प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Core
वितान
पाठ 3. आलो - आंधारी - बेबी हालदार
जीवन-सह-साहित्यिक परिचय
बेबी हालदार का जन्म 1973 ई. में हुआ। परिवार की आर्थिक दशा
कमजोर होने के कारण तेरह वर्ष की आयु में इनका विवाह दुगुनी उम्र के व्यक्ति से
हुआ। इस कारण वह सातवीं कक्षा तक ही पढ़ पायीं। 12-13 वर्षों के बाद पति की
ज्यादतियों से परेशान होकर वे तीन बच्चों सहित पति का घर छोड़कर दुर्गापुर से
फरीदाबाद आ गई। कुछ समय बाद वे गुडगाँव चली आई और घरेलू नौकरानी के रूप में काम
करने लगीं। इनकी एकमात्र रचना है-आलो-ऑधारि जो एक आत्मकथा है। यह मूल रूप से
बांग्ला भाषा में लिखी गई है, तथा बाद में इसका हिंदी अनुवाद किया गया।
पाठ-परिचय
आलो-आँधारि रचना कठिनाईयों से भरी संघर्ष पूर्ण जीवन की
आत्मकथा है। यह उन सैकड़ों महिलाओं की कहानी है जिसमें झाँकना भी भद्रता के तकाजे
से बाहर है। यह साहित्य में उनके लिए चुनौती है जो साहित्य को वस्तु में देखने के
आदी हैं। इस आत्मकथा में एक ऐसी आपबीती है जो मूलतः बांग्ला में लिखी गई, लेकिन
पहली ऐसी रचना जो छपकर बाज़ार में आने से पहले ही अनूदित रूप में हिंदी में आई।
अनुवादक प्रबोध कुमार ने एक जबान को दूसरी जबान दी. पर रूह को छुआ नहीं। एक बोली
की भावना दूसरी बोली में बोली, रोई, मुसकराई।
लेखिका अपने पति से अलग किराए के मकान में अपने तीन छोटे
बच्चों के साथ रहती थी। उसे हर समय काम की तलाश रहती थी। वह सभी को अपने लिए काम
ढूँढ़ने को कहती हैं, स्वयं भी ढूंढती है। शाम को जब वह घर वापिस आती तो पड़ोस की
औरतें काम के बारे में पूछतीं। काम न मिलने पर वे उसे सांत्वना देती थीं। लेखिका
की पहचान सुनील नामक यवक से थी। एक दिन उसने किसी मकान मालिक से लेखिका को
मिलवाया। मकान मालिक ने आठ सौ रुपये महीने पर उसे रख लिया और घर की सफाई व खाना
बनाने का काम दिया। उसने पहले काम कर रही महिला को हटा दिया।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
1. पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई
उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय
में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर
दीजिए।
उत्तरः- पाठ में इस तरह के कई अंश हैं जिनसे हमें पता चलता
है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है-
1. बेबी के प्रति उसके आस-पड़ोस के लोगों का
व्यवहार अच्छा नहीं था। वे सदा उससे पूछा करते कि उसका पति
कहाँ है? मालकिन उससे पूछती कि वह कहाँ गई थी? क्यों गई थी? आदि।
2. मकान मालकिन का बड़ा बेटा उसके दवार पर आकर बैठ जाता है
और इस तरह की बातें कहता है जिनका अर्थ था कि यदि वह चाहे तभी बेबी उस घर में रह
सकती है।
3. कुछ लोग जानबूझकर उसके पति के विषय में प्रश्न पूछा करते
थे, इसी बात पर उसे ताने देते या छेडते थे।
4. जब घर पर बुलडोजर चलाया गया तो सभी अपना सामान समेटकर
दूसरे घरों में चले गए, पर वह अकेली बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे बैठी रही।
उपर्युक्त अंशों से स्पष्ट होता है कि पुरुष स्त्री पर
ज्यादती करे तो भी पूरे समाज की ज्यादतियों से बचने का एक सुरक्षा कवच तो है ही।
वर्तमान समय में स्त्रियों की स्थिति में काफी बदलाव आया है। शिक्षा वे कानूनों के
कारण स्त्रियों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। अब वे अकेली रहकर भी जीवन यापन कर
सकती हैं।
2. अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र
में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तरः- परिवार से तात्श के घर तक के सफर में बेबी हालदार
के सामने बहुत सारे रिश्तों की सच्चाई उजागर होती है। बेबी के अपने परिवार में
माता-पिता, भाई-भाभी, बहन आदि सभी थे, पर नाम के ही थे। बिना सोचे- समझे, एक तेरह
वर्ष की लड़की को अधेड़ पुरुष के साथ बाँध दिया गया। मुसीबत के समय भी भाइयों ने
उसे सहारा नहीं दिया। यहाँ तक कि माँ की मृत्यु की सूचना भी नहीं दी गई। यह खून का
रिश्ता रखन वाले लोगों का हाल था। इधर तातुश जैसे सहृदय मनुष्य बेबी के दुख-दर्द
को समझकर उसे अपने घर में आश्रय देते हैं। उसके बच्चों की देखरेख, उनके लिए दूध,
दवा, स्कूल आदि की व्यवस्था तक करते हैं। बेबी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं।
उसके बड़े बेटे को खोजकर लाते हैं। वास्तव में, उन्होंने जैसा व्यवहार किया ऐसे
बहुत कम उदाहरण हैं। ये बताते हैं करुणा, दया और स्नेह के संबंध खून के रिश्तों से
कहीं बढ़कर होते हैं।
3. इस पाठ से घरों में काम करने वालों के
जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और
किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार करिए।
उत्तरः - इस पाठ से घरेलू नौकरों के घरों में काम करने
वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है-
1. इन लोगों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती।
2. इन्हें गंदे व सस्ते मकान किराए पर मिलते हैं क्योंकि ये
अधिक किराया नहीं दे सकते।
3. इनका शारीरिक शोषण भी किया जाता है।
4. इनके काम के घंटे भी अधिक होते हैं।
अन्य समस्याएँ
1. आर्थिक तंगी के कारण इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं।
2. चिकित्सा सुविधा व खाने के अभाव में ये अस्वस्थ्य रहते
हैं।
4. आलो-ऑधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत
समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है। किंही दो मुख्य समस्याओं पर
अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः- आलो-ऑधारि एक ऐसी रचना है जो बेबी हालदार की आत्मकथा होने
के साथ-साथ हमें एक अनदेखी दुनिया का दर्शन कराती है। यह एक ऐसी दुनिया है जो
हमारे पड़ोस में है, फिर भी हम इसमें झाँकना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। कुछ
समस्याएँ निम्नलिखित हैं -
(क) परित्यक्ता स्त्री के साथ व्यवहार- यह पुस्तक एक परित्यक्ता स्त्री की कहानी कहती है। बेबी
किराए के मकान में रहकर घरेलू नौकरानी का कार्य करके अपना जीवन निर्वाह कर रही है।
समाज का दृष्टिकोण उसके प्रति स्वस्थ नहीं है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती
हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा उसका शोषण करना चाहता है। उसे सदा
संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। सहायता के नाम पर उसका मजाक उड़ाया जाता है।
(ख) स्वच्छता का अभाव- संसाधनों के अभाव में घरेलू नौकर गंदी बस्तियों में रहते
हैं। शौचालय की सुविधा न होना, पानी की जमाव, कूड़े के ढेर आदि के कारण बीमारियाँ
फैलती हैं। सरकार भी इन्हें उपेक्षित करती हैं।
5. तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो-जेठू
का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
उत्तरः- रचना संसार और इसमें रहने वाले लोगों की अपनी एक अलग ही
जीवन-शैली है। ये लोग लेखन कार्य के लिए सारी सारी रात जाग सकते हैं, जागते हैं।
तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो' जेठू का यह कथन बेबी को यही बात समझाने के
लिए था। जेठू ने यह भी समझाया था कि आशापूर्णा देवी भी सारा काम-काज निबटाकर
रात-रात भर चोरी-चोरी लिखती थी, जब लोग सो जाते थे। यह सच है रचना संसार में लेखन
का एक नशा होता है, जैसा मुंशी प्रेमचंद को भी था, जो कई मील पैदल चलकर आते,
खाने-पीने का ठिकाना न था, फिर भी ढिबरी बरी की रोशनी में कई-कई घंटे बैठकर लेखन
कार्य करते थे। ऐसी ही बेबी हालदार ने भी किया। जब सारी झुग्गी बस्ती सो जाती तो
वह लेखन कार्य करती रहती थी।
6. बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया
होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें।
उत्तरः- बेबी के जीवन में तात्श एक सौभाग्य की भाँति हैं।
तातुश जैसे लोग सबको नहीं मिलते। यदि वे बेबी के जीवन में न आते तो बेबी स्वयं कभी
अपनी क्षमता को पहचान न पाती। उसी गलीच माहौल में बेबी नरक भोगती रहती, घर-घर
झाड़-बरतन करती घूमती रहती। जो लोग उसे बुरी नजर से देखते थे उनका शिकार हो जाती।
उसके बच्चे कभी स्कूल का मुँह न देख पाते और शायद उससे सदा के लिए बिछुड़ जाते।
उसका बड़ा बेटा कहाँ काम कर रहा है, यह तातुश ही तो । खोज लाए थे। वह भी घृणास्पद
अज्ञात कुचक्र के-से जीवन में कहीं खोकर रह जाती। हमें उसकी आत्मकथा पढ़ने का अवसर
न मिल पाता।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. आलो आंधारी पाठ के रचयिता कौन हैं?
क. कुमार गंधर्व
ख. बेबी हालदार
ग. अनुपम मिश्र
घ. इनमें से कोई नहीं
2. बेबी हालदार के कितने बच्चे थे?
क. दो
ख. तीन
ग. चार
घ. एक
3. बेबी हालदार कितनी पढ़ी लिखी थी?
क. चौथी तक
ख. पांचवी तक
ग. छठी तक
घ. सातवीं तक
4. बेबी हालदार को पार्क में जो लड़की मिलती
थी उसका क्या नाम था?
क. सुनिधि
ख. सुनीता
ग. सुनीति
घ. सोनाली
5. बेबी हालदार के लेखन की तुलना किससे की गई
है?
क. आशापूर्णा देवी
ख. जेठू
ग. तातुश
घ. इनमें से कोई नहीं
6. जब बेबी हालदार का घर टूटा तो उसने किसकी मदद ली?
क. सुनील
ख. भटू
ग. बोला था
घ. उनका भाई
7. बेबी हालदार से पहले तात्श के घर में काम
करने वाली को कितना वेतन मिलता था?
क. 500
ख. 800
ग. 400
घ. 900
8. बेबी हालदार को काम दिलाने में किस युवक
ने मदद की थी ?
क. भोला था
ख. सुनील
ग. उसका भाई
घ. भटू
9. बेबी हालदार के बड़े लड़के को कौन ले गए थे?
क. उसके पिता
ख. सुनील
ग. पड़ोस के लोग
घ. इनमें से कोई नहीं
10. तातुश के छोटे लड़के का क्या नाम था?
क. सुखदीप
ख. अर्जुन
ग. रमन
घ. इनमें से कोई नहीं
11. भोला दा किस धर्म से संबंधित था?
क. हिंदू
ख. मुसलमान
ग. सिख
घ. इसाई
12. बेबी हालदार ज्यादातर अपना लेखन कार्य
किस समय करती थी?
क. सुबह
ख. दोपहर
ग. शाम
घ. रात
13. बेबी हालदार से पहले तातूश के घर में काम
करने वाली महिला की उम्र कितनी थी?
क. 35 से 40
ख. 40 से 45
ग. 45 से 50
घ. 50 से 55
14. तातुश के प्रिय मित्र कौन थे?
क. भटू
ख. भोला दा
ग. सुनील
घ. इनमें से कोई नहीं
15. तातुश के बच्चे तातुश को क्या कह कर
बुलाते थे?
क. पिता
ख. बाबा
ग. पापा
घ. तातुश
16. दरकार शब्द का क्या अर्थ है?
क. आवश्यकता
ख. दरकिनार
ग. जोगन
घ. पता है
17. जबरन शब्द का क्या अर्थ है?
क. तैयार होना
ख. खुश होना
ग. जबरदस्ती करना
घ. जोर से रोना
18. आलो-आंधारी रचना मूल रूप से किस भाषा में
लिखी गई है-
क. बांग्ला भाषा
ख. मराठी भाषा
ग. उड़िया भाषा
घ. पंजाबी भाषा
19. आलो-आंधारी के हिंदी अनुवादक कौन है?
क. नवीन कुमार
ख. प्रमोद कुमार
ग. सुनील कुमार
घ. प्रबोध कुमार
20. आलो-आंधारी का क्या अर्थ है?
क. चांदनी का उजाला
ख. सूर्य का उजाला
ग. चंद्रमा का उजाला
घ. अंधेरे का उजाला
21. बेबी हालदार की शादी किस उम्र में हुई
थी?
क. 11 वर्ष की उम्र में
ख. 13 वर्षकी उम्र में
ग. 16 वर्ष की उम्र में
घ. 19 वर्ष की उम्र में
22. तातुश का क्या अर्थ है?
क. चाचा
ख. पिता
ग. मामा
घ. भैया
23. पत्रिका में बेबी हालदार की रचना किस
शीर्षक से छपी थी?
क. आलो आंधारी
ख. मेरा परिवार
ग. राजस्थान की रजत बूंदे
घ. मेरा मित्र
24. आलो आंधारी साहित्य की कौन सी विधा है?
क. आत्मकथा
ख. संस्मरण
ग. कहानी
घ. निबंध
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. सुनील कौन था ?
उत्तरः- सुनील, तीस-बत्तीस साल का एक युवक था जो मेम साहब
की कोठी के सामने की एक कोठी में मोटर चलाता था।
2. लेखिका अपने साहब को क्या कहकर पुकारती थी?
उत्तरः- लेखिका के साहब ने लेखिका को उन्हें तातूश कहकर
बुलाने को कहा था। इसी कारण से लेखिका अपने साहब को तातूश कहकर पुकारती थी।
3. बेबी के बच्चों के बीमार होने पर तातूश
क्या करते ?
उत्तरः- बेबी के बच्चों के बीमार होने पर तातूश तुरंत जाकर
उनके लिए दवा लाते और उनका पूरा ख्याल भी रखते।
4. बेबी के बच्चे स्कूल से घर देर से क्यों आते
थे ?
उत्तरः- बेबी का छोटा लड़का और लड़की स्कूल से पढ़कर देर से
घर लौटते थे क्योंकि अब वे दोनों बड़े सरकारी स्कूल में पढ़ने जाने लगे थे।
5. जब बेबी अपने बच्चों के साथ कहीं जाती तो
क्या होता था ?
उत्तरः- जब बेबी अपने बच्चों के साथ कहीं जाती तो लोग उसे
देख कर बहुत सी बातें करते, उससे सवाल करते और कभी-कभी तो ताना भी देते थे।
6. लेखिका घर में रह कर क्या सोचती रहती थी ?
उत्तरः- लेखिका घर में रह कर सब समय बस यही सोचती
रहती थी कि काम ना मिला तो बच्चों को क्या
खिलाऊँगी ? कैसे उन्हें पालूँगी पोसँगी? उन्हें महीना ख़त्म
होने पर घर का किराया देने की भी चिंता थी।
7. साहब ने लेखिका से उनको क्या समझने को
कहा?
उत्तरः- साहब ने लेखिका से कहा कि वह उन्हें अपना बाप, भाई, माँ,
बंधु, सब कुछ समझ सकती है। उन्होंने लेखिका को यह भी समझाया कि वह कभी भी ये ना
सोंचे कि यहाँ उसका कोई नहीं है।
8. अर्जुन दा को क्या खाना पसंद था ?
उत्तरः- अर्जुन दा को अच्छी-अच्छी चीजें खाने का बहुत शौक़
था। चिकेन विकेन, बिरयानी, पुलाव, कबाब, आलू -
पराँठा, पुदीना पराँठा, यह सब उसे अधिक पसंद था।
साथ में टोमाटो सूप, चिकेन सूप, प्याज़ सूप जैसा कुछ
हो तो और भी अच्छा।
9. एक दिन साहब ने लेखिका से क्या पूछा ?
उत्तरः- एक दिन साहब ने लेखिका के इतने ज़्यादा काम करने से
हैरान होकर लेखिका से पूछा कि तुम इतना सारा काम इतने कम समय में कैसे कर लेती हो?
तातूश ने आगे पूछा कि तुमने यह सब कहाँ से सीखा है?
10. लेखिका किसी के पास खड़े होकर बात क्यों नहीं
करती थी ?
उत्तरः- लेखिका जब भी किसी के पास खड़े होकर बात करने जाती लोग उससे
उसके स्वामी और निजी जीवन से सम्बंधित सवाल करने लगते थे। इसी कारण से लेखिका किसी
के पास खड़े होकर बात नहीं करती थी।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. काम करने के एक वर्ष पूरे हो जाने पर
तातूश ने बेबी से क्या पूछा ?
उत्तरः- काम करने के एक वर्ष पूरे हो जाने पर तातूश ने बेबी से पूछा
"बेबी तुम्हें इस घर में आए एक वर्ष हो गया है"। तुम सोच कर देखो और
मुझे बताओ कि तुम्हें कैसा लग रहा है? क्या क्या तुम्हें अच्छा लगा और क्या बुरा?
यहाँ आकर तुमने क्या कुछ सीखा ?
2. लेखिका को बच्चों के साथ अकेला रहते देख
आस-पास के लोग उन्हें क्या कहते थे?
उत्तरः- लेखिका को बच्चों के साथ अकेला रहते देख आस- पास के लोग
उनसे बहुत से प्रश्न करते थे। सभी लोग उनसे पूछते थे कि तुम यहाँ अकेली रहती हो?
तुम्हारा पति कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा पति वहाँ क्या
करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा पति क्यों नहीं आता?
3. आश्चर्य होकर प्रश्न करने पर लेखिका ने साहब
को क्या जवाब दिया? और क्यों ?
उत्तरः- आश्चर्य होकर प्रश्न करने पर लेखिका ने साहब को बताया कि
उन्हें घर के काम करने में कोई परेशानी नहीं होती। लेखिका बचपन से ही बिना माँ के
रही है और उनके बाबा भी हर समय घर पर नहीं होते थे। उनका सारा बचपन पढ़ने लिखने की
जगह रसोई में बिता। इसी कारण उसे बचपन से ही रसोई में जल्दी काम करने का अभ्यास
होता गया।
4. काम से जाने के बाद बेबी की दिनचर्या
लिखिए।
उत्तर:- बेबी काम से जाने के बाद खाना बनाने में लग जाती और
साथ ही साथ बच्चों को नहलाती धूलाती। फिर उन्हें खिला पिलाकर सुला देती। तीसरे पहर
उनके साथ थोड़ा घूमती फिरती और शाम को संध्या- पूजाकर उन्हें पढ़ने बिठा देती रात
में फिर उन्हें खिला - पिलाकर सुला देती पुनः अगले सवेरे जल्दी से जल्दी काम के
लिए निकल पड़ती।
5. लेखिका अपने साहब को तातूश क्यों बुलाती थी ?
उत्तरः- साहब ने लेखिका से स्वयं को तातूश कहकर पुकारने के लिए कहा
था, तभी से लेखिका उन्हें तातूश कहकर बुलाती थी। साहब लेखिका को अपनी बेटी की तरह
मानते थे। साहब के साथ-साथ उनका पूरा परिवार लेखिका व उनके बच्चों का ध्यान रखता
था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. बेबी
हालदार की तबियत खराब होने पर तातूश क्या करते थे?
उत्तरः- बेबी हालदार की तबियत खराब होने पर तातूश चिंता
में पड़ जाते थे और बेबी का कुछ काम स्वयं करने लग जाते थे।
वह बेबी को ज़बरदस्ती पड़ोस के डॉक्टर के पास भेज देते थे। डॉक्टर से बेबी की दवा
लिखवा देते और फिर तातूश पर्ची पर लिखी दवाई जल्दी से जाकर ले आते। तातूश सिर्फ
दवा लाते ही नहीं बल्कि जिस समय जो दवा दवा खानी है है उसे निकालकर बेबी को देते
भी थे। दवा के लिए बेबी जब आना-कानी करने लगती तो भी वह ज़बरन उसे दवाई खिला देते।
अतः बेबी जब तक ठीक नहीं हो जाती थी, तातूश उसका पूरी तरह से ख़्याल रखते थे।
2. बेबी की जीवन में यदि तातूश का परिवार
नहीं आया होता, तो उसका जीवन कैसा होता?
उत्तरः- बेबी का जीवन, तातूश के परिवार के सम्पर्क में आने
से पहले अनेक परेशानियों से भरा हुआ था। परंतु जब बेबी
तातूश के परिवार से मिली और तातूश के घर में काम करना शुरू किया तब से उसे आवास,
भोजन आदि की समस्याओं से राहत मिल गयी। बेबी ने अपने बच्चों का अच्छी तरह से पालन
पोषण किया। तातूश बेबी को अपनी लड़की की तरह मानते थे। यदि बेबी तातूश के परिवार
से नहीं मिली होती तो शायद उनका जीवन नरकीय होता। बेबी को समाज के लोगों दद्वारा
शोषण का शिकार होना पड़ता और लोगों के अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ता। इसके
अतिरिक्त उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं मिल पाती। उसके बच्चें या तो भटक
रहे होते या किसी के घरों में काम कर रहे होते। अतः उसका और उसके बच्चों का जीवन
कठिन और धूमिल हो जाता।
3. आलो-आँधारि की लेखिका और उनके द्वारा
लिखित इस लेखन को संदर्भित करें।
उत्तरः- आलो-आँधारि की लेखिका बेबी हालदार है। इनका जन्म जम्मू
कश्मीर के किसी स्थान पर हुआ परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण तेरह
वर्ष की आयु में इनका विवाह दुगुनी उम्र के व्यक्ति से कर दिया गया था। इस कारण से
उनको सातवीं कक्षा में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बारह तेरह वर्षों के बाद पति की
ज़्यादतियों से परेशान होकर बेबी अपने तीन बच्चों सहित पति का घर छोड़ कर
दुर्गापुर से फरीदाबाद आकर रहने लगी। लेखिका बेबी हालदार की एक मात्र रचना है-
'आलो-ऑधारि'। यह मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखी गयी तथा बाद में इसका हिंदी
अनुवाद किया गया। इस रचना में लेखिका की आत्मकथा का वर्णन है। यह उन करोड़ों
झुग्गियों की कहानी है जिसमें झाँकना भी भद्रता के तक़ाज़े से बाहर है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
आरोह भाग-1 | |
पाठ सं. | अध्याय का नाम |
काव्य-खण्ड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | 1. हे भूख ! मत मचल, 2. हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर- अक्कमहादेवी |
7. | |
8. | |
गद्य-खण्ड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
वितान | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |