प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Elective
अंतरा भाग -1 गद्य-खंड
पाठ - 4. गूँगे
लेखक परिचय [रांगेय राघव (सन् 1923-1962)]
रांगेय राघव का जन्म आगरा में हुआ था। उनका मूल नाम तिरुमल्लै
नंबाकम वीर राघव आचाये था। उनके पूर्वज दक्षिण आरकाट से जयपुर आए और बाद में आगरा में
बस गए। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. एवं पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त
की।
रांगेय राघव ने कहानी, उपन्यास, कविता एवं आलोचना के क्षेत्र
में महत्वपूर्ण काम किया। उनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं- 'रामराज्य का वैभव', 'देवदासी',
'समुद्र के फेन', 'अधूरी मूरत', 'जीवन के दाने', 'अंगारे न बुझे', 'ऐयाश मुर्दे',
'इंसान पैदा हुआ। उनके प्रमुख उपन्यास है 'घरौंदा', विषाद-मठ, मुर्दों का टौला, सीधा-सादा
रास्ता, अँधेरे के जुगनू, बोलते खंडहर तथा कब तक पुकारूँ। उनकी रचनावली दस खंडों में
प्रकाशित हुई है।
उनकी कहानियों में समाज के शोषित-पीडित मानव जीवन के यथार्थ
का बहुत ही मार्मिक चित्रण मिलता है। उनकी आषा सरल, नाटकीय एवं प्रवाहपूर्ण है।
पाठ परिचय
पाठ्यपुस्तक में संकलित कहानी 'गूंगे' में एक गूँगे किशोर
के माध्यम से शोषित मानव की असहायता का चित्रण किया गया है। कभी वह मूक भाव से अत्याचार
सह लेता है तो कभी विरोध में आक्रोश व्यक्त करता है। लेखक ने दिव्यांगों के प्रति समाज
में व्याप्त संवेदनहीनता को रेखांकित किया है। लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है
कि दिव्यांगों को भी सामान्य मनुष्य की तरह मानना और समझना चाहिए। उनके साथ संवेदनशीलता
के साथ व्यवहार करना चाहिए ताकि वे समाज से अलग-थलग न पड़ जाएँ। कहानी के माध्यम से
लेखक ने यह कहा है कि समाज के जो लोग संवेदनहीन हैं वे भी गूंगे- बहरे हैं क्योंकि
अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति वे सचेत एवं सहृदय नहीं हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
1. गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय
किस प्रकार दिया?
उत्तरः- जब लोग गैंगे के काम के बारे में चर्चा कर रहे थे
तो गेंगे ने स्वाभिमान भरे आवेग में सीने पर हाथ मारकर इशारा किया जिसका मतलब था 'हाथ
फैलाकर कभी नहीं माँगा, भीख नहीं लेता, भुजाओं पर हाथ रखकर इशारा किया 'मेहनत की खाता
हूँ और पेट बजाकर दिखाया 'इसके लिए, इसके लिए। इस तरह बड़े नाटकीय अंदाज में उसने अपने
स्वाभिमानी होने का परिचय दिया।
2. 'मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की
प्रतिच्छाया है।' कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट
कीजिए।
उत्तरः- आज के सामाजिक परिवेश में हम देखते हैं कि लोग दुखी
हैं, परेशान हैं और हम उनके प्रति द्रवित होते हुए भौ उनके लिए कुछ खास नहीं कर पा
रहे। किसी को दर्द में देखकर हम करुणा से भर जाते हैं लेकिन आगे बढ़ कर मदद नहीं करते;
उसके लिए आवाज नहीं उठाते यही हमारा गूँगापन है।
3. "नाली का कीड़ा। 'एक छत उठाकर सिर
पर रख दी फिर भी मन नहीं भरा।" चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और
इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है ?
उत्तर:- गूंगे को काम पर रखने के कुछ दिनों बाद जब एक दिन
गूंगे की खोज होने लगी तो उसका कुछ पता नहीं चला। बाद में ज्ञात हुआ कि वह कहीं भाग
गया है। चमेली के पति ने जब व्यंग्य करते हुए चमेली से कहा कि 'वह भाग गया होगा तब
चमेली ने गुस्से में कहा कि "नाली का कीड़ा। 'एक छत उठाकर सिर पर रख दी फिर भी
मन नहीं भरा।" इसके माध्यम से चमेली की उस मानसिकता का पता चलता है जिसमें यह
माना जाता है कि निम्न वर्ग के लोगों को बदलने की कोशिश भी करो तो वो अपने को बदलना
नहीं चाहते। बेहतर जीवन जीने के लिए सुविधाएँ भी दी जाएँ तब भी वे अपनी बुरी प्रवृत्तियों
को छोड़ना नहीं चाहते। इस कथन में कुछ सच्चाई तो है पर कुछ उच्च वर्ग का निम्न वर्ग
के प्रति पूर्वाग्रह भी है।
4. यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में
चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता ?
उत्तरः- मेरी दृष्टि में चमेली का व्यवहार बहुत वात्सल्यपूर्ण
एवं ममतामयी होता यदि बसंता गूँगा होता। बसला चूँकि चमेली का अपना सगा बेटा है इसलिए
वह उसकी अतिरिक्त देखभाल करती और उसकी गलतियों को नज़रअन्दाज़ कर देती। उसे अपना समझकर
उसे माफ़ कर देती, सज़ा नहीं देती। बसंता के लिए चमेली के दिल में क्रोध की जगह करुणा
होती और दंड की जगह प्यार। अपने बेटे के लिए दिल में दर्द होता है पराये के लिए दिल
नहीं पिघलता।
5. 'उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उसमें
एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था' क्यों ?
उत्तर:- खेल-खेल में गूँगे से नाराज होकर बसंता ने गूंगे
को चपत जड़ दी थी। गूंगे का हाथ बसंता पर उठा लेकिन उसने बसंता को मारा नहीं। उसने
चमेली का हाथ पकड़कर जैसे उसे न्याय करने को कहा लेकिन चमेली ने अपने पुत्र बसंता को
कोई दंड नहीं दिया। इस बात से दुखी होकर होकर गूंगे गूँगे की आँखों में आँसू आ गए।
चमेली के पक्षपात भरे व्यवहार ने गूंगे के हृदय में उसके प्रति तिरस्कार जगा दिया।
उसकी आँखों में आक्रोश के आँसू थे और आँसुओं में तिरस्कार की ज्वाला।
6. 'गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था'- सिद्ध कीजिए ।
उत्तरः-
जब चमेली ने बसंता को गूंगे को पीटने की सज़ा नहीं दी तब गूंगे की आँखों से आँसुओं आँसुओं
के अंगारे टपक पड़े। चमेली के पुत्र-मोह के कारण गूंगे के व्यवहार में रोष उत्पन्न
हुआँ जो शिकायतपूर्ण था। चमेली के पक्षपात के प्रति गूंगे के मन में तिरस्कार साफ झलक
रहा था जैसे वह चीख-चीख कर कह रहा हो कि यह अन्याय है; मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूँगा
लेकिन उसकी चीख गले में ही अटक कर रह गई। पेट की आग ने उसे गुलाम बनने पर मजबूर अवश्य
कर दिया हो लेकिन बसंता से मार खाने के बाद उसका हाथ प्रतिकार के लिए उठा था; यह अलग
बात है कि उसने बसंता को मारा नहीं। स्वाभिमान के लिए सीना ठोकना, बदले के लिए हाथ
उठाना और चमेली के पक्षपात के विरोध में आँसू भरकर तिरस्कार जताना सिद्ध करता है कि
गूँगा दया या सहानुभूति नहीं चाहता वह अपना बालसुलभ न्यायोचित अधिकार चाहता है।
7. 'गेंगे' कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और
क्यों ?
उत्तरः-
गूंगे कहानी पढ़कर मेरे मन में मूलतः तीन तरह के भाव उत्पन्न हुए- गूँगे जैसे दिव्यांग
एवं अनाथ बच्चों के प्रति समाज को संवेदनशील होना चाहिए। न वो मन बहलाने की 'चीज' हैं,
न मज़ाक उड़ाने का 'सामान'। दया और सहानुभूति दिखा कर, उनको नौकर बनाकर उनका शोषण करने
की भी आवश्यकता नहीं। उनकी और रोटी फेंक कर उनको अपमानित करने की ज़रूरत नहीं। वक्त-बेवक्त
उन्हें गाली देना, अनावश्यक डॉटना- फटकारना, मारना-पीटना भी उचित नहीं-वे गुलाम नहीं
हैं। वे इसी समाज के अभिन्न अंग और राष्ट्र की अमानत हैं। बच्चे देश का भविष्य हैं,
उन्हें सँवारने की ज़रूरत है, तिरस्कार करने की नहीं।
गूँगा
एक विशिष्ट बालक है। वह तेज़-तर्रार, मेहनती, समझदार, कामकाजी एवं स्वाभिमानी बच्चा
है जो सहज भाव से प्यार और तिरस्कार को महसूस करता है। वह आज़ाद-खयाल, घुमक्कड़ स्वभाव
का बच्चा है उसे किसी की गुलामी पसंद नहीं इसलिए वह बार-बार भाग जाता है। चमेली ने
गूंगे को कहीं नाली का कीड़ा', 'मक्कार', 'बदमाश', 'कुत्ता' कहा और समझा है लेकिन मैं
स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि वह घुमक्कड़ है नाली का कीड़ा नहीं, अनाथ है मक्कार नहीं,
भूखा है बदमाश नहीं, एहसानमंद है कुल्ला नहीं, इंसान है जानवर नहीं।
ऐसे
बच्चों को सामाजिक सुरक्षा एवं सरकारी संरक्षण की जरूरत है नहीं तो जो बच्चे देश का
भविष्य हैं उन्हीं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। अनाथाश्रम, बाल सुधारगृह, कल्याण विद्यालय,
आवासीय पाठशाला बनाकर इनके जीवन को नई दिशा दी जा रही है यह समाज और सरकार की उपलब्धि
है। अब देखना है कि कोई वंचित बच्चा अकेला छूट न जाए। गरीबी और भूख की आग में किसी
का बचपन न झुलस जाए।
8. कहानी का शीर्षक 'गूंगे' है जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है।
इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है ?
उत्तरः-
इस कहानी में 'गूँगा' पात्र एक ही है, जिसको केंद्र में रखकर कहानीकार रांगेय राघव
जी ने प्रत्येक व्यक्ति के अंदर
के गूँगेपन पर करारा व्यंग्य किया है। चमेली का यह सोचना कि "आज दिन ऐसा कौन है,
जो गूँगा नहीं है।" इस पाठ का निचोड़ है। आज हमलोग हर तरफ अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार,
घृणा, धार्मिक विद्वेष, जातीय हिंसा एवं स्वार्थ की आग को देख रहे हैं, लेकिन प्रतिकार
नहीं कर रहे। हमारी आवाज कहीं गले में अटक कर रह गई है हम मानो गूँगे हो गए हैं। इन
परिस्थितियों पर हमें रोष आता है, हम गुस्से से भर जाते हैं लेकिन कई कारणों से वह
फूट करें बाहर नहीं आता। हमारी आवाज़ घटकर रह गई है हम मूकदर्शक बनकर चौराहे पर खड़े
हैं। इन परिस्थितियों को बदलने की जरूरत है। दुष्यंत कुमार के शब्दों में कहें तो-
'सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं।
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।'
9. यदि 'स्किल इंडिया' जैसा कोई कार्यक्रम
होता तो क्या गूँगे को दया और सहानुभूति का पात्र बनना पड़ता ?
उत्तरः- यदि 'स्किल इंडिया' जैसा कोई कार्यक्रम उस समय
चलता तो गूँगे जैसे लड़कों को किसी
की दया या सहानुभूति की जरूरत नहीं पड़ती। वे सरकारी आवासीय या कल्याण विद्यालय में
पढ़ाई करके 'स्किल इंडिया' से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी आजीविका चलाने हेतु पर्याप्त
आय कमा लेते और स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीते। सरकार ने सुदुर देहात, दुर्गम जंगली इलाके
में भी कई तरह के विद्यालय तथा एकलव्य विद्यालय की स्थापना की है ताकि जरूरतमंद बच्चों
की देखभाल की जा सके। ऐसे आवासीय विद्यालय में पालन-पोषण के साथ उनकी पढ़ाई भी सुचारू
रूप से चलती है और बड़े होकर वे 'स्किल इंडिया से प्रशिक्षित होकर इज़्ज़त की रोटी
कमा सकते हैं।
10. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित
व्याख्या कीजिए।
क. करुणा ने सबको.......... जी जान से लड़
रहा हो।
उत्तरः- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'अंतरा-भाग-1'
के 'गैंग' पाठ से उद्धृत है। इन पंक्तियों में कहानीकार रांगेय राघव जी ने गूँगे की
व्यथा को वाणी दी है।
गूँगा उत्कट ढंग से बोलने का प्रयास करता है लेकिन उसकी आवाज़
केवल कर्कश कॉय कॉय साबित होती है। कुछ अस्पष्ट ध्वनियों निकलती हैं जैसे कोई अर्थहीन
शब्दों का वमन कर रहा हो। लगता है आदिमानव भाषा बनाने के लिए संघर्ष कर रहा हो। दरअसल
गूँगा आवाज़ तो करता है लेकिन वह अस्पष्ट, अर्थहीन और कर्कश ही लगता है उसका कोई मतलब
नहीं निकलता।
लेखक ने गूंगे की स्थिति का यथार्थ चित्रण किया है। भाषा
ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली है।
ख. वह लौटकर चूल्हे पर………. आदमी गुलाम हो जाता
है।
उत्तरः- उद्धृत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक 'अंतरा-आग-1'
के 'गूंगे'अध्याय
से गयी हैं जिसमें लेखक ने गैंगे होने की पीड़ा और पेट की आग को बुझाने के लिए स्वीकार
की गई गुलामी के दर्द को उकेरा है। चमेली यह सोचकर दर्द से भर जाती है कि यदि मेरा
बेटा बसंता गूँगा होता तो क्या वह भी इसी गूंगे की तरह दुख उठाता? अपने भार्यों को
भाषा में अभिव्यक्त न कर पाने की पीड़ा सबसे दुखद है।
चूल्हे की आग को देखकर चमेली को पेट की आग की याद आ जाती
है जो सबसे भयानक है। इसी आग को बुझाने के लिए आदमी आदमी का गुलाम बन जाता है और गुलामी
से बढ़कर कोई नरक नहीं।
वास्तव में दुनिया के सारे धंधे इसी पेट की आग के चारों ओर
चक्कर काटते हैं। सारे अच्छे बुरे कर्म इसी के कारण होते हैं। क्या राजा, क्या रंक,
रंक, ऋषि-मुनि, ओझा-गुनी कोई इससे बरी नहीं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कवितावली के
उत्तरकांड में बड़ी पीड़ों के साथ लिखा है- "आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेट की।"
लोक प्रचलित कहावत भी है "बाबूजी पेट नहीं होता तो आपसे भेंट नहीं होता।"
लेखक की भाषा चुटीली एवं धारदार है।
ग. और फिर कौन .............. ज़िन्दगी बिताए।
उत्तरः- व्याख्येय पंक्तियाँ 'अंतरा-भाग-1' के 'गूंगे' कहानी से ली
गई हैं जिसमें कहानीकार रांगेय राघव ने चमेली के माध्यम से 'गेंगे' के संदर्भ में उच्चवर्गीय
मानसिकता का चित्रण किया है।
गैंगे के चोरी करने के प्रसंग पर चमेली क्रोध से कॉप उठती
है। उसे लगता है कि मारने-पीटने से यह नहीं सुधरेगा। इसके अपराध को स्वीकार करा कर
दंड न देना ही इसके लिए सबसे बड़ा 'दंड' है। फिर सोचती है कि छोड़ो यह कोई मेरा अपना
तो है नहीं कि इसके सुधारने के लिए ज़्यादा परेशानी ली जाए। ठीक से रहे सुधारन तौ रहे
वरना गली के कुत्ते की तरह मारा-मारा फिरे और जूठन खाकर जिंदगी बिताए। दर-दर अपमानित
और लाजित होता रहे।
इस प्रसंग में देखें तो चमेली दयालु एवं करुणामयी होते हुए
भी स्वार्थी औरत की तरह सोचती है कि छोड़ो जाने दो कौन उसे सुधारने में अपना वक्त बर्बाद
करे। चूंकि वह अपना नहीं है तो उसे सुधारने का दायित्व भी उसका नहीं है। अपने-पराए
के भेद भाव ने ही इस समाज को दायित्वविहीन बना दिया है। चमेली को यशोदा माँ बनना था,
मदर तेरेसा की तरह सोचना था लेकिन वह एक स्वार्थी माँ एवं गैर ज़िम्मेदार कठोर मालकिन
बनकर रह गई। बेटे जैसे बच्चे को पल्लू में पालने वाली औरत जब अपना पल्ला झाड़ ले तो
अनाथों का खुदा ही हाफ़िज़ है, ईश्वर ही मालिक है।
घ.
और ये गूँगे ……….. क्योंकि वे असमर्थ हैं ?
उत्तरः- इस गद्यांश में लेखक ने उन सबको गूँगा कहा है जो
अन्याय और अत्याचार सहकर भी कुछ नहीं। हा कह कहते। 'अंतरा- भाग-1' के अध्याय 'गूंगे'
की ये केन्द्रीय पंक्तियों हैं।
लेखक रांगेय राघव ने कहा है कि जो लोग जुल्म और अत्याचार
का प्रतिकार नहीं कर पाते वे गूंगे-बहरे हैं, उनकी आत्मा मर चुकी है। वे इतने कायर
है कि गलत को देखकर भी बाई का विरोध नहीं कर पाते। स्वार्थ के लिए उन्होंने अपने स्वर
को गिरवी रख दिया है। वे घुट-घुटकर चुपचाप जी रहे हैं और जिंदगी का जहर पी रहे हैं।
वे इंसान नहीं हैं स्वार्थी, सुविधाभोगी, शोषित- वंचित, दुर्बल, कायर, मुर्दा हैं।
उन्हें जिंदा कहना जिंदों का अपमान है।
लेखक ने झकझोर देने वाली भाषा में गूँगों की कायरता पर प्रहार
किया है। व्यंजना के कारण भाषा मारक बन पड़ी है।
11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
क. कैसी यातना है कि वह अपने हृदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल
नहीं पाता।
उत्तरः-
इस पंक्ति में लेखक कहना चाहता है कि गूँगा अपने गूँगेपन के कारण इतना मजबूर है कि
वह अपनी हर बात लोगों तक पहुँचा देना चाहता है लेकिन गले में गड़बड़ी के कारण वह बोल
नहीं पाता। वह बहुत प्रयास करता है कि वह बोले और लोग समझें लेकिन तमाम प्रयास बेकार
हो जाते हैं। यही बेबसी, यही लाचारी उसके लिए यातनापूर्ण है।
ख. जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ
नहीं कहा।
उत्तरः-
पाठ के अंतिम चरण में जब चमेली उसे धिक्कारते हुए कहती है कि "जा, तू इसी वक्त
निकल जा.... तैब गूँगा हतप्रभ रह जाता है। वह स्तब्ध रह जाता है कुछ बोल नहीं पाता
है। लेखक ने बड़े सुंदर ढंग से गूंगे के व्यक्तित्व को रेखांकित किया है कि वह 'मंदिर
की मूर्ति' की तरह जड़वत रह गया कुछ कह नहीं पाया। जैसे 'मंदिर की मूर्ति पवित्र एवं
निष्कलंक होती है, वैसे ही 'गेंगे' का बालपन पवित्र और निष्पाप है। उसमें अभी भी मासूमियत
बची हुई है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'गूंगे' कहानी के कहानीकार कौन हैं?
(क)
प्रेमचन्द
(ख)
उदय प्रकाश
(ग) रांगेय राघव
(घ)
अमरकांत
2. 'गूंगे' कहानी में दिव्यांग कौन है ?
(क)
बसंता
(ख) गूँगा
(ग)
चमेली
(घ)
सुशीला
3. 'गूंगे' किस विधा की रचना है ?
(क) कहानी
(ख)
एकांकी
(ग)
उपन्यास
(घ)
संस्मरण
4. 'अधूरी मूरत' के रचनाकार कौन हैं?
(क)
प्रेमचन्द
(ख)
अमरकांत
(ग) रांगेय राघव
(घ)
हरिशंकर परसाई
5. 'जीवन के दाने' कहानी संग्रह किसकी है ?
(क)
सुधा अरोड़ा
(ख)
भारतेंदु हरिश्चंद्र
(ग)
ओमप्रकाश वाल्मीकि
(घ) रांगेय राघव
6. 'अंगारे न बुझे' किसकी रचना है ?
(क)
कबीर
(ख) रांगेय राघव
(ग)
महादेवी वर्मा
(घ)
सूरदास
7. 'ऐयाश मुर्दे' किसने लिखी है ?
(क) रांगेय राघव
(ख)
पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र'
(ग) सुधा अरोड़ा
(घ) नागार्जुन
8. 'इंसान पैदा हुआ' किसकी पुस्तक है ?
(क) श्रीकांत वर्मा
(ख) धूमिल
(ग) रांगेय राघव
(घ) तुलसीदास
9. 'कब तक पुकारूँ' उपन्यास किस उपन्यासकार
की कृति है?
(क) फणीश्वरनाथ रेणु
(ख) रांगेय राघव
(ग) हरिवंश राय बच्चन
(घ) जयशंकर प्रसाद
10. 'गूंगे' कहानी में किसके प्रति समाज में
संवेदनहीनता को रेखांकित किया गया है ?
(क) दिव्यांग
(ख) किसान
(ग) मज़दूर
(घ) स्त्री
11. 'गूंगे' ने अपनी भुजाओं पर हाथ रखकर क्या
संकेत दिया ?
(क) भीख नहीं लेता
(ख) भुजाओं में बल है
(ग) मेहनत की खाता हूँ
(घ) लड़ सकता हूँ
12. 'गूंगे' कहानी के अनुसार किसने प्रथम बार
अनुभव किया कि यदि गले में काकल तनिक ठीक नहीं हो तो मनुष्य क्या से क्या हो जाता है
?
(क) सुशीला ने
(ख) चमेली ने
(ग) बसंता ने
(घ) शकुंतला ने
13. 'गूँगे' को किसने पाला था ?
(क) चाचा-चाची ने
(ख) ताऊ ताई ने
(ग) मौसा-मौसी ने
(घ) बुआ-फूफा ने
14. गूँगा कितने पैसे में चमेली के यहाँ काम
करने के लिए तैयार हुआ ?
(क) 10 रुपए
(ख) 4 रुपए
(ग) 5 रुपए
(घ) 8 रुपए
15. चमेली के बेटे का नाम क्या था ?
(क) बसंता
(ख) बसंत
(ग) मंतोष
(घ) हेमंत
16. चमेली की पुत्री का नाम क्या है ?
(क) शकुन्तला
(ख) मनोरमा
(ग) राधा
(घ) किसनी
17. किसने कहा- "इशारे गज़ब के करता है।"
(क) शकुंतला ने
(ख) सुशीला ने
(ग) सिद्धेश्वरी ने
(घ) चमेली ने
18. गूँगा को काम पर किसने रखा ?
(क) चमेली ने
(ख) दुकानदार ने
(ग) शकुंतला ने
(घ) बसंता ने
19. गूँगा किस कारण से गूँगा है ?
(क) जन्म से बहरा होने के कारण
(ख) गले में काकल न होने के कारण
(ग) बोल न पाने के कारण
(घ) इनमें से सभी
20. गूँगा कहानी में चमेली ने क्या अनुभव किया ?
(क) गले में काकल तनिक ठीक नहीं हो तो आदमी क्या से क्या हो जाता है।
(ख)
गले में काकल तनिक ठीक नहीं हो तो इंसान को मर जाना चाहिए।
(ग)
गले में काकल ठीक नहीं हो तो मनुष्य को खाना नहीं खाना चाहिए।
(घ)
गले में काकल ठीक नहीं हो तो मनुष्य को गाना नहीं गाना चाहिए।
21. 'काकल' का क्या अर्थ है ?
(क)
कोयल
(ख)
गला
(ग) गले के भीतर की घाँटी
(घ)
आवाज़
22. "दुनिया हँसती है, हमारे घर को अब अजायबघर नाम मिल गया है।"
यह कथन किसने कहा ?
(क) चमेली ने
(ख)
चमेली के पति ने
(ग)
गूँगे ने
(घ)
सुशीला के पति ने
23. खेलते-खेलते किसने कसकर 'गूंगे' को चपत जड़ दी ?
(क)
रामा ने
(ख)
चमेली ने
(ग) बसंता ने
(घ)
शकुंतला ने
24. गूँगा कहाँ से मार खाकर आया था ?
(क)
थाने से
(ख)
स्कूल से
(ग) सड़क के लड़कों से
(घ)
दुकान से
25. "क्यों रे तूने चोरी की है? यह प्रश्न "गूंगे" से
किसने किया ?
(क)
बसंता ने
(ख)
सुशीला ने
(ग)
लेखक ने
(घ) चमेली ने
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. रांगेय राघव जी का मूल नाम बताते हुए उनकी शिक्षा के बारे में संक्षेप
में लिखिए।
उत्तरः-
रांगेय राघव जी का मूल नाम 'तिरुमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय
से हिंदी में एम.ए. एवं पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी।
2. रांगेय राघव जी की दो कहानी संग्रह के नाम लिखते हुए उनकी भाषा शैली
पर प्रकाश डालें।
उत्तरः-
रांगेय राघव जी की दो कहानी संग्रह के नाम हैं-
क.
रामराज्य का वैभव
ख. देवदासी
रांगेय राघव जी की भाषा सरल, नाटकीय एवं प्रवाहपूर्ण है।
3. गैंगे कहानी में उसके माता-पिता के बारे
में क्या जानकारी दी गई है ?
उत्तर:- 'गेंगे' कहानी में गूँगा इशारे से बताता है जिसका
अर्थ लोग समझते हैं कि जब वह छोटा था तब 'माँ जो घूँघट काढती थी, छोड़ गई, क्योंकि
'बाप' जो बड़ी-बड़ी मूँछ रखता था, मर गया।
4. चमेली ने गूंगे को देख कर पहली बार क्या
अनुभव किया ?
उत्तरः- चमेली ने गूंगे को देखकर पहली बार अनुभव किया कि
'गले में काकल तनिक ठीक नहीं हो तो मनुष्य क्या से क्या हो जाता है।' कैसी यातना है
कि वह अपने हृदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।
5. चमेली के पास आने के पहले गूँगा क्या-क्या
कर चुका था ?
उत्तरः चमेली के पास आने से पहले गूँगा निम्नलिखित कार्य
कर चुका था हलवाई के यहाँ रात भर लड्डू बनाया था। किसी के घर में नौकरी की थी जहाँ
सभी कार्यों के अतिरिक्त कपड़े भी धोए थे।
6. गूंगे का लालन-पालन किसके यहाँ हुआ वे उसके
साथ कैसा व्यवहार करते थे ?
उत्तरः- गूँगा अपनी बुआ के यहाँ पला बढ़ा लेकिन वे उससे नौकरों
की तरह कार्य कराते थे। वे चाहते थे कि गूँगा बाज़ार में पल्लेदारी करे और बारह-चौदह
आने कमाकर लाए।
7. क्या गूँगा एक जगह टिककर रहता था यदि नहीं
तो क्यों ?
उत्तरः- गूँगा एक जगह टिककर कभी नहीं रहता था क्योंकि वह
किशोरावस्था में पहुँचा हुआ आज़ाद स्वभाव का बच्चा था। वह जगह-जगह नौकरी करता था और
मन नहीं जमने पर उसे छोड़कर दूसरी जगह चला जाता था।
8. बसंता एवं गूंगे के बीच झगड़े का क्या कारण
था ? गूँगे का व्यवहार कैसा था ?
उत्तरः खेलते समय बसंता को लगा कि गूँगा उसे मारना चाहता
है उसके पहले कि गूँगा कुछ करता बसंता ने ही उसे तमाचा मार दिया। क्रोध में गूंगे ने
हाथ उठाया लेकिन यह सोच कर कि बसंता मालिक का बेटा है उसका हाथ रुक गया।
9. गूँगा जब चोरी करके आया तो चमेली के मन
में क्या विचार उठे ?
उत्तरः- गूँगा जब चोरी करके आया तो चमेली ने मन में सोचा
कि यह मारने से ठीक नहीं हो सकता। अपराध को स्वीकार करा दंड न देना ही शायद कुछ असर
करे और फिर कौन मेरा अपना है।
10. पाठ के अंत में चमेली ने किस तरह धिक्कारते
हुए गूंगे को निकल जाने के लिए कहा ?
उत्तरः- चमेली ने गूंगे को धिक्कारते हुए कहा- जाओ निकल जाओ।
ढंग से काम नहीं करना है तो तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं। नौकर की तरह रहना है रहो,
नहीं तो बाहर जाओ। यहाँ तुम्हारे नखरे कोई नहीं उठा सकता। किसी को भी इतनी फुर्सत नहीं
है. समझे?
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. पाठ के अंत में गूंगे के व्यवहार से दुखी
होकर चमेली ने आवेश में क्या कहा ?
उत्तरः- गूंगे की चोरी की आदत एवं आवारागर्दी से क्षुब्ध
होकर चमेली ने आवेश में चिल्लाकर कहा "मक्कार, बदमाश! पहले कहता था, भीख नहीं
माँगता और सबसे भीख माँगता है। रोज-रोज भाग जाता है, पत्ते चाटने की आदत पड़ गई है।
कुत्ते की दुम क्या कभी सीधी होगी? नहीं। नहीं रखना है हमें, जा, तू इसी वक्त निकल
जा..।"
2. चमेली के आवेशित होकर भगाने के बावजूद गूंगे
का व्यवहार कैसा रहा और वह क्या सोचता रहा ?
उत्तरः- चमेली के आवेशित होकर भगाने के बावजूद गैंगे का व्यवहार
सामान्य बना रहा। जैसे उस पर उस क्षोभ और क्रोध का कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि वह भाव
तो समझ रहा था पर शब्दों के आघात से बरी था। वह सिर्फ इतना समझ सका कि मालकिन नाराज
है और निकल जाने को कह रही है। इस बात पर उसे अचरज हुआ लेकिन उसे विश्वास नहीं हुआ।
3. दिव्यांग बच्चों के प्रति समाज का व्यवहार
कैसा रहता है? आपके विचार से कैसा रहना चाहिए ?
उत्तरः- दिव्यांग बच्चे के प्रति समाज में दो तरह का व्यवहार
देखा जाता है-
अधिकांश लोग दिव्यांगों को लाचार, बेचारा, असहाय समझते हैं
और उनके प्रति उनके मन में दया, करुणा एवं सहानुभूति का जन्म होता है। ऐसे लोग अनजाने
में उनके दिल को ठेस लगाते हैं।
दूसरी तरह के लोग उनकी दिव्यांगता पर व्यंग्य करते है, उन्हें
हास्य-मजाक का पात्र समझते हैं और यदि वह निम्न वर्ग का हुआ तो उसे दुत्कार कर अपनी
नफ़रत का इजहार करते हैं।
मेरे विचार से दिव्यांग बच्चों के प्रति संवेदनशील होने की
ज़रूरत है लेकिन उन्हें बेचारा या लाचार मानने की आवश्यकता नहीं। उनको मौका दीजिए मजबूर
मत समझिए। कभी-कभी दिव्यांगता दुर्घटनावश भी होती है इसलिए न उनका मजाक उड़ाना चाहिए
न उनसे नफरत करनी चाहिए।
4. क्या आपको लगता है कि दिव्यांग बच्चों को
अलग विद्यालय में शिक्षा देनी चाहिए ?
उत्तरः- दिव्यांगता के कई प्रकार होते हैं। उनकी दिव्यांगता
के स्तर के आधार पर उनकी शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि वे सामान्य ढंग
से अपना कार्य कर पा रहे हैं तो उन्हें सामान्य विद्यालय में ही सबके साथ शिक्षा देना
उचित होगा; हों। उनके लिए विशेष शौचालय एवं सीढ़ियों की व्यवस्था विद्यालय में ही हो।
फिर उनकी
मर्जी और सुविधा भी देखनी चाहिए कि वे कहाँ सहज महसूस कर पाएँगे। जिन बच्चों की दिव्यांगता
जटिल प्रकार की हो उन्हें विशेष विद्यालय में शिक्षा देनी चाहिए ताकि उनकी आवश्यकता
के अनुसार उनको शिक्षित किया जा सके। उन्हें यह छूट भी मिलनी चाहिए कि वे जहाँ चाहें
पढ़ सकें।
5. कहानी के आधार पर चमेली के स्वभाव पर प्रकाश
डालें।
उत्तरः- चमेली मिश्रित स्वभाव की स्त्री है उसके गुण-अवगुण
घुल-मिल कर सामने आते हैं। जहाँ एक और वह भावुक, दयालु, करुणापूर्ण एवं ममतामयी स्त्री
है वही चिड़चिड़पन की शिकार, पुत्र मोह से ग्रस्त, दूसरों की बात पर कान देने वाली,
सत्य-असत्य का निर्णय किए बिना घृणा और तिरस्कार करने वाली, गाली-गलौज करने वाली स्त्री
के रूप में कहानी में दिखाई पड़ती है। वह न बहुत अच्छी है न बहत ब्री है, आग और पानी,
राग और दैवेष उसके भीतर साथ-साथ चलते हैं। उसका सारा निर्णय भावुकता से ओत-प्रोत होता
है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. 'गैंगे' कहानी के आधार पर गूंगे का चरित्र-चित्रण
कीजिए।
उत्तरः- कहानी की घटनाओं की समीक्षा करें तो देखेंगे कि गैंगे
में गुण अधिक है अवगुण कम। जहाँ एक ओर वह ज़हीने नज़र आता है वहीं अपनी उम्र के बालकों
से अधिक समझदार भी है। पेट भरने के मामले में वह स्वाभिमानी है तो स्वभाव से स्वतंत्रता
प्रिय भी। अन्याय के प्रतिकार के क्षेत्र में वह साहसी है तो एहसान चुकाने के संदर्भ
में अत्यंत कृतज भी।
अवगुण के नाम पर उसमें सिर्फ दो अवगुण नज़र आते -
क वह एक जगह टिक कर नहीं रहता है और
ख- कभी-कभी वह चोरी करता है।
जैसा इस कहानी में मध्य वर्ग की चमेली जैसे लोग समझते हैं
कि वह भगोड़ा है तो यह इल्ज़ाम उस पर सटीक नहीं बैठता। यदि वह भगोड़ा होता तो बार-बार
लौट क्यों आता? दरअसल वह उस घर की तलाश में है जहाँ उसे आदर के साथ स्नेह भी प्राप्त
हो। किसी कारण से जब उसे दुत्कारा जाता है तब वह बर्दाश्त नहीं कर पाता और कुछ समय
के लिए कहीं और चला जाता है। बच्चे चंचल होते हैं; उनसे बड़ों की तरह की गुलामी की
उम्मीद करना उचित नहीं।
गूँगा पेशेवर चोर भी नहीं है। कहानी में बहुत स्पष्ट नहीं
है कि उसने किसके घर से क्या चायों है। एक जगह चमेली पूछती है कि क्यों रे तूने चोरी
की है? इसके उत्तर में वह सर झुकाकर चुप-चाप चमेली के क्रोध का जहर पी लेता है प्रतिकार
नहीं करता। हो सकता है भूख से पीडित उसने कुछ खाने का सामान उठाकर खा लिया हो? इसके
आधार पर उसे पक्का चोर साबित करना उसके बाल स्वभाव पर अत्याचार होगा। दरअसल वह एक ऐसा
अनाथ और दिव्यांग लड़का है जो परिस्थितिवश इन अवगुणों का शिकार है प्रवृत्तिवश नहीं।
वह प्यारा सा मासूम किशोर स्नेह का पात्र है घृणा और तिरस्कार का नहीं।
2. क्या छोटे बच्चे से काम करवाना उचित है?
ऐसे बच्चों के लिए समाज और सरकार का क्या दायित्व है
?
उत्तरः- 14 वर्ष से छोटे बच्चे से काम करवाना कानूनी तौर
पर जुर्म है। लेकिन प्रश्न है कि क्या 15 वर्ष का बच्चा यदि अनाथ हो गया हो तो वह अपनी
ज़िम्मेदारी उठा पायेगा? इसे बढ़ाकर 18 वर्ष करने की ज़रूरत है। आज भी बहुत से बच्चे
गैराज में, होटलों में, अमीर लोगों के घरों मैं काम करके अपनी आजीविका चला रहे हैं।
हर समाज में अनाथाश्रम जैसी संस्थाएँ हैं जहाँ ऐसे बच्चों
के लालन-पालन की सुविधा उपलब्ध है किंतु सबकी पहुँच वहाँ तक नहीं है। ऐसी संस्थाओं
की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके बच्चे नहीं हैं उन्हें
ऐसे बच्चों को गोद लेना चाहिए। इससे दोनों की जरूरतें पूरी होंगी। गोद लेने की प्रक्रिया
सहज हो और लगातार वे सरकार की निगरानी में रहें। कोरोना महामारी के बाद इसकी आवश्यकता
बढ़ गई है।
आजादी के बाद सरकार ने ऐसे अनाथ बच्चों के लिए विभिन्न तरह
के आवासीय विद्यालय खोले हैं जिनमें उनके लिए बहुत सुन्दर व्यवस्था है। स्किल इंडिया'
के कार्यक्रम भी उनको आत्मनिर्भर बनाने में बहत मदद कर रहे हैं। ऐसे ही अन्य कार्यक्रमों
की जानकौरी सर्वसुलभ हो ताकि ज़रूरतमंद लोग उसका फायदा उठा सकें।
यदि अमीर और सक्षम लोग थोड़ा सा सहयोग करें और विभिन्न एन.जी.ओ.
सही ढंग से कार्य करें तो सरकार का काम बहुत आसान हो जाएगा। फिर कोई अनाथ वंचित, पीड़ित,
शोषित नहीं रह जाएगा।
3. दुनिया के किसी एक महान दिव्यांग व्यक्ति
के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत करें जिन्होंने दिव्यांगता के बावजूद समाज
के लिये बेहतरीन काम किया हो।
उत्तरः- गूँगी-बहरी और नेत्रहीन हेलेन केलर (Helen
Keller) को नाम कौन नहीं जानता? 27 जून, 1880 ई. को अलबामा, अमेरिका में उनका जन्म
हुआ था। जब वे मात्र 19 माह की र्थी उस समय 'स्कौलेंट फीवर' होने के कारण उनकी बोलने,
सुनने एवं देखने की क्षमता चली गई। अपनी दिव्यांगता पर उन्हें बहुत खीज होती थी लेकिन
सात वर्ष की अवस्था में उन्हें एन. सुलेवन के रूप में एक बेहतरीन शिक्षिका मिली जिन्होंने
उनका जीवन ही बदल दिया।
ब्रेल लिपि सीखकर उन्होंने पढ़ाई शुरू की और हावर्ड विश्वविद्यालय
के रेड क्लिफ कॉलेज में बी.ए. में दाखिला लिया। 1904 ई. में बी.ए. की टॉपर रहीं और
उसी वर्ष उन्होंने अपनी आत्मकथा 'द स्टोरी ऑफ माई लाइफ" ("The story of
my life") लिखी जिसने पूरे विश्व में धूम मचा दी।
उन्होंने 14 पुस्तकों के साथ-साथ 475 निबंध लिखकर संसार को
चौकेत कर दिया। 39 देश में घूम-घूमकर उन्होंने दुनिया के बड़े-बड़े एवं महान नेताओं
से मिलकर दिव्यांग बच्चों, महिलाओं एवं मज़दूरों की भलाई के लिए बहुत काम किया।
अपनी दिव्यांगता पर विजय पाकर उन्होंने कड़ी मेहनत, लगातार प्रयास एवं दृढ़ निश्चय से वो सारे काम किए जो कर्मठ लोगों के लिए भी सपना है। ऐसी विभूति से प्रेरणा लेकर सबको कुछ बड़ा करना चाहिए। उन्हें शत- शत नमन है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
पाठ सं. | पाठ का नाम |
अंतरा भाग -1 | |
गद्य-खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
काव्य-खंड | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
अंतराल भाग 1 | |
1. | |
2. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |