12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 3 (क) यह दीप अकेला

12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 3 (क) यह दीप अकेला

 12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 3 (क) यह दीप अकेला

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Hindi Elective

पाठ - 3 (क) यह दीप अकेला

कवि परिचय

अज्ञेय का मूल नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन है। उन्होंने अज्ञेय नाम से काव्य रचना की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अंग्रेजी और संस्कृत में हुई। हिंदी उन्होंने बाद में सीखी। वे आरंभ में विज्ञान के विद्यार्थी थे। क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें अपना अध्ययन बीच में ही छोड़ना पड़ा। वे चार वर्ष जेल में रहे तथा दो वर्ष नजरबंद।

अज्ञेय ने देश-विदेश की अनेक यात्राएं कीं। उन्होंने कई नौकरियां की और छोड़ीं। कुछ समय तक जोधपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर भी रहे। वे हिंदी के प्रसिद्ध समाचार साप्ताहिक 'दिनमान' के संस्थापक संपादक थे। इसके अलावा उन्होंने सैनिक, विशाल भारत, प्रतीक, 'नया प्रतीक आदि अनेक साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। उन्होंने सप्तक परंपरा का सूत्रपात करते हुए 'तार सप्तक', 'दूसरा सप्तक', 'तीसरा सप्तक का संपादन किया। प्रत्येक सप्तक मैं सात कवियों की कविताएं संग्रहित हैं जो शताब्दी के कई दशकों की काव्य-चेतना को प्रकट करती हैं।

अज्ञेय ने कविता के साथ कहानी, उपन्यास, यात्रा-वृतांत, निबंध, आलोचना आदि अनेक साहित्यिक विधाओं में लेखन कार्य किया। 'शेखर- एक जीवनी', 'नदी के द्वीप', 'अपने-अपने अजनबी' (उपन्यास), 'अरे यायावर रहेगा याद, एक बूँद सहसा उछली (यात्रा- वृतांत), 'त्रिशंकु', 'आत्मनेपद' (निबंध), 'परंपरा', 'कोठरी की बात', 'शरणार्थी', 'जय दोल' और 'ये तेरे प्रतिरूप' (कहानी संग्रह) प्रमुख रचनाएं हैं।

अज्ञेय प्रकृति-प्रेम और मानव मन के अंतर्द्वदों के कवि हैं। उनकी कविता में व्यक्ति की स्वतंत्रता का आग्रह है और बौद्धिकता का विस्तार भी। उन्हें अनेक पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, "भारत भारती सम्मान और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्रमुख हैं।

पाठ परिचय

यह दीप अकेला कविता में अज्ञेय ऐसे दीप की बात करते हैं जो सेह भरा है, गर्व भरा है, मदमाता भी है किंतु अकेला है। कवि कहता है कि इस अकेले दीप को भी पंक्ति में शामिल कर लो। पंक्ति में शामिल करने से उस दीप की महत्ता एवं सार्थकता बढ़ जाएगी। दीप सब कुछ है, सारे गुण एवं शक्तियां उसमें हैं, उसकी व्यक्तिगत सत्ता भी कम नहीं है फिर भी पंक्ति की तुलना में वह एक है, एकाकी है। दीप का पंक्ति या समूह में विलय ही उसकी ताकत का, उसकी सत्ता का सार्वभौमीकरण है, उसके लक्ष्य एवं उद्देश्य का सर्वव्यापीकरण है। ठीक यही स्थिति मनुष्य की भी है। व्यक्ति सब कुछ है, सर्वशक्तिमान है सर्वगुण संपन्न हैं फिर भी समाज में उसका विलय समाज के साथ उसकी अंतरंगता से समाज मजबूत होगा, राष्ट्र मजबूत होगा। इस कविता के माध्यम से अज्ञेय ने व्यक्तिगत सत्ता को सामाजिक सत्ता के साथ जोड़ने पर बल दिया है। दीप का पंक्ति में विलय व्यष्टि का समष्टि में विलय है और आत्म बोध का विश्वबोध में रूपांतरण।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'दीप अकेला' के प्रतीकार्य को स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उसे कवि ने स्नेहभरा, गर्वभरा है, मदमाता क्यों कहा है?

उत्तर- कवि अज्ञेय ने प्रस्तुत कविता में ऐसे दीप की बात कही है जो सेहभरा है, गर्वभरा है, मदमाता भी है, किंतु अकेला हैं। कवि ने 'दीप' के माध्यम से व्यक्ति की बात की है। यह व्यक्ति संगठन से दूर अकेले में जी रहा है। इस एक व्यक्ति मैं सभी गुण व शक्तियाँ मौजूद हैं। उसकी व्यक्तिगत सत्ता कम नहीं है, फिर समूह की तुलना में वह एक है, एकाकी है। यदि दीप का पंक्ति या समूह में विलय कर लिया जाए तो उसकी ताकत और सत्ता का सार्वभौमिकरण हो जाए। इससे व्यक्ति के लक्ष्य एवं उद्देश्य का भी सर्वव्यापीकरण संभव है।

प्रश्न 2. यह दीप अकेला है पर इसको भी पंक्ति को दे दो' के आधार पर व्यष्टि का समष्टि में विलय क्यों और कैसे संभव है?

उत्तर- कवि अज्ञेय ने यह दीप अकेला में दीप को व्यक्ति का प्रतीक माना है और पंक्ति को समाज का प्रतीक। समाज का निर्माण व्यक्ति से होता है। व्यक्ति का हित समाज के साथ है। व्यष्टि की शक्ति समष्टि में अंतर्निहित होती है। समष्टि में विलय से ही व्यष्टि की सार्थकता है। कवि दीप (व्यक्ति या व्यष्टि) की विशेषताओं से परिचित है। वह जानता है कि दीप अकेला भी आत्मविश्वास को जीवित रख सकता है, किंतु उस आत्मविश्वास की सार्थकता पंक्ति के साथ मिल जाने से है। पंक्ति में जाकर ही दीप अपने प्रकाश को दूसरे के हित में लगा सकता है। कभी व्यक्ति की उपलब्धियों के व्यापक उपयोग के लिए 'दीप को पंक्ति में देना चाहता है, इसलिए वह व्यक्ति को समाज के साथ जोड़ना चाहता है।

प्रश्न 3. 'गीत' और 'मोती' की सार्थकता किससे जुड़ी है?

उत्तर- गीत की सार्थकता जन से जुड़ी है। यदि कोई गीत जन- जन का न बन पाए तो वह गीत निरर्थक हो जाता है। मोती की सार्थकता पनडुब्बा से जुड़ी है। यदि मोती को गहरे जल पनडुब्बा बाहर न निकालें तो मोती की ओर कौन आकृष्ट होगा।

प्रश्न 4. यह अद्वितीय यह मेरा यह मैं स्वयं विसर्जित पंक्ति - के आधार पर व्यष्टि के समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता बताइए ।

उत्तर- कवि के अनुसार अहंकार का मद हमें अपनों से अलग कर देता है। अतः कवि ने अहंकार भाव को नष्ट करने के लिए मैं, मेरा भाव को विसर्जित यानी त्याग देने को कहा है। मनुष्य द्वारा अहंकार त्याग देने पर उसका समूह में विलय हो जाता है। इससे व्यक्ति की सत्ता का सार्वभौमिकरण हो जाता है। व्यक्ति के लक्ष्य व उद्देश्यों का सर्वव्यापीकरण हो जाता है। व्यक्ति का आत्मबोध विश्वबोध में बदल जाता है।

प्रश्न 5. यह मधु है तकता निर्भय पंक्तियों के आधार पर बताइए कि मधु, गोरस और 'अंकुर की क्या विशेषता है?

उत्तर- कवि ने अपनी कविता में मधु, गोरस और 'अंकुर की जो विशेषताएँ बताई है, वे ये हैं-

मधु-मधु में संचित होने की विशेषता है। वह संचित अवस्था में मिठास से भरपूर होता है।

गोरस- गोरस अर्थात् दूध, दही में अमृतत्व की विशेषता होती है। यह पवित्र होता है।

अंकुर- अंकुर में धरती को फोड़ने की ताकत होती है। वह सूर्य को देखने के लिए निर्भय हो उठता है।

प्रश्न 6. भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) "यह प्रकृत, स्वयंभू-------- शक्ति को दे दो।"

उत्तर- दीप पानी व्यक्ति प्राकृतिक रूप में होता है। वह स्वयं पैदा होने वाला है। वह स्वयं ब्रह्मा है। इसमें सभी प्रकार की शक्तियाँ विद्यमान हैं। अतः इसे भी दस हजार से युक्त शक्ति को दे दो अर्थात् व्यक्ति का समष्टि में विलय कर दो।

(ख) यह सदा द्रवित चिर-जागरूक....... चिर- अखंड अपनापा।"

उत्तर- व्यक्ति सब कुछ है, सर्वशक्तिमान है, सर्वगुण सम्पन्न है। समाज में उसका विलय होने से तथा समाज के साथ उसकी अंतरंगता से समाज मजबूत होगा, राष्ट्र मजबूत होगा।

(ग) “जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भक्ति को दे दो।"

उत्तर- व्यक्ति सदैव जिज्ञासु है, वह परम सत्ता में विलीन हो जाना चाहता है, उसमें समाज के प्रति श्रद्धा है। आत्मबोध को विश्वबोध में बदल देने का उसमें गुण है। अतः उसे भक्ति यानी राष्ट्र-प्रेमभाव का अवसर दिया जाए।

प्रश्न 7. यह दीप अकेला एक प्रयोगवादी कविता है। इस कविता के आधार पर लघु मानव के अस्तित्व और महत्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- हिंदी साहित्य इतिहास में समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक आंदोलन चलते रहे, उन्हीं में से एक आंदोलन का नाम प्रयोगवाद काव्यान्दोलन है। प्रयोगवादी कवियों में अज्ञेय जी का नाम सर्वोपरि है। प्रयोगवादी कविता में भय, दुख, संघर्ष, संत्रास से पीड़ित व्यक्ति के अस्तित्व को लेकर सदैव प्रश्नचिह्न लगे रहे हैं। अज्ञेय जी ने व्यक्तिवादी विचारों को समाजवादी विचारधारा में परिवर्तित करने पर बल देने के लिए दीप का प्रतीक रूप में प्रयोग किया है। उन्होंने दीप में समूह की सभी विशेषताओं को देखते हुए उसे भी समूह में शामिल कर लेने का आग्रह किया है। सत्य ही है कि व्यक्ति से ही समाज का निर्माण होता है। अकेला व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न होने पर भी समाज को दिशाबोध कराने में असमर्थ होता है, जबकि व्यक्ति समाज में सम्मिलित होकर सम्पूर्ण समाज को एक दिशा देने में सक्षम होता है। कवि को लघु मानव से तात्पर्य व्यक्ति से है। व्यक्ति समाज में अपना स्थान निर्धारित करके महामानव बन जाता है। कवि ने इसी विचार को आत्मबोध से विश्वबोध की ओर अग्रसर होना कहा है। लघुमानव से ही महामानव बना जा सकता है।

8. कविता के लाक्षणिक प्रयोगों का चयन कीजिए और उनमें निहित सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- अज्ञेय जी की यह कविता लाक्षणिक है। इसमें दीप के माध्यम से व्यक्ति में असीम संभावनाओं को व्यक्त किया है। गर्वभरा, मदमाता से स्पष्ट है कि कवि ने दीप का मानवीकरण कर दिया है। यह भी कि व्यक्ति में संवेदनाएं हैं। अज्ञेय जी ने कविता के माध्यम से व्यक्तिगत सत्ता को सामाजिक सत्ता के साथ जोड़ने पर बल दिया है।

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

यह मधु स्वयं काल की मौना का युग- संचय,

यह गोरस - जीवन - कामधेनु का अमृत-पूत पय,

यह अंकुर-फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय,

यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुतः इसको भी शक्ति को दे दो।

यह दीप, अकेला स्नेह भरा

है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।

संदर्भ: प्रस्तुत काव्यांश 'यह दीप अकेला' शीर्षक कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता प्रयोगवादी कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय है। यह कविता 'बावरा अहेरी' काव्य संग्रह में संकलित है।

प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश में कवि अज्ञेय ने अपार संभावनाओं से युक्त एक अकेले व्यक्ति का समाज निर्माण में विशिष्ट योगदान को अपने शब्दों में व्यक्त किया है।

व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में दीप के प्रतीकात्मक माध्यम से व्यक्ति को मधु गोरस, 'अंकुर' तथा 'ब्रह्म' आदि के प्रतीकों से संबद्ध करते हुए समाज में उसकी महत्ता को प्रतिपादित किया गया है। कवि के अनुसार मनुष्य का व्यक्तित्व मधु के समान है, जो काफी समय तक संचित करने के पश्चात ही सामने आता है, जिसका संचय मधुरता के टोकरे या पिटारे में किया जाता है। मनुष्य का यह व्यक्तित्व कामधेनु के अमृत रूपी पवित्र दूध के समान है। जिस प्रकार कामधेनु का दूध पावन परम शक्ति प्रदान करता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य अपने व्यक्तित्व के शक्तिवर्धक गुणों से समाज का हित करता है। मनुष्य का यह व्यक्तित्व अंकुर की तरह समस्त बाधाओं को तोड़कर बाहर आने की क्षमता रखता है। यह मनुष्य प्रकृति से ही उत्पन्न है। मनुष्य पृथ्वी की छाती को फाड़कर उसमें निहित संपदा को अर्जित करते हुए सूर्य की ओर देखता है।

व्यक्ति प्राकृत, स्वयंभू ब्रह्मा के सदृश है तथा अन्य जीवो से पृथक है। उसकी सत्ता सबसे अलग है। जैसे ब्रह्मा की उत्पत्ति स्वयं हुई है तथा उन्होंने अपनी शक्ति से सृष्टि के सृजन के लिए रचनात्मक कार्य किए, वैसे ही व्यक्ति को समष्टि अर्थात समाज की शक्ति की आवश्यकता है। भले ही उसमें शक्ति निहित है, वह विशिष्ट है, किंतु उसकी शक्ति को क्रियान्वित करने के लिए उसे समाज रुपी शक्ति के साथ जोड़ना आवश्यक है।

कवि का मानना है कि व्यष्टि का निर्माण मधु, दूध तथा अंकुर के समान स्वयं होता है जैसे इनकी अंतर्निहित शक्ति के कारण ही इनका अस्तित्व है, वैसे ही व्यक्ति में असीम शक्ति निहित है, किंतु उसकी शक्ति की सार्थकता केवल समष्टि के साथ है। व्यष्टि अपने आप में विशिष्ट है, किंतु उसकी विशेषता तभी सार्थक है, जब वह समष्टि का एक विशेष अंग बने।

विशेष:

1. यह एक प्रतीकात्मक कविता है जो व्यष्टिगत होते हुए भी समष्टि में व्याप्त है।

2. कवि सामूहिकता तथा संगठन में ही व्यक्ति की पूर्णता मानता है।

3. खड़ी बोली के शब्दों में सरल, सहज व सुबोधगम्य अभिव्यक्ति हुई है। तत्सम शब्दों की भी बहुलता है।

4. दीप व्यक्ति का तथा पंक्ति संगठन समूह, समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

5. तुकांत शैली में मुक्त छंद की रचना है।

6. कवि समाज के प्रत्येक व्यक्ति का महत्व स्वीकारते हुए समाज से संबद्ध होने को प्रेरित करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. कवि अज्ञेय किस काव्य-धारा के जनक कवि माने जाते हैं? 1.

1. छायावाद

2. हालावाद

3. प्रगतिवाद

4. प्रयोगवाद

प्रश्न 2. अज्ञेय को 'कितनी नावों में कितनी बार' के लिए में किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?

1. साहित्य अकादमी पुरस्कार

2. हिंदी साहित्य पुरस्कार

3. ज्ञानपीठ पुरस्कार

4. इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3. अज्ञेय का प्रथम उपन्यास कौन सा है?

1. शेखर एक जीवनी

2. नदी के द्वीप

3. अपने अपने अजनबी

4. आत्मनेपद

प्रश्न 4. यह दीप अकेला कविता में कवि व्यक्ति को किससे जोड़ना चाहता है?

1. समाज से

2. व्यक्ति से

3. सपनों से

4. परिश्रम से

प्रश्न 5. यह दीप अकेला कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

1. व्यक्ति समाज के बिना अधूरा है

2. समाज व्यक्ति के बिना सामर्थ्यवान नहीं हो सकता

3. व्यक्ति की शक्ति की सार्थकता समाज के साथ जुड़ने में ही हैं

4. उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6. यह दीप अकेला कविता किस काव्य संग्रह से ली गई है?

1. बावरा अहेरी

2. हरी घास पर क्षण भर

3. नदी के द्वीप

4. कितनी नावों में कितनी बार

JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

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