झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,राँची
वार्षिक इन्टरमीडिएट परीक्षा – 2025-26
(कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय) मॉडल प्रश्न पत्र
|
कक्षा - 12 |
विषय: हिन्दी-ऐच्छिक |
समय : 3 घंटे |
पूर्णांक : 80 |
सामान्य
निर्देश
• परीक्षार्थी यथासंभव
निर्देशानुसार अपने शब्दों में उत्तर दें।
• सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
• कुल प्रश्नों की संख्या 52
है। जो चार खण्डों (क,ख. ग,घ) में विभक्त हैं।
• खण्ड 'क' में प्रश्न
संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए
हैं। सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न का मान 1 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'ख' में प्रश्न
संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का
उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'ग' में प्रश्न
संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर
देना अनिवार्य है। प्रत्येक
प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'घ' में प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
हैं। जिसमें से किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का
मान 5 अंक निर्धारित है।
खण्ड – क अपठित बोध
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए - 1 x 4=04
आकाश! वह असीमित विस्तार, जहाँ से तारों की झिलमिलाहट सदियों
से मानव को अपनी ओर खींचती रही है। कभी यह आकाश केवल स्वप्न था, किंतु आज यह स्वप्न
भारतीय विज्ञान की दृढ़ इच्छाशक्ति से साकार हो रहा है। अंतरिक्ष में भारत के कदम मानो
उस सपने की गूंज हैं, जो कभी साधारण झोपड़ी में बैठे वैज्ञानिकों ने संजोया था।
सन् 1969 में जब इसरो की स्थापना हुई, तब किसी ने कल्पना
भी नहीं की थी कि एक दिन भारत अपनी ही शक्ति से चाँद और मंगल की धरती को छू लेगा। डॉ.
विक्रम साराभाई ने वह बीज बोया, जिसमें विश्वास था कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला की चारदीवारी
तक सीमित नहीं, बल्कि आम जनता की ज़िंदगी को बदलने का माध्यम बन सकता है। यही बीज आगे
चलकर एक वटवृक्ष बना।1975 का वर्ष भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। जब आर्यभट्ट उपग्रह ने
अंतरिक्ष में पहुँचकर अपनी चमक बिखेरी, तो मानो करोड़ों भारतीयों की आँखों में उम्मीद
का नया सूरज उग आया। इसके बाद 1980 में रोहिणी उपग्रह के साथ भारत ने अपने स्वयं के
प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष तक का सफर तय किया। यह आत्मनिर्भरता का प्रथम स्वप्निल कदम
था।
आज अंतरिक्ष केवल वैज्ञानिक प्रयोग का क्षेत्र नहीं, बल्कि
भारत की पहचान बन चुका है। पीएसएलवी और जीएसएलवी जैसे रॉकेटों ने भारत को वह सामर्थ्य
दिया है कि वह अपने साथ-साथ अन्य देशों के सपनों को भी अंतरिक्ष में पहुँचा सके। जब
विदेशी उपग्रह भारतीय भूमि से उड़ान भरते हैं, तो यह केवल तकनीक का नहीं, बल्कि विश्वास
का उत्सव होता है। भारत के अंतरिक्ष अभियान में चंद्रमा और मंगल विशेष पड़ाव रहे हैं।
चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की गोद में छिपे जल अणुओं का रहस्य खोला। मंगलयान ने दुनिया
को चकित कर दिया कि सीमित साधनों वाला एक देश भी कम खर्च में लाल ग्रह तक पहुँच सकता
है। और फिर आया वह क्षण, जिसने भारत को विश्व इतिहास में अंकित कर दिया- चंद्रयान-3
की सफलता। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरते ही भारत ने यह सिद्ध कर दिया कि असंभव
केवल शब्द है, वास्तविकता नहीं। पर भारत का सपना यहीं समाप्त नहीं होता। भविष्य में
गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा। आदित्य-एल। सूर्य
के रहस्यों को खोलेगा, और आगे के अभियान मानवता को नए क्षितिजों से परिचित कराएँगे।
इन सब उपलब्धियों के बीच एक गहरा संदेश छिपा है "सीमित
संसाधनों से भी असीमित सपने पूरे किए जा सकते हैं।" भारत की यह यात्रा केवल विज्ञान
की विजय नहीं, बल्कि मनुष्य की अटूट आस्था, उसकी जिज्ञासा और परिश्रम का उत्सव है।
अंतरिक्ष में भारतीय कदम हमें यह सिखाते हैं कि सितारे सिर्फ़ देखने के लिए नहीं होते;
वे हमें यह याद दिलाने आते हैं कि यदि हम चाहें, तो उन्हें छू भी सकते हैं।
1. 'अंतरिक्ष में भारत के कदम' किसकी गूंज
बताए गए हैं?
(A) भारत की संपन्नता
(B) वैज्ञानिकों के संजोए सपने
(C) विदेशी सहायता
(D) राजनीतिक निर्णय
2. पीएसएलवी और जीएसएलवी क्या हैं?
(A) उपग्रहों के नाम
(B) अंतरिक्ष यात्रियों के नाम
(C) प्रक्षेपण यान
(D) अंतरिक्ष केंद्र
3. जब विदेशी उपग्रह भारत से प्रक्षेपित होते
हैं, तो उसे क्या कहा गया है?
(A) तकनीक का उत्सव
(B) विज्ञान की विजय
(C) विश्वास का उत्सव
(D) अंतरराष्ट्रीय सहयोग
4. गगनयान मिशन का उद्देश्य क्या है?
(A) मंगल पर उपग्रह भेजना
(B) अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना
(C) सूर्य का अध्ययन करना
(D) चंद्रमा पर नया उपग्रह भेजना
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए -1x4=04
अभी अभी थी धूप, बरसने
लगा कहाँ से यह पानी
किसने फोड़ घड़े बादल के
की है इतनी शैतानी।
सूरज ने क्यों बंद कर लिया
अपने घर का दरवाज़ा
उसकी माँ ने भी क्या उसको
बुला लिया कहकर आज।
ज़ोर-ज़ोर से गरज रहे हैं
बादल हैं किसके काका
किसको डाँट रहे हैं, किसने
कहना नहीं सुना माँ का।
बिजली के आँगन में अम्माँ
चलती है कितनी तलवार
कैसी चमक रही है फिर भी
क्यों ख़ाली जाते हैं वार।
5. कवि ने अचानक वर्षा को किस प्रकार व्यक्त
किया है?
