी ही अंतिम व्यय होगा। इसे दिए गए चित्र द्वारा दिखाया गया है।

प्रश्न 6. बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी। निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रू था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रू थी। उस देश के व्यापार घाटे का परिमाण क्या था?

उत्तर : सकल घरेलू उत्पाद = C + S + T

सकल घरेलू व्यय = C + I + G + X-M

अतः C + I + G + X-M = C + S + T

1. इसमें G - T से उस मात्रा की माप होती है, जिस मात्रा में सरकारी व्यय में सरकार द्वारा अर्जित कर राजस्व से अधिक वृद्धि होती है। इसे 'बजटीय घाटा' के रूप में सूचित किया जाता है। M - X के अन्तर को व्यापार घाटा' के रूप में सचित किया जाता है।

2. बजट घाटा देश के लिए एक सीमा के भीतर वांछनीय हो सकता है परन्तु व्यापार घाटा सदा अवांछनीय है।

3. (I-S) + (G-T) = M - X हम जानते हैं (I - S) + (G - T)

(2000) + 1500 = 35000

अतः व्यापार घाटा = + 3000

प्रश्न 7. मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर 1100 करोड़ रू था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ है और। राष्ट्रीय आय 850 रू है, तो मूल्यह्रास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।

उत्तर : पाठ्यक्रम से हटाया गया है।

प्रश्न 8. किसी देश विशेष में एक वर्ष में कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद 1900 करोड़ रू है। फर्मों / सरकार द्वारा परिवार को अथवा परिवार के द्वारा सरकार / फर्मों को किसी भी प्रकार का ब्याज अदायगी नहीं की जाती है, परिवारों की वैयक्तिक प्रयोज्य आय 1200 करोड़ रू है। उनके द्वारा अदा किया गया वैयक्तिक आयकर 600 करोड़ रू है। और फर्मों तथा सरकार द्वारा अर्जित आय का मूल्य 200 करोड़ है। सरकार और फर्म द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी का मूल्य क्या है?

उत्तर : NNPFC = 1900

वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 1200

वैयक्तिक आयकर = 600 करोड़

वैयक्तिक आय = 1200 + 600 = 1800

वैयक्तिक आय = NNPFC- अवितरित लाभ + सरकार और फर्मों द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी

1800 = 1900 - 200 + अंतरण अदायगी

अंतरण अदायगी = 1800 - 1700 = 100 करोड़

प्रश्न 9. निम्नलिखित आँकड़ों से वैयक्तिक आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना कीजिए। (करोड़ ₹ में)

(a) कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद= 8000

(b) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय = 200

(c) अवितरित लाभ = 1000

(d) निगम कर = 500

(e) परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज = 1500

(f) परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज = 1200

(g) अंतरण आय = 300

(h) वैयक्तिक कर = 500

उत्तर : वैयक्तिक आय = (a) + (b) - (c) - (d) + (e) - (f) + (g)

= 8000 + 200 -1000 – 500 +1500 -1200 + 300 = 10000 - 2700 = ₹6300

करोड वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय - वैयक्तिक कर = 6300 – 500 = ₹ 5800 करोड़

प्रश्न 10. हजाम राजू एक दिन में बाल काटने के लिए 500₹ का संग्रह करता है। इस दिन उसके उपकरण में 50₹ का मूल्यह्रास होता है। इस 450 में से राजू 30₹ बिक्री कर अदा करता है। वह 200₹ घर ले जाता है और 220₹ उन्नति और नए उपकरणों का क्रय करने के लिए रखता है। वह अपनी आय में से 20₹ आय कर के रूप में अदा करता है। इन पूरी सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित में राजू का योगदान ज्ञात कीजिए-

(क) सकल घरेलू उत्पाद

(ख) बाजार कीमत पर निबल राष्ट्रीय उत्पाद

(ग) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय आय

(घ) वैयक्तिक आय

(ड़) वैयक्तिक प्रयोज्य आये

उत्तर :

(क) सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर = कुल प्राप्ति = 500

सकल घरेलू उत्पाद कारक आय पर = सकल उत्पाद बाजार कीमत पर - अप्रत्यक्ष कर

= 500 – 30 = ₹470

(ख) बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर - मूल्यह्रास

c = 500 - 50 = ₹450

(ग) कारक लागत पर निम्न राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद - अप्रत्यक्ष कर

= 450 - 30 = ₹420

(घ) वैयक्तिक आय = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद - अवितरित लाभ

= 420 - 220 = ₹200

(ङ) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय - वैयक्तिक कर

= 200 – 20 =₹180

प्रश्न 11. किसी वर्ष एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य 2500 करोड़ रू था। उसी वर्ष, उस देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य किसी आधार वर्ष की कीमत पर 3000 करोड़ रू था। प्रतिशत के रूप में वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक के मूल्य की गणना कीजिए। क्या आधार वर्ष और उल्लेखनीय वर्ष के बीच कीमत स्तर में वृद्धि हुई?

उत्तर : सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीत्ति (GDP Deflatec) का मान 100% से कम है अतः कीमत स्तर में आधार वर्ष की तुलना में गिरावट आई है।

प्रश्न 12. किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखो।

उत्तर : किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. सकल घरेलू उत्पाद का वितरण- यह संभव है कि किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़ रहा हो और उसके साथ-साथ आय की असमानताएँ भी बढ़ रही हो। ऐसी स्थिति में अमीर और अधिक अमीर हो। जायेंगे, परन्तु निर्धन और अधिक निर्धन हो जायेंगे, अतः निर्धनों का कल्याण नहीं होगा। उदाहरण के लिए एक देश की आय सन् 2000 में 14000 करोड़ से बढ़कर 320000 करोड़ हो गई। 14000 करोड़ में से 400 करोड़ 50% निर्धनतम को मिल रहे थे जबकि 20000 करोड में से 2000 करोड निर्धनतम वर्ग को मिल रहे थे और 180000 करोड़ अमीरतम वर्ग को तो निर्धनतम को आर्थिक कल्याण स्तर कम हुआ है।

2. गैर मौद्रिक विनिमय- अर्थव्यवस्था के अनेक कार्यकलापों का मूल्यांकन मौद्रिक रूप में नहीं होता। उदाहरण के लिए जो महिलायें अपने घरों में घरेलू सेवाओं का निष्पादन करती हैं, उसके लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। बहुत सी सेवाओं को एक दूसरे के बदले में प्रत्यक्ष रूप से विनिमय होता है, क्योंकि मुद्रा का यहाँ प्रयोग नहीं होता है, इसीलिए वस्तु विनिमय को आर्थिक कार्यकलाप का हिस्सा नहीं माना जाता। इससे सकल घरेलू उत्पाद का अल्पमूल्यांकन होता है, अतः सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन मानक तरीके से करने पर यह देश के कल्याण की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं करता।

3. बाह्य कारण- बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी देश या व्यक्ति के लाभ या हानि से है, जिससे दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए जब एक फैक्टरी प्रदूषण करती है। तो इससे समाज को हानि होती है, परन्तु समाज को इस हानि के प्रतिफल में क्षतिपूर्ति नहीं दी जाती। जल प्रदूषण मछुआरों को हानि पहुँचाता है परन्तु इस हानि की क्षतिपूर्ति नहीं होती। इससे सकल घरेलू उत्पाद, अर्थव्यवस्था के कल्याण का सही मूल्यांकन करने में असमर्थ हो जाता है। इसी प्रकार एक व्यक्ति आम का बाग लगाता है तो इससे शुद्ध वायु का लाभ उस स्थान के पूरे समाज को मिलता है, परन्तु । इस लाभ के लिए कोई आम के बाग के मालिक को भुगतान नहीं करता। अतः ऋणात्मक बाह्यताएँ तथा धनात्मक बाह्यताएँ सकल घरेलू उत्पाद को अर्थव्यवस्था के कल्याण का सूचक नहीं रहने देती।

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बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. वास्तविक प्रवाह से अर्थ है।

(क) परिवारों से फर्मों को कारक साधनों का प्रवाह

(ख) फर्मों से परिवारों को वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह

(ग) क और ख दोनों

(घ) उपयुक्त कोई नहीं

2. मौद्रिक प्रवाह और वास्तविक प्रवाह

(क) बराबर होते हैं।

(ख) बराबर भी हो सकते हैं और असमान भी

(ग) असमान होते हैं।

(घ) बराबर हो तो आय का चक्रीय प्रवाह संतुलन में होता है।

3. निम्नलिखित में से कौन सा आय के चक्रीय प्रवाह का क्षरण (समांहम) है?

(क) निवेश

(ख) निर्यात

(ग) सरकारी व्यय

(घ) आयात

4. निम्नलिखित में से कौन सा आय के चक्रीय प्रवाह का भरण है?

(क) बचत

(ख) कर

(ग) सरकारी व्यय

(घ) आयात

5. राष्ट्रीय आय का प्रवाह संतुलन में होता है जब

(क) भरण = क्षरण होते हैं।

(ख) भरण > क्षरण होते हैं।

(ग) भरण < क्षरण होते हैं।

(घ) भरण `\ne` क्षरण होते हैं।

6. यदि अर्थव्यवस्था में हस्तांतरण आय है तो?

(क) वास्तविक प्रवाह मौद्रिक प्रवाह से अधिक होगा।

(ख) वास्तविक प्रवाह और मौद्रिक प्रवाह बराबर होंगे

(ग) वास्तविक प्रवाह मौद्रिक प्रवाह से कम होगा

(घ) इनमें से कोई नहीं

7. निम्नलिखित में से कौन सा प्रवाह चर है?

(क) आय

(ख) बचत

(ग) जन्म दर

(घ) उपरोक्त सभी

8. एक देश की कुल जनसंख्या क्या है?

(क) प्रवाह

(ख) स्टॉक

(ग) क और ख दोनों

(घ) इनमें से कोई नहीं

9. निम्नलिखित में से कौन सी मद सकल घरेलू उत्पाद में शामिल की जाती है?

(क) हस्तांतरण भुगतान

(ख) कारक भुगतान

(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

(घ) उपरोक्त सभी

10. समीकरण पूरा करें-सकल घरेलू उत्पाद दृ ३३३३ = निवल घरेलू उत्पाद

(क) अप्रत्यक्ष कर

(ख) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

(ग) मूल्यह्रास

(घ) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

11. बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय कारक आय पर राष्ट्रीय आय से अधिक होगी यदि

(क) अप्रत्यक्ष कर > आर्थिक सहायता

(ख) अप्रत्यक्ष कर < आर्थिक सहायता

(ग) अप्रत्यक्ष कर = आर्थिक सहायता

(घ) मूल्यह्रास = शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

12. सकल घरेलू उत्पाद में ...... को जोड़कर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है।

(क) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आर्य

(ख) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

(ग) मूल्यह्रास

(घ) शुद्ध निर्यात

13. बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद शुद्ध अप्रत्यक्ष कर मूल्यह्रास किसके बराबर होगा?

(क) GDPMP

(ख) NNPFC

(ग) GNPFC

(घ) NDPFC

14. निम्नलिखित में से कौन सी वस्तु मध्यवर्ती वस्तु है?

(क) चीनी उत्पादन में मशीनों का प्रयोग

(ख) कार चलाने में पेट्रोल का प्रयोग

(ग) बिस्कुट बनाने में आटे का प्रयोग

(घ) उपरोक्त सभी

15. कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय आय तथा बाजार कीमत पर सकल घरेलू आय बराबर होंगे यदि

(क) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आये हो

(ख) आर्थिक सहायता = विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय, हो

(ग) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर > विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय हो

(घ) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर < विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय हो

प्रश्न 16 से 18 का उत्तर नीचे दी गई जानकारी के आधार पर दें

सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर = 4200 करोड

मूल्यह्रास = ₹200 करोड़

अप्रत्यक्ष कर = 50 करोड़

आर्थिक सहायता = ₹30 करोड़

विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = ₹(-) 10 करोड़

16. कारक आय पर निवल घरेलू उत्पाद बराबर

(क) 4020

(ख) 3980

(ग) 4180

(घ) 4170

17. बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद बराबर

(क) 4010

(ख) 4020

(ग) 3990

(घ) 4180

18. कारक आय पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद बराबर

(क) 3990

(ख) 4020

(ग) 4180

(घ) 4170

19. निम्नलिखित में से कौन सी हस्तांतरण आय नहीं है?

(क) बच्चे को दिया गया जेब खर्च

(ख) वृद्धावस्था पेंशन

(ग) सेवानिवृत्ति पेंशन

(घ) बेरोजगारी भत्ता

20. निम्नलिखित में से कौन सा भारत का सामान्य निवासी माना जाएगा?

(क) विश्व बैंक

(ख) इलाज के लिए भारत आया विदेशी

(ग) अमेरिका के दूतावास में कार्यरत भारतीय

(घ) पढ़ाई के लिए कोरिया से आया विद्यार्थी

21. निम्नलिखित में से किसे भारत की घरेलू सीमा में शामिल किया जाएगा?

(क) विदेशों में स्थित भारत के दूतावास

(ख) भारत में स्थित विदेशी दूतावास

(ग) अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ जो भारत में कार्यरत हैं

(घ) उपरोक्त सभी

22. निम्नलिखित में से किसे घरेलू आय में शामिल किया जाएगा?

(क) विदेश में एक भारतीय बैंक द्वारा अर्जित लाभ ।

(ख) अमेरिका में भारतीय दूतावास में कार्यरत अमेरिकी कर्मचारियों को वेतन

(ग) भारतीय सरकार द्वारा दी गई छात्रवृत्तियाँ

(घ) उपरोक्त सभी

23. निम्नलिखित में से कौन सी आय भारत की घरेलू आय का हिस्सा है?

(क) सरकार द्वारा दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन

(ख) विदेशों से प्राप्त साधन आय

(ग) विदेशों को दी गई साधन आय

(घ) भारतीय स्टेट बैंक की सिंगापुर शाखा द्वारा अर्जित लाभ

24. समीकरण को पूरा करो?

वैयक्तिय आय = निजी आय .........

(क) निगम कर और अवितरित लाभ

(ख) वैयक्तिक कर

(ग) निगम कर और बचत कर

(घ) उपरोक्त सभी

25. निजी आय = निजी क्षेत्र की आय .........?

(क) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय

(ख) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय समस्त अंतरण भुगतान

(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय समस्त अंतरण भुगतान

(घ) निगम कर, अवितरित आय

26. दो हरी गणना से बचने के लिए कौन सी विधि अपनाई जाती है?

(क) आय विधि

(ख) व्यय विधि

(ग) मूल्यवृद्धि विधि

(घ) इनमें से कोई नहीं

27. निम्नलिखित में से किसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता?

(क) वित्तीय लेन देन ।

(ख) गैर कानूनी विधियाँ

(ग) पुराने सामान का क्रय विक्रय

(घ) उपर्युक्त सभी

28. विदेशों में काम कर रहे भारतीयों की आय …….. में शामिल होगी?

(क) भारत की घरेलू आय

(ख) हस्तांतरण आय

(ग) विदेशों से प्राप्त साधन आय

(घ) शुरु निर्यात

29. कर्मचारियों के पारिश्रमिक में किसे शामिल नहीं किया जाता?

(क) किस्म में मजदूरी, वेतन

(ख) बोनस और कमीशन

(ग) नियोजकों द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजना में योगदान

(घ) कर्मचारी द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजना में योगदान

30. आर्थिक विकास का सही सूचक कौन सा है?

(क) चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय

(ख) स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय

(ग) स्थिर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय

(घ) वैयक्तिक आय

31. आर्थिक कल्याण का सही सूचक कौन सा है?

(क) स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय

(ख) स्थिर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आये

(ग) हरित GNP

(घ) मानव विकास सूचकांक

32. वैयक्तिक प्रयोज्य आय बराबर है।

(क) वैयक्तिक आय सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा विभिन्न प्राप्तियाँ

(ख) वैयक्तिक आय + प्रत्यक्ष व्यक्तिक कर - सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा विभिन्न प्राप्तियाँ

(ग) वैयक्तिक आय + प्रत्यक्ष व्यक्तिक कर - सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा विभिन्न प्राप्तियाँ

(घ) निजी आय + प्रत्यक्ष कर

33. निम्नलिखित में से किसे अंतिम उपभोग व्यय में शामिल नहीं किया जाता ?

(क) भोजन पर परिवारों का व्यय

(ख) सरकार द्वारा शिक्षा पर व्यय

(ग) सरकार द्वारा सड़कों का निर्माण

(घ) पुराना मकान खरीदने पर व्यय

34. निजी आय तथा निजी क्षेत्र की आय के बीच किसका अन्तर है?

(क) कारक आय

(ख) अंतरण आय

(ग) अवितरित लाभ

(घ) निगम कर

35. राष्ट्रीय आय को जनसंख्या से भाग करने पर क्या प्राप्त होता है?

(क) प्रति व्यक्ति आय

(ख) निजी आय

(ग) वैयक्तिक आय

(घ) वैयक्तिक प्रयोज्य आय

36. सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय सकल राष्ट्रीय उत्पाद बाजार कीमत पर

(क) विदेशों से प्राप्त साधन आय

(ख) विदेशों से प्राप्त चालू अंतरण

(ग) समस्त अंतरण आय ।

(घ) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज

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JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

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