प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अंतरा भाग -1 गद्य-खंड
पाठ - 7. उसकी माँ
लेखक-परिचय [पांडेय बेचन शर्मा 'उद्य' (सन् 1900-1967)]
पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' का जन्म उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर
जिले के चुनार नामक गाँव में एक निर्धन परिवार में हुआ। अभावों के कारण इन्हें व्यवस्थित
शिक्षा तो नहीं मिल पाई परंतु अपनी नैसर्गिक प्रतिभा और साधना के बल पर इन्होंने अग्रणी
गद्यकार के रूप में पहचान बनाई। अपने उग्र तेवर और साहसिक शैली के कारण वे बड़े चर्चित
लेखक रहे। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की तरह इन्हें भी अपने जीवन में विरोधों का
सामना करना पड़ा।
इन्होंने एक अच्छे संपादक की भी भूमिका निभाई। 'आज', 'विश्वामित्र',
'वीणा', 'स्वराज्य', 'विक्रम', 'स्वदेश' पत्रिका के संपादक तथा 'मतवाला मंडल' के प्रमुख
सदस्य रहे।
इनकी प्रमुख रचनाएँ- 'चंद हसीनों के खतूत', "फागुन के
दिन चार',
'सरकार तुम्हारी आँखों में, 'घंटा', 'दिल्ली का दलाल', शराबी', 'कंचन-सौ काया', 'जब
सारा आलम सोता है' आदि है। 'चॉकलेट' इनकी बहुचर्चित किताब है। उनकी कहानियों में उसकी
माँ, शाप, कला का पुरस्कार, जल्लाद और देशभक्त, आदि विशेषरूप से प्रसिद्ध है। पांडेय
बेचन शर्मा तेजस्वी लेखक थे।
पाठ परिचय
'उसकी माँ स्वाधीनता संग्राम से प्रेरित कहानी है। लेखक ने
देश को आज़ाद कराने के लिए कुछ युवकों द्वारा दिए गए बलिदान का मर्मस्पर्शी चित्रण
किया है। देश की बदहाल स्थिति से युवापीढ़ी चिंतित है और ऐसे शासन व्यवस्था को उखाड़
फेंकना चाहती है। वह निर्भीक और साहसी है। इस युवापीढ़ी का कहना है कि काम के समय हमारी
भुजाएँ कमजोर नहीं, भगवान की हजारों भुजाओं की सखियों हैं।
एक दोपहर लेखक आराम करके उठा और कुछ पढ़ने के लिए अपने पुस्तकालय
में गया ही था कि अचानक उससे मिलने पुलिस सुपरिंटेंडेंट आता है और लाल की फ़ोटो दिखाकर
पूछताछ करता है। लेखक बताता है कि वह उसके मैनेजर रामनाथ का पुत्र है और रामनाथ की
मृत्यु हो चुकी है। लाल कॉलेज में पढ़ता है और अपनी बूढ़ी माँ के साथ एक दो मंज़िलें
मकान में रहता है।
उसका खर्च लेखक के पास रखी उसके पिता की जमापूँजी से चलता
है। पुलिस सुपरिंटेंडेंट लेखक को लाल से सावधान रहने की सलाह देकर चला जाता है। लेखक
लाल की माँ को समझाता है कि तुम्हारा पुत्र सरकार के विरोध में काम न करे तो अच्छा
है। इसपर लाल की माँ जानकी अनभिजता जाहिर करती है कि लाल और उसके सभी साथी बड़े अच्छे
हैं, वे खूब हँसते हैं। तभी लाल आ जाता है और लेखक का उससे तर्क-वितर्क होला है। एक
और लेखक अंग्रेजी सरकार का समर्थक है तो वहीं दूसरी ओर लाल उसका कट्टर विरोधी। लाल
कहता है कि "ऐसे दुष्ट, व्यक्ति नाशक राष्ट्र के सर्वनाश में मेरा भी हाथ हो।"
वह कहता है कि वह देश को पराधीन नहीं देख सकता और देश को स्वतंत्र कराने के लिए कुछ
भी कर सकता है।
एक दिन लेखक अपनी पत्नी को लाल की माँ से बातें करते देखता
है। वह लाल की माँ से लाल के मित्रों के विषय में पूछता है। वह बताती है कि लाल के
सभी मित्र मस्त, हँसोड तथा जिंदादिल है। वे सभी उसे भारतमाता कहते हैं और खूब बहस करते
हैं। लेखक के यह पूछने पर कि क्या वे लड़ने झगड़ने, गोली, बंदूक की बाते करते हैं तो
वह सरलता से कहती है कि उनकी बातों का कोई मतलब थोड़े ही होता है।
एक बार लेखक अपने कुछ काम से चार पाँच दिनों के लिए बाहर
जाता है और लौटकर आता है तब उसे ज्ञात होता है कि अदालत ने लाल, बंगड़ और उसके दो साथियों
को फाँसी तथा अन्य दस लड़कों को सात वर्ष की कड़ी सजा सुनाई है। लाल और उसके साथियों
के पकड़े जाने के बाद शहर या मुहल्ले के लोग लाल की माँ से मिलने से डरते थे क्योंकि
वह एक विद्रोही की माँ थी। एक दिन लेखक अपने पुस्तकालय में मेज़िनी की कोई पुस्तक देख
रहा था, जिस पर लाल के हस्ताक्षर थे। वह पुलिस सुपरिटेंडेंट की चेतावनी को याद कर रबर
से उसे मिटाने ही वाला था कि लाल की माँ एक पत्र लेकर उसके पास आई। वह लाल का पत्र
पढ़कर सुनाता है। पत्र में लाल ने स्वयं और अपने साथियों के साथ मृत्यु के बाद माँ
से मिलने की बात की थी। लाल की माँ पत्र लेकर चुपचाप चली जाती है और अपने घर के दरवाजे
पर पाँव पसारे मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। यह अत्यन्त मर्मस्पर्शी कहानी है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
1. क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षडयंत्रकारी
था?
उत्तरः- लाल एक सच्चा देशभक्त था। वह षडयंत्रकारी नहीं बल्कि
क्रांतिकारी था। अपने देश को आजाद कराने के लिए वह प्रयत्नशील था। क्रांतिकारी होने
के कारण वह अंग्रेज़ी सरकार के संदेह के घेरे में था। उसके बढ़ते कदमों को रोकने के
लिए उसे सरकार ने षडयंत्र करके फंसा दिया था। अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के लिए वह
हँसते-हँसते फाँसी के तख्त पर झूल गया।
2. पूरी कहानी में जानकी न तो शासन तंत्र के
समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केन्द्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी
का शीर्षक बना दिया क्यों ?
उत्तर:- जानकी तो माँ है और माँ को किसी शासन तंत्र और व्यवस्था
से कोई सरोकार नहीं। उसकी तो संतान ही उसकी दुनिया है। संतान के कल्याण की कामना ही
उसके जौवन का एकमात्र ध्येय है। जानकी आज़ादी, राजनीति, शासन इन सब बातों से अनजान
होती है। उसमें संतान और उसके साथियों के प्रति ममता है. सुरक्षा की भावना है। उसके
प्रति शुभकामना है। एक मॉ ही है जिसका प्रेम अपने बच्चे के प्रति निस्वार्थ होता है।
माता- पिता अपने बच्चे को बिना किसी शर्त के प्रेम करते हैं। एक क्रांतिकारी के साथ-साथ
लेखक उसकी माँ के मनोभावों को भी दर्शाने का प्रयत्न करता है। एक क्रांतिकारी की माँ
तो सच में भारत माँ है। यह कहानी लाल से शुरू तो होती है लेकिन उसकी माँ के चारों ओर
घूमती है तथा अंत भी माँ पर ही होती है। इसीलिए इस कहानी का शीर्षक 'उसकी माँ रखा गया
है, जो अत्यन्त सार्थक और समीचीन है।
3. चाचा
जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का
है और क्यों है?
