प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Geography
7. खनिज तथा ऊर्जा संसाधन MINERALS AND ENERGY RESOURCES
पाठ के मुख्य बिंदु
*
भूमि के अंदर से निकाले गये पदार्थ को खनिज पदार्थ कहा जाता है। किसी भी राष्ट्र के
आर्थिक विकास में खनिज संसाधनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। खनिज संसाधनों को किसी
राष्ट्र के औद्योगिक विकास की कुंजी माना जाता है।
*
भारत अपनी विविधतापूर्ण भूगर्भिक संरचना के कारण विविध प्रकार के खनिज संसाधनों में
धनी है।
*
खनिज पदार्थों का एक निश्चित रासायनिक एवं भौतिक गुण होता है तथा ये कार्बनिक और अकार्बनिक
उत्पत्ति के प्राकृतिक पदार्थ होते हैं।
*
भारी मात्रा में बहुमूल्य खनिज पूर्व पूराजीवी काल या प्री पैलाइजोइक युग की चट्टानों
में निक्षेपित हैं।
*
खनिजों की गुणवत्ता एवं मात्रा के बीच प्रतिलोभी संबंध पाया जाता है अर्थात् मूल्यवान
खनिज कम मात्रा में उपलब्ध होते हैं जैसे सोना, यूरेनियम आदि। अधिकांश धात्विक खनिज
हमारे देश के प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र की प्राचीन क्रिस्टलीय शैलों में पाए जाते
हैं।
*
भारत में खनिज मुख्यतः तीन विस्तृत पट्टियों में संकेन्द्रित है।
1)
उत्तर पूर्वी पठार
2)
दक्षिण पश्चिमी पठार
3)
उत्तर पश्चिमी प्रदेश
*
भारत में पर्याप्त मात्रा में लौह भंडार है। यह लगभग 2000 करोड़ टन के भंडार हैं। लौह
के कुल आरक्षित भंडारो का लगभग 96% भाग उड़ीसा झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश
व तमिलनाडु में है।
*
मैगनीज बहुउपयोगी खनिज है भारत विश्व में इसके उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इसका उपयोग मिश्र धातु बनाने व विनिर्माण में किया जाता है।
*
भारत में ईधन खनिज जैसे कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैसे भी प्रचुर मात्रा में
है। पेट्रोलियम का आयात करना पड़ता है। कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस व परमाणु
उर्जा, उर्जा के परंपरागत स्रोत है। ये समाप्य संसाधन है।
*
परमाणु ऊर्जा के लिये कच्चे माल के रूप में यूरेनियम एवं थोरियम भी भारत में पाया है।
*
भारत में 6 प्रमुख परमाणु शक्ति केन्द्र हैं। सतत पोषणीय विकास के लिए खनिज संसाधनों
का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
*
इसी प्रकार के खनिज भूगर्भ में एक निश्चित मात्रा में ही है अतः उनका उपयोग बुद्धिमत्ता
से करना चाहिये।
*
ऊर्जा के परंपरागत साधनों जैसे कोयले, गैस एवं प्राकृतिक तेल के संरक्षण के साथ-साथ
गैर परंपरागत साधनों का विकास आवश्यक है जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैव ऊर्जा आदि
।
मुख्य खनिजों का संक्षिप्त वितरण |
|||
क्रसं |
खनिज |
उपयोग |
प्रमुख
क्षेत्र जहाँ पाया जाता है |
1. |
लौह-
अयस्क |
सभी
उद्योगों का आधार |
उड़ीसा,
झारखंड, छत्तीसगढ़ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु |
2. |
मैंगनीज |
मिश्र
धातु बनाने में सहायक एवं लौह धातु की गलन भट्टी में प्रयोग। |
उड़ीसा,
कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश |
3. |
बॉक्साइट |
अल्यूमीनियम
उद्योग में सहायक। |
उड़ीसा,
गुजरात, छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश, तमिलनाडु कर्नाटक |
4. |
ताँबा |
विद्युत
संबंधी कार्यों में। |
आंध्र
प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु |
5. |
माइका
/ अभ्रक |
विद्युत
एवं इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी में। |
झारखंड
आंध्र प्रदेश, राजस्थान |
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. बॉम्बे हाई क्यों प्रसिद्ध है?
क. खनिज तेल के लिए
ख.
कोयले के लिए
ग.
मैंगनीज के लिए
घ.
तांबा उत्पादन के लिए।
2. अंकलेश्वर तेल क्षेत्र किस राज्य में स्थित है?
क. गुजरात
ख.
आंध्र प्रदेश
ग.
राजस्थान
घ.
झारखंड |
3. निम्नलिखित में किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित है?
क. असम
ख.
बिहार
ग.
राजस्थान
घ.
तमिलनाडु ।
4. निम्नलिखित में कौन भारत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है?
क.
कलपक्कम
ख.
नरोरा
ग.
राणा प्रताप सागर
घ. तारापुर |
5. निम्नलिखित में कौन सा ऊर्जा का अनवीकरणीय संसाधन है?
क.
जल
ख.
सौर
ग. ताप
घ.
पवन
6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक ऊर्जा का गैर परंपरागत स्रोत है?
क.
कोयला
ख.
खनिज तेल
ग. सौर ऊर्जा
घ.
जलविद्युत
7. निम्नलिखित किस क्षेत्र में खनिज तेल का सबसे बड़ा भंडार पाया जाता
है?
क.
ईरान
ख.
इराक
ग.
चीन
घ. सऊदी अरब
8. मैंगनीज का सबसे बड़ा भंडार किस राज्य में है?
क.
झारखंड
ख.
उड़ीसा
ग. मध्य प्रदेश
घ.
आंध्र प्रदेश
9. अंकलेश्वर क्षेत्र कहां है?
क.
असम में
ख.
राजस्थान में
ग.
आंध्र प्रदेश में
घ. गुजरात में
10. हजीरा - विजयपुर जगदीशपुर गैस पाइपलाइन किस राज्य से होकर नहीं
गुजरती है?
क. महाराष्ट्र
ख.
गुजरात
ग.
मध्य प्रदेश
घ.
उत्तर प्रदेश
11. बाबा बुदन की पहाड़ी कहां स्थित है?
क. कर्नाटक में
ख.
गोवा में
ग.
झारखंड में
घ.
ओडिशा में
12. रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र किस राज्य में है?
क.
उत्तर प्रदेश
ख.
आंध्र प्रदेश
ग.
कर्नाटक
घ. राजस्थान।
13. झरिया कोयला क्षेत्र किस राज्य में स्थित है?
क.
बिहार
ख.
उड़ीसा
ग. झारखंड
घ.
आंध्र प्रदेश
14. नोआमुंडी लौह अयस्क खान किस क्षेत्र में स्थित है?
क.
महाराष्ट्र में
ख. झारखंड में
ग.
मध्यप्रदेश में
घ.
छत्तीसगढ़ में
15. तारापुर नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र कहां स्थित है?
क.
उत्तर प्रदेश में
ख. महाराष्ट्र में
ग.
कर्नाटक में
घ.
गुजरात में
16. भारत में निम्नलिखित में से कौन सा राज्य अभ्रक का सबसे बड़ा उत्पादक
राज्य है?
क.
गुजरात
ख. झारखंड
ग.
छत्तीसगढ़
घ.
बिहार
17. कैगा नाभिकीय ऊर्जा केंद्र कहां अवस्थित है?
क. कर्नाटक
ख.
उत्तर प्रदेश
ग.
महाराष्ट्र
घ.
गुजरात
18. हीराकुंड किस राज्य में स्थित है?
क. ओडिशा में
ख.
छत्तीसगढ़ में
ग.
झारखंड में
घ.
मध्यप्रदेश में
19. काकरापारा परमाणु शक्ति केंद्र किस राज्य में स्थित है?
क.
कर्नाटक
ख.
तमिलनाडु
ग. गुजरात
घ.
महाराष्ट्र
20. निम्नलिखित में कौन लौह युक्त खनिज है?
क. निकिल
ख.
तांबा
ग.
सोना
घ.
बॉक्साइट
21. नरोरा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र किस राज्य में स्थित है?
क.
महाराष्ट्र
ख.
गुजरात
ग.
कर्नाटक
घ. उत्तर प्रदेश
22. खेतड़ी क्यों प्रसिद्ध है?
क. तांबा के लिए
ख.
कोयला के लिए
ग.
बॉक्साइट के लिए
घ.
लौह अयस्क के लिए
23. शिवसमुद्रम जल विद्युत परियोजना किस राज्य में स्थित है?
क.
महाराष्ट्र
ख. कर्नाटक
ग.
तमिलनाडु
घ.
आंध्र प्रदेश।
24. कोडरमा किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है।
क.
तांबा
ख.
लोहा अयस्क
ग.
बॉक्साइट
घ. अभ्रक
25. उद्योगों की जननी किस खनिज को कहा जाता है?
क. लौह अयस्क
ख.
मैंगनीज
ग.
कोयला
घ.
तांबा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. खनिज की परिभाषा दीजिये ।
उत्तरः
खनिज वह प्राकृतिक पदार्थ है, जिसमें निश्चित रासायनिक व भौतिक गुण होते हैं। इनकी
उत्पत्ति का आधार अजैविक, कार्बनिक या अकार्बनिक हो सकता है।
2. लौह अयस्क के कौन से दो मुख्य प्रकार भारत में पाये जाते हैं?
उत्तर:
हेमेटाइट एवं मैग्नेटाइट।
3. खनिजों की गुणवत्ता एवं मात्रा के बीच कैसा संबंध पाया जाता है?
उत्तर:
खनिजों की गुणवत्ता एवं मात्रा के बीच प्रतिलोमी संबंध पापा जाता है।
4. रासायनिक तथा भौतिक विशेषताओं के आधार पर खनिजों को वर्गीकृत करें।
उत्तर:
रासायनिक तत्वों की विशेषताओं के आधार पर खनिजों को दो वर्गों में बांटा जाता है:-
क.
धात्विक खनिज
ख.
अधात्विक खनिज ।
5. देश में सर्वाधिक खनिज तेल का भंडार कहां स्थित है?
उत्तर:
देश का अधिकांश खनिज तेल असम, गुजरात तथा मुंबई हाई अपतटीय क्षेत्र (अरब सागरा की अवसादी
चट्टानों में संचित है।
6. लौह धात्विक खनिज किसे कहते हैं।
उत्तर:
वैसे खनिज जिनमें लौह अंश मौजूद रहते हैं, लौह धात्विक खनिज कहलाते हैं। जैसे- लोहा
एवं मैंगनीज ।
7. दो जीवाश्म ईंधन के नाम लिखें।
उत्तर:
कोयला तथा पेटोलियम जीवाश्म इंधन कार्बनिक उत्पत्ति के होते हैं।
8. लौह खनिज के दो उदाहरण लिखें।
उत्तर:
लोहा एवं मैग्रीज
9. ONGC का विस्तारित रूप लिखें।
उत्तर:
तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (OIL AND NATURAL GAS CORPORATION)
10. भारत में खनिज संपत्र क्षेत्र के अंतर्गत किसे सम्मिलित कर सकते
हैं।
उत्तर:
भारत में खनिज संपत्र क्षेत्र के अंतर्गत प्रायद्वीपीय पठारी भाग को सम्मिलित किया
जाता है।
11. भारत में सर्वाधिक कोयले के संचित भंडार कहां स्थित हैं?
उत्तर:
भारत के लगभग 97% कोयले के संचित भंडार दामोदर, सोन, महानदी, तथा गोदावरी घाटियों में
संचित हैं।
12. भारत के प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:
उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड तथा कर्नाटक भारत के प्रमुख अयस्क उत्पादक राज्य हैं।
13. झारखंड राज्य में लौह अयस्क मुख्यतः किस जिले में पाया जाता है?
उत्तर:
झारखंड के पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम जिले में नोआमुंडी तथा गोवा खानों से लौह अयस्क
निकाला जाता है।
14. भारत में मैगनीज का निक्षेप मुख्य रूप से किस क्रम की चट्टानों
में मिलता है?
उत्तर:
धारवाड़ क्रम की चट्टानों में।
15. भारत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोपला क्षेत्र गोंडवाना कोयला क्षेत्र
है। यह क्षेत्र किस नदी की घाटी में स्थित है। गोठंडवाना कोयला क्षेत्र तथा इस क्षेत्र
के सबसे बड़े कोयला क्षेत्र का क्या नाम है।
उत्तर:
दामोदर नदी की घाटी में स्थित है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र झरिया है।
16. कूपों से निकाला गया खनिज तेल सीधे प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।
क्यों?
उत्तरः
कूपों से निकाला गया खनिज तेल अपरिष्कृत तथा अनेक अशुद्धियों से परिपूर्ण होता है।
17. भारत के उत्तरी पश्चिमी प्रदेश की खनिज पट्टी किन खनिजों के लिये
प्रसिद्ध है?
उत्तर-
तांबा, जिंक, बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर जिप्सम आदि ।
18. गेल (GAIL) की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
गेल की स्थापना प्राकृतिक गैस के परिवहन एवं विपणन के लिए का गई। GAIL का विस्तारित
रूप Gas Authority of India Ltd. है।
19. एल्युमिनियम उद्योग का कच्चा माल कौन सा है?
उत्तर:
बॉक्साइट एलमुनियम उद्योग का कच्चा माल है।
20. भारत में कोयला निक्षेप मुख्यतः किन शैल क्रमों में पाया जाता है?
उत्तरः
कोयला मुख्यतः दो भूगर्भिक कालों की शैल क्रमों में पाया जाता है। गोंडवाना और टर्शियरी
निक्षेप।
21. भारत में कोयले का निक्षेप किस क्रम की चट्टानों में मिलता है?
उत्तर:
भारत में कोयले का निक्षेप गोंडवाना क्रम की चट्टानों में मिलता है।
22. भारत में पाए जाने वाले कोयला के दो प्रमुख प्रकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
एंथ्रेसाइट एवं बिटुमिनट
23. झारखंड के प्रमुख कोयला क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
झरिया, गिरिडीह, बोकारो एवं कर्णपुरा।
24. "पेट्रोलियम " शब्द का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
पेट्रोलियम लैटिन भाषा के दो शब्द पेट्रा तथा ओलियम से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता
है चट्टानी तेल ।
25. भारत में पर्याप्त मात्रा में पाए जाने वाले दो परमाणु खनिज के
नाम लिखें।
उत्तर-
यूरेनियम और धोरियम ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1 भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में अभ्रक के जमाव प्रमुख रूप से झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश तथा राजस्थान राज्यों
में मिलते हैं। झारखण्ड राज्य में उच्च गुणवत्ता वाला अभ्रक निचले हजारीबाग पठार की
150 किमी. लम्बी व 22 किमी चौड़ी पट्टी में पाया जाता है। आन्ध्र प्रदेश में नेल्लोर
तथा राजस्थान में जयपुर भीलवाड़ा पेटी व उदयपुर क्षेत्र में भी अभ्रक मिलता है।
2. नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केन्द्रों
के नाम लिखिए।
उत्तर-
यूरेनियम तथा थोरियम आदि परमाणु खनिजों के अणुओं के नियन्त्रित दशाओं में विखण्डन से
प्राप्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहा जाता है। तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान),
कलपक्कम (तमिलनाडू,) नरौरा उत्तर प्रदेश, कैगा (कर्नाटक) तथा काकरापारा (गुजरात) भारत
के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केन्द्र है।
3. अलौह धातुओं के नाम बताएँ। इनके स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
लौह धातु रहित धातु खनिजों को अलौह खनिज कहा जाता है। बॉक्साइट तथा ताँबा प्रमुख अलौह
धातु है। बॉक्साइट का उत्पादन प्रमुख रूप से ओडिशा, झारखण्ड, गुजरात, छत्तीसगढ़ तथा
मध्य प्रदेश राज्यों से प्राप्त होता है जबकि ताँबा खनिज के निक्षेप मुख्यतया झारखण्ड,
मध्य प्रदेश तथा राजस्थान राज्यों में मिलते हैं।
4. ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर-
नाभिकीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा तथा जैव ऊर्जा भारत में ऊर्जा
के प्रमुख अपारम्परिक स्रोत हैं। ये सभी ऊर्जा स्रोत नवीनीकरण के योग्य होने के साथ-साथ
पर्यावरण अनुकूल भी हैं।
5. अन्य सभी अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा सौर तापीय प्रौद्योगिकी
अधिक लाभ प्रद है क्यों?
उत्तरः
ऊर्जा के अन्य गैर-परम्परागत साधनों की अपेक्षा सौर ऊर्जा उत्पादन में कम लागत आती
है। सौर ताप हर जगह प्राप्त होती है तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।
6. खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
खनिज पदार्थ समापन संसाधन है अर्थात कुछ समय के बाद यह समाप्त हो जाते हैं और इनकी
पुनः पूर्ति संभव नहीं होती है खनिजों को पुनः निर्मित नहीं किया जा सकता है क्योंकि
खनिजों का निर्माण दीर्घकालीन प्रक्रिया है, अतः इनका समुचित संरक्षण और प्रबंधन आवश्यक
है।
7. तांबे के दो लाभ बताइए। भारत के चार मुख्य तांबा क्षेत्रों का उल्लेख
करो।
उत्तर:
तांबे के लाभ:
क.
बिजली की मोटर ट्रांसफार्मर, जनरेटर आदि के बनाने तथा विद्युत उद्योग के लिए ताँबा
अपरिहार्य धातु है।
ख.
यह एक आघातवर्धनीय तथा तन्य धातु हैं।
ग.
आभूषणों को मजबूती प्रदान करने के लिए इसे सोने के साथ मिलाया जाता है।
खनन
क्षेत्र- झारखंड का सिंहभूम जिला, मध्यप्रदेश में बालाघाट, - कर्नाटक में चित्रदुर्ग,
राजस्थान में झुंझुनू, अलवर व खेतड़ी जिले ।
8. मैंगनीज के दो लाभ बताओ तथा चार उत्पादक राज्यों का उल्लेख करो ।
उत्तर:
मैंगनीज के लाभ :-
क
लौह अयस्क के प्रगलन के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है।
ख.
इसका उपयोग लौह मिश्र धातु तथा विनिर्माण में भी किया जाता है।
खनन
क्षेत्र:- उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश व झारखण्ड ।
9. अपतट वेधन क्या है? भारत से उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
समुद्र तट से दूर समुद्र की तली में मौजूद प्राकृतिक तेल को वेधन करके प्राप्त करना
अपतट वेधन कहलाता है।
खम्भात
की खाड़ी के निकट अरब सागर में खनिज तेल के भंडार प्राप्त हुए हैं। सागर तट से दूर
बाम्बे हाई नामक तेल क्षेत्र में सागर सम्राट नामक जहाज के द्वारा खुदाई से 1947 में
तेल प्राप्त हुआ। यह क्षेत्र भारत में सबसे अधिक तेल उत्पादन करता है।
10. भूतापीय ऊर्जा किसे कहते हैं? इसका क्या महत्व है?
उत्तरः
जब पृथ्वी के गर्भ से मैग्मा निकलता है तो अत्यधिक ऊष्मा निर्मुक्त होती है। इसे भूतापीय
ऊर्जा कहते हैं। इसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त गीजर
कूपों से निकलते गर्म पानी से ताप ऊर्जा पैदा की जा सकती है। जैसे भारत में हिमाचल
प्रदेश के मनीकरण में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र अधिकृत किया जा चुका है।
11. जैव ऊर्जा, ऊर्जा का संभावित स्रोत है। भारत जैसे विकासशील देश
में यह ग्रामीण एवं शहरी जीवन को बेहतर बना सकता है। स्पष्ट कीजिए। या जैव ऊर्जा की
परिभाषा देते हुये इसके लाभ बताइये।
उत्तरः
क.
जैव ऊर्जा उस ऊर्जा को कहा जाता है, जिसे जैविक उत्पादों से प्राप्त किया जाता है।
इसमें कृषि अवशेष, सीवेज का अवशेष व औद्योगिक अपशिष्ट शामिल होते हैं।
ख.
जैव ऊर्जा पर्यावरण अनुकूल है। यह ग्रामीण जीवन में लोगों की आत्मनिर्भरता को बढ़ाकर
उनके आर्थिक जीवन को बेहतर बनाएगा तथा जलाऊ लकड़ी पर निर्भरता को कम करेगा।
शहरी
क्षेत्रों के विशाल मात्रा में निकलने वाले अपशिष्टों के उचित निपटान की समस्या का
समाधान व उनकी ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करेगा।
12. पवन ऊर्जा पर संक्षिप्त टिप्पणी दें अथवा पवन ऊर्जा पूर्ण रूपेण
प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है। इसकी भारत में अपार संभावनाएं है। स्पष्ट
करें।
उत्तरः
पवन ऊर्जा प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है। पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के
माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। संभावित स्थानीय पवन, पछुआ पवन तथा मानसूनी
पवनों को ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। भारत में पवन ऊर्जा के
लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थिति विद्यमान हैं।
गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है। तमिलनाडु
के तूतीकोरिन में भी पवन ऊर्जा का एक अन्य संयंत्र है।
13. विशेषताओं के आधार पर ऊर्जा के परंपरागत एवं गैर परंपरागत साधनों
में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
ऊर्जा के परंपरागत एवं गैर परंपरागत साधनों में अंतर
ऊर्जा
के परम्परागत साधन/स्रोत |
गैर
परम्परागत साधन/स्रोत |
कोयला,
पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा नाभिकीय ऊर्जा हैं। |
सौर,
पवन, जल, भूतापीय ऊर्जा असमाप्य है। |
इन
संसाधनों का वितरण बहुत असमान है। |
ये
साधन अपेक्षाकृत अधिक समान रूप से वितरित है। |
ये
साधन पर्यावरण अनुकूल नही है अर्थात पर्यावरण प्रदूषण में इनकी बड़ी भूमिका है। |
ये
ऊर्जा के स्वच्छ साधन और पर्यावरण हितैषी है। |
14. नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले खनिज कौन से हैं,
भारत में ये कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर-
नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले महत्वपूर्ण खनिज यूरेनियम और थोरियम
है। यूरेनियम निक्षेप धारवाड़ शैलों में पाये जाते हैं। राजस्थान के उदयपुर, अलवर,
झुंझुनू, मध्य प्रदेश के दुर्ग तथा महाराष्ट्र के भंडारा जिलों में यूरेनियम पाया जाता
है। पोरियम केरल के तटीय क्षेत्र की बालू में मोनाज़ाइट और इल्मेनाइट से प्राप्त किया
जाता है। मोनाजाइट निक्षेप केरल के पालाक्कड़ तथा कोलाम जिलों आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम्
तथा महानदी के डेल्टा भी पाये जाते हैं।
15. भारत में पाए जाने वाले खनिजों की तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
उत्तर-
भारत में पाए जाने वाली खनिजों की विशेषताएँ -
क.
खनिज, असमान रूप में वितरित होते हैं। सब जगह सभी खनिज नहीं मिलते।
ख.
अधिक गुणवत्ता वाले खनिज, कम गुणवत्ता वाले खनिजों की तुलना में कम मात्रा में पाए
जाते हैं खनिजों की गुणवत्ता व मात्रा में प्रतिलोमी संबंध पाया जाता है।
ग.
सभी खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। भूगार्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में लम्बा
समय लगता है और आवश्यकता के समय इनका तुरन्त पुनर्भरण नहीं किया जा सकता है।
16. भारत में खनिज तथा ऊर्जा संसाधनों के असमान वितरण का वर्णन उपयुक्त
उदाहरण देकर कीजिए।
उत्तर-
क.
भारत में अधिकांश धात्विक खनिज प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र की प्राचीन क्रिस्टलीय शैलों
में पाए जाते है।
ख.
कोयले का लगभग 97.10 भाग दामोदर, सोन, महानदी और गोदावरी नदियों की घाटियों में पाया
जाता है।
ग.
पैट्रोलियम के आरक्षित भंडार असम, गुजरात तथा मुंबई हाई में पाए जाते हैं। नए आरक्षित
क्षेत्र कृष्णा गोदावरी तथा कावेरी - बेसिन में पाए गए है।
17. रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर खनिजों को दो वर्गों में वर्गीकृत
कीजिए तथा भारत के प्रमुख खनिज पेटियों के नाम लिखें।
उत्तर:
रासायनिक व भौतिक गुणों के आधार पर खनिज दो प्रकार के होते हैं-
क.
धात्विक खनिज- लौह अयस्क, तांबा व सोना, मँगनीज और बॉक्साइट आदि।
धात्विक
खनिजों में धातु अंश पाया जाता है तथा ये ताप एवं विद्युत के सुचालक होते हैं।
ख.
अधात्विक खनिज- ये खनिज दो प्रकार के होते है। इसमें कुछ खनिज, कार्बनिक उत्पत्ति के
होते हैं, जैसे जीवाश्म ईंधन, जिन्हें खनिज ईंधन भी कहते है।
ग.
कोयला और पेट्रोलियम अन्य अकार्बनिक उत्पत्ति के खनिज होते है जैसे अभ्रक, चूना पत्थर
और ग्रेफाइट आदि।
कुचालक
कार्बनिक (कोपला, पेट्रोलियम) एवं अकार्बनिक (अभ्रक, चूना)
भारत
में खनिज की पेटियां निम्नलिखित है-
- उत्तर पूर्वी पठारी पट्टी
- दक्षिण पश्चिमी पठारी पट्टी ।
- उत्तरी पश्चिमी पट्टी
18. अलौह खनिजों के नाम बताइए। बॉक्साइट के वितरण की चार बिंदुओं में
विवेचना कीजिए ।
उत्तर-
अलौह खनिज जिनमें लौहांश नहीं होते। जैसे-तांबा, बॉक्साइट।
बॉक्साइट
के वितरण
क.
बॉक्साइट मुख्यत: टर्शियरी निक्षेपों में पाया जाता है। यह विस्तृत रूप से प्रायद्वीपीय
भारत के पठारी क्षेत्रों अथवा पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ देश के तटीय भागों में भी
पाया जाता है।
ख.
उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। कालाहांडी तथा संभलपुर अग्रणी उत्पादक है।
ग.
झारखंड में लोहरदगा जिले की पैटलैंडस (पाट प्रदेश) में भी इसके समृद्ध निक्षेप है।
घ.
गुजरात के भावनगर और जामनगर, छत्तीसगढ़ में अमरकंटक के पठार, मध्य प्रदेश में कटनी,
महाराष्ट्र में कोलाबा, थाणे, कोतहापुर महत्वपूर्ण उत्पादक है।
19. भारत में खनिजों की तीन प्रमुख विस्तृत पट्टियों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
क.
उतर पूर्वी पठारी पट्टी: इस पट्टी के अंतर्गत छोटा, नागपुर, पठार (झारखंड), उड़ीसा
का पठार, पं. बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ भाग सम्मिलित है यहां पर विभिन्न प्रकार के
खनिज उपलब्ध है। इनमें लोह अयस्क, कोयला, मैंगनीज आदि प्रमुख हैं।
ख.
दक्षिणी पश्चिमी पठारी पट्टी यह पट्टी कर्नाटक, गोआ, तमिलनाडु की उच्च भूमि और केरल
में विस्तृत है। यह पट्टी लौह धातुओं तथा बॉक्साइट में समृद्ध है।
ग.
उत्तर पश्चिमी पट्टी : यह पट्टी राजस्थान में अरावली और गुजराज के कुछ भाग पर विस्तृत
है। यहां खनिज धारवाड़ क्रम की शैलों में पाये जाते है। जिनमें तांबा, जिंक, आदि प्रमुख
खनिज है। गुजरात में पेट्रोलियम के निक्षेप है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिपणी लिखिए।
उत्तर-
आधुनिक युग में पेट्रोलियम ऊर्जा का एक सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है। पेट्रोलियम तथा
पेट्रोलियम उत्पाद विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों से प्रयोग किए जाते हैं जैसे कि ऊर्जा,
लुब्रिकेन्ट (सेका तथा कृत्रिम डेरिवेटिव्स के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में
तथा सहापक रासायनिक उद्योगों को रसायनों की प्राप्ति हेतु प्रयुक्त होते हैं। GSI द्वारा
हाइड्रोकार्बनों के कुल भंडारों का अनुमान 17 अरब टन अनुमानित किया गया है, जिनमें
से 75 प्रतिशत अब तक स्थापित किए गए हैं। 1886 में पहली बार पेट्रोलियम का अन्वेषण
किया गया तथा कुएँ खोदे गए। चार प्रमुख क्षेत्रों में पेट्रोलियम के प्रमुख तेल क्षेत्रों
का वितरण प्रतिरूप:
*
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र : डिग्बोई, नहरकटिया, मोरन, रुद्रसागर, गालेकि तथा असम में हुगरिजन
इस क्षेत्र के प्रमुख तेल क्षेत्र हैं । अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले तथा असम-नागालैंड
सीमा के पास बोरहोल्ला तेल क्षेत्र भी इस क्षेत्र में आते हैं।
*
गुजरात क्षेत्र : अंकलेश्वर, कालोल, मेहसाना, सानंद : तथा लुनेज इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण
तेल क्षेत्र है। सौराष्ट्र में भावनगर से 45 किमी. दूर पश्चिम में स्थित अलियाबेत द्वीप
में भी तेल पाया जाता है।
*
मुंबई हाई : मुंबई से 176 किमी0 दूर अरब सागर में स्थित एक अपतटीय तेल क्षेत्र | यह
भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण तेल क्षेत्रों में से एक है। बसई, मुंबई हाई के दक्षिण में
स्थित एक अन्य महत्त्वपूर्ण तेल क्षेत्र हैं। यह भारत के कुल तेल उत्पादन का दो-तिहाई
भाग उत्पन्न करता है।
*
पूर्वी तटीय क्षेत्र : यह कृष्णा-गोदावरी तथा कावेरी बेसिनों पर फैला है। ऑयल नेचुरल
गैस कमीशन तथा ऑपल इंडिया लिमिटेड ने 1980 में विस्तृत अन्वेषण कार्य किया।
2. भारत में जल विद्युत् पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर-
शक्ति संसाधनों में जल विद्युत का महत्व अन्य संसाधनों की अपेक्षा सर्वाधिक है। इसका
सबसे प्रमुख कारण यह है कि जल विद्युत, शक्ति का स्थायी तथा कभी समाप्त न होने वाला
स्रोत है। जल-विद्युत् के उत्पादन में अन्य शक्ति संसाधनों की अपेक्षा सबसे कम खर्च
करना पड़ता है, साथ ही इसको सुदूर स्थानों तक ले जाने में विशेष परिश्रम तथा व्यय की
आवश्यकता नहीं पड़ती है।
जलविद्युत्
को श्वेत कोयला (White Coal) भी कहा जाता है, क्योंकि बहता हुआ जल श्वेत दिखाई पड़ता
है और इससे कोपले की तरह शक्ति उत्पादित की जाती है। वर्ष 2015-16 में भारत में कुल
12134 करोड़ यूनिट जल विद्युत् (कुल विद्युत् उत्पादन का 11% उत्पादित की गई। वर्ष
2013 में भारत में जल विद्युत् की प्रतिस्थापित विद्युत् क्षमता लगभग 40 हजार मेगावाट
थी जो देश के कुल प्रतिस्थापित विद्युत् क्षमता का लगभग 17.4 प्रतिशत भाग था।
भारत
की लगभग 60 प्रतिशत सम्भावित जल शक्ति के स्रोत हिमालय पर्वत से उगमित होने वाली नदियों
में है। इन प्रमुख नदियों में ब्रह्मपुत्र, गंगा, सिन्ध तथा इनकी सहायक नदियाँ हैं।
दक्षिण भारत में उत्तर पश्चिम व पश्चिम से दक्षिण-पूर्व व पूर्व की ओर बहने वाली नदियों
में भारत की सम्भावित जल शक्ति का 20 प्रतिशत भाग निहित है तथा शेष 20 प्रतिशत सम्भावित
जल शक्ति पश्चिमी घाट तथा मध्य भारत से उद्गमित होकर पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित
नदियों में निहित है।
भारत
में जल विद्युत् उत्पादन के लिए अनुकूल दशाएँ -
क.
अनुकूल जल प्रवाह जल विद्युत् के विकास के लिए नदियों में सतत् जल प्रवाह, जल प्रवाह
में वेग तथा पर्याप्त जल का होना आवश्यक है। हिमालय से निकलने वाली सिन्धु, गंगा, यमुना,
ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों में वर्ष के अधिकांश समय में ये तीनों विशेषताएँ
रहती हैं, केवल ग्रीष्म काल के 2-3 महीने की शुष्क अवधि में जल की उपलब्धता में कमी
हो जाती है। इस कमी को नदियों पर बाँध बनाकर पूरा किया जाता है।
ख.
धरातल - जिन भागों में प्राकृतिक जल प्रपात होते हैं वहाँ जलविद्युत उत्पादन आसानी
से हो जाता है। जिन क्षेत्रों में प्राकृतिक जल-प्रपात नहीं होते, वहाँ कृत्रिम जल
प्रपात बनाने में काफी व्यय करना पड़ता है। पर्वतीय तथा अधिक ढाल वाले धरातल प्राकृतिक
जल प्रपातों के लिए अनुकूल होते हैं। पर्वतीय तथा अधिक ढलवाँ क्षेत्रों में कृत्रिम
जल प्रपात भी आसानी के साथ बनाये जा सकते हैं। हिमालय पर्वत के सहारे सहारे पश्चिमी
कश्मीर से लेकर पूर्व में असम के पर्वतीय क्षेत्रों तक का भाग जल विद्युत् उत्पादन
के लिए अनुकूल हैं। इसी प्रकार दक्षिणी भारत में पश्चिमी घाट के पर्वतीय भागों के सहारे
सहारे तथा सतपुड़ा, विध्याचल, महादेव और मैकाल की पहाड़ियों के सहारे सहारे भी जल-
विद्युत् उत्पादन के लिए अनुकूल दशाएँ हैं।
ग.
शक्ति के अन्य साधनों का अभाव- भारत में कोयला, पेट्रोलियम तथा परमाणु संसाधनों की
कमी है। दूसरे राष्ट्रों से इन्हें आयात करना काफी व्यय साध्य होता है। देश की आर्थिक
व्यवस्था पर इनके आयात से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः भारत जैसे विकासशील राष्ट्र
में जल-विद्युत् उत्पादन बहुत ही आवश्यक है।
घ.
अधिक पूँजी की आवश्यकता - जल विद्युत् शक्ति गृहों के निर्माण एवं विकास में भारी पूँजी
की आवश्यकता पड़ती है। एक बार जल विद्युत् शक्तिगृह के निर्माण के बाद एक लम्बे समय
तक बिना किसी अतिरिक्त व्यय के विद्युत प्राप्त की जा सकती है। भारत जैसे विकासशील
राष्ट्र के पास पूँजी की कमी होने के कारण यहाँ पर्याप्त जल-विद्युत का विकास नहीं
हो पाया है। देश को लगभग 75 प्रतिशत जल-विद्युत् उत्पादन क्षमता का उपयोग अभी तक नहीं
हो पाया है। देश में जैसे-जैसे पर्याप्त पूँजी की सुविधा होती जायेगी, भारत अपनी अप्रयुक्त
जल-विद्युत् उत्पादन क्षमता का विकास करता जायेगा।
ङ.
वर्षा की मौसमी प्रवृत्ति तथा हिम-जल के न मिलने के परिणामस्वरूप प्रायद्वीपीय भारत
की नदियों से सम्भावित जल-शक्ति का उपयोग बहुत कम हो पाया है। दूसरी ओर भारत मुख्यतः
अपनी मानसूनी वर्षा के कारण भी जल- शक्ति पर पूर्णतया निर्भर नहीं रह सकता, इसलिए भारत
को विद्युत् के विकास के लिए जल विद्युत् तथा ताप विद्युत् दोनों की ही मिली-जुली विद्युत्
की राष्ट्रीय ग्रिड (National Grid) पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत की अग्रणी जल- विद्युत्
उत्पादक राज्य हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर, - उत्तराखण्ड, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा
मध्य प्रदेश ।
3. भारत में खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? हम उनका संरक्षण किस
प्रकार कर सकते हैं।
उत्तरः
खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। भूगर्मिक दृष्टि से इन्हें बनने में लम्बा समय
लगता है और आवश्यकता के समय तुरन्त इनका पुनर्भरण नहीं किया जा सकता। इसलिए सतत पोषणीय
विकास तथा आर्थिक विकास के लिए खनिजों का संरक्षण करना आवश्यक हो जाता है।
संरक्षण
की विधियाँ:
क.
इसके लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन, तरंग व भूतापीय ऊर्जा के
असमाप्य स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए।
ख.
धात्विक खनिजों में छाजन धातुओं के उपयोग तथा धातुओं के पुर्नचक्रण पर बल देना चाहिए।
ग.
अत्यल्प खनिजों के लिए प्रतिस्थापनों का उपयोग भी खनिजों के संरक्षण में सहायक है।
घ.
सामरिक व अति अल्प खनिजों के निर्यात को भी घटाना चाहिए।
ङ
सबसे उचित तरीका है, खनिजों का सूझ-बूझ से तथा मितव्यतता से प्रयोग कराना है ताकि वर्तमान
आरक्षित भण्डारों का लंबे समय तक प्रयोग किया जा सके।
4. सतत पोषणीय विकास की चुनौती के लिए आर्थिक विकास की चाह का पर्यावरणीय
मुद्दों से समन्वय आवश्यक हैं। इन कथन की पुष्टि कीजिए ।
उत्तरः
क.
भारत में संसाधनों के उपयोग के परंपरागत तरीकों के कारण बड़ी मात्रा में संसाधनों का
अपव्यय हुआ है। अतः विकास को न रोकते हुये ऊर्जा के गैर परंपरागत साधनों का उपयोग हो।
ख.
भारत में संसाधनों के वर्तमान उपयोग ने गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दिया है।
जीवाश्म ईंधनों का उपयोग सीमित हो प्रदूषण से निपटने के उपाय अपनाये जायें।
ग.
संसाधनों के अतिशोषण व अविवेक पूर्ण उपयोग ने समाज में असमानता व तनाव को बढ़ाया है।
संसाधनों को बचाया जाय।
घ.
संतत पोषणीय विकास भावी पीढ़ी के लिए संसाधनों के संरक्षण का आह्वान करता है।
ङ.
सतत पोषणीय विकास के लिए आर्थिक विकास के तरीकों व पर्यावरण की सुरक्षा के मुद्दों
के साथ समन्वय आवश्यक है। धात्विक खनिजों का पुनर्चक्रण हो। खनिजों के स्थानापत्र वस्तुओं
का उपयोग हो।
5. भारत में खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? हम उनका संरक्षण किस
प्रकार कर सकते है? महत्वपूर्ण बिंदुओं में व्याख्या कीजिए ।
उत्तरः
खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। भूगर्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में लम्बा समय
लगता है और आवश्यकता के समय इसका तुरंत पुनर्भरण नहीं किया जा सकता है। इसलिए इनका
संरक्षण अति आवश्यक है।
क.
अति अल्प धात्विक खनिजों के स्थान पर प्रतिस्थापकों का उपयोग खनिजों की पूर्ति को घटा
सकता है।
ख.
धात्विक खनिजों का पुनर्चक्रण करके तथा छाजन धातुओं का उपयोग करके खनिज धातुओं को संरक्षित
कर सकते हैं। सामरिक और अति अल्प खनिजों का निर्यात घटाकर उनके भंडारों को भविष्य के
लिए सुरक्षित किया जा सकता है।
ग.
सामरिक और अति अल्प खनिजों के निर्यात घटाकर उनके भण्डारो को भविष्य के लिए सुरक्षित
किया जा सकता है।
6. भारत में अपरंपरागत ऊर्जा के पांच स्त्रोतो के नाम बताइए और प्रत्येक
स्त्रोत का एक संभावित क्षेत्र भी बताइए।
उत्तरः
अपरम्परागत ऊर्जा स्त्रोत-
क.
सौर ऊर्जा ख. पवन ऊर्जा ग. ज्वारीय ऊर्जा घ. भूतापीय ऊर्जा ङ जैव ऊर्जा
प्रत्येक
स्रोत का एक संभावित क्षेत्र-
क.
सौर ऊर्जा भारत के पश्चिमी भागों गुजरात व राजस्थान में और ऊर्जा के विकास की अधिक
संभावनाएं है।
ख.
पवन ऊर्जा पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ
विद्यमान है।
ग.
ज्वारीय ऊर्जा भारत के पश्चिमी तट के साथ ज्वारीय ऊर्जा विकसित होने की व्यापक संभावनाएं
है।
घ.
भूतापीय ऊर्जा इसके लिए हिमालय प्रदेश में विकसित होने की व्यापक संभावनाएं है।
ङ.
जैव ऊर्जा ग्रामीण क्षेत्रों में जैव ऊर्जा विकसित होने की व्यापक संभावनाएं है।
7. "ऊर्जा के अपरंपरागत स्रोत अधिक आरंभिक लागत के बावजूद अधिक
टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल तथा सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराते है" कथन की जाँच कीजिए ।
उत्तरः
सौर, पवन, जल, भूतापीय ऊर्जा तथा जैव ऊर्जा के अपरंपरागत स्त्रोत है। ये सभी साधन पर्यावरण
अनुकूल है।
•
ये समान रूप से वितरित है।
•
ये अधिक आरंभिक लागत से प्रभावित होते है।
•
ये साधन पारिस्थितिक अनुकूल होते है।
•
पवन ऊर्जा पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त है।
•
महासागरीय धाराएं ऊर्जा का अपरिमित भंडार गृह है।
•
जैव ऊर्जा ग्रामीण लोगों की आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा तथा जलाऊ लकड़ी पर दबाव कम करेगा।
8. भारत में कोयले के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर-
कोयला ऊर्जा का वह स्रोत है जो उद्योगों में अधिकतम योगदान देता है। ऊर्जा के अन्य
स्रोत कम होने के कारण, कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत रहेगा। विद्युत, गैस तथा तेल जैसे
ऊर्जा के अन्य रूपों में इसकी परिवर्तनीयता, एक अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है।
उत्पादन
: भारत के कुल कोयला भंडार 213,905.51 मि0 टन ऑके गए हैं तथा 1998-99 के दौरान भारत
में कोयले का कुल उत्पादन 293.56 मि० टन था।
वितरण
: कुल 113 कोयला क्षेत्रों में से 80 क्षेत्र निचले गोंडवाना । निर्माण में पाए जाते
हैं जोकि 200 मिलियन वर्ष पुराना है और जो देश का 99 प्रतिशत कोयला उत्पन्न करता है
तथा बाकी क्षेत्र टर्शियरी निर्माण में हैं ।
गोंडवाना
कोयला क्षेत्र मुख्यतः चार नदी घाटियों में हैं :
क.
दामोदर घाटी : झारखंड तथा पश्चिम बंगाल
ख.
सोन घाटी मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़
ग.
महानदी घाटी : छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा
घ.
वर्धा - गोदावरी घाटी: मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश, टर्शियरी कोयला
क्षेत्र असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा नागालैंड में पाए जाते हैं। यह 55 मि0 वर्ष
पुराने हैं।
•
मध्य प्रदेश: यह भारत का 30 प्रतिशत कोयला उत्पन्न करता है। सिगरौलि, कोरबा, तालपानि,
झिलमिल तथा रामपुर (अब छत्तीसगढ़ में) आदि कोयला के प्रमुख क्षेत्र हैं ।
•
झारखंड : जहाँ तक कोयले के भंडारों का संबंध है बिहार अन्य सभी राज्यों में अग्रणी
है, किंतु उत्पादन में इसका स्थान द्वितीय है। झरिया, बोकारो, रानीगंज, करनपुरा तथा
चंदरपुर झारखंड के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं।
•
पश्चिम बंगाल : इसमें भारत के कोयला भंडारों का 18 प्रतिशत भाग है तथा कोयला उत्पादन
का 13 प्रतिशत भाग है। रानीगंज पश्चिम बंगाल का सबसे महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है
।
•
आंध्र प्रदेश : गोदावरी घाटी सबसे महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है। आंध्र प्रदेश में
कोयले का 6.2 प्रतिशत भंडार है तथा यह भारत के कोयले का लगभग 9.09 प्रतिशत भाग उत्पन्न
करता है।
•
उड़ीसा : यद्यपि इसमें 23.27 प्रतिशत भंडार हैं, लेकिन यह हमारे कुल उत्पाद का केवल
9.17 प्रतिशत भाग ही उत्पादित करता है। तलचर अत्यधिक महत्त्वर्ण कोयला क्षेत्र है।
•
महाराष्ट्र : इसमें केवल 33 प्रतिशत कोयला भंडार है और यह भारत के कोयला उत्पादन का
लगभग 8.36 प्रतिशत उत्पन्न करता है। चंदा-वर्धा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र
है।
9. ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोतों पर भौगोलिक निबंध लिखिए। या ऊर्जा के
अपारंपरिक स्रोतों का विकास तथा उपयोग महत्त्वपूर्ण क्यों होता जा रहा है ? उपयुक्त
उदाहरणों से अपने उत्तर को मूल्यांकित कीजिए ।
उत्तर:
कोयला, खनिज तेल तथा नाभिकीय स्रोत सीमित संसाधन हैं। उनके भंडार समाप्त हो जाएँगे।
इस प्रकार, ऊर्जा के अपारंपरिक नवीनीकृत स्रोतों के अन्वेषण तथा विकास के प्रयास पहले
ही आरंभ हो चुके हैं।
सूर्य
की रोशनी, जल तरंगे/लहरें, पवन, भूतापीय ऊर्जा, ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत हैं। अपारंपरिक
स्रोत सस्ते होते हैं तथा आसानी से तैयार किये जा सकते है। ये प्रदूषण मुक्त होते हैं,
क्योंकि इनका प्रयोग करने पर यह धुआँ या राख नहीं छोड़ते। इनका कोई पर्यावरणिक नुकसान
नहीं है।
•
सौर ऊर्जा : भारत उष्णकटिबंधीय देश है, अतः देश के उत्तर- पूर्वी भागों को छोड़कर,
अन्य सभी भागों में सूर्य की रोशनी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। सौर ऊर्जा का प्रयोग
खाना पकाने तथा जल गर्म करने के लिए किया जाता है। सौर कुकर, जल पंप, सड़क की लाइटें,
टेलीफोन आदि सौर ऊर्जा द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
•
पवन ऊर्जा : तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पवन ऊर्जा का प्रयोग कर रहे हैं।
पवन जनित, पवन चक्कियाँ, बैटरी चार्जिंग प्रणाली बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
10 मेगावाट का एशिया का सबसे बड़ा पवन रूप गुजरात के खंभात में शुरू किया गया। पीने
के पानी तथा सिंचाई के लिए कई पवन पंप लगाए गए हैं।
•
भूतापीय ऊर्जा : मनिकरन (हिमाचल प्रदेश) में भूतापीय ऊर्जा पर आधारित कोल्ड स्टोरेज
इकाई तथा 5 किलोवाट शक्ति वाले संयंत्र से संबंधित विकास की गतिविधियाँ पूर्ण प्रगति
पर हैं।
• बायो गैस : यह ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा के नवीनीकृत स्रोत का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। बायोगैस का उप-उत्पाद होने के कारण यह समृद्ध उर्वरक उत्पन्न करता है। इसे खाना पकाने के ईंधन के रूप में तथा लाइट जलाने व ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
भाग 'अ' मानव भूगोल के मूलभूत सिद्धांत | |
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भाग 'ब'- भारत : लोग और अर्थव्यवस्था | |
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