प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अंतरा भाग -1 गद्य-खंड
पाठ 5. ज्योतिबा फुले
लेखिका परिचय [सुधा अरोड़ा (जन्म सन् 1946)]
सुधा
अरोड़ा का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) में हुआ था। उच्च शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से
हुई। इसी विश्वविद्यालय के दो महाविद्यालयों में उन्होंने सन् 1969 ई. से 1971 ई. तक
अध्यापन कार्य किया।
सुधा
अरोड़ा की प्रसिद्धि कथाकार के रूप में है। उनके कई कहानी संग्रह प्रकाशित हैं- बगैर
तराशे हुए, युद्ध-विराम, महानगर की भौतिकी, काला शुक्रवार, कॉसे का गिलास तथा औरत की
कहानी (संपादित) आदि। महिलाओं पर ही केंद्रित 'औरत की दुनिया बनाम दुनिया की औरत'
लेखों का संग्रह है। 'उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान' द्वारा उन्हें विशेष पुरस्कार से
सम्मानित किया गया है। पत्र-पत्रिकाओं में वे बराबर सक्रिय रही हैं और स्त्री विमर्श
में उनका रुख आक्रामक न होकर संयमपूर्ण है। सामाजिक एवं मानवीय सरोकारों के प्रति उनका
लेखन महत्त्वपूर्ण है।
पाठ परिचय
'ज्योतिबा
फुले' की जीवनी में लेखिका सुधा अरोड़ा ने ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई
फुले द्वारा समाज में किए गए शिक्षा और समाज सुधार संबंधी कार्यों का उल्लेख किया है।
सामाजिक एवं धार्मिक रुढ़ियों का विरोध कर उन्होंने दलितों, शोषितों एवं स्त्रियों
के लिए समानता के अधिकार की लड़ाई लड़ी। इसलिए उस समय के समाज का उनको विरोध झेलना
पड़ा। शिक्षा के व्यापक विस्तार के लिए ज्योतिबा फुले का संघर्ष सराहनीय है। स्त्री
शिक्षा के क्षेत्र में फुले दंपति का कार्य निर्णायक महत्त्व रखता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
1. ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार क्यों नहीं
किया गया? तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तरः-
ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में इसलिए शुमार नहीं किया गया क्योंकि
इस सूची को बनाने वाले उच्चवर्गीय समाज के प्रतिनिधि हैं। ज्योतिबा फूले ब्राहाण वर्चस्व
और जातिगत मूल्यों को कायम रखने वाली शिक्षा के तनिक भी समर्थक नहीं थे।
2. शोषण-व्यवस्था ने क्या-क्या षड्यंत्र रचे और क्यों ?
उत्तरः-
ब्राह्मण आधिपत्य के तहत शोषण व्यवस्था ने धर्मवादी सत्ता की स्थापना कर जातिगत सामाजिक
व्यवस्था एवं मशीनरी का अपने हित में उपयोग किया। इसके समर्थकों ने वर्ण, जाति और वर्ग-व्यवस्था
को बढ़ावा दिया जिससे वंचितों, दलितों, स्त्रियों का शोषण हो सके।
3. ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार क्या आपके विचारों
के आदर्श परिवार से मेल खाता है? पक्ष- विपक्ष में अपने उत्तर दीजिए।
उत्तरः- ज्योतिबा फुले का मानना था कि "जिस परिवार में
पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वह परिवार एक आदर्श परिवार
है।" किंतु ऐसा कहकर वे सभी धर्मों का सार ग्रहण करने का संदेश देते हैं। हमें
सभी धर्मों का समान रूप से आदर करना चाहिए लेकिन उसके लिए किसी धर्म को अपनाने की ज़रूरत नहीं है। सबको
साथ लेकर चलने की आवश्यकता है।
4. स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए
ज्योतिबा फुले के अनुसार क्या-क्या होना चाहिए ?
उत्तरः- स्त्री समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा
फूले ने नयी विवाह-विधि की रचना की। पूरी विवाह-विधि से उन्होंने ब्राह्मण का स्थान
ही हटा दिया। उन्होंने नए मंगलाष्टक (विवाह के अवसर पर पढ़े जाने वाले मंत्र) तैयार
किए। वे चाहते थे कि विवाह-विधि में पुरुष प्रभाव संस्कृति के समर्थक एवं स्त्री की
गुलामगिरी सिद्ध करने वाले जितने मंत्र हैं, वे सारे निकाल दिए जाएँ। उनके स्थान पर
ऐसे मंत्र हों, जिन्हें वर-वधू आसानी से समझ सकें। ज्योतिबा ने जिन मंगलाष्टको की रचना
की उनमें वधू-वर से कहती है हम स्त्रियों को स्वतंत्रता का अनुभव नहीं है। आज तुम इस
बात की शपथ लो कि हमें ये अधिकार दोगे। यह अभिलाषा सिर्फ वधू की ही नहीं बल्कि ग्लामी
से मुक्ति चाहने वाली प्रत्येक स्त्री की थी। स्त्री के अधिकारों और स्वतंत्रता के
लिए ज्योतिबा फुले ने हर संभव प्रयत्न किए।
5. सावित्री
बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किस प्रकार आए? क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तरः- ज्योतिबा फुले से सावित्री बाई की शादी 1840 ई. में
हुई। यहीं से उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आया। उन्होंने सावित्री बाई को शिक्षित किया।
उन्हें मराठी भाषा ही नहीं, अग्रेज़ी लिखना-पढ़ना तथा बोलना भी सिखाया। सावित्री बाई
की भी बाल्यावस्था से ही शिक्षा में रुचि थी और उनकी ग्रहण करने की शक्ति भी बेजोड़
थी। शिक्षित होने पर उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आए।
6. ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन
से प्रेरित होकर आप समाज में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे ?
उत्तरः- ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई ने हर क्षेत्र में
कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। दोनों ने मिलकर आजीवन क्रीतियों, अंधविश्वासों एवं पारंपरिक
अनीतिपूर्ण रुढ़ियों को खत्म करने का प्रयत्न किया। उनका जीवन एक आदर्श दांपत्य का
उदाहरण है। हमलोग भी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज में एक-दूसरे के प्रति एवं एक
लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव से स्वयं तथा समाज के अन्य लोगों के मन में ऐसा ही भाव
जगाने का प्रयास करेंगे। साथ ही सामाजिक कुरीतियों तथा धार्मिक अंधविश्वासों को मिटाने
के लिए प्रयासरत रहेंगे।
7. उनका
दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है ?
उत्तरः- आज के प्रतिस्पर्धात्मक समय में, जब प्रबुद्ध वर्ग
के प्रतिष्ठित जाने-माने दंपति साथ रहने के कई वर्षों के बाद अलग होते ही एक-दूसरे
को पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट करने व एक-दूसरे की जड़ें खोदने पर आमादा हो जाते हैं। महात्मा
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फूले का एक दूसरे के लिए और एक लक्ष्य के लिए समर्पित
जीवन एक आदर्श दांपत्य की मिसाल बनकर आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है।
8. फ्ले दंपति ने स्त्री समस्या के लिए जो
कदम उठाया था, क्या उसी का अगला चरण 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम है ?
उत्तरः- स्त्रियों को सशक्त बनाने के लिए ज्योतिबा फुले ने
अपनी पत्नी सावित्री बाई को शिक्षित किया। ज्योतिबा ने उन्हें मराठी भाषा ही नहीं,
अंग्रेज़ी लिखना-पढ़ना और बोलना भी सिखाया। सावित्री बाई को भी बचपन से शिक्षा में
विशेष रुचि थी और उनकी ग्रहणशक्ति भी तेज़ थी। ज्योतिबा ने 14 जनवरी 1848 को अपनी पहली
कन्याशाला की स्थापना की। ज्योतिबा और सावित्री बाई ने मिलकर स्त्री शिक्षा के मिशन
को परी लगन के साथ पूरा किया। जो ज्योतिबा फुले 165 वर्षों पहले कर रहे थे वही काम
सरकार आज कर रही है अतः लगता है कि उसका अगला चरण 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम
है।
9. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
क. सच का सवेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या
शूद्रों के घर चली गई. भू-देव (ब्राह्मण) शरमा गए।
उत्तरः- प्रस्तृत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा-भाग-1 के 'ज्योतिबा
फुले' पाठ से ली गई है। इसमें सुधा अरोड़ा जी ने ब्राह्मणों की टिप्पणी के उत्तर में
ज्योतिबा फुले के इस जवाब को उद्धृत किया है।
जब लोग शिक्षित होने लगे तो उनके सामने से अज्ञान का परदा
हटा। लोगों को सच्चाई का अहसास हुआ और वेदों की शिक्षा शूद्रों के घर तक चली गई अर्थात
वे भी पढ़ने-समझने लगे। ब्राह्मणवाद खतरे में पड़ गया। इस स्थिति को देखकर ब्राह्मणों
को शर्म आ गई।
ख. इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों के अलावा
स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
उत्तरः- प्रस्तुत पंक्ति 'ज्योतिबा फुले' पाठ से उद्धृत है
जिसकी लेखिका सुधा अरोड़ा जर्जी हैं। यह अंतरा भाग-1 में संकलित है।
यहाँ लेखिका कहना चाहती हैं कि ज्योतिबा कहते थे कि दलितों
और स्त्रियों का शोषण होता है अतः उन्हें स्वयं इसके विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए, तभी
यह मिट पाएगा। जो शोषण की चक्की में पिस रहा हो यदि वही आवाज़ नहीं उठाएगा तो दूसरे
को क्या पड़ी है?
10. निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या
कीजिए
क. स्वतंत्रता का अनुभव......... हर स्त्री
की थी।
उत्तरः- प्रस्तुत पंक्तियाँ सुधा अरोड़ा द्वारा रचित निबंध
'ज्योतिबा फुले' से उद्धृत हैं।
ज्योतिबा ने स्त्रियों की दशा सुधारने हेतु विवाह के अवसर
पर नए मंगलाष्टकों की रचना की थी। इनमें स्त्री की गुलामी के मंत्रों को कोई स्थान
नहीं दिया गया था।
उनमें वधू वर से कहती है- हम स्त्रियों को स्वतंत्रता से
जीने का मौका मिल ही नहीं पाता, जबकि इस स्वतंत्रता पर हम स्त्रियों का भी हक है। वधू
वर को शपथ दिलाती है कि वह स्त्री (पत्नी) को उसका अधिकार देगा और स्वतंत्रता भी। स्त्री
को इस स्वतंत्रता का अनुभव भी करना चाहिए। यह बात भले ही विवाह के अवसर पर वधू वर से
कहती थी पर ऐसा हर स्त्री चाहती थी। वह पुरुषों की दासता से मुक्ति चाहती थी। भाषा
सरल, स्पष्ट एवं विचारोत्तेजक है।
ख. मुझे 'महात्मा' कहकर...... अलग न करें।
उत्तरः प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग-1
में संकलित 'ज्योतिबा फुले' पाठ से अवतरित है। इसकी रचयिता सुधा अरोड़ा हैं। 1888 ई.
में ज्योतिबा फुले को 'महात्मा' की उपाधि से सम्मानित किया गया। उसी अवसर पर ज्योतिबा
ने उपर्युक्त बात कही।
ज्योतिबा फुले ने 'महात्मा' की उपाधि से सम्मानित होने को
बहुत अच्छा नहीं कहा। यद्यपि वे लोगों की भावनाओं का दर करते थे पर उन्हें लगता था
कि किसी भी व्यक्ति को 'महात्मा' बनाकर उसके जीवन-संघर्ष को सक्रिय भूमिका से हटा दिया
जाता है। ज्योतिबा अपने संघर्ष को जारी रखना चाहते थे। यह काम साधारण व्यक्ति रहकर
अधिक अच्छी तरह से किया जा सकता था। उन्हें इस तरह की उपाधि में रुचि नहीं थी। उनका
स्पष्ट मानना था कि जब कोई व्यक्ति किसी मठ का स्वामी बन जाता है तब संघर्ष कर ही नहीं
पाता। उसकी जो छवि बन जाती है वह उसके काम में बाधक बन जाती है। ज्योतिबा चाहते थे
कि वे साधारण व्यक्ति की तरह रहकर जन-जीवन के साथ जुड़े रहें। वे लोगों से अलग नहीं
होना चाहते थे। मठाधीश व्यक्ति आम लोगों से कट जाता है।
इस कथन से ज्योतिबा की महानता तथा उनकी संघर्षशीलता प्रकट
होती है।
भाषा चुटीली, व्यंग्यपूर्ण, नाटकीय एवं प्रभावशाली है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'ज्योतिबा फुले' पाठ की रचनाकार कौन हैं
?
क. शिवानी
ख. सुधा अरोड़ा
ग. मैत्रेयी पुष्पा
घ. कृष्णा सोबती
2.सुधा अरोड़ा का जन्म कहाँ हुआ ?
क. दिल्ली (भारत)
ख. ढाका (बांग्लादेश)
ग. लाहौर (पाकिस्तान)
घ. काठमांडू (नेपाल)
3. 'बगैर तराशे हुए की लेखिका कौन हैं ?
क. कृष्णा सोबती
ख. सुधा अरोडा
ग. मैत्रेयी पुष्पा
घ. शिवानी
4. 'युद्ध-विराम' किसकी रचना है ?
क.
अमरकांत
ख.
प्रेमचन्द
ग.
देव
घ. सुधा अरोड़ा
5. 'महानगर की भौतिकी' कहानी संग्रह किसने लिखी है ?
क. सुधा अरोड़ा
ख.
ओम प्रकाश वाल्मीकि
ग.
रांगेय राघव
घ.
हरिशंकर परसाई
6. 'काला शुक्रवार' पुस्तक की रचना किसने की?
क.
नामवर सिंह
ख.
पुरुषोत्तम अग्रवाल
ग.
वीर भारत तलवार
घ. सुधा अरोड़ा
7. 'काँसे का गिलास' किसकी रचना है?
क.
निर्मल वर्मा
ख.
अज्ञेय
ग.
जैनेन्द्र कुमार
घ. सुधा अरोड़ा
8. 'औरत की दुनिया बनाम दुनिया की औरत' लेखों का संग्रह किस पर केन्द्रित
है?
क.
बच्चों पर
ख.
पुरुषों पर
ग. महिलाओं पर
घ.
दिव्यांगों पर
9. ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती
है ?
क.
सामाजिक कार्यों में भेदभाव करने की प्रेरणा
ख. स्वार्थ के स्थान पर सेवा एवं परोपकार की भावना को प्रमुखता देने
की प्रेरणा
ग.
साधारण मनुष्य से मठाधीश बन जाने की प्रेरणा
घ.
ब्राह्मणवाद का विरोध करने की प्रेरणा
10. 'ज्योतिबा फुले' की जीवनी में लेखिका ने ज्योतिबा फुले और उनकी
पत्नी द्वारा समाज में किए गए किन महत्त्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया है ?
क.
शिक्षा सम्बन्धी कार्य
ख.
समाज सुधार सम्बन्धी कार्य
ग.
जातिवाद एवं धार्मिक रुढ़ियों का विरोध
घ. ये सभी
11. 'ज्योतिबा फुले' के मौलिक विचार किस पुस्तक में संकलित हैं ?
क.
गुलामगिरी
ख.
शेतकरयांचा आसूड
ग.
सार्वजनिक सत्यधर्म
घ. इन सभी में
12. 'ज्योतिबा फुले' की शादी किस साल हुई थी ?
क.
1825
ख
1835
ग. 1840
घ.
1850
13. 'ज्योतिबा फुले' की पत्नी कौन थीं ?
क.
शकुंतला
ख. सावित्री बाई
ग.
शशिकला
घ.
सीता बाई
14. 'ज्योतिबा फुले' का बहुचर्चित ग्रन्थ 'शेतकरयांचा आसूड' कब लिखा
गया ?
क.
1891
ख.
1892
ग. 1883
घ.
1888
15. अस्पृश्य जातियों के उत्थान के लिए ज्योतिबा ने क्या उपाय किए
?
क. अस्पृश्य जाति के बच्चों की शिक्षा का प्रबन्ध
किया
ख. अस्पृश्य जाति की स्त्रियों एवं बच्चों की शिक्षा का विरोध
किया
ग. अस्पृश्य जाति की लड़कियों को पाठशाला न भेजने का आग्रह
किया
घ. अस्पृश्य जाति के दम्पतियों का सामाजिक बहिष्कार किया
16. 'ज्योतिबा फुले' को 'महात्मा' की उपाधि
से किस सन् में सम्मानित किया गया ?
क. सन् 1888
ख. सन् 1987
ग. सन् 1890
घ. सन् 1892
17. 'ज्योतिबा फुले' ने किस संस्था की स्थापना
की ?
क. आर्य समाज
ख. प्रार्थना समाज
ग. सत्यशोधक समाज
घ. ब्रह्म समाज
18. जिस परिवार में पिता बौद्ध, माता ईसाई,
बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, ऐसे परिवार को ज्योतिबा फुले ने क्या कहा है ?
क. संयुक्त परिवार
ख. आदर्श परिवार
ग. धार्मिक परिवार
घ. एकल परिवार
19. 'ज्योतिबा फुले' और उनकी पत्नी के अथक
प्रयासों से भारत में लड़कियों की शिक्षा की प्रथम पाठशाला की स्थापना कब हुई ?
क. 1848
ख. 1849
ग. 1850
घ. 1851
20. इनमें से ब्राह्मणवाद का विरोध किसने किया
?
क. जया भारती
ख. राणा सूर्य प्रताप
ग. तुलसीदास
घ. ज्योतिबा फुले
21. 'विद्या शूद्रों के घर चली गई' किन लोगों
ने कहा ?
क. ब्राह्मणों ने
ख. क्षत्रियों ने
ग. वैश्यों ने
घ. शूद्रों ने
22. सावित्री बाई फुले को किसने कहा कि 'बड़ी
अच्छी लड़की हो तुम' ?
क. उनके पिता ने
ख. लाट साहब ने
ग. उनकी माता जी ने
घ. उनके मामा ने
23. कन्या पाठशाला की स्थापना भारत के इतिहास
में कितने हज़ार साल बाद हुई ?
क. 1000 साल
ख. 2000 साल
ग. 3000 साल
घ. 4000 साल
24. 'मिसाल' शब्द का अर्थ क्या होगा ?
क. कमाल
ख. जोड़ी
ग. उदाहरण, आदर्श
घ. तालमेल
25. फुले दंपति कब से कब तक एक प्राण होकर
काम करते रहे
क. 1830-1880 तक
ख. 1840-1890 तक
ग. 1845-1895 तक
घ. 1850-1890 तक
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. सुधा अरोड़ा के जन्म स्थान एवं शिक्षा-दीक्षा
के बारे में 20-25 शब्दों में संक्षेप में लिखें।
उत्तरः- सुधा अरोड़ा का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) में 1946
ई0 में हुआ। उनकी उच्च शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से हुई है।
2. सुधा अरोड़ा के कुछ कहानी संग्रह के नाम
लिखें?
उत्तरः- उनके कुछ महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं- बगैर तराशे
हुए, युद्ध विराम, महानगर की भौतिकी, काला शुक्रवार और काँसे का गिलास ।
3. सुधा अरोड़ा के लेखन की विशेषताओं पर
20-25 शब्दों में संक्षेप में लिखें।
उत्तरः- सुधा अरोड़ा मूलतः कथाकार हैं। महिलाओं पर केंद्रित
'औरत की दुनिया बनाम दुनिया की औरत' उनके लेखों का संग्रह है। स्त्री विमर्श, सामाजिक
संदर्भ एवं मानवीय सरोकारों पर उनका लेखन रोचक एवं उम्दा है।
4. ज्योतिबा फुले किन लोगों के खिलाफ़ आजीवन
संघर्ष करते रहे ?
उत्तरः- ज्योतिबा फुले आजीवन ब्राह्मण वर्चस्व के खिलाफ लड़ते
रहे। उन्होंने पूँजीवादी व्यवस्था एवं पुरोहितवादी मानसिकता पर करारा प्रहार किया और
स्त्री शिक्षा के विरोधी लोगों पर हल्ला बोल दिया।
5. ब्राह्मणों और ज्योतिबा फुले के बीच किन
शब्दों में युद्ध होता रहा ?
उत्तरः- जब ब्राह्मणों ने कहा- 'विद्या शूद्रों के घर चली
गई' तो फुले ने तत्काल उत्तर दिया 'सच का सबेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों
के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण) शरमा गए।'
6. ज्योतिबा फुले के मौलिक विचार किन पुस्तकों
में संगृहीत हैं?
उत्तरः- महात्मा ज्योतिबा फुले के मौलिक विचार 'गुलामगिरी',
शेतकरयांचा आसूड' (किसानों का प्रतिशोध), 'सार्वजनिक सत्यधर्म' आदि पुस्तकों में संगृहीत
हैं।
7. 1883 में ज्योतिबा फुले ने अपने बहुचर्चित
ग्रंथ 'शेतकरयांचा आसूड' के उपोद्घात में क्या लिखा है? पाठ के आधार पर लिखें।
उत्तरः- अपने बहुचर्चित ग्रंथ 'शेतकरयांचा आसूड' के उपोद्घात
में ज्योतिबा फुले ने लिखा है - "विद्या बिना मति गई
, मति बिना नीति गई नीति बिना गति
गई गति बिना वित्त गया वित्त बिना शूद्र गए इतने अनर्थ एक अविद्या ने किए। "
8. अंग्रेज़
लाट साहब ने सावित्री बाई से क्या कहते हुए पढ़ने की सलाह दी?
उत्तरः- लाट साहब ने कहा "इस तरह रास्ते में खाते-खाते
घूमना अच्छी बात नहीं है।" एक पुस्तक देते हुए उन्होंने पुनः सलाह दी "बड़ी
अच्छी लड़की हो तुम। यह पुस्तक लै जाओ। तुम्हें पढ़ना न आए तो भी इसके चित्र तुम्हें
अच्छे लगेंगे।"
9. शूद्र
और लड़कियों के लिए पाठशालाएँ खोलने के समय ज्योतिबा एवं उनकी पत्नी को किन-किन कठिनाइयों
का सामना करना पड़ा ?
उत्तरः- शूद्रों एवं लड़कियों के लिए पाठशालाएँ खोलते समय
ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई फुले को लगातार व्यवधानों, अड़चनों, लांछनों और सामाजिक
बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
10. स्त्री-शिक्षा की ज़रूरत क्या आज़ भी बनी
हुई है, क्यों? संक्षेप में उत्तर दें।
उत्तरः- स्त्री परिवार, राष्ट्र एवं विश्व की धूरी है; यदि
वह अशिक्षित रह गई तो घर से लेकर विश्व तक अशिक्षा का अंधकार फैल जाएगा। आज भी
100% साक्षरता का हमारा मिशन अधूरा है इसलिए स्त्री शिक्षा अनिवार्य है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. महात्मा ज्योतिबा फुले ने वर्ण, जाति, वर्ग-
व्यवस्था के खिलाफ क्या कहा ?
उत्तरः- महात्मा ज्योतिबा फुले ने वर्ण, जाति और वर्ग व्यवस्था
में निहित शोषण-प्रक्रिया को एक-दूसरे का पूरक बताया। उनका कहना था कि राजसत्ता और
ब्राह्मण आधिपत्य के तहत धर्मवादी सत्ता आपस में साँठ-गाँठ कर इस सामाजिक व्यवस्था
और मशीनरी का उपयोग करती है। उनका कहना था कि इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ दलितों के
अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
2. 'महात्मा'
की उपाधि मिलने पर ज्योतिबा फुले ने क्या कहा?
उत्तरः- 1888 ई० में ज्योतिबा फुले को 'महात्मा' की उपाधि
से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा- "मुझे 'महात्मा' कहकर
मेरे संघर्ष को पूर्ण विराम मत दीजिए। जब व्यक्ति मठाधीश बन जाता है तब वह संघर्ष नहीं
कर सकता। इसलिए आप सब साधारण जन ही रहने दें, मुझे अपने बीच से अलग न करें।"
3. सावित्री बाई फुले की शादी और पढ़ाई के
बारे में 50-60 शब्दों में संक्षेप में लिखिए।
उत्तरः- जब लाट साहब द्वारा दिए गए पुस्तक को सावित्री बाई
फुले ने अपने पिता को दिखाया तो उन्होंने कहा -" ईसाइयों से ऐसी चीज़े लेकर तू
भ्रष्ट हो जाएगी और सारे कुल को भ्रष्ट करेगी। तेरी शादी कर देनी चाहिए।" सन्
1840. ई० में उनका विवाह ज्योतिबा फूले से हो गया। पति के पास आने पर ज्योतिबा फुले
ने उन्हें मराठी एवं अंग्रेजी पढ़ना-लिखना-बोलना सिखाया।
4. सावित्री बाई फुले जब घर से पाठशाला जाती
थी तो लोग किस तरह उनको परेशान करते थे?
उत्तरः- सावित्री बाई फुले जब पढ़ाने के लिए घर से पाठशाला
तक जाती थी तो रास्ते में खड़े लोग उन्हें गालियाँ देते थे। कुछ लोग इतने बदतमीज़ थे
कि उनपर थूकते थे। लोग उनपर पत्थर फेंकते थे और कुछ लोग गोबर उछाल कर उन्हें परेशान
करते थे।
5. सावित्री
बाई फुले के समय स्त्री शिक्षा और आज के युग में स्त्री-शिक्षा में आए अंतर को संक्षेप
में लिखें।
उत्तरः- सावित्री बाई फुले के समय स्त्रियों को घर से निकलने
नहीं दिया जाता था। उनकी शादी बचपन में कर दी जाती थी। ऐसे में स्त्री शिक्षा की बात
करना बेमानी है। स्त्री शिक्षा की बात सुनकर लोग गुस्सा हो जाते थे। बहुत मुश्किल से
1-2 लड़कियाँ पढ़ने जाती थीं लिए भी उनके परिवार को बहुत कुछ सुनना पड़ता था। उसके
सहना
आज हर तरफ स्त्री शिक्षा का माहौल है। गाँव-गाँव शहर- शहर
अधिकांश घरों की लड़कियाँ विद्यालय जा रही हैं लेकिन अभी भी (100%) शत-प्रतिशत साक्षरता
नहीं हो पाई है अतः आज भी छूटी हुई लड़कियों को विद्यालय तक पहुँचाना ज़रूरी है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. दलित एवं स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में
महात्मा ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई फुले के योगदान को 250 शब्दों में लिखें।
उत्तरः- आधुनिक भारत के इतिहास में महात्मा ज्योतिबा फुले
एवं सावित्री बाई फुले उन गिने-चुने लोगों में से हैं जिन्होंने दलितों एवं स्त्रियों
की शिक्षा के लिए महाराष्ट्र में बहत काम किया। आज से 180 वर्ष पहले जब 1840 ई. के
आस-पास दलितों एवं स्त्रियों की शिक्षा के बारे में सोचना भी एक क्रांतिकारी बात थी
तब फुले दंपति ने इस संदर्भ में न सिर्फ सोचा बल्कि अथक प्रयास कर उसे जमीन पर उतारा
भी।
'दलित और स्त्री' समाज के सबसे अधिक वंचित, सबसे अधिक उपेक्षित
एवं सबसे अधिक शोषित लोग रहे हैं। उन्होंने उनलोगों को झकझोर कर जगाया और आगे बढ़ने
के लिए उनकी शिक्षा का इंतज़ाम किया। इस संदर्भ में उन्होंने वर्ण-जाति-धर्म की कट्टरता
पर आधारित वर्णाश्रम सामाजिक व्यवस्था पर करारा प्रहार किया ताकि लोग इन रुढ़ियों से
मुक्त हो सकें।
उन्होंने गुलामगिरी, शेतकरयांचा आसूड एवं सार्वजनिक सत्यधर्म
जैसी पुस्तकें लिखीं। 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की। उन्होंने लगातार प्रहार कर पूँजीवाद,
पुरोहितवाद, राजसत्ता एवं धर्मसत्ता के शोषण का पर्दाफाश किया जिसकी चक्की में दलित
एवं स्त्रियों का शोषण होता है।
14
जनवरी 1848 ई० को पुणे में उन्होंने पहली कन्याशाला की स्थापना की। पूरे भारत में लड़कियों
की यह पहली पाठशाला थी। 3000 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार हो रहा था। उन्होंने
स्वयं अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को पढ़ाया और दोनों ने दलितों एवं स्त्रियों को
बहुत त्याग एवं संघर्ष करके शिक्षित किया। इस कार्य के लिए उनलोगों ने अपना घर छोड़ा,
परिवार छोड़ा और उस समाज को छोड़ा जो इसमें बाधक थे। हर तरह की सामाजिक एवं धार्मिक
कुरीतियों से लड़ते हुए उन्होंने शिक्षा के सूरज को पुरातनपंथी ब्राह्मणों के चंगुल
से छुड़ाया।
2. वर्ण एवं जाति, धर्म एवं सम्प्रदाय की कट्टरता भारतवर्ष की एकता
एवं तरक्की में पहले भी बाधक थे आज भी बाधक हैं कैसे?
उत्तरः-
भारतवर्ष हज़ारों वर्षों से वर्ण-जाति, धर्म-सम्प्रदाय में बँटा हुआ है। यहाँ कई हज़ार
तरह की जातियाँ हैं और सैकड़ाँ तरह के सम्प्रदाय। हर जाति अपने को 'श्रेष्ठ' और दूसरे
को 'नीच' समझती है। जातियों में भी उपजातियाँ हैं, कूल हैं, गोत्र हैं। इसकी वजह से
हर व्यक्ति अपनी जातिगत निष्ठा से बंधा है। वह 'बेटी और रोटी' का सम्बन्ध सिर्फ अपनी
जाति में ही करना पसंद करता है क्योंकि इससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा बनी रहेगी। जाति
तोड़ने वालों को लोग जाति से बाहर कर देते हैं और यहीं हर व्यक्ति 'एकाकी' हो जाता
है। वह किसी से दोस्ती करने, प्रेम करने, शादी करने, साथ रहने, परिवार बनाने के लिए
स्वतंत्र नहीं। जब वह दूसरे व्यक्ति को एक नहीं मानेगा तो उसके साथ रहेगा कैसे? वर्षों
से यही प्रथा चलती आ रही है इसलिए भारतीय समाज कभी एक नहीं हो सका। वही स्थिति धर्म
एवं संप्रदायों की है। हर सम्प्रदाय अपनी मान्यताओं को सबसे उम्दा समझता है और दूसरे
सम्प्रदाय के लोगों से घृणा करता है। धार्मिक कट्टरता इतनी खतरनाक है कि पहले जमाने
में युद्ध पर युद्ध होते थे और आज दंगों पर दंगे होते हैं। जाति और सम्प्रदाय के कठघरे
में हर आदमी बँधा भी है और दुखी भी।
प्राचीन
काल एवं मध्य काल से यह व्यवस्था चली आ रही है। कबीर जैसे कवि ने इसपर प्रहार भी किया
किंतु कमोवेश आज तक यह व्यवस्था जारी है। हाँ! इतना अवश्य कहा जा सकता है कि आधुनिक
युग में जाति और धर्म का बंधन थोड़ा ढीला हुआ है किंतु समाप्त नहीं हआ है। आधुनिक चेतना
एवं प्रगतिशील सोच के कारण लोगों ने धीरे-धीरे जातिगत बंधन को भी छोड़ा है और धार्मिक
जकड़न को भी किंतु कहीं न कहीं वह हमारी चेतना में रहता है।
यदि
भारत को एक होना है, तरक्की करनी है और विश्वगुरु बनना है तो इन बंधनों से मुक्त होना
पड़ेगा। आज़ादी के अमृत महोत्सव वाले काल में भी यदि हम इन प्राचीन रुढ़ियों से अपने
को मुक्त नहीं कर सके तो हम विकसित देशों की श्रेणी में कैसे गिने जाएँगे।
3. शिक्षा आवश्यक है, स्त्री शिक्षा अति आवश्यक है लेकिन तकनीकि शिक्षा
आज के दौर की ज़रूरत इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करें।
उत्तरः-
जैसे जीवन के लिए 'जल' एवं 'वायु' अति आवश्यक है उसी तरह 'शिक्षा' सबके लिए अति आवश्यक
है क्योंकि वही व्यक्ति को जीने की कला सिखाती है, रुढ़ियों से मुक्त करती है, तरक्की
के द्वार खोलती है।
वर्तमान में अनपढ़ व्यक्ति उस बैल के समान है जो मज़दूरी
कर सकता है लेकिन केवल मज़दूरी कर के जीना ही तो जीना नहीं है। आधुनिक काल में जिस
तेज़ी से मशीनीकरण हो रहा है, नई-नई तकनीक की ज़रूरत पड़ रही है कि 50 वर्ष का पढ़ा-
लिखा आदमी भी अपने आप को सहज महसूस नहीं करता फिर निरक्षर व्यक्ति कितना लाचार, असहाय
है। उसे लगता है कि वह इस व्यवस्था में कितना पुराना है, कितना पिछड़ा है। कंप्यूटर
और मोबाइल के इस दौर में केवल कुदाल और कलम चलाने से काम नहीं चलेगा। हमारे चारों ओर
यंत्रों की यंत्रणा इतनी बढ़ गई है कि 'स्मार्ट' बनने के लिए इन यंत्रों को सुविधा
अनुसार चलाने का प्रशिक्षण लेना ज़रूरी है, नहीं तो आप एम.ए. पास होते हुए भी अनपढ़
हैं, पी-एच.डी. करके भी अशिक्षित ।
इसलिए साक्षर होना, शिक्षित होना सबके लिए ज़रूरी है लेकिन
स्त्रियों के लिए शिक्षा ऑक्सीजन की तरह ज़रूरी है। एक स्त्री पढ़ेगी तो वो अपने बच्चों
को पढ़ाएगी, घर-परिवार को उन्नति के रास्ते पर ले जाएगी। समाज एवं देश को नेतृत्व प्रदान
करेगी। स्त्री से परिवार बनता है, परिवार से समाज एवं समाज से राष्ट्र; इसलिए स्त्री
के पढ़ने का मतलब है घर-परिवार, समाज. राष्ट्र का शिक्षित होना। पुरुष अपने लिए पढ़ता
है, रोज़गार के लिए प्रशिक्षण लेता है लेकिन स्त्री की शिक्षा बहुआयामी फायदा पहुँचाती
है। एक माँ के रूप में वह अपने बच्चों की पहली शिक्षिका है, एक शिक्षिका के रूप में
पाठशाला के बच्चों की अध्यापिका है और एक प्रधानमंत्री के रूप में वह राष्ट्र की प्रधान
सेविका। बदलते हुए परिवेश में उसकी भूमिका भी बदल जाती है और उसके शिक्षित होने मात्र
से उसका फायदा भी वृहत्तर समाज को मिलता है। सरकार ने यूँ ही यह नारा नहीं दिया है-
"बेटी बचाओ। बेटी पढ़ाओ।" कवि त्रिलोचन के शब्दों में कहें तो-
"उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि चंपा, तुम भी पढ़ लो
हारे गाढ़े काम सरेगा गाँधी बाबा की इच्छा है –
सब जन पढ़ना-लिखना सीखें।"
-'चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती' (कविता), धरती
(कविता संग्रह)
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |