प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Geography
8. निर्माण उद्योग MANUFACTURING INDUSTRIES
पाठ के मुख्य बिंदु
•
विनिर्माण उद्योग एक प्रक्रम जिसके अन्तर्गत कच्चे माल को मशीनों की सहायता से उच्च
मूल्य की वस्तुओं में परिवर्तित कर दिया जाता है।
•
हल्के उद्योग- वे उद्योग जिनका कच्चा माल व तैयार माल दोनों ही वजन में हल्के होते
हैं।
•
भारी उद्योग-ऐसे उद्योग जो भारी कच्चे मालों का उपयोग कर भारी तैयार माल उत्पादित करते
हैं।
•
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ऐसी कम्पनी जो किसी देश में स्थित मुख्यालय से अनेक देशों में
उत्पाद और सेवाओं का नियन्त्रण करती है।
•
कृषि आधारित उद्योग-ऐसे उद्योग जिनका कच्चा माल कृषि उत्पाद होते हैं। जैसे चीनी उद्योग
व सूती वस्त्र उद्योग।
•
आधारभूत उद्योग-ऐसे उद्योग जिन पर अन्य उद्योग, अपने कच्चे माल की आपूर्ति के लिए निर्भर
रहते हैं, जैसे- लौह-इस्पात उद्योग ।
•
सार्वजनिक क्षेत्र जब किसी उद्योग की पूँजी और सम्पत्ति के अधिकार जनता अथवा समुदाय
के हाथ में होते हैं तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र कहा जाता है। उस सम्पत्ति का स्वामित्व
सम्पूर्ण समुदाय का होता है। जैसे-राजकीय भवन, विद्यालय, भिलाई, दुर्गापुर स्थित लौह-इस्पात
कारखाना आदि ।
•
व्यक्तिगत या निजी क्षेत्र जब किसी उद्योग की समस्त पूँजी, लाभ, हानि व सम्पत्ति पर
एक ही व्यक्ति का स्वामित्व होता है तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र कहा जाता है। भारत में
कई पूँजीपतियों द्वारा चलाए जा रहे संगठन या उद्योग व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते
हैं।
•
मिश्रित अथवा सहकारी क्षेत्र जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों या किसी सहकारी समिति
द्वारा किसी उद्योग की स्थापना की जाती है तो संयुक्त सहकारी क्षेत्र कहा जाता है,
जैसे- डेयरी उद्योग ।
•
पेट्रो रसायन उद्योग- अशोधित पेट्रोल से अनेक प्रकार की वस्तुएँ तैयार की जाती हैं
जो अनेक उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराती हैं, उन्हें सामूहिक रूप से पेट्रो रसायन
उद्योग के नाम से जाना जाता है।
•
पॉलीमर एथलीन व प्रोपलीन से निर्मित इसका उपयोग प्लास्टिक - उद्योग में कच्चे माल के
रूप में किया जाता है।
•
कृत्रिम रेशे (संश्लिष्ट तन्तु) लकड़ी की लुग्दी, बेकार रूई तथा रासायनिक पदार्थों
के मिश्रण से निर्मित धागे-इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के निर्माण में किया
जाता है।
•
उदारीकरण उद्योग और व्यापार को आवश्यक प्रतिबन्धों तथा - विनियमों से मुक्त कर अधिक
प्रतियोगी बनाना ।
•
निजीकरण- देश के अधिकांश उद्योगों के स्वामित्व, नियन्त्रण तथा प्रबन्धन को निजी क्षेत्र
के अन्तर्गत किया जाना जिससे अर्थव्यवस्था पर सरकारी एकाधिकार कम या समाप्त हो जाता
है।
•
वैश्वीकरण - मुक्त व्यापार पूँजी तथा श्रम की मुक्त गतिशीलता द्वारा देश की अर्थव्यवस्था
को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से जोड़ना ।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. कौन सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारण नहीं है?
(क)
बाजार
(ख)
पूंजी
(ग) जनसंख्या घनत्व
(घ)
ऊर्जा
2. भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह इस्पात कंपनी निम्नलिखित में
से कौन-सी है?
(क)
भारतीय लौह एवं इस्पात कंपनी
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी
(ग)
विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ)
मैसूर लौह तथा इस्पात कारखाना
3. मुंबई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया क्योंकि
(क)
मुंबई एक पतन है
(ख)
यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(ग)
मुंबई एक वित्तीय केंद्र है
(घ) उपर्युक्त सभी
4. हुगली औद्योगिक प्रदेश का केंद्र है
(क) कोलकाता हावड़ा
(ख)
कोलकाता रिश्रा
(ग)
कोलकाता मेदिनीपुर
(घ)
कोलकाता कॉलनगर
5. निम्नलिखित में से कौन सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
(क)
महाराष्ट्र
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग)
पंजाब
(घ)
तमिलनाडु
6. किस औद्योगिक नीति में उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण को बढ़ावा
दिया गया
(क) 1991
(ख)
1952
(ग)
1948
(घ)
1989
7. विजयनगर इस्पात संयंत्र कहां स्थित है?
(क)
बोकारो
(ख)
भिलाई
(ग)
दुर्गापुर
(घ) हॉस्पेट
8. झारखंड में सार्वजनिक क्षेत्र का लौह इस्पात कारखाना कहां स्थित
है?
(क)
रांची
(ख)
जमशेदपुर
(ग) बोकारो
(घ)
धनबाद
9. रूस के सहयोग से बने भारतीय लौह इस्पात उद्योग के नाम लिखिए
(क)
भिलाई इस्पात संयंत्र
(ख)
बोकारो इस्पात संयंत्र
(ग)
टाटा लौह इस्पात संयंत्र
(घ) क और ख दोनों
10. राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना किस देश के सहयोग से हुई ?
(क) जर्मनी
(ख)
यूके
(ग)
यूएसए
(घ)
रूस
11. निम्न में से कौन एक मौसमी उद्योग के रूप में जाना जाता है?
(क)
लौह इस्पात उद्योग
(ख) चीनी उद्योग
(ग)
पेट्रो रसायन उद्योग
(घ)
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
12. निम्न में से कौन से उद्योग की अवस्थिति ऊर्जा स्रोतों की उपलब्धता
पर निर्भर करती है?
(क)
तांबा उद्योग
(ख
कागज उद्योग
(ग)
सूती वस्त्र उद्योग
(घ) एल्यूमीनियम निर्माण उद्योग
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अपनाई गई औद्योगिक नीति का मुख्य
उद्देश्य क्या था?
उत्तर:-
प्रादेशिक आर्थिक असमानता को दूर करना।
2. उद्योगों में उदारीकरण की नीति कब और किस पंचवर्षीय योजना में लागू
की गई?
उत्तर:-
1991 में आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान।
3. द्वितीय पंचवर्षीय योजना के दौरान स्थापित सार्वजनिक क्षेत्र के
लौह इस्पात कारखाने कौन-कौन है?
उत्तर:-
राउरकेला इस्पात संयंत्र भिलाई इस्पात संयंत्र दुर्गापुर इस्पात संयंत्र |
4. ज्ञान आधारित उद्योगों का उदाहरण दीजिए
उत्तर:-
सॉफ्टवेयर उद्योग
5. टाटा लोहा एवं इस्पात कंपनी को जल की उपलब्धता किन नदियों से होती
है?
उत्तर-
स्वर्णरेखा और खरकई।
6. भारत में चीनी का उत्पादक राज्य कौन है?
उत्तर:-
महाराष्ट्र ।
7. किस लौह इस्पात उद्योग को DVC से विद्युत शक्ति एवं जल की प्राप्ति
होती है?
उत्तर:-
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र ।
8. उत्तर प्रदेश में सूती वस्त्र उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र
कौन है?
उत्तर-
कानपुर।
9. भारत को कितने मुख्य औद्योगिक प्रदेशों में बांटा गया है?
उत्तर:-
8 ।
10. आई पी सी एल का पूरा नाम लिखें।
उत्तर
भारतीय पेट्रो रसायन कॉरपोरेशन लिमिटेड।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोहा इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है ऐसा क्यों?
उत्तर-
लोहा इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है क्योंकि :
•
लौह इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग का उदाहरण है जिनके निर्मित उत्पाद को अन्य उद्योग
कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं।
•
लौह इस्पात उद्योग अपने आसपास कई प्रकार के मध्यम एवं लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहित
करते हैं।
•
किसी देश में औद्योगिक विकास के लिए लौह इस्पात उद्योग बुनियादी है।
•
लौह इस्पात उद्योग के अभाव में अन्य मशीनरी एवं ऑटोमोबाइल उद्योगों का विकास भी असंभव
है।
2. सूती वस्त्र उद्योग के 2 सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न
है?
उत्तर:-
भारत में सूती वस्त्र उद्योगों को 2 सेक्टर्स में बांटा जाता है।
क.
संगठित सेक्टर एवं
ख.
असंगठित सेक्टर ।
•
संगठित सेक्टर में कपास से धागा बनाने से लेकर कपड़ा तैयार करने तक सभी कार्य के कारखाने
में किया जाता है। सेक्टर के उत्पादन में तेजी से गिरावट आई है।
•
असंगठित सेक्टर इसमें सूट काटने वाह कपड़ा बुनने का कार्य अलग-अलग इकाइयों द्वारा किया
जाता है इसमें हथकरघा एवं विद्युत कर्मों का प्रयोग होता है। वर्तमान में असंगठित सेक्टर
के उत्पादन में तेजी आई है।
3. चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर-
यह एक कृषि आधारित मौसमी उद्योग है, जिसमें कच्चा माल के रूप में गन्ने का प्रयोग किया
जाता है। गन्ना वास्तव में एक बारहमासी फसल है, जिसे साल में दो बार बोया जाता है शरद
काल में तथा बसंत काल में।
गन्ना
की कटाई के साथ ही चीनी उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त होने लगता है और मिल का संचालन
प्रारंभ होता है, परंतु साल के बाकी दिनों में यह उद्योग अपनी क्षमता अनुसार कार्यशील
नहीं रहता इसलिए इसे मौसमी उद्योग भी कहा जाता है।
4. पेट्रो रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के
कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:-
पेट्रो रसायन उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राकृतिक खनिज तेल के रिफाइनरी से प्राप्त
उप उत्पाद है।
खनिज
तेल रिफाइनरियों के उप उत्पाद का कच्चे माल के रूप में उपयोग करने वाले उद्योगों को
सामूहिक रूप से पेट्रोकेमिकल उद्योग कहा जाता है।
पेट्रो
रसायन उद्योग द्वारा उर्वरक प्लास्टिक सिंथेटिक रबड़ सिंथेटिक रेशे डिटर्जेंट कॉस्मेटिक
आदि उत्पादों को तैयार किया जाता है।
5. भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख प्रभाव क्या है?
उत्तर:-
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं-
•
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति में अभूतपूर्व परिवर्तन लाया है।
•
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रभाव का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू
है।
•
सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के सकारात्मक पहलुओं की सूची बहुत लंबी है जिनमें से कुछ
निम्न है:-
•
आज सूचना प्रौद्योगिकी आम जन जीवन का हिस्सा बन चुके हैं।
•
आज देश के अधिकांश सरकारी कार्य डिजिटलीकृत हो चुके हैं।
•
आज प्राथमिक से लेकर सेवा सेक्टर का कोई भी वर्ग सूचना प्रौद्योगिकी से अछूता नहीं
रह गया है।
•
स्वास्थ्य शिक्षा बैंकिंग रेलवे अनुसंधान सामान्य दुकानों और रेडियो तक सभी में सूचना
प्रौद्योगिकी का प्रवेश सामान्य हो चुका है।
•
सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के नकारात्मक पहलुओं में साइबर क्राइम निजता में सेल ऑनलाइन
धोखाधड़ी लोगों के सामान्य दिनचर्या में सूचना प्रौद्योगिकी का अत्यधिक प्रवेश आदि
प्रमुख है।
6. नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब हुई? इस नीति के प्रमुख उद्देश्यों
का वर्णन करें।
उत्तरः-
नई औद्योगिक नीति की घोषणा 1991 में की गई। इस नीति में उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण
की नीति अपनाई गई।
*
इस औद्योगिक नीति में आर्थिक विकास की गति में तीव्रता लाने के लिए विदेशी निवेश को
प्रोत्साहित किया गया साथ ही कई अन्य उपाय अपनाए गए।
•
1991 की औद्योगिक नीति के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार है
•
वर्तमान लाभ के स्तर को बरकरार रखना।
•
पुरानी औद्योगिक नीति की कमियों को दूर करना ।
•
उत्पादन में वृद्धि और निरंतरता लाना।
•
रोजगार के अवसर को बढ़ाना।
•
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल होना।
7. भारत में सूती वस्त्र उद्योग की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:-
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की निम्नलिखित समस्याएँ हैं-
•
भारत में अंतरराष्ट्रीय मानक के उन्नत रेशों का उत्पादन कम होता है जिस कारण लंबे रेशे
वाली कपास का आयात करना पड़ता है।
•
पर्याप्त पूंजी के अभाव में सूती वस्त्र उद्योगों का आधुनिकीकरण नहीं हो पा रहा है
जिस कारण उत्पादका में वृद्धि नहीं हो रही है।
•
भारत में कुशल एवं दक्ष श्रमिकों का अभाव है जिस कारण अन्य देशों जैसे जापान चीन के
मुकाबले प्रति श्रमिक उत्पादकता भारत में कम है।
•
विदेशी वस्तुओं से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के लाभ का
स्तर कम होता जा रहा है।
8. पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र में निर्मित चार प्रमुख
लौह इस्पात संयंत्र एवं निर्माण में सहयोगी देशों के नाम बताइए।
उत्तर:-
•
राउरकेला इस्पात संयंत्र जर्मनी के सहयोग से उड़ीसा में स्थापित हुआ।
•
भिलाई इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रूस के सहयोग से बना ।
•
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र पश्चिम बंगाल में ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित हुआ।
•
बोकारो इस्पात संयंत्र झारखंड में रूस के सहयोग से स्थापित हुआ।
9. निजी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:-
निजी
उद्योग |
सार्वजनिक
उद्योग |
इस
प्रकार के उद्योगों का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष अथवा कुछ व्यक्तियों या कंपनी
के पास होता है। |
सार्वजनिक
क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व सरकार अथवा किसी सरकारी संगठन के पास होता है। |
इसमें
उत्पादन एवं व्यापार पर नियंत्रण व्यक्ति विशेष या कंपनी के पास होता है। |
इसमें
उत्पादन एवं व्यापार का नियंत्रण सरकार के पास होता है। |
यह
वृहद मध्यम एवं अलग हो सकते हैं तथा पूंजी निवेश निजी होता है। |
यह
अधिकांश वृहद उद्योग या आधारभूत उद्योग होते हैं जिसमें अत्यधिक पंजी की आवश्यकता
होती है। |
टाटा
लौह इस्पात कंपनी रिलायंस कंपनी, बाटा शू कंपनी, आदि। |
भिलाई
लौह इस्पात उद्योग, एचएमटी. भारतीय रेल आदि। |
10. उत्तर- उद्योगों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण करें।
उत्तर:-
उद्योगो का वर्गीकरण-
● आकार तथा पूंजी निवेश के आधार पर वृहद उद्योग मध्यम
उद्योग लघु उद्योग।
● स्वामित्व के आधार पर सार्वजनिक उद्यमों व्यक्तिगत
अथवा निजी उद्योग मिश्रित सहकारी उद्योग।
● कच्चे माल के आधार पर कृषि आधारित उद्योग भवन आधारित
उद्योग खनिज आधारित उद्योग उद्योगों से प्राप्त निर्मित माल पर आधारित उद्योग ।
● उत्पादन एवं उत्पाद के आधार पर आधारभूत उद्योग उपभोक्ता
उद्योग
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. 'स्वदेशी आन्दोलन ने सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन
दिया?
उत्तरः
सूती वस्त्र उद्योग भारत का एक महत्त्वपूर्ण परम्परागत उद्योग रहा हैं। ब्रिटिश शासन
काल की प्रारम्भिक अवधि में अंग्रेजों ने सूती वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित नहीं किया।
अंग्रेज भारत में उत्पादित कच्ची कपास को ब्रिटेन में स्थित मानचेस्टर तथा लिवरपूल
नगरों में कार्यरत सूती मिलों को निर्यात कर देते थे। उन मिलों में तैयार सूती वस्त्र
को भारत में विक्रय किया जाता था। ब्रिटेन का यह कपड़ा वृहद स्तर पर मिलों में निर्मित
होने के कारण भारत के कुटीर उद्योगों में निर्मित सूती वस्त्रों की तुलना में सस्ता
होता था।
19वीं
शताब्दी के उत्तराद्र्ध में सर्वप्रथम मुम्बई और अहमदाबाद नगरों में सूती वस्त्र मिलों
को स्थापना की गई तथा देश में सूती वस्त्र उद्योग का तेजी से विस्तार होने लगा। उसी
समय ब्रिटेन में निर्मित सामान का बहिष्कार करने तथा भारत में निर्मित सामान को उपयोग
में लाने के लिए भारत में एक देशव्यापी आन्दोलन चलाया गया। स्वदेशी नामक इस आन्दोलन
में विदेशी सामान के बहिष्कार के आह्वान ने भारत के सूती वस्त्र उद्योग को प्रमुख रूप
से प्रोत्साहित किया।
देश
में निर्मित सूती वस्त्र की तेजी से बढ़ती माँग के कारण देश के विभिन्न भागों में सूती
मिलों की स्थापना की जाने लगी। भारत के मध्यवर्ती पश्चिमी भाग में कपास की स्थानीय
रूप से पर्याप्त उपलब्धता होने के कारण इन्दौर, नागपुर, शोलापुर, बड़ोदरा तथा अहमदाबाद
में सूती मिलों की सफल स्थापना हुई। कोलकाता में पत्तन की सुर्विधा, तमिलनाडु में जल-विद्युत
के विकास तथा कानपुर में स्थानिक निवेश के कारण सूती मिलों की स्थापना की गई। इस प्रकार
स्वदेशी आन्दोलन की भारत के सूती वस्त्र उद्योग के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
2. आप उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण से क्या समझते हैं ? इन्होंने
भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार से सहायता की है?
उत्तर:
भारत में औद्योगिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई। इस नीति के तीन प्रमुख उद्देश्य
हैं।
क.
उदारीकरण
ख.
निजीकरण
ग.
वैश्वीकरण |
क.
उदारीकरण से आशय आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा पूर्व आर्थिक
नियमों व कानूनों में लचीलापन, लाइसेंस प्रणाली को समाप्त करना, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित
करना, उद्योग स्थापना, वाणिज्य व व्यापार क्षेत्रों में छूट सम्बन्धी समस्त प्रयासों
को उदारीकरण के नाम से जाना जाता है।
ख.
निजीकरण से आशय उदारीकरण नीति निजीकरण को आधार प्रदान करने के लिए बनाई गई है। सार्वजनिक
क्षेत्र से निजी क्षेत्र की ओर स्वामित्व हस्तान्तरित करने की प्रक्रिया को निजीकरण
कहा जाता है। निजीकरण घरेलू तथा बहुराष्ट्रीय दोनों पूँजी निवेशकों को आकर्षित कर के
लिए किया गया है।
ग.
वैश्वीकरण से आशय वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था
के साथ एकीकृत करना। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत सामान व पूँजी सहित सेवाएँ, श्रम और
संसाधन एक देश से दूसरे देश को स्वतन्त्रतापूर्वक पहुँचाए जा सकते हैं। उदारीकरण, निजीकरण
तथा वैश्वीकरण का भारत के औद्योगिक विकास में सहयोग- उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण
भारत की औद्योगिक नीति 1991 के प्रमुख लक्ष्य रहे। इन लक्ष्यों के क्रियान्वयन से भारत
के औद्योगिक विकास को पर्याप्त प्रोत्साहन मिला।
इसके
प्रमुख कारण निम्नवत् रहे:-
● सुरक्षा, सामरिक अथवा पर्यावरण से सम्बन्धित छह
उद्योगों को छोड़कर भारत सरकार ने सभी उद्योगों को लाइसेंस व्यवस्था से मुक्त कर दिया।
● सन् 1956 से सार्वजनिक सेक्टर के लिए सुरक्षित उद्योगों
की संख्या को 17 से घटाकर 4 कर दिया। इस प्रकार 13 उद्योगों के लिये निजी क्षेत्र के
दरवाजे सरकार द्वारा खोल दिए गये। केवल परमाणु शक्ति तथा रेलवे से सम्बन्धित उद्योग
ही सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत बने रहे।
● भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्योगों के शेयरों
में से कुछ को सामान्य जनता, कामगारों तथा वित्तीय संस्थाओं के लिए आवंटित करने का
निश्चय किया।
● किसी भी उद्योग में पूँजी निवेश की सीमा को समाप्त
कर दिया गया तथा इसके लिए लाइसेन्स व पूर्व अनुमति की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया
गया।
● उद्योगों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign
Direct Invest - ment) को घरेलू निवेश के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इससे भारतीय
उद्योगों में विदेशी निवेश के दरवाजे खुल गए जिसके परिणामस्वरूप उद्योगों में उन्नत
तकनीक, वैश्विक कुशल प्रबन्धन व व्यावहारिकता का अभिगमन तथा प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों
के सर्वोत्तम उपयोग का सर्मावेश होने से उनके विकास को एक नवीन दिशा प्राप्त
● भारत की औद्योगिक नीति में घरेलू तथा बहुराष्ट्रीय
दोनों व्यक्तिगत पूँजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उदारता दिखाई गई। खनन, दूर-संचार,
राजमार्ग निर्माण व व्यवस्था को निजी क्षेत्र की कम्पनियों के लिए खोल दिया गया।
● इन सभी छूटों के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत सरकार की आशाओं के अनुरूप नहीं रहा लेकिन विदेशी निवेश का एक बड़ा भाग घरेलू उपकरणों, वित्त, सेवा, इलेक्ट्रॉनिक, विद्युत उपकरण, खाद्य व दुग्ध जैसे उद्योगों में लगाए जाने से इन उद्योगों के विकास को पर्याप्त प्रोत्साहन मिला है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
भाग 'अ' मानव भूगोल के मूलभूत सिद्धांत | |
1 | |
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3 | |
4 | |
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6 | |
7 | |
8 | |
9 | |
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भाग 'ब'- भारत : लोग और अर्थव्यवस्था | |
1 | |
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3 | |
4 | |
5 | |
6 | |
7 | |
8 | |
9 | |
10 | |
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