Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 6. खानाबदोश

Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 6. खानाबदोश

 Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 6. खानाबदोश

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Class - 11 Hindi Elective

अंतरा भाग -1 गद्य-खंड

पाठ 6. खानाबदोश

लेखक परिचय [ओमप्रकाश वाल्मीकि (सन् 1950-2013)]

ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म बरला जिला मुज़फ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। बचपन सामाजिक एवं आर्थिक कठिनाइयों में बीता जिसके कारण काफी मानसिक कष्ट झेलने पड़े। डॉ. भीमराव अंबेडकर की रचनाओं के अध्ययन से उनकी रचना दृष्टि में बुनियादी बदलाव आया। हिंदी दलित साहित्य के विकास में ओमप्रकाश वाल्मीकि की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने दलितों की पीड़ा का यथार्थ और मार्मिक चित्रण किया है।

कविता, कहानी, आत्मकथा, आलोचना एवं साहित्य की अन्य विधाओं में उन्होंने बेहतरीन लेखन किया है। जूठन (आत्मकथा) के कारण उन्हें अपार लोकप्रियता मिली। 1993 ई0 में उन्हें "डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार" एवं 1995 ई० में "परिवेश सम्मान" से नवाजा गया। जूठन के अंग्रेज़ी संस्करण को "न्यू इंडिया बुक पुरस्कार, 2004" प्रदान किया गया।

उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- कविता संग्रह सदियों का संताप, बस ! बहुत हो चुका

कहानी संग्रह- सलाम, घुसपैठिये

आलोचना- दलित साहित्य का सौंदर्यशास्त्र

आत्मकथा जूठन।

पाठ परिचय

'खानाबदोश' निम्न वर्ग के मज़दूरों के यातना दायक जीवन एवं शोषण की कहानी है। मजदूर वर्ग यदि ईमानदारी से मेहनत मज़दूरी करके इज्ज़त के साथ जीवन जीना चाहता है तो उच्च वर्ग का व्यक्ति उसे चैन से जीने नहीं देता है। समाज के समृद्ध और ताकतवर लोग यदि निम्न मज़दूरवर्ग का शोषण करते रहेंगे तो नए समाज के निर्माण का क्या होगा ? निम्न जाति, निर्धनता एवं स्त्री होने की यातना से उबरने के लिए संघर्षरत मानो, इज्ज़त बचाने के लिए पलायन का रास्ता चुनती है क्या यही स्वतंत्र भारत की नई तस्वीर है? कहानी यथार्थ की जमीन पर संघर्ष की चेतना को बुनती है लेकिन पलायन की विडम्बना सच्चाई के साथ प्रस्तुत हैं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

1. जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसे बीता ?

उत्तरः- सूबेसिंह के द्वारा जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का पूरा दिन भय और दहशत में बीता। उस दिन की घटना से मजदूर डर गए थे। उन्हें लग रहा था कि सुबेसिंह किसी भी समय लौटकर आ सकता है और कुछ भी कर सकता है।

2. मानो अभी तक भट्टे की जिंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?

उत्तरः- मानो का विचार था कि अपने देश की सूखी रोटी भी परदेश के पकवानों से ज़्यादा अच्छी होती है। भट्ठे में साँझ होते ही सारा माहौल भाँय-भॉय करने लगता था। दिन भर के थके हारे मज़दूर दड़बों में घुस जाते थे। जैसे समुचा जंगल झोपड़ी के दरवाजे पर ऑकर खड़ा हो गया हो। ऐसे माहौल में मानो का मन घबराने लगता था। इसी वजह से वह अभी तक भट्ठे की ज़िंदगी से तालमेल नहीं बैठा पाई थी।

3. असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबेसिंह क्यों बिफर पड़ा? जसदेव को मारने का क्या कारण था?

उत्तरः- सूबेसिंह ने असगर ठेकेदार को मानो को कार्यालय में बुलाने के लिए भेजा था।              उसके बुलावे से सबलोग यह समझ गए थे कि वह मानो को अपनी वासना पूर्ति का साधन बनाने के लिए बुला रहा है। अतः मानो को बचाने के लिए जसदेव वहाँ चला गया। यह देख सूबेसिंह को बहुत गुस्सा आया। वह जसदेव पर बिफर पड़ा। इसी कॉरण गुस्से में आकर उसने जसदेव को लात-घूंसों से मारा।

4. जसदेव ने मानो के हाथ का खाना क्यों नहीं खाया?

उत्तरः- जसदेव जाति से ब्राह्मण था। मानो निम्न जाति की महिला थी। यही कारण था कि जसदेव ने मानो के हाथ का बना खाना नहीं खाया। एक वर्ग (मजदूर वर्ग) का होते हुए भी वो जातिवाद की दीवार को तोड़ नहीं पाया।

5. लोगों को क्यों लग रहा था कि किसी ने जानबूझ कर मानो की ईट गिराकर रौंदा है?

उत्तरः- मानो द्वारा बनाई गई सारी ईंटें टूटी-फूटी पड़ी थीं। जैसे किसी ने उन्हें बेदर्दी से रौंद डाला हो। रात में आँधी- तूफान भी नहीं आया था, न ही किसी जंगली जानवर का यह काम हो सकता है क्योंकि किसी एक जगह आकर किसी व्यक्ति विशेष की बनी ईंटें तोड़ना किसी जानवर का काम नहीं हो सकता। इसलिए लोगों को ऐसा लगना स्वाभाविक था कि मानो की ईंटें किसी ने जान-बूझकर तोड़ दी हैं।

6. मानो को क्यों लग रहा था कि किसी ने उसकी पक्की ईंटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है?

उत्तरः- मानो एक स्वाभिमानी और परिश्रमी महिला थी। उसमें आगे बढ़ने की ललक थी। वह मिट्टी के लौदे को साँचे में डालकर ईंट तैयार करती थी। इन्हीं ईंटों से मिलने वाली मज़दूरी से वह अपना एक घर बनाना चाहती थी। मानो केवल अपने घर का स्वप्न ही नहीं देखती थी वरन अपने पति सुकिया के साथ मिलकर वह इस स्वप्न को हकीकत में बदलने के लिए जी-तोड परिश्रम भी करती थी। सूबेसिंह के साथ हुए विवाद ने मानो के लिए नई रुकावटें पैदा कर दीं, मानो को जसदेव पर भरोसा था लेकिन उसने भी मानो और सुकिया का साथ छोड़ दिया।

मानो की आशाओं पर कुठाराघात तब हआ जब किसी ने रात में उसकी बनाई ईंटों को बेदर्दी से रौंद डाला। सारी ईंटें टूट-फूट गई। टूटी-फूटी ईंटों को देखकर ही मानो को लगा, जैसे किसी ने उसके पक्की ईटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है।

7. ' चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।' सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- "चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे:-

 इस कथन से मज़दूर वर्ग के शोषण और यातना का आभास होता है। कहानी में ऐसे मजदूरों की जिंदगी के जद्दोजहद का चित्रण हुआ है, जो अपनी ज़मीन से मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने को विवश हैं। ऐसे मज़दूरों को कठोर परिश्रम करने के बावजूद किस प्रकार की पीड़ा झेलनी पड़ती है, यही इस कहानी की मूल संवेदना है। मानो और सुकिया दिन-रात मेहनत करते हुए पक्की ईटों का अपना एक घर बनाकर, सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। सूबेसिंह की नज़र मानो पर पड़ जाती है। जिसका परिणाम यह होता है कि मानो और सुकिया का घर बनाने का सपना टूटकर बिखर जाता है और वे दोनों खानाबदोश की तरह अगले पड़ाव की तलाश में निकल पड़ते हैं। इस प्रकार कहानी अपनी मूल संवेदना को व्यक्त करने में सफल रही है कि मज़दूर वर्ग यदि ईमानदारी से परिश्रम करके इज्ज़त की जिंदगी जीना चाहता है तो समृद्ध और ताकतवर लोग उसे जीने नहीं देते। साथ ही मज़दूरों के लिए अपना घर बनाने का सपना सिर्फ सपना बनकर ही रह जाता है।

8. 'खानाबदोश' कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- 'खानाबदोश' कहानी में आज के समाज की निम्नलिखित समस्याओं को चित्रित किया गया है-

क. मज़दूर वर्ग का सभी शोषण करते हैं और वे इस यातना को झेलने के लिए विवश हैं।

ख. मज़दूर अभी भी नारकीय जीवन जीते हैं। उनके लिए आवश्यक सुविधाओं का अभाव है।

ग. हमारे समाज में अभी भी जातिवादी मानसिकता हावी है। यह समाज में दरार डालती है।

घ. समाज में स्त्रियाँ सुरक्षित नहीं हैं।

इन समस्याओं के प्रति लेखक का दृष्टिकोण मानो और सुकिया के माध्यम से प्रकट हुआ है। वे शोषण के सम्मुख आत्मसमर्पण नहीं करते बल्कि कष्टपूर्ण जीवन झेलने के लिए कहीं और चल देते हैं। लेकिन यह कोई गारंटी तो है नहीं कि वहाँ उन्हें इन्हीं समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। कहानीकार की श्रमिक वर्ग के प्रति सहानुभूति तो प्रकट कट हुई हुई है पर वह कोई तर्कपूर्ण समाधान प्रस्तुत नहीं कर पाएँ हैं।

9. सुकिया ने जिन समस्याओं के कारण गाँव छोड़ा वही समस्या शहर में भट्ठे पर उसे झेलनी पड़ी-मूलतः वह समस्या क्या थी?

उत्तरः- सुकिया ने गरीबी से निजात पाने और आत्मसम्मान बनाए रखने की चाहत में गाँव को छोड़ा। उसको विश्वास था कि शहर आने पर उसके दिन बदलेंगे। वह मेहनत- मजदूरी करके उससे अर्जित आय के सहारे सम्मान के साथ जी सकेगा। मालिक मुखतार सिंह के बाहर जाने पर उसका बेटा सूबेसिंह भडे पर आने लगा। किसनी के बाद उसकी नज़र मानो पर पड़ गई। लेकिन मानो किसनी नहीं थी और न ही सुस्किया महेश था। अपने प्रयोजन में निष्फल रहने पर सूबेसिंह ने मानो को परेशान करना शुरु कर दिया। सूबेसिंह ने असगर ठेकेदार से कह दिया कि उससे पूछे बिना मज़दूरों को भुगतान ना करे। मेहनत के बावजूद उन्हें पैसे मिलने में दिक्कत होने लगी। समस्या और बढ़ी जब मानो की बनाई ईटों को किसी ने रात में बेदर्दी से तोड़ दिया। असगर ठेकेदार ने भी साफ कह दिया कि टूटी-फूटी ईंटें हमारे किसी काम की नहीं। इनकी मज़दूरी हम नहीं देंगे। इन सबने सुस्किया और मानो की मेहनत और आशाओं पर तुषारापात कर दिया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जिन समस्याओं के कारण सुकिया को गाँव छोड़ना पड़ा वही समस्याएँ शहर में भी उसके सम्मुख आ खड़ी हुई। गरीबी बनी रही, आत्मसम्मान पर आँच आई. ईज्ज़त पर डाका डालने का कुत्सित प्रयास हुआ।

10. 'स्किल इंडिया' जैसा कार्यक्रम होता तो क्या तब भी सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतीत करना पड़ता?

उत्तरः- सुकिया और मानो को किसी विषय में तकनीकी विशेषज्ञता हासिल नहीं थी। उन्हें सामान्य मज़दूर ही माना जा सकता है। तब सरकारी स्तर पर 'स्किल इंडिया' जैसा तकनीकी कुशलता प्रदान करने वाला कोई कार्यक्रम भी शुरू नहीं हुआ था। आज 'स्किल इंडिया' कार्यक्रम के तहत बेरोजगारों को तकनीकी शिक्षा देकर कार्य में कुशल बनाया जाता है, जिसकी देश-विदेश में काफ़ी माँग है। यदि तब 'स्किल इंडिया' जैसा कार्यक्रम होता तो मानो और सुकिया प्रशिक्षण प्राप्त कर सम्मानित जीवन जीते तथा अच्छी आमदनी भी प्राप्त करते; खानाबदोश जीवन जीने से भी उन्हें मुक्ति मिल जाती।

11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-

क. अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।

उत्तरः- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग-1 के 'खानाबदोश' पाठ से ली गई है। उसमें लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि जी ने मानो के माध्यम से अपनी जन्मभूमि (मातृभूमि) के महत्त्व को रेखांकित किया है।

सुकिया मानो से बात-बात में कहता है कि "नर्क की जिंदगी से निकलना है तो कुछ छोड़ना भी पड़ेगा.... आदमी की औकात घर से बाहर कदम रखणे पे ही पता चले हैं।" लेकिन मानो कहती थी कि "अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।" दरअसल अपने गाँव-घर की प्रकृति, वहाँ की संस्कृति की गोद में ही पल बढ़ कर आदमी बड़ा होता है। वहाँ व्यक्ति की आत्मा को पोषण मिलता है उससे अलग होकर वह अंदर से मर जाता है। यदि अपने इलाके में ही रोजी रोटी मिल जाए तो व्यक्ति बड़े आराम से संतुष्ट होकर तरक्की करता जाएगा। बाहर निकलकर वह चार पैसे अधिक कमा लेता है लेकिन उसको हर चीज़ की कुर्बानी देनी पड़ती है। मातृभाषा, मातृभूमि और अपना परिवेश आदमी का संपूर्ण पोषण करते हैं उसके बिना पकवान भी बेस्वाद है, ईनाम भी बोझ ।

मानो की बात मार्मिक है; देशज भाषा में ही सही लेखक ने परदेशी एवं प्रवासी लोगों का दर्द बयां किया है।

ख. इत्ते ढेर से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने ।

उत्तरः- प्रस्तुत पंक्तियाँ 'खानाबदोश' पाठ से उद्धृत हैं। यह हमारी पाठ्यपुस्तक 'अंतरा-भाग-1' से ली गई हैं। सुकिया ने मानो पर व्यंग्य करते हए इस बात को प्रकट किया है। कहानी के लेखक हैं- आँमप्रकाश वाल्मीकि।

मानो का सपना है पकी लाल-लाल ईंटों से अपने गाँव में एक घर बनाने का। उसे पता नहीं है कि इसके लिए कितना पैसा चाहिए। उसे हतोत्साहित करते हुए सुकिया कहता है कि मज़दूरी करके इतना पैसा नहीं कमाया जा सकता कि पक्की ईंटों से घर बन पाए। वह व्यंग्य से कहता है कि "गाँठ में पैसा है नहीं और तू हाथी खरीदने चली है।" वह कहना चाहता है कि इतने बड़े-बड़े सपने मत देखो कि उसे पूरा ही नहीं किया जा सके। हमारी आमदनी कम है और तुम्हारे सपने बड़े हैं। कितनी भी मेहनत कर लें यह सपना साकार नहीं हो पाएगा।

सुकिया की बातों में दर्द है, सपने पूरे नहीं होने की पीड़ा हैं। वहीं से व्यंग्य का जन्म हुआ है। भाषा हृदयस्पर्शी है और व्यंग्य चुभनेवाला।

ग. उसे एक घर चाहिए था पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।

उत्तरः- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक 'अंतरा-भाग-1' की कहानी 'खानाबदोश' से ली गई है। यहाँ ओमप्रकाश वाल्मीकि जी ने मानो के सपने को स्पष्ट किया है।

यूँ तो हर आदमी अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करता है; तरह-तरह के सपने देखता और उसे पूरा करने के लिए परिश्रम करता है किंतु मानो का सपना है पकी ईंटों से एक घर बनाने का। जब से वह भट्ठे पर आई है और उसने भट्टे से निकलती "लाल-लाल पक्की ईटों" को देखा है उसके मन में एक सपना अंकुरित हो गया है- पकी ईंटों से घर बनाने का जहाँ वह अपनी गृहस्थी बसा सके।

इस नश्वर और अस्थायी जीवन में थोड़े समय के लिए यदि कुछ स्थायी है तो वह है 'घर'। एक घर आदमी को 25-50 वर्षों तक निश्चिंत रखता है इसलिए आदमी जब कमाना शुरू करता है तो उसकी पहली इच्छा होती है कि उसका खुद का बनाया अपना एक छोटा सा घर हो। इसी घर में उसकी गृहस्थी शुरू हो, बच्चे पले-बढ़ें, उनकी शादी हो और बुढ़ापा व्यतीत हो। लेकिन पूरी जिंदगी बीत जाती है या तो उसके सपने बिखर जाते हैं या आधे-अधूरे ढंग से पूरे होते हैं। ज़िंदगी की समस्याओं से पार पाते-पाते जब घर बनता है तो लोग साठ-सत्तर साल के हो जाते हैं और दो-चार वर्ष रहकर दुनिया से विदा हो जाते हैं। कवि कुँवरनारायण के शब्दों में कहें तो-

घर रहेंगे, हमी उनमें रह न पाएँगे

घर होगा, हम अचानक बीत जाएँगे।

भाषा सरल, सहज, संप्रेषणीय एवं प्रभावशाली है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. खानाबदोश कहानी के लेखक कौन हैं?

(क) सोमप्रकाश वाल्मीकि

(ख) ओमप्रकाश वाल्मीकि

(ग) प्रेमचन्द

(घ) अमरकान्त

2. ओमप्रकाश वाल्मीकि के जन्म एवं मृत्यु का वर्ष है ?

(क) 1950-2012

(ख) 1951-2013

(ग) 1950-2013

(घ) 1952-2012

3. 'सदियों का संताप' किसकी रचना है ?

(क) डॉ. धर्मवीर

(ख) श्योराज सिंह बेचैन

(ग) रमणिका गुप्ता

(घ) ओमप्रकाश वाल्मीकि

4. 'बस! बहुत हो चुका' किसकी कविता का संग्रह है?

(क) गोबिन्द प्रसाद

(ख) निर्मला पुतुल

(ग) ओमप्रकाश वाल्मीकि

(घ) नागार्जुन

5. 'जूठन' आत्मकथा के लेखक कौन हैं?

(क) ओमप्रकाश वाल्मीकि

(ख) ओमप्रकाश सिंह

(ग) अमरकान्त

(घ) सुधा अरोड़ा

6. सुकिया और मानो कितने दिन पहले भट्ठे पर आए थे ?

(क) दो सप्ताह पहले

(ख) तीन महीने पहले

(ग) दो साल पहले

(घ) महीना भर पहले

7. महेश और किसनी कितने दिन पहले भट्ठे पर आए थे ?

(क) तीन महीने पहले

(ख) दो महीने पहले

(ग) तीन साल पहले

(घ) साल भर पहले

8. किसनी और महेश की शादी कितने दिन पहले हुई थी?

(क) दो-तीन महीने पहले

(ख) दो साल पहले

(ग) पाँच-छः महीने पहले

(घ) तीन साल पहले

9. ज्यादातर लोग भट्ठे पर रोटी के साथ क्या खाते थे ?

(क) गुड़ या फिर लाल मिर्च की चटनी

(ख) सिर्फ लाल मिर्च की चटनी

(ग) सब्ज़ी

(घ) भात-दाल

10. भट्ठे के लोग पानी कहाँ से भरते थे ?

(क) हैंडपंप

(ख) तालाब

(ग) नदी

(घ) कुआँ

11. किसनी के व्यवहार बदलने पर महेश किस तरह रहने लगा ?

(क) खुश

(ख) दुखी

(ग) गुमसुम

(घ) परेशान

12. किसनी को सूबेसिंह से क्या-क्या मिल गया था ?

(क) कपड़े-लत्ते

(ख) साबुन

(ग) ट्रांजिस्टर

(घ) इनमें से सभी

13. कितने दिन का काम देखकर असगर ठेकेदार ने सुकिया और मानो को ईंट पाथने का काम दिया?

(क) दस दिन का काम

(ख) सप्ताह भर का काम

(ग) महीने भर का काम

(घ) पंद्रह दिन का काम

14. सुकिया और मानो के साथ भट्ठे पर और कौन काम करता था ?

(क) जसदेव

(ख) सूबेसिंह

(ग) असगर

(घ) मुखतार सिंह

15. मानो के न आने पर गुस्से में सूबेसिंह ने किसको मारा था ?

(क) जसदेव

(ख) सुकिया एवं मानो

(ग) किसनी

(घ) महेश

16. किसनी के बाद सूबेसिंह ने किसे दफ्तर में काम पर रखना चाहा ?

(क) महेश

(ख) मानो

(ग) सुकिया

(घ) असगर

17. जसदेव के घावों पर किसने हल्दी लगाई ?

(क) सुकिया

(ख) मानो

(ग) असगर

(घ) महेश

18. जसदेव ने मानो के हाथ की रोटी नहीं खाई, क्योंकि वह

(क) बीमार था

(ख) राजपूत था

(ग) ब्राह्मण जाति का था

(घ) सो रहा था

19. सुकिया से ईंट पाथने का साँचा वापस लेकर किसको दिया गया ?

(क) असगर को

(ख) जसदेव को

(ग) महेश को

(घ) किसनी को

20. सुकिया की पत्नी कौन थी ?

(क) मानो

(ख) किसनी

(ग) रानी

(घ) इनमें से कोई नहीं

21. भट्ठे के मालिक का नाम क्या था ?

(क) सूबेसिंह

(ख) मुखतार सिंह

(ग) ओमप्रकाश सिंह

(घ) असगर

22. मुखतार सिंह के पुत्र का नाम क्या था ?

(क) हाकिम सिंह

(ख) मैनेजर सिंह

(ग) सूबेसिंह

(घ) जालिम सिंह

23. महेश को काबू में करने के लिए किस नशे की लत लगाई गई ?

(क) शराब

(ख) अफीम

(ग) सिगरेट

(घ) इनमें से कोई नहीं

24. मानो और सुकिया की सारी ईंटें किसने तुड़वा दी थी ?

(क) किसनी

(ख) सूबेसिंह

(ग) महेश

(घ) जसदेव

25. खानाबदोश कहानी में किस वर्ग की विडंबना को दिखाया गया है ?

(क) मजदूर वर्ग

(ख) धनाढ्य वर्ग

(ग) किसान

(घ) कलाकार वर्ग

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ओमप्रकाश वाल्मीकि के जन्म स्थान एवं बालपन के संघर्ष को 20-25 शब्दों में वाणी दें।

उत्तर:- ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म बरला, ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका बचपन सामाजिक एवं घनघोर आर्थिक कठिनाइयों में बीता।

2. दलित साहित्य में उनकी भूमिका को रेखांकित करते हुए उनकी दो पुस्तकों के नाम लिखें।

उत्तरः- हिंदी दलित साहित्य में ओमप्रकाश वाल्मीकि का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कविता, कहानी, आलोचना एवं आत्मकथा लिखकर दलित साहित्य को नई ऊँचाई तक पहुँचाया। उनकी दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकों के नाम हैं- जूठन (आत्मकथा) एवं सदियों का संताप (कविता संग्रह)।

3. ओमप्रकाश वाल्मीकि को कौन-कौन से पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ?

उत्तरः- उन्हें साहित्य सृजन के लिए 1993 में 'डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय पुस्कार' प्राप्त हुआ। 1995 ई. में उन्हें "परिवेश सम्मान" से नवाजा गयौ। जूठन के अंग्रेजी संस्करण पर उन्हें 'न्यू इंडिया बुक पुरस्कार, 2004' दिया गया।

4. सुकिया और मानो कहाँ काम करते थे? वहाँ का माहौल कैसा था ?

उत्तरः- सुस्किया और मानो ईंट के भट्टेद्वे में काम करते थे। दिन मैं तो वहाँ ईंटें बनाई जाती थीं रात में भट्ठा अँधेरे की गोद में समा जाता था। सन्नाटा, भय एवं दुश्चिंताओं के कारण माहौल डरावना लगता था।

5. सूबेसिंह के भट्ठे पर आने के बाद दफ़्तर के बाहर पहरा देने वाला अर्दली किस तरह ड्यूटी करता था ?

उत्तरः- मुखतार सिंह के बेटे सूबेसिंह के आने पर भट्ठे का माहौल बंदल जाता था, असगर ठेकेदार भीगी बिल्ली बन जाता था। दफ़्तर के बाहर जो अर्दली ड्यूटी करता, वो कुर्सी पर उकडू बैठकर दिनभर बीड़ी पीता था और आने-जाने वालों पर निगरानी रखता था। उसकी इज़ाज़त के बगैर कोई अंदर नहीं जा सकता था।

6. सूबेसिंह और किसनी के बीच किस तरह का संबंध विकसित हो गया था?

उत्तर:- किसनी की शादी महेश से पाँच-छः महीने पहले ही हुई थी। सूबेसिंह की नज़र जब उस पर पड़ी तो उसने अपनी सेवा-टहल के लिए उसे दफ़्तर में बुला लिया। दोनों के रंग-ढंग देखकर लोग जान गए कि दोनों के बीच अनैतिक संबंधों की शुरुआत हो चुकी है।

7. महीने भर में जो हमने इत्ती ईंटें बणा दी हैं....... क्या अपणे लिए हम ईंटें ना बणा सके हैं।" मानो के इस प्रश्न पर सुकिया ने क्या कहा ?

उत्तरः- "यह भट्ठा मालिक का है। हम ईंटें उनके लिए बणाते हैं। हम तो मज़दूर हैं। इन ईटों पर अपणा कोई हक ना है।" सुस्किया ने अपनी ज़िन्दगी का नग्न यथार्थ इन शब्दों में प्रस्तुत कर दिया।

8. मानो का सपना क्या था? उसने सुकिया से इस विषय में क्या कहा?

उत्तरः- मानो का सपना था कि अपना एक पक्की ईंटों का घर हो। इस संदर्भ में उसने सुकिया से कहा- "कुछ भी करो... तुम चाहो तो मैं रात-दिन काम करूँगी... मुझे एक पक्की ईंटों का घर चाहिए। अपने गाँव में.. लाल-सुर्ख ईटों का घर।"

9. जब असगर ठेकेदार ने सूबेसिंह को समझाते हुए मानो को अपने दफ़्तर में बुलाने के लिए रोकना चाहा तो सूबेसिंह ने फटकारते हुए क्या कहा ?

उत्तरः- सूबेसिंह ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही फटकारते हुए कहा कि- "तुमसे जो कहा गया है, वही करो। राय देने की कोशिश मत करो। तुम इस भडे पर मुंशी हो। मुंशी ही रहो, मालिक बनने की कोशिश करोगे तो अंजाम बुरा होगा।"

10. सूबेसिंह ने जसदेव के साथ कैसा व्यवहार किया ?

उत्तरः- मानो की जगह पर जसदेव को आता देखकर सूबेसिंह बिफर पड़ा। उसने उसे अपशब्द कहते हुए कहा- "जानता नहीं... भट्टे की आग में झोंक दूँगा... किसी को भी पता नहीं चलेगा। हड्डियाँ तक नहीं मिलेंगी राख से.... समझा।"

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ईंट भट्ठे पर सुकिया, मानो एवं जसदेव के मिलने से उनका काम किस प्रकार चल पड़ा ?

उत्तरः- सुकिया और मानो जब ईंट भट्टे पर आए तो उनकी जिन्दगी निश्चित ढर्रे पर चलने लगी। दोनों मिलकर पहले तगारी बनाते, फिर मानो तैयार मिट्टी लाकर देती। इस कार्य में उनके साथ एक तीसरा मज़दूर भी आ गया था जिसका नाम जसदेव था। जसदेव के आ जाने से सुकिया और मानो के काम में गति आ गई थी। मानो भौ फुर्ती से साँचे में ईंटें डालने लगी थी, जिससे उनकी दिहाड़ी बढ़ गई थी।

2. भट्ठे की ज़िन्दगी एवं खाने के बारे में संक्षेप में लिखिए।

उत्तरः- भट्ठे की ज़िंदगी भी अजीब थी। गाँव-बस्ती जैसा माहौल था। झोपड़ी के बाहर जलते चूल्हे और पकते खाने की महक से भट्ठे की नीरस जिंदगी में कुछ देर के लिए ही सही, ताज़गी का अहसास होता था। ज्यादातर लोग रोटी के साथ गुड या फिर लाल मिर्च की चटनी ही खाते थे। दाल- सब्जी तो कभी-कभार ही बनती थी।

3. किसनी और सूबेसिंह की कहानी के आगे बढ़ने पर वहाँ क्या-क्या परिवर्तन हुए ?

उत्तरः- किसनी और सूबेसिंह की कहानी जब काफ़ी आगे बढ़ गई तो कई तरह के परिवर्तन वहाँ दिखाई पड़ने लगे। सूबेसिंह के अर्दली ने महेश को नशे की लत डाल दी थी। नशा करके वह झोपड़ी में पड़ा रहता था। किसनी के पास एक ट्रांजिस्टर आ गया था जिसकी आवाज़ फ़िज़ाओं में गूंजने लगी थी। वह इतनी ज़ोर से ट्रांजिस्टर बजाती कि वातावरण फ़िल्मी गीतों की सुरीली आवाज़ से महक उठता था। शांत वातावरण में संगीत-लहरियों से माहौल संगीतमय हो जाता था।

4. जब सूबेसिंह मानो को परेशान करने लगा तो मानो के मन में क्या-क्या ख़याल आए ?

उत्तरः- मानो के मन में भयमिश्रित दद्वंद्व चलने लगा कि आगे क्या होगा। बार-बार उसे लग रहा था कि वह सुरक्षित नहीं है। एक सवाल उसे खाए जा रहा था क्या औरत होने की यही सज़ा है। वह जानती थी कि सुकिया ऐसा- वैसा कुछ नहीं होने देगा, वह महेश की तरह नहीं है। ज़रूरत पड़े तो उन्हें यह भट्ठा भी छोड़ना पड़ेगा लेकिन भट्ठा छोड़ने के खयाल से ही वह सिहर उठती थी क्योंकि वही उसकी आय का एकमात्र स्रोत था। उसे लाल-लाल पकी ईंटों का घर बनाना था।

5. जब जसदेव ने मानो की हाथ की रोटी नहीं खाई तो मानो ने दुखी होकर क्या कहा ?

उत्तरः- जसदेव के रोटी नहीं खाने पर मानो ने दुखी मन से कहा- "तुम्हारे भइया कह रहे थे कि तुम बामन हो... इसलिए मेरे हाथ की रोटी नहीं खाओगे। अगर यो बात है तो मैं ज़ोर ना डालूँगी थारी मर्जी..... औरत हूँ पास में कोई भूखा हो तो रोटी का कौर गले से नहीं उतरता है।.... फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो... मेरी खातिर पिटे.... फिर यह बामन म्हारे बीच कहाँ से आ गया.....?" यह कहते कहते वह रुआँसी हो गई थी उसका गला रुँध गया था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. खानाबदोश पाठ के आधार पर मज़दूर वर्ग की मुख्य समस्याओं पर संक्षेप में चर्चा करें।

उत्तरः- इस पाठ को पढ़ते ही जो पहली समस्या दिखाई देती है वह है- अपने गाँव-घर के आस-पास काम का ना मिलना। जब गाँव-घर में काम नहीं मिलता तो लोग काम की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं और इस टीस के साथ जीते हैं कि "अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।" अपनी मिट्टी, अपने घर परिवार को छोड़ कर जब व्यक्ति बाहर जाता है तो वह "खानाबदोश" हो जाता है वह ना घर का रहता है ना घाट का। पेट के लिए वह आत्मा को मार देता है। वह घुट-घुट कर ज़िंदगी का ज़हर घूँट घूँट पीता है और रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरता है।

दूसरी समस्या जो नज़र आती है वह है जातिवादी माहौल और निम्न वर्ग के शोषण की। एक साथ काम करनेवाले जसदेव और मानो एक ही वर्ग के हैं लेकिन कहीं न कहीं जातिवाद के विषैले धुएँ ने जसदेव को मानो से दूर कर दिया। उधर सूबेसिंह जैसा ज़ालिम व्यक्ति निम्नवर्ग की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनकी स्त्रियों को 'भोग' की वस्तु समझता है। वह पुरुषवादी मानसिकता से लबरेज, सामंती सोच से आच्छादित उच्चवर्ग का ऐसा प्रतिनिधि है जिसके सामने गरीब मज़दूर की कोई गरिमा ही नहीं हैं; निम्नवर्ग की स्त्रियों की कोई इज्ज़त ही नहीं है। उसके भट्टे पर काम कर रहे स्त्री-पुरुष को वह अपना गुलाम समझता है और उनके दमन-शोषण को अपना अधिकार। इस क्रम में वह किसनी का स्त्रीत्व नष्ट कर देता है और जसदेव का मान सम्मान।

एक और समस्या यहाँ दृष्टिगोचर होती है वह है कम मज़दूरी एवं सपनों के सच न होने की। दिन-रात मेहनत करने पर भी सुस्किया और मानो को लगता है कि "इतनी मज़दूरी मिलती कहाँ है ?.... घर बणाने लायक रूपया जोड़ते-जोड़ते उम्र निकल जागी। फेर भी घर ना बण पावेगा।" जब घर बनाने का सपना भी 'सपना' ही रह जाएगा तो आदमी इतनी हाय-हाय क्यों करें? किसके लिए ?

2. इस कहानी के आधार पर मानो के सपने और संघर्ष का चित्रण कीजिए।

उत्तरः- सुकिया और मानो एक महत्त्वाकांक्षी दम्पति हैं। वे गाँव में रहते ज़रूर हैं लेकिन अपनी गरीबी से संतुष्ट नहीं हैं। सुकिया के मन में एक बात बैठ गई है कि- "नर्क की जिंदगी से निकलना है तो कुछ छोड़ना भी पड़ेगा।" जबकि मानो कहती है कि "अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवान से अच्छी होती है।" बेहतर जिंदगी की तलाश में दोनों गाँव-देहात छोड़कर असगर ठेकेदार के साथ भट्ठे पर पहुँच जाते हैं मजदूरी करने। यहाँ लाल-लाल पकी ईंटों को देखकर मानो के मन में एक सपने का जन्म होता है "कुछ भी करो..... तुम चाहो तो मैं रात-दिन काम करूँगी.... मुझे एक पक्की ईटों का घर चाहिए। अपने गाँव में.... लाल सुर्ख ईटों का घर।" सपने और हकीकत के बीच चल रहे जंग में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर उभरता है सुबेसिंह। वह भट्ठे के मालिक मुखतार सिंह का जवान बेटा था- अमीर और ऐय्याश। अपने दबंग स्वभाव के कारण उसने किसनी को अपने कब्जे में करके यह सोचा कि मैं जो चाहँ वो कर सकता हैं। किसनी के साथ रंग-रलियाँ मनाने के बाद उसकी नज़र मानो पर पड़ी। उसने मानो के लिए जाल बिछाया लेकिन मानो उसके झाँसे में नहीं आई। जसदेव ने उसकी द्विधा को समझते हुए उसको बचाने का प्रयास किया लौकन खुद पिट गयौं। इस घटना ने दोनों को परेशान कर दिया उन्हें लगा कि इज्जत लुटा कर तो अपने सपने पूरे नहीं किए जा सकते। एक और 'साथी जसदेव' 'ब्राह्मण जसदेव' बन गया और रोजगार देने वाला मालिक इज्ज़त का सौदागर । सूबेसिंह ने नए- नए बहाने ढूंढ कर उन्हें सताने की कोशिश शुरू कर दी। उनकी बनाई हुई ईंटों को रात में तोड़ दिया गया। कहीं से सहयोग और सहायता न पाकर वे लोग भारी और दुखी मन से वहाँ से पलायन करने पर मजबूर हो गए। पक्की ईंटों के मकान का सपना 'सपना' ही रह गया ।

लेकिन इस कहानी में सुकिया की जीवटता और मानो की महत्त्वाकांक्षा को सहज ही देखा जा सकता है जहाँ इज्ज़त बचाने के लिए सपनों की कुर्बानी दी गई है। जब साथी, समाज और व्यवस्था साथ न दे तो पलायन ही उन लोगों को उचित लगा।

3. आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी क्या कामकाजी स्त्रियाँ अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित हैं इस कहानी को केंद्र में रखते हुए उत्तर लिखें ?

उत्तरः- इस कहानी में साफ-साफ देखा जा सकता है कि उच्च वर्ग का मालिक नुमा पुरुष लंपटता पर उतर कर अपने अधिकार का दुरुपयोग करता है। वह किसनी का अपने अधिकार बल से, लालच देकर शोषण करता है और उसके बीमार होने पर बड़ी सहजता से उसको छोड़ देता है। फिर वह दूसरी औरत मानो पर डोरे डालता है लेकिन मानो होशियार और सतर्क है। माने का पति सुस्किया उसके साथ चट्टान की तरह संबल बनकर खड़ा हैं इसलिए सूबेसिंह चाहकर भी उसका शिकार नहीं कर पाता। सूबेसिह को मुँह की खानी पड़ती है लेकिन उसके चंगुल से बचने के लिए अंततः दोनों को भट्टा छोड़ना ही पड़ता है।

दरअसल 'स्त्री' कहाँ-कहाँ लोलुप पुरुषों से बचेगी। प्राचीन काल से आज तक यही संघर्ष सर्वेत्र व्याप्त है। रामायण में सीता का हरण हआ तो महाभारत में द्रौपदी का चीर-हरण। पाँच पतियों की सुरक्षा के बीच द्रौपदी पर बूरी नजर रखने वाले कहीं जयद्रथ जैसे सगे थे तो कहीं कीचक जैसे संरक्षक के साले। 'पद्मावती' कहाँ-कहाँ बचे 'अलाउद्दीन' तो हर जगह है। घर-बाहर हर जगह रावण किस वेष में घूम रहा है कैसे जाना जाए। "बेटी कैसे बचे और कैसे पढ़ें।" आए दिन कार्यस्थल पर साथी पुरुषों की छींटाकशी, व्यंग्यवाण एवं पीठ पीछे अभद्र टिप्पणियाँ झेलती हई स्त्री जब अपने साथी पुरुषों के द्वारा कई टुकड़ों में तब्दील कर दी जाती है तब समाज का भयानक और वीभत्स चेहरा सामने आता है। पुरुषों की इस हैवानियत और शैतानी रूप पर दिमाग सुन्न हो जाता है कि समाज किस दिशा में जा रहा है। मनुष्य चाँद पर चला गया लेकिन इंसानियत रसातल में जा रही है। क्या गाँव-क्या शहर, हर जगह स्त्रियों के प्रति हिंसा और अपराध बढ़ते जा रहे हैं। स्त्रियों के प्रति मानसिकता बदलने की जरूरत है और कठोर कानून बना कर उनकी सुरक्षा के घेरे को और मज़बूत करना होगा। स्वतंत्र और सुरक्षित स्त्री ही प्रगतिशील भारत का निर्माण कर पाएगी।

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विषय सूची

पाठ सं.

पाठ का नाम

अंतरा भाग -1

गद्य-खंड

1.

ईदगाह

2.

दोपहर का भोजन

3.

टार्च बेचने वाले

4.

गूँगे

5.

ज्योतिबा फुले

6.

खानाबदोश

7.

उसकी माँ

8.

भारतवर्ष की उन्नत कैसे हो सकती है

काव्य-खंड

9.

अरे इन दोहुन राह न पाई, बालम, आवो हमारे गेह रे

10.

खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति

11.

हँसी की चोट, सपना, दरबार

12.

संध्या के बाद

13.

जाग तुझको दूर जाना

14.

बादल को घिरते देखा है

15.

हस्तक्षेप

16.

घर में वापसी

अंतराल भाग 1

1.

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

2.

आवारा मसीहा

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर

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