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Class - 12
Political Science
अध्याय-5 कांग्रेस प्रणाली चुनौतियां और स्थापना
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)
1. जय जवान जय किसान का नारा किसने दिया ?
A.
जवाहरलाल नेहरु
B.
इंदिरा गांधी
C. लाल बहादुर शास्त्री
D.
जयप्रकाश नारायण
2. काँग्रेस के किस नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए निर्विरोध चुना
गया था?
A.
श्रीमती इंदिरा गाँधी
B. मोरारजी देसाई
C.
लाल बहादुर शास्त्री
D.
इनमें से कोई नहीं
3. भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु जनवरी
1966 ई0 में कहां पर हुई थी?
A. ताशकंद
B.
शिमला
C.
पेरिस समझौता में
D.
इनमें से कोई नही
4. शास्त्रीजी के पश्चात श्रीमती इंदिरा गाँधी किस नेता को हराकर प्रधानमंत्री
बनी थी।'
A.
के कामराज
B. मोरारजी देसाई
C.
राम मनोहर लोहिया
D.
इनमें से कोई नहीं
5. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्षा कौन थी?
A.
इंदिरा गांधी
B.
सोनिया गांधी
C. एनी बेसेंट
D.
सरोजनी नायडू
6. श्रीमती इंदिरा गाँधी दुबारा प्रधानमंत्री कब बनी थी ?
A. 1980
B.
1985
C.
1975
D.
इनमें से कोई नहीं
7.
इंदिरा गांधी के संबंध में कौन-सी बातें सही है ?
A.
सन् 1966-1977 और सन् 1980 से 1984 तक भारत की प्रधानमंत्री रही।
B.
सन् 1964 से 1966 में मंत्रिमंडल में केन्द्रीय मंत्री पद पर रही
C.
सन् 1967 सन् 1971 और 1980 में अपने नेतृत्व में काँग्रेस पार्टी को विजयी बनायी।
D. उपरोक्त तीनों ।
8. स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष
कौन थी?
A. इंदिरा गांधी
B.
एनी बेसेंट
C..
सोनिया गांधी
D.
सरोजिनी नायडू
9. गरीबी हटाओ का नारा किसने दिया ?
A.
लाल बहादुर शास्त्री
B.
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
C.
राम मनोहर लोहिया
D. इंदिरा गांधी
10. 20वीं सदी के किस दशक को भारत का खतरनाक दशक कहा जाता है ?
A.
सन् 1950 के दशक
B. सन् 1960 के दशक
C.
सन् 1970 के दशक
D.
सन् 1980 के दशक
11. नेहरू जी के मृत्यु के समय काँग्रेस के अध्यक्ष पद पर कौन थे ?
A.
जवाहरलाल नेहरू
B.
लाल बहादुर शास्त्री
C.
महात्मा गांधी
D. कामराज
12. 'राजनीतिक भूकम्प' की संज्ञा किसे दिया गया ?
A.
तीसरा आम चुनाव
B. चौथा आम चुनाव
C.
जवाहरलाल की मौत
D.
इनमें से कोई नहीं
13. 1967 ई0 के चुनावों के बारे में निम्नलिखित में कौन-कौन से कथन
सही हैं?
A
काँग्रेस लोकसभा के चुनाव मेंसभी सीटों पर विजयी रही, लेकिन कई राज्यों में विधानसभा
के चुनाव वह हार गई।
B.
काँग्रेस लोकसभा के चुनाव भी हारी और विधानसभा के भी।
C. कांग्रेस को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला, लेकिन उसने दूसरी पार्टियों
के समर्थन से एक गठबंधन सरकार बनाई।
D.
काँग्रेस केंद्र में सत्तासीन रही और उसका बहुमत भी बढ़ा।
14. राम मनोहर लोहिया के संबंध में कौन सा तथ्य सही है ?
A.
समाजवादी नेता एवं विचारक थे।
B.
पहले सोशलिस्ट पार्टी एवं बाद में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नेता बने।
C.
पिछड़े वर्गों के आरक्षण की वकालत किये।
D. उपरोक्त में से सभी।
15. 1971 ई0 के चुनावों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-कौन से कथन
सही हैं ?
A. इस चुनाव से पहले ही काँग्रेस विभाजन के कारण इंदिरा गाँधी की सरकार
अल्पमत में आ गई
B.
इस चुनाव में चुनावी मुकाबला काँग्रेस (आई) और जनता दल में था
C.
इस चुनाव के दौरान इंदिरा गाँधी ने पूरी तरह प्रिवी पर्स की समाप्ति संबंधी अपने विचार
को बिल्कुल त्याग दिया था
D.
उपरोक्त में कोई नहीं
16. 1971 ई के ग्रैंड अलायंस' के बारे में कौन-सा कथन ठीक है?
A इसका गठन गैर-कम्युनिस्ट और गैर-काँग्रेसी दलों ने किया था
B.
इसके पास एक स्पष्ट राजनीतिक तथा विचारधारात्मक कार्यक्रम था
C.
इसका गठन सभी गैर-काँग्रेसी दलों ने एकजुट होकर किया था
D.
उपरोक्त में कोई नहीं
17. शास्त्री जी के संबंध में कौन-सा तथ्य असंगत है
A.
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री
B.
काँग्रेस पार्टी के महासचिव पद पर भी रहे
C. स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके
D.
रेल दुर्घटना में नैतिक जिम्मेदारी लेकर रेल मंत्री पद से इस्तीफा
18. सिंडिकेट नाम से किसे सम्बोधित किया गया ?
A.
समाजवादियों के समूह को
B.
साम्यवादियों के समूह को
C. काँग्रेसी नेताओं के एक समूह को
D.
इनमें से कोई नहीं
19. आजादी के बाद शुरूआत में काँग्रेस का चुनाव चिन्ह क्या था ?
A.
गाय बछड़ा
B. दो बैलों की जोड़ी
C.
जलता दीया
D.
कोई नहीं
20. मैनकाइड एवं जन के संस्थापक सम्पादक थे।
A. राममनोहर लोहिया
B.
इंदिरा गाँधी
C.
वी.वी. गिरि
D.
मोरारजी देसाई ।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:-
1. ग्रैंड अलांयस से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
1971 के चुनाव के समय सभी बड़ी गैर साम्यवादी और गैर कांग्रेसी विपक्षी दलों द्वारा
बनाया गया गठबंधन को ग्रैंड अलायंस कहा जाता था।
2. प्रारंभ में कांग्रेस का चुनाव चिन्ह क्या था?
उत्तर-
प्रारंभ में कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी थी। आजादी के लगभग 22 वर्ष
गुजरते गुजरते कांग्रेस में फुट पड़ गई थी। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह
पंजा छाप है।
3. 1960 के दशक को किन कारणों से खतरनाक दशक कहा जाता था?
उत्तर-
इस समय गरीबी, असमानता, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीय विभाजन, युद्धों का सामना आदि समस्याये
विद्यमान थी। इसीलिए 1960 के दशक को खतरनाक दशक कहा जाता था।
4. चौथे आम चुनावों को राजनीतिक भूकंप की संज्ञा क्यों दी गई?
उत्तर-
इस चुनाव में कांग्रेस की प्राप्त मत प्रतिशत तथा सीट संख्या में कमी आई और कांग्रेस
09 राज्यों में चुनाव हारी थी। अचानक इस परिवर्तन को राजनीतिक भूकंप की संज्ञा दी गई।
5. युवा तुर्क कौन थे ?
उत्तर:
यह कांग्रेस के कनिष्ठ व युवा वर्ग के नेताओं का समूह था। जिन्होंने पुराने नेतृत्व
को चुनौती देकर इंदिरा गांधी को चुनावी संघर्ष में विजयी बनाया। ये युवा तुर्क के नाम
से मशहूर हुए।
6. गरीबी हटाओ का नारा के पीछे क्या राजनीति थी?
उत्तर-
गरीबी हटाओ की राजनीति जिसे कॉंग्रेस पार्टी इंदिरा गांधी ने 1971 के फरवरी माह में
लोकसभा के पाँचवें आम चुनाव के लिए उत्पन्न किया था। इसने काँग्रेस पार्टी की पुनः
राजनीतिक शक्ति हथियाने में मदद की। इस नारे ने कांग्रेस पार्टी को भारी विजय दिलवायी।
इस नारे का उद्देश्य समाजवादी व्यवस्था को व्यापक स्तर पर लागू करना था।
7. कांग्रेस सिंडिकेट से क्या आशय है?
उत्तर-
काँग्रेस सिंडीकेट से आशय काँग्रेस के पुराने एवं वरिष्ठ नेताओं के गुट से था। जिसने
इन्दिरा गाँधी को सत्ता से वंचित करने हेतु उन्हें दल की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया।
लघु उत्तरीय प्रश्न:-
1. 1970 के दशक में इंदिरा गांधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई
थी ?
उत्तर:
कांग्रेस को इंदिरा गांधी के रूप में एक क्रांतिकारी नेता मिल गया । इंदिरा को जवाहरलाल
नेहरू की राजनीतिक विरासत मिली थी, साथ ही उन्होंने अधिक प्रगतिशील कार्यक्रम जैसे
गरीबी हटाओ, बैंक राष्ट्रीयकरण, कल्याणकारी सामाजिक एवं आर्थिक घोषणाएं की जिससे उन्हें
लोकप्रियता मिली। इंदिरा गांधी की समाजवादी नीति लोगों को अधिक अच्छी लगी साथ ही देश
की प्रथम महिला प्रधानमंत्री होने के कारण वह महिला मतदाताओं में अधिक लोकप्रिय हुई।
2. भारत में द्वितीय प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री की
भूमिका समझाइए |
उत्तर-
लाल बहादुर शास्त्री नेहरू के देहांत के समय उनके मंत्रिमंडल में मंत्री थे। सिंडिकेट
के निर्णय के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री को पंडित जवाहरलाल नेहरू का उत्तराधिकारी
चुना गया। लाल बहादुर शास्त्री एक सरल व इमानदार व्यक्ति थे।
लाल
बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना
पड़ा उन्होंने अत्यंत हिम्मत से सामना किया। भारत-चीन के बीच 1962 के युद्ध का भारत
की आर्थिक व्यवस्था बहुत सोचनीय था। ख़राब मानसून हो जाने से खाध पदार्थों का संकट
पैदा हो गया क्योंकि सूखा पड़ने से कृषि पैदावार में भारी कमी हो गई थी। 1965 का भारत
पाकिस्तान युद्ध उनके लिए दूसरी बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया। लाल बहादुर शास्त्री
ने जय जवान जय किसान का नारा लगाया। उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए अनेक प्रकार
के उपाय किए। उन्होंने देशवासियों से हिम्मत रखने की अपील की।
3. 1971 में कांग्रेस की पुनर्स्थापना के कारण बताइए।
उत्तरः
स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार में रही। 1964 में नेहरू की मृत्यु
के बाद उसके पास चमत्कारी नेतृत्व न रहा। 1967 के चुनावों में उसे हार का मुंह देखना
पड़ा लेकिन किसी तरह से केंद्र पर इंदिरा गांधी की सरकार बनी रही, लेकिन राज्यों में
दल- बदल के कारण कांग्रेस की सरकार गिरी। कांग्रेस विरोधी पार्टियां व गुटों ने एकजुट
होकर कई राज्यों में अपनी सरकारी बनाई। लेकिन इंदिरा गांधी की चमत्कारी नेतृत्व ने
1971 के चुनावों में कांग्रेस को पुनः विशाल बहुमत मिला। केंद्र पर उसकी सबल सरकार
बनी और कांग्रेस खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त किया तथा इंदिरा गांधी की प्रभाव में
वृद्धि हुआ।
4. लाल बहादुर शास्त्री पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें.
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में हुआ। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी
की और उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के महासचिव
का पदभार संभाला। वह 1951 से 56 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर रहे। इसी
दौरान रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने रेल मंत्री से इस्तीफा दे
दिया।
1957
से 1964 के बीच में मंत्री पद पर रहे। उन्होंने जय जवान, जय किसान का मशहूर नारा दिया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के मृत्यु के बाद दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में 1964 से
1966 तक कार्यरत रहे।
5. प्रीति पर्स से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः
श्रीमती इंदिरा गांधी के अनेक साहसिक कदमों में से प्रीवि पर्स को समाप्त करना एक साहसिक
कदम था। जिसका उद्देश्य समाजवादी विचारधारा पर समाज का निर्माण करना था। प्रीवि पर्स
व्यवस्था राजा महाराजाओ को कुछ निजी संपदा रखने का अधिकार दिया गया साथ-साथ सरकार की
ओर से उन्हें कुछ विशेष भत्ते दिए जाते थे। इस प्रकार से प्रिवी पर्स उन राजा महाराजाओं
को दी गई विशेष आर्थिक सुविधा थी जिन्होंने सुरक्षा कारणों से अपने राज्यों को भारतीय
संघ में विलय करना स्वीकार कर लिया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी प्रीति पर्स के खिलाफ
थे। परंतु कई नेताओं की ओर से समाप्त करने का विरोध होता रहा था। इंदिरा गांधी ने अपने
कार्यकाल में 1971 में समाप्त कर दिया।
6. के कामराज कौन थे? संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तरः
के कामराज का जन्म 1903 में हुआ था। वे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने
कांग्रेस के एक नेता के रूप में अत्यधिक ख्याति प्राप्त की। उन्हें मद्रास (तमिलनाडु)
के मुख्यमंत्री के पद पर रहने का सौभाग्य मिला। मद्रास प्रांत के शिक्षा का प्रसार
और स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन देने का योजना लागू करने के लिए उन्हें अत्यधिक
ख्याति प्राप्त हुई। वह पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 1963 में कामराज योजना
नाम से मशहूर प्रस्ताव रखा जिसके अंतर्गत उन्होंने सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को
त्यागपत्र दे देने का सुझाव दिया। ताकि वह अपेक्षाकृत कांग्रेस पार्टी के युवा कार्यकर्ताओ
को पार्टी के कमान संभाल सके और कांग्रेस पार्टी को आगे ले जा सके। 1975 में उनका देहांत
हो गया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नः-
1. चौथे आम चुनाव 1967 पर एक लेख लिखें.
उत्तर-
चौथा आम चुनाव 1967 में हुआ जो भारतीय राजनीति के लिहाज से बहुत ही ज्यादा अहम था।
पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू की अनुपस्थिति में चुनाव हुआ। चुनाव बाद कांग्रेस लगातार
चौथी बार सरकार बनाने में तो सफल रही। लेकिन उसका प्रदर्शन पिछले चुनावों के मुकाबले
फीका रहा। आम चुनाव के साथ राज्य विधानसभा चुनाव भी हुआ। राज्य विधानसभा चुनावों में
भी कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा और 6 राज्य उससे छिन गए। यह चुनाव इंदिरा युग की शुरुआत
का भी चुनाव था। इंदिरा गांधी अपने दिवंगत पति फिरोज की सीट रायबरेली से पहली बार चुनाव
लड़ीं और जीत हासिल की।
तीसरी
लोकसभा का कार्यकाल युद्ध, खाद्यान्न की कमी, सामाजिक तनाव और राजनीतिक उथल-पुथल के
दौर के रूप में याद किया जाता है। जो 1962 के भारत चीन युद्ध. 1965 की भारत- पाक जंग,
खाद्य संकट, आदि जैसी संकट की सदमे से बीमार हुए नेहरू का 1964 में देहांत हो गया तो
उधर 1966 में ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो चुकी थी। हिंदुस्तान 1962 से
1966 के बीच ही 4-4 प्रधानमंत्रियों का गवाह बन चुका था। पंडित जवाहर लाल नेहरू, गुलजारी
लाल नंदा (दो बारा, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री
का पद संभाले हुए अभी पूरा एक साल भी नहीं गुज़रा था साथ ही इंदिरा गांधी को राजनीति
के लिहाज से कम अनुभवी माना जा रहा था और सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तत्कालीन प्रधानमंत्री
श्रीमती इंदिरा गांधी को अनुभवहीन साबित करने में लगे हुए थे। गुजरे वक्त में भी कांग्रेस
के भीतर इस तरह के मतभेद उठ चुके थे लेकिन इस बार मामला कुछ अलग ही था। दोनों गुट चाहते
थे कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में ताकत को आजमा ही लिया जाए। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष
एस निजलिंगप्पा ने सभी कांग्रेसी सांसद और विधायको को पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार
संजीव रेड्डी को वोट डालने का व्हिप जारी किया। उधर इंदिरा गांधी के समर्थक गुट ने
वी वी गिरी का छुपे तौर पर समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुलेआम अंतरात्मा
की आवाज पर वोट डालने को कहा। इसका मतलब यह था कि कांग्रेस के सांसद और विधायक अपनी
मनमर्जी से किसी भी उम्मीदवार को वोट डाल सकते थे। अतः वीवी गिरी स्वतंत्र उम्मीदवार
होते हुए भी विजयी हुए। जबकि संजीव रेड्डी कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार होते
हुए भी हार गए। कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की हार से पार्टी का टूटना तय
हो गया कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया। पार्टी
से निष्कासित प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी ही असली कांग्रेस है
और 1969 के नवंबर तक सिंडिकेट की अगुवाई वाले कांग्रेसी खेमे को कांग्रेस ऑर्गनाइजेशन,
और इंदिरा गांधी की अगुवाई वाले कांग्रेस खेमे को कांग्रेस रिक्वेस्ट कहा जाने लगा
था।
2. गैर-काँग्रेसवाद का अर्थ व प्रभाव समझाइए ।
उत्तर-
आजादी के बाद से ही कुछ समाजवादी नेताओं ने देश में गैर- कांग्रेसवाद का राजनैतिक माहौल
बनाने का प्रयास किया। वास्तव में, भारत विभिन्नताओं वाला एक विशाल देश था, जो आज भी
है। देश में सारा राजनीतिक माहोल और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी हुई स्थिति देश की दलगत
राजनीति से अलग-थलग नहीं रह सकती थी। विपक्षी दल जनविरोध की अगुआई कर रहे थे और सरकार
पर दबाव डाल रहे थे। कॉंग्रेस की विरोधी पार्टियों ने महसूस किया कि उसके वोट बंट जाने
के कारण ही कॉंग्रेस सत्तासीन है।
(ii)
राजनैतिक दल जो अपने कार्यक्रम अथवा विचारधाराओं के धरातल पर एक-दूसरे से अलग थे, सभी
दल एकजुट हुए और उन्होंने कुछ राज्यों में एक कॉंग्रेस विरोधी मोर्चा बनाया तथा अन्य
राज्यों में सीटों के मामले में चुनावी तालमेल किया। इन दलों को लगा कि इंदिरा गाँधी
की अनुभवहीनता और कांग्रेस की अंदरूनी मतभेद से उन्हें कॉंग्रेस को सत्ता से हटाने
का एक अवसर हाथ लगा है।
(iii)
समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इस रणनीति को गैर-काँग्रेसवाद का नाम दिया। उन्होंने
गैर-काँग्रेसवाद के पक्ष में सैद्धांतिक तर्क देते हुए कहा कि काँग्रेस का शासन अलोकतांत्रिक
और गरीब लोगों के हितों के खिलाफ है। इसलिए गैर-कांग्रेसी दलों का एक साथ आना जरूरी
है, ताकि गरीबों के हित में लोकतंत्र को वापस लाया जा सके।
गैर-काँग्रेसवाद
का प्रभाव 1967 के आम चुनाव में यही हुआ कि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न उम्मीदवारों
में बँट जाने के बजाय एक ही उम्मीदवार को मिला जिससे कॉंग्रेस को सीटों व मतों के प्रतिशत
में भी गिरावट आ गई। इस चुनाव में कॉंग्रेस को 9 राज्यों में सरकारें खोनी पड़ी व केन्द्र
में भी काँग्रेस को केवल साधारण बहुमत ही प्राप्त हुआ।
3. कांग्रेस पार्टी किन मसलों को लेकर 1969 में टूट की शिकार हुई ?
उत्तर-
1967 के चुनावों के बाद केंद्र में कांग्रेस की सत्ता कायम रही, लेकिन पहले जैसा बहुमत
नहीं मिला। साथ ही अनेक राज्यों में इस पार्टी के हाथ से सत्ता जाती रही। सबसे महत्वपूर्ण
बात यह कि चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि कांग्रेस को चुनावों में हराया जा सकता
है। सिंडिकेट और इंदिरा गांधी के बीच की गुटबाजी 1969 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के
समय खुलकर सामने आ गई। तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण उस साल राष्ट्रपति
का पद खाली था। इंदिरा गाँधी की असहमति के बावजूद उस साल सिंडिकेट ने तत्कालीन लोकसभा
अध्यक्ष एन. संजीव रेड्डी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार
के रूप में खड़ा करवाने में सफलता पाई। एन. संजीव रेड्डी से इंदिरा गाँधी की बहुत दिनों
से राजनीतिक अनबन चली आ रही थी। ऐसे में इंदिरा गाँधी ने भी हार नहीं मानी। उन्होंने
तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि को बढ़ावा दिया कि वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के
रूप में राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन भरें। गुजरे वक्त में भी कांग्रेस के भीतर
इस तरह के मतभेद उठ चुके थे, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग ही था। दोनों गुट चाहते थे
कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में ताकत को आज़मा ही लिया जाए। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष
एस. निजलिंगप्पा ने व्हिप जारी किया कि सभी कांग्रेसी सांसद और विधायक पार्टी के आधिकारिक
उम्मीदवार संजीव रेड्डी को वोट डाले। उधर प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी ने वी.वी. गिरी
का छुपे तौर पर समर्थन करते हुए अंतरात्मा की आवाज पर वोट डालने को कहा। अंततः राष्ट्रपति
चुनाव में वी.वी. गिरि ही विजयी हुए। कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की हार
से पार्टी का टूटना तय हो गया। पुरानी कांग्रेस तथा नयी कांग्रेस दो दल बन गए। इंदिरा
गाँधी ने पार्टी की इस टूट को विचारधाराओं की लड़ाई के रूप में पेश किया और इस टूट
का असर 1971 की आम चुनाव में भी दिखा।
4. प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद राजनीतिक उत्तराधिकार
का वर्णन करें।
उत्तर-
आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने। जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
के कद्दावर नेता भी थे और पहले से ही उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का समर्थन भी
प्राप्त था। उन्होंने 1947 से 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भारत
को आगे ले जाने का प्रयास किया। लेकिन मई 1964 में उनकी मृत्यु के बाद यह प्रश्न उठने
लगा कि नेहरू के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।
पंडित
नेहरू की मृत्यु के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा को बनाया गया। उस
समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामराज थे। अब उत्तराधिकार का
सारा दारोमदार कमराज पर था क्योंकि प्रधानमंत्री पद के लिए मोरारजी देसाई और जगजीवन
राम खुलकर मैदान में आ गए थे। उधर कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा भी प्रधानमंत्री
पद के लिए अपनी इच्छा व्यक्त कर दी थी। जनवरी 1964 में जब नेहरू जी गंभीर बीमारी में
पड़े हुए थे तब उन्होंने जयप्रकाश नारायण से संपर्क साधने की प्रयास किया था। लेकिन
जयप्रकाश नारायण ने सक्रिय राजनीति में आने से साफ मना कर दिया। तब नेहरू जी ने अपना
विश्वासी और करीबी व्यक्ति लाल बहादुर शास्त्री की ओर संकेत किया था।
अतः जब उत्तराधिकार का संघर्ष चल रहा था तो पार्टी अध्यक्ष के कामराज ने पंडित नेहरू के संकेत का मान रखते हुए लाल बहादुर शास्त्री के पक्ष को मजबूत किया। अनौपचारिक रूप से मोरारजी देसाई और लाल बहादुर शास्त्री के बीच मुकाबला हुआ जिसमें लाल बहादुर शास्त्री को बहुमत प्राप्त हुआ अतः शास्त्री जी ने पंडित नेहरू जी के उत्तराधिकार के रूप में प्रधानमंत्री पद को संभाल लिया। शास्त्री जी ने जून 1964 से जनवरी 1966 तक भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में लगभग 18 महीना तक कार्यरत रहे। उनके शासनकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे पूर्व 1962 का भारत चीन युद्ध में भारत हार चुका था। शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से भारत के लिए उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। अतः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान एवं भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ताशकंद में एक समझौता के तहत जनवरी 1966 में हस्ताक्षर कर इस युद्ध का अंत किया। इसे ताशकंद समझौता के नाम से जाना जाता है। ताशकंद समझौता में हस्ताक्षर होने के पश्चात 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थिति में उनकी मृत्यु हो गई। एक ईमानदार सादगी पूर्ण एवं उच्च कोटि की नेतृत्व प्रदान करने वाले महान व्यक्ति भारत ने सदा के लिए खो दिया। उनकी सादगी देशभक्ति और ईमानदारी के लिए मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
भाग 1 ( समकालीन विश्व राजनीति) | |
भाग 2 (स्वतंत्र भारत में राजनीति ) | |