Class 11 Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ - 2. पत्रकारिता के विविध आयाम

Class 11 Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ - 2. पत्रकारिता के विविध आयाम

 Class 11 Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ - 2. पत्रकारिता के विविध आयाम

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11 Hindi Elective

अभिव्यक्ति और माध्यम

पाठ - 2. पत्रकारिता के विविध आयाम

स्मरणीय तथ्य

पत्रकारिता एक तरह से 'दैनिक इतिहास' लेखन है।

पत्रकारिता का संबंध सूचनाओं को संकलित और संपादित कर आम पाठकों तक पहुंचाने से है।

कनाडा के मशहूर संचारशास्त्री मार्शल मैकलुहान के अनुसार "माध्यमे ही संदेश है"।

किसी घटना को समाचार बनाने के लिए उसमें नवीनता, जनरुचि, निकटता, प्रभाव जैसे तत्वों का होना जरूरी है।

समाचारों के संपादन में तथ्यपरकता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता और संतुलन जैसे सिद्धांतों का ध्यान रखना पड़ता है।

समाचार अपने समय के विचार, घटना और समस्याओं के बारे में लिखे जाते हैं।

समाचार ऐसी समसामयिक घटनाओं, समस्याओं और विचारों पर आधारित होते हैं, जिन्हें जानने की अधिक से अधिक लोगों में दिलचस्पी होती है और जिनका अधिक से अधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

समाचार संगठनों में दद्वारपाल की भूमिका संपादक और सहायक संपादक, समाचार संपादक, मुख्य संपादक और उपसंपादक आदि निभाते हैं।

समाचार संगठनों में समाचारों के संकलन का कार्य जहां रिपोर्टिंग की टीम करती है, वहीं उन्हें संपादित कर लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संपादकीय टीम पर होती है।

'संपादन' का अर्थ है किसी सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना।

उपसंपादक अपने रिपोर्टर की खबर को ध्यान से पढ़ता है और उसकी आषा-शैली, व्याकरण, वर्तनी तथा तथ्य संबंधी अशुद्धियों को दूर करता है। वह उस खबर के महत्त्व के अनुसार उसे काटता-छांटता है और उसे कितनी और कहां जगह दी जाए, यह तय करता है।

पत्रकारिता कुछ सिद्धांतों पर चलती है। पत्रकारिता की साख बनाए रखने के लिए निम्नलिखित पांच सिद्धांतों का पालन करना जरूरी है

1. तथ्यों की शुद्धता (एक्यूरेसी),

2. वास्तुपरकता (ऑब्जेक्टिविटी),

3. निष्पक्षता (फेयरनेस)

4. संतुलन (बैलेंस),

5. स्रोत (सोर्सिंग-एट्रीब्यूशन)।

पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है।

पत्रकार की चार बैसाखियां हैं

1. सच्चाई,

2. संतुलन,

3. निष्पक्षता और

4. स्पष्टता।

पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं-

1. पूर्णकालिक

2. अंशकालिक (स्ट्रिंगर) और

3. फ्रीलांसर या स्वतंत्र।

समाचार के लिए पी.टी.आई. (भाषा) यू.एन.आई. (यूनीवार्ता) समाचार एजेंसियां हैं।

समाचार के अलावा विचार, टिप्पणी, संपादकीय, फोटो और कार्टून पत्रकारिता के अहम हिस्से हैं।

संपादकीय पृष्ठ को समाचार पत्र का सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ माना जाता है। इस पृष्ठ पर अखबार विभिन्न घटनाओं और समाचारों पर अपनी राय रखता है। इसे संपादकीय कहा जाता है।

संपादक के नाम पत्र संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किए जाते हैं।

कार्टून पहले पन्ने पर प्रकाशित होनेवाले हस्ताक्षरित संपादकीय है।

फोटो पत्रकारिता के बारे में कहा जाता है कि जो बात हजार शब्दों में लिखकर नहीं कही जा सकती वह एक तस्वीर कह देती है।

रेखांकन और कार्टोग्राफ सेंसेक्स के आंकड़ों तक में सामने आ जाती है। में क्रिकेट के स्कोर से लेकर ग्राफ से पूरी बात एक नजर

खोजपरक पत्रकारिता- से आशय ऐसी पत्रकारिता से है, जिसमें गहराई से छानबीन करके ऐसे तथ्य और सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है, जिन्हें दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो। इसमें पत्रकारिता सार्वजनिक महत्व के मामले में भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को सामने लाने की कोशिश करती है। इसका एक नया रूप टेलीविजन में 'स्टिंग ऑपरेशन' के रूप में सामने आया है।

वॉचडॉग पत्रकारिता- लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कहीं भी कोई गड़बड़ी हो तो उसका पर्दाफाश करना है। इसे परंपरागत रूप से वॉचडॉग पत्रकारिता कहा जाता है।

एडवोकेसी पत्रकारिता- कुछ समाचार पत्र या टेलीविजन चैनल किसी खास मुद्दे पर जनमत बनाने और सरकार को उसकी अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए अभियान चलाते हैं। इस तरह की पत्रकारिता को पक्षधर या एडवोकेसी पत्रकारिता कहा जाता है।

वैकल्पिक पत्रकारिता- जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है, उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। आमतौर पर इस तरह के मीडिया को सरकार और बड़ी पूंजी का समर्थन हासिल नहीं होती है। इस मीडिया को मुख्यधारा का मीडिया भी कहा जाता है।

पीत पत्रकारिता- पाठकों को लुभाने के लिए झूठी अफवाहों, आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेम संबंधों आदि से संबंधित सनसनीखेज समाचारों को पित्त पत्रकारिता कहते हैं।

पेज थ्री पत्रकारिता- ऐसी पत्रकारिता जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफिलों और जाने-माने लोगों की निजी जीवन के बारे में बताया जाता है।

पाठ से संवाद

1. किसी भी दैनिक अखबार में राजनीतिक खबरें ज्यादा स्थान क्यों घेरती है? इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तरः- जनसंचार के विभिन्न माध्यमों की प्रचार-प्रसार के कारण लोगों में राजनीति के प्रति रुझान बढ़ गया है। लोग राजनीति के प्रति पहले की अपेक्षा अधिक जिज्ञासु हुए हैं। देश की राजनीति का संबंध आम जीवन के ईर्द-गिर्द घूमता है। वे वर्तमान सरकार के काम-काज के तौर-तरीकों तथा राजनीति में हो रही हलचल को जानना चाहते हैं। अखबार लोगों की इस रुचि को ध्यान में रखकर खबरों को प्रमुखता से छापते हैं। ऐसे में किसी भी दैनिक अखबार (समाचार पत्र) में राजनीतिक खबरों का ज्यादा स्थान घेरना स्वाभाविक है।

2. किन्हीं तीन हिंदी समाचार पत्रों (एक ही तारीख के) को ध्यान से पढ़िए और बताइए कि एक आम आदमी की जिंदगी में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाली खबरें समाचार पत्रों में कहां और कितना स्थान पाती हैं।

उतर:- मैंने दिनांक 17 सितंबर 2023 को प्रभात खबर, दैनिक जागरण व दैनिक भास्कर समाचार पत्रों को पढ़ा, जिसमें आम आदमी की जिंदगी में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखनेवाली खबरें पहले, तीसरे व पांचवें पृष्ठ पर स्थान पाती हैं। शेष पृष्ठों पर सरकारी निर्णय, पक्ष- विपक्ष का प्रदर्शन, खेल, संपादकीय तथा देश विदेश आदि की जानकारियां होती हैं।

3. निम्न में से किसे आप समाचार कहना पसंद नहीं करेंगे और क्यों ?

(क) प्रेरक और उत्तेजित कर देने वाली हर सूचना

(ख) किसी घटना की रिपोर्ट

(ग) समय पर दी जाने वाली हर सूचना

(घ) सहकर्मियों का आपसी कुशलक्षेम या किसी मित्र की शादी

उत्तरः- प्रश्न में दी गई प्रथम तीन सूचनाओं (क), (ख) और (ग) को मैं समाचार कहना पसंद करूंगा, चौथी अर्थात् (घ) सूचना को समाचार नहीं कह सकता, क्योंकि 'सहकर्मियों का आपसी कुशलक्षेम या मित्र की शादी' जैसी सूचना का संबंध दो-चार या थोडे-से लोगों से संबंधित है। यह एक निजी मामला है, जिनमें जन- साधारण की कोई रुचि नहीं होती है।

4. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि खबरों को बनाते समय जनता की रुचि का ध्यान रखा जाता है। इसके विपरीत जनता की रुचि बनाने-बिगाड़ने में खबरों का क्या योगदान होता है? विचार करें।

उत्तरः- जनता की रुचि बनाने-बिगाड़ने में खबरों की अहम भूमिका होती है। विज्ञापनों से लोगों को लुभाने के लिए उत्पादों की विशेषताओं का गुणगान करने से आम व्यक्ति बिना जरुरत के भी इसकी खरीददारी करता है। जाति, धर्म के क्षेत्र में संबंधित खबरों को सनसनीखेज बनाने के लिए झूठ का सहारा लिया जाता है। मीडिया अपने मुनाफे के लिए गलत रिपोर्ट भी पेश करता है। आए दिन चुनाव के समय ये देखने को मिलता है।

5. निम्न पंक्तियों की व्याख्या करें-

(क) इस दौर में समाचार मीडिया बाजार को हड़पने के लिए अधिकाधिक लोगों का मनोरंजन तो कर रहा है। लेकिन जनता के मूल सरोकार को दरकिनार करता जा रहा है।

(ख) समाचार मीडिया के प्रबंधक बहुत समय तक इस तथ्य की उपेक्षा नहीं कर सकते कि साख और प्रभाव समाचार मीडिया की सबसे बड़ी ताकत होती है।

उत्तर- (क) 'जनता के मूल सरोकार को दरकिनार करता जा रहा है' अंतिम पंक्ति से स्पष्ट है कि मीडिया की कार्य-प्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया गया है। आजकल मीडिया वाले मुनाफा कमाने और बाजार को हड़पने के लिए अधिक चिंतित दिखाई दे रहा है। वह अमीर वर्ग तथा अधिक क्रय- शक्ति वालों की खबरों को प्रमुखता देता है तथा सामान्य लोगों के हितों को बढ़ावा देने वाली और जन-सामान्य के जीवन की खबरों की उपेक्षा कर इस वर्ग के लोगों के हितों की चिंता नहीं करता।

(ख) समाचार मीडिया के प्रबंधकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह मीडिया के प्रभाव तथा उसकी साख को गिरने न दें। मीडिया का लोगों पर प्रभाव और लोगों के मध्य बनी साख ही उसकी शक्ति है। साख एवं प्रभाव खो देने के बाद मीडिया का लोगों पर बना प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। ऐसे में मीडिया प्रबंधकों को मीडिया की साख तथा प्रभाव की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. विभिन्न घटनाओं को समाचारों के रूप में कौन परिवर्तित करते हैं?

(क) संपादक

(ख) पत्रकार

(ग) कवि

(घ) लेखक

2. समाचार जल्दी में लिखा गया है।

(क) साहित्य

(ख) इतिहास

(ग भूगोल

(घ) मनोविज्ञान

3. सूचना प्राथमिकताएँ निर्धारित की जाती हैं-

(क) उपभोक्ताओं के अनुसार

(ख) आर्थिक क्षमता के अनुसार

(ग) राजनीतिक महत्त्व के अनुसार

(घ) साहित्यिक श्रेष्ठता के अनुसार

4. समाचार वही है जो उस घटना की जानकारी दे जो-

(क) बासी हो

(ख) ताज़ी हो

(ग) बेकार हो

(घ) शुष्क हो

5. इनमें से समाचार का तत्त्व नहीं है

(क) संपादन

(ख) नवीनता

(ग) प्रभाव

(घ) पाठक वर्ग

6. कौन-से किस्से-कहानी समाचार नहीं हो सकते ?

(क) समुद्री गहराई के

(ख) पर्वतीय ऊँचाइयों के

(ग) भूत-प्रेतों का

(घ) जंगली क्षेत्रों के

7. समाचारों को संपादित कर लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी किसकी होती है ?

(क) समाचारीय टीम

(ख) संपादकीय टीम

(ग) प्रबंधन समिति

(घ) पत्रकार

8. तथ्यों की शुद्धता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता, संतुलन और स्रोत हैं-

(क) संपादन के सिद्धांत

(ख) समाचार के तत्व

(ग) समाचार की बैसाखी

(घ) पत्र के आयाम

9. एक पत्रकार समाचार के रूप में पेश करता है

(क) कल्पना

(ख) यथार्थ

(ग) भावनाओं

(घ) झूठे अतीत

10. किसी भी पत्रकार के लिए सदा क्या होना आवश्यक है?

(क) निष्पक्ष

(ख) कपटी

(ग) एकपक्षीय

(घ) दुर्भावपूर्ण

11. समाचारों में कौन-सा तत्त्व अधिक अहम होता है ?

(क) अन्यायपूर्ण

(ख) न्यायसंगत

(ग) विद्वेष पूर्ण

(घ) असत्य

12. पत्रकार का गुण है

(क) असहज

(ख) असत्यवादी

(ग) संदेह करना

(घ) क्रोधी

13. संपादक को उसके विविध कार्यों में कौन सहायता पहुंचाता है ?

(क) मंत्री

(ख) नेता

(ग) पाठक

(घ) संयुक्त संपादक

14. वर्तमान पत्रकारिता का स्वरूप क्या है ?

(क) अंतरराष्ट्रीय

(ख) राष्ट्रीय

(ग) प्रदेशीय

(घ) क्षेत्रीय

15. किस पत्रकारिता में फैशन, अमीरों की पार्टियां, महफिलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है ?

(क) वॉचडॉग पत्रकारिता

(ख) एडवोकेसी पत्रकारिता

(ग) पेज-थ्री पत्रकारिता

(घ) पीत पत्रकारिता

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. पत्रकारिता क्या है?

उत्तरः- पत्रकारिता शब्द अंग्रेजी के 'जर्नलिज्म' (Journalism) का हिंदी रूपांतर है। शब्दार्थ की दृष्टि से 'जर्नलिज्म' शब्द 'जर्नल' से निर्मित है और इसका आशय है 'दैनिक'। अर्थात् पत्रकारिता एक तरह से दैनिक पत्र लेखन है।

2. पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तरः- पत्रकारिता के कई प्रकार हैं। इनमें से प्रमुख हैं - खोजपरक पत्रकारिता, विशेषीकृत पत्रकारिता, वॉचडॉग पत्रकारिता, एडवोकेसी पत्रकारिता और वैकल्पिक पत्रकारिता।

3. समाचार क्या है?

उत्तरः- समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है, जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ रहा हो। समाचार को अंग्रेजी में न्यूज़ कहा जाता है जो 'न्यू' का बहुवचन है। यह लैटिन के 'नोवा' एवं संस्कृति के 'नव' से बना है। कहने का तात्पर्य है कि जो नित्य-नूतन हो, वही समाचार है।

4. समाचार के तत्त्वों को लिखें।

उत्तरः- समाचार के तत्त्व निम्नलिखित है -

1. नवीनता,

2. निकटता,

3. प्रभाव,

4. जनरुचि

5. टकराव या संघर्ष,

6. महत्वपूर्ण लोग,

7. उपयोगी जानकारियां,

8. अनोखापन,

9. पाठक वर्ग और

10. नीतिगत ढांचा।

5. संपादन से क्या तात्पर्य है ?

उत्तरः- संपादन से तात्पर्य है किसी सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके पठनीय बनाना। उपसंपादक, रिपोर्टर की खबर की भाषा-शैली, व्याकरण, वर्तनी तथा तथ्य संबंधी अशुद्धियों को दूर करता है।

6. पत्रकार की कितनी बैसाखियां हैं ?

उत्तरः- पत्रकार को चार बैसाखियों का सहारा लेने की आवश्यकता पड़ती है। ये चार बैसाखियां हैं -

1. सच्चाई,

2. संतुलन,

3. निष्पक्षता और

4. स्पष्टता।

7. संपादन के प्रमुख सिद्धांतों को लिखें।

उतर:- संपादन के 5 सिद्धांत या मुख्य बिंदु होते हैं -

1. तथ्यों की शुद्धता (एक्यूरेसी)

2. वस्तुपरकता (ऑब्जेक्टिविटी)

3. निष्पक्षता (फेयरनेस)

4. संतुलन (बैलेंस)

5. स्रोत (सोर्सिंग-एट्रीब्यूशन)

8. न्यूज़पेग का अर्थ समझाइए।

उत्तरः- न्यूज़पेग का अर्थ है किसी मुद्दे पर लिखे जा रहे लेख या फीचर में उस नवीनतम घटना का उल्लेख जिसके कारण वह मुद्दा चर्चा में आ गया है।

9. स्टिंग ऑपरेशन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तरः- खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप टेलीविजन में स्टिंग ऑपरेशन के रूप में सामने आया है। किसी टेलीविजन चैनल का पत्रकार छिपे कैमरे के जरिए किसी गैर कानूनी, अवैध और असामाजिक गतिविधियों को फिल्माता है और फिर उसे अपने चैनल पर दिखाता है, तो इसे स्टिंग ऑपरेशन कहते हैं।

10. संपादकीय किसे कहा जाता है ?

उत्तरः- संपादकीय पृष्ठ को समाचार पत्र का सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ माना जाता है। इस पृष्ठ पर अखबार विभिन्न घटनाओं और समाचारों पर अपनी राय रखता है। इसे संपादकीय कहा जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता के प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तरः- हम अपने पास-पड़ोस, शहर, राज्य और देश-दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं। ये सूचनाएँ हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। आज देश-दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसकी अधिकांश जानकारी हमें समाचार माध्यमों से मिलती है। समाचार संगठनों में काम करने वाले पत्रकार देश- दुनिया में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करके हम तक पहुँचाते हैं। इसके लिए वे रोज सूचनाओं का संकलन करते हैं और उन्हें समाचार के प्रारूप में ढालकर प्रस्तुत करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही पत्रकारिता कहते हैं।

पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

1. खोजपरक पत्रकारिता- खोजपरक पत्रकारिता का आशय ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें गहराई से छान- बीन करके ऐसे तथ्यों और सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है, जिन्हें दबाने या छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो। आमतौर पर खोजी पत्रकारिता सार्वजनिक महत्व के मामलों में भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को सामने लाने की कोशिश करती है। खोजी पत्रकारिता का उपयोग उन्हीं स्थितियों में किया जाता है, जब यह लगने लगे कि सच्चाई को सामने लाने के लिए और कोई उपाय नहीं रह गया है। खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप टेलीविजन में स्टिंग ऑपरेशन के रूप में सामने आया है। अमेरिका का वाटरगेट कांड खोजी पत्रकारिता का एक उदाहरण है, जिसमें राष्ट्रपति निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था। भारत में भी कई केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को खोजी पत्रकारिता के कारण अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा।

2. विशेषीकृत पत्रकारिता- पत्रकारिता का अर्थ घटनाओं की सूचना देना मात्र नहीं है। पत्रकार से अपेक्षा होती है कि वह घटनाओं की तह तक जाकर उसका अर्थ स्पष्ट करे और आम पाठक को बताए कि उस समाचार का क्या महत्व है? इसके लिए विशेषता की आवश्यकता होती है। पत्रकारिता में विषय के हिसाब से विशेषता के सात प्रमुख क्षेत्र हैं। इनमें संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता तथा फैशन और फ़िल्म पत्रकारिता शामिल हैं। इन क्षेत्रों के समाचार और उनकी व्याख्या उन विषयों में विशेषता हासिल किए बिना देना कठिन होता है।

3. वॉचडॉग पत्रकारिता- यह माना जाता है कि लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कहीं भी कोई गड़बड़ी हो, तो उसका परदाफाश करना है। इसे परंपरागत रूप से 'वॉचडॉग पत्रकारिता कहा जाता है। इसका दूसरा छोर सरकारी सूत्रों पर आधारित पत्रकारिता है। समाचार मीडिया केवल वही समाचार देता है, जो सरकार चाहती है और अपने आलोचनात्मक पक्ष का परित्याग कर देता है। आमतौर पर इन दो बिंदुओं के बीच तालमेल के जरिये ही समाचार मीडिया और इसके तहत काम करने वाले विभिन्न समाचार संगठनों की पत्रकारिता का निर्धारण होता है।

4. एडवोकेसी पत्रकारिता- ऐसे अनेक समाचार संगठन होते हैं, जो किसी विचारधारा या किसी खास उद्देश्य या मुद्दे को उठाकर आगे बढ़ते हैं और उस विचारधारा या उद्देश्य या मुद्दे के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार और जोर-शोर से अभियान चलाते हैं। इस तरह की पत्रकारिता को 'पक्षधर' या 'एडवोकेसी पत्रकारिता' कहा जाता है। आपने अकसर देखा होगा कि भारत में भी कुछ समाचारपत्र या टेलीविजन चैनल किसी खास मुद्दे पर जनमत बनाने और सरकार को उसके अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए अभियान चलाते हैं। उदाहरण के लिए जेसिका लाल हत्याकांड में न्याय के लिए समाचार माध्यमों ने सक्रिय अभियान चलाया।

5. वैकल्पिक पत्रकारिता- व्यवस्था के साथ तालमेल बैठाकर चलने वाली मीडिया को 'मुख्यधारा का मीडिया' कहा जाता है। इस तरह की मौडिया आमतौर पर व्यवस्था के अनुकूल और आलोचना के एक निश्चित दायरे में ही काम करती है। इसके विपरीत जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है, उसे 'वैकल्पिक पत्रकारिता' कहा जाता है। आमतौर पर इस तरह के मीडिया को सरकार और बड़ी पूँजी का समर्थन हासिल नहीं होता है। उसे बड़ी कंपनियों के विज्ञापन भी नहीं मिलते हैं और वह अपने पाठकों के सहयोग पर निर्भर होता है।

2. समाचार को परिभाषित करते हुए, उसके तत्त्वों पर प्रकाश डालिए।

उत्तरः- किसी घटना, समस्या और विचार में कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जिनके होने पर उसके समाचार बनने की संभावना बढ़ जाती है। उन तत्त्वों को लेकर समाचार माध्यमों में एक आम सहमति है। इस चर्चा के उपरांत अब हम समाचार को इस तरह परिभाषित कर सकते हैं-

समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है, जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ रहा हो।

समाचार के तत्त्व

सामान्य तौर पर किसी भी घटना, विचार और समस्या से जब समाज के बड़े तबके का सरोकार हो तो हम यह कह सकते हैं कि यह समाचार बनने के योग्य है। लेकिन किसी घटना, विचार और समस्या के समाचार बनने की संभावना तब बढ़ जाती है, जब उनमें निम्नलिखित में से कुछ, अधिकांश या सभी तत्व शामिल हों-

1. नवीनता

2. निकटता

3. प्रभाव

4. जनरुचि

5. टकराव या संघर्ष

6. महत्त्वपूर्ण लोग

7. उपयोगी जानकारियाँ

8. अनोखापन

9. पाठक वर्ग

10. नीतिगत ढांचा

1. नवीनता - किसी भी घटना, विचार या समस्या के समाचार बनने के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह नया यानी ताजा हो। कहा भी जाता है 'न्यू' है इसलिए 'न्यूज़' है। दैनिक समाचार पत्र रात 12:00 बजे तक के समाचार कवर करता है, जो डेडलाइन (समय-सीमा) होती है।

2. निकटता- लोग उन घटनाओं को जानना चाहते हैं जो भौगोलिक नजदीकी के साथ-साथ सामाजिक सांस्कृतिक रूप से जुड़ी हुई हो।

3. प्रभाव- किसी घटना के प्रभाव से भी उसका समाचारीय महत्व निर्धारित होता है। घटना की तीव्रता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जाता है कि उसे कितने सारे लोग प्रभावित हो रहे हैं।

4. जनरुचि किसी घटना, विचार या समस्या के समाचार बनाने के लिए यह भी आवश्यक है कि आम लोगों की रुचि हो। वे उस घटना, विचार या समस्या के बारे में जानना चाहते हों।

5. टकराव या संघर्ष- लोगों को टकराव या संघर्ष के बारे में स्वाभाविक दिलचस्पी होती है। इसकी वजह यह है कि टकराव या संघर्ष का उसके जीवन पर सीधा असर पड़ता है। चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक संघर्ष होता है तो उसे भी जानने में लोगों की उतनी ही दिलचस्प होती है।

6. महत्त्वपूर्ण लोग- महत्त्वपूर्ण लोगों से संबंधित जानकारी में लोग विशेष रुचि रखते हैं। जैसे अगर प्रधानमंत्री को जुकाम भी हो जाए तो यह एक खबर होती है। इसी तरह किसी फिल्मी सितारे या क्रिकेट खिलाड़ी का विवाह भी खबर बन जाती है।

7. उपयोगी जानकारियां- उपयोगी जानकारियां भी समाचार की भूमिका निभाती है, इन्हें जानने में आम लोगों की बेहद दिलचस्पी होती है।

8. अनोखापन- अनोखापन लिए हुए घटनाएं भी समाचारपत्र में शामिल किए जाते है। एक पुरानी कहावत है कि कुत्ता आदमी को काट ले तो वह खबर नहीं लेकिन अगर आदमी कुते को काट ले तो वह खबर है यानी जो कुछ स्वाभाविक नहीं है या किसी रूप में असाधारण है, वही समाचार है।

9. पाठक वर्ग- किसी समाचारीय घटना का महत्त्व इससे भी तय होता है की खास समाचार का पाठक वर्ग कौन है। पाठक वर्ग की सूचियों और जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

10. नीतिगत ढांचा- विभिन्न समाचार संगठनों की समाचारों के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक नीति होती है। इस नीति को 'संपादकीय नीति' भी कहते हैं। संपादकीय नीति का निर्धारण संपादक या समाचार संगठन के मालिक करते हैं कि कौन सी खबर चुनी जाए तथा उसकी प्रस्तुति की जाए।

3. संपादन के सिद्धांतों पर प्रकाश डालिए।

उत्तरः- संपादन का अर्थ है किसी सामग्री की अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना। उपसंपादक अपने संवाददाता की खबरों की भाषा, व्याकरण, वर्तनी तथा तथ्यपरक अशुद्धियों को दूर करके उसे प्रकाशित करने का स्थान तय करता है। पत्रकारिता की खास बनाए रखने के लिए इन 5 सिद्धांतों का पालन करना जरूरी है।

1. तथ्यों की शुद्धता (एक्यूरेसी)- मीडिया या पत्रकारिता यथार्य का प्रतिबिंब है। अतः तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर नहीं प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

2. वस्तुपरकता (ऑब्जेक्टिविटी)- एक पत्रकार समाचार के लिए तथ्यों का आकलन अपनी धारणा आधार पर ना करें, उसका वास्तविक रूप प्रस्तुत करें।

3. निष्पक्षता (फेयरनेस)- पत्रकार के लिए निष्पक्ष होना जरूरी है। पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। निष्पक्षता का अर्थ तटस्था नहीं है सही गलत न्याय अन्याय को ध्यान में रखकर किया जाता है।-

4. संतुलन (बैलेंस)- समाचार को किसी एक पक्ष में झुका नहीं होना चाहिए। दोनों पक्षों की बात बराबर होनी चाहिए।

5. स्रोत (सोर्सिंग-एट्रीब्यूशन)- किसी भी समाचार में शामिल की गई सूच सूचना एवं जानकारी का कोई स्रोत होना आवश्यक है। स्रोत का उल्लेख आवश्यक हो जाता है।

4. निम्न पर टिप्पणी कीजिए-

(क) फोटो पत्रकारिता

(ख) कार्टून कोना

(ग) रेखांकन और कार्टोग्राफ

उत्तर-

(क) फोटो पत्रकारिता- आजकल अखबारों में फोटोग्राफ का प्रचलन बढ़ रहा है। फोटो टिप्पणियों का असर व्यापक और सीधा होता है। कहा जाता है कि जो बात हजार शब्दों में लिखकर नहीं कहीं जा सकती, वह एक तस्वीर कह देती है।

(ख) कार्टून कोना- कार्टून कोना लगभग हर समाचारपत्र में होता है और उनके माध्यम से की गई सटीक टिप्पणियां पाठक को छूती है। यह आम आदमी की भावनाओं को व्यक्त करने का सीधा तरीका है। कार्टून पहले पन्ने पर प्रकाशित होने वाले हस्ताक्षरित संपादकीय है।

(ग) रेखांकन और कार्टोग्राफ- रेखांकन समाचारों को रोचक बनाते हैं। कार्टोग्राफी का प्रयोग टेलीविजन में भी होता है। क्रिकेट के स्कोर से लेकर सेंसेक्स के आँकड़ों को ग्राफ से बताते हैं।

5. पीत पत्रकारिता और पेज थ्री पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं ?

उतरः- पीत पत्रकारिता- पीत पत्रकारिता सनसनी फैलाने का कार्य करती है। इस तरह की पत्रकारिता की शुरूआत उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में अमेरिका में हुई थी। उस समय वहाँ कुछ अखबारों के बीच पाठकों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष छिड़ गया था। एक- दूसरे को पीछे करने की होड़ में इन अखबारों ने पीत पत्रकारिता का सहारा लिया। पीत पत्रकारिता के तहत अखबार अफवाहों, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोपों, प्रेम- संबंधों, भंडाफोड़ और फिल्मी गपशप को समाचार की तरह प्रकाशित करते हैं।

पेज-थ्री पत्रकारिता- पेज थ्री पत्रकारिकता का तात्पर्य ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफिलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है। यह आमतौर पर समाचार-पत्रों के पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होती है। इसलिए इसे पेज-थ्री पत्रकारिता कहते हैं। आजकल इसकी पृष्ठ संख्या कोई भी हो सकती है, परंतु इनके विषय वही है।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

पाठ सं.

पाठ का नाम

अंतरा भाग -1

गद्य-खंड

1.

ईदगाह

2.

दोपहर का भोजन

3.

टार्च बेचने वाले

4.

गूँगे

5.

ज्योतिबा फुले

6.

खानाबदोश

7.

उसकी माँ

8.

भारतवर्ष की उन्नत कैसे हो सकती है

काव्य-खंड

9.

अरे इन दोहुन राह न पाई, बालम, आवो हमारे गेह रे

10.

खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति

11.

हँसी की चोट, सपना, दरबार

12.

संध्या के बाद

13.

जाग तुझको दूर जाना

14.

बादल को घिरते देखा है

15.

हस्तक्षेप

16.

घर में वापसी

अंतराल भाग 1

1.

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

2.

आवारा मसीहा

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर

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