प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
पाठ- 10 कवित/सवैया
कवि परिचय
केशवदास
का जन्म बेतवा नदी के तट पर स्थित ओरछा नगर में हुआ ऐसा माना जाता है। ओरछा पति
महाराज इंद्रजीत सिंह उनके प्रधान आश्रय दाता थे जिन्होंने 21 गांव उन्हें भेंट
में दिए थे। उन्हें वीर सिंह देव का आश्रय भी प्राप्त था। वे साहित्य और संगीत
धर्म शास्त्र और राजनीति ज्योतिष और वैद्यक सभी विषयों के गंभीर अध्येता थे।
केशवदास की रचना में उनके तीन रूप आचार्य महाकवि और इतिहासकार दिखाई पड़ते हैं।
आचार्य
का आसन ग्रहण करने पर केशवदास को संस्कृत की शास्त्रीय पद्धति को हिंदी में
प्रचलित करने की चिंता हुई जो जीवन के अंत तक बनी रही। केशवदास ने ही हिंदी में
संस्कृत की परंपरा की व्यवस्था पूर्वक स्थापना की थी। उनके पहले भी रीति ग्रंथ
लिखे गए पर व्यवस्थित और सर्वांगपूर्ण ग्रंथ सबसे पहले उन्होंने प्रस्तुत किए।
उनकी
प्रमुख प्रमाणिक रचनाएं हैं- रसिक प्रिया, कवि प्रिया, 'रामचंद्रिका, वीरसिंह देव
चरित, विज्ञान गीता, जहांगीर जस चंद्रिका आदि। रतन बावनी का रचनाकाल अज्ञात है
किंतु उसे उनकी सर्वप्रथम रचना माना जा सकता है।
पाठ परिचय
केशवदास
की प्रसिदध रचना रामचंद्रचंद्रिका का एक अंश यहाँ हमारा पाठ्य विषय है। इस अंश में
तीन छंद है। छंदों में से पहला छंद सरस्वती वंदना के नाम से संकलित है। सरस्वती
वंदना में कवि ने मां सरस्वती की उदारता और वैभव का गुणगान किया है। कवि कह रहे
हैं कि मां सरस्वती की महिमा का वर्णन करना ऋषि- मुनियों और देवताओं के द्वारा भी
संभव नहीं है।
दूसरे
छंद पंचवटी-वन-वर्णन में कवि ने पंचवटी के महात्म्य का सुंदर वर्णन किया है।
अंतिम
छंद अंगद में श्री रामचंद्र जी के गुणों का वर्णन है। वह रावण को समझाते हुए कह
रहा है कि राम का वानर हनुमान समुद्र को लाँघकर लंका में आ गया और तुमसे कुछ करते
नहीं बना। इसी प्रकार तुमसे लक्ष्मण द्वारा खींची गई धनुरेखा भी पार नहीं की गई
थी। । तुम श्रीराम के प्रताप को पहचानो।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 1. देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा
सकता?
उत्तर-
कवि मानते हैं कि वाणी की देवी माता सरस्वती की उदारता का गुणगान करने में आज तक
कोई भी सफल नहीं हुआ है। देवगण और प्रसिद्ध ऋषि-मुनियों ने उनकी उदारता का वर्णन
करना चाहा किंतु यह संभव नहीं हो सका। अतीत में भी उनकी उदारता का वर्णन हुआ है,
वर्तमान में भी हो रहा है। और भविष्य में भी ऐसा होगा। किंतु कोई भी उनकी उदारता का
संपूर्ण वर्णन नहीं कर सकता।
सरस्वती
की उदारता में नित्य नवीन अध्याय जुड़ते रहते हैं। नवीनता के संचार के कारण ही उनकी
उदारता का वर्णन किसी के लिए संभव नहीं होता। यहां तक कि उनके पति ब्रह्मा, पुत्र महादेव
तथा पुत्र कार्तिकेय ने भी उनकी उदारता का गुणगान करने का प्रयास किया, किंतु वे सफल
न हो सके।
प्रश्न-2. चार मुख, पांच मुख, और षटमुख किन्हें कहा गया है और उनका
देवी सरस्वती से क्या संबंध है?
उत्तर-
'चार मुख' सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के लिए प्रयुक्त हुआ है। 'पांच मुख' महादेव अर्थात शंकर
के लिए तथा षट्मुख शंकर के पुत्र कार्तिकेय के लिए प्रयुक्त हुआ है। कवि ने सरस्वती
को प्रजापति ब्रह्मा की पत्नी माना है। शंकर को कवि ने ब्रह्मा एवं सरस्वती का पुत्र
बताया है। इस संबंध से कार्तिकेय ब्रह्मा तथा सरस्वती के पौत्र हैं।
प्रश्न- 3. कविता में पंचवटी के किन गुणों का उल्लेख किया गया है?
उत्तर-
कवि ने पंचवटी को शिव के समान कल्याण प्रदायिनी माना है। वह मानता है कि प्रभु श्रीराम
की कृपा से पंचवटी का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा है कि वहां पहुंचते ही दुख की चादर फट
जाती है अर्थात मनुष्य दुखों से दूर हो जाता है। यहां कपट धोखा जैसे अवगुणों के लिए
कोई स्थान नहीं है।
पंचवटी
का भाव ऐसा है कि व्यक्ति का मन सात्विक हो जाता है इस स्थान का सामीप्य प्राप्त कर
मनुष्य की पाप की बेड़ी कट जाती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कवि
केशवदास का मानना है कि पंचवटी साक्षात शिव के समान है, जिसके दर्शन मात्र से सामान्य
प्राणी भी कल्याण पद को पा लेता है।
प्रश्न 4. तीसरे छंद में संकलित कथा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
अंगद शीर्षक के अंतर्गत लिखे सवैये में कवि केशवदास ने रामायण की तीन सुप्रसिद्ध घटनाओं
की ओर संकेत किया है। ये तीनों घटनाएं क्रमशः ये है-
'धनुरेख
गई ना तरी- रावण के आदेश से हिरण बने मारीच ने सीता को छला। राम द्वारा तीर से आहत
होने पर उस कपटी के मुख से निकला- 'हे राम!' इस ध्वनि से भ्रमित सीता ने श्रीराम की
सहायता हेतु जाने के लिए लक्ष्मण को बाध्य कर दिया। लक्ष्मण ने पंचवटी क्षेत्र से दूर
जाने से पूर्व सीता की सुरक्षा के लिए अपने तीर से एक रेखा खींची। यह रेखा सीता के
लिए एक सुरक्षा चक्र था तथा सीता को इसे लांघने की मनाही थी। पंचवटी से लक्ष्मण के
चले जाने के बाद रावण ने छद्मवेश में पंचवटी के निकट पहुंचकर सीता से भिक्षा मांगी।
छली रावण ने जब लक्ष्मण द्वारा बनाए सुरक्षा घेरे को लांघना चाहा तो वह उसे पार न कर
पाया।
'बारिधि
बाँधिकै बाट करी श्रीराम ने वानर- भालू सेना की सहायता से समुद्र को बांधकर पत्थरों
का पुल बना लिया। इस तरह प्रभु श्री राम ने लंका पर चढ़ाई के लिए वहां तक जाने का मार्ग
बनाया।
'जरी
लंक जराई जरी प्रभु श्री राम के सेवक हनुमान सीता की खोज में लंका पहुंचे। वहां रावण
की सेना द्वारा उन्हें बंदी बना लिया गया। तब रावण की आज्ञा से रावण के सेवकों ने हनुमान
की पूंछ पर तेल छिड़क कर आग लगा दी। हनुमान का तो कुछ नहीं बिगड़ा बल्कि स्वर्ण जड़ित
रावण की लंका जलकर राख हो गई।
प्रश्न-5. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क)
पति बनें चारमुख पूत बनें पंचमुख नाती बनें षटमुख तदपि नई-नई।
(ख)
चहुँ ओरनि नाचति मुक्तिनटी गुन धूरजटी एंटी पंचवटी
(ग)
सिंधु तरयो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी ।
(घ)
तेलनि तुलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराई - जरी
उत्तर-
(क)
कवि केशवदास ने इस काव्य पंक्ति में व्यक्त किया है कि अभी तक सभी सरस्वती की उदारता
का वर्णन करने मे असमर्थ रहे हैं। जब चार, पांच और छह मुख वाले अर्थात ब्रह्मा, शिव
और कार्तिकेय सरस्वती का गुणगान नहीं कर पाए, तब एक मुख अर्थात सामान्य आदमी का तो
क्या कहना। सरस्वती की उदारता का वर्णन न कर सकने का मुख्य कारण सरस्वती का नित नया
रूप धारण करना है।
इस
पंक्ति में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है। कवि ने सरल, सहज व सुबोध ब्रज
भाषा में सहजाभिव्यक्ति की है।
(ख)
कवि केशव दास जी ने बड़ा ही मनोहारी वर्णन करते हुए पंचवटी की सुंदरता का उल्लेख किया
है। कवि कहता है कि पंचवटी के चारों ओर दुर्लभ मुक्ति या मोक्ष नदी की भांति बहता रहता
है। यहां आकर हर प्राणी मुक्ति का अनुभव करता है अपने गुणों के कारण पंचवटी शिव के
समान है। कवि ने पंचवटी- वर्णन मैं अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग किया है। इसी के साथ
रूपक का भी सुंदर योग देखने को मिलता है। कवि ने अपने भावों को ब्रजभाषा में व्यक्त
किया है।
(ग)
कवि केशवदास जी ने अपने इस सवैये में अंगद के माध्यम से रावण पर व्यंग्य किया है। अंगद
रावण को प्रभु श्रीराम की शक्ति का परिचय देना चाहता है। अंगद बताता है कि राम का एक
छोटा सेवक वानर (हनुमान) भी उसकी लंका में घुस आया और सोने की लंका को क्षणभर में जला
डाला। परंतु स्वयं को शक्तिशाली समझने वाला रावण लक्ष्मण द्वारा खींची गई एक रेखा को
भी नहीं लांघ सका, जबकि प्रभु श्री राम अपने सेना सहित समुद्र लांघ लंका तक पहुंच गए।
अंततः अंगद रावण को धिक्कारता है।
कवि
ने भावाभिव्यक्ति के लिए ब्रजभाषा को माध्यम बनाया है।
(घ)
केशवदास जी ने इस सवैये में रावण की असफलता का वर्णन किया है। केशवदास जी लिखते हैं
कि प्रभु श्रीराम के सेवक हनुमान ने लंका में पहुंचकर लंका को जला डाला। हनुमान की
पूंछ का कुछ भी न बिगड़ा, जबकि स्वर्णजड़ित संपूर्ण लंका नगरी जलकर राख हो गई। कवि
ने इस समय में हनुमान की कुशलता और वीरता को भी उजागर किया है।
यमक
और अनुप्रास अलंकार के प्रयोग से छंद का सौंदर्य बढ़ा है। कवि ने बड़ी ही मनोरंजक ब्रज
भाषा में मनोभावों को व्यक्त किया है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क)
भावी भूत वर्तमान जगत बखानत है केसोदास, केहूँ ना बखानी काहू पै गई।
(ख)
अघओघ की बेरी कटी बिकटी निकटी प्रकटी गुरुजान गटी।
उत्तर-
(क)
कवि केशवदास जी कहते हैं कि देवी सरस्वती की उदारता इतनी अधिक है कि उसका वर्णन नहीं
किया जा सकता। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक संसार के अनेक प्राणी प्रयास करके
थक गए हैं, परंतु कोई भी उनकी उदारता का वर्णन नहीं कर सका। कवि को लगता है कि उनकी
उदारता अवर्णनीय है, इसलिए भविष्य में भी किसी से उनकी उदारता का वर्णन नहीं हो सकेगा।
(ख)
इस पंक्ति के माध्यम से कवि केशवदास पंचवटी के महात्म्य की चर्चा करते हैं। यह वह स्थान
है जहां सीता, राम तथा लक्ष्मण ने वास किया। इस स्थान का वातावरण रमणीय तथा स्वच्छ
है। यह पापरहित तथा पवित्र स्थली है। यहां आने वाले सभी मनुष्यों के पाप नष्ट हो जाते
हैं। यह स्थान ज्ञान का अतुल भंडार है और सभी प्राणियों में ज्ञान का उदय करता है।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीप प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1 . निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
सिंधु
तरयो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी
बाँधोई
बाँधत सो न बन्यो उन बारिधि बाँधिकै बाट करी ।
श्रीरघुनाथ
प्रताप की बात तुम्हें दसकंठ न जानि परी ।
तेलनि
तूलनि पूँछि जरी न जरी जरी लंक जराई जरी ।।
उत्तर-
संदर्भ: प्रस्तुत सवैया केशवदास द्वारा रचित रामचंद्रचंद्रिका के अंगद शीर्षक
के अंतर्गत वर्णित है।
प्रसंग: अंगद
रावण को राम लक्ष्मण एवं हनुमान की महानता एवं उनके पराक्रम के विषय में बताते हुए
उन्हें समझा रहे हैं।
व्याख्या:
अंगद रावण को समझाते हुए कह रहे हैं कि श्री राम के दूत हनुमान एक सामान्य वानर होते
हुए भी समुद्र पार कर गए और तुम लक्ष्मण के द्वारा धनु से खींची गई रेखा भी नहीं पार
कर सके। कहने का आशय यह है कि तुम में स्थित शक्ति एवं पराक्रम उनके दूत की शक्ति के
तुलना में कुछ नहीं। तुमने सिर्फ एक बानर को बाँधना चाहा, लेकिन उसे तुम बांध नहीं
सके, जबकि श्रीराम ने तो सागर को भी बाँध दिया एवं उसके ऊपर मार्ग बना दिया। तुमने
हनुमान की पूँछ को आग से जलाना चाहा, किंतु वह पूँछ तुमसे जल न सकी। उस पूँछने सोने
और रत्नों से जली लंका को जला दिया है रावण! इतना सब कुछ देखने के बाद भी तुमको श्री
राम के प्रताप का ज्ञान नहीं हो सका। श्रीराम शक्ति और पराक्रम एवं अन्य सभी गुणों
में तुमसे श्रेष्ठ हैं। अतः उनके प्रताप को अच्छी तरह पहचानो।
विशेष:
1. कवि ने अपने ईष्ट प्रभु श्री राम की स्तुति की है और दुराचारी रावण की निंदा भी
की है।
2.
रचना सरल, सहज, सुबोध ब्रजभाषा में है।
3.
सवैया छंद में निबद्ध इस रचना में वीर रस व्याप्त है
4.
रचना में अनुप्रास तथा यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. कवि केशवदास किस काल के कवि थे?
1. आदिकाल
2.
भक्ति काल
3.
रीतिकाल
4.
आधुनिक काल
प्रश्न 2. कवि केशवदास का जन्म कब हुआ था?
1.
1535
2.
1545
3. 1555
4.
1556
प्रश्न 3. केशवदास की काव्य भाषा क्या थी?
1.
संस्कृत
2.
प्राकृत
3.
अवधी
4. ब्रज
4. निम्नलिखित में से कौन सी रचना केशवदास की प्रसिद्ध रचना है?
1. रामचंद्रिका
2.
रामचरितमानस
3.
दोनों
4.
इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 5. कवि केशवदास के अनुसार किस देवी की उदारता का गुणगान संभव
नहीं है?
1.
देवी लक्ष्मी
2.
देवी मनसा
3.
देवी जगधात्री
4. देवी सरस्वती
प्रश्न 6. षटमुख किसे कहा गया है ?
1. कार्तिकेय
2.
शिव
3.
ब्रह्मा
4.
विष्णु
प्रश्न 7. पंचवटी का प्रसंग किस से जुड़ा हुआ है ?
1.
श्री कृष्ण
2. श्री राम
3.
श्री विष्णु
4.
इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 8. बांधोई बांध सो न बान्यो उन बारिधि बांधि के बाट करी में
कौन सा अलंकार है?
1. अनुप्रास
2.
यमक
3.
पुनरुक्ति प्रकाश
4.
इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 9. अंगद द्वारा किसका उपहास किया गया है?
1. रावण
2.
विभीषण
3.
कुंभकरण
4.
इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 10. अंगद शीर्षक सवैया में किस रस की अभिव्यक्ति हुई है?
1. वीर रस
2.
वीभत्स रस
3.
श्रृंगार रस
4. शांत रस
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
6 | ||
7 | ||
8 | ||