प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11
भूगोल (Geography)
12. महासागरीय जल (Oceanic Water)
पाठ के मुख्य बिंदु
☞ पृथ्वी के धरातल पर जल की प्रचुर आपूर्ति है, जल की
उपलब्धता के कारण ही हमारी पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने पर नीला दिखाई देती है,
अतः इसे नीला ग्रह कहा जाता है।
☞ जल एक चक्रीय संसाधन है, जिसका प्रयोग एवं पूनः प्रयोग
किया जा सकता है। जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातल पर और धरातल से महासागर
तक पहुँचता है। जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात गैस तरल व
ठोस में जल का परिसंचरण है।
☞ पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का लगभग 71% भाग महासागरों
में पाया जाता है, शेष ताजे जल के रूप में हिमानियों, हिमटोपी, भूमिगत जल, झीलों,
मृदा में आर्द्रता, वायुमंडल, सरिताओं और जीवों में संग्रहित है।
☞ धरातल का 59% जल महासागरों एवं अन्य स्थानों से
वाष्पीकरण के द्वारा वायुमंडल में चला जाता है, शेष भाग धरातल पर बहता है, रिस
जाता है और कुछ भाग हिमनदी का रूप लेता है।
☞ भूगोलवेताओं ने महासागरों को पाँच भागों में बाँटा है-
प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी ध्रुव महासागर
(अंटार्कटिक महासागर) और उत्तरी ध्रुव महासागर (आर्कटिक महासागर)। अनेक समुद्र,
खाड़ियाँ, गल्फ तथा अन्य निवेशिकाएँ इन्हीं महासागरों के भाग हैं।
☞ भूमि पर पाए जाने वाले लक्षणों की अपेक्षा जटिल तथा
विभिन्न प्रकार के लक्षणों को प्रदर्शित करने वाले महासागरों के जल के नीचे की
भूमि महासागरीय अधस्तल कहलाती है।
☞ महासागरीय अधस्तल पर पाए जाने वाले लक्षण विवर्तनिकी,
ज्वालामुखी एवं निक्षेपण की क्रियाओं से बनती है।
☞ महासागरीय अधस्तल को चार प्रमुख भागों में बाँटा गया है।
महाद्वीपीय शेल्फ, महाद्वीप की ढाल, गहरे समुद्री मैदान, महासागरीय गभीर। इसके
अतिरिक्त कटके, पहाड़ियाँ, समुद्री टीला, निमग्नद्वीप जैसे उच्चावच संबंधी लक्षण
भी पाए जाते हैं। महासागरों के लक्षण जैसे गर्त, महासागरीय मैदान भी विवर्तनिक
गतिविधियों, ज्वालामुखी क्रियाओं तथा निक्षेपण की क्रियाओं से बनते हैं।
☞ महाद्वीपीय मग्नतट (Continental Shelf):- मग्नतट महाद्वीपों
के वे भाग हैं, जो समुद्र में डूबे हुए हैं, महाद्वीपीय मग्नतट कहलाते हैं। इसकी अधिकतम
गहराई सामान्यतः 200 मीटर तथा ढाल सामान्य होता है, इसकी चौड़ाई इसके ढाल पर निर्भर
करती है। परिणामस्वरूप इसकी चौड़ाई कुछ किलोमीटर से लेकर 1000 कि.मी. तक हो सकती है।
सामान्यतः इसकी औसत चौड़ाई 80 कि.मी. होती है। महाद्वीपीय शेल्फ तीव्र ढाल पर समाप्त
होती है, जिसे शेल्फ अवकाश कहते हैं।
☞ महासागरीय बेसिनों तथा महाद्वीपीय निमग्न तट के मध्य स्थित
भाग को महाद्वीपीय ढाल कहते हैं। इसकी ढाल प्रवणता 2 डिग्री 5 डिग्री के मध्य होती
है तथा इसकी गहराई 200 से 3000 मीटर के बीच होती हैं।
☞ महाद्वीपीय ढाल समाप्त होते ही ढाल मन्द पड़ जाता है और गभीर
सागरीय मैदान शुरु हो जाता है जिसे नितल मैदान कहते हैं। यह एक विस्तृत समतल क्षेत्र
होता है जिसका ढाल 1° से भी कम होता है। महासागरों की तली का लगभग 40 प्रतिशत भाग इन्हीं
मैदानों से घिरा हआ है। ये लगभग सभी महासागरों और बहत से समुद्रों में उपस्थित हैं।
इनकी गहराई 3000-6000 मी. तक होती है। ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों जैसे मृत्तिका
व गाद से ढके रहते हैं।
☞ नितल पहाड़ियों (Sea Mount): महासागरीय नितल पर हजारों की
संख्या में ऐसी पहाड़ियाँ पाई जाती हैं, जो समुद्र के जल में डूबी हुई हैं, जिनका शिखर
नितल से 1000 मीटर से अधिक ऊपर उठा हुआ है, उन्हें समुद्री पर्वत अथवा नितल पहाड़ियाँ
कहते हैं। जबकि सपाट शीर्ष वाले पर्वतों को गाईआट (Guyot) कहते हैं। इन सभी आकृतियों
का निर्माण ज्वालामुखी प्रक्रिया द्वारा होता है। सबसे अधिक नितल पहाडियाँ प्रशांत
महासागर में है।
☞ महासागरीय नितल पर जलमग्न तीव्र ढालों वाली गहरी तथा संकरी
अथवा गहरे गॉर्जों को जलमग्न केनियन कहते हैं। ये महाद्वीपीय मग्नढाल तथा गभीर सागरीय
मैदान पर अधिक पाए जाते हैं।
☞ शेयर्ड तथा बेयर्ड के अनुसार विश्व में 102 केनियन हैं। सबसे
अधिक कैनियन प्रशांत महासागर में पाए जाते हैं। संसार के सबसे लम्बे जलमग्न केनियन
बेरिंग सागर में बेरिंग, प्रिविलाफ तथा जेमचुग पाये जाते हैं। विश्व का सबसे प्रसिद्ध
हडसन केनियन है, जो हडसन नदी के मुहाने से शुरू होकर अटलांटिक महासागर तक चला गया है।
☞ सूर्यातप पृथ्वी के प्रमुख ऊर्जा के स्रोत हैं, पृथ्वी पर
उपस्थित अन्य सभी वस्तुओं की भांति महासागरीय जल को ऊष्मा सूर्यातप से ही प्राप्त होती
है। समुद्र का जल सूर्यातप से ऊष्मा प्राप्त करके गर्म होता है, जिससे उसका तापमान
बढ़ता है। समुद्री जल का तापमान समय तथा स्थान के अनुसार बदलता रहता है।
☞ महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित
है स्थल एवं जल का समान वितरण, अक्षांश, सनातन पवन, महासागरीय धाराएँ।
☞ महासागर के सतही जल एवं गहरी परतों के बीच की सीमा क्षेत्र
जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, ताप प्रवणता कहा जाता है। यह सतह से लगभग
100 से 400 मीटर के नीचे प्रारंभ होती है एवं कई सौ मीटर तक नीचे तक जाती है।
☞ जल के कुल आयतन का लगभग 90% गहरी महासागर में ताप प्रवणता
के नीचे पाया जाता है। इस क्षेत्र में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है। मध्य
एवं निम्न अक्षांशों में महासागर के तापमान की संरचना को सतह की तली की ओर तीन परतों
वाली प्रणाली में समझाया जा सकता है-
☞ पहली परत गर्म महासागरीय जल की सबसे ऊपरी परत होती है, जो
लगभग 500 मीटर की मोटाई में होती है और इसका तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री
सेल्सियस के बीच होता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में यह परत पूरे वर्ष उपस्थित होता
है, जबकि मध्य अक्षांशों में केवल ग्रीष्म ऋतु में पाई जाती है।
☞ दूसरी परत जिसे ताप प्रवणता परत कहा जाता है, पहली परत के
नीचे होती है। इसमें गहराई बढ़ने के साथ तापमान में तीव्र गिरावट आती है। यहाँ ताप
प्रवणता की मोटाई 500 से 1000 मीटर तक होती है।
☞ तीसरी परत बहुत अधिक ठंडी होती है तथा गभीर महासागरीय तलौ
तक विस्तृत होती है। आर्कटिक एवं अंटार्कटिका वृतों में सतही जल का तापमान 0 डिग्री
सेल्सियस के निकट होता है और इसलिए गहराई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता
है। यहाँ ठंडे पानी की केवल एक ही परत पाई जाती है जो सतह से गभीर महासागरीय तली तक
विस्तृत होती है।
☞ महासागरों की सतह के जल का औसत तापमान लगभग 27 डिग्री सेल्सियस
होता है। यह विषुवत वृत्त से ध्रुव की ओर लगातार कम होता जाता है, महासागरीय जल का
तापमान विष्वत वृत्त से ध्रुव की ओर समान्यतः प्रति अक्षांश 0.5 डिग्री सेल्सियस घटता
है।
☞ महासागरों के सतहीय जल सूर्यातप को प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त
कर गर्म होते हैं और महासागरों के निचले भागों में संवहन की प्रक्रिया द्वारा जल गर्म
होती है। परिणामस्वरूप गहराई के साथ-साथ तापमान में कमी आने लगती है।
☞ लवणता वह शब्द है, जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक
की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। इसकी गणना 1000 ग्राम समुद्री जल में
घुले हए नमक (ग्राम में) की मात्रा द्वारा किया जाता है, इसे प्रति 1000 भाग या
PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है। विभिन्न स्थानों पर विभिन्न मात्रा में लवणता
पाई जाती है। इसको प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है :-
a. वाष्पीकरण एवं वर्षा की मात्रा
b. नदियों द्वारा लाये गए ताजे जल की मात्रा एवं ध्रुवीय
क्षेत्रों में बर्फ के जमने और पिघलने की क्रिया।
c. पवन
d. महासागरीय धाराएँ
☞ सामान्यतः आर्कटिक एवं ज्वारनदमुख में लवणता 0 से 35 PPT
के बीच पाई जाती है, जबकि गर्म एवं शुष्क क्षेत्र में जहाँ वाष्पीकरण उच्च होता है,
लवणता अधिक पाई जाती है।
☞ उत्तरी अटलांटिक महासागर में 20 डिग्री से 40 डिग्री उत्तरी
अक्षांश तथा 35 डिग्री से 75 डिग्री पश्चिमी देशांतर के मध्य चारों ओर प्रवाहित होने
वाली जलधाराओं के मध्य स्थित शांत एवं स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर के नाम
से जाना जाता है।
☞ सारगैसो गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधारा, कनारी तथा उत्तरी विषुवत्तीय
धाराओं के चक्र के बीच स्थित शांत क्षेत्र होता है
☞ भारत में छः खारे पानी की झील है चिल्का, पैंोंग, पचपदरा,
पुलिकट, लोनार और सांभर।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का लगभग कितना
प्रतिशत भाग महासागर में पाया जाता है?
a. 20%
b. 29%
c. 51%
d. 71%
2. वाष्पीकरण
के द्वारा महासागरों से एवं अन्य स्थानों से कितना प्रतिशत जल वायुमंडल में चला जाता
है?
a. 50%
b. 59%
c. 60%
d. 90%
3. उस तत्व की पहचान करें जो जलीय चक्र का
भाग नहीं है।
a. संघनन
b. वाष्पीकरण
c. वर्षण
d. जलयोजन
4. समुद्र
तल से कितना नीचे महासागरीय स्थल का प्रमुख भाग पाया जाता है?
a. 3 से 6 किलोमीटर के बीच
b. 7 से 10 किलोमीटर के बीच
c. 10 से 20 किलोमीटर के बीच
d. 20 किलोमीटर से आगे
5. भूमि पर पाए जाने वाले लक्षणों की अपेक्षा जटिल तथा विभिन्न प्रकार
के लक्षणों भू-आकृतियों को प्रदर्शित करने वाले महासागरों के जल के नीचे की भूमि क्या
कहलाती है?
a. महासागरीय अधस्तल
b.
महाद्वीपीय ढाल
c.
गहरे समुद्री मैदान
d.
महाद्वीपीय शेल्फ
6. महासागरीय अधस्तल में पाए जाने वाले लक्षण किन क्रियाओं द्वारा बनते
हैं?
a.
विवर्तनिकी
b.
ज्वालामुखी
c.
निक्षेपण
d. इनमें से सभी
7. महाद्वीप का विस्तृत सीमांत जो अपेक्षाकृत उथले समुद्री तथा खड़ियों
से घिरा भाग क्या कहलाता है ?
a. महाद्वीपीय शेल्फ
b.
महाद्वीपीय ढाल
c.
गहरे समुद्री मैदान
d.
महासागरीय गभीर
8. महाद्वीपीय शेल्फ की ढाल प्रवणता कितना है?
a.
2 से 5 डिग्री
b.
6 से 10 डिग्री
c.
3 से 4 डिग्री
d. 1 डिग्री या उससे भी कम
9. महासागरीय अधस्तल की अत्यंत तीव्र ढाल पर महाद्वीपीय शेल्फ समाप्त
होता है, जिसे किस नाम से जाना जाता है?
a. शेल्फ अवकाश
b.
महाद्वीपीय ढाल
c.
महाद्वीपीय शेल्फ
d.
इनमें से कोई नहीं
10. महाद्वीपीय ढाल की औसत गहराई निम्नलिखित के बीच होती है।
a.
2 से 30 मी
b.
20 से 300 मी
c. 200 से 3000 मी
d.
2000 से 30000 मी
11. निम्नलिखित में से कौन-सी लघु उच्चावच आकृति महासागरों में नहीं
पाई जाती है ?
a.
समुद्री टीला
b. महासागरीय गभीर
c.
प्रवाल द्वीप
d.
निमग्न द्वीप
12. किन महासागरीय क्षेत्र में महाद्वीपीय शेल्फ अत्यंत संकीर्ण होते
हैं?
a. चिली के तट तथा सुमात्रा के पश्चिमी तट
b.
आर्कटिक महासागर में साइबेरियन शेल्फ
c.
प्रशांत महासागरीय शेल्फ
d.
इनमें से कोई नहीं
13. एस ("S") आकृति वाले महासागर का नाम बताइये?
a. अटलांटिक महासागर
b.
हिंद महासागर
c.
प्रशांत महासागर
d.
आर्कटिक महासागर
14. उच्चतम लवणता वाले वॉन झील किस देश में स्थित है?
a.
भारत
b.
अमेरिका
c. तुर्की
d.
ईरान
15. कैनियन (गभीर खड्ड) महासागरीय अधस्तल के किस भाग में पाया जाता
है?
a.
महाद्वीपीय शेल्फ
b. महाद्वीपीय ढाल
c.
गहरे समुद्री मैदान
d.
महासागरीय गभीर
16. महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र जो विश्व के सबसे चिकने
और सपाट भाग कौन है?
a.
महाद्वीपीय शेल्फ
b.
महाद्वीप की ढाल
c. गभीर समुद्री मैदान
d.
महासागरीय गर्त
17. गभीर सागरीय मैदान की गहराई कितनी है?
a.
200 से 3000 मी
b. 3000 से 6000 मी
c.
6000 से अधिक
d.
इनमें से कोई नहीं
18. महासागरों के सबसे गहरे भाग जो अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण
बेसिन क्या कहलाते हैं?
a.
महासागरीय ढाल
b. महासागरीय गर्त
c.
महासागरीय शेल्फ
d.
इनमें से कोई नहीं
19. लवणता को प्रति समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम) की मात्रा
से व्यक्त किया जाता है -
a.
10 ग्राम
b.
100 ग्राम
c. 1000 ग्राम
d.
10000 ग्राम
20. निम्न में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
a. हिंद महासागर
b.
अटलांटिक महासागर
c.
आर्कटिक महासागर
d.
प्रशांत महासागर
21. महासागरीय बेसिनों और महाद्वीपीय शेल्फ को कौन जोड़ती है?
a महाद्वीपीय ढाल
b.
महासागरीय गर्त
c.
मध्य महासागरीय कटक
d.
इनमें से कोई नही
22. महासागरीय जल की वह सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट
आती है, क्या कहलाता है?
a.
हैलोक्लाईन
b. थर्मोक्लाईन
c.
इनमें से दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
23. आर्कटिक एवं अंटार्कटिक वृतों में सत्तही जल का तापमान लगभग कितना
होता है?
a. 0 डिग्री की सेल्सियस के निकट
b.
20 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच
c.
27 डिग्री सेल्सियस
d.
इनमें से कोई नहीं
24. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में महासागरीय सत्तही जल का तापमान कितना
होता है?
a.
0 डिग्री सेल्सियस से कम
b. 20 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस
c.
30 डिग्री सेल्सियस से अधिक
d.
इनमें से कोई नहीं
25. महासागरीय सतह के जल का औसत तापमान लगभग कितना होता है?
a.
0 डिग्री सेल्सियस के निकट
b.
20 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच
c. 27 डिग्री सेल्सियस
d.
इनमें से कोई नहीं
26. महासागरीय जल का तापमान विषुवत वृत्त से ध्रुव की ओर समान्यतः प्रति
डिग्री अक्षांश में कितना डिग्री सेल्सियस घटता है?
a. 0.5 डिग्री सेल्सियस
b.
1 डिग्री सेल्सियस
c.
2 डिग्री सेल्सियस
d.
5 डिग्री सेल्सियस
27. महासागरीय जल की गहराई बढ़ने के साथ तापमान पर क्या प्रभाव पड़ता
है?
a.
अधिक होने लगता है।
b. कम होने लगता है।
c.
समान रहता है।
d.
इनमें से कोई नहीं।
28. प्रशांत महासागर के उत्तरी गोलार्ध के पश्चिमी भागों में लवणता
35 PPT से कम होकर 31 PPT होने का क्या कारण है?
a.
आर्कटिक क्षेत्र का पिघला जल पहुँचने के कारण
b.
बर्फ का जल मीठा होने के कारण
c. इनमें से दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
29. अटलांटिक महासागर की उच्चत्तम लवणता कितने डिग्री के बीच पाई जाती
है?
a. 20 डिग्री उत्तरी एवं 30 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच
b.
0 डिग्री अक्षांश पर
c.
20 डिग्री से 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर
d.
इनमें से कोई नहीं
30. उच्च अक्षांश में स्थित होने के बावजूद उत्तरी सागर में अधिक लवणता
पाए जाने का क्या कारण है?
a. उत्तरी अटलांटिक प्रवाह द्वारा अधिक लवणीय जल का लाना
b.
अधिक वाष्पीकरण
c.
बर्फ के जल का पिघलना
d.
इनमें से कोई नहीं
31. भूमध्य सागर की लवणता अधिक होने का क्या कारण है?
a. उच्च वाष्पीकरण
b.
कम वाष्पीकरण
c.
इनमें से दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
32. बंगाल की खाड़ी की अपेक्षा अरब सागर में लवणता क्यों अधिक पाई जाती
है?
a.
उच्च वाष्पीकरण
b.
ताजे जल की कम प्राप्ति
c. इनमें से दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
33. स्थलीय भाग की ओर से महासागरीय उच्चावच में मिलने वाली स्वरूप को
क्रमबद्ध करें-
क.
गहरे सागरीय मैदान
ख.
महाद्वीपीय मग्नतट
ग.
महाद्वीपीय ढाल
घ.
महासागरीय गर्त
a.
क ख ग घ
b. ख ग क घ
c.
घ ख ग क
d.
इनमें से कोई नहीं
34. भारत की सबसे अधिक लवणता वाली झील कौन है?
a.
चिल्का झील
b. सांभर झील
c.
पुलिकट झील
d.
लोनार झील
35. अधिकतम लवणता के आधार पर चिल्का झील भारत में किस स्थान पर है?
a
पहला
b. दूसरा
c.
तीसरा
d. चौथा
36. बाल्टिक सागर की लवणता कम होती है, क्योंकि इसमें
a. बहत अधिक मात्रा में नदियों का पानी प्रवेश करता है ।
b. वाष्पीकरण कम होता है
c. इनमें से दोनों
d. इनमें से कोई नहीं
37. महासागरीय उच्चावच को किसके द्वारा प्रदर्शित
किया जाता है।
a. उच्चतादर्शी वक्र
b. तोरण
c. दंडारेख
d. इनमें से कोई नहीं
38. महासागरीय तल का सर्वाधिक विस्तृत
क्षेत्र किसका पाया जाता है?
a. गहरे सागरीय मैदान
b. महाद्वीपीय मग्नतट
c. महाद्वीपीय ढाल
d. महासागरीय गर्न
39. महासागरीय अधस्तल में समान गहराई के बिंदुओं
को जोड़ने वाली रेखा क्या कहलाती है?
a. आइसोहैलाइन
b. आइसोक्लाइन
c. आइसोहाइट
d. आइसोबाथ
40. महासागरीय धाराओं के चक्र के बीच स्थित सारगैसो
शांत क्षेत्र किस महासागर में स्थित है?
a. दक्षिणी अटलांटिक महासागर में
b. उत्तरी अटलांटिक महासागर में
c. हिंद महासागर में
d. दक्षिणी प्रशांत महासागर में
41. महाद्वीपीय शेल्फ की औसत चौड़ाई कितनी होती
है?
a. 200 किलोमीटर
b. 80 किलोमीटर
c. 50 किलोमीटर
d. 100 किलोमीटर
42. प्रशांत महासागर में स्थित एम्परर कैसी लघु
आकृति उदाहरण है?
a. मध्य महासागरीय कटक
b. समुद्री टीला
c. निमग्न द्वीप
d. प्रवाल द्वीप
43. इनमें से कौन महासागरीय उच्चावच की लघु आकृति
नहीं है?
a. महासागरीय गर्त
b. मध्य महासागरीय कटक
c. समुद्री टीला
d. जलमग्न केनियन
44. विश्व का सबसे अधिक जाना-माना केनियन कौन
है?
a. हइसन केनियन
b. ग्रैंड केनियन
c. इनमें से दोनों
d. इनमें से कोई नहीं
45. महासागरीय गर्तों की सर्वाधिक संख्या किस
महासागर में स्थित है?
a. हिंद महासागर
b. प्रशांत महासागर
c. आर्कटिक महासागर
d. अटलांटिक महासागर
46. महासागरों में तापमान कहाँ से प्राप्त होता
है?
a. सूर्य से
b. ज्वार ऊर्जा से
c. ज्वालामुखी से
d. गर्म जलधारा से
47. तापमान का प्रतिलोमन किस महासागर में मिलता
है?
a. आर्कटिक
b. अटलांटिक
c. प्रशांत
d. हिंद
48. इनमें से किस समुद्र में लवणता सर्वाधिक है?
a. काला सागर
b. लाल सागर
c. बाल्टिक सागर
d. इनमें से कोई नहीं
49. इनमें से कौन-से कारक लवणता को प्रभावित नहीं
करते हैं?
a. अक्षांश
b. ज्वार भाटा
c. तापमान
d. वाष्पीकरण
50. सागरीय जल की औसत लवणता कितना PPT है?
a. 40
b. 45
c.
35
d. 30
51. लाल सागर में अधिक लवणता का क्या कारण है?
a. चारों तरफ स्थल से घिरा होना
b. 0 डिग्री अक्षांश के निकट होना
c. इनमें से दोनों
d. इनमें से कोई नहीं
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. हम पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तरः पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग पर
महासागरों का विस्तार हैं। अंतरिक्ष से देखने पर यह नीली दिखाई देती है, इसलिए इसे
नीला ग्रह कहते हैं।
2. महाद्वीपीय सीमांत क्या होता है?
उत्तरः महाद्वीपों की बाह्य सीमा जो समुद्र में डूबी हुई
है, उसे महाद्वीपीय सीमांत कहते हैं।
3. महासागरीय खाइयाँ अथवा गर्त किसे कहते
हैं?
उत्तरः महासागरीय नितल पर स्थित तीव्र ढाल वाले लम्बे, पतले
और गहरे अवनमन को खाई या गर्त कहते हैं।
4. विश्व का सबसे गहरा गर्त कौन तथा किस
महासागर में स्थित है?
उत्तरः विश्व का सबसे गहरा मरियाना गर्त है, इसकी गहराई
11022 मीटर है तथा यह प्रशांत महासागर में स्थित है।
5. विश्व की सबसे अधिक लवणता वाली झील का नाम
बताओ।
उत्तरः वॉन झील (टर्की में) इसकी लवणता 330% (PPT) या 330
ग्राम प्रति किलोग्राम है।
6. विश्व में सर्वाधिक लवणता वाला सागर
कौन-सा है।
उत्तरः मृत सागर 238.7 या 238 ग्राम प्रति किलोग्राम। यह
दक्षिण-पश्चिम एशिया में इजरायल और जॉर्डन के बीच एक लैंडलोक सागर है।
7. विभिन्न महासागरों में गहरे गर्तों की
संख्या बताइए।
उत्तरः वर्तमान समय तक 57 गर्तों को खोजा गया है जिसमें
प्रशांत महासागर में 32, अटलांटिक महासागर में 19, हिन्द महासागर में 6 हैं।
8. उर्ध्वपातन (Sublimation) क्या है?
उत्तरः किसी पदार्थ का ठोस अवस्था से सीधे गैसीय अवस्था में
परिवर्तित होना उर्ध्वपातन (Sublimation) कहलाता है। जैसे जलवाष्प का सीधे हिमकणों
में बदलना, कपुर की गोली का गैस में बदलना।
9. समुद्री जल में घुले हुए नमक में कौन-कौन
मुख्य तत्व पाये जाते हैं?
उत्तरः क्लोरिन, सोडियम, सल्फेट, मैग्नेशियम, कैल्शियम,
पौटेशियम व बाई कार्बोनेट।
10. ग्रेट साल्ट झील या महान नमक झील कहाँ
स्थित है?
उत्तरः ग्रेट साल्ट झील संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी
-पश्चिमी भाग में यूटाह में स्थित है। इस झील से किसी भी नदी का निकास नहीं होता
है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ताप प्रवणता क्या है?
उत्तरः महासागर के सतही जल एवं गहरी परतों के बीच का सीमा
क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, ताप प्रवणता कहा जाता है। यह सतह से
लगभग 100 से 400 मीटर के नीचे प्रारंभ होती है एवं कई सौ मीटर तक नीचे तक जाती है।
जल के कुल आयतन का लगभग 90% गहरे महासागर में ताप प्रवणता के नीचे पाया जाता है।
इस क्षेत्र में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है।
2. समुद्र के नीचे जाने पर आप ताप के किन
परतों का सामना करेंगे? गहराई के साथ तापमान में भिन्नता क्यों आती है?
उत्तरः जल के कुल आयतन का लगभग 90% गहरी महासागर में ताप
प्रवणता के नीचे पाया जाता है। इस क्षेत्र में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस पहुँच
जाता है। मध्य एवं निम्न अक्षांशों में महासागर के तापमान की संरचना को सतह की तली
की ओर तीन परतों वाली प्रणाली में समझाया जा सकता है-
पहली परत गर्म महासागरीय जल की सबसे ऊपरी परत होती है, जो
लगभग 500 मीटर की मोटाई में होती है और इसका तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 25
डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में यह परत पूरे वर्ष
उपस्थित होता है, जबकि मध्य अक्षांशों में केवल ग्रीष्म ऋतु में पाई जाती है।
दूसरी परत जिसे ताप प्रवणता परत कहा जाता है, पहली परत के
नीचे होती है। इसमें गहराई बढ़ने के साथ तापमान में तीव्र गिरावट आती है। यहाँ ताप
प्रवणता की मोटाई 500 से 1000 मीटर तक होती है।
तीसरी परत बहुत अधिक ठंडी होती है तथा गभीर महासागरीय तली
तक विस्तृत होती है। आर्कटिक एवं अंटार्कटिका वृतों में सतही जल का तापमान 0
डिग्री सेल्सियस के निकट होता है और इसलिए गहराई के साथ तापमान में बहुत कम
परिवर्तन होता है। यहाँ ठंडे पानी की केवल एक ही परत पाई जाती है जो सतह से गभीर
महासागरीय तली तक विस्तृत होती है।
3. समुद्रीजल की लवणता क्या है?
उत्तरः लवणता (Salinity) वह शब्द है जिसका उपयोग समुद्री जल
में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। समुद्र का जल
खारा होता है, ऐसा उसमें उपस्थित लवणता के कारण है। इसका परिकलन 1000 ग्राम (1
कि.ग्रा) समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा (ग्राम में) द्वारा व्यक्त किया
जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 ग्राम या पी.पी. टी. के रूप में व्यक्त किया जाता
है। लवणता समुद्री जल का महत्वपूर्ण गुण है। 24.7 पी .पी.टी. की लवणता को खारे जल
को सीमांकित करने का उच्च सीमा माना गया है।
विश्व की सबसे अधिक लवणता वाली वॉन झील (टर्की) की लवणता
330% (PPT) या 330 ग्राम प्रति किलोग्राम है।
विश्व में सर्वाधिक लवणता वाला मृत सागर 238.7% (PPT) या
238 ग्राम प्रति किलोग्राम है।
4. समुद्री टीला क्या है? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तरः समुद्री टीला नुकीले शिखरों वाला एक पर्वत है जो
समुद्री तल से ऊपर की ओर उठता है, लेकिन महासागरीय सतह तक नहीं पहुँच पाता।
समुद्री टिले ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से
3000 मीटर से 4500 मीटर तक हो सकती है।
उदाहरण- एम्पेरर समुद्री टीला है, जो प्रशांत महासागर में
हवाई द्वीपसमूहों का विस्तार है।
5. ताप
प्रवणता (थर्मोक्लाइन) तथा लवण प्रवणता (हैलोक्लाइन) में क्या अन्तर है?
उत्तरः ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) तथा लवण प्रवणता
(हैलोक्लाइन) में निम्नलिखित अन्तर है-
a. ताप प्रवणता एव लवण प्रवणता उस स्तर का योतक है, जहाँ
तापमान व लवणता में तेजी से क्रमशः गिरावट या वृद्धि होती है। ताप प्रवणता सतही जल
एवं गहरी परतों के बीच की सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है।
गहराई के साथ तापमान घटता है।
लवणता साधारणतः गहराई के साथ बढ़ती है तथा एक स्पष्ट
क्षेत्र जिसे हैलोक्लाईन कहा जाता है। इसमें तीव्रता से बढ़ती है।
b. समुद्र में ये दोनों परतें 500-1000 मीटर की गहराई पर
पाई जाती है। ताप प्रवणता परत तेजी से गिरते हुए तापमान को दिखाती है, जबकि लवण
प्रवणता तेजी से बढ़ती हुई लवणता को दिखलाती है।
c. तापमान और लवणता दोनों ही समुद्री जल के घनत्व को
प्रभावित करती है। लवणता समुद्री जल के घनत्व तथा महासागरीय जल के स्तरीकरण को प्रभावित
करता है।
d. उच्च लवणता वाला जल प्रायः कम लवणता वाले जल के नीचे बैठ
जाते हैं, इसे लवणता का स्तरीकरण हो जाता है।
जिससे महासागरीय जल का स्तरीकरण होता है। उच्च घनत्व वाला
जल निम्न घनत्व वाले के नीचे चला जाता है तथा महासागरों में जल धाराओं के जन्म का
कारण बनता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित
करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले
कारक निम्नलिखित है?
सूर्यातप पृथ्वी के प्रमुख ऊर्जा के स्रोत हैं, पृथ्वी पर
उपस्थित अन्य सभी वस्तुओं की भांति महासागरीय जल को ऊष्मा सूर्यातप से ही प्राप्त
होती है। समुद्र का जल सूर्यातप से ऊष्मा प्राप्त करके गर्म होता है, जिससे उसका
तापमान बढ़ता है। समुद्री जल का तापमान समय तथा स्थान के अनुसार बदलता रहता है।
महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है -
अक्षांश
(Latitude)- विषुवत रेखीय प्रदेशों में सूर्य की सीधी किरणें आने के कारण सूर्यातप की प्राप्ती अधिक होती
है। ध्रुव की ओर प्रवेशी सौर विकिरण की मात्रा घटने के कारण महासागरों की सत्तही
जल का तापमान कम होता है। अतः विषुवत रेखीय महासागरों का तापमान से ध्रुव की ओर
महासागर का तापमान घटता जाता है।
स्थल एवं जल का असमान वितरण- उत्तरी गोलार्ध के महासागर दक्षिणी गोलार्ध के महासागरों
की अपेक्षा स्थल के बहुत बड़े भाग से जुड़े होने के कारण अधिक मात्रा में ऊष्मा
प्राप्त करते हैं। उत्तरी गोलार्ध के महासागर गर्मियों में सबसे अधिक गर्म एवं
शीतकाल में आर्कटिक महासागर की ओर से चलने वाली बर्फीली हवाओं के प्रभाव से विशेष
रूप से ठंडा हो जाते हैं। दक्षिणी गोलार्ध में अंटार्कटिक महादवीप बर्फ से ढका है,
यहाँ के महासागरों का निरंतर विस्तार रहने से वहाँ का तापमान ग्रीष्मकाल में
उत्तरी गोलार्ध से कम गर्म एवं शीतकाल के समय शीतल रहता है।
सनातन पवन-
स्थल से महासागरों की तरफ बहने वाली पवन महासागरों की सतही जल को एक जगह से दूसरे
जगह ले जाती है। स्थल की ओर से चलने वाली हवाएँ महासागरीय सतही गर्म जल को तट से
दूर ढकेल कर महासागरों के बीच ले जाती है, जिसके परिणामस्वरुप नीचे का ठंडा जल ऊपर
की ओर आ जाता है। परिणाम स्वरुप तापमान में देशांतरीय अंतर आता है। इसके विपरीत
अभितटीय पवनें अर्थात महासागर के बीच से तटीय क्षेत्र की ओर चलने वाली हवाएँ
महासागर के बीच के गर्म जल को तट पर जमा कर देती है और इससे तटीय महासागर का
तापमान बढ़ जाता है।
महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents) - महासागर में दो प्रकार की जलधाराएँ बहती है- गर्म जल
धाराएँ एवं ठंडी जलधाराएँ। गर्म महासागरीय धाराएँ ठंडे क्षेत्रों में तापमान को
बढ़ा देती है, जबकि ठंडी जलधारा गर्म महासागरीय क्षेत्र के तापमान को घटा देती है।
गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधारा उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट तथा यूरोप के पश्चिमी तट के
तापमान को बढ़ा देती है जबकि लैब्राडोर ठंडी जलधारा उत्तरी अमेरिका के
उत्तर-पूर्वी तट पर बहती है, इससे वहाँ के महासागरीय तापमान को कम कर देती है।
उपर्युक्त कारकों से महासागरों के तापमान प्रभावित होते
हैं।
2. महासागरीय जल की लवणता को प्रभावित करने वाले
कारकों का वर्णन करें? विश्व के विभिन्न सागरों के जल में लवणता को बताएँ।
उत्तरः लवणता महासागरीय जल का महत्वपूर्ण गुण है, समुद्री जल
में घुले हुए नमक की मात्रा को लवणता से निर्धारित किया जाता है, विभिन्न स्थानों पर
विभिन्न मात्रा में लवणता पाई जाती है। इसको प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है
:-
a. वाष्पीकरण एवं वर्षा की मात्रा- वर्षा का जल मीठा होता है, अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों के महासागरों
में जल की लवणता कम पाई जाती है। ध्रुवों व उच्च अक्षांशों पर सूर्य की तिरछी किरणों
के आने से वाष्पीकरण कम होता है, जबकि कर्क एवं मकर वृत पर अधिक वाष्पीकरण होता है।
जहाँ वाष्पीकरण अधिक होगा लवणता अधिक होगी।
b. जल की आपूर्ति- ठण्डे जल में गर्म जल की अपेक्षा कम लवणता होती है। तटीय क्षेत्रों
में सतह के जल की लवणता नदियों के द्वारा लाए गए ताजे जल के द्वारा कम होती है। नदियों
में मीठा जल होता है अतः नदियों के मुहानें पर लवणता कम मिलती है। बंगाल की खाड़ी में
गंगा नदी के जल के मिलने से लवणता की प्रवृत्ति कम पाई जाती है। RT
c. महासागरीय धाराएँ- आर्कटिक की ओर से बहने वाली ठंडी धाराओं में लवणता कम होती
है। गर्म तथा शुष्क क्षेत्रों में जहाँ वाष्पीकरण उच्च होता है, की ओर से बहने वाली
जलधाराओं से लवणता अधिक होती है।
d. पवन के द्वारा - पवन भी जल को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित
करके लवणता को प्रभावित करते हैं
लवणता का क्षैतिज वितरण हवा के बहने की दिशा से प्रभावित होते
हैं। ऊपरी सतह पर कम लवणता वाले जल पाए जाते हैं, जब हवाएँ कम लवणता वाले जल को बहाकर
ले जाती है, तो नीचे से अधिक लवणता वाले जल सतह पर आ जाते हैं इससे सतही जल की लवणता
में वृद्धि हो जाती है, इस तरह हवाएं लवणता को प्रभावित करती है।
विश्व के विभिन्न सागरों के जल में लवणता का वितरण भिन्न प्रकार
का है। जो निम्न प्रकार से हैं
☞ सामान्यतः खुले महासागरों की लवणता 33% से 37% (PPT) के बीच
होती है, चारों तरफ स्थल से घिरे लाल सागर में लवणता 41% (PPT) तक होती है।
☞ कर्क तथा मकर रेखा पर लवणता की मात्रा सबसे अधिक है। (वाष्पीकरण
की अधिकता के कारण)
☞ वर्षा अधिक होने के कारण भूमध्य रेखा के निकट लवणता की मात्रा
कम होती है।
☞ ध्रुवों के समीप लवणता की मात्रा कम पाई जाती है,
(बर्फ के समुद्र में मिलने के कारण)
☞ नदी के मुहाने पर जल के मिलने से लवणता की प्रवृत्ति कम पाई
जाती है।
3. जल
चक्र क्या है? चित्र सहित बताएँ।
उत्तरः पृथ्वी के धरातल पर जल की प्रचुर आपूर्ति है, जल की उपलब्धता
के कारण ही हमारी पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने पर नीला दिखाई देती है, अतः इसे नीला
ग्रह कहा जाता है।
वायु के बाद जल पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए सबसे आवश्यक
तत्व है, पृथ्वी पर जल का वितरण असमान है, बहुत से क्षेत्र में यह सीमित मात्रा में
उपलब्ध है। जल एक चक्रीय संसाधन है, जिसका प्रयोग एवं पुनः प्रयोग किया जा सकता है।
जल एक चक्र के रूप में
महासागर से धरातल पर और धरातल से महासागर तक पहुँचता है।
जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात गैस तरल व ठोस में जल का
परिसंचरण है।
जल- चक्र पृथ्वी के प्रारंभ से ही कार्यरत एक चक्र है। यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। इसमें जल अपनी अवस्था और स्थान निरंतर बदलता रहता है और चक्र के रूप में महासागर से धरातल पर और धरातल से वापस महासागर में पहुँचता है। महासागरों के सतह से जल का वाष्पीकरण होता हैं, जिससे बादलों का निर्माण होता है। वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प संघनित होकर धरती पर वर्षण के रूप में आती है। यही जल नदियों के रास्ते वापस महासागर में पहुँच जाता है। जल के इसी चक्र को जल चक्र कहा जाता है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय-सूची
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')
अध्याय सं. | अध्याय का नाम |
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8. | |
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14. | |
भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब') | |
1. | |
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4. | |
5. | |
6. | |
खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)
2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)
3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)
4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)
5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)
6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)
7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)
8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)
9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)
10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)
11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)
12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)
13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}
14. महासागरीय जल संचलन (Movements of Ocean Water)
15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)
16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)
खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण
1. भारत-स्थिति (India Location)
2. संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)
3. अपवाह तंत्र (Drainage System)
5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)
6. मृदा (Soils)
7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)
खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य
1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)
3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)
4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)
5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)
6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)
7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)
8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)