प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
पाठ-3 (ख) मैंने देखा, एक बूँद
पाठ परिचय
मैंने
देखा, एक बूँद कविता में अज्ञेय ने समुद्र से अलग प्रतीत होती बूँद की क्षणभंगुरता
को व्याख्यायित किया है। यह क्षणभंगुरता बूँद की है, समुद्र की नहीं बूंद क्षण भर के
लिए ढलते सूरज की आग से रंग जाती है। क्षणभर का यह दृश्य देखकर कवि को एक दार्शनिक
तत्व भी दिखने लग जाता है। विराट के सम्मुख बूँद का समुद्र से अलग दिखना नश्वरता के
दाग से नष्ट होने के बोध से मुक्ति का एहसास है। इस कविता के माध्यम से कवि ने जीवन
में क्षण के महत्व को क्षणभंगुरता को प्रतिष्ठापित किया है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'सागर' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर-
'बूँद जीवात्मा का प्रतीक है और सागर' परमात्मा का प्रतीक बूंद क्षणभंगुर होता है और
सागर शाश्वत। बूँद की सार्थकर्ता सागर के साथ संबद्ध होने में ही है।
2. रंग गई क्षण-भर ढलते सूरज की आग से पंक्ति के आधार पर बूँद के क्षण
भर रंगने की सार्थकता बताइए।
उत्तर-
बूंद क्षणभर के लिए ढलते सूरज की आग में रंग जाती है। इसका तात्पर्य विराट के सम्मुख
बूंद का समुद्र से अलग नश्वरता के दाग से, नष्टशीलता के बोध से मुक्ति का अहसास है।
बूँद की सार्थकता उसके नश्वर जीवन में है।
प्रश्न 3. 'सूने विराद के सम्मुख ------- दाग से!- पंक्तियों का भावार्थ
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इस काव्य पंक्ति के माध्यम से कवि ने अपना दर्शन प्रस्तुत किया है कि विराट के सम्मुख
बूँद का समुद्र से अलग दिखना नश्वरता के बोध से मुक्ति का अहसास है।
प्रश्न 4. 'क्षण के महत्त्व' को उजागर करते हुए कविता का मूल भाव लिखिए।
उत्तर-
'मैं ने देखा, एक बूँद' कविता का मूल भाव बूँद के माध्यम से जीवन की क्षणभंगुरता को
प्रतिष्ठित करना है। क्षणभंगुरता बूँद की है, समुद्र की नहीं। इस तरह कवि ने जीवन में
क्षण को महत्त्व दिया है।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
मैंने
देखा
एक
बूँद सहसा
उछली
सागर के झाग से;
रंग
गई क्षणभर
ढलते
सूरज की आग से।
मुझको
दिख गया:
सुने
विराट के सम्मुख
हर
आलोक - छुआ अपनापन
है
उन्मोचन
नश्वरता
के दाग से!
संदर्भः प्रस्तुत
काव्यांश मैंने देखा एक बूँद कविता से उद्धृत है। यह कविता अज्ञेय की 'अरी ओ करुणा
प्रभामय काव्य -संग्रह से ली गई है।
प्रसंग: अज्ञेय
ने क्षण के महत्व तथा क्षणभंगुर विश्व की चेतना को एक छोटी सी कविता में स्पष्ट किया
है। कवि बूँद के माध्यम से लघु के विराट में विलीन होने की प्रक्रिया को अपने शब्दों
से अभिव्यक्त कर रहा है।
व्याख्या: कवि
ने सागर की लहरों के झाग से उछलती हुई एक बूँद को देखा। वह ढलते हुए सूरज की चमक से
क्षण भर में ही रंग गई और कुछ क्षणों के लिए सूर्य के आलोक के स्पर्श से स्वर्णिम हो
गई। इस दृश्य को देखकर कवि को एक दार्शनिक तत्व का ज्ञान हुआ, जिससे उसने यह जान लिया
कि विराट के सम्मुख बूँद का समुद्र से अलग दिखना नश्वरता के दाग से नष्ट होने के बोध
से मुक्ति है। क्षणभर में वह पुनः उसी विशाल सागर में समा गई।
बूँद
सागर में मिलकर अपना अस्तित्व खो देती है तथा सागर से अलग हो अपने अस्तित्व को धारण
करती है। बूँद का सागर में मिलना ही उसकी मुक्ति है। कवि आत्मज्ञानी है। उसने बूँद
और 'सागर के माध्यम से आत्मा और ब्रह्म के स्वरूप को बताया है। जैसे बूँद का अपनापन
सागर से होता है, वैसे ही आत्मा का अपनापन ब्रह्म से होता है। कुछ दिनों के लिए वह
इस नश्वर संसार में शरीर धारण करके आता है उन्हें ज्ञान (ब्रह्म) के आलोक में अपनी
आत्मा को प्रकाशित करने से उसी विराट (ब्रह्म) से उसकी एकाकारिता हो जाती है, जिससे
उसे सांसारिक बंधनों एवं इस नश्वर संसार से मुक्ति मिल जाती है, क्योंकि इस संसार से
परे शून्य में स्थित ब्रह्म से उसका अपनापन हो जाता है। वह सागर में बूँद की तरह ब्रह्मा
से मिलकर उससे एकाकार हो जाता है।
विशेष:
1.
अज्ञेय जी ने बड़े ही सरल शब्दों में आत्मानुभूति को अभिव्यक्त किया है।
2.
कविता प्रकृति प्रेम परिलक्षित है।
3.
दृष्टांत व अन्योक्ति अलंकार है।
4.
बूँद क्षणभंगुर जीवन का प्रतीक है।
5.
समुद्र विराट ब्रह्म का प्रतीक है।
6.
कवि का दार्शनिक विचार उपस्थित हुआ है।
7.
खड़ी बोली का प्रयोग है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. मैंने देखा, एक बूँद' कविता में कवि ने किसका महत्व प्रतिपादित
किया है?
1.
दिन का
2. क्षण का
3.
बूँद का
4.
स्वयं का
प्रश्न 2. मैंने देखा, एक बूँद कविता का मूल भाव क्या है?
1.
क्षण के महत्व और क्षणभंगुरता को अभिव्यक्त करना
2.
संसार के सम्मुख व्यक्ति के अस्तित्व की सार्थकता सिद्ध करना
3.
मनुष्य के जीवन में आए एक गरिमामय क्षण के महत्व को प्रतिपादित करना
4. उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3. जब मनुष्य रूपी बूँद सागर रुपी संसार से पृथक होती है तो
विराट सत्ता के सम्मुख उसे क्या महसूस होता है?
1.
वह मरणशीलता के बंधनों से मुक्त हो जाती है
2.
वह इस क्षण को गरिमामय मानती है।
3.
बूँद को क्षणिक जीवन की सार्थकता का बोध होता है
4. उपर्युक्त सभी
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
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