Class 12 Political Science अध्याय-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Political Science अध्याय-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा Question Bank-Cum-Answer Book

 Class 12 Political Science अध्याय-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा Question Bank-Cum-Answer Book


प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Political Science

अध्याय-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में किस व्यवस्था को स्थान दिया गया है?

A. सत्ता का सन्तुलन

B. शान्ति निर्माण

C. शान्ति स्थापना

D. सामूहिक सुरक्षा

2. दो महाशक्तियों की भूमिका ने कौन-सी स्थिति पैदा की जिससे तीसरा महायुद्ध घटित न हो सका?

A. सत्ता का सन्तुलन

B. शीत युद्ध

C. आतंक का सन्तुलन

D. तनाव शैथिल्य

3. किस सन्धि ने परमाणु परीक्षणों को पूर्णतया वर्जित किया?

A. परमाणु अप्रसारण सन्धि

B. पाक्षिक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि

C. व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि

D. दक्षिण-पूर्व एशियाई परमाणु शस्त्रों से मुक्त क्षेत्र संधि

4. शान्ति हेतु एकजुट हो जाओ योजना का प्रस्तावक कौन था?

A. डीन अचेसन

B. ए. ग्रोमाइको

C. एन्थोनी एडिन

D. मार्शल टीटो

5. नव-उपनिवेशवाद पदबन्ध किसने गढ़ा ?

A. मिस्र के कर्नल नासिर

B. भारत के जवाहरलाल नेहरू

C. धाना के क्वामे नक्रमा

D. चीन के माओ जेदुग

6. निःशस्त्रीकरण आयोग की गठन कब हुई?

A. 1945 में

B. 1952 में

C. 1960 में

D. 1965 मे

7. नक्षत्र युद्ध कार्यक्रम किस देश ने बनाया?

A. संयुक्त राज्य अमरीका

B. सोवियत संघ

C. चीन

D. अमरीका व सोवियत संघ

8. शान्ति-निर्माण की विधि का प्रयोग सबसे पहले कहाँ हुआ?

A. खाड़ी युद्ध में

B. कोरिया के युद्ध में

C. कांगो के गृह युद्ध में

D. इराक युद्ध में

9. निम्नलिखित में से नाटो का सदस्य देश कौन सा नहीं है?

A. भारत

B. ब्रिटेन

C. अमेरिका

D. पोलैंड

10. कितने देशों द्वारा जैविक हथियार समझौते (बी.डब्ल्यू.सी.) पर हस्ताक्षर किए गए?

A. 150

B. 152

C. 154

D. 155

11. किसने कहा था हम संयुक्त राष्ट्र के बिना आधुनिक विश्व की कल्पना नहीं कर सकते हैं।

A. जवाहर लाल नेहरू

B. इन्दिरा गाँधी

C. चन्द्रशेखर

D. इन्द्र कुमार गुजराल

12. शीतयुद्ध कब आरंभ हुआ?

A. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद

B. राष्ट्रसंघ के निर्माण होते ही

C. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद

D. इनमें से कोई नहीं

13. सुरक्षा धारणा के तहत रासायनिक हथियार संधि कब हुए?

A. 1992 में

B. 1993 में

C. 1995 में

D. 1991 में

14. मानवता की रक्षा का व्यापक अर्थ है

A. युद्ध से मुक्ति

B. अभाव से मुक्ति

C. भय से मुक्ति

D. अभाव और भय से मुक्ति

15. सुरक्षा धारणा के तहत जैविक हथियार संधि किस वर्ष सम्पन्न हुई?

A. सन् 1970 में

B. सन् 1972 में

C. सन् 1975 में

D. सन् 1980 में

16. विश्व राजनीति में प्रत्येक देश की सुरक्षा का दायित्व व्यावहारिक रूप से किसे करना पड़ता है?

A. संयुक्त राष्ट्र संघ

B. स्वयं प्रत्येक देश

C. सुरक्षा परिषद्

D. इनमें से कोई नहीं

17. सुरक्षा का क्या अर्थ है ?

A. खतरे से मुक्त रहना

B. खतरा मंडराना 

C. दूसरों का सहयोग करना

D. इनमें से कोई नहीं

18. किसी भी युद्ध में नुकसान होता है।

A. सिर्फ सैनिकों का

B. स्त्री-पुरुषों को

C. सैनिक एवं जान-माल का

D. इनमें से कोई नहीं

19. वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर' पर आतंकवादियों ने कब हमला किया ?

A. 11 अक्टूबर 2000

B. 10 नवम्बर 2001

C. 11 सितम्बर 2001

D. इनमें से कोई नहीं

20. सुरक्षा परिषद् में कुल कितने सदस्य होते हैं?

A. 5

B. 8

C. 12

D. 15

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1. निःशस्त्रीकरण का क्या अर्थ है?

उत्तर- निःशस्त्रीकरण का मतलब होता है बनाए गए शस्त्रों को कम करना। इसके अंदर दो या दो से ज्यादा देशों के बीच बातचीत के द्वारा ऐसे हथियारों को खत्म करने का फैसला लिया जाता है जो कि भविष्य में जाकर उन दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

प्रश्न 2. आंतरिक सुरक्षा क्या है?

उत्तर - आंतरिक सुरक्षा के अंदर उन सभी खतरों को शामिल किया जाता है जो एक देश की सीमा के अंदर होते हैं यानी की उसी के यहां रहने वाले लोगों से इसके अंदर जातिवाद की वजह से होने वाले दंगे गृहयुद्ध या इसी तरह के अन्य खतरों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3. नवस्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की क्या चुनौती थी?

उत्तर-

1. इन देशों के आंतरिक भागों में अलगाववादी आंदोलन चल रहे थे। ऐसे में देश का बंटवारे का भय था।

2. इन देशों को यह भी डर था कि कोई अन्य देश इन अलगाववादी आंदोलनों को समर्थन ना दे दे क्योंकि फिर पड़ोसी देश के साथ संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष नव स्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती थी।

प्रश्न 4. भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने की क्या उद्देश्य हैं?

उत्तर- भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने के पीछे मुख्य उद्देश्य अपने दुश्मनों से अपने क्षेत्र की रक्षा करना था जो परमाणु तकनीकी रूप से समृद्ध देश भी हैं।

प्रश्न 5. क्षेत्रीय आतंकवाद क्या है?

उत्तर- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश उड़ीसा और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्र में फैला नक्सलवाद क्षेत्रीय आतंकवाद कहलाता है। यह मुख्य रूप से गरीब और आदिवासियों से संबंधित है और यह जमींदारों का विरोध करता है।

प्रश्न 6. शक्ति संतुलन का क्या महत्व है?

उत्तर-

1. प्रत्येक देश के आसपास कोई न कोई शक्तिशाली देश होता है और उससे हमले की आशंका बनी रहती है। इसलिए प्रत्येक देश कि सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील होती है।

2. प्रत्येक देश शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करने का प्रयास करती है ताकि उसकी स्थिति मजबूत बनी रहे ।

प्रश्न 7. एंटी बेलेस्टिक मिसाइल संधि क्या है?

उत्तर-

1. यह संधि 1972 में हुई थी। इसके अंतर्गत अमेरिका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

2. संधि में दोनों देशों को सीमित संख्या में ऐसी रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति थी लेकिन इस संधि ने दोनों देशों को ऐसी रक्षा प्रणाली के व्यापक उत्पादन पर रोक लगा दी।

प्रश्न 8. आतंकवाद क्या है? इसके कुछ उदाहरण दीजिए।

उत्तर-

1. आतंकवाद का आशय उस राजनीतिक हिंसा से है जो जानबूझकर और बिना किसी सहानुभूति के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है।

2. उदाहरण विमान अपहरण अथवा भीड़ भाड़ भरी जगहों में जैसे रेलगाड़ी होटल बाजार या ऐसे स्थानों पर बम लगाना।

अमेरिका में 9/11 की घटना भी इसी का उदाहरण है।

प्रश्न 9. क्योटो प्रोटोकॉल क्या है?

उत्तर-

1. 1997 में क्योटो प्रोटोकोल पर भारत सहित कई राष्ट्रों के हस्ताक्षर हुए। इसमें वैश्विक ताप वृद्धि पर काबू रखने के लिए ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के संबंध में दिशा निर्देश बताए गए हैं।

2. सहयोग मुलक सुरक्षा की पहल करने के कदम के समर्थन में भारत ने अपनी सेना संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति बहाली के मिशन में भेजी है।

प्रश्न 10. अपरोध का क्या अर्थ है?

उत्तर- युद्ध में कोई देश भले ही आत्मसमर्पण कर दे परंतु वह इससे अपने देश की नीति के रूप में फैलाना नहीं चाहती है इसलिए सुरक्षा की नीति का एक प्रमुख उद्देश्य युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिससे अपरोध कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा या राष्ट्रीय सुरक्षा को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सुरक्षा की पारंपरिक धारणा या राष्ट्रीय सुरक्षा-

1. पारंपरिक अवधारणा में किसी राष्ट्र को सबसे बड़ा खतरा सेना से होता है।

2. इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा राष्ट्र होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है।

3. सैनिक कार्रवाई से आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। सैनिक कार्रवाई में सैनिकों के साथ नागरिक भी मारे जाते हैं।

4. युद्ध में निहत्थे स्त्री-पुरुषों को निशाना बनाया जाता हैं।

5. इसमें नागरिकों और उनकी सरकार के साहस को तोड़ने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्न 2. परम्परागत सुरक्षा नीति के तत्वों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तरः परम्परागत सुरक्षा नीति के तत्त्वः

1. आत्मसमर्पण-परम्परागत सुरक्षा नीति का प्रथम तत्व आत्मसमर्पण है। इसमें विरोधी पक्ष की बात बिना युद्ध किए मान लेना अथवा युद्ध से होने वाले नाश को बढ़ा चढ़ाकर संकेत देना ताकि दूसरा पक्ष डर जाए और आक्रमण न करे। युद्ध होने पर उसे पराजित करना।

2. शक्ति संतुलन परम्परागत सुरक्षा नीति का दूसरा तत्व शक्ति संतुलन है। इसके अंतर्गत किसी को अपनी शक्ति को विरोधी ताकतवर देश के बराबर करनी होती है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है।

3. सैन्य शक्ति में वृद्धि शक्ति संतुलन के लिए किसी देश को अपनी सैन्य शक्ति बढ़ानी होती है। इसका आधार आर्थिक और प्रोद्योगिकी ताकत है।

4. गठबंधन निर्माण पारंपरिक सुरक्षा नीति का चौथा तत्त्व गठबंधन है। इसके अंदर कई देश होते हैं जो सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए एक साथ कदम उठाते हैं।

प्रश्न 3. शक्ति संतुलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तरः शक्ति संतुलन का महत्त्व-

1. सुरक्षा नीति का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व शक्ति संतुलन है। इसके अंतर्गत किसी देश को अपनी शक्ति को विरोधी ताकतवर देश के बराबर करना होता है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है।

2. यदि कोई देश ऐसा नहीं करता है कि ताकतवर देश उसके ऊपर आक्रमण कर सकता है। और उसको विनाश की ओर ले जा सकता है।

3. शक्ति संतुलन के प्रति सभी सरकारें संवेदनशील होती है। कोई भी सरकार दूसरे देशों से शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के लिए जी तोड़ कोशिश करती है।

4. पड़ोसी, शत्रु या जिन देशों के साथ अतीत में लड़ाई हो चुकी हो, उनके साथ शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने पर विशेष जोर दिया जाता है।

5. शक्ति संतुलन बनाये रखने के लिए गठबंधन स्थापित करना जरूरी हो गया है। पूर्व सोवियत संघ और अमरीका के गठबंधन के कारण विश्व में शक्ति संतुलन कायम था।

प्रश्न 4. किसी देश के लिए आतंरिक सुरक्षा क्यों जरूरी है? अथवा पारंपरिक अवधारणा की आंतरिक सुरक्षा के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा की आवश्यकता-

1. प्रत्येक देश के लिए आंतरिक शांति और कानून व्यवस्था अति आवश्यक है। आंतरिक शांति के अभाव में बाहरी आक्रमणों का सामना नहीं किया जा सकता।

2. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् इस पर जोर नहीं दिया गया। वस्तुतः इसका कारण यह था कि ताकतवर देशों में लगभग आंतरिक शासन स्थापित था।

3. 1945 के पश्चात् संयुक्त राज्य अमरीका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अंदर एकीकृत और शांति संपन्न हैं।

4. अधिकांश यूरोपीय देशों विशेष रूप से पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गों से कोई गंभीर खतरा नहीं था इसलिए इन देशों ने सीमा पार के खतरों पर ध्यान दिया।

5. कुछ यूरोपीय देशों को अपने उपनिवेशों में जनता से हिंसा का भय था क्योंकि अब ये लोग आजादी चाहते थे।

प्रश्न 5. नव स्वतंत्र देशों की सुरक्षा के क्या खतरे हैं?

उत्तरः नव स्वतंत्र देशों को सुरक्षा के खतरे:

1. इन देशों को बढ़ते शीतयुद्ध से डर था क्योंकि कुछ नवस्वतंत्र देश यूरोपीय शक्तियों के समान शीतकालीन गुटों में किसी न किसी के सदस्य बन गये थे।

2. दूसरे गुटों में जाने वाले अपने पड़ोसी देश अथवा दूसरे गुट के नेता (अमरीका या सोवियत संघ) से शत्रुता मोल लेना था।

3. अमरीका अथवा सोवियत संघ के किसी साथी देश से शत्रुता ठाननी थी। वस्तुतः द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जितने युद्ध हुए उसमें एक तिहाई युद्धों के लिए शीतयुद्ध जिम्मेदार रहा।

4. नव स्वतंत्र देशों को उसके यूरोपीय ओपनिवेशिक शासकों के आक्रमण का भय था। ऐसे में इन देशों को एक साम्राज्यवादी युद्ध से अपनी रक्षा के लिए तैयारी करनी पड़ी।

5. नवस्वतंत्र देशों में आंतरिक सैन्य संघर्ष भी चल रहा था। अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहे

प्रश्न 6. सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन-कौन से हैं?

उत्तरः सुरक्षा के पारंपरिक तरीके:

1. किसी देश को युद्ध उचित कारणों या आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए करना चाहिए।

2. युद्ध में युद्ध साधनों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए।

3. आक्रमक सेना को चाहिए कि वह युद्ध न करने वाले शत्रु, निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु पर आक्रमण न करे।

4. सेना को उतने ही बल का प्रयोग करना चाहिए। जितना एक सीमा तक आवश्यक हो और उसे एक सीमा तक ही हिंसा का सहारा लेना चाहिए।

5. बल प्रयोग तभी करना चाहिए जब अन्य सभी उपाय असफल हो गये हों।

प्रश्न 7. सुरक्षा की परम्परागत धारणा में राष्ट्रों में किस प्रकार का आपसी सहयोग होना चाहिए।

उत्तरः राष्ट्रों में आपसी सहयोग-

1. राष्ट्रों में आपसी सहयोग निरस्तीकरण अस्त नियंत्रण तथा विश्वास की बहाली में होना चाहिए।

2. निरस्त्रीकरण के अंतर्गत सभी राज्य चाहे उनका आकार, ताकत और प्रभाव कुछ हो कुछ खास किस्म के हथियारों का निर्माण नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए जैविक और रासायनिक हथियार ।

3. अस्त्र नियंत्रण के अंतर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको हासिल करने के संबंध में कुछ नियमों कानूनों का पालन करना चाहिए।

4. सुरक्षा को पारंपरिक धारणा में विश्वास की बहाली भी महत्त्वपूर्ण है। विश्वास बहाली की प्रक्रिया में सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान का निर्णय करते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 भारत की सुरक्षा रणनीति क्या है ? व्याख्या करें।

उत्तरः- भारत की सुरक्षा नीति के घटक- भारत ऐसा देश है जो दोनों प्रकार पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों का सामना कर रहा है। ये खतरे सीमा के अंदर और बाहर दोनों ओर से हैं। भारत की सुरक्षा नीति के चार घटक हैं जो निम्नलिखित हैं-

1. सैन्य क्षमता

2. अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करना

3. देश की अंदरूनी सुरक्षा समस्यायें

4. गरीबी और अभाव से छुटकारा

1. सैन्य क्षमता:-

पड़ोसी देशों के हमलों से बचने के लिए भारत को अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना जरूरी है। भारत पर पाकिस्तान के कई आक्रमण हुए हैं। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में उसके चारों और परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है, इसलिए भारत ने 1974 और 1998 में परमाणु परीक्षण किया था।

2. अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करना:-

भारत ने अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करने में सहयोग दिया है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एशियाई एकता, अनोपनिवेशीकरण और निरस्त्रीकरण के प्रयासों का समर्थन किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ को अंतिम मंच मानने पर जोर दिया। उसका मानना है कि हथियारों और परमाणु शस्त्रों की दृष्टि से सभी देशों को समान अधिकार होना चाहिए। भारत ने नव-अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग उठाई।

3. देश के अंदरूनी सुरक्षा समस्यायें:-

भारत की नीति का तीसरा महत्वपूर्ण घटक देश के अंदरूनी सुरक्षा समस्याओं से निपटने की तैयारी है। भारत के कई राज्यों नागालैंड, मिजोरम, पंजाब और कश्मीर आदि राज्यों में अलगाववादी संगठन सक्रिय रहे हैं। इसलिए भारत ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का प्रयास किया है। उसने देश में लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था का पालन किया है। उसने सभी समुदाय के लोगों और जनसमूह को अपनी शिकायतें रखने का मौका दिया है।

4. गरीबी और अभाव से छुटकारा:-

भारत ने ऐसी व्यवस्थायें करने का प्रयास किया है। जिससे बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से छुटकारा मिल सके तथा नागरिकों के मध्य आर्थिक असमानता समाप्त हो सके।

प्रश्न 2. तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने मौजूद खतरों में क्या अंतर है?

उत्तर- तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने खतरों में काफी अंतर विद्यमान है, जो निम्न हैं-.

(A) तीसरी दुनिया का अर्थ है विकासशील देशों से है, जिसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के देश शामिल हैं विकसित देशों में अमरीका, यूरोपीय देश एवं उत्तरी ध्रुव के देश सम्मिलित हैं। उत्तरी गोलार्ध के देशों को विकसित तथा दक्षिणी गोलार्ध के देशों को अविकसित या तीसरी दुनिया के देश कहा जाता हैं।

(B) तीसरी दुनिया के सामने बाहरी तथा आंतरिक खतरे विद्यमान हैं, जबकि विकसित देशों के सामने ये खतरे न के बराबर हैं।

तीसरी दुनिया के सामने बेरोजगारी, भुखमरी, महामारी जैसे समस्याएँ हैं, जबकि विकसित देशों ने कुछसीमा तक इन पर नियंत्रण कायम कर लिया है।

(C) विकासशील या तीसरी दुनिया के देशों के सामने सुरक्षा का प्रश्न मुख्य चुनौती के रूप में विद्यमान है जो विकसित देशों के सामने नहीं है।

(D) तीसरी दुनिया की जनता के सामने अप्रवासी और शरणार्थियों की समस्या विद्यमान है। यह विकसित देशों में न के बराबर है।

(E) तीसरी दुनिया के देशों के सामने आतंकवाद का एक प्रमुख खतरा विद्यमान हैं। यह विकसित देशों को भी चनौती दे रहा हैं।

नरसंहार, रक्तपात, गृहयुद्ध तीसरी दुनिया के देशों की मुख्य समस्याएँ है, जो विकसित देशों में कम हैं।

प्रश्न 3. शक्ति संतुलन क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता है?

उत्तर- शक्ति संतुलन का अर्थ है, कोई भी एक पक्ष या राज्य इतना बलशाली न हो कि वह अन्य राज्यों पर हावी हो जाए या दूसरे पर हमला करने, उसे दबाने या हराने में समर्थ हो। जिस तरह एक तुला के दो पलड़े समान भार होने पर संतुलित बने रहते हैं, वही स्थिति अलग-अलग राज्यों के मध्य होती है। यदि कोई देश अन्य देशों की तुलना में ज़्यादा शक्तिशाली होता है तो वह अन्य देशों के लिए संकट और चिंता का विषय बन सकता है।

शक्ति संतुलन के अंतर्गत अनेक राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधो को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं।

क्लॉड के अनुसार, "शक्ति संतुलन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न स्वतंत्र राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधों को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं। इस प्रकार यह एक विकेंद्रित व्यवस्था हैं, जिसमें शक्ति व नीति निर्णायक इकाइयों के हाथों में ही रहती हैं।"

शक्ति संतुलन कायम रखने के उपाय-

(क) शक्ति संतुलन को कायम रखने के लिए सैन्य शक्ति में लगातार वृद्धि होते रहनी चाहिए।

(ख) शक्ति संतुलन के लिए आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत होने चाहिए, तभी शक्ति संतुलन कायम रह पाएगा।

(ग) शत्रु देश की शक्ति को कम करने के लिए अनेक उपाय करने चाहिए, जैसे शत्रु देश के मित्र देशों की संख्या कम करना।

(घ) शस्त्रीकरण भी शक्ति संतुलन का एक जरिया है। शक्ति संतुलन द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात विश्व में बना हुआ था, जैसे अमरीका व सोवियत संघ दोनों शक्तिशाली विरोधी देश थे। यदि शक्ति संतुलन न होता तो तृतीय विश्व युद्ध हो सकता था। यह संतुलन 1945 से 1990 तक बना रहा।

प्रश्न 4. सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का नाम बताइए जो अभी मौजूद है? इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएँ ।

उत्तर- सैन्य गठबंधन में कई देश सम्मिलित होते हैं। सैन्य गठबंधन हमले को रोकने, हमला करने और रक्षा के उद्देश्य को लेकर बनाए जाते हैं। सैन्य गठबंधन बनाकर एक विशेष क्षेत्र में सैन्य शक्ति संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में नाटो (NATO) नाम का एक सैन्य गठबंधन मौजूद हैं। सैन्य गठबंधनों का निर्माण अनेक देशों के माध्यम से अपने किसी विशेष क्षेत्र के लिए किया गया था, जैसे- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका के नेतृत्व में नाटो, सोवियत संघ के नेतृत्व में वारसा पैक्ट तथा यूरोपीय देशों व अमरीका ने मिलकर सिएटो की स्थापना की।

नाटो एक गैर साम्यवादी सैन्य गठबंधन है। नाटो में सबसे शक्तिशाली तथा केंद्रीय शक्ति अमरीका रहा है। नाटों की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को की गई थी। अमरीका ने सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नाटों की स्थापना की। इसमें मुख्यतः अमरीका व यूरोपीय देश शामिल थे।

नाटो के उद्देश्य निम्न थे-

(a) यूरोप पर आक्रमण के समय अवरोधक की भूमिका अदा करना।

(b) सैन्य और आर्थिक विकास के लिए यूरोपीय राष्ट्रों के लिए कोई एक सुरक्षा छतरी बनना ।

(c) भूतपूर्व सोवियत संघ के साथ संभावित युद्ध के लिए लोगों को, विशेषकर अमरीका के लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना ।

(d) नाटो का प्रमुख औचित्य यूरोप की प्रतिरक्षा को सुदृढ़ करना है।

5. भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए- पारंपरिक या अपारंपरिक अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन-से उदाहरण देंगें?

उत्तर- भारतीय परिदृश्य को देखते हुए भारत को पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह की सुरक्षा को वरीयता देनी चाहिए। भारत न तो सैनिक दृष्टि से सुरक्षित हैं और न ही अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों से। भारत के दो पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं जो भारत पर कभी भी हमला कर सकते हैं। हमले के अलावा भारत-चीन, भारत- पाकिस्तान सीमाओं पर लगातार विवाद बना हुआ है, जिससे आत्मरक्षा के लिए भारत के पास सैनिक शक्ति व परमाणु हथियारों का होना महत्वपूर्ण हैं। इसलिए भारत द्वारा पारंपरिक सुरक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए।

भारत अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों से परे नहीं है। पर्यावरण संरक्षण, गरीबी, आतंकवाद, ओजोन परत में छेद ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, सूखा, सभी देशों की समस्याएँ हैं, भारत भी उनमें से एक है। इन खतरों से जूझना भारत के लिए उतना ही जरूरी है, जितना सैनिक खतरों से। इसी कारण भारत को पारंपरिक सुरक्षा के साथ ही अपारंपरिक सुरक्षा को भी वरीयता देनी चाहिए।



JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग 1 ( समकालीन विश्व राजनीति)

अध्याय - 01

शीत युद्ध का दौर

अध्याय - 02

दो ध्रुवीयता का अंत

अध्याय - 03

समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

अध्याय - 04

सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र

अध्याय - 05

समकालीन दक्षिण एशिया

अध्याय - 06

अंतर्राष्ट्रीय संगठन

अध्याय - 07

समकालीन विश्व में सुरक्षा

अध्याय - 08

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

अध्याय - 09

वैश्वीकरण

भाग 2 (स्वतंत्र भारत में राजनीति )

अध्याय - 01

राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

अध्याय 02

एक दल के प्रभुत्व का दौर

अध्याय - 03

नियोजित विकास की राजनीति

अध्याय - 04

भारत के विदेश संबंध

अध्याय - 05

कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

अध्याय - 06

लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

अध्याय - 07

जन आंदोलनों का उदय

अध्याय - 08

क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

अध्याय - 09

भारतीय राजनीति नए बदलाव

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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