प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
गद्य खंड पाठ- 2 सुमिरिनी के मनके
लेखक परिचय
पंडित
चंद्रधर शर्मा गुलेरी बहुभाषाविद् थे। प्राचीन इतिहास और पुरातत्व उनका प्रिय विषय
था। उनकी गहरी रुचि भाषा विज्ञान में थी। गुलेरी जी की सृजनशीलता के चार मुख्य पड़ाव
हैं- समालोचक, मर्यादा, प्रतिभा और नागरी प्रचारिणी पत्रिका। इन पत्रिकाओं में गुलेरी
जी का रचनाकार व्यक्तित्व उभरकर सामने आया। वे एक सफल निबंधकार एवं कहानीकार थे। उन्होंने
उत्कृष्ट निबंधों के साथ-साथ तीन कहानियाँ सुखमय जीवन, बुद्ध का कांटा और - 'उसने कहा
था- भी हिंदी जगत को दीं।
पाठ परिचय
सुमिरिनी
के मनके नाम से तीन लघु निबंध- बालक बच गया, घड़ी के पुर्जे और ढेले चुन लो पाठ्यपुस्तक
में दिए गए हैं।
(क)
बालक बच गया
'बालक
बच गया' निबंध का मूल प्रतिपाद्य है शिक्षा ग्रहण की सही उम्र लेखक मानता है कि हमें
व्यक्ति के मानस के विकास के लिए शिक्षा को प्रस्तुत करना चाहिए, शिक्षा के लिए मनुष्य
को नहीं। हमारा लक्ष्य है मनुष्य और मनुष्यता को बचाए रखना। मनुष्य बचा रहेगा तो वह
समय आने पर शिक्षित किया जा सकेगा। लेखक ने अपने समय की शिक्षा प्रणाली और शिक्षकों
की मानसिकता को प्रकट करने के लिए अपने जीवन के अनुभव को हमारे सामने अत्यंत व्यावहारिक
रूप में रखा है। लेखक ने इस उदाहरण से यह बताने की कोशिश की है कि शिक्षा हमें बच्चे
पर लादनी नहीं चाहिए बल्कि उसके मानस में शिक्षा की रुचि पैदा करने वाले बीज डाले जाएँ।
(ख)
घड़ी पुर्जे
'घड़ी
के पुर्जे में लेखक ने धर्म के रहस्यों को जानने पर धर्म उपदेशकों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों
को घड़ी के दृष्टांत द्वारा बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
(ग)
ढेले चुन लो
"ढेले
चुन लो में लोक विश्वासों में निहित अंधविश्वासी मान्यताओं पर चोट की गई है।
तीनों
निबंध समाज की मूल समस्याओं पर विचार करने वाले हैं। इनकी भाषा-शैली सरल बोलचाल की
होते हुए भी गंभीर ढंग से विषय प्रवर्तन करने वाली है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
बालक बच गया
प्रश्न 1. बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न
पूछे गए?
उत्तर-
बालक की उम्र आठ वर्ष थी किंतु उससे पूछे गए प्रश्न उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के
थे, यथा -धर्म के दस लक्षण, नौ रसों के उदाहरण, चन्द्रग्रहण का कारण, पेशवाओं का कुर्सीनामा
आदि। बच्चा अपनी योग्यता के आधार पर नहीं अपितु रटंत विद्या के आधार पर इन प्रश्नों
के उत्तर दे रहा था।
प्रश्न 2. बालक ने क्यों कहा कि मैं यावज्जन्म लोक सेवा करूँगा?
उत्तर-
बालक ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यही उत्तर उसको अभिभावकों और गुरुजनों ने रटवाया था।
प्रश्न 3. बालक द्वारा इनाम में लड्डू माँगने पर लेखक ने सुख की सांस
क्यों भरी?
उत्तर-
पाठशाला के वार्षिकोत्सव पर बच्चे से पुस्तकीय ज्ञान से हटकर जब उसकी रुचि को जानने
के लिए पुरस्कार माँगने को कहा, तो उसने लड्डू की माँग की। बच्चे द्वारा लड्डू की मांग
करने पर लेखक ने सुख की सांस ली क्योंकि इसे उत्तर में बच्चे की सहज प्रवृत्ति झलक
रही थी। यह प्रवृत्ति उस पर थोपी नहीं गई थी बल्कि यह उसका स्वाभाविक उत्तर था। बच्चे
के सहज व्यवहार पर लेखक को आत्म संतुष्टि हुई।
प्रश्न 4. बालक की प्रवृत्तियों का गला घोंटना अनुचित है, पाठ में ऐसा
आभास किन स्थलों पर होता है कि उसकी प्रवृत्तियों का गला घोंटा जाता है?
उत्तर-
इस प्रसंग में लेखक ने कई ऐसे संकेत दिए हैं जिनसे बच्चे की प्रवृत्तियों का गला घोंटने
की स्थिति उजागर होती है। जैसे, आठ वर्षीय बालक को मिस्टर हादी के कोल्लू की तरह दिखाया
जाना। उसका पीला मुंह, सफेद आंखें, दृष्टि जो जमीन पर गड़ी हुई थी। उससे जो प्रश्न
पूछे गए उनका उत्तर बिना अटके जवाब देना, जबकि इन प्रश्नों का संबंध उस आयु वर्ग के
बच्चों से नहीं हो सकता था। यह सारी बातें यही दर्शाती हैं कि वह बच्चा किताबी ज्ञान
में दबकर अपने अस्तित्व को भूल गया है।
प्रश्न 5. "बालक बच गया उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्ड की
पुकार जीवित वृक्षों के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, म काठ की अलमारी की सिर दुखाने
वाली खरखड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर-
बालक सरल हृदय होते हैं। वह कल्पना की दुनिया में विचरते हैं। वह अपनी दृष्टि से संसार
को देखते परखते और समझते हैं। खेलने कूदने, हंसने, खाने-पीने में आनंद लेते हैं। बड़ों
की भांति पुस्तकीय ज्ञान ठूंस दिए जाने से बच्चे की स्वाभाविकता एवं सहजता खत्म हो
जाती है। प्रस्तुत लघु निबंध के अंत में बालक के बाल सुलभ भोलेपन के कारण लड्डु की
पुकार करना उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को दर्शार्ता है।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'बालक बच गया' लघु कथा का संदेश बताइए।
उत्तर-
बालक बच गया लघु कथा के माध्यम के लेखक यह संदेश देते हैं कि बालक की शिक्षा उसकी अपनी
क्षमता और रुचि के अनुकूल ही होनी चाहिए। बच्चे की क्षमता एवं इच्छा की उपेक्षा करने
से उसके विकास एवं शिक्षा प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होता है। माता-पिता, अभिभावक एवं
शिक्षक अपनी इच्छा और रूचि को बच्चे पर न लादे और ना ही अपने जीवन के अधूरे सपने एवं
उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए बच्चे को माध्यम बनाएँ।
अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. विद्यालय के वार्षिककोत्सव में किसे बुलाया गया था?
उत्तर-
विद्यालय के वार्षिक उत्सव में पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी को बुलाया गया था।
प्रश्न 2. प्रतिभाशाली बालक के पिता कौन थे?
उत्तर-
प्रतिभाशाली बालक के पिता विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे।
प्रश्न 3. पिता को बालक से क्या उम्मीद थी?
उत्तर-
वृद्ध महाशय ने जब बालक की प्रतिभा से खुश होकर इनाम मांगने को कहा, तो पिता को उम्मीद
थी कि बालक इनाम में पुस्तक मांगेगा।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. बालक ने इनाम में क्या मांगा?
1)
पेंसिल
2)
किताब
3) लड्डू
4)
चॉकलेट
2. बालक की प्रवृतियों का गला घोंटा जा रहा था, लेखक को ऐसा क्यों लगा?
1) बालक का किसी युवक के समान उत्तर देने पर
2)
लड्डू की मांग करने पर
3)
वृध महाशय द्वारा बालक को आशीर्वाद देने पर
4)
बालक के पिता का हृदय उल्लास से भर जाने पर
3. बालक के लड्डू मांगने पर लेखक ने सुख की साँस क्यों ली?
1)
क्योंकि बच्चों को लड्डू अच्छे लगते हैं
2) क्योंकि लेखक को लगा अभी बालक का बचपन मरा नहीं है
3)
क्योंकि लेखक को भी यह पसंद है
4)
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. निबंध में प्रयुक्त इनमें से कौन था शब्द उर्दू का है?
1)
विलक्षण
2) नुमाइश
3)
कृत्रिम
4)
मर्मर
5. 'यावज्जन्म का क्या अर्थ है?
1)
अद्भुत
2)
विलक्षण
3) जीवनभर
4)
जलसा
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
घड़ी के पुर्जे
प्रश्न 1. लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए घड़ी के पुर्जे का दृष्टांत
क्यों दिया है?
उत्तरः
लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए घड़ी के पुर्जे का दृष्टांत दिया है। लेखक का मानना
है कि हमें केवल घड़ी देखना ही नहीं आना चाहिए बल्कि उसे खोलकर ठीक करने का तरीका भी
जानना चाहिए यदि हम धर्म के बाह्य तत्वों तथा धर्म आचार्यों के उपदेशों को आंख बंद
कर मानते रहे तो हमारा भला नहीं होगा, इसके लिए हमें धर्म के रहस्य की जानकारी होनी
चाहिए। धर्म आचार्यों द्वारा बताए गए धर्म के मार्ग पर आंखें मूंदकर नहीं चलना चाहिए.
स्वयं भी उस पर विचार करना चाहिए।
प्रश्न- 2 “धर्म का रहस्य जानना वेदशास्त्रज्ञ धर्माचार्यों का ही काम
है। " आप इस कथन से कहाँ तक सहमत है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
लेखक का मानना है कि धर्म का संबंध व्यक्ति के भाव, निष्ठा तथा ईश्वरीय चेतना से है।
बाह्याचार अथवा आडंबर धर्म या धर्म के रहस्य नहीं हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म
को जानने का अधिकार है। प्रत्येक बुद्धिजीवी को जागरुक तथा तत्पर भाव से धर्म के मूल
भाव तथा प्रवृत्तियों को जानना चाहिए।
प्रश्न 3 घड़ी समय का ज्ञान कराती है। क्या धर्म संबंधी मान्यताएं या
विचार अपने समय का बोध नहीं कराते?
उत्तर:
जिस प्रकार घड़ी से समय ज्ञात होता है, उसी प्रकार धर्म संबंधी मान्यताएं एक धर्म का
बोध कराती है। समय की मांग के अनुसार धर्म का स्वरूप परिवर्तित व निर्मित होता है।
उसी के अनुरूप धार्मिक नियम गढे जाते हैं ताकि समाज उसे सरलता से स्वीकार कर सके। समय
बदलने के साथ ही पुराने नियम अप्रासंगिक हो जाते हैं और अप्रासंगिक नियमों को बदल देना
ही उचित है।
प्रश्न 4. घड़ीसाज़ी का इम्तिहान पास करने से लेखक का क्या तात्पर्य
है?
उत्तर-
घड़ीसाज़ी का इम्तिहान पास करने से लेखक का तात्पर्य उन लोगों से है जो बुद्धिजीवी
हैं, जिन्होंने शास्त्रों का अध्ययन किया है, जो धर्म के संस्कारों को उनकी उपयोगिता
व अनुपयोगिता के संबंध में विचार विमर्श करने के योग्य हैं। लेखक का मानना है कि कम
से कम ऐसे व्यक्तियों को धर्म के रहस्यों को जानने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 5. धर्म अगर कुछ विशेष लोगों वेदशास्त्रज्ञ धर्माचायों, मठाधीशों,
पंडे-पुजारियों की मुट्ठी में है तो आम आदमी और समाज का उससे क्या संबंध होगा? अपनी
राय लिखिए।
उत्तर-
धर्म पर कुछ विशेष लोगों वेदशास्त्रज्ञ, धर्माचायों, मठाधीशों, पंडे-पुजारियों के वर्चस्व
ने धर्म को रूढ़ि तथा अंधविश्वासों से ढंक दिया है। आज आम आदमी तथा समाज इन प्रवृत्तियों
के कारण धर्म के वास्तविक स्वरूप से दिनों-दिन दूर होता जा रहा है तथा उस पर दिखावा
और कर्मकांड हावी होता जा रहा है।
प्रश्न 6. "जहां धर्म पर कुछ मुट्ठी भर लोगों का एकाधिकार धर्म
को संकुचित अर्थ प्रदान करता है, वही धर्म का आम आदमी से संबंध उसके विकास एवं विस्तार
का द्योतक है।" तर्क सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
लेखक का मानना है कि धर्म पर कुछ लोगों ने अपना एकाधिकार बना लिया है। धर्म को संकुचित
अर्थ प्रदान कर वे अपना मतलब साधते हैं। ऐसे लोग सामान्य मनुष्य को धर्म के गूढ़ रहस्यों
से परिचित होने देना नहीं चाहते। धर्म मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्तियों के नवीन चेतना
को जगाने का माध्यम है। धर्म तभी सार्थकता तथा व्यापकता को प्राप्त कर सकता है, जब
वह संकुचित स्वार्थ वाले मुट्ठी भर लोगों के एकाधिकार से मुक्ति प्राप्त कर सच्चे अर्थ
में अपनी प्रवृत्तियों का विस्तार करे।
प्रश्न 7. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) “वेदशास्त्रज्ञ धर्माचार्यों का ही काम है कि घड़ी के पुर्जे जाने,
तुम्हें इससे क्या ?"
(ख) अनाड़ी के हाथ में चाहे घड़ी मत दो पर जो घड़ीसाज़ी का इम्तहान
पास कर आया है, उसे तो देखने दो।"
(ग) "हमें तो धोखा होता है कि परदादा की घड़ी जेब में डाले फिरते
हो, वह बंद हो गई, तुम्हें न चाबी देना आता है न पुर्जे सुधारना, तो भी दूसरों को हाथ
नहीं लगाने देते।
उत्तर-
(क)
यहाँ पर लेखक व्यंग्य के माध्यम यह स्पष्ट करना चाहता है कि धर्म के रहस्य को जानने
का काम वेदशास्त्रज्ञ धर्माचार्यों का ही है, सभी का नहीं। तुम धर्म को सुनो और उसका
पालन करो। इसके लिए लेखक ने घड़ी का उदाहरण दिया है कि घड़ी के पुर्जों के विषय में
जानकारी पाने का काम घड़ीसाज़ का है, समय देखने वालों का नहीं तुम घड़ी से बस समय देखो,
उसके पुर्जे मत गिनो। ठीक इसी प्रकार तुम धर्म के विषय में सुनो, उसके अनुसार पालन
करो, धर्म के रहस्य को जानने का प्रयास मत करो।
(ख)
लेखक का तात्पर्य है कि किसी अनाड़ी को वह काम न सौंपा जाए जिसे वह जानता ही नहीं है।
यहाँ पर लेखक धर्माचार्यों पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि धर्माचार्यों चाहे तुम अपनी
घड़ी अनाड़ी व्यक्ति के हाथ में मत दो, परंतु जिसे घड़ी के सभी कलपुर्जों का ज्ञान
है और जिसने घड़ी ठीक करने की विद्या सीखी है। उसे तो घड़ी देखने का अवसर प्रदान करो।
अर्थात् जो व्यक्ति ज्ञानी नहीं है, उन्हें धर्म के रहस्य जानने का कोई अधिकार नहीं,
परंतु जो जिज्ञासु हैं, जिन्हें ईश्वरीय तत्त्व का बोध है, उन्हें तो धर्म के गूढ़
रहस्यों से परिचित होने का अवसर प्रदान करो।
(ग)
यहाँ पर लेखक अज्ञानी और थोड़े से ज्ञान पर अभिमान करने वाले (संकीर्ण विचारधारा) व्यक्तियों
पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि तुम्हें स्वयं तो घड़ी ठीक करना आता नहीं और तुम अपने
परदादा की घड़ी जेब में डालकर घूमते हो
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. घड़ी के पुर्जे लघु निबंध का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धर्मोपदेशक धर्म का रहस्य आम आदमी तक पहुंचने नहीं देना चाहते। उनका मानना है कि घड़ी
से समय जान लो यह देखने की कोशिश न करो कि इसका कौन-सा पुर्ज़ा कहाँ लगा है। घड़ी के
पुर्जे लघुकथा का उद्देश्य यह बताना है कि प्रत्येक व्यक्ति को धर्म का रहस्य जानने
का अधिकार है। धर्म का विस्तार जनसाधारण में होना आवश्यक है तभी धर्म जनहितकारी हो
सकता है।
अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न. घड़ी के दृष्टांत से लेखक ने किस पर व्यंग्य किया है?
उत्तर-
घड़ी के दृष्टांत से लेखक ने धर्म उपदेशकों पर व्यंग्य किया है।
प्रश्न 2. लेखक ने घड़ीसाजों के संदर्भ में क्या बात कही है?
उत्तर-
लेखक ने घड़ीसाजों के संदर्भ में धर्म के रहस्यों को जानने, उस पर गौर करने तथा स्वयं
को धोखे से बचाने की बात कही है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. घड़ी के पुर्जे में लेखक ने इनमें से किस विषय को प्रस्तुत किया
है?
1)
शिक्षा
2) धर्म
3)
अंधविश्वास
4)
2. घड़ी के पुर्जे खोलकर देखने से लेखक का क्या तात्पर्य है?
1)
सभी को सही समय देखना आना चाहिए
2)
सभी को घड़ी की मरम्मत करनी आनी चाहिए
3) सभी को धर्म का गूढ़ ज्ञान होना चाहिए
4)
उपर्युक्त सभी
3. "धर्म के पुर्जे" निबंध में लेखक ने इनमें से किन लोगों
पर व्यंग्य किया है?
1)
घड़ीसाजों पर
2)
आम लोगों पर
3) धर्म उपदेशकों पर
4)
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. दृष्टांत का क्या अर्थ है?
(1)
झंझट
2) उदाहरण
3)
परीक्षा
4)
दृष्टि
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
ढेले चुन लो
प्रश्न 1. वैदिक काल में हिंदुओं में कैसी लॉटरी चलती थी जिसका जिक्र
लेखक ने किया है?
उत्तर-
वैदिक काल में योग्य पत्नी चुनने के लिए वह विभिन्न स्थानों की मिट्टी से बने ढेले
कन्या के समक्ष रखता था और उनमें से कोई एक ढेला चुनने को कहता। वह जिस ढेले को चुनती
उसके आधार पर यह निर्धारित किया जाता था कि वह कन्या विवाहोपरांत कैसे पुत्र को जन्म
देगी। यदि अच्छे स्थान की मिट्टी का ढेला चुनती तो अच्छी संतान को जन्म देगी और यदि
बुरे स्थान की मिट्टी का ढेला चुनती है तो बुरी संतान को जन्म देगी। इस प्रकार वैदिक
काल में विवाह ढेले चुनने की लॉटरी पर निर्भर करता था।
प्रश्न 2. दुर्लभ बंधु की पेटियों की कथा लिखिए।
उत्तर-
भारतेंदु हरिश्चंद्र के अनुवादित नाटक दुर्लभ बंधु में पुरश्री के सामने तीन पेटियां
रखी हुई थीं जिसमें एक सोने की, दूसरी चांदी की तथा तीसरी लोहे की बनी हुई थी। इन तीनों
मैं से एक पेटी में वधू की प्रतिमूर्ति थी।
स्वयंवर
के लिए जो आता है उसे इन तीनों में से एक पेटी चुनने को कहा जाता है। अकड़बाज सोने की
पेटी चुनता है और वापस लौट जाता है। लोभी चांदी की पेटी चुनकर मायूस हो जाता है, जबकि
सच्चा प्रेमी लोहे की पेटी चुनकर घुड़दौड़ का पहला इनाम पाता है।
प्रश्न 3. 'जीवन साथी का चुनाव मिट्टी के ढेलों पर छोड़ने के कौन कौन
से फल प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
मिट्टी के ढेलों द्वारा वर के चयन में अंधविश्वास की प्रवृत्ति थी लोग इन ढेलों से
प्राप्त फल की विवेचना करते थे। उनके अनुसार जीवनसाथी का चुनाव मिट्टी के ढेलों पर
छोड़ने से निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं- यदि कन्या ने गोशाला की मिट्टी से बने ढेले
का चयन किया, तो उसकी संतान पशुधन की स्वामी होगी, यदि कन्या वेदी की मिट्टी से बने
ढेले का चयन करती तो संतान वैदिक पंडित होगी, खेत की मिट्टी से बने ढेले का चयन करने
वाली कन्या की संतान जमींदार होगी और मसान की मिट्टी का ढेला चुनने पर माना जाता की
कन्या अशुभ है।
प्रश्न 4. मिट्टी के ढेलों के संदर्भ में कबीर की साखी की व्याख्या
कीजिए-
पत्थर
पूजे हरि मिलें तो मैं पूजूं पहार ।
इससे
तो चक्की भली, पीस खाए संसार । '
उत्तर-
पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने अपनी ढेले चुन लो रचना के माध्यम से समाज की रुढि परंपरा
एवं अंधविश्वास पर व्यंग्य किया है। वर-वधू की योग्यता या अयोग्यता के निर्धारण में
मिट्टी के ढेले को महत्व देना अनुचित है। इस वैदिक प्रथा के संदर्भ में लेखक कबीरदास
की साखी वर्णित करता है-
कबीरदास
जी कहते हैं कि यदि पत्थर की पूजा करने से हरि अर्थात ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है,
तो मैं पर्वत की पूजा करूं, क्योंकि विशाल पर्वत की पूजा करने से ईश्वर जल्दी दर्शन
दे देंगे। यदि पत्थर पूजना हो, तो चक्की की ही पूजा श्रेष्ठ है, जिससे आटा पीस कर पूरा
संसार अपना पेट तो भर लेता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) “अपनी आँखों से जगह देखकर, अपने हाथ से चुने हुए मिट्टी के डगलों
पर भरोसा करना क्यों बुरा है और लाखों करोड़ों कोस दूर बैठे बड़े-बड़े मिट्टी और आग
के ढेलों-मंगल, शनिश्चर और बृहस्पति की कल्पित चाल के कल्पित हिसाब का भरोसा करना क्यों
अच्छा है?"
(ख) "आज का कबूतर अच्छा है कल के मोर से, आज का पैसा अच्छा है
कल की मोहर से आँखों देखा ढेला अच्छा ही होना चाहिए लाखों कोस के तेज पिंड से।"
उत्तर-
(क) लेखक का आशय है कि स्वयं अपनी आँखों से सही जगह देखकर अपने हाथों से मिट्टी के
ढेलों को चुनकर उन पर विश्वास करना गलत क्यों समझा जाता है, जबकि इतनी दूर आकाश में
विद्यमान विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों की कल्पना करना, उनकी काल गणना का विश्वास करना
क्यों अच्छा है अर्थात् हमें इन नक्षत्रों, ग्रहों की चालों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
(ख)
लेखक के अनुसार, इन पंक्तियों का आशय इस प्रकार है कि कल के मोर से आज का कबूतर अच्छा
है। पुराने विद्वानों की कल्पित बातों पर विश्वास करके उनका पालन करने से अच्छा है
कि हम वर्तमान युग के कम ज्ञानी व्यक्ति की बातों को अपनाएँ। लेखक कहता है पुराने जमाने
की मूल्यवान सोने, चाँदी की मोहरों से आज का कम पैसा अच्छा है क्योंकि उसे प्रतिदिन
चलाया जा सकता है, प्रयोग में लाया जा सकता है। उसी प्रकार, लाखों करोड़ों मील की दूरी
पर स्थित चमचमाते हुए पिंड से आँखों देखा मिट्टी का ढेला श्रेष्ठ ही होना चाहिए। अतः
हमें भविष्य के स्थान पर वर्तमान पर विश्वास करना चाहिए।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'ढेले चुन लो' लघु निबंध का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ढेले चुन लो लघु निबंध रुढियों एवं अंधविश्वासों का विरोध करती है और यह संदेश देती
है कि हमें अपने बुद्धि- विवेक के बल पर ही जीवन के निर्णय लेना चाहिए।
अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ढेले चुन लो में शेक्सपियर के कौन-से नाटक का जिक्र लेखक
ने किया है?
उत्तर-
'ढेले चुन लो में लेखक ने शेक्सपियर के नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस का जिक्र किया है।
प्रश्न 2. तीन गृह सूत्रों का नाम बताइए जिसमें ढेलों की लॉटरी का जिक्र
है?
उत्तर-
तीन गृह्यसूत्र, जिसमें ढेलों की लॉटरी का उल्लेख है- आश्वलायन, गोभिल और भारद्वाज
हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'ढेले चुन लो' निबंध का केन्द्रीय विषय क्या है?
1)
शिक्षा,
2)
धर्म
3) अंधविश्वास
4)
उपर्युक्त सभी
2. 'ढेले चुन लो' पाठ में लड़की द्वारा निम्न में से कौन सी मिट्टी
उठाने पर अपशगुन माना जाता था?
1)
हवन की मिट्टी
2)
गौशाला की मिट्टी
3) श्मशान की मिट्टी
4)
खेत की मिट्टी
3. वैदिक काल में हिंदू युवक विवाह करने के लिए युवती के घर क्या ले
कर जाता था?
1)
सात बेर
2)
सात संतरे
3) सात ढेले
4)
सात आम
4. युवती द्वारा गौशाला से लाई मिट्टी उठाने पर निम्न में से क्या माना
जाता था?
1)
युवती से उत्पन्न पुत्र विद्वान बनेगा
2) युवती से जन्म लेने वाला पुत्र पशुओं से धनवान बनेगा
3)
युवती से शादी करने पर अमंगल होगा
4)
उपर्युक्त में कोई नहीं
5. बुझौवल का क्या अर्थ है?
1) पहेली
2)
हिसाब
3)
कहानी
4) बकौल
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
6 | ||
7 | ||
8 | ||