(A) समुद्र की लहरों से
(B) बादल के घड़े फूटने से
(C) झरने से
(D) नदी की बाढ़ से
6. कवि ने सूरज को किससे बुलाए जाने की कल्पना
की है?
(A) उसके मित्र ने
(B) उसकी माँ ने
(C) उसके शिक्षक ने
(D) उसके पिता ने
7. इस काव्यांश में कौन सा रस अधिक परिलक्षित
होता है?
(A) प्रेम रस
(B) हास्य रस
(C) अद्भुत रस
(D) करुण रस
8. इस काव्यांश की भाषा की सबसे बड़ी विशेषता
क्या है?
(A) गम्भीरता
(B) बालसुलभ कल्पना और सरलता
(C) दार्शनिकता
(D) वीरता
अभिव्यक्ति और माध्यम
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए
-1x8 =8
9. परिपत्र किस श्रेणी का पत्र है ?
(A) सामाजिक
(B) कार्यालयी
(C) व्यक्तिगत
(D) पारिवारिक
10. अधिसूचना का प्रकाशन कहाँ होता है ?
(A) सोशल मीडिया पर
(B) तार पर
(C) समाचार पत्र
(D) राजपत्र (गजट)
11. पी.टी.आई. क्या है ?
(A) समाचार एजेंसी
(B) गुप्तचर विभाग
(C) पुलिस
(D) साहित्यिक मंच
12. भारत में बनी पहली फ़िल्म का नाम क्या
है ?
(A) आलम आरा
(B) राजा हरिश्चंद्र
(C) हमलोग
(D) बुनियाद
13. स्टिंग ऑपरेशन किस तरह की पत्रकारिता है
?
(A) खोज परक पत्रकारिता
(B) विशेषीकृत पत्रकारिता
(C) एडवोकिसी पत्रकारिता
(D) फोटो पत्रकारिता
14. उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग किस लेखन
में होता है ?
(A) निबन्ध लेखन
(B) पत्र लेखन
(C) संवाद लेखन
(D) समाचार लेखन
15. अखबार की आवाज किसे माना जाता है?
(A) आलेख
(B) फीचर
(C) संपादकीय
(D) पत्र लेखन
16. इनमें से कौन अलग है ?
(A) दैनिक जागरण
(B) हिंदुस्तान
(C) इंडिया टुडे
(D) प्रभात खबर
पाठ्यपुस्तक
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए -1x4=04
सारी रात संभव की आँखों में शाम मँडराती रही। उसकी ज़्यादा
उम्र नहीं थी। इसी साल एम. ए. पूरा किया था। अब वह सिविल सर्विसिस प्रतियोगिताओं में
बैठने वाला था। माता-पिता का ख़याल था वह हरिद्वार जाकर गंगा जी के दर्शन कर ले तो
बेखटके सिविल सेवा में चुन लिया जाएगा। लड़का इन टोटकों को नहीं मानता था पर घूमना
और नानी से मिलना उसे पसंद था।
अभी तक उसके जीवन में कोई लड़की किसी अहम भूमिका में नहीं
आई थी। लड़कियाँ या तो क्लास में बाईं तरफ़ की बेंचों पर बैठने वाली एक क़तार थी या
फिर ताई-चाची की लड़कियाँ जिनके साथ खेलते खाते वह बड़ा हुआ था। इस तरह बिलकुल अकेली,
अनजान जगह पर एक अनाम लड़की का सद्य-स्नात दशा में सामने आना, पुजारी का ग़लत समझना,
आशीर्वाद देना, लड़की का घबराना और चल देना सब मिलाकर एक नई निराली अनुभूति थी जिसमें
उसे कुछ सुख और ज़्यादा बेचैनी लग रही थी। उसने मन ही मन तय किया कि कल शाम पाँच बजे
से ही वह घाट पर जाकर बैठ जाएगा। पौड़ी पर इस तरह बैठेगा कि कल वाले पुजारी के देवालय
पर सीधी आँख पड़े।
उसने तो लड़की का नाम भी नहीं पूछा। वैसे वह हरिद्वार की
नहीं लगती थी। कैसी लगती थी, संभव ने याद करने की कोशिश की। उसे सिर्फ़ उसकी दुबली
पतली काया, गुलाबी साड़ी, और भीगी भीगी श्याम सलोनी आँखें दिखीं। उसे अफ़सोस था वह
उसे ठीक से देख भी नहीं पाया पर यह तय था कि वह उसे हज़ारों की भीड़ में भी पहचान लेगा।
17. माता-पिता का विश्वास था कि हरिद्वार जाकर
गंगा जी के दर्शन करने से-
(A) शिक्षा पूरी हो जाएगी
(B) स्वास्थ्य अच्छा रहेगा
(C) प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी
(D) विवाह हो जाएगा
18. पुजारी ने क्या ग़लतफ़हमी की ?
(A) संभव को लड़की का भाई समझा
(B) दंपत्ति समझकर आशीर्वाद दिया
(C) लड़की को अकेली यात्री समझा
(D) संभव को पुजारी समझा
19. संभव को हरिद्वार जाने की प्रेरणा किस
कारण से अधिक थी?
(A) टोटके पर विश्वास
(B) नानी से मिलने और घूमने का शौ
(C) धार्मिक आस्था
(D) परीक्षा की तैयारी
20. प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया
है ?
(A) दूसरा देवदास
(B) संवदिया
(C) सुमिरनी के मनके
(D) कच्चा चिट्ठा
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- 1x4 =04
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा;
कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में
यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र,
उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा।
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भक्ति को दे दो-
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
21. प्रस्तुत पंक्तियाँ किस काव्य संग्रह से
ली गई हैं?
(A) हरी घास पर क्षणभर
(B) बावरा अहेरी
(C) नदी के द्वीप
(D) कितनी नावों में कितनी बार
22. कवि ने 'विश्वास' को किस रूप में प्रस्तुत
किया है?
(A) डगमगाने वाला
(B) स्थिर और अडिग
(C) भयभीत
(D) असत्य
23. 'सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र'
किस गुण की ओर संकेत करता है?
(A) कठोरता और घमंड
(B) करुणा और सजगत
(C) मोह और लोभ
(D) असत्य और पाखंड
24. 'उल्लम्ब - बाहु' का अर्थ है -
(A) बंधी हुई भुजाएँ
(B) उठी हुई भुजाएँ
(C) लटकी हुई भुजाएँ
(D) कमजोर भुजाएँ
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए
1x6=06
25. 'प्रेमघन की छाया स्मृति' निबंध किस शैली
में लिखा गया है ?
(A) विचारात्मक
(B) संस्मरणात्मक
(C) आलोचनात्मक
(D) विवरणात्मक
26. 'ढेले चुन लो' निबन्ध में शेक्सपियर के
कौन से नाटक का जिक्र किया गया है ?
(A) मर्चेंट ऑफ वेनि
(B) हैमलेट
(C) एज यू लाईक ईट
(D) द टेमिंग ऑफ द शेरो
27. 'देवसेना का गीत' किस नाटक से संबंधित
है?
(A) चंद्रगुप्त
(B) स्कंदगुप्त
(C) ध्रुवस्वामिनी
(D) अजातशत्रु
28. 'मैंने देखा, एक बूँद' कविता में कवि ने
किसका महत्व प्रतिपादित किया है ?
(A) दिन का
(B) क्षण का
(C) बूँद का
(D) स्वयं का
29. कोइयाँ का दूसरा नाम क्या है
(A) जूही
(B) बबूल
(C) कलसी
(D) कुमुद
30. गांधी सागर बांध किस नदी पर स्थित है
?
(A) चंब
(B) गंगा
(C) शिप्रा
(D) नर्मदा
खण्ड – ख (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें -2x6=12
31. 'कार्नेलिया का गीत' में किसका वर्णन है
?
उत्तर-
'कार्नेलिया का गीत' जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक चंद्रगुप्त
से लिया गया है। इसमें सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस
की पुत्री कार्नेलिया के
माध्यम से भारत भूमि की भव्यता, प्राकृतिक सौंदर्य और मानवीय करुणा का चित्रण किया
गया है।
32. कवि निराला मुक्त छंद के प्रवर्तक माने
जाते है। मुक्त छंद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
को हिंदी में मुक्त छंद का प्रवर्तक माना जाता है क्योंकि
उन्होंने कविता को छंद के अनुशासन से मुक्त कर भावों के स्वाभाविक प्रवाह के अनुरूप
लिखा । मुक्त छंद ऐसा काव्य रूप है जिसमें पारंपरिक छंदों, मात्रा, यति, और तुक के
कठोर बंधनों से कवि को स्वतंत्रता मिलती है।
33. 'गीत' और 'मोती' की सार्थकता किससे जुड़ी
है ?
उत्तर-
गीत की सार्थकता जन से जुड़ी है। यदि कोई गीत जन- जन का न बन पाए तो वह गीत निरर्थक
हो जाता है। मोती की सार्थकता पनडुब्बा से जुड़ी है। यदि मोती को गहरे जल पनडुब्बा
बाहर न निकालें तो मोती की ओर कौन आकृष्ट होगा।
34. विद्यापति के काव्यभाषा की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
विद्यापति ने मैथिली भाषा को काव्यभाषा के रूप में चुना है। - उन्होंने पदों में आंचलिक
शब्दों का भी खुलकर प्रयोग किया है। विभिन्न अलंकारों का सहज एवं स्वाभाविक चित्रण
किया है। पदों को प्रभावी बनाने के लिए चित्रात्मक भाषा का भी प्रयोग किया है। कई शब्दों
की पुनरावृति भी की है।
35. अमझर से आप क्या समझते हैं? अमझर गाँव
में सूनापन क्यों है ?
उत्तर-
अमझर से अभिप्राय है आम के पेड़ों से घिरा हुआ गांव जहां आम झाड़ते हैं। जहां पिछले
दो-तीन वर्षों से सूनापन है, इसका कारण सरकारी घोषणा है। सरकार ने घोषणा की थी कि यहां
अमरौली प्रोजेक्ट को बनाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागांव के अनेक गांव
आएंगे जिन्हें उजाड़ दिया जाएगा। इसके बाद यहां के पेड़ सूखने लगे। वे भी लोगों की
तरह मूक सत्याग्रह कर रहे थे।
36. हाथी ने खेत की रखवाली के लिए क्या घोषणा
की ?
उत्तर-
किसान अकेले खेती करने का साहस नहीं जुटा पाता था। वह पहले शेर, चीते, मगरमच्छ के साथ
खेती कर चुका था, पर उसे कोई लाभ नहीं हुआ था। अबकी बार हाथी ने कहा कि अब वह उसके
साथ खेती करे। इससे उसे यह लाभ होगा कि जंगल के छोटे-मोटे जानवर खेतों को नुकसान नहीं
पहुँचा पाएँगे। अंतत: किसान इसके लिए तैयार हो गया। उसने हाथी से मिलकर खेत में गन्ना
बोया। हाथी ने खेत की रखवाली के लिए पूरे जंगल में घूमकर यह डुग्गी पीटी कि अब गन्ने
के खेत में उसका साझा है, इसलिए कोई जानवर खेत को नुकसान न पहुँचाए, नहीं तो अच्छा
नहीं होगा। इस प्रकार गन्ने के खेत की रखवाली अच्छी प्रकार से हो गई।
37. भारत की नदियाँ गंदी क्यों है ?
उत्तर-
भारत की नदियां खासतौर पर भारतीय लोगों के अंधविश्वास के कारण गंदी है। लोग पूजा की
सामग्री को नदी में बहा देते हैं। कुछ ऐसे लोग जो अपने देश को साफ करना अपना कर्तव्य
नहीं समझते हैं वही कूड़ा, प्लास्टिक की वस्तु भी नदियों में बहा देते हैं। इन सभी
कारणों से भारत की नदियां गंदी है।
38. 'बिस्कोहर की माटी' रचना में लेखक चाँदनी
रात और बच्चे पर क्या टिप्पणी करते है ?
उत्तर-
लेखक कहते हैं कि चाँदनी रात में खटिया पर बैठकर जब माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है
तब बच्चा दूध पीने के साथ-साथ चाँदनी रात के आनंद को भी पूरी तरह महसूस करता है। जैसे
चांदनी भी बच्चे को उसकी माँ की तरह स्रेह, ममता दे रही है।
खण्ड – ग (लघु उत्तरीय प्रश्न)
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें -3x6=18
39. 'भरत राम का प्रेम' पाठ के आधार पर आज
की प्रासंगिकता पर टिप्पणी करें -
उत्तर-
भरत और राम का प्रेम वर्तमान के लिए प्रासंगिक है और आवश्यक भी। आज रिश्तों का महत्व
समाप्त होता जा रहा है, या यूं कहें कि सारे रिश्ते खोखले होते जा रहे हैं। बाहर से
दिखावा और अंदर से नाम मात्र की भी मजबूती नहीं। भौतिकता के पीछे भागते भागते मनुष्य
वास्तविक सुख और आनंद से वंचित होता जा रहा है। वास्तव में सच्चा सुख और आनंद आपसी
प्रेम से ही मिलता है। समाज में यदि भरत और राम के समान भाइयों में प्रेम व्यवहार हो
तो जीवन की अनेक समस्याएं एवं बुराइयां स्वयं समाप्त हो जाएंगी।
40. कवि को धरती और मन की भूमि में क्या-क्या
समानताएँ दिखाई पड़ती हैं ?
उत्तर-
धरती को सृजन का प्रतीक माना जाता
है किंतु उस धरती को अगर लंबे समय
तक जोता - बोया ना जाए तो वो ऊसर, बंजर बन जाती है। धरती के सीने पर पत्थर और कंकर
अपना अस्तित्व जमा लेते हैं लेकिन हल चलते ही यह कंकड़ पत्थर रूपी बाधाएं अपने अस्तित्व
को उपजाऊ भूमि में विलीन कर देती है। ठीक उसी प्रकार हमारा मन भी शंका, अविश्वास और
कुरीतियों जैसे बाधाओं के चपेट में आकर अपनी सृजन क्षमताओं को अनदेखा कर देती है जिस
प्रकार मिट्टी रस को पाकर बीज बोने की क्षमता से परिपूर्ण हो उठती है और उत्साह और
उमंग रूपी फसलों कोसृजत कर मानव को निहाल कर देती है ठीक उसी प्रकार हमें भी उत्साह,
उमंग, विश्वास आदि जैसे रसों से अपने मन को भिगोकर असीम संभावनाओं को जगाना चाहिए।
41. 'वसंत आया' कविता में कवि की चिंता क्या
है? उसका प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर-
मनुष्य ने भौतिक प्रगति के लिए प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। कवि ने कहा है
कि आज मनुष्य का प्रकृति से रिश्ता टूट गया है। ऋतुएं पहले की तरह अपनी व्यवस्था से
चलती है, परंतु मनुष्य उनसे दूर हो गया है। प्रकृति जो कभी मानव जाति का साथी था. आज
उससे दूर है। मनुष्य के पास अत्याधुनिक सुविधाएं होने का साधन है, लेकिन प्रकृति की
सुंदरता को देखने और महसूस करने की संवेदना नहीं बची है।
42. कुटज किस प्रकार अपनी अपराजेय जीवन शक्ति
की घोषणा करता है ?
उत्तर-
कुटज अपने रूप और नाम दोनों के कारण अपराजेय जीवन-शक्ति की घोषणा करता है। वह आकर्षक
है। हिमालय पर यमराज के दारुण निश्वास के समान धधकते पहाड़ों में हरा-भरा तथा पुष्पित
कुटज अपनी मस्ती तथा मादक शोभा में जीता है। भाग्य से भी अधिक कठोर चट्टानों पर अज्ञात
जल स्रोत से जीवन ग्रहण कर कुटज अपनी जीवनी-शक्ति को दिशा देता है। उसकी अपराजेय जीवन-शक्ति
ही वातावरण को अपूर्व उल्लास से भर देती है। कुटज' जीवन को कठिन परिस्थितियों में भी
जीने की प्रेरणा से संचालित करने का उपदेश देता है। विरोधी और विपरीत परिस्थितियों
का डटकर सामना करना सिखाता है। इस प्रकार कुटज अपनी अपराजेय जीवनी-शक्ति की घोषणा करता
है।
43. बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं
सुना सका ?
उत्तर-
बड़ी बहुरिया का संदेश देने से पहले हरगोबिन विचारने लगता है कि बड़ी बहुरिया की दुर्दशा
व विवशता का संदेश पाकर बड़ी बहुरिया के घरवाले गाँव का नाम लेकर थूकेंगे। कैसा गाँव
है? जहाँ लक्ष्मी जैसी बहुरिया दुख भोग रही है। पूरे गाँव में उनकी बेटी को सुख देने
वाला कोई नहीं है। बेटी की दुर्दशा सुन मायके वाले उन्हें लिवाने गाँव आ गए तो बड़ी
बहुरिया कभी अपने गाँव वापस न लौटेगी। यही सोच- समझकर हरगोबिन बड़ी बहुरिया का संदेश
उसकी माँ तथा घर परिवार के लोगों को नहीं सुना पाया।
44. 'जीवन - साथी' का चुनाव मिट्टी के ढेलों
पर छोड़ने के कौन कौन से फल प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
मिट्टी के ढेलों द्वारा वर के चयन में अंधविश्वास की प्रवृत्ति थी लोग इन ढेलों से
प्राप्त फल की विवेचना करते थे। उनके अनुसार जीवनसाथी का चुनाव मिट्टी के ढेलों पर
छोड़ने से निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं- यदि कन्या ने गोशाला की मिट्टी से बने ढेले
का चयन किया, तो उसकी संतान पशुधन की स्वामी होगी, यदि कन्या वेदी की मिट्टी से बने
ढेले का चयन करती तो संतान वैदिक पंडित होगी, खेत की मिट्टी से बने ढेले का चयन करने
वाली कन्या की संतान जमींदार होगी और मसान की मिट्टी का ढेला चुनने पर माना जाता की
कन्या अशुभ है।
45. 'प्रेमघन की छाया - स्मृति' के लेखक का
हिंदी साहित्य के प्रति झुकाव किस तरह बढ़ता गया।
उत्तर-
लेखक के पिता हिंदी प्रेमी थे। इस कारण बचपन से ही हिंदी साहित्य के प्रति झुकाव रहा।
जैसे -जैसे लेखक बड़ा हुआ, उसका झुकाव हिंदी साहित्य की तरफ बढ़ता गया। उसके पिता के
पास भारत जीवन प्रेस की पुस्तकें आती थीं। वह केदारनाथ जी पाठक के हिंदी पुस्तकालय
से पुस्तक लाकर पढ़ने लगा इस प्रकार वे हिंदी साहित्य के रस में दिनों दिन डूबता चला
गया।
46. सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त
क्यों रखना चाहता था ?
उत्तर-
सूरदास एक अंधा भिखारी था। वह लोगों के दान पर ही जीता था। एक अंधे भिखारी के पास इतना
धन होना लोगों के लिए हैरानी की बात हो सकती थी। इस धन का पता चलने पर लोग उसपर संदेह
कर सकते थे कि इसके पास इतना धन कहाँ से आया? लोग उसके प्रति तरह-तरह की बात कर सकते
थे। अतः जब जगधर ने उससे उन रुपयों के बारे में पूछा जो अब भैरों के पास थे तो सूरदास
सकपका गया और उन रुपयों को अपना मानने से इंकार कर दिया। वह स्वयं को समाज के आगे लज्जित
नहीं करना चाहता था। अतः वह जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त रखना चाहता था।
खण्ड – घ (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दें
-5x4=20
47. 'प्रदूषित होती नदियाँ' अथवा ‘हमारी सांस्कृतिक
विरासत' विषय पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर-
'प्रदूषित होती नदियाँ'
भारत
को नदियों का देश कहा जाता है। गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ
न केवल हमारी धार्मिक आस्था से जुड़ी हैं बल्कि करोड़ों भारतीयों की जीवनरेखा भी हैं।
परंतु आज यही जीवनदायिनी नदियाँ प्रदूषण के भयंकर संकट से जूझ रही हैं ।
नदी
प्रदूषण की समस्या
भारत
की अधिकांश नदियाँ, विशेषकर गंगा और यमुना, अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं। केंद्रीय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 296 प्रदूषित नदी खंड मौजूद
हैं। इनमें दिल्ली की यमुना, अहमदाबाद की साबरमती, मध्य प्रदेश की चंबल, कर्नाटक की
तुंगभद्रा और तमिलनाडु की सरबंगा सबसे अधिक प्रदूषित नदियाँ हैं ।
प्रदूषण
के मुख्य कारण
नदियों
के प्रदूषण के कई स्रोत हैं—
1.
बिना शुद्ध किया गया औद्योगिक अपशिष्ट, जिसमें विषैले रसायन व धातुएँ जैसे सीसा, पारा,
आर्सेनिक शामिल होते हैं।
2.
घरों से निकलने वाला सीवेज और गंदा पानी, जो सीधे नालों द्वारा नदियों में पहुँचता
है।
3.
धार्मिक गतिविधियाँ जैसे मूर्ति विसर्जन, फूल-माला फेंकना और अस्थि विसर्जन भी जल की
शुद्धता को प्रभावित करते हैं।
4.
कृषि में अधिक कीटनाशक और रासायनिक खादों के प्रयोग से नदियों में नाइट्रेट और फॉस्फेट
की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जलीय जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है ।
प्रदूषण
के दुष्परिणाम
प्रदूषित
जल न केवल पेय-जल संकट को जन्म देता है, बल्कि मत्स्य-पालन, सिंचाई और मानव स्वास्थ
को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यमुना का अधिकांश भाग इतना दूषित हो चुका है कि
उसमें जलीय जीवों का जीवन कठिन हो गया है। गंगा जैसी पवित्र मानी जाने वाली नदी भी
जैविक ऑक्सीजन माँग (BOD) के उच्च स्तर के कारण स्नान योग्य नहीं रही ।
समाधान
के उपाय
नदी
प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम, गंगा एक्शन प्लान,
और राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण जैसे प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त,
औद्योगिक अपशिष्टों के शोधन संयंत्रों की अनिवार्यता, तथा जन-जागरूकता से भी सुधार
संभव है ।
निष्कर्ष
नदियाँ
हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्तित्व का प्रतीक हैं। उनका संरक्षण केवल पर्यावरणीय नहीं,
बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है। यदि हम समय रहते प्रदूषण को नहीं रोक पाए, तो यह जीवनदायिनी
नदियाँ मृत्युदायिनी बन जाएँगी। स्वच्छ नदियाँ ही स्वच्छ भारत का आधार हैं ।
‘हमारी
सांस्कृतिक विरासत’
भारत
विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यताओं में से एक है। यहाँ की संस्कृति पाँच हज़ार
वर्षों से अधिक पुरानी है, जो आज भी अपनी विविधता, सहिष्णुता और एकता में अखंडता के
भाव से विश्व को प्रेरित करती है। हमारी सांस्कृतिक विरासत भारतीयता की आत्मा है—यह हमारे जीवन मूल्यों,
परंपराओं, कला, साहित्य, संगीत, वास्तुकला और विचारधारा की धरोहर है ।
सांस्कृतिक
विरासत का अर्थ
सांस्कृतिक
विरासत से तात्पर्य उन मूर्त और अमूर्त परंपराओं से है जिनसे हमारा समाज, इतिहास और
संस्कृति जुड़ा हुआ है। इसमें मंदिर, स्मारक, स्तूप और मूर्तियाँ जैसी मूर्त विरासतें
तथा भाषा, साहित्य, नृत्य, संगीत, त्योहार और लोकपरंपराएँ जैसी अमूर्त धरोहरें शामिल
हैं। यही विरासत हमारे अतीत की पहचान और वर्तमान की प्रेरणा है ।
भारतीय
संस्कृति की विशेषताएँ
भारत
की सांस्कृतिक विरासत की सबसे बड़ी विशेषता है “विविधता में एकता”। यहाँ अनेक भाषाएँ,
धर्म, संप्रदाय और परंपराएँ होने के बावजूद सभी एक सूत्र में बंधे हैं। वेद, उपनिषद्,
रामायण, महाभारत, बौद्ध और जैन धर्मग्रंथों से लेकर सूफी परंपरा, संत साहित्य और लोकगीत—सभी भारतीय संस्कृति
के अमिट अंग हैं। नृत्य, संगीत, चित्रकला और वास्तुकला में भारतीय सौंदर्यबोध की झलक
दिखाई देती है। प्रत्येक राज्य की अपनी कला, पोशाक, भोजन और लोककथा है, जो मिलकर भारत
की समग्र सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करती हैं ।
संरक्षण
की आवश्यकता
तेज़ी
से बढ़ती आधुनिकता और वैश्वीकरण के कारण हमारी सांस्कृतिक जड़ें प्रभावित हो रही हैं।
पारंपरिक कलाएँ, लोकगीत, भाषाएँ और रीति-रिवाज विलुप्त होने की कगार पर हैं। यह आवश्यक
है कि हम अपनी विरासत के संरक्षण हेतु गंभीर प्रयास करें। इसके लिए सांस्कृतिक संस्थानों
जैसे INTACH (भारतीय राष्ट्रीय
कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास) द्वारा दिए गए जागरूकता कार्यक्रम, विद्यालय स्तर
पर सांस्कृतिक शिक्षण, और ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा के प्रयास महत्वपूर्ण हैं ।
निष्कर्ष
भारतीय
सांस्कृतिक विरासत केवल अतीत की धरोहर नहीं बल्कि भविष्य की दिशा-सूचक है। यह हमें
मानवता, सह-अस्तित्व और सम्मान की भावना सिखाती है। यदि हम अपनी इस अमूल्य धरोहर को
बचाकर रख सकें, तो यह न केवल भारत की आत्मा को जीवित रखेगी, बल्कि समूचे विश्व को भी
एकता और शांति का संदेश देगी ।
48. शहर में चारों ओर गंदगी का अंबार लगा है
इस पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए नगर निगम को एक पत्र लिखें।
उत्तर-
सेवा में,
नगर स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर निगम कार्यालय,
(अपने शहर का नाम लिखें)
विषय:
शहर में फैली गंदगी की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु आवेदन पत्र।
महोदय,
सविनय
निवेदन है कि हमारे शहर में इन दिनों सर्वत्र गंदगी का अंबार लगा हुआ है। गलियों, बाजारों
और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़े-कचरे के ढेर लगे रहते हैं। नालियों की समय पर सफाई नहीं
होने से बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। बरसात के दिनों में यह स्थिति और भी
भयावह हो जाती है जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलने का खतरा बना रहता है।
नगर
निगम के सफाई कर्मचारी नियमित रूप से अपना कार्य नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण नगर का
पर्यावरण दूषित हो गया है और नागरिकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
अतः
आपसे निवेदन है कि नगर में नियमित सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें, कूड़ा उठाने के
वाहन प्रतिदिन चलवाए जाएँ तथा नालियों की सफाई तुरंत करवाई जाए, ताकि नगर स्वच्छ और
स्वास्थ्यकर वातावरण बन सके।
आपकी
कृपा होगी यदि इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की जाए।
धन्यवाद।
भवदीय,
(आपका
नाम)
(आपका
पता)
दिनांक:
___________
स्थान:
___________
49. टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले किन्हीं
पाँच समाचार प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर-
टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले समाचार अनेक प्रकार के होते हैं, जिनका उद्देश्य देश‑दुनिया की घटनाओं की
जानकारी देना, विश्लेषण करना और दर्शकों को जागरूक रखना होता है। पाँच प्रमुख समाचार
प्रकार इस प्रकार हैं :
1.
राष्ट्रीय समाचार: इसमें देशभर की प्रमुख राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक घटनाओं
की जानकारी दी जाती है, जैसे संसद की कार्यवाही, सरकारी योजनाएँ, या राष्ट्रीय सुरक्षा
से जुड़ी घटनाएँ।
2.
अंतरराष्ट्रीय समाचार: यह समाचार विदेशों में घट रही सामयिक घटनाओं, समझौतों, युद्ध,
नीति‑निर्णयों
एवं वैश्विक संकटों से संबंधित होते हैं।
3.
खेल समाचार: इनमें क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, ओलंपिक आदि खेलकूद की प्रतियोगिताओं, खिलाड़ियों
के प्रदर्शन और खेल जगत की नवीनतम गतिविधियों का प्रसारण किया जाता है।
4.
व्यापार एवं अर्थव्यवस्था समाचार: इस प्रकार के समाचारों में शेयर बाजार, बजट, औद्योगिक
विकास, रोजगार और व्यापारिक गतिविधियों की जानकारी प्रस्तुत की जाती है।
5.
मनोरंजन एवं जीवनशैली समाचार: इसमें फिल्मों, संगीत, टेलीविजन कार्यक्रमों, फैशन और
सांस्कृतिक आयोजनों से जुड़ी खबरें दी जाती हैं, जो दर्शकों को हल्के अंदाज़ में जानकारी
और मनोरंजन प्रदान करती हैं।
इनके
अतिरिक्त मौसम समाचार, अपराध समाचार तथा खोजी (इन्वेस्टिगेटिव) रिपोर्टें भी टेलीविजन
पत्रकारिता के अंतर्गत आती हैं ।
50. संपादक के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
संपादक का कार्य किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका, पुस्तक, या डिजिटल मंच की गुणवत्ता,
सटीकता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना होता है। वह सामग्री की रूपरेखा, भाषा, तथ्य
और प्रस्तुति को इस प्रकार व्यवस्थित करता है कि वह पाठकों के लिए प्रभावशाली और त्रुटिरहित
बने। संपादक के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :
1.
सामग्री का चयन और संपादन: संपादक यह तय करता है कि कौन‑सी सामग्री प्रकाशित
की जाए। वह समाचार, आलेख या रचनाओं की समीक्षा कर भाषा, व्याकरण, विराम चिह्नों और
तथ्यगत त्रुटियों को सुधारता है।
2.
तथ्यों की जाँच: प्रकाशित होने वाली जानकारी की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए संपादक
तथ्यों, आँकड़ों और तिथियों का सत्यापन करता है ताकि गलत सूचना न फैले।
3.
शीर्षक और प्रस्तुति निर्धारण: संपादक प्रत्येक लेख का उपयुक्त शीर्षक चुनता है, लेआउट
और पृष्ठ संरचना तैयार करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि समाचार आकर्षक ढंग से प्रस्तुत
हों।
4.
समन्वय और नेतृत्व: संपादक रिपोर्टरों, लेखकों, फोटोग्राफरों और उप‑संपादकों के कार्य का
पर्यवेक्षण करता है तथा समय‑सीमा
में प्रकाशन सुनिश्चित करता है।
5.
संपादकीय नीति और दिशा निर्धारण: वह संस्थान की संपादकीय नीति तय करता है और सुनिश्चित
करता है कि सभी प्रकाशन नैतिक मानकों और निष्पक्षता की भावना के अनुरूप रहें।
6.
प्रूफरीडिंग और अंतिम प्रकाशन: संपादक अंतिम प्रूफ की समीक्षा करता है और यह देखता
है कि सामग्री पूर्ण रूप से प्रकाशन योग्य है या नहीं।
इस
प्रकार, संपादक केवल भाषा‑संशोधनकर्ता
नहीं बल्कि सम्पूर्ण प्रकाशन प्रक्रिया का मार्गदर्शक और नियंत्रणकर्ता होता है ।
51. प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया
की खूबियाँ एवं कमियाँ बताएँ ?
उत्तर-
प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों ही जनसंचार के महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
दोनों के अपने‑अपने
गुण और दोष हैं, जो इन्हें विशिष्ट बनाते हैं ।
प्रिंट
मीडिया की खूबियाँ
1.
विश्वसनीयता: मुद्रित शब्द को अधिक प्रामाणिक और प्रमाणिक माना जाता है। समाचार पत्र
और पत्रिकाएँ स्थायी अभिलेख के रूप में उपलब्ध रहती हैं।
2.
विस्तृत प्रस्तुति: लेख, संपादकीय और रिपोर्टों में विषयों की गहराई से चर्चा की जा
सकती है।
3.
स्थायित्व: अखबार, पुस्तक या पत्रिका को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
4.
पाठन की स्वतंत्रता: पाठक अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ सकता है — समय और स्थान की कोई
बाध्यता नहीं होती।
5.
स्थानीय पहुँच: क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित सामग्री से स्थानीय जनता तक बेहतर जुड़ाव
होता है।
प्रिंट
मीडिया की कमियाँ
1.
समय‑लंबी
प्रक्रिया: समाचार के प्रकाशन में समय लगता है; तत्कालता का अभाव रहता है।
2.
अनपढ़ जनता के लिए अनुपयोगी: जो शिक्षित नहीं हैं, वे इससे जानकारी प्राप्त नहीं कर
सकते।
3.
अशुद्धि सुधार कठिन: छपाई की गलती सुधारने के लिए अगला संस्करण निकालना पड़ता है।
4.
सीमित पहुँच: ग्रामीण या दूरदराज़ क्षेत्रों में वितरण की समस्या रहती है।
इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया की खूबियाँ
1.
तत्कालता: समाचार तुरंत प्रसारित किए जा सकते हैं, जिससे जनता को घटनाओं की तत्काल
जानकारी मिलती है।
2.
दृश्य‑श्रव्य
प्रभाव: चित्र और ध्वनि के समन्वय से जानकारी अधिक असरदार बन जाती है।
3.
विस्तृत पहुँच: दूरदर्शन और इंटरनेट के माध्यम से समाचार विश्वभर में तुरंत पहुँच जाते
हैं।
4.
मनोरंजन और जानकारी का संगम: समाचार के साथ-साथ शिक्षा, खेल और मनोरंजन के कार्यक्रम
भी मिलते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया की कमियाँ
1.
अल्प गहराई: समाचारों में संक्षिप्तता के कारण तथ्यात्मक विश्लेषण का अभाव रहता है।
2.
अत्यधिक व्यावसायिकता: टीआरपी की दौड़ में मीडिया कभी-कभी सनसनीखेज़ समाचारों को प्राथमिकता
देता है।
3.
तकनीकी निर्भरता: बिजली, इंटरनेट या उपकरण खराब होने पर सूचना तक पहुँच रुक जाती है।
4.
भ्रामक प्रचार: कभी-कभी अपुष्ट या पक्षपाती जानकारी प्रसारित की जाती है।
अतः
कहा जा सकता है कि जहाँ प्रिंट मीडिया गहराई और विश्वसनीयता का प्रतीक है, वहीं इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया सूचना की गति और व्यापक पहुँच का। दोनों का संतुलित उपयोग समाज के सही जानकारी‑प्रवाह के लिए अनिवार्य
है ।
निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य सौन्दर्य लिखिए -
52. (क) अगहन
देवस घटा निसि बाढ़ी। दूभर दुख सो जाइ किमि काढ़ी।।
अब धनि देवस बिरह भा राती। जरै बिरह ज्यों
दीपक बाती ।।
काँपा हिया जनावा सीऊ। तौ पै जाइ होइ सँग पीऊ।।
घर घर चीर रचा सब काहूँ। मोर रूप रँग लै गा
नाहू।।
पलटि न बहुरा गा जो बिछोई। अबहूँ फिरै फिरै
रँग सोई।।
सियरि अगिनि बिरहिनि हिय जारा। सुलगि सुलगि
दगधै भै छारा ॥
यह दुख दगध न जानै कंतू। जोबन जनम करै भसमंतू
।।
पिय सौं कहेहु सँदेसड़ा, ऐ भँवरा ऐ काग।
सो धनि बिरहें जरि मुई, तेहिक धुआँ हम लाग।।
(ख) जो
है वह सुगबुगाता है
जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ
आदमी दशाश्वमेध पर जाता है
और पाता है घाट का आख़िरी पत्थर
कुछ और मुलायम हो गया है
सीढ़ियों पर बैठे बंदरों की आँखों में
एक अजीब-सी नमी है
और एक अजीब-सी चमक से भर उठा है
भिखारियों के कटोरों का निचाट ख़ालीपन
उत्तर-
(क)
शब्दार्थ-
अगहन महीने का नाम।
देवस - दिन। निसि -रात । दूभर - मुश्किल। किमी कैसे। काढ़ी - बिताई।
राती रात। जरै- जले।
बिरह विरह, वियोग। हिया हृदय। जनावा जैसे, प्रतीत हुआ। सीऊ शीत, ठंडा।
तौ पै उस पर। संगसाथ।
पीऊ पिया, पति। चीर वस्त्र, कपड़ा। मोर मेरा। नाहू नाथ। बहुरा - वियोगी। सियरि - शीतल,
ठंडी। अगिनी - आग। बिरहिनि विरहिणी। जारा जला डाला। जोबन - यौवन। भसमंतू भस्म
करना। सो - वह। धनि पत्नी। बिरहें - विरह में।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यावतरण हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक 'अंतरा' 'भाग-2' में संकलित
मलिक मुहम्मद जायसी की रचना 'पद्मावत' काव्य ग्रंथ के 'नागमती वियोग खंड' के बारहमासा
से उद्धृत है। इस काव्यांश में रानी नागमती की विरह दशा का वर्णन किया गया है। नागमती
का पति रत्नसेन परदेस में गया हुआ है। शीत ऋतु का समय है। अगहन के महीने में नायिका
अपने प्रेमी की विरहाग्गिनी में जल रही है।
नागमती कौए और भँवरे को अपनी दशा से अवगत कराते हुए अपने
पति को संदेशा भिजवा रही है कि-
अगहन महीने के आते ही दिन घट जाते हैं और रातें लंबी हो जाती
है और यह बिछड़ने का दुःख और ज्यादा असहनीय हो जाता है !
अब पति के वियोग में दिन भी रात की तरह ही कष्टदायी होने
लगा है, और जो विरह की अग्नि है वह नागमती को एक दिये की बाती की तरह जला रही है! इस
दर्द भरी सर्दी में नागमती का हृदय पति के वियोग में कांपने लगा है, और यह सर्दी उनपर
असर नहीं करती जो अपने प्रियतम के साथ है यां जिनके जीवन साथी उनके साथ है। पूरे घर
में सर्दी से बचने के लिए कपड़े तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन नागमती कहती है कि मेरा
रूप सौंदर्य तो मेरे प्रिय अपने साथ ले गए हैं। एक बार जब से वो गए हैं उसके बाद में
पलट कर नहीं आए, अगर मेरी किस्मत अच्छी हुई या सौभाग्य से वे वापस आते हैं तो मेरा
रंग रूप मुझे वापस मिल जाएगा ! जगह जगह सर्दी से बचने के लिए आग लगे जा रही है, लेकिन
उसके मन और उसके तन को तो विरह की अग्नि जला रही हैं, और यह अग्नि उसके तन मन को राख
बना रही है! शायद मेरा यह दुःख मेरा प्रियतम नहीं जानता शायद तभी तो इस अग्नि में मेरा
रंग रूप और यौवन सब भस्म हो रहा है।
हे भंवरे हे काग (कौवा) मेरे प्रिय को यह संदेशा दो कि तुम्हारी
विरह की अग्नि में तुम्हारी पत्नी जल चुकी है और उसकी अग्नि के धुएं से ही हम काले
हो गए हैं।
विशेष (काव्य सौंदर्य)
इस काव्यांश में रानी नागमती की विरह वेदना का मार्मिक चित्रण
किया गया है। भाषा है। शैली उदाहरण और चित्रात्मक है। वियोग रस है।
कविता की भाषा काव्यात्मक, लयात्मक, तथा भावानुरूप है। इस
कविता में सजीवता है ! 'दूभर दुख', 'किमी काढ़ी, रूप-रंग, दुख- दग्ध में अनुप्रास अलंकार
है। जरै बिरह ज्यों दीपक बाती - उत्प्रेक्षा अलंकार फारसी की मसनवी शैली का प्रयोग
हुआ है।
उत्तर-
(ख)
शब्दार्थ :
• सुगबुंगाता – जागरण, जागने की क्रिया।
• पचखियाँ = अंकुरण।
• निचाट = बिलकुल, एकदम।
सन्दर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ 'बनारस' कविता से ली गई हैं, जिसके रचयिता आधुनिक कवि
केदारनाथ सिंह हैं। यह कविता हमारी पाठ्य- पुस्तक 'अन्तरा भाग -2' में संकलित है।
प्रसंग : इन पंक्तियों में कवि ने बनारस में वसन्तागमन का वर्णन किया है। वसन्त आने
पर बनारस में नवीन जागृति, उल्लास और चेतना व्याप्त हो जाती है। पत्थरों तक में नरमी
का एहसास होता है।
व्याख्या: कवि कहता है कि बनारस में वसन्त की हवा चलने से जो अस्तित्व में है उसमें
सुगबुगाहट होने लगती है, उसमें जागृति आ जाती है। जो अस्तित्व हीन हैं उनमें भी नवांकुर
फूटने लगते हैं। इस प्रकार वसन्त की हवा का सारे वातावरण पर प्रभाव पड़ता है। लोग विगत
असफलताओं से निराश नहीं होते बल्कि उनमें नई उमंग और नया संकल्प भर जाता है। नवजीवन
का संचार होने लगता है और वातावरण नवीन उत्साह से भर जाता है।
दशाश्वमेध घाट पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ऐसा लगता
है मानो नदी का स्पर्श करने वाला घाट का अन्तिम पत्थर कुछ और नरम हो गया है, उसकी कठोरता
कम हो गई है। यह ऐसा ही है जैसे पाषाण हृदय व्यक्ति का, हृदय बदल जाता है, उसके व्यवहार
में परिवर्तन आ जाता है। घाट पर बैठे बन्दरों की आँखों में एक विशेष प्रकार की नमी
दिखाई देने लगती है। एक अजीब सी चमक दिखाई देती है। घाट पर बैठे भिखारियों के कटोरे
भिक्षा से भर जाते हैं जैसे उनमें वसन्त उतर आया हो। जो दीन-हीन हैं उनमें भी एक उमंग
भर जाती है।
विशेष :
1. सार्थक बिम्ब योजना है।
2. आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग हुआ है; जैसे - सुगबुगाना,
पचखियाँ, निचाट।
3. सीढ़ियों पर बैठे बन्दरों और घाट पर बैठे भिखारियों के
वर्णन में चित्रोपमता है।
4. भाषा में प्रसाद गुण और सहजता विद्यमान है।
5. 'बनारस' का वर्णन अत्यन्त सजीव है।
