झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,राँची
वार्षिक इन्टरमीडिएट परीक्षा – 2025-26
(कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय) मॉडल प्रश्न पत्र
|
कक्षा - 12 |
विषय: हिन्दी- आधार |
समय : 3 घंटे |
पूर्णांक : 80 |
सामान्य
निर्देश
• परीक्षार्थी यथासंभव
निर्देशानुसार अपने शब्दों में उत्तर दें।
• सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
• कुल प्रश्नों की संख्या 52
है। जो चार खण्डों (क,ख. ग,घ) में विभक्त हैं।
• खण्ड 'क' में प्रश्न
संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए
हैं। सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न का मान 1 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'ख' में प्रश्न
संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का
उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'ग' में प्रश्न
संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर
देना अनिवार्य है। प्रत्येक
प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'घ' में प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
हैं। जिसमें से किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का
मान 5 अंक निर्धारित है।
खण्ड – क अपठित बोध
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- 1x 4-04
तेज़ी से बदलती हुई दुनिया में केवल तकनीकी प्रगति ही नहीं,
बल्कि मानवीय सोच का स्वरूप भी बदल रहा है। आज शिक्षा का उद्देश्य मात्र ज्ञानार्जन
तक सीमित नहीं रहा; यह अब आलोचनात्मक सोच, समस्या समाधान क्षमता और नैतिक मूल्यों के
विकास पर भी केंद्रित है। बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में जब कंप्यूटर और इंटरनेट का आगमन
हुआ, तब लोग मानते थे कि यह केवल कार्यकुशलता बढ़ाने का साधन है। परंतु इक्कीसवीं सदी
में यह धारणा बदल गई। डिजिटल माध्यम ने न केवल सूचना तक पहुँच आसान की, बल्कि मनुष्य
के विचार-विनिमय के तरीके भी बदल दिए। इसका परिणाम यह हुआ कि अब कोई भी व्यक्ति केवल
जानकारी रखने भर से श्रेष्ठ नहीं माना जाता, बल्कि उस जानकारी का विश्लेषण, उपयोग और
नवाचार करने की क्षमता ही उसकी असली पहचान बन गई है। हालाँकि तकनीक ने अभूतपूर्व अवसर
प्रदान किए हैं, फिर भी इसने कुछ गंभीर चुनौतियाँ भी खड़ी की हैं। सूचनाओं की बाढ़
में सत्य और असत्य को पहचानना कठिन हो गया है । इसके अलावा, आभासी संवाद ने प्रत्यक्ष
मानवीय संवेदनाओं को कमज़ोर किया है। इस परिस्थिति में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण दायित्व
यह है कि वह विद्यार्थियों में न केवल ज्ञान, बल्कि विवेक और करुणा का भी विकास करे।
भविष्य में वही समाज अग्रणी होगा जो तकनीकी दक्षता के साथ-साथ
नैतिक बोध, सृजनात्मकता और मानवीय संवेदनशीलता को भी समान महत्व देगा। केवल मशीनें
बनाना पर्याप्त नहीं; उन्हें सही दिशा में प्रयोग करने के लिए मानवता की गरिमा को सर्वोपरि
रखना आवश्यक है।
1. अनुच्छेद के अनुसार, इक्कीसवीं सदी में
व्यक्ति की श्रेष्ठता किससे निर्धारित होती है?
(A) केवल तकनीकी ज्ञान से
(B) जानकारी का विश्लेषण, उपयोग और नवाचार
(C) अधिक जानकारी रखने से करने की क्षमता से
(D) महँगे उपकरणों के स्वामित्व से
2. लेखक ने आभासी संवाद का कौन-सा नकारात्मक
प्रभाव बताया है?
(A) तकनीकी प्रगति में रुकावट
(B) मानवीय संवेदनाओं का कमज़ोर होना
(C) शिक्षा में गिरावट
(D) जानकारी का अभाव
3. लेखक के अनुसार, तकनीकी प्रगति के साथ कौन-सा
तत्व समाज को अग्रणी बना सकता है?
(A) आर्थिक सम्पन्नता
(B) मशीनों का उत्पादन
(C) नैतिक बोध, सृजनात्मकता और संवेदनशीलता
(D) वैज्ञानिक अनुसंधान
4. अनुच्छेद में बताई गई 'गंभीर चुनौती' में
से एक कौन-सी है?
(A) तकनीक का धीमा विकास
(B) सत्य और असत्य में भेद करना कठिन होना
(C) जानकारी का अभाव
(D) विज्ञान का विरोध
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए -1x 4-04
उस रात आसमान को एकटक ताकते हुए
वह ज़मीन पर अपने बच्चों और पति के साथ लेटी हुई थी
उसने देखा आसमान
स्थिर, शान्त और सूनेपन से भरा था
तब वह कुछ सोचकर
अपनी चूडियाँ, बालियाँ, बिन्दी और थोड़ा-सा काजल
उसके बदन पर टाँक आई
और आसमान
पहले से ज़्यादा सुन्दर हो गया,
5. पद्यांश में आसमान का प्रारम्भिक रूप कैसा
बताया गया है?
(A) रंगीन और चमकीला
(B) स्थिर, शांत और सूना
(C) बादलों से ढका हुआ
(D) तारों से भरा हुआ
6. पद्यांश में औरत द्वारा आसमान को सजाने
की क्रिया का क्या सांकेतिक अर्थ हो सकता है?
(A) प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाने का प्रयास
(B) जीवन में अपने हिस्से का सौंदर्य बाँटना
(C) गहनों का प्रदर्शन करना
(D) रात को रंगीन बनाना
7. 'स्थिर, शांत और सूनेपन से भरा आसमान' किस
मानसिक या भावनात्मक स्थिति का प्रतीक हो सकता है?
(A) प्रकृति की थकान
(B) जीवन की नीरसता
(C) उत्साह और उमंग
(D) भविष्य की उम्मीद
8. पद्यांश में औरत का भाव किस रूप में व्यक्त
होता है?
(A) निराशा और हार
(B) सृजनात्मकता और संवेदनशीलता
(C) क्रोध और विद्रोह
(D) उदासीनता और थकान
अभिव्यक्ति और माध्यम
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए
-1x8=08
9. भारत का पहला छापाखाना कहाँ पर लगाया गया
?
(A) दिल्ली
(B) सूरत
(C) कानपुर
(D) गोवा
10. संचार प्रक्रिया में आई बाधाओं को क्या
कहते हैं ?
(A) त्रुटि
(B) रुकावट
(C) आवाज
(D) शोर
11. पी.टी.आई. क्या है ?
(A) समाचार एजेंसी
(B) गुप्तचर विभाग
(C) पुलिस
(D) साहित्यिक मंच
12. भारत में बनी पहली बोलती फ़िल्म का नाम
क्या है ?
(A) आलम आरा
(B) हिन्दुस्तानी
(D) बुनियाद
(C) हमलोग
13. स्टिंग ऑपरेशन किस तरह की पत्रकारिता है?
(A) खोज परक पत्रकारिता
(B) विशेषीकृत पत्रकारिता
(C) एडवोकिसी पत्रकारिता
(D) फोटो पत्रकारिता
14. समाचार लेखन के छह ककार (कब, कहाँ, कैसे,
क्या, कौन, क्यों) किस लेखन में उपयोगी होते हैं?
(A) निबन्ध लेखन
(B) पत्र लेखन
(C) संवाद लेखन
(D) समाचार लेखन
15. अखबार की आवाज किसे माना जाता है ?
(A) आलेख
(B) फीचर
(C) संपादकीय
(D) पत्र लेखन
16. इंटरनेट पत्रकारिता के नकारात्मक पहलू
कौन-से हो सकते हैं?
(A) अश्लीलता
(B) महँगी तकनीक
(C) गलत प्रचार
(D) उपर्युक्त सभी
पाठ्यपुस्तक
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए -1x 4-04
यहाँ एक अंतर चीन्ह लेना बहुत जरूरी है। मन खाली नहीं रहना
चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए। जो बंद हो जाएगा, वह शून्य हो
जाएगा। शून्य होने का अधिकार बस परमात्मा का है जो सनातन भाव से संपूर्ण है। शेष सब
अपूर्ण है। इससे मन बंद नहीं रह सकता। सभी इच्छाओं का निरोध कर लोगे, यह झूठ है और
अगर 'इच्छानिरोधस्तपः' का ऐसा ही नकारात्मक अर्थ हो तो यह तप झूठ है। वैसे तप की राह
रेगिस्तान को जाती होगी, मोक्ष की राह वह नहीं है। ठाठ देकर मन को बंद कर रखना जड़ता
है। लोभ का यह जीतना नहीं है कि जहाँ लोभ होता है, यानी मन में, वहाँ नकार हो! यह तो
लोभ की ही जीत है और आदमी की हार। आँख अपनी फोड़ डाली, तब लोभनीय के दर्शन से बचे तो
क्या हुआ? ऐसे क्या लोभ मिट जाएगा? और कौन कहता है कि आँख फूटने पर रूप दीखना बंद हो
जाएगा? क्या आँख बंद करके ही हम सपने नहीं लेते हैं? और वे सपने क्या चैन-भंग नहीं
करते हैं? इससे मन को बंद कर डालने की कोशिश तो अच्छी नहीं। वह अकारथ है यह तो हठवाला
योग है। शायद हठ-ही-हठ है, योग नहीं है। इससे मन कृश भले हो जाए और पीला और अशक्त जैसे
विद्वान का ज्ञान। वह मुक्त ऐसे नहीं होता। इससे वह व्यापक की जगह संकीर्ण और विराट
की जगह क्षुद्र होता है। इसलिए उसका रोम-रोम मूंदकर बंद तो मन को करना नहीं चाहिए।
वह मन पूर्ण कब है? हम में पूर्णता होती तो परमात्मा से अभिन्न हम महाशून्य ही न होते?
अपूर्ण हैं, इसी से हम हैं। सच्चा ज्ञान सदा इसी अपूर्णता के बोध को हम में गहरा करता
है। सच्चा कर्म सदा इस अपूर्णता की स्वीकृति के साथ होता है। अतः उपाय कोई वही हो सकता
है जो बलात् मन को रोकने को न कहे, जो मन को भी इसलिए सुने क्योंकि वह अप्रयोजनीय रूप
में हमें नहीं प्राप्त हुआ है। हाँ, मनमानेपन की छूट मन को न हो, क्योंकि वह अखिल का
अंग है, खुद कुल नहीं है।
17. गद्यांश में मन बंद होने का क्या अर्थ
है?
(A) किसी काम में मन न लगना
(B) इच्छाओं का समाप्त हो जाना
(C) मन का स्थिर न रहना
(D) मन से कोई काम न करना
18. 'शून्य होने का अधिकार' लेखक किसे देता
है?
(A) योगी को
(B) तपस्वी को
(C) परमात्मा को
(D) विद्वान को
19. लेखक के अनुसार क्या झूठ है ?
(A) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं का निरोध
कर लेने की बात
(B) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर लेने की बात
(C) मनुष्य द्वारा अपनी सभी भोग-विलास का निरोध कर लेने की
बात
(D) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं को स्वीकार कर लेने की
बात
20. 'मन अखिल का अंग है, खुद कुल नहीं' इस
कथन का निहितार्थ क्या है?
(A) मन ही जीवन का केंद्र है
(B) मन को मनमानी की छूट नहीं होनी चाहिए
(C) मन स्वतंत्र है
(D) मन सब कुछ है
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए -1x 4-04
प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे घुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और……..
जादू टूटता हैं इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा हैं।
21. राख से लीपा हुआ चौका किस भाव को व्यक्त
करता है ?
(A) परंपरा
(B) पवित्रता
(C) नम्रता
(D) दयालुता
22. 'शंख जैसे' में कौन सा अलंकार है ?
(A) अनुप्रास अलंकार
(B) उपमा अलंकार
(C) रूपक अलंकार
(D) उत्प्रेक्षा अलंकार
23. 'नील जल' 'हिल रही हो।' में कौन सा अलंकार
है ?
(A) अनुप्रास अलंकार
(B) उपमा अलंकार
(C) रूपक अलंकार
(D) उत्प्रेक्षा अलंकार
24. उषा का जादू कब टूटता हैं?
(A) सूर्य के अस्त होते ही
(B) सूर्य के उदय से पहले ही
(C) सूर्य के उदय होते ही
(D) उपरोक्त सभी
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए
-1x6=06
25. भक्तिन का गौना किस उम्र में हुआ था ?
(A) 5 वर्ष
(B) 7 वर्ष
(C) 8 वर्ष
(D) 9 वर्ष
26. चाँद सिंह के गुरु का क्या नाम था ?
(A) सूरज सिंह
(B) बादल सिंह
(C) गोरा सिंह
(D) इनमें से कोई नहीं
27. 'बादल राग' कविता में बादलों को अधीरता
से कौन बुला रहा है?
(A) कृषक
(B) मजदूर
(C) बालक
(D) पौधे
28. पतंग कविता में 'कपास' किसका प्रतीक है
?
(A) प्रकाश
(B) कोमलता
(C) सफेदी
(D) शांति
29. सिल्वर वैडिंग शादी का कौन सा साल होता
है?
(A) 50
(B) 25
(C) 23
(D) 20
30. जूझ कहानी किस मराठी उपन्यास से ली गई
है?
(A) झोबी
(B) बिट्टी
(C) कादंबरी
(D) गोदान
खण्ड – ख (अति लघु उत्तरीय प्रश्न) 2x6=12
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें -
31. 'बात की चूड़ी मर जाना' का क्या अर्थ है?
उत्तर-
बात का प्रभावहीन हो जाना
32. क्रांति का सबसे अधिक लाभ किसे मिलता है?
उत्तर-
क्रांति का सबसे अधिक लाभ निम्न वर्ग के शोषित और पीड़ित लोगों को मिलता
है।
33. आलोक धन्वा अथवा हजारी प्रसाद द्विवेदी
की दो रचनाओं के नाम लिखें ?
उत्तर-
आलोक धन्वा - 1. जनता का आदमी 2. भागी हुई लड़कियाँ
हजारी
प्रसाद द्विवेदी – 1. बाणभट्ट की आत्मकथा 2. पुनर्नवा
34. रावण के अभिमान भरे वचन सुनकर कुम्भकर्ण
ने क्या कहा ?
उत्तर-
रावण के अभिमानी वचन सुनकर कुम्भकर्ण ने कहा कि तुमने पाप कर्म किया है, तुम जगत् जननी
सीता का अपहरण कर लाये हो और अब अपना भला चाहते हो अब तुम्हें अपनी इस दुष्टता का फल
भोगना ही पड़ेगा।
35. पैसे की व्यंग्य - शक्ति का क्या अभिप्राय
है ?
उत्तर-
पैसे की व्यंग्य शक्ति का तात्पर्य है पैसे के आधार पर अपने - अभाव के कारण स्वयं को
हीन समझना या अधिक पैसे के कारण स्वयं को ऊंचा समझना पैसा ही हीनता या श्रेष्ठता का
अनुभव कराता है यही पैसे की व्यग्य शक्ति है।
36. शिरीष के फूल और फल के स्वभाव में क्या
अंतर है?
उत्तर-
शिरीष के फूल बहुत कोमल होते हैं, जबकि फल अत्यधिक मजबूत - होते हैं। वे तभी तक अपना
स्थान नहीं छोड़ते जब तक नए फल और नए पत्ते मिलकर उन्हें धकियाकर बाहर नहीं निकाल देते।
37. मोहनजोदड़ो की नगरीय सभ्यता का पता कैसे
चला था ?
उत्तर-
मोहनजोदड़ो की नगरीय सभ्यता का पता 1922 ईस्वी में चला था, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण
विभाग के अधिकारी राखालदास बनर्जी (आर. डी. बनर्जी) ने इस स्थल की खोज की थी । यह खोज
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लरकाना ज़िले के पास सिन्धु नदी के किनारे की गई थी ।
38. सिल्वर वैडिंग कहानी से हमें क्या शिक्षा
मिलती है ?
उत्तर-
कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जीवन में आधुनिकता का - समावेश करें परन्तु पाश्चात्य
संस्कृति का अंधानुकरण नहीं करें।
खण्ड - ग (लघु उत्तरीय प्रश्न) 3 x 6-18
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें-
39. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
- कपास के बारें में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या सम्बन्ध बन सकता है ?
उत्तर-
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास पंक्ति में कपास से बच्चों की कोमल कल्पनाओं
का संबंध है। जिस प्रकार कपास अत्यंत स्वच्छ एवं कोमल होती है वैसे ही बच्चों की कल्पनाएं
अत्यंत नवीन, स्वच्छ एवं भावुकतापूर्ण होती है। वे निश्चल भाव से निरंतर कल्पनाएं करते
हैं। बच्चों के पैर भी कपास के समान कोमल, हल्के, आकर्षक और चोट सहने में समर्थ होते
हैं। इसलिए वे ऊँचाई से कूदकर भी चोट नहीं खाते, बल्कि उनकी कूद से कपास जैसे मुलायम
उनके तलवे जमीन की कठोरता का अनुभव नहीं कर पाते। अतः कपास से बालकों की समानता वर्णित
करना तर्कसम्मत है। दोनों में गुणों की समानता का संबंध है।
40. 'भाषा को सहूलियत' से बरतने से क्या अभिप्राय
है ?
उत्तर-
इसका अभिप्राय है कि हमें भाषा का प्रयोग उचित प्रकार से करना चाहिए। भाषा शब्दों का
ताना-बाना है। उनके अर्थ प्रसंगगत होते हैं। अतः हमें उसका प्रयोग सही प्रकार से करना
चाहिए। कई बार हम गलत शब्द का प्रयोग कर भाषा को पेचिदा बना देते हैं। इसलिए कहा गया
है कि भाषा को सहूलियत के साथ बरतना चाहिए। जितना आवश्यक हो उतना ही बोलना चाहिए। अत्यधिक
बोलना भी भाषा को विचित्रता दे देता है। हम बोलने में भूल ही जाते हैं कि हम क्या बोल
रहे हैं। अतः बोलते समय अधिक सावधानी रखें।
41. छोटा मेरा खेत कविता का रूपक स्पष्ट कीजिए
?
उत्तर-
कवि ने छोटा मेरा खेत कविता में कवि कर्म और कृषि कर्म की समानता दिखलाई है। एक कृषक
जिस प्रकार खेत में बीज बोता है बीज अंकुरित पल्लवित होकर पौधा बनता है तथा फसल तैयार
होने पर उदर पूर्ति करता है। इसी प्रकार भावनात्मक आंधी आती है फिर किसी क्षण बीजारोपण
होता है। फिर रचना कल्पना के सहारे तैयार होता है। यह रचना रस का अक्षय स्रोत बनता
है और अनंत काल तक रस को लुटाता है।
42. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती
कैसे हो गई?
उत्तर-
भक्तिन देहाती महिला थी। शहर में आकर भी उसने स्वयं कोई परिवर्तन नहीं किया। वह दूसरों
को भी अपने अनुसार बना लेना चाहती थी। उसने लेखिका को अपने अनुसार ही ढालना शुरू किया।
उसने लेखिका का मीठा खाना बिल्कुल बंद कर दिया। उसने गाढ़ी दाल व मोटी रोटी खिलाकर
लेखिका की स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर कर दी। अब लेखिका को रात को मकई का दलिया, सवेरे
मट्ठा, तिल लगाकर बाजरे के बनाए ठंडे पुए, ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे-हरे दानों
की खिचड़ी और सफेद महुए की लपसी मिलने लगी। इन सबको वह स्वाद से खाने लगी। इसके अतिरिक्त
उसने महादेवी को देहाती भाषा भी सिखा दी। इस प्रकार महादेवी अधिक देहाती बन गई।
43. 'काले मेघा पानी दे' निबंध के माध्यम से
लेखक ने वर्त्तमान की किस समस्या की ओर संकेत किया है और कैसे ?
उत्तर-
आर्यसमाजी विचारधारा वाला लेखक इन्द्र देवता को मनाने के लिए तथा पूजा-पाठ सम्बन्धी
सभी क्रिया कलापों को अंधविश्वास मानता है। इसके विपरीत अपने जीजी के विचारानुसार एवं
स्नेहवश वह सभी कार्य करते भी हैं। उनकी जीजी कहती है कि कुछ पाने के लिए कुछ देना
भी पड़ता है। त्याग के बिना दान नहीं होता है। लेखक ने भ्रष्टाचार की समस्या को उठाते
हुए कहा है कि जीवन में कुछ पाने के लिए त्याग आवश्यक है। जो लोग त्याग और दान की महत्ता
को नहीं मानते, वे ही भ्रष्टाचार में लिप्त रह कर देश और समाज को लूटते हैं। सरकार
द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच रहा है। काले मेघा के दल उमड़
रहे हैं पर आज भी गरीब की गगरी फूटी हुई है।
44. जाति-प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप
न मानने के पीछे अम्बेडकर जी के क्या तर्क हैं?
उत्तर-
अंबेडकर जाति प्रथा को श्रम विभाजन का एक रूप नहीं मानते क्योंकि यह स्वाभाविक नहीं
है। यह मनुष्य की रूचि पर आधारित नहीं है। इसमें व्यक्ति की क्षमता की अनदेखी की जाती
है। व्यक्ति के जन्म से पहले ही श्रम विभाजन होना किसी भी तरह से सही नहीं है। यह प्रथा
मनुष्य को जीवन भर के लिए एक ही व्यवसाय में बांध देती है। मनुष्य को भी उस पेशा को
अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। संकट के समय भी समाज मनुष्य को पेशा बदलने की अनुमति
नहीं देता।
45. जूझ कहानी में आपको किस पात्र ने सबसे
अधिक प्रभावित किया और क्यों? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए
उत्तर-
जूझ कहानी में मुझे सबसे अधिक प्रभावित दत्ता जी राव देसाई ने किया। उनकी चारित्रिक
विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(क)
व्यक्तित्व दत्ता जी राव गांव के सम्मानित जमींदार हैं। वे - उदार, नेकदिल व रोबीले
हैं वे बच्चे व महिलाओं के साथ सद् व्यवहार करते हैं।
(ख)
समझदार राव साहब बेहद समझदार हैं। वे हर बात को - ध्यान से सुनते हैं तथा फिर उसका
समाधान करते हैं।
(ग)
व्यावहारिक दत्ता जी राव व्यावहारिक है। वे नियम दाम. दंड, भेद की नीति जानते हैं।
लेखक की पढ़ाई के बारे में खोजना के तहत उसके पिता को बुलाकर आम बातें करते हैं। लेखक
के बीच में आ जाने पर वे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछते हैं। फिर सारी कहानी सुनकर उसके
पिता को डांटते भी हैं तथा समझाते भी जाते हैं। इस तरह वे लेखक की पढ़ाई के लिए उसे
तैयार करते हैं।
(घ)
तर्कशील राव साहब बेहद तर्कशील हैं। उसके तर्कों के सामने लेखक का पिता निस्तर हो जाता
है।
46. सिंधु सभ्यता साधन - संपन्न थी, पर उसमें
भव्यता का आडंबर नहीं था कैसे ?
उत्तर-
सिंधु सभ्यता के शहर मुअनजोदड़ो की व्यवस्था, साधन संपन्न और सुनियोजित थी। वहाँ की
अन्न भंडारण व्यवस्था, जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत विकसित और परिपक्व थी। हर निर्माण
बडा सुनियोजन के साथ किया गया था यह सोचकर कि यदि सिंधु का जल बस्ती तक फैल भी जाए
तो कम-से-कम नुकसान हो। इन सारी व्यवस्थाओं के बीच इस सभ्यता की संपन्नता की बात बहुत
ही कम हुई है। वस्तुतः इनमें भव्यता का आडंबर है ही नहीं। व्यापारिक व्यवस्थाओं की
जानकारी मिलती है, मगर सब कुछ आवश्यकताओं से ही जुड़ा हुआ है, भव्यता का प्रदर्शन कहीं
नहीं मिलता।
खण्ड - घ (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) 5x 4=20
निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दें -
47. 'बदलते सामाजिक रीति-रिवाज’ अथवा ‘अंतरिक्ष
में भारत' विषय पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर-
‘’बदलते
सामाजिक रीति-रिवाज”
समय
के साथ समाज में परिवर्तन होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जैसे-जैसे मनुष्य की सोच,
जीवनशैली और तकनीकी प्रगति बढ़ी है, वैसे-वैसे उसके सामाजिक रीति-रिवाज भी बदलते गए
हैं । पहले के समय में परंपराएँ बहुत कठोर थीं और उनका पालन करना सामाजिक आवश्यकताओं
में गिना जाता था। लेकिन आज के युग में लोग परंपराओं को अपने जीवन के अनुरूप ढालने
लगे हैं।
विवाह,
जन्म, मृत्यु तथा त्योहारों से जुड़े कई रिवाज़ पहले अत्यधिक लंबी और जटिल प्रक्रियाओं
वाले होते थे। अब वे सरल, व्यावहारिक और समयानुसार हो गए हैं। उदाहरण के लिए, पहले
विवाह कई दिनों तक चलते थे, लेकिन आज लोग सीमित संसाधनों में सादगी से विवाह करते हैं।
त्योहारों में अब दिखावे की प्रवृत्ति तो बढ़ी है, लेकिन उनके सामाजिक महत्व में कुछ
परिवर्तन आया है। सोशल मीडिया और वैश्वीकरण ने भी इन परंपराओं को नए रूप में ढाला है
।
इन
परिवर्तनों का एक प्रमुख कारण शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, और महिला सशक्तिकरण है।
युवा पीढ़ी अब तर्कसंगत सोच रखती है और रूढ़ियों को चुनौती दे रही है। हालांकि, आवश्यकता
इस बात की है कि आधुनिकता अपनाते समय अपनी संस्कृति का मूल तत्व न खोएं।
अंततः
कहा जा सकता है कि बदलते सामाजिक रीति-रिवाज आधुनिकता के प्रतीक हैं, लेकिन परंपरा
और प्रगति का संतुलन बनाए रखना ही सच्ची सामाजिक परिपक्वता है ।
“अंतरिक्ष
में भारत”
भारत
आज दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जिसने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी
के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के
नेतृत्व में भारत ने न केवल अपना उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम विकसित किया, बल्कि मानवता
के हित में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग करने की दिशा में भी अद्वितीय योगदान दिया है ।
शुरुआत
और गठन
भारत
का अंतरिक्ष कार्यक्रम 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति
(INCOSPAR) की स्थापना से आरंभ हुआ, जिसकी अगुवाई महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई
ने की थी। बाद में, 15 अगस्त 1969 को इस संगठन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
(ISRO) का नाम दिया गया। 1972 में अंतरिक्ष विभाग का गठन करके इसे स्वतंत्र रूप से
कार्य करने का अवसर मिला ।
प्रमुख
उपलब्धियाँ
भारत
ने 19 अप्रैल 1975 को अपना पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’
सोवियत संघ की सहायता से प्रक्षेपित किया। इसके बाद 1980
में भारत ने अपने स्वयं निर्मित ‘एसएलवी–3’
रॉकेट के माध्यम से ‘रोहिणी’
उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर इतिहास रच दिया। इसरो ने
आगे चलकर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान
(GSLV) का निर्माण किया, जिसने भारत को स्वावलंबी अंतरिक्ष शक्ति बना दिया ।
चंद्र
और मंगल मिशन
भारत
ने 22 अक्टूबर 2008 को ‘चंद्रयान–1’
मिशन भेजा, जिसने चंद्रमा पर जल अणुओं के अस्तित्व का प्रमाण दिया। 24 सितंबर 2014
को ‘मंगलयान’
(मंगल ऑर्बिटर मिशन) ने पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर भारत को
यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला पहला देश बना दिया। हाल में, ‘चंद्रयान–3’ ने चंद्रमा के दक्षिणी
ध्रुव क्षेत्र में सफल अवतरण कर भारत को विश्व का पहला राष्ट्र बनाया जिसने यह सफलता
प्राप्त की ।
भविष्य
की दिशा
इसरो
अब मानव अंतरिक्ष यात्रा ‘गगनयान’
मिशन की दिशा में अग्रसर है, जिसके अंतर्गत भारतीय अंतरिक्ष
यात्री पृथ्वी की कक्षा में जाएंगे। इसके अलावा, सौर मिशन ‘आदित्य–L1’, और अन्य ग्रहों
की खोज के लिए नए अभियानों की तैयारी भी जारी है ।
निष्कर्ष
अंतरिक्ष
विज्ञान में भारत की यात्रा आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मिसाल
है। भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद दृढ़ संकल्प और वैज्ञानिक
क्षमता से असंभव को संभव बनाया जा सकता है ।
48. बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने हेतु बिजली
विभाग को एक पत्र लिखें।
उत्तर-
सेवा में,
अधीक्षक अभियंता
बिजली विभाग
[आपके शहर या क्षेत्र का नाम]
दिनांक:
23 अक्टूबर 2025
विषय:
बिजली व्यवस्था दुरुस्त कराने हेतु अनुरोध पत्र
महोदय,
मैं
आपके ध्यान में लाना चाहता/चाहती हूँ कि हमारे क्षेत्र [आपके क्षेत्र/मोहल्ले का नाम
लिखें] में पिछले कुछ समय से बिजली आपूर्ति अत्यंत अस्थिर एवं बाधित रहती है। आये दिन
बिजली कटौती, वोल्टेज की समस्या तथा ट्रांसफार्मर के बार-बार खराब होने की परेशानी
से आम जनता को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई,
व्यापार, पानी की आपूर्ति तथा घरेलू कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
आपसे
विनम्र अनुरोध है कि कृपया हमारी क्षेत्रीय बिजली व्यवस्था की समुचित जांच कराते हुए,
आवश्यक मरम्मत कार्य एवं ट्रांसफार्मर की स्थिति सुधारने का कष्ट करें, जिससे निर्बाध
और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
हमें
विश्वास है कि आप शीघ्र ही आवश्यक कार्यवाही कर उपरोक्त समस्या का समाधान करेंगे।
धन्यवाद।
सादर,
[आपका
नाम]
[पूरा
पता]
[संपर्क
नंबर]
49. टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले समाचार
प्रकारों का उल्लेख करें ?
उत्तर-
टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले समाचार अनेक प्रकार के होते हैं, जिनका उद्देश्य देश‑दुनिया की घटनाओं की
जानकारी देना, विश्लेषण करना और दर्शकों को जागरूक रखना होता है। पाँच प्रमुख समाचार
प्रकार इस प्रकार हैं :
1.
राष्ट्रीय समाचार: इसमें देशभर की प्रमुख राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक घटनाओं
की जानकारी दी जाती है, जैसे संसद की कार्यवाही, सरकारी योजनाएँ, या राष्ट्रीय सुरक्षा
से जुड़ी घटनाएँ।
2.
अंतरराष्ट्रीय समाचार: यह समाचार विदेशों में घट रही सामयिक घटनाओं, समझौतों, युद्ध,
नीति‑निर्णयों
एवं वैश्विक संकटों से संबंधित होते हैं।
3.
खेल समाचार: इनमें क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, ओलंपिक आदि खेलकूद की प्रतियोगिताओं, खिलाड़ियों
के प्रदर्शन और खेल जगत की नवीनतम गतिविधियों का प्रसारण किया जाता है।
4.
व्यापार एवं अर्थव्यवस्था समाचार: इस प्रकार के समाचारों में शेयर बाजार, बजट, औद्योगिक
विकास, रोजगार और व्यापारिक गतिविधियों की जानकारी प्रस्तुत की जाती है।
5.
मनोरंजन एवं जीवनशैली समाचार: इसमें फिल्मों, संगीत, टेलीविजन कार्यक्रमों, फैशन और
सांस्कृतिक आयोजनों से जुड़ी खबरें दी जाती हैं, जो दर्शकों को हल्के अंदाज़ में जानकारी
और मनोरंजन प्रदान करती हैं।
इनके
अतिरिक्त मौसम समाचार, अपराध समाचार तथा खोजी (इन्वेस्टिगेटिव) रिपोर्टें भी टेलीविजन
पत्रकारिता के अंतर्गत आती हैं ।
50. जनसंचार के प्रमुख कार्य कौन से हैं? उल्लेख
करें ?
उत्तर
- जनसंचार के प्रमुख कार्य इस प्रकार है।
सूचना
देना- जनसंचार माध्यमों का एक प्रमुख कार्य -
सूचना देना है। हमें उनके जरिए भी दुनियाभर से सूचनाएं प्राप्त होती हैं। हमारी
जरूरतों का बड़ा हिस्सा जनसंचार माध्यमों के जरिए ही पूरा होता है।
शिक्षित
करना- जनसंचार माध्यम सूचनाओं के जरिए हमें -
जागरूक बनाते हैं। यहां शिक्षित करने से आशय उन्हें देश दुनिया के हाल से परिचित
कराने और उनके प्रति सजग बनाने से है।
मनोरंजन
करना- जनसंचार माध्यम मनोरंजन के प्रमुख - साधन
है। सिनेमा, टीवी, रेडियो, संगीत के टेप और किताबें आदि मनोरंजन के प्रमुख माध्यम
है।
एजेंडा
तैयार करना- किसी भी घटना या मुद्दे को चर्चा का -
विषय बना कर जनसंचार माध्यम सरकार और समाज को उस पर अनुकूल प्रतिक्रिया करने के
लिए बाध्य कर देते हैं।
निगरानी
रखना- अगर सरकार कोई गलत कदम उठाती है या संगठन
/ संस्थान में कोई अनियमितता बरती जा रही है तो उसे लोगों के सामने लाने की
जिम्मेवारी जनसंचार माध्यम पर है।
विचार-विमर्श
के मंच - जनसंचार विभिन्न विचार लोगों के सामने
पहुंचाते हैं। जैसे किसी समाचार पत्र के संपादक के पृष्ठ पर किसी घटना या मुद्दे
पर किसी विचार रखने वाले लेखक अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसी तरह संपादक के नाम
चिट्ठी स्तंभ में आम लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है।
51. प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया
की खूबियाँ एवं कमियाँ बताएँ ?
उत्तर-
प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों ही जनसंचार के महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
दोनों के अपने‑अपने
गुण और दोष हैं, जो इन्हें विशिष्ट बनाते हैं ।
प्रिंट
मीडिया की खूबियाँ
1.
विश्वसनीयता: मुद्रित शब्द को अधिक प्रामाणिक और प्रमाणिक माना जाता है। समाचार पत्र
और पत्रिकाएँ स्थायी अभिलेख के रूप में उपलब्ध रहती हैं।
2.
विस्तृत प्रस्तुति: लेख, संपादकीय और रिपोर्टों में विषयों की गहराई से चर्चा की जा
सकती है।
3.
स्थायित्व: अखबार, पुस्तक या पत्रिका को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
4.
पाठन की स्वतंत्रता: पाठक अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ सकता है — समय और स्थान की कोई
बाध्यता नहीं होती।
5.
स्थानीय पहुँच: क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित सामग्री से स्थानीय जनता तक बेहतर जुड़ाव
होता है।
प्रिंट
मीडिया की कमियाँ
1.
समय‑लंबी
प्रक्रिया: समाचार के प्रकाशन में समय लगता है; तत्कालता का अभाव रहता है।
2.
अनपढ़ जनता के लिए अनुपयोगी: जो शिक्षित नहीं हैं, वे इससे जानकारी प्राप्त नहीं कर
सकते।
3.
अशुद्धि सुधार कठिन: छपाई की गलती सुधारने के लिए अगला संस्करण निकालना पड़ता है।
4.
सीमित पहुँच: ग्रामीण या दूरदराज़ क्षेत्रों में वितरण की समस्या रहती है।
इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया की खूबियाँ
1.
तत्कालता: समाचार तुरंत प्रसारित किए जा सकते हैं, जिससे जनता को घटनाओं की तत्काल
जानकारी मिलती है।
2.
दृश्य‑श्रव्य
प्रभाव: चित्र और ध्वनि के समन्वय से जानकारी अधिक असरदार बन जाती है।
3.
विस्तृत पहुँच: दूरदर्शन और इंटरनेट के माध्यम से समाचार विश्वभर में तुरंत पहुँच जाते
हैं।
4.
मनोरंजन और जानकारी का संगम: समाचार के साथ-साथ शिक्षा, खेल और मनोरंजन के कार्यक्रम
भी मिलते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया की कमियाँ
1.
अल्प गहराई: समाचारों में संक्षिप्तता के कारण तथ्यात्मक विश्लेषण का अभाव रहता है।
2.
अत्यधिक व्यावसायिकता: टीआरपी की दौड़ में मीडिया कभी-कभी सनसनीखेज़ समाचारों को प्राथमिकता
देता है।
3.
तकनीकी निर्भरता: बिजली, इंटरनेट या उपकरण खराब होने पर सूचना तक पहुँच रुक जाती है।
4.
भ्रामक प्रचार: कभी-कभी अपुष्ट या पक्षपाती जानकारी प्रसारित की जाती है।
अतः
कहा जा सकता है कि जहाँ प्रिंट मीडिया गहराई और विश्वसनीयता का प्रतीक है, वहीं इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया सूचना की गति और व्यापक पहुँच का। दोनों का संतुलित उपयोग समाज के सही जानकारी‑प्रवाह के लिए अनिवार्य
है ।
52. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य सौन्दर्य
लिखिए -
(क) फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार,
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्द्धा धीर।
उत्तर-
कठिन-शब्दार्थ :
वर्षण = बरसना।
वज्र-हुंकार = वज्र के प्रहार से होने वाली भीषण आवाज।
अशनि-पात = बिजली का चमकना या गिरना।
शापित = शापग्रस्त।
क्षत-विक्षत = घायल।
हत = मरे हुए।
स्पर्द्धा = आगे बढ़ने की होड़।
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखित काव्य-संग्रह
'अनामिका' के छठे भाग 'बादल राग' से लिया गया है। निर्धन कृषकों द्वारा बादलों की प्रतीक्षा
करते बताया गया है जो परिवर्तन की आकांक्षा व ईच्छा लिए क्रांतिकारी बादलों को ताक
रहे हैं।
व्याख्या - कवि निराला बादल को विश्व में परिवर्तन लाने की शक्ति से सम्पन्न और क्रान्ति का प्रतीक
मानकर उसे सम्बोधित कर कहते हैं कि हे बादल! जब तू बार-बार भीषण गर्जना करते हुए घनघोर
रूप से धरती पर वर्षा करते हो, तो तेरी बिजली की भयंकर कड़क को सुनकर भयत्रस्त सांसारिक
लोग अर्थात पूँजीपति वर्ग के लोग अपना हृदय थाम लेते हैं।
वे घबरा उठते हैं। संकेत यह है कि सामाजिक क्रान्ति के उद्घोष
को सुनकर पूँजीपतियों के हृदय भयभीत होने लगते हैं, उन्हें अपनी सत्ता डगमगाती प्रतीत
होती है। निराला कहते हैं कि हे वीर बादल! तू अपने बिजली रूपी वज्रपात से ऐसे सैकड़ों
लताओं और वृक्षों को सशरीर तोड़ता-फोड़ता हुआ धरती पर सुला देता है, जो अपनी ऊँचाई
पर गर्व कर रहे थे और असीम आकाश को छूने की कोशिश कर रहे थे।
इसका प्रतीकार्थ यह है कि समाज का निम्न वर्ग दुःखों से आक्रान्त
है। अतएव क्रान्ति से ही उनका उद्धार हो सकता है। सामाजिक परिवर्तन के लिए रण-भेरी
का गर्जन अत्यावश्यक है।
विशेष -
1. कवि ने बताया है कि सामाजिक क्रांति आने से दलित-शोषितों
को नव-जीवन की आशा होती है।
2.
तत्समप्रधान ओजस्वी शब्दावली, मानवीकरण व अनुप्रास अलंकार, शब्द बिम्बों का प्रयोग
हुआ है।
(ख) तव
प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।
अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत।
भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।
मन महुँ जात सराहत पुनि-पुनि पवनकुमार।।
उत्तर-
कठिन-शब्दार्थ :
तव
= तुम्हारा, आपका।
प्रताप
= तेज, वीरता, प्रभुत्व आदि का प्रभाव।
उर
= हृदय।
राखि
= रखकर।
जैहउँ
= जाऊँगा।
नाथ
= स्वामी, प्रभु।
अस
= इस तरह।
आयसु = आज्ञा।
पद = पैर।
बँदि = वंदना करके।
प्रीति = प्रेम।
महुँ = में।
पवनकुमार = हनुमान।
सराहत = प्रशंसा करना।
पुनि- पुनि बार-बार।
प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह 'भाग 2 में संकलित 'रामचरित मानस'
'लंका-कांड' से लिया गया है। इसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास है। इस प्रसंग में 'लक्ष्मण-मूर्छा
और राम का विलाप' प्रस्तुत है। भरत के शील स्वभाव का हनुमान जी पर पड़ने वाले प्रभाव
का बहुत सुंदर चित्रण किया गया है।
व्याख्या- तुलसीदासजी बताते हैं कि लक्ष्मण को मूर्छा लगने पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने
जाते हैं वापसी में उनकी मुलाकात भरत से होती है। वे भरत से कहते हैं कि हे प्रभो।
मैं आपका प्रताप, यश हृदय में रखकर तुरंत ही अर्थात् जल्दी ही भगवान राम के पास पहुँच
जाऊँगा। इस प्रकार कहते हुए हनुमान भरत की आज्ञा प्राप्त कर उनके चरणों की वंदना करके
चल दिए। भरत के बाहुबल, शील, गुण तथा प्रभु राम के प्रति अपार (अधिक) स्नेह को देखते
हुए व मन-ही-मन बार-बार प्रशंसा करते हुए हनुमान लंका की तरफ चले जा रहे थे।
विशेष :
1. हनुमान की भक्ति भावना तथा भरत के गुणों का वर्णन सुंदर
बन पड़ा है।
2. अवधी भाषा का प्रयोग, दोहा छंद तथा 'पुनि-पुनि' में अनुप्रास
अलंकार है।
