प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अंतरा भाग -1 काव्य-खंड
पाठ 15. हस्तक्षेप
कवि-परिचय [श्रीकांत वर्मा (सन् 1931-1986)]
श्रीकांत
वर्मा का जन्म छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुआ। इनके पिता राजकिशोर वर्मा वकील थे।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर में हुई। वहीं से उन्होंने बी. ए. तक पढ़ाई की।
उसके बाद नागपुर विश्वविद्यालय से एम. ए. किया। पढ़ाई के कुछ समय बाद तक इन्हें
बेरोज़गारी से संघर्ष करना पड़ा। 1954 में उनकी भेंट गजानन माधव 'मुक्तिबोध' से
हुई। उन्होंने उनकी प्रेरणा से 'नयी दिशा' पत्रिका का संपादन करना शुरू किया।
हिन्दी साहित्य में वे कथाकार, कवि और एक समीक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे
राजनीति में भी सक्रिय रहे। इनकी प्रमुख रचनाएँ भटका मेघ, माया-दर्पण, जलसाघर,
मगध, (झाड़ी, संवाद, घर, अरथी) कहानी संग्रह इत्यादि हैं।
इन्हें
मध्यप्रदेश सरकार ने 'तुलसी पुरस्कार' से सम्मानित किया। इन्हें आचार्य नंददुलारे
वाजपेयी पुस्कार, शिखर सम्मान, तथा 'मगध' नामक कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी
पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इनकी
रचनाओं में समय और समाज की विसंगतियों और विद्रूपताओं के प्रति क्षोभ है। इन्हें
अपने परिवेश और मेहनतकश संघर्षरत मनुष्यों से गहरा लगाव है। वे उनके आत्मगौरव और
सुंदर भविष्य के लिए चिंतित हैं। उनकी रचनाओं में यथार्थ के दर्शन होते हैं। वे
शोषण का विरोध करते हैं।
उनकी
भाषा आम बोलचाल की भाषा है। वे कम शब्दों में अधिक कहने की कला जानते हैं।
व्याकरणिक नियमों को वे ज्यादा महत्त्व नहीं देते, कहीं-कहीं अपनी बात को मज़बूती
से प्रस्तुत करने में तुकबंदी का सहारा लेने में भी पीछे नहीं हटते। बिंब विधान
उनकी भाषा को प्रौढ़ और सुरम्य बनाती है।
पाठ परिचय
इस
कविता में कवि ने मगध की सत्ता की निरंकुशता, क्रूरता और मनमानेपन से उपजी जनता की
पीड़ा का वर्णन किया है। उस आतंकपूर्ण सत्ता से लोग भयभीत आतंकित, स्तब्ध और चुप
हैं। डर के मारे कोई कुछ नहीं बोलता। कवि अप्रत्यक्ष रूप से मगध की स्वेच्छाचारिता
पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि मगध के लोग सोचते हैं कि मगध की शांति किसी भी
सूरत में भंग नहीं होनी चाहिए। इसलिए डर के मारे कोई छींक भी नहीं पाता है।
निरंकुश शासन व्यवस्था में लोग शासक वर्ग का अत्याचार मूक भाव से सहन करने को
बाध्य हो जाते हैं परन्तु यह बहुत ही खतरनाक और चिंताजनक स्थिति है।
कवि
लोगों को गलत का विरोध करने को प्रेरित करता है। व्यवस्था को जनतांत्रिक बनाने के
लिए हस्तक्षेप अत्यन्त आवश्यक है वरना व्यवस्था निरंकुश हो जाती है। इस कविता में
ऐसे ही तंत्र का वर्णन है जिसमें हस्तक्षेप या विरोध के लिए कोई जग जगह नहीं है।
कवि कहता है कि हस्तक्षेप तो मुर्दा भी यह कहकर करता है कि 'मनुष्य क्यों मरता है।' अर्थात् मुर्दा व्यक्ति भी विरोध
करता है तो मगध की जनता चुप क्यों हैं और इतना उत्पीड़न क्यों सह रही है? लोकतंत्र
को बचाए रखने के लिए हस्तक्षेप ज़रूरी है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
1. मगध के माध्यम से 'हस्तक्षेप' कविता किस
व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है?
