Class 11 Geography 6. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards and Disasters)

Class 11 Geography 6. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards and Disasters)

Class 11 Geography 6. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards and Disasters)

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

भूगोल (Geography)

6. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards and Disasters)

पाठ के मुख्य बिंदु

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो विभिन्न तत्वों में चाहे वह बड़ा हो या छोटा, पदार्थ हो या अपदार्थ, निरंतर चलती रहती है।

यह बदलाव धीमी गति से भी आ सकते हैं जैसे स्थलाकृतियों और जीवन में तथा यह बदलाव तेज गति से भी आ सकते हैं, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, भूकंप और तूफान इत्यादि।

इसी प्रकार इन परिवर्तनों का प्रभाव छोटे क्षेत्र तक सीमित हो सकता है, जैसे आआंधी, करकापात (वज्रपात) और टॉरनेडो। और बहुत व्यापक भी हो सकता है, जैसे- भूमंडलीय ऊष्मीकरण और ओजोन परत का ह्रास।

प्रकृति के दृष्टिकोण से परिवर्तन मूल्य-तटस्थ होता है, (न अच्छा होता है, और ना ब्रा)। परंतु मानव दृष्टिकोण से परिवर्तन मूल्य बोझिल होता है। कुछ परिवर्तन अपेक्षित और अच्छे होते हैं। जैसे ऋतुओं में परिवर्तन, फलों का पकना आदि जबकि कुछ परिवर्तन अनपेक्षित और बुरे होते हैं। जैसे भूकंप, बाढ़ और युद्ध।

आपदा अचानक घटित होने वाली घटना है। जिसके द्वारा बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है।

आपदा के कारक प्राकृतिक एवं मानवीय क्रियाकलाप हैं। मानव के क्रियाकलाप जो प्रत्यक्ष रूप से आपदाओं के लिए उत्तरदायी हैं, जैसे-भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल नाभिकीय आपदा, युद्ध, सीएफसी गैसें वायुमंडल में छोड़ना तथा ग्रीनहाउस गैसें, ध्वनि, वायु, जल तथा मिट्टी संबंधी पर्यावरण प्रदूषण।

कुछ मानवीय क्रियाकलाप अप्रत्यक्ष रूप से आपदाओं के लिए जिम्मेवार होती हैं, जैसे-वनों को काटने के कारण भूस्खलन और बाढ. भंगर जमीन पर निर्माण कार्य और अवैज्ञानिक भूमि उपर्योग।

पिछले कुछ सालों में मानव कृत आपदाओं की संख्या और परिणाम में वृद्धि हुई है। इन मानवकृत आपदाओं में कुछ का निवारण संभव है।

इसके विपरीत प्राकृतिक आपदाओं पर रोक लगाने की संभावना बहुत कम है, लेकिन इनका उचित प्रबंध कर इसके असर को कम किया जा सकता है।

इस दिशा में विभिन्न स्तरों पर कई ठोस कदम उठाए गए हैं। जैसे- भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना, 1993 में रियो डी जनेरो ब्राजील में भू- शिखर सम्मेलन और मई 1994 में याकोहामा, जापान में आपदा प्रबंधन पर विश्व संगोष्ठी आदि।

प्राकृतिक संकट, प्राकृतिक पर्यावरण में हालात के वे तत्व हैं जिनसे धन-जन या दोनों को नुकसान पहुँचने की संभाव्यता होती है। ये बहत तीव्र हो सकते हैं या पर्यावरण विशेष के स्थायी पक्ष भी हो सकते हैं, जैसे-महासागरीय धाराएँ, हिमालय में तीव्र ढाल तथा अस्थिर संरचनात्मक आकृतियां अथवा रेगिस्तानों तथा हिमाच्छादित क्षेत्रों में विषम जलवायु दशाएं आदि।

☞ प्राकृतिक संकट की तुलना में प्राकृतिक आपदाएँ अपेक्षाकृत तीव्रता से घटित होती हैं तथा बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि तथा सामाजिक तंत्र एवं जीवन को छिन्न-भिन्न कर देती हैं तथा उन पर लोगों का बहुत कम या कुछ भी नियंत्रण नहीं होता।

☞ भूकंप सबसे ज्यादा अपूर्वसूचनीय और विध्वंसक प्राकृतिक आपदा है।

☞ भारत के भूकंप सुभेदय क्षेत्रों में उत्तरी-पूर्वी प्रांत, दरभंगा से उत्तर में स्थित क्षेत्र तथा अररिया, उत्तराखंड, पश्चिमी हिमाचल प्रदेश, कश्मीर घाटी और कच्छ शामिल हैं।

☞ सुनामी भूकंप से उत्पन्न हुई ऊंची समुद्री लहरों को कहते हैं। सुनामी का प्रभाव तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक होता है तथा समुद्र के आंतरिक गहरे भाग में यह महसूस भी नहीं होता है।

☞ वर्तमान समय में आपदा की सुभेदयता प्राकृतिक संकट के साथ-साथ मानव के तकनीकी विकास के द्वारा भी प्रभावित होती है।

☞ वर्तमान में मनुष्य तकनीकी सहायता से पर्यावरण में अत्यधिक परिवर्तन करने के लिए उत्तरदाई है और आपदा के खतरे वाले क्षेत्रों में गहन क्रियाकलाप प्रारंभ कर रहा है। परिणामस्वरूप आपदा की सुविधा को बढ़ा दिया है।

☞ याकोहामा रणनीति किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा के प्रतिघात को सहन करने के लिए विभिन्न राष्ट्रों के द्वारा मई 1994 में जापान के याकोहामा नगर में आपदा प्रबंधन से संबंधित विश्व कांफ्रेंस आयोजित किया गया, जिसमें आपदा से सुरक्षा की रणनीति तैयार की गई ताकि आपदाओं के प्रतिफल को कम किया जा सके।

☞ प्राकृतिक आपदाओं को मुख्यतः चार प्रकारों में बाँटा गया है -

·         वायुमंडलीय आपदाएँ- तड़ितझंझा, टॉरनेडो, करकापात, चक्रवात, लू, बर्फानी तूफान, शीतलहरी आदि।

·         भौमिक आपदाएँ- ज्वालामुखी, भूकंप, भूस्खलन, मृदा अपरदन आदि।

·         जलीय आपदाएँ-  बाढ़, सुनामी, महासागरीय तूफान।

·         जैविक आपदाएँ- टिडिड्यों का प्रकोप, बैक्टीरिया - वायरस संक्रमण, बर्ड फ्लू, डेंगू, कोरोना, मलेरिया आदि।

☞ भारत के वृहद् आकार, प्राकृतिक परिस्थितियों, सामाजिक भेदभाव, तीव्र जनसंख्या वृद्धि आदि ने भारत में प्राकृतिक आपदाओं की सुभेद्यता बढ़ा दी है। यहाँ मुख्यतः भूकंप, सुनामी, चक्रवात, बाढ़, सूखा और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप रहता है।

भूकंप अर्थात अकस्मात् पृथ्वी का कांपना इसके पीछे प्राकृतिक शक्तियों के साथ-साथ मानवीय कारक भी उत्तरदायी होते हैं। भूकंप पृथ्वी की ऊपरी सतह पर भूगर्भिक गतिविधियों से उत्सर्जित ऊर्जा से उत्पन्न होते हैं।

भूकंप की शक्तियों का दो विधियों द्वारा मापन किया जाता है -

भूकंप के परिमाण का मापन सिस्मोग्राफ नमक यंत्र द्वारा रिक्टर पैमाने पर किया जाता है जबकि भूकंप की तीव्रता में भूकंप द्वारा होने वाली हानि को मरकेली स्केल पर मापन किया जाता है।

राष्ट्रीय भूभौति-की प्रयोगशाला, भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण, मौसम विज्ञान विभाग तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के द्वारा भारत में भूकंपों का गहन विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण के पश्चात भारत कई भूकंपीय क्षेत्र में विभक्त किया गया है:-

अत्यधिक भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्रों में भारत के उत्तर पूर्वी राज्य, उत्तराखंड, पश्चिमी हिमाचल प्रदेश, कश्मीर घाटी तथा गुजरात के कच्छ क्षेत्र सम्मिलित हैं।

अधिक भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्र के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, उत्तरी पंजाब, हरियाणा का पूर्वी भाग, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तरी बिहार आदि सम्मिलित हैं।

भूकंप मानवीय बस्तियां, बुनियादी ढांचा, परिवहन व संचार व्यवस्था, उदयोग तथा अन्य विकासशील क्रियाओं को नष्ट कर देता है। इससे सामाजिक सांस्कृतिक विरासत भी ध्वस्त हो जाती है। अर्थव्यवस्था यदि विकासशील है तो उसे देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुँचता है।

21वीं शताब्दी का सबसे पहला भयानक भूकंप भारत में गुजरात राज्य के भूज क्षेत्र में 26 जनवरी 2001 को आया जिससे भूज क्षेत्र के साथ-साथ कई नगर पूरी तरह से नष्ट हो गए लाखों की संख्या में व्यक्तियों की मृत्यु हुई।

भूकंप को नियंत्रित करना मानव के सामर्थ्य से परे है लेकिन कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रयास हैं, जिससे उनकी इसके प्रभाव को काम किया जा सकता है। जैसे-

·         भूकंप नियंत्रण केन्द्र की स्थापना करना ताकि

·         भूकंप की पूर्व सूचना दी जा सके। भूकंप सुभेद्रद्यता संबंधित मानचित्र तैयार करना।

·         भूकंप संभावित क्षेत्रों में जोखिम की सूचना आम व्यक्तियों तक पहुँचाना तथा भूकंप से बचने हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना।

·         भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना।

सुनामी एक सागरीय लहर है, जो सागर में भूकंप भूस्खलन या ज्वालामुखी उद्‌गार जैसी घटनाओं द्वारा उत्पन्न होती है।

सुनामी जापानी भाषा का शब्द है, जिसमें सु अर्थात बंदरगाह तथा नामी का अर्थ लहर होता है। सुनामी का शाब्दिक अर्थ तटों अथवा बंदरगाहों की ओर चलने वाली लहरें।

सुनामी से महासागरीय भागों के आंतरिक भाग कम प्रभावित होते हैं, जबकि तटीय भागों पर इसकी तरंगें विनाशकारी प्रभाव उत्पन्न करती हैं। वैज्ञानिक इसे जियोलॉजिकल टाइम बम कहते हैं।

सुनामी अधिकांशतः प्रशांत महासागरीय तट, इंडोनेशिया, मलेशिया, हिंद महासागर में म्यांमार, श्रीलंका तथा भारत के तटीय भागों में आती है।

26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में सुनामी के प्रकोप से इंडोनेशिया के अतिरिक्त भारत के पूर्वी तटीय भागों तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भारी तबाही हुई। इसके पश्चात भारत में स्वयं को अंतरराष्ट्रीय सुनामी चेतावनी तंत्र में सम्मिलित कर लिया।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात अधिकांशतः 30 डिग्री उत्तर तथा 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के मध्य कम वायुदाब वाले क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं। इसका क्षेत्रफल 500 से 1000 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत होता है तथा इसकी ऊँचाई 12 से 14 किलोमीटर तक होती है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें तीव्र वायुदाब प्रवणता होती है। इसके केंद्र में गर्म वायु होती है जिसके कारण केंद्र निम्न वायुदाब वाला मेघ रहित होता है, जिसे तूफान की आंख कहाँ जाता है।

भारत की प्राय‌द्वीपीय आकृति के कारण उष्णकटिबंधीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में उत्पन्न होकर भारत के तटीय भागों में भारी वर्षा करते हैं।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात काफी विध्वंसक होते हैं। एकाएक तेज वर्षा से तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और धन-जन की अपार हानि होती है। कृषि फसलों को भी भारी नुकसान होता है।

तूफान महोर्मि (Storm surge) तटीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवात 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तटों से टकराते हैं, इसके कारण सागरीय तल असाधारण रूप से ऊपर उठ जाता है, जो तूफान महोर्मि के नाम से जाना जाता है। इसके कारण मछु‌आरों की बस्तियां उड़ जाती हैं और कृषि फसलों तथा मानवकृत ढांचों का विनाश हो जाता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात से बचाव के लिए तटवर्ती केदो पर रडार केंद्र स्थापित कर तूफान की चेतावनी दी जाती है। अग्रिम सूचना के कारण प्राकृतिक आपदा से लोगों की धन-जन की क्षति को कम किया जा सकता है।

बाढ़ अर्थात किसी भूभाग पर लगातार कई दिनों तक जल का जमा होना। जब बाढ़ के कारण जन-धन की अपार क्षति होती है तो यह प्राकृतिक आपदा का रूप ले लेता है।

बाढ़ कई कारणों से उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे-

·         नदी बाहिकाओं में उनकी क्षमता से अधिक जल का आ जाना।

·         वन विनाश एवं चरागाहों का अविवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करना।

·         तटीय क्षेत्रों में तूफानी महोमि का आना तथा लंबे समय तक वर्षा का होना।

·         मृदा अपरदन के कारण नदी जल में जालोढ़ की मात्रा का अधिक होना।

·         अवैज्ञानिक तरीके से कृषि कार्य, प्राकृतिक अपवाह तंत्र में रुकावट।

भारत के राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने लगभग चार करोड़ हेक्टअर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है इसके अंतर्गत असम पश्चिम बंगाल तथा बिहार राज्य के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सम्मिलित हैं।

बाढ़ के परिणाम के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं को सम्मिलित किया जा सकता है-

·         बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में कृषि भूमि नष्ट हो जाती है।

·         मानव बस्तियां डूब जाती हैं, जिससे अर्थव्यवस्था तथा समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

·         अनेक प्रकार की जल जनित बीमारियों के फैलने का खत्तरा बढ़ जाता है।

·         कृषि फसलें नष्ट हो जाती हैं। इसके साथ-साथ सड़कें, रेल पटरियाँ, पुल तथा मानव बस्तियां भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

बाढ़ को नियंत्रित करने के कुछ निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं जैसे-

·         बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तटबंध बनाना संग्रहित तालाबों का निर्माण करना, नदियों पर बाँध बनाना।

·         मिट्टी अपरदन को रोकने के लिए वृक्षारोपण करना।

·         नदियों के किनारे वाले क्षेत्रों में बसे लोगों को अन्यत्र बसाना।

·         तटीय क्षेत्रों में चक्रवात सूचना केंद्रों की स्थापना करना ताकि बाढ़ के संबंध में आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त हो सके।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार उस दशा को सूखा कहा जाता है, जब किसी क्षेत्र में होने वाली सामान्य वर्षा से वास्तविक वर्षा 75% से कम हो।

जिन क्षेत्रों में लंबे समय तक कम वर्षा, अत्यधिक वाष्पीकरण और जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है वहाँ सूखा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

सूखे को चार वर्गों में विभाजित किया जाता है। जैसे मौसम विज्ञान संबंधी सूखा, कृषि सूखा, जलविज्ञान संबंधी सूखा, एवं पारिस्थितिकी सूखा ।

भारत के अंतर्गत कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 19% भाग सूखा से ग्रसित है तथा सूखे से कुल जनसंख्या का लगभग 12% भाग प्रभावित रहते हैं।

राजस्थान के अरावली श्रेणी के पश्चिम वाले भाग का मरुस्थलीय क्षेत्र, गुजरात राज्य का कच्छ क्षेत्र अत्यधिक सूखा क्षेत्र के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है। यहाँ 10 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है।

सूखे के परिणाम को निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट किया जा सकता है-

·         कृषि फसलों को नुकसान एवं फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट।

·         पेयजल की गंभीर समस्या भूमिगत जल का अभाव।

·         फसलों के साथ-साथ पशुओं के चारे के उत्पादन में कमी।

·         विभिन्न प्रकार के औ‌द्योगिक उत्पादन में कमी जिससे आर्थिक स्थिति प्रतिकूल हो जाती है।

·         भूमि अपरदन, मृदा क्षय, वनस्पति आवरण का कम होना, भूमिगत जल का अभाव आदि।

भूस्खलन : किसी भी ढालयुक्त भूभाग पर मिट्टी तथा चट्टानों के ऊपर से नीचे की ओर खिसकने, लुढ़कने या गिरने की प्रक्रिया को ही भूस्खलन कहा जाता है। यह सामान्यतः स्थानीय स्तर पर होता है। इससे सड़क मार्ग एवं रेल मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं तथा नदियों के मार्ग बदल जाते हैं। बाढ़ आने की संभावना होती है और जन- धन की अपार हानि होती है।

जून 2013 में उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग उत्तरकाशी पिथौरागढ़ तथा चमोली जिलों में भारी वर्षा के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन व बाढ़ के कारण हजारों की संख्या में लोगों की मृत्यु हुई।

आपदा प्रबंधन आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आपदा निवारक एवं संरक्षण उपाय, मानव पर आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए राहत कार्यों की व्यवस्था करने के साथ-साथ आपदा प्रभावित क्षेत्र में सामाजिक तथा आर्थिक पक्षों को सम्मिलित किया जाता है। इसके अंतर्गत उन सभी कार्यों को सम्मिलित किया जाता है जिससे प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके।

आपदा प्रबंधन एवं निवारण के अंतर्गत तीन अवस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है आपदा से पहले, आपदा के समय एवं आपदा के बाद।

भारत सरकार द्वारा देश में आपदा प्रबंधन के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 लागू किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत आपदा को किसी क्षेत्र में घटित एक महाविपत्ति, दुर्घटना, संकट या गंभीर घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है। आपदा प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकती है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. इनमें से भारत के किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है?

a. बिहार

b. पश्चिम बंगाल

c. असम

d. उत्तर प्रदेश

2. उत्तरांचल के किस जिले में मालपा भूस्खलन आपदा घटित हुई थी?

a. बागेश्वर

b. चंपावत

c. अल्मोडा

d. पिथौरागढ

3. इनमें से कौन-से राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?

a. असम

b. पश्चिम बंगाल

c. केरल

d. तमिलनाडु

4. इनमें से किस नदी में मजौली नदीय द्वीप स्थित है?

a. गंगा

b. ब्रह्मपुत्र

c. गोदावरी

d. सिंधु

5. बर्फानी तूफान किस तरह की प्राकृतिक आपदा है?

a. वायुमंडलीय

b. जलीय

c. भौमिकी

d. जीवमंडलीय

6. भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना कब की गई?

a. 1991

b. 1992

c. 1993

d. 1994

7. निम्नलिखित आपदाओं में कौन-सी आपदा सबसे अधिक विध्वंसकारी है?

a. बाढ़

b. सूखा

c. भूकंप

d. चक्रवात

8. निम्न में से कौन अत्यधिक क्षति जोखिम क्षेत्र है?

a. उत्तर-पूर्वी प्रांत

b. पंजाब

c. हरियाणा

d. बिहार

9. सुनामी का प्रभाव सबसे अधिक किस क्षेत्र में पड़ता है?

a. समुद्र तटीय क्षेत्र में

b. गहरे समुद्र में

c. दोनों में

d. इनमें से कोई नहीं

10. सुनामी क्या है?

a. भूकंप से उत्पन्न हुई समुद्री लहरें

b. भूकंप

c. बाढ़

d. भूस्खलन

11. निम्नलिखित में से किस दशक को अंतरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दशक घोषित किया गया?

a. 2010 से 2020

b. 2000 से 2010

c. 1990 से 2000

d. 1980 से 1990

12. निम्नलिखित में से किस नगर में आपदा निम्नीकरण विश्व कांफ्रेंस आयोजित किया गया था?

a. जोहानसबर्ग

b. याकोहामा

c. रियो डी जेनेरो

d. पेरिस

13. उष्णकटिबंधीय चक्रवात किन अक्षांशों के मध्य उत्पन्न होते हैं?

a. 10 डिग्री उत्तर से 10 डिग्री दक्षिण

b. 15 डिग्री उत्तर से 15 डिग्री दक्षिण

c. 5 डिग्री उत्तर से 5 डिग्री दक्षिण

d. 30 डिग्री उत्तर से 30 डिग्री दक्षिण

14. आपदा प्रबंधन अधिनियम कब पारित किया गया?

a. 2011

b. 2005

c. 2000

d. 1991

15. COVID 19 किस प्रकार का आपदा है?

a. वायुमंडलीय

b. जैविक

c. भौमिक

d. जलीय

16. तूफान महोर्मि (Storm surge) क्या है?

a. ध्रुवीय पवन

b. भूकंप से उत्पन्न समुद्री तरंग

c. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में चलने वाली वायु

d. समुद्री तूफान से उत्पन्न लहर

17. सर्वाधिक चक्रवात कहाँ आते हैं?

a. अरब सागर में

b. हिंद महासागर में

c. बंगाल की खाड़ी में

d. इनमें से सभी में

18. 2001 में भीषण भूकंप कहाँ आया था?

a. मथुरा

b. कोयना

c. गढ़वाल

d. भुज

19. दक्षिण भारत में भूस्खलन प्रभावित प्रमुख क्षेत्र कौन-सा है?

a. कोंकण तट

b. पूर्वी घाट

c. पूर्वी तटीय मैदान

d. कच्छ काठियावाड़ क्षेत्र

20. शिवकाशी में सर्वाधिक दुर्घटनाएं हुई हैं?

a. पटाखों में आग लगने से

b. भीड़ भगदड़ से

c. चक्रवाती तूफान से

d. खनन कार्यों से

21. भारत में वर्ष 2001 में आए भूकंप से सर्वाधिक विनाश कहाँ हुआ?

a. अहमदाबाद- भुज क्षेत्र में

b. उत्तरकाशी क्षेत्र में

c. अल्मोड़ा क्षेत्र में

d. गंगोत्री क्षेत्र में।

22. निम्नलिखित में से सुखा का कारण क्या है?

a. बाढ़

b. सुनामी

c. धरातलीय और भूमिगत जल का अधिक प्रयोग

d. भूस्खलन

23. भूकंप किस प्रकार की प्राकृतिक आपदा है?

a. जलीय

b. वायुमंडलीय

c. भौमिक

d. जैविक

24. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को भारत में किस नाम से जानते हैं?

a. टाइफून

b. चक्रवात

c. हरिकेन

d. तूफान

25. भारत में राष्ट्रीय बाढ़ आयोग का गठन किस वर्ष किया गया?

a. 1980 में

b. 1976 में

c. 1978 में

d. 1982 में

26. निम्नलिखित में से किस नदी को बंगाल का शोक कहा जाता है?

a. कोसी

b. तीस्ता

c. दामोदर

d. स्वर्णरेखा

27. भारत का सबसे प्रदूषित महानगर कौन-सा है?

a. कानपुर

b. मुंबई

c. दिल्ली

d. लखनऊ

28. तितली किस प्राकृतिक आपदा से संबंधित है?

a. भूकंप

b. बाढ़

c. चक्रवात

d. ज्वालामुखी विस्फोट

29. हुदहुद चक्रवात से भारत का कौन-सा तटीय क्षेत्र प्रभावित हैआँ था?

a. बंगाल तट

b. आंध्र प्रदेश तट

c. चेन्नई तट

d. केरल तट

30. भारत में चक्रवातीय तूफानों की आवृत्ति किन महीनें में सबसे अधिक होती है?

a. जून -जुलाई

b. मार्च -अप्रैल

c. अक्टूबर- नवंबर

d. जनवरी -फरवरी

31. निम्नलिखित में से कौन-सी आपदा जलीय है?

a. भूकंप

b. उष्णकटिबंधीय चक्रवात

c. भूस्खलन

d. सुनामी

32. गुजरात के कच्छ भुज में भूकंप किस तिथि को आई थी?

a. 26 दिसंबर 2002

b. 26 दिसंबर 2001

c. 26 जनवरी 2002

d. 26 जनवरी 2001

33. बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से सर्वाधिक चक्रवात निम्नलिखित में से किस अवधि में उत्पन्न होते हैं?

a. अक्टूबर-नवंबर

b. मई- जून

c. अगस्त -सितंबर

d. जुलाई -अगस्त

34. भारत में भूस्खलन की दृष्टि से अत्यधिक सुभेद्य क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है?

a. अरावली श्रेणियों

b. पूर्वी घाट

c. हिमालय पर्वत

d. दक्कन पठार

35. फैलिन नमक चक्रवात से किस राज्य को सर्वाधिक क्षति पहुँची थी?

a. गुजरात

b. आंध्र प्रदेश

c. तमिलनाडु

d. उड़ीसा

36. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ने भारत को कितने भूकंपीय क्षेत्र में विभक्त किया है?

a. 4

b. 5

c. 3

d. 6

37. भारत के कुल क्षेत्रफल का कितना प्रतिशत सूखा प्रभावित क्षेत्र है?

a. 19 प्रतिशत

b. 20 प्रतिशत

c. 21 प्रतिशत

d. 33 प्रतिशत

38. भौमिक प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत निम्नलिखित में से किसे सम्मिलित कर सकते हैं?

a. उष्णकटिबंधीय चक्रवात

b. वर्ड फ्लू

c. भूस्खलन

d. सुनामी

39. प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत किसे सम्मिलित नहीं करते?

a. भूकंप

b. सुनामी

c. बाढ़

d. भोपाल गैस त्रासदी

40. मरकेली स्केल के द्वारा किसका मापन किया जाता है

a. सुनामी की तीव्रता

b. भूकंप की तीव्रता

c. भूस्खलन से क्षति

d. बाढ़ की क्षति

41. बाढ़ नियंत्रण के उपाय में निम्नलिखित में से किसे सम्मिलित नहीं करते?

a. तटबंध बनाना

b. नदियों पर बांध बनाना

c. चक्रवात सूचना केंद्रों की स्थापना करना

d. लोगों को तटीय क्षेत्र में बसने हेतु प्रेरित करना

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. आपदा और संकट में क्या अंतर है?

उत्तरः संकट एक प्राकृतिक घटना है जबकि आपदा उसका परिणाम है। संकट में आपदा की संभावना छिपी होती है। आपदा ऐसी घटना है जिससे जान और माल दोनों का खतरा होता है।

2. भारत की सूखा प्रभावित राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तरः राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र का पूर्वी भाग आंध्र के रायलसीमा को क्षेत्र, कर्नाटक, तमिलनाडु का उत्तरी भाग व ओडिशा का आंतरिक भाग भी सूखे से प्रभावित रहता है।

3. भारत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात सबसे अधिक किस मौसम में आते हैं?

उत्तरः भारत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात अक्टूबर नवंबर माह में अरब सागर के क्षेत्र से आते हैं।

4. उष्णकटिबंधीय चक्रवात की केंद्र को क्या कहते हैं?

उत्तरः इसके केंद्र में गर्म वायु की प्रधानता होती है जो निम्न वायुदाब का क्षेत्र होता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र को चक्रवात की आंख कहा जाता है।

5. प्राकृतिक आपदा से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः प्राकृतिक आपदाएँ ऐसी घटनाएँ हैं जो मानव जीवन, आजीविका और पारिस्थितिकी तंत्र के लिये व्यापक विनाश और संकट का कारण बनती हैं।

6. प्राकृतिक आपदाओं के कुछ उदाहरण लिखें।

उत्तरः भूकंप, बाढ़, चक्रवात, सूखा, भूस्खलन, हिमस्खलन आदि। प्राकृतिक आपदा एक आशंका या आने वाले संकट की चेतावनी होती है जो मनुष्य के जीवन पर विपरीत दुष्प्रभाव डालती है।

7. भूकंप की तीव्रता किस यंत्र द्वारा मापी जाती है?

उत्तरः भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए सीस्मोग्राफ नमक यंत्र का उपयोग करते हैं।

8. चक्रवात से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः गोलाकार क्षेत्र के तूफान होते हैं, जिनके केंद्र में निम्न वायुदाब होता है अतः चारों तरफ के उच्च वायुदाब से वायु केंद्र की ओर चलती है।

9. सुनामी से आपका क्या तात्पर्य है?

उत्तरः सुनामी एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ 'बंदरगाही लहरें' होता है। सुनामी उच्च ऊर्जा वाली दीर्घ महासागरीय तरंगें होती हैं।

10. बाढ़ का सामान्य अर्थ क्या है?

उत्तरः जब किसी भू-भाग में लगातार कई दिनों तक काफी मात्रा में जल जमा रहता है और वहाँ के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, तो ऐसी स्थिति बाढ़ कहलाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. संकट किस दशा में आपदा बन जाता है?

उत्तर- संकट, अल्पावधि की एक असाधारण घटना है, जो देश की अर्थव्यवस्था को गम्भीर रूप से बिगाड़ देती है। एक संकट उस समय आपदा बन जाता है, जब वह अचानक उत्पन्न हो तथा मानव उसका सामना करने के लिये पहले से तैयार न हो।

2. हिमालय और भारत के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकम्प क्यों आते हैं?

उत्तर- इसका प्रमुख कारण यह है कि इण्डियन प्लेट प्रतिवर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व दिशा में एक सेमी. आगे की ओर खिसक रही है लेकिन उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट इस कार्य में रुकावट उत्पन्न करती है। इण्डियन प्लेट तथा यूरेशियन प्लेटों के टकराने से उत्पन्न तनाव के कारण हिमालय और भारत के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकम्प आते हैं।

3. उष्ण कटिबन्धीय तूफान की उत्पत्ति के लिये कौन-सी परिस्थितियाँ अनुकूल हैं?

उत्तर- इसके लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ अनुकूल हैं-

1. सतत् रूप से पर्याप्त मात्रा में उष्ण व आर्द्र वाय की उपलब्धता जिससे बहुत बड़ी मात्रा में गुप्त ऊष्मा निर्मुक्त होती है।

2. तीव्र कोरियोलिस बल जो केन्द्र के न्यून वायुदाब को भरने न दे।

3. क्षोभमण्डल में अस्थिरता जिससे स्थानीय स्तर पर न्यून वायुदाब निर्मित हो जाते हैं।

4. शक्तिशाली ऊर्ध्वाधर वायु फान (Wedge) की अनुपस्थिति जो नम तथा गुप्त ऊष्मा का ऊर्ध्वाधर प्रवाह न होने दे।

4. पूर्वी भारत की बाढ़, पश्चिमी भारत की बाढ़ से अलग कैसे होती है?

उत्तर- पश्चिमी भारत को पिछले कुछ दशकों से आकस्मिक रूप से आने वाली बाढ़ों का सामना करना पड़ रहा है। इसका प्रमुख कारण मानसूनी वर्षा की तीव्रता तथा मानवीय क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक अपवाह तन्त्र को अबरुद्ध करना है। दूसरी ओर पूर्वी भारत में होने वाली भारी वर्षा से वहाँ की नदी जल वाहिकाओं में क्षमता से अधिक वर्षा जल आ जाता है, तो इससे समीपवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती हैं।

5. पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा क्यों पड़ते हैं?

उत्तर- पश्चिमी और मध्य भारत को मानसून की ऋतु में होने वाली वर्षा की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। यही नहीं, यहाँ वर्षा केवल अनिश्चित ही नहीं, अपर्याप्त भी है। वर्षा की कमी तथा अनिश्चितता के कारण पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा पड़ते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करें तथा इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय बताएँ।

उत्तर- भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र-

भारत के अत्यधिक सुभेद्यता वाले क्षेत्रों में अस्थिर हिमालय की युवा पर्वत श्रृंखलायें, अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिमी घाट व नीलगिरी पर्वत के अधिक वर्षा वाले क्षेत्र, उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र, भूकम्प प्रभावी क्षेत्र तथा अत्यधिक मानवीय क्रियाकलापों वाले क्षेत्र (जिससे सड़क तथा बाँध निर्माण किये गये हैं) सम्मिलित हैं। पार हिमालय के कम वर्षा वाले क्षेत्र लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में स्पीति, अरावली पहाड़ियों, पश्चिमी घाट व पूर्वी घाट के वृष्टिछाया क्षेत्रों में कभी-कभी भूस्खलन होता रहता है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत के खनन क्षेत्रों तथा अन्य क्षेत्रों में भी भूस्खलन की घटनाएँ होती रहती हैं।

भूस्खलन आपदा निवारण के उपाय- भूस्खलन आपदा निवारण के लिये निम्नलिखित उपाय उपयोगी हो सकते हैं

1. भूस्खलन सम्भावित क्षेत्रों में सड़क तथा बाँध बनाने जैसे निर्माण कार्यों को पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित कर देना चाहिए। या ढाल को नियंत्रित कर मार्गों का निर्माण किया जाए।

2. भूस्खलन सम्भावित क्षेत्रों में कृषि कार्य नदी घाटियों तथा कम ढाल वाले भू-भागों तक ही सीमित रखने चाहिए।

3. ऐसे क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर वानिकी कार्यों को प्राथमिकता प्रदान की जाए।

4. उपयुक्त स्थलों पर नदी के जल बहाव को कम करने के लिये छोटे-छोटे बाँधों का निर्माण करना चाहिए।

5. स्थानान्तरित कृषि वाले उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में पर्वतीय ढालों पर सीढीनुमा खेत बनाकर कृषि करनी चाहिए।

2. सुभेद्यता क्या है? सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों में विभाजित करें तथा इसके निवारण के उपाय बताएँ।

उत्तर- सुभेद्यता- सुभेद्यता किसी व्यक्ति, समुदाय या क्षेत्र को हानि पहुँचानें की वह दशा है जो मानवीय नियन्त्रण में नहीं रहती। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि सुभेदयता जोखिम की वह सीमा है, जिससे एक व्यक्ति समुदाय या क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्र-सूखे की तीव्रता के आधार पर भारत को निम्नलिखित तीन सूखा प्रभावित क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है

अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र- राजस्थान राज्य में अरावली श्रेणियों के पश्चिम में स्थित मरुस्थलीय भाग तथा गुजरात राज्य का कच्छ क्षेत्र भारत के अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सम्मिलित हैं। इसमें राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर जिले भी सम्मिलित हैं, जहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 10 सेमी. से भी कम है।

अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र- इस वर्ग में राजस्थान राज्य का पूर्वी भाग, मध्य प्रदेश का अधिकांश भाग, पूर्वी महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश का आन्तरिक भाग, कर्नाटक का पठार, तमिलनाडु का उत्तरी भाग, झारखण्ड का दक्षिणी भाग तथा उड़ीसा के आन्तरिक भाग सम्मिलित हैं।

मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र- इस वर्ग में उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, गुजरात का शेष भाग, कोंकण को छोड़कर महाराष्ट्र, तमिलनाडु में कोयंबटूर पठार तथा आन्तरिक कर्नाटक सम्मिलित हैं। भारत के शेष बचे भाग बहुत कम या न के बराबर सूखे से प्रभावित हैं।

सूखा निवारण के उपाय-

सामाजिक तथा प्राकृतिक पर्यावरण पर सूखे का प्रभाव तात्कालिक एवं दीर्घकालिक होता है। इसलिये सूखे के उपाय भी तात्कालिक तथा दीर्घकालिक होते हैं।

तात्कालिक उपाय- सूखे की स्थिति में तात्कालिक सहायता प्रदान करने के लिए सुरक्षित पेयजल वितरण, दवाइयाँ, पशुओं के लिये चारे व जल की उपलब्धता तथा लोगों और पशुओं को सुरक्षित स्थलों पर पहुँचाना आवश्यक होता है।

दीर्घकालिक उपाय- सूखे से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न उपाय किये जा सकते हैं, जिनमें भूमिगत जल के भण्डारण का पता लगाना, जल आधिक्य क्य क्षेत्रों से जल न्यूनता वाले क्षेत्रों में पानी पहुँचाना, नदियों को जोड़ना तथा उपयुक्त स्थलों पर बाँधों व जलाशयों का निर्माण सम्मिलित है। सूखा प्रतिरोधी फसलों के बारे में प्रचार-प्रसार सूखे से लड़ने के लिये एक दीर्घकालिक उपाय है। वर्षा जल खेती का प्रचलन भी सूखे के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

3. किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है?

उत्तर- लम्बे समय तक भौगोलिक क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं को प्राकृतिक बलों का परिणाम माना जाता रहा लेकिन बीसवीं शताब्दी के दौरान मानव द्वारा किये जाने वाले अनेक विकास कार्य प्राकृतिक आपदा के लिये उत्तरदायी रहे हैं। उदाहरण के लिए, भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल नाभिकीय आपदा, सी. एफ. सी. तथा अन्य हानिकारक गैसों को सतत् रूप से वायुमण्डल में छोड़ना तथा पर्यावरण प्रदूषण सम्बन्धी मानवीय कार्य।

वस्तुतः मानवीय समाज को आगे बढ़ाने के लिए विकास अति आवश्यक है। आज का मानव जितनी सुख-सुविधाओं का उपभोग कर रहा है वह विकास के बिना सम्भव नहीं है लेकिन जहाँ मानव म ने एक ओर आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए भूमि के संसाधनों का अविवेकपूर्ण ढंग से विदोहन किया है वहीं दूसरी ओर विनाश के बल पर किये गये विकास ने अनेक पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दिया है। इनमें भूस्खलन, बाढ़, मृदा अपरदन, भूकम्प, भूमण्डलीय तापन, ओजोन परत का क्षयीकरण तथा अम्लीय वर्षा जैसी समस्याएँ उल्लेखनीय हैं। विकास कार्य निम्नलिखित परिस्थितियों में आपदा का कारण बन सकते हैं-

• पर्वतीय भागों में बड़े पैमाने पर सड़कों का निर्माण भूस्खलन आपदा के लिए उत्तरदायी है।

• ऊँचे बाँध यदि किसी प्रकार टूट जाएँ तो बाढ़ रूपी आपदा का सामना करना पड़ सकता है।

• परमाणु संयन्त्रों में जरा-सी असावधानी नाभिकीय आपदा का कारण बन सकती है।

• वृहद् स्तर पर वनोन्मूलन करने से भूस्खलन, मृदा अपरदन तथा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ प्रभावी हो जाती हैं।

                                                  

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय-सूची

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')

अध्याय सं.

अध्याय का नाम

1.

भूगोल एक विषय के रूप में

2.

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

3.

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

4.

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

5.

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

6.

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

7.

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

8.

सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

9.

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

10.

वायुमंडल में जल

11.

विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

12.

महासागरीय जल

13.

महासागरीय जल संचलन

14.

जैव विविधता एवं संरक्षण

भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब')

1.

भारत : स्थिति

2.

संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3.

अपवाह तंत्र

4.

जलवायु

5.

प्राकृतिक वनस्पति

6.

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर


खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)

2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)

4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)

6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)

8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)

9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)

10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)

11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)

13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}

14.  महासागरीय जल संचलन  (Movements of Ocean Water)

15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)

खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण

1. भारत-स्थिति (India Location)

2.  संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)

3. अपवाह तंत्र (Drainage System)

4. जलवायु (Climate)

5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

6. मृदा (Soils)

7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)

 

खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य

1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)

2. मानचित्र मापनी (Map Scale)

3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)

4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)

5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)

6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)

7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)

8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)

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