Class 11 Geography 11. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change)

Class 11 Geography 11. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change)

  Class 11 Geography 11. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change)

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

भूगोल (Geography)

11. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change)

पाठ के मुख्य बिंदु 

विश्व की जलवायु का अध्ययन जलवायु संबंधी आँकड़ों एवं जानकारी को संगठित करके किया जा सकता है।

जलवायु वर्गीकरण के तीन आधार हैं आनुभविक, (empirical) जननिक (genetic) तथा अनुप्रयोग (applied)।

आनुभविक वर्गीकरण तापमान एवं वर्षण से संबंधित ऑकड़ों पर आधारित होता है।

जननिक वर्गीकरण जलवायु को उनके कारणों के आधार पर संगठित करने का प्रयास है।

जलवायु का अनुप्रयुक्त वर्गीकरण किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है।

जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है।

जलवायु दीर्घकालीन (कम से कम 30 वर्ष) मौसमी दशाओं का योग होता है।

जलवायु का वर्गीकरण सर्वप्रथम ग्रीक वि‌द्वानों ने किया।

कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए हैं, जिनमें से चार तापमान पर और एक वर्षण पर आधारित है।

बड़े अक्षर A, C, D तथा E आर्द्र जलवायु को तथा B अक्षर शुष्क जलवायु को प्रदर्शित करता है।

जलवायु समूह को तापमान एवं वर्षा की मौसमी विशेषताओं के आधार पर कई उप प्रकारों में विभाजित किया गया है, जिसे छोटे अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया गया है।

छोटे अक्षरों f,m,w और s द्वारा शुष्क मौसमों को दिखाया गया है। इसमें f शुष्क मौसम के न होने को, m मानसून जलवायु को, w शुष्क शीत ऋतु को और s शुष्क ग्रीष्म ऋतु को प्रदर्शित करता है।

छोटे अक्षर a, b, c तथा d तापमान की उग्रता वाले भाग को प्रदर्शित करते हैं।

A उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु को प्रदर्शित करता है। यह जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। इस जलवायु में सालों वर्ष सूर्य के लंबवत रहने तथा अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की उपस्थिति के कारण जलवायु उष्ण एवं आर्द्र रहती है।

  • यहाँ वार्षिक तापांतर बहुत कम तथा वर्षा अधिक होती है। इस जलवायु समूह को तीन प्रकारों में बाँटा गया है- Af उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु, Am उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु और Aw उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु।
  • Af जलवायु विषुवत रेखा के निकट पाई जाती है। प्रमुख क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका का अमेजन बेसिन, पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका तथा दक्षिण पूर्वी एशिया के द्वीप हैं। यहाँ सालों भर तापमान ऊँचा तथा घनघोर वर्षा होती है, जिसके कारण व्यापक जैव-विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं।
  • Am जलवायु भारतीय उपमहा‌द्वीप, दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। यहाँ गर्मियों में भारी वर्षा होती है तथा शीत ऋतु शुष्क होती है।
  • Aw जलवायु Af जलवायु प्रदेशों के उत्तर एवं दक्षिण में पाई जाती है। प्रमुख क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका में स्थित ब्राजील के वनों के उत्तर और दक्षिण में बोलिविया और पराग्वे के निकटवर्ती भागों तथा सूडान और मध्य अफ्रीका के दक्षिण में पाई जाती है।
  • इस जलवायु में आर्द ऋतु छोटी और शुष्क ऋतु भीषण व लंबी होती है। यहाँ पर्णपाती वन और पेड़ों से ढँकी घासभूमियाँ पाई जाती हैं।

B शुष्क जलवायु विषुवत रेखा से 15 डिग्री से 60 डिग्री उत्तर व दक्षिणी अक्षांश के बीच में विस्तृत है। इस जलवायु को दो भागों में बाँटा गया है- स्टेपी या अर्ध शुष्क के लिए BS तथा मरुस्थल के लिए BW जैसे बड़े अक्षरों का प्रयोग किया गया है।

इसे आगे 15 डिग्री से 35 डिग्री अक्षांशों के बीच उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी (BSh) और उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थल (BWh) में बाँटा जाता है। 35 डिग्री और 60 डिग्री अक्षांशों के बीच इसे मध्य अक्षांशीय स्टेपी (BSK) तथा मध्य अक्षांशीय मरुस्थल (BWk) में विभाजित किया जाता है।

स्टेपी जलवायु में मरुस्थल जलवायु की अपेक्षा वर्षा अधिक होती है। मरुस्थलों में वर्षा थोड़ी किंतु गरज के साथ तीव्र बौछारों के रूप में होती है।

मरुस्थलों में ग्रीष्म ऋतु में अधिकतम तापमान बहुत ऊँचा होता है। लीबिया के अल अजीजिया में 13 सितंबर 1922 को उच्चतम तापमान 58 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

C कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय) जलवायु 30 डिग्री से 50 डिग्री अक्षांशों के बीच मुख्यतः महाद्वीपों के पूर्वी और पश्चिमी सीमांतों पर विस्तृत है। इस जलवायु में सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु कोष्ण और शीत ऋतु मृदुल होती है। इस जलवायु को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है-

  • Cwa आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु कर्क एवं मकर रेखा से ध्रुवों की ओर मुख्यतः भारत के उत्तरी मैदान और दक्षिणी चीन के आंतरिक मैदानों में पाई जाती है।
  • Cs भूमध्य सागरीय जलवायु भूमध्य सागर के चारों ओर तथा उपोष्ण कटिबंध से 30 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी तट के साथ-साथ पाई जाती है। जैसे मध्य कैलिफोर्निया, मध्य चिली तथा आस्ट्रेलिया के दक्षिण पूर्वी और दक्षिण पश्चिमी तट। इस जलवायु में ग्रीष्म ऋतु उष्ण तथा शुष्क और शीत ऋतु मृदु एवं वर्षा युक्त होती हैं।
  • Cfa आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी भागों में पाई जाती है। जैसे-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिणी तथा पूर्वी चीन, दक्षिणी जापान, उत्तर-पूर्वी अर्जेंटीना, तटीय दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट। इस प्रदेश में पूरे वर्ष वर्षा होती है।
  • Cfb समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर भूमध्य सागरीय जलवायु से ध्रुवों की ओर पाई जाती हैं। इसके मुख्य क्षेत्र हैं- उत्तर पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी तट, उत्तरी कैलिफोर्निया, दक्षिण चिली, दक्षिण पूर्व ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड।
  • यहाँ समुद्री प्रभाव के कारण तापमान मध्यम होते हैं, और शीत ऋतु में अपने अक्षांशों की तुलना में गर्म होते हैं। वार्षिक और दैनिक तापांतर कम पाया जाता है। वर्षा सालों भर होती है लेकिन सर्दियों में अधिक होती है।

D शीत हिम-वन जलवायु उत्तरी गोलार्ध में 40 डिग्री से 70 डिग्री अक्षांशों के बीच यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका के विस्तृत महाद्वीपीय क्षेत्र में पाई जाती है। इसे दो भागों में बाँटा जाता है-

  • Df आर्द्र जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु और मध्य अक्षांशीय स्टेपी जलवायु से ध्रुवों की ओर पाई जाती है। जाड़े ठंडे और बर्फीले होते हैं, वार्षिक तापांतर अधिक होता है।
  • Dw शुष्क जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु मुख्यतः उत्तर- पूर्वी एशिया में पाई जाती है। वार्षिक वर्षा कम होती है। ध्रुवों की ओर गर्मियों में तापमान कम होते हैं और जाड़ों में तापमान अत्यंत कम होती है।

E ध्रुवीय जलवायु 70 डिग्री अक्षांश से ध्रुवों की ओर पाई जाती है। यह दो प्रकार की होती है- ET टुंड्रा जलवायु का नाम काई, लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसे छोटे वनस्पति प्रकारों के आधार पर रखा गया है। यहाँ स्थायी रूप से भूमि हिम से ढकी रहती है, सिर्फ ग्रीष्म ऋतु में ही दिन के प्रकाश की अवधि लंबी होने के कारण छोटी वनस्पतियां दिखाई पड़ती हैं।

  • EF हिमटोप जलवायु ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के आंतरिक भागों में पाई जाती है। यहाँ गर्मियों में भी तापमान हिमांक से नीचे रहता है। वर्षा थोड़ी मात्रा में होती है। अंटार्कटिका में 79 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर "प्लेट्यू" स्टेशन पर भी ऐसी जलवायु पाई जाती है।
  • हिम परतों के टुकड़े आर्कटिक एवं अंटार्कटिक जल में खिसक कर प्लावी हिम शैलों (Icebergs) के रूप में तैरते हैं।

F उच्च भूमि जलवायु ऊँचे पर्वतीय भागों में पाई जाती है। इन क्षेत्रों में ऊंचाई के साथ-साथ जलवायु में परिवर्तन देखा जाता है।

जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है। भूगर्भिक अभिलेख से हिम युगों और अंतर हिमयुगों में क्रमशः परिवर्तन की प्रक्रिया दिखाई देती है। ऐतिहासिक अभिलेख भी जलवायु की अनिश्चितता का वर्णन करते हैं।

ऊँचाइयों तथा उच्च अक्षांशों में हिमानियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के शेष चिह्न प्रदर्शित करते हैं। वृक्षों के तनों में पाए जाने वाले वलय भी आर्द्र एवं शुष्क युगों की उपस्थिति का संकेत देते हैं।

भारत में भी आर्द्र एवं शुष्क युग आते-जाते रहे हैं। पुरातत्व खोज दर्शाती हैं कि ईसा से लगभग 8000 वर्ष पूर्व राजस्थान मरुस्थल की जलवायु आर्द्र एवं शीतल थी।

लगभग 50 करोड़ से 30 करोड़ वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल के कैंब्रियन, आर्डोविसियन तथा सिल्युरियन युगों में पृथ्वी गर्म थी।

प्लीस्टोसीन युगांतर के दौरान हिमयुग और अंतर हिमयुग अवधियाँ रही हैं। अंतिम प्रमुख हिमयुग आज से 18000 वर्ष पूर्व था। वर्तमान अंतर हिम युग 10000 वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था।

सभी कालों में जलवायु परिवर्तन होते रहे हैं। 1990 के दशक में शताब्दी का सबसे गर्म तापमान और विश्व में सबसे भयंकर बाढ़ों को दर्ज किया है।

सहारा मरुस्थल के दक्षिण में स्थित साहेल प्रदेश में 1967 से 1977 के बीच आया विनाशकारी सूखा ऐसा ही एक परिवर्तन था।

1930 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के वृहत् मैदान के दक्षिण पश्चिम भाग में जिसे 'धूल का कटोरा' कहा जाता है, भीषण सूखा पड़ा।

यूरोप अनेकों बार उष्ण, आर्द्र एवं शुष्क युर्गों से गुजरा है। 10वीं और 11वीं शताब्दी की उष्ण एवं शुष्क दशाओं के कारण वाइकिंग कबीले ग्रीनलैंड में जा बसे थे।

यूरोप में सन 1550 से 1850 के बीच लघु हिमयुग का समय था। 1885 के बाद विश्व के तापमान में वृद्धि की प्रवृत्ति पाई गई है तथा 1940 के बाद तापमान में वृद्धि की दर घटी है।

जलवायु परिवर्तन के कारण खगोलीय और पार्थिव हैं। खगोलीय कारणों में सौर कलंक, तथा मिलैंकोविच दोलन हैं। तथा पार्थिव कारणों में ज्वालामुखी क्रिया एवं ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता सांद्रण है।

वे गैसें जो पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगों को अवशोषित करती हैं, ग्रीनहाउस गैसें कहलाती हैं। जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन।

ग्रीनहाउस गैसों में सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड गैसों का सांद्रण वायुमंडल में उपस्थित है। कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों (तेल, गैस एवं कोयला) के दहन से होता है।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उत्सर्जन मानवीय गतिविधियों जैसे-रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, अग्निशमन उपकरणों, प्रसाधन सामग्री, प्लास्टिक फोम आदि के उपयोग से होता है।

समतापमंडल में ओजोन के सांद्रण का ह्रास ओजोन छिद्र कहलाता है। ओजोन का सबसे अधिक ह्रास अंटार्कटिका के ऊपर हुआ है।

'क्योटो प्रोटोकॉल' वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया गया प्रयास है।

इसकी उ‌द्घोषणा 1997 में की गई थी तथा 2005 में यह प्रभावी हुई, जिसमें 141 देशों ने अनुमोदन किया है।

भूमंडलीय ऊष्मण के कारण हिम क्षेत्रों के पिघलने से समुद्री जल का स्तर बढ़ जाएगा जिससे तटीय क्षेत्र और द्वीप डूब सकते हैं। साथ ही यह जीवन पोषक तंत्र को कुप्रभावित कर सकते हैं।

पृथ्वी के धरातल के निकट वायु का औसत वार्षिक तापमान लगभग 14 डिग्री सेल्सियस है। 1998 विश्व शताब्दी का सबसे गर्म वर्ष था।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. जलवायु के वर्गीकरण से संबंधित कोपेन की पद्धति को व्यक्त किया जा सकता है-

a. अनुप्रयुक्त

b. व्यवस्थित

c. जननिक

d. आनुभविक

2. भारतीय प्रायद्वीप के अधिकतर भागों को कोपेन की पद्धति के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा-

a. Af

b. BSh

c. Cb

d. Am

3. निम्नलिखित में से कौन-सा साल विश्व का सबसे गर्म साल माना गया है?

a. 1990

b. 1998

c. 1885

d. 1950

4. नीचे लिखे गए चार जलवायु के समूहों में से कौन आर्द्र दशाओं को प्रदर्शित करता है?

a. A-B-C-E

b. A-C-D-E

c. B-C-D-E

d. A-C-D-F

5. कोपेन के A प्रकार की जलवायु के लिए निम्न में से कौन-सी दशा अर्हक हैं?

a. सभी महीनों में उच्च वर्षा

b. सबसे ठंडे महीने का औसत मासिक तापमान हिमांकबिंदु से अधिक

c. सभी महीनों का औसत मासिक तापमान 18° से. से अधिक

d. सभी महीनों का औसत तापमान 10° से. के नीचे

6. कर्क और मकर रेखा के बीच कौन-सी जलवायु पाई जाती है?

a. शुष्क जलवायु

b. शीतोष्ण जलवायु

c. भूमध्य सागरीय जलवायु

d. उष्णकटिबंधीय जलवायु

7. व्यापक जैव-विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदा हरित वन किस जलवायु की विशेषता है?

a. उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु।

b. उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु

c. शुष्क जलवायु

d. उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु

8. किस जलवायु में वर्षा शीत ऋतु में होती है?

a. भूमध्य सागरीय जलवायु

b. शुष्क जलवायु

c. टुंड्रा जलवायु

d. ध्रुवीय जलवायु

9. काई, लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसे छोटे वनस्पति किस प्रकार की जलवायु में पाए जाते हैं?

a. भूमध्य सागरीय जलवायु

b. टुंड्रा जलवायु

c. मध्य अक्षांशीय जलवायु.

d. शुष्क जलवायु

10. किस जलवायु में सबसे कम वार्षिक तापांतर पाया जाता है?

a. विषुवत रेखीय जलवायु

b. भूमध्य सागरीय जलवायु

c. शीत जलवायु

d. शीतोष्ण जलवायु

11. निम्न में से कौन ग्रीनहाउस गैस है?

a. क्लोरोफ्लोरोकार्बन

b. मीथेन

c. कार्बन डाइऑक्साइड

d. इनमें से सभी

12. निम्न में से कौन-सी गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है?

a. ऑक्सीजन

b. कार्बन डाइऑक्साइड

c. ओजोन

d. नाइट्रोजन

13. कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण में निम्न में से किसे आधार माना है?

a. तापमान एवं वर्षा

b. वर्षा एवं आर्द्रता

c. तापमान एवं आर्द्रता

d. इनमें से कोई नहीं

14. क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उत्सर्जन सबसे अधिक किस देश के द्वारा किया जाता है?

a. भारत

b. चीन

c. रूस

d. यू. एस.ए.

15. निम्नलिखित में से किस जलवायु में वार्षिक तापांतर सबसे अधिक होता है?

a. उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु

b. सवाना जलवायु

c. उष्ण मरुस्थलीय जलवायु

d. स्टेपी जलवायु

16. कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण में मानसूनी जलवायु को किस संकेत के द्वारा प्रस्तुत किया है?

a. Af

b. Aw

c. Cw

d. Am

17. कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण में स्टेपी या अर्ध शुष्क जलवायु के लिए किन अक्षरों का प्रयोग किया?

a. Af

b. BW

c. Cs

d. BS

18. निम्नलिखित में से किस जलवायु को कोपेन ने E अक्षर के द्वारा प्रदर्शित किया है?

a. ध्रुवीय जलवायु

b. उच्च भूमि जलवायु

c. स्टेपी जलवायु

d. मरुस्थलीय जलवायु

19. जलवायु का वर्गीकरण सर्वप्रथम किसने किया?

a. ग्रीक विदवानों ने

b. जर्मन विदवानों ने

c. अमेरिकन वि‌द्वानों ने

d. फ्रांसीसी विद्वानों ने

20. जलवायु परिवर्तन के क्या कारण हैं?

a. सौर कलंकों की संख्या

b. ज्वालामुखी क्रिया

c. मिलैंकोविच दोलन

d. इनमें से सभी

21. निम्न में से कौन सी गैस धान के खेतों, नम भूमि तथा दलदल से निकलती है?

a. नाइट्रस ऑक्साइड

b. मिथेन

c. क्लोरोफ्लोरोकार्बन

d. ओजोन

22. कोपेन ने विश्व के मुख्य जलवायु प्रदेशों को कितने भागों में विभाजित किया है?

a. 5

b. 7

c. 4

d. 8

23. निम्न में से कहाँ सबसे लंबा दिन और रात होते हैं?

a. विषुवत रेखा

b. कर्क रेखा

c. मकर रेखा

d. ध्रुवों

24. कोपेन ने विश्व का जलवायु वर्गीकरण कब प्रस्तुत किया?

a. 1918

b. 1916

c. 1920

d. 1922

25. उच्च भूमि की जलवायु के लिए कोपेन ने किस अक्षर का प्रयोग किया?

a. A

b. H

c. B

d. F

26. निम्न में से कौन जीवाश्म ईंधन है?

a. कोयला

b. पेट्रोलियम

c. प्राकृतिक गैस

d. इनमें से सभी

27. वायुमंडल में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों में कौन-सी गैस सबसे अधिक मात्रा में पाई जाती है?

a. कार्बन डाइऑक्साइड

b. क्लोरोफ्लोरोकार्बन

c. मिथेन

d. नाइट्रस ऑक्साइड

28. हरित गृह प्रभाव के लिए निम्न में से कौन-सी गैस उत्तरदायी नहीं है?

a. क्लोरोफ्लोरोकार्बन

b. ऑक्सीजन

c. मिथेन

d. नाइट्रस ऑक्साइड

29. हरित गृह प्रभाव का परिणाम निम्नलिखित में से कौन है?

a. जनसंख्या वृद्धि

b. तापमान में वृद्धि

c. औद्योगिक विकास

d. इनमें से कोई नहीं

30. ओजोन का सबसे अधिक ह्रास किस क्षेत्र में हुआ है?

a. यूरेशिया के ऊपर

b. अंटार्कटिका के ऊपर

c. साइबेरिया के ऊपर

d. ग्रीनलैण्ड के ऊपर

31. शीतोष्ण कटिबंध किन दो अक्षांशों के बीच के क्षेत्र को कहते हैं?

a. दोनों गोलार्धी में 23 1/2° से 66 1/2° का क्षेत्र

b. विषुवत रेखा से 23 1/2° उत्तर और 23 1/2° दक्षिण के बीच का क्षेत्र

c. 66 1/2° से 90°का क्षेत्र

d. इनमें से कोई नहीं

32. निम्नलिखित में से भारतीय प्रायद्वीप के अधिकतर भागों में कौन-सी जलवायु प्रकार पाई जाती है?

a. Af

b. Aw

c. Am

d. BS

33. निम्नलिखित में से किसे भूमंडलीय कार्बन सिंक माना जाता है?

a. सहारा मरुस्थल

b. भूमध्य रेखीय वर्षा के वन

c. अंटार्कटिका हिमखंड

d. यूरेशिया क्षेत्र

34. निम्न में से किसे मार्श गैस कहा जाता है?

a. नाइट्रस ऑक्साइड

b. ऑक्सीजन

c. नाइट्रोजन

d. मीथेन

35. निम्नलिखित में से किस गैस की परत को पृथ्वी का रक्षा कवच भी कहा जाता है?

a. नाइट्रोजन

b. ओजोन

c. कार्बन डाइऑक्साइड

d. ऑर्गन

36. प्लेट्यू स्टेशन कहाँ स्थित है?

a. 79° दक्षिणी अक्षांश

b. 79° उत्तरी अक्षांश

c. 85° दक्षिणी अक्षांश

d. 85° उत्तरी अक्षांश

37. 10वीं और 11वीं शताब्दी में वाइकिंग कबीले निम्न में कहाँ जाकर बसे थे?

a. आइसलैंड

b. ग्रीनलैंड

c. अफ्रीका

d. संयुक्त राज्य अमेरिका

38. क्योटो प्रोटोकॉल की उ‌द्घोषणा कब की गई थी?

a. 1997

b. 1998

c. 2005

d. 2006

39. पृथ्वी के धरातल के निकट वायु का औसत वार्षिक तापमान लगभग कितना है?

a. 15 डिग्री सेल्सियस

b. 25 डिग्री सेल्सियस

c. 14 डिग्री सेल्सियस

d. 26 डिग्री सेल्सियस

40. ईसा से लगभग 8000 वर्ष पूर्व राजस्थान मरुस्थल की जलवायु कैसी थी?

a. आर्द्र एवं शीतल

b. शुष्क एवं तप्त

c. ठंडी

d. गर्म

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. जलवायु प्रदेश से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः धरातल के उस प्रदेश को जहाँ एक लंबे समय तक मौसम संबंधी औसत दशाएँ समान रहती हों, उसे जलवायु प्रदेश कहते हैं।

2. जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखें।

उत्तरः जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है- अक्षाश, समुद्र तल से ऊँचाई, पर्वतों की दिशा, समुद्री प्रभाव एवं पवनों की दिशा।

3. जलवायु के वर्गीकरण के लिए कोपेन के द्वारा किन दो जलवायविक चरों का प्रयोग किया गया है?

उत्तरः जलवायु के वर्गीकरण के लिए कोपेन के द्वारा दो जलवायैविक चरों तापमान एवं वर्षा का प्रयोग किया गया है।

4. क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उत्सर्जन कैसे होता है?

उत्तरः क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उत्सर्जन रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, अग्निशमन उपकरणों, प्रसाधन सामग्री, प्लास्टिक फोम आदि के उपयोग के दौरान होता है।

5. क्योटो प्रोटोकॉल क्या है?

उत्तरः वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए गए हैं, जो क्योटो प्रोटोकॉल कहलाता है। इसकी उ‌द्घोषणा 1997 में की गई थी और 2005 में यह प्रभावी हुई, जिसे 141 देशों ने अनुमोदन किया है।

6. जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है। जलवायु परिवर्तन के प्रमुख चार कारण हैं-सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या, मिलैंकोविच दोलन, ज्वालामुखी क्रिया एवं मानव जनित ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता सांद्रण।

7. मिलैंकोविच दोलन से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः यह एक खगोलीय सिद्धांत है, जिसके अनुसार सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तनों के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इन परिवर्तनों के कारण धरातल पर प्राप्त होने वाले सूर्यातप पर प्रभाव पड़ता है और इससे जलवायु में परिवर्तन अनुभव किए जाते हैं।

8. सौर कलंक क्या है? यह जलवायु को कैसे प्रभावित करते हैं?

उत्तरः सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं, जो चक्रीय रूप से घटते बढ़ते रहते हैं। सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठंडा व आर्द्र हो जाता है तथा तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। जबकि इनकी संख्या घटने पर मौसम उष्ण एवं शुष्क हो जाता है।

9. वर्गीकरण की जननिक प्रणाली आनुभविक प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तरः वर्गीकरण की जननिक प्रणाली में जलवायु को उनके कारणों के आधार पर संगठित किया जाता है जबकि आनुभविक प्रणाली में जलवायु का वर्गीकरण तापमान एवं वर्षण से संबंधित आंकड़ों पर किया जाता है।

10. भूमंडलीय उष्मण से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः भूमंडलीय उष्मण का अर्थ पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और मौसम में होने वाले परिवर्तन से है।

11. हिमशैल क्या होते हैं?

उत्तरः आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र के स्थायी हिम क्षेत्र से जब हिम के बड़े टुकड़े अलग होकर सागरों में आ जाते हैं, तो उसे प्लावी हिमशैल कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण की पद्धति का वर्णन करें।

उत्तरः कोपेन ने विश्व की जलवायु का वर्गीकरण 1918 ई. में प्रस्तुत किया। उनका जलवायु वर्गीकरण आनुभविक पद्धति पर आधारित है, जिसमें उन्होंने तापमान एवं वर्षा के वार्षिक एवं मासिक आंकड़ों के आधार पर यह वर्गीकरण प्रस्तुत किया। उन्होंने जलवायु के मुख्य प्रकार एवं उसके उप प्रकारों की पहचान करने के लिए अंग्रेजी के बड़े तथा छोटे अक्षरों का प्रयोग किया। कोपेन ने विश्व की जलवायु को पाँच मुख्य भागों में बाँटा। इसमें से चार तापमान पर और एक वर्षण पर आधारित है।

2. उष्णकटिबंधीय जलवायु का वर्णन करें।

उत्तरः उष्ण कटिबंधीय जलवायु जिसे कोपेन महोदय ने A अक्षर से प्रस्तुत किया। यह जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। जहाँ सभी महीनों का औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। इस जलवायु में वार्षिक तापांतर बहुत कम तथा वर्ष अधिक होती है। इस जलवायु को तीन उप प्रकारों में विभाजित किया गया है। जिनके नाम हैं Af उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु, Am उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु तथा Aw उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु ।

3. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण में A एवं B प्रकार की जलवायुओं की जलवायविक दशाओं की तुलना करें।

उत्तरः A तथा B प्रकार की जलवायु की तुलना

A प्रकार की जलवायु

B प्रकार की जलवायु

1. कर्क और मकर रेखा के बीच पायी जाती है।

1. विषुवत रेखा से 15° से 60° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों के बीच विस्तृत है।

2. इस प्रकार की जलवायु में सभी महीनों का औसत तापमान 18° डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है

2. इस प्रकार की जलवायु में तापमान अधिक होता है तथा दैनिक एवं वार्षिक तापांतर भी अधिक पाए जाते हैं।

3. वार्षिक वर्षा की तुलना में वार्षिक वाष्पीकरण कॅम होता है। अतः यहाँ की जलवायु आर्द्र होती है।

3. वर्षण की तुलना में वर्षभर वाष्पीकरण की अधिकता होती है। अतः शुष्क जलवायु पाई जाती है।

4. वार्षिक तापान्तर बहुत कम रहता है।

4. वार्षिक तापान्तर अधिक रहता है।

5. वर्षा अधिक होती है।

5. वर्षा कम होती है।

6. जलवायु उष्ण व आर्द्र होती है।

6. जलवायु शुष्क होती है।

4. कोपेन के C तथा A प्रकार के जलवायु में आप किस प्रकार की वनस्पति पाएंगे।

उत्तरः C प्रकार की जलवायु की मुख्य विशेषता ग्रीष्म ऋतु शुष्क एवं शीत ऋतु में वर्षों का होना है। भूमध्य सागरीय जलवायु प्रर्देश (Cs) में मुख्य वनस्पति खट्टे रसदार फल एवं झाड़ी नुमा वृक्ष हैं।

A प्रकार के जलवायू प्रदेश में सालों भर उच्च तापमान एवं अधिक वर्षा होता है। उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु में अधिक तापमान और अधिक वर्षा होने के कारण सदाबहार वनस्पति पाई जाती है।

5. ग्रीनहाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः वायुमण्डल में पाई जाने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस जलवाष्प, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि पृथ्वी पर हरित गृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी हैं। सूर्य से आने वाली लघु तरंगीय किरणों को तो ये गैसें पृथ्वी तक आने देती हैं किन्तु पृथ्वी से होने वाले दीर्घ तरंगीय विकिरण विशेषकर अवरक्त किरणों को परावर्तित कर पुनः पृथ्वी की ओर भेज देती हैं। परिणामस्वरूप धरातलीय सतह निरन्तर गर्म होती रहती है। इस प्रभाव को ही हरित गृह प्रभाव कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण का विस्तृत वर्णन करें।

उत्तरः व्लादिमीर कोपेन ने विश्व की जलवायु का वर्गीकरण 1918 ई. में प्रस्तुत किया। इन्होंने अपने जलवायु वर्गीकरण का मुख्य आधार तापमान एवं वर्षा को माना। अतः इनका वर्गीकरण आनुभविक पद्धति के अंतर्गत आता है। इन्होंने जलवायु के समूह एवं प्रकारों की पहचान करने के लिए अंग्रेजी के बड़े तथा छोटे अक्षरों का प्रयोग किया।

कोपेन के द्वारा पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए गए हैं जिनमें से चार तापमान पर और एक वर्षण पर आधारित है। बड़े अक्षर A, C, D तथा E आर्द्र जलवायु को तथा B अक्षर शुष्क जलवायु को प्रदर्शित करते हैं। जलवायु के इन मुख्य और उनके उप प्रकार निम्नलिखित हैं-

सारणी कोपेन के अनुसार जलवायु समूह

जलवायु समूह

लक्षण

A उष्णकटिबंधीय

सभी महीनों का औसत तापमान 18° सेल्सियस से अधिक।

B शुष्क जलवायु

वर्षण की तुलना में विभव वाष्पीकरण की अधिकता।

C कोष्ण शीतोष्ण

सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 30 सेल्सियस से अधिक किन्तु 18° सेल्सियस से कम मध्य अक्षांशीय जलवायु।

D शीतल हिम-वन जलवायु

वर्ष के सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान शून्य अंश तापमान से 3° नीचे।

E शीत

सभी महीनों का औसत तापपमान 10° सेल्सियस से कम।

F उच्चभूमि

ऊँचाई के कारण शीत।

सारणी कोपेन के अनुसार जलवायु वर्गीकरण

समूह

प्रकार

कुट अक्षर

लक्षण

A उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु

उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र

Af

कोई शुष्क ऋतु नहीं

उष्णकटिबन्धीय मानसून

Am

मानसून, लघु शुष्क ऋतु

उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क

Af

जाड़े की शुष्क ऋतु

B शुष्क जलवायु

उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी

BSh

निम्न अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क

उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थल

BWh

निम्न अक्षांशीय शुष्क

मध्य अक्षांशीय स्टेपी

BSk

मध्य अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क अथवा शुष्क

मध्य अक्षांशीय मरुस्थल

BWk

मध्य अक्षांशीय शुष्क

C कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय जलवायु)

आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय

Cfa

मध्य अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क अथवा शुष्क

भूमध्य सागरीय

Cs

शुष्क गर्म ग्रीष्म

समुद्री पश्चिम तटीय

Cfb

कोई शुष्क ऋतु नहीं, कोष्ण तथा शीतल ग्रीष्म

D शीतल हिम-वन जलवायु

आर्द्र महाद्वीपीय

Df

कोई शुष्क ऋतु नहीं, भीषण जाड़ा

उप-उत्तर ध्रुवीय

Dw

जाड़ा शुष्क तथा अत्यन्त भीषण

E शीत जलवायु

टुंड्रा

ET

सही अर्थों में कोई ग्रीष्म नहीं

ध्रुवीय हिमटोपी

EF

सदैव हिमाच्छादित हिम

F उच्च भूमि

उच्च भूमि

H

हिमाच्छादितु उच्च भूमियाँ

 A. (उष्णकटिबंधीय जलवायु)- यह जलवायु कर्क और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। यहाँ सालोंभर तापमान 18°c से अधिक होता है तथा वार्षिक तापांतर बहुत कम होता है। इसके तीन प्रकार है- Af (उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु) Am (उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु) और Aw (उष्ण कटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु)

Af (उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु) यह जलवायु विषुवत रेखा के निकट पाई जाती है। इसका मुख्य क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका का अमेजन बेसिन, अफ्रीका का कांगो बेसिन तथा दक्षिण पूर्वी एशिया के दवीप हैं। यहाँ सालो भर वर्षा होती है, जिसके कारण यहाँ सघन वन और व्यापक जैव-विविधता पाई जाती है।

Am (उष्ण कटिबंधीय मानसून जलवायु)- यह जलवायु भारतीय उपमहादवीप, दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। यहाँ अधिकतर वर्षा गर्मियों में होती है तथा शीत ऋतु शुष्क होती है।

Aw (उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु) - यह जलवायु Af प्रकार के जलवायु प्रदेशों के उत्तर एवं दक्षिण में पाई जाती है। इस जलवायु में पर्णपाती वन और पेड़ों से ढकी घास भूमियाँ पाई जाती हैं।

B. (शुष्क जलवायु)- इस जलवायु का विस्तार विषुवत रेखा से 15° से 60° उत्तर और दक्षिण अक्षांशों के बीच है। इस जलवायु की विशेषता अत्यंत न्यून वर्षा है जो पौधों की वौद्ध के लिए पर्याप्त नहीं होती है। कोपेन ने इस जलवायु को दो प्रकारों में बाँटा।

BS- (स्टेपी या अर्धशुष्क जलवायु) और

BW- (मरुस्थलीय जलवायु)

इसे आगे 15° से 35° अक्षांशों के बीच उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी (BSh) और उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थल (BWh) में बाँटा गया है। 35° और 60° अक्षांशों के बीच इसे मध्य अक्षांशीय स्टेपी (BSk) तथा मध्य अक्षांशीय मरुस्थल (BWk) में विभाजित किया गया है।

C. (कोष्ण शीतोष्ण मध्य अक्षांशीय जलवायु)- यह जलवायु 30° से 50° अक्षांशों के बीच मुख्यतः महाद्वीपों के पूर्वी और पश्चिमी सीमांतों पर विस्तृत है। इस जलवायु में सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु कोष्ण और शीत ऋतु मृदुल होती है। इसके चार प्रकार हैं-

आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय (Cwa)- यहाँ सर्दियाँ शुष्क और गर्मी उष्ण होती हैं।

भूमध्य सागरीय (Cs) यहाँ गर्मी ऋतु शुष्क होती है तथा जाड़े में वर्षा होती है।

आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय (Cfa)- यहाँ शुष्क ऋतु अनुपस्थित तथा शीत ऋतु मृदु होती है।

समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb) वर्षा सालों भर होती है लेकिन यह सर्दियों में अधिक होती है। समुद्री प्रभाव के कारण तापमान मध्यम होते हैं और शीत ऋतु में अपने अक्षांशों की तुलना में कोष्ण होते हैं।

D. (शीत हिम-वन जलवायु)- यह जलवायु उत्तरी गोलार्ध में 40° से 70° अक्षांशों के बीच यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका के विस्तृत महाद्वीपीय क्षेत्र में पाई जाती है। इस जलवायु को दो प्रकारों में बाँटा गया है-आर्द्र जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु (Df) और शुष्क जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु (Dw)

E. (ध्रुवीय जलवायु)- यह जलवायु 70° अक्षांश से ध्रुवों तक पाई जाती है। इसके दो प्रकार हैं- टुंड्रा जलवायु (ET) और हिम टोप जलवायु (EF)

टुंड्रा जलवायु (ET) इस जलवायु में धरातल पर स्थायी रूप से हिम जमा रहता है। ग्रीष्म ऋतु में टुंड्रा प्रदेशों में दिन के प्रकाश की लंबाई अधिक होती है, जिससे काई, लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसी छोटी वनस्पति उगते हैं।

हिम टोप जलवायु (EF) यह जलवायु ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिका के आंतरिक भागों में मिलती है। यहाँ सालोभर तापमान हिमांक से नीचे रहते हैं वर्षा थोड़ी मात्रा में लेकिन हिम के रूप में होती है, जिससे धरातल पर स्थायी रूप से हिम जमा रहता है।

F. (उच्च भूमि जलवायु) यह जलवायु पर्वतीय क्षेत्रों में मिलती है जिसमें ऊँचाई के साथ तापमान और वर्षण के प्रकारों में अंतर पाया जाता है।

2. जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसके कारण एवं परिणामों का वर्णन करें।

उत्तरः जब किसी स्थान की औसत मौसमी दशाओं में परिवर्तन आ जाता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जलवाय परिवर्तन सिर्फ 30-35 वर्षों या हजारों वर्षों में मिलने वाली जलवायु भिन्नताओं के अध्ययन से नहीं है वरन जलवायु परिवर्तन में लाखों वर्षों से चले आ रहे भूगर्भिक समय मापकों में होने वाली जलवायु की भिन्नताओं का अध्ययन सम्मिलित किया जाता है।

जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण खगोलीय एवं पार्थिव हैं जो निम्नलिखित हैं-

क. सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या- सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं, जो एक चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं। कछ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठंडा और आर्द्र हो जाता है तथा तूफानों की संख्या बढ़ जाती है जबकि सौर कलंकों की संख्या घटने पर मौसम उष्ण एवं शुष्क हो जाता है।

ख. मिलैंकोविच दोलन- यह सिद्धांत सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के कक्षीय लक्षणों में बदलाव के चक्रों, पृथ्वी की डगमगाहट तथा पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तनों के बारे में अनुमान लगाता है। इन सभी कारकों का प्रभाव सूर्य से प्राप्त होने वाले सूर्यातप में पड़ता है। जिसका प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।

ग. ज्वालामुखी क्रिया- ज्वालामुखी क्रिया जलवायु परिवर्तन का एक अन्य कारण है। ज्वालामुखी उद्‌गार वायुमंडल में बड़ी मात्रा में एरोसॉल फेंकता है। यह एरोसॉल लंबे समय तक वायुमंडल में विदयमान रहते हैं जो पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाले सौर विकिरण को कम कर देते हैं। R

घ. ग्रीन हाउस गैसों की बढ़ती सान्द्रता- ग्रीनहाउस गैसें जो पृथ्वी को गर्म करने का काम करती हैं। ये गैसें मानव के विकासशील क्रियाओं के कारण उत्पन्न हो रही हैं। तथा दिन ब दिन इनकी मात्रा बढ़ती जा रही है। जो जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी हैं। मुख्य ग्रीन हाउस गैसें हैं- कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन।

3. जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन-से कारक हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तरः पृथ्वी पर सभी जगह एक समान जलवायु नहीं पाई जाती है। जलवायु विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है जो निम्नलिखित है-

क. अक्षांश- धरातल पर ताप का वितरण अक्षांश के अनुसार होता है। विषुवत् रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ती हैं, अतः इन क्षेत्रों में तापमान अधिक रहता है तथा ध्रुवों की ओर किरणें तिरछी होती हैं, अतः यहाँ तापमान कम होता है। अर्थात विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर तापमान कम होता जाता है।

ख. समुद्रतल से ऊँचाई- किसी स्थान की समुद्रतल से ऊँचाई जलवायु को प्रभावित करती है। समुद्र तल से जैसे-जैसे ऊँचाई की ओर जाते हैं तापमान कम होता जाता है क्योंकि ऊँचाई पर जाने पर वायु विरल होती जाती है। यही कारण है कि ऊँचाई पर स्थित क्षेत्र ठंडे होते हैं तथा पर्वतीय चोटियों पर बर्फ जमा मिलते हैं।

ग. पर्वतों की दिशा- पर्वतों की दिशा जलवायु को प्रभावित करती हैं। ये पर्वत जब किसी क्षेत्र में ठंडी हवाओं को आने से रोकते हैं, तो वह क्षेत्र अत्यधिक ठंडा होने से बच जाता है। इसी तरह जब ये पर्वत समुद्री हवाओं को रोकने का काम करती हैं तो उस क्षेत्र में ये वर्षा लाने का काम करती हैं। इस तरह पर्वतों की दिशा जलवायु को प्रभावित करती हैं। जैसे हिमालय पर्वत के कारण ही भारत में - मानसूनी वर्षा हो पाती है तथा शीत ऋतु में भी बहुत अधिक ठंड नहीं हो पाती क्योंकि उत्तर से आँने वाली ठंडी बर्फीली हवाओं को ये रोकती हैं।

घ. समुद्री प्रभाव - समुद्रों के निकटता और दूरी जलवायु को प्रभावित करती है। जो स्थान समुद्र के नजदीक होते हैं उनकी जलवायु सम रहती है तथा जो स्थान समुद्र से दूर होते हैं, वहाँ की जलवायु विषम होती है। ठण्डी और गर्म सागरीय धाराएँ भी अपने निकटवर्ती क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। ठंडी धाराओं के निकट के क्षेत्र अधिक ठण्डे और गर्म जलधाराओं के निकटवर्ती तट उष्ण रहते हैं।

ङ पवनों की दिशा- गर्म स्थानों की ओर से आने वाली हवाएँ उष्ण होती हैं और तापमान को बढ़ा देती हैं जबकि ठंडी हवाएँ तापमान को गिरा देती हैं। इसी तरह समुद्र से आने वाली हवाएँ वर्षा लाती हैं जबकि स्थल से आने वाली हवाएँ शुष्क होती हैं। इस प्रकार हवाएँ किसी स्थान की जलवायु को प्रभावित करती हैं।

                                                  

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय-सूची

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')

अध्याय सं.

अध्याय का नाम

1.

भूगोल एक विषय के रूप में

2.

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

3.

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

4.

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

5.

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

6.

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

7.

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

8.

सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

9.

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

10.

वायुमंडल में जल

11.

विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

12.

महासागरीय जल

13.

महासागरीय जल संचलन

14.

जैव विविधता एवं संरक्षण

भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब')

1.

भारत : स्थिति

2.

संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3.

अपवाह तंत्र

4.

जलवायु

5.

प्राकृतिक वनस्पति

6.

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर


खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)

2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)

4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)

6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)

8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)

9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)

10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)

11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)

13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}

14.  महासागरीय जल संचलन  (Movements of Ocean Water)

15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)

खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण

1. भारत-स्थिति (India Location)

2.  संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)

3. अपवाह तंत्र (Drainage System)

4. जलवायु (Climate)

5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

6. मृदा (Soils)

7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)

 

खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य

1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)

2. मानचित्र मापनी (Map Scale)

3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)

4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)

5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)

6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)

7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)

8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)

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