Class 11 Hindi Core वितान पाठ 1. भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर

Class 11 Hindi Core वितान पाठ 1. भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर

Class 11 Hindi Core वितान पाठ 1. भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11 Hindi Core

वितान

पाठ 1. भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर - कुमार गंधर्व

जीवन-सह-साहित्यिक परिचय

लेखक- कुमार गंधर्व

जन्म- 8 अप्रैल, 1924 सुलेभावि, जिला बेलगांव (कर्नाटक)

मूल नाम- शिवपुत्र सढिदारमैया कोमकाली पत्नी वसुन्धरा कोमकाली,

सम्मान- सन् 1977 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण तथा सन 1980 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

निधन- 12 जनवरी, 1992 देवास मे।

साहित्यक विशेषताएँ- 10 वर्ष की उम्र में गायकी की पहली मंचीय प्रस्तुति। इनके संगीत की मुख्य विशेषता मालवा लोक धुनों और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का सुंदर सामंजस्य है। इन्होंने लोगों में रचे-बसे लुप्तप्राय पदों का संग्रह कर और उन्हें स्वरों में बाँधकर अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को जैसे साहित्यिक विमर्श के केंद्र में स्थापित किया, वैसे ही कुमार गन्धर्व ने कबीर को शास्त्रीय संगीत के केन्द्र में स्थापित किया। उनका गायन कालातीत और सर्वकालिक है। उन्होंने शास्त्रीय गायकी में लोक तत्वों को समाहित किया और भजन गायकी को शास्त्रीय गायकी से जोड़कर एक नई विधा ही विकसित की। एक तरह से उन्होंने संगीत की दुनिया में नवाचार किया। इसके लिए उन्हें संगीत शास्त्रियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। इनकी संगीत साधना को देखते हुए इन्हें कालिदास सम्मान और पद्मविभूषण सहित बहुत-से सम्मानों से अलंकृत किया गया।

पाठ-परिचय

प्रस्तुत पाठ में लेखक कुमार गंधर्व ने स्र साम्राज्ञी लता मंगेशकर के अद्भुत गायकी पर प्रकाश डाला है। उन्होंने लता मंगेशकर के गायन की विशेषताओं को उजागर किया है। उनके अनुसार चित्रपट संगीत में लता जैसी अन्य गायिका नहीं हुई। लता ने गीत संगीत के क्षेत्र को सूक्ष्मता से साधा है। गंधर्व जी बताते हैं कि लता जैसा श्रम-साध्य कलाकार शताब्दियों में बिरला ही होता है। आम पाठक वर्ग को संगीत की आत्मा तक पहुंचाने, समझाने का प्रयास गंधर्व जी ने बड़ी ही कुशलता से किया है। लता जी ने फिल्मी गीत संगीत को एक नई पहचान और नहीं दिशा दी है। उन्होंने चित्रपट संगीत को अत्यधिक लोकप्रिय बनाया। आज चित्रपट संगीत के कारण ही लोगों को स्वर के सुरीलेपन की समझ हो रही है। लता मंगेशकर का सामान्य मनुष्य में संगीत विषयक अभिरुचि पैदा करने में बहुत बड़ा योगदान है।

लता मंगेशकर का जीवन परिचय

पूरा नाम- लता दीनानाथ मंगेशकर

बचपन का नाम- हेमा

जन्म- 28 सितंबर, 1929 इंदौर

पिता का नाम- पंडित दीनानाथ मंगेशकर

माता का नाम- सेवंती मंगेशकर

बहन- आशा भोंसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर,

भाई- हृदयनाथ मंगेशकर

निधन- 6 फरवरी, 2022

लता मंगेशकर की विशेषताएँ- हिन्दी, मराठी और बंगाली सहित लगभग 36 भाषाओं में हजारों गाने उन्होंने गाए हैं। जब वह 13 वर्ष की थी उनके पिता का निधन हो गया। तब उन्होंने पैसों की तंगी के कारण कई फिल्मों में अभिनय भी किया; किंतु अभिनय में उनका मन नहीं लगा।

मान-सम्मान और पुरस्कार- लता मंगेशकर को ढेरों पुरस्कार और सम्मान मिले। जितने मिले उससे ज्यादा के लिए उन्होंने मना कर दिया। 1970 के बाद उन्होंने फिल्मफेयर को कह दिया कि वे सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी और उनकी बजाय नए गायकों को यह दिया जाना चाहिए। लता को मिले प्रमुख सम्मान और पुरस्कार इस तरह से हैं-

1969- पद्म भूषण

1989 - दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

1999- पद्म विभूषण

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

1972- फिल्म 'परी' के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार।

1974 - फ़िल्म 'कोरा कागज' के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार।

1990- फिल्म 'लेकिन' के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।

2001- भारत रत्न पुरस्कार

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

1. लेखक ने पाठ में 'गानपन' का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएँ कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?

उत्तरः- लेखक ने इस पाठ में 'गानपन' शब्द का प्रयोग किया है। गंधर्व जी के अनु‌सार किसी भी गायक की सफलता एवं लोकप्रियता का मुख्य आधार गानपन ही है। इसके अभाव में कोई भी गायक लोकप्रियता प्राप्त नहीं कर सकता। गानपन के कारण ही लता जी नूर जहां से बहत आगे निकल गई। 'गानपन' का अर्थ है-गाने से मिलने वाली मिठास जो मस्त कर दे. 'गानपन' कहलाता है। जिस प्रकार 'मनुष्यता' नामक गुणधर्म होने के कारण हम उसे मनुष्य कहते हैं, उसी प्रकार गीत में 'गानपन' होने पर ही उसे संगीत कहा जाता है। लता के गानों में शत-प्रतिशत गानपन मौजूद है तथा यही उनकी लोकप्रियता का आधार है। गानों में गानपन प्राप्त करने के लिए नादमय उच्चारण करके गाने के सतत अभ्यास की आवश्यकता होती है। गायक को स्वरों के उचित जान के साथ उसकी आवाज में स्पष्टता व निर्मलता होनी चाहिए। रसों के अनुसार उसमें लय, आघात तथा सुलभता होनी चाहिए। श्रोताओं को आनंदित करने के लिए स्वर, लय व अर्थ का संगम होना जरूरी है।

2. लेखक ने लता की गायकी की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायकी में कौन-सी विशेषताएँ नजर आती हैं? उदाहरण सहित बताइए।

उत्तरः- लेखक ने लता जी की गायकी की अनेक विशेषताओं को उजागर किया है, जिनके बल पर उन्हें स्वर सामाजी, स्वर कोकिला आदि अलंकरण से विभूषित किया गया है। लेखक के अनुसार लता के गानों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

सुरीलापन- लता के गायन में अद्भुत स्रीलापन है। उनके स्वर में मिठास, तन्मयता, मस्ती तथा लोच आदि मौजूद है।

स्वरों की निर्मलता- लता के स्वरों में निर्मलता है। लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है, वही

कोमलता और मुग्धता- लता के स्वरों में कोमलता व मुग्धता है। इसकै विपरीत नूरजहाँ के गायन में मादक उत्तान दिखता था।

नादमय उच्चार- यह लता के गायन की अन्य विशेषता है। उनके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा सुंदर रीति से भरा रहता है। ऐसा लगता है कि वे दोनों शब्द विलीन होते-होते एक-दूसरे में मिल जाते हैं। लता के गानों में यह बात सहज व स्वाभाविक है।

शास्त्र-शुद्धता- लता के गीतों में शास्त्रीय शुद्धता है। उन्हें शास्त्रीय संगीत की उत्तम जानकारी है। उनके गीतों में स्वर, लय व शब्दार्थ का संगम होने के साथ- साथ रंजकता भी पाई जाती है। हमें लता की गायकी में उपर्युक्त सभी विशेषताएँ नजर आती हैं। उन्होंने उत्तरः भक्ति, देश-प्रेम, श्रृंगार तथा विरह आदि हर भाव के गीत गाए हैं। उनका हर गीत लोगों के मन को छू लेता है। वे गंभीर या अनहद गीतों को सहजता से गा लेती हैं। एक तरफ 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गील से सारा देश भावुक हो उठता है तो दूसरी तरफ 'दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे।' फिल्म के अलहड़ गीत युवाओं को मस्त करते हैं। इसी तरह 'सत्यम शिवम सुंदरम' और 'एक मीरा एक राधा' जैसे गीत सबके दिलों को छू जाती है। वास्तव में, गायकी के क्षेत्र में लता सर्वश्रेष्ठ हैं।

3. लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तरः- एक संगीतज्ञ की दृष्टि से कुमार गंधर्व की टिप्पणी सही हो सकती है, किन्तु मैं इस कथन से सहमत नहीं हैं। क्योंकि गायक वही गाता है जो संगीत निर्देशक चाहता है। इसमें लता जी का कोई दोष नहीं है। दरअसल सभी संगीत निर्देशक लता जी से तार सप्तक में गवाते है और तार सप्तक में ऊंचे स्वर में गाए जाते हैं। उसके बावजूद लता ने करुण रस के गाने भी बड़ी उत्कटता के साथ गाए हैं। उनके गीतों में मार्मिकता तथा करुणा छलकती-सी लगती है। उनके करुण रस के गीतों से मन भावुक हो उठता है, आंखे भर आती हैं। 'ऐ मेरे वतन के लोगों गीत से पं जवाहरलाल नेहरू की आँखें भी सजल हो उठी थीं। फिल्म 'रुदाली' का गीत 'दिल हूँ-हूँ करे' हृदय को बींध-सा देता है। इसी तरह 'ओ बाबूल प्यारे' गीत में नारी-मन की पीड़ा को व्यक्त किया है। अतः यह कहना उचित नहीं है कि लता ने करुण रस के गीतों के साथ न्याय नहीं किया है।

4. संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण हैं। वहाँ अब तक अलक्षित, असंशोधित और अदृष्टिपूर्व ऐसा खुब बड़ा प्रांत है तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं इस कथन को वर्तमान फ़िल्मी संगीत के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- यह सही है कि संगीत का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है हमारे देश में हर प्रांत, हर समाज, हर क्षेत्र का अपना विशेष एवं अलग-अलग लोक संगीत है। यह ऐसा क्षेत्र है जहाँ हर रोज नए स्वर, नए यंत्रों व नए तालों का प्रयोग किया जाता है। इसमें अनेक संभावनाएँ छिपी हई हैं। चित्रपट संगीत आम व्यक्ति का संगीत है। इसनें लोगों को सुर, ताल, लय व भावों को समझने की समझ दी है। आज यह शास्त्रीय संगीत का सहारा भी ले रहा है। दूसरी तरफ लोकगीतों को बड़े स्तर पर अपना रहा है। संगीतकारों ने पंजाबी लोकगीत, राजस्थानी, पहाड़ी, कृषि गीतों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। पाश्चात्य संगीत का लोकगीतों के साथ मेल किया जा रहा है। आज के समय में चित्रपट संगीत के कारण लोगों के हृदय में देश, जाति, प्रांत आदि का भेद मिट रहा है। कभी तेज संगीत तो कभी मंद संगीत लोगों को मदहोश कर रहा है। इसी तरह फ़िल्मी संगीत नित नए-नए रूपों का प्रयोग कर रहा है।

5. चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए-अक्सर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें।

उत्तरः- शास्त्रीय संगीत के समर्थक अक्सर यह आरोप लगाते हैं कि चित्रपट अथवा फिल्मी संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं; अर्थात् उसके कारण लोगों को केवल कर्णप्रिय धुनें सुनने की आदत पड़ गई है। कुमार गंधर्व उनके इस आरोप को सिरे से नकारते हैं। वे मानते हैं कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़े नहीं बल्कि सुधारे हैं। इसके कारण लोगों को सुरीलेपन की समझ हो रही है। आम आदमी को लय की सूक्ष्मता की समझ विकसित हो रही है। आज फ़िल्मी संगीत के कारण एक साधारण श्रोता भी स्वर, लय, ताल आदि के विषय में जानकारी रखने लगा है। लोगों की रुचि संगीत में बढ़ी है। जबकि शास्त्रीय संगीत में प्रत्येक राग के अनुसार स्वर, लय, ताल आदि निश्चित होते हैं, उनमें थोड़ा-सा भी परिवर्तन असहनीय होता है। लोक संगीत या फिल्मी संगीत स्वर, लय, ताल आदि के संबंध में इतना सख्त रवैया नहीं रखता। इसमें जो भी श्रोताओं को आहह्लादित करे, वही श्रेष्ठ समझा जाता है। इसे सीखने के लिए भी शास्त्रीय संगीत की तरह वर्षों के कठिन अभ्यास की जरूरत नहीं होती। फिल्मी संगीत के कारण ही आज लोगों की अभिरुचि शास्त्रीय संगीत की ओर भी होने लगी है। लेखक ने लोगों का शास्त्रीय संगीत को देखने और समझने में परिवर्तित दृष्टिकोण का श्रेय लता के चित्रपट संगीत को ही दिया है।

हमारा मत भी कुमार गंधर्व के मत से मिलता है। हमारा भी यही मानना है कि आज के चित्रपट संगीत के कारण ही शास्त्रीय संगीतकारों की पूछ भी बढ़ी है। जब उन्हें फ़िल्मों में संगीत देने व कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है तो लाखों लोग उन्हें सुनते- पहचानते हैं। अतः फ़िल्मी संगीत पर उपर्युक्त दोष लगाना उचित नहीं है।

6. शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? स्वयं आप क्या सोचते हैं?

उत्तरः- कुमार गंधर्व का स्पष्ट मत है कि चाहे शास्त्रीय संगीत हौ या चित्रपट संगीत; वही संगीत अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाएगा, जो 'रसिकों या श्रोताओं को अधिक आनंदित कर सकेगा। वस्तुतः यह तथ्य बिलकुल सही है कि संगीत का मूल ही आनंद है। संगीत की उत्पत्ति उल्लास से हई है। कोई भी श्रोता संगीत अपने मनोविनोद के लिए ही सुनते हैं न कि ज्ञान के लिए। अतः संगीत का चरम उद्देश्य आनंद प्राप्ति ही है। जो भी संगीत श्रोताओं को अधिक-से-अधिक आनंदित करेगा, वही अधिक लोकप्रिय भी होगा। अतः उसी को अधिक महत्त्व भी श्रोताओं दवारा दिया जाएगा। यह बात संगीत ही नहीं अन्य सभी कलाओं पर भी लागू होती है। यदि शास्त्रीय संगीत में रंजकता नहीं है तो वह बिल्कुल नीरस हो जाएगा, अनाकर्षक लगेगा और उसमें कुछ कमी-सी लगेगी। अतः गाने में गानपन का होना ऑवश्यक है।

इस तरह लेखक का मत बिल्कुल सत्य है और हमारी राय भी उनके समान ही है।

कुछ करने और सोचने के लिए

1. पाठ में दिए गए अंतरों के अलावा संगीत शिक्षक से चित्रपट संगीत एवं शास्त्रीय संगीत का अंतर पता करें। इन अंतरों को सूचीबद्ध करें।

उत्तरः- शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत के बारे में पाठ में जो अंतर दिखाया गया है उसके अलावा भी दोनों में कई अंतर है जो दोनों संगीतों को एक दूसरे से अलग करते हैं- पहला अंतर यह है कि शास्त्रीय संगीत को मार्गी संगीत भी कहा जाता है जबकि चित्रपट संगीत में लोक संगीत तथा शास्त्रीय संगीत दोनों का ही प्रयोग हो सकता है। दूसरा, शास्त्रीय संगीत स्वरों के आधार पर गाया जाता है; जबकि चित्रपट संगीत में स्वरूप या बिना स्वरूप के परिस्थिति के अनुरूप गाया जाता है। तीसरा अंतर यह है कि इसमें नए ताल (सुर) आदि का उल्लंघन वर्जित है; जबकि चित्रपट संगीत का मुख्य आधार लोकप्रियता है। अतः इसके गायन में स्वतंत्रता है। शास्त्रीय संगीत में आरोह-अवरोह पर विशेष ध्यान दिया जाता है जबकि चित्रपट संगीत में कर्णप्रियता पर अधिक ध्यान दिया जाता है। शास्त्रीय संगीत में प्रायः गंभीर तरह के गायन होते हैं जबकि फिल्मी या चित्रपट संगीतों में हास्य प्रधान गीतों का भी गायन होता है।

2. कुमार गंधर्व ने लिखा है-चित्रपट संगीत गाने वाले को शास्त्रीय संगीत की उत्तम जानकारी होना आवश्यक है? क्या शास्त्रीय मानकों को भी चित्रपट संगीत से कुछ सीखना चाहिए? कक्षा में विचार-विमर्श करें।

उत्तरः- यह बात बिलकुल सत्य है कि चित्रपट संगीत को गाने के लिए शास्त्रीय संगीत का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है। यह उतना सरल भी नहीं है, जितना इसे समझा जाता है। प्रायः फ़िल्मों में शास्त्रीय संगीत का भी प्रयोग देखा जाता है। उसमें भी स्वरों में उतार- चढ़ाव व लय आदि का ध्यान रखना होता है, अतः बिना शास्त्रीय संगीत सीखे एक अच्छा चित्रपट संगीत गायक नहीं बना जा सकता। किंतु शास्त्रीय संगीत के गायकों को स्वर-ताल आदि के विषय में चित्रपट संगीत से कुछ सीखने की आवश्यकता नहीं होती। हाँ, उन्हें इस विषय में अवश्य कुछ सीखना चाहिए कि शास्त्रीय संगीत को भी चित्रपट संगीत के समान लोकप्रिय कैसे बनाया जाए? ताकि अधिक-से-अधिक लोग शास्त्रीय संगीत की ओर आकर्षित हो सकें। इसके अतिरिक्त इसमें नए-नए प्रयोगों के लिए भी अवकाश रखना चाहिए। शास्त्रीय संगीत वर्षों से उन्हीं नियमों में बँधा हुआ है। उसमें नएपन का अभाव है, इसी कारण वह इतना लोकप्रिय नहीं हो पाता। इसके अतिरिक्त जिस प्रकार चित्रपट संगीत में नई धुनों व गीतों का समावेश किया जाता है, उसी प्रकार शास्त्रीय संगीत में भी नए-नए रागों की रचना निरंतर होती रहनी चाहिए। तभी यह लोकरंजक होकर लोकप्रिय हो सकेगा। अतः शास्त्रीय गायकों को ये तथ्य चित्रपट संगीत के गायकों से सीखने चाहिए।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. लेखक कुमार गंधर्व क्या हैं?

क. गायक

ख. संगीतकार

ग. अभिनेता

घ. राजनीतिज

2. लता मंगेशकर के पिता का नाम क्या है ?

क. रामनाथ मंगेशकर

ख. सोमनाथ मंगेशकर

ग. दीनानाथ मंगेशकर

घ. दिलीप मंगेशकर

3. लता मंगेशकर से पहले चित्रपट संगीत में किस विख्यात गायिका ने अपना प्रभाव जमा रखा था?

क. शमशाद बेगम

ख. नूरजहां

ग. सुरैया

घ. राजकुमारी

4. 'भारतीय गायिका में बेजोड़ लता मंगेशकर' पाठ के लेखक कुमार गंधर्व रेडियो पर किस गायिका के गाने सुन रहे थे?

क. नूरजहां

ख. लता मंगेशकर

ग. आशा भोसले

घ. उषा मंगेशकर

5. "लता ने करुण रस के गाने के साथ न्याय नहीं किया है।" किसका कथन है?

. कुमार गंधर्व

. बेबी हालदार

. अनुपम मिश्र

. मनोहर श्याम जोशी

6. मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति करने वाले किस लय के गाने लता मंगेशकर ने बड़ी उत्कटता से गाए हैं?

. विलंबित लय

. मध्यलय

. द्रुतलय

. () और ()

7. ताल- त्रिताल कितनी मात्राओं का होता है?

. दस

. बारह

. चौदह

. सोलह

8. भारतीय चित्रपट संगीत के क्षेत्र में कौन सी गायिका स्वर कोकिला के नाम से विख्यात है?

. आशा भोंसले

. कविता कृष्णमूर्ति

. लता मंगेशकर

. उषा मंगेशकर

9. कुमार गंधर्व के अनुसार लता मंगेशकर के संगीत की लोकप्रियता का कारण क्या है?

. गानपन

. शुद्धता

. भावुकता

. श्रृंगार की अभिव्यक्ति

10. लता मंगेशकर के वास्तविक गुरु का क्या नाम था ?

. कुमार गंधर्व

. दीनानाथ मंगेशकर

. गुलाम हैदर

. सेवंती मंगेशकर

11. लता मंगेशकर के गाने की विशेषता क्या है?

. नादमय उच्चारण

. मधुर उच्चारण

. तीन ताल

. इनमें से कोई नहीं

12. लता मंगेशकर जी का जन्म कब हुआ था?

. 8 सितंबर, 1929 भोपाल

. 18 सितंबर, 1929 मेरठ

. 28 सितंबर, 1929 इन्दौर

. इनमें से कोई नहीं

13. संगीत जगत को लता का कौन सा योगदान है?

. संगीत की लोकप्रियता

. संगीत का प्रसार

. संगीत के प्रति अभिरुचि का विकास

. उपर्युक्त सभी।

14. "चित्रपट संगीत क्षेत्र की लता अनभिषिक्त सामाजी है।" अनभिषिक्त का क्या अर्थ है?

. महान

. बेताज

. सर्वश्रेष्ठ

. सुरीली

15. ऐसा कलाकार शताब्दियों में शायद एक ही पैदा होता है। यह पंक्ति किसके लिए कही गई है?

. नूरजहां

. उषा मंगेशकर

. लता मंगेशकर

. कुमार गंधर्व

16. चित्रपट संगीत में कितने तालों का उपयोग किया जाता हैं -

. आदि तालों का

. पूर्ण तालों का

. आधे तालों का

. केवल अंत के तालों का

17. सामान्यतः लता ने कौन-सी पट्टी में गीत गाए हैं?

. सामान्य पट्टी

. निम्न पट्टी

. ऊँची पट्टी

. मध्यम पट्टी

18. शास्त्रीय संगीत में किस प्रकार की ताल का प्रयोग किया जाता है?

. परिष्कृत

. सामान्य

. निकृष्ट

. ऊँची पट्टी

19. शास्त्रीय संगीत का स्थायीभाव है-

. जलदलय

. गंभीरता

. चपलता

. उपर्युक्त में से कोई भी नही

20. भारतीय फिल्मों में किस संगीत की धुनों का अधिक प्रयोग किया गया?

. शास्त्रीय संगीत

. लोक संगीत धुन

. पाश्चात्य संगीत

. मिश्रित संगीत

21. हमारे शास्त्रीय गायक किस प्रकार की वृत्ति वाले होते हैं?

क. लालची

ख. घमंडी

ग. आत्म-संतुष्ट

घ. निर्लोभी

22. चित्रपट संगीत किस प्रकार का होता है?

. नीरस

. लचकदार

. गंभीर

. स्थिर

23. कृषि संबंधी गीतों को किस प्रकार की संगीत धुनों के अन्तर्गत रखा जा सकता है?

. लोक संगीत धुन

. पाश्चात्य संगीत धुन

. शास्त्रीय संगीत धुन

. मिश्रित संगीत धुन

24. लेखक के अनुसार गाने की सारी मिठास किसके कारण आती है?

. सही धुन

. सही शब्दावली

. रंजकता

. सही स्वर

25. 'पर्जन्य' का क्या अर्थ है-

. दूसरों का जन्म

. अपने आप उत्पन्न

. बादल

. वर्षा

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. लेखक ने लता मंगेशकर जी को कौन सी उपाधि दी है?

उत्तरः- लेखक ने लता मंगेशकर जी को चित्रपट संगीत की बेताज स्वर साम्राज्ञी की उपाधि दी है।

2. लता मंगेशकर कितनी भाषाओं में गाना गा चुकी हैं?

उत्तरः- लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में गाना गा चुकी हैं।

3. लता मंगेशकर ने किस तरह के गीत गाए हैं ?

उत्तरः- लता मंगेशकर ने मुख्यतः करूण व श्रृंगार रस के गीत गाए हैं। उन्होंने अनेक प्रयोग भी किया है।

4. लता मंगेशकर को भारत रत्न पुरस्कार कब दिया गया था?

उत्तरः- लता मंगेशकर को भारत रत्न पुरस्कार सन 2001 में दिया गया था।

5. लता मंगेशकर का निधन कब हुआ?

उत्तरः- लता मंगेशकर का निधन 6 फरवरी, सन् 2022 में हुआ।

6. सर्वप्रथम उन्हें कब और किस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया?

उत्तरः- सर्वप्रथम उन्हें सन् 1958 में बनी 'मधुमती' के लिए सलिल चौधरी दवारा लिखे गए गीत 'ऑजा रे परदेशी' के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।

7. लता मंगेशकर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार कब दिया गया?

उत्तरः- लता मंगेशकर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सन 1989 में दिया गया।

8. संगीत हमारे-आपके जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है? लिखिए।

उत्तरः- हमारे जीवन को संगीत अत्यंत गहराई से प्रभावित करता है। संगीत में मानव मन को शांति और सुकून पहुँचाने की क्षमता है। इससे हमें खुशी की अद्भुत अनुभूति होती है। यह हमें स्वर्गिक दुनिया में ले जाती है।

9. चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत में कोई एक समानता लिखिए।

उत्तरः- चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत की सबसे बड़ी समानता यह है कि उनका कलात्मक एवं आनंदात्मक मूल्य समान है, जिसके कारण श्रोता संगीत के आनंद सागर में डूब जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. लेखक के अनुसार लता जी का तीन मिनट का गायन शास्त्रीय संगीत के तीन घंटे से भी अधिक प्रभावशाली है। कैसे?

उत्तरः- लेखक कुमार गंधर्व के अनुसार शास्त्रीय गायन किसी उत्तम लेखक के किसी विस्तृत लेख में जीवन के रहस्य का विशद रूप में वर्णन जैसा है। वही बात, वही रहस्य, छोटे से सुभाषित का, या नन्हीं सी कहावत में सुंदरता और परिपूर्णता के साथ प्रकट होता है, लता जौ के गायन में यही श्रेष्ठता है। वे आगे लिखते हैं कि तीन घंटों की रंगदार महफिल का सारा रस लता की तीन मिनट की ध्वनि मुद्रिका में आस्वादित किया जा सकता है। उनका एक-एक गाना एक संपूर्ण कलाकृति होती है।

2. 'भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर', प्रस्तुत पाठ में गाने के लिए किन तत्वों को आवश्यक माना गया है?

उत्तरः- पाठ के लेखक कुमार गंधर्व के अनुसार गाने की सारी मिठास, सारी ताकत उसकी रंजकता पर मुख्यतः अवलंबित रहती है। रंजकता का मर्म रसिक वर्ग के समक्ष कैसे प्रस्तुत किया जाए, किस रीति से उसकी बैठक बिठाई जाए और श्रोताओं से कैसे सुसंवाद साधा जाए इसमें समाविष्ट है। सरल शब्दों में कहें तो गाने के लिए सबसे आवश्यक तत्व है उसकी रंजकता अर्थात् श्रोताओं दवारा जो गायकी सबसे अधिक पसंद की जाती है वही सर्वश्रेष्ठ है। गाने की कसौटी उसकी लोकप्रियता है।

3. लता मंगेशकर को चित्रपट संगीत के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए लेखक ने क्या कहा है?

उत्तरः- चित्रपट संगीत के क्षेत्र की लता अनभिषिक्त साम्राज्ञी हैं। और भी अनेक पार्श्व गायिकाएँ हैं, पर लता की लोकप्रियता इन सबसे कहीं अधिक है। उनकी लोकप्रियता के शिखर का स्थान अचल है। बीते अनेक वर्षों से आज तक उनकी लोकप्रियता अबाधित है। लगभग आधी शताब्दी तक जनमत पर "सतत प्रभुत्व रखना आसान नहीं है। लता की लोकप्रियता केवल देश में ही नहीं, विदेशों में भी लोगों को उनके गीत पागल कर देते हैं। अंत में, वे कहते हैं कि ऐसा कलाकार शताब्दियों में एक ही पैदा होता है।

4. लेखक ने प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ से लता मंगेशकर के आगे निकल जाने का क्या कारण बताया है?

उत्तरः- लता से पूर्व चित्रपट संगीत में प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ का अपना एक जमाना था, परंतु उसी क्षेत्र में बाद में आई लता उससे कहीं आगे निकल गई। कला के क्षेत्र में ऐसे चमत्कार कम ही होते हैं, पर होते तो हैं। लेखक के अनुसार, नूरजहाँ की गायकी का स्वर मादक उत्तान भरा था, जबकि लता के स्वर में निर्मलता, कोमलता और मुग्धता भरी हुई है और यही उनकी लोकप्रियता का कारण है।

5. लय कितने प्रकार की होती है?

उत्तरः- लय तीन प्रकार की होती है-

विलंबित लय- यह धीमी होती है।

मध्य लय- यह बीच की होती है।

दुत- लय यह मध्य लय से दुगुनी तथा विलंबित लय से चौगुनी तेज होती है।

6. लता की गायकी से संगीत के प्रति आम लोगों की सोच में क्या परिवर्तन आया है?

उत्तरः- लता की गायकी के कारण चित्रपट संगीत अत्यधिक लोकप्रिय हुआ है। अब वे संगीत की सूक्ष्मता को समझने लेंगे हैं। वे गायन की मधुरता, मस्ती व गानपन को महत्व देते हैं। आज के बच्चे पहले की तुलना में सधे हुए स्वर से गाते हैं। लता ने नई पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है। आम लोगों का संगीत के विविध प्रकारों से परिचय हो रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. आज शास्त्रीय संगीत के स्थान पर फ़िल्म संगीत को अधिक पसंद किया जाता है। क्यों?

उत्तरः- भारत में शास्त्रीय संगीत प्रायः घरानों के नाम से काफ़ी प्राने समय से चला आ रहा है। पहले यह राजदरबारों, मंदिरों आदि तक सीमित था। इसे श्रेष्ठता का सूचक माना जाता था। आधुनिक युग में फ़िल्मों के आने से संगीत की दिशा बदली। शास्त्रीय संगीत अपनी सीमा को लाँघना नहीं चाहता था। कठिन होने के कारण जनसाधारण की समझ से यह बाहर था। फ़िल्मी संगीत सरल होने के कारण जनसाधारण में लोकप्रिय हो गया। फ़िल्मी संगीत सरल, सर्वसुलभ, कर्णप्रिय होने के कारण आम जनता इसकी तरफ आकर्षित हो रही है। शास्त्रीय संगीत सरकारी सहायता का मोहताज रहता है। सरकारी कार्यक्रमों को छोड़कर अन्य सभी सामाजिक कार्यक्रमों में फ़िल्मी संगीत छाया रहता है। शास्त्रीय संगीत को सीखने में कठिन मेहनत, धैर्य व धन की जरूरत होती है। जबकि फ़िल्मी संगीत कम मेहनत, से सीखा जा सकता है। इससे आय भी अधिक होती है। इसलिए फ़िल्मी संगीत ज्यादा लोकप्रिय है।

2. शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत में अंतर स्पष्ट कीजिए?

उत्तरः- शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत की तुलना नहीं की जा सकती। दोनों प्रकार के संगीत का उद्देश्य आनंद की प्राप्ति है। दोनों प्रकार के संगीत का अपने-अपने क्षेत्र में बहुत महत्व है। श्रोता उस संगीत को ज्यादा पसंद करते हैं जिसमें उन्हें अधिक आनंद की प्राप्ति होती है। (समानता होते हुए भी) अंतर है। शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत मैं निम्नलिखित अंतर है -

1. शास्त्रीय संगीत में गंभीरता स्थायी भाव है जबकि चित्रपट संगीत का गुण धर्म जलद लय और चपलता है।

2. शास्त्रीय संगीत से ताल परिष्कृत रूप में पाया जाता है और चित्रपट संगीत का ताल प्राथमिक अवस्था का ताल होता है।

3. चित्रपट संगीत में आधे तालों का उपयोग किया जाता है जबकि शास्त्रीय संगीत में तालों का पूरा ध्यान रखा जाता है।

4. चित्रपट संगीत गाने वालों को शास्त्रीय संगीत का ज्ञान होना आवश्यक है परंतु शास्त्रीय संगीत गायक को चित्रपट संगीत का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है।

5. चित्रपट संगीत का एक गीत तीन-साढ़े तीन मिनट में वही आनंद और कलात्मकता प्रदान करता है जो शास्त्रीय संगीत तीन-साढ़े तीन घंटे की महफिल से प्राप्त होता है।

3. चित्रपट संगीत के लोकप्रिय होने के कारणों को समझाइए?

उत्तरः- पहले समय में संगीत के क्षेत्र में शास्त्रीय संगीत का एकाधिकार था लेकिन चित्रपट संगीत ने शास्त्रीय संगीत के एकाधिकार को तोड़ दिया है। चित्रपट संगीत ने संगीत को जनसाधारण के बीच में पहुँचा दिया है। लोगों द्वारा शास्त्र शुद्ध संगीत के स्थान पर सुरीला और भावपूर्ण संगीत को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा है। चित्रपट संगीत की लचकदारी ने उसे लोकप्रिय बना दिया। इस संगीत की मान्यताएँ, मर्यादा तथा संगीत तंत्र सब कुछ निराला है जिसने लोगों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी है। चित्रपट संगीत निर्देशकों ने अपने संगीत में हर क्षेत्र तथा शास्त्रीय संगीत का बहुत उपयोग किया है। जहां चित्रपट संगीत में शास्त्रीय रागदारी सुनी जा सकती है। वहीं राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली, पहाड़ी लोक गीतों के सुरीले बोल भी सुने जा सकते हैं। चित्रपट संगीत में देश की विभिन्नता, एकता के रूप में समाहित है। इस संगीत के माध्यम से लोग अपनी संस्कृति से परिचित हो रहे हैं। चित्रपट संगीत के जनसाधारण में अधिक लोकप्रिय होने का श्रेय लता मंगेशकर को भी जाता है। लता मंगेशकर के स्वरों की निर्मलता, कोमलता और सुरीलेपन ने लोगों को अपने साथ गुनगुनाने के लिए मज़बूर कर दिया है। लता के कारण ही भारत का चित्रपट संगीत भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय हो चुका है।                                         

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची 

आरोह भाग-1

पाठ सं.

अध्याय का नाम

काव्य-खण्ड

1.

हम तौ एक एक करि जांनां, संतों देखत जग बौराना- कबीर

2.

मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई- मीराबाई

3.

घर की याद भवानी- प्रसाद मिश्र

4.

चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती- त्रिलोचन

5.

गज़ल- दुष्यंत कुमार

6.

1. हे भूख ! मत मचल, 2. हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर- अक्कमहादेवी

7.

सबसे खतरनाक- अवतार सिंह पाश

8.

आओ, मिलकर बचाएँ- निर्मला पुतुल

गद्य-खण्ड

1.

नमक का दारोगा- मुंशी प्रेमचंद

2.

मियाँ नसीरुद्दीन- कृष्णा सोबती

3.

अपू के साथ ढाई साल- सत्यजित राय

4.

विदाई-संभाषण- बालमुकुंद गुप्त

5.

गलता लोहा- शेखर जोशी

6.

रजनी- मन्नू भंडारी

7.

जामुन का पेड़- कृश्नचंदर

8.

भारत माता- पंडित जवाहर लाल नेहरू

वितान

1.

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर - कुमार गंधर्व

2.

राजस्थान की रजत बूँदें - अनुपम मिश्र

3.

आलो - आँधारी - बेबी हालदार

4.

भारतीय कलाएँ

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोजगार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 प्रश्नोत्तर(Arts)

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 प्रश्नोत्तर(Sci/Comm) 

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