उत्तरः- मगध के माध्यम से 'हस्तक्षेप' कविता शासनतंत्र के
निरंकुश और स्वेच्छाचारी व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है। इस व्यवस्था में कोई भी अपनी
बात खुलकर रखने का साहस नहीं कर पाता। लोगों में सत्ता का इतना अधिक भय व्याप्त है
कि वे सारी यंत्रणाओं को चुपचाप सहते जाते हैं, सारा दर्द बिना चीखे पी जाते हैं ताकि
मगध की शांति भंग न हो। तानाशाही सत्ता के कारण उनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई है और
वे मुर्दों से भी गए-बीते हो गए हैं।
2. व्यवस्था
को 'निरंकुश' प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें 'हस्तक्षेप' ज़रूरी है- कविता को
दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।
उत्तरः- व्यवस्था को 'निरंकुश' प्रवृत्ति से बचाए रखने के
लिए उसमें 'हस्तक्षेप' ज़रूरी है, क्योंकि इससे व्यवस्था अपनी जनता के हितों का ख्याल
रखेगी जिस देश की जनता अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहती है, उसके ऊपर
सत्ता अपनी तानाशाही कदापि नहीं चला सकती क्योंकि जनता के विद्रोह करने पर उसका अस्तित्व
खतरे में पड़ जायगा। शासन व्यवस्था के शोषण और निरंकुशता से बचने के लिए जनता का आवाज़
उठाना अत्यन्त आवश्यक है।
3. मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन व्यवस्था
में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?
उत्तरः- मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन व्यवस्था में
हस्तक्षेप करने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि तानाशाही सरकार का भय उनके हृदय में व्याप्त
है। उन्हें डर है कि कहीं आवाज़ उठाने से मगध के शांत वातावरण में खलल न पड़ जाय तथा
उन्हें सरकार के कोप का भाजन न बनना पड़े। निरंकुश सत्ता का विरोध करने पर कहीं उनका
अस्तित्व खतरे में न पड़ जाय।
4. 'मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं के
आधार पर मगध की स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:- 'मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं" के माध्यम
से कवि वहाँ के दहशत भरे माहौल के विषय में बताता है। वह कहता है कि स्वेच्छाचारी और
निरंकुश शासन के दबाव में आम आदमी की मूल स्वतंत्रता नहीं रहीं। प्रजा अपनी बात राजा
के समक्ष रखने का साहस नहीं कर पाती। उनकी आवाज़ को दबा दिया जाता है। लेकिन अत्याचार
सहते-सहते लोग तंग आ चुके हैं, अब दबी जुबान से लोग बोलने भी लगे हैं जिसकी भारी कीमत
भौ उन्हें चुकानी पड़ती है। ऐसी यंत्रणा भरी स्थिति में मगध में रहना उपर्युक्त नहीं
है। इसलिए कवि ने कहा है कि 'मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं।'
5. मुर्दे
का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है? प्रश्न की सार्थकता को कविता के सन्दर्भ में
स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- कवि ने मुर्दे के हस्तक्षेप के माध्यम से मगध की
जनता की तुलना करते हुए बताया है कि क्या शासन के भय से ऑम आदमी मुँह नहीं खोल सकता।
'मुर्दा' सामान्य जनता का प्रतीक है। अत्याचार सहते-सहते जब आम आदमी त्रस्त हो जाता
है तो मुर्दा की भाँति वह एक दिन निर्भय होकर प्रश्न कर बैठता है क्योंकि अब उसे खोने
का भय नहीं है। साथ ही उसकी स्थिति मुर्दे जैसी हो जाती है। मुर्दे को किसी का भय नहीं
होता। किसी भी शासन में अगर रोक-टोक न हो तो वह निरंकुश बन जाता है। यदि लोकतंत्र को
बचाना है तो हस्तक्षेप अत्यन्त आवश्यक है।
6. 'मगध को बनाए रखना है तो मगध में शांति
रहनी ही चाहिए- भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- 'मगध को बनाए रखना है तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए'। ऐसा
कहकर मगध की सत्ता जनता को डराती है। शांति किसी व्यक्ति या समाज की आवाज़ को दबाकर
हासिल नहीं की जा सकती है। अगर शासक प्रजा का हित सोचने वाला हो, देश के कल्याण को
सर्वोपरि मानने वाला हो, तो वैसे देश में सत्य ही शांति का साम्राज्य होगा। परंतु मगध
में तो विपरीत धारा बह रही है, वहाँ विरोध के स्वर को दबाकर शांति और व्यवस्था की बात
की जा रही है, उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। उन्हें बलपूर्वक चुप रहने को विवश
किया जा रहा है। उनके मन में यह भाव भरा जा रहा है कि किसी भी कीमत पर मगध में शांति
रहनी ही चाहिए। यह देश की जनता के साथ बड़ा विश्वासघात है।
7. 'हस्तक्षेप' कविता सत्ता की क्रूरता और
उसके कारण पैदा होनेवाले प्रतिरोध की कविता है- स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- 'हस्तक्षेप' कविता सत्ता की क्रूरता और उसके कारण
पैदा होनेवाले प्रतिरोध की कविता है। कहते हैं अन्याय करने वाले से ज्यादा बड़ा अपराधी
अन्याय सहने वाला होता है। मगध एक ऐसे राष्ट्र का प्रतीक है, जहाँ सता निरंकुश, स्वेच्छाचारी
और तानाशाह है। वहाँ की जनता में इसके प्रति विरोध करने का साहस नहीं बचा है। लोग दहशत
में जीवन गुज़ार रहे हैं। कोई अपनी बात को चीख चिल्लाकर कह नहीं सकता क्योंकि इससे
वहाँ की शांति व्यवस्था भंग हो जायगी। आम आदमी इतना अधिक शोषित और भयभीत है कि वह व्यवस्था
के प्रति कुछ बोल नहीं पाता जबकि लोकतंत्रात्मक व्यवस्था के लिए, आम आदमी का हस्तक्षेप
अत्यन्त आवश्यक है। इसलिए निरंकुश व्यवस्था के प्रति एक मुर्दा आक्रोश व्यक्त करता
करता है। है। इससे यह दर्शनि का प्रयत्न किया गया कि मुर्दा भी प्रश्न कर सकता है तो
आम जीवित आदमी क्यों नहीं ?
8. निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट
कीजिए-
(क) कोई छींकता तक नहीं
उत्तरः- कोई छींकता तक नहीं' के माध्यम से शासन व्यवस्था
पर व्यंग्य करते हुए उसकी निरंकुशता को दिखाया गया है। जनता विरोधी शासन व्यवस्था में
इतना आतंक व्याप्त है कि किसी को छींकने तक का अधिकार नहीं है। आम जनता की पीड़ा इतनी
अधिक है कि उसे मौन होकर सबकुछ सहना है परन्तु विरोध नहीं करना है।
(ख) कोई चीखता तक नहीं
उत्तरः- इस पंक्ति के माध्यम से जनता पर व्यंग्य किया गया
है। शासन के भय से जनता इतनी भयाक्रांत है कि अत्याचार के विरुद्ध उसके मुँह से कोई
आवाज़ ही नहीं निकलती। मगध के लोगों को निरंकुश शासक के अत्याचारों को सहन करने की
आदत पड़ गई है।
(ग) कोई टोकता तक नहीं
उत्तरः- इस पंक्ति के माध्यम से बताया गया है कि अत्याचारी
शासन व्यवस्था इतनी क्रूर है कि लोगों को अन्याय अत्याचार सहने को विवश होना पड़ रहा
है। उन्हें पूछने या टोकने तक का अधिकार नहीं है। वहाँ की ऐसी कठोर व्यवस्था है कि
जनता शासन के सही गलत कार्यों पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
9. निम्नलिखित पद्द्यांशों की संदर्भ सहित
व्याख्या कीजिए
(क) मगध को बनाए रखना है, तो...... मगध है
तो शांति है
उत्तरः सन्दर्भ- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक
'अंतरा' भाग-1 में संकलित कविता 'हस्तक्षेप से अवतरित है। इसके कवि श्रीकांत वर्मा
हैं।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मगध की निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी शासन के आतंक
को दर्शाया है।
व्याख्या- कवि कहता है कि मगध साम्राज्य के आतंक का विरोध करना किसी भी प्रकार संभव
नहीं है। अपनी निरंकुशता के लिए कुख्यात रहा है। उसके शासनकाल में किसी को भौ अत्याचार
का re विरोध करने का साहस नहीं था। व्यवस्था भंग नहीं हो, इसलिए विरोधी गतिविधियों
को निर्ममतापूर्वक कुचल दिया जाता था। शासक वर्ग जनता पर जुल्म ढाते थे एवं जनता उनके
डर से चुपचाप सब सहन करती थी। शासक का दावा था कि साम्राज्य में शांति बनाए रखना हमारा
कर्तव्य है और किसी के हस्तक्षेप करने से यह भंग हो सकती है, जिससे मगध सामाज्य नष्ट
हो सकता है।
विशेष
(1) यहाँ तानाशाही शासन-प्रणाली को प्रबलता से दिखाया गया
है।
(ii) निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है।
(iii) सत्ता वर्ग द्वारा आम जनता की आवाज़ को दबाने का भाव
है।
(iv) भाषा व्यंग्यात्मक है एवं खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति
है।
(v) छंद मुक्त और अतुकांत रचना है।
(vi) प्रसाद गुण है।
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए………. क्या कहेंगे लोग?
उत्तरः- सन्दर्भ पूर्ववत्
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से प्राचीन मगध के विषय में लोगों की धारणा
की बात की गई है।
व्याख्या- कवि कहता है कि निरंकुश और अत्याचारी शासक के विरुद्ध कुछ भी बोलना शांति
भंग करने के अपराध में गिना जायगा। विरोध का अर्थ है मगध की तथाकथित सुव्यवस्था को
बिगाड़ने का दोषी समझा जाना, इसलिए कोई भी इस दुराचारी शासन के विरुद्ध जाने का अपराध
न करे। यह सभी का दायित्व है कि राज्य की प्राचीन सुव्यवस्था हर स्थिति में बरकरार
होनी चाहिए। क्योंकि यह एक आदर्श साम्राज्य है। अगर इस साम्राज्य में शांति नहीं होगी
तो फिर कहाँ होगी?
विशेष
(i) निरंकुश शासन व्यवस्था से भयाक्रांत पीड़ित जनता के बावजूद
शांति व्यवस्था को बनाए रखने का वर्णन है।
(ii) शांति भंग होने के भय को दिखाकर जनता को चुप रहने को
विवश किया गया है।
(iii) जनता के मौलिक अधिकारों का हनन तथा निरंकुश शासक का
प्रभावशाली चित्रण है।
(iv) भाषा सरल, सहज, खड़ी बोली है।
(v) छंदमुक्त और अतुकांत रचना है।
(vi) प्रश्नात्मक शैली है।
(vii) 'क्या कहेंगे' एवं 'कहने को' में अनुप्रास अलंकार है।
(vii) प्रसाद गुण है।
(ग) जब कोई नहीं करता …… मनुष्य क्यों मरता है?
उत्तरः- संदर्भ पूर्ववत
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में प्रजातंत्र के अस्तित्व के लिए 'हस्तक्षेप' को आवश्यक
माना है। हस्तक्षेप के बिना प्रजातंत्र खतरे में पड़ जायगा ।
व्याख्या- कवि भयाक्रांत जनता से कहता है कि तुम इतने डरे सहमे क्यों हो? प्रजातंत्र
के लिए हस्तक्षेप अत्यन्त आवश्यक है नहीं तो यह समाप्त हो जायेगा। कभी न कभी कोई न
कोई, अवश्य आवाज़ उठायेगा। जब तुम जीवित लोगों ने अपना साहस खो दिया तो नगर के बीच
से गुजरता हुआ मुर्दा भी यह प्रश्न उठाएगा कि मनुष्य मरता क्यों है, अर्थात् कोई दबा
कुचला अनाम व्यक्ति अवश्य खड़ा हो जायेगा और समस्त जनता उसका अनुसरण करने लगेगी।
विशेष
(i) शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाना अत्यन्त आवश्यक माना गया
है।
(ii) लोकतंत्र की रक्षा के लिए आलोचना एवं हस्तक्षेप अत्यन्त
जरूरी है।
(iii) कवि को विश्वास है कि निरंकुश शासन का विरोध अवश्य
होगा।
(iv) भाषा व्यंग्यात्मक एवं खड़ी बोली है।
(v) छंदमुक्त और अतुकांत रचना है।
(vi) मुर्दा, टोकना लाक्षणिक प्रयोग है।
(vii) प्रसाद गुण है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'हस्तक्षेप' कविता के रचयिता हैं
(क) रामनरेश त्रिपाठी
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) नागार्जुन
(घ) श्रीकांत वर्मा
2. मगध
का शासक है-
(क) कुशल
(ख) निरंकुश
(ग) आक्रमणकारी
(घ) इनमें से कोई नहीं
3. मगध की व्यवस्था भंग होने का डर है-
(क) चीखने पर
(ख) हँसने पर
(ग) नाचने पर
(घ) गाने पर
4. मगध में कौन हस्तक्षेप करता है?
(क) पशु
(ख) पक्षी
(ग) मुर्दा
(घ) इनमें से कोई नहीं
5. मगध कैसी शासन व्यवस्था के रूप में जाना
जाता है ?
(क) निरंकुश
(ख) कर्तव्यनिष्ठ
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
6. 'हस्तक्षेप'
कविता की शैली है.
(क) वर्णनात्मक शैली
(ख) विवेचनात्मक शैली
(ग) व्यंग्यात्मक शैली
(घ) इनमें से कोई नहीं
7. व्यवस्था
को निरंकुश प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए क्या ज़रूरी है?
(क) जनता की भागीदारी
(ख) मिल-जुलकर विरोध
(ग) हस्तक्षेप
(घ) सबकी एक राय
8. मगध में जीवित व्यक्ति के बदले एक मुर्दा
हस्तक्षेप क्यों करता है?
(क) मुर्दा बहादुर है
(ख) मुर्दे के पास खोने के लिए कुछ नहीं
(ग) उसको किसी का डर नहीं
(घ) 'ख' और 'ग' दोनों
9. निरंकुश
शासन व्यवस्था में किसी विषय पर नागरिकों की टिप्पणी क्या मानी जाती है?
(क) सुझाव
(ख) दखलंदाजी
(ग) विद्रोह
(घ) स्वामीभक्ति
10. मगध
में शांति किस प्रकार रह सकती है ?
(क) कोई किसी विषय पर प्रतिक्रिया न दे
(ख) राजा की आज्ञा का पालन
(ग) चुपचाप रहने की आदत रखे
(घ) उपर्युक्त सभी
11. 'हस्तक्षेप' कविता में मगध किसका प्रतीक
है?
(क) अशोक का
(ख) धार्मिक स्थल का
(ग) निरंकुश सत्ता का
(घ) शांति का
12. श्रीकांत
वर्मा का जन्म कब हुआ था?
(क) सन् 1910 में
(ख) सन् 1920 में
(ग) सन् 1931 में
(घ) सन् 1940 में
13. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना श्रीकांत वर्मा की नहीं है
(क)
जलसाधर
(ख)
अपोलो का रथ
(ग)
मगध
(घ) संसद से सड़क तक
14. मगध निवासी किसी भी प्रकार की शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने
से क्यों कतराते हैं?
(क)
हस्तक्षेप करना साहस का काम है
(ख)
हस्तक्षेप करना उनकी आदत नहीं है
(ग)
हस्तक्षेप करने वालों को यहाँ राजद्रोही समझा जाता है
(घ) (क) और (ग) दोनों
15. किस शासन व्यवस्था में किसी को बोलने का अधिकार नहीं दिया जाता?
(क)
लोकतांत्रिक व्यवस्था में
(ख) निरंकुश शासन व्यवस्था में
(ग)
जनतांत्रिक व्यवस्था में
(घ)
दोहरी शासन व्यवस्था में
16. हम आवाज़ नहीं उठायेंगे तो क्या होगा?
(क)
निरंकुशता कम हो जायेगी
(ख) निरंकुशता बढ़ जायेगी
(ग)
कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
(घ)
इनमें से कोई नहीं
17. मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं, ऐसा क्यों कहा गया है?
(क)
शासनव्यवस्था के निरंकुशता के कारण
(ख)
शासन व्यवस्था के तानाशाही के कारण
(ग)
शासन व्यवस्था के स्वेच्छाचारिता के कारण
(घ) उपर्युक्त सभी
18. कवि के अनुसार मगध को बनाए रखने के लिए क्या होना चाहिए ?
(क) शांति
(ख)
अशांति
(ग)
उपद्रव
(घ)
मतदान
19. कवि के अनुसार मगध में लोग क्यों छींकते तक नहीं हैं?
(क)
मगध में शांति होने के डर से
(ख) मगध में शांति भंग होने के डर से
(ग)
युद्ध के डर से
(घ)
अधिक संक्रमण एवं बीमारी फैलने के डर से
20. प्रस्तुत कविता में कौन सी विशेषता है?
(क)
खड़ी बोली हिन्दी
(ख)
मुक्त छंद
(ग)
व्यंग्यात्मक शैली
(घ) उपर्युक्त सभी
21. 'हस्तक्षेप' कविता का मूल प्रतिपाद्य क्या है?
(क)
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करना
(ख)
सत्ता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होने वाले प्रतिरोध को प्रकट करना
(ग)
सत्ता को निरंकुश होने से रोकने के लिए जनता में जागरुकता पैदा करना।
(घ) उपर्युक्त सभी
22. मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं, लोग ऐसा क्यों कहते हैं?
(क)
क्योंकि वहाँ अब निरंकुश सत्ता के कारण लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है
(ख)
वहाँ अब नैतिकता नहीं बची ह
(ग)
वहाँ लोगों को बोलने तक की आज़ादी नहीं है
(घ) उपर्युक्त सभी
23. हस्तक्षेप कविता के माध्यम से कवि ने मुख्य रूप से किस मौलिक अधिकार
की बात की है?
(क)
संपत्ति का अधिकार
(ख)
युद्ध का अधिकार
(ग) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
(घ)
शिक्षा का अधिकार
24. प्रस्तुत कविता में हस्तक्षेप से क्या आशय है?
(क)
सत्ता की गलत नीतियों का विरोध करना
(ख)
अन्याय के खिलाफ बोलना
(ग)
सत्ता से सवाल करना
(घ) उपर्युक्त सभी
25. मुर्दा किस प्रश्न के माध्यम से हस्तक्षेप करता है?
(क) मनुष्य क्यों मरता है?
(ख)
मनुष्य क्यों जीता है ?
(ग)
मनुष्य क्यों निरंकुश होता है?
(घ)
उपर्युक्त सभी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. 'हस्तक्षेप' कविता में कवि ने शासन के किस रूप को दिखाया है ?
उत्तरः-
हस्तक्षेप कविता में कवि ने शासन के क्रूर रूप को दिखाया है ?
2. मगध निवासी शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?
उत्तरः-
मगध निवासी शासन की क्रूरता से अत्यंत भयभीत हैं। इसलिए वे हस्तक्षेप करने से कतराते
हैं।
3. मगध में हस्तक्षेप का क्या परिणाम हो सकता है?
उत्तरः-
मगध में हस्तक्षेप करने से नागरिकों को दण्डित किए जाने, उन्हें मूल अधिकारों से वंचित
किए जाने एवं जीवन और जीविका से हाथ धोने की सजा मिल सकती है।
4. निरंकुश मगध साम्राज्य का विनाश किस प्रकार संभव है?
उत्तर:-
निरंकुश मगध साम्राज्य का विनाश तभी संभव है, जब मगध-वासी निर्भीकतापूर्वक उसकी अनीतियों
और अत्याचारों के विरोध करने का साहस करेंगे।
5. 'हस्तक्षेप' कविता श्रीकांत वर्मा की किस प्रकार की कविता है?
उत्तरः-
'हस्तक्षेप' कविता सता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होने वाले प्रतिरोध की कविता है।
6. 'मगध' पर किसका राज था ?
उत्तरः
'मगध' पर बिम्बिसार का राज था।
7. 'मगध' को आज किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:-
'मगध' को आज बिहार के नाम से जाना जाता है
8. 'हस्तक्षेप' कविता की भाषा कैसी है
उत्तरः-
हस्तक्षेप कविता की भाषा सहज, सरल एवं व्यंग्यपूर्ण है।
9. 'हस्तक्षेप' कविता में टोकना, चीखना, छींकना का क्या आशय है?
उत्तरः-
प्रस्तुत कविता में टोकना, चीखना, छींकना निरंकुश शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप का प्रतीक
है।
10. 'हस्तक्षेप' कविता के आधार पर शासक के दायित्व क्या हैं?
उत्तरः
प्रजा का हित, देश का विकास, राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखना शासक का परम दायित्व
है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. हस्तक्षेप कविता में सभी मनुष्यों के बावजूद मुर्दा ही क्यों हस्तक्षेप
करता है?
उत्तरः-
सभी मनुष्यों के बावजूद मुर्दा ही हस्तक्षेप करता है क्योंकि उसके पास खोने को कुछ
भी नहीं है। वह तो स्वयं मरा हुआ है। उसका कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता, साथ ही वह
इस बात का भी प्रतीक है कि मनुष्यों की स्थिति मुर्दों से भी बदतर है। भयाक्रांत जीवन
से श्रेयस्कर भयमुक्त मुर्दा हो जाना उचित है।
2. मगध में व्यवस्था क्यों और किसलिए रहनी चाहिए?
उत्तरः-
मगध में व्यवस्था इसलिए होनी चाहिए कि मगध का शासन निरंकुश और स्वेच्छाचारी बना रहे
और कोई भी उसके विरोध में आवाज उठाने का साहस न कर सके। विरोध होने से शांति भंग होगी।
यह शांति व्यवस्था बनी रहे इसलिए किसी को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं दिया गया है।
3. छींक, चीख और टोक व्यवस्था बनाए रखने में बाधक कैसे हैं?
उत्तरः
छींक, चीख और टोक व्यवस्था बनाए रखने में बाधक है क्योंकि अगर कोई तानाशाही सरकार के
अत्याचार से त्रस्त होकर निर्भीकता पूर्वक आवाज उठाता है तो उसके पीछे अन्य लोग भी
मुखर हो सकते हैं। विरोध एवं आंदोलन कर सकते हैं। इस कारण व्यवस्था की चूलें हिल सकती
हैं।
4. मुर्दा के हस्तक्षेप करने से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः-
मुर्दा के हस्तक्षेप करने से तात्पर्य है कि एक मुर्दा शक्तिहीन है, उसकी गणना कहीं
भी नहीं है, उससे अधिक कमज़ोर कोई हो ही नहीं सकता, अगर वह विरोध कर सकता है तो मनुष्य
क्यों नहीं। अर्थात् मनुष्य को अवश्य ही शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाना चाहिए। एक स्वस्थ
लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए हस्तक्षेप आवश्यक है।
5. 'मनुष्य क्यों मरता है?' पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए
उत्तरः
अत्याचार सहने वाला व्यक्ति मूर्दा ही है। अपने मान- सम्मान, स्वाभिमान की रक्षा में
असमर्थ व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है। कवि ने व्यंग्य करते हुए लोगों की चेतना को झकझोरने
का प्रयत्न किया है। तानाशाही साम्राज्य का अंत लोगों के प्रयास से अवश्य ही होगा।
ऐसा विश्वास हमें अपने भीतर जगाए रखना चाहिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
1.
कोई छींकता तक नहीं
इस
डर से
कि
मगध की शांति
भंग
न हो जाए
मगध
को बनाए रखना है, तो,
मगध
में शांति
रहनी
ही चाहिए
मगध
है, तो शांति है
संदर्भ-
प्रस्तुत काव्यांश 'हस्तक्षेप' कविता से अवतरित है। इसके रचयिता श्रीकांत वर्मा हैं।
प्रसंग-
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने मगध को निरंकुश सत्ता का प्रतीक बताया है तथा
उसके आतंक को दिखाया है।
व्याख्या-
कवि कहता है कि मगध साम्राज्य में शांति व्यवस्था बनी रहे, इसलिए किसी को छींकने तक
की छूट नहीं है। अत्याचारी और निरंकुश शासन व्यवस्था में किसी भी तरह की आवाज़ को बलपूर्वक
यह कहकर दबा दिया जाता है कि इससे मगध की शांति भंग होगी। मगध की शांति को बनाए रखना
सत्ता का परम दायित्व है, भले ही वह शांति प्रजा को कुचलकर स्थापित हो, इससे सत्ता
को कोई सरोकार नहीं है। जब तक मगध साम्राज्य है, तभी तक शांति है। किसी के भी उचित-अनुचित
हस्तक्षेप से शांति भंग होने की संभावना है इसलिए सताधारी लोग साम्राज्य को बचाए रखने
के लिए प्रजा के विरोध को तुरंत दबा डालते हैं। उन्हें भयाक्रांत रखते हैं
विशेष-
मगध राज्य एक समय अपनी निरंकुशता के लिए कुख्यात रहा है। राजसत्ता अपनी व्यवस्था के
विरुद्ध बोलने वाले को शांति भंग करने वाला मानती हैं।
i.
मगध है तो शांति है। निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है।
ii.
छंदमुक्त और अतुकांत रचना है।
iii.
प्रसाद गुण है।
iv.
भाषा अत्यन्त सरल, सहज है।
v.
'छींकता' लाक्षणिक प्रयोग है।
2.
कोई चीखता तक नहीं
इस
डर से
कि
मगध की व्यवस्था में
दखल
न पड़ जाए
मगध
में व्यवस्था रहनी ही चाहिए
मगध
में न रही
तो
कहाँ रहेगी?
क्या
कहेंगे लोग ?
लोगों
का क्या?
लोग
तो यह भी कहते हैं
मगध
अब कहने को मगध है
रहने
को नहीं
सन्दर्भ-
पूर्ववत्
प्रसंग-
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने यह दिखाने का प्रयत्न किया है कि निरंकुश शासन
में अत्याचार सहते हुए चीखना चिल्लाना भी हस्तक्षेप माना जाता है। अत्याचार को चुपचाप
सहना ही एकमात्र उपाय है, चीखने पर और अधिक सजा मिलने की संभावना है।
व्याख्या-
कवि कहता है कि मगध राज्य में प्रजा के हृदय में इतनी दहशत है कि उन्हें पीड़ा में
भी चीखने को मगध में हस्तक्षेप माना गया है तथा उसके लिए और भी अधिक सजा का प्रावधान
है। इसलिए लोगों में व्यवस्था विरोध का साहस ही नहीं रह गया है। मगध साम्राज्य एक समय
में शांति और सुव्यवस्था के लिए जाना जाता था। उसी को दृष्टिकोण में रखते हुए निरंकुश
शासन आने के बाद भी वहाँ की सत्ता कहती है कि शांति मगध में न रही तो कहाँ रहेगी। सभी
का यह परम दायित्व है कि शांति बनाए रखना है। ऐन-केन -प्रकारेण शांति होनी ही चाहिए,
लेकिन अत्याचारी शासन व्यवस्था से त्रस्त लोगों ने अब कहना शुरू कर दिया कि मगध अब
कहने भर को मगध है, रहने के योग्य बिल्कुल नहीं, क्योंकि अधिकारों से वंचित प्रजा का
जीवन अत्यन्त कष्टकारी है।
विशेष
(i)
निरंकुश शासक अपनी तानाशाही को बनाए रखने के लिए कुतर्क का सहारा ले रहा है।
(ii)
भयाक्रांत जनता के मौलिक अधिकारों के हनन के बाद भी झूठी शांति बनाए रखने का खोखला
दावा सत्ता की तरफ से प्रस्तुत किया गया है।
(iii)
भाषा सरल, सहज व बोधगम्य है।
(iv)
'क्या कहेंगे' 'कहने को' में अनुप्रास अलंकार है।
(v)
खड़ी बोली है।
(vi)
अतुकांत एवं छंदमुक्त रचना है।
(vii)
प्रश्नात्मक शैली है।
(viii)
प्रसाद गुण है।
3.
कोई टोकता तक नहीं
इस
डर से
कि
मगध में
टोकने
का रिवाज न बन जाए
एक
बार शुरु होने पर
कहीं
नहीं रुकता हस्तक्षेप-
वैसे
तो मगधनिवासियों
कितना
भी कतराओ
तुम
बच नहीं सकते हस्तक्षेप से-
जब
कोई नहीं करता
तब
नगर के बीच से गुजरता हुआ
मुर्दा
यह
प्रश्न कर हस्तक्षेप करता है-
मनुष्य
क्यों मरता है?
सन्दर्भ
- पूर्ववत्
प्रसंग-
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने प्रजातंत्र के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए
'हस्तक्षेप' को अत्यन्त आवश्यक माना है।
व्याख्या-
कवि कहता है कि मगध साम्राज्य की निरंकुशता इतनी अधिक है कि भय के कारण जनता व्यवस्था
के अत्याचारों को चुपचाप सहन करती है, वह तनिक भी आवाज़ नहीं उठाती है। व्यवस्था ने
प्रश्न करने या पूछने के अधिकार ही समाप्त कर दिए हैं। व्यवस्था को डर है कि अगर किसी
ने इसकी शुरुआत कर दी तो फिर यहाँ विरोध के स्वर को दबाया नहीं जा सकेगा। लोगों हस्तक्षेप
करने का साहस आ जायेगा। व्यवस्था में के विरुद्ध बोलने की आदत पड़ जायेगी जो धीरे-
धीरे रिवाज में परिवर्तित हो जाएगी। इससे निरंकुश सत्ता का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।
कॅवि मगधवासियों को प्रोत्साहित करते हुए कहता है कि तुम शासन के डर से हस्तक्षेप नहीं
कर रहे हो लेकिन यह बहुत लम्बे समय तक नहीं चल पाएगा। कोई न कोई अवश्य इसका विरोध करेगा।
अगर तुम नहीं करने का साहस रखते हो तो शहर के बीच से गुजरता हुआ मुर्दा भी प्रश्न करेगा
कि आदमी मरता क्यों हैं? कहने का आशय यह है कि ऐसी स्थितियों लंबे समय तक नहीं चल सकती।
कोई न कोई यह साहस अवश्य करेगा और फिर उसके पीछे सारा जमाना होगा तथा परिस्थितियाँ
सुधरने लगेंगी। इतिहास साक्षी है इसका।
विशेष
(i)
निरंकुश शासक के अत्याचार के विरोध का स्वर मुखरित हुआ है।
(ii)
निरंकुश सत्ता में हस्तक्षेप अत्यन्त आवश्यक है।
(iii)
लोकतंत्र को बचाए रखना आम आदमी का दायित्व है।
(iv)
खड़ी बोली का प्रयोग है
(v)
प्रसाद गुण है।
(vi)
व्यंग्यात्मक भाषा है।
(vii)
टोकना, मुर्दा-लाक्षणिक प्रयोग है।
(viii) अतुकांत छंदमुक्त रचना है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |