प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अंतरा भाग -1 गद्य-खंड
पाठ – 2 दोपहर का भोजन
लेखक परिचय [अमरकांत (सन् 1925- 2014)]
अमरकांत
का जन्म सन् 1925 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगरा गाँव में हुआ। उनका मूल
नाम श्रीराम वर्मा है, उनकी आरंभिक शिक्षा बलिया में हुई। अमरकांत नयी कहानी
आंदोलन के एक प्रमुख कहानीकार हैं। वे मुख्यतः मध्यवर्ग के जीवन की वास्तविकता और
विसंगतियों को व्यक्त करनेवाले कहानीकार हैं। वर्तमान समाज में व्याप्त अमानवीयता,
हृदयहीनता, पाखंड, आडंबर आदि को उन्होंने अपनी कहानियों का विषय बनाया है। अमरकांत
की मुख्य रचनाएँ हैं जिंदगी और जॉक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र-मिलन, कुहासा
(कहानी संग्रह)। सूखा पत्ता, ग्राम सेविका, काले उजले दिन, सुखजीवी, बीच की दीवार,
इन्हीं हथियारों से (उपन्यास)।
पाठ परिचय
'दोपहर
का भोजन' गरीबी से जूझ रहे एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार की कहानी है। इस कहानी में समाज
में व्याप्त गरीबी को चिह्नित किया गया है। परिवार में मुंशी चंद्रिका प्रसाद, उनकी
पत्नी सिद्धेश्वरी और तीन पुत्र रामचंद्र, मोहन और प्रमोद हैं। मुंशी जी को नौकरी से
निकाल दिया गया है जिसके कारण परिवार में आर्थिक संकट आ गया है। मुंशीजी के पूरे परिवार
का संघर्ष भावी उम्मीदों पर टिका हुआ है। सिद्धेश्वरी गरीबी के अहसास को मुखर नहीं
होने देती और उसकी आँच से अपने परिवार को बचाए रखती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोतर
1. सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मॅझले बेटे मोहन के बारे
में झूठ क्यों बोला?
उत्तरः-
सिद्धेश्वरी जानती थी कि मोहन कहीं पढ़ने नहीं गया है, फिर भी उसने रामचंद्र को यह
कह दिया कि "किसी लड़के के यहाँ पढ़ने गया है. आता ही होगा दिमाग उसका बड़ा
तेज है और उसकी तबीयत चौबीसों घंटे पढ़ने में ही लगी रहती है। हमेशा उसी की बात
करता रहता है।" इस प्रकार मोहन को पढ़ाकू बताने की कोशिश की। वस्तुतः वह इस
बात को जानती थी कि यदि उसने वास्तविकता अपने बड़े पुत्र को बता दी, तो उसे व्यर्थ
में ही दुःख होगा। वह अपने पुत्र को किसी प्रकार का दुःख नहीं पहुँचाना चाहती थी।
इसी कारण उसने रामचंद्र से झूठ कह दिया कि मोहन पढ़ने गया है।
2. कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन
कीजिए।
उत्तरः-
कहानी के सबसे जीवंत पात्र का नाम है सिद्धेश्वरी। वह संतोषी, सहनशील तथा घर में
एकजुटता बनाए रखने वाली स्त्री है। वह भूख और गरीबी में भी अपना धैर्य नहीं
छोड़ती। वह दुःखो अथवा कष्टों को स्वयं झेलते हुए परिवार के शेष सदस्यों को सुखी देखना चाहती है। वह बोलने
में इतनी चतुर है कि दुःख पहुँचाने वाली बातों को परिवार के सदस्यों को बताती हौं नहीं।
उदाहरण के लिए वह अपने छोटे पुत्र प्रमोद के रोने की बात रामचंद्र से छिपाती है। इसी
प्रकार मोहन की सच्चाई छिपाकर रामचंद्र को बताती है कि वह पढ़ने के लिए अपने मित्र
के पास गया है। खाना बनाने के बाद भी वह खुद की भूख को पानी पीकर बुझाती है। कुल सात
रोटियाँ पकाने के पश्चात् भी अपने पति और दोनों बड़े पुत्रों को दो-दो रोटियाँ खिलाने
के क्रम में और रोटी लेने का आग्रह करती है। अंत में आधी रोटी अपने सबसे छोटे पुत्र
के लिए रखकर बची हुई आधी रोटी लेकर खुद खाने बैठती है। कोई दृढ़ चरित्र की स्त्री ही
यह सब कर पाती है। वास्तव में, सिद्धेश्वरी एक बहादुर और साहसी स्त्री है। वह दुःख
और परेशानियों को अपने चरित्र की दृढ़ता से सह लेती है।
3. कहानी
के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए, जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही हो।
उत्तर:- 'दोपहर का भोजन' कहानी में गरीबी की विवशता का मार्मिक
चित्रण किया गया है। ऐसे प्रसंग निम्नलिखित हैं - सिद्धेश्वरी खाना बनाने और चूल्हा
बुझाने के पश्चात् भर पेट पानी पीती है और वहीं ज़मीन पर लेट जाती है। कहानी में इस
