Class 11 Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ 1. जनसंचार माध्यम

Class 11 Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ 1. जनसंचार माध्यम

 Class 11 Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ 1. जनसंचार माध्यम

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Class - 11 Hindi Elective

अभिव्यक्ति और माध्यम

पाठ 1. जनसंचार माध्यम

स्मरणीय तथ्य

संचार

'संचार' शब्द की उत्पत्ति 'चर' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचना। टेलीफोन के तार या बेतार के जरिये मौखिक याँ लिखित संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने को संचार कहा जाता है।

संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान है।

मशहूर संचारशास्त्री विल्बर श्रम के अनुसार 'संचार अनुभवों की साझेदारी है'।

संचार के तत्त्व

संचार एक प्रक्रिया है। संचार की प्रक्रिया के सात चरण या तत्व शामिल हैं (1) स्रोत या संचारक, (2) कूटीकृत या एनकोडिंग, (3) संदेश, (4) माध्यम (चैनल), (5) प्राप्तकर्ता यानी रिसीवर, (6) प्रतिपुष्टि (फीडबैक), (7) शोर या नॉयज।

स्रोत या संचारक संचार प्रक्रिया की शुरुआत स्रोत या संचारक से होती है। जब स्रोत या संचारक एक उद्देश्य के साथ अपने किसी विचार, संदेश या भावना को किसी और तक पहुंचाना चाहता है, तो संचार प्रक्रिया की शुरुआत होती है। संचारक को संचारकर्ता, प्रेषक, संप्रेषक, संवादक, संदेश देने वाला आदि भी कहा जाता है।

कूटीकृत या एनकोडिंग यह संचार प्रक्रिया का दूसरा चरण है। सफल संचार के लिए यह जरूरी है कि संदेश प्राप्तकर्ता भी उस भाषा यानी कोड से परिचित हो जिसमें संचारक (प्रेषक) अपना संदेश भेज रहे हैं।

संदेश संचार प्रक्रिया का अगला चरण स्वयं संदेश का आता है। संचार प्रक्रिया में संदेश का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी संचारक का सबसे प्रमुख उद्देश्य अपने संदेश को उसी अर्थ के साथ प्राप्तकर्ता तक पहुंचना है। इसलिए सफल संचार के लिए जरूरी है कि संचारक अपने संदेश को लेकर खुद पूरी तरह से स्पष्ट हो।

माध्यम (चैनल) संदेश को किसी माध्यम के जरिए प्राप्तकर्ता तक पहुंचाते हैं जिसे चैनल कहा जाता है। इस तरह के माध्यम समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविज़न, टेलीफोन, इंटरनेट और फिल्में आदि हैं।

प्राप्तकर्ता यानी रिसीवर स्रोत या संचारक से निकलने वाले सूचना को जो व्यक्ति ग्रहण करता है उसे प्राप्तकर्ता यानी रिसीवर कहते हैं। प्राप्तकर्ता को ग्रहणकर्ता, रिसीवर, डीकोडर आदि नाम से भी जाना जाता है।

☞ प्रतिपुष्टि (फीडबैक) प्राप्तकर्ता को जब संदेश मिलता है तो वह उसके मुताबिक अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। वह प्रतिक्रिया सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। संचार प्रक्रिया में इस प्रतिक्रिया को फीडबैक कहते हैं।

☞ शोर या नॉयज वास्तविक जीवन में संचार प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चलती। उसमें कई बाधाएं भी आती है। इन बाधाओं को शोर या नॉयज कहते हैं। संचार की प्रक्रिया को शोर से बाधा पहुंचती है। इसलिए सफल संचार के लिए संचार प्रक्रिया से शोर को हटाना या कम करना बहुत जरूरी होता है।

संचार के प्रकार

☞ संचार के कई प्रकार हैं, जिनमें सांकेतिक संचार, मौखिक और अमौखिक संचार के अलावा अंतः वैयक्तिक संचार, अंतरवैयक्तिक संचार, समूह संचार और जनसंचार प्रमुख हैं।

☞ सांकेतिक संचार जब हम किसी व्यक्ति को इशारे या संकेत से बुलाते हैं तो इसे सांकेतिक संचार कहते हैं।

☞ मौखिक और अमौखिक संचार जब हम अपने से बड़ों को सम्मान करते हुए दोनों हथेलियां जोड़कर प्रणाम का इशारा करते हैं तो मौखिक और अमौखिक संचार होता है।

☞ अतः वैयक्तिक (इंट्रापर्सनल) संचार जब हम कुछ सोच रहे होते हैं, कुछ योजना बना रहे होते हैं या किसी को याद कर रहे होते हैं। यह भी एक संचार है। इस संचार प्रक्रिया में संचारक और प्राप्तकर्ता एक ही व्यक्ति होता है। यह संचार का सबसे बुनियादी रूप है। इसे अतः वैयक्तिक संचार कहते हैं।

☞ अंतरवैयक्तिक (इंटरपर्सनल) संचार जब दो व्यक्ति आपस में और आमने-सामने संचार करते हैं, तो इसे अंतरवैयक्तिक संचार कहते हैं। इस संचार में फीडबैक तत्काल प्राप्त होता है। अंतरवैयक्तिक संचार की मदद से ही हम आपसी संबंध विकसित करते हैं और अपनी रोजमर्रा की जरूरत पूरा करते हैं। संचार का यह रूप पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की बुनियाद है।

☞ समूह संचार समूह संचार में एक समूह आपस में विचार विमर्श या चर्चा करता है। इस संचार में किसी एक या दो व्यक्ति के लिए न होकर पूरे समूह के लिए होता है। समूह संचार का उपयोग समाज और देश के सामने उपस्थित समस्याओं को बातचीत और बहस- मुबाहिसों के जरिये हल करने के लिए होता है। कक्षा समूह, पंचायत या समिति की बैठक और संसद में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा समूह संचार का उदाहरण है।

☞ जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) जब हम व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के जरिये समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करने की कोशिश करते हैं तो इससे जनसंचार कहते हैं। समाचारपत्र, रेडियो, टी.वी., सिनेमा और इंटरनेट जनसंचार के उदाहरण हैं।

जनसंचार (मास कम्युनिकेशन)

जनसंचार दो शब्दों से मिलकर बना है जन और संचार। जन का अर्थ जनता, जन समुदाय या बहुत सारे लोगों से है तथा संचार का मतलब सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान से है। अतः जनसंचार का अर्थ जन समुदायों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करना होता है।

जनसंचार को अंग्रेजी में मांस कम्यूनिकेशन (Mass Communication) भी कहा जाता है। मास कम्युनिकेशन में मास का अर्थ जनता, भीड़ या जनसमूह है तथा कम्युनिकेशन का अर्थ बातचीत या सूचनाओं का आदान-प्रदान से है। अतः बहुत बड़े जनसमूह के बीच होने वाले सूचनाओं के आदान- प्रदान को ही जनसंचार कहा जाता हैं और इस प्रक्रिया को अंजाम देने में मदद करने वाले तरीके जनसंचार माध्यम कहलाते हैं।

जनसंचार के कार्य

1. सूचना देना

2. शिक्षित करना

3. मनोरंजन करना

4. एजेंडा तय करना

5. निगरानी करना

6. विचार विमर्श के मंच उपलब्ध कराना

भारत में जनसंचार माध्यमों का विकास

देवर्षि नारद को भारत का पहला समाचार वाचक माना जाता है, जो वीणा की मधुर झंकार के साथ धरती और देवलोक के बीच संवाद सैंतु थे।

महाभारत काल में महाराज धृतराष्ट्र और रानी गांधारी को युद्ध की झलक दिखाने और उसका विवरण सुनाने के लिए जिस तरह संजय की परिकल्पना की गई है, वह एक अत्यंत समृद्ध संचार व्यवस्था की ओर इशारा करती है।

चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक जैसे सम्राटों के शासन-काल में स्थायी महत्त्व के संदेशों के लिए शिलालेखों और सामयिक या तात्कालिक संदेशों के लिए कच्ची स्याही या रंगों से संदेश लिखकर प्रदर्शित करने की व्यवस्था मजबूत हुई।

भारतीय संचार परंपरा के संकेत प्रागैतिहासिक काल से ही मिलते हैं। भीमबेटका के गुफाचित्र इसके प्रमाण हैं।

देश की विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विविध नाट्यरूपों- कथावाचन, बाउल, सांग, रागिनी, तमाशा, लावनी, नौटंकी, जात्रा, गंगा-गौरी, यक्षगान आदि का विशेष महत्त्व है। इन विधाओं के कलाकार मनोरंजन तो करते  ही थे, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक संदेश पहुंचाने और जनमत निर्माण करने का काम भी करते थे।

जनसंचार माध्यमों के वर्तमान प्रचलित रूपों में प्रमुख हैं समाचारपत्र-पत्रिकाएं, रेडियो, टेलीविजन, सिर्नमा और इंटरनेट। इन माध्यमों के जरिये जो भी सामग्री आज जनता तक पहुंच रही है, राष्ट्र के मानस का निर्माण करने में इसको महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

समाचारपत्र-पत्रिकाएं

जनसंचार की सबसे मजबूत कड़ी पत्र-पत्रिकाएं या प्रिंट मीडिया ही है।

आज भले ही प्रिंट, रेडियो, टेलीविज़न या इंटरनेट, किसी भी माध्यम से खबरों के संचार को पत्रकारिता कहा जाता हो, लेकिन आरंभ में केवल प्रिंट माध्यर्मा के ज़रिये खबरों के आदान-प्रदान को ही पत्रकारिता कहा जाता था।

पत्रकारिता के तीन पहलू हैं पहला समाचारों को संकलित करना, दूसरा उन्हें संपादित कर छपने लायक बनाना और तीसरा पत्र या पत्रिका के रूप में छापकर पाठक तक पहुंचाना।

दुनिया में अखबारी पत्रकारिता को अस्तित्व में आए 400 साल हो गए हैं, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत सन् 1780 में जेम्स ऑगस्ट हिकी के 'बंगाल गजट' से हुई जो कलकता (कोलकाता) से निकला था।

हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र 'उदंत मार्तंड' भी कोलकाता से ही सन् 1826 में पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकला था।

भाषा के विकास में शुरुआती अखबारों और पत्रिकाओं ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लिहाज़ से भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा जिन्होंने कई पत्रिकाएं निकालीं।

आजादी के आंदोलन में भारतीय पत्रो ने अहम भूमिका निभाई। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक और मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं ने लोगों को जागरूक बनाने के लिए पत्रकार की भी भूमिका निभाई।

गांधी जी को हम समकालीन भारत का सबसे बड़ा पत्रकार कर सकते हैं, क्योंकि आजादी दिलाने में उनके पत्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आजादी के पहले के प्रमुख पत्रकारों में गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, महावीर प्रसाद ‌द्विवेदी, बाबूराव विष्णुराव पराडकर, प्रताप नारायण मिश्र, शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी और बालमुकुंद गुप्त है।

आजादी के पहले के महत्त्वपूर्ण अखबारों और पत्रिकाओं में 'केसरी', 'हिंदुस्तान', 'सरस्वती', 'हंस', 'कर्मवीर', 'आज', 'प्रताप', 'प्रदीप' और 'विशाल भारत' आदि प्रमुख है।

आजादी के बाद के प्रमुख हिंदी अखबारों में 'नवभारत टाइम्स', 'जनसत्ता', 'नई दुनिया', 'राजस्थान पत्रिका', 'अमर उजाला', 'दैनिक भास्कर', 'दैनिक जागरण' और पत्रिकाओं में 'धर्मयुग', 'साप्ताहिक हिंदुस्तान', 'दिनमान', 'रविवार', 'इंडिया टुडे' और 'आउटलुक' का नाम लिया जा सकता है।

आजादी के बाद के हिंदी के प्रमुख पत्रकारों में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय', रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती, मनोहर श्याम जोशी, राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, सुरेंद्र प्रताप सिंह का नाम लिया जा सकता है।

कागज के अविष्कार का श्रेय चीन के साई लुन को दिया जाता है, जिसने सन् 105 में की कुटी हुई वृक्षा क छाल, सन, पुराने कपड़े और मछली पकड़ने जालों के उपयोग से कागज बनाया। पुराने छापाखाना के आविष्कार का श्रेय जर्मनी के गुटेनबर्ग को दिया जाता है।

रेडियो (आकाशवाणी)

पत्र-पत्रिकाओं के बाद जिस माध्यम ने दुनिया को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह रेडियो है।

सन् 1895 में जब इटली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर जी. मार्कोनी ने वायरलेस के जरिये ध्वनियों और संकेत को एक जगह से दूसरी जगह भेजने में कामयाबी हासिल की, तब रेडियो जैसा माध्यम अस्तित्व में आया।

शुरुआती रेडियो स्टेशन अमेरिकी शहर पिट्सबर्ग, न्यूयॉर्क और शिकागो में खुले।

भारत ने 1921 में मुंबई में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने डाक-तार विभाग के सहयोग से पहला संगीत कार्यक्रम प्रसारित किया।

1936 में विधिवत ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना हुई।

आज आकाशवाणी देश की 24 भाषाओं और 146 बोलियों में कार्यक्रम प्रस्तुत करती है।

1993 में एफएम (फ्रिक्वेंसी मॉड्यूलेशन) की शुरुआत के बाद रेडियो के क्षेत्र में कई निजी कंपनियां भी आगे आई हैं।

रेडियो मूलतः एकरेखीय (लीनियर) माध्यम है। इसे ध्वनि माध्यम या श्रव्य माध्यम भी कहा जाता है।

टेलीविजन (दूरदर्शन)

रेडियो की तरह टेलीविजन भी एकरेखीय माध्यम है लेकिन वहां शब्दों और ध्वनियों की तुलना में दृश्यों तस्वीरों का महत्त्व सर्वाधिक होता है। इसलिए टेलीविजन को दृश्य-श्रव्य माध्यम कहा जाता है।

भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के तहत 15 सितंबर 1959 को हुई थी। लेकिन 1965 में स्वतंत्रता दिवस से भारत में विधिवत टी.वी. सेवा का आरंभ हुआ।

1976 तक टी.वी. सेवा आकाशवाणी का हिस्सा था। 1 अप्रैल 1976 से इसे अलग कर दिया गया और इसे दूरदर्शन नाम दिया गया।

1984 में इसकी रजत जयंती मनाई गई।

सिनेमा (चलचित्र)

सिनेमा के आविष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन को जाता है और यह 1883 में मिनेटिस्कोप की खोज के साथ जुड़ा हुआ है।

1894 में फ्रांस में पहली फिल्म बनी 'द अराइवल ऑफ़ ट्रेन' इसके बाद सिनेमा की तकनीक में तेजी से विकास हुआ।

भारत में पहली मूक फिल्म बनाने का श्रेय दादा साहेब फाल्के को जाता है। यह मूक फिल्म थी 1913 में बनी 'राजा हरिश्चंद्र'।

1931 में पहली बोलती फिल्म बनी 'आलम आरा' इसके बाद बोलती फिल्मों का दौर शुरू हुआ। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी है।

मौजूदा समय में भारत हर साल लगभग 800 फिल्मों का निर्माण करता है और दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश बन गया है।

इंटरनेट

इंटरनेट जनसंचार का सबसे नया लेकिन तेजी से लोकप्रिय हो रहा माध्यम है। एक ऐसा माध्यम जिसमें प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन, किताब, सिनेमा यहां तक कि पुस्तकालय के सारे गुण मौजूद हैं।

इंटरनेट एक अंतरक्रियात्मक माध्यम है यानी आप इसमें मूक दर्शक नहीं हैं। आप सवाल-जवाब, बहस- मुबाहिसों में भाग लेते हैं, आप चैट कर सकते हैं और मन में हो तो अपना ब्लॉग बनाकर पत्रकारिता की किसी बहस के सूत्रधार बन सकते हैं।

पाठ से संवादे

1. इस पाठ में विभिन्न लोक-माध्यमों की चर्चा हुई है। आप पता लगाइए कि वे कौन-कौन से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने क्षेत्र में प्रचलित किसी लोकनाट्य या लोकमाध्यम के किसी प्रसंग के बारे में जानकारी हासिल करके उसकी प्रस्तुति के खास अंदाज़ के बारे में भी लिखिए।

उत्तर- इस पाठ में जिन लोकमाध्यमों की चर्चा हुई है, वे हैं-लोक-नृत्य, लोक-संगीत और लोक-नाट्‌याँ ये देश के विभिन्न भागों में विविध नाट्य रूपों-कथावाचन, बाउल, सांग, रागिनी तमाशा, लावनी, नौटंकी, जात्रा, गंगा-गौरी, यक्ष-गान, कठपुतली लोक-नाटक आदि में प्रचलित हैं। इनमें स्वॉग उत्तरी भारत, नौटंकी उत्तर प्रदेश, बिहार, रागिनी हरियाणा तथा यक्ष-गान कर्नाटक क्षेत्रों से संबंधित हैं। हमारे क्षेत्र में नौटंकी का प्रयोग खूब होता है। यह ग्रामीण नाट्य-शैली का एक रूप है। इसमें प्रायः रात्रि के समय मंच पर किसी लोक-कथा या कहानी को नाट्य-शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें स्त्री-पात्रों की भूमिका भी प्रायः पुरुष-पात्र करते हैं। हारमोनियम, नगाड़ा, ढोलक आदि वाद्य यंत्रों के साथ यह संगीतमय प्रस्तुति लोक लुभावन होती है।

2. आजादी के बाद भी हमारे देश के सामने बहुत सारी चुनौतियाँ हैं। आप समाचार-पत्रों को उनके प्रति किस हृद तक संवेदनशील पाते हैं?

उत्तर- आजादी के बाद भी हमारे देश में बहुत-सी चुनौतियाँ हैं। ये चुनौतियाँ हैं -

1. निर्धनता से निपटने की चुनौती

2. बेरोजगारी से निपटने की चुनौती

3. भ्रष्टाचार की चुनौती

4. देश की एकता बनाए रखने की चुनौती

5. आतंकवाद का मुकाबला करने की चुनौती

6. सांप्रदायिकता से निपटने की चुनौती

हम समाचार-पत्रों को इन चुनौतियों के प्रति काफी हद तक संवेदनशील पाते हैं। वे अपने दायित्व का निर्वहन, इनसे पीडित लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचाकर कर रहे हैं, जिससे सरकार और अन्य स्वयंसेवी संस्थाएँ इनको हल करने के लिए आगे आती हैं। हाँ, छोटे समाचार-पत्र अपनी सीमा निश्चित होने के कारण कई बार दबाव में आकर उतने संवेदनशील नहीं हो पाते हैं।

3. टी०वी० के निजी चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाते हैं? टी०वी० के कार्यक्रमों से उदाहरण देकर समझाइए।

उत्तर- टी०वी० के निजी चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाले कार्यक्रम दिखाते हैं। लोग ऐसे कार्यक्रमों की ओर आकर्षित होते हैं। ये चैनल कई बार लोगों की आस्था को भी निशाना बनाने से नहीं चूकते। इन कार्यक्रमों को टुकड़ों में दिखाते हुए ऐसे मोड़ पर समाप्त करते हैं, जिससे लोगों की उत्सुकता अगले कार्यक्रम के लिए बनी रहे। गत दिनों जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ की खबरों तथा उनमें फैसे नागरिकों को बचाने संबंधी खबरों को कई दिनों तक टी०वी० पर दिखाया जाता रहा। इसी प्रकार अमेठी (उत्तर प्रदेश) के भूपति भवन पर अधिकार को लेकर संजय सिंह सिंह (राज्य सभा सांसद) और उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह, पुत्र अनंत विक्रम सिंह के मध्य हुए झगड़े एवं विवाद को कई बार दिखाया गया।

4. इंटरनेट पत्रकारिता ने दुनिया को किस प्रकार समेट लिया है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इंटरनेट पत्रकारिता के कारण अब दूरियों सिमटकर रह गई हैं, इंटरनेट की पहुँच दुनिया के कोने-कोने तक हो गई है। इसकी रफ्तार बहुत तेज है। इसका असर पत्रकारिता पर भी हुआ है। इसकी मदद से स्टूडियो में बैठा संचालक किसी भी मुद्दे पर देश-विदेश में बैठे व्यक्ति से बातें कर लेता है और करा देता है। इसकी मदद से गोष्ठियाँ, वार्ताएँ आयोजित की जाती हैं। इससे विश्व की किसी भी घटना की जानकारी अब आसान हो गई है।

5. किन्हीं दो हिंदी पत्रिकाओं के समान अंकों को (समान अवधि के) पढ़िए और उनमें निम्न बिंदुओं के आधार पर तुलना कीजिए :

  • आवरण पृष्ठ
  • अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा
  • सूचनाओं का क्रम
  • भाषा-शैली

उत्तर- हम 'सरिता' और 'इंडिया टुडे' पत्रिकाओं के समान अंकों को लेते हैं और तुलना करते हैं-

आवरण पृष्ठ- 'सरिता' पत्रिका का आवरण पृष्ठ अधिक रंग-बिरंगा. चित्रमय, आकर्षक और सुंदर है, जबकि 'इंडिया टुडे' का आवरण पृष्ठ अच्छा है, पर उतना आकर्षक नहीं।

अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा- 'सरिता' के पृष्ठों की साज-सज्जा पर अधिक ध्यान दिया गया है, जबकि 'इंडिया टुडे' के पृष्ठों पर कम। 'सरिता' के पृष्ठों पर चित्र अधिक हैं, जबकि 'इंडिया टुडे' के पृष्ठों पर कम।

सूचनाओं का क्रम- 'सरिता' में सूचनाएँ किसी क्षेत्र- विशेष से संबंधित न होकर विविध क्षेत्रों से संबंधित हैं, जबकि 'इंडिया टुडे में मुख्यतः राजनीतिक खबरें एवं सूचनाएँ हैं।

भाषा-शैली- 'सरिता' की भाषा सरल तथा बोधगम्य है, जबकि 'इंडिया टुडे' की भाषा-शैली अधिक उच्च-स्तरीय है।

6. निजी चैनलों पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए अथवा नहीं? पक्ष-विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- निजी चैनलों पर नियंत्रण होने से उनका काम करने का दायरा एवं ढंग प्रभावित होगा। इससे उनकी निष्पक्षता पर भी असर पड़ेगा। उन्हें सरकारी दबाव में काम करना होगा, अतः हमारे विचार में निजी चैनलों पर सरकारी नियंत्रण नहीं होना चाहिए।

7. नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। उनके सामने (√) या (x) का निशान लगाते हुए उसकी पुष्टि के लिए उदाहरण भी दीजिए :

(a) संचार माध्यम केवल मनोरंजन के साधन हैं। x

उदाहरण-संचार माध्यमों से हमें तरह-तरह का ज्ञान प्राप्त होता है, अतः ये केवल मनोरंजन के साधन नहीं है।

(b) केवल तकनीकी विकास के कारण संचार संभव हुआ, इससे पहले संचार संभव नहीं था। x

उदाहरण- संचार दो व्यक्तियों के बीच यहाँ तक अकेले भी होता है। इसके लिए तकनीकी विकास की आवश्यकता अनिवार्य नहीं थी। तकनीकी विकास बाद में सहायक बने हैं।

(c) समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ इतने सशक्त संचार माध्यम हैं कि वे राष्ट्र का स्वरूप बदल सकते हैं।

उदाहरण- समाचार पत्र पत्रिकाएँ घोटाले, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, सांप्रदायिकता आदि के विरुद्ध आवाज उठाकर राष्ट्र का स्वरूप बदल सकते हैं।

(d) टेलीविजन सबसे प्रभावशाली एवं सशक्त संचार माध्यम है।

उदाहरण- टेलीविजन आवाज और चित्र का संगम होने के कारण अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, युवा-वृद्ध सभी की पसंद बन गया है।

(e) इंटरनेट सभी संचार माध्यमों का मिला-जुला रूप या समागम है।

उदाहरण- इंटरनेट पर समाचार-पठन, गीत-संगीत, फ़िल्म, बैठक, गोष्ठी आदि देखा-सुना जा सकता है।

(f) कई बार संचार माध्यमों का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।

उदाहरण- इंटरनेट और टेलीविजन अपने कार्यक्रमों से समाज में अश्लीलता परोसने का काम कर रहे हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. निम्न में आधुनिक जनसंचार का माध्यम नहीं है?

क. नुक्कड़ नाटक

ख. अखबार

ग. रेडियो

घ. फेसबुक

2. निम्न में से आधुनिक जनसंचार का माध्यम है ?

क. प्रिंट मीडिया

ख. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

ग. सोशल मीडिया

घ. ये सभी

3. मीडिया अख़बार को लोकतंत्र का कौन सा स्तंभ कहा जाता है?

क. चौथा स्तम्भ कहा जाता है

ख. तीसरा स्तम्भ कहा जाता है

ग. पहला स्तम्भ कहा जाता है

घ. उपरोक्त सभी

4. विविध भारती सेवा की शुरुआत कब हुयी थी

क. 1957

ख. 1959

ग. 1975

घ. 1936

5. हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्रिका उदन्त मार्तण्ड कब शुरू हुआ था ?

क. 1826

ख. 1822

ग. 1819

घ 1845

6. आल इन्डिया रेडियो की शुरुआत कब हुयी थी?

क. 8 जून 1936

ख. 15 अगस्त 1936

ग. 08 जून 1930

घ. 23 जुलाई 1927

7. टेलीविजन जनसंचार का कौन सा माध्यम है?

क. दृश्य-श्रव्य माध्यम है

ख. दृश्य-माध्यम है

ग. श्रव्य माध्यम है

घ. इसमें से कोई नहीं

8. भारत देश में टेलीविजन या टेलीविजन इंडिया की शुरुआत किस वर्ष हुयी थी ?

क. 1959

ख. 1957

ग. 1965

घ. 1975

9. टेलीविजन इण्डिया का नाम बदलकर दूरदर्शन किस वर्ष किया गया था?

क. 1975

ख. 1965

ग. 1959

घ. 1973

10. 1984 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने बाला पहला धारावाहिक है -

क. हम लोग

ख. नौरंगी बीमार ह

ग. महाभारत

घ. शक्तिमान

11. प्रसार भारती का गठन किस वर्ष हुआ था ?

क. 1997

ख. 1996

ग. 1998

घ. 1957

12. खबर की घटना का सीधा प्रसारण क्या कहलाता है ?

क. लाइव

ख. फोन इन

ग. हाईलाइट्स

घ. एंकर पेंकिज

13. समाचार लेखन की शैली क्या कहलाती है?

क. कथात्मक शैली

ख. उलटा पिरामीड शैली

ग. व्यंगात्मक शैली

घ. निबंधात्मक शैली

14. भारतीय सिनेमा के पितामह किसे कहा जाता है ?

क. सत्यजीत रे

ख. दादा साहब फाल्के

ग. पृथ्वीराज कपूर

घ. वारिन घोष

15. इंटरनेट पत्रकारिता क्या है ?

क. इंटरनेट पर खबरों का आदान-प्रदान व समाचार पत्रों का प्रकाशन

ख. इंटरनेट पर निजी पत्र भेजना

ग. इंटरनेट पर रिपोर्टिंग करना

घ. ये सभी

16. ई-मेल का विस्तृत रूप क्या है ?

क. इलेक्ट्रिक मेल

ख. इलेक्ट्रॉनिक मेल

ग. इमरजेंसी मेल

घ. इनबॉक्स मेल

17. निम्नलिखित में से सोशल मीडिया का उदाहरण क्या है?

क. बेबसाईट

ख. फेसबु

ग. ट्वीटर

घ. ये सभी

18. www के अविष्कारक कौन थे ?

क. लेरी पेज

ख. मार्क जुकरबर्ग

ग. टीम बर्नल सी

घ. सुन्दर पिचई

19. राष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है ?

क. 15 मई

ख. 30 मई

ग. 23 मई

घ. 02 मई

20. संचार शब्द की उत्पत्ति किस धातु से हुई?

क. चर

ख. चार

ग. संच

घ. साचा

21. संचार का अर्थ है-

क. समाचार देना

ख. चलना

ग. गणना करना

घ. समझना

22. प्राप्त संदेश का कूट वाचन कौन करता है?

क. संदेश वाहक

ख. प्राप्तकर्ता

ग. संदेश प्रसारक

घ. इनमें से कोई नहीं

23. जनसंचार का अंग्रेजी रूपांतरण है?

क. Mas communication

ख. Public communication

ग. Personal communication

घ. People communication

24. कक्षा समूह में आपसी विचार-विमर्श संचार के किस प्रकार का उदाहरण है?

क. अतः वैयक्तिक संचार

ख. जनसंचार

ग. समूह संचार

घ. अंतर वैयक्तिक संचार

25. संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया को क्या कहते हैं?

क. फीडबैक

ख. फीड

ग. फीडलैट

घ. एडिट फॉरवर्ड

26. प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझने की कोशिश है-

क. डिकोडिंग

ख. इनकोडिंग

ग. एम कोडिंग

घ. रिकोर्डिंग

27. फीडबैक के अनुसार संदेश में सुधार कौन करता है?

क. प्रसारक

ख. संचारक

ग. विचारक

घ. प्रचारक

28. संचारक की प्रक्रिया को किससे बाधा पहुंचती है?

क. भीड़ से

ख. शोर से

ग. महंगाई से

घ. लड़ाई झगड़े से

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. संचार माध्यम किसे कहते हैं

उत्तर- सूचनाओं, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिये सफलतापूर्वक एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए जिन साधनों का प्रयोग होता है, उन्हें संचार माध्यम कहते हैं।

2. जनसंचार माध्यमों में द्वारपाल किसे कहा जाता है?

उत्तर- जनसंचार माध्यमों में दवारपाल वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह होता है जो इनमें प्रकाशित या प्रसारित होनेवाली सामग्री को नियंत्रित और निर्धारित करता है।

3. संचार के प्रकार बताइए।

उत्तर- संचार के अनेक प्रकार हैं-सांकेतिक संचार, मौखिक संचार, अमौखिक संचार, अंतः वैयक्तिक संचार, अंतरवैयक्तिक संचार, समूह संचार व जनसंचार।

4. जनसंचार माध्यम के कौन-कौन से रूप वर्तमान में प्रचलित हैं?

उत्तर- जनसंचार माध्यम के जो रूप वर्तमान में प्रचलित हैं; वे हैं समाचारपत्र/पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और इंटरनेट। इनके माध्यम से पहुँचने वाली सामग्री राष्ट्र-निर्माण में सहायक है।

5. जनसंचार में 'प्रिंट मीडिया' का क्या महत्व है?

उत्तर- जनसंचार की सबसे मजबूत कड़ी प्रिंट मीडिया है। यह माध्यम वाणी को शब्दों के रूप में रिकॉर्ड करता है जो स्थायी होते हैं।

6. रेडियो का आविष्कार कब हुआ?

उत्तर- रेडियो का आविष्कार 1895 में, इटली के इंजीनियर जी० मार्कोनी द्वारा किया गया।

7. विश्व का पहला रेडियो स्टेशन कब व कहाँ खुला?

उत्तर- 1892 में अमेरिकी शहर पिट्सबर्ग, न्यूयॉर्क व शिकागो में विश्व के शुरुआती रेडियो स्टेशन खुले।

8. भारत में पहला छापाखाना कब, कहाँ और किसने खोला?

उत्तर- भारत में पहला छापाखाना 1556 ई० में पुर्तगालियों ने गोवा में धर्म-प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए खोला।

9. प्रिंट मीडिया के प्रमुख माध्यम कौन-से हैं?

उत्तर- अखबार, पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि प्रिंट मीडिया के प्रमुख माध्यम है।

10. इंटरनेट पत्रकारिता' से क्या आशय है? इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई?

इंटरनेट पर अखबारों का प्रकाशन या खबरों का आदान-प्रदान ही इंटरनेट पत्रकारिता है। इसे ऑनलाइन पत्रकारिता, साइट पत्रकारिता या वेब पत्रकारिता भी कहते हैं। इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत सन् 1983 से हुई।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. संचार से क्या समझते हैं ?

उत्तर- 'संचार' शब्द की उत्पत्ति 'चर' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है-चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना। संचार से हमारा तात्पर्य दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं, विचारों और भावनाओं को आदान-प्रदान है। मशहूर संचारशास्त्री विल्बर त्रैम के अनुसार 'संचार अनुभवों की साझेदारी है। इस प्रकार सूचनाओं, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिए सफलतापूर्वक एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना ही संचार है और इस प्रक्रिया को अंजाम देने में मदद करने वाले तरीके जनसंचार माध्यम कहलाते हैं।

2. 'जनसंचार' किसे कहते हैं? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- जब किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के जरिए समाज के विशाल वर्ग से संवाद करने की कोशिश की जाती है तो उसे 'जनसंचार' कहते हैं। इसमें संदेश को अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए यांत्रिक माध्यमों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए प्रत्यक्ष कक्षा में पढ़ाना जन-संचार नहीं है, किंतु दूरदर्शन पर पढ़ाया गया पाठ्यक्रम जनसंचार कहलाएगा। इसी प्रकार समाचार-पत्र, पत्रिका, रेडियो, फिल्म, दूरदर्शन, इंटरनेट आदि जन-संचार के माध्यम है। जनसंचार की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

(i) जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।

(ii) इसमें संचारक और प्राप्तकर्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता।

(iii) इस माध्यम में अनेक द्वारपाल होते हैं जो इन माध्यमों से प्रकाशित / प्रसारित होनेवाली सामग्री को नियंत्रित तथा निर्धारित करते हैं।

3. दुनिया एक गाँव के रूप में बदल गई है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- संचार और जनसंचार के विभिन्न माध्यमों टेलीफोन, इंटरनेट, फैक्स, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा आदि के जरिए मनुष्य संदेशों के आदान-प्रदान में एक-दूसरे के बीच की दूरी और समय को लगातार कम-से-कम करने की कोशिश कर रहा है। यही कारण है कि आज संचार माध्यमों के विकास के साथ न सिर्फ भौगोलिक दूरियाँ कम हो रही हैं बल्कि सांस्कृतिक और मानसिक रूप से भी हम एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। शायद यही कारण है कि कुछ लोग मानते हैं कि आज दुनिया एक गाँव में बदल गई है।

4. कूटवाचन या डीकोडिंग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- इसका अर्थ है प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझने की कोशिश। यह एनकोडिंग या कुटीकरण से उलटी प्रक्रिया है। इसमें संदेश प्राप्तकर्ता प्राप्त चिह्नों व संकेतों के अर्थ निकालता है। अर्थात् इसके माध्यम से संदेश का प्राप्तकर्ता कूट-चिह्नों में बंधे संदेश समझता है। इसके लिए आवश्यक है कि प्राप्तकर्ता भी कोड का वही अर्थ समझता हो जो कि संचारक समझता है।

5. कूटीकृत या एनकोडिंग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- कूटीकृत या एनकोडिंग संचार-प्रक्रिया का दूसरा चरण है। भाषा एक तरह का कूट चिह्न या कोड है जिसमें संदेश को कूटीकृत किया जाता है। संदेश पाने वाले को उस भाषा से परिचित होना चाहिए, जिसमें संदेश भेजा जा रहा है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि संदेश को भेजने के लिए शब्दों, संकेतों या ध्वनि-चित्रों का उपयोग किया जाता है। भाषा भी एक प्रकार का कूट- चिह्न या कोड है। अतः प्राप्तकर्ता को समझाने योग्य कूटों में संदेश को बाँधना कुटीकरण या एनकोडिंग कहलाती है। सफल कुटीकरण उसे कहेंगे जिसमें संप्रेषण बिल्कुल स्पष्ट हो। संचारक जो कहना चाहता हो, प्राप्तकर्ता संदेश को उसी रूप में ग्रहण करे।

6. फीडबैंक या संदेश प्रतिक्रिया किसे कहते हैं उसका महत्त्व स्पष्ट कीजिए किसे कहते हैं?

उत्तर- संचार प्रक्रिया में संदेश प्राप्तकर्ता द्वारा दर्शायी गई प्रतिक्रिया को 'फीडबैक' कहते हैं। अर्थात कूटीकृत संदेश के पहुँचने पर प्राप्तकर्ता अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करता है। जौ सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। इसी से पता चलता है कि संचारक का संदेश प्राप्तकर्ता तक पहुँच गया है और ठीक-ठीक पहुँच गया है।

7. जनसंचार माध्यमों में द्वारपाल किसे कहा जाता है? जनसंचार माध्यमों में द्वारपालों की भूमिका क्या है?

उत्तर- जनसंचार माध्यर्मो में दवारपाल वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह होता है जो इनमें प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित और निर्धारित करता है।

जनसंचार माध्यमों में द्वारपालों की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि सार्वजनिक हित, पत्रकारिता के सिद्धांतों, मूल्यों और आचार संहिता के अनुसार सामग्री को संपादित करें तथा उसके बाद ही उनके प्रसारण या प्रकाशन की इजाजत दें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. जनसंचार की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- जनसंचार तकनीकी माध्यमों के कारण अन्य प्रकार के संचारों से भिन्न और विशिष्ट होता है। इसकी कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. सार्वजनिकता- जन-संचार की प्रकृति सार्वजनिक होती है। इसमें संचारक और प्राप्तकर्ता के मध्य किसी प्रकार का प्रत्यक्ष या सीधा संबंध नहीं होता। एक ही कार्यक्रम एक ही समय में देश-विदेश के अनेक नगरों में अनेक वर्गों के लोग देखते हैं। इन कार्यक्रमों में सभी की रुचि सार्वजनिक महत्त्व के कारण होती है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि अंतरवैयक्तिक या समूह संचार की तुलना में जनसंचार के संदेश सबके लिए होते हैं।

2. सर्वव्यापकता- जन-संचार माध्यमों के व्याप की संभावना करोड़ों-अरबों तक हो सकती है। क्रिकेट का खेल हो, विशेष राजनीतिक-सामाजिक अवसर हों, इनका दर्शन करोड़ों लोग एक-साथ करते हैं।

3. औपचारिक संगठन- जन-संचार के सभी माध्यम किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं, अपितु एक औपचारिक संगठन दद्वारा चलाए जाते हैं। जैसे- समाचार-पत्र विभिन्न प्रकाशन समूहों द्वारा चलाए जाते हैं। हिंदुस्तान समूह, जागरण समूह ऐसे ही प्रकाशन-समूह हैं। रेडियो, दूरदर्शन आदि भी ऐसे ही संगठनों द्वारा संचालित होते हैं।

4. द्वारपालों का नियंत्रण- किसी भी जन-संचार माध्यम में अनेक द‌द्वारपाल (गेटकीपर) होते हैं। ये दद्वारपाल प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री का निर्धारण तथा नियंत्रण करते हैं। समाचार-पत्रों के संपादक, सहायक समाचार- संपादक, सहायक संपादक, उप संपादक आदि ही तय करते हैं कि पत्र में कौन-सी सामग्री छपेगी। जनसंचार माध्यमों में द्वारपाल की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। यह उनकी ही ज़िम्मेदारी है कि वे सार्वजनिक हित, पत्रकारिता के सिद्धांतों, मूल्यों और आचार संहिता के अनुसार सामग्री को संपादित करें और उसके बाद ही उनके प्रसारण या प्रशासन की इजाज़त दें।

5. प्रतिक्रिया (फीडबैंक) का अभाव- जन-संचार के माध्यमों से प्रकाशित या प्रसारित सामग्री की प्रतिक्रिया (फीडबैक) तुरंत नहीं मिलती। प्रायः विविध प्रकार के सर्वेक्षणों या श्रोताओं अथवा दर्शकों के पत्रों के माध्यम से ही इनकी लोकप्रियता या अरोचकता का ज्ञान होता है।

2. जनसंचार के प्रमुख कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर- जनसंचार के माध्यम अनेक प्रकार के कार्य संपन्न करते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

1. सूचना देना- जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है। हमें उनके जरिए ही दुनियाभर से सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। हमारी जरूरतों का बड़ा हिस्सा जनसंचार माध्यमों के ज़रिए ही पूरा होता है।

2. शिक्षित करना- जनसंचार माध्यम सूचनाओं के ज़रिये हमें जागरुक बनाते हैं। लोकतंत्र में जनसंचार माध्यमों की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका जनता को शिक्षित करने की है। यहाँ शिक्षित करने से आशय है उन्हें देश-दुनिया के हाल से परिचित कराना और उसके प्रति सजग बनाना।

3. मनोरंजन करना- जनसंचार माध्यम मनोरंजन के भी प्रमुख साधन हैं। सिनेमा, टी०वी०, रेडियो, संगीत के टेप, वीडियो और किताबें आदि मनोरंजन के प्रमुख माध्यम हैं।

4. एजेंडा तय करना- जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के जरिये किसी देश और समाज का एजेंडा भी तय करते हैं। जब समाचार- पत्र और समाचार चैनल किसी खास घटना या मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं या उन्हें व्यापक कँवरेज देते हैं, तो वे घटनाएँ या मुद्दे आम लोगों में चर्चा के विषय बन जाते हैं। किसी घटना या मुद्दे को चर्चा का विषय बनाकर जनसंचार माध्यम सरकार और समाज को उस पर अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए बाध्य कर देते हैं।

5. निगरानी करना- किसी लोकतांत्रिक समाज में जनसंचार माध्यमों का एक और प्रमुख कार्य सरकार और संस्थाओं के कामकाज पर निगरानी रखना भी है। अगर सरकार कोई गलत कदम उठाती है या किसी संगठन/संस्था में कोई अनियमितता बरती जा रही है, तो उसे लोगों के सामने लाने की जिम्मेदारी जनसंचार माध्यमों पर है।

6. विचार-विमर्श के मंच- जनसंचार माध्यमों का एक कार्य यह भी है कि वे लोकतंत्र में विभिन्न विचारों को अभिव्यक्ति का मंच उपलब्ध कराते हैं। इसके ज़रिये विभिन्न विचार लोगों के सामने पहुँचते हैं। जैसे किसी समाचार-पत्र के 'संपादकीय' पृष्ठ पर किसी घटना या मुद्दे पर विभिन्न विचार रखनेवाले लेखक अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसी तरह 'संपादक के नाम चिट्ठी' स्तंभ में आम लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है। इस तरह जनसंचार माध्यम विचार-विमर्श के मंच के रूप में भी काम करते हैं।

3. संचार के तत्त्वों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।

उत्तर- संचार एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में कई तत्त्व शामिल हैं। इनमें से प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-

1. स्त्रोत या संचारक- संचार प्रक्रिया की शुरुआत 'स्रोत' या 'संचारक' से होती है। जब स्रोत या सचारक एक उद्देश्य के साथ अपने किसी विचार, संदेश या भावना को किसी और तक पहुँचाना चाहता है, तो संचार प्रक्रिया की शुरुआत होती है। जैसे हमें किताब की जरूरत होने पर जैसे ही हम किताब माँगने की सोचते हैं, संचार की प्रक्रिया शुरु हो जाती है। किताब माँगने के लिए हम अपने मित्र से बातचीत करेंगे या उसे लिखकर संदेश भेजेंगे। बातचीत या संदेश भेजने के लिए हम भाषा का सहारा लेते हैं।

2. कूटीकृत या एनकोडिंग- यह संचार की प्रक्रिया का दूसरा चरण है। सफल संचार के लिए जरूरी है कि आपका मित्र भी उस भाषा यानी कोड से परिचित हो जिसमें आप अपना संदेश भेज रहे हैं। इसके साथ ही संचारक का एनकोडिंग की प्रक्रिया पर भी पूरा अधिकार होना चाहिए। इसका अर्थ यह हुआ कि सफल संचार के संचारक का भाषा पर पूरा अधिकार होना चाहिए। साथ ही उसे अपने संदेश के मुताबिक बोलना या लिखना भी आना चाहिए।

3. संदेश- संचार प्रक्रिया में संदेश का बहुत अधिक महत्त्व है। किसी भी संचारक का सबसे प्रमुख उद्देश्य अपने संदेश को उसी अर्थ के साथ प्राप्तकर्ता तक पहुँचाना है। इसलिए सफल संचार के लिए जरुरी है कि संचारकअपने संदेश को लेकर खुद पूरी तरह से स्पष्ट हो। संदेश जितना ही स्पष्ट और सीधा होगा, संदेश के प्राप्तकर्ता को उसे समझना उतना ही आसान होगा।

4. माध्यम (चैनल)- संदेश को किसी माध्यम (चैनल) के ज़रिए प्राप्तकर्ता तक पहुँचाना होता है। जैसे हमारे बोले हुए शब्द ध्वनि तरंगों के जरिए प्राप्तकर्ता तक पहुँचते है, जबकि दृश्य संदेश प्रकाश तरंगों के जैरिए। इसी तरह वायु तरंगों के जरिए भी संदेश पहुँचते हैं। जैसे खानै की खुशबू हम तक वायु तरंगों के जरिए पहुँचती है। स्पर्श या छूना भी एक तरह का माध्यम है। इसी तरह टेलीफ़ोन, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और फ़िल्म आदि विभिन्न माध्यमों के जरिए भी संदेश प्राप्तकर्ता तक पहुँचाया जाता है।

5. प्राप्तकर्ता या रिसीवर- यह प्राप्त संदेश का कूटवाचन यानी उसकी डीकोडिंग करता है। डीकोडिंग का अर्थ है प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझने की कोशिश। यह एक तरह से एनकोडिंग की उलटी प्रक्रिया है। इसमें संदेश का प्राप्तकर्ता उन चिह्नों और संकेतों के अर्थ निकालता है। ज़ाहिर है कि संचारक और प्राप्तकर्ता दोनों का उस कोड से परिचित होना ज़रूरी है।

6. फीडबैक - संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता की इस प्रतिक्रिया को फ़ीडबैक कहते हैं। संचार-प्रक्रिया की सफलता में फ़ीडबैक की अहम भूमिका होती है। फ़ीडबैक से ही पता चलता है कि संचार प्रक्रिया में कहीं कोई बाधा तो नहीं आ रही है। इसके अलावा फ़ीडबैक से यह भी पता चलता है कि संचारक ने जिस अर्थ के साथ संदेश भेजा था वह उसी अर्थ में प्राप्तकर्ता को मिला है या नहीं? इस फ़ीडबैक के अनुसार ही संचारक अपने संदेश में सुधार करता है और इस तरह संचार की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।

7. शोर - संचार प्रक्रिया में कई बाधाएँ भी आती हैं। इन बाधाओं को शोर (नॉयज़) कहते हैं। संचार की प्रक्रिया को शोर से बाधा पहुँचती है। यह शोर किसी भी किस्म का हो सकता है। यह मानसिक से लेकर तकनीकी और भौतिक शोर तक हो सकता है। शोर के कारण संदेश अपने मूल रूप में प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुँच पाता। सफल संचार के लिए संचार प्रक्रिया से शोर को हटाना या कम करना बहुत ज़रूरी है।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

पाठ सं.

पाठ का नाम

अंतरा भाग -1

गद्य-खंड

1.

ईदगाह

2.

दोपहर का भोजन

3.

टार्च बेचने वाले

4.

गूँगे

5.

ज्योतिबा फुले

6.

खानाबदोश

7.

उसकी माँ

8.

भारतवर्ष की उन्नत कैसे हो सकती है

काव्य-खंड

9.

अरे इन दोहुन राह न पाई, बालम, आवो हमारे गेह रे

10.

खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति

11.

हँसी की चोट, सपना, दरबार

12.

संध्या के बाद

13.

जाग तुझको दूर जाना

14.

बादल को घिरते देखा है

15.

हस्तक्षेप

16.

घर में वापसी

अंतराल भाग 1

1.

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

2.

आवारा मसीहा

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर

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