JAC, INTERMEDIATE ANNUAL EXAM-2026
MODEL QUESTION PAPER 2025-26
कक्षा-12, विषय- इतिहास, समय 3:00 घंटा, पूर्णाक- 80
सामान्य
निर्देश :-
• परीक्षार्थी यथा संभव अपने
शब्दों में उत्तरदें ।
• सभी प्रश्न अनिवार्य है।
• कुल प्रश्नों की संख्या
208 है।
• प्रश्न 1 से 120 तक
बहुविकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए है। सही विकल्प का
चयन करें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 01 अंक निर्धारित है।
• प्रश्न संख्या 1 से 24 तक
अति लघु उतरीय प्रश्न है। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
• प्रश्न संख्या 1 से 30 तक
लघुउतरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिर्वाय है।
प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
• प्रश्न संख्या 1 से 34 तक
दीर्घउतरीय प्रश्न है। किन्ही 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिर्वाय है। प्रत्येक
प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
बहुविकल्पीय प्रश्न :
1. सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषता क्या था
(a) शहरी जीवन
(b)
ग्रामीण जीवन
(c)
खानादोश
(d)
इनमें से कोई नही
2. हड़प्पा सभ्यता का स्थल लोथल किस नदी के किनारे स्थित है
(a)
सिंधु
(b)
रावी
(c) भोगवा
(d)
सतलज
3. मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ क्या है
(a)
जीवितों का टीला
(b) मृतको का टीला
(c)
महान शहर
(d)
इनमें से कोई नही
4. महावीर स्वामी किस धर्म से संबंधित है
(a)
बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c)
हिंदू धर्म
(d)
ईसाई धर्म
5. चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र का संबंध किस विषय से है ?
(a)
सामाजिक जीवन
(b)
आर्थिक जीवन
(c) राजनीतिक नीतिया
(d)
धार्मिक जीवन
6. मौर्य साम्राज्य का सस्थापक कौन था ?
(a)
अशोक
(b)
बिन्दुसार
(c) चन्द्रगुप्त मौर्य
(d)
इनमें से कोई नही
7. त्रिपिटक का किस धर्म का पवित्र ग्रंथ है ?
(a)
जैन धर्म
(b) बौद्ध धर्म
(c)
शैव धर्म
(d)
वैष्णव धर्म
8. किताब उल-हिन्द की रचना किसने की की ?
(a)
इब्न बतुता
(b) अलबरूनी
(c)
अमीर खुसरो
(d)
फिरदोसी
9. हम्पी किस साम्राज्य की राजधानी थ ?
(a)
चोला
(b)
पल्लव
(c) विजयनगर
(d)
चेर
10. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई ?
(a) 1336 ई.
(b)
1206 ई.
(c)
1498 ई.
(d)
1526 ई.
11. प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कहाँ स्थित है?
(a)
अजमेर
(b) दिल्ली.
(c)
आगरा
(d)
फतेहपुर सीकरी
12. संथाल विद्रोह का नेतृत्व किसने किया ?
(a)
बिरसा मुंडा
(b) सिद्ध और कन्हू.
(c)
बुधु भगत
(d)
जतरा भगत
13. दामिन-ए- कोह का संबंध किस क्षेत्र से है?
(a)
छोटा नागपुर
(b)
राजमहल
(c) संथाल परगना
(d)
पलामू
14. भारत में आने वाला पहला पुर्तगाली यात्री कौन था?
(a) वास्को डी गामा
(b)
कोलंबस
(c)
कैप्टन हॉकिन्स
(d)
थॉमस रो
15. भारत में स्थाई बंदोबस्त किसने लागु किया ?
(a)
लॉर्ड डलहौजी
(b)
लॉर्ड विलियम बेंटिक
(c) लॉर्ड कार्नवालिस
(d)
लॉर्ड वेलेजली
16. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
(a)
आर्थिक शोषण
(b)
राजनीतिक कारण
(c) धार्मिक कारण
(d)
सामाजिक भेदभाव
17. दिल्ली चालो का नारा किसने जिया था?
(a)
महात्मा गांधी
(b) सुभाष चन्द्र बोस
(c)
जवाहरलाल नेहरू
(d)
भगत सिंह
18. असहयोग आंदोलन किस वर्ष शुरू हुआ?
(a)
1919 ई.
(b) 1920 ई.
(c)
1921 ई.
(d)1922
ई.
19. भारत छोड़ो आंदोलन किस वर्ष प्रारंभ हुआ?
(a)
1940 ई.
(b)
1941 ई.
(c) 1942 ई.
(d)
1943 ई.
20. महात्मा गांधी ने दंडी यात्रा कब प्रारंभ की ?
(a) 1930 ई.
(b)
1931 ई.
(c)
1929 ई.
(d)
1928 ई.
21. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई ?
(a) 1885 ई.
(b)
1886 ई.
(c)
1887 ई.
(d)
1888 ई.
22. जलियावाला बाग हत्याकांड कब हुआ ?
(a) 1919 ई.
(b)
1920 ई.
(c)
1921 ई.
(d)
1922 ई.
23. स्वंतत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?
(a)
जवाहरलाल नेहरू.
(b)
डॉ. बी. आर. अंबेडकर
(c)
सरदार बल्लेभभाई पटेल
(d) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
24. भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ?
(a) 26 नवम्बर 1949 ई
(b)
26 जनवरी 1950 ई
(c)
15 अगस्त 1914
(d)
2 अक्टूबर 1948
25. संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
(a)
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(b)
जवाहरलाल नेहरू
(c) डॉ. बी. आर. अंबेडकर
(d)
सरदार बल्लेभभाई पटेल
26. महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था ?
(a) 2 अक्टूबर 1869.
(b)
2 अक्टूबर 1870
(c)
2 अक्टूबर 1871
(d)
2 अक्टूबर 1872
27. भारत का विभाजन किस योजना के आधार पर हुआ?
(a)
क्रिप्स मिशन
(b)
कैबिनेट मिशन
(c) माउंटेबेन योजना
(d)
साइमन कमीशन
28. पुराणों की संख्या कितनी है?
(a)
16.
(b) 18
(c)
20.
(d)22.
29. महाभारत का फारसी अनुवाद क्या कहलता है?
(a) रज्मनामा
(b)
इब्नबतूता
(c)
किताब-उल-हिंद
(d)
इनमें से कोई नही
30. गोपुरम का संबंध किससे है?
(a)
व्यापार
(b)
मुर्तिकला
(c) मंदिर
(d)
इनमें से कोई नहीं
31. मोहनजोदड़ों की खोज किस वर्ष हुई ?
(1)
1921
(2) 1922
(3)
1924
(4)
1930
32. मोहनजोदड़ों की सबसे बड़ी इमारत कौन सी है?
(1)
स्नानागार
(2) अन्नागार
(3)
ईद से बना हुआ भवन
(4)
इनमें से कोई नही
33. कौशल की राजधानी कहां थी?
(1)
पाटलिपुत्र
(2) श्रावस्ती
(3)
वाराणसी
(4)
अंग
34. 1838 ईस्वी में ब्राह्मी लिपि को पढ़ने में सर्वप्रथम सफलता किसे
प्राप्त हुई?
(1) जेम्स प्रिंसेप
(2)
विलियन जॉन
(3)
जॉन मार्शल
(4)
व्हीलर
35. मौर्य काल में किस लिपि का प्रयोग सर्वधिक हुआ है?
(1)
खरोष्ठी
(2)
अरमाइक
(3)
यूनानी
(4) ब्राहमी
36. पाटलिपुत्र की स्थापना किसने की?
(1)
अशोक मौर्य
(2)
चंद्रगुप्त
(3)
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
(4) उदयन
37. प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की?
(1)
पंजजलि
(2)
बाणभट्ट
(3) हरिसेन
(4)
कालिदास
38. अशेक के कलिंग विजय का उल्लेख मिलता है?
(1)
10 वें अभिलेख से
(2)
11 वें अभिलेख से
(3)
12 वें अभिलेख से
(4) 13 वें अभिलेख से
39. अष्टाध्यायी की रचना किसने की?
(1)
पंजजलि
(2) पाणिनि
(3)
शूद्रक
(4)
कालिदास
40. विश्व का प्रथम लोकतांत्रिक व्यवस्था किस महाजनपदमें मिलती है?
(1)
मगध
(2) लिच्छवी
(3)
मत्स्य
(4)
कुरू
41. किताब उल हिंद के लेखक है -
(1) अलबरूनी
(2)
अब्दुल रज्जाक
(3)
इब्नबतूता
(4)
बर्नियर
42. सर्वप्रथम भारत कौन विदेश यात्री आया था?
(1)
व्हेनसॉन्ग
(2)
इब्नबतूता
(3)
मार्को पोलो
(4) फाह्यान
43. भिलसा टॉप्स के लेखक कौन थे?
(1) अलेक्जेंडर
(2)
कॉलिग मैकेंजी
(3)
एच एच कॉल
(4)
इनमें से कोई नही
44. बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाएं निम्निलिखित में से किस में संकलित
है?
(1)
विनय पिटक
(2) जातक कथा
(3)
त्रिपिटक
(4)
पंचतत्र
45. महावीर का जन्म किस राज्स में हुआ था?
(1) बिहार
(2)
झारखण्ड
(3)
उतर प्रदेश
(4)
नेपाल
46. जगन्नाथ मंदिर कहां स्थित है?
(1) पुरी
(2)
कोलकाता
(3)
मथुरा
(4)
चेन्नई
47. लिंगायत संप्रदाय का जनक कौन थे?
(1)
कबीर
(2)
गुरू नानक
(3)
वासबन्ना
(4)
कराईकाल
48. कौन से सूफी संत अजमेर शरीफ से संबंधित है?
(1)
निजामुद्दीन औलिया
(2)
बाबा फरीद
(3) माइनुद्दीन चिश्ती
(4)
इनमें से कोई नही
49. गुरू नानक का जन्म कहां हुआ था?
(1) तलबडी
(2)
लाहौर
(3)
फतेहपुर
(4)
इनमें से कोई नही
50. भक्ति आंदोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत कौन लाया?
(1)
रामानुज
(2)
कबीर
(3)
तुकाराम
(4) रामानन्द
51. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई ?
(1)
1326 में
(2) 1336 में
(3)
1340 में
(4)
1346 में
52. स्वराज पार्टी के संस्थापक कौन थे?
(1)
चितरंजन दास
(2)
मोतिलाल नेहरू
(3) 1 और 2 दोनो इनमें
(4)
इनमें से कोई नही
53. चेरी चोरी कांड कब हुआ था ?
(1) 5 फरवरी 1922
(2)
16 फरवरी 1922
(3)
20मार्च 1922
(4)
4 मई 1922
54. महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरू का नाम क्या था?
(1)
लाल लाजपत राय
(2) गोपल कृष्ण गोखले
(3)
बाल गंगाधर जिलक
(4)
स्वामी विवेकांनद
55. भारत की राजधानी से कोलकाता से दिल्ली किस वर्ष स्थांनातरित हुई
?
(1)
1910
(2)
1912
(3)
1909
(4) 1911
56. भारतीय राष्ट्रीय कंग्रेस की स्थापना का श्रेय किसे है?
(1)
गांधी जी
(2)
तिलक
(3)
गोखले
(4) ए०ओ०हयूम
57. तुम मुझे खुन दो मै तुझे आजादी दूंगा किसने कहा ?
(1)
भगत सिंह
(2)
रासबिहारी बोस
(3)
मोहन सिंह
(4) सुभाष चंन्द्र बोस
58. 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था?
(1)
लॉर्ड ब्लेजली
(2)
लार्ड बैटिग
(3)
लार्ड डलहौजी
(4) लॉर्ड कैनिंग
59. कॉल विद्रोह का नेता कौन था ?
(1)
बिरसा मुंडा
(2)
चंद भैरव
(3) बुधु भगत
(4)
कान्हु
60. स्थाई बंदोबस्त बंगाल में किसने लागु किया ?
(1)
लॉर्ड वेल्सली
(2) लार्ड कार्नवालिस
(3)
लार्ड डलहौज
(4)
वारेन हेस्टिंग
61. पांचवी रिर्पोट कितने पेज में थी
(a) 1002 पेज
(b)
1007 पेज
(c)
1010 पेज
(d)
1040 पेज
62. कुदाल एंव हल में संघर्ष में कुदाल किसका प्रतीक है -
(a)
संथाल
(b) पहाड़िया
(c)
जमींदार
(d)
महाजन
63. गंजुरिया शब्द किसका प्रतिनिधित्व करता है :-
(a)
तालाब
(b)
नदी
(c) पहाड़
(d)
जमीन
64. 1857 के विद्रोह में शामिल शाहमल कहाँ से संबंधित थे -
(a)
झारखण्ड
(b)
बिहार
(c)
बंगाल
(d) उत्तर प्रदेश
65. " ये गिलास फल (Cherry) एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा''
ये किसके शब्द है।
(a) लार्ड डलहौज़ी
(b)
लार्ड क्लाइव
(c)
लार्ड कार्नवालिस
(d)
लार्ड कैनिंग
66. महात्मा गांधी ने किस वर्ष से सर मुंडवा कर खद्दर या सूती वस्त्र
पहनना आरंभ कर दिया-
(a)
1915
(b)
1917
(c) 1921
(d)
1925
67. गांधी इरविन समझौता कब हुआ था -
(a)
1930
(b) 1931
(c)
1932
(d)
1933
68. जवाहलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव कब पेश किया -
(a)
13 दिसम्बर 1945
(b) 13 दिसम्बर 1946
(c)
9 दिसम्बर 1945
(d)
9 दिसम्बर 1946
69. रॉलयल इंडियन नेवी के सिपाहियों का बिदोह कब हुआ ?
(a)
1942
(b)
1943
(c)
1945
(d) 1946
70. संबिधान सभा में कुल कितने सत्र हुए -
(a)
10
(b) 11
(c)
12
(d)
इनमें से कोई नहीं
71. सती बालिका का वृतांत किसके द्ववारा दिया गया -
(a) इब्नबतूता
(b)
अलबरूनी
(c)
पेलसर्ट
(d)
बर्नियर
72. अलवर किसके उपासक थे?
(a) विष्णु
(b)
शिव
(c)
काली
(d)
गणेश
73. वीरशैव परंपरा कहाँ उदित हुई -
(a)
केरल
(b) कर्नाटक
(c)
बंगाल
(d)
उत्तरप्रदेश
74. गुरूनानक का जन्म कब हुआ था ?
(a)
1460
(b) 1469
(c)
1484
(d)
1539
75. किस वर्ष कर्नल मैकेजी के प्रयासों से हम्प का भग्नावशेष प्रकाश
में आया -
(a) 1800
(b)
1469
(c)
1484
(d)
1539
76. रज्म नामा के नाम से किसका अनुवाद हुआ था?
(a)
रामायण
(b) महाभारत
(c)
पंचतत्र
(d)
बाबरनामा
77. बुलंद दरवाजा किस किसने बनवाया?
(a)
बाबर
(b) अकबर
(c)
जहाँगीर
(d)
शहजहाँ
78. मुगल वंश भारत में कब स्थापित हुआ-
(a)
1520
(b) 1526
(c)
1530
(d)
1536
79. भक्ति आंदोलन के संत शंकरदेव का संबंध था-
(a)
बिहार
(b)
बंगाल
(c)
केरल
(d) असम
80. महानवमी डब्बा क्या था-
(a) दुर्गापूजा का प्रसाद
(b)
इमारत
(c)
भूराजस्व
(d)
सिंचाई कर
81. अशोक के अभिलेखों को सर्वप्रथम किसने पढ़ा-
(a)
जॉन मार्शल
(b) जेम्स प्रिसेप
(c)
अनेस्ट
(d)
इनमें कोई नहीं
82. दुर्योधन की माँ कोन थी।
(a) गांधारी
(b)
कुंती
(c)
माद्री
(d)
सत्यवती
83. महाजनपदों में कितने गणतंत्र थे-
(a) 2
(b)
4
(c)
6
(d)
8
84. सांची मध्यप्रदेश के किस जिले में है-
(a)
विदिशा
(b) रायसेन
(c)
सागर
(d)
भोपाल
85. जैनधर्म के 24वे तीर्थकर कौन थे?
(a) महावीर स्वामी
(b)
आदिनाथ
(c)
प्राश्वनाथ
(d)
इनमें से कोई नहीं
86. तृतीय बौद्ध संगीति कहाँ आयोजित हुई-
(a)
राजगीर
(b) पाटलिपुत्र
(c)
वैशाली
(d)
चपा
87. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की-
(a)
श्रीगुप्त
(b)
चंद्रगुप्त
(c)
चंदगुप्त द्वितीय
(d) कुमार गुप्त
88. हड़प्पा की खुदाई दयाराम साहनी द्वारा किस वर्ष की गई-
(a)
1920
(b) 1921
(c)
1922
(d)
1923
89. हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो लगभग कितने हैक्टेयर
मे फैला था-
(a)
100
(b)
200
(c) 250
(d)
500
90. महावीर स्वामी की मृत्यु कहा हुई थी।
(a)
वैशाली
(b)
लुम्बनी
(c) पावापुरी
(d)
कुशीनारा
91. हड़पा सभ्यता में किस धातु का प्रयोग सबसे अधिक हुआ?
(a) कांसा
(b)
तांबा
(c)
टिन
(d)
इनमें से कोई नहीं
92. हड़प्पा सभ्यता के किस नगर से साईबोर्ड का प्रमाण मिला है?
(a)
महोनजोदडो
(b)
कालीबंगा
(c) धौलावीरा
(d)
लोथल
93. अशोक के शिलालेखो में किस लिपि का प्रयोग हुआ है-
(a)
ब्राहमी
(b)
खरोष्ठी
(c)
अरामाईक
(d) सभी
94. द्वितीय नगरीकरण में किस धातु की भूमिका मानी जाती है-
(a)
तांबा
(b)
कांसा
(c)
पीतल
(d) लोहा
95. महाभारत का युद्ध कितने दिन चला था?
(a)
10 दिन
(b)
15 दिन
(c) 18 दिन
(d)
24 दिन
96. "नाट्यशास्त्र' की रचना किसने की?
(a) भरतमुनि
(b)
हलधर
(c)
विष्णुगुप्त
(d)
शुद्रक
97. गौतम बुद्ध का प्रधान शिष्य कौन था?
(a) आनंद
(b)
उपालि
(c)
अनिरूद्ध
(d)
कश्यप
98. महावीर स्वामी को ज्ञान की प्राप्ति झारखंड के किस जिले में हुई-
(a)
देवघर
(b)
धनबाद
(c) गिरिडीह
(d)
इनमें कोई नहीं
99. उलूक डाक व्यवस्था में किसका प्रयोग किया जाता था-
(a)
हाथी
(b)
ऊँट
(c)
नाव
(d) धोड़ा
100. रिहाला नामक पुस्तक किसने लिखे ?
(a)
बर्नियर
(b)
मार्कोपालो
(c) इब्नबतूता
(d)
ट्रैवेनियर
101. कबीर के दोहे कहा संकलित है-
(a)
गुरूग्रंथ साहिब
(b) बीजक
(c)
सुरसागर
(d)
पद्माक्त
102. "पीर'' का अर्थ है-
(a)
ईश्वर
(b) गुरू
(c)
आत्मा
(d)
शिष्य
103. तालिकोटा का युद्ध किसके नेतुत्व में लड़ा गया था-
(a) रामराय
(b)
देवराय प्रथम
(c)
कृष्णदेव राय
(d)
सदाशिव राय
104. विजयनगर सम्प्रज्य की स्थापना कब हुई
(a)
1526
(b)
1286
(c)
1206
(d) 1336
105. आइन-ए- अकबरी के कितने भाग है-
(a)
तीन
(b)
चार
(c) पाँच
(d)
इनमें से कुछ नहीं
106. तंबाकू का सेवन सबसे पहले किस मृगल सम्राट ने किया-
(a)
बाबर
(b)
जहाँगीर
(c) अकबर
(d)
शाहजहाँ
107. भारत का अंतिम मुगल बादशाह कौन था-
(a)
औरंगजेब
(b) बहादुरशाह जफर
(c)
फरूखशियर
(d)
मोहम्मदशाह
108. एशियाटिक सोसाईटी ऑल बंगाल की स्थापना कब और किसने की ?
(a) 1784, विलियम जोस
(b)
1791 हेनरी बेवरिज
(c)
1785, चार्ल्स मेटकाफ
(d)
इनमें से कोई नहीं
109. मैनचेस्टर काटन कंपनी का निर्माण कब हुआ
(a)
1857
(b) 1859
(c)
1858
(d)
1860
110. औपनिवेशिक शासन को सर्वप्रथम कहाँ स्थापित किया गया था :
(a) बंगाल
(b)
सूरत
(c)
दिल्ली
(d)
बॉम्बे
111. संथाल विद्रोह कब हुआ था-
(a) 1855
(b)
1814
(c)
1859
(d)
1896
112. हड़प नीति किसने लागू किया था-
(a) लार्ड डलहोजी
(b)
लार्ड कैनिंग
(c)
लार्ड बैटिक
(d)
लार्ड कर्जन
113. मंगल पांडे को कब फाँसी दिया गया-
(a)
29 मार्च 1857
(b)
8 मार्च 1857
(c) 8 अप्रैल 1857
(d)
10 मई 1857
114. 1857 के विद्रोह के समय भात का गर्वनर जनरल कौन था-
(a)
लार्ड डलहोजी
(b)
लार्ड बैटिक
(c) लार्ड केनिग
(d)
लार्ड वेलेजली
115. दिल्ली भारत की राज्यधानी कब बनी ?
(a)
1910
(b) 1911
(c)
1912
(d)
1913
116. भारत में रेलवे की शुरूआत कब हुई -
(a)
1850
(b) 1853
(c)
1860
(d)
1863
117. क्रिप्स प्रस्ताव को किसने पोस्ट डेटेड चेक कहा ।
(a) महात्मा गांधी
(b)
राजेन्द्र प्रसाद
(c)
जवाहरलाल नेहरू
(d)
सुभाष चन्द्र बोस
118. महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरू कौन थे?
(a)
फिरोजशाह मेहता
(b)
लाजपत राय
(c) गोपाल कृष्ण गोखले
(d)
चितरंजन दास
119. पाकिस्तान शब्द का अर्थ क्या है?
(a)
मोहम्मद जिन्ना
(b)
चौधरी रहमत अली
(c)
लियाकत अली
(d)
मोहम्मद इकबाल
उत्तर- पवित्र भूमि
120. किसे संवैधानिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया-
(a) बी.एन.राव
(b)
सच्चिदानंद सिन्हा
(c)
राजेन्द्र प्रसाद
(d)
भीम राव अम्बेडकर
भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न ) अति लघुउतरीय प्रश्न :
किन्ही 6 प्रश्नों के उत्तर दें।
2*6=12
1. हड़प्पा सभ्यता के दो प्रमुख नगरों के नाम
बताएं ।
उत्तर- 1. हड़प्पा 2. मोहनजोदड़ो
2. महाजनपद क्या थे ।
उत्तर- छठी शताब्दी ई० पू० से महाजनपदों
(आरंभिक राज्य) का विकास प्रारम्भ हुआ। बौद्ध और जैन ग्रंथों में 16 महाजनपद का जिक्र
है जिनमें 12 राजतंत्रीय और 04 गणतंत्रीय राज्य थे।
3. बौद्ध धर्म के दो प्रमुख सिद्धातों के नाम
बताएं ।
उत्तर- बौद्ध धर्म के दो प्रमुख
सिद्धांत हैं — "चार आर्य सत्य" और "अष्टांगिक मार्ग"।
4. इब्न बतूता किस देश का यात्री था।
उत्तर- इब्न बतूता मोरक्को (उत्तरी
अफ्रीका) देश के यात्री थे।
5. विजयनगर साम्राज्य की किन्ही दो विशेषताओं
को बताएं ।
उत्तर- विजयनगर साम्राज्य की दो
प्रमुख विशेषताएँ थीं — विशिष्ट मंदिर स्थापत्य कला और एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था ।
6. 1857 के विद्रोह के कोई दो केन्द्रों और
उनके नेताओं के नाम बताएं ।
उत्तर- 1. दिल्ली: बहादुर शाह जफर
(अंतिम मुगल सम्राट) ने दिल्ली में विद्रोहियों का नेतृत्व किया. ।
2.
कानपुर: नाना साहब ने कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किया ।
7. गांधीजी के किन्ही दो आंदोलनों के नाम लिखें
।
उत्तर- गांधीजी के दो प्रमुख आंदोलनों
के नाम हैं:
1.
असहयोग आंदोलन (1920)
2.
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
8. भारतीय संविधान के निर्माण में डॉ. बी.
आर. अंबेडकर की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर- वे संविधान सभा की प्रारूप
समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने संविधान के मसौदे को तैयार करने में नेतृत्व प्रदान
किया। अंबेडकर ने संविधान को इस प्रकार ढाला कि उसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और
बंधुत्व जैसे आदर्श निहित हों, जो एक न्यायसंगत और समरस समाज की स्थापना सुनिश्चित
करते हैं। उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आरक्षण
जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान भी संविधान में शामिल किए।
9. प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के अध्ययन
के कौन-कौन से स्त्रोत है?
उत्तर- प्राचीन भारतीय इतिहास के
अध्ययन के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित स्त्रोत होते हैं:
1.
पुरातात्विक स्त्रोत: इनमें अभिलेख, सिक्के, स्मारक, भवन, चित्र और भग्नावशेष शामिल
हैं, जो खुदाई (उत्खनन) के माध्यम से प्राप्त होते हैं। ये सबसे प्रमाणित और वास्तविक
स्रोत माने जाते हैं।
2.
साहित्यिक स्त्रोत: ये दो प्रकार के होते हैं—
*
धार्मिक साहित्य: जैसे वेद, उपनिषद, पुराण, ब्राह्मण ग्रंथ, धर्मसूत्र आदि।
*
लौकिक साहित्य: जैसे महाभारत, रामायण, इतिहास ग्रंथ (जैसे राजतरंगिणी), जीवनी, विदेशी
यात्रियों के विवरण आदि।
3.
विदेशी यात्रियों के विवरण: जिनमें मेगास्थनीज, फाह्यान, अल-बरूनी, इब्न बतूता आदि
के यात्रा-वर्णन आते हैं, जो प्राचीन भारत की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक
स्थिति की जानकारी देते हैं।
4.
अन्य स्रोत: लोककथाएं, मौखिक परंपराएं, वंशावलियां और शिलालेख भी इतिहास के अध्ययन
में महत्वपूर्ण हैं।
10. सगुण भक्ति क्या है?
उत्तर- शिव, विष्णु तथा उनके अवतार एवं देवियों की आराधना जाती है एवं
इनकी मूर्त रूप में पूजा की जाती है। सगुण भक्ति परंपरा कहलाता है।
11. स्वतंत्रता ओदोलन मे त्रिमूर्ति के नाम
से कौन-कौन प्रसिद्ध थे?
उत्तर- स्वतंत्रता आंदोलन में
"त्रिमूर्ति" के नाम से लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र
पाल प्रसिद्ध थे।
12. दांडी यात्रा कब और कहाँ से आरंभ हुई
?
उत्तर- दांडी यात्रा 12 मार्च
1930 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से आरंभ हुई थी।
13. भारत के अंतिम वायसराय कौन थे?
उत्तर- भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड
लुईस माउंटबेटन थे।
14. स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री कौन थे?
उत्तर- स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री
सरदार वल्लभभाई पटेल थे।
15. खुदकाश्त और पहिकास्त कौन थे?
उत्तर- खुदकास्त -
खुदकाश्त उसी गांव की जमीन पर खेती करते थे जहाँ वे रहते थे।
पाहिकास्त-पाहिकास्त
दूसरे गांव में जाकर भाड़े पर जमीन लेकर उस पर खेती करते थे।
16. विजयनगर किस नदी के तट पर स्थित है?
उत्तर-
तुंगभद्रा
17. हडप्पाई लिपि को दो विशेषता बतायें ।
उत्तर-
हड़प्पाई लिपि की दो मुख्य विशेषताएं-
A हड़प्पा लिपि
को आज तक पढ़ने में सफलता नहीं प्राप्त की जा सकी है यद्यपि निश्चित रूप से यह
वर्णमालीय नहीं है क्योंकि वर्णमाला के प्रत्येक चिन्ह एक स्वर या एक व्यंजन को
दर्शाता है।
B. यह लिपि दाएं
से बाएं लिखी जाती थी क्योंकि दाएं और अधिक अंतराल है जबकि बाएं और कम जगह है।
18. मेगास्थनीज कौन था? इसने कौन सी पुस्तक
लिखी?
उत्तर - मेगस्थनीज़
एक यूनानी राजदूत, इतिहासकार, और खोजकर्ता थे जिन्होंने इंडिका नाम की किताब लिखी थी।
19. गोत्र से आप क्या समझते है?
उत्तर- गोत्र प्राचीन मानव समाज
द्वारा बनाए गए रीति-रिवाज का हिस्सा है जो यह निश्चित करता है कि एक व्यक्ति किस पूर्वज
की संतान है।
20. जैन धर्म के त्रिरत्न क्या है?
उत्तर- जैन धर्म के त्रिरत्न सम्यक
ज्ञान, सम्यक दर्शन तथा सम्यक आचरण हैं।
21. "खानकाह' से आप क्या समझते है?
उत्तर- सूफी संतों के निवास स्थल को खानकाह कहते हैं।
22. संथाल विद्रोह के प्रमुख नेता कौन थे?
उत्तर- संथाल विद्रोह के प्रमुख
नेता सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू थे। इसके अलावा चांद और भैरव मुर्मू तथा दो जुड़वां
बहनें फूलो और झानो भी इस विद्रोह के महत्वपूर्ण नेता थे।
23. इंडो-सारसनिक स्थापत्य शैली के भारत मे
दो उदाहरण बताये?
उत्तर- इंडो-सारसेनिक शैली के भारत
में दो उदाहरण हैं गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई और विक्टोरिया मेमोरियल,
कोलकाता।
24. संविधान सभा की प्रथम बैठक कब और किसकी
अध्यक्षता मे हुई थी?
उत्तर- संविधान सभा की पहली बैठक
9 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली के संविधान हॉल में हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता डॉ. सच्चिदानंद
सिन्हा ने की थी।
खण्ड -C लघु उतरीय प्रश्न 3*6=18
1. सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के क्या कारण
थे।
उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के पतन
के कई कारण थे, जो संयुक्त रूप से इस प्राचीन सभ्यता के विनाश का कारण बने। मुख्य कारणों
में शामिल हैं:
1.
पर्यावरणीय परिवर्तन: लंबे समय तक सूखे, जलवायु परिवर्तन, और सरस्वती नदी का सूख जाना
जिससे जल संसाधनों में कमी आई और कृषि प्रभावित हुई। इससे भोजन और जल की कमी पैदा हुई
और लोग पलायन करने लगे।
2.
प्राकृतिक आपदाएं: बाढ़, भूकंप और जलप्रलय से शहरों को नुकसान पहुँचा। सिंधु नदी के
मार्ग में परिवर्तन भी कुछ प्रमुख नगरों के पतन का कारण बना।
3.
आर्थिक और सामाजिक कारण: व्यापार नेटवर्क में गिरावट आई, जिससे आर्थिक समृद्धि में
कमी आई। इसके साथ ही सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी भी इस सभ्यता के पतन में
योगदान देने वाले कारकों में थी।
4.
जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों का अभाव: बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों की कमी हो गई
और जीवनयापन कठिन हो गया।
5.
बाहरी आक्रमण: कुछ इतिहासकारों ने आक्रमणों की संभावना भी व्यक्त की है, लेकिन यह पर्याप्त
प्रमाणित नहीं है।
2. जैन धर्म के प्रमुख सिंद्धातों का वर्णन
करें।
उत्तर-
जैन धर्म के प्रमुख पांच सिद्धांत निम्नलिखित हैं
1.
सत्य- हमेशा सत्य बोलना चाहिए
2.
अहिंसा - कभी हिंसा नहीं करना चाहिए
3.
आस्तेय- कभी चोरी नहीं करना चाहिए
4.
अपरिग्रह - संपत्ति का संग्रह ना करना
5.
ब्रह्मचर्य -इंद्रियों को वश में रखना।
3. सूफीवाद की प्रमुख विशेषताओं को बताएं।
उत्तर- सूफीवाद की प्रमुख विशेषताएँ
इस प्रकार हैं:
1.
सूफीवाद इस्लाम का एक रहस्यमय (मिस्टिक) धार्मिक अभ्यास है, जो ईश्वर के प्रति सच्चे
और गहरे प्रेम पर केन्द्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य ईश्वर के साथ प्रत्यक्ष, व्यक्तिगत
अनुभव के माध्यम से दिव्य प्रेम और ज्ञान की प्राप्ति है।
2.
सूफी संत आंतरिक पवित्रता और आत्मा की शुद्धि पर ज़ोर देते हैं, जबकि रूढ़िवादी मुस्लिम
अधिकतर बाहरी धार्मिक अनुष्ठानों और नियमों के पालन पर ध्यान देते हैं। सूफीवाद में
भक्ति और प्रेम को ईश्वर तक पहुंचने का सर्वोच्च मार्ग माना जाता है।
3.
सूफीवाद में 'मुर्शिद' या 'पीर' (गुरु) को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, जो मार्गदर्शन
करते हैं और भक्तों को आध्यात्मिक दिशा प्रदान करते हैं।
4.
सूफी संत सादा जीवन जीते थे, जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव की निंदा करते थे, और
प्रेम, सामंजस्य एवं सहिष्णुता का संदेश देते थे।
5.
सूफी पूजा में ध्यान, जाप, संगीत (जैसे कव्वाली), नृत्य और ज़ियारत (मजारों पर जाना)
शामिल हैं, जो भक्तिमय आध्यात्मिक अनुभव उत्पन्न करते हैं।
6.
सूफीवाद ने विभिन्न रहस्यमय आदेशों (तरीक़ों) के जरिये फैला, जैसे चिश्तिया, नक्शबंदिया,
क़ादरिया आदि, जो अलग-अलग आध्यात्मिक रास्ते प्रदान करते हैं।
7.
सूफीवाद में दस आध्यात्मिक चरणों का वर्णन है, जिनमें पश्चाताप, संयम, गरीबी, धैर्य,
कृतज्ञता आदि शामिल हैं, जो भक्त को अलौकिक प्रेम की ओर ले जाते हैं।
8.
सूफी कुल मिलाकर प्रेम, सेवा, सहिष्णुता, सद्भाव, और ईश्वर की खोज की दिशा में मानवता
को प्रेरित करता है।
इस
प्रकार सूफीवाद धार्मिक आडम्बर से ऊपर उठकर ईश्वर के सान्निध्य और प्रेम को केंद्र
में रखता है, जो इसे एक शांति, प्रेम और आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित मार्ग बनाता है।
4. विजयनगर साम्राज्य के सामाजिक जीवन का वर्णन
करें।
उत्तर- विजयनगर साम्राज्य का सामाजिक
जीवन बहुत ही विविध, जटिल और संगठित था। यह समाज चार मुख्य वर्णों—ब्राह्मण, क्षत्रिय,
वैश्य और शूद्र—पर
आधारित था, जो वैदिक परंपराओं से प्रभावित था। ब्राह्मण वर्ग धार्मिक और शैक्षिक कार्यों
में लगा था और मंदिरों के पुजारी होते थे। क्षत्रिय वर्ग सैनिक और प्रशासनिक गतिविधियों
में संलग्न रहा, जबकि वैश्य व्यापार और कृषि में सक्रिय थे। शूद्र वर्ग मुख्यतः शारीरिक
श्रम और सेवा कार्य करता था।
धार्मिक
सहिष्णुता विजयनगर साम्राज्य का विशेष गुण था। शासक वैष्णव मत को अपनाए थे, पर शैव,
जैन, बौद्ध आदि अन्य धर्मों की सह-अस्तित्व की अनुमति थी। मंदिरों का सामाजिक और आर्थिक
जीवन में महत्वपूर्ण स्थान था; ये न केवल पूजा के केंद्र थे बल्कि आर्थिक गतिविधियों
के केंद्र भी थे, जिनका प्रभाव विशाल था। देवदासी समाज में उच्च सम्मान प्राप्त थीं
और उनके पास भूमि दान व सेविकाएं होती थीं।
समाज
में कई प्रचलित प्रथाएं थीं जैसे बहुपत्नी प्रथा, बाल-विवाह और सती प्रथा। दहेज प्रथा
भी व्यापक थी। महिलाओं का कुछ हद तक सम्मान था, वे कुछ क्षेत्रों में सक्रीय भी थीं,
जैसे कुश्ती, ज्योतिष और लेखाशास्त्र। आम लोगों का जीवन सरल था और भोजन में बड़े प्रतिबंध
नहीं थे, मांसाहार भी सामान्य था।
विजयनगर
के समाज में छुआछूत भी थी, कुछ समूहों को अस्पृश्य माना जाता था। गुलामी भी प्रचलित
थी, जैसे कि कर्ज चुकाने में असमर्थ लोग ऋणदाता की संपत्ति बन जाते थे।
इस
प्रकार, विजयनगर साम्राज्य का सामाजिक जीवन धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक वर्ण व्यवस्था,
सांस्कृतिक समृद्धि, और सामाजिक प्रथाओं के मिश्रण का परिचायक था, जिसने दक्षिण भारत
की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को विकसित किया।
5. 1857 के विद्रोह की असफलता के कारणों पर
प्रकाश डालें ।
उत्तर- 1857 के विद्रोह में विद्रोहियों
को आरंभिक सफलता तो मिली, परंतु शीघ्र ही वे पराजित होने लगे। दिल्ली, कानपुर, लखनऊ,
झाँसी, कालपी और अन्य स्थानों पर अँगरेजों ने कब्जा जमा लिया। दिसंबर 1858 तक विद्रोह
को पूरी तरह दबा दिया गया। इस तरह विद्रोह असफल हो गया जिसके कारण इस प्रकार है-
(i)
योग्य नेतृत्व का अभाव विद्रोह मुगल बादशाह
- बहादुरशाह के नेतृत्व में हुआ, परंतु उसमें नेतृत्व करने की क्षमता नहीं थी। विद्रोह
के अन्य नेताओं में भी आपसी तालमेल नहीं था, वे एक साथ योजना बनाकर युद्ध नहीं करते
थे तथा उनमें कुशल सेनापति के गुणों का अभाव था। अतः वे अँगरेज सेनापतियों का सामना
नहीं कर सके।
(ii)
समय से पूर्व विद्रोह आरंभ- बिना किसी निश्चित योजना
के निर्धारित समय के पूर्व ही विद्रोह शुरू हो गया। इससे विद्रोह योजनाबद्ध रूप से
नहीं हो सका। एक अंग्रेज इतिहासकार ने लिखा कि "यदि पूर्व निश्चय के अनुसार एक
तारीख को सारे भारत मैं स्वाधीनता का युद्ध शुरू होता तो भारत में एक भी अंग्रेज जीवित
न बचता।”
(iii)
विद्रोह का अनुपयुक्त समय- विद्रोह का समय क्रांतिकारियों
के लिए अनुपयुक्त था। उस समय तक लगभग पूरा भारत अँगरेजी सत्ता के अधीन हो चुका था।
अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति भी अँगरेजों के अनुकूल थी। अतः, अंग्रेजों ने अपनी सारी शक्ति
विद्रोह के दमन में लगा दी।
(iv)
विद्रोह का निश्चित उद्देश्य नहीं- विद्रोह में भाग लेनेवाले
नायकों का एकसमान उद्देश्य नहीं था। अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे
इसमें भाग ले रहे थे। यह निश्चित नहीं किया गया था कि क्रांति की सफलता के बाद क्या
व्यवस्था होगी। अतः, विद्रोही पूरे मनोयोग से विद्रोह में भाग नहीं ले सके।
(v)
संगठन एवं योजना का अभाव- विद्रोहियों में संगठनात्मक
दुर्बलता थी। विभिन्न क्षेत्रों के क्रांतिकारी एवं उनके नेता अपनी-अपनी योजनानुसार
अलग- अलग कार्य करते रहे। इसके विपरीत अँगरेजों ने योजनाबद्ध रूप से विद्रोह का दमन
किया।
(vi)
विद्रोहियों के सीमित साधन- अँगरेजों की तुलना में विद्रोहियों
के साधन अत्यंत सीमित थे। उनके पास पर्याप्त धन, रसद, गोला-बारूद और प्रशिक्षित सैनिकों
का सर्वथा अभाव था। उनके पास आवागमन के साधनों एवं गुप्तचर व्यवस्था का भी अभाव था।
(vii)
विद्रोह का सीमित स्वरूप- विद्रोह के स्थानीय एवं सीमित
स्वरूप ने भी इसकी विफलता में योगदान दिया। क्रांति का केंद्रबिंदु उत्तरी और मध्य
भारत के कुछ भाग ही थे। बंगाल, पूर्वोत्तर भारत, पंजाब, कश्मीर, उड़ीसा, पश्चिम और
दक्षिण भारत में इसका व्यापक प्रभाव नहीं था। दिल्ली को केंद्र बनाने से विद्रोह उतना
अधिक नहीं फैल सका जितना फैल सकता था। फलतः विद्रोहों की अत्यधिक, स्थानबद्ध प्रकृति
के कारण अँगरेज उनसे एक-एक कर निबटने में कामयाब रहे।
6. भारत छोड़ो आंदोलन पर एक संक्षिप्त नोट
लिखें ।
उत्तर- भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में 1942 ई. के भारत
छोड़ों आन्दोलन का अपना अलग महत्व है। इसे इतिहास में अगस्त क्रान्ति के नाम से भी
जानते है। 1857 ई. के बाद अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों द्वारा किया गया यह दूसरा
सशक्त आन्दोलन था। क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव की असफलता से भारतीयों में निराशा और हतोत्साह
का वातावरण व्याप्त था। फलतः देश में निष्क्रियता आ गयी व जनता भी जापानी हमलों की
ओर से उदासीन हो चली। अतः गाँधीजी ने भारतीय जनता को इस निराशा के माहौल से निकालने
के लिए 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा दिया। 8 अगस्त, 1942 ई. को गाँधीजी ने बम्बई
में अपना प्रसिद्ध प्रस्ताव 'भारत छोड़ो' रखा तथा कांग्रेस कार्यसमिति ने इसे पास कर
दिया। इस बैठक में गाँधीजी ने अपने भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया। लेकिन गाँधीजी
ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि यह लड़ाई खुली और विशुद्ध अहिंसात्मक होगी। लेकिन सरकार
इस आन्दोलन को कुचलने की योजना बहुत पहले ही बना चुकी थी। सरकार से किसी प्रकार की
वार्ता के पूर्व 9 अगस्त की सुबह ही गाँधीजी व काँग्रेस कार्य समिति के सभी सदस्य गिरफ्तार
कर लिये गये। काँग्रेस एक अवैध संस्था घोषित कर दी गयी और इसके स्थानीय एवं राष्ट्रीय
सभी नेताओं को पकड़ना प्रारम्भ कर दिया जिसके फलस्वरूप बड़ी भयंकर प्रतिक्रिया हुई।
सारा देश विद्रोह की अग्नि में जलने लगा। नेताविहीन जनता ने भी हिंसा का रुख अख्तियार
कर लिया। जनता ने अपने आक्रोश को व्यक्त करने के लिए प्रदर्शन, जुलूस, सभा एवं हड़ताल
का सहारा लिया। जब इस शान्ति पूर्ण विरोध को लाठी और गोली के द्वारा बेरहमी से कुचला
गया तो आन्दोलन हिंसात्मक हो गया। क्रोधित जनता ने रेलवे लाइनों को उखाड़ फेंका, टेलीफोन
और टेलिग्राम के तार तोड़ दिये गये तथा थानों, डाकघरों एवं अन्य सरकारी भवनों में आग
लगा दी गयी। ब्रिटिश सरकार ने भी इस आन्दोलन का जवाब क्रूरता एवं दमन से दिया। कई स्थानों
पर मशीनगनों और कहीं-कहीं हवाई जहाज से गोलियाँ बरसायी गयीं। विद्रोह से प्रभावित क्षेत्रों
में सामूहिक जुर्माना किया गया। लगभग 1000 व्यक्ति गोली से मार दिये गये तथा 60 हजार
व्यक्ति गिरफ्तार कर लिये गये गए। इस प्रकार इस विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार
ने कठोर दमनकारी नीति का सहारा लिया। 1942 के अंत तक यह विद्रोह दबा दिया गया।
7. संविधान सभा के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख
करें।
उत्तर- संविधान सभा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे:
1. भारत को एक स्वतंत्र, संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और
लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना।
2. सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, पूजा, व्यवसाय की स्वतंत्रता तथा अवसर की समानता
सुनिश्चित करना।
3. राष्ट्र की एकता, अखंडता और बन्धुता बढ़ाना।
4. अल्पसंख्यकों, पिछड़े, आदिवासी, दलित और अन्य वंचित
वर्गों के अधिकारों और हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
5. संविधान के माध्यम से लोगों को कानून के समक्ष समानता
दिलाना और व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करना।
6. संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण सुनिश्चित
करना।
7. विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए योगदान करना।
यह उद्देश्य प्रस्ताव पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 13
दिसंबर 1946 को संविधान सभा में पेश किया गया था और 22 जनवरी 1947 को इसे
सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। यह भारतीय संविधान की प्रस्तावना और उसके
दर्शन का आधार है ।
8. स्थायी बंदोबस्त के क्या प्रभाव थे।
उत्तर- स्थायी बंदोबस्त, भूमि राजस्व से जुड़ी एक प्रणाली थी। यह प्रणाली
साल 1793 में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने शुरू की थी। इसे जमींदारी
व्यवस्था या इस्तमरारी व्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
प्रभाव निम्न
हैं -
1.
इस प्रणाली के तहत, ज़मींदारों को ज़मीन का स्वामी माना गया।
2.
ज़मींदारों को ज़मीन का उत्तराधिकार वंशानुगत रूप से मिला।
3.
ज़मींदारों को ज़मीन बेचने या हस्तांतरित करने का अधिकार था।
4.
ज़मींदारों को काश्तकारों को पट्टा देना होता था. इस पट्टे में ज़मीन का क्षेत्रफल
और किराया लिखा होता था।
5.
ज़मींदारों को एक निश्चित राशि का राजस्व चुकाना होता था. यह राशि, ज़मींदार द्वारा
वसूले गए कुल राजस्व का 10/11वां हिस्सा थी।
6.
ज़मींदारों को यह वादा किया गया था कि भविष्य में इस राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं की
जाएगी।
7.
अगर ज़मींदार निर्धारित राशि का भुगतान नहीं करते, तो उनकी ज़मीन नीलाम कर दी जाती
थी।
9. हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण का उल्लेख
करें?
उत्तर- हड़प्पा सभ्यता
की पतन के संदर्भ में कोई संतोषजनक प्रमाण नहीं मिला है। लगभग अट्ठारह सौ ईसा
पूर्व के आसपास इस सभ्यता का पतन हो गया। इस सभ्यता के पतन के संदर्भ में विद्वान
एकमत नहीं है फिर भी कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं जिसके द्वारा अनुमान लगाया जाता है
कि हड़प्पा सभ्यता के पतन के निम्नलिखित कारण थे-
A. बाढ़-
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर नदियों के किनारे बसे थे, इन नदियों में
प्रतिवर्ष बाढ़ आती थी। बाढ़ से प्रतिवर्ष क्षति भी होती थी। इस कारण से हड़प्पा
वासी मूल स्थान को छोड़कर अन्य स्थानों पर रहने के लिए विवश हो गए होंगे।
B. महामारी-
मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर कंकालों के परीक्षण के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि
हड़प्पा वासी मलेरिया महामारी जैसे अनेक प्राकृतिक आपदाओं के कारण बीमारियों के
शिकार हो गए और उनके जीवन का अंत हो गया । इस कारण से भी इस सभ्यता का पतन हो गया।
C. जलवायु
परिवर्तन- अनेक विद्वानों का कहना है कि अचानक सिंधु घाटी क्षेत्र
में जलवायु परिवर्तन के कारण यह हरा भरा क्षेत्र जंगल एवं बारिश की कमी के कारण
मरुस्थल के रूप में परिवर्तित हो गया। इस कारण से भी यह सभ्यता नष्ट हो गया।
D. बाह्य
आक्रमण- अनेक विद्वानों का अनुमान है कि बाह्य आक्रमण के कारण इस
सभ्यता का अंत हुआ। संभवत ये बाह्य आक्रमणकारी आर्य रहे होंगे।
उपयुक्त
कारणों के आधार हम कह सकते हैं कि हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया।
10. गौतम बुद्ध की जीवनी एवं शिक्षाओं का उल्लेख
करें?
उत्तर- महात्मा बुद्ध की जीवनी
-
महात्मा
बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता
शुद्धोधन शाक्य कुल के क्षत्रिय वंश के राजा थे जिनकी राजधानी कपिलवस्तु थी बुद्ध के
जन्म के सातवें दिन ही इनकी माता महामाया का देहांत हो गया तथा इनकी मौसी महा प्रजापति
गौतमी ने इनका लालन-पालन किया। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। गौतम बुद्ध
बचपन से ही चिंतनशील थे, उनकी इन गतिविधियों को देखते हुए 16 वर्ष की आयु में गौतम
बुद्ध का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हो गई। उनसे एक पुत्र राहुल भी हुआ। गौतम बुद्ध
की विचारशील प्रवृत्ति को विलासिता से परिपूर्ण वैवाहिक जीवन भी बदल ना सका। गौतम बुद्ध
के जीवन में चार दृश्यों का गहरा प्रभाव पड़ा
1.
एक वृद्ध व्यक्ति
2.
एक रोग ग्रस्त व्यक्ति
3.
एक मृत व्यक्ति
4.
एक सन्यासी
जहां
प्रथम तीन दृश्यों को देखकर दुःखमय जीवन के प्रति गौतम बुद्ध के मन में गहरा आघात पहुंचा
वहीं चौथे दृश्य ने उन्हें दुख निरोध का मार्ग दिखाया।
29
वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने गृह त्याग दिया, गृह त्याग के बाद ज्ञान की खोज में
गौतम बुद्ध ने अलार कलाम एवं रूद्रक रामपुत्र जैसे आचार्य से शिक्षा प्राप्त की। कठोर
तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को बोधगया में निरंजना नदी के किनारे एक पीपल वृक्ष के नीचे
ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ
में दिया। 80 वर्ष की आयु में 483 ई. पू. गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई।
महात्मा
बुद्ध की शिक्षाएं
बौद्ध
धर्म के चार आर्य सत्य
1.
दुःख - गौतम बुद्ध के अनुसार समस्त संसार दुःख से
भरा है यहां जन्म, मरण, वृद्धावस्था अप्रिय का मिलन, प्रिय का वियोग एवं इच्छित वस्तु
का प्राप्त ना होना आदि सभी दुःख है।
2.
दुःख समुदाय- समुदाय का अर्थ है कारण । गौतम बुद्ध
के अनुसार संसार में दुःखों का कोई ना कोई कारण अवश्य है, उन्होंने समस्त दुःखों का
कारण इच्छा बतलाया है।
3.
दुःख निरोध- निरोध का अर्थ है दूर करना । गौतम बुद्ध ने
दु:ख निरोध या दुःख निवारण के लिए इच्छा का उन्मूलन आवश्यक बताया है।
4.
दु:ख निरोध मार्ग- गौतम बुद्ध के अनुसार संसार में प्रिय
लगने वाली वस्तु का त्याग ही दुःख निरोध मार्ग है।
दुःख
का विनाश करने के लिए गौतम बुद्ध ने जिस सिद्धांत का प्रतिपादन किया उसे अष्टांगिक
मार्गे कहा जाता है।
अष्टांगिक
मार्ग गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित दुःख निरोध हेतु आठ मार्ग निम्नलिखित हैं
1.
सम्यक दृष्टि- चार आर्य सत्य की सही परख
2.
सम्यक वाणी - धर्म सम्मत एवं मृदु वाणी का प्रयोग
3.
सम्यक संकल्प- भौतिक वस्तु एवं दुर्भावना का त्याग
4.
सम्यक कर्म - अच्छा काम करना
5.
सम्यक अजीव- सदाचारी जीवन जीते हुए ईमानदारी से जीविका कमाना
6.
सम्यक व्यायाम - शुद्ध विचार ग्रहण करना, एवं अशुद्ध विचारों को त्यागते रहना।
7.
सम्यक स्मृति- अपने कर्मों के प्रति विवेक तथा सावधानी को सदैव स्मरण रखना।
8.
सम्यक समाधि- लोभ, द्वेष, आलस, बीमारी एवं अनिश्चय की स्थिति से दूर रहने का उपाय करना
ही सम्यक समाधि है।
11. भक्ति आंदोलन के महत्व एवं प्रभावों की
समीक्षा करें।
उत्तर- मध्यकालीन भारत के कई सामाजिक और धार्मिक विचारकों ने सामाजिक
और धार्मिक जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से भक्ति को साधन बनाकर एक आन्दोलन प्रारम्भ
किया जिसे मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन के नाम से जाना गया।
भक्ति आन्दोलन के प्रणेता ईश्वर की एकता (एकेश्वरवाद) पर
बल देते थे। वे कर्मकाण्ड एवं आडम्बरों को मिथ्या बताते हैं। उन्होंने समाज में फैली
अस्पृश्यता का विरोध किया और जाति-पाँति के भेदभाव को त्यागने पर बल दिया। प्रत्येक
प्रकार की सामाजिक कुरीति का विरोध कर चरित्र की शुद्धता पर बल दिया। भक्ति आन्दोलन
के संतों ने स्थानीय भाषा में गीत गाये एवं पदों का सृजन किया जिससे प्रांतीय भाषा
एवं साहित्य का विकास हुआ। जनता में भाई चारे एवं सहष्णुता की भावना का विकास हुआ।
हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य में कमी आयी। सामाजिक कुरीतियों एवं अन्धविश्वासों पर प्रहार
किया। जिससे हिन्दुओं के आत्मबल में वृद्धि हुई और निम्न वर्ग को भी सम्बल मिला। आम
जनता की संकीर्ण मानसिकता का अन्त हुआ एवं उसका दृष्टिकोण व्यापक हुआ।
12. कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के महानतम
शासक थे, कैसे ।
उत्तर- कृष्णदेव राय को विजयनगर का महानतम शासक इसलिए माना जाता
है क्योंकि उन्होंने शक्ति, समृद्धि, संस्कृति और प्रशासन—चारों आयामों पर साम्राज्य
को चरम पर पहुँचाया। उनके समय को दक्षिण भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है।
A. सैन्य विजय और सीमा-विस्तार-
• रायचूर दोआब, बीजापुर, उदयगिरि और उड़ीसा पर विजयों ने
साम्राज्य को दक्कन में सर्वाधिक शक्तिशाली बनाया।
• बहमनी उत्तराधिकारी राज्यों और विद्रोही नायकों को परास्त
कर आंतरिक-सुरक्षा और बाह्य-प्रतिष्ठा दोनों स्थापित की।
B. सक्षम प्रशासन और लोककल्याण
• नायकर-प्रणाली व राजस्व व्यवस्था को सुदृढ़ कर कानून-व्यवस्था
व राज्य-आय को स्थिर किया।
• सिंचाई के लिए बाँध, तालाब और नहरें बनवाकर कृषि उत्पादकता
व ग्रामीण समृद्धि बढ़ाई।
C. अर्थव्यवस्था और व्यापार
• समुद्री और घोड़ों के आयात जैसे रणनीतिक व्यापारों के माध्यम
से विदेशी संपर्क और आंतरिक बाजारों को बढ़ावा दिया।
• पश्चिमी तट पर यूरोपीय शक्तियों से व्यावहारिक संबंध रखकर
व्यापार-सुरक्षा और राजस्व सुनिश्चित किया।
E.
सांस्कृतिक-आभूषण और साहित्य
• मंदिर, गोपुरम, महल और शहरी बुनियादी ढाँचे के निर्माण
से विजयनगर स्थापत्य शैली को उत्कर्ष मिला।
• स्वयं तेलुगु काव्य ‘अमुक्तमाल्यदा’ के रचनाकार और दरबारी
विद्वानों के संरक्षक होकर साहित्य-कला को नई ऊँचाई दी। [6][7]
F. अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा
• समकालीन विदेशी यात्रियों के वर्णनों में विजयनगर को वैभव,
अनुशासन और समृद्धि का आदर्श नगर-राज्य बताया गया, जिससे उनकी व्यक्तिगत नेतृत्व-प्रतिष्ठा
और साम्राज्य की छवि सुदृढ़ हुई। [6][8]
संक्षेप में, व्यापक विजयों, दूरदर्शी प्रशासन, समृद्ध अर्थव्यवस्था
और अद्वितीय सांस्कृतिक संरक्षण के समन्वय ने कृष्णदेव राय को विजयनगर का सर्वश्रेष्ठ
शासक प्रतिष्ठित किया।
13. स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं
के बारे में लिखे ।
उत्तर- स्थायी बंदोबस्त, भूमि राजस्व
से जुड़ी एक प्रणाली थी। यह
प्रणाली साल 1793 में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने शुरू की थी। इसे जमींदारी व्यवस्था या इस्तमरारी
व्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी
विशेषता निम्न हैं -
1.
इस प्रणाली के तहत, ज़मींदारों को ज़मीन का स्वामी माना गया।
2.
ज़मींदारों को ज़मीन का उत्तराधिकार वंशानुगत रूप से मिला।
3.
ज़मींदारों को ज़मीन बेचने या हस्तांतरित करने का अधिकार था।
4.
ज़मींदारों को काश्तकारों को पट्टा देना होता था. इस पट्टे में ज़मीन का क्षेत्रफल
और किराया लिखा होता था।
5.
ज़मींदारों को एक निश्चित राशि का राजस्व चुकाना होता था. यह राशि, ज़मींदार द्वारा
वसूले गए कुल राजस्व का 10/11वां हिस्सा थी।
6.
ज़मींदारों को यह वादा किया गया था कि भविष्य में इस राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं की
जाएगी।
7.
अगर ज़मींदार निर्धारित राशि का भुगतान नहीं करते, तो उनकी ज़मीन नीलाम कर दी जाती
थी।
14. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी
की भूमिका का सविस्तार वर्णन करें।
उत्तर-गाँधीजी को विश्व स्तर पर भारत
के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख वास्तुकार माना जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय
आंदोलन की दिशा को एक नया मोड़ दिया। गाँधीजी केवल एक राजनीतिक संघर्ष के पथप्रदर्शक
नहीं थे, बल्कि उन्होंने हिंसा के युग में अहिंसा जैसी नई तकनीक का आविष्कार किया।
गाँधीजी ने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस को
सही मायने में जनाधार वाला संगठन बनाया। उन्होंने निम्नलिखित तरीकों को अपनाकर राष्ट्रीय
आंदोलन में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई-
(1) अहिंसक प्रतिरोध-गाँधीजी ने सत्याग्रह
को स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति के रूप में अपनाया और इसका प्रयोग ब्रिटिश शासन के
खिलाफ विरोध प्रदर्शन में किया। वे सत्य को ही ईश्वर मानते थे। उनके अनुसार सत्याग्रह
आत्मबल है जिससे विरोधी मन को परिवर्तित किया जा सकता है।
(2) राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा-गाँधीजी
ने अपनी विचारधारा और नेतृत्व के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत किया, जिससे
भारतीयों को एक साथ आने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
(3) प्रमुख आंदोलन - उन्होंने विभिन्न
आंदोलनों का नेतृत्व किया जैसे असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, चंपारण सत्याग्रह, भारत
छोड़ो आंदोलन आदि जिससे भारत की स्वतंत्रता के लिए एक मजबूत और व्यापक आधार मिला।
(4) सांप्रदायिक सद्भाव- गाँधीजी ने
हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास प्रयास
किए, जो कि राष्ट्रीय आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने जिन्ना के "Two
Nation Theory" को कभी सहमति नहीं दी। उन्होंने भारत विभाजन का अंतिम समय तक विरोध
किया।
(5) स्वदेशी, खादी और चरखा गाँधीजी
स्वदेशी के कट्टर समर्थक थे। चरखा तो राष्ट्रीयता का प्रतीक बन गया। खादी के वस्त्रों
के प्रयोग को उन्होंने धर्म माना जिसके बने वस्त्र स्वदेशी एवं हस्तनिर्मित थे, जिनसे
गरीबों का पेट भरता था। विदेशी वस्त्रों के प्रयोग को वह अधर्म मानते थे।
15. किताब उल हिंद पर एक लेख लिखे ?
उत्तर- "किताब-उल-हिन्द" पुस्तक
की रचना अलबरूनी ने सुल्तान महमूद गजनवी के शासकाल की थी। अलबरूनी ने इस पुस्तक की
रचना अरबी भाषा में की थी। यह पुस्तक 80 अध्यायो और अनेक उप अध्यायों में विभक्त है। इस पुस्तक से
महमूद गजनवी के आक्रमण के समय के भारतीय समाज एवं संस्कृति की महत्वपूर्ण जानकारी
मिलती है। अलबरूनी अपनी पुस्तक में भारतीय समाज रहन सहन, खानपान, वेश-भूषा
सामाजिक प्रथाओं,
त्योहार धर्म,
दर्शन कानून,
अपराध, दंड, ज्ञान -
विज्ञान, खगोलशास्त्र, गणित, चिकित्सा, रसायन दर्शन
आदि का वर्णन करते हैं। वे भारत में प्रचलित विभिन्न संवतो, यहाँ की
भौगोलिक स्थिति,
महत्वपूर्ण नगरों और उनकी दूरी का भी उल्लेख करते है। चूँकि यह पुस्तक महमूद
गजनवी के शासनकाल में लिखी गई,
परंतु इसमें महमूद गजनवी के क्रियाकलापो का यदा-कदा ही उल्लेख मिलता है इस
पुस्तक 'से
तत्कालीन राजनीतिक इतिहास के अध्ययन में बहुत अधिक सहायता नहीं मिलती है, परंतु भारतीय
समाज और संस्कृति के अध्ययन के लिए किताब - उल - हिन्द अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक
है।
16. मनुस्मृति में वर्णित चांडालो का वर्णन
करें।
उत्तर- मनुस्मृति में चांडालों का वर्णन किया गया है और इनके
कर्तव्य भी निर्धारित किए गए थे। चांडालों को समाज में सबसे निचले स्थान पर रखा
गया था। मनुस्मृति के अनुसार, चांडालों को गांव के बाहर रहना पड़ता था, क्योंकि
उनका स्पर्श और उन्हें देखना भी उच्च वर्णों में प्रदूषण माना जाता था। वे दिन में
नौकरियों या फेंके गए बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। चांडाल मरे हुए लोगों के
वस्त्र और लोहे के आभूषण पहनते थे। इसके अलावा, उन्हें रात में गांव और नगरों में
घूमने की अनुमति नहीं थी। उनकी जिम्मेदारी में उन मृतकों का अंतिम संस्कार करना भी
था जिनके कोई रिश्तेदार नहीं होते थे, और वे जल्लाद के रूप में भी कार्य करते थे।
यह सामाजिक व्यवस्था उन्हें समाज से अलग और अछूत मानती थी।
इस प्रकार, चांडाल एक विशिष्ट निम्न वर्ग था जिनके कर्तव्य
और जीवन के नियम मनुस्मृति में स्पष्ट रूप से उल्लेखित हैं।
17. त्रिपिटक के बारे में आप क्या जानते हैं।
उत्तर- त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ
है तीन टोकरियां । बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं का संकलन
तीन पिटकों सुत्तपिटक, विनय पिटक एवं अभिधम्म पिटक में किया, इन्हें ही संयुक्त रूप
से त्रिपिटक कहा जाता है।
सुत्तपिटक
में बौद्ध धर्म के सिद्धांत दिए गए हैं। विनय पिटक में बौद्ध धर्म के आचार विचार एवं
नियम मिलते हैं। अभिधम्मपिटक में बुद्ध के दर्शन मिलते हैं।
18. बे-शरा और बा शरा मे क्या अंतर है?।
उत्तर- बे-शरा
और बा शरा मे अंतर -
1. बा-शरिया
सिलसिले शरिया का पालन करते थे,
किंतु बे-शरिया,
शरिया में बंधे हुए नहीं थे।
2. बा-
शरिया सूफी संत खानकाहो में रहते थे। खानकाह एक पारसी शब्द है जिसका अर्थ है-
आश्रम । खानकाह पीर (सूफी संत अर्थात गुरु) अपने मुरीदो अर्थात शिष्यों के साथ
रहता था । खानकाह का नियंत्रण शेख, पीर अथवा मुरीद के हाथ में होता था ।
3. बे-शरिया सूफी
संत खानकाह का तिरस्कार करके रहस्यवादी एवं फकीर की जिंदगी व्यतीत करते, उन्हें कलंदर
मदारी मलंग हैदरी आदि नामों से जाना जाता था।
4. बा-शरिया सूफी
संत गरीबी का जीवन व्यतीत करने में विश्वास नहीं करते थे। उनमें से अनेक से सल्तनत
की राजनीति में भाग लिया और सुल्तानों एवं अमीरों से मेल-जोल स्थापित किया। ऐसे
सूफी संत कभी- कभी दरबारी पद भी स्वीकार कर लेते थे।
19. सुलह ए कुल की नीति को स्पष्ट करें।
उत्तर- अकबर ने अपने
विशाल साम्राज्य में एकता एवं शांति स्थापित करने के लिए सुलह-ए-कुल की नीति अपनाई
थी। अकबर ने अपने सभी अधिकारियों को प्रशासन में सुलह ए कुल की नीति अपनाने का
निर्देश दिए थे और साम्राज्य के सभी संप्रदाय के लोगों के साथ आपसी भाईचारे एवं
प्रेम भाव का व्यवहार करने का आदेश दिया था ।
20. सूर्यास्त कानून से आप क्या समझते है।
उत्तर- 1793 के स्थायी बंदोबस्त
अधिनियम का एक प्रावधान, जिसे सूर्यास्त खंड भी कहा जाता है। इस खंड के अनुसार, ज़मींदारों
(ज़मींदारों) को सूर्यास्त (दिन के अंत) से पहले औपनिवेशिक सरकार को निश्चित राजस्व
का भुगतान करना अनिवार्य था। ऐसा न करने पर उनकी ज़मीन और उनके अधिकार ज़ब्त कर लिए
जाते थे।
21.1857 के विद्रोह का तात्कालीन कारण क्या
थी?
उत्तर- यह अफवाह फैल रही थी कि बाजार में ऐसा आटा एवं शक्कर मिल
रहे हैं जिसमें सुअर व गाय की हड्डियों एवं खून का चूरा मिलाया गया है। इससे
सर्वत्र असंतोष व्याप्त था। इसी बीच चर्बी वाले कारतूस 1857 की क्रांति का
तात्कालिक कारण बने। 1856 ई. में ब्रिटिश सरकार ने लोहे की पुरानी बन्दूक्ब्राउन
बैस (Brown Bess) के स्थान पर नवीन एनफील्ड रायफल (New Enfield Rifle) सैनिकों को
प्रयोगार्थ दीं। इसके कारतूस पर चिकना कागज लगा था। इस कारतूस को बन्दूक में
प्रयोग करने से पहले इस कागज को दाँतों से काटकर खोलना पड़ता था। जनवरी 1857 ई.
में बंगाल सेना में यह अफवाह फैल गयी कि इन कारतूसों के मुँह पर गाय व सुअर की
चर्बी लगाई गई है।
22. खिलाफत आंदोलन क्या था?
उत्तर- ख़िलाफ़त आंदोलन
(1919-1920) मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आंदोलन
था।
तुर्की
के सुल्तान को मुस्लिम संसार के खलीफा अर्थात् धार्मिक प्रमुख का पद प्राप्त था। प्रथम
विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन ने यह घोषणा की कि युद्ध के बाद तुर्की का विभाजन तथा
खलीफा के पदे को समाप्त कर दिया जाएगा।
ब्रिटेन
की इस घोषणा से भारतीय मुसलमानों को ठेस पहुँचा। अतः उन्होंने ब्रिटेन के खिलाफ आंदोलन
चलाने का निश्चय किया जो खिलाफत आंदोलन के रूप में सामने आया। चूँकि यह खलीफा पद के
संरक्षण के पक्ष में किया गया आंदोलन था। अतः इसे खिलाफत आंदोलन कहा गया।
कांग्रेस
ने इस आंदोलन का समर्थन किया और गाँधी जी ने इसे असहयोग आंदोलन के साथ विलय करा लिया।
23. स्थायी बंदोबस्त क्या था। इसकी विशेषता
क्या थी ?
उत्तर- स्थायी बंदोबस्त, भूमि राजस्व
से जुड़ी एक प्रणाली थी। यह
प्रणाली साल 1793 में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने शुरू की थी। इसे जमींदारी व्यवस्था या इस्तमरारी
व्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी
विशेषता निम्न हैं -
1.
इस प्रणाली के तहत, ज़मींदारों को ज़मीन का स्वामी माना गया।
2.
ज़मींदारों को ज़मीन का उत्तराधिकार वंशानुगत रूप से मिला।
3.
ज़मींदारों को ज़मीन बेचने या हस्तांतरित करने का अधिकार था।
4.
ज़मींदारों को काश्तकारों को पट्टा देना होता था. इस पट्टे में ज़मीन का क्षेत्रफल
और किराया लिखा होता था।
5.
ज़मींदारों को एक निश्चित राशि का राजस्व चुकाना होता था. यह राशि, ज़मींदार द्वारा
वसूले गए कुल राजस्व का 10/11वां हिस्सा थी।
6.
ज़मींदारों को यह वादा किया गया था कि भविष्य में इस राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं की
जाएगी।
7.
अगर ज़मींदार निर्धारित राशि का भुगतान नहीं करते, तो उनकी ज़मीन नीलाम कर दी जाती
थी।
24. कलिंग युद्ध का अशोक क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर - अशोक
के 13 वें शिलालेख से पता चलता है कि कलिंग युद्ध 261 ई० पूर्व में हुआ था। इस युद्ध
में 1.5 लाख लोग बन्दी बनाये गये तथा एक लाख लोग मारे गयें। कलिंग युद्ध का अशोक पर
निम्न प्रभाव पड-
I. कलिंग युद्ध के विनाश को देखकर अशोक इतना विचलित हो गया कि
उसने सदा के लिए युद्ध के मार्ग को त्याग दिया।
II. उसने कभी भी शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा की और बौद्ध धर्म
को अपना लिया।
III. वह विश्व विजय के मार्ग को त्याग कर धर्म विजय के मार्ग
को अपना लिया।
25. महाभारत के महत्व पर प्रकाश डाले ?
उत्तर- महाभारत भारतीय संस्कृति
का एक ऐसा महाकाव्य है जिसने सदियों से लोगों को प्रभावित किया है। यह सिर्फ एक कहानी
नहीं है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं पर एक गहरा चिंतन है।
1.
भारतीय संस्कृति का आधार:
a.
धर्म और दर्शन: महाभारत में हिंदू धर्म के विभिन्न पक्षों,
दर्शनों और सिद्धांतों का गहराई से वर्णन मिलता है। भगवद् गीता, जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण
भाग है, जीवन के अर्थ, कर्म, मोक्ष आदि पर गहन विचार प्रस्तुत करती है।
b.
इतिहास और पौराणिक कथाएं: महाभारत प्राचीन भारत के इतिहास
और पौराणिक कथाओं का एक विशाल संग्रह है। इसमें कई राजाओं, देवताओं और दानवों की कहानियां
मिलती हैं।
c.
समाज और संस्कृति: महाभारत में प्राचीन भारतीय
समाज की संरचना, रीति-रिवाज, और सामाजिक मूल्यों का वर्णन मिलता है।
2.
जीवन के सार्वभौमिक सत्य:
a.
नैतिक मूल्य: महाभारत में धर्म, न्याय, सत्य, और करुणा
जैसे नैतिक मूल्यों पर बल दिया गया है। ये मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं।
b.
मानव स्वभाव: महाभारत में मानव स्वभाव के विभिन्न पहलुओं
जैसे लोभ, क्रोध, ईर्ष्या, और प्रेम का चित्रण किया गया है।
c.
जीवन के उतार-चढ़ाव: महाभारत में जीवन के विभिन्न
चरणों और चुनौतियों का वर्णन मिलता है। यह हमें जीवन के उतार-चढ़ावों से निपटने का
मार्ग दिखाता है।
3.
साहित्यिक महानता:
a.
विशालता: महाभारत दुनिया का सबसे लंबा महाकाव्य है। इसमें
लाखों श्लोक हैं।
b.
कलात्मकता: महाभारत की भाषा, शैली, और वर्णन अत्यंत प्रभावशाली
हैं।
c.
विविधता: महाभारत में विभिन्न प्रकार की कविताएं, कहानियां,
और उपदेश मिलते हैं।
4.
समाज और संस्कृति पर प्रभाव:
a.
कला और संस्कृति: महाभारत की कहानियों को नाटकों, फिल्मों,
और अन्य कला रूपों में रूपांतरित किया गया है।
b.
शिक्षा: महाभारत को भारतीय शिक्षा का एक महत्वपूर्ण
हिस्सा माना जाता है।
c.
आध्यात्मिकता: महाभारत ने कई लोगों को आध्यात्मिक मार्ग
पर चलने के लिए प्रेरित किया है।
26. श्वेतांबर और दिगंबर मे क्या अंतर है?
उत्तर- - दिगंबर और श्वेतांबर, जैन धर्म
की दो प्रमुख शाखाएं हैं। इन
दोनों शाखाओं के बीच मुख्य अंतर ये हैं:
1.
दिगंबर साधु-मुनि हमेशा नग्न रहते हैं, जबकि श्वेतांबर साधु-मुनि सफ़ेद वस्त्र पहनते
हैं।
2.
दिगंबर मानते हैं कि मोक्ष प्राप्ति के लिए नग्नता एक शर्त है. वहीं, श्वेतांबर पूर्ण
नग्नता में विश्वास नहीं करते।
3.
संस्कृत शब्द दिगंबर का अर्थ है "दिशा ही जिसका अंबर अर्थात् वस्त्र"।
4.
श्वेतांबर साधुओं को स्थलबाहु और उनके अनुयायियों के नाम से भी जाना जाता है।
5.
दिगंबर साधुओं को भद्रबाहु और उनके अनुयायियों के नाम से भी जाना जाता है।
6.
श्वेतांबर साधु सूर्यास्त से पहले ही खाना खा लेते हैं. वहीं, दिगंबर साधु कठिन साधना
करते हैं और दिन में केवल एक ही बार खाना खाते हैं।
7.
श्वेतांबर दो पन्थों में विभाजित हैं-मूर्तिपूजक और स्थानकवासी।
8.
जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को दोनों ही सम्प्रदाय समान रूप से मानते हैं।
27. भक्ति आंदोलन की प्रमुख विशेषताएं क्या
है?
उत्तर-
भक्ति आंदोलन गुरु की श्रेष्ठता और हिंदू मुस्लिम एकता पर
विशेष बल दिया। भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक अनेक सामाजिक कुरीतियां मूर्ति पूजा एवं
जाति भेद की भावनाओं का विरोध करते थे। ऐसी स्थिति में विचार को एवं संतों ने
हिंदू धर्म की कुरीतियों को दूर करने के लिए एक अभियान प्रारंभ किया जिसे भक्ति
आंदोलन कहते हैं। इन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1.
एक ईश्वर में आस्था- एक ईश्वर है वह सर्वशक्तिमान है।
2. बाह्य आडंबरओं का विरोध- भक्ति आंदोलन के संतों ने कर्मकांड का खंडन किया। सच्ची
भक्ति से मोक्ष ईश्वर की प्राप्ति होती है।
3. सन्यास का विरोध- भक्ति आंदोलन के अनुसार यदि सच्ची भक्ति ईश्वर में है तो
गृहस्थ में ही मोक्ष मिल सकता है।
4. वर्ण व्यवस्था का विरोध- भक्ति आंदोलन के प्रवर्तको ने वर्ण व्यवस्था का विरोध
किया है ईश्वर के अनुसार सभी एक हैं।
5.
मानव सेवा पर बल - भक्ति आंदोलन के समर्थकों ने यह माना कि मानव सेवा
सर्वपरी है इससे मुक्ति मिल सकता है।
6.
हिंदू-मुस्लिम एकता का
प्रयास- भक्ति आंदोलन के
द्वारा सतो ने लोगों को यह समझाया कि राम रहीम में कोई अंतर नहीं है।
7.
स्थानीय भाषाओं में
उपदेश- संतो ने अपना उपदेश
स्थानीय भाषाओं में दिया। भक्तों ने इसे सरलता से ग्रहण किया।
8.
गुरु के महत्व में
वृद्धि- भक्ति आंदोलन के
संतों ने गुरु एवं शिक्षक के महत्व पर बल दिया। गुरु ही ईश्वर के रहस्य को सुलझाने
एवं मोक्ष प्राप्ति प्राप्ति में सहायक होता है। समर्पण की भावना से सत्य का
साक्षात्कार एवं मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
9. समानता की भावना- ईश्वर के समक्ष सब लोग सामान है। ईश्वर सत्य है। सभी जगह
विद्यमान है। उसमें भेदभाव नहीं है। यही भक्ति मार्ग का सही रास्ता है।
28. विजयनगर की जल आवश्यकताओं को किस प्रकार
पूरा किया जाता था?
उत्तर- विजय नगर की जल
आवश्यकताओं को मुख्य रूप में तुंगभद्रा नदी से निकलने वाली धाराओं पर बांध बनाकर
पूरा किया जाता था। यह नदी उत्तर- पूर्व दिशा में बहती है। विजयनगर की पहाड़ियों
से कई जलधाराएं आकर तुंगभद्रा नदी से मिलती है। इन धाराओं में बांध बनाकर अलग- अलग
आकार के हौजों का निर्माण किया जाता था। इन हौज के पानी से ना केवल आसपास के खेतों
को सिंचा जा सकता था बल्कि इसे एक नहर के माध्यम से राजधानी तक भी ले जाया जाता
था।
कमलपुरम
जलाशय नामक हौज सबसे महत्वपूर्ण हौज था। तत्कालीन समय के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जल
संबंधी संरचनाओं में से एक हिरिया नहर को आज भी देखा जा सकता है इस नहर में
तुंगभद्रा पर बने बांध से पानी लाया जाता था और इस धार्मिक केंद्र से शहरी केंद्र
को अलग करने वाली घाटी को सिंचित करने में प्रयोग किया जाता था। संभवतः इसका
निर्माण संगम वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था।
इसके
अलावा झील, कुएं, बरसात के पानी
वाले जलाशय तथा मंदिरों के जलाशय से सामान्य नगर वासियों के लिए पानी की
आवश्यकताओं को पूरा करते थे।
29. इतिवृत से आप क्या समझते है? इसका मुख्य
उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
इतिवृत्त मुख्य रूप से मुगल काल में लिखे गये दस्तावेज थे। ये दस्तावेज प्रमुख रूप
से मुगल बादशाहों द्वारा लिखवाये जाते थे।
मुगल
बादशाहों द्वारा तैयार कराए गए इतिवृत्त साम्राज्य और उसके दरबार के अध्ययन के
महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
इतिवृत्तों
की रचना के मुख्य उद्देश्य-
1. शासक
की भावी पीढ़ी को शासन की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाना।
2. मुगल
शासकों के विरोधियों को चेतावनी देना तथा यह बताना कि विद्रोह का परिणाम असफलता
है। इतिवृत्तों के लेखक मुख्यतः दरबारी होते थे इतिवृत्तों के मुख्य विषय थे
शासनकाल की घटनाएँ,
शासक का परिवार,
दरबार तथा अभिजात्यवर्ग,
युद्ध आदि ।
30.1857 के विद्रोह में अफवाहो की क्या भूमिका
थी?
उत्तर- 1857 के विद्रोह में अफवाहों ने महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई थी जो इस प्रकार है-
(क) 1857 की सबसे महत्वपूर्ण अफवाह यह थी कि
एनफील्ड राइफल की कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी।
(ख) ऐसी अफवाह फैली की कंपनी सरकार हिंदू- मुसलमानों
की जाति और धर्म को नष्ट करने का षड्यंत्र कर रही है और इसके लिए सरकार ने आटा में
गाय और सुअर की हड्डियों का मिश्रण किया है
(ग) यह अफवाह फैल चुकी थी कि 23 जून 1857 को
कंपनी शासन के 100 वर्ष पूरे होते ही अंग्रेजों की सत्ता समाप्त हो जाएगी। और इसका
जनमानस पर गहरा प्रभाव पड़ा।
खण्ड -D दीर्घ उतरीय प्रश्न :
किन्ही 6 प्रश्नों के उत्तर दे। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर
अधिकतम 150 शब्दों में दें।
1. मौर्य साम्राज्य के इतिहास के प्रमुख स्रोतों
का वर्णन करें।
उत्तर-प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों को प्रमुखतः तीन
भागों में विभाजित किया गया है-
(1) साहित्यिक स्रोत (2) पुरातात्विक
स्रोत (3) विदेशी यात्रियों के विवरण।
(1) साहित्यिक स्त्रोत- साहित्यिक स्रोतों
को भी दो भागों में बाँटा गया है-
(क) धार्मिक साहित्य
(ख) लौकिक साहित्य या धर्मेतर साहित्य।
(2) पुरातात्विक स्त्रोत- प्राचीन भारतीय
इतिहास की जानकारी के प्रमाणिक एवं विश्वसनीय स्रोत पुरातात्विक स्रोत माने जाते हैं।
पुरातात्विक स्रोतों के तहत शिलालेख,
अभिलेख, गुहालेख, मुद्रायें, स्मारक, मूर्तियाँ एवं चित्रकला आदि आते हैं।
(3) विदेशी यात्रियों के विवरण- प्राचीन
भारतीय इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों के यात्रा-वृत्तान्तों से भी महत्वपूर्ण
जानकारी प्राप्त होती है।
2. विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य कला की मुख्य
विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- विजयनगर साम्राज्य (14वीं से 17वीं शताब्दी) की स्थापत्य
कला दक्षिण भारत की समृद्ध परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित
हैं:
1. मंदिर निर्माण शैली: विजयनगर के मंदिरों में विशाल और
भव्य गेटवे टावर (गोपुरम) होते थे, जो रंगीन मूर्तिकला और नक्काशी से सजाए जाते थे।
ये गोपुरम मंदिरों की पहचान थे।
2. सामग्री और तकनीक: पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से किया गया,
जिसमें ग्रेनाइट प्रमुख था। पत्थर की नक्काशी अत्यंत सूक्ष्म और विस्तृत होती थी।
3. मूर्तिकला: देवी-देवताओं, नृत्यांगनाओं, और पौराणिक कथाओं
के दृश्य मूर्तिकला में दिखाए गए। मूर्तिकला में जीवन्तता और गतिशीलता स्पष्ट होती
है।
4. महल और किले: विजयनगर में किले और महलों का निर्माण भी
हुआ, जो मजबूत और सजावटी दोनों थे। इनमें विशाल द्वार, प्राचीर, और जलाशय शामिल थे।
5. सामाजिक और धार्मिक प्रभाव: स्थापत्य कला में हिन्दू धर्म
के तत्व प्रमुख थे, साथ ही जैन और इस्लामी प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।
6. विशिष्ट संरचनाएँ: हम्पी में स्थित विट्ठल मंदिर, वीरुपाक्ष
मंदिर, और हज़ार रत्न मंदिर इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
इस प्रकार, विजयनगर की स्थापत्य कला भव्यता, सूक्ष्मता, और
धार्मिक समृद्धि का संगम है।
3. 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारणों की विवेचना
करें।
उत्तर - 1857 के विद्रोह को सिपाही
विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। इस विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
भी कहा जाता है।
1857 के विद्रोह के निम्नलिखित कारण
थे
1. राजनीतिक कारण - राजनीतिक कारणों में सबसे महत्वपूर्ण
कारण डलहौजी की गोद निषेध तथा राज्य हड़पनीति थी। उसने इस नीति के तहत सतारा, नागपुर,
झांसी, उदयपुर, संबलपुर, जौनपुर, और बघात आदि अनेक राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य का
अंग बना लिया जिससे देशी राजाओं में आक्रोश व्याप्त था।
2. सामाजिक कारण: लॉर्ड विलियम बैंटिक ने समाज सुधार
के नाम पर भारतीय समाज की अनेक कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल हत्या, नर बलि जैसे प्रथाओं
को बंद करने का प्रयास किया तथा विधवा विवाह का समर्थन कर विधवा पुनर्विवाह कानून लागू
किया। भारतीयों ने अपनी सभ्यता के नष्ट हो जाने के डर से इसका विरोध किया।
3. धार्मिक कारणः 1813 ई के चार्टर एक्ट ने ईसाई पादरियों
को भारत आने की अनुमति दी। 1850 में एक अधिनियम पारित किया गया जिसके अनुसार यह कानून
बना दिया कि धर्म परिवर्तन करने वालों को उनके पैतृक संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।
स्कूलों में बाइबिल पढ़ना अनिवार्य कर दिया। इससे समस्त भारतीयों में असंतोष व्याप्त
था।
4. आर्थिक कारणः ब्रिटिश शासन के कारण गांव की आत्मनिर्भरता
समाप्त हो गई थी और कृषि का व्यवसायीकरण हुआ जिससे किसानों पर बोझ पड़ा। 1800 ई से
मुक्त व्यापार साम्राज्यवाद को अपनाया गया और धन का निष्कासन हुआ जिसके कारण अर्थव्यवस्था
में गिरावट आई।
5. सैनिक कारण: भारतीय सैनिकों को सभी सुविधाएं प्राप्त
नहीं थी, जो अंग्रेजी सैनिकों को प्राप्तथी जैसे अंग्रेज सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम
वेतन, अपमानजनक बर्ताव, शारीरिक हिंसा आदि। 6. तात्कालिक कारण: चर्बी वाला कारतूस का
प्रयोग 1857 ई के क्रांति का तात्कालिक कारण था क्योंकि इसे प्रयोग करने के समय मुंह
से छिलना पड़ता था जिससे हिंदू और मुस्लिम सैनिकों में असंतोष व्याप्त था।
4. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा
गांधी की भुमिका का वर्णन करें।
उत्तर- गाँधी जी ने राष्ट्रीय आंदोलन
को जन आंदोलन बनाया। इसके लिए उनके द्वारा निम्नलिखित रणनीतियां अपनाई गई जो विनाशक
हथियारों से भी ज्यादा कारगर साबित हुई-
(i)
अहिंसा : गाँधी जी कहते है की "अहिंसा कायर का
कवच नही हैं अपितु यह बहादुरी का उच्चतम गुण है। अहिंसा का सामान्य अर्थ हैं किसी की
हिंसा न करना, किसी भी प्राणी को मानसिक या शारीरिक चोट न पहुंचाना आदि। गांधीजी ने
स्वतंत्रता आंदोलन में अहिंसा का सफल प्रयोग किया।
(ii)
सत्याग्रह का प्रयोग : सत्य के प्रश्न पर संघर्ष
करने की रणनीति सत्याग्रह है। सत्याग्रह के प्रारंभिक प्रयोग गाँधी जी ने चंपारण और
खेड़ा में किसानों की दशा में सुधार हेतु आंदोलन करके किया।
(iii)
हड़ताल का सफल प्रयोग: गांधी जी ने अहमदाबाद मिल
मजदूरों के संघर्ष में हड़ताल का सफल प्रयोग किया। जिसके फलस्वरूप मजदूरों के वेतन
में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
(iv)
असहयोग इस आंदोलन की रणनीति में प्रत्येक स्तर पर सरकार
का विरोध एवं बहिष्कार करना था। गांधीजी ने 1920 ई. में असहयोग आंदोलन प्रारंभ किये
जिसमे जनता ने बढ़-चढ़कर पूर्ण उत्साह से भाग लिया।
(v)
सविनय अवज्ञा आंदोलन सरकार के कानून को विनम्रता
पूर्वक मानने से मना करना। 1930 ई में गांधीजी ने नमक कानून को भंग करके सविनय अवज्ञा
आंदोलन की शुरुआत किया।
(vi)
'स्वदेशी' और 'बहिष्कार' : उन्होंने स्वदेशी को अपनाया
तथा स्वयं चरखा चलाया तथा खादी वस्त्र पहने और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।
(vii)
संघर्ष तैयारी संघर्ष की रणनीति जन आंदोलन को और अधिक
व्यापक तथा नियंत्रित करने के लिए गांधी जी ने "संघर्ष - तैयारी - संघर्ष"
की रणनीति का आविष्कार किया। जब सक्रिय संघर्ष नहीं चल रहा हो तब रचनात्मक कार्य द्वारा
लोगों को आंदोलन से जोड़े रखना जैसे-
1.
हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने का प्रयास करना।
2.
छुआछूत के खिलाफ लोगों को जागरूक करना ।
3.
आंदोलन में स्त्रियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
4.
देशी हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना।
इस
प्रकार गाँधी जी ने सभी वर्गों के लोगों को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल कर स्वतंत्रता
आंदोलन को जन आंदोलन बना दिया।
5. अलबरूनी के भारत पर लिखे गए विवरण का आलोचनात्मक
परीक्षण करें।
उत्तर- अलबरूनी का भारत विवरण
अलबरूनी
11वीं सदी के एक फारसी विद्वान थे जिन्होंने महमूद गज़नी के साथ भारत आए और भारत की
संस्कृति, समाज, धर्म, विज्ञान और भूगोल का गहराई से अध्ययन किया। उनकी प्रमुख रचना
"किताब उल-हिंद" (तारीख अल-हिंद) है, जिसमें उन्होंने भारतीय जाति व्यवस्था,
धार्मिक रीति-रिवाज, दार्शनिक विचार, गणित और खगोलशास्त्र का सूक्ष्म विवरण दिया है।
उन्होंने भारतीय ज्ञान को अत्यंत समृद्ध और उन्नत बताया, विशेष रूप से गणित और खगोलशास्त्र
के क्षेत्र में।
आलोचनात्मक
पहलू
समीक्षा
की वस्तुनिष्ठता: अलबरूनी ने भारतीय समाज को निष्पक्ष दृष्टिकोण से देखने की कोशिश
की, हालांकि वे बाहर के पर्यटक थे। वे जाति व्यवस्था को जटिल और कठोर मानते थे और छुआछूत
की आलोचना की। उन्होंने हिंदू धर्म को गहराई से समझा और उसका सम्मान किया, साथ ही हिंदू
दर्शन और वेदों की प्रशंसा की।
कुछ
सीमितताएं: अलबरूनी ने मुख्य रूप से संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन किया, जिससे वे अन्य
भाषाओं जैसे पाली और प्राकृत में लिखे बौद्ध और जैन ग्रंथों को अनदेखा कर गए। इससे
भारतीय धार्मिक और दार्शनिक विविधता का पूरा चित्र सामने नहीं आ पाया। कभी-कभी उन्होंने
मूल ग्रंथों की व्याख्या में गलत समझ का प्रदर्शन भी किया।
समाज
और धर्म पर टिप्पणी: उन्होंने हिंदू समाज में कई कुरीतियों जैसे सती, बाल विवाह, विधवा
विवाह प्रतिबंध आदि का उल्लेख किया। वे भारतीय समाज की धार्मिक स्वतंत्रता और बहुलवाद
की सराहना करते थे, पर कुछ धार्मिक प्रथाओं की आलोचना भी की।
राजनीतिक
और सामाजिक आकलन: अलबरूनी ने कहा कि उस समय भारत विभिन्न छोटे राज्यों में विभाजित
था जो एक-दूसरे से लड़ते रहते थे और राष्ट्रीय एकता का अभाव था। वे महमूद गज़नी के
आक्रमणों को भारत की समृद्धि के अंत के रूप में देखते थे।
वैज्ञानिक
दृष्टिकोण: अलबरूनी ने भारतीय गणित और खगोलशास्त्र को उन्नत बताया और यह माना कि उन्होंने
इस्लामी और पश्चिमी विद्वानों को प्रभावित किया। उन्होंने भारतीय अंक प्रणाली, जिसमें
शून्य की भूमिका थी, की खूब प्रशंसा की।
निष्कर्ष
अलबरूनी
का भारत विवरण औसत से अधिक वस्तुनिष्ठ, सूक्ष्म और समृद्ध है, जो उस समय के भारतीय
समाज, संस्कृति, धर्म और विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। उनकी टिप्पणियाँ भारत
की सामाजिक जटिलताओं, धार्मिक भिन्नताओं और वैज्ञानिक प्रगति को उजागर करती हैं। हालांकि
उनकी सीमित भाषाई समझ और कुछ गलत व्याख्याओं के कारण उनका वर्णन पूर्णतया समग्र नहीं
है, लेकिन यह मध्यकालीन भारत को समझने के लिए अनमोल ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है।
6. सिंधु घाटी सभ्यता के शहर जीवन की विशेषताओं
का वर्णन करें।
उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के शहर
जीवन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1.
नगर योजना और निर्माण: सिंधु घाटी सभ्यता में नगरों का विन्यास बहुत उन्नत था। मोहनजोदड़ो,
हड़प्पा, कालीबंगा आदि नगरों में सड़कें जाल की तरह समकोण पर काटती थीं, जिससे शहर
आयताकार खंडों में विभक्त थे। नगरों में दुर्ग होते थे जहां शासक वर्ग रहता था और उसके
नीचे सामान्य लोगों के लिए ईंटों के मकान बनते थे। नगरों में जल निकासी की विशेष व्यवस्था
थी, जहाँ सड़कों के दोनों किनारों पर नालियाँ पक्की और ढकी होती थीं, जिनमें मेनहोल
भी बनाए गए थे। हर घर में स्नानागार और आंगन की सुविधा होती थी।
2.
सामाजिक जीवन: समाज मुख्य रूप से वर्गहीन और मातृप्रधान था। सामाजिक जीवन व्यवस्थित
और समृद्ध था। समाज में व्यापारी, योद्धा, श्रमिक और विद्वान जैसे वर्ग रहते थे। परिवार
मजबूत और समाज शांतिप्रिय था।
3.
आर्थिक जीवन: कृषि प्रमुख व्यवसाय था। गेहूँ, जौ, चावल, मटर आदि फसल उगाते थे और भेड़,
गाय समेत विभिन्न जानवर पालते थे। व्यापार भी उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था। अनेक
नगरों में बड़े अन्न भंडार मिले हैं, जो कृषि और खाद्य भंडारण को दर्शाते हैं।
4.
आवास और सार्वजनिक सुविधाएँ: मकान पक्की ईंटों से बनाए गए थे, जिनमें शौचालय और स्नान
की व्यवस्था थी। नगरों में बड़े स्नानागार और बाजार भी थे। सुरक्षा के लिए शहरों के
चारों ओर दीवारें थीं।
5.
धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन: लोग मातृदेवी या उर्वरता की देवी की पूजा करते थे। मिट्टी
की मूर्तियाँ और कला कार्य पाए गए हैं। कला, शिल्प और सांस्कृतिक जीवन में भी यह सभ्यता
अत्यंत विकसित थी।
इस
प्रकार, सिंधु घाटी सभ्यता के शहर जीवन में उन्नत नगर नियोजन, स्वच्छता, व्यापक सामाजिक
और आर्थिक संगठन तथा समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएँ थीं, जो इसे प्राचीन विश्व की सबसे
विकसित सभ्यताओं में से एक बनाती हैं।
7. अशोक के अभिलेखों में प्रयुक्त किन्ही दो
लिपियों के नाम लिखें ?
उत्तर- अशोक के अभिलेखों में प्रयुक्त दो प्रमुख लिपियाँ हैं:
- ब्राह्मी लिपि - अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि
में लिखे गए थे। यह लिपि मुख्य रूप से मौर्य साम्राज्य के पूर्वी भागों में मिली
है।
- खरोष्ठी लिपि - अशोक के अभिलेखों में एक दूसरी प्रमुख लिपि खरोष्ठी है,
जो विशेष रूप से साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी भागों में प्रयुक्त हुई थी।
अशोक के कुछ अभिलेख ग्रीक और अरामी (आरमाइक) लिपि में भी
पाए गए हैं, विशेषकर पश्चिमोत्तर सीमा क्षेत्रों में। इसलिए कुल मिलाकर, अशोक के अभिलेख
ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक और अरामी लिपियों में लिखे गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से ब्राह्मी
और खरोष्ठी दो प्रमुख लिपियाँ मानी जाती हैं।
8. भारत छोड़ो आंदोलन कब और कहां से प्रारंभ
हुआ?
उत्तर- 8 अगस्त, 1942 को महात्मा
गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस
कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।
गांधीजी
ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान किया,
जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।
स्वतंत्रता
आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में लोकप्रिय अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन
के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
'भारत
छोड़ो' का नारा एक समाजवादी और ट्रेड यूनियनवादी यूसुफ मेहरली द्वारा गढ़ा गया था,
जिन्होंने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था।
मेहरअली
ने "साइमन गो बैक" का नारा भी गढ़ा था।
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन
के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
आंदोलन के तीन चरण थे:
1.
पहला चरण- शहरी विद्रोह, हड़ताल,
बहिष्कार और धरने के रूप में चिह्नित, जिसे जल्दी दबा दिया गया था।
पूरे देश में हड़तालें तथा प्रदर्शन हुए तथा श्रमिकों ने
कारखानों में काम न करके समर्थन प्रदान किया।
गांधीजी को पुणे के आगा खान पैलेस में कैद कर दिया गया और
लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
2.
आंदोलन के दूसरे चरण में ध्यान ग्रामीण
इलाकों में स्थानांतरित किया गया जिसमें एक प्रमुख किसान विद्रोह देखा गया, इसमें संचार
प्रणालियों को बाधित करना मुख्य उद्देश्य था, जैसे कि रेलवे ट्रैक और स्टेशन, टेलीग्राफ
तार व पोल, सरकारी भवनों पर हमले या औपनिवेशिक सत्ता का कोई अन्य दृश्य प्रतीक।
3.
अंतिम चरण में अलग-अलग इलाकों (बलिया,
तमलुक, सतारा आदि) में राष्ट्रीय सरकारों या समानांतर सरकारों का गठन किया गया।
9. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य भूमिका
निभाने वाली चार महिलाओं के नाम लिखिए
उत्तर- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाली चार
महिलाओं के नाम हैं: रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली और कस्तूरबा गांधी।
ये सभी महिलाएँ अपने-अपने तरीके से स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने
के लिए जानी जाती हैं।
1.
रानी लक्ष्मीबाई: 1857 के प्रथम
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महान वीरांगना थीं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ
वीरतापूर्वक युद्ध किया।
2.
सरोजिनी नायडू: 'भारत की कोकिला'
के रूप में प्रसिद्ध, उन्होंने गांधीवादी आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया और कांग्रेस
की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं।
3.
अरुणा आसफ अली: भारत छोड़ो आंदोलन
के दौरान कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए जानी जाती हैं और उन्हें '1942 की नायिका'
के रूप में भी सम्मानित किया गया है।
4.
कस्तूरबा गांधी: महात्मा गांधी के
साथ सविनय अवज्ञा और अन्य विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहीं और कई बार जेल भी गईं।
10. जिम्मी से आप क्या समझते है?
उत्तर- ज़िम्मी मुस्लिम क्षेत्र में रहने वाले संरक्षित लोग थे।
ये गैर- मुस्लिम थे। इन लोगों को जज़िया कर के बदले इस्लामी नियमों के पालन में छूट
दी जाती थी ।
11.1857 विद्रोह में मुख्य भूमिका निभाने वाले
चार पुरूषों के नाम लिखें ?
उत्तर-1857 के विद्रोह के साथ जुड़े महत्वपूर्ण नेताओं की
सूची-
(i) मंगल पाण्डे-बैरकपुर
(ii) बहादुरशाह द्वितीय, जनरल बख्त-दिल्ली
(iii) रानी लक्ष्मीबाई-झांसी
(iv) बेगम हजरत महल-लखनऊ
(v) नाना साहब, तात्या टोपे-कानपुर
12. गोत्र से आप क्या समझते है?
उत्तर- गोत्र प्राचीन मानव समाज
द्वारा बनाए गए रीति-रिवाज का हिस्सा है जो यह निश्चित करता है कि एक व्यक्ति किस पूर्वज
की संतान है।
13. भारत में रेलवे की शुरूआत कब और कहां से
कहां तक चली?
उत्तर- भारत में रेलवे की शुरुआत
16 अप्रैल 1853 को हुई थी। इस दिन पहली यात्री ट्रेन बोरीबंदर (जो अब छत्रपति शिवाजी
महाराज टर्मिनस मुंबई के नाम से जाना जाता है) से ठाणे के बीच चली। यह ट्रेन लगभग
34 किलोमीटर तक फैली हुई थी और इसे तीन भाप इंजन—साहिब,
सिंध, और सुल्तान—द्वारा चलाया गया था। उस दिन ट्रेन में लगभग 400 यात्री सवार थे,
और यह यात्रा लगभग 1 घंटे 10-15 मिनट में पूरी हुई थी। इस ऐतिहासिक क्षण को मनाने के
लिए महाराष्ट्र में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था। इस रेलवे लाइन का निर्माण ब्रिटिश
शासनकाल में हुआ था, और इसे भारतीय रेलवे के इतिहास की शुरुआत माना जाता है।
इसके
पहले, 1837 में मद्रास (अब चेन्नई) में रेड हिल्स रेलवे के रूप में एक छोटी ट्रेन ग्रेनाइट
पत्थरों के परिवहन के लिए चली थी, लेकिन वह यात्री ट्रेन नहीं थी। इसलिए, आधिकारिक
रूप से भारत की पहली यात्री रेलवे सेवा मुंबई से ठाणे के बीच को ही माना जाता है।
14. हिन्दू धर्म के दो महाकाव्य के नाम लिखिए
?
उत्तर- हिन्दु धर्म के दो सबसे प्रमुख
महाकाव्य 'रामायण' और 'महाभारत' है। पहली शताब्दी में ऋषि वाल्मीकी द्वारा लिखी गई
रामायण, भगवान विष्णु के अवतार राम की कहानी और राक्षस राजा रावण से अपनी पत्नी सीता
को बचाने के लिए उनकी यात्रा की कहानी बताती है। यह महाकाव्य धर्म, कर्म और भक्ति के
विषयों की खोज करता है।
540-300
ईसा पूर्व के बीच ऋषि वेदव्यास द्वारा लिखित महाभारत एक जटिल महाकाव्य है, जो दो परिवारों,
पांडवों और कौरवों के बीच संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमता है। इसमें भगवत गीता भी शामिल
है, जो एक पवित्र ग्रंथ है जो कर्त्तव्य, कर्म और भक्ति पर दार्शनिक प्रवचन प्रस्तुत
करता है। महाभारत को अब तक लिखे गये सबसे लंबे महाकाव्यों में से एक माना जाता है।
15. भारतीय संविधान की विशेषताओं को लिखे
?
उत्तर- भारतीय संविधान के निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह एवं 18
दिन लगे। इसके निर्माण हेतु संविधान सभा के कुल 11 अधिवेशन एवं 165 बैठक हुई।
संविधान में कुल 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियों को शामिल किया गया।
भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं-
(1) यह लिखित, निर्मित एवं विश्व का
विशालतम संविधान है।
(2) संविधान की प्रस्तावना में प्रभुत्व
सम्पन्न, लोकतंत्रात्मक, पन्थनिरपेक्ष एवं समाजवादी गणराज्य की स्थापना की बात कही
गई है।
(3) संविधान द्वारा भारत में संसदीय
शासन प्रणाली की स्थापना की गई है।
(4) राज्य के लिए नीति-निर्देशक तत्वों
का समावेश किया है।
(5) नागरिकों के मूल अधिकार एवं कर्त्तव्यों
को दिया गया है।
(6) भारतीय संविधान लचीलेपन एवं कठोरता
का अद्भुत मिश्रण है।
(7) वयस्क मताधिकार का प्रावधान किया
गया है।
(8) एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है।
(9) स्वतन्त्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है।
(10) भारत के एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की बात की गई है।
भारतीय संविधान में समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन करने का
प्रावधान है। वर्तमान में भारतीय संविधान में 450 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ तथा
22 भाग हैं। भारत के संविधान का स्रोत भारतीय जनता है।
16. हीनयान और महायन में अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर- महात्मा बुद्ध की मृत्यु
के बाद बौद्ध भिक्षुओं में पारस्परिक कलह और मतभेद उत्पन्न हो गए इस कुव्यवस्था को
दूर करने के लिए बौद्ध आचार्यों ने समय-समय पर अनेक सभाओं का आयोजन किया।
बौद्ध
धर्म की चौथी और अंतिम सभा सम्राट कनिष्क के काल में कश्मीर के कुंडलवन में बुलाई गई।
किंतु यह सभा बौद्ध संघ के मतभेदों को दूर करने में सफल नहीं हो सके। इस सभा में मतभेदों
के कारण बौदध धर्म हीनयान और महायान नामक संप्रदाय में विभक्त हो गया।
हीनयान
एवं महायान संप्रदाय में अंतर
1.
हीनयान मत बौद्ध धर्म का प्राचीन तथा अपरिवर्तित रूप था, महायान बौद्ध धर्म का नवीन
एवं संशोधित रूप था।
2.
हीनयान संप्रदाय के लोग बुद्ध की मूल शिक्षाओं में आस्था रखते थे अष्टांगिक मार्ग में
इनका विश्वास था, महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध की शिक्षा में कुछ परिवर्तन के द्वारा
अपनाएं।
3.
हीनयान निर्वाण प्राप्ति के लिए व्यक्तिगत प्रयास को विशेष महत्व दिया करते थे, महायान
में निर्वाण प्राप्ति के लिए मुक्तिदाता का होना आवश्यक था।
4.
हीनयान संप्रदाय महात्मा बुद्ध को एक पवित्र आत्मा समझते थे, महायान संप्रदाय महात्मा
बुद्ध को ईश्वर का रूप मानते थे।
5.
हीनयान संप्रदाय मूर्ति पूजा के विरोधी थे किंतु महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध तथा
बोधिसत्व की मूर्तियों की पूजा करते थे।
6.
हीनयान संप्रदाय का सर्वोच्च लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति था किंतु महायान संप्रदाय का
सर्वोच्च लक्ष्य स्वर्ग प्राप्ति था।
7.
हीनयान धर्म का संरक्षक सम्राट अशोक था एवं इनकी पुस्तकें पाली भाषा में लिखी गई थी।
महायान संप्रदाय का संरक्षक सम्राट कनिष्क था एवं इनकी पुस्तकें संस्कृत भाषा में लिखी
गई थी।
17. गोपुरम से आप क्या समझते है?
उत्तर- द्रविड़ शैली के मंदिरों में 'गोपुरम' से तात्पर्य
प्रांगण का मुख्य प्रवेशद्वार से है। इसका आधार भाग प्रायः वर्गाकार होता है। इसके
ऊपर का भाग सीधा पिरामिडनुमा बना रहता है, जिसमें अनेक मंजिलें होती हैं। इसका
शीर्षभाग गुंबदाकार होता है।
18. बसरा और बेसरा में अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर- बा-शरा- बा-शरा के अन्तर्गत वे सिलसिले थे जो शरा (इस्लामी
कानून) को मानते थे और नमाज, रोजा आदि नियमों का पालन करते थे। इनमें प्रमुख थे चिश्ती,
सुहरावर्दी, फिरदौसी, कादिरी व नख्शबंदी सिलसिले थे। बा-शरा 12 समुदायों में संगठित
थे जिन्हें सिलसिला कहा जाता था। प्रत्येक सिलसिला का प्रमुख पीर कहलाता था जो अपना
एक उत्तराधिकारी मनोनीत करता था जो बली कहलाता था। बा-शरा लोगों में शेख (समुदाय या
सिलसिला प्रमुख) के सम्मुख सिजदा करना, आगन्तुकों को पानी आदि से सत्कार करना आदि प्रथाएँ
विकसित थीं। दीक्षा के लिए विशिष्ट अनुष्ठान विकसित किये गये। दीक्षित को निष्ठा का
वचन देना होता था सिर मुँड़ाकर थेगड़ी लगे वस्त्र धारण करने पड़ते थे। इन समुदायों
में चिश्ती व सुहरावर्दी सिलसिला प्रमुख था। ये लोग राजकीय सत्ता से जुड़े हुए थे।
कुछ संतों द्वारा तो राजकीय पुरुषकार भेंट एवं अनुदान सहर्ष स्वीकार किये गये।
बे-शरा- बे-शरा का तात्पर्य ऐसे सिलसिले जो शरीया में बँधे
हुए नहीं थे। शरीआ की अवेहलना करने के कारण उन्हें बे-शरीया कहा गया। उल्लेखनीय है
कि मुस्लिम समुदाय को निर्देशित करने वाले कानून को शरीया कहा जाता है। शरीया कुरान
शरीफ तथा हदीस पर आधारित है। बे-शरीया लोग शरीया की अवहेलना और खानकाह का तिरस्कार
करके रहस्यवादी फकीर की जिंदगी बिताते थे। बे-शरीया फकीरों ने निर्धनता एवं ब्रह्मचर्य
को अपनाया। बे-शरीया विभिन्न नामों से जाने जाते थे-कलंदर, मदारी, मलंग, हैदरी इत्यादि।
बे-शरीया लोग फकीरी पर विशेष जोर देते थे उन्होंने राजकीय संरक्षण स्वीकार नहीं किया
ओर न ही राजा से कोई सम्बन्ध रखते थे।
19. तात्कालिक कारणों को लिखें ।
उत्तर- 1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारणों में यह अफवाह थी कि
1853 की राइफल के कारतूस की खोल पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई है। यह अफवाह हिन्दू
एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही थी। ये राइफलें
1853 के राइफल के जखीरे का हिस्सा थीं। 29 मार्च, 1857 ई. को मंगल पांडे नाम के एक
सैनिक ने 'बैरकपुर छावनी' में अपने अफसरों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया
20. असहयोग आंदोलन के बारे में लिखें ।
उत्तर- असहयोग आंदोलन भारत में ब्रिटिश
शासन के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा 1 अगस्त 1920 को शुरू किया गया एक अहिंसात्मक जन
आंदोलन था। इसका उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार और उसके सहयोग से भारतीयों का पूरी तरह
से असहयोग करना, ताकि स्वराज (स्वशासन) प्राप्त किया जा सके। इस आंदोलन में ब्रिटिश
वस्तुओं का बहिष्कार, ब्रिटिश संस्थानों, जैसे स्कूल, कॉलेज, न्यायालय का बहिष्कार,
अंग्रेजों द्वारा दिए गए सरकारी पदों, उपाधियों और सम्मानों को त्यागना शामिल था। साथ
ही भारतीयों को सरकार के करों का भुगतान न करने और सरकारी सेवाओं में भाग न लेने के
लिए प्रोत्साहित किया गया। आंदोलन ने भारतीयों में राष्ट्रीय एकता और स्वदेशी वस्त्रों
के प्रयोग को बढ़ावा दिया, और खादी तथा चरखे को राष्ट्रीय प्रतीक बनाया गया।
इस
आंदोलन की शुरुआत जालियांवाला बाग हत्याकांड, रॉलेट एक्ट, और ब्रिटिश सरकार के अन्य
दमनकारी कदमों के विरोध में हुई। गांधीजी ने इस आंदोलन को खिलाफत आंदोलन के साथ जोड़कर
हिंदू-मुस्लिम एकता भी स्थापित करने का प्रयास किया। आंदोलन का व्यापक जन समर्थन मिला,
और इसमें छात्रों, किसान, मजदूर तथा विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए। हालांकि
1922 में चौरी-चौरा कांड में हिंसा भड़कने के कारण गांधीजी ने इस आंदोलन को वापस ले
लिया, यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसक प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण चरण
साबित हुआ। इस आंदोलन ने देशवासियों में स्वराज के प्रति विश्वास और आंदोलन में व्यापक
जनभागीदारी को जन्म दिया।
21. मगध के उत्कर्ष के क्या कारण थे?
उत्तर - प्राचीन काल में 16 महाजनपदों के अस्तित्व के
प्रमाण मिलते हैं। इनमें मगध महाजनपद कई कारणों से विशिष्ट था। इसकी विशिष्ट
स्थिति के
कुछ कारण निम्नानुसार है-
1. अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के
कारण यह चारों ओर से सुरक्षित है। उत्तर में गंगानदी, पूर्व में सोन नदी, पश्चिम में
चम्पा नदी तथा दक्षिण में बिंध्याचल इसकी भौगोलिक सुरक्षित सीमा निर्मित करते हैं।
2. मगध की प्राचीन राजधानी राजगीर
(राजगृह- राजाओं का घर) एवं नवीन राजधानी पाटलिपुत्र सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थीं।
पाँच पहाड़ों की श्रृंखला से घिरा राजगीर अभेद्य था। पाटलिपुत्र गंगा, गंडक एवं सोन
नदियों के संगम पर स्थित था। यहाँ से सभी ओर के लिये सुगम संचार साधन उपलब्ध है।
3. बिम्बिसार, अजातशत्रु एवं महापद्मनंद
जैसे प्रतापी राजाओं ने मगध महाजनपद को सर्वशक्तिशाली स्वरूप प्रदान किया।
4. राजगीर के पास लोहे के विशाल भण्डार
थे। इससे अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण सुगम हुआ। मगध (आधुनिक झारखण्ड) में कोयले के
भण्डार भी मिले हैं।
5. मध्यगंगा के मैदान के मध्य भाग में
स्थित होने के कारण मगध राज्य की भूमि उपजाऊ थी। पर्याप्त वर्षा होती थी। इससे उत्पादन
बढ़ा परिणामस्वरूप व्यापार में वृद्धि हुई। इससे राज्य की आय में वृद्धि हुई। धातु
के सिक्कों का प्रचलन बढ़ा। मगध महाजनपद आर्थिक दृष्टि से समृद्ध हुआ।
6. मगध प्रथम राज्य था जिसके पास शक्तिशाली
हाथी सेना थी। इसके दो लाभ हुये - एक तो हाथी दलदली भूमि में घोड़ों से अधिक उपयोगी
होते थे। दूसरे सुदृढ़ दुर्गो को तोड़ने में हाथी सेना उपयोगी साबित होती थी। इससे
मगध राज्य सामरिक दृष्टि से शक्तिशाली बनकर उभरा। हाथी सेना के अलावा उसके पास उच्चकोटि
के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित बड़ी संख्या में पैदल सेना, घुड़सवार एवं रथ भी थे।
इससे मगध को साम्राज्य विस्तार में सहायता मिली।
7. मगध में अनार्यों की बहुलता थी।
ये रूढ़िवादी एवं ब्राह्मणवादी व्यवस्थाओं से सहमत नहीं थे। इस तरह समाज प्रगतिवादी
था। इससे भी मगध एक शक्तिशाली महाजनपद के रूप में उभर कर सामने आया।
22. स्नानागार से आप क्या समझते है?
उत्तर- मोहनजोदड़ो का एक प्रमुख सार्वजनिक स्थल है यहाँ के विशाल
दुर्ग (54.86 × 33 मीटर) में स्थित विशाल स्नानागार। यह 39 फुट (11.88 मीटर) लम्बा,
23 फुट (7.01 मीटर) चौड़ा एवं 8 फुट (2.44 मीटर) गहरा है। इसमें उतरने के लिए उत्तर
एवं दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों से बना है। सम्भवतः
इस विशाल स्नानागार का उपयोग 'आनुष्ठानिक स्नान' हेतु होता होगा। स्नानागार से जल के
निकास की भी व्यवस्था थी यह स्नानागार उन्नत तकनीक का परिचायक है। मार्शल महोदय ने
इसी कारण इसे तत्कालीन विश्व का 'आश्चर्यजनक निर्माण' बताया है।
23. हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना का वर्णन
करें।
उत्तर- हड़प्पा संस्कृति की सर्वप्रमुख विशेषता इसका नगर नियोजन
है। हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की खुदाई में पूर्व तथा पश्चिम में दो टीले मिलते हैं।
पूर्वी टीले पर नगर तथा पश्चिमी टीले पर दुर्ग स्थित था। दुर्ग में सम्भवतः शासक वर्ग
के लोग रहते थे। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर पर ईंटों के मकानों वाला
नगर बसा था जहाँ सामान्य लोग रहते थे।
1. सड़क व्यवस्था - मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता उसकी
सड़कें थीं। यहाँ की मुख्य सड़क 9.15 मीटर चौड़ी थी जिसे पुराविदों ने राजपथ कहा है।
अन्य सड़कों की चौड़ाई 2.75 से 3.66 मीटर तक थी। जाल पद्धति के आधार पर नगर नियोजन
होने के कारण सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं जिनसे नगर कई खण्डों में विभक्त
हो गया था। इस पद्धति को 'ऑक्सफोर्ड सर्कस' का नाम दिया गया है।
2. जल निकास प्रणाली- मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक और
प्रमुख विशेषता यहाँ की प्रभावशाली जल निकास प्रणाली थी। यहाँ के अधिकांश भवनों में
निजी कुएँ व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का
पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली में आता था। गली की नाली को
मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों ओर
बनी नालियों को पत्थरों अथवा शिलाओं द्वारा ढँक दिया जाता था। नालियों की सफाई एवं
कूड़ा-करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में नर मोखे (मेन होल) भी बनाये गये थे। नालियों
की इस प्रकार की अद्भुत विशेषता किसी अन्य समकालीन नगर में देखने को नहीं मिलती।
3. स्नानागार - मोहनजोदड़ो का एक प्रमुख सार्वजनिक स्थल है
यहाँ के विशाल दुर्ग (54.86 × 33 मीटर) में स्थित विशाल स्नानागार। यह 39 फुट
(11.88 मीटर) लम्बा, 23 फुट (7.01 मीटर) चौड़ा एवं 8 फुट (2.44 मीटर) गहरा है। इसमें
उतरने के लिए उत्तर एवं दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों
से बना है। सम्भवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग 'आनुष्ठानिक स्नान' हेतु होता होगा।
स्नानागार से जल के निकास की भी व्यवस्था थी। यह स्नानागार उन्नत तकनीक का परिचायक
है। मार्शल महोदय ने इसी कारण इसे तत्कालीन विश्व का 'आश्चर्यजनक निर्माण' बताया है।
4. अन्नागार - मोहनजोदड़ो में ही 45.72 मीटर लम्बा एवं
22.86 मीटर चौड़ा एक अन्नागार मिला है। हड़प्पा के दुर्ग में भी 12 धान्य कोठार खोजे
गये हैं। ये दो कतारों में छः-छः की संख्या में हैं। ये धान्य कोठार ईंटों के चबूतरों
पर हैं एवं प्रत्येक का आकार 15.23 मी. x 6.09 मी. है।
5. ईंटें - हड़प्पा संस्कृति के नगरों में पकाई हुई ईंटों
का प्रयोग भी यहाँ के नगर नियोजन की एक अद्भुत विशेषता है। ईंटें चतुर्भुजाकार होती
थीं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी ईंट का आकार 51.43 × 26.27 × 6.35 सेमी. है।
सामान्यतः 27.94 × 13.97 × 6.35 सेमी. की ईंटें प्रयुक्त हुई हैं।
24. भारत छोड़ो आंदोलन पर एक निबंध लिखें ।
उत्तर- भारत छोड़ो
आंदोलन की शुरुआत द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को हुई
थी। यह एक आंदोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था।
यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में
शुरू किया गया था। गांधीजी के एक आह्वान पर समूचे देश में यह आंदोलन एक साथ आरम्भ
हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करवाने के लिए आरम्भ किया गया।
भारत
छोडो आंदोलन के कारण:
भारत
छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारणों में एक क्रिप्स मिशन का पूरी तरह से असफल होना था।
बर्मा में भारतीयों के साथ किए गए दुर्व्यवहार से भी भारतीयों के मन में आंदोलन
प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुई थी। अंग्रेज सरकार भारतीयों को भी द्वितीय
विश्व युद्ध में सम्मिलित कर चुकी थी, परन्तु अपना स्पष्ट लक्ष्य घोषित नहीं कर रही थी। ब्रिटिश
सरकार की नीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गई थी। द्वितीय विश्व
युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण का भय भी भारतीयों को था। भारतीयों को लगता था कि
यदि ऐसा हुआ तो अंग्रेज जापानी सेना का सामना नहीं कर पाएंगे।
आंदोलन
के परिणामः
भारत
छोड़ो आंदोलन के परिणाम इस प्रकार हैं
* ब्रिटिश
सरकार ने हजारों भारतीय आंदोलनकारियों को बन्दी बना लिया था।
* इस
आंदोलन के बाद अंतर्राष्ट्रीय जनमत इंग्लैण्ड के विरूद्ध हो गया
* भारत
छोड़ो आंदोलन में जमींदार,
युवा, मजदूर, किसान और
महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
* भारत
छोड़ो आंदोलन के प्रति मुस्लिम लीग की उपेक्षा को देखते हुए लीग का महत्व
अंग्रेजों की दृष्टि में बढ़ गया
* भारत
छोडो आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी।
* भारत
छोडो आंदोलन से अंग्रेजों को यह विदित हो गया कि यहाँ उनका राज्य कोई नहीं चाहता।
आंदोलन
की असफलता
भारत
छोड़ो आंदोलन के असफलता का मुख्य कारण आंदोलन की सुनियोजित तैयारी का ना होना था
और सरकार के दमन चक्र का अत्यधिक कठोर होना था।
असफल
होने के बावजूद भी आजादी की लड़ाई में यह भारत छोड़ो आंदोलन अंतिम आंदोलन साबित
हुआ इसने अंग्रेजों को भारत को स्वतंत्र करने हेतु विवश कर ही दिया. फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को
हमारे देश भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली और एक नए भारत की शुरुआत
हुई. भारत को स्वतंत्र कराने में विभिन्न आंदोलनों की अहम भूमिका है जिन्हें कभी
भुलाया नहीं जा
सकता।
25. अकबर की धार्मिक नीति का वर्णन करें।
उत्तर- अकबर ने अपने
साम्राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनायी। 1562 ई. में
अकबर ने युद्ध बन्दियों को दास बनाने की प्रथा पर रोक लगायी। 1563 ई. में
अकबर ने तीर्थ यात्रा कर को समाप्त किया। धार्मिक प्रश्नों पर वाद-विवाद करने के
लिये अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575
ई. में इबादतखाना का निर्माण कराया। 1579 ई. में अकबर ने
महजर की घोषणा की। इसके द्वारा किसी भी विवाद पर अकबर की राय ही अन्तिम राय होगी।
अकबर
ने अपना ज्ञान बढ़ाने के लिये विभिन्न धर्मों के विद्वानों से उनके धर्म की
जानकारी ली-
1. हिन्दू धर्म के
पुरुषोत्तम एवं देवी से हिन्दू धर्म की जानकारी प्राप्त की। हिन्दू धर्म से
प्रभावित होकर वह माथे पर तिलक लगाने लगा। उसने हिन्दू धर्म की पुस्तकों का अनुवाद
करवाया।
2. पारसी धर्म के
दस्तूर मेहर जी राणा से पारसी धर्म की जानकारी ली। इससे प्रभावित होकर उसने सूर्य
की उपासना आरम्भ की। दरबार में हर समय अग्नि जलाने की आज्ञा दी।
3. अकबर
ने जैन धर्म की शिक्षा आचार्य शांतिचन्द एवं विजय सूरी से ली।
4. सिख
धर्म से प्रभावित होकर पंजाब का एक वर्ष का कर माफ कर दिया।
5. ईसाई
धर्म से प्रभावित होकर आगरा एवं लाहौर में गिरजाघर का निर्माण कराया।
इस
प्रकार सत्य की खोज करते-करते उन्होंने पाया कि सभी धर्मों में अच्छाइयाँ हैं मगर
कोई भी धर्म सम्पूर्ण नहीं है। अतः उसने 1581 ई में स्वयं का
एक धर्म दीन-ए-इलाही चलाया। इस धर्म के द्वारा वह हिन्दू व मुस्लिम धर्म को मिलाकर
साम्राज्य में राजनीतिक एकता कायम करना चाहता था। उस धर्म को स्वीकार करने वाला
एकमात्र हिन्दू बीरबल था ।
1564 ई. में
अकबर ने जजिया कर बन्द कर दिया था। यह समस्त भारत की गैर-मुस्लिम जनता से वसूला
जाता था।
अकबर
ने सुलह-ए-कुल की नीति अपनायी। इस नीति के द्वारा अकबर ने अपने साम्राज्य में
शांति एवं एकता स्थापित करने का प्रयास किया। अबुल फजल सुलह ए-कूल के आदर्श को
प्रबध शासन की आधारशिला मानता था। सभी अधिकारियों को प्रशासन में सुलह-ए-कुल की
नीति अपनाने के निर्देश दिये गये।
26. कृष्णदेवराय को एक महान शासक क्यो कहा
गया है?
उत्तर-
तुलुव वंश के कृष्णदेव राय (1509-1529)
विजयनगर के महानतम शासक थे। इन्हें महानतम कहे जाने के निम्न तथ्य है-
1. इनके शासनकाल
की सर्वप्रमुख विशेषता विजयनगर साम्राज्य का विस्तार और उसका सुदृढ़ीकरण था। 2. इनके शासनकाल
में तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच का क्षेत्र ( रायचूर दोआब - 1512 ) हासिल
किया गया।
3. उड़ीसा के
गजपति शासकों का दमन किया गया।
4. बीजापुर के
सुल्तान को बुरी तरह पराजित किया गया था।
5. दक्षिण भारत के
भव्य मंदिर निर्माण तथा मंदिरों में गोपुरम को जोड़ने का श्रेय कृष्णदेव राय को
जाता है।
6. कृष्णदेव राय
ने अपनी मां के नाम पर विजय नगर के समीप ही नगलपुरम नामक एक उपनगर की भी स्थापना
की थी
7. इसके शासनकाल
में राज्य हमेशा सामरिक रूप से मजबूत रहा तथा राज्य में सुख समृद्धि की बढ़ोतरी
हुई।
इस
प्रकार हम कह सकते हैं कोई भी शासक महान तब कहलाता है, जब वह अपने समय
की चुनौतियों को समझता हो और उससे निबटने के लिए प्रयास करता हो। इन संदर्भों
कृष्णदेव राय महानतम शासक कहे जा सकते हैं।
27. सूफी आंदोलन पर एक लेख लिखे ।
उत्तर- सूफी आंदोलन इस्लाम की एक रहस्यमय शाखा है, जो ईश्वर के प्रति
व्यक्तिगत भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक साधनाओं के माध्यम से ईश्वर के प्रत्यक्ष अनुभव
पर केंद्रित है। यह आंदोलन धार्मिक औपचारिकताओं और कट्टरपंथी विचारों के विरोध में
उभरा, जिसमें आध्यात्मिक शुद्धि, सहिष्णुता, करुणा और एकता जैसे मूल्य प्रमुख थे। सूफी
संतों ने कविता, संगीत और अनुष्ठानों के माध्यम से ईश्वर के साथ गहरा संबंध स्थापित
करने का प्रयास किया, जिससे यह आंदोलन सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्रों में
एक समावेशी भावना का प्रचार करता था।
भारत में सूफीवाद का प्रारंभ 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत
के समय हुआ और वहां कई प्रमुख सूफी संप्रदाय स्थापित हुए, जिनमें चिश्तिया सिलसिला
सबसे प्रभावशाली था। सूफी संतों ने स्थानीय भाषाओं जैसे उर्दू, पंजाबी और सिंधी में
अपने उपदेशों और साहित्य का प्रसार किया। इस आंदोलन ने धार्मिक विभाजनों को पाटने,
हिंदू-मुस्लिम एकता स्थापित करने, और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई। विशेष रूप से वंचित वर्गों, महिलाओं और गरीबों को आध्यात्मिक शरण और
सामाजिक सम्मान प्रदान किया गया। सूफी संतों ने इंसानियत, भगवान के प्रति प्रेम और
सेवाभाव को अपने उपदेशों का केंद्र बनाया और कट्टरता और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।
सूफी आंदोलन इस्लाम के रूढ़िवादी प्रथाओं से अलग हटकर आत्म-अनुभव
और प्रेममय भक्ति पर जोर देता है। सूफी समुदायों में गुरु (पीर) और शिष्य की परंपरा
रही, जहां खानकाह (धार्मिक केंद्र) ज्ञान और आध्यात्मिक अभ्यास के केंद्र थे। सूफी
दरगाहें आज भी प्रेम, सहिष्णुता और आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं।
इस प्रकार, सूफी आंदोलन न केवल एक धार्मिक आंदोलन था, बल्कि
यह सामाजिक सुधार, सांस्कृतिक समरसता और आध्यात्मिक जागरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम
भी था, जिसने भारत की धार्मिक और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला।
28. भारतीय संविधान की विशेषताओं को उल्लेख
करें ।
उत्तर - भारतीय संविधान के निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह
एवं 18 दिन लगे। इसके निर्माण हेतु संविधान सभा के कुल 11 अधिवेशन एवं 165 बैठक
हुई। संविधान में कुल 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियों को शामिल किया गया।
भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं-
(1) यह लिखित, निर्मित एवं विश्व का
विशालतम संविधान है।
(2) संविधान की प्रस्तावना में प्रभुत्व
सम्पन्न, लोकतंत्रात्मक, पन्थनिरपेक्ष एवं समाजवादी गणराज्य की स्थापना की बात कही
गई है।
(3) संविधान द्वारा भारत में संसदीय
शासन प्रणाली की स्थापना की गई है।
(4) राज्य के लिए नीति-निर्देशक तत्वों
का समावेश किया है।
(5) नागरिकों के मूल अधिकार एवं कर्त्तव्यों
को दिया गया है।
(6) भारतीय संविधान लचीलेपन एवं कठोरता
का अद्भुत मिश्रण है।
(7) वयस्क मताधिकार का प्रावधान किया
गया है।
(8) एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है।
(9) स्वतन्त्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है।
(10) भारत के एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की बात की गई है।
भारतीय संविधान में समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन करने का
प्रावधान है। वर्तमान में भारतीय संविधान में 450 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ तथा
22 भाग हैं। भारत के संविधान का स्रोत भारतीय जनता है।
29. असहयाग आंदोलन के बारे में आप क्या जानते
है? वर्णन करें।
उत्तर- अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों
के विरोध में गांधीजी ने अगस्त 1920 ई. को असहयोग आन्दोलन प्रारंभ करने की घोषणा की।
1920 ई. के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन तथा नागपुर अधिवेशन में गांधी जी की घोषणा का
कांग्रेस ने समर्थन किया ।
असहयोग
आंदोलन के कार्यक्रम :
A.
उपाधियों और अवैतनिक पदों का बहिष्कार ।
B.
सरकारी सभाओं का बहिष्कार ।
C.
स्वदेशी का प्रयोग |
D.
सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का परित्याग ।
E.
वकीलों द्वारा सरकारी न्यायालय का परित्याग ।
F.
राष्ट्रीय न्यायालयों की स्थापना ।
G.
हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल ।
H.
अस्पृश्यता की समाप्ति ।
गांधीजी
तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा उपाधियों के परित्याग से इस आंदोलन की शुरुआत हुई। कांग्रेस
ने विधानमंडल के चुनाव का बहिष्कार किया । स्वदेशी शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए जैसे
काशी विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ, जामिया मिलिया इस्लामिया आदि, विदेशी वस्त्रों की
होली जलाई गई । चरखे का प्रचलन बढ़ा 'तिलक स्वराज फंड' की स्थापना हुई और शीघ्र ही
इसमें 1 करोड़ रुपये जमा हो गए। स्वशासन के स्थान पर स्वराज को अंतिम लक्ष्य घोषित
किया गया।
आंदोलन
के दौरान हिन्दू मुस्लिम एकता का भी प्रस्फुटन हुआ। असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी
मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये,
शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद कर दिये तथा मद्रास के
अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया । विदेशी वस्तुओं
का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी । व्यापारियों ने विदेशी
व्यापार में पैसा लगाने से इन्कार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन और उत्पादन बढ़ा।
सरकार ने इस आंदोलन को सख्ती से दबाया।
असहयोग
आंदोलन को वापस लेने का फैसला 5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश की चोरीचौरा नामक स्थान
में आंदोलनकारियों और पुलिस में झड़प हो गई जिसमें 22 पुलिस वाले मारे गए। इस घटना
से गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। अंततः 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन
की समाप्ति कर दी गई।
असहयोग
आंदोलन के प्रभाव :
(i)
आंदोलन ने राष्ट्रीय भावना का विकास किया, अंग्रेजो के प्रति विरोध का वातावरण बनाया।
(ii)
स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल में वृद्धि हुई और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार हुआ।
(iii)
देशी शिक्षण संस्थाओं का विकास हुआ।
(iv)
कांग्रेसी पार्टी भी अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों में बदलाव किया।
(v)
हिंदी को राष्ट्रभाषा का महत्त्व दिया गया तथा अंग्रेजी के प्रयोग में कमी आई।
(vi)
खादी का प्रचलन प्रारंभ हुआ। चरखा राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बन गया।
(vii)
आंदोलन जनसाधारण तक पहुंची।
(viii)
आंदोलन की असफलता ने कांतिकारी गतिविधियों को प्रेरणा दी।
30. भारतीय संविधान के निर्माण में डा० भीम
राव अंबेडकर की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर- भारतीय संविधान के निर्माण
में डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिका-
1.
संविधान सभा के सदस्य के रूप में- भारत के स्वतंत्रता
के बाद जब कैबिनेट मिशन योजना के तहत भारतीय संविधान सभा और संविधान का निर्माण हुआ
तो उसमें डॉ.अंबेडकर का अमूल्य योगदान रहा उनके योगदान को देखते हुए ही डॉ. अंबेडकर
को भारतीय संविधान का सृजनकर्ता, निर्माता एवं जनक कहा जाता है।
2.
प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में- संविधान
निर्माण के कार्य में संविधान से संबंधित अनेक समितियों का गठन किया गया, जिसमें एक
सबसे प्रमुख समिति थी प्रारूप समिति। जिसे ड्राफ्टिंग कमिटी या पांडू लेखन समिति भी
कहा जाता है। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर थे। प्रारूप समिति का काम था कि
वह संविधान सभा के परामर्श शाखा द्वारा तैयार किए गए संविधान का परीक्षण करें और संविधान
के प्रारूप को विचारार्थ संविधान सभा के सम्मुख प्रस्तुत करें।
3.
संविधान निर्माता के रूप में - डॉ. अंबेडकर को समाज में
कई बार अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा था, इन सब का सामना करते हुए उन्होंने
ना केवल अछूत मानी जाने वाली जातियों के उत्थान के लिए और उन्हें समाज में सम्मानजनक
स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि संविधान में उनके लिए प्रावधान किए
जाने में अहम भूमिका निभाई।
31. अकबर राष्ट्रीय शासक क्यों कहा जाता है?
उत्तर- अकबर को भारत
का राष्ट्रीय सम्राट भी कहा जाता है। उसके शासनकाल में भारत में राजनैतिक, प्रशासनिक, सामाजिक, धार्मिक एवं
सांस्कृतिक एकता एवं सामंजस्य की स्थापना हुई तथा भारत एक राष्ट्र के रूप में
उभरा।
अकबर
ने अपनी विजय उपलब्धियों द्वारा एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करके उसे प्रशासनिक
आधार भी प्रदान किया। उसने अपने संपूर्ण साम्राज्य में एक जैसी शासन प्रणाली
स्थापित की। उसकी प्रांतीय शासन व्यवस्था, राजस्व
व्यवस्था, भू
व्यवस्था, न्याय-व्यवस्था
आदि सभी व्यवस्थाएँ संपूर्ण साम्राज्य में एक समान थीं। सैनिक तथा असैनिक सेवाओं
में सभी पद सबके लिए समान रूप से खुले थे। राजपूत राज्यों से समानता के आधार पर
वैवाहिक संबंध स्थापित करके अकबर ने वीर राजपूत जाति का सक्रिय सहयोग प्राप्त कर
लिया।
एक
राष्ट्रीय शासक के रूप में अकबर की दूसरी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि देश में सामाजिक
एवं आर्थिक एकता की स्थापना थी। उसने अपनी समस्त प्रजा को बिना किसी भेदभाव के
समान नागरिकता एवं सुविधाएँ प्रदान कीं। राजस्व व्यवस्था अथवा भू- कर प्रणाली के
क्षेत्र में हिन्दू- मुसलमानों में कोई भेदभाव नहीं किया गया। व्यापार अथवा
व्यापारिक करों के क्षेत्र में भी धर्म अथवा जाति को आधार नहीं बनाया गया और न ही
न्याय अथवा दंड देने के समय हिन्दू-मुसलमान में कोई भेदभाव किया गया।
शाही
दरबार में होली,
दीपावली,
दशहरा, बसंत
और नौरोज जैसे त्योहारों को समान रुप से मनाकर अकबर ने सामाजिक एकता की पहचान दी।
धार्मिक एकता की स्थापना करने के लिए अकबर ने राजनीति को धर्म से पृथक् करके देश
में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की। स्वयं मुसलमान होते हुए भी उसने प्रत्येक
धर्म के आदर्शों का पालन किया।
केवल
इतना ही नहीं,
देश में धार्मिक एकता का वातावरण उत्पन्न करने के लिए और अकबर ने 'दीन-ए-इलाही' नामक स्वयं का
एक संघ स्थापित किया,
जिसमें सभी धर्मों के सराहनीय तत्व समाहित थे। जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी
के लिए द्वार खुले थे।
हिन्दू-मुसलमानों
में परस्पर निकटता स्थापित करने के लिए उसने फ़ारसी को समस्त साम्राज्य की सरकारी
भाषा बना दिया। अकबर ने एक अनुवाद विभाग की स्थापना की, जिसके निरीक्षण
में हिंदुओं के अनेक धार्मिक,
साहित्यिक एवं ऐतिहासिक ग्रंथों का अनुवाद फ़ारसी भाषा में किया गया। सम्राट
अकबर के शासनकाल में स्थापत्यकला,
चित्रकला,
संगीतकला आदि के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय विचारधाराओं एवं आदर्शों का समावेश
हुआ।
निःसंदेह, सम्राट अकबर
आजीवन भारत को एक संगठित राष्ट्र का रूप देने और देश में एकता तथा सद्भावना बनाए
रखने के कार्यों में संलग्न रहा। अतः इस दृष्टि से वह भारत का महान राष्ट्रीय
सम्राट था।
32. गुरूनानक की जीवनी, शिक्षा एंव प्रमुख
उपदेशो का वर्णन करें।
उत्तर- गुरु नानक देव जी सिख धर्म
के पहले गुरु और संस्थापक थे। वे एक महान संत, दार्शनिक और सामाजिक सुधारक थे। उनके
उपदेशों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और सिख धर्म की नींव रखी है।
प्रारंभिक
जीवन
जन्म:
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी (अब ननकाना
साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था।
परिवार:
वे एक खत्री परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम कालू और माता का नाम तृप्ता
था।
बचपन:
बचपन से ही गुरु नानक देव जी में आध्यात्मिक रुचि थी। वे अक्सर ध्यान और चिंतन में
लीन रहते थे।
शिक्षा
और यात्राएं
शिक्षा:
गुरु नानक देव जी ने पारंपरिक शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने वेद, पुराण और अन्य धार्मिक
ग्रंथों का अध्ययन किया।
यात्राएं:
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में कई यात्राएं कीं। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों
के साथ-साथ अरब, अफगानिस्तान और तिब्बत की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने
विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों से मुलाकात की और उनके विचारों को समझा।
प्रमुख
उपदेश
गुरु
नानक देव जी के उपदेशों का सार निम्नलिखित है:
1.
एक ईश्वर: गुरु नानक देव जी ने एक ईश्वर में विश्वास किया
और सभी धर्मों को एक ही सत्य का अलग-अलग रास्ता बताया।
2.
सर्वसमत्व: उन्होंने जाति, धर्म, लिंग और रंग के आधार पर
भेदभाव का विरोध किया और सभी मनुष्यों को समान माना।
3.
कर्मकांडों का विरोध: उन्होंने बाहरी कर्मकांडों
और रीति-रिवाजों का विरोध किया और आंतरिक शुद्धता पर बल दिया।
4.
नाम जपो, किरत करो, वंड छको: गुरु नानक देव जी ने ईश्वर
का नाम जपना, ईमानदारी से काम करना और दूसरों के साथ बांटना का संदेश दिया।
5.
सत्संग: उन्होंने सत्संग (संतों की संगति) को आत्मिक
विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बताया।
गुरु
नानक देव जी का प्रभाव
गुरु
नानक देव जी के उपदेशों ने सिख धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने
समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध किया और लोगों को एकता और भाईचारे
का संदेश दिया। आज भी उनके उपदेश लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
33. हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों का वर्णन
करें।
उत्तर- हड़प्पा
सभ्यता की पतन के संदर्भ में कोई संतोषजनक प्रमाण नहीं मिला है। लगभग अट्ठारह सौ
ईसा पूर्व के आसपास इस सभ्यता का पतन हो गया। इस सभ्यता के पतन के संदर्भ में
विद्वान एकमत नहीं है फिर भी कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं जिसके द्वारा अनुमान लगाया
जाता है कि हड़प्पा सभ्यता के पतन के निम्नलिखित कारण थे-
A. बाढ़-
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर नदियों के किनारे बसे थे, इन नदियों में
प्रतिवर्ष बाढ़ आती थी। बाढ़ से प्रतिवर्ष क्षति भी होती थी। इस कारण से हड़प्पा
वासी मूल स्थान को छोड़कर अन्य स्थानों पर रहने के लिए विवश हो गए होंगे।
B. महामारी-
मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर कंकालों के परीक्षण के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि
हड़प्पा वासी मलेरिया महामारी जैसे अनेक प्राकृतिक आपदाओं के कारण बीमारियों के
शिकार हो गए और उनके जीवन का अंत हो गया । इस कारण से भी इस सभ्यता का पतन हो गया।
C. जलवायु
परिवर्तन- अनेक विद्वानों का कहना है कि अचानक सिंधु घाटी क्षेत्र
में जलवायु परिवर्तन के कारण यह हरा भरा क्षेत्र जंगल एवं बारिश की कमी के कारण
मरुस्थल के रूप में परिवर्तित हो गया। इस कारण से भी यह सभ्यता नष्ट हो गया।
D. बाह्य
आक्रमण- अनेक विद्वानों का अनुमान है कि बाह्य आक्रमण के कारण इस
सभ्यता का अंत हुआ। संभवत ये बाह्य आक्रमणकारी आर्य रहे होंगे।
उपयुक्त
कारणों के आधार हम कह सकते हैं कि हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया।
34. स्तुप क्यों और कैसे बनाए जाते थे? वर्णन
कीजिए ।
उत्तर- स्तूप का संस्कृत अर्थ टीला,
ढेर या थूहा होता है। स्तूप का संबंध मृतक के दाह संस्कार से था, मृतक के दाह संस्कार
के बाद बची हुई अस्थियों को किसी पात्र में रखकर मिट्टी से ढंक देने की प्रथा से स्तूप
का जन्म हुआ। क्योंकि इस स्तूप में पवित्र अवशेष रखे होते थे अतः समूचे स्तूप को बौद्ध
धर्म के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। पहले मात्र भगवान बुद्ध के अवशेषों
पर स्तूप बने बाद में बुद्ध के शिष्यों के अवशेषों पर भी स्तूप निर्मित किए गए।
स्तुपों
की संरचना स्तूप का प्रारंभिक स्वरूप अर्ध गोलाकार मिलता है उसमें मेधी के ऊपर उल्टे
कटोरे की आकृति का हा पाया जाता है जिसे अंड कहते हैं, इस अंड की ऊपरी चोटी सिरे पर
चपटी होती थी जिसके ऊपर धातु पात्र रखा जाता था इसे हर्मिका कहते हैं। यह स्तूप का
महत्वपूर्ण भाग माना जाता था। हर्मिका का अर्थ देवताओं का निवास स्थान होता है।
स्तूप
को चारों ओर से एक दीवार द्वारा घेर दिया जाता है। जिसे वेदिका कहते हैं। स्तूप तथा
वेदिका के बीच परिक्रमा लगाने के लिए बना स्थल प्रदक्षिणा पथ कहलाता है, कालांतर में
वेदिका के चारों ओर चार दिशाओं में प्रवेश द्वार बनाए गए | प्रवेश द्वार पर मेहराबदार
तोरण बनाए गए। इस प्रकार स्तूप की संरचना की गई।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग - I
1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ : हड़प्पा सभ्यता
2. राजा, किसान और नगर : आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ
3. बंधुत्व, जाति तथा वर्ग : आरंभिक समाज
4. विचारक, विश्वास और इमारतें : सांस्कृतिक विकास
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग - II
5. यात्रियों के नज़रिए : समाज के बारे में उनकी समझ
6. भक्ति-सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ
7. एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर
8. किसान, जमींदार और राज्य : कृषि समाज और मुगल साम्राज्य
9. शासक और विभिन्न इतिवृत्त : मुगल दरबार
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग - III
10. उपनिवेशवाद और देहात : सरकारी अभिलेखों का अध्ययन
11. विद्रोही और राज - 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान
12.औपनिवेशिक शहर - नगर-योजना, स्थापत्य
13.महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन - सविनय अवज्ञा और उससे आगे
14. विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

