12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 गद्य खंड पाठ-3 कच्चा चिट्ठा

12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 गद्य खंड पाठ-3 कच्चा चिट्ठा

 12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 गद्य खंड पाठ-3 कच्चा चिट्ठा

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Hindi Elective

गद्य खंड पाठ-3 कच्चा चिट्ठा

लेखक परिचय

ब्रज मोहन व्यास जी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। उनके गुरु पंडित गंगानाथ झा और पंडित बालकृष्ण भट्ट थे। इनसे उन्हें संस्कृत का ज्ञान मिला था। व्यास जी ने इलाहाबाद नगरपालिका के कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में लगभग 23-24 वर्षों तक कार्य किया। इन्होंने कुमार दास कृत 'जानकी हरण' का अनुवाद किया। पंडित बालकृष्ण भट्ट और पंडित महामना मदन मोहन मालवीय की जीवनी भी लिखी। वे अपनी आत्मकथा मेरा कच्चा चिट्ठा के नाम से लिखी हिंदी गद्य के एक श्रेष्ठ लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी भाषा परिनिष्ठित, सूक्ति पूर्ण, मुहावरेदार एवं लोकोक्ति मय है।

पाठ-परिचय

कच्चा चिट्ठा आत्मकथात्मक रचना है। लेखक अपनी संग्रह कार्य प्रवृत्ति के कारण कहीं भी जाते थे, तो खाली हाथ नहीं लौटते थे। इन्होंने इलाहाबाद में एक विशाल संग्रहालय की स्थापना की थी। इस संग्रहालय में इन्होंने विभिन्न जगहों से लाकर 2,000 प्रस्तर मूर्तियां रखवाई। इस संग्रहालय में 5000 के लगभग मिट्टी की मूर्तियां संग्रहित हैं। इन मूर्तियों में कनिष्क कालीन प्राचीन बुद्धमूर्ति भी है। खजुराहो से उपलब्ध चंदेल प्रतिमा इस संग्रहालय के गौरव हैं। इसके अतिरिक्त रंगीन चित्रों का संग्रह एवं 14000 हस्तलिखित पोथियाँ हैं। यह पोथियाँ संस्कृत, हिंदी, अरबी और फारसी में है। यहां के संग्रह में जवाहरलाल नेहरू को अर्पित मानपत्र और चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल भी है। इतने बड़े संग्रहालय की स्थापना, अमूल्य धरोहरों का संग्रह और संकलन बिना किसी विशेष खर्च के किया था। इस अमूल्य धरोहर को सजाने के लिए व्यास जी ने विशेष कौशल और कठिन परिश्रम से काम लिया था। प्रस्तुत संस्मरणात्मक पाठ उनके इसी श्रम कौशल और समझ बूझ का कच्चा चिट्ठा है। यह संस्मरण वास्तव में एक स्वप्नदर्शी व्यक्ति द्वारा अपने सपनों को साकार करने की कला का कच्चा चिट्ठा है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहां क्यों जाना चाहता था?

उत्तर- पसोवा एक बड़ा जैन तीर्थ है। वहां प्राचीन काल से प्रतिवर्ष जैनियों का एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से हजारों जैन यात्री आकर एकत्र होते हैं। यह कहा जाता है। कि इसी स्थान पर एक छोटी सी पहाड़ी थी जिसकी गुफा में बुद्धदेव व्यायाम करते थे। वहां एक विषधर सर्प भी रहता था। इसी के निकट एक स्तूप भी था। जिसमें बुद्ध के थोड़े से केश और नख-खंड रखे गए थे। लेखक वहां कुछ नई चीज की खोज में जाना चाहता था, क्योंकि लेखक के जीवन का उद्देश्य प्रयाग के संग्रहालय के लिए आवश्यक सामग्री एकत्र करना था।

प्रश्न 2. "मैं कहीं जाता हूं तो छूछे हाथ नहीं लौटता से क्या तात्पर्य है ? लेखक कौशांबी लौटते हुए अपने साथ क्या-क्या लाया?

उत्तर- "मैं कहीं जाता हूं तो छूछे हाथ नहीं लौटता।"- से अभिप्राय है कि लेखक किसी भी कार्यवश कहीं भी जाता है तो वहां से खाली हाथ नहीं लौटता। लेखक पसोवा किसी चीज की खोज के लिए गया था, वहां से वापस कौशांबी लौटते हुए उन्हें गांव के भीतर से कुछ बढ़िया मृण मूर्तियां, सिक्के और मनके मिले। लेखक कौशांबी लौटते हुए एक चतुर्मुख शिव की मूर्ति जो लगभग 20 सेर वजन की थी। रास्ते से उठा लाया। उसे लाकर नगरपालिका में संग्रहालय से संबंधित एक मंडप के नीचे अन्य मूर्तियों के साथ रख दिया। इस तरह लेखक अपने उद्देश्य में सफल हुआ।

प्रश्न 3. “चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी बिल्ली को अपना कर्तव्य पालन करना ही पड़ता है।" लेखक ने यह वाक्य किस संदर्भ में कहा और क्यों?

उत्तर- चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्तव्य पालन करना ही पड़ता है। लेखक ने यह वाक्य निम्नलिखित संदर्भ में कहा- लेखक जब पसोवा से वापस कौशांबी लौट रहा था तो रास्ते में उसने देखा कि पत्थरों के ढेर के बीच पेड़ के नीचे एक चतुर्मुख शिव की मूर्ति रखी थी। वह मूर्ति लेखक को ललचा ही रही थी। आस पास कोई नहीं था, लेखक ने उसे उठाया और इक्के पर रखकर ले आया और संग्रहालय में अन्य मूर्तियों के साथ रख दिया। लेखक चोरी नहीं करना चाहता था फिर भी उसने चोरी की, क्योंकि उस शिव मूर्ति ने लेखक को ललचा दिया। ठीक उसी प्रकार जब बिल्ली ने व्रत धारण किया हो और चूहा स्वयं चलकर बिल्ली के समक्ष आ जाए, तो बिल्ली चूहे को खाएगी ही।

प्रश्न 4. “अपना सोना खोटा तो परखवैया को कौन दोस?" से लेखक का क्या तात्पर्य है?

उत्तर- "अपना- सोना खोटा तो परखवैया को कौन दोस" से अभिप्राय है कि अपनी ही चीज खराब हो तो किसी को कोई दोष नहीं दे सकते। अर्थात् यदि अपना सोना खोटा ही है और परखने वाला उसे खोटा कह दे तो इसमें उसका कोई दोष नहीं।

प्रश्न 5. गांव वालों ने उपवास क्यों रखा और उसे कब तोड़ा ? दोनों प्रसंगों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जब गांव से शंकर भगवान की मूर्ति चोरी हो गई, तो गांव वालों ने खाना-पीना त्याग दिया और उपवास रखा। जब गांव वालों को कौशांबी जाकर शंकर भगवान की मूर्ति वापस मिल गई तो उन्होंने उपवास तोड़ दिया। लेखक चतुर्मुख शिव की मूर्ति को ले आया तो उस गांव के 15 20 आदमी मुखिया के साथ लेखक से मिलने आए। मुखिया ने नतमस्तक होकर लेखक को निवेदन किया। महाराज! जब से शंकर भगवान हम लोगन क छोड़ के हियाँ चले आए। गाँव भर पानी नै पिहिस। अऊर तब तक ना पी जब तक भगवान गाँव ना चलिहैं। अब हम लोगन क प्रान आप के हाथ में हैं। आप हुकुम देओ तो हम भगवान को लेवाए जाइ। लेखक ने तुरंत कहा- आप उन्हें प्रसन्नता से ले जाएँ। सब लोग बहुत प्रसन्न हुए। लेखक ने भगवान शंकर को उनके हवाले कर दिया। लेखक ने मिठाई व जल मंगाकर उन लोगों का उपवास तुड़वाया।

प्रश्न 6. लेखक बुढ़िया से बोधिसत्व की 8 फुट लंबी सुंदरमूर्ति प्राप्त करने में कैसे सफल हुआ?

उत्तर- लेखक ने बोधिसत्व की 8 फुट लंबी सुंदरमूर्ति खेत की मेड़ पर पड़ी देखी। वह मथुरा के लाल पत्थर की थी। जैसे ही लेखक उठाने लगा तो एक बुढ़िया तमक कर बोली, "बड़े चले हैं मूरत उठावै । ई हमार हैं। हम ना दे ।" लेखक समझ गया कि मुद्रा की झनझनाहट गरीब आदमी के हृदय में उत्तेजना पैदा करती है। लेखक ने बुढ़िया को दो रुपए दिए और मूर्ति ले ली। बुढ़िया ने खुशी से वह मूर्ति लेखक को दे दी, इस प्रकार लेखक मूर्ति लेने में सफल हो गया।

प्रश्न 7. "ईमान ! ऐसी कोई चीज मेरे पास हुई नहीं तो उसके डिगने का कोई सवाल नहीं उठता। यदि होता तो इतना बड़ा संग्रह बिना पैसा कौड़ी के हो ही नहीं सकता।" के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर- उपर्युक्त कथन से लेखक यह कहना चाहता है कि लेखक ने अपने ईमान को दांव पर लगाकर ही इतना बड़ा संग्रह किया। उसके पास इतना धन नहीं था कि वह हर वस्तु खरीद कर संग्रहालय के लिए लाता इतना विशाल प्रयोग का संग्रहालय बिना पैसों के केवल इसलिए बना कि लेखक ने हर स्थान से अपनी भावनाओं के बल पर बुद्धि के बल पर मूर्तियों, सिक्कों व पुस्तकों को एकत्र किया। इतने सारे सामान को एकत्र करना आसान कार्य नहीं था। यदि लेखक ईमानदारी से कार्य करता तो यह संग्रहालय कभी ना बन पाता।

प्रश्न 8. दो रुपये में प्राप्त बोधिसत्व की मूर्ति पर दस हजार क्यों न्योछावर किए जा रहे थे?

उत्तर- लेखक ने 8 फुट लंबे बोधिसत्व की मूर्ति एक खेत में निकौनी कर रही बुढ़िया को दो रुपए देकर खरीदी थी। जब एक फ्रांसीसी ने संग्रहालय में उस बोधिसत्व की मूर्ति को देखा, तो बोल उठता है। बहुत कीमती संग्रह लेखक उससे पूछता है कि कीमती से आपका क्या तात्पर्य है ? फ्रांसीसी यात्री ने कहा आप इस मूर्ति को मेरे हाथ दस हजार में बेचेंगे, क्योंकि इस मूर्ति का चित्र व उसका वर्णन विदेशी पत्रों में छप चुका था इसलिए इस मूर्ति की कीमत उसने दस हजार लगाई थी। यह मूर्ति उन बोधिसत्व की मूर्तियों में से थी जो अब तक संसार में पाई गई मूर्तियों में सबसे पुरानी है यह कुषाण सम्राट कनिष्क के राज्य काल के दूसरे वर्ष में स्थापित की गई थी।

प्रश्न 9. भद्रमय शिलालेख की क्षतिपूर्ति कैसे हुई ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जब भद्रमथ का शिलालेख लेखक को नहीं मिला तो लेखक हजियापुर, गुलजार मियां के घर चला गया। गुलजार मियां के मकान के सामने एक पुख्ता सजीला कुआँ था। कुएँ के चबूतरे पर चार खंभे थे जिनमें एक से दूसरे तक अठपहल पत्थर की बंडेर पानी भरने के लिए गड़ी हुई थी। गुलजार ने लेखक के कहने से खंभों को खुदवा कर ब्राह्मी अक्षरों के लेख उन्हें दे दिए। इससे भद्रमथ के शिलालेख की क्षतिपूर्ति हो गई।

प्रश्न 10. लेखक अपने संग्रहालय के निर्माण में किन-किन के प्रति अपना आभार प्रकट करता है और किसे अपने संग्रहालय का अभिभावक बनाकर निश्चिंत होता है?

उत्तर- लेखक अपने संग्रहालय के निर्माण में रायबहादुर कामता प्रसाद कक्कड़, श्री महेंद्र सिंहजूदेव नागौर नरेश दीवान लाल भार्गवेन्द्र सिंह के प्रति अपना आभार प्रकट करता है और संग्रहालय के संरक्षण एवं परिवर्धन के लिए एक सुयोग्य अभिभावक डॉ सतीश चंद्र काला को नियुक्त कर देता है और स्वयं निश्चिंत हो जाता है।

भाषा-शिल्प

प्रश्न 1. निम्नलिखित का अर्थ स्पष्ट करें...

(क) इक्के को ठीक कर लिया

उत्तर- जिस इक्के पे सवार होकर लेखक गांव जाना चाहता था उसको सही दुरुस्त कर लिया गया ताकि रास्ते में खराब ना हो ।

(ख) कील-कांटे से दूरस्थ था ।

उत्तर- इक्के में सही स्थान पर सही कील आदि ठुके थे।

(ग) मेरे मस्तक पर हस्बमामूल चंदन था

उत्तर- लेखक उस समय के अनुरूप मस्तक पर चंदन का तिलक करता था।

(घ) सुरखाब का पर

उत्तर- कोई खास बात होना।

प्रश्न 2. लोकोक्तियों का संदर्भ सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए-

(क) चोर की दाढ़ी में तिनका-

उत्तर- जब लेखक कौशांबी लौटते समय चतुर्मुख शिव की मूर्ति चुरा कर ले आए और उनसे गांव के 15-20 व्यक्ति मिलने आए तो लेखक का माथा एकदम ठनका क्योंकि गलत कार्य करने पर ग्लानि के साथ-साथ हमेशा संदेह बना रहता है। उन्हें संदेह हुआ कि यह लोग जरूर उसी मूर्ति के लिए बात करने आए होंगे और बात भी यही थी।

(ख) ना जाने केहि भेष में नारायण मिल जाये -

उत्तर- लेखक हमेशा भ्रमण करते रहते थे, क्योंकि उन्हें प्रयाग संग्रहालय हेतु मूर्तियों, सिक्कों आदि को एकत्र करने में बड़ा आनंद आता था। वे सदा घूमते रहते थे। उन्हें लगता था कि छह-आठ महीने में कोई न कोई महत्वपूर्ण चीज़ मिल ही जाएगी। वे बार-बार यही सोचते कि न जाने किस रूप में और कब कोई कीमती वस्तु प्राप्त हो जाए।

(ग) चोर के घर छिछोर पैठा-

उत्तर- बोधिसत्व की मूर्ति जो लेखक ने दो रूपये में खरीदी थी, जब फ्रांसीसी यात्री ने उसे 10000 में खरीदना चाहा तो लेखक को अत्यंत प्रसन्नता हुई। इस मूर्ति का चित्र और उसका वर्णन विदेशी पत्रों में छप चुका था लेखक अनायास कह उठा, 'चोर के घर छिछोर पैठा अर्थात लेखक स्वयं चोरी करके मूर्तियां एकत्र कर रहा था और ऊपर से खरीदने वाले भी आ  गए।

(घ) यह म्याऊं का ठौर था

उत्तर- प्रयाग संग्रहालय के लिए आठ बड़े बड़े कमरे निर्धारित कर दिए गए थे परंतु सामग्री इतनी अधिक थी कि संग्रहालय के लिए पृथक विशाल भवन का निर्माण अत्यंत आवश्यक हो गया था क्योंकि वे आठ कमरे सामान को देखते हुए बहुत कम थे अर्थात् यह म्याऊं का ठौर था। इसके लिए धन की महती आवश्यकता थी।

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. भद्रमथ शिलालेख के संबंध में घटित घटना का वर्णन कीजिए।

उत्तर- लेखक ने भद्रमथ का शिलालेख 25 रुपये में खरीदा था. परंतु उस पर विवाद हो गया। लेखक को वह शिलालेख अपने स्वाभिमान की रक्षा हेतु वापस करना पड़ा। उन्हें भारी नुकसान पहुंचा। वे इस बात को भलीभांति जानते थे कि जिस गांव में शिलालेख मिल सकता है। वहां से उन्हें अन्य पुरातत्व की महत्वपूर्ण वस्तुएं भी मिल सकती है। इस उद्देश्य से गुलजार र्मियां जो कि लेखक के भक्त थे यहां पहुंचे। गुलजार मियां का भाई म्युनिसिपैलिटी में नौकर था। उसे भी साथ ले लिया। गुलजार मियां के घर के सामने एक पुख्ता सजीला कुआं था। कुएं के बंडेर पर ब्राह्मी अक्षरों में एक लेख खुदा था। लेखक यह देखकर बहुत प्रसन्न हुए। लेकिन ऐसे सुंदर खंभे को खोदकर निकलवाने में झिझक रहे थे। गुलजार ने उनकी इस मानसिक स्थिति को जान लिया तथा तुरंत ही उसे निकलवा कर लेखक को दे दिया। भद्र मथ शिलालेख के हाथ से निकल जाने की क्षतिपूर्ति लेखक को इस प्रकार हो गई।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. "काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेद पिककाकयोः ।

प्राप्ते वसंतसमये काकः काकः पिकः पिकः ॥"

पंक्ति का भावार्थ लिखिए।

उत्तर- कवि कहता है कि कौवा भी काला होता है, कोयल भी काली होती है। दोनों में भेद करना मुश्किल है। परंतु वसंत के आते ही पता चल जाता है कि कौन कौवा है और कौन कोपल ।

2. "तीनों कारणों में से प्रत्येक मुझे प्रयुक्त करने के लिए पर्याप्त थे।" इस वाक्य के संदर्भ में बताइए कि व्यास जी को किस बात का लालच था तथा वे तीन कारण कौन- कौन से थे?

उत्तर- व्यास जी ने सुन रखा था कि दक्षिण भारत ताम्र मूर्तियों और ताल पत्र पर लिखी पोथियों की मंडी है। इन दोनों का ही प्रयाग संग्रहालय में अभाव था बहुत दिन पहले मैसूर में ओरिएंटल कॉन्फ्रेंस का अधिवेशन था। लेखक के मित्र कविवर ठाकुर गोपाल शरण सिंह साहित्य विभाग के सभापति थे। लेखक तीनों कारणों से दक्षिण भारत की यात्रा करना चाहता था। पहला, अपने मित्र ठाकुर गोपाल शरण सिंह से मिलने के लिए दूसरा दक्षिण भारत घूमने के लिए तथा तीसरा ताम्र मूर्तियों एवं ताल पत्र पर लिखी पुस्तकों के संग्रह के लिए।'

3. श्रीनिवास जी कौन थे? और उनके पास पुरातात्विक महत्व की क्या सामग्री थी? व्यास जी ने उनसे क्या खरीदा?

उत्तर- श्रीनिवास जी मद्रास हाई कोर्ट के वकील थे और पुरातात्विक वस्तुओं के प्रेमी और संग्रह कर्ता भी थे। उनके पास सिक्कों और कांस्य एवं पीतल की मूर्तियों का अच्छा संग्रह था। लेखक ने उनसे ये सारी चीजें खरीदी।

4. "लभते वा प्रार्थयितान वा श्रियम श्रिया दुरापः कथमीप्सितो भवेत्, अर्थ स्पष्ट करें।

उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कह रहा है कि लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले को लक्ष्मी मिले या ना मिले परंतु यदि लक्ष्मी किसी के पास जाना चाहे तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता।

5. ताल पत्र पर लिखी पोथियां व्यास जी ने दक्षिण यात्रा में कहां से और कैसे प्राप्त की?

उत्तर- व्यास जी ओरिएंटल कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए अपने मित्र गोपाल शरण सिंह के साथ मैसूर गए थे। उन्हें पता था कि दक्षिण भारत में मूर्तियों एवं ताल पत्र पर लिखी पोथियों की मंडी है पर उन्हें ताल पत्र पर लिखी पोथियां नहीं मिल सकी थी। अधिवेशन की समाप्ति के बाद रामेश्वरम की यात्रा हेतु चले गए। वहां पंडों ने उन्हें घेर लिया। व्यास जी ने गोपाल शरण सिंह को राजा साहब के रूप में पेश किया और कहा जो पंडा राजा साहब को जितनी अधिक ताल पत्र पर लिखी पोथियां भेंट करेगा, वही उनका पंडा होगा। एक युवक पंड़ा सिर पर एक छोटा सा गट्ठर लाद कर ले आया और उसने ताल पत्र पर लिखी अनेक पोथियां राजा साहब को भेंट कर दी।

6. प्रयाग संग्रहालय के लिए नए भवन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

उत्तर- अभी तक प्रयाग संग्रहालय नगर पालिका भवन के 8 बड़े बड़े कमरों में चल रहे थे लेकिन संग्रहालय के पास विविध प्रकार की पुरातात्विक महत्व की प्रचुर सामग्री एकत्र हो गई थी जिसमें 2000 चित्र, 14000 हस्तलिखित पुस्तकें, हजारों सिक्के, मनके, मोहरे इत्यादि थे। इनके प्रदर्शन और संरक्षण के लिए जगह की कमी हो रही थी। अतः प्रयाग संग्रहालय के लिए नए भवन की आवश्यकता पड़ गई।

प्रश्न 7. गांव के लोग लेखक से मिलने क्यों आए?

उत्तर- लेखक पसोवा से जब कौशांबी लौट रहे थे तब उन्हें एक छोटे से गांव के निकट पत्थरों के ढेर के बीच पेड़ के नीचे एक चतुर्मुख शिव मूर्ति मिली। मूर्ति लगभग 20 सेर वजन की थी। उसे वहां से उठाकर अपने संग्रहालय में रखने के लिए लालायित हो उठे। उन्हें मूर्ति उठाते हुए किसी ने नहीं देखा। वह चुपचाप मूर्ति उठाकर अपने साथ ले आए। कुछ दिनों बाद जब मूर्ति के गायब होने का पता चला तो सब का संदेह लेखक पर गया, क्योंकि इस विषय में वे काफी प्रसिद्ध हो गए थे। गांव के लोग अपने मुखिया के साथ वही मूर्ति वापस लेने के लिए लेखक से मिलने आए।

अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. संग्रहालय के नए भवन का नक्शा किसने बनवाया था?

उत्तर. संग्रहालय के नए भवन का नक्शा जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई के विख्यात इंजीनियर मास्टर साठे और मृता से बनवाया था।

2. गांव वालों ने उपवास क्यों रखा?

उत्तर गांव से चतुर्मुख शिव की मूर्ति चोरी हो जाने के कारण गांव वालों ने इसे अपने धर्म पर आघात समझकर उपवास रखा।

3. फ्रांसीसी व्यवसायी बोधिसत्व की मूर्ति को क्यों खरीदना चाहता था?

उत्तर फ्रांसीसी व्यवसायी बोधिसत्व की मूर्ति के बारे में विदेशी पत्रों में पढ़ चुका था इसलिए वह उस महत्त्वपूर्ण एवं अत्यंत प्राचीन मूर्ति को खरीद कर अपने साथ अपने देश ले जाना चाहता था।

4. लेखक ने बोधिसत्व की मूर्ति प्राप्त करने के लिए क्या तरीका अपनाया?

उत्तर लेखक ने सिक्कों की झनझनाहट से बुढ़िया का ध्यान आकर्षित किया तथा उस लालची बुढ़िया को दो रुपये देकर मूर्ति प्राप्त कर ली।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ब्रजमोहन व्यास ने पुरातत्व सामग्री का संकलन, संरक्षण किसके लिए किया था?

1. प्रयाग संग्रहालय

2 कलकत्ता संग्रहालय

3 मद्रास संग्रहालय

4 दिल्ली संग्रहालय

2. प्रयाग संग्रहालय के नवीन विशाल भवन का उद्घाटन किसने किया था?

1 सतीश चंद्र काला

2 डा पन्नालाल

3 पं जवाहरलाल नेहरु

4 श्रीनिवास जी

3. ब्रज मोहन व्यास ने उद्घाटन के बाद प्रयाग संग्रहालय का दायित्व किसे सौंपा ?

1 डा० पत्रालाल

2 डा० सतीश चंद्र काला

3 ठाकुर गोपाल शरण सिंह

4 दीक्षित साहब

4. "मैं तो केवल निमित्त मात्र था। पर अरुण के पीछे सूर्य था।" किसका कथन है?

1 ब्रज मोहन व्यास

2 कामता प्रसाद कक्कड़

3 मास्टर साठे

4 डा पन्नालाल

5. ओरिएंटल कॉन्फ्रेंस का अधिवेशन कहां पर हुआ?

1 मैसूर

2 कलकत्ता

3 मुंबई

4 मद्रास

6. लेखक कौशांबी कब गया था?

1 1948 ईο

2 1956 ईο

3 1936 ईο

4 1942 ईο

7. बुढ़िया ने मूर्ति देने के बदले कितने रुपए लिए थे ?

1 पांच रुपये

2 दो रुपये

3 तीन रुपये

4 एक रुपया

8. कौशांबी से पसोवा की दूरी कितनी है?

1 ढाई मील

2 दो मील

3 आधा मील

4 एक मील

9. कौशांबी लौटते समय लेखक को कौन सी मूर्ति मिली?

1 शिवजी

2 गणेश जी

3 विष्णु जी

4 भद्रमथ

10. चतुर्मुख शिव की मूर्ति अंतर्धान होने पर गांव वालों का संदेह किस पर गया?

1 चपरासी पर

2 लेखक पर

3 मुखिया पर

4 मानसिंह पर

11. लेखक ने गांव वालों का उपवास क्या खिलाकर छुड़वाया?

1 प्रसाद

2 हलवा

3 मिठाई

4 नमकीन

12. बोधिसत्व की मूर्ति कितने फीट की थी?

1 चार फीट

2 दो फीट

3 आठ फीट

4 तीन फीट

13. कौवा और कोयल की पहचान किस ऋतु में होती है?

1 ग्रीष्म ऋतु में

2 शीत ऋतु में

3 वसंत ऋतुमें

4 हेमंत ऋतु में

14. प्रयाग संग्रहालय में कौन सी मूर्ति संसार में पाई गई मूर्तियों में पुरानी है?

1 बोधिसत्व की

2 शिव की

3 भटमथ की

4 गणिनाथ की

15. 1938 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर जनरल कौन थे?

1 श्रीनिवास जी

2 श्री के एन दीक्षित

3 श्री कृष्ण दास

4 गुलजार मियां

16. लेखक ने जिस संग्रहालय निर्माण कोष का निर्माण किया उसमें 10 वर्ष के भीतर कितने रुपए एकत्र हो गए?

1 दो लाख

2 एक लाख

3 तीन लाख

4 चार लाख

17. लेखक को संग्रहालय निर्माण के लिए भूखंड कहां मिला?

1 कंकड़ बाग

2 कंपनी बाग

3 गर्दनीबाग

4 गुलजार बाग

18. संग्रहालय भवन का नक्शा किस महोदय ने बनाया था?

1 जवाहरलाल नेहरू

2 मास्टर साठे और मूता

3 मिस्टर पत्रालाल

4 डा सतीश चंद्र काला

19. 'कच्चा चिट्ठा ब्रजमोहन व्यास की किस रचना का अंश है

1 पंडित बालकृष्ण भट्ट (जीवनी)

2 महामना मदन मोहन मालवीय

3 मेरा कच्चा शिक्षा (आत्मकथा)

4 जानकी हरण (कुमार दासकृत)

20. लेखक एक रुपए में कितनी अठन्नी भुनाना चाहता था?

1 दो अठन्नी

2 एक अठन्नी

3 तीन अठन्नी

4 चार अठन्नी

JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

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