Class 11 Geography 5. भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

Class 11 Geography 5. भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

Class 11 Geography 5. भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

भूगोल (Geography)

5. भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

पाठ के मुख्य बिंदु

पृथ्वी के 29% भाग पर महा‌द्वीप और 71% भाग पर महासागर फैले हुए हैं।

भूपर्पटी गतिशील है, यह क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर दिशाओं मैं संचलित होती है। भूपर्पटी का निर्माण करने वाले पृथ्वी के भीतर सक्रिय आंतरिक बल पाए जाते हैं, जिसके कारण पृथ्वी के ऊपरी सतह में अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। पृथ्वी का धरातल उसके आंतरिक बलों एवं बाह्य बलों से निरंतर प्रभावित होती है और यह हमेशा परिवर्तनशील है।

पृथ्वी का धरातल असमान है। इस असमानता के पीछे पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियाँ जिम्मेदार हैं। ये शक्तियाँ स्थलमंडलीय प्लेटों को गतिमान करती हैं। जिससे धरातल पर विभिन्न स्थलरूपों की रचना होती है और पृथ्वी का धरातल असमतल हो जाता है। इन शक्तियों को विवर्तनिक शक्तियाँ (Tectonic Forces) कहा जाता है।

पृथ्वी का धरातल ज्योंहि असमतल होता है, सूर्य की शक्ति से उत्पन्न बहिर्जनिक शक्तियाँ इनको तोड़फोड़ कर तथा घिस-घिस कर समतल करने का प्रयास करती हैं।

अन्तर्जनित अर्थात आन्तरिक शक्तियों (Endogen- ic Forces) एवं बर्हिजनिक अर्थात बाहरी शक्तियों (Exogenic Forces) के इस खेल से पृथ्वी पर भू- आकृतियाँ बनती बिगड़ती रहती हैं। ये दोनों प्रक्रियाएँ पृथ्वी के धरातल पर निंरतर सक्रिय रहती हैं। इन बलों की सक्रियता ही भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes) कहलाती हैं।

पटल विरूपण (Diastrophism) एवं ज्वालामुखीयता (Volcanism) अन्तर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं। अपक्षय, वृहत् क्षरण (Mass Wasting), अपरदन एवं निक्षेपण बहिर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं।

पृथ्वी के बहिर्जनित तत्व जैसे- जल, हिमनद, वायु, भूमिगत जल, पवन, धाराएँ इत्यादि जो धरातल के पदार्थों का अधिग्रहण तथा परिवहन करने में सक्षम हैं, भू-आकृतिक कारक कहलाते हैं।

भू-आकृतिक कारक पृथ्वी पर ढाल प्रवणता अथवा गुरुत्वाकर्षण ढाल के कारण गतिशील होते हैं और पदार्थों को अपने साथ हटाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं। अर्थात अपरदन, परिवहन एवं निक्षेपण क्रियाएँ गुरुत्वाकर्षण बल के बिना संभव नहीं होती हैं। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही पदार्थों का संचलन चाहे वह पृथ्वी के अंदर हो अथवा पृथ्वी के सतह पर होता है।

धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर के कम होने को ही तल संतुलन (Gradation) कहा जाता है। अन्तर्जनित बल ही मूल रूप से भू आकृति निर्माण वाले बल होते हैं तथा बर्हिजनिक बल मुख्य रूप से भूमि विधर्षण बल होते हैं।

अन्तर्जनित प्रक्रियाएँ (Endogenic process)

ऐसी प्रक्रियाएँ जो ऊर्ध्वाधर एवं क्षैतिज दोनों प्रकार की गति करती हैं और इसके परिणामस्वरूप अवतलन, ज्वालामुखी, भंशन, वलन, भूमि उत्थान, भूकंप आदि होते हैं।

पटल विरूपण (Diastrophism) अंतर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं। यह पृथ्वी पर तीक्ष्ण वलन के माध्यम से पर्वत निर्माण तथा भू-पर्पटी की लंबी एवं संकीर्ण पट्टियों को प्रभावित करने वाली प्रक्रियाएँ हैं। इन्हें महाद्वीपीय रचना संबंधी प्रक्रियाएँ भी कहा जाता है।

ज्वालामुखीयता (Volcanism) ऐसी प्रक्रिया जिसमें पृथ्वी के ऊपरी सतह में बनी दरार या छिद्र से नीचे के पिघले पत्थर या अन्य सामग्री का लावा और गैसों के रूप में निकलना ज्वालामुखीयता कहलाता है।

बर्हिजनिक प्रक्रियाएँ (Exogenic processes) यह प्रत्यक्षतः पृथ्वी के ऊपरी सतह पर उत्पन्न होती हैं। बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ मूलरूप से तीन प्रकार की होती हैं, अपक्षयण (Weathering) वृहत् क्षरण (Mass Wasting) और अपरदन (Erosion) जो पृथ्वी की सतह पर घटित होती है।

सामान्यतः सभी प्रकार की बर्हिजनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को अनाच्छादन के अंतर्गत रखा जाता है। अनाच्छादन शब्द का अर्थ निरावृत करना (Strip off) या आवरण हटाना होता है। इसके अंतर्गत अपक्षय, वृहत् क्षरण, संचलन, अपरदन, परिवहन आदि को सम्मिलित किया जाता है।

तापमान एवं वर्षा जलवायु के दो महत्वपूर्ण घटक हैं, जो विभिन्न भू आकृतिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। वनस्पति के घनत्व, प्रकार एवं वितरण भी बर्हिजनिक भू - आकृतिक प्रक्रियाओं पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं।

अपक्षय वह प्रक्रिया है, जिसके कारण धरातल की चट्टानें बाह्य कारकों, जैसे पवन, वर्षा, तापमान, परिवर्तन, सूक्ष्म जीवाणु, पौधे और जीव-जंतु द्वारा विघटित एवं अपघटित की जाती हैं। अपक्षय हमारी पारिस्थितिकी का मुख्य आधार है। अपक्षय प्रक्रियाएँ मृदा निर्माण, अपरदन एवं वृहद् संचलन के लिये आवश्यक होती हैं।

अपक्षय प्रक्रियाओं के तीन प्रकार होते हैं: रासायनिक अपक्षय, भौतिक या यांत्रिक अपक्षय एवं जैविक अपक्षय।

रासायनिक अपक्षय (Chemical Weathering Processes) जब अपक्षय रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से होता है जिनसे चट्टानों, मिट्टी, और खनिजों जैसी चीजों की रासायनिक संरचना बदल जाती है तो इसी प्रक्रिया को रासायनिक अपक्षय कहा जाता है।

जल, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड, रासायनिक अपक्षय के प्रमुख कारक हैं। उच्च तापमान और अधिक आर्द्रता वाले क्षेत्रों में रासायनिक अपक्षय अधिक तीव्रता से होता है।

भौतिक अपक्षय अथवा यांत्रिक अपक्षय, वह अपक्षय है जिसमें चट्टानों के टूटने की प्रक्रिया में कोई रासायनिक बदलाव नहीं होता बल्कि ताप, दाब इत्यादि कारकों द्वारा चट्टानों में टूट-फूट होती है।

जैविक अपक्षय- क्षय की क्रिया में जब जैविक तत्वों का सहयोग होता है तो वह जैविक अपक्षय कहलाता है। इसमें मुख्तयः जीव जंतु, वनस्पति एवं मानव का हाथ होता है।

वृहत् संचलन (Mass Movement): वे सभी धरातलीय संचलन जिनमें चट्टानों का वृहत् मलवा गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव से अपने ढाल के अनुरूप स्थानांतरित होता है, वृहद संचालन कहलाता है।

भूस्खलन (landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है। सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहत् संचलन को भूस्खलन कहते हैं। यह भूकंप, बाढ़ तथा ज्वालामुखी के कारण होता है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है।

अपरदन (Erosion) वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें चट्टानों के विखंडन के पश्चात निकले ढीले पदार्थों का जल, पवन, इत्यादि प्रक्रमों द्वारा स्थानांतरण होता है। अपरदन के प्रक्रमों में वायु, जल तथा हिमनद और सागरीय लहरें आदि को सम्मिलित किया जाता है।

निक्षेपण (Deposition) अपरदन के द्वारा पर परिवहन किए जाने वाले पदार्थों को एक स्थान पर संग्रहित करना निक्षेपण कहलाता है।

मृदा निर्माण मृदा निर्माण एक सतत् प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत चट्टानों के टूटने से मृदा या मिट्टी का निर्माण होता है। मिट्टी के निर्माण में चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े, गली-सड़ी पत्तियाँ, मृत जीव अवशेष व रेत के कण आदि महत्वपूर्ण होते हैं मृदा की ऊपरी परत को बनने में कम-से-कम 300 से 800 वर्ष का समय लगा है।

मृदा निर्माण के कारक के अंतर्गत मूल पदार्थ अर्थात शैल, स्थलाकृति, जलवायु, जैविक क्रियाएँ एवं समय को सम्मिलित किया जाता है।

पेट्रोलॉजी शैलों का विज्ञान है, जिसके अंतर्गत शैलों के विभिन्न स्वरूप संरचना बनावट गठन स्रोत प्राप्ति स्थान परिवर्तन एवं दूसरे शैलों के साथ संबंधों का अध्ययन किया जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?

a. निक्षेप

b. ज्वालामुखीयता

c. पटल-विरूपण

d. अपरदन

2. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?

a. ग्रेनाइट

b. क्वार्ट्ज चीका (क्ले)

c. मिट्टी

d. लवण

3. अपक्षय किसके लिए महत्वपूर्ण प्रक्रिया है?

a. बादल निर्माण के लिए

b. मृदा निर्माण के लिए

c. जल निर्माण के लिए

d. इनमें से कोई नहीं

4. निम्नलिखित में कौन-सा अपक्षय का रूप है?

a. भौतिक

b. रासायनिक

c. जैविक

d. इनमें सभी

5. भौतिक अपक्षय के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या है?

a. तापमान

b. आर्द वायु

c. जीव-जंतु

d. मनुष्य

6. निम्नलिखित में से कौन दो महत्वपूर्ण तत्व जलवायु से संबंधित है?

a. आर्द्रता एवं वर्षा

b. तापमान एवं वर्षा

c. वायुदाब एवं हवाएं

d. लवणता एवं तापमान

7. मृदा निर्माण किस प्रक्रिया से संबंधित है?

a. अपक्षय

b. अपरदन

c. निक्षेप

d. परिवहन

8. निम्नलिखित में से कौन-सा अपक्षय शीत प्रदेशों में क्रियाशील नहीं होता है?

a. भौतिक अपक्षय

b. जैविक अपक्षय

c. रासायनिक अपक्षय

d. इनमें सभी

9. निम्नलिखित में से कौन-सा अपरदन का कार्य नहीं बल्कि परिणाम है?

a. परिवहन

b. स्थलाकृतियां

c. विस्थापन

d. निक्षेपण

10. ऑक्सीडेशन का सर्वाधिक प्रभाव निम्नलिखित में से किस पर होता है?

a. चूना पत्थर पर

b. लौह खनिजों पर

c. ग्रेनाइट चट्टानों पर

d. आग्नेय चट्टानों पर

11. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रक्रिया नहीं है? रासायनिक अपक्षय की

a. जलयोजन

b. ऑक्सीकरण

c. कार्बोनेशन

d. हिमकरण एवं पिघलन

12 . लोहे में जंग लगने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?

a. जलयोजन

b. ऑक्सीकरण

c. कार्बोनेटीकरण

d. वियोजन

13. मृदा निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन है?

a. जलवायु

b. स्थलाकृति

c. जीव पदार्थ

d. जनक शैल

14. रासायनिक अपक्षय में निम्नलिखित में किसे सम्मिलित किया जा सकता है?

a. ऑक्सीकरण

b. कणिकामय विघटन

c. वृहत् क्षरण

d. इनमें से कोई नहीं

15. निम्नलिखित में से कौन-सा भू-आकृतिक प्रक्रिया का कारक नहीं है?

a. बहता हुआ जल

b. भूकंप

c. पवन

d. हिमनद

16. शैलों का टूट कर अपने स्थान पर पड़े रहना क्या कहलाता है?

a. अनाच्छादन

b. अपक्षय

c. अपरदन

d. अनावृतिकरण

17. तल संतुलन बल के अंतर्गत किसे सम्मिलित किया जा सकता है?

a. अन्तर्जनित बल

b. बर्हिजनिक बल

c. उपर्युक्त दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

18. किस प्रकार की जलवायविक अत्यधिक तीव्र गति से होता है? दशाओं में अपरदन

a. गर्म एवं आर्द्र

b. ठंडी व शुष्क

c. गर्म एवं शुष्क

d. ठंडी व आर्द्र

19. धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर के कम होने को क्या कहा जाता है?

a. तल संतुलन

b. वृहत् क्षरण

c. अपरदन

d. अपक्षय

20. स्थल रूपों को प्रभावित करने वाले बहिर्जनिक बल के अंतर्गत किसे सम्मिलित नहीं करते हैं?

a. जल

b. वायु

c. हिम

d. भूकंप

21. मौसम एवं वायुमंडल की क्रियाओं द्वारा कठोर चट्टाने अपनी संधियों के सहारे टुकड़ों में टूट कर छोटे-छोटे कणों में बदल जाते हैं, यह प्रक्रिया क्या कहलाती है?

a. विखंडन

b. अपघटन

c. भूस्खलन

d. इनमें से कोई नहीं

22. चट्टानों के खनिजों में जल के अवशोषण को क्या कहा जाता है?

a. जलयोजन

b. ऑक्सीकरण

c. अपक्षय

d. कार्बोनेशन

23. जैविक अपक्षय के अंतर्गत कौन सहायक नहीं होते हैं?

a. वनस्पति

b. जीव-जंतु

c. मानव

d. जलवायु

24. निम्नलिखित में से कौन-सा अंतर्जनित बलों का उदाहरण है?

a. अपरदन

b. निक्षेपण

c. ज्वालामुखीयता

d. संतुलन

25. निम्नलिखित में से कौन-सा बहिर्जनिक बल नहीं है?

a. ज्वालामुखीयता

b. वृहत् क्षरण

c. अपरदन

d. अपक्षय

26. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रक्रिया सूर्य ताप द्वारा भौतिक अपक्षय से संबंधित नहीं है?

a. पिंड विच्छेदन

b. कार्बोनेशन

c. अपशल्कन

d. कणिकामय विघटन

27. मलवा अवधाव निम्नलिखित किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?

a. तीव्र प्रवाही वृहत् संचलन

b. भूस्खलन

c. अवतलन या धसकन

d. मंद प्रवाही वृहत् संचलन

28. कौन-सी प्रक्रिया निम्नलिखित में से अनुक्रमिक है?

a. अपरदन

b. निक्षेपण

c. ज्वालामुखी

d. पटल विरूपण

29. निम्नलिखित में से अन्तर्जात बलों के अंतर्गत किसे सम्मिलित किया जा सकता है?

a. ज्वालामुखीयता

b. निक्षेपण

c. अपरदन

d. तल संतुलन

30. निम्नलिखित में किसका संबंध पटल विरूपण से नहीं है?

a. तल संतुलन

b. पर्वत निर्माण

c. प्लेट विवर्तनिकी

d. महादेश जनक बल

31. निम्नलिखित बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रिया में किसे सम्मिलित नहीं करेंगे?

a. प्रवाहित जल

b. भूकंप

c. पवन

d. हिमनद

32. कौन-सी प्रक्रिया सूर्य ताप द्वारा भौतिक अपक्षय से संबंध नहीं रखती है?

a. पिंड विच्छेदन

b. कार्बोनेशन

c. अपशल्कन

d. कणिकामय विघटन

33. निम्नलिखित में से किसका संबंध अंतर्जनित भू- आकृतिक प्रक्रिया से है?

a. पटल विरूपण

b. अपक्षय

c. अपरदन

d. वृहत् क्षरण

34. निम्नलिखित में से किस अनाच्छादन के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता?

a. ज्वालामुखीयता

b. वृहत् संचलन

c. अपरदन

d. अपक्षय

35. निम्नलिखित में से कौन वृहत् संचलन के लिए प्रेरक बल का कार्य करता है।

a. रासायनिक क्रियाएँ

b. गतिज ऊर्जा

c. आणविक दाब

d. गुरुत्वाकर्षण बल

36. अपरदन और परिवहन के लिए कौन-सा ऊर्जा प्रेरक बल का कार्य करता है?

a. रासायनिक क्रियाएँ

b. गतिज ऊर्जा

c. गुरुत्वाकर्षण बल

d. आणविक दाब

37. सभी प्रकार की बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएओं के पीछे कौन-सा प्रेरक बल कार्यरत है?

a. गुरुत्वाकर्षण बल

b. पवन

c. सूर्य की ऊर्जा

d. वर्षा का जल

38. रासायनिक अपक्षय की प्रक्रिया में किसे सम्मिलित नहीं कर सकते?

a. घोल/विलयन

b. हिमकरण

c. कार्बोनेशन

d. जलयोजन

39. निम्नलिखित में से कौन-सा भौतिक अपक्षय की प्रक्रिया नहीं है?

a. ऑक्सीकरण

b. भार विहिनता

c. हिमकरण

d. विस्तारण

40. निम्नलिखित में से किसे वृहत् संचलन के अंतर्गत सम्मिलित नहीं किया जाता है?

a. विसर्पण

b. अपरदन

c. बहाव

d. भूस्खलन

41. अपक्षय के प्रमुख अभिकर्ता के रूप में निम्नलिखित में किसे सम्मिलित कर सकते हैं?

a. ताप

b. पवन

c. सागरीय लहरें

d. नदियाँ

42. मृदा के अध्ययन करने वाले विज्ञान को क्या कहते हैं

a. ज्योलॉजी

b. पेडागॉजी

c. पेडोलॉजी

d. पेट्रोलॉजी

43. निम्नलिखित में से किसे मृदा निर्माण के कारक में अंतर्गत सम्मिलित कर सकते हैं?

a. मूल पदार्थ

b. जैविक क्रियाएँ

c. समय

d. उपरोक्त सभी।

44. मलवा अवधाव एवं भूस्खलन जैसी घटनाएं प्रायः कहाँ घटित होती हैं?

a. मैदानी क्षेत्रों में

b. नदी घाटी क्षेत्र में

c. पठारी क्षेत्र में

d. हिमालयी क्षेत्र में

45. मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?

a. अवतलन या धसकन

b. भूस्खलन

c. तीव्र प्रवाही वृहत् संचलन

d. मंद प्रवाही वृहत् संचलन

46. चट्टानों का सिलिका से अलग होना क्या कहलाता है?

a. डिसिलीकेशन

b. ऑक्सीडेशन

c. हाइड्रेशन

d. कार्बोनेशन

47. धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर के काम होने को क्या कहा जाता है?

a. तल संतुलन

b. अपरदन

c. निक्षेपण

d. इनमें से कोई नहीं

48. पृथ्वी के आंतरिक भाग में गर्म लावा दरार की सहायता से धरातल के ऊपर आ जाती है यह प्रक्रिया क्या कहलाती है?

a. भूकंप

b. ज्वालामुखीयता

c. पटल विरूपण

d. भंशन

49. रासायनिक अक्षय का सर्वाधिक देखने को मिलता है? प्रभाव किस क्षेत्र में

a. उष्ण एवं आर्द्र

b. शुष्क क्षेत्र

c. शील एवं आर्द्र

d. शीत एवं उष्ण

50. भूस्खलन के प्रकारों में किसे सम्मिलित नहीं किया जा सकता है?

a. अवसर्पण

b. मलवा स्खलन

c. शैल स्खलन

d. मलवा अवधाव

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. ज्वालामुखीयता क्या है?

उत्तरः पृथ्वी के आंतरिक भाग से भूतल पर पिघले पत्थर या अन्य सामग्री के लावा और गैसों के रूप में उलगाव को ज्वालामुखीयता कहते हैं।

2. निक्षेपण से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः जब धरातल के ढाल में कमी आती है तो अपरदित पदार्थों का जमाव प्रारंभ हो जाता है, इसी प्रक्रिया को निक्षेपण कहते हैं।

3. अपक्षय किसे कहते हैं?

उत्तरः अपक्षय उस यान्त्रिक, रासायनिक तथा जैविक प्रक्रिया को कहते हैं जिसके कारण शैलें एक ही स्थान पर टूटती- फूटती व अपघटित होती रहती हैं।

4. अपक्षय के प्रकार लिखिए।

उत्तरः भौतिक, रासायनिक व जैविक अपक्षय।

5. वृहत् क्षरण किसे कहते हैं?

उत्तरः बिना किसी अधिगम माध्यम, जैसे जल के बिना चट्टान के टुकड़े गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से अधोमुखी (नीचे की ओर) गति प्राप्त करते हैं।

6. भू-आकृतिक प्रक्रियाओं का अर्थ स्पष्ट करें?

उत्तरः धरातल के पदार्थों पर अंतर्जनित व बहिर्जनिक बलों के द्वारा भौतिक दबाव व रासायनिक क्रियाओं के कारण भूतल में परिवर्तन करने वाली क्रियाओं को भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ कहते हैं।

7. मृदा क्या है?

उत्तरः मृदा धरातल पर प्राकृतिक तत्वों का समूह है, जिसमें जीव-जंतुओं तथा पौधों को पोषित करने की क्षमता होती हैं।

8. भूस्खलन से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है, जिसमें शैल, मिट्टी और मलवे के कछ भाग का नीचे की ओर खिसकना या संचलन शामिल होता है।

9. विभिन्न भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने वाले दो प्रमुख कारक कौन-से हैं?

उत्तरः तापमान व वर्षण दोनों ही भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

10. अनाच्छादन क्या है?

उत्तरः विभिन्न बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं जैसे अपक्षय, वृहत्क्षरण, संचलन, अपरदन, परिवहन आदि के कारण धरातल की चट्टानों का ऊपरी आवरण हट जाता है, इसे ही अनाच्छादन कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. रासायनिक अपक्षय क्या है?

उत्तरः अपक्षय के अंतर्गत एक ऐसा प्रक्रम जिसके अंतर्गत शैलों में रासायनिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप वियोजन प्रारम्भ हो जाता है और जिससे शैलों का क्षरण आरंभ होता है। रासायनिक अपक्षय मुख्यतः ऑक्सीकरण, कार्बनीकरण अथवा जलयोजन के रूप में होता है। जैसे नमक को आर्द्र स्थान पर रखें तो वह गल कर खत्म हो जाती है। लोहे को खुले में आर्द्र स्थान पर रखें तो उसमें जंग लग जाता है। नमक का गलना एवं लोहे में जंग लगना रासायनिक क्रियाएँ हैं। इसी प्रकार की प्रक्रियाएँ चट्टानों के साथ होती हैं तब इसे रासायनिक अपक्षय कहते हैं।

2. अपक्षय प्रक्रिया के तीन महत्व को लिखें।

उत्तरः अपक्षय प्रक्रिया के महत्व निम्नलिखित हैं -

> अपक्षय की प्रक्रिया से चट्टानें ढीली होकर विघटित हो जाती है और छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं अंत में इससे मिट्टी का निर्माण होता है जो मानव जीवन का मुख्य आधार है।

> अपक्षय द्वारा चट्टानों के टुकड़े, अपरदन के कारकों के द्वारा बहा कर किसी दूसरे स्थानों पर जमा की जाती हैं जिससे धरातल समतल हो जाता है।

> अपक्षय विभिन्न प्रकार के स्थलाकृतियों के निर्माण में भी सहायक होता है। साथ ही चट्टानों में विघटन के कारण धीरे-धीरे खनिज पदार्थ ऊपर आ जाते हैं और मानव के लिए काफी उपयोगी होते हैं।

3. वृहत् संचलन क्या है?

उत्तरः अपक्षय की क्रिया के द्वारा जब चट्टानों में विघटन और वियोजन हो जाता है इसके फलस्वरूप चट्टानें टूट फूट जाते हैं और असंगठित हो जाते हैं और शैलों का मलवा छोटे या बड़े रूप में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ढाल के सहारे मंद या तीव्र गति से स्थानान्तरित होते हैं, यही प्रक्रिया वृहत् संचलन कहलाती है। वृहत् संचलन के अंतर्गत मृदा विसर्पण, मृदा प्रवाह, पंख प्रवाह, भूस्खलन तथा मलवा अवधाव, एवं शैलपात सम्मिलित होते हैं। इन सभी प्रक्रियाओं में चट्टानी मलवे उच्च भाग से निम्न भाग की ओर अग्रसर होती रहती हैं।

4. भौतिक अपक्षय का वर्णन करें?

उत्तरः भौतिक अपक्षय को यांत्रिक अपक्षय के नाम से भी जाना जाता है। इसमें चट्टानों का विघटन अथवा विखंडन होता है और चट्टाने टुकड़ों एवं बालू कणों में बदल जाते हैं। भौतिक अपक्षय का सर्वाधिक प्रभाव शुष्क तथा ठंडी जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। भौतिक अपक्षय को सक्रिय बनाने वाले कारकों के अंतर्गत ताप परिवर्तन क्रिया, पाला, दाब मोचन, लवण अपक्षय एवं भूस्खलन मुख्य रूप से सहायक होते हैं।

5. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ क्या हैं?

उत्तरः धरातल के पदार्थ पर अंतर्जनित एवं बहिर्जनित बलों द्वारा भौतिक दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं के कारण भूमि तल के विन्यास में परिवर्तन होता रहता है, इस परिवर्तन को ही भू-आकृतिक प्रक्रिया कहा जाता है। अंतर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत पटल विरूपण एवं ज्वालामु‌खियता को सम्मिलित करते हैं तथा बहिर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत अपक्षय, वृहत् क्षरण, अपरदन एवं निक्षेपण को सम्मिलित किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. रासायनिक अपक्षय कितने प्रकार की होती है। विस्तृत वर्णन करें।

उत्तरः रासायनिक अपक्षय एक ऐसा प्रक्रम है जिसके अंतर्गत शैलों में रासायनिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप वियोजन प्रारम्भ हो जाता है और शैलों का क्षरण प्रारंभ हो जाता है। रासायनिक अपक्षय में चट्टानों के खनिजों की संरचना पर जल में घुली विभिन्न गैसों का विशेष प्रभाव पड़ता है जिस कारण चट्टान के जुड़े हुए कण आपस में ढीले होने लगते हैं। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से उष्ण व आर्द्र प्रदेशों में अधिकता से होती है।

रासायनिक अपक्षय निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

a. ऑक्सीकरण (Oxidation) जैसा कि हम जानते हैं पानी में ऑक्सीजन गैस घुली रहती है। वायुमंडलीय आर्द्र ऑक्सीजन गैस चट्टानों के खनिजों से मिलकर उन्हें ऑक्साइड में बदल देती है। उष्ण व आर्द्र प्रदेशों में लौह युक्त चट्टानों पर ऑक्सीजन युक्त जल काफी तेजी से प्रभाव डालता है। लोहे के समान पर जंग लगने की क्रिया इसी के कारण होता है।

b. जलयोजन (Hydration) चट्टानों में उपस्थित खनिजों में जल के अवशोषण को ही जलयोजन कहा जाता है। कुछ चट्टानें जैसे कैल्शियम सल्फेट, बॉक्साइट, फेल्सपार आदि काफी तीव्रता से जल को सोख लेती हैं जिसके कारण इनका भार लगभग दो गुना हो जाता है और ऐसी चट्टानें तेजी से अपघटित हो जाती हैं। जलयोजन क्रिया के कारण ही फेल्सपार खनिज केओलिन मिट्टी में बदल जाता है।

c. कार्बोनेशन (Carbonation) वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस जल के साथ मिलकर कार्बनिक एसिड या अम्ल बनाती है इस प्रक्रिया को कार्बोनेशन कहा जाता है। चूना, चॉक, डोलोमाइट एवं अन्य अधिक कैल्शियम युक्त शैल पानी व कार्बन डाइऑक्साइड की सम्मिलित क्रिया से तेजी से प्रभावित होते हैं। इससे चूने का कार्बन तत्व बाइ कार्बोनेट में बदल जाता है। इस क्रिया में चुनायुक्त या कार्स्ट प्रदेश की चट्टानें तेजी से घुलती हैं।

2. वृहत् संचलन क्या है? इसके कितने प्रकार हैं?

उत्तरः वैसी सभी धरातलीय संचलन जिसमें चट्टानों का वृहत् मलवा गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव से अपने ढाल के अनुसार स्थानांतरित हो जाता है वृहत् संचलन कहलाता है। इसके अंतर्गत बिना किसी अधिगम माध्यम, जैसे- जल के बिना चट्टान के टुकड़े गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से अधोमुखी (नीचे की ओर) गति प्राप्त करते हैं। वृहत् संचलन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -

a. मंद प्रवाह संचलन- इस प्रकार के संचलन में पदार्थों का संचलन इतनी धीमी गति से होता है कि अल्प समय में उसका अनुभव नहीं हो पाता है इसका मुख्य उदाहरण मृदा विरूपण है।

b. तीव्र प्रवाह संचलन- इस प्रकार का संचलन आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में तीव्र ढालों पर अधिक सक्रिय होते हैं जहाँ की चट्टानें जल से संतृप्त हो जाती हैं ओर जल की भांति बहने लगती हैं। तीव्र प्रवाह संचलन तीन प्रकार के होते हैं-

मृदा-प्रवाह (Earth Flow): जब संतृप्त चिकनी मिट्टी व गाद पहाड़ी ढालों के सहारे नीचे की ओर संचलित हो जाती हैं तो यह मृदा प्रवाह कहलाता है। सीढी बनाते हुए जब यह पदार्थ सांप की तरह नीचे खिसकता है तो यह अवसर्पण कहलाता है।

कीचड़ प्रवाह (Mud Flow) बहुत अधिक मात्रा में अपक्षय होने से पदार्थ भारी वर्षों के कारण कीचड़ बन जाता है। और तेजी से कीचड़ की नदी के रूप में ढालों से घाटियों की और बहने लगता है यह घटना बहुत विनाशकारी होती है।

मलवा अवधाव (Avalanche): यह प्रक्रिया तीव्र ढालों पर हाती है। जिससे मलवा (चट्टानों के टुकड़े) कीचड़ प्रवाह से भी तेज गति से नीचे आता है। ऐसी घटनाएं मुख्ततः हिमालय पर्वतीय भागों, नीलगिरी पहाड़ियों तथा पश्चिमी घाट क्षेत्र में देखा जाता है।

3. मृदा निर्माण में सहायक प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? विस्तृत वर्णन करें।

उत्तरः अपक्षय क्रिया को मृदा निर्माण का मूल आधार माना जाता है। सबसे पहले अपक्षयित पदार्थों का किसी स्थान विशेष पर निक्षेपण किया जाता है तथा इस विक्षेपित पदार्थों में अनेक प्रकार के बैक्टीरिया तथा सूक्ष्म जीव अपना आवास बना लेते हैं। जीवों तथा वनस्पतियों के अवशेष मृदा में जीवांश के एकत्रीकरण में सहयोगी होते हैं। ऐसी मृदा जिसमें जलधारण करने की क्षमता तथा वायु प्रवेश करने की क्षमता विकसित हो जाती है परिपक्व मृदा कहलाती है। मृदा निर्माण के कारक निम्नलिखित हैं :-

जलवायु :- जलवायु मृदा निर्माण में एक महत्वपूर्ण सक्रिय कारक है। जलवायु के दो प्रधान तत्व तापमान एवं वर्षा की भिन्नता के आधार पर मृदा निर्माण की प्रक्रिया में अंतर मिलता है। जलवायु मूल शैल के अपक्षय को प्रभावित करती है। अधिक वर्षा मिट्टी में ह्यूमस की मात्रा बढ़ाती है। लेकिन भारी वर्षा के कारण मिट्टी के उपजाऊ तत्वों को नुकसान भी पहुँचता है।

मूल पदार्थ :- मृदा निर्माण की प्रक्रिया में मूल शैल एक निष्क्रिय कारक है। मूल चट्टान में अपक्षय की प्रकृति एवं उसकी दर तथा आवरण की मोटाई महत्वपूर्ण तत्व होते हैं। अतः जिस प्रकार चट्टानों का अपक्षय होता है, मिट्टी का प्रकार भी वैसा होता है। उदाहरण दक्षिण भारत की मिट्टी वहाँ की आधार शैलों के कारण काली है।

उच्चावच अथवा स्थलाकृति: ये भी मृदा निर्माण के एक निष्क्रिय कारक है। पहाडी भागों में मिट्टी की परत पतली होती है, जबकि मैदानी भागों में मिट्टी की परत की मोटाई अधिक होती है।

जैविक क्रियाएँ :- मृदा में जैव पदार्थ नमी धारण करने की क्षमता तथा नाइट्रोजन आदि की उपस्थिति वनस्पति एवं जीवों के माध्यम से ही होती है। वनस्पति आवरण एवं सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति मृदा को अधिक उपजाऊ बनाती है।

समय :- मृदा की परिपक्वता एवं पार्श्विका का विकास समय पर निर्भर करता है। लम्बी कालावधि में बनी मिट्टी अधिक समृद्ध एवं उपजाऊ होती है जबकि लघु समय की निक्षेपित जलोढ़ मिट्टी अपरिपक्व मानी जाती है।

                                                  

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय-सूची

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')

अध्याय सं.

अध्याय का नाम

1.

भूगोल एक विषय के रूप में

2.

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

3.

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

4.

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

5.

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

6.

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

7.

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

8.

सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

9.

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

10.

वायुमंडल में जल

11.

विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

12.

महासागरीय जल

13.

महासागरीय जल संचलन

14.

जैव विविधता एवं संरक्षण

भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब')

1.

भारत : स्थिति

2.

संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3.

अपवाह तंत्र

4.

जलवायु

5.

प्राकृतिक वनस्पति

6.

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर


खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)

2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)

4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)

6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)

8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)

9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)

10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)

11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)

13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}

14.  महासागरीय जल संचलन  (Movements of Ocean Water)

15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)

खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण

1. भारत-स्थिति (India Location)

2.  संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)

3. अपवाह तंत्र (Drainage System)

4. जलवायु (Climate)

5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

6. मृदा (Soils)

7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)

 

खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य

1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)

2. मानचित्र मापनी (Map Scale)

3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)

4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)

5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)

6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)

7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)

8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)

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