Class 11 Geography 4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

Class 11 Geography 4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

 Class 11 Geography 4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

भूगोल (Geography)

4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

पाठ के मुख्य बिंदु

पृथ्वी के 29% भाग पर महाद्वीप और 71% भाग पर महासागर फैले हुए हैं।

पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद से लगभग 3.8 अरब वर्ष पहले महाद्वीपों एवं महासागरों का निर्माण हआ महादवीप एवं महासागर जिस रूप में आज है, उस रूप में पहले नहीं थे।

कई वैज्ञानिकों ने समय-समय पर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि निर्माण के आरम्भिक दौर में सभी महाद्वीप इकट्ठे थे।

अटलांटिक महासागर के दोनों तरफ की तट रेखाओं में अत्यधिक समानता पाई जाती है। इस समानता का कारण वैज्ञानिकों ने दक्षिण एवं उत्तरी अमेरिका का यूरोप एवं अफ्रीका के साथ जुड़े होने की संभावना व्यक्त किया। 1556 ई. में एक डच मानचितर्वेत्ता अब्राहम ऑरटेलियस (Abraham Ortelius) ने सर्वप्रथम इस संभावना को व्यक्त किया था।

एंटोनियो पैलेग्रीनी ने तीनों महाद्वीपों को इकट्ठा करते हुए एक मानचित्र बनाया था।

जर्मन विदवान अल्फ्रेड वेगनर ने इसी क्रम में 1912 में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। जिसके अनुसार सभी महाद्वीप एक स्थान पर थे, जिसे उन्होंने पैजिया कहा। पैजिया का अर्थ है संपूर्ण पृथ्वी।

पैंजिया के चारों ओर महासागर था, जिसे पैंथालासा कहा गया, जिसका अर्थ है जल ही जल।

कुछ समय बाद लॉरेशिया व गोंडवानालैंड धीरे-धीरे अनेक छोटे हिस्सों में बँट गए। परिणामस्वरूप आज के महाद्वीप के रूप में विद्यमान है।

वेगनर ने महाद्वीपों के वर्तमान स्वरूप में विस्थापित होने के लिए दो बलों को उत्तरदायी माना। पोलर फ्लीइंग बल एवं पृथ्वी के घूर्णन बल।

वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन के पक्ष में प्रमाण के लिए महाद्वीपों में समानता, महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता, टिलाइट, प्लेसर निक्षेप, जीवाश्मों का वितरण आदि उदाहरण प्रस्तुत किया।

महाद्वीपों की सीमाओं (Boundries) में एकरूपता (zig- saw-fit) दिखाई देती है। उत्तरी अमेरका व दक्षिणी अमेरिका को यूरोप व अफ्रीका की सीमाओं से मिलाया जाए, तो महा‌द्वीप आपस में बिल्कुल मिलकर फिट हो जाते हैं।

महासागरों का अधस्तल विस्तृत मैदान नहीं है, बल्कि उनमें भी उच्चावच पाया जाता है- महाद्वीपीय शेल्फ, महाद्वीपीय ढाल, महासागरीय बेसिन सतह और गभीरतम महासागर के स्वरूप पाए जाते हैं।

महासागरीय अधस्तल में जलमग्न पर्वतीय कटक वह गहरी खाईयाँ है, जो प्रायः महाद्वीपों के किनारे पर स्थित है। महासागरीय कटके ज्वालामुखी उद्‌गार के रूप में सबसे अधिक सक्रिय पाई जाती है। प्रशांत महासागर के किनारों को सक्रिय ज्वालामुखी के क्षेत्र होने के कारण 'रिंग ऑफ फायर' Ring of fire भी कहा जाता है।

महासागरीय पर्पटी की चट्टानों के काल निर्धारण ने यह स्पष्ट कर दिया, कि महासागरों के नितल की चट्टानें महाद्वीपीय भागों में पायी जाने वाली चट्टानों की अपेक्षा नवीन है। महासागरीय कटक के दोनों तरफ की चट्टानें जो कटक के बराबर दूरी पर स्थित है, उनकी आयु व रचना भी सामान्य दिखाई पड़ती हैं।

1930 के दशक में ऑथर होम्स ने मैंटल भाग में संवहन धाराओं के प्रभाव की संभावना व्यक्त की। मैंटल में संवहन धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्वों से उत्पन्न ताप भिन्नता से उत्पन्न होती हैं। पूरे मैंटल भाग में इस प्रकार की धाराओं का तंत्र विदयमान है। रेडियोएक्टिव तत्वों के कारण ही संवहन धाराएँ हैं।

मध्य महासागरीय कटकों के दोनों तरफ की चट्टानों के चुंबकीय गुणों के विश्लेषण के आधार पर हेस ने सन् 1961 में सागरीय अधस्तल विस्तार की परिकल्पना प्रस्तुत की।

हेस के तर्क अनुसार महासागरीय कटकों पर महासागरीय शीर्ष पर लगातार ज्वालामुखी उद्भेदन हो रहा है, इससे महासागरीय पर्पटी में विभेदन हुआ और नया लावा इस दरार को भरकर महासागरीय पर्पटी को दोनों तरफ धकेल रहा है, इससे महासागरीय अधस्तल विस्तार हो रहा है।

हेस के अनुसार यदि ज्वालामुखी से नई पर्पटी का निर्माण होता है, तो दूसरी और महासागरीय गर्तों में इसका विनाश भी होता है।।

महाद्वीपीय एवं महासागरीय स्थलखंडों से मिलकर बना, ठोस व अनियमित आकार का विशाल भू-खंड जो एक दृढ़ इकाई के रूप में है, जिसे प्लेट कहते हैं। स्थलमंडल सात मुख्य प्लेट एवं 20 छोटी प्लेटों से बना है।

मुख्य प्लेटें -

  • अंटार्कटिक प्लेट
  • दक्षिण अमेरिकी प्लेट
  • उत्तर अमेरिकी प्लेट
  • इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट
  • प्रशान्त महासागरीय प्लेट
  • अफ्रीका प्लेट
  • यूरेशियाई प्लेट

छोटी प्लेटें :

  • कोकोस प्लेट
  • नजका प्लेट
  • अरेबियन प्लेट
  • फ़िलिपीन प्लेट
  • कैरोलिन प्लेट
  • फ्यूजी प्लेट।

कालांतर में ये प्लेटें संचालित होकर अपने स्थान से खिसक गयीं। जिनसे आज के महाद्वीप एवं महासागर बने। इनके खिसकने के क्रम में दबाव बढ़ने के कारण कई वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ जैसे रॉकी, एण्डीज, हिमालय आदि।

महादेश- एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका।

महासागर - प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिक या दक्षिणी ध्रुव महासागर और आर्कटिक या उत्तरी ध्रुव महासागर।

भारतीय विवर्तनिक प्लेट का संचलन आज भी जारी है। इसके अंतर्गत प्रायद्वीपीय भारत तथा आस्ट्रेलिया महाद्वीपीय भाग शामिल है। इसकी उत्तरी सीमा हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ विस्तृत प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction Zone) है। यह महाद्वीपीय एवं महाद्वीपीय अभिसरण सीमा के रूप में है। इसकी पूर्वी सीमा एक विस्तारित तल (Spreading Floor) है, जो आस्ट्रेलिया के पूर्व में दक्षिणी-पश्चिमी प्रशांत महासागरीय कटक के रूप में है। पूर्व दिशा में म्यांमार के राकिन्योमा पर्वत से होते हुए एक चाप के रूप में यह जावा खाई तक फैला हुआ है।

इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान की किरथर श्रेणियों का अनुसरण करती है। आगे यह मकरान तट से होती हुई दक्षिण-पूर्वी चागोस द्वीप समूह के साथ-साथ लाल सागर द्रोणर्णी (एक विस्तारण तल) में जा मिलती हैं। भारतीय एवं आर्कटिक प्लेट की सीमा भी महासागरीय कटक से निर्धारित होती है। जो पूर्व-पश्चिम दिशा में होती हुई न्यूजीलैंड के दक्षिण में विस्तारित तल में मिल जाती है।

इन सभी सीमाओं पर भूकम्पीय घटनाएँ व ज्वालामुखी प्रक्रियाएँ आज भी जारी है। जिससे सिद्ध होता है कि इस प्लेट में संचलन जारी है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर महा‌द्वीप फैले हुए हैं?

a. 25

b. 35

c. 29

d. 27

2. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत कब प्रस्तावित किया गया?

a. 1910

b. 1912

c. 1920

d. 1925

3. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के प्रतिपादक कौन थे?

a. लोथियन ग्रीन

b. अल्फ्रेड वेगनर

c. आर्थर होम्स

d. जैफ्रे

4. प्लेट विवर्तनिकी का प्रतिपादन किसने किया?

a. मोर्गन ने

b. मैकेंजी ने

c. पारकर ने

d. इनमें से सभी

5. निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की?

a. अल्फ्रेड वेगनर

b. अब्राहम आरटेलियस

c. एनटोनियो पेलग्रिनी

d. एडमंड हस

6. दक्षिणी तथा उत्तरी अमेरिका और यूरोप तथा अफ्रीका के आपस में जुड़े होने की संभावना सर्वप्रथम कब प्रकट की?

a. 1596 ई.

b. 1496 ई.

c. 1396 ई.

d. 1296 ई.

7. कार्बोनिफेरस युग में समस्त स्थल भाग एक रूप में जुड़े हुए थे, इसे किंस से जाना जाता था?

a. लॉरेसिया

b. गोंडवानालैंड

c. अंगारालैंड

d. पैजिया

8. पैजिया के चारो ओर फैले महासागर किस नाम से जाने जाते थे?

a. पैंथालासा

b. महासागरीय कटक

c. प्रशांत महासागरीय

d. टेथिस सागर

9. पैंजिया कब दो भागों में टूटकर अलग हुआ?

a. 10 करोड़ वर्ष पूर्व

b. 50 करोड वर्ष पूर्व

c. 20 करोड़ वर्ष पूर्व

d. 25 करोड़ वर्ष पूर्व

10. पैजिया का विभाजन दो बड़े महाद्वीपीय पिंडों के रूप में हुआ, इनमें से उतरी भूखंड किस नाम से जाने जाते हैं?

a. गोंडवानालैंड

b. यूरेशिया

c. इंडोऑस्ट्रेलिया

d. लारेशिया

11. पैंजिया के दो भागों में विखंडन के बाद दक्षिणी भाग किस नाम से जाना जाता था?

a. लॉरेशिया

b. इंडोऑस्ट्रेलियन प्लेट

c. गोंडवानालैंड

d. यूरेशिया

12. इनमें से कौन महाद्वीप गोंडवाना लैंड का भाग है?

a. यूरोप

b. उत्तरी अमेरिका

c. ऑस्ट्रेलिया

d. इनमें से कोई नहीं

13. किस विधि से महासागरों के पार महाद्वीपों की चट्टानों के निर्माण के समय को सरलता से जाना जा सकता है?

a. रेडियोमेट्रिक काल निर्धारण

b. कार्बन 14 पद्धति

c. इनमें से दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

14. हिमानी निछेप से निर्मित अवसादी चट्टानें क्या कहलाती है?

a. हिमोढ़

b. टिलाइट

c. हिमनद

d. हिमसर्क

15. वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन के लिए कौन-सा बल को उत्तरदायी माना?

a. पोलर फ्लीइंग बल

b. ज्वारीय बल

c. इनमें से दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

16. पोलर फ्लीइंग या ध्रुवीय बल किससे संबंधित है?

a. गुरुत्वाकर्षण बल

b. पृथ्वी की घूर्णन से

c. ज्वारीय बल।

d. इनमें से कोई नहीं

17. सूर्य और चंद्रमा के आकर्षण से प्रभावित होकर महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं, उसे किस नाम से जाना जाता है?

a. तनाव बल

b. संपीडन बल

c. ज्वारीय बल

d. इनमें से कोई नहीं

18. संवहन धारा सिद्धांत का संबंध निम्न में से किस विद्वान से है?

a. बुलाड

b. आर्थर होम्स

c. वेगनर

d. हेस

19. "महासागरीय अधस्तल विस्तार" सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?

a. वेगनर ने

b. लोथियन ग्रीन ने

c. ऑथर होम्स ने

d. हेस ने

20. सागरीय अधस्तल विस्तार सिद्धांत की व्याख्या करते हए हेस ने निम्न में से किस अवधारणा पर विचार नहीं किया?

a. मध्य महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ।

b. महासागरीय नित्तल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुंबकत्व क्षेत्र की पट्टियों का होना।

c. विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण।

d. महासागरीय तल की चट्टानों की आयु।

21. 'रिंग ऑफ़ द फायर' किस सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र को कहा जाता है?

a. हिंद महासागरीय क्षेत्र

b. मध्य अटलांटिक क्षेत्र

c. परिप्रशांत महासागरीय क्षेत्र

d. इनमें से कोई नहीं

22. ठोस चड्नान का विशाल एवं अनियमित आकार का खंड जो महाद्वीपीय एवं महासागरीय स्थल मंडलों से मिलकर बना है, उसे क्या कहते हैं?

a. प्लेट

b. मैंटल

c. भूपर्पटी

d. इनमें से कोई नहीं

23. जिन प्लेट का अधिकांश भाग महासागरीय क्षेत्र होता है, उसे कौन-सा प्लेट कहते हैं?

a. महासागरीय प्लेट

b. महाद्वीपीय प्लेट

c. भूपर्पटी प्लेट

d. इनमें से कोई नहीं

24. इनमें से कौन-सा महासागरीय प्लेट है?

a. यूरेशियन प्लेट

b. प्रशांत प्लेट

c. अमेरिकी प्लेट

d. अफ्रीकी प्लेट

25. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल कितने मुख्य प्लेट में विभक्त है?

a. 10

b. 7

c. 6

d. 20

26. 1967 ईस्वी में मैक्कैन्जी (Mckenzie) पारकर (Parker) और मोरगन (Morgan) ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर कौन-सी अवधारणा प्रस्तुत की?

a. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत

b. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत

c. सागरीय अधस्तल विस्तार अवधारणा

d. इनमें से कोई नहीं

27. स्थलमंडल के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है?

a. ऊपरी मैंटल एवं निचला मैंटल

b. भूपर्पटी एवं ऊपरी मैंटल

c. निचला मैंटल और क्रोड।

d. ऊपरी मैटल और क्रोड

28. स्थलमंडल की मोटाई महाद्वीपीय भागों में लगभग कितनी है?

a. 50 किलोमीटर

b. 200 किलोमीटर

c. 300 किलोमीटर

d. 400 किलोमीटर

29. प्लेट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?

a. हैरी हेस ने

b. मैकेंजी ने

c. टुजो विल्सन ने

d. मोर्गन ने

30. इनमें से कौन मुख्य प्लेट नहीं है?

a अंटार्कटिक प्लेट

b. उत्तरी अमेरिकी प्लेट

c. प्रशांत महासागरीय प्लेट

d. कोकोस प्लेट

31. इनमें से कौन लघु प्लेट के अंतर्गत नहीं आते हैं?

a. फिलीपीन प्लेट

b. अरब प्लेट

c. इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट

d. फिलीपीन प्लेट

32. यूरेशियन प्लेट किस प्रकार के प्लेट का उदाहरण है?

a. महाद्वीपीय

b. महासागरीय

c. इनमें से दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

33. जब दो प्लेट एक दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती है और नई पर्पटी का निर्माण होता है, उसे क्या कहते हैं?

a. अपसारी

b. अभिसारी

c. रूपातर

d. इनमें से कोई नहीं

34. पृथ्वी का सबसे बड़ा मुख्य प्लेट का नाम बताएं?

a. इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट

b. यूरेशियन प्लेट

c. उत्तरी अमेरिकन प्लेट

d. दक्षिणी अमेरिकन प्लेट

35. वह स्थान जहाँ से प्लेट एक दूसरे से दूर हटती है, इन्हें क्या कहा जाता है?

a. प्रसारी स्थान

b. प्रविष्ठन क्षेत्र

c. केंद्रक

d. इनमें से कोई नहीं

36. एक प्लेट जहाँ दूसरे प्लेट के नीचे धँसती है और भूपर्पटी नष्ट होती है, वह क्या कहलाता है?

a. अभिसरण सीमा

b. अपसारी सीमा

c. प्रसार सीमा

d. इनमें से कोई नहीं

37. रूपांतरण सीमा की विशेषता है कि जहाँ-

a. भूर्पटी का निर्माण और विनाश दोनों का नहीं होना

b. नई भूर्पटी का निर्माण होना

c. भूर्पटी का विनाश होना

d. इनमें से कोई नहीं

38. रूपांतरण सीमा में प्लेट एक दूसरे के साथ-साथ किस दिशा में सरक जाती है?

a. लंबवत

b. क्षैतिज

c. आडे- तिरछे।

d. इनमें से कोई नहीं

39. अंटार्कटिक कटक की प्लेट प्रवाह दर कितनी है?

a. 2.5 सेंटीमीटर

b. 5 सेंटीमीटर

c. 10 सेंटीमीटर।

d. 1 सेंटीमीटर

40. वर्तमान हिमालय पर्वत की उत्पत्ति का संबंध किस सागर से है?

a. आर्कटिक सागर

b. अरब सागर

c. टेथिस सागर

d. भूमध्य सागर

41. लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले जब पैंजिया विभक्त हुआ तब भारत किस दिशा की ओर खिसकना आरंभ हुआ?

a. पूरब

b. पश्चिम

c. उत्तर

d. दक्षिण

42. लगभग चार से पाँच करोड़ वर्ष पहले भारत यूरेशिया से टकराया इसके परिणाम स्वरुप किसका उत्थान हुआ?

a. रॉकी पर्वत

b. हिमालय पर्वत

c. अरावली पर्वत

d. नीलगिरी पर्वत

43. भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट की तरफ प्रवाह के दौरान लावा प्रवाह हुआ, जिससे किसका निर्माण हुआ?

a. उत्तर भारत का मैदान

b. दक्कन ट्रैप

c. थार का मरुस्थल

d. इनमें से कोई नहीं

44. भारत किस प्राचीन भूखंड का एक भाग है?

a. यूरेशिया

b. अंगारा लैंड

c. गोंडवाना लैंड

d. इनमें से कोई नहीं

45. एशिया एवं यूरोप के प्राचीन स्थलखंड को किस नाम से जानते हैं?

a. लॉरेसिया

b. इंडो ऑस्ट्रेलिया

c. यूरेशिया

d. इनमें से कोई नहीं

46. प्रायद्वीपीय भारत और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीपीय भाग सम्मिलित रूप से कौन है?

a. भारतीय प्लेट

b. अमेरिकन प्लेट

c. लॉरेसिया

d. इनमें से कोई नहीं

47. भारतीय प्लेट का हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ पाया जाने वाला प्रविष्ठन क्षेत्र भारत के उत्तरी सीमा निर्धारित करता है, यह अभिसरण का कौन-सा रूप है?

a. महाद्वीपीय और महाद्वीपीय प्लेट

b. महाद्वीपीय और महासागरीय प्लेट

c. महासागरीय और महासागरीय प्लेट

d. इनमें से कोई नहीं

48. सुनामी शब्द की उत्पत्ति कहाँ हुई?

a. जापान से

b. फ्रेंच से

c. लैटिन से

d. पुर्तगाल से

49. वेगनर कहाँ के प्रसिद्ध मौसमवेत्ता थे?

a. फ्रांस

b. जर्मनी

c. ब्रिटेन

d. स्पेन

50. कोलंबस ने अमेरिका की खोज कब की थी?

a. 1492 ई.

b. 1498 ई

c. 1513 ई

d. 1519 ई

51. विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी कौन है?

a. एटना

b. क्राकाटोवा

c. अन्टॉफाला

d. फ्यूजी यामा

52. ज्वालामुखी का ऊपरी भाग जहाँ से लावा निकलता है, वह क्या कहलाता है?

a. क्रेटर

b. काल्डेरा

c. गर्त

d. इनमें से कोई नहीं

53. माउंट एटना सक्रिय ज्वालामुखी किस महा‌द्वीप पर है?

a. सिसली

b. कोस्रिका

c. लिपरी

d. इनमें से कोई नहीं

54. 'रिंग ऑफ फायर' इनमें से किसे कहा जाता है?

a. मध्य महाद्वीपीय पेटी

b. हिंद महासागरीय पेटी

c. परि प्रशांत महासागरीय पेटी

d. अटलांटिक महासागरीय पेटी

55. ईस्टर द्वीप के निकट पूर्वी प्रशांत महासागरीय उभार, जो चिल्ली से 3400 किलोमीटर पश्चिम की ओर दक्षिण प्रशांत महासागर में है, इसकी प्रवाह दर सर्वाधिक कितना है?

a. 5 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष से भी अधिक

b. 2 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष

c. 1 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष.

d. 0.5 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष

56. निम्न में से कौन महा‌द्वीप लारेशिया का भाग था?

a. एशिया

b. ऑस्ट्रेलिया

c. दक्षिण अफ्रीका

d. दक्षिण अमेरिका

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने और कब किया?

उत्तरः जर्मन मौसमविद् अल्फ्रेड वेगनर ने 1912 ई में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

2. पैंजिया एवं पैंथालासा क्या है?

उत्तरः पैंजिया :- आज के सभी महाद्वीप एक ही भूखंड के भाग थे, जिसे पैंजिया कहा गया।

पैंथालासा :- पैंजिया के चारों और विस्तृत विशाल सागर को पैंथालासा कहा गया।

3. मध्य महासागरीय कटक क्या है?

उत्तरः मध्य महासागरीय कटक, अटलांटिक महासागर के मध्य में उत्तर से दक्षिण तक आपस में जुड़े हए पर्वतों की श्रृंखला है, जो महासागरीय जल में डुबौ हुई है।

4. रिंग ऑफ फायर किसे कहते है?

उत्तरः प्रशान्त महासागर के किनारे पर सक्रिय ज्वालामुखियों की श्रृंखला पायी जाती है। जिसे रिंग ऑफ फायर या अग्नि वलय कहते हैं।

5. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में प्लेट से क्या तात्पर्य है?

उत्तरः महाद्वीपीय एवं महासागरीय स्थलखंडों से मिलकर बना, ठोस व अनियमित आकार का विशाल भू-खंड जो एक दृढ़ इकाई के रुप में है, प्लेट कहलाती है।

6. प्लेसर निक्षेप से क्या तात्पर्य है?

उत्तरः नदियों की तली में खनिजों का अवसाद के रूप में निक्षेपण प्लेसर निक्षेप कहे जाते हैं। इनके अन्तर्गत नदियों की तली में सोने के भी निक्षेप मिलते हैं।

7. टिलाइट से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः टिलाइट वे अवसादी चट्टाने हैं, जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती है। गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में टिलाइट पाये जाते है। इसी क्रम के प्रतिरूप भारत के दक्षिणीगोलार्द्ध में अफ्रीका, फ़ॉकलैंड दवीप मेडागास्कर, अंटार्कटिका और आस्ट्रेलिया में भी मिलते हैं।

8. लैमूरिया से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः लैमूर प्रजाति के जीवाश्म भारत, मैडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने इन तीनों खण्डों को जोड़कर एक सतत् स्थलखण्ड की उपस्थिति को स्वीकारा है, जिसे लैमूरिया कहते हैं।

9. दक्षिणी तथा उत्तरी अमेरिका और यूरोप तथा अफ्रीका के आपस में जुड़े होने की मानचित्र सर्वप्रथम किसने बनाया?

उत्तरः एंटोनियो पैलेग्रीनी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वैगनर ने किन बलों का उल्लेख किया?

उत्तरः वेगनर के अनुसार महाद्वीप विस्थापन के लिए दो बल उत्तरदायी हैं -

क. पोलर या ध्रुवीय फ्लीइंग बल- ध्रुवीय फ्लीइंग बल पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। पृथ्वी की आकृति एक संपूर्ण गोले जैसे नहीं बल्कि भूमध्य रेखा पर उभरी हुई है। यह उभार पृथ्वी के घूर्णन के कारण है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण महाद्वीप अपने स्थान से खिसक गये।

ख. ज्वारीय बल- ज्वारीय बल सूर्य व चन्द्रमा के आकर्षण से संबंधित है। इस आकर्षण बल के कारण महाद्वीपीय खण्डों का विस्थापन हो सकता है।

2. भूकम्प व ज्वालामुखी का विश्व में वितरण स्पष्ट करें?

उत्तरः भूकम्प व ज्वालामुखी की मुख्य तीन पेटियाँ निम्नलिखित है-

अटलांटिक महासागर के मध्यवर्ती भाग में तटरेखा के समान्तर भूकम्प एवं ज्वालामुखी की एक श्रृंखला है, जो आगे हिंद महासागर तक जाती है।

दूसरा क्षेत्र अल्पाइन से हिमालय श्रेणियों और प्रशान्त महासागरीय किनारों के समरूप हैं।

तीसरा क्षेत्र प्रशान्त महासागर के किनारे एक वलय के रूप में है, जिसे (Ring of Fire) भी कहा जाता है।

3. मैंटल में संवहन धाराओं के आरंभ होने और बने रहने के क्या कारण है?

उत्तरः 1930 के दशक में आर्थर होम्स ने मैंटल भाग में संवहन धाराओं के प्रवाह की संभावना व्यक्त की थी, जिसका बाद में हेस ने समर्थन किया। इस सिद्धान्त के अनुसार भूगर्भ में तापमान में अन्तर पाया जाता है। पृथ्वी के भीतर ताप उत्पत्ति के दो माध्यम हैं: रेडियोधर्मी तत्वों का क्षय और अवशिष्ट ताप।

भूगर्भ का उष्ण पदार्थ धरातल पर पहुँचता है, ठंडा होता है, फिर गहराई में जाकर नष्ट हो जाता है। यही चक्र बार-बार दोहराया जाता है। संवहन धारा इस तरह लगातार बने रहते हैं, वैज्ञानिक इसे संवहन प्रवाह कहते हैं।

4. दक्कन टैप के निर्माण के दौरान भारतीय स्थल खंड की स्थिति क्या थी?

उत्तरः भारतीय उपमहाद्वीप लगभग 14 करोड़ वर्ष पूर्व सुदूर दक्षिण में 50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर स्थित था। इंडो ऑस्ट्रेलिया प्लेट और यूरेशिया प्लेट के बीच में टेथिस सागर स्थित था। कालांतर में भारतीय प्लेट जब यूरेशियन प्लेट की तरफ प्रवाहित हुआ। उस समय लावा के प्रवाह से दक्कन ट्रैप का निर्माण हआ। यह घटना लगभग 6 करोड़ वर्ष पहले आरंभ हऔं और एक लंबे समय तक जारी रहा। यह उपमहादेवीप तब भूमध्य रेखा के निकट था। लगभग चार करोड़ वर्ष पहले और इसके पश्चात हिमालय की उत्पत्ति आरंभ हुई। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और हिमालय की ऊँचाई बढ़ रही है।

5. प्लेट प्रवाह की दर कैसे निर्धारित होती है?

उत्तरः सामान्य व उत्क्रमण चुंबकीय क्षेत्र की पट्टियाँ जो मध्य महासागरीय कटक के समानांतर है, प्लेट प्रवाह की दर समझने में वैज्ञानिकों के लिए सहायक सिद्ध हुए। प्रवाह की दरें बहत भिन्न है। आर्कटिक कटक की प्रवाह दर सबसे कम 2.5 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष से भी कम है। ईस्टर दवीप के निकट पूर्वी प्रशांत महासागरीय उभार जो चिली से 3400 किलोमीटर पश्चिम की ओर दक्षिण प्रशांत महासागर में है, इसकी प्रवाह दर सबसे अधिक है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की व्याख्या करें। इसके पक्ष में दिए गए प्रमाणों का वर्णन करें।

उत्तरः वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के अनुसार कार्बनीफेरस युग में सभी स्थल एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। इस विशाल स्थलीय भाग को पैंजिया नाम दिया। वैगनर का विचार था कि पैंजिया के कुछ भाग भूमध्य रेखा की ओर खिसकने लगे। यह प्रक्रिया आज से लगभग 30 करोड़ वर्ष पूर्व अंतिम कार्बनीफेरस युग में आरम्भ हुई। लगभग 5-6 करोड़ वर्ष पूर्व प्लीस्टोसीन युग में महाद्वीपों ने वर्तमान स्थिति के अनुरुप लगभग मिलता-जुलता आकार धारण कर लिया था।

महाद्वीपीय विस्थापन के पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण दिये जा सकते हैं-

क. महाद्वीपों में साम्यता- महाद्वीपों की सीमाओं (Boundries) में एकरूपता (zig-saw-fit) दिखाई देती है। उत्तरी अमेरका व दक्षिणी अमेरिका को यूरोप व अफ्रीका की सीमाओं से मिलाया जाए, तो महाद्वीप आपस में बिल्कुल मिलकर फिट हो जाते हैं। यदि हम महाद्वीपों के आकार को ध्यान से देखें तो पायेंगे कि इनके आमने-सामने की तट रेखाओं में अद्भुत साम्य दिखता है।

ख. महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता- वर्तमान में जो दो महाद्वीप एक दूसरे से दूर हैं, उनकी चट्टानों की आयु में समानता मिलती है उदाहरण के तौर पर 200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूहों की एक पट्टी ब्राजील तट (दक्षिणी अमेरिका) और प. अफ्रीका के तट पर मिलती है। इससे यह पता चलता है कि दोनों महाद्वीप प्राचीन काल में साथ-साथ थे।

ग. टिलाइट- हिमानी निक्षेपण से निर्मित अवसादी चट्टानें टिलाइट कहलाते हैं। ऐसे निक्षेपों के प्रतिरूप दक्षिणी गोलार्द्ध के छः विभिन्न स्थल खंडों में मिलते हैं। जो इनके प्राचीन काल में साथ होने का प्रमाण हैं।

घ. प्लेसर निक्षेप- सोना युक्त शिरायें ब्राजील में पायी जाती हैं जबकि प्लेसर निक्षेप घाना में मिलते हैं। इससे यह प्रमाणित होता है कि द. अमेरिका व अफ्रीका कभी एक जगह थे।

ड. जीवाश्मों का वितरण- कुछ महाद्वीपों पर ऐसे जीवों के अवशेष मिलते हैं, जो वर्तमान में उस स्थान पर नहीं पाये जाते हैं। लैमूर नमक जीव भारत, मेडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं कुछ वैज्ञानिकों ने इन तीनों स्थल को जोड़कर एक सतत स्थल खंड लेमुरिया की उपस्थिति को स्वीकार है परंतु आज के अलग-अलग जगह पर पाए जाते हैं। मेसोसारस नमक छोटे जीव केवल उथले पानी में ही रह सकते थे, उनकी अस्थियाँ केवल दक्षिण अफ्रीका के दक्षिणी केप प्रांत और ब्राजील में ही मिलते हैं। यह दोनों ही स्थान आज एक दूसरे से 4800 किलोमीटर की दूरी पर है और उनके बीच में एक महासागर विद्यमान है।

उपयुक्त तथ्यों से वैगनर ने सभी महाद्वीप के एक साथ जुड़े होने का प्रमाण दिया।

2. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए। अपसारी सीमा, अभिसरण सीमा एवं रूपांतर सीमा को स्पष्ट करें।

उत्तरः सन् 1967 में मैक्केन्जी, पारकर और मोरगन ने प्लेट विवर्तनिकी की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार पृथ्वी का स्थल मंडल सात मुख्य प्लेटों एवं कुछ छोटी प्लेटों में बँटा हुआ है। ये प्लेटें दुर्बलतामंडल पर दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं। भू-वैज्ञानिक इतिहास में सभी प्लेट गतिमान रही है और भविष्य में भी गतिमान रहेगी। प्लेट संचरण के फलस्वरुप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ बनती है -

क. अपसारी सीमा

ख. अभिसरण सीमा एवं

ग. रूपांतर सीमा

क. अपसारी सीमा - इसमें दो प्लेटें एक दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं और नई पर्पटी का निर्माण होता है। वह स्थान जहाँ से प्लेट एक दूसरे से दूर हटती है, इन्हें प्रसारी स्थान कहा जाता है। उदाहरण: मध्य अटलांटिक कटक।

ख. अभिसरण सीमा - इसमें दो प्लेटें एक दूसरे के समीप आती हैं। एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है और वहाँ भूपर्पटी नष्ट होती है। वह स्थान जहाँ प्लेट धंसती है इसे प्रविष्टन क्षेत्र (Subduction zone) भी कहा जाता है। उदाहरण प्रशान्त महासागरीय प्लेट एवं अमेरिकी प्लेट।

ग. रूपांतर सीमा विर्वतनिक प्लेटें जब एक दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती है, किंत् नई पर्पटी का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश होता है। इस तरह की सीमा को रुपांतर सीमा कहते हैं।

3. महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत की प्रमुख खोज क्या है, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर व महाद्वीपीय वितरण के अध्ययन में पुनः रुचि ली?

उत्तरः महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत वैज्ञानिकों को कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ उपलब्ध हुई, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर व महाद्वीपीय वितरण के अध्ययन में पुनः रुचि ली, जो निम्नलिखित हैं -

क. सागरीय अधः स्तल के विकास की परिकल्पना- 1961 में हेनरी हेस ने सागरीय अधः स्तल के विकास की परिकल्पना प्रस्तुत की। ऐसा उन्होंने मध्यसागरीय कटकों के दोनों ओर की चट्टानों के चुंबकीय गुणों के विश्लेषण के आधार पर बताया। हँस के अनुसार, महासागरीय कटकों के शीर्ष पर निरंतर, ज्वालामुखी उद्भेदन से महासागरीय पर्पटी में विभेदन हुआ एवं नवीन लावा इस दरार को भरकर महासागरीय पर्पटी को दोनों ओर धकेल रहा है। इस तरह महासागरीय अधः स्तल का विस्तार हो रहा है।

महासागरीय पर्पटी का अपेक्षाकृत नवीनतम होना तथा साथ ही एक महासागर में विस्तार से दूसरे महासागर के न सिकुड़ने पर, हेस न महासागरीय पर्पटी के क्षेपण (विनाश) होने की बात कही। उनके अनुसार, अगर मध्य महासागरीय कटक में ज्वालामुखी उद्‌गार से नवीन पर्पटी की रचना होती है, तो दूसरी ओर महासागरीय गर्तों में पर्पटी का विनाश होता है।

महासागरीय अधस्तल के उच्चावच संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियाँ-

 महासागरीय धरातल पर जलमग्न पर्वत, कटकें तथा गहरी खाईयाँ है, जो महाद्वीपों के किनारों पर स्थित हैं।

 मध्य महासागरीय कटक ज्वालामु‌खी उद्‌गार के रूप में सर्वाधिक सक्रिय पायी गई है।

 महासागरीय पर्पटी की चट्टानों के काल निर्धारण ने यह तथ्य साफ कर दिया है कि महासागरों के नितल की चट्टाने 20 करोड़ वर्ष पुरानी हैं जबकि महाद्वीपीय हिस्सों में पायी जाने वाली कुछ पुरातन चट्टानें 300 करोड़ वर्ष पुरानी हैं।

 महासागरीय कटक के दोनों ओर की चट्टानें जो कटक से समान दूरी पर स्थित हैं, उनकी आयु तथा संरचना में भी आश्चर्य जनक समानता पाई गई है।

ख. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत- सन् 1967 में मैक्केन्जी, पारकर और मोरगन ने प्लेट विवर्तनिकी की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार पृथ्वी का स्थल मंडल सात मुख्य प्लेटों एवं कुछ छोटी प्लेटों में बॅटा हुआ है। ये प्लेटें दुर्बलतामंडल पर दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं। भू- वैज्ञानिक इतिहास में सभी प्लेट गतिमान रही है और भविष्य में भी गतिमान रहेगी। प्लेट संचरण के फलस्वरुप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ बनती है -

• अपसारी सीमा

• अभिसरण सीमा एवं

• रूपांतर सीमा

प्लेट गतिशील होती है जिनके कारण उन पर स्थित महाद्वीप एवं महासागरें भी विस्थापित होते हैं। इन प्लेटों की सीमाओं में नवीन वलित पर्वत श्रेणियों, खाई, और भ्रंश आदि हैं। इन गतिशील प्लेटों के किनारों के ही सहारे ज्वालामुखी उद्‌गार भूकंप आदि आकस्मिक घटनाएँ होती हैं।

ग. संवहन धारा सिद्धांत- शताब्दी के आरम्भिक चरण में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त को स्वीकार करने में सबसे बड़ी चुनौती यह थी, कि विद्वान यह नहीं समझ पा रहे थे कि सियाल के बने हुए महाद्वीप सीमा पर कैसे विस्थापित हो जाते हैं। आर्थर होम्स ने सन् 1928 ई. में बताया कि भूगर्भ में तापमान में अंतर होने के कारण संवहनीय धाराएँ चलती हैं जो प्लेटों को गति प्रदान करती हैं। इस प्रकार प्लेटें सदा गतिशील रहती हैं और महाद्वीपों में विस्थापन पैदा करती हैं।

3. वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त एवं प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में मूलभूत अंतर बताइए।

उत्तरः वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त एवं प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में मूलभूत अंतर निम्नलिखित हैं-

 वेगनर की संकल्पना केवल महाद्वीपों को गतिमान बतलाती है, जबकि महा‌द्वीप एक स्थलमंडलीय प्लेट का हिस्सा है और संपूर्ण प्लेट गतिमान होती है। प्लेट विचरण करती है यह आज एक अकाट्य तथ्य है। ऐसा माना जाता है की दृढ़ प्लेट के नीचे गतिमान चट्टानें वृताकार रूप में चल रही है। उष्ण या गरम पदार्थ धरातल पर पहुँचते हैं, फैलते हैं, और फिर धीरे-धीरे ठंडा होकर गहराई में जाकर नष्ट हो जाते है।

 वेगनर के अनुसार शुरू में सभी महादवीप पैंजिया के रूप में मौजूद थे, जबकि बाद की खोजों से साबित हुआ कि महाद्वीपीय खण्ड सात मुख्य प्लेट व कुछ छोटी प्लेट में विभक्त है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियों, खाईयाँ और भंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं। प्लेट भू-वैज्ञानिक काल पर्यन्त गतिमान थे, पैंजिया विभिन्न महाद्वीपीय खण्डों के अभिसरण (पास आने) से बना था और यह प्रक्रिया प्लेटों में निरंतर चलती रहती है।

 वेगनर का सिद्धान्त महासागरों की तली की चट्टानों की नवीनता तथा मध्य महासागरीय कटकों की उपस्थिति की व्याख्या नहीं कर पाता। जबकि प्लेट विवर्तनिकी के द्वारा इसकी व्याख्या संभव है।

 वेगनर का सिद्धान्त महाद्वीपों के गतिमान होने के लिये ध्रुवीय फ्लीइंगबल तथा ज्वारीय बल को उत्तरदायी माना था। जबकि ये दोनों बल महाद्वीपों को सरकाने में असमर्थ थे। प्लेटों की गति का कारण दुर्बलता मंडल में चलने वाली संवहनीय धाराएँ हैं, पृथ्वी के भीतर ताप उत्पत्ति के दो माध्यम है- रेडियोधर्मी तत्वों का क्षय और अवशिष्ट ताप। आर्थर होम्स ने 1930 में इस विचार को प्रतिपादित किया। संवहनीय धाराएँ से प्लेटें गतिमान रहती हैं।

                                                  

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय-सूची

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')

अध्याय सं.

अध्याय का नाम

1.

भूगोल एक विषय के रूप में

2.

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

3.

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

4.

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

5.

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

6.

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

7.

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

8.

सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

9.

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

10.

वायुमंडल में जल

11.

विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

12.

महासागरीय जल

13.

महासागरीय जल संचलन

14.

जैव विविधता एवं संरक्षण

भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब')

1.

भारत : स्थिति

2.

संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3.

अपवाह तंत्र

4.

जलवायु

5.

प्राकृतिक वनस्पति

6.

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर


खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)

2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)

4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)

6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)

8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)

9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)

10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)

11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)

13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}

14.  महासागरीय जल संचलन  (Movements of Ocean Water)

15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)

खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण

1. भारत-स्थिति (India Location)

2.  संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)

3. अपवाह तंत्र (Drainage System)

4. जलवायु (Climate)

5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

6. मृदा (Soils)

7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)

 

खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य

1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)

2. मानचित्र मापनी (Map Scale)

3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)

4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)

5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)

6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)

7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)

8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)

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