उत्तरः- चाचा एक आम आदमी होने के साथ-साथ राजभक्त हैं। स्वाधीनता
संग्राम में ऐसे लोगों की कमी नहीं थी, जो सरकार से डरते थे क्योंकि उनमें अपना सबकुछ
अर्थात् सुख, परिवार, घर होम करने का साहस नहीं था। वे अपना जीवन आराम से गुजारना चाहते
थे भले ही वे गुलाम हों। उन्हें देश की आजादी या गुलामी से कोई सरोकार नहीं था। पड़ोसी
होने के कारण उन्हें लाल से सहानुभूति थी परंतु आततायी सरकार के भय से वे प्रत्यक्ष
रूप से उनका सहारा बनने से कतराते थे। वे सरकार के कोप का भजन नहीं बनना चाहते थे।
लाल और उसकी माँ की स्थिति को देखकर वे भयभीत थे। अतः दोनों से सहानुभूति होने के बाद
भी वह स्वयं को दोनों से अलग रखते हैं।
4. इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष
है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज़र में कौन सही
है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तरः- लाल देश के युवावर्ग का प्रतिनिधित्व देश-हित में
कर रहा है। वह अपने देश से प्रेम करता है और सबसे बड़ी जिम्मेदारी का पालन करता है।
लाल जैसे देशभक्तों के कारण ही हमने आजादी पाई है जिन्होंने भारतमाता को आज़ाद कराने
के लिए स्वयं की आहति दे दी, दूसरी ओर चाचा स्वार्थ केन्द्रित होकर राजभक्ति करते रहे।
वे 'स्व' के स्वार्थ से ऊपर उठ ही नहीं पाये। उनके लिए स्वयं का आराम व सुख ही सर्वोपरि
रहा, देश और राष्ट्र का प्रेम उनके लिए महत्त्वपूर्ण नहीं था। अतः लाल की मानसिकता
सर्वश्रेष्ठ, पूजनीय एवं अनुकरणीय है।
5. उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी
सिर्फ माँ नहीं भारतमाता है। कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तरः वे लड़के जानकी के स्वरूप और स्वभाव के आधार पर उसे
भारत माता कहते हैं। जानकी वृद्धा है। उसके सफेद बालों को हिमालय, माथे पर पड़ी रेखाओं
को नदियाँ, ठोड़ी को कन्याकुमारी तथा लहराते केशों को बर्मा कहते हैं। उसकी नाक विंध्याचल,
तथा छोटी बड़ी झुर्रियों पहाड़ और नदियों हैं।
जानकी अत्यन्त सीधी-सादी, वात्सल्यमयी, ममतापूर्ण माँ है।
उसे केवल बच्चों की चिंता रहती है। वह उसके खाने-पीने की व्यवस्था खुशी-खुशी करती है।
उसे देश, राजनीति, स्वतंत्रता से कोई सरोकार नहीं है। वह लाल के साथ-साथ अपना प्रेम
सभी बच्चों पर लुटाती है।
वह अत्यन्त त्यागमयी और स्वाभिमानी महिला है। वह अपना सबकुछ
बच्चों की खातिर बेच देती है। वह स्वयं दौड़ती रहती है, किसी से सहायता नहीं मांगती
है। बच्चों की मृत्यु का समाचार पाकर वह स्वयं भी मृत्यु का वरण कर लेती है।
6. विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी
गरदन मुसीबत में डालता? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज व्यवस्था पर प्रकाश
डालिए।
उत्तरः- विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत
में डालता इस कथन से शासन तंत्र की तानाशाही और क्रूरता दृष्टिगोचर होती है। उस समय
अंग्रेजी सरकार थी और उसने क्रांतिकारियों का दमन एवं उत्पीड़न की सारी हदें पार कर
दी थी। लोगों में सरकार का भय व्याप्त था। क्रांतिकारियों की मदद करने वाले को भी बर्बर
ढंग से प्रताड़ित किया जाता था। शासनतंत्र को जिस पर भी संदेह हो जाता उसे धर दबोचता
था। अपने विरुद्ध उठती आवाज़ को बंद कर देना ही अपनी बेहतरी समझता था। समाज के अधिकांश
लोग स्वार्यकेन्द्रित थे। समाज में एकता नहीं थी। सबको स्वयं की सुख-सुविधा का ही ध्यान
था। ऐसे में लाल और उसकी माँ से संबंध रखना, खतरे से खाली नहीं था। इसलिए लोग उनसे
अलग-थलग रहते थे। उनके लिए व्यक्तिगत हित सर्वोपरि था।
7. 'चाचा' ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक
की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा ?
उत्तरः- पुस्तक में लाल का नाम देखकर उसे मिटाने के लिए परेशान
लेखक के मन में एक ओर तो सरकार का भय था, दूसरी और स्वयं की लाचारी और हीनता का बोध
भी। यह नाम उन्हें पीड़ा देता था। एक ओर लाल ने देश के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया,
दूसरी ओर लेखक व्यक्तिगत हित में ही लगा रहा। लाल की बूढी बेसहारा माँ की वह मदद करने
में भी स्वयं को अक्षम पाता है। शासन से दुश्मनी वह लेना नहीं चाहता। सुपरिंटेंडेंट
की तस्वीर उसकी आँखों के सामने घूमने लगती है। उसकी आँखें उसे डराती है। लाल का नाम
देखकर उसे अहसास होता है कि वह कितना दुर्बल, स्वार्थी और अक्षम मनुष्य है।
8. भारत माता की छवि या धारणा आपके मन में
किस प्रकार की है?
उत्तरः- भारत माता मेरी जन्मभूमि है। यह हमारी माँ है।
माता भूमिः पुत्रोऽहम् पृथिव्याः
भूमि माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हैं। भारत माता हमारा भरण-पोषण करती है तथा अपनी
गोद में जीवन भर शरण देती है और मरने के बाद भी अपने अंक में समा लेती है। यह हमारी
जन्म देनेवाली माता की भी जननी है। उसके प्रति मेरे मन में अपार श्रद्धा है। इसकी प्राकृतिक
सुषमा अत्यंत मनोहर है। इस धरती पर जन्म लेने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। इसकी
प्राकृतिक शोभा, गौरवशाली इतिहास, अनुपम भूगोल सभी अत्यन्त प्रिय है। 'वसुधैव कुटुम्बकम्'
इस धरा के सारे लोग एक परिवार हैं। सब मुझे प्यारे हैं। भारत माँ की एकता और अखंडता
को अक्षुण्ण बनाए रखना हमारा परम पावन कर्तव्य है।
9. जानकी जैसी भारत माता हमारे बीच बनी रहे,
इसके लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के सन्दर्भ में विचार कीजिए ?
उत्तर:- 'उसकी माँ कहानी की एक प्रमुख पात्र जानकी है। उसके
गुणों को देखकर पाठकवर्ग अभिभूत हो जाता है। वह सरल हृदया सीधी-सादी, ममतामयी माँ की
जीती जागती प्रतिमूर्ति है, जो अपने देश के सभी बच्चों का मंगल चाहती है। वह एक आदर्श
माँ है। वह निर्भीक, साहसी, कर्तव्यनिष्ठ एवं स्वाभिमानी महिला है। बच्चों को सज़ा
से बचाने के लिए वह अपना सबकुछ दाँव पर लगा देती है। वह जेल में खाना पहुँचाती है।
वकीलों के चक्कर काटती है। लाल के पत्र की सुनकर भी वह रोती नहीं, बल्कि मौन भाव से
सहन कर जाती है। अपनी संतान को भारत माँ पर उत्सर्ग कर देती है। आज भी देश को जानकी
जैसी माता की आवश्यकता है। ऐसी स्वाभिमानी और साहसी महिलाएँ ही वीर पूत्रों को जन्म
दे सकती है और यह तभी संभव है जब बौटयों को बचाया जाएगा, उन्हें पढ़ाया जाएगा। संस्कारवान्
माता ही संस्कारवान् पीढ़ियाँ तैयार कर सकती हैं। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' भावना के
पीछे यही यथार्थ है। हम नारियों का सम्मान करें, सुरक्षा प्रदान करें ताकि उनके गर्भ
से वीरों का सृजन हो सके। भारत माँ के सच्चे सपूतों का निर्माण हो सके।
10. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) पुलिस वाले केवल धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना
है।
उत्तरः- जानकी लेखक को बताती है कि लड़कों के मुँह में जो
भी आता है, बक देते हैं। उस दिन वे कह रहे थे कि पुलिस वाले शक के आधार पर ही भले आदमियों
के बच्चों को डराते हैं, धमकाते हैं और मारते हैं। वे बिना छान-बीन किए निर्दोष लोगों
को सताते हैं। यह क्रूर और अत्याचारी पुलिस की अमानवीय व्यवस्था है। ऐसे अत्याचारी
शासन का विरोध नहीं करने का अर्थ है अपने धर्म, कर्म, आत्मा और परमात्मा को भुलाना।
जो धर्म में विश्वास करेगा, वह शासन के अत्याचार को सहन नहीं कर सकता तथा जो शासन धर्म
को भली-भाँति समझ जायगा वह कदापि अत्याचार नहीं करेगा क्योंकि उसका विश्वास परमात्मा
पर होगा। ऐसे अत्याचारी, धर्म विरोधी शासन का विरोध न करना स्वयं को मिटाना है। अपने
अस्तित्व को खोना है।
(ख) चाचाजी, नष्ट हो जाना सहस्त्र भुजाओं की
सखियाँ हैं।
उत्तरः चाचाजी ने लाल को अंग्रेजी सरकार की ताकत से अवगत
कराते हुए समझाया कि 'तुम दुर्बल हो, सरकार के हाथ लंबे हैं। तुम उनसे पंगा नहीं ले
सकते, तुम्हारे पास उतनी शक्ति नहीं है। तुम मिट जाओगे इस पर निर्भीक और साहसी लाल
कहता है कि वह इन बातों से बिल्कुल भी भयभीत नहीं होता क्योंकि बनना और मिटना प्रकृति
का अटल नियम है। जो जन्मा है, वह मरेगा। जीवन के साथ ही मृत्यु जुड़ी है। विकास के
पीछे विनाश है। लगनशील और साहसी व्यक्ति रुकावटों और परेशानियों से बिल्कुल भी नहीं
घबराता बल्कि डटकर मुकाबला करता है। कर्म करते समय हमारी भुजाओं में हजार भुजाओं के
बराबर ताकत आ जाती है। हिम्मत से कार्य करने पर हमारी भुजाएँ भगवान की भुजाएँ बन जाती
हैं। अतः विनाश की चिंता किए बिना हमें सतत् आगे बढ़ना चाहिए और अच्छे कार्य करते रहना
चाहिए।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'उसकी
माँ' शीर्षक के रचनाकार हैं-
(क) फणीश्वर नाथ रेणु
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र'
(घ) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
2. भारत
माता का मस्तक किसे कहा गया है?
(क) हिमालय को
(ख) देवालय को
(ग) गंगा को
(घ) यमुना को
3. लेखक
क्यों घबरा गए थे ?
(क) सॉप को देखकर
(ख) पुलिस सुपरिंटेंडेंट को देखकर
(ग) लाल को देखकर
(घ) अपनी पत्नी को देखकर
4. सरकार की तारीफ करते हुए लेखक ने लाल की
माँ से क्या कहा ?
(क) सरकार धर्मात्मा है
(ख) सरकार विवेकी है
(ग) सरकार न्याय का पालन करने वाली है,
(घ) उपर्युक्त सभी
5. लाल के पीछे सरकार के पड़े होने की मुख्य
वजह क्या थी?
(क) लाल का खुले विचारों का होना
(ख) लाल द्वारा सरकार के विरुद्ध आंदोलन करना
(ग) लाल का सरकार की नीतियों को पसंद नहीं करना
(घ) उपर्युक्त सभी
6. लाल
की माँ जानकी की मृत्यु के समय उसके हाथ में क्या था?
(क) लाल का पत्र
(ख) लाल की किताब
(ग) लाल की कमीज़
(घ) लाल की घड़ी
7. लाल
के पिता का देहांत हो गया-
(क) दो-तीन वर्ष पहले
(ख) सात-आठ वर्ष पहले
(ग) चार-पाँच वर्ष पहले
(घ) नौ-दस वर्ष पहले
8. कर्म
के समय हमारी भुजाएँ दुर्बल नहीं, भगवान की सहस्त्र भुजाओं की सखियों हैं। यह कथन है-
(क) लाल का
(ख) जानकी का
(ग) लेखक का
(घ) पुलिस सुपरिंटेंडेंट का
9. लाल
के पिता का नाम है-
(क) गोविंद नाथ
(ख) रामनाथ
(ग) श्यामनाथ
(घ) विष्णुनाथ
10. मेजिनी
की पुस्तक पर हस्ताक्षर थे-
(क) लेखक के
(ख) लाल के
(ग) रामनाथ के
(घ) जानकी के
11. उसकी माँ शीर्षक रचना में कट्टर राजभक्त है-
(क)
लाल
(ख) चाचा
(ग)
जानकी
(घ)
बंगड़
12. जानकी की उम क्या थी ?
(क) 60 वर्ष
(ख)
50 वर्ष
(ग)
65 वर्ष
(घ)
55 वर्ष
13. 'उसकी माँ' कहानी के लेखक नौकर के हाथ में किसका कार्ड देखकर थोड़ा
घबरा गए ?
(क)
पुलिस कमिश्नर
(ख)
पुलिस इंसपेक्टर
(ग)
पुलिस अधीक्षक
(घ) पुलिस सुपरिंटेंडेंट
14. लाल और उसके साथियों के घरों से पुलिस ने क्या बरामद किया?
(क)
दो पिस्तौल
(ख)
बहुत से कारतूस
(ग)
पत्र
(घ) ये सभी
15. लाल और उसके साथियों पर कितने वर्ष तक मुकदमा चला?
(क) एक वर्ष
(ख)
दो वर्ष
(ग)
तीन वर्ष
(घ)
चार वर्ष
16. लाल के पिता रामनाथ लेखक के यहाँ क्या कार्य करते थे?
(क)
जमींदारी की देखरेख
(ख)
खाते का लेखा-जोखा
(ग) जमींदारी के मुख्य मैनेजर
(घ)
बच्चों को पढ़ाना
17. 'उसकी माँ' कहानी के लेखक पाण्डेय बेचन शर्मा 'उय' किस युग के रचनाकार
हैं?
(क)
भारतेन्दु युग
(ख)
प्रसाद युग
(ग) प्रेमचन्द युग
(घ)
प्रेमचंदोत्तर युग
18. जमींदारी के काम से चार-पाँच दिन के लिए बाहर गए लेखक को लौटने
पर उसकी पत्नी क्या समाचार देती है?
(क)
लाल की नौकरी लग गई।
(ख)
लाल बहुत बीमार है।
(ग) लाल पन्द्रह साथियों सहित पकड़ा गया
(घ)
लाल का एक्सीडेंट हो गया।
19. ऊँची अदालत ने शेष दस लड़कों को क्या सजा सुनाई ?
(क)
चार से छः वर्ष कैद
(ख)
पाँच से सात वर्ष कैद
(ग) सात से दस वर्ष कैद
(घ)
आठ से ग्यारह वर्ष कैद
20. लेखक ने पुलिस सुपरिंटेंडेंट को लाल की माँ का क्या नाम बताया
?
(क)
राधा
(ख) जानकी
(ग)
रजनी
(घ)
चमेली
21. 'उसकी माँ कहानी में कौन-सा युवा देश की दुरवस्था का जिम्मेदार
शासन तंत्र को मानता है?
(क) लाल
(ख)
राम
(ग)
बबलू
(घ)
राजू
22. 'उसकी माँ शीर्षक कहानी में लेखक किस कथन को अपने जीवन में उतारता
हुआ प्रतीत होता है?.
(क)
जैसी करनी वैसी भरनी
(ख) आप सुखी तो जग सुखी
(ग)
ईमानदारी सर्वोत्तम नीति
(घ)
वसुधैव कुटुम्बकम्
23. लाल के सभी साथी लाल की माँ को क्या कहकर संबोधित करते थे?
(क)
काकी
(ख)
मौसी
(ग) माँ
(घ)
चाची
24. लाल और उसके साथियों को किस समय फाँसी दी गई?
(क) सुबह के समय
(ख)
दोपहर में
(ग)
रात में
(घ)
शाम को
25. व्यालू का अर्थ है-
(क)
सुबह का नास्ता
(ख)
दोपहर का भोजन'
(ग)
पेय पदार्थ
(घ) रात का भोजन
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. चाचा अपने घर के पुस्तकालय में बैठे क्या सोच रहे थे?
उत्तरः-
चाचा अपने घर के पुस्तकालय में कोई पुस्तक पढ़ने के बारे में सोच रहे थे।
2. पुलिस सुपरिंटेंडेंट की गाड़ी किस रंग की थी?
उत्तरः-
पुलिस सुपरिंटेंडेंट की गाडी सुरमई रंग की थी।
3. लाल के परिवार का खर्च कैसे चलता था?
उत्तरः-
लाल के पिता रामनाथ लेखक के यहाँ मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने अपने जीवनकाल
में ही लेखक के पास कुछ रुपये जमा किए थे, उन्हीं रुपयों से लाल का खर्च चल रहा था।
4. लाल की माँ की तुलना भारत माता से किसने की थी?
उत्तरः-
लाल की माँ की तुलना भारत माता से लाल के एक हँसोड़ साथी ने की थी।
5. पुलिस ने लाल पर कौन-कौन से आरोप लगाए थे?
उत्तरः-
पुलिस ने लाल पर हत्या, साजिश, राजद्रोह आदि के झूठे आरोप लगाए थे।
6. लाल के परिवार में कौन-कौन है?
उत्तरः-
लाल के परिवार में लाल और उसकी माँ है।
7. लाल की माँ जानकी ने पत्र किससे पढ़वाया ?
उत्तरः-
लाल की माँ जानकी ने पत्र लेखक से पढ़वाया।
8. लेखक ने लाल को क्या सलाह दी ?
उत्तरः-
लेखक ने लाल को पढ़ने-लिखने तथा अपनी माँ और अपना ध्यान रखने की सलाह दी।
9. प्रस्तुत कहानी में किस शासन प्रणाली की निरंकुशता के विषय में बताया
गया है ?
उत्तरः-
प्रस्तुत कहानी में अंग्रेज़ी शासन-प्रणाली की निरंकुशता के विषय में बताया गया है।
10. पुलिस सुपरिंटेंडेंट ने लेखक से क्या कहा ?
उत्तरः-
पुलिस सुपरिंटेंडेंट ने लेखक को लाल से बचकर रहने को कहा।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. जमींदारी की मनोवृत्ति का वर्णन करते हुए बताएँ कि वह किस वर्ग का
प्रतिनिधित्व करता है?
उत्तरः-
जमींदार सरकार के भक्त होते थे तथा वे पूँजीपति और सुविधाभोगी, स्वार्थी वर्ग का प्रतिनिधित्व
करते थे। लेखक के पूर्वज भी सरकार के भक्त तथा जमींदारी प्रथा के पोषक थे। थे। अपनी
अ जमींदारी कायम रखने के लिए वे सरकार की चाटुकारिता में लगे रहते थे। उनका यह कथन
"हम तो सात पुश्तों से सरकार के फरमाबरदार हैं।" इसी मनोवृत्ति का परिचायक
है।
2. लाल और उसके साथियों की गिरफ्तारी के बाद लेखक के बुलाने पर जानकी
क्यों नहीं आई?
उत्तरः-
जानकी लेखक के बुलाने पर भी नहीं आई क्योंकि वह बच्चों के भोजन बनाने में लगी थी। उसका
मानना था कि क्रूर सरकार बच्चों को भूखा मार डालेगी, वे अल्हड़- बिल्हड़ और उत्साही
बच्चे हवालात में मुरझा जाएँगे लेकिन वह जीते-जी कभी भी ऐसा नहीं होने देगी।
3. लाल ने अपने अंतिम पत्र में क्या लिखा था?
उत्तरः-
लाल एक निर्भीक, देशभक्त और मृत्यु से भी नहीं डरनेवाला वाला युवा था। अपने अंतिम पत्र
में उसकी अपूर्व मातृभक्ति, देशभक्ति और भावुकता के दर्शन होते हैं। उसे विश्वास है
कि जब तक हवा, सूर्य, समुद्र का अस्तित्व है, तब तक वह अपनी ममतामयी माँ की गोद में
ही रहेगा। जन्म-जन्मांतरों तक वही उसकी माँ है। प्रातः सवेरे ही वह इस दुनिया से चला
जाएगा परंतु दूसरी दुनिया में वह अपनी माँ से अवश्य मिलेगा।
4. जानकी ने लाल और उसके साथियों के विषय में लेखक को क्या बताया?
उत्तर:-
जानकी ने लाल और उसके साथियों के विषय में लेखक को बताया कि सभी हँसोड, लापरवाह, अल्हड़
और जवान हैं। उनके मुँह में जो कुछ आता है, वे बक देते हैं। उनकी बातों का कोई मतलब नहीं होता। मुझे भारत माता कहकर बुलाते
हैं तथा बहुत ही मासूम है।
5. 'उसकी माँ' शीर्षक कहानी में लेखक ने क्या
बताने का प्रयत्न किया है?
उत्तर:- झूठ की सत्य पर विजय, समाज, सरकार और कानून में व्याप्त
भ्रष्टाचार सरकार की निरंकुशता, क्रांतिकारियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार, नई पीढ़ी
का निरंकुश शासन के प्रति विद्रोही तेवर, राष्ट्रभक्ति, देश के लिए उत्सर्ग की भावना,
तथा कुछ लोगों का स्वार्थकेन्द्रित राजभक्त दृष्टिकोण, क्षुद्रतम विचारधारा का चित्रण
लेखक ने सफलतापूर्वक किया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. लाल के पकड़े जाने के बाद लोगों ने जानकी
के साथ कैसा व्यवहार किया ?
उत्तरः- लाल के पकड़े जाने के बाद लोगों ने जानकी से मिलना जुलना
छोड दिया। उसे सामने देखकर लोग रास्ता बदल लेते थे। लोगों को सरकार का डर था कि कहीं
वे भी संदेह के घेरे में न आ जायें। तानाशाह और क्रूर सरकार शासनतंत्र का विरोध करने
वालों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थी। जनता भयाक्रांत थी। साथ ही कुछ लोग स्वार्थकेंद्रित
थे। उन्हें केवल अपने सुख से सरोकार था। देशहित उनके लिए गौण था। स्वयं लेखक भी राज-
भक्त, भीरू और दुर्बल होने के कारण लाल की माँ की कोई सहायता नहीं कर पाया तथा उसने
भी अप्रत्यक्ष रूप से दूरी बना ली थी।
2. लाल और उसके साथियों से आपको क्या प्रेरणा
मिलती है?
उत्तरः- लाल और उसके साथी क्रांतिकारी देशभक्त युवा हैं जो
अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाते हैं तथा उसकी दमनकारी नीति का शिकार बन जाते
हैं। वे परतंत्र भारत को आज़ाद कराने वाले क्रांतिवीर भगतसिंह, आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल
की भाँति देश के लिए मर मिटने को उतारू हैं। उन्हें देखकर हमें अत्याचार का विरोध करने
एवं मातृभूमि के रक्षार्थ मर मिटने की प्रेरणा मिलती है।
उनका यह कथन कि कर्म के समय हमारी भुजाओं में ईश्वर की हजार
भुजाओं का सामर्थ्य आ जाता है। हमारे भीतर अजस्त्र प्रेरणा की धारा बहा देता है। यह
हमें अर्कमन्यता और आलस्य से बाहर निकालता है। अत्याचार और अनाचार का विरोध, ईमानदारी
पूर्वक कर्तव्यनिष्ठा, अल्हडपन, मस्ती, राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने की भावना- ये
सारे सद्गुण अपनाने की प्रेरणा लाल और उसके साथियों से मिलती है।
3. 'उसकी माँ' कहानी की मूल संवेदना पर प्रकाश
डालिए।
उत्तर:- 'पाण्डेय बेचन शर्मा 'उय' द्वारा रचित कहानी 'उसकी
माँ परतंत्र भारत से दुखी और व्यथित युवापीढ़ी की कहानी है। लाल और उसके साथी परतंत्र
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। वे राष्ट्रहित के
लिए प्राणपण से लगे हैं। अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए वे अंग्रेज़ी सरकार
के विरुद्ध पडयंत्र करने, विद्रोह करने, हत्या और हिंसा करने में भी पीछे नहीं हटना
चाहते। उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य है आज़ादी। इसके लिए वे कोई भी मूल्य चुकाने
को दृढ संकल्प हैं। हँसते-हँसते प्राण उत्सर्ग कर देते हैं, दूसरी ओर एक बुद्धिजीवी
वर्ग ऐसा भी है, जो मूक भाव से निरंकुश शासक के अत्याचार को देखता है। अपने ही देशवासियों
पर जुल्म होता देखकर भी भयाक्रांत अपनी सुख लिप्सा में डूबा है। वह इतना स्वार्थी हो
गया है कि थोड़े से सुख-साधन के लिए अंग्रेज़ों का गुलाम बन गया है।
परन्तु इन दोनों के मध्य जूझती वह हजारों माँ का प्रतिनिधित्व करती लाल की माँ है, जो बेहद सरल, सहज, ममतामयी है। वह इन सब विचारधाराओं से परे होते हुए भी अपने बेटे को नहीं बचा पाती है। उसका दुख अथाह है। अपने बेटे और उसके मित्रों को बचाने के लिए उसकी ममता विकल है, परंतु इस त्रासदी को भोगते हुए अंत में वह दम तोड़ देती है। यह कहानी उन माँओ की पीड़ा का दर्शन कराती है जिन्होंने स्वतंत्रता की बलि वेदी पर अपने लालों को खो दिया।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |