प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11
भूगोल (Geography)
3. अपवाह तंत्र (Drainage System)
पाठ के मुख्य बिंदु
☞ अपवाह : निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जलप्रवाह को अपवाह कहते हैं।
☞ अपवाह तंत्र :- निश्चित वाहिकाओं के जाल को अपवाह
तंत्र कहते हैं।
☞ किसी क्षेत्र का अपवाह तंत्र वहाँ के भू-वैज्ञानिक समयावधि
चट्टानों की प्रकृति एवं संरचना, स्थलाकृति ढाल, बहते जल की मात्रा और बहाव की
अवधि का परिणाम है।
☞ जलग्रहण: एक नदी विशिष्ट क्षेत्र में अपना जल बहाकर लाती है,
जिसे जलग्रहण क्षेत्र कहा जाता है।
☞ अपवाह द्रोणी : एक नदी और उसके सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र।
☞ जल विभाजक : एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा को जल
विभाजक कहते हैं।
☞ बड़ी नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र नदी द्रोणी।
☞ छोटी नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र-जल संभर।
मुख्य अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern)
☞ वृक्षाकार प्रतिरूप- नदियों अपने प्रवाह क्षेत्र में, पेड़ की शाखाओं के
तरह आकृति बनाती है जिसे वृक्षाकार प्रतिरूप कहते हैं। जैसे उतरी मैदान की नदियाँ।
☞ अरीय प्रतिरूप- जब नदियाँ पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती है
जैसे- अमरकंटक से निकलने वाली नदियाँ।
☞ जालीनुमा प्रवाह प्रतिरूप- जब मुख्य नदी एक दूसरे के समानांतर बहती हो तथा सहायक
नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती है।
☞ अभिकेन्द्रीय प्रतिरूप- सभी दिशाओं से आकर नदियाँ किसी झील, तालाब या गर्त में
विसर्जित होती है तो यह अभिकेन्द्रीय प्रतिरूप बनाती है।
भारतीय अपवाह तंत्र को समुद्र में जल विसर्जन के आधार पर
दो समूहों में बाँटा जा सकता है।
1. अरब सागर का अपवाह तंत्र और
2 . बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र
☞ इन अपवाह तंत्रों को दिल्ली कटक, अरावली एवं सह्याद्रि
अलग करते हैं।
☞ कुल अपवाह क्षेत्र का लगभग 77 प्रतिशत भाग में गंगा, ब्रह्मपुत्र,
महानदी, कृष्णा आदि नदियाँ।
☞ जबकि शेष 23 प्रतिशत क्षेत्र में सिन्धु, नर्मदा तापी
माही व पेरियार आदि नदियां। ये अपना जल अरब सागर में गिराती है।
☞ जल- संभर क्षेत्र के आकार के आधार पर अपवाह तन्त्रः-
1. प्रमुख नदी द्रोणी
2. मध्यम नदी द्रोणी
3. छोटी लघु नदी द्रोणी
☞ बड़ी नदी द्रोणी के अंतर्गत कुल 14 नदियाँ (गंगा,
ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, तापी, नर्मदा, माही, पेन्नार, साबरमती बराक आदि। इसके अपवाह
क्षेत्र 20000 वर्ग कि.मी. से अधिक है।
☞ मध्यम नदी द्रोणी का अपवाह क्षेत्र 2000 से 20000 वर्ग
कि.मी. तक है। इसमें कुल नदी 44 तथा मुख्य नदी कालिंदी, पेरियार, मेघना ऑदि।
☞ छोटी /लघु नदी द्रोणी का क्षेत्र 2000 वर्ग कि.मी. से
कम है। इनमें न्यून वर्षा क्षेत्र की नदियाँ सम्मिलत है।
☞ प्रायदवीपीय पठार की बड़ी नदियों का उदगम स्थल पश्चिमी
घाट है, और ये अपना जल बंगाल की खाड़ी में विसर्जित करती है।
☞ उद्गम के प्रकार, प्रकृति व विशेषताओं के आधार पर
भारतीय अपवाह तंत्र को दो भागों में रखा जाता है:-
1. हिमालयी अपवाह तंत्र और
2. प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र।
☞ हिमालयी अपवाह तंत्र: इसमें मुख्यतः सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी
द्रोणियाँ शामिल है। यहाँ की नदियाँ बारहमार्सी हैं क्योंकि ये बर्फ पिघलने व
वर्षण दोनों पर निर्भर है। ये गहरे महाखड्डों से गुजरती है, जो हिमालय उत्थान के
साथ साथ अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित है। कोसी नदी, जिसे बिहार का शोक कहते है,
अपना मार्ग बदलने के लिए कुख्यात रही है।
☞ भूवैज्ञानिक मानते हैं कि मायोसीन कल्प में (लगभग 2.4
करोड़ से 50 लाख वर्ष पहले) एक विशाल नदी जिसे शिवालिक या इंडो-ब्रह्म कहा गया है,
हिमालय के सम्पूर्ण अनुदैर्ध्य विस्तार के साथ असम से पंजाब तक बहती थी और अंत में
निचले पंजाब के पास सिंध की खाड़ी में अपना जल विसर्जित करती थी।
☞ ऐसा माना जाता है कि कालांतर में इंडो ब्रह्म नदी तीन
मुख्य अपवाह तंत्रों में बंट गई-
1. पश्चिम
में सिंध और इसकी पाँच सहायक नदियाँ।
2. मध्य में गंगा और हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक
नदियाँ।
3. पूर्व में ब्रह्मपुत्र का भाग व हिमालय से निकलने वाली
इसकी सहायक नदियाँ।
☞ मध्य
प्लीस्टोसीन काल में राजमहल की पहाड़ियां और मेघालय पठार के मध्य स्थित माल्दा गैप का अधोक्षेपन
हुआ, जिसमे गंगा और ब्रह्मपुत्र
नदी तंत्रों का दिक्परिवर्तन हुआ और वे बंगाल की खाड़ी की ओर प्रवाहित हुए।
हिमालयी अपवाह तंत्र :-
1. सिन्धु नदी तंत्र:- यह विश्व की सबसे बड़ी नदी तंत्र है, जिसका क्षेत्रफल
11 लाख 65 हजार वर्ग कि.मी. है। भारत में इसका कुल क्षेत्रफल 3,21,289 वर्ग कि.मी.
तथा कुल लम्बाई 2,880 कि.मी. है।
भारत में इसकी कुल लम्बाई 1,114 कि.मी. है। इसका उदगम तिब्बती क्षेत्र में कैलाश पर्वत
श्रेणी में बोखर च के निकट एक हिमनद से होता है जो 4,164 मी. की ऊँचाई पर स्थित है।
☞ तिब्बत
में सिन्धु नदी को सिंगी खंबन अथवा शेर मुख कहते हैं।
☞ लद्दाख
श्रेणी को काटते हए यह नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित के समीप एकै दर्शनीय महाखड्ड
का निर्माण करती है।
☞ सिन्धु
नदी पाकिस्तान में चिल्लाड के निकट दर्दिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है।
☞ सिन्धु
नदी की बहत सी सहायक नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती है। जैसे श्योक, गिलगित जास्कर
हंजा नुब्रा, शिगार, गास्टिंग व द्रास।
☞ सिन्धु
नदी अटक के पास पहाडियों से बाहर निकलती है जहाँ इसके दाहिने तट पर काबुल नदी इससे
मिलती है।
☞ सिन्धु
नदी के दाहिने तट पर मिलने वाले मुख्य सहायक नदियाँ खुर्रम, तोचि, गोमल, विबोआ और संगर
है। इन सभी नदियों का उद्गम सुलेमान श्रेणी से हुआ है।
☞ यह
नदी दक्षिण में बहती हुई मीथनकोट के निकट पंचनद का जल प्राप्त करती है।
☞ पंचनद
में पंजाब की पाँच मुख्य नदियों- सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम आती है।,
☞ भारत
में सिन्धु नदी जम्मू कश्मीर के मात्र लेह जिले में बहती है।
☞ सिन्धु
की मुख्य सहायक नदी झेलम का उदगम कश्मीर घाटी के दक्षिण पूर्वी भाग में पीर पंजाल गिरिपद
में स्थित वेरीनाग झरने से होता है।
☞ झेलम
पाकिस्तान में झंग के निकट चेनाब से मिलती है।
☞ चेनाब :- चेनाब, सिन्धु
की दूसरी मुख्य सहायक नदी है।
☞ ये
चंद्रा और भागा दो धाराओं के मिलने से बनती है। चंद्रा और भागा हिमाचल प्रदेश के केलांग
के निकट तांडी में आपस में मिलती है और यहाँ पर चन्द्रभागा कहलाती है।
☞ पाकिस्तान
में प्रवेश करने से पूर्व यह नदी 1,180 कि.मी. में बहती है।
☞ रावी : सिन्धु की एक
महत्वपूर्ण सहायक नदी है। इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश के कुल्लू पहाडियों में रोहतांग
दर्रे के पश्चिम से होता है।
☞ व्यास :- अन्य महत्वपूर्ण
सहायक नदी है। इसका उद्गम समुद्रतल से 4000 मी. की उंचाई पर रोहतांग दर्रे के
निकट व्यासकुंड से निकलती है।
☞ कुल्लू
घाटी से निकलती हुई यह धौलाधर श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती
है।
☞ पंजाब
के मैदान में प्रवेश के उपरांत यह हरिके के पास सतलुज से मिलती है।
☞ सतलुज
:- इसका उद्गम तिब्बत में 4,555 मी. की ऊँचाई पर मानसरोवर के निकट राक्षसताल से होता
है। इसे उद्गम स्थल पर लौंगचेन खम्बाब के नाम से जाना जाता है।
☞ सतलुज
नदी हिमालय पर्वत श्रेणी में शिपकीला से बहती हुई पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है।
☞ भाखड़ा
नंगल परियोजना के नहरतंत्र का पोषण करती है।
गंगा नदी तंत्र :-
☞ उदगम
:- गंगा नदी का उदगम उत्तराखंड राज्य के उतरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद
से 3900 मीटर की ऊँचाई से होती है।
☞ उद्गम
स्थल पर यह भागीरथी के नाम से जानी जानी जाती है।
☞ देवप्रयाग
में भागीरथी अलकनंदा से मिलने के बाद ही गंगा के नाम से जानी जाती है। अलकनंदा नदी
का स्रोत बद्रीनाथ के ऊपर सतोपथ हिमनद है।
धौलीगंगा + विष्णुगंगा = अलकनंदा।
धौलीगंगा, विष्णुगंगा से जोशीमठ या विष्णुप्रयाग में मिलती
है।
☞ प्रमुख संगम
देव प्रयाग - अलकनंदा
+ भागीरथी।
विष्णुगंगा - अलकनंदा + धौलीगंगा।
कर्णप्रयाग - अलकनंदा + पिंडार।
नन्दप्रयाग- अलकनंदा + नन्द ।
रुद्रप्रयाग - अलकनंदा + मंदाकिनी।
☞ गंगा
नदी हरिद्वार में मैदान में प्रवेश करती है। गंगा नदी का प्रवाह अंत में दो धाराओं
भागीरथी और हुगली में विभाजित हो जाती है।
☞ गंगा
नदी की कुल लम्बाई 2525 कि.मी., उतराखण्ड में 110 कि.मी., बिहार में 445 कि.मी., उत्तर
प्रदेश में 1450 कि.मी. तथा पश्चिम बंगाल में 520 कि.मी. क्षेत्र में बहती है।
☞ गंगा
नदी द्रोणी केवल भारत में लगभग 8.6 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्र में विस्तृत है। यह भारत
की सबसे लम्बी अपवाह तंत्र है। सोन इसके दाहिने तट पर बहने वाली प्रमुख सहायक नदी है।
☞ बाएं
तट की नदियों में रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक कोसी व महानंदा है। गंगा नदी अंततः बंगाल
की खाड़ी में सागर दवीप के निकट मिलती है।
☞ यमुना
नदी का उद्गम स्रोत यमुनोत्री है, जो हिमालय में बन्दरपूंछ श्रेणी की पश्चिमी ढॉल
पर 6,316 मी. की ऊँचाई पर स्थित है।
☞ यमुना
नदी का संगम गंगा में प्रयाग (इलाहाबाद) के निकट होता है।
☞ यमुना
की प्रमुख सहायक नदियों प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली चम्बल, सिंध, बेतवा, केन
(दायें तट की) हैं।
☞ बाएं
तट की हिंडन, रिंद, सेंगर, वरुणा आदि हैं।
☞ चम्बल
नदी मध्य प्रदेश के मलवा पठार में मह के निकट से निकलती है और उतरमुखी होकर एक महाखड्ड
से बहती हुई राजस्थान में कोंटा तक पहुँचती है।
☞ राजस्थान
में कोटा के निकट ही चम्बल पर गाँधी सागर बांध बनाया गया है। चम्बल अपनी उत्खात भूमि
स्थलाकृति के लिए प्रसिद्ध है जिसे चम्बल खड्ड कहा जाता है।
☞ गंडक
नदी दो धाराओं कालीगंडक और त्रिशूल गंगा के मिलने से बनती है। गंडक, नेपाल हिमालय में
धौलागिरी व माउन्ट एवरेस्ट के मध्य से निकलती है।
☞ गंडक
नदी पटना के निकट सोनपूर में गंगा से मिलती है।
☞ घाघरा :- इसका उद्गम मापचाचूंगा हिमनद से होती है। इसकी सहायक
नदियों तिला, सेती व बेरी है जिससे जलग्रहण के उपरांत शिशापानी में गहरे खड्ड का निर्माण
करते हुए पर्वत से बाहर निकलती है।
☞ शारदा
नदी घाघरा से मैदान में मिलकर छपरा में गंगा नदी में अंततः समा जाती है।
☞ कोसी - एक पूर्ववर्ती नदी के रूप में प्रवाहित होती है। इसका
स्रोत तिब्बत में माउन्ट एवरेस्ट के उत्तर में है। इसका मुख्य धारा अरुण है।
☞ नेपाल
में मध्य हिमालय को पार करने के बाद पश्चिम में सोन, कोसी और पूर्व में तुमुर कोसी
से मिलती है।
☞ अरुण
नदी से मिलकर यह सप्तकोसी कहलाती है।
☞ रामगंगा :- यह गैरुसेन के निकट गढ़वाल की श्रेणियों से
अपेक्षाकृत छोटी नदी के रूप में
बहती है। उतर प्रदेश के नजीबाबाद के निकट यह मैदान में और अंत में कनौज के निकट गंगा
में मिल जाती है।
☞ दामोदर नदी :- छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर बहती
है, और अंश घाटी से से बहती हुई हुगली नदी में गिरती है। इसकी मुख्य सहायक नदी बराकर
है। दामोदर को बंगाल का शोक कहा जाता है। इस पर दामोदर घाटी
निगम के नाम से बहुद्देशीय परियोजना
बनाया गया है।
☞ शारदा या सरयू नदी- उद्गम
नेपाल हिमालय में मिलाम हिमनद से यहाँ यह गौरीगंगा के नाम से जाना जाता है।
☞ भारत
नेपाल सीमा के पास इसे काली या चाईक के नाम से जानते हैं। यही घाघरा में मिल जाती है।
☞ गंगा
नदी की एक अन्य महत्वपूर्ण सहायक नदी महानंदा है, जो दार्जिलिंग पहाडियों से निकलती
है।
☞ महानंदा
गंगा के बांये तट पर (पश्चिम बंगाल के पास) मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है।
☞ सोन :- गंगा के दक्षिण या दायें तट पर एक बड़ी सहायक नदी है,
जो अमरकंटक पठार से निकलती है।
3.
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र :-
☞ यह विश्व की सबसे बड़ी नदियों
में से एक है। इसका उद्गम कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमायुंगडुंग
हिमनद से हुआ है। यह नदी पूर्व दिशा में अनुदैर्ध्य रूप में प्रवाहित होती है। तिब्बत
के शुष्क व समतल मैदान में लगभग 1200 कि.मी. की दूरी तय करती है जहाँ इसे सांग्पो कहा
जाता है जिसका अर्थ है, 'शोधक'। तिब्बत के रागोसांग्पो इसके दाहिने तट पर एक प्रमुख
सहायक नदी है।
☞ मध्य हिमालय में नमचा बरवा
(7,756 मी.) के निकट एक गहरे महाखड्ड का निर्माण करती हुई एक प्रछुब्ध या तेज बहाव
वाले नदी के रूप में बाहर निकलती है। हिमालय के गिरिपद में सिशंग या दिशंग के नाम से
निकलती है।
☞ अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र
नदी सादिया कस्बे के पश्चिम में प्रवेश करती है।
☞ इसके दायें तट की नदियों में
दिबांग या सिकाग और लोहित, इनसे मिलने के पश्चात ही यह नदी ब्रह्मपुत्र कहलाती है।
असम घाटी में यह 750 कि.मी. तक बहती है। इसके बाएं तट पर बूढी दिहांग और धनसिरी मानस
व संकोश है।
☞ सुबनसिरी जिसका उद्गम तिब्बत
में है एक पूर्ववर्ती नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर दक्षिण दिशा
में बहती हैं, और इसके पश्चात यह जमुना कहलाती है। अंत में पद्मा से मिलकर बंगाल की
खाड़ी में गिरती है।
प्रायद्वीपीय
अपवाह तंत्र
☞ यह हिमालयी अपवाह तंत्र से
प्राना है। नर्मदा और ताप्ती को छोड़कर अधिकतर प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम से पूर्व
की ओर बहती है। प्रायद्वीपीय भाग के उत्तर से निकलने वाली चंबल, सिंध, बेतवा, केन
व सोन आदि नदियाँ गंगा नदी तंत्र का अंग है। प्रायद्वीप के अन्य प्रमुख नदी तंत्र महानदी,
गोदावरी, कृष्णा और कावेरी है।
☞ उद् विकासः-
आरंभिक टर्शियरी काल के दौरान इसका उद् विकास हिमालय में होने वाले प्रोत्थान के कारण
हुआ है।
☞ प्रायद्वीपीय नदी तन्त्र-
महानदीः यह नदी छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के सिहावा के निकट से निकलती है और अपना जल
बंगाल की खाड़ी में विसर्जित करती है। इसकी लम्बाई 851 कि.मी. तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र
1. 42 लाख वर्ग कि.मी. है। इसके अपवाह द्रोणी के 53 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
में और 47 प्रतिशत ओड़िसा में है।
☞ गोदावरी:-
यह भारत की सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी तंत्र है, इसे दक्षिण गंगा भी कहते हैं। इसका
उदगम क्षेत्र महाराष्ट्र के नासिक जिले में है। इसकी लम्बाई 1465 कि.मी. है।
☞ इसका जलग्रहण क्षेत्र 3.13
लाख वर्ग कि.मी. है। इसकी मुख्य सहायक नदियों में पेनगंगा, इंद्रावती, प्राणहिता और
मांजरा है। पोलावरम के दक्षिण में यह एक सुदृश्य जलप्रपात की रचना करती है। रजामंदरी
के बाद यह नदी कई धाराओं में विभक्त
होकर एक वृहत् डेल्टा का निर्माण करती है।
☞ कृष्णा :- पूर्व दिशा में बहने वाली दूसरी बड़ी
प्रायद्वीपीय नदी है। जिसका उदगम
सह्याद्रि में महाबलेश्वर के निकट से होता है। इसकी कुल लम्बाई 1401 कि.मी. है। इसकी
प्रमुख सहायक नदीं कोयना, तुंगभद्रा और भीमा है। कृष्णा नदी के कुल जलसंग्रहण क्षेत्र
का 27 प्रतिशत महाराष्ट्र में, 44 प्रतिशत कर्नाटक में और 29 प्रतिशत आन्ध्रप्रदेश
में है।
☞ कावेरी नदी :- यह नदी कर्नाटक के कोगाडू या कुर्ग
जिले में ब्रह्मगिरी की पहडियों
से निकलती है। इसकी क्ल लम्बाई 800 कि.मी. है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ काबिनी, भवानी
और अमरावती है।
☞ नर्मदा नदी: इस नदी का उद्गम क्षेत्र अमरकंटक पठार के पश्चिमी पार्श्व से लगभग 1057 मी. की उँचाई से होती है।
सतपुड़ा और विंध्याचल के पास यह संगमरमर की चट्टानों से खुबसूरत महाखड्ड और जबलपुर
के निकट धुआंधार जलप्रपात बनाती है। भड़ोच के दक्षिण में यह अरब सागर में गिरती है।
☞ तापी नदी: यह नदी पश्चिम दिशा में बहने वाली एक
प्रमुख नदी है। इसका उद्गम मध्य प्रदेश के बेतुल जिले में मुलताई से निकलती है। जिसकी
लम्बाई 724 कि.मी. है। इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 65.145 वर्ग कि.मी. है।
☞ अरावली के पश्चिम में लूनी राजस्थान का सबसे बड़ा नदी तंत्र
है।
पश्चिम की ओर बहने वाली छोटी नदियां :-
☞ शेत्रूनिजीः- इसका उद्गम अमरावती जिले में डलकहवा से होती
है।
☞ भद्रा :- इसका उद्गम राजकोट जिले के अनियाली गांव के पास
से होती है।
☞ ढाढर नदी :- पंचनद जिले के घंटार गांव से इसका उद्गम होता
है।
☞ साबरमती और माही नदी गुजरात की दो प्रसिद्ध नदियाँ है।
☞ वैतरणी नदी :- नासिक जिले में त्रिम्बक पहाडियों में
670 मी. की ऊँचाई से होती है।
☞ कालिंदी :- बेलगांव जिले से निकलकर करवाड की खाड़ी में
बहती है।
☞ बेद्दती नदी :- हबली (धारवाड़) से 161 कि.मी. लम्बा मार्ग
में बहती है।
☞ शरावती नदी :- कर्नाटक की एक पश्चिम वाही नदी है
☞ इसका जलग्रहण क्षेत्र 2,209 वर्ग कि.मी. है। गोवा में दो
महत्वपूर्ण नदियाँ एक का नाम मांडवी और दूसरी जुआरी है।
☞ केरल की सबसे बड़ी नदी भरतपूजा अन्नामलाई पहाडियों से निकलती
है। यह पोनानी के नाम से भी जानी जाती है।
☞ पेरियार :- केरल की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। केरल की अन्य
उल्लेखनीय नदी पांबा है, जो उतरी केरल में 177 कि.मी. लम्बा मार्ग तय करती हुई वेम्बनाद झील में जा मिलती
है।
पूर्व की ओर बहने वाली नदी
☞ स्वर्णरेखा, बैतरनी, ब्राह्मणी, वामास्धारा, पेन्नार, पालार
और वैगई महत्वपूर्ण नदियाँ है।
☞ नदी की बहाव प्रकृति एक नदी के चैनल में वर्षपर्यन्त जलप्रवाह
के प्रारूप में बहती है।
☞ जल विसर्जन नदी में समयानुसार जल प्रवाह का माप है।
☞ इसे क्यूसेक (cusec) या क्युमैक्स में मापा जाता है।
☞ नर्मदा नदी में जल विसर्जन का स्तर जनवरी से जुलाई माह
तक बहुत कम रहता है किन्तु अगस्त में इस नदी का जल प्रवाह अधिकतम हो जाता है, तो यह
अचानक उफान पर आ जाती है।
☞ गोदावरी में न्यूनतम प्रवाह मई में और अधिकतम जुलाई- अगस्त
में होता है।
☞ पोलावरम में गोदावरी नदी का औसत अधिकतम विसर्जन 3,200 क्यूसेक
और न्यूनतम केवल 50 क्यूसेक होता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. उतरी मैदान की नदियाँ किस प्रकार के अपवाह
प्रतिरूप का निर्माण करती है?
a. वृक्षाकार प्रतिरूप
b. अरीय प्रतिरूप
c. जालीनुमा प्रतिरूप
d. अभिकेन्द्री प्रतिरूप
2. जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं
में प्रवाहित होती है, तो किस प्रकार का अपवाह प्रतिरूप का निर्माण करती है?
a. अरीय प्रतिरूप
b. जालीनुमा प्रतिरूप
c. अभिकेन्द्री प्रतिरूप
d. वृक्षाकार प्रतिरूप
3. जब सभी दिशाओं से आकर नदियाँ किसी झील या
गर्त में विसर्जित होती है, तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को किस नाम से जाना जाता है?
a. अभिकेन्द्री प्रतिरूप
b. अरीय प्रतिरूप
c. जालीनुमा प्रतिरूप
d. कोई नहीं
4. अपवाह द्रोणी किसे कहते हैं?
a. नदी व उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित
क्षेत्र
b. नदियाँ जहाँ समुद्रों में अंततः मिलती है, वह क्षेत्र
c. नदियों का उद्गम क्षेत्र
d. दो नदियों के संगम क्षेत्र
5. जल
विभाजक सम्बंधित है -
a. दो नदियों जहाँ आपस में मिलती है वह क्षेत्र
b. एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली
क्षेत्र
c. दो नदियों के बीच का क्षेत्र
d. इनमें से कोई नहीं
6. समुद्र में जल विसर्जन के आधार पर नदियों को कितने वर्गों में विभाजित
किया गया है?
a. दो
b.
तीन
c.
चार
d.
पाँच
7. जलसंभर क्षेत्र के आकार के आधार पर भारतीय अपवाह को कितने वर्गों
में बाँटा गया है?
a.
दो
b. तीन
c.
चार
d.
पाँच
8. प्रायद्वीपीय पठार की बड़ी नदियों का उद्गम क्षेत्र कहाँ है?
a. पश्चिमी घाट
b.
पूर्वी घाट
c.
हिमालय पर्वत
d.
उतरी मैदान
9. नर्मदा और ताप्ती दो बड़ी नदियाँ अपना जल विसर्जन कहाँ करती है?
a. अरब सागर
b.
बंगाल की खाड़ी
c.
रण ऑफ कच्छ
d.
कोई नहीं
10. इनमें से कौन सही नहीं है? सा कथन हिमालयी अपवाह के बारे में
a.
हिमालयी अपवाह की सभी नदियाँ बारहमासी है
b.
ये नदियों गहरे महाखड्डों (Gorges) से गुजरती है
c. इन नदियों का प्रवाह बहुत छोटी होता है
d.
ये सभी नदियाँ अपना मुहाना बंगाल की खाड़ी में बनाती है
11. बिहार का शोक किस नदी को कहा जाता है?
a.
गंगा
b.
गंडक
c. कोसी
d.
फल्गु
12. मायोसीन कल्प में एक विशाल नदी, हिमालय के सम्पूर्ण अनुदैर्ध्य
विस्तार के साथ असम से पंजाब तक बहती थी, जिसे किस नाम से जानी जाती थी?
a. इंडो ब्रह्म
b.
सुवास्तु
c.
दृषद्वती
d.
सदानीरा
13. माल्दा गैप किन दो पहाड़ियों के बीच स्थित है?
a. राजमहल पहाड़ीऔर मेघालय पठार
b.
अरावली और सतपुड़ा पहाड़ी
c.
मलवा पठार और शिलोंग की पहाड़ी
d.
कोई नहीं
14. विश्व की सबसे बड़ी नदी द्रोणी है-
a.
सिन्धु नदी द्रोणी
b. गंगा नदी द्रोणी
c.
ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणी
d.
कोई नहीं
15. सिन्धु नदी द्रोणी की कुल लम्बाई कितनी है?
a.
2400 कि.मी.
b. 2880 कि.मी.
c.
2140 कि.मी.
d.
कोई नहीं
16. भारत में सिन्धु नदी तंत्र का क्षेत्रफल कितना है?
a. 3,21,289 वर्ग कि.मी.
b.
2,00,395 वर्ग कि.मी.
c.
3,50,112 वर्ग कि.मी.
d.
कोई नहीं
17. सिन्धु नदी का उद्गम क्षेत्र कहाँ से है?
a. कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू हिमनद
b.
मानसरोवर झील
c.
माउन्ट कंचनजंघा
d.
माउन्ट गौडविन ऑस्टिन
18. सिधु नदी को सिंगी खंबन अथवा शेर मुख के नाम से कहाँ जाना जाता
है?
a. तिब्बत में
b.
चीन सागर में
c.
जम्मू-कश्मीर में
d.
लेह में
19. सिन्धु नदी किसके समीप निर्माण करती है? एक दर्शनीय महाखड्ड का
a.
पीलीभीत
b. गिलगित
c.
जास्कर
d.
कोई नहीं
20. इनमे से कौन सिन्धु नदी की सहायक नदी नहीं है?
a.
श्योक
b.
गिलगित
c. अलकनंदा
d.
नुब्रा
21. भारत में सिन्धु, जम्मू और कश्मीर राज्य के एक मात्र जिला में बहती
है, उस जिला का नाम बताएं।
a. लेह
b.
उधमपुर
c.
पुंछ
d.
पुलवामा
22. सिन्धु नदी की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी झेलम कहाँ से निकलती है?
a. वेरीनाग झील
b.
डल झील
c.
नागनागिन झील
d.
कोई नहीं
23. झेलम नदी पाकिस्तान में झंग के निकट किस नदी से मिलती है?
a. चेनाब नदी
b.
रावी नदी
c.
ब्यास
d.
सतलुज नदी
24. सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है -
a. चेनाब
b.
झेलम
c.
रावी
d.
सतलुज
25. सिधु की सबसे बड़ी सहायक नदी चेनाब दो सरिताएं चंद्रा और भागा के
मिलने से बनती है, ये दोनो सरिताएं
आपस में कहाँ पर मिलती है?
a. हिमाचल प्रदेश में केलांग के निकट तांडी में
b.
हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास
c.
जम्मू कश्मीर के लेह जिले के पास
d.
कोई नहीं
26. पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले चेनाब नदी भारत में कितनी दूर
तक बहती है?
a. 1180 कि.मी.
b.
1000 कि.मी.
c.
1280 कि.मी.
d.
1080 कि.मी.
27. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू पहाडियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम
से किस नदी का उद्गम होता है?
a.
ब्यास नदी
b. रावी नदी
c.
झेलम नदी
d.
सतलुज नदी
28. व्यास कुंड, जहाँ से सिन्धु की सहायक नदी व्यास का उद्गम होता
है, कहाँ स्थित है?
a.
केलंग घाटी के निकट
b. रोहतांग दर्रे के निकट
c.
बरलाचा दर्रे के निकट
d.
शिपकी ला दर्रे के निकट
29. हरिके बैराज किस नदी पर बनाया गया है?
a. सतलुज नदी
b.
सिन्धु नदी
c.
झेलम नदी
d.
कोई नहीं
30. सतलुज नदी का उद्गम कहाँ से होता है?
a. राक्षस ताल से
b.
श्री नगर से
c.
हामटा दर्रे से
d.
मिथनकोट से
31. सतलुज नदी को मानसरोवर के निकट राक्षस ताल में किस नाम से जाता
है?
a. लोंगचेन खंबाब
b.
सिंगी खंबन
c.
सतलुज
d.
चंद्रभागा
32. सतलुज नदी कैसी नदी है?
a.
अनुवर्ती नदी
b. पूर्ववर्ती नदी
c.
अनुक्रमिक नदी
d.
बरसाती नदी
33. भाखड़ा नंगल परियोजना का पोषण किस नदी के द्वारा किया जाता है?
a. सतलुज नदी
b.
झेलम नदी
c.
गंगा नदी
d.
रावी नदी
34. अपनी द्रोणी और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्द नदी का नाम बताएं-
a. गंगा नदी
b.
यमुना नदी
c.
अलकनंदा नदी
d.
सिन्धु नदी
35. गंगा नदी का उद्गम किस राज्य में स्थित है?
a. उत्तराखंड
b.
लद्धाख
c.
हिमाचल प्रदेश
d.
उत्तर प्रदेश
36. गंगा नदी गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 3900 मीटर की ऊँचाई से
निकलती है, यहाँ यह किस नाम
से जानी जाती है?
a. भागीरथी
b.
गंगोत्री
c.
गंगावती
d.
रुद्रावती
37. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है-
a.
भागीरथी नदी देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है
b.
गंगा नदी का उद्गम क्षेत्र गंगोत्री हिमनद से 3900 मीटर ऊँचे क्षेत्रों से होता है
c. भाखड़ा बांध गंगा नदी पर ही बनाया गया है जो सबसे ऊँचा बांध है
d.
गंगा नदी हरिद्वार के पास मैदानों में प्रवेश करती है
38. सतोपथ हिमनद में किस नदी का स्रोत है?
a. अलकनंदा
b.
भागीरथी
c.
मंदाकिनी
d.
पिंडार
39. कर्ण प्रयाग में अलकनंदा कौन-सी अन्य सहायक नदी से मिलती है?
a. पिंडार
b.
मंदाकिनी
c.
धौली गंगा
d.
विष्णु गंगा
40. भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है-
a.
सिन्धु
b. गंगा
c.
ब्रह्मपुत्र
d.
कोई नहीं
41. गंगा नदी की कुल लम्बाई कितनी है?
a.
2500 कि.मी.
b. 2525 कि.मी.
c.
2150 कि.मी.
d.
कोई नहीं
42. भारत में गंगा नदी का कुल क्षेत्रफल कितनी है?
a.
8 लाख वर्ग कि.मी.
b. 8.6 लाख वर्ग कि.मी.
c.
7 लाख वर्ग कि.मी.
d.
कोई नहीं
43. गंगा की प्रमुख सहायक नदी कौन है, जो इसके दाहिने तट पर मिलती है:-
a.
रामगंगा
b.
गंडक
c. सोन
d.
कोशी
44. गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लम्बी सहायक नदी है :-
a.
यमुना
b. रामगंगा
c.
सोन
d.
घाघरा
45. यमुना नदी का उद्गम कहाँ से होता है?
a. बंदरपूंछ
b.
बोखर चू
c.
हिंडन
d.
सेंगर
46. चम्बल नदी का उद्गम किस पठार से होता है?
a. मलवा पठार
b.
छोटानागपुर पठार
c.
मेघालय पठार
d.
बघेलखंड पठार
47. गाँधीसागर बांध किस नदी पर बनाया गया है?
a. चम्बल नदी
b.
कोसी नदी
c.
महानदी
d.
गोदावरी
48. उत्खात भूमि स्थलाकृति के लिए प्रसिद्ध नदी कौन-सी है?
a.
कोसी नदी
b. चम्बल नदी
c.
महानदी
d.
गोदावरी नदी
49. मापचाचुंगो हिमनद से किस नदी का उद्गम होता है?
a. घाघरा नदी
b.
शारदा नदी
c.
महानंदा नदी
d.
वरुणा नदी
50. अरुण किस नदी की मुख्य धारा है?
a. कोसी
b.
काली
c.
शारदा
d.
मिलाम
51. सप्तकोसी सम्बंधित है?
a. अरुण
b.
हुगली
c.
सोन
d.
कोई नहीं
52. रामगंगा निकलती है :-
a. गैरिसन के निकट गढ़वाल की पहाडियों से
b.
धौलागिरी व माउन्ट एवरेस्ट से
c.
उत्तर प्रदेश के निकट नजीबाबाद से
d.
उपरोक्त में से कोई नहीं
53. बंगाल का शोक (Sorrow of Bengal) किसे कहा जाता है?
a
कोसी
b. दामोदर
c.
शारदा
d.
फल्गु
54. शारदा या सरयू नदी का उद्गम किस हिमालय से है?
a.
पंजाब हिमालय
b. नेपाल हिमालय
c.
कुमायूं हिमालय
d.
कश्मीर हिमालय
55. अमरकंटक पठार से निकलने वाली नदियों के निम्नलिखित समूहों में से
कौन-सा समूह सही है?
a. सोन, नर्मदा और ताप्ती
b.
रामगंगा, वेनगंगा और पेनगंगा
c.
नुब्रा, श्योक और गिलगित
d.
दामोदर, कोसी और शारदा
56. ब्रह्मपुत्र नदी का उदगम कहाँ से होता है?
a. चेमायुंगडुंग हिमनद से
b.
सतोपथ हिमनद से
c.
मलवा पठार
d.
बोखर चू हिमनद से
57. ब्रह्मपुत्र नदी अपने उदगम स्थान पर किस नाम से जानी जाती है?
a.
रांगोसान्ग्पो
b. सांग्पो
c.
ब्रहमपुत्र
d.
कोई नहीं
58. नामचा बरवा पहाड़ी जो अरुणाचल प्रदेश में है इसकी ऊँचाई कितनी है?
a.
7516 मी.
b. 7756 मी.
c.
8848 मी.
d.
8611 मी.
59. निम्नलिखित में से कौन सी नदी पूर्ववर्ती नदी है?
a. सुबनसिरी
b.
दिहांग
c.
देबांग
d.
सिकांग
60. ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में किस नाम से जानी जाती है?
a. मेघना
b.
जमुना
c.
पदमा
d.
कोई नहीं
61. इनमे से कौन-सा कथन प्रायद्वीपीय नदी के बारे में सही है:-
a.
प्रायद्वीपीय नदी एक सुनिश्चित मार्ग पर चलती है।
b.
ये नदियाँ विसर्प नही बनाती है।
c.
ये नदियाँ बारहमासी नहीं है।
d. उपर्युक्त में से सभी।
62. इनमे से कौन-सा समूह सिन्धु नदी की सहायक नदियों के लिए सही है?
a. श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंजा
b.
रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक
c.
दिहांग, सिकांग, सुबनसिरी, लोहित
d.
हिंडन, रिंद, सेंगर, वरुणा
63. इनमें से कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय नदी तंत्र में सबसे बड़ी है?
a. गोदावरी
b.
महानदी
c.
कृष्णा
d.
कावेरी
64. गोदावरी नदी का उदगम कहाँ से होती है?
a.
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से
b. महाराष्ट्र में नासिक जिले से
c.
कर्णाटक के कोगाडु जिले से
d.
ओड़िसा से
65. निम्नलिखित में से किस नदी को दक्षिण गंगा के नाम से जाना जाता
है?
a. गोदावरी
b.
कावेरी
c.
महानदी
d.
कृष्णा
66. गोदावरी नदी की कुल लम्बाई कितनी है?
a. 1465 कि.मी.
b.
1401 कि.मी.
c.
1365 कि.मी.
d.
कोई नहीं
67. प्राणहिता और मांजरा किस नदी की सहायक नदी है?
a. गोदावरी
b.
महानदी
c.
कावेरी
d.
कृष्णा
68. पूर्व दिशा में बहने वाली दूसरी सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
a.
महानदी
b. कृष्णा
c.
गोदावरी
d.
कावेरी
69. कावेरी नदी का उद्गम कहाँ से होता है?
a. कर्नाटक के ब्रह्मगिरी की पहाड़ी से
b.
छत्तीसगढ़ में सिहावा से
c.
महाबलेश्वर से
d.
उपरोक्त में से कोई नहीं
70. सरदार सरोवर परियोजना किस नदी पर बनाई गई है?
a.
ताप्ती नदी
b. नर्मदा नदी
c.
माही नदी
d.
कृष्णा नदी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. अपवाह किसे कहते हैं?
उत्तरः निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जलप्रवाह को
अपवाह कहते हैं?
2. अपवाह तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तरः निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जलप्रवाह के
जाल को अपवाह तंत्र कहते हैं।
3. जलग्रहण क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तरः एक नदी विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है
जिसे जलग्रहण (Catchment) क्षेत्र कहते हैं।
4. अपवाह द्रोणी किसे कहते हैं?
उत्तरः एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र
को अपवाह द्रोणी कहते हैं।
5. जलविभाजक
या जल संभर किसे कहते हैं?
उत्तरः एक अपवाह द्रोणी को दुसरे से अलग करने वाली सीमा को
"जल विभाजक या जल संभर" कहते है।
6. भारत की अपवाह प्रणाली किन नदियों द्वारा
बनी है?
उत्तरः हिमालय, प्रायद्वीपीय और आन्तरिक क्षेत्र के नदियों
द्वारा बनी है।
7. सिन्धु नदी का उदगम स्थल कहाँ है?
उत्तरः सिन्धु नदी का उद्गम स्थल तिब्बती क्षेत्र में कैलाश
पर्वत श्रेणी में बोखर चू के निकट एक हिमनद से होता है।
8. सिन्धु नदी को तिब्बत में किस नाम से जाना
जाता है?
उत्तरः सिन्धु नदी को तिब्बत में सिंगी खंबन के नाम से जाना
जाता है।
9. सिन्धु नदी पाकिस्तान में किस स्थान में
प्रवेश करती है?
उत्तरः सिन्धु नदी पाकिस्तान में चिल्लड के निकट दर्दिस्तान
में प्रवेश करती है।
10. लूनी नदी किस राज्य में बहती है?
उत्तरः लूनी नदी राजस्थान में बहती है।
11. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों के नाम लिखिए।
उत्तरः गंगा, ब्रह्मपुत्र और कावेरी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सततवाहिनी
क्यों है?
उत्तरः सततवाहिनी का अर्थ है सदा बहने वाली। हिमालय से बहने
वाली सभी नदियों में सालोभर जल रहता है क्योंकि इन नदियों को शुष्क एवं वर्षा दोनों
ही ऋतुओं में जल प्राप्त होता है। वर्षा ऋतु में ये वर्षा से जल प्राप्त करती हैं।
शुष्क ऋतु में हिमालय की बर्फ पिघल कर इन्हें जल प्रदान करती है। यही कारण है कि हिमालय
की नदियाँ सदानीरा अथवा बारहमासी हैं। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र हिमालय की बारहमासी नदियों
के उदाहरण हैं।
2. पूर्ववर्ती तथा परवर्ती अपवाह तंत्र में
अंतर बताइए -
उत्तरः
पूर्ववर्ती अपवाह तंत्र (Antecedent Drainage system) |
परवर्ती अपवाह तंत्र (Subsequent Stream) |
ऐसे प्रवाह पर संरचना तथा उत्थान का कोई प्रभाव नहीं
पड़ता। यदि किसी क्षेत्र में अपवाह प्रणाली का विकास हो चुका है तथा बाद में
प्रवाह मार्ग पर स्थलखण्ड का उत्थान हो जाता है एवं नदी उत्थित भू-खण्ड को काटकर
अपने पुराने प्रवाह मार्ग का अनुसरण करती है, तो ऐसे प्रवाह प्रणाली को
पूर्ववर्ती अपवाह तंत्र कहते हैं। सिन्धु, सतलज एवं ब्रह्मपुत्र नदियाँ भारतीय
उपमहाद्वीप में इस प्रवाह प्रणाली के प्रमुख उदाहरण है। |
अनुवर्ती सरिताओं के बाद उत्पन्न होने वाली तथा अपनतियों
के अक्षों का अनुसरण करने वाली सरिताओं
को परवर्ती सरिता कहते हैं। जितनी भी नदियाँ प्रमुख अनुवर्ती नदी से
समकोण पर मिलती हैं, उन्हें सामान्यतया
परवर्ती अपवाह तंत्र कहा जाता है। |
3. अपकेन्द्रीय और अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रतिरूप
में अंतर स्पष्ट करें -
उत्तरः
अपकेंद्री अपवाह प्रतिरूप |
अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रतिरूप |
जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती है,
तो इसे अपकेन्द्रीय अपवाह प्रतिरूप कहते हैं। |
जब सभी दिशाओं से बहकर नदियाँ किसी झील या गर्त में विसर्जित
होती है तो इसे अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रतिरूप कहते हैं। |
अमरकंटक पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली नदियाँ इसके उदाहरण
है। |
राजस्थान का सांभर झील इस अपवाह प्रतिरूप का उदाहरण है। |
4. डेल्टा और ज्वारनदमुख के बीच क्या अंतर
है?
उत्तरः
डेल्टा |
ज्वारनदमुख |
डेल्टा नदी के मुहाने पर बनी त्रिभुजाकार आकृति है। यह
कम ज्वार या तटीय मैदानों के क्षेत्रों में बनता है। यह अत्यधिक उपजाऊ और कृषि के
लिए उपयुक्त है। गंगा और ब्रहमपुत्र जैसी नदियाँ डेल्टा बनाती है। |
ज्वारनदमुख नदी की आकृति पर बनी कीप की आकृति होती है।
यह उच्च ज्वार और दरार घाटियों के क्षेत्रों में बनती है। ये मछली पालन और अंतर्देशीय
परिवहन के लिए उपयोगी है। नर्मदा और तापी जैसी नदियाँ ज्वार नदमुख बनाती है। |
5. वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप में अंतर स्पष्ट करे -
उत्तरः
वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप :- जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो,
उसे वृक्षाकार प्रतिरूप कहा जाता है. जैसे उतरी मैदान की नदियाँ।
जालीनुमा
अपवाह प्रतिरूप :- जब मुख्य नदियाँ एक दूसरे के सामानांतर
बहती हो तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों, तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा अपवाह
प्रतिरूप कहते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. उत्तर- भारतीय नदियों के प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय
नदियों से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तरः
उत्तर भारत की प्रमुख नदियाँ की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है :-
क.
बड़ी नदी घाटियाँः कुछ उत्तर भारतीय नदियों जैसे
सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों में बहुत बड़ी नदी घार्टियाँ हैं। उदाहरण के लिए,
गंगा नदी का बेसिन भारत में सबसे बड़ा है। क्षेत्र का जलग्रहण भारत के कुल क्षेत्रफल
के 32, 12,289 वर्ग कि.मी. में से लगभग 8,61,452 वर्ग कि.मी. है। गंगा के क्षेत्र का
जलग्रहण देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 26.30% है।
ख.
प्रकृति में बारहमासीः अधिकांश उत्तरी नदियों का
उद्गम ग्लेशियर है, यही कारण है कि गैर-मानसून मौसम के दौरान भी ग्लेशियर के पिघलने
से नदी में पानी उपलब्ध होता है। उत्तर भारतीय नदियों में जल ग्लेशियरों के पिघलने
और वर्षा दोनों से आती है।
ग.
गहरे गोर्ज (महाखड्ड), वी-आकार की घाटी, पहाड़ी क्षेत्र में जल प्रपातः
अधिकांश उत्तरी नदी हिमालय क्षेत्र में एक गहरी गॉर्ज (महाखड्ड), वी-आकार की घाटी,
और जलप्रपात बनाती है। यह हिमालयी नदी की युवा प्रकृति को भी इंगित करता है।
घ. गोखुर झील, विसर्प, बाढ़ मैदान, और
ब्रेडेड चैनलः- उत्तरी नदी का अधिकांश भाग पर्वतीय क्षेत्रों
से मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करते समय बाढ़ को मैदानी बना देता है। गोखुर
(Oxbow) झीलें, घुमावदार (विसर्प) नदी, और ब्रेडेड चैनल भी उत्तरी नदी की महत्वपूर्ण
विशेषताएँ हैं।
ड़
नदी का धारा बदलनाः नदी की ऊपरी पहुँच में उत्पन्न
विशाल अवसाद के कारण नदी अपना बार- बार मार्ग बदलती है। उदाहरण के लिए, कोसी नदी जो
बार-बार मार्ग बदलने के लिए जाना जाता है।
च.
विशाल अवसाद और डेल्टाः उत्तरी नदियाँ हिमालयी क्षेत्र
से भारी अवसाद लाती हैं, क्योंकि हिमालयी नदी अवसादी चट्टान से बनी है। अवसाद का कुछ
हिस्सा नदी के बाढ़ के मैदानी इलाकों में जमा हो जाता है और कुछ अवसाद नदी के मुहाने
में जमा होकर एक बड़ा डेल्टा बनाती है। सुंदरवन डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है, जो गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों
द्वारा निर्मित है।
2. उत्तर भारतीय नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों
के बीच अंतर लिखें।
उत्तरः उत्तर भारतीय नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों के बीच
अंतर निम्नलिखित हैं :-
भारत की उत्तर भारतीय और प्रायदवीपीय नदियाँ स्थान या उत्पत्ति,
प्रवाह की प्रकृति, नदी की प्रकृति, जलग्रहण क्षेत्रों और नदी की उम्र के पहलुओं में
भिन्न है।
उत्तर भारतीय नदियाँ |
प्रायद्वीपीय नदियाँ |
उत्तर भारतीय नदियों प्रकृति में बारहमासी हैं। |
जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ प्रकृति में गैर बारहमासी
(मौसमी) हैं। |
उत्तर भारतीय नदियाँ बड़े बेसिन बनाते है। |
जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ छोटे बेसिन बनाते है। |
उत्तर भारतीय नदियाँ का अधिकांश भाग हिमालय के ग्लेशियर
में उत्पन्न होती है। |
जबकि अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिमी घाट में उत्पन्न
हुई है। |
उत्तर भारतीय नदियों गहरी गोर्ज, वी-आकार की घाटियाँ, गोखुर
झीलें और विसर्प रोधिका बनाती हैं। |
जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ चौड़ी और उथली घाटियाँ बनाती
हैं, जबकि गोखुर झीलें और मेन्डर प्रायद्वीपीय नदी में अनुपस्थित हैं। |
उत्तर भारतीय नदियाँ प्रकृति में युवावस्था में हैं |
जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ उत्तरी नदी से पुरानी हैं। |
उत्तर भारतीय नदियाँ अपने मुहाने पर बड़ा डेल्टा बनाती |
जबकि प्रायद्वीपीय नदी अपने मुहाने पर या तो एक छोटा डेल्टा
बनाती है या ज्वारनदमुख बनाती है। |
उत्तर भारतीय नदी कोसी की तरह नदी के मार्ग को बदलने के
लिए जानी जाती है |
जबकि प्रायद्वीपीय नदी का एक निश्चित प्रवाह होता है। अधिकांश
उत्तरी नदी वृक्षाकार (डॅड्रिटिक) अपवाही प्रतिरूप बनाती है जबकि अधिकांश प्रायद्वीपीय
नदी जालीन्मा और अरीय अपवाह प्रारूप बनाती है। |
3. हिमालयी अपवाह के नदी तंत्र कितने हैं?
किसी एक नदी तंत्र की विवेचना कीजिए।
उत्तरः हिमालयी अपवाह के तीन नदी तंत्र निम्नलिखित है-
1. सिन्धु नदी तंत्र
2. गंगा नदी तंत्र
3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
गंगा नदी तन्त्र
गंगा अपवाह तन्त्र में मुख्य नदी गंगा है। हिमालय से
निकलने वाली नदियाँ बर्फ़ और ग्लेशियरों
के पिघलने से बनी हैं अतः इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्तर प्रवाह
बना रहता है। मानसून के दौरान हिमालय
क्षेत्र में बहुत अधिक वृष्टि होती है और नदियाँ बारिश से भी वर्षा प्राप्त
करती हैं अतः इसके आयतन में उतार चढ़ाव होता है।
गंगा नदी (भागीरथी) उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी
जिले में स्थित गंगोत्री हिमनद
(ऊँचाई 3900 मीटर) से निकलती है। मध्य तथा लघु हिमालय श्रेणियों को
काटती हुई देवप्रयाग में भागीरथी
तथा अलकनंदा नदियों का संगम हो जाता है। इसके बाद से ही यह नदी गंगा
कहलाती है। शिवालिक पहाड़ियों से
होकर गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती है। जहाँ ये यह
उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम
बंगाल के मैदानी भागों से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। पश्चिम
बंगाल में इसका प्रवाह दक्षिणमुखी
हो जाता है तथा यह भागीरथी तथा हगली नामक दो शाखाओं में विभक्त
हो जाती है। गंगा नदी की कुल लम्बाई
2525 किमी. तथा भारत में गंगा द्रोणी का कुल क्षेत्रफल 8.6 लाख
वर्ग किमी है। यमुना, चम्बल, घाघरा,
कोसी, रामगंगा, दामोदर, महानन्दा तथा सरयू गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ है -
यमुना नदी : गंगा नदी की सबसे लम्बी सहायक नदी है जिसका उद्गम हिमालय की बन्दरपूँछ श्रेणी
(6316 मीटर) के पश्चिमी ढालों से है। इलाहाबाद में यह नदी गंगा नदी से मिल जाती है।
चम्बल नदी : मध्य प्रदेश के मालवा पठार के मह नामक स्थान से निकलती है तथा उत्तर की ओर प्रवाहित होती हुई
धौलपुर के आगे यमुना नदी से मिल जाती है। यमुना नदी में मिलने से पूर्व चम्बल नदी ने
उत्खात भूमि वाली भू-आकृतियाँ निर्मित की है।
गंडक नदी: नेपाल हिमालय से निकलकर बिहार में बहती हुए पटना के निकट सोनपुर में गंगा नदी
से मिल जाती है।
घाघरा नदी : मापचाचूँगों हिमनद (नेपाल हिमालय) से उद्गमित होकर छपरा के निकट गंगा नदी से मिल जाती है। शारदा
इस नदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह नदी नेपाल हिमालय में मिलान हिमनद से निकलती है।
कोसी नदी : तिब्बत में माउण्ट एवरेस्ट के उत्तर से निकलती है तथा नेपाल हिमालय को पार करने के बाद बिहार में
प्रवेश करती है। प्रायः मार्ग बदलने की प्रवृत्ति के कारण इसे 'बिहार का शोक' कहा जाता
है। यह नदी पर्वतों के ऊपरी भाग से भारी मात्रा में अवसाद लाकर मैदानी भागों में जमा
करती है जिससे नदी मार्ग अवरुद्ध हो जाता है तथा नदी अपना मार्ग बदल देती है।
दामोदर नदी : छोटा नागपुर पठार के पूर्वी भाग में
स्थित एक भ्रंश घाटी से होकर प्रवाहित
होती है तथा हुगली नदी में मिल जाती है। कभी 'बंगाल का शोक' कैही जाने वाली इस नदी
को एक बहुउद्देश्यीय योजना के द्वारा वश में कर लिया गया है।
सोन नदी : गंगा के दक्षिणी तट की प्रमुख सहायक नदी है जो अमरकंटक पठार से उद्गमित होती है तथा पटना के निकट गंगा नदी में मिल जाती है।
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विषय-सूची
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')
अध्याय सं. | अध्याय का नाम |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब') | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)
2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)
3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)
4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)
5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)
6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)
7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)
8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)
9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)
10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)
11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)
12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)
13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}
14. महासागरीय जल संचलन (Movements of Ocean Water)
15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)
16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)
खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण
1. भारत-स्थिति (India Location)
2. संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)
3. अपवाह तंत्र (Drainage System)
5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)
6. मृदा (Soils)
7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)
खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य
1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)
3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)
4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)
5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)
6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)
7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)
8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)