Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 काव्य-खंड पाठ 13. जाग तुझको दूर जाना

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 Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 काव्य-खंड पाठ 13. जाग तुझको दूर जाना

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11 Hindi Elective

अंतरा भाग -1 काव्य-खंड

पाठ 13. जाग तुझको दूर जाना

कवि परिचय [महादेवी वर्मा (सन् 1907-1987)]

महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह हो गया। प्रयाग विश्वविद्यालय से उन्होंने संस्कृत में एम.ए. किया। तत्पश्चात् उनकी नियुक्ति प्रयाग महिला विद्यापीठ में हो गई, जहाँ वे लंबे समय तक प्राचार्य के पद पर कार्य करती रहीं। उनके जीवन और चिंतन पर स्वाधीनता आंदोलन और गाँधी जी के विचारों के साथ- साथ गौतम बुद्ध के दर्शन का गहरा प्रभाव पड़ा है। महादेवी जी भारतीय समाज और हिंदी साहित्य में स्त्रियों को उचित स्थान दिलाने के लिए विचार और व्यवहार के स्तर पर जीवनभर प्रयत्नशील रहीं। उन्होंने कुछ वर्षों तक 'चॉद' पत्रिका का संपादन भी किया था। जिसके संपादकीय लेखों के माध्यम से उन्होंने भारतीय समाज में स्त्रियों की पराधीनता के यथार्थ और स्वाधीनता की आकांक्षा का विवेचन किया है।

महादेवी जी ने नए बिंबों और प्रतीकों के माध्यम से प्रगीत की अभिव्यक्ति शक्ति का नया विकास किया। उनकी काव्य- आषा प्रायः तत्सम शब्दों से निर्मित है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। 'यामा' के लिए उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।

महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं- 'नीहार' रश्मि' 'नीरजा' 'सांध्यगीत' 'यामा' और 'दीपशिखा'। कविता के अतिरिक्त उन्होंने सशक्त गदय भी रचा है, जिसमें रेखाचित्र तथा संस्मरण प्रमुख हैं। 'पथ के साथी', 'अतीत के चलचित्र' तथा 'स्मृति की रेखाएँ उनकी कलात्मक रचनाएँ हैं। 'श्रृंखला की कड़ियों में महादेवी वर्मा ने भारतीय समाज में स्त्री जीवन के अतीत वर्तमान और भविष्य का मूल्यांकन किया है।

पाठ परिचय

प्रस्तुत पाठ 'जाग तुझको दूर जाना' महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक जागरण गील है जिसे स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से लिखा गया है। इसमें भीषण कठिनाइयों की चिंता न करते हुए कोमल बंधनों के आकर्षण से मुक्त होकर अपने लक्ष्य की और निरंतर बढ़ते रहने का आह्वान है। मोह-माया के बंधन में जकड़े मानव को जगाते हुए महादेवी ने कहा है- जाग तुझको दूर जाना।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

1. 'जाग तुझको दूर जाना' कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही हैं?

उत्तर:- 'जाग तुझको दूर जाना' कविता के माध्यम से कवयित्री महादेवी वर्मा स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य को भूल चुके और आलस्य में पड़े हुए मनुष्यों को प्रेरित करते हुए कहती हैं कि स्वतंत्रता प्राप्ति के मार्ग में चाहे कितनी भी कठिनाइयों आएँ, आकाश से प्रलय की वर्षा हो, विशाल पर्वत कोंपने लगे, पृथ्वी पर घना अंधकार छा जाए, भयंकर तूफान आ जाए या सांसारिक बंधन तुम्हें मोह में बाँधे, लेकिन इनसे भयभीत हुए बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना। मृत्यु के भैय से मुक्त हो, सदा उत्साहपूर्ण संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए कार्य करने की प्रेरणा और उत्साह कवयित्री द्वारा इस कविता में दिया गया है।

2. कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?

उत्तरः- संसार के सभी आकर्षणों तथा मोह के बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्रता के लिए कार्य करने का संदेश कवयित्री दे रही है।

महादेवी वर्मा का मानना है कि पारिवारिक बंधन और सांसारिक भोग-विलास एवं सुख-सुविधा रुपी आकर्षण देशवासियों के स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य में बाधक हैं। जब तक मनुष्य दृढ़ प्रतिज होकर इन बंधनों और आकर्षणों के मोह से मुक्त नहीं होगा, तब तक वह अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएगा।

3. 'जाग तुझको दूर जाना' स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।

उत्तरः- स्वधीनता संग्राम के समय स्वतंत्रता सेनानियों को जागृत करने के उद्देश्य से लिखी गई यह कविता देश की रक्षा के लिए देशवासियों को सतर्क रहने एवं संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। कवयित्री महादेवी वर्मा देशवासियों से कह रही हैं कि स्वतंत्रता प्राप्ति के मार्ग की कठिनाइयों से थक कर रुके नहीं। माना मंजिल दूर है, प्रलय सा वातावरण है, हिमालय काँप रहा है, अंधेरे ने प्रकाश को निगल लिया है, बिजलियों में तूफान है। सारी परिस्थितियाँ विपरीत हैं फिर भी मंजिल को पाने के लिए उन्हें आगे बढ़ना है।

स्नेह-बंधन की मोह माया में फॅसकर, भँवरों के गुनगुन और फूलों की सुंदरता पर मुग्ध होकर, वासनाओं में फंसकर, देशवासियों को अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए शहीद हो जाना ही देशवासियों का परम कर्तव्य है।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

क. विश्व का क्रंदन........ अपने लिए कारा बनाना।

ख. कह न ठंडी साँस ……सजेगा आज पानी।

ग. है तुझे अंगार-शय्या.......... कलियाँ बिछाना।

उत्तरः-

क. किसी भी काव्य पंक्ति का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करने के लिए हम उसके आव-पक्ष एवं कला-पक्ष पर विचार करते हैं-

भाव-सौंदर्य- इन काव्य पंक्तियों के माध्यम से महादेवी वर्मा ने देशवासियों को स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्ष की प्रेरणा के साथ सचेत किया है।

कवयित्री कहती है कि क्या भँवरों की मधुर गुनगुन में मस्त होकर तुम संसार की चीख-पुकार को भूल जाओगे। क्या ये ओस से भीगे पुष्पदल तुम्हें अपने सौंदर्य से लुभाकर कर्तव्य पथ से हटा देंगे? ये सांसारिक सुख- वैभव छाया मात्र हैं। इन्हें तुम अपना बंधन मत बनाना।

शिल्प-सौंदर्य-

(i) यह एक उ‌द्बोधन गीत है।

(ii) कविता में संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

(iii) पंक्तियों में प्रश्नात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।

(iv) अनुप्रास अलंकार विद्यमान है।

(v) ओज गुण एवं वीर रस है।

लक्षणा व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग है।

ख. भाव-सौंदर्य- महादेवी वर्मा देशवासियों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जागृत करते हुए कहती हैं कि स्वतंत्रता के मार्ग में आने वाली निराशौ भरी कहानी को वे भूल जाएँ। विपरीत परिस्थितियों में भी यदि उत्साह की आग हृदय में होगी, तभी आँखों में आँसू सज पाएँगे, क्योंकि मन में जितना उत्साह और दृढ़ता होगी उतनी ही आँखों में स्वाभिमान की भावना आएगी।

शिल्प-सौंदर्य-

(i) उ‌द्बोधन गीत है।

(ii) संस्कृत निष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है।

(iii) दूसरी पंक्ति में विरोधाभास अलंकार है।

(iv) 'सजेगा आज पानी' पंक्ति में श्लेष अलंकार है

(v) करुण रस एवं प्रसाद गुण विद्यमान है।

ग. भाव-सौंदर्य- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कठिन से कठिन परिस्थितियों में निरंतर आगे बढ़ते रहने तथा मार्ग की बाधाओं से न घबराने की प्रेरणा दी गई है। संघर्ष के पथ पर कोमल भावनाओं का बलिदान करना पड़ता है। कर्तव्य के लिए सब कुछ त्यागने की अनिवार्यता इन पंक्तियों में उभर कर आई है।

शिल्प-सौंदर्य-

(i) पंक्तियों में संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है।

(ii) 'अंगार शैय्या पर मृदुल कलियों बिछाना' में विरोधाभास अलंकार है।

(iii) 'अंगार-शैय्या' में रूपक अलंकार है।

(iv) ओज गुण की प्रधानता है।

5. कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- कवयित्री महादेवी वर्मा 'जाग तुझको दूर जाना' कविता में स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को इंगित करते हुए मनुष्य के भीतर कुछ विशेष गुण की अपेक्षा करते हैए उसके विकास पर बल देती हैं। उनका मानना है कि साहस मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। कवयित्री मनुष्य को साहस न छोड़ने तथा अपने उद्देश्य की पूर्ति में लग जाने को कहती हैं। उनकी अभिलाषा है कि मनुष्य अपने अंदर साहस, दृढ़ प्रतिज, निर्भयता, प्रेम, आकर्षण आदि गुणों का विकास करें तथा आलस्य, दुर्बलता, सुख-भोग, लोभ, निराशा का त्याग करें। इन गुणों के आँधार पर ही वह संघर्ष-पथ पर चल सकता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. महादेवी वर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?

क. फ़र्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश

ख. अल्मोड़ा, उत्तराखं

ग. सरायगोवर्धन, काशी

घ. मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल

2. महादेवी वर्मा ने एम० ए० की पढ़ाई किस विषय में की थी?

क. संस्कृत

ख. हिंदी

ग. अंग्रेजी

घ. ख और ग दोनों

3. महादेवी वर्मा के जीवन और चिंतन पर किसका गहरा प्रभाव था?

क. महावीर जैन

ख. गौतम बुद्ध

ग. सुभाष चंद्र बोस

घ. इनमें से कोई नहीं

4. महादेवी वर्मा द्वारा संपादित 'चाँद' पत्रिका में मूलतः किस विषय पर विवेचन होता था?

क. स्त्रियों का यथार्थ और उनकी आकांक्षा

ख. पुरुषों का प्रभुत्व और उसके कर्तव्य

ग. दलितों का शोषण और उसका उद्धार

घ. इनमें से कोई नहीं

5. महादेवी वर्मा के प्रगीतों में किस काल की गीतों की अनु गूंज है ?

क. आदिकाल

ख. भक्ति काल

ग. श्रृंगार काल

घ. आधुनिक काल

6. महादेवी वर्मा की काव्य भाषा प्रायः किन शब्दों से निर्मित है ?

क. तद्भव

ख. तत्सम

ग. देशज

घ. शंकर

7. महादेव वर्मा का पहला काव्य-संग्रह कौन सा है ?

क. नीहार

ख. रश्मि

ग. नीरजा

घ. सांध्य गीत

8. महादेवी वर्मा को किस रचना के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ?

क. पथ के साथी

ख. अतीत के चलचित्र

ग. स्मृति की रेखाएँ

घ. यामा

9. 'श्रृंखला की कड़ियाँ स्त्री विमर्श पर आधारित रचना है'- इसका प्रकाशन वर्ष क्या है?

क. 1938 ई०

ख. 1940 ई०

ग. 1942 ई०

घ. 1945 ई०

10. 'मोम के बंधन' से कवयित्री का क्या आशय है?

क. नश्वर बंधन

ख. शाश्वत बंधन

ग. प्राकृतिक बंधन

घ. नैसर्गिक बंधन

11. 'पंथ की बाधा बनेगी तितलियों के पर रंगीले' इस पंक्ति में तितलियों से क्या आशय है ?

क. आध्यात्मिक आकर्षण

ख. भौतिक आकर्षण

ग. प्राकृतिक आकर्षण

घ. इनमें से कोई नहीं

12. 'मधुप की मधुर गुनगुन' में कौन सा अलंकार है ?

क. रूपक

ख. अनुप्रास

ग. श्लेष

घ. इनमें से कोई नहीं

13. 'तभी हग में सजेगा आज पानी' में कौन सा अलंकार है?

क. अनुप्रास अलंकार

ख. मानवीकरण

ग. प्रश्न अलंकार

घ. श्लेष अलंकार

14. 'है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना- यहाँ 'अंगार-शय्या' में कौन सा अलंकार है ?

क. रूपक

ख. मानवीकरण

ग. दृष्टांत

घ. इनमें से कोई नहीं

15. 'सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले' पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

क. मानवीकर

ख. उपमा

ग. अनुप्रास

घ. उत्प्रेक्षा

16. 'जाग तुझको दूर जाना' कविता में क्या प्रेरणा दी गई है।

क. नींद त्यागने

ख. आलस्य त्यागने

ग. कार्य करने

घ. स्वाधीनता प्राप्त करने

17. 'तू न अपनी छाँह को अपने लिए कारा बनाना' यहाँ 'कारा' का क्या अर्थ है ?

क. मुक्ति

ख. बंधन

ग. कर्म

घ. उपर्युक्त सभी

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. महादेवी वर्मा की काव्य-कृतियों के नाम बताएँ।

उत्तरः नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा।

2. महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध गद्य कृतियों कौन-सी हैं?

उत्तरः- अतीत के चलचित्र, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी।

3. 'मोम के बंधन संजीले' का आशय क्या है

उत्तर:- 'मोम के बंधन संजीले' का आशय है- सांसारिक मोह माया के नश्वर बंधन।

4. 'हिमगिरि' शब्द के दो पर्यायवाची शब्द बताइए।

उत्तरः- 'हिमगिरि' शब्द के दो पर्यायवाची हैं- हिमालय, गिरिराज।

5. महादेवी वर्मा कहाँ कार्यरत रहीं?

उत्तरः- महादेवी वर्मा प्रयाग महिला वि‌द्यापीठ में कार्यरत रहीं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोतर

1. महादेवी की रचनाओं का विषय क्या था?

उत्तर- महादेवी की रचनाएँ क्रंदन, अंतः संघर्ष, परदुखकातरता, सहानुभूति एवं संवेदना प्रधान है। उनके रचना संसार में जागरण की चेतना के साथ स्वतंत्रता की कामना है और दुख की अनुभूति के साथ करुणा का बोध भी। प्रकृति- सौंदर्य के कई रूपों का चित्रण उनके गीतों में मिलता है। उनकी कविताओं में रहस्यवाद के भी दर्शन होते हैं।

2. महादेवी की आषा शैली पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- महादेवी की रचनाओं में तत्सम शब्द प्रधान परिमार्जित खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है। लाक्षणिकता, चित्रमयता और रहस्यवाद उनकी कैविताओं की विशेषता है। उनके गील अपने विशिष्ट रचाव और संगीतात्मकता के कारण अत्यंत आकर्षक हैं। उन्होंने नए बिंब और प्रतीकों के माध्यम से प्रगीत की अभिव्यक्ति शक्ति का नया विकास किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

1. चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना।

जाग तुझको दूर जाना!

अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कंप हो ले,

या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले;

आज पी आलोक को डोले तिमिर की घोर छाया,

जागकर विद्युत-शिखाओं में निठुर तूफान बोले ।

पर तुझे है नाश-पथ पर चिह्न अपने छोड़ आना !

जाग तुझको दूर जाना!

संदर्भ- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ महादेवी वर्मा द्वारा रचित गीत 'जाग तुझको दूर जाना' से उद्धृत है।

प्रसंगः- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में महादेवी वर्मा ने सभी बाधाओं को दूर दूर करते करते हुए हुए कर्तव्य पथ पर निर्भयता से आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया है।

व्याख्या कवयित्री अपने गीत देशवासियों को संबोधित करती हुई कहती हैं कि तुम्हें अपने पथ में बहुत आगे जाना है, इसलिए तू जाग जा, सचेत हो जा। तुम निरंतर जागरुक रहते हो पर आज तुम्हारी आँख उनींदी क्यों है? आज तेरी वेशभूषा इतनी अस्त-व्यस्त क्यों है? अर्थात् तेरा लक्ष्य अभी बहुत दूर है और रास्ता अत्यंत कठिन है। इस कठिन मौर्ग पर चलने के लिए आलस्य को त्यागना होगा। अचल और दृढ़ हिमालय के कठोर हृदय में भले ही कंपन उत्पन्न हो जाए अर्थात् हिमालय पर्वत ही क्यों न चलायमान हो जाए अथवा मौन और अलसाया हुआ आकाश चाहे प्रलयंकारी आँसू क्यों न बहाने लगे परें तुझे रुकना नहीं है, निरंतर बढ़ते ही जाना है। चाहे अंधकार सम्पूर्ण प्रकाश को अपने में विलीन कर चारों ओर कितना ही गहरा अंधकार फैला दे अथवा बिजली की गड़गड़ाहट और भयंकरता कठोर एवं नाशवान तूफान से क्यों न घिर आए, परंतु तुम्हें इस नाशवान पथ पर अपना अमर बलिदान देकर अपने अमिट निशान छोड़ने होंगे, ताकि अन्य उनका अनुसरण कर सकें।

काव्यांश का भाव यह है कि देशवासियों को स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए निरंतर सजग रहना चाहिए। स्वाधीनता की कामना करने वालों को मार्ग की भयावह कठिनाइयों और प्रतिकूल परिस्थितियों से विचलित न होकर अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहना तथा अपना बलिदान देकर अमिट चिहन छोड़ना है ताकि अन्य व्यक्ति भी इसका अनुसरण करें।

विशेष-

(i) कवयित्री ने स्वाधीनता प्राप्ति के मार्ग की कठिनाइयों से विचलित न होने की प्रेरणा दी है।

(ii) 'हिमगिरि के हृदय' में अनुप्रास अलंकार है।

(iii) 'विद्युत-शिखाओं', 'नाश-पथ' में सामासिकता है।

(iv) तत्सम शब्द प्रधान खड़ी बोली है।

(v) ओजगुण का समावेश है।

(vi) शब्द चयन विषयानुकूल हैं।

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विषय सूची

पाठ सं.

पाठ का नाम

अंतरा भाग -1

गद्य-खंड

1.

ईदगाह

2.

दोपहर का भोजन

3.

टार्च बेचने वाले

4.

गूँगे

5.

ज्योतिबा फुले

6.

खानाबदोश

7.

उसकी माँ

8.

भारतवर्ष की उन्नत कैसे हो सकती है

काव्य-खंड

9.

अरे इन दोहुन राह न पाई, बालम, आवो हमारे गेह रे

10.

खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति

11.

हँसी की चोट, सपना, दरबार

12.

संध्या के बाद

13.

जाग तुझको दूर जाना

14.

बादल को घिरते देखा है

15.

हस्तक्षेप

16.

घर में वापसी

अंतराल भाग 1

1.

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

2.

आवारा मसीहा

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर

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