12th Geography 5. भू-संसाधन तथा कृषि LAND RESOURCES AND AGRICULTURE

12th Geography 5. भू-संसाधन तथा कृषि LAND RESOURCES AND AGRICULTURE

12th Geography 5. भू-संसाधन तथा कृषि LAND RESOURCES AND AGRICULTURE

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Geography

5. भू-संसाधन तथा कृषि LAND RESOURCES AND AGRICULTURE

पाठ के मुख्य बिंदु

* कृषि : कृषि (एग्रीकल्चर) शब्द मुख्यतः दो लैटिन शब्दों से मिल कर बना है। एगर अर्थात भूमि तथा कल्चर अर्थात खेती करना है। दूसरे शब्दों में मृदा को जोतना, फसल उगाना तथा पशुओं के पालन पोषण का विज्ञान एवं कला को कृषि कहते हैं।

* भूमि उपयोग, भूमि के प्रयोग की प्रक्रिया है, जिसमें कृषि का व्यवहारिक उपयोग किसी निश्चित उद्देश्य से किया जाता है।

* भूमि या मृदा प्रकृति का निशुल्क उपहार है, जिसे मनुष्य अनेक प्रकार र्स उपयोग करता है। जैसे आवास के रूप में, कारखाना, चारागाह, कृषि, स्कूल, अस्पताल, संस्थाएं, मनोरंजन स्थल आदि।

* भारत में भौगोलिक क्षेत्र का मापन भारत के सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जाता है, जो स्थाई होता है।

* भू राजस्व अभिलेख द्वारा भारत में भूमि उपयोग को कई वर्गों में बांटा गया है। जैसे वन के अधीन क्षेत्र, गैर कृषि कार्य में प्रयुक्त भूमि बंजर एवं व्यर्थ भूमि, चारागाह क्षेत्र, विविधं तरु फसलों के अंतर्गत क्षेत्र, कृषि योग्य व्यर्थ भूमि, वर्तमान परती भूमि, पुरातन परती भूमि एवं निवल बोया गया क्षेत्र।

* भारत में समय के साथ भूमि उपयोग को प्रभावित करने वाले अर्थव्यवस्था के तीन परिवर्तक हैं :- अर्थव्यवस्था का आकार, अर्थव्यवस्था की संरचना, एवं कृषि भूमि पर बढ़ता दबाव।

* शस्य गहनता का संबंध कृषि भूमि के गहन उपयोग से होता है। एक कृषि वर्ष में एक ही खेत में कई फसलों को लगा कर अधिक उत्पादन प्राप्त करना ही शस्य गहनता कहलाता है। हम कह सकते हैं कि सकल बोये गए क्षेत्र तथा शुद्ध बोये गए क्षेत्र के अनुपात को शस्य गहनता कहा जाता है।

* किसी क्षेत्र में भू-उपयोग, अधिकतर वहाँ की आर्थिक क्रियाओं की प्रकृति पर निर्भर है। यद्यपि समय के साथ आर्थिक क्रियाओं में बदलाव आता रहता है, लेकिन भूमि अन्य बहुत से संसाधनों की भांति क्षेत्रफल की दृष्टि से स्थायी है।

* कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है। देश की लगभग 53 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।

* हमारे देश के 57 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती है जबकि, विश्व में कुल भूमि में केवल 12 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती है।

* भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि के अन्तर्गत होने के बावजूद यहाँ भूमि पर दबाव अधिक है। यहाँ प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात केवल 0.31 हेक्टेयर है, जो विश्व औसत 10.59 हैक्टेयर प्रति व्यक्ति) से लगभग आधा है।

* पिछले कुछ दशकों में बदलती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रभाव भू उपयोग पर पड़ा है।

* भू-संसाधन को इसके स्वामित्व के आधार पर 2 प्रकारों में रख सकते हैं निजी एवं साझा संपत्ति । साझा संपत्ति संसाधन का उपयोग चरागाह एंव ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिये होता है।

* भूमि की उपलब्धता का सीधा सम्बन्ध ग्रामीण भारत की सम्पन्नता यी विपन्नता से होता है क्योंकि भूमि कृषि का आधार है। भूमिहीन लोग अधिकतर गरीबी का शिकार है।

* भारत में धरातलीय एवं जलवायु संबंधी विविधता देखी जाती है, अतः यहाँ कृषीय फसलों की विशाल विविधता पाई जाती है। स्वतंत्रता के पश्चात् कृषि की तमाम समस्याओं का समाधान कर लिया गया है।

* भारत के भूमि उपयोग संबंधी प्रपत्र के विवरण भू-राजस्व द्वारा तैयार किये जाते है।

* निवल बोये गये क्षेत्र में बढ़ोतरी के लिये भूमि बचत प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिये। इसके अन्तर्गत प्रति इकाई भूमि में फसल विशेष की उत्पादकता को बढ़ाना तथा एक कृषि वर्ष में गहन भू उपयोग से सभी फसलों का उत्पादन बढ़ाना सम्मिलित है।

* भारत में कृषि फसलों के अंतर्गत खाद्यात्र फसलें एवं व्यावसायिक फसलों की कृषि की जाती है।

* सतत् कृषि के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय मिशन 2014-15 में भारत सरकार के सहयोग से चालू किया गया, जिसका उद्देश्य है- एकीकृत या समग्र कृषि प्रणालियों को प्रोत्साहन प्रदान करना एवं कृषि को अधिक उपजाऊ टिकाऊ लाभकारी एवं जलवायु के अनुकूल बनाना।

* भारत का किसान पोर्टल भारत सरकार द्वारा देश के किसानों के लिए कृषि से संबंधित अधिकांश जानकारी देने का एक मंच है, जिसके अंतर्गत किसानों का बीमा, कृषि भंडारण, कृषि फसल, कृषि विस्तार गतिविधियां, बीजों, कीटनाशकों तथा मशीनरी आदि से जुड़ी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।

* हरित क्रांति भारत में हरित क्रान्ति कृषि के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी : उपलब्धि थी नवीन कृषि प्रौद्योगिकी तथा सिंचाई के सहयोग से खाद्यान्नों के उत्पादन में होने वाली अभूतपूर्व वृद्धि को हरित क्रांति कहा गया।

* गहन कृषि के अंतर्गत अधिक उपज प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रतीक आई क्षेत्र में पूंजी और श्रम की बड़ी मात्रा का प्रयोग किया जाता है।

* खाद्यान्नों के उत्पादन में भारत का विश्व में स्थान तृतीय है। (चीन एंव U.S.A के बाद)

* विश्व के चावल उत्पादक में भारत का उत्पादन :- 22%

* सिंचाई पर निर्भर रहने वाले चावल उत्पादक क्षेत्र है- पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश |

* रबी एवं खरीफ की मुख्य फसल रबी- गेहूं खरीफ-चावल ।

* गेहूँ उत्पादन में अग्रणी राज्य :- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान ।

* किन फसलों के उत्पादन में विश्व में भारत अग्रणी (प्रथम स्थान है चाय, दालें।

* हरित क्रान्ति का आधार :- नवीन प्रौद्योगिकी, अच्छे बीज, उर्वरक एवं सिंचाई |

* चावल का प्रमुख उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल ।

* मूंगफली का प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात।

* जूट उत्पादन का प्रमुख राज्य पश्चिम बंगाल ।

* सरसों उत्पादन का प्रमुख राज्य राजस्थान ।

* कुल तिलहन उत्पादन का प्रमुख राज्य मध्यप्रदेश |

* गन्ना का प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश।

* मसाले में अग्रणी राज्य- केरल।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है?

(क) परती भूमि

(ख) सीमांत भूमि।

(ग) निवल बोया क्षेत्र।

(घ) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि ।

2. पिछले 40 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्नलिखित में से कौन सा कारण है?

(क) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास।

(ख) सामुदायिक वनों के अध्ययन क्षेत्र में वृद्धि।

(ग) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि।

(घ) वन क्षेत्र प्रबंधन में लोगों की बेहतर भागीदारी।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू- निनीकरण का मुख्य प्रकार है?

(क) अवनालिका अपरदन।

(ख) वायु अपरदन।

(ग) मृदा लवणता ।

(घ) भूमि पर सिल्ट का जमाव ।

4. शुष्क कृषि में निम्नलिखित में से कौन सी फसल नहीं बोपी जाती है।

(क) रागी।

(ख) ज्वार।

(ग) मूंगफली ।

(घ) गन्ना ।

5. निम्नलिखित में से कौन से देशों में गेहूं व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थी?

(क) जापान तथा ऑस्ट्रेलिया।

(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान ।

(ग) मेक्सिको तथा फिलिपिंस ।

(घ) मेक्सिको तथा सिंगापुर

6. गन्ना का उत्पादन सबसे अधिक कहां किया जाता है?

(क) बिहार।

(ख) उत्तर प्रदेश |

(ग) तमिलनाडु ।

(घ) महाराष्ट्र।

7. निम्नलिखित में से कौन रेशेदार फसल है?

(क) कॉफी

(ख) चाय

(ग) गेहूं

(घ) कपास।

8. झूमिंग कृषि कहां की जाती है?

(क) उत्तर प्रदेश

(ख) पंजाब।

(ग) बिहार

(घ) असम ।

9. भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी?

(क) 1950 के दशक में।

(ख) 1960 के दशक में।

(ग) 1970 के दशक में।

(घ) 1980 के दशक में।

10. निम्नलिखित में नकदी फसल कौन सा है?

(क) कपास

(ख) जूट

(ग) चाय

(घ) इनमें से सभी।

11. खरीफ फसल की कृषि ऋतु क्या है?

(क) अक्टूबर से मार्च

(ख) अप्रैल से जून

(ग) सितंबर से जनवरी

(घ) जून से सितंबर।

12. भारत में गेहूं उत्पादन में अग्रणी राज्य कौन है?

(क) मध्य प्रदेश

(ख) पंजाब

(ग) हरियाणा

(घ) उत्तर प्रदेश।

13. निम्नलिखित में से कौन पेप फसल है?

(क) चाय

(ख) कॉफी

(ग) चाय तथा कॉफी

(घ) इनमें से कोई नहीं।

14. निम्नलिखित में से कौन एक व्यापारिक फसल नहीं है?

(क) चाय

(ख) जूट

(ग) गेहूं

(घ) कपास

15. निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र धान का कटोरा कहलाता है?

(क) कृष्ण गोदावरी डेल्टा क्षेत्र

(ख) गंगा सिंधु मैदानी क्षेत्र

(ग) उत्तर पूर्वी क्षेत्र

(घ) केरल तथा तमिलनाडु ।

16. गेहूं की खेती के लिए आदर्श तापमान कितना होना चाहिए?

(क) 5 से 10 डिग्री सेंटीग्रेड ।

(ख) 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड।

(ग) 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड

(घ) 30 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड ।

17. चॉकलेट में कौन सा पदार्थ उपयोग किया जाता है?

(क) कहवा

(ख) चुकंदर

(ग) कोको

(घ) गन्ना ।

18. भारत में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

(क) बिहार

(ख) उड़ीसा

(ग) पश्चिम बंगाल

(घ) आंध्र प्रदेश

19. रबी की फसल किस ऋतु में पैदा होती है?

(क) शीत ऋतु में

(ख) वर्षा ऋतु में

(ग) ग्रीष्म ऋतु में

(घ) सभी ऋतु में।

20. निम्नलिखित में से कौन बागानी फसल नहीं है

(क) काफी

(ख) चाय

(ग) रबड़

(घ) मक्का।

21. निम्नलिखित में से कौन सा रोपण फसल नहीं है?

(क) कॉफी

(ख) गेहूं

(ग) गत्रा

(घ) रबड़ ।

22. निम्नलिखित में कौन सी खाद्य फसल है?

(क) गन्ना

(ख) कॉफी

(ग) मक्का

(घ) चुकंदर

अति लघु उतरीय प्रश्न

1. फसल गहनता की गणना किस प्रकार की जाती है या शस्य गहनता से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर: एक ही क्षेत्र में एक कृषि वर्ष में उगाई गई फसलों की संख्या को शस्य गहनता कहा जाता है। उसे ज्ञात करने का सूत्र है-

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2. रबी की फसलों से आपका क्या तात्पर्य है?

उत्तर : रबी की फसलों को शरद ऋतु में लगाया जाता है। अर्थात इसकी कृषि ऋतु अक्टूबर से मार्च माह में होती है। मुख्य फसल है- गेहूं, चना, सरसों, जो आदि।

3. दालें मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को बढानें में कैसे मददगार साबित हुई है ?

उत्तर: ये फलीदार फसलें हैं जो नाईट्रोजन योगीकरण के द्वारा मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को बढ़ाती हैं।

4. दक्षिणी राज्यों तथा पश्चिम बंगाल में एक कृषि वर्ष में चावल की दो या तीन फसलें बोई जाती हैं। इसका प्रमुख कारण क्या है ?

उत्तर: उष्ण व आर्द्र जलवायु । अर्थात फसल उत्पादन के अनुकूल जलवायु।

5. शुष्क कृषि किसे कहते हैं?

उत्तर: वैसे क्षेत्र जहां वार्षिक वर्षा 75 सेंटीमीटर से कम होती है। शुष्क कृषि की जाती है। इसमें फसलों को शुष्कता सहने की क्षमता होती है। जैसे रागी, बाजरा, मूंग, चना आदि।

6. अमेरिकन कपास देश के किस भाग में उगाया जाता है तथा वहाँ इसे किस नाम से जाना जाता है ?

उत्तर- भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में अमेरिकन कपास की कृषि की जाती है। वहाँ इसे नरमा' के नाम से जाना जाता है।

7. अल्प बेरोजगारी से आपका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- भारतीय कृषि ऋतु में वर्ष भर रोजगार उपलब्ध नहीं होता क्योंकि कृषि कार्यों लगातार गहन श्रम वाले नहीं है। इसी को अल्प बेरोजगारी कहते हैं

8. सबसे अधिक एवं सबसे कम शस्य गहनता वाले राज्यों के नाम लिखें।

उत्तर: सर्वाधिक शस्य गहनता पंजाब में एंव सबसे कम शस्य गहनता मिजोरम में है।

9. कॉफी की तीन किस्मों के नाम लिखें।

उत्तर: अरेबिका, रोबस्ता व लिवेरिका ये तीनों कॉफी की किस्में हैं।

10. पश्चिम बंगाल में चावल की कितनी फसलें उगाई जाती हैं?

उत्तर: पश्चिम बंगाल में चावल की तीन फसले उगाई जाती हैं औँस, अमन तथा बोरों।

11. विश्व में चावल के उत्पादन में भारत का कौन सा स्थान है ?

उत्तर: विश्व में चावल के उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। यहां विश्व का लगभग 21.2% चावल उत्पादन किया जाता है।

12. साझा संपत्ति संसाधन का क्या अर्थ है ?

उत्तर: साझा संपति संसाधन पर राज्यों का स्वामित्व होता है। इसके अंतर्गत चरागाह, जलीय संसाधन, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा वन उत्पाद उपलब्ध कराये जाते हैं।

13. खरीफ फसल से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः खरीफ फसल भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के आरंभ के साथ बोयी जाने वाली एवं शरद ऋतु में काटी जाने वाली फसल है। जैसे चावल, बाजरा, जूट, गन्ना कपास आदि प्रमुख खरीफ फसलें हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर: बंजर भूमि वैसी भूमि को कहते हैं, जो प्रौद्योगिकी की सहायता से कृषि योग्य उपजाऊ नहीं बनाई जा सकती है। जैसे बंजर पहाड़ी - भूभाग, मरुस्थल आदि।

कृषि योग्य भूमि जो पिछले पांच वर्षों तक या उससे अधिक समय तक परती छोड़ दिया जाता है जिसमें कृषि कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन नवीन तकनीकी द्वारा इसे सुधार कर कृषि योग्य बनाया जा सकता है।

2. निवल बोए क्षेत्र तथा सकल बोए गए क्षेत्र में अंतर बताएं।

उत्तर: निवल बोए गए क्षेत्र में ऐसी भूमि सम्मिलित की जाती है, जिस पर फसलें उगाई जाती हैं एवं काटी जाती है। इसे शुद्ध बोया गया क्षेत्र भी कहा जाता है।

जबकि सकल बोए क्षेत्र में एक कृषि वर्ष में विभिन्न फसलों के अंतर्गत बोए गए कुल क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है।

3. भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर - भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन यहां कृषि भूमि मानवीय श्रम की अपेक्षा कम है। ऐसी स्थिति में गहन कृषि नीति की आवश्यकता पड़ती है, जिससे भूमि उपयोग के साथ-साथ देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम किया जा सकता है एवं कृषि उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।

4. वर्तमान परती एवं पुरातन परती भूमि में क्या अंतर है?

उत्तर: वर्तमान परती भूमि- यह वह भूमि जिस पर एक वर्ष या उससे कम - समय के लिये खेती नहीं की जाती। यह भूमि की उर्वरता बढ़ाने का प्राकृतिक तरीका होता है।

पुरातन परती भूमि:- वह भूमि जिसे एक वर्ष से अधिक किन्तु पाँच वर्ष से कम के लिये खेती हेतु प्रयोग नहीं किया जाता।

5. शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर है?

उत्तरः शुष्क कृषि :- वैसे क्षेत्रों में की जाती है, जहां वार्षिक वर्षा 75 सैंटीमीटर से कम होता है तथा वैसे फसलों को इसमें लगाया जाता है जिसमें शुष्कता सहने की क्षमता होती है जैसे रागी, बाजरा, चना, ज्वार आदि।

आर्द्र कृषि :-  वैसे क्षेत्रों में लगाई जाती है, जहां 75 सेंटीमीटर से :- अधिक वर्षा होती है। इन क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि के अंतर्गत जो फसल लगाए जाते हैं, उसमें पानी की आवश्यकता अधिक होती है। जैसे- गन्ना, चावल, जूट आदि ।

6. फसलों के लिए आर्द्रता के प्रमुख स्रोत के आधार पर भारत में कृषि को कितने समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है? नाम लिखिए एवं प्रत्येक की दो विशेषताएँ बताइये

उत्तर:

(क) सिंचित कृषि :- इसका उद्देश्य वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है। अधिकतम क्षेत्र को पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध कराना है। अधिकतम फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर उत्पादकता प्राप्त कराना तथा उत्पादन योग्य क्षेत्र को बढ़ाना

(ख) वर्षा निर्भर कृषि :- यह पूर्णतया वर्षा पर निर्भर होती है। उपलब्ध आर्द्रता की मात्रा के आधार पर इसे शुष्क भूमि कृषि व आर्द्र भूमि कृषि में बाँटते हैं।

7. भारत के तीनों भिन्न फसल ऋतुओं की किन्हीं दो-दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ।

उत्तर : भारत में निम्नलिखित तीन कृषि ऋतु होती है :-

क. खरीफ ऋतु यह ऋतु जून माह में प्रारम्भ होकर सितम्बर माह तक रहती है। इस ऋतु में चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर आदि की कृषि की जाती है। खरीफ की फसल दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ संबंध है। दक्षिण- पश्चिम मानसून के साथ चावल की फसल शुरू होती है।

ख. रबी ऋतु: रबी की ऋतु अक्टूबर-नवम्बर में शरद ऋतु से प्रारम्भ होती है। गेहूँ चना, तोराई, सरसो, जौ आदि फसलों की कृषि इसके अन्तर्गत की जाती है।

ग. जायद ऋतु जायद एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन फसल ऋतु हैं जो रबी की कटाई के बाद प्रारम्भ होती है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, सब्जियां व चारे की फसलों की कृषि होती है।

8. हरित क्रांति क्या है?

उत्तर: 1960-70 के दशक में खाद्यात्रों विशेष रूप से गेहूँ के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की गयी। इसे ही हरित क्रान्ति कहा जाता है। खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि के लिये निम्न उपायों को अपनाया गया।

क. उच्च उत्पादकता वाले बीज ।

ख. रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

ग. सिंचाई की सुविधा

पंजाब, हरियाणा एवं प. उत्तर प्रदेश में हरित क्रान्ति के कारण गेहूँ के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई ।

9. अंतर स्पष्ट करें :-

क. बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि ।

उत्तर:

बंजर भूमि :- वह भूमि जो भौतिक दृष्टि से कृषि के अयोग्य है। जैसे वन ऊबड़-खाबड़ भूमि एवं पहाड़ी भूमि, रेगिस्तान एवं अपरदित खड्ड भूमि आदि ।

कृषि योग्य व्यर्थ भूमि :- यह वह भूमि है जो पिछले पाँच वर्षों या उससे अधिक समय तक व्यर्थ पड़ी है। इस भूमि को कृषि तकनीकी के जरिये कृषि क्षेत्र के योग्य बनाया जा सकता है।

ख. शुद्ध बोया गया क्षेत्र एंव सकल बोया गया क्षेत्र ।

उत्तर:

शुद्ध बोया गया :- किसी कृषि वर्ष में बोया गया कुल फसल क्षेत्र शुद्ध बुआई क्षेत्र कहलाता है।

सकल बोया गया क्षेत्र :- जोते एंव बोये गये क्षेत्र में शुद्ध बुआई क्षेत्र तथा शुद्ध क्षेत्र का वह भाग शामिल किया जाता है जिसका उपयोग एक से अधिक बार किया गया हो।

10. भारत में कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण किस प्रकार कृषि की गंभीर समस्याओं में से एक है ? कारण एवं परिणाम लिखिये ।

उत्तर: भूमि संसाधनों के निम्नीकरण के कारण:-

(क) नहर द्वारा अत्यधिक सिंचाई जिसके कारण लवणता एवं क्षारीयता में वृद्धि होती है।

(ख) कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग ।

(ग) जलाक्रांतता (पानी का भराव होना)

(घ) फसलों को हेर-फेर करके न बोना, दलहन फसलों को कम बोना ।

(ड) सिंचाई पर अत्याधिक निर्भर फसलों को उगाना ।

परिणाम :-

(क) मिट्टी की उर्वरता शक्ति कम होना।

(ख) मिट्टी का अपरदन ।

11. "किसी क्षेत्र के भू-उपयोग अधिकतर उस क्षेत्र की आर्थिक क्रियाओं एवं भूमि की प्रकृति पर निर्भर करता है। भारत में तीन उदाहरण देकर कथन की पुष्टि करें।

उत्तरः

(क) अर्थव्यवस्था का आकार : इसे उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य के संदर्भ में समझा जाता है। समय के साथ जनसंख्या बढ़ने के कारण भूमि पर दबाव पड़ता है तथा सीमांत भूमि को भी प्रयोग में लाया जाता है।

(ख) अर्थव्यवस्था की संरचना द्वितीयक तथा तृतीयक सेक्टरों में प्राथमिक सेक्टर की अपेक्षा अधिक तीव्रता से वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया में धीरे-धीरे कृषि भूमि गैर कृषि संबंधित कार्यों में प्रयुक्त होती है।

(ग) कृषि कलापों का योगदान समय के साथ कृषि क्रिया कलापों का अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता जाता है, परंतु भूमि पर कृषि कलापों का दबाव कम नहीं होता।

12. भारत में भू-संसाधनों का महत्व उन लोगों के लिए अधिक है। जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर  :

क) द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। भूमिहीनता का ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी से प्रत्यक्ष संबंध है।

ख) भूमि की गुणवत्ता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है। अन्य कार्यों की नहीं।

ग) ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का स्वामित्व आर्थिक मूल्य के साथ 2 सामाजिक सम्मान से भी जुड़ा है।

13. 1990 के दशक की उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने भारतीय कृषि विकास को प्रभावित किया हैं। स्पष्ट कीजिए

उत्तर :

क) उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने ग्रामीण कृषि अवसंरचना के विकास में कमी तथा किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य में कमी पैदा की है।

ख) इस नीति के कारण सरकार ने कृषि क्षेत्र की योजनाओं को पीछे कर दिया है। राष्ट्रीय आय का बहुत कम भाग कृषि विकास पर खर्च किया जाता है।

ग) किसानों को बीजों उर्वरकों तथा कीटनाशकों पर मिलने वाली छूट में कमी आयी है।

घ) ग्रामीण ऋण उपलब्धता में रुकावटें पैदा हुई है।

ङ) अंतर प्रादेशिक व अंतवैयक्तिक विषमता पैदा हुई है।

14. भारत की दो प्रमुख पेय फसलों के नाम लिखिए। प्रत्येक फसल के दो महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों के नाम बताइए ।

उत्तर: भरत की दो प्रमुख पेय फसलें चाय और कहवा ।

क) चाय के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य असम, पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु |

ख) कहवा के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य-कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु ।

15. साझा संपत्ति संसाधन का छोटे कृषकों तथा महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

क) ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे कृषकों तथा अन्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन यापन में इनका महत्व है क्योंकि भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त आजीविका पर निर्भर है।

ख) ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की जिम्मेदारी चारा व ईंधन एकत्रित करने की होती है।

ग) साझा संपत्ति संसाधन वन उत्पाद जैसे फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि उपलब्ध कराती है।

16. छोटी कृषि जोत और कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण भारतीय कृषि को दो प्रमुख समस्याएँ किस प्रकार है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर: भारतीय कृषि की प्रमुख दो समस्याएँ-

क. छोटी कृषि जोत- बढ़ती जनसंख्या के कारण भूमि जोतों का आकार लगातार सिकुड़ रहा है। लगभग 60 प्रतिशत किसानों की जोतो का आकार तो एक हेक्टेयर से भी कम है और अगली पीढ़ी के लिए इसके और भी हिस्से हो जाते हैं। जो कि आर्थिक दृष्टि से लाभकारी नहीं है। ऐसी कृषि जोतो पर केवल निर्वाह कृषि की जा सकती है।

ख. कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण- कृषि योग्य भूमि की निम्नीकरण कृषि की एक अन्य गंभीर समस्या है इससे लगातार भूमि का उपजाऊपन कम हो जाता है। यह समस्या उन क्षेत्रों में ज्यादा गंभीर है जहां अधिक सिंचाई की जाती है। कृषि भूमि का एक बहुत बड़ा भाग लवणता, क्षारता व जलाकृतिता के कारण बंजर हो चुका है। कीटनाशक रसायनों के कारण भी उर्वरता शक्ति कम हो जाती है।

17. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्व है?

उत्तर भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अत्याधिक महत्व है।

क. देश की कुल श्रमिक शक्ति का 80 प्रतिशत भाग कृषि का है।

ख. देश के कुल राष्ट्रीय उत्पाद में 26 प्रतिशत योगदान कृषि का है।

ग. कृषि से कई कृषि प्रधान उद्योगों को कच्चा माल मिलता है। जैसे कपड़ा उद्योग, जूट उद्योग, चीनी उद्योग आदि।

घ. कृषि से ही पशुओं को चारा प्राप्त होता है।

ङ. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नहीं बल्कि जीवन यापन की एक विधि है।

18. साझा संपत्ति संसाधन का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी मुख्य विशेषताएं बताइए ?

उत्तर: भूमि के स्वामित्व के आधार पर भूमि संसाधनों को दो भागों में बaaटा जाता है-

क) निजी भू-संपति ।

ख) साझा संपत्ति संसाधन

निजी संपत्ति पर व्यक्तियों का निजी स्वामित्व या कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है जबकि साझा संपत्ति सामुदायिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होती है इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं-

क) पशुओं के लिए चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा साथ ही अन्य वन उत्पाद जैसे फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि साझा संपति संसाधन में आते हैं।

ख) आर्थिक रूप में कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन-यापन में इन भूमियों का विशेष महत्व है क्योंकि इनमें से अधिकतर भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त अजीविका पर निर्भर है।

ग) महिलाओं के लिए भी इनका विशेष महत्व है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में चारा व ईंधन लकड़ी के एकत्रीकरण की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।

घ) सामुदायिक वन, चारागाह, ग्रामीण जलीय क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा संपत्ति संसाधन के उदाहरण है।

19. 1990 के दशक की उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने भारतीय कृषि विकास को प्रभावित किया हैं स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

क) उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने उत्तरः का ग्रामीण कृषि अवसंरचना के विकास में कमी तथा किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य में कमी पैदा की है।

ख) इस नीति के कारण सरकार ने कृषि क्षेत्र की योजनाओं को पीछे कर दिया है। राष्ट्रीय आय का बहुत कम भाग कृषि विकास पर खर्च किया जाता है।

ग) किसानों को बीजों उर्वरकों तथा कीटनाशकों पर मिलने वाली छूट में कमी आयी है।

घ) ग्रामीण ऋण उपलब्धता में रुकावटें पैदा हुई है।

ङ) अंतर प्रादेशिक व अंतर्वैयक्तिक विषमता पैदा हुई है।

20. "पिछले पचास वर्षों में कृषि उत्पादन व प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है इस कथन की पुष्टि उपयुक्त तथ्यों द्वारा किजिए।

उत्तर: बहुत सी फसलों जैसे चावल तथा गेहूँ के उत्पादन तथा पैदावार में प्रभावशाली वृद्धि हुई है। दालों व जूट के उत्पादन में प्रथम व चावल, गेहूँ, गन्ना,मूँगफली में भारत दूसरी बड़ा उत्पादक देश है।

सिंचाई के प्रसार ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी बीजों की उत्तम किस्में रासायनिक खाद, कीटनाशकों तथा मशीनरी के प्रयोग के लिए आधार प्रदान किया है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी का प्रसार तीव्रता से हुआ है। रासायनिक उर्वरकों की खपत में भी कई गुना वृद्धि हुई है। उत्तम बीज के किस्मों में कीट प्रतिरोधकता कम है अतः कीटनाशकों की खपत में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. भारत के भूसंसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ कौन-सी है? उनका निदान कैसे किया जाए ?

उत्तर- भारत के भूसंसाधनों पर बढ़ते दबाव के कारण अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं जिनमें निम्नलिखित पर्यावरणीय समस्याएँ उल्लेखनीय हैं-

(क) मृदा उर्वरकता में हास- कृषि भूमि पर तेजी से बढ़ते जनसंख्या के बढ़ते दबाव से कृषि उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से जहाँ एक ओर दहलनों के कृषि क्षेत्र में कमी आ रही है, वहीं दूसरी ओर बहु- फसलीकरण में बढ़ोतरी होने से परती भूमि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कमी आई है। इससे भूमि में पुनः उर्वरता पाने की प्राकृतिक प्रक्रिया अवरुद्ध हुई है जैसे नाइट्रोजनीकरण। साथ ही पर्याप्त मात्रा में रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशक रसायनों का प्रयोग भी भारतीय कृषकों द्वारा किया जा रहा है। उक्त कारणों के भारत के विभिन्न क्षेत्रों की मृदा उत्पादकता में हास अनुभव किया जा रहा है। सिंचाई तथा कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों के कारण यह समस्या और भी गम्भीर हो गई है।

(ख) मृदा अपरदन- भारत में समुचित रख-रखाव व प्रबन्धन के अभाव मैं प्रतिवर्ष लाखों हेक्टेअर भूमि मृदा अपरदन की समस्या से ग्रस्त हो रही है। शुष्क क्षेत्रों, पर्याप्त वर्षा प्राप्त करने वाले वनस्पति विहीन क्षेत्रों, जलोढ़ मिट्टी वाले भागों कटे-फटे पठारी भागों में तथा तीव्र ढाल रखने वाले धरातलीय भू-भागों में मृदा अपरदन प्रमुख रूप से प्रभावी मिलता है।

(ग) लवणता, मृदा क्षारता तथा जलाक्रांतता अभी तक भारत की लगभग 80 लाख हेक्टेअर भूमि लवणता व क्षारता से प्रभावित हो चुकी है।

2. भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं एवं कृषि के विकास में हरित क्रांति की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर : भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएँ

क) अनियमित मानसून पर निर्भरता

ख) निम्न उत्पादकता

ग) वित्तीय संसाधनों की बाधाएँ तथा ऋणग्रस्तता

घ) भूमि सुधारों की कमी

ङ) छोटे खेत तथा विखंडित जोतें

च) अत्याधिक रसायनों व उर्वरकों का प्रयोग

छ) सिंचाई साधनों की कमी।

भारत में 1960 के दशक में खाद्यान फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अधिक उत्पादन देने वाली नई किस्मों के बीज किसानों को उपलब्ध कराये गये। किसानों को अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराये गए, जिसे पैकेज प्रौद्योगिकी के नाम से जाना जाता है। जिसके फलस्वरूप पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राज्यों में खाद्यान्नों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसे हरित क्रान्ति के नाम से जाना जाता है। हरित क्रान्ति की निम्नलिखित विशेषताएं है:

क) उन्नत किस्म के बीज

ख) सिंचाई की सुविधा

ग) रासायनिक उर्वरक

घ) कीटनाशक दवाईयां

ङ) कृषि मशीनें

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग 'अ' मानव भूगोल के मूलभूत सिद्धांत

1

मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

2

विश्व की जनसंख्या : वितरण, घनत्व तथा वृद्धि

3

जनसंख्या संघटन

4

मानव विकास

5

प्राथमिक क्रियाएँ

6

द्वितीयक क्रियाएँ

7

तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

8

परिवहन एवं संचार

9

अंतरराष्ट्रीय व्यापार

10

मानव अधिवास / बस्ती

भाग 'ब'- भारत : लोग और अर्थव्यवस्था

1

जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

2

प्रवास : प्रकार, कारण एवं परिणाम

3

मानव विकास

4

मानव बस्तियाँ

5

भू-संसाधन तथा कृषि

6

जल संसाधन

7

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

8

निर्माण उद्योग

9

भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

10

परिवहन एवं संचार

11

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

12

भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination-2023

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