प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अभिव्यक्ति और माध्यम
पाठ 5. कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया
स्मरणीय तथ्य
औपचारिक पत्र
☞ पत्र दो प्रकार के होते हैं 1. औपचारिक पत्र और 2. अनौपचारिक पत्र।
☞ औपचारिक पत्र औपचारिक पत्रों में व्यवसाय अथवा सरकारी कार्यायलयों से संबंधित पत्र आते
हैं।
☞ व्यावसायिक पत्र किसी व्यवसायी द्वारा अपने व्यवसाय के संबंध में दूसरे
व्यापारियों, दुकानदारों, ग्राहकों, कारखानेदारों अथवा फर्मों को जो पत्र लिखे
जाते हैं, वे व्यावसायिक अथवा व्यापारिक पत्र कहलाते हैं।
☞ सरकारी पत्र जो पत्र सरकारी कार्यायलों दवारा अन्य सरकारी कार्यालयों, विभागों,
व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, वे सरकारी पत्र कहलाते हैं।
☞ अनौपचारिक पत्र अनौपचारिक पत्रों में व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक आदि
पत्र आ जाते हैं।
☞ व्यक्तिगत पत्र ऐसे पत्र जो माता-पिता, भाई-बहन अथवा किसी अन्य प्रियजन
मित्र को लिखे जाते हैं, व्यक्तिगत पत्र कहलाते हैं।
☞ सामाजिक पत्र सामाजिक स्तर पर विवाह, मृत्यु, जन्म-दिवस, गृह-प्रवेश आदि के मांगलिक अथवा
संस्कार-उत्सव पर लोगों को आमंत्रित करने के लिए जो पत्र लिखे अथवा छपवाए जाते
हैं, वे सामाजिक पत्र कहलाते हैं।
☞ सरकारी पत्र औपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं।
☞ प्रायः ये पत्र एक कार्यालय, विभाग अथवा मंत्रालय से
दूसरे कार्यालय, विभाग या मंत्रालय को लिखे जाते हैं।
☞ पत्र के शीर्ष पर कार्यालय, विभाग या मंत्रालय का नाम व
पता लिखा जाता है।
☞ पत्र के बाई तरफ़ फ़ाइल संख्या लिखी जाती है जिससे यह
स्पष्ट हो सके कि पत्र किस विभाग द्वारा किस विषय के तहत कब लिखा जा रहा है।
☞ जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका नाम, पता आदि बाई तरफ़ लिखा
जाता है। कई बार अधिकारी का नाम भी दिया जाता है।
☞ 'सेवा में' का प्रयोग धीरे-धीरे कम हो रहा है।
☞ 'विषय' शीर्षक के अंतर्गत संक्षेप में यह लिखा जाता है
कि पत्र किस प्रयोजन के लिए या किस संदर्भ में लिखा जा रहा
है।
☞ विषय के बाद बाई तरफ 'महोदय' संबोधन लिखा जाता है।
☞ पत्र की भाषा सरल एवं सहज होनी चाहिए। क्लिष्ट शब्दों के
प्रयोग से बचना चाहिए।
☞ अनेक बार सटीक अर्थ प्रेषित करने के लिए प्रशासनिक
शब्दावली का प्रयोग करना ही उचित होता है।
☞ औपचारिक पत्र के बाई ओर प्रेषक का पता और तारीख दी जाती
है।
☞ पत्र के अंत में 'भवदीय' शब्द का प्रयोग अधोलेख के रूप
में होता है।
☞ भवदीय के नीचे पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं।
हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में पत्र लिखने वाले का नाम मुद्रित होता है। नाम के
नीचे पदनाम लिखा जाता है।
टिप्पण (नोटिंग)
☞ किसी भी विचाराधीन पत्र अथवा प्रकरण को निपटाने के लिए उस
पर जो राय, मंतव्य, आदेश अथवा निर्देश दिया जाता है वह टिप्पणी कहलाती है।
☞ टिप्पणी शब्द अंग्रेजी के नोटिंग शब्द के अर्थ में
प्रयुक्त होता है। टिप्पणी लिखने की प्रक्रिया को हम टिप्पण यानी नोटिंग कहते हैं।
☞ टिप्पणी का उद्देश्य उन तथ्यों को स्पष्ट तथा तर्कसंगत
रूप से प्रस्तुत करना है जिन पर निर्णय लिया जाना है। साथ ही उन बातों की ओर भी
संकेत करना है जिनके आधार पर उक्त निर्णय संभवतः लिया जा सकता है।
☞ टिप्पण का उद्देश्य मामलों को नियमानुसार निपटाना है।
☞ टिप्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं 1. सहायक स्तर पर
टिप्पण तथा 2. अधिकारी स्तर पर टिप्पण
☞ कार्यालय में टिप्पण कार्य अधिकतर सहायक स्तर पर होता है।
इसे आरंभिक टिप्पण या मुख्य टिप्पण कहते हैं, जिसमें सहायक विचाराधीन मामलों का
संक्षिप्त विवरण देते हुए उसका विवेचन करता है।
☞ इस प्रकार के टिप्पण में सबसे पहले मूल पत्र या आवती में
दिए गए विवरण या तथ्य का सार दिया जाता है। फिर निहित प्रस्ताव की व्याख्या की
जाती है और संबंधित नियमो-विनियमों का हवाला देते हुए अपनी राय दी जाती है।
☞ टिप्पणी लिखने के बाद सहायक अधिकारी दाहिनी और अपने
हस्ताक्षर कर उसे अपने अधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत करता है। जिस अधिकारी को
प्रस्तुत किया जाना है, उसका पदनाम वहां बाई ओर लिखा जाता है।
☞ टिप्पण अपने आप में पूर्ण एवं स्पष्ट होनी चाहिए।
इसमें असली मुद्दे पर अधिक बल देना चाहिए।
☞ टिप्पणी संक्षिप्त, विषय-संगत, तर्कसंगत और क्रमबद्ध होनी
चाहिए।
☞ टिप्पणकार को अपने विचार संतुलित एवं शिष्ट भाषा में देने
चाहिए। इसमें व्यक्तिगत आक्षेप, उपदेश या पूर्वाग्रहों के लिए कोई स्थान नहीं
होता।
☞ टिप्पणी सदैव अन्य पुरुष में लिखी जाती है।
आनुषंगिक टिप्पण (Incidental Note)
☞ सहायक, आरंभिक या मुख्य टिप्पणी को जब संबंधित अधिकारी के
पास भेजता है तो वह अधिकारी टिप्पणी पढ़ने के बाद नीचे मंतव्य लिखता है। इसे
आनुषंगिक टिप्पणी कहते हैं और यह क्रिया आनुषंगिक टिप्पण कहलाती है।
☞ अगर अधिकारी अपने अधीनस्थ की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत है
तो इस प्रकार की टिप्पणी की आवश्यकता नहीं होती। अधिकारी अधीनस्थ की टिप्पणी के
नीचे या तो केवल हस्ताक्षर भर करता है या 'मैं उपर्युक्त टिप्पणी से सहमत हूं,
लिखता है।
☞ अगर अधिकारी अपने अधीनस्थ की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत है
मगर उसे और सशक्त एवं तर्कसंगत बनाने के लिए अपनी ओर से भी कुछ जोड़ना चाहता है तो
वह अपना मंतव्य आनुषंगिक टिप्पणी के रूप में दर्ज कर देता है।
☞ यदि अधिकारी पूर्णतः असहमत है या आंशिक रूप से सहमत है तो
वह अपने तर्क और कारणों के साथ अपनी आनुषंगिक टिप्पणी करता है।
☞ अधिकारी को अधीनस्थ की टिप्पणी को काटने, बदलने या हटाने
का अधिकार नहीं है। वह केवल अपनी सहमति, आंशिक सहमति या असहमति व्यक्त कर सकता है।
☞ आनुषंगिक टिप्पणी प्रायः संक्षिप्त होती है लेकिन असहमति
की स्थिति में कई बार इस प्रकार की टिप्पणी बड़ी भी हो सकती है।
अनुस्मारक (रिमांइडर)
☞ जब किसी पत्र, ज्ञापन इत्यादि का उत्तर समय पर प्राप्त
नहीं होता तो याद दिलाने के लिए 'अनुस्मारक' भेजा जाता है। इसे 'स्मरण पत्र' भी
कहते हैं।
☞ अनुस्मारक का प्रारूप औपचारिक पत्र की तरह ही होता है मगर
आकार छोटा होता है।
☞ अनुस्मारक के शुरू में पूर्व पत्र का हवाला दिया जाता है।
☞ जब एक से अधिक अनुस्मारक भेजे जाते हैं, तो पहले
अनुस्मारक को 'अनुस्मारक 1', दूसरे को 'अनुस्मारक - 2', तीसरे को 'अनुस्मारक 3'
इत्यादि लिखते हैं।
अर्ध-सरकारी पत्र (Demi Official Letter)
☞ औपचारिक-पत्र के विपरीत अर्ध-सरकारी पत्र में अनौपचारिकता
का पुट होता है। इसमें एक मैत्री भाव होता है।
☞ अर्ध-सरकारी पत्र तब लिखे जाते हैं जब लिखने वाला अधिकारी
संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत स्तर पर जानता है।
☞ इस प्रकार का पत्र ऐसी स्थिति में भी लिखा जाता है जब
किसी खास मामले पर संबंधित अधिकारी का ध्यान व्यक्तिगत रूप से आकर्षित कराया जाता
है या उसका व्यक्तिगत परामर्श लिया जाए।
☞ प्रारूप में बाई ओर शीर्ष पर प्रेषक का नाम होता है। इसके
नीचे उसका पदनाम होता है।
☞ अर्थ-सरकारी पत्र के लिए अमूमन कार्यालय के 'लेटर हेड' का
प्रयोग होता है, अगर उपलब्ध हो।
☞ पत्र के आरंभ में संबोधन के रूप में महोदय या प्रिय महोदय
का प्रयोग नहीं होता। ऐसे पत्र में आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला संबोधन 'प्रिय
श्री' या 'प्रियवर श्री. हो सकता है।
☞ पत्र के अंत में अधोलेख के रूप में दाहिनी ओर 'भवदीय' के
स्थान पर 'आपका' का प्रयोग किया जाता है।
☞ अंत में बाई और संबोधित अधिकारी का नाम, पदनाम और पूरा
पता दिया जाता है।
स्वतः स्पष्ट टिप्पणी
☞ स्वतः स्पष्ट टिप्पणी अपने स्वरूप में आरंभिक या मुख्य
टिप्पणी से काफी मिलती है।
☞ चूंकि यह टिप्पणी फ़ाइल के ऊपर लिखकर स्वतंत्र रूप से
भेजी जाती है अतः इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि यह अपने आप में संपूर्ण हो और
केवल इस टिप्पणी को पढ़ लेने भर से पूरा मामला समझ में आ जाए।
☞ यदि आवश्यक हो तो संदर्भ के लिए किसी पिछली टिप्पणी पत्र
ज्ञापन इत्यादि को संलग्नक के रूप में टिप्पणी के साथ लगाया जा सकता है।
☞ बोर्ड के पास भेजी जाने वाले स्वतः स्पष्ट टिप्पणी किसी
मसले पर बोर्ड की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए होती है। इसके लिए प्रारंभ में
मसले की पृष्ठभूमि दी जाती है और उसके विभिन्न पहलुओं का विवेचन किया जाता है।
इसके बाद स्वीकृति क्यों दी जानी चाहिए उसके समर्थन में तर्क दिए जाते हैं। अंत
में स्वीकृति प्रदान किए जाने का अनुरोध होता है।
कार्यसूची (एजेंडा)
☞ किसी भी संस्था की औपचारिक बैठक की कार्यसूची उस बैठक में
चर्चा के लिए निर्धारित विषयों की अग्रिम जानकारी देती है। इससे बैठक के अनुशासित
संचालन में सहायता मिलती है।
☞ निर्धारित विषयों से संबंधित स्वतः स्पष्ट टिप्पणियां
अपने संलग्नकों के साथ सदस्यों को कार्यसूची के साथ अग्रिम रूप से भेजी जानी चाहिए
ताकि वह बैठक में पूरी तैयारी से आ सके।
कार्यवृत (मिनिट्स)
☞ कार्यसूची में रेखांकित कार्यों पर हुए विचार-विमर्श का
संक्षिप्त विवरण कार्यवृत्त में प्रस्तुत किया जाता है।
☞ कार्यवृत्त में क्रमशः उपस्थित लोगों की राय का पूरा
विवरण दिया जाना चाहिए।
☞ उपस्थित व्यक्तियों के नाम पदानुसार दिए जाने चाहिए।
प्रेस विज्ञप्ति (प्रेस रिलीज़)
☞ कोई संस्थान या व्यक्ति किसी विषय या किसी बैठक में जो
निर्णय लेता है, उसे प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से सर्वसामान्य तक पहुँचाया जाता
है। निर्णय में विलंब का कारण और उससे होने वाले लाभ के बारे में भी जानकारी दी
जाती है।
परिपत्र (सर्कुलर)
☞ जब कोई सरकारी पत्र, कार्यालय-ज्ञापन या ज्ञापन एक साथ
अनेक प्रेषितियों को भेजा जा रहा हो, तब उसे परिपत्र कहा जाता है।
☞ आवश्यकतानुसार परिपत्र तीन रूपों में लिखा जाता है (1)
सरकारी पत्र, (2) कार्यालय-ज्ञापन और (3) ज्ञापन।
☞ यदि सभी राज्य सरकारों को कोई एक सरकारी पत्र भेजा गया
हो, तो उसे परिपत्र कहा जाएगा। यदि कोई कार्यालय ज्ञापन भारत सरकार के सभी
मंत्रालयों को भेजा जा रहा हो, तो वह भी परिपत्र होगा। इसी प्रकार, यदि कोई ज्ञापन
किसी मंत्रालय के सभी अनुभागों, अफसरों या संलग्न और अधीनस्थ कार्यालय के नाम भेजा
जा रहा हो, तो वह भी परिपत्र कहलाएगा।
☞ परिपत्र की रचना आवश्यकतानुसार सरकारी पत्र या ज्ञापन के
समान होती है। ज्ञापन के रूप में लिखते समय कलेवर के ऊपर 'जापन' न लिखकर 'परिपत्र'
लिखा जाएगा।
पाठ से संवाद
1. नीचे कुछ स्थितियों दी गई हैं। इनमें आप
पत्राचार के किस रूप का प्रयोग करेंगे? लिखिए –
(क) किसी सरकारी-पत्र की कार्रवाई के रूप में
फ़ाइल शुरू करके विषय का निपटान करना।
(ख) विचाराधीन मामलों को निपटाने के लिए
लिखित सुझाव देना।
(ग) जब सरकार को जन-सामान्य तक कोई सूचना
पहुंचानी हो।
(घ) किसी विभाग को कोई सूचना अपने विभाग के
कर्मचारियों, अधिकारियों को देनी हो।
(ङ) विभाग द्वारा श्रीमती रुपाली को
अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञान का डिप्लोमा करने संबंधी अनुमति प्रदान करना।
(च) मंत्रालय द्वारा श्रीमती सुलेखा को
शिक्षा-शिक्षण कार्यक्रम में शामिल होनें संबंधी सूचना देना।
(छ) किसी कार्य का अनुपालन न होने की स्थिति
में उसके बारे में पुनः स्मरण कराना।
(ज) अपने समकक्ष अधिकारी से किसी संदर्भ में
परामर्श लेना।
उत्तर-
(क) सरकारी पत्र
(ख) टिप्पण
(ग) प्रेस-विज्ञप्ति
(घ) सूचना
(ङ) सरकारी आदेश
(च) सूचना
(छ) अनुस्मारक
(ज) अर्ध-सरकारी पत्र।
2. आप राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय में हिंदी
के शिक्षक हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.फिल. करना चाहते हैं। विभाग
से एम.फिल. करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए पत्र लिखिए।
उत्तर - दिनांक 24 सितंबर 20××
सेवा में,
प्राचार्य
राजकीय प्रतिभा विकास
विद्यालय
विषय- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.फिल. करने हेतु
अनुमति के संबंध में।
महोदय,
आपसे सादर अनुरोध है कि मैं आपके विद्यालय में हिंदी के
शिक्षक पद पर कार्यरत हूं। मैं इस पद पर एम.ए., बी.एड. शैक्षणिक योग्यता के आधार
पर चयनित किया गया था। आज तक मैंने अपने कार्य ईमानदारी पूर्वक निभाया है। मैं
हमेशा अध्ययन करता रहता है तथा अपनी शैक्षिक योग्यता को और आगे बढ़ना चाहता हूं।
इसलिए मैं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.फिल. करना चाहता हूं।
अतः आपसे निवेदन है कि आप मुझे इस विश्वविद्यालय से एम.फिल.
करने की अनुमति देने की कृपा करेंगे। इस कार्य हेतु मैं आपका सदा आभारी रहूंगा।
धन्यवाद !
भवदीय
के.पी. गुलियार
हिंदी प्राध्यापक
राजकीय प्रतिभा
विकास विद्यालय
3. विद्यालय में हुए पुरस्कार वितरण समारोह का
कार्यवृत्त तैयार कीजिए।
उत्तर- दिनांक
3 जनवरी 20 को हमारे राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन
किया गया। झारखंड के माननीय शिक्षा मंत्री इस समारोह के मुख्य अतिथि थे। समारोह कार्यक्रम
पूर्वाह्न 10:00 बजे आरंभ हुआ। मुख्य अतिथि ने फीता काटकर समारोह का शुभारंभ किया।
विद्यालय के प्राचार्य ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम 11वीं
कक्षा के विद्यार्थियों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद 12वीं की छात्राओं ने
'हाय रे हामर छोटा नागपूर' गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इसके बाद विद्यालय
के मेधावी विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कार वितरित किया गया। अंत में
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने समारोह में उपस्थित अतिथि तथा दर्शकों का धन्यवाद कर
समारोह का समापन किया।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. पत्र कितने प्रकार के होते हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) पांच
2. अपने विद्यालय के प्राचार्य को लिखा गया आवेदन
पत्र किस प्रकार का पत्र होता है ?
(क) व्यक्तिगत पत्र
(ख) अनौपचारिक पत्र
(ग) औपचारिक पत्र
(घ) सामाजिक पत्र
3. अपने से छोटों को पत्र में क्या संबोधन किया जाता
है?
(क) महाशय
(ख) पूजनीय
(ग) महोदय
(घ) चिरंजीवी
4. विचारों के आदान-प्रदान की निम्न में से सबसे
प्राचीन परंपरा कौन-सी है?
(क) पत्राचार
(ख) मोबाइल
(ग) फैक्स
(घ) इंटरनेट
5. शासकीय पत्रों में निम्न में से क्या अनावश्यक
है ?
(क) स्पष्टता
(ख) संक्षिप्तता
(ग) व्यक्तिगत शैली
(घ) क्रमबद्धता
6. पत्राचार में सबसे पहले क्या लिखा जाता है ?
(क) महोदय।
(ख) आपका विश्वासी
(ग) पता व दिनांक
(घ) विषय
7. कार्यालयी पत्र में निम्नलिखित में से क्या
नहीं लिखा जाता है ?
(क) भवदीय
(ख) पत्र की सामग्री
(ग) संबोधन
(घ) अधिकारी के घर का पता
8. किसी कार्यालय द्वारा एक साथ अनेक प्रेषितियों
को भेजा जाने वाला शासकीय पत्र क्या कहलाता है ?
(क) टिप्पण
(ख) परिपत्र
(ग) कार्यवृत्त
(घ) आवेदन
9. फ़ाइल के बाईं तरफ का हिस्सा टिप्पण के लिए और
दाहिने तरफ का हिस्सा किस लिए संजोकर रखने के लिए होता है ?
(क) पत्र व्यवहार
(ख) आलेख
(ग) फीचर
(घ) कथा लेखन
10. किसके अंतर्गत संक्षेप में यह लिखा जाता है कि
पत्र किस प्रयोजन के लिए या किस संदर्भ में लिखा जा रहा है?
(क) संबोधन
(ख) पत्र की सामग्री
(ग) विषय
(घ) पत्र का समापन
11. अनुस्मारक
का अंग्रेजी रूपांतर क्या है ?
(क) एजेंडा
(ख) रिमाइंडर
(ग) मिनट्स
(घ) सर्कुलर
12. किस पत्र में अनौपचारिकता का पुट और एक मैत्री
भाव होता है ?
(क) अर्ध-सरकारी पत्र
(ख) कार्यवृत्त
(ग) आनुषंगिक टिप्पण
(घ) अनुस्मारक
13. अर्ध्य सरकारी पत्र के अंत में अधोलेख के
रूप में दाहिनी ओर भवदीय के स्थान पर किस शब्द का प्रयोग किया जाता है?
(क) भवदीय
(ख) विनीत
(ग) महोदय
(घ) आपका
14. टिप्पणी सदैव किसमें लिखी जाती है?
(क) प्रथम पुरुष
(ख) मध्यम पुरुष
(ग) अन्य पुरुष
(घ) इनमें से कोई नहीं
15. मिनिट्स को हिंदी में क्या कहा जाता है?
(क) कार्य सूची
(ख) कार्य वृत
(ग) प्रेस-विज्ञप्ति
(घ) परिपत्र
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. औपचारिक पत्र क्या
है ?
उत्तर- स्कूल या कॉलेजों के प्राचार्य को लिखे
गए प्रार्थना पत्र, किसी व्यक्ति दद्वारा नौकरी के लिए लिखे गए आवेदन पत्र, सरकारी
विभागों, कार्यालयों को लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं।
2. औपचारिक पत्र के कितने
प्रकार होते हैं ?
उत्तर- औपचारिक पत्र तीन प्रकार के
होते हैं-
(1) प्रार्थना पत्र- स्कूल कॉलेज में प्रधानाचार्य को लिखे
जाने वाले प्रार्थना पत्र, सरकारी विभागों अवकाश के लिए लिखे गए प्रार्थना पत्र और
सरकारी नौकरी के लिए लिखे गए आवेदन पत्र आदि औपचारिक प्रार्थना पत्र के उदाहरण हैं।
(2) कार्यालयी पत्र- एक सरकारी कार्यालय दवारा किसी दूसरे
अन्य सरकारी कार्यालय को लिखे गए पत्र कार्यालयी पत्र है।
(3) व्यावसायिक पत्र- कंपनी, संपादकीय, प्रकाशक, व्यापारी
आदि को लिखे गए पत्र व्यावसायिक पत्र की श्रेणी में आता है।
3. टिप्पण (नोटिंग) से
आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- किसी भी विचाराधीन पत्र अथवा
प्रकरण को निपटाने के लिए उस पर जो राय, मंतव्य, आदेश अथवा निर्देश दिया जाता है, वह
टिप्पणी कहलाती है। टिप्पणी शब्द अंग्रेजी के नोटिंग शब्द के अर्थ में प्रयुक्त होता
है। टिप्पणी लिखने की प्रक्रिया को टिप्पण यानी नोटिंग कहते हैं।
4. प्रतिवेदन (रिपोर्ट)
को परिभाषित करें।
उत्तर- भूत अथवा वर्तमान की विशेष घटना,
प्रसंग या विषय के प्रमुख कार्यों के क्रमबद्ध और संक्षिप्त विवरण को प्रतिवेदन कहते
हैं।
प्रतिवेदन अंग्रेजी के रिपोर्ट शब्द
के अर्थ में प्रयुक्त होता है। किसी कार्य योजना, परियोजना, समस्या आदि पर किसी उच्च
अधिकारी द्वारा नियुक्त समिति प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है, जिसमें उस योजना या समस्या
का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है।
5. कार्यसूची (एजेंडा) के बारे में लिखिए।
उत्तर- विभिन्न
संस्थाओं और कार्यालयों में विभिन्न विषयों पहुंचने के लिए कई समितियों का गठन किया
जाता है। इन अध्यक्ष, सचिव के अतिरिक्त अन्य सदस्य भी होते हैं। जब किसी विषय पर विचार
विमर्श करना हो अथवा निर्णय लेना हो तो समिति के सब सदस्य एक निश्चित समय पूर्व निश्चित
स्थान पर बैठकर आयोजन करते हैं। बैठक प्रारंभ होने से पहले विचारणीय मुद्दों का एक
क्रमवार सूची बनाते हैं, जिसे कार्यसूची (एजेंडा) कहा जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. पत्र लेखन
की प्रक्रिया पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- मनुष्य
एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए समाज में रहते हुए वे अपने भावों, विचारों और सूचनाओं
को एक दूसरे पर आदान-प्रदान करना चाहता है। इस कार्य के लिए सबसे उपयुक्त साधन पत्र
व्यवहार है। निजी, सरकारी, अर्द्ध-सरकारी आदि संस्थाओं में संपर्क स्थापित करने के
लिए पत्र व्यवहार बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है।
पत्र के प्रकार पत्र कई प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति
और स्थिति के अनुसार पत्र लिखने के तरीके भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। सामान्यतः
पत्र दो प्रकार के होते हैं-
(1) औपचारिक पत्र
(2) अनौपचारिक पत्र
(1) औपचारिक पत्र- सरकारी,
गैर-सरकारी, कार्यालयी और व्यापारिक स्तर पर भेजे जानेवाले पत्रों को औपचारिक पत्र
कहा जाता है। औपचारिक पत्र तीन प्रकार के होते हैं-
(क) प्रार्थना पत्र,
(ख) कार्यालयी पत्र और
(ग) व्यावसायिक पत्र।
(2) अनौपचारिक पत्र- अनौपचारिक पत्र अपने निकट संबंधियों जैसी माता-पिता, भाई-बहन,
परिवार के अन्य सदस्यों, घनिष्ठ मित्रों आदि को लिखे जाते हैं। ऐसे पत्रों की विषय-वस्तु
निजी व घरेलू होती है तथा संबंधों पर आधारित होती है।
पत्र के अंग- औपचारिक
या अनौपचारिक कोई भी पात्र हो, उसके चार अंग होते हैं-
1. पता और दिनांक
2. संबोधन तथा अभिवादन
3. पत्र की सामग्री या कलेवर
4. पत्र की समाप्ति या समापन
(1) पता और दिनांक- अनौपचारिक
पत्र में बाई और ऊपर के कोने में पत्र लेखन अपना नाम पता लिखता है और उसके नीचे तिथि
दी जाती है औपचारिक पत्र में प्रेषक की विभाग का नाम पता व दिनांक दी जाती है।
(2) संबोधन तथा अभिवादन- पत्र जिसे लिखते हैं उसे संबोधित या
अभिवादन करते हैं, जैसे पूजनीय पिताजी, आदरणीय भैया, प्रिय मित्र आदि। इसके नीचे सम्मान
सूचक शब्द अवश्य लिखते हैं; जैसे सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, प्रसन्न रहो आदि। औपचारिक
पत्र में पत्र शुरु करने से पहले पत्र लिखने का कारण यानी विषय आवश्यक लिखना चाहिए।
विषय लिखने के बाद संबोधन लिखा जाता है; जैसे महाशय, महोदय, मान्यवर आदि।
(3) पत्र की सामग्री या कलेवर- अभिवादन के बाद पत्र की सामग्री लिखी
जाती है। इसमें हम अपनी बात को स्पष्ट करते हैं।
(4) पत्र की समाप्ति- अनौपचारिक पत्र के अंत में लिखने वाले
और अपने वाले की उम्र अवस्था और प्रतिष्ठा के अनुरूप ही निर्देश बदलते हैं; जैसे तुम्हारा,
आपका, आपका स्नेही, शुभचिंतक आदि। औपचारिक पत्र का समापन प्रायः निर्धारित निर्देश
से होता है, जैसे- भवदीय, विनीत, विश्वासभाजन, प्रार्थी आदि। इसके बाद पत्र लेखक के
हस्ताक्षर होते हैं। औपचारिक पत्र में हस्ताक्षर के नीचे प्रेषक का पूरा नाम और पदनाम
लिखा जाता है।
2. अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान को
एक अनुस्मारक पत्र लिखिए।
उत्तर- अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
क्षेत्रीय कार्यालय: मुंबई
फा. संख्या : मुंबई/वा/5/2005/372
मुंबई, 26 अप्रैल 2005
सेवा में,
महानिदेशक
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
तिलक मार्ग नई दिल्ली 11001
विषय: मोबाइल फोन पर होने वाले व्यय के लिए निर्धारित सीमा।
महोदय,
कृपया उर्पयुक्त विषय पर इस कार्यालय द्वारा भेजे गए समसंख्यक
पत्र का स्मरण करें जो 15 मार्च, 2005 को भेजा गया था।
निवेदन है कि मोबाइल फ़ोन की मासिक व्यय सीमा को बढ़ाने संबंधी
इस कार्यालय के अनुरोध पर विचार कर कृपया आवश्यक स्वीकृति जारी की जाए।
भवदीय
(राकेश कुमार)
निदेशक
3. कार्यसूची (एजेंडा) का प्रारूप तैयार कीजिए।
उत्तर-
कार्यसूची
दिनांक ………/ ……../ ……..को प्रातः / दोपहर / अपराह्न / शाम …..
बजे ……..(स्थान)....... में……….(पदनाम)…….. (संस्था का नाम) श्री / श्रीमती / सुश्री
………की अध्यक्षता में……..(विषय) पर बैठक का आयोजन किया जाएगा। इस बैठक की कार्यसूची
है -
1. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि।
2. पिछली बैठक के लिए नए निर्णयों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा।
3. चर्चा का विषय - 1
4. चर्चा का विषय - 2
5. चर्चा का विषय - 3
6. चर्चा का विषय - 4
7. चर्चा का विषय - 5
8. चर्चा का विषय - 6
हस्ताक्षर (क ख ग)
पदनाम
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |