Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 1 ईदगाह

Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 1 ईदगाह

Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 1 ईदगाह

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Class - 11 Hindi Elective

अंतरा भाग -1 गद्य-खंड

पाठ 1 ईदगाह

लेखक परिचय [प्रेमचंद (सन् 1880 -1936)]

प्रेमचंद का जन्म वाराणसी जिले के लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था। प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई। प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत पहले उर्दू में नवाबराय के नाम से की, बाद में हिंदी में लिखने लगे। वे एक ऐसे साहित्यकार थे जो समाज की वास्तविक स्थिति को पैनी दृष्टि से देखने की शक्ति रखते थे। उन्होंने अपने साहित्य में किसानों, दलितों, नारियों की वेदना और वर्ण-व्यवस्था की कुरीतियों का मार्मिक चित्रण किया है। उन्होंने समाज सुधार और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक उपन्यासों एवं कहानियों की रचना की। उनकी प्रमुख कृतियों हैं मानसरोवर (आठ भाग) गुप्तधन (दो भाग) (कहानी संग्रह), निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान (उपन्यास) कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी (नाटक) कुछ विचार (साहित्यिक निबंध)।

पाठ परिचय

हिंदी के कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित 'ईदगाह' कहानी बाल-मनोविज्ञान पर आधारित श्रेष्ठ कहानियों में से एक है। जिसमें ईद जैसे महत्त्वपूर्ण त्योहार को आधार बनाकर ग्रामीण मुस्लिम जीवन का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया गया है। हामिद का चरित्र हमें बताता है कि अभाव उम्र से पहले बच्चों में कैसे बड़ों जैसी समझदारी पैदा कर देती है। मेले में हामिद अपनी हर इच्छा पर संयम रखने में विजयी होता है। साथ ही 'रुस्तमे हिंद' चिमटे के माध्यम से प्रेमचंद ने श्रम के सौंदर्य एवं महत्त्व को भी उ‌द्घाटित किया है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

1. 'ईदगाह' कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है।

उत्तरः- 'ईदगाह' कहानी में ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश दर्शाया गया है। सुख हो या दुख सभी लोग मिलजुल कर कार्य करते हैं। शहरों की तुलना में उनमें अपनापन, एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने तथा सहयोग की भावना अधिक होती है। 'ईदगाह' नामक कहानी में भी कई स्थानों पर ग्रामीण परिवेश की झलक मिलती है। जिनमें खेतों की रौनक तथा वृक्षों की हरियाली को चित्रित किया गया है। ग्रामीणों देवारा ईद मनाने की तैयारियों आदि का वर्णन किया गया है। जिनमें कपड़ों में बटन आदि लगाने के लिए पड़ोस से सुई धागा माँगना, जूते कड़े होने पर तेल डालने के लिए तेली के घर जाना, बैलों को सानी-पानी देना, बच्चों द्वारा अपनी जमा पूँजी को बार-बार गिनना, त्योहारों के खर्च के लिए गाँव के महाजनों से पैसा उधार लेना, मेला देखने के लिए झुंड बनाकर पैदल ही शहर की और जाना, रास्ते में आने वाली चीज़ों को देखना और उनके विषय में चर्चा करना। ये सभी प्रसंग ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश के उल्लास को प्रकट कर रहे हैं।

2. 'उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।' इस कथन से लेखक का क्या आशय है?

उत्तरः- जीवन कष्टप्रद है अर्थात् कष्टों से भरा है, क्षणभंगूर है, सुख केवल क्षणिक है, परंतु दुखों की श्रृंखला लंबी है। इन सब के बाद भी व्यक्ति आनंद के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी मनुष्य के हृदय में आशा रहती है। यह आशावादी सोच ही मनुष्य को आगे ले जाती है। प्रस्तुत पाठ में अमीना हामिद के विषय में सोचने लगती है। अमीना जानती है कि हामिद को इन अभाव से कुछ लेना-देना नहीं है। वह तो ईद मानने को उत्साहित हैं। अब यदि कोई मुसीबत पूरी ताकत से भी आ जाए तो आनंद और उत्साह से भरा हामिद विचलित न होगा। ईद को लेकर अमीना और हामिद की मनः स्थिति में काफी अंतर है।

3. 'उन्हें क्या खबर थी कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।' इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- ईद खुशी का त्योहार है, किंतु त्योहार मनाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। माँ-बाप के पास पैसों का अभाव है, ये बात बच्चे नहीं जानते हैं। बच्चों को ईदगाह जाने की जल्दी है। बच्चे इस स्थिति से अनभिज्ञ थे कि उनके अब्बा चौधरी कयामत अली के पास क्यों भागे जा रहे हैं ? उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि पैसा कहाँ से और कैसे आता है? उन्हें तो ईद मनानी है, उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि यदि चौधरी उधार न दे तो उनकी ईद ठीक से नहीं बन पाएगी और उसके उधार मिले बिना ईद की खुशियाँ मुहर्रम जैसे दुखद वातावरण में परिवर्तित हो जाएगी।

4. 'मानो भातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए हैं।' इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि 'धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।'

उत्तरः- धर्म का कार्य जोड़ना है, तोड़ना नहीं। धर्म ने सदैव लोगों को प्रेम, सदाचार, सहयोग, संतोष आदि की प्रेरणा दी है। उदाहरण के लिए कहानी में जब सभी लोग ईदगाह पर पहुँचते हैं, तो वहाँ रोजेदारों की पंक्तियाँ एक के पीछे एकै लगी हुई हैं। जो बाद में आता है, लाइन के पीछे खड़ा हो जाता है। वहाँ इस बात से कोई अंतर नहीं है कि आने वाला धनी है अथवा निर्धन, क्योंकि इस्लाम की निगाह में सब बराबर है। लाखों लोग एक साथ पंक्तिबद्ध होकर अल्लाह के सम्मान में झुकते और घुटनों के बल बैठते हैं एवं सज़दा करते हैं। यही क्रम लगातार चलता रहता है। समूह में हो रही इन क्रियाओं को देखकर ऐसा लगता है जैसे भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है इसलिए कहा जा सकता है कि धर्म बिना भेदभाव किए सभी को समान मानता है अर्थात् 'धर्म तोड़ता नहीं सभी को आपस में जोड़ता है।'

5. निम्नलिखित ग‌द्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। 

क. कई बार यही क्रिया होती है..... आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।

ख. बुढ़िया का क्रोध......... स्वाद से भरा हुआ।

उत्तरः- क. संदर्भ - प्रस्तुत ग‌द्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा (भाग 1) में संकलित है। यह कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' से अवतरित है।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में पवित्र पर्व ईद पर ईदगाह के मैदान में नमाज पढ़ने वाले नमाजियों का सजीव वर्णन है, साथ ही इस भाव पर बल दिया गया है कि इस्लाम अमीर-गरीब, अधिकारी और सामान्य व्यक्ति में कोई भेद नहीं मानता।

व्याख्या- ईदगाह में नमाजियों के लाखों सिर नमाज़ अदा करते समय खुदा के आगे झुकते और फिर एक साथ ऊपर होते थे। जब एक साथ झुकने व खड़े होने की क्रिया होती तो ऐसा लगता जैसे बिजली के लाखों बल्ब एक साथ जल और बुझ रहे हैं। यह क्रिया बार-बार दोहराई जाती है। इतने सारे नमाजियों की यह क्रिया मन को प्रसन्न कर देने वाली थी। यह विलक्षण दृश्य सभी में भाई-चारे की भावना को दर्शाता था। ये लोग लड़ी में पिरोई मोती के समान प्रतीत होते थे। एकता के सूत्र में बंधे ये सभी लोग आत्मा से भी एक अभिन्न रूप से जुड़े हुए थे।

विशेष-

  • सरल, सहज, प्रवाहपूर्ण व खड़ी बोली का प्रयोग है।
  • उर्दू व संस्कृत शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
  • ईद के अवसर पर ईदगाह में नमाज़ पढ़ने वाले लोगों का सजीव चित्रण किया गया है।

लेखक ने इस्लाम धर्म की समानता को अभिव्यक्त कर अपने दार्शनिक आवों को व्यक्त किया है। दृष्टांतों का सटीक प्रयोग किया गया है।

उत्तरः- ख. संदर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा (भाग 1) में संकलित है। यह कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' से अवतरित है।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में हामिद मेले से अपने लिए कोई खिलौना या मिठाई खरीदने की बजाय अपनी बूढी दादी के लिए चिमटा खरीद लाया है तो चिमटे को देखते ही अमीना ने अपनी छाती पीट ली। खरीदे गए चिमटे को देखकर बूढ़ी दादी के आवविह्वल होने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या- हामिद ईदगाह के मेले से अपनी दादी अमीना के लिए चिमटा खरीद कर लाया था। अमीना के पूछने पर उसने बताया की रोटी सेंकते समय उनकी उँगलियों तवे से जल जाती थी। यह सुनकर अमीना का क्रोध स्नेह में परिवर्तित हो गया। यह स्नेह ऐसा था जिसे भाषा द्वारा अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता, केवल अनुभव किया जा सकता है। यह स्नेह रस और स्वाद से भरा था, जिसे व्यक्त करने के लिए शब्दों की आवश्यकता नहीं होती।

विशेष-

  • सरल, सहज, प्रवाहपूर्ण व खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
  • उर्दू व संस्कृत शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
  • अमीना की मनोदशा का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया गया है।
  • हामिद का अपनी दादी के प्रति असीम स्नेह का चित्रण है।

6. हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या- क्या तर्क दिए?

उत्तरः- हामिद ने चिमटे की उपयोगिता देखकर ही उसे खरीदने का निर्णय लिया था। इसकी सहायता से दादी लवे से रोटियों उतार सकती है और उन्हें चूल्हे में सेंक सकती हैं। चिमटा देखकर दादी दुआएँ देगी। हामिद ने चिमटे की उपयोगिता घोषित करतें हुए निम्नलिखित तर्क दिए।

चिमटा इतना मजबूत है कि जमीन पर गिरा दो, तो भी इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा।

खिलौने के रूप में इसे कंधे पर रखो, तो बंदूक बन जाएगी।

हाथ में ले लो, तो फकीरों का चिमटा बन जाएगा।

चाहे तो इससे मजीरे का काम भी लिया जा सकता है।

यदि एक चिमटा जमा दिया जाए, तो सारे खिलौने की जान निकल जाएगी।

इस चिमटे को आग, पानी, आँधी, तूफान में खड़ा कर

दो, तो यह आराम से डटा रहेगा।

चिमटा फौलाद का है इसलिए यह अजेय और घातक है।

  यदि शेर आ जाए, तो यह बहादुर चिमटा 'रुस्तमे- हिंद' लपककर शेर की गर्दन पर सवार होकर उसकी आँखें निकाल लेगा। जिसे एक डॉट लगाएगा, वही इसका कहना मानेगा।

7. गाँव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थलों का ऐसा वर्णन लेखक ने किया है मानो आँखो के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़ने वाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तरः- मेरे घर से विद्यालय की ओर जाते समय मार्ग में एक पार्क है। इस पार्क में रंग-बिरंगे फूल खिले हुए हैं। पार्क से सटा हुआ एक तालाब है, पार्क में कुछ लोग व्यायाम करते हैं। तालाब में बत्तखें तैरती रहती हैं। आगे चलने पर सड़क के किनारे आम और नीम के पेड़ हैं। तालाब से पचास मीटर आगे एक आइसक्रीम का ठेला खड़ा होता है। जिसके चारों ओर बच्चों की भीड़ होती है। पास में ही एक चाट वाला चाट बेचता है। कुछ दूरी पर एक मैदान है, जिसमें बच्चे खेलते हैं। विद्यालय के पास ही शिवाजी का एक मंदिर है, जहाँ से घंटी बजने की आवाज आती रहती है।

8. 'बच्चे हामिद ने बढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई।' इस कथन में 'बूढ़े हामिद' और 'बालिका अमीना' से लेखक का क्या आशय हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- हामिद की उम्र खिलौनों से खेलने व मिठाई खाने की है, किंतु उसने खिलौने व मिठाई की जगह चिमटा खरीदा तथा अमीना को बताया कि उसने चिमटा इसलिए खरीदा क्योंकि वह उनकी उँगलियों को तवे पर जलते हुए नहीं देख सकता था। बालक हामिद ने अपनी इच्छाओं का त्याग करके एक विशेष कारनामा कर दिखाया। अमीना उसकी कायल हो गई। इस कारनामे से अमीना जैसी बुढ़िया को भी हामिद ने बौना साबित कर दिया। अमीना को लगा कि इस बच्चे से वह बहुत ही छोटी है। सचमुच बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। खिलौने को पाकर जैसी खुशी बच्चों को होती है, चिमटा पाकर अमीना ने वैसी ही खुशी का अनुभव किया। वह रो पड़ी। हामिद के प्रति उसको क्रोध प्यार में बदल गया। अमीना का मन गदगद हो गया। वह हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू बहाती जाती थी। अतः लेखक को कहना पड़ा 'बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई।

9. 'दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता ।' लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- हामिद के माता-पिता के गुज़रने के बाद उसकी दादी अमीना ने ही उसे पाला था। ईद के मेले में जाने के लिए उसने हामिद को तीन पैसे दिए थे, जिनसे वह अमीना के लिए लोहे का एक चिमटा खरीद लाया था क्योंकि रोटी बनाते समय उसकी दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। यह सुनकर अमीना दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदे गिरातौ जाती थी। वह रो रही है, मेरे बालक ने काउ भी नहीं खाया है। वह रो रही है कि यदि आज हामिद का बाप जीवित होता, तो बालक की ईद इस तरह न मनती। वह आनंदित हो रही है कि भगवान ने मुझे ऐसा समझदार बालक दिया है और प्रार्थना कर रहीं है कि वह इस बालक को सलामत रखे। हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को इसलिए नहीं समझ पाया, क्योंकि हामिद अमीना के गहरे स्नेह को समझने के लिए अभी काफी छोटा था। वह इतनी गूढ़ बातें नहीं समझ सकता था।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. 'ईदगाह' कौन सी विधा है ?

क नाटक

ख कहानी

ग निबंध

घ उपन्यास

2. 'ईदगाह' का पाठ के लेखक कौन हैं ?

क प्रेमचंद

ख अमरकांत

ग श्रीकांत वर्मा

महादेवी वर्मा

3. प्रेमचंद का मूल नाम क्या था?

क प्रेमचंद

ख नवाब राय

ग गोसाईदत्त

धनपत राय

4. प्रेमचंद उर्दू में किस नाम से लिखते थे?

क प्रेमचंद

ख शेरशाह

ग नवाब राय

घ धनपत राय

5. प्रेमचंद की सभी कहानियाँ किस पुस्तक में संग्रहित है?

क मान-अपमान

ख मानसरिता

ग मानसरोवर

घ मनोरंजन

6. 'ईदगाह' में किस महत्त्वपूर्ण त्योहार को आधार बनाकर ग्रामीण मुस्लिम जीवन का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया गया है?

क ईद

ख शबेबरात

ग बकरीद

घ मुहर्रम

7. माँ-बाप के मर जाने के बाद हामिद की परवरिश कौन करता है?

क नाना

ख दादी

ग बाबा

घ चाचा

8. 'ईदगाह' कहानी के प्रमुख पात्र हामिद की दादी का नाम क्या है?

क अमीना

ख सलमा

ग नूरजहाँ

घ रुकशाना

9. 'ईदगाह' कहानी में हामिद के पिता का नाम क्या है?

क मुहम्मद

ख दिलशाद

ग आबिद

घ शब्बीर

10. हामिद के पिता गत वर्ष किसकी भेंट हो गए?

क टी.बी.

ख मलेरिया

ग हैजे

घ हार्ट अटैक

11. हामिद की दादी अमीना ईदगाह मेले के लिए कितने पैसे हमीद को देती है?

क दस पैसे

ख तीन पैसे

ग दो पैसे

घ चार पैसे

12. रमज़ान के कितने दिनों बाद ईद आती है?

क 92 दिन

ख 29 दिन

ग 30 दिन

घ 15 दिन

13. फ़हीमन के कपड़े सिलने पर अमीना को कितने पैसे मिले थे?

क बारह पैसे

ख पन्द्रह पैसे

ग तीन पैसे

घ आठ आने

14. हामिद के गाँव से ईदगाह की दूरी कितनी थी?

क तीन कोस

ख दो कोस

ग चार कोस

पाँच कोस

15. मोहसिन के पास कितने पैसे थे?

क बारह पैसे

ख पन्द्रह पैसे

ग छह पैसे

घ नौ पैसे

16. महमूद के पास कितने पैसे थे?

क बारह पैसे

ख पन्द्रह पैसे

ग नौ पैसे

घ तीन पैसे

17. किसके मामा थाने में कॉन्स्टेबल थे?

क हामिद

ख मोहसिन

ग महमूद

घ सम्मी

18. मोहसिन के मामू का वेतन कितना था?

क बीस रुपए

ख दस रुपए

ग बारह रुपए

घ पन्द्रह रुपए

19. मोहसिन के मामू घर कितना पैसा भेजते थे?

क बीस रुपए

ख दस रुपए

ग बारह रुपए

घ पचास रुपए

20. 'जिन्नात को रुपए की क्या कमी? जिस खज़ाने में चाहें चले जाए।' 'ईदगाह' कहानी में यह वाक्य किस पात्र ने कहा?

क मोहसिन

ख हामिद

ग महमूद

घ सम्मी

21. मेले में चरखी पर एक पैसे में कितने चक्कर घूमने को मिलता था?

क दस

ख पच्चीस

ग तीस

घ चालीस

22. महमूद कौन सा खिलौना लेता है?

क सिपाही

ख मिश्ती

ग वकील

घ खंजरी

23. मोहसिन कौन सा खिलौना लेता है?

क सिपाही

ख मिश्ती

ग वकील

घ खंजरी

24. महमूद के पिता ने महमूद को मेले में क्या खाने को दिए ?

क आम

ख केला

ग सेब

घ अंगूर

25. दुकानदार ने चिमटे का दाम कितना बताया?

क पाँच पैसे

ख छह पैसे

ग तीन पैसे

घ चार पैसे

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. रमज़ान से क्या अभिप्राय है?

उत्तरः- हिजरी सन् में रमज़ान एक महीने का नाम है। इस्लाम धर्म में यह अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें मुस्लिम लोग पूरे महीने रोजे (व्रत) रखते हैं।

2. चिमटे को 'रुस्तमे हिंद' क्यों कहा गया है?

उत्तरः- हामिद का चिमटा एक प्रहार द्वारा सभी खिलौनों को चकनाचूर कर सकता है तथा आग, पानी, आँधी, तूफान आदि में बराबर डटा खड़ा रहेगा, इसलिए चिमटे को 'रुस्तमे-हिंद' कहा गया है।

3. हामिद ने मेले से क्या खरीदा? और क्यों?

उत्तरः- हामिद मेले से 'चिमटा' खरीदता है, क्योंकि उसकी बूढ़ी दादी जब रोटियाँ सैकती हैं, तो उनकी उँगलियाँ जल जाती हैं. चिमटा दादी की उँगलियों को जलने से बचाएगा

4. अमीना ईद को निगोड़ी क्यों कहती है?

उत्तरः- अमीना की आर्थिक स्थिति दयनीय है। ईद के दिन धोबन, चूडिहारिन, मेहतरानी, नाइन आदि सब को क्या देगी? हामिद को कैसे सेवैयों खिलाएगी? इसलिए अमीना ईद को निगोड़ी (अभागी) कहती है।

5. हामिद तीन पैसे कहकर क्यों आगे बढ़ गया?

उत्तरः- हामिद के पास मात्र तीन पैसे ही थे लेकिन दुकानदार ने उन्हें पाँच पैसे देकर चिमटा लेने को कहा। हामिद डर रहा था कि दुकानदार कहीं उसे घुड़क न दे इसलिए तीन पैसे कहकर वह आगे बढ़ गया।

6. अमीना का दिल क्यों घबरा रहा था?

उत्तरः- अमीना यही सोच कर घबरा रही थी कि गाँव के सभी बच्चे ईदगाह अपने पिता के साथ जा रहे हैं पर हामिद का कोई नहीं है। वह अकेले इतनी दूर पैदल कैसे जाएगा? कहीं भीड़भाड़ में खो ना जाए।

7. मोहसिन की माँ ने उसे और उसकी बहन को दो दो चॉटे क्यों मारे?

उत्तरः- मोहसिन ईदगाह से जैसे घर पहुँचा, मोहसिन की छोटी बहन भिश्ती लेकर उछलने लगी और वह टूट गया। इस पर दोनों भाई-बहन मारपीट करने लगे। शोर सुनकर मॉ ने दोनों को चाटे मारे।

8. जिन्नात क्या-क्या करनामें कर सकता था?

उत्तरः- जिन्नात जमीन पर खड़ा होता तो उसका शरीर आसमान को छूता था। उसकी जब इच्छा होती तब वह छोटे से लोटे में वापस आ सकता था। उसके कारनामे चौंकाने वाले थे। क्षण में चुटकी से पता लगा सकला था कि चोरी किया गया सामान किसके पास है?

9. हामिद ने खंजरी की उपेक्षा में क्या कहा?

उत्तरः- हामिद ने खंजरी की उपेक्षा में सम्मी से कहा कि तुम्हारी खंजरी को मेरा चिमटा फाड़ सकता है। यदि इस पर ज़रा सा पानी गिरा दिया जाए तो पूरी तरह खराब हो जाएगी।

10. हामिद के हाथ में चिमटा देखकर अमीना क्रोधित क्यों हो गई?

उत्तरः- हामिद को अमीना ने तीन पैसे मेले में मिठाई खाने तथा खिलौने खरीदने व झूला झूलने के लिए दिए थे, परंतु हामिद ने उन पैसों को चिमटा खरीदने में खर्च कर दिया इसलिए अमीना क्रोधित हो गई।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. 'ईदगाह' कहानी में लेखक ने समाज की किस विद्रूपता पर व्यंग्य किया है?

उत्तरः- लेखक ने ईदगाह कहानी के माध्यम से पुलिस विभाग में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया है। लेखक ने मोहसिन के संवाद से स्पष्ट किया है कि ये कॉन्स्टेबल शहर के जितने चोर-डाकू हैं, सभी से मिले रहते हैं। रात को ये लोग चोरों से कहते है तुम चोरी करो और आप दूसरे मुहल्ले में जाकर 'जागते रहो।' पुकारते हैं। तभी तो इनके पास इतने रुपये आते हैं। मेरे मामू भी एक थाने में कॉन्स्टेबल हैं। महीने की बीस रुपये आय है, लेकिन हर महीने पचास रुपये घर भेजते हैं। मेरे पूछने पर हँसकर बोले। हम तो इतना ही लेते हैं जिसमें अपनी बदनामी न हो और नौकरी भी न जाए।

2. 'ईदगाह' कहानी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- प्रेमचंद दद्वारा रचित 'ईदगाह' कहानी बाल-मनोविज्ञान पर आधारित सर्वोत्कृष्ट कहानी है, जिसमें बालक हामिद का मनोविज्ञान परिपक्वता के उस चरम बिंदु तक जा पहुँचता है, जहाँ एक बड़ा व्यक्ति ही पहुँच सकता है। हामिद अपने अभावग्रस्त जीवन के फलैस्वरूप अपनी दादी के प्रति पारिवारिक दायित्व निभाता है। अतः कहानी दद्वारा यह दर्शाया गया है कि किस तरह प्रतिकूल परिस्थितियाँ चार-पाँच साल के हामिद को एक बूढ़ा व्यक्ति बना देती हैं, जो उम्र से पहले ही परिपक्व तथा समझदार बन जाता है।

3. 'आशा तो बड़ी चीज़ है, और फिर बच्चों की आशा । उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।' पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- हामिद के माता-पिता का निधन हो चुका है, परंतु उसकी दादी ने उसे एक आशा में बाँधा हुआ है कि उसके अब्बा रुपये कमाने गए हैं और उसके लिए थैले भर-भरकर बहुत सारा रुपया लाएँगे और माता अल्लाह के पास नियामतें लेने गई हैं। बच्चों की आशा कल्पना के उस शिखर पर होती है, जहाँ यथार्थ का कोई अस्तित्व नहीं होता। उनकी आशा तो राई का पहाड़ बना देती है अर्थात् कम को अधिक बनाकर अपने समानांतर लोगों में अपना वर्चस्व सिद्ध करना बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।

4. हामिद के परिवार की आय का स्रोत क्या है? उसकी आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तरः- हामिद चार-पाँच साल का दुबला-पतला बच्चा है, जिसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है। परिवार के रूप में केवल उसकी बूढ़ी दादी (अमीना) है, जो आस-पड़ोस के कपड़े सिलकर घर का गुजारा चलाती है। ईद का त्योहार बच्चों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन उन्हें नए कपड़े तथा बहुत सारे पैसे मिलते हैं, लेकिन हामिद के पास न तो जूते हैं और न ही नए कपड़े। सिर पर एक पुरानी-धूरानी टोपी है, जिसका गोटा काला पड़ गया है और पैसों के नाम पर कुल तीन पैसे ही उसके पास हैं।

5. ईदगाह में नमाज़ के दृश्य का वर्णन कीजिए।

उत्तरः- लेखक ने ईदगाह में अदा की गई नमाज का अत्यंत मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया है-सभी लोग पंक्तियों में खड़े हैं। लाखों सिर एक साथ सिजदे में झुक जाते हैं, फिर सब के सब एक साथ खड़े हो जाते हैं, एक साथ घुटनों के बल बैठ जाते हैं। कई बार यही क्रिया होती हैं। कितना सुंदर संचालन है। कितनी सुंदर व्यवस्था। मानो बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ प्रदीप्त हो रही हों और एक साथ बुझ रही हो। अत्यंत मनमोहक दृश्य था ईदगाह में नमाज़ पढ़ने का, जिसकी सामूहिक क्रियाएँ, विस्तार और अनंतता, हृदय को श्रद्धा, गर्व और आत्मानंद से भर देती थीं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ईदगाह कहानी के आधार पर हामिद के चरित्र की विशेषताएँ बताएँ।

उत्तरः- 'ईदगाह' कहानी मुंशी प्रेमचंद की एक हृदय स्पर्शी कहानी है। हामिद इस कहानी का केंद्रीय पात्र है। कहानी एक अनाथ बच्चे हामिद की बाल-सुलभ आकांक्षाओं, कल्पनाओं, आशाओं, जिज्ञासाओं से गुजरती हुई एक ऐसे अंजाम तक पहुँचती है, जहाँ वह सभी बालै-सुलभ बातों को छोड़कर प्रेम और त्याग की एक ऐसी मिसाल प्रस्तुत करता है कि पाठकों की आँखें छलक पड़ती हैं। हामिद के चरित्र की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. निडर व साहसी- हामि हामिद एक निडर और साहसी बालक है। उसकी दादी को चिंता है कि वह ईदगाह अकेला कैसे जाएगा ? उसे डर है कि मेले की भीड- R भाड़ में वह कहीं खो ना जाए। उसे डर है कि उसके पास जूते भी नहीं है, पाँव में छाले पड़ जाएँगे। लेकिन हामिद अपनी दादी को समझाता है कि वह गाँव के सभी बच्चों के साथ मेले में चला जाएगा। वह अपनी दादी को आश्वासन देते हुए कहता है कि अम्मा, डरना मत, मैं सबसे पहले आ जाऊँगा।

2. संयमी- हामिद संयमी लड़का है। उसे मेले में अनेक लुभावनी चीजें दिखाई देती हैं। सुंदर खिलौने और स्वादिष्ट मिठाइयाँ देखकर उसका मन भी उन्हें पाने को करता है। लेकिन वह अद्भुत संयम का परिचय देता है और अपने मन की सभी इच्छाओं को मारकर अपने तीन पैसे बचा कर रखता है ताकि अपनी दादी के लिए चिमटा खरीद सके।

3. दृढ संकल्पी- हामिद दृढ़ संकल्पी बालक है। मोहसिन, सम्मी, नूरे, महमूद उसका मजाक उड़ाते हैं। वह चाहता तो उनके मजाक से व्यथित होकर अपने तीन पैसों को खर्च करके कोई खिलौना या मिठाई खरीद सकता था परंतु वह व्यर्थ की चीजों पर पैसा न खर्च करने के अपने संकल्प पर अडिग रहता है। वास्तव में वह कोई उपयोगी वस्तु खरीदना चाहता था। अंत में एक लोहार की दुकान से वह एक लोहे का चिमटा खरीदता है ताकि रोटियों सेकते समय उसकी बूढ़ी दादी की उँगलियाँ न जलें। इस चिमटे को खरीदने के पश्चात उसे अपूर्व संतुष्टि का अनुभव होता है।

4. तर्कशील- हामिद एक तर्कशील बालक है। जब वह खिलौनों को न खरीद कर एक चिमटा खरीदता है तो उसके दोस्त मोहसिन, नूरे, महमूद, सम्मी उसका मजाक उड़ाते हैं परंतु अपने अकाट्य तर्की के बल पर वह अपने चिमटे को उनके खिलौनों से श्रेष्ठ सिद्ध कर देता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि हामिद के चरित्र में अनेक ऐसी विशेषताएँ हैं जो उसे इस कहानी का नायक सिद्ध करती हैं। उपर्युक्त विशेषताओं के अतिरिक्त उसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता अपनी दादी के प्रति प्रेम है। इस प्रेम के बल पर ही वह अपनी बाल-सुलभ आकांक्षाओं को दबाकर ऐसे महान त्याग का परिचय देता है कि दादी के साथ- साथ सभी पाठक द्रवित हो जाते हैं।

2. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

उत्तरः- विजेता को हारने वालों से जो सत्कार मिलना स्वाभाविक है, वह हामिद को भी मिला। औरों ने तीन-तीन, चार- चार आने पैसे खर्च किए पर, कोई काम की चीज़ न ले सके। हामिद ने तीन पैसे में रंग जमा लिया। सच ही तो है, खिलौनों का क्या भरोसा? टूट-फूट जाएँगे। हामिद का चिमटा तो बना रहेगा बरसों।

संदर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'अंतरा' (भाग-1) में संकलित है। यह कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' से अवतरित है।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में हामिद दुवारा खरीदे गए चिमटे की जीत का वर्णन किया गया है।

व्याख्या- हामिद और उसके मित्र अपने अपने खिलौने को एक-दूसरे के खिलौनों से सर्वोपरि सिद्ध करते हुए अपने अपने घर जा रहे हैं। इस बहस में हामिद का चिमटा विजयी होता है, जिसके कारण हामिद को भी सम्मान जनक सत्कार प्राप्त होता है। दूसरे बच्चों ने तीन-तीन, चार-चार आने पैसे खर्च किए, लेकिन हामिद हामिद के चिमटे जैसी काम की वस्तु न खरीद पाए । हामिद के तीन पैसे का रंग चार पैसों पर भारी पड़ा। उसके तीन पैसे ने अपना प्रभुत्व बना लिया था। यह सत्य है कि खिलौनों का कोई भरोसा नहीं। वे जल्दी ही टूट जाते हैं, परंतु हामिद का चिमटा सदैव बना रहेगा।

विशेष-

लेखक ने खिलौनों पर चिमटे का आधिपत्य सिद्ध कर उसे विजयी सिद्ध किया है।

उर्दू व संस्कृत शब्दावली का प्रयोग है।

भाषा सरल व सहज है।

3. प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय दें।

उत्तरः- प्रेमचंद बहुमुखी प्रतिभासंपन्न लेखक थे। आरंभ में इन्होंने उर्दू में लिखना शुरू किया। उर्दू में ये 'नवाब राय के नाम से उपन्यास और कहानियों लिखा करते थे। उर्दू में प्रकाशित इनकी एक कृति 'सोजे वतन' ने इतनी हलचल मचाई कि अंग्रेज सरकार ने यह कृति जब्त कर ली। इन्हें 'कलम का सिपाही' और 'उपन्यास सम्राट' be की उपाधि से विभूषित किया गया। इनके उपन्यासों में मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं का यथार्थ चित्रण हुआ है। इनकी कहानियों में तत्कालीन सामाजिक समस्याओं, जैसे बाल-विवाह, भ्रष्टाचार, रिश्वत, जाति प्रथा, दहेज प्रथा, विधवा विवाह, पर्दा प्रथा, किसानों की समस्याएँ आदि का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया गया है। इन्होंने कथाओं और उपन्यासों के माध्यम से समाज सुधार व राष्ट्रीय भावना को जाग्रत करने का बखूबी कार्य किया है।

प्रेमचंद की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं -

1. उपन्यास- गोदान, सेवासदन, कर्मभूमि, रंगभूमि, गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला, वरदान, प्रतिज्ञा तथा कायाकल्प, मंगलसूत्र (अपूर्ण कृति) आदि।

2. कहानी-संग्रह-  प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में लगभग 300 कहानी लिखीं। जिनमें सप्त सरोज, नव निधि, प्रेम पचीसी, प्रेमप्रसंग, मानसरोवर (आठ भाग) गुप्त धन (दो भाग) आदि प्रमुख हैं।

3. नाटक संग्राम- प्रेम की वेदी, कर्बला तथा रुठी। रानी आदि।

4. निबंध- 'विविध प्रसंग' (तीन खंडों में, साहित्यिक व राजनीतिक निबंधों का संग्रह), कुछ विचार (साहित्यिक निबंध) और 'साहित्य का उद्देश्य' आदि।

5. संपादन- माधुरी, हंस, मर्यादा, जागरण आदि।

6. संपादित- रचनाएँ गल्परत्न तथा गल्पसमुच्चय आदि।

7. अनूदित रचनाएँ- अहंकार, सुखदास, आजाद- कथा, चाँदी की डिबिया, टॉलस्टॉय की कहानियाँ तथा सृष्टि का आरंभ आदि।

8. जीवनी एवं बालोपयोगी रचनाएँ- तलवार का त्याग, दुर्गादास, कलम, महात्मा शेखसादी, रामचर्चा आदि।

भाषा- प्रेमचंद की भाषा सहज, प्रवाहपूर्ण, मुहावरेदार और प्रभावशाली है। इनकी भाषा में अद्भुत व्यंजना- शक्ति विदयमान है। इनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है, तो कहीं इन्होंने उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेज़ी शब्दों का यथास्थान प्रयोग किया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में बोलचाल व व्यवहार की भाषा को अपनाया है।

शैली- प्रेमचंद ने अपने साहित्य में जिन शैलियों का प्रमुख शैलियाँ निम्नलिखित प्रयोग किया, उनमें से प्रमुर हैं वर्णनात्मक शैली, विवेचनात्मक शैली, मनोवैज्ञानिक शैली, भावात्मक शैली, हास्य-व्यंग्य प्रधान शैली।

हिंदी साहित्य में स्थान

प्रेमचंद का हिंदी साहित्य की प्रगति में अभूतपूर्व योगदान है। ये भारतीय जनता के सच्चे प्रतिनिधि साहित्यकार हैं। प्रेमचंद ने अपने साहित्य में यथार्थ का चित्रण कर आदर्श की स्थापना की है। ये निर्धन, दलित, पतित, अशिक्षित एवं शोषित जनता तथा किसानों के प्रबल समर्थक थे। ये जीवनभर सामाजिक बंधनों में बँधी नारी की वेदना, वर्ण-व्यवस्था तथा किसानों की दीन-हीन दशा को सुधारने का प्रयास करते रहे। इनके कृतित्व को हिंदी साहित्य में सदैव याद किया जाता रहेगा।

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विषय सूची

पाठ सं.

पाठ का नाम

अंतरा भाग -1

गद्य-खंड

1.

ईदगाह

2.

दोपहर का भोजन

3.

टार्च बेचने वाले

4.

गूँगे

5.

ज्योतिबा फुले

6.

खानाबदोश

7.

उसकी माँ

8.

भारतवर्ष की उन्नत कैसे हो सकती है

काव्य-खंड

9.

अरे इन दोहुन राह न पाई, बालम, आवो हमारे गेह रे

10.

खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति

11.

हँसी की चोट, सपना, दरबार

12.

संध्या के बाद

13.

जाग तुझको दूर जाना

14.

बादल को घिरते देखा है

15.

हस्तक्षेप

16.

घर में वापसी

अंतराल भाग 1

1.

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

2.

आवारा मसीहा

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर

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