प्रसंग का वर्णन इस प्रकार है 'वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर
गट-गट चढ़ा गई। खाली पानी उसके कलेजे में लग गया और वह 'हाय राम!' कहकर वहीं ज़मीन
पर लेट गई। लेखक ने सिद्धेश्वरी के सबसे छोटे लड़के प्रमोद का वर्णन करते हुए गरीबी
का जीवंत दृश्य प्रस्तुत किया है। जब सिद्धेश्वरी प्रमोद को देखती है, तब उस समय का
वर्णन करता हुआ लेखक लिखता है- 'उसकी दृष्टि ओसारे में अध-टूटै खटोले पर सोए अपने छः
वर्षीय लड़के प्रमोद पर जम गई। लड़का नंग-धडंग पड़ा था। उसके गले तथा छाती की हड्ड्डियाँ
साफ़ दिखाई देती थीं। उसके हाथ-पैर बासी ककड़ियों की तरह सूखे तथा बेजान पड़े थे और
उसका पेट हँडिया की तरह फूला हुआ था। उसका मुँह खुला हुआ था और उस पर अनगिनत मक्खियों
उड़ रही थीं।' 'वह उठी, बच्चे के के मुँह पर अपना एक फटा, गंदा ब्लाउज़ डाल दिया।'
सिद्धेश्वरी का बड़ा लड़का रामचंद्र जब घर आकर चौकी पर लेट जाता है, तब लेखक उसका वर्णन
करता हुआ लिखता है-'उसके बाल अस्त-व्यस्त थे और उसके फैटे-पुराने जूतों पर गर्द जमी
हुई थी।' सिद्धेश्वरी जब रामचंद्र के सामने खाना लाकर रखती है, तो लेखक सामने परोसे
गए भोजन का उल्लेख इस प्रकार करता है है 'कुल 'कुल दो रोटियाँ, भर कटोरा पनियाई दाल
और चने की तैली तरकारी।' मुंशी चंद्रिका प्रसाद जब पीढ़े पर बैठकर भोजन करने लगते हैं,
तब उनके वस्त्रों का वर्णन इस प्रकार किया गया है- 'गंदी धोती के ऊपर अपेक्षाकृत कुछ
साफ़ बनियान तार-तार लटक रही थी।' अपने दोनों बड़े पुत्रों एवं अपने पति को खिलाकर
जब सिद्धेश्वरी खाने बैठती है, तब लेखक लिखता है 'सिद्धेश्वरी उनकी जूठी थाली लेकर
चौके की ज़मीन पर बैठ गई। बटलोई की दाल को कटोरे में उंडेल दिया, पर वह पूरा भरा नहीं।
छिपुली में थोड़ी- सी चने की तरकारी बची थी, उसे पास खींच लिया। रोटियों की थाली को
भी उसने पास खींच लिया, उसमें केवल एक रोटी बची थी। मोटी, भद्दी और जली उस रोटी को
वह जूठी थाली में रखने जा ही रही थी कि अचानक उसका ध्यान ओसारे में सोए प्रमोद की ओर
आकर्षित हो गया। उसने लड़के को कुछ देर एकटक देखा, फिर रोटी को दो बराबर टुकड़ों मैं
विभाजित कर दिया एक टुकड़े को तो अलग रख दिया और दूसरे टुकड़े को अपनी झूठी थाली में
रख लिया। लेखक ने घर में रखे सामानों का वर्णन भी इस प्रकार किया है कि उससे गरीबी
का सहज आभास होने लगता है; जैसे- 'आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टॅगी थी, जिसमें
कई पैबंद लगे हुए थे।' इस प्रकार उपर्युक्त प्रसंगों के माध्यम से लेखक ने गरीबी के
जो सजीव दृश्य कहानी में प्रस्तुत किए हैं, वे पाठकों को बरबस पात्रों के प्रति सहानुभूति
उभारने में सफल होते नज़र आते हैं।
4. 'सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय
में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था' इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए।
उत्तरः- सिद्धेश्वरी घर की स्थिति को परिवार के अन्य सदस्यों
से ज्यादा अच्छी तरह जानती थी। वह जानती थी कि उसका सबसे छोटा बेटा बीमार है, उसका
मँझला बेटा मोहन बिल्कुल नहीं पढ़ता और बड़ा बेटा काम की तलाश में भटक अॅटककर परेशान
हो चुका है। उसके पति की कुछ समय पहले नौकरी चली गई है। सिद्धेश्वरी सब कुछ जानते हुए
भी एक-दूसरे से झूठ बोलती थी, क्योंकि वह परिवार के सदस्यों को दुःखी नहीं करना चाहती
थी। बड़ा बेटा मॅझले और छोटे भाई के विषय में पता करता रहता था। यदि सिद्धेश्वरी उसे
यह बता देती कि छोटा पुत्र बीमार है और मॅझला पुत्र घर से दिनभर किसी अन्य कारण से
बाहर रहता है, पढ़ने नहीं जाता, तो वह बहुत परेशान हो जाता। इसी तरह यदि वह मँझले बेटे
से यह कह देती कि उसका बड़ा भाई उसके विषय में बिल्कुल नहीं सोचता, तो इससे परिवार
में एक-दूसरे के प्रति सम्मान व एकता समाप्त हो जाती, इसलिए वह सबसे झूठ बोलकर परिवार
में होने वाली कलह को रोकना चाहती थी तथा सभी सदस्यों के दुःख को कम करना चाहती थी।
मेरे विचार से सिद्धेश्वरी परिवार के सभी सदस्यों के समक्ष झूठ बोलती है, पर इसके पीछे
न तो उसकी कोई बुरी भावना रहती है और न स्वार्थसिद्धि का उद्देश्य ही, उल्टे सबकी खुशी
एवं घर की शांति के लिए उसका ऐसा करना उसकी सही सूझ-बूझ को दर्शाता है। इस प्रकार वह
अपने व्यवहार और कथनों से पाठकों का मन मोह लेती है।
5. 'अमरकांत
आम बोलचाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं। जिससे कहानी की संवेदना पूरी तरह उभरकर
आ जाती है।' कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- अमरकांत द्वारा लिखित कहानी 'दोपहर का भोजन' एक निम्न
मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी है, जिसके मुखिया मुंशी चंद्रिका प्रसाद की अचानक एक दिन
नौकरी छूट जाती है और वे बेरोज़गार हो जाते हैं। इसके कारण पूरे परिवार की स्थिति खराब
हो जाती है। कहानी के आधार पर अमरकांत की भाषा की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
क- लेखक ने निम्न मध्यमवर्गीय जीवन का वास्तविक चित्रण किया
है। सिद्धेश्वरी के परिवार की गरीबी और तनाव भरी जिंदगी निम्न मध्यमवर्ग के जीवन की
वास्तविकता को उजागर करती है। लेखक उसका वर्णन करता हुआ लिखता है- 'वह मतवाले की तरह
उठी और गगैरे से लोटा भर पानी गट-गट चढ़ा गई। खाली पानी उसके कलेजे में लग गया और
'हाय राम!' कहकर वहीं ज़मीन पर लेट गई।'
ख- अमरकांत की कहानियों की भाषा सरल तथा सजीव है। आम व्यक्ति
के जीवन की कथा लेने के कारण उनकी भाषा में सरसता तथा सजीवता के दर्शन होते हैं। उदाहरणार्थ
प्रमोद के मुँह पर मक्खियों को उड़ते देख उसकी माँ के दद्वारा कपड़ा ओढ़ाए जाने का
वर्णन इस प्रकार है 'वह उठी, बच्चे के मुँह पर अपना एक फटा-गंदा ब्लाउज़ डाल दिया और
एक-आध मिनट सुन्न खड़ी रहने के बाद दरवाज़े पर जाकर किवाड़ की आड़ से गली निहारने लगी।'
ग- अमरकांत की कहानियों में पात्रों के प्रभावशाली संवाद
पाठकों पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। प्रस्तुत कहानी में सिद्धेश्वरी एवं रामचंद्र तथा
सिद्धेश्वरी एवं मुंशी चंद्रिका प्रसाद के मध्य बोले जाने वाले संवाद बहुत प्रभावशाली
हैं।
घ- अमरकांत कांत की कथा-शैली की सबसे बड़ी विशेषता है- चित्रात्मकता
का गुण। इसका एक उदाहरण मैजित कहानी में इस प्रकार है- 'सारा घर मक्खियों से भनभन कर
रहा था। आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टेंगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे। दोनों
बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था। बोहर की कोठरी में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चिंतता
के साथ साँ रहे थे, जैसे डेंढ़ महीने पूर्व मकान किराया नियंत्रण विभाग की क्लर्की
से उनकी उँटनी न हुई हो और शाम को उन्हें काम की तलाश में कहीं जाना न हो।' लेखक द्वारा
जहाँ- तहाँ आवश्यकतानुसार मुहावरों का प्रयोग कर भी कहानी की संवेदना को उभारने का
प्रयास किया गया है। उदाहरणार्थ चूल्हा बुझाना, हाथ खींचना, सुइ-सुड़ पीना, कनखी से
देखना, आँखें भर आना, गॅट-गॅट चढ़ाना, कसम रखना आदि।
6. रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी
न लेने के लिए बहाने करते हैं, उसमें कैसी विवशता है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तरः- रामचंद्र, मोहन तथा मुंशी चंद्रिका प्रसाद तीनों
को यह भली-भऑति पता था कि आर्थिक तंगी के कारण घर में इतना राशन नहीं है कि भरपेट भोजन
किया जा सके, इसलिए जब सिद्धेश्वरी ने रामचंद्र से और रोटी लेने के लिए कहा तो उसने
कहा कि 'मेरा पेट पहले ही भर चुका है। मैं तो यह भी छोड़ने वाला हैं।' माँ के फिर पूछने
पर वह बिगड़ कर कहता है- 'अधिक खिलाकर बीमार कर डालने की तबीयत है क्या ?' जब सिद्धेश्वरी
मोहन को खिलाते हुए और रोटी लेने के लिए पूछती है, तो मोहन ने कहा कि उसे रोटी अच्छी
नहीं लग रही और यदि उसे कुछ देना ही है, तो थोड़ी-सी दाल दे दे, दाल बहुत अच्छी बैनी
है। अपने पति को खाना खिलाते हुए सिद्धेश्वरी जब एक रोटी और लेने की बात पूछती है,
तब मुंशी चंद्रिका प्रसाद ने यह बहाना बना दिया कि अन्न और नमकीन वस्तुओं से उनकी तबीयत
ऊब गई है। इस प्रकार तीनों ने कोई-न-कोई बहाना बनाकर और रोटी लेने से मना कर दिया।
इससे उनकी इस विवशता का पता चलता है कि तीनों भूखे होते हुए भी रोटी के लिए मना कर
देते हैं।
7. सिद्धेश्वरी की जगह आप होते तो क्या करते
?
उत्तरः छात्र स्वयं करें।
8. रसोई संभालना बहुत जिम्मेदारी का काम है-सिद्ध
कीजिए?
उत्तरः- रसोई संभालना वास्तव में बहुत जिम्मेदारी का काम
होता है। यहाँ खाने की स्वादिष्टता, पौष्टिकता और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का
ध्यान, इसके साथ ही रसोई में सुरक्षा, साफ़-सफाई और उपयुक्त खाद्य सामग्री के प्रबंधन
का भी ध्यान देना आवश्यक होता है। प्रस्तुत कहानी में परिवार के सभी सदस्यों को भर
पेट खाना परोसने की बात कही गयी है, परन्तु गरीबी और लाचारी के चलते ऐसा होना संभव
नहीं हो पाता। अतः कहा जा सकता है कि रसोई संभालना अत्यन्त जिम्मेदारी का काम है।
9. आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों
से भारी कैसे हैं? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तरः- सच और झूठ का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, बल्कि
उसके बोलने के पीछे के कारण मुख्य होते हैं। सिद्धेश्वरी ने जो झूठ बोले उनके पीछे
के कारण महान थे, इसलिए सिद्धेश्वरी घर के हर सदस्य से एक-दूसरे के विषय में सत्य न
बोलकर झूठ बोलती है। ऐसा करके वह अपने परिवार के सदस्यों को दुःखों का कम-से-कम अहसास
कराना चाहती थी। यदि वह एक भी सत्य बोल देती, तो परिवार के दुःखी और परेशान सदस्य और
अधिक दुःखी हो जाते। यही नहीं, कुछ झूठ तो उसने इसलिए बोले, ताकि घर की शांति बनी रहे।
यदि वह रामचंद्र से मोहन के विषय में सत्य बोलती, तो दोनों भाइयों के मध्य कलह हो जाती।
यदि वह मुंशीजी से रामचंद्र के विषय में सत्य बोलती, तो मुंशीजी और दुःखी हो जाते।
इस प्रकार, घर में दुःख और कलह से बचने के लिए बोले गए सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों
से भारी हैं।
10. आशय स्पष्ट कीजिए
(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा
भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई।
(ख) यह कहकर उसने अपने मॅझले लड़के की ओर इस
तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो।
उत्तरः- (क) दोपहर का भोजन सिद्धेश्वरी बना चुकी थी। वह भूख के कारण विचलित
है। उसनें केवल सात भूख के रोटियों बनाई हैं और खाने वाले पाँच सदस्य हैं। अगर कुछ
बचेगा, तो ही उसे मिलेगा। वह दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियों या
जमीन पर चलते चींटे चींटियों देखने लगी। उसे लगा कि वह प्यासी है, तो उसने प्यास बुझाने
के लिए घड़े में से लोटा भर पानी लेकर जल्दी-जल्दी पी लिया, परंतु उसने पानी प्यास
बुझाने के लिए नहीं, भूख मिटाने के लिए पिया था। परिवार की निर्धनता इतनी है कि खाने
के लिए पर्याप्त भोजन तक नहीं मिल पा रहा है और पानी पीकर भूख मिटाने का प्रयास किया
जा रहा है। वस्तुतः भूखे होने पर कोई भी व्यक्ति भोजन पर टूट पड़ता है. पर घर में पर्याप्त
ओजन न होने के कारण सिद्धेश्वरी भोजन छोड़ जल्दी से लोटा भर पानी पी लेती है, ताकि
किसी प्रकार उसके पेट की क्षुधा शांत हो जाए। इस प्रकार परिस्थिति के विपरीत कार्य
करने के कारण सिद्धेश्वरी की तुलना मतवाले व्यक्ति से की गई है।
उत्तरः- (ख) सिद्धेश्वरी का मँझला लड़का मोहन दोपहर का भोजन
कर रहा था। आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण परिवार के सदस्य एक-दूसरे से कटे-कटे
से रहते थे। घर में वातावरण बोझिल न हो जाए, यह सोचकर उसने मोहन से झूठ बोला कि रामचंद्र
उसकी प्रशंसा कर रहा था, जबकि सच तो यह था कि उसने मोहन के बारे में कुछ नहीं कहा था।
ऐसा कहने के बाद उसे लगा कि उसने कोई चोरी की हो अर्थात् उसे भय हुआ कि उसका झूठ पकड़ा
तो नहीं गया।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'दोपहर का भोजन' पाठ के लेखक कौन है?
क अमरकांत
ख रांगेय राघव
ग मुक्तिबोध
घ पांडेय बेचन शर्मा
2. 'दोपहर का भोजन' साहित्य के किस विधा की
रचना है?
क नाटक
ख उपन्यास
ग कहानी।
घ कविता
3. अमरकांत का वास्तविक नाम क्या था?
क श्रीराम वर्मा
ख कृष्ण वर्मा
ग अमरदीप
घ अमरकांत
4. अमरकांत को किस रचना पर साहित्य अकादमी
पुरस्कार मिला?
क जिंदगी और जॉक
ख इन्हीं हथियारों से
ग देश के लोग
घ दोपहर का भोजन
5. अमरकांत किस आंदोलन के एक प्रमुख कथाकार
हैं?
क छायावाद
ख प्रगतिवाद
ग प्रयोगवाद
घ नई कहानी
6. 'जिंदगी और जॉक' किनकी रचना है?
क प्रेमचंद
ख फणीश्वर नाथ रेणु
ग जैनेंद्र
घ अमरकांत
7. 'दोपहर का भोजन' कहानी की मुख्य पात्र सिद्धेश्वरी
के पति का क्या नाम है?
क मुंशी चंद्रिका प्रसाद
ख वंशीधर
ग मोहन
घ रामचंद्र
8. सिद्धेश्वरी के बड़े लड़के रामचंद्र की आयु कितनी है?
क इक्कीस वर्ष
ख
अट्ठारह वर्ष
ग
छह वर्ष
घ
दस वर्ष
9. सिद्धेश्वरी के मँझले लड़के मोहन की आयु कितनी है?
क
इक्कीस वर्ष
ख अद्वारह वर्ष
ग
छह वर्ष
घ
दस वर्ष
10. सिद्धेश्वरी के छोटे लड़के प्रमोद की आयु कितनी है?
क
इक्कीस वर्ष
ख
अट्ठारह वर्ष
ग छह वर्ष
घ
दस वर्ष
11. 'दोपहर का भोजन' कहानी मूलतः किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है?
क
उच्च वर्ग
ख निम्न मध्यवर्गीय
ग
निम्न वर्ग
घ
इनमें से कोई नहीं
12. सिद्धेश्वरी ने किसकी सब्जी बनाई थी?
क
आलू
ख
बैंगन
ग चने
घ
कहू
13. मुंशी चंद्रिका प्रसाद की आयु कितनी थी?
क
चालीस
ख
तीस
ग
पैंतीस
घ पैंतालीस
14. किसकी लड़की की शादी तय हो गई है?
क गंगा शरण बाबू
ख
मोहन
ग
रामचंद्र
घ
रामदेव
15. सिद्धेश्वरी ने कितनी रोटियाँ बनाई थी?
क
छह
ख
दस
ग
चार
घ सात
16. विभाग के क्लर्की से किनकी छटनी हुई है?
क
रामचंद्र
ख
मोहन
ग
गंगा शरण
घ मुंशी चंद्रिका प्रसाद
17. सिद्धेश्वरी का बड़ा लड़का स्थानीय दैनिक समाचार पत्र में क्या
काम सीख रहा था?
क प्रूफ रीडिंग
ख
एडिटिंग
ग
रिपोर्टिंग
घ
इनमें से कोई नहीं
18. सिद्धेश्वरी का मँझला लड़का किसका प्राइवेट इम्तिहान देने की तैयारी
कर रहा था?
क
प्राइमरी स्कूल
ख हाई स्कूल
ग
स्नातक
घ
मिडिल स्कूल
19. सिद्धेश्वरी ने आधी रोटी खाकर आधी किसके लिए रख दी थी?
क
गंगा शरण
ख
रामचंद्र
ग प्रमोद
घ
मोहन
20. कहानी का कौन सा पात्र बीमार है?
क
गंगा शरण
ख
रामचंद्र
ग प्रमोद
घ
मोहन
21. सिद्धेश्वरी हाय राम कहकर जमीन पर क्यों लेट गई?
क खाली पेट पानी पीने के कारण
ख
सर दर्द
ग पेट दर्द
घ पैर दर्द
22. मुंशी जी ने खाना खाने के बाद क्या माँगा?
क आम
ख गुड़
का रस
ग सत्तू
घ चूड़ा
23. पंडूक क्या है?
क मोर
ख उल्लू
ग कबूतर की तरह एक पक्षी
घ कौवा
24. घर में मक्खियों का भिनभिनाना पंक्ति से
घर की कैसी अवस्था का संकेत मिलता है?
क दरिद्रता
ख खुशहाली
ग संपन्नता
घ इनमें कोई नहीं
25. 'मालूम होता है, अब बारिश नहीं होगी। यह
बात मुंशी जी ने किस से कही है?
क गंगाशरण
ख सिद्धेश्वरी
से
ग रामचंद्र से
घ मोहन से
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. सिद्धेश्वरी के चेहरे पर व्यग्रता के क्या
कारण थे?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी के चेहरे पर अपनी आर्थिक विपन्नता तथा
परिवार के सदस्यों की चिंता के कारण व्यग्रता फैली हुई थी।
2. रामचंद्र घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के
लिए किन संघर्षों से गुज़र रहा है?
उत्तरः- रामचंद्र घर का सबसे बड़ा बेटा है, जो घर की आर्थिक
स्थिति सुधारने के लिए इंटर पास करने के बाद दैनिक समाचार-पत्र के दफ़्तर में प्रूफ
रीडरी का काम सीखने लगा है।
3. अमरकांत किस तरह के कथाकार है?
उत्तरः- अमरकांत मध्यम वर्ग के जीवन की वास्तविकता और विसंगतियों
को व्यक्त करने वाले कहानीकार हैं।
4. सिद्धेश्वरी ने ओसारे में अध-टूटे खटोले
पर क्या देखा?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी ने ओसारे में अध-टूटे खटोली में अपने
उह वर्षीय पुत्र प्रमोद को देखा जो नंग-धड़ग पड़ा था। वह कुपोषित था और उस पर अनगिनत
मक्खियों उड़ रही थी।
5. सिद्धेश्वरी अपने पुत्र का हाल-चाल पूछने
की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पायौ?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी अपने पुत्र का हाल-चाल पूछने की हिम्मत
इसलिए नहीं जुटा पायी क्योंकि वह अपने पुत्र के कमजोर शारीरिक स्थिति का मर्म जानती
थी।
6. सिद्धेश्वरी द्वारा झूठी बातें बनाने का
क्या कारण था?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी द्वारा झूठी बातें बनाने के पीछे कारण
यह था कि वह परिवार की एकजुटता बनाए रखना चाहती थी
7. सिद्धेश्वरी रामचंद्र को खाने में क्या
देती है?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी रामचंद्र को खाने में कुल दो रोटियों,
भर कटोरा पनियाई दाल और चने की तेली तरकारी देती है।
8. रामचंद्र की शारीरिक अवस्था का लेखक ने
कैसा चित्रण किया है?
उत्तरः- रामचंद्र की उम्र लगभग इक्कीस वर्ष थी। दुबला-पतला,
गोरा रंग, बड़ी बड़ी आँखें तथा होंठों पर झुौरैयों।
9. मुंशी चंद्रिका प्रसाद की छटनी किस विभाग
से और कब हुई थी?
उत्तरः- मुंशी चंद्रिका प्रसाद की छटनी डेढ़ महीने पूर्व
मकान किराया नियंत्रण विभाग से हुई थी।
10. सिद्धेश्वरी के घर का वातावरण कैसा था?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी का सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा
था। आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टेंगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मुंशीजी ने अपराधी की भाँति सिद्धेश्वरी
को क्यों देखा ?
उत्तरः- मुंशीजी अपनी आर्थिक स्थिति से पूर्णतः परिचित थे।
उन्हें भली-भाँति जात था कि उनके हिस्से में केवल दो ही रोटियाँ हैं और सिद्धेश्वरी
के हिस्से में शायद एक रोटी भी न हो। इस स्थिति में भी उसने बड़के की कसम मुंशीजी को
देकर एक और रोटी लेने के लिए बाध्य किया और बहुत-सी रोटी होने का दावा किया। सिद्धेश्वरी
का साहस व त्याग देखकर मुंशीजी स्वयं को इस निर्धनता का उत्तरदायी मानते हैं। यदि उन्होंने
एक और रोटी ले ली, तो वह सिद्धेश्वरी के हिस्से की रोटी खा लेंगे। इसी बात को सोचकर
उन्होंने अपराधी आव से सिद्धेश्वरी को देखा।
2. सिद्धेश्वरी ने परिवार के सदस्यों के समक्ष
क्या-क्या झूठ बोले ? और क्यों?
उत्तरः- सिद्धेश्वरी दोपहर का भोजन करने आए सभी सदस्यों को
एक-दूसरे के संबंध में झूठ बोलती है। रामचंद्र से मोहन के बारे में कहती है कि वह अपने
किसी दोस्त के यहाँ पढ़ने के लिए गया है। वह बहुत दिमागी (बुद्धिमान) है, चौबीसों घंटे
पढ़ने में लगा रहता है और रामचंद्र के बारे में मुंशीजी को बताती है कि मोहन रामचंद्र
की तारीफ कर रहा था कि भैया की शहर में बड़ी इज्ज़त है। रामचंद्र तो आपको देवता कह
रहा था और प्रमोद को कुछ हो जाए यह बिल्कुल भी सहन नहीं कर सकता। ये सभी झूठ सिद्धेश्वरी
पारिवारिक एकता व सम्मान को बनाए रखने के लिए बोलती है।
3. 'उसने पहला ग्रास मुँह में रखा और तब न
मालूम कहाँ से उसकी आँखों से टप टप आँसू चूने लगे' इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- सिद्धेश्वरी कुशल भारतीय गृहिणी है। परिवार को भोजन बनाकर
पेट भर खिलाना उसका दायित्व है, परंतु घर में पर्याप्त खाद्य सामग्री ही नहीं है, तो
उसकी व्यग्रता स्वाभाविक है। वह भली-भांति जानती है कि उसके दोनों पूत्र तथा पति मुंशी
जी ने पेट भरने का बहाना किया है, बल्कि वह तौनों तो भूखे ही उठ गए हैं। पेट भर भोजन
न मिलने के कारण परिवार के सभी सदस्यों की शारीरिक स्थिति कंकाल की भांति हो गई है।
वह स्वयं भूखी रहकर भी परिवार का पेट नहीं भर पाती। आधी रोटी प्रमोद का पेट कैसे भरेगी,
जिसके साथ न तो दाल है और न चने की तरकारी बची है। यही सब उसके अंतर्मन में चल रहा
था। जिस कारण रोटी का पहला निवाला लेते ही उसके धैर्य का बाँध टूट जाता है और आँसुओं
के रूप में बहने लगता है।
4. कहानी के अंतिम अनुच्छेद 'सारा घर मक्खियों
से......... कहीं जाना न हो' के आधार पर इस कहानी की मूल संवेदना को प्रकट कीजिए।
उत्तरः- इस कहानी की मूल संवेदना गरीबी है। कहानी में घर की बिगड़ी
आर्थिक दशा का मार्मिक चित्रण किया गया है। कहानी के अंतिम अनुच्छेद में भी आरंभ की
ही भॉति निर्धनता का परिवेश ज्यों का त्यों विद्यमान है। संपूर्ण कहानी में परिवार
की गरीबी तथा जीवन के मूलभूत साधनों का अभाव आरंभ से अंत तक बना हुआ है। घर के सभी
सदस्य परिस्थितियों से समझौता कैरते दिखाई पड़ते हैं, जिसका अंतिम अनुच्छेद साक्षी
है। 'सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था। आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टॅगी थी,
जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे। दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था। बाहर की कोठरी
में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चिंतता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान
किराया नियंत्रण विभाग की क्लर्की से उनकी छंटनी न हुई हो और शाम को उनको काम की तलाश
में कहीं जाना न हो ।'
5. 'दोपहर का भोजन' कहानी में निम्न मध्यमवर्गीय
जीवन की त्रासदी का मार्मिक चित्रण है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- लेखक ने कहानी में निम्न मध्यमवर्गीय परिवार का चित्रण
किया है। संपूर्ण परिवार आर्थिक विपन्नता से जूझ रहा है। बड़ा बेटा रामचंद्र इंटर के
बाद प्रूफ रीडरी का काम सीख रहा है, मॅझला बेटा मोहन दसवीं की प्राइवेट परीक्षा की
तैयारी में संलग्न है तथा छोटा बेटा प्रमोद कुपोषण की बीमारी से ग्रसित है। घर में
अयंकर गंदगी का वातावरण है तथा भरपेट भोजन न मिल पाने की स्थिति बनी हुई है। घर के
सभी पाँच सदस्यों के लिए मात्र सात हौं रोटियों बनाई गई हैं और दाल में पानी की मात्रा
अपेक्षाकृत अधिक है। परिवार के मुखिया मुंशी जी को नौकरी से निकाल दिया गया है। इन
सभी स्थितियों द्वारा कहा जा सकता है कि 'दोपहर का भोजन' कहानी निम्न मध्यमवर्गीय जीवन
की त्रासदी है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मुंशी जी की शारीरिक अवस्था तथा भोजन करने
का लेखक ने बिंबात्मक चित्रण प्रस्तुत किया है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- लेखक ने मुंशी जी की शारीरिक अवस्था का बिंबात्मक
चित्रण किया है तथा उसका कहानी में इस प्रकार वर्णन किया है मुंशी जी पीढ़े पर पालथी मारकर बैठे हैं। उनकी उम्र
पैंतालीस वर्ष के लगभग थी किंतु पचास- पचपन के लगते थे। शरीर का चमड़ा झूलने लगा था,
गंजी खोपड़ी आईने की भाँति चमक रही थी। गंदी धोती के ऊपर अपेक्षाकृत कुछ साफ़ बनियान
तार-तार लटक रही थी। उनकी थाली में दो रोटियाँ, कटोरा-भर दाल तथा चने की तली तरकारी
थी। मुंशी जी डेढ़ रोटी खा चुकने के बाद एक ग्रास से युद्ध कर रहे थे। उनका खाना समाप्त
हो गया था और वे थाली में बचे-खूचे दानों को बंदर की तरह बीन रहे थे। इस प्रकार, उपर्युक्त
वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि लेखक ने मुंशी जी की शारीरिक स्थिति व उनके भोजन
करने का बिल्कुल सजीव और बिंबात्मक चित्रण किया है।
2. सिद्धेश्वरी की चारित्रिक विशेषताएँ बताएँ
?
उत्तरः- 'दोपहर का भोजन' कहानी अमरकांत की नई कहानी की शिल्पगत
विशेषताओं से परिपूर्ण है, जिसकी मुख्य पात्र सिद्धेश्वरी है। सभी पात्र उसी के इर्द-गिर्द
अपने आवों को क्रियान्वित करते हैं। सिद्धेश्वरी अपनी निर्धनता व अभाव में भी जिजीविषा
की ज्योति प्रज्ज्वलित करती दिखाई पड़ती है।
सिद्धेश्वरी की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
क) साहसी तथा आत्मत्यागी- संपूर्ण परिवार आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है, परंतु सिद्धेश्वरी
पारिवारिक एकजुटता को बनाए रखती है। स्वयं पानी पीकर अपनी भूख मिटाती है तथा अपने परिवार
के लिए रोटी सँभालकर रखती है। सदस्यों के समक्ष एक- दूसरे की प्रशंसा को कल्पित बातों
से प्रकट करती है, जिससे उनमें सम्मान व एकजुटता का भाव बना रहे।
ख) सहनशील गृहिणी- सिद्धेश्वरी अपनी गरीबी से भली-भाँति परिचित होते हुए भी
न स्वयं और न ही अन्य सदस्यों को इसको आभास होने देती है। मुंशी जी के समक्ष परिवार
व घर के अभाव की चर्चा नहीं करती और न ही कोई शिकायत करती है। सिद्धेश्वरी ने स्वयं
को परिस्थिति के अनुकूल बना लिया है तथा परिवार के लिए समर्पित कर दिया है, जिससे वह
सहनशील व कर्तव्यपरायण गृहिणी के रूप में उभरती है।
ग) भारतीय नारी- सिद्धेश्वरी भारतीय नारी की झलक प्रस्तुत करती है, वह सभी
सदस्यों के पश्चात् अपने पति की जूठी थाली में भोजन करती है। अंततः वह भारतीय नारी
का परिचायक रूप प्रस्तुत करती दिखाई पड़ती है।
3. इस कहानी के आधार पर अमरकांत की कहानी कला
की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तरः- अमरकांत जी की इस कहानी में कई कलात्मक विशेषताएँ
प्रकट हुई हैं। जैसे-
क- अमरकांत जी की कहानियाँ भारतीय शहरी और ग्रामीण जीवन का
यथार्थ चित्रण हैं।
ख- अमरकांत जी ने अपनी कहानियों में मुख्यतः मध्यम वर्ग के
जीवन की विसंगतियों को सफलता पूर्वक उभारा है।
ग- अमरकांत जी सामाजिक जीवन और अपने अनुभवों को यथार्थवादी
ढंग से अभिव्यक्त करने में सफल हुए हैं।
घ- अमरकांत जी की कहानियों में शैली की मौलिकता, आँचलिक शब्द
प्रयोग से भाषा में सजीवता आ गई है।
इ - अमरकांत की कहानियों में उनका मौलिक शिल्प चमत्कृत करने
के साथ-साथ सहज भी है।
च - कहानी में पात्रों की संख्या सीमित है तथा कथावस्तु को यथानुरूप प्रस्तुत किया गया है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |