प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अभिव्यक्ति और माध्यम
पाठ 6. स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोजगार संबंधी आवेदन पत्र
स्मरणीय तथ्य
☞ स्ववृत्त एक विशेष प्रकार का लेखन है, जिसमें व्यक्ति विशेष
के बारे में किसी विशेष प्रयोजन को ध्यान में रखकर सिलसिलेवार ढंग से सूचनाएं संकलित
की जाती है।
☞ स्ववृत्त की तुलना उम्मीदवार के दूत या प्रतिनिधि से कर सकते
हैं। जिस प्रकार एक अच्छा दूत या प्रतिनिधि अपने स्वामी का एक सुंदर और आकर्षक चित्र
प्रस्तुत करता है, उसी प्रकार एक अच्छा स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार
के प्रति अच्छी और सकारात्मक धारणा उत्पन्न करता है।
☞ एक अच्छा स्ववृत किसी चुंबक की तरह होता है जो नियुक्तिकर्ता
को आकर्षित कर लेता है। नौकरी में सफलता के लिए योग्यता और व्यक्ति के साथ-साथ स्ववृत्त
निर्माण की कला में निपुणता भी आवश्यक है।
☞ स्ववृत्त के दो पक्ष हैं। पहले पक्ष में, वह व्यक्ति है जिसको
केंद्र में रखकर सूचनाएं संकलित की गई होती हैं। दूसरा पक्ष, उस व्यक्ति या संस्था
का है जिसके लिए या जिसके प्रयोजन को ध्यान में रखकर सूचनाएं जुटाई जाती हैं। पहला
पक्ष है उम्मीदवार और दूसरा पक्ष नियोक्ता।
☞ स्ववृत्त में वही सूचनाएं डाली जा सकती हैं जिनमें दूसरे
पक्ष यानी नियोक्ता की दिलचस्पी हो।
☞ स्ववृत्त में ईमानदारी होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के झूठे
दावे या अतिशयोक्ति से बचना चाहिए।
☞ स्ववृत्त में अपने व्यक्तित्व, ज्ञान और अनुभव के सबले पहलुओं
पर जोर देना चाहिए।
☞ स्ववृत्त में आलंकारिक भाषा की गुंजाइश नहीं है। इसलिए इसकी
भाषा-शैली सरल, सीधी, सटीक और साफ होनी चाहिए।
☞ इसका कोई निश्चित नियम तो नहीं है लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए
कि स्ववृत्त न तो जरूरत से अधिक लंबा हो न ही ज्यादा छोटा।
☞ स्ववृत साफ-सुथरे ढंग से टंकित या कंप्यूटर-मुद्रित होना
चाहिए। व्याकरण संबंधी भूलों को भी दूर कर लेना चाहिए।
☞ स्ववृत सूचनाओं का एक अनुशासित प्रवाह है। यानी इसमें प्रवाह
और अनुशासन दोनों ही होने चाहिए। प्रवाह व्यक्ति परिचय से प्रारंभ होता है और शैक्षणिक
योग्यता, अनुभव, प्रशिक्षण, उपलब्धियां, कार्येतर गतिविधियां इत्यादि पड़ावों को पार
करता हुआ अपनी पूर्णता प्राप्त करता है।
☞ स्ववृत में, व्यक्ति परिचय के अंतर्गत उम्मीदवार का नाम,
जन्मतिथि, उम्र, पत्र व्यवहार का पता, टेलीफोन नंबर, ई-मेल का पता आदि सूचनाएं दी जाती
हैं। व्यक्ति परिचय में जन्मतिथि और माता-पिता का नाम अवश्य डालना चाहिए।
☞ यदि उम्मीदवार किसी बड़े पद के लिए आवेदन कर रहा है और बहुत
अनुभवी है तो अनुभव की चर्चा व्यक्ति परिचय के तुरंत बाद डाली जा सकती है।
☞ व्यक्ति परिचय के तत्काल बाद अपनी शैक्षणिक योग्यताओं की
चर्चा करनी चाहिए। शैक्षणिक योग्यताओं से संबंधित सूचनाएं एक सारणी के रूप में प्रस्तुत
की जानी चाहिए जिनमें प्राप्त डिप्लोमा या डियौ का विवरण, स्कूल या कॉलेज का नाम, बोर्ड
या विश्वविद्यालय का नाम, संबंधित परीक्षा का वर्ष, परीक्षा के विषय, प्राप्तांक प्रतिशत
और श्रेणी का उल्लेख होना चाहिए।
☞ जब नियोक्ता किसी उम्मीदवार को चुनने का निर्णय लेता है तो
उसके संपूर्ण व्यक्तित्व को ध्यान में रखता है। कार्येतर गतिविधियों के माध्यम से उम्मीदवार
के व्यक्तित्व के बारे में अच्छी जानकारियां मिलती है और पद के लिए उसकी योग्यता को
तय करना आसान हो जाता है। मसलन यदि कोई उम्मीदवार अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी है तो यह माना
जा सकता है कि उसमें टीम भावना अवश्य ही होगी। अगर किसी को भाषण या वाद-विवाद में ढेरों
पुरस्कार मिल चुके हैं तो इससे उसकी वाक् पटुता और संभाषण कला का पता चलता है।
☞ मार्केटिंग एक्जक्यूटिव के रूप में वैसे लोग सफल साबित होते
हैं जो वाक् पटु हो और जिन्हें घूमना- फिरना अच्छा लगता हो।
☞ स्ववृत्त के साथ एक आवेदन-पत्र भी लिखना होता है। इस आवेदन-पत्र
के साथ हम स्ववृत्त को लगाते हैं और नियोक्ता को उसके विचार के लिए भेज देते हैं।
☞ नौकरी के लिए आवेदन का ढांचा या स्वरूप तो वैसा ही होता है
जैसा अन्य दूसरे आवेदन-पर्ची का होता है। लेकिन इसका उद्देश्य अलग होता है पद के लिए
पअपनी योग्यता और गंभीरता के प्रति नियोक्ता का विश्वास जगाना। उद्देश्य की भिन्नता
की वजह से इसकी विषय-वस्तु अन्य आवेदन-पत्रों से भिन्न होती है।
☞ आवेदन-पत्रों की विषय-वस्तु के मुख्यतः चार हिस्से होते हैं
पहला हिस्सा भूमिका का होता है, जिसमें उम्मीदवार विज्ञापन और विज्ञापित पद का हवाला
देते हुए अपनी उम्मीदवारी की इच्छा प्रकट करता है। दूसरे खंड में उम्मीदवार यह बतलाता
है कि वह विज्ञापन में वर्णित योग्यताओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में किस प्रकार
सक्षम है। तीसरे खंड में उम्मीदवार पद और संस्थान के प्रति अपनी गंभीरता और अभिरुचि
को अभिव्यक्त करता है। चौथा खंड उपसंहार यानी आवेदन पत्र की विषय-वस्तु के औपचारिक
समापन के लिए होता है।
पाठ से संवाद
1. कल्पना कीजिए कि आपने पत्रकारिता के क्षेत्र
में अपना अध्ययन पूरा कर लिया है और किसी प्रसिद्ध अखबार में पत्रकार पद के लिए आवेदन
भेजना है इसके लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में,
संपादक दैनिक जागरण, रांची।
विषय: पत्रकार पद के लिए आवेदन हेतु।
महोदय,
आज दिनांक 25 सितंबर 20×× को दैनिक जागरण से प्रकाशित विज्ञापन
से ज्ञात हुआ है कि आपके कार्यालय को पत्रकार की आवश्यकता है। मैं इस पद के लिए आवेदन
प्रस्तुत कर रहा हूं। मेरा स्ववृत्त इस आवेदन के साथ संलग्न है। मैं आपके विज्ञापन
में वर्णित सभी योग्यताओं को पूरा करता हूं। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
नाम : नरेश कुमार
पिता का नाम: सुरेश कुमार
जन्मतिथि : 18 नवंबर 1982
वर्तमान पता : लेन नं० 3, नियर शांतिकुंज अपार्टमेंट मोराबादी रांची 83
4 001
स्थायी पता : आदर्श कॉलोनी बुण्डू
मो. न. : 95123 87460
ई-मेल : 82naresh@gmail.com
शैक्षणिक योग्यता
परीक्षा |
बोर्ड |
विषय |
श्रेणी |
प्रतिशत |
दसवीं |
सीबीएसई |
हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान |
प्रथम |
98% |
बारहवीं |
सीबीएसई |
अंग्रेजी, भौतिक, रसायन, विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित |
प्रथम |
94% |
बी.एस.सी (ऑनर्स) |
आर यू रांची |
कंप्यूटर साइंस |
प्रथम |
82% |
पत्रकारिता |
आर यू रांची |
पत्रकारिता |
प्रथम |
86% |
इस योग्यता के साथ-साथ मैं कई वर्षों से स्वतंत्र लेखन का
कार्य कर रहा हूं। मुझे पत्रकारिता में सर्वाधिक रुचि है। विश्वास दिलाता हूं कि मैं
अपना कार्य पूर्णनिष्ठा के साथ ईमानदारीपूर्वक करूंगा।
अतः आपसे सादर निवेदन है कि उपर्युक्त तथ्यों
को ध्यान में रखते हुए मेरे आवेदन-पत्र
पर सकारात्मक विचार करते हुए मुझे उक्त पद पर नियुक्त करने की कृपा करें।
धन्यवाद ।
भवदीय
( हस्ताक्षर )
नरेश कुमार
2. राजीव गांधी फाउंडेशन उच्च शिक्षा हेतु
स्कॉलरशिप प्रदान करती है। अतः उसे भेजने के लिए अपना 'बायोडेटा' तैयार कीजिए।
उत्तर-
स्ववृत्त (बायोडेटा)
नाम : नरेंद्र कुमार
पिता का नाम : सुरेश कुमार
मां का नाम : शबनम
जन्मतिथि : 18 नवंबर 1982
वर्तमान पता : डी 72, पॉकेट चार, मयूर विहार दिल्ली
110092
स्थायी पता : वही
टेलीफोन नं० : 011-22718296
मोबाइल नं० : 9868234859
ई-मेल : 85narendra@yahoo.com
शैक्षणिक योग्यता
क्र. सं. |
वर्ष |
परीक्षा/ डिग्री |
बोर्ड/विवि |
विषय |
श्रेणी |
प्रतिशत |
1 |
1997 |
दसवी |
सीबीएसई |
हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान |
प्रथम |
93% |
2 |
1999 |
बारहवी |
सीबीएसई |
अंग्रेजी, भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित |
प्रथम |
95% |
3 |
2002 |
बी.एस.सी. (आनर्स) |
दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली |
कम्प्यूटर साइंस |
प्रथम |
84% |
4 |
2004 |
एमबीए |
आदर्श इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट |
|
प्रथम |
85% |
अन्य संबंधित योग्यताएं
☞ कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान और अभ्यास
☞ फ्रांसीसी भाषा का कार्य योग्य ज्ञान
उपलब्धियां
☞ अखिल भारतीय वाद विवाद प्रतियोगिता वर्ष
2001 में प्रथम पुरस्कार
☞ राजीव गांधी स्मारक निबंध प्रतियोगिता 2002 में प्रथम पुरस्कार
☞ विद्यालय और महाविद्यालय क्रिकेट टीमों का कप्तान
कार्येतर गतिविधियां और अभिरुचियां
☞ उद्योग व्यापार संबंधी पत्रिकाओं
और अखबारों का नियमित पाठन
☞ देश भ्रमण का शौक
☞ इंटरनेट सर्फिग
☞ फुटबॉल और क्रिकेट में अभिरुचि
वैसे सम्मानित व्यक्तियों का विवरण जो उम्मीदवार के व्यक्तित्व और उपलब्धियों से
परिचित हों
1. श्री जे. रामनाथन, निदेशक आदर्श इंस्टीट्यूट
आफ मैनेजमेंट, लोदी इस्टेट, नई दिल्ली
2. श्री देवेंद्र गुप्ता, प्राध्यापक
(मार्केटिंग), आदर्श इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट, लोदी इस्टेट, नई दिल्ली
तिथि ......
स्थान .........
हस्ताक्षर
…………
3. स्ववृत्त में
कौन-कौन से बिंदुओं को शामिल किया जाता है और उनकी प्रस्तुति का क्या प्रभाव पड़ता
है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- स्ववृत में निम्न बिंदुओं को शामिल
किया जाता है-
1. पहली तो यह है कि स्ववृत्त में
ईमानदारी होनी चाहिए।
2. किसी भी प्रकार के झूठे दावे या
अतिशयोक्ति से बचना चाहिए।
3. स्ववृत्त में आलंकारिक भाषा का
प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसकी भाषा-शैली सरल, सीधी, सटीक और साफ होनी चाहिए।
4. यह न तो जरूर से अधिक लंबा हो न
ही ज्यादा छोटा।
5. स्ववृत्त साफ़-सुथरे ढंग से
टंकित या कंप्यूटर- मुद्रित होना चाहिए।
उपर्युक्त बिंदुओं की प्रस्तुति से
नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी और सकारात्मक धारणा उत्पन्न
करता है। एक अच्छा स्ववृत्त किसी चुंबक की तरह होता है जो नियुक्तिकर्ता को
आकर्षित कर लेता है। यह एक अच्छा दूत या प्रतिनिधि के समान अपने स्वामी का एक
सुंदर और आकर्षक चित्र प्रस्तुत करता है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोतर
1. विद्यार्थियों के
मन में किसको लेकर तरह-तरह की कल्पनाएं होती हैं ?
(क) घर को लेकर
(ख) परिवार को लेकर
(ग) भविष्य को लेकर
(घ) पड़ोसी को लेकर
2. एक अच्छा
स्ववृत्त किस प्रकार का होता है ?
(क) वृत्त की तरह
(ख) चुंबक की तरह
(ग) त्रिभुज की तरह
(घ) घन की तरह
3. स्ववृत्त के साथ किसकी आवश्यकता पड़ती है ?
(क) आवेदन पत्र
(ख) समाचार पत्र
(ग) आमंत्रण पत्र
(घ) निमंत्रण पत्र
4. यदि कोई उम्मीदवार अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी है
तो उसके स्ववृत्त से किस बात का पता चलता है ?
(क) उम्र का
(ख) वाक् पटुता का
(ग) व्यक्तित्व का
(घ) टीम भावना का
5. किसके अंतर्गत उम्मीदवार का नाम, जन्मतिथि,
उम, पत्र व्यवहार का पता, टेलीफोन नंबर, ई-मेल का पता आदि सूचनाएं दी जाती है ?
(क) नियोक्ता परिचय
(ख) व्यक्ति परिचय
(ग) खिलाड़ी परिचय
(घ) विद्यार्थी परिचय
6. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए निर्माता
किसका सहारा लेता है ?
(क) लोगों का
(ख) ग्राहकों का
(ग) उम्मीदवारों का
(घ) विज्ञापनों का
7. स्ववृत्त के कितने पक्ष होते हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पांच
8. स्ववृत्त में किस भाषा की गुंजाइश नहीं है
?
(क) सरल
(ख) सीधी
(ग) आलंकारिक
(घ) टंकित
9. सूचनाओं का एक अनुशासित प्रवाह है
(क) उम्मीदवार
(ख) स्ववृत्त
(ग) विवृत
(घ) परिवृत
10. शैक्षणिक योग्यताओं से संबंधित सूचनाएं किस
रूप में प्रस्तुत की जानी चाहिए ?
(क) सारणी
(ख) विवरणी
(ग) व्याख्यात्मक
(घ) संक्षिप्त
लघु उत्तरीय प्रश्नोतर
1. स्ववृत्त से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- स्ववृत्त एक विशेष प्रकार का लेखन है, जिसमें
व्यक्ति विशेष के बारे में किसी विशेष प्रयोजन को ध्यान में रखकर सिलसिलेवार ढंग से सूचनाएं संकलित की
जाती हैं। स्ववृत्त उम्मीदवार का सुंदर और आकर्षक
चित्र प्रस्तुत करता है।
2. स्ववृत्त के कौन-कौन से दो पक्ष होते हैं ?
उत्तर- स्ववृत्त में दो पक्ष होते हैं। पहले पक्ष में वह व्यक्ति
है जिसको केंद्र में रखकर सूचनाएं संकलित की गई होती हैं। दूसरा पक्ष उस व्यक्ति
या संस्था का है जिसके लिए या इसके प्रयोजन को ध्यान में रखकर सूचनाएं जुटाई जाती
हैं। पहला पक्ष है उम्मीदवार और दूसरा पक्ष नियोक्ता।
3. उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त किस
प्रकार सहायक होता है ?
उत्तर- उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त की अहम भूमिका होती
है। इसके माध्यम से उम्मीदवारों की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सकता है।
स्ववृत्त को व्यक्तियों के संक्षिप्त मूल्यांकन का सर्वश्रेष्ठ आधार माना गया है।
4. स्ववृत्त के साथ-साथ आवेदन पत्र की
आवश्यकता क्यों होर्ती है ?
उत्तर- स्ववृत के साथ-साथ आवेदन पत्र भी लिखना होता है। स्ववृत्त
में सूचनाओं की सिलसिलेवार संकलन के रूप में होता है। इसमें भाषा का वैयक्तिक
स्पर्श नहीं आ पाता। दूसरी ओर, आवेदन-पत्र हर विज्ञापन के लिए विशेष तौर पर लिखे
जाते हैं। ये उम्मीदवार के भाषा- ज्ञान और अभिव्यक्ति की क्षमता की जानकारी देते
हैं। साथ ही यह भी दर्शाते हैं कि उम्मीदार पद और संस्थान को लेकर गंभीर है या
नहीं। आवेदन पत्र से बहत कुछ इन बातों का आभास नियोक्ता को मिल जाँता है।
5. आवेदन-पत्रों के कितने भाग होते हैं ?
उत्तर- आवेदन-पत्रों की विषय-वस्तु के मुख्यतः चार भाग होते
हैं। पहला भाग भूमिका का होता है, जिसमें उम्मीदवार विज्ञापन और विज्ञापित पद का
हवाला देते हुए अपनी उम्मीदवारी की इच्छा प्रकट करता है। दूसरे भाग में उम्मीदवार
यह बतलाता है कि वह विज्ञापन में वर्णित योग्यताओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में
किस प्रकार सक्षम है। तीसरे भाग में उम्मीदवार पद और संस्थान के प्रति अपनी
गंभीरता और अभिरुचि को अभिव्यक्त करता है। चौथा भाग उपसंहार यानी आवेदन-पत्र की
विषय वस्तु के औपचारिक समापन के लिए होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. स्ववृत लेखन क्या है? स्ववृत्त लेखन के
महत्वपूर्ण बिंदुओं को दर्शाएं।
उत्तर- स्ववृत्त एक विशेष प्रकार का लेखन है, जिसमें व्यक्ति विशेष
के बारे में किसी विशेष प्रयोजन को ध्यान में रखकर सिलसिलेवार ढंग से सूचनाएं
संकलित की जाती हैं। स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी
और सकारात्मक धारणा उत्पन्न करता है। एक अच्छा स्ववृत्त किसी चुंबक की तरह होता है
जो नियुक्तिकर्ता को आकर्षित कर लेता है। नौकरी में सफलता के लिए योग्यता और
व्यक्ति के साथ-साथ स्ववृत्त निर्माण की कला में निपुणता भी आवश्यक है।
स्ववृत की महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित है-
1. स्ववृत्त में ईमानदारी होनी चाहिए।
2. इसमें किसी भी प्रकार के झूठे दावे या अतिशयोक्ति से
बचना चाहिए।
3. स्ववृत्त में अपने व्यक्तित्व ज्ञान और अनुभव के सबल पहलुओं
पर जोर देना कभी नहीं भूलना चाहिए।
4. स्ववृत्त में आलंकारिक भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. स्ववृत्त की भाषा-शैली सरल, सीधी, सटीक और साफ होनी
चाहिए।
6. यह न तो जरूर से अधिक लंबा होना चाहिए न
ही ज्यादा छोटा।
7. स्ववृत्त साफ-सुथरे ढंग से टंकित या कंप्यूटर- मुद्रित
होना चाहिए।
8. स्ववृत्त सूचनाओं का एक अनुशासित प्रवाह है यानी इसमें प्रवाह और अनुशासन दोनों ही होने चाहिए।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |