प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11
भूगोल (Geography)
9. वायुमंडल परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियाँ
पाठ के मुख्य बिंदु
☞ पृथ्वी के चारों ओर वायु का आवरण है, जिससे वायुमंडल का
निर्माण होता है।
☞ पृथ्वी के धरातल पर तापमान का वितरण असामान होता है।
☞ वायु गर्म होने पर फैलती है और ठंडी होने पर सिकुड़ती
है, यही कारण है कि वायुमंडलीय दाब में भिन्नता उत्पन्न हो जाती है।
☞ दो स्थानों के बीच वायुदाब के परिवर्तन की दर को दाब
प्रवणता कहते हैं।
☞ वायु गतिमान होकर उच्च दाब वाले क्षेत्र से निम्न दाब
वाले क्षेत्रों में प्रवाहित होती है। क्षैतिज रूप से गतिशील वायु ही पवन कहलाती
है।
☞ पृथ्वी पर तापमान व आर्द्रता का पुनर्वितरण पवनों के
द्वारा ही किया जाता है।
☞ वायुमंडल द्वारा धरातल पर डाले जाने वाले भार को साधारण
शब्दों में वायुमंडलीय भार कहते हैं। वायुदाब को मापने की इकाई मिलीबार है।
☞ समुद्र तल पर वायुमंडलीय दाब सर्वाधिक होती है यहाँ औसत
वायुमंडलीय दाब 1013.02 मिलीबार होता है।
☞ पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण धरातल के निकट वायु
संघन होती है, अतः धरातल के निकट वायुदाब भी अधिक होता है।
☞ वायुदाब को मापने के लिए पारायुक्त वायुदाबमापी या
एंड्रॉयड बैरोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
☞ धरातल पर वायुदाब ऊँचाई के साथ घटता जाता है। पवन
मुख्तया उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर चलती हैं।
☞ वायुमंडल के निचले भागों में वायुदाब ऊँचाई के साथ तेजी
से घटता जाता है। यह ह्रास दर प्रत्येक 10 मीटर की ऊँचाई पर 1 मिलीबार होता है।
☞ वायुदाब के क्षैतिज वितरण का अध्ययन सामान अंतराल पर
खींची गई समदाब रेखाओं द्वारा किया जाता है।
☞ समदाब रेखाएँ, वह रेखाएँ हैं, जो समुद्र तल से एक समान
वायुदाब वाले स्थानों को मिलती है।
☞ वायु प्रणालियों के अंतर्गत निम्न दाब प्रणाली के केंद्र
में निम्न वायुदाब होता है, जबकि उच्च दाब प्रणाली के केंद्र में उच्च वायुदाब
होता है।
☞ विषुवत वृत्त के निकट वायुदाब कम होता है और इसे
विषुवतीय निम्न अवदाब क्षेत्र (Equatorial low) के नाम से जाना जाता है।
☞ 30
डिग्री उत्तरी व 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के साथ उच्च दाब वाले क्षेत्र पाए जाते
हैं, जिन्हें उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र कहा जाता है।
☞ ध्रुवों
की तरफ 60 डिग्री उत्तरी एवं 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों पर निम्न दाब पेटियाँ
हैं, जिन्हें अधो ध्रुवीय निम्न दाब पटिट्यां कहते हैं।
☞ दोनों
ध्रुवों के निकट वायुदाब अधिक होता है, अतः इसे ध्रुवीय उच्च वायुदाब पट्टी कहते
हैं।
☞ वायुदाब
पट्टियाँ स्थाई नहीं होती हैं, सूर्य किरणों के विस्थापन के साथ इनका विस्थापन हो
जाता है।
☞ भूतल
पर धरातलीय विषमताएँ पाई जाती हैं, जिसके कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की
गति को प्रभावित करता है।
☞ पृथ्वी
के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है।
☞ पृथ्वी
के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम है- दाब प्रवणता
प्रभाव, घर्षण बल, तथा कोरिऑलिस बल ।
☞ गुरुत्वाकर्षण
बल के कारण पवन धरातल के पास नीचे प्रवाहित होती हैं।
☞ जिन
क्षेत्रों में दाब प्रवणता अधिक होती है, वहाँ समदाब रेखाएं पास-पास होती हैं,
जबकि समदाब रेखाएँ यदि दूर-दूर हो, तो वैसे क्षेत्रों में दाब प्रवणता कम होती है।
☞ पृथ्वी
की घूर्णन गति भी पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। इसकी जानकारी 1844 ई. में
फ्रांसीसी वैज्ञानिक के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस कारण इस बल को कोरिऑलिस बल
कहा जाता है।
☞ कोरिऑलिस
बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिनी तरफ एवं
दक्षिणी गोलार्ध में बाएं तरफ विक्षेपित हो जाती हैं।
☞ कोरिऑलिस
बल का प्रभाव ध्रुवों पर सर्वाधिक तथा विषुवत वृत पर नगण्य होता है।
☞ दाब
प्रवणता जितनी अधिक होगी पवनों का वेग भी उतना ही अधिक होगा, साथ ही पवनों की दिशा
उतनी ही अधिक विक्षेपित भी होगी।
☞ वैसी
पवनें जो समदाब रेखाओं के समानांतर बहती हैं, भू-विक्षेपी (Geostrophic) पवन के
नाम से जाने जाती हैं।
☞ किसी
क्षेत्र में जब केंद्र की ओर निम्न दाब हो तथा चारों तरफ पवनों का परिक्रमण हो रहा
हो तो यह चक्रवाती परिसंचरण कहलाता है।
☞ जब केंद्र में उच्च वायुदाब उत्पन्न हो तथा चारों तरफ से
पवनों का परिक्रमण हो तो ऐसी प्रणाली प्रतिचक्रवाती परिसंचरण कहलाती है।
☞ निम्न दाब वाले क्षेत्रों में वायु का अभिसरण होता है और
वह ऊपर की ओर उठती हैं।
☞ उच्च दाब वाले क्षेत्रों में वायु का अवतलन होता है और वायु
धरातल पर नीचे की ओर उतरती है।
☞ बादलों के निर्माण एवं वर्षण के लिए वायु का भ्रमिल रूप से,
संवहन धाराओं में, पर्वतों के साथ-साथ और वाताग्र के सहारे ऊपर उठना मुख्य रूप से जिम्मेवार
है।
☞ चक्रवात के केंद्र में निम्न दाब तथा प्रतिचक्रवात के केंद्र
में उच्च दाब की दशा पायी जाती है।
☞ चक्रवात की दशा में पवनों की दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी
की सुई की दिशा के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप होती
है।
☞ प्रतिचक्रवात की दशा में पवनों की दिशा उत्तरी गोलार्ध में
घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत
होती है।
☞ वायुमंडलीय पवनों के प्रवाह प्रारूप को वायुमंडलीय सामान्य
परिसंचरण कहा जाता है, इसके कारण महासागरीय जल को भी गति प्राप्त होती है। यह पृथ्वी
की जलवायु को भी प्रभावित करता है।
☞ जब सूर्यातप उच्च होता है, तो वायुदाब निम्न होती है। इससे
अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती
है।
☞ फेरल के नियम के अनुसार धरातल पर स्वतंत्र रूप से चलने वाली
हवाएं पृथ्वी की गति के कारण उत्तरी गोलार्ध में दार्थी तथा दक्षिणी गोलार्ध में बार्थी
ओर मुड़ जाती हैं।
☞ पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले वायु परिसंचरण
और इसके विपरीत दिशा में होने वालें परिसंचरण को 'कोष्ठ' कहते हैं। उष्णकटिबंधीय भागों
में ऐसे कोष्ठ को हेडले कोष्ठ (Hedley Cell) कहा जाता है।
☞ मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में वायु परिसंचरण में ध्रुवों से
प्रवाहित होने वाली ठंडी पवों का अवतलन होता है और उपोष्ण उच्च दाब कटिबंध क्षेत्र
से आने वाली गर्म हवाएं ऊपर उठ जाती हैं, धरातल पर इन पवनों को पछुआ पवन के नाम से
जाना जाता है और यह कोष्ठ फैरल कोष्ठ कहलाता है।
☞ ध्रुवीय अक्षांशों पर ठंडी सघन वायु ध्रुवों पर नीचे उतरती
हैं और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पवनों के रूप में प्रवाहित होने लगती हैं, इस
कोष्ठ को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है।
☞ वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण के कारण ही मध्य प्रशांत महासागर
की गर्म जलधाराएँ दक्षिणी अमेरिका के तट की ओर प्रवाहित होती है और पीरु की ठंडी धाराओं
का स्थान ले लेती हैं।
☞ पीरु के तट पर जब गर्म जल धाराओं की उपस्थिति होती है, तो
यह एल-निनो के नाम से जाना जाता है।
☞ एल-निनो की घटना मध्य प्रशांत में वायुदाब परिवर्तन से घनिष्ठ
रूप से जुड़ी हुई है। प्रशांत महासागर में होने वाला वायुदाब परिवर्तन दक्षिणी दोलन
कहलाता है।
☞ एल-निनो तथा दक्षिणी दोलन की संयुक्त घटना को एल-निनो दक्षिणी
दोलन (ENSO) कहते हैं।
☞ स्थल व समुद्री, समीर पर्वत व घाटी पवन दोनों ही स्थानीय
पवनों के अंतर्गत सम्मिलित किए जाते हैं।
☞ ऐसी वायु जिसमें तापमान तथा आद्रता संबंधी विशिष्ट गुण विद्यमान
होते हैं, वायुराशि कहलाती है।
☞ जब दो भिन्न प्रकार की वायु राशियाँ आपस में मिलती हैं, तो
उनके मध्य के सीमा क्षेत्र को वाताग्र (Fronts) कहते हैं।
☞ वाताग्रों के बनने की प्रक्रिया को वाताग्र जनन
(Frontogenesis) कहते हैं।
☞ उष्णकटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान होते हैं जिनकी उत्पत्ति
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के महासागरों पर होती है और यह तटीय क्षेत्र की ओर गतिमान होते
हैं।
☞ उष्णकटिबंधीय चक्रवात के द्वारा बड़ी मात्रा में विनाश होता
है एवं अत्यधिक वर्षा और तूफान आते हैं। यह चक्रवात विध्वंसक प्राकृतिक आपदाओं में
से एक हैं।
☞ वह स्थान जहाँ से उष्णकटिबंधीय चक्रवात तट को पार करके जमीन
पर पहुँचते हैं, चक्रवात का लैंडफॉल कहलाता है।
☞ तड़ित झंझा एवं टोरनेडो ये विध्वंसक स्थानीय तूफान हैं, जो
अल्प समय के लिए विकसित होते हैं, परंतु बहुत ही आक्रामक होते हैं।
☞ उष्ण आर्द्र दिनों में तड़ितझंझा प्रबल रूप से संवहन के कारण
उत्पन्न हो जाते हैं। वास्तव में यह कपासी वर्षी मेघ हैं, जो गरज व बिजली उत्पन्न करते
हैं।
☞ अत्यधिक भयंकर विनाशकारी तड़ितझंझा की परिघटना को ही टोरनेडो
के नाम से जाना जाता है, यह मुख्यतः मध्य अक्षांशों में उत्पन्न होते हैं।
☞ जब टोरनेडो की उत्पत्ति समुद्री क्षेत्र में होती है तो इसे
जल स्तंभ (Water spouts) कहते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. पृथ्वी के चारों ओर वायु के आवरण को क्या
कहा जाता हैं?
a. क्षोभमंडल
b. वायुमंडल
c. जलमंडल
d. ओजोनमंडल
2. क्षैतिज रूप से गतिशील वायु क्या कहलाती
है?
a. वायुदाब
b. पवन
c. आद्रता
d. इनमें से कोई नही
3. पृथ्वी पर तापमान व आर्द्रता का पुनर्वितरण
किसके द्वारा किया जाता है?
a. उच्चावच के द्वारा
b. दाब के द्वारा
c. आर्द्रता के द्वारा
d. पवनों के द्वारा
4. वायुमंडल द्वारा धरातल पर डाले जाने वाले भार को क्या कहते हैं?
a.
वायुमंडलीय वायु
b.
वायुमंडलीय आर्द्रता
c. वायुमंडलीय दाब
d.
इनमे से कोई नही
5. वायुदाब को मापने की इकाई क्या है?
a. मिलीबार
b.
सेंटीमीटर
c.
मिलीमीटर
d.
जंजीबार
6. समुद्र तल पर औसत वायुमंडलीय दाब होता है :-
a.
1018.02 मिलीबार
b.
1010.02 मिलीबार
c.
1008.02 मिलीबार
d. 1013.02 मिलीबार
7. धरातल के निकट वायु सघन होती है, इसका मुख्य कारण है :-
a.
वन क्षेत्र
b.
घनत्व
c. गुरुत्वाकर्षण
d.
पर्वतीय क्षेत्र
8. एक समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलने वाली रेखा क्या कहलाती है?
a. समदाब रेखाएं
b.
क्षैतिज रेखाएं
c.
समताप रेखाएं
d.
समवर्षा रेखाएं
9. ध्रुवों की तरफ 60 डिग्री उत्तरी एवं 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों
पर निम्न दाब पेटियां हैं जिन्हें किस नाम से जाना जाता है?
a. अधो ध्रुवीय निम्न दाब पेटियां
b.
ध्रुवीय निम्न दाब पेटियां
c.
ध्रुवीय उच्च पेटियां
d.
इनमें से कोई नही
10. किसी क्षेत्र में जब केंद्र की ओर निम्न दाब हो तथा चारों तरफ पवनों
का परिक्रमण हो रहा हो तो यह प्रणाली क्या कहलाता है?
a.
घूर्णन परिसंचरण
b.
प्रतिचक्रवाती परिसंचरण
c. चक्रवाती परिसंचरण
d.
अघूर्णन परिसंचरण
11. जिन क्षेत्रों में समदाब रेखाएं पास-पास होती हैं, वहाँ दाब प्रवणता
कैसी होगी?
a. दाब प्रवणता अधिक होती है
b.
दाब प्रवणता कम होती है
c.
दाब प्रवणता स्थिर होती है
d.
दाब प्रवणता स्थिर होती है
12. वायुदाब को मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है?
a.
हाइग्रोमीटर
b. एंड्रॉयड बैरोमीटर
c.
थर्मोमीटर
d.
इनमें से कोई नहीं
13. कोरिओलिस बल का प्रभाव ध्रुवों पर होता है:-
a. सर्वाधिक
b.
नगण्य
c.
शुन्य
d.
स्थिर
14. निम्न दाब वाले क्षेत्रों में वायु का अभिसरण कैसा होता है?
a.
ऊपर की ओर उठती है
b. नीचे की ओर उतरती है
c.
स्थिर अवस्था में रहती हैं
d.
इनमे से कोई नही
15. ITCZ का विस्तारित रूप क्या होगा?
a.
Indian Tropical Convergence zone
b. Inter Tropical Convergence Zone
c.
Intra Tropical Convergence Zone
d.
Intermediate Tropical Convergence Zone
16. जब दो भिन्न प्रकार की वाय् राशियाँ आपस में मिलती हैं तो उनके
मध्य के सीमा क्षेत्र को क्या कहते हैं?
a.
वायुराशि
b. वाताग्र
c.
कटिबंध
d.
समांगी क्षेत्र
17. मध्य व उच्च अक्षांशों में विकसित होने वाले चक्रवात को क्या कहते
हैं?
a. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
b.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
c.
मध्य अक्षांशीय चक्रवात
d.
निम्न अक्षांशीय चक्रवात
18. जब शीतल एवं भारी वायु आक्रामक रूप से उष्ण वायु राशियों को ऊपर
धकेलती है तो वहाँ संपर्क क्षेत्र को क्या कहते हैं?
a. शीत वाताग्र
b.
उष्ण वाताग्र
c.
अधिविष्ट वाताग्र
d.
स्थिर वाताग्र
19. जब शीत वाताग्र उष्ण वायु को ऊपर धकेलता है, तो ऐसे क्षेत्रों में
किस प्रकार के मेघ बनते हैं?
a.
स्तरी मेघ
b. कपासी मेघ
c.
वर्षा मेघ
d.
इनमें से कोई नहीं
20. उष्णकटिबंधीय चक्रवात को अटलांटिक महासागर में किस नाम से जाना
जाता है?
a.
टाइफून
b.
विली विलीज
c.
चक्रवात
d. हरिकेन
21. विली-विलीज नमक उष्णकटिबंधीय चक्रवात का संबंध किससे है?
a. ऑस्ट्रेलिया
b.
भारत
c.
अमेरिका
d.
यूरोप
22. हरिकेन क्या है?
a.
शीत कटिबंधीय चक्रवात
b. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
c.
वाताग्र
d.
इनमें से कोई नहीं
23. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात में वायु परिसंचरण प्रणाली का व्यास कितना
होता है?
a. 150 से 250 किलोमीटर
b.
100 से 150 किलोमीटर
c.
50 से 100 किलोमीटर
d.
150 से 300 किलोमीटर
24. वायुदाब पेटियाँ स्थाई नहीं होती हैं, इनका विस्थापन हो जाता है,
इसके पीछे किसका हाथ होता है?
a.
पृथ्वी की घूर्णन गति
b.
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण
c. सूर्य की किरणें
d.
वायुमंडल की आर्द्रता
25. पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को क्या कहा जाता है?
a.
गुरुत्वाकर्षण बल
b.
विद्युत चुम्बकीय बल
c.
नाभकीय बल
d. कोरिऑलिस बल
26. जिन क्षेत्रों में दाब प्रवणता अधिक होती है, वहाँ समदाब रेखाओं
की स्थिति कैसी होती है?
a. पास पास
b.
दूर-दूर
c.
गोलाकार
d.
इनमें से कोई नहीं
27. समदाब रेखाएँ यदि दूर-दूर हो तो वैसे क्षेत्रों में दाब प्रवणता
कैसी होती है?
a.
अधिक
b. कम
c.
शून्य
d.
इनमें से कोई नहीं
28. कोरिओलिस बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्ध में अपनी मूल दिशा
से किस ओर मुड़ जाती हैं?
a. दाहिनी तरफ
b.
बाएं तरफ
c.
उत्तर की ओर
d.
दक्षिण की ओर
29. कोरिऑलिस बल के प्रभाव से पवनें दक्षिणी गोलार्ध में किस ओर विक्षेपित
हो जाती हैं?
a.
दाहिनी ओर
b.
ऊपर की ओर
c.
नीचे की ओर
d. बाएं ओर
30. वैसी पवनें जो समदाब रेखाओं के समानांतर बहती हैं, किस नाम से जानी
जाती हैं?
a. भू-विक्षेपी पवन
b.
पछुआ पवन
c.
स्थानीय पवन
d.
मौसमी पवन
31. चक्रवात की दशा में पवनों की दिशा उत्तरी गोलार्ध में कैसी होती
है?
a. घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत
b.
घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप
c.
गोलाकार अथवा वृताकार
d.
इनमें से सभी।
32. पीरु कैसी जलधारा है?
a.
गर्म जलधारा
b. ठंडी जलधारा
c.
चक्रवाती जलधारा
d.
इनमें से कोई नहीं
33. उष्णकटिबंधीय महासागरीय वायु राशि को दर्शाने के लिए निम्नलिखित
में से किसका उपयोग किया जाता है?
a. mT
b.
mP
c.
cA
d.
cT
34. ENSO का विस्तारितरूप क्या होगा?
a.
ElNino - Southern Oceans
b.
ElNino - South Osceans
c.
Easter Northern South Ocean
d. ElNino - Southern Oscillation
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. ऊपरी क्षोभमण्डल में पश्चिम से पूर्व की
ओर तेज गति से निरंतर चलने वाले वायु प्रवाह को क्या कहते हैं।
उत्तरः जेट स्ट्रीम, इनकी गति 300-600 कि.मी. प्रति घंटा, स्थिति
30° से 35° अक्षांशों के बीच 5 से 12 कि. मी. की ऊँचाई पर स्थित होती हैं।
2. वायुमंडलीय दाब किसे कहते हैं?
उत्तरः समुद्रतल से वायुमंडल की अंतिम सीमा तक एक इकाई क्षेत्रफल
के वायु स्तंभ के भार को वायुमंडलीय दाब कहते हैं।
3. वायु दाब किस यन्त्र से मापा जाता है और
इसके मापन के लिए किस इकाई का उपयोग होता है?
उत्तरः वायुदाब पारद वायुदाबमापी या निर्दव बैरोमीटर नमक
यंत्र के द्वारा मापा जाता है। इसके लिए इकाई के रूप में मिलीबार या हैक्टोपास्कल का उपयोग किया जाता है।
4. वायुदाब की ह्रास (कमी आना) दर क्या है?
उत्तरः वायु दाब वायुमंडल के निचले हिस्से में अधिक तथा ऊँचाई
बढ़ने के साथ तेजी से घटता है। यह ह्रास दर प्रति 10 मीटर की ऊँचाई पर 1 मिलीबार होता
है।
5. समदाब रेखाओं (Isobar) को परिभाषित करें।
उत्तरः समुद्र तल से एक समान वायु दाब वाले स्थानों को मिलाते
हुए खींची जाने वाली रेखाओं को समदाब रेखाएँ कहते हैं। ये समान अंतराल पर खीचीं जाती
हैं।
6. समदाब
रेखाओं का पास या दूर होना क्या प्रकट करता है?
उत्तरः समदाब रेखायें यदि पास-पास है, तो दाब-प्रवणता अधिक
और दूर हैं, तो दाब प्रवणता कम होती है।
7. दाब-प्रवणता से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः एक स्थान से दूसरे स्थान पर दाब में अन्तर को दाब-
प्रवणता कहते हैं।
8. स्थानीय पवनें किसे कहते हैं?
उत्तरः
तापमान की भिन्नता एवं मौसम सम्बन्धी अन्य कारकों के कारण किसी स्थान विशेष में पवनों
का संचलन होता है, जिन्हें स्थानीय पवनें कहते हैं।
9. उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों को पश्चिमी आस्ट्रेलिया एवं पश्चिमी प्रशान्त
महासागर में किस नाम से जाना जाता है?
उत्तरः
उष्ण कटिबंधीय चक्रवाों को उत्तर-पश्चिमी आस्ट्रेलिया में विली-विलीज एवं पश्चिमी प्रशान्त
महासागर में टाइफून के नाम से जाना जाता है।
10. टोरनेडो क्या है?
उत्तरः
मध्य अंक्षाशों में स्थानीय तूफान तंड़ित झंझा के साथ भयानक रूप ले लेते हैं। इसमें
हवाओं का वेग लगभग 325 k.m. प्रति घंटा होता है।
इसके
केन्द्र में अत्यन्त कम वायु दाब होता है और वायु ऊपर से नीचे आक्रामक रूप से हाथी
की सूँड़ की तरह प्रतीत होती है इस परिघटना को टोरनेडो कहते हैं।
11. अंतर उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ Inter Tropical
Convergence Zone) प्रायः कहाँ होता हैं?
उत्तरः
विषुवत वृत्त के निकट।
12. वायुराशि से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः
जब वायु किसी विस्तृत क्षेत्र पर पर्याप्त लम्बे समय तक रहती है तो उस क्षेत्र के गुणों
(तापमान तथा आर्द्रता संबंधी) को धारण कर लेती है। तापमान तथा विशिष्ट गुणों वाली यह
वायु, वायु राशि कहलाती है। ये सैकड़ों किलोमीटर तक विस्तृत होती हैं तथा इनमें कई
परतें होती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भूमंडलीय पवनों का प्रारूप किन बातों पर निर्भर करता भूमंडलीय
उत्तरः
भूमंडलीय पवनों का प्रारूप मुख्तः निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
☞ वायुमंडलीय
ताप में अक्षांशीय भिन्नता
☞ वायुदाब
पेटियों की उपस्थिति
☞ वायुदाब
पेटियों का सौर-किरणों के साथ विस्थापन
☞ महासागरों
व महाद्वीपों का वितरण
☞ पृथ्वी
का घूर्णन ।
2. वायुराशियों के उद्गम क्षेत्र को कितने वर्गों में विभाजित किया
जाता है?
उत्तरः
वायु राशियों के उद्गम क्षेत्र को पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है -
☞ उष्ण
व उपोष्ण कटिबंधीय महासागर,
☞ उपोष्ण
कटिबंधीय उष्ण मरुस्थल,
☞ उच्च
अक्षांशीय अपेक्षाकृत ठंडे महासागर,
☞ उच्च
अक्षांशीय अति शीत बर्फ आच्छादित महाद्वीपीय क्षेत्र,
☞ स्थायी रूप से बर्फ आच्छादित महाद्वीप अंटार्कटिक तथा आर्कटिक
क्षेत्र।
3. तापमान और आर्द्रता की भिन्नता के आधार
वाताग्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तरः तापमान और आद्रता की भिन्नता के आधार पर वातावरण को
चार वर्गों में बाँटा गया है:-
शीत वाताग्र (Cold Front) : शीत वाताग्र के अंतर्गत शीतल व भारी वायु
आक्रामक रूप से उष्ण वायु राशियों को ऊपर धकेल देती है।
उष्ण वाताग्र (Warm Front) : उष्ण वालाग्र के अंतर्गत गर्म वायु रशिया
आक्रामक रूप में ठंडी वायु राशियों के ऊपर चढ़ती है।
अधिविष्ट वाताग्र (Occluded Front) : इस वाताग्र के
अंतर्गत एक वायु राशि पूर्णतः धरातल
के ऊपर उठ जाती है तथा तापमान में अचानक परिवर्तन करती हैं, इनसे बादल बनते हैं और
वर्षा होती है।
स्थिर वाताग्र (Stationary Front) : इसके अंतर्गत वाताग्र स्थिर हो जाते
हैं और कोई भी वायु ऊपर नहीं उठ पाती है।
4. कोरिऑलिस बल (Coriolis Force) प्रभाव किस
प्रकार पवनों की दिशा को प्रभावित करता है? संक्षेप में वर्णन कीजिए?
उत्तरः पवन सदैव समदाब रेखाओं के आर-पार उच्च दाब से निम्न
वायुदाब की ओर ही नहीं चलतीं। वे पृथ्वी के घूर्णन के कारण विक्षेपित भी हो जाती हैं।
पवन के इस विक्षेपण को ही कोरिऑलिस बल या प्रभाव कहते हैं।
☞ इस बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपने दाई
ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बाई ओर मुड़ जाती हैं।
☞ कोरिऑलिस बल का प्रभाव विषुवत वृत पर शून्य तथा धुवों पर
अधिकतम होता है।
☞ इस विक्षेप को फेरेल नमक वैज्ञानिक ने सिद्ध किया था, अतः
इसे फेरेल का नियम (Ferrel's Law) कहते हैं।
5. पवनों के प्रकारों का वर्णन कीजिए?
उत्तरः पवनें तीन प्रकार की होती हैं :-
1. भूमंडलीय पवनें (Planetary Winds):- पृथ्वी के विस्तृत क्षेत्र पर एक ही
दिशा में वर्ष भर चलने वाली पवनों को भूमण्डलीय पवनें कहते हैं। ये पवनें एक उच्च वायु
दाब कटिबन्ध से दूसरे निम्न वायुदाब कटिबन्ध की ओर नियमित रूप में चलती रहती हैं। ये
मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं- सन्मार्गी या व्यापारिक पवने, पछुआ पवनें तथा ध्रुवीय
पवनें।
2. सामयिक पवन (Seasonal Winds): ये वे पवनें हैं, जो ऋतू या मौसम के अनुसार
अपनी दिशा परिवर्तित करती हैं। उन्हें सामयिक पवनें कहते हैं। मानसूनी पवनें इसका अच्छा
उदाहरण हैं।
3. स्थानीय पवनें (Local Winds): ये पवनें भूतल के गर्म व ठण्डा होने की भिन्नता
से पैदा होती हैं। ये स्थानीय रूप से सीमित क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। स्थल समीर
व समुद्र समीर, लू, फोन, चिनूक, मिस्ट्रल आदि ऐसी ही स्थानीय पवनें हैं।
6. मानसूनी पवनें किसे कहते हैं। इसकी तीन
विशेषताएं बताइए?
उत्तरः मानसूनी शब्द अरबी भाषा के मौसिम शब्द से बना है।
जिसका अर्थ ऋतु है। अतः मानसूनी पवनें वे पवनें हैं जिनकी दिशा मौसम के अनुसार बिल्कुल
उलट जाती है। ये पवनें ग्रीष्म ऋतु के छह माह में समुद्र से स्थल की ओर तथा शीत ऋतु
के छह माह में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। इन पवनों को दो वर्गों, ग्रीष्मकालीन
मानसून तथा शीतकालीन मानसून में बाँटा जाता है। ये पवनें भारतीय उपमहाद्वीप में चलती
हैं।
7. स्थल-समीर व समुद्र-समीर में अन्तर स्पष्ट
कीजिए ?
उत्तरः स्थल समीर :- ये पवनें रात के समय स्थल से
समुद्र की ओर चलती हैं, क्योंकि रात के समय स्थल शीघ्र ठण्डा होता है तथा समुद्र देर
से ठण्डा होता है। अतः समुद्र पर निम्न वायु दाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है
समुद्र-समीर (Sea Breeze): ये पवनें दिन के समय
समुद्र से स्थल की ओर चलती हैं।
क्योंकि दिन के समय जब सूर्य चमकता है, तो समुद्र की अपेक्षा स्थल शीघ्र गर्म हो जाता
है, जिससे स्थल पर निम्न वायुदाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है।
8. पर्वत समीर व घाटी समीर में अंतर स्पष्ट
कीजिए?
उत्तरः घाटी समीर :- दिन के समय शांत स्वच्छ मौसम
में वनस्पतिविहीन,
सूर्याभिमुख, ढाल तेजी से गर्म हो जाते हैं और इनके संपर्क में आने वाली वाय भी गर्म
होकर ऊपर उठ जाती है। इसका स्थान लेने के लिए घाटी से वायु ऊपर की ओर चल पड़ती है।
☞ दिन में दो बजे इनकी गति बहुत तेज होती है।
☞ कभी-कभी इन पवों के कारण बादल बन जाते हैं, और पर्वतीय ढालों
पर वर्षा होने लगती है।
पर्वत समीर :- रात के समय पर्वतीय ढालों की पार्थिव विकिरण के कारण
ठंडी और भारी होकर घाटी में नीचे उतरने लगती है।
☞ इससे घाटी का तापमान सूर्योदय के कुछ पहले तक काफी कम हो
जाता है। जिससे तापमान का व्युत्क्रमण हो जाता है।
☞ सूर्योदय से कुछ पहले इनकी गति बहुत तेजी होती है। ये समीर
शुष्क होती हैं।
9. चक्रवात एवं प्रति चक्रवात में अन्तर बताइये।
उत्तरः चक्रवात :- जब किसी क्षेत्र में निम्न वायु
दाब स्थापित हो जाता है और उसके चारों ओर उच्च वायुदाब होता है तो पवनें निम्न दाब
की ओर आकर्षित होती हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण पवनें उत्तरी गोलार्ध में घड़ी
की सुईर्यों के विपरीत तथा द, गोलार्ध में घड़ी की सुइयों के अनुरूप घूमती है।
प्रतिचक्रवात: इस प्रणाली के केन्द्र में उच्च वायुदाब होता है। अतः केन्द्र
से पवनें चारों ओर निम्न वायू दाब की ओर चलती हैं। इसमें पवनें उत्तरी गोलार्ध में
घड़ी की सुइयों के अनुरूप एवं द. गोलार्ध में प्रतिकूल दिशा में चलती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. वायुदाब के क्षैतिज वितरण के विश्व प्रतिरूप
का वर्णन कीजिए?
उत्तर : वायुमण्डलीय दाब के अक्षांशीय वितरण को वायुदाब का क्षैतिज
वितरण कहते हैं। विभिन्न अक्षांशों पर तापमान में अन्तर तथा पृथ्वी के घूर्णन के प्रभाव
से पृथ्वी पर वायु दाब के सात कटिबन्ध बनते हैं। जो इस प्रकार हैं:-
विषुवतीय निम्न वायुदाब कटिबन्ध :-
☞ इस कटिबंध का विस्तार 5° उत्तर और 5° दक्षिणी अक्षांशों के
मध्य है
☞ इस कटिबंध में सूर्य की किरणें साल भर सीधी पड़ती हैं। अतः
यहाँ की वायु हमेशा गर्म होकर ऊपर उठती रहती हैं।
☞ इस कटिबन्ध में पवनें नहीं चलतीं। केवल ऊर्ध्वाधर (लम्बवत्)
संवहनीय वायुधाराएँ ही ऊपर की ओर उठती हैं। अतः यह कटिबंध पवन-विहीन शान्त प्रदेश बना
रहता है। इसलिए इसे शान्त कटिबन्ध या डोलड्रम कहते हैं।
उपोष्ण उच्च वायु दाब कटिबन्ध :-
☞ यह कटिबन्ध उत्तरी और दक्षिणी दोनों ही गोलाद्धों में
30° से 35° अक्षांशों के मध्य फैला है।
☞ इस कटिबन्ध में वायु लगभग शांत एवं शुष्क होती है। आकाश स्वच्छ
मेघ रहित होता है। संसार के सभी गरम मरुस्थल इसी कटिबन्ध में महाद्वीपों के पश्चिमी
भागों में स्थित हैं, क्योंकि पवनों की दिशा भूमि से समुद्र की ओर (Off Shore) होती
है। अतः ये पवनें शुष्क होती हैं।
उपध्रुवीय निम्न वायु दाब कटिबन्ध :-
☞ इस कटिबन्ध का विस्तार उत्तरी व दक्षिणी दोनों
गोलार्द्ध में 60° से 65° अक्षाशों
के मध्य है।
☞ इस कटिबन्ध में विशेष रूप से शीतऋतु में अवदाब (चक्रवात)
आते हैं।
ध्रुवीय उच्च वायु दाब कटिबन्ध :-
☞ इनका विस्तार उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों (90° उत्तर तथा दक्षिण
ध्रुवों) के निकटवर्ती क्षेत्रों में है।
☞ तापमान यहाँ स्थायी रूप से बहुत कम रहता है। अतः धरातल सदैव
हिमाच्छादितै रहता है।
2. भूमण्डलीय या प्रचलित पवनों का वर्णन कीजिए?
उत्तरः वर्ष भर एक ही दिशा में बहने वाली पवनों को भूमण्डलीय
पवनें कहते हैं। ये पवनें एक वायु उच्च दाब कटिबन्ध से दूसरे निम्न वायु दाब कटिबन्ध
की और नियमित रूप से चला करती हैं। ये तीन प्रकार की होती हैं:-
सन्मार्गी या व्यापारिक पवनें:-
☞ उपोष्ण उच्च वायु दाब कटिबन्धों से भूमध्य रेखीय निम्न वायू
दाब कटिबन्धों की ओर चलने वाली पवनों को सन्मार्गी पवनें कहते हैं।
☞ कोरिऑलिस बल के अनुसार ये अपने पथ से विक्षेपित होकर उत्तरी
गोलार्द्ध में उत्तर पूर्व दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी-पूर्व दिशा
में चलती है।
☞ व्यापारिक पवनों को अंग्रेजी में ट्रेड विंड्स कहते हैं।
जर्मन भाषा में ट्रेड का अर्थ निश्चित मार्ग होता है।
☞ विषुवत वृत्त तक पहुँचते-पहुँचते ये जलवाष्प से संतृप्त हो
जाती हैं तथा विषुवैत वृत के निकट पूरे साले भारी वर्षा करती है।
पछुआ पवनें
☞ उच्च वायु दाब कटिबन्धों से उपधुवीय निम्न वायु दाब कटिबन्धों
की ओर बहती हैं।
☞ दोनो गोलार्द्ध में इनका विस्तार 30° से 60° अक्षांशों के
मध्य होता है।
☞ उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम से तथा दक्षिणी
गोलार्द्ध में उत्तर-पश्चिम से होती है।
☞ व्यापारिक पवों की तरह ये पवनें शांत और दिशा की दृष्टि से
नियमित नहीं हैं। इस कटिबन्ध में प्रायः चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात आते रहते हैं।
ध्रुवीय पवनें :-
☞ ये पवन ध्रुवीय उच्च वायू दाब कटिबन्धों से उपधुवीय निम्न
वायुदाब कटिबन्धों की ओर चलती हैं।
☞ इनका विस्तार दोनों गोलार्डो में 60° अक्षांशो और ध्रुवों
के मध्य है।
☞ बर्फीली क्षेत्रों से आने के कारण ये पवनें अत्यन्त ठंडी
और शुष्क होती हैं।
3. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के विकास की
अवस्थाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए?
उत्तरः शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति तथा प्रभाव
क्षेत्र शीतोष्ण कटिबन्ध में ही है। ये चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में शीतऋतु में आते
हैं, परन्तु दक्षिणी गोलार्द्ध में जल भाग के अधिक होने के कारण लगभग सारा साल चलते
रहते हैं। इनकी उत्पत्ति जे. बजर्कनीरा के ध्रुवीय वाताग्र सिद्धान्त के आधार पर समझी
जा सकती है। इनकी उत्पत्ति की निम्नलिखित अवस्थाएं हैं:-
अवस्था क: इस सिद्धान्त के अनुसार इनकी उत्पत्ति दो विभिन्न ताप तथा आर्द्रता वाली वायूराशियों
के विपरीत दिशा से आकर मिलने से होती है। कोरिऑलिस बल के अधीन ये पवनें एक दूसरे के
लगभग सामान्तर चलती है। इन दोनों वायुराशियों के बीच वाताय स्थिर होता है।
अवस्था ख: इस अवस्था में चक्रवात की बाल्यावस्था को दर्शाया गया है। इस अवस्था में उष्ण
वायु राशि वाताग्र को धकेलकर शीतल वायु राशि में प्रविष्ट होने का प्रयास करती है और
शीतल वायु राशि भारी होने के कारण नीचे आने लगती है। इससे वाताग्र तरंग के रूप में
परिवर्तित होने लगता है। अब वाताग्र को स्पष्ट रूप से उष्ण एवं शीत वाताग्रों में बाँटा
जा सकता है।
इन वातागों पर उष्ण तथा आई वायु ऊपर उठने को बाध्य हो जाती
है. इसलिए आकाश प्रायः मेघाच्छादित हो जाता है और व वृष्टि होती है।
अवस्था ग: इस अवस्था में चक्रवात की प्रौढ़ावस्था आरम्भ होती हैं। इस अवस्था में शीतल
वायु तेजी से नीचे उतरकर उष्ण वायु को ऊपर धकेलती है। जिससे उष्ण खण्ड का आकार छोटा
हो जाता है।
अवस्था घ :- इस अवस्था में चक्रवात की प्रौढ़ावस्था पूर्ण रूप से विकसित हो गई है। इसमें शीत वाताग्र की शीतल
वायु को ऊष्ण वायु ऊपर की ओर धकेलती है, जिससे उष्ण वायु केन्द्र में स्थापित हो जाती
है। परिणाम स्वरूप वहाँ निम्न वायु दाब केन्द्र विकसित होने लगता है और शीतल वायु तेजी
से केन्द्र की ओर चलने लगती है।
अवस्था ङ : यह चक्रवात के समाप्त होने की पहली अवस्था है। शीतल वायु, उष्ण वायु को तब
तक धकेलती रहती है जब तक उसका भू-पृष्ठ से सम्पर्क नहीं टूट जाता है।
अवस्था च :- इस अवस्था में चक्रवात पूरी तरह समाप्त हो चुका होता है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय-सूची
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')
अध्याय सं. | अध्याय का नाम |
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8. | |
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13. | |
14. | |
भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब') | |
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4. | |
5. | |
6. | |
खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)
2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)
3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)
4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)
5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)
6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)
7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)
8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)
9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)
10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)
11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)
12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)
13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}
14. महासागरीय जल संचलन (Movements of Ocean Water)
15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)
16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)
खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण
1. भारत-स्थिति (India Location)
2. संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)
3. अपवाह तंत्र (Drainage System)
5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)
6. मृदा (Soils)
7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)
खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य
1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)
3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)
4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)
5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)
6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)
7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)
8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)