Class 11 Geography 10. वायुमंडल में जल (Water in The Atmosphere)

Class 11 Geography 10. वायुमंडल में जल (Water in The Atmosphere)

  Class 11 Geography 10. वायुमंडल में जल (Water in The Atmosphere)

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

भूगोल (Geography)

10. वायुमंडल में जल (Water in The Atmosphere)

पाठ के मुख्य बिंदु 

वायुमंडल के आयतन में 0 से लेकर 4 प्रतिशत तक की भिन्नता पाई जाती है। मौसम की परिघटना में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। जल वायुमंडल में तीन अवस्थाओं गैस, द्रव तथा ठोस के रूप में उपस्थित होता है।

हवा में मौजूद जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं।

निरपेक्ष आर्द्रता :- वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहा जाता है एवं इसे ग्राम प्रति घन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है।

सापेक्ष आर्द्रता :- दिए गये तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। यह महासागरो के ऊपर सबसे अधिक तथा महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है।

संतृप्त हवा :- एक निश्चित तापमान पर जलवाष्प से पूरी तरह पूरित हवा को संतृप्त कहा जाता है।

ओसांक :- हवा के दिए गये प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्ता आती है, उसे ओसांक कहते हैं।

वाष्पीकरण तथा संघनन

वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जल द्रव से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता है। वाष्पीकरण का मुख्य कारण ताप है, जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरु करता है. उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहा जाता है।

हवा की गति जितनी तीव्र होगी वाष्पीकरण उतना ही तीव्र होगा क्योंकि हवा की गति संतृप्त परत को असंतृप्त परत के द्वारा हटा देती है।

संघनन :- जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है। जब आर्द्र हवा ठंडी होती है, तब उसमे जलवाष्प को धारण रखने की क्षमता समाप्त हो जाती है तब अतिरिक्त जलवाष्प द्रव में संघनित हो जाता है और जब यह सीधे ठोस रूप में परिवर्तित होते हैं, तो इसे उर्ध्वपातन कहते हैं।

संघनन केन्द्रक :- स्वतंत्र हवा में, छोटे-छोटे कणों के चारो ओर ठंडा होने के कारण संघनन होता है, तब इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केन्द्रक कहा जाता है।

विशेषकर धूल, धुआँ तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केन्द्रक होते हैं, क्योंकि वे पानी को अवशोषित करते हैं।

संघनन हवा के आयतन, ताप, दाब तथा आर्द्रता से प्रभावित होता है। संघनन तब होता है जब

(1) वायु का आयतन नियत हो एवं तापमान ओसांक तक गिर जाए।

(2) वायु का आयतन तथा तापमान दोनों ही कम हो जाये

(3) वाष्पीकरण द्वारा वायु में और अधिक जल-वाष्प प्रविष्ट हो जाए। हवा के तापमान में कमी संघनन के लिए सबसे अच्छी अवस्था है।

संघनन तब होता है, जब ओसांक जमाव बिंदू से नीचे होता है तथा तब भी संभव है जब ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर होता है।

ओस 

जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केन्द्रको पर संघनित होकर ठोस वस्तू जैसे पत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों की ठंडी सतहों पर पानी की बूंदों के रूप में जमा होती है, तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है। इसके बनने के लिए सबसे उपयुक्त अवस्थाएं साफ आकाश, शांत हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठंडी एवं लम्बी रातें हैं। ओस के बनने के लिए यह आवश्यक है, ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर हो।

तुषार

तुषार ठंडी सतहों पर बनता है, जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु (0 डिग्री से.) से नीचे चले जाने पर होता है, अर्थात ओसांक जमाव बिंदु पर या उसके नीचे होता है।

कोहरा एवं कुहासा 

कोहरा एक बादल है, जिसका आधार सतह पर या सतह के बहत नजदीक होता है। कोहरा तथा कुहासा के कारण दृश्यता कम से शून्य तक हो जाती है। नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों में धुएँ की अधिकता के कारण केन्द्रको की मात्रा की भी अधिकता होती है, जो कोहरे और कुहासे के बनने में मदद देती है। ऐसी स्थिति को, जिसमे कोहरा तथा धुआँ सम्मिलित रूप से बनते है, धूम्र कोहरा कहते हैं। कुहासे एवं कोहरे में केवल इतना अंतर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है। कुहासा पहाड़ों पर अधिक पाया जाता है, क्योंकि ऊपर उठती हुई गर्म हवा ढाल पर ठंडी सतह के संपर्क में आती हैं। कोहरे, कुहासे की अपेक्षा अधिक शुष्क होते हैं तथा जहाँ गर्म हवाँ की धारा ठंडी हवा के संपर्क में आती है, वहाँ ये प्रबल होते हैं।

बादल

बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होता है, जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। इनकी ऊंचाई विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है-

1. पक्षाभ बादल

2. कपासी बादल

3. स्तरी बादल

4. वर्षा बादल

1. पक्षाभ बादल इसका निर्माण 8000-12000 मी. की ऊँचाई पर होता है। ये पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं, जो पंख के समान प्रतीत होते हैं। ये बादल हमेशा सफ़ेद रंग के होते हैं।

2. कपासी बादल यह बादल रुई के समान दिखते हैं। ये प्रायः 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर बनते हैं। ये छितरे तथा इधर-उधर बिखरे होते हैं।

3. स्तरी बादल ये परतदार बादल होते हैं, जो कि आकाश के बहुत बड़े भाग पर फैले रहते हैं। ये बादल सामान्यतः या तो ऊष्मा के हास या अलग- अलग तापमानो पर हवा के आपस में मिश्रित होने से बनते हैं।

4. वर्षा बादल वर्षा बादल काले या गहरे स्लेटी रंग के होते हैं। ये मध्य स्तरों या पृथ्वी के सतह के काफी नजदीक बनते हैं। ये बादल, सूर्य के किरणों के लिए बहुत ही अपारदर्शी होते हैं।

इन चार मूल रूपों के बादल मिलकर निम्नलिखित रूपों के बादल का निर्माण करते हैं :-

ऊँचे बादल- पक्षाभ, पक्षाभ स्तरी, पक्षाभ कपासी,

मध्य ऊँचाई के बादल- स्तरी मध्य तथा कपासी मध्य,

कम ऊँचाई के बादल- स्तरी कपासी, स्तरी वर्षा बादल एवं कपासी वर्षा बादल।

वर्षण :-

स्वतंत्र हवा में लगातार संघनन की प्रक्रिया संघनित कणों के आकार को बड़ा करने में मदद करती है। जब हवा का प्रतिरोध गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध उनको रोकने में असफल हो जाता है, तब ये पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं। इसलिए जलवाष्प के संघनन के बाद नमी के मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं। यह द्रव या ठोस अवस्था में हो सकता है।

वर्षण जब पानी के रूप में होता है तो उसे वर्षा कहा जाता है, जब तापमान 0° सेल्सियस से कम होता है, तब वर्षण हिमतुलों के रूप में होता है, जिसे हिमपात कहते हैं। नमी षट्कोणीय रवों के रूप में निर्मुक्त होती है। ये रवे हिमतुलों का निर्माण करते हैं।

वर्षा तथा हिमपात के अतिरिक्त वर्षण के दूसरे सहिम वृष्टि तथा करकापात हैं, यद्दपि करकापात काफी सीमित मात्रा में होता है एवं समय तथा क्षेत्र की दृष्टि से यदाकदा ही होता है। कभी-कभी वर्षा की बूँदै बादल से मुक्त होने के बाद बर्फ के छोटे गोलाकार ठोस टुकड़ो में परिवर्तित हो जाती है तथा पृथ्वी की सतह पर पहुँचती है, जिसे ओलापत्थर कहा जाता है।

वर्षा के प्रकार :-

उत्पति के आधार पर वर्षा को तीन प्रमुख प्रकारों में बाँटा जा सकता है- संवहनीय, पर्वतीय तथा चक्रवातीय।

संवहनीय :- हवा गर्म एवं हल्की होकर संवहन धाराओं के रूप में ऊपर की ओर उठती है, वायुमंडल की उपरी परत में पहुँचने के बाद यह फैलती है, परिणामस्वरूप संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी मेघों का निर्माण होता है। गरज तथा बिजली कड़कने के साथ मूसलाधार वर्षा होती है, किन्तु यह लम्बे समय तक नहीं रहती है। ये वर्षा गर्मियों व गर्म समय में प्रायः होती है।

पर्वतीय वर्षा :- जब संतृप्त वायु की संहति पर्वतीय ढाल पर आती है, तब यह उपर उठने के लिए बाध्य हो जाती है तथा जैसे ही यह ऊपर की ओर उठती है, यह फैलती है, तापमान गिर जाता है तथा आर्द्रता संघनित हो जाती है। इस प्रकार की वर्षा का मुख्य गुण है, कि पवनाभिमुख ढाल पर सबसे अधिक वर्षों होती है।

इस भाग में वर्षा होने के बाद ये हवाएँ दुसरे ढाल पर पहुँचती है, वे नीचे की ओर उतरती है तथा उनका तापमान बढ़ जाता है। तब उनकी आर्द्रता धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है एवं इस प्रकार, प्रतिपवन ढाल सूखे क्षेत्र, जिनमे कम वर्षा होती है, उसे वृष्टि छाया क्षेत्र कहा जाता है। यह पर्वतीय वर्षा के नाम से जानी जाती है।

चक्रवातीय वर्षा :-

यह वर्षा शीत प्रधान देशों में होती है। इसमें चक्रवातों से वर्षा होती है। चक्रवातों में वायु केंद्र की ओर तेजी से बढती है और ऊपर उठने लगती है। समुद्र से होकर आने के कारण यह वायु जलवाष्प से भरी होती है। अतः जब ठण्डी ध्रुवीय वायु इसके संपर्क में आती है तब बीच में एक प्रकार का वाताग्र प्रदेश बन जाता है, और वाष्पयुक्त गर्म वायु ठण्डी होकर वर्षा करती है, जिसे चक्रवातीय वर्षा कहते हैं। यह वर्षा मुसलाधार नहीं होती बल्कि सालोभर हल्की फुहारों के रूप में होती है। इस प्रकार की वर्षा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के क्षेत्रों में होती है। शीत ऋतू में उतर पश्चिम भारत में भी चक्रवातों से वर्षा होती है।

संसार में वर्षा का वितरण :- सामान्य तौर पर जब हम विषुवत वृत से ध्रुवों की तरफ जाते हैं, वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है। विश्व के तटीय क्षेत्रो में महाद्वीपों के भीतरी भागों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है, क्योंकि वहाँ पानी के स्रोत की अधिकता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है विषुवतवृत से 35 से 40° 3. एवं द. अक्षांशो के मध्य, पूर्वी तटों पर बहुत अधिक वर्षा तथा पश्चिम की तरफ यह घटती जाती है। लेकिन विषुवत वृत में 45° से 65° उ. एवं द. के बीच पछुआ पवनों के कारण सबसे पहले महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर वर्षा होती है तथा यह पूर्व की तरफ घटती जाती है।

वार्षिक वर्षण की कुल मात्रा के आधार पर विश्व की मुख्य वर्षण प्रवृति को निम्नलिखित रूपों में पहचाना जाता है :- विषुवतीय पट्टी, शीतोष्ण प्रदेशों में पश्चिमी तटीय किनारों के पास के पर्वतों के वायु की ढाल पर तथा मानसून वाले क्षेत्रो के तटीय भार्गो में वर्षा बहत अधिक होती है, जो प्रति वर्ष 200 से. मी. से ऊपर हाँती है। महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष 100 से 200 से. मी. वर्षा होती है। महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा मध्यम होती है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के केन्द्रीय भाग तथा शीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा 50 से 100 से. मी. प्रतिवर्ष तक होती है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. वायुमंडल में जल की कितनी अवस्थाएँ हैं?

a. एक

b. दो

c. तीन

d. चार

2. मौसम की परिघटनाओं में महत्वपूर्ण योगदान किसका होता है?

a. धूलकण

b. जलवाष्प

c. गैस

d. धुआं

3. वायुमंडल के आयतन में जलवाष्प का कितना अंश होता है?

a. 0 - 4 प्रतिशत

b. 4 - 6 प्रतिशत

c. 10 प्रतिशत

d. 5 - 10 प्रतिशत

4. वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को क्या कहा जाता है?

a. सापेक्ष आर्द्रता

b. निरपेक्ष आर्द्रता

c. ओसांक

d. गुप्त ऊष्मा

5. वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प के वास्तविक मात्रा को किससे मापा जाता है?

a. सेंटीमीटर

b. ग्राम प्रति घन मीटर

c. ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर

d. कोई नहीं

6. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है -

a. दिए गये तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं।

b. एक निश्चित तापमान पर जलवाष्प से पूरी तरह पूरित हवा को संतृप्त कहा जाता है।

c. दिए गये प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्त आती है, उसे ओसांक कहते हैं।

d. उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।

7. जलवाष्प का जल के रूप में बदलना क्या कहलाता है?

a. सघनन

b. संघनन की गुप्त ऊष्मा

c. वाष्पोत्सर्जन

d. उर्ध्वपातन

8. जलवाष्प द्रव में संघनित होकर, जब सीधे ठोस रूप में परिवर्तित होता है, तो क्या कहलाता है?

a. उर्ध्वपातन

b. ओसांक

c. संघनन

d. वाष्पीकरण

9. निम्नलिखित में से कौन-से बादल आकाश में सबसे ऊँचे होते हैं?

a. पक्षाभ बादल

c. स्तरी बादल

d. वर्षा बादल

10. पक्षाभ बादल की ऊँचाई कितनी होती है?

a. 4000-7000 मीटर

b. 8000-12000 मीटर

c. 5000-6000 मीटर

d. 10000 मीटर

11. "ये बादल काले या गहरे स्लेटी रंग के होते हैं। ये मध्य स्तरों या पृथ्वी के सतह के काफी नजदीक बनते हैं" क्या कहलाते हैं?

a. वर्षा मेघ

b. कपासी मेघ

c. स्तरी मेघ

d. स्तरी कपासी मेघ

12. निम्नलिखित में से कौन सही सुमेलित है :-

a. ऊँचे बादल-पक्षाभ, पक्षाभ स्तरी तथा पक्षाभ कपासी

b. मध्यम ऊँचाई के बादल-स्तरी कपासी, स्तरी वर्षा मेघ एवं कपासी वर्षा मेघ।

c. कम ऊँचाई के बादल-स्तरी मध्य तथा कपासी मध्य।

d. उपर्युक्त सभी

13. संवहनीय वर्षा के दौरान किस प्रकार के मेघ बनते हैं?

a. कपासी मेघ

b. वर्षा मेघ

c. स्तरी मेघ

d. स्तरी वर्षा मेघ

14. महाद्वीपों के आन्तरिक भाग पर कितनी होती है? प्रतिवर्ष वर्षा की मात्रा

a. 100 - 200 सेमी

b. 150 - 200 सेमी

c. 50 - 100 सेमी

d. 200 - 400 सेमी

15. मानव के लिए वायुमंडल का सबसे महत्वपूर्ण घटक निम्नलिखित में से कौन-सा है?

a. जलवाष्प

b. धूलकण

c. नाइट्रोजन

d. ऑक्सीजन

16. निम्नलिखित में से वह कौन-सी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा जल, द्रव से गैस में बदल जाता है?

a. संघनन

b. वाष्पीकरण

c. वाष्पोत्सर्जन

d. अवक्षेपण

17. निम्नलिखित में से कौन-सा वायु की उस दशा को दर्शाता है, जिसमे नमी उसकी पूरी क्षमता के अनुरूप होती है?

a. सापेक्ष आर्द्रता

b. निरपेक्ष आर्द्रता

c. विशिष्ट आर्द्रता

d. संतृप्त हवा

18. वर्षा की मात्रा निर्भर करती है :-

a. हवा के दबाव पर

b. वायुमंडल में नमी पर

c. जल चक्र पर

d. तापक्रम पर

19. निम्नलिखित में से कौन-सा बादल अत्यधिक तीव्र वर्षा के लिए उतरदायी होता है?

a. कपासी

b. कपासी वर्षा

c. वर्षा स्तरी

d. पक्षाभ स्तरी

20. निम्नलिखित में से किस बादल का रंग सफ़ेद होता है?

a. कपासी बादल

b. पक्षाभ बादल

c. वर्षा बादल

d. स्तरी बादल

21. ओस का निर्माण निम्नलिखित में से किस ऋतु में होती है?

a. वर्षा ऋतु

b. ग्रीष्म ऋतु

c. बसंत ऋतु

d. शीत ऋतु

22. धरातल के संपर्क में रहने रहने वाले सामान्यतः स्तरित मेघ को क्या कहा जाता है?

a. कुहरा

b. पाला

c. कुहासा

d. स्मोक / धुआँ

23. वृष्टिछाया प्रदेश किससे संबंधित है?

a. पर्वतीय वर्षा

b. चक्रवाती वर्षा

c. संवहनीय वर्षा

d. इनमें से सभी

24. निम्नलिखित में से तड़ित मेघ किसे कहा जाता है?

a. कपासी वर्षा

b. स्तरी कपासी

c. पक्षाभ स्तरी

d. पक्षाभ कपासी

25. दक्षिणी अमेरिका के अमेजन बेसिन में वर्षा होती है-

a. चक्रवातीय

b. संवाहनिक

c. मानसूनी

d. पर्वतीय

26. शांत वायु, लंबी रातें, स्वच्छ आकाश तथा वायुमंडल में पर्याप्त आर्द्रता होने पर कैसी स्थिति होती है?

a. कोहरा

b. धुंध

c. ओस

d. पाला

27. किस प्रकार के बादल के आने से सूर्य तथा चंद्रमा के चारों ओर प्रभामंडल बनते हैं?

a. पक्षाभ स्तरी बादल

b. वर्षा स्तरी बादल

c. पक्षाभ कपासी बादल

d. कपासी बादल

28. समान वर्षा वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा क्या कहलाती है?

a. आइसोबाथ

b. आइसोहाइट्स

c. आइसोबार

d. आइसोहेल

29. निम्नलिखित में से कौन जल चक्र का भाग नहीं है?

a. जलयोजन

b. संघनन

c. वाष्पीकरण

d. वर्षण

30. निम्नलिखित में से कौन-सा मेघ सर्वाधिक ऊँचाई पर पाया जाता है?

a. पक्षाभ मेघ

b. वर्षा मेघ

c. स्तरीय मेघ

d. कपासी मेघ

31. वर्षा का मापन क्या है?

a. मीटर

b. सेंटीमीटर

c. मील

d. किलोमीटर

32. हिमपात मुख्यतः किस क्षेत्र में होता है?

a. तटीय क्षेत्र

b. पठारी क्षेत्र

c. पर्वतीय क्षेत्र

d. मैदानी क्षेत्र

33. अम्लीय वर्षा किस कारण से होती है?

a. फैक्ट्री से निकले धुएं से

b. तापमान बढ़ने से

c. क्लोरोफ्लोरोकार्बन बढ़ने से

d. पेड़-पौधे काटने से

34. निम्नलिखित में से कौन-सी वर्षा चक्रवात के कारण होती है?

a. संवहनीय वर्षा

b. चक्रवातीय वर्षा

c. पर्वतीय वर्षा

d. इनमें से कोई नहीं

35. भूमध्य सागरीय वर्षा पेटी किन अक्षांशों के बीच स्थित है?

a. 30 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांश

b. 40 डिग्री से 50 डिग्री अक्षांश

c. 30 डिग्री से 45 डिग्री अक्षांश

d. 40 डिग्री से 60 डिग्री अक्षांश

36. शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्यतः किस प्रकार की वर्षा होती है?

a. पर्वतीय

b. संवाहनिक

c. चक्रवातीय

d. इनमें से कोई नहीं

37. वायुमंडलीय आर्द्रता का मापन किस यंत्र द्वारा जाता है?

a. हाइग्रोमीटर

b. हाइड्रोमीटर

c. ऑक्सीमीटर

d. बैरोमीटर

38. संवाहनिक प्रकार की वर्षा किन क्षेत्रों में होती है?

a. विषुवतीय क्षेत्रों में

b. शीतोष्ण क्षेत्र में

c. उपोषण क्षेत्र में

d. ध्रुवीय क्षेत्रों में

39. ओलावृष्टि का संबंध किसके साथ होता है?

a. पक्षाभ मेघों से

b. स्तरी मेघों से

c. भारी कपासी मेघों से

d. निम्न वर्षी मेघों से

40. संतृप्त वायु किस दशा में संतृप्त नहीं रहेगी?

a. तापमान के घटने बढ़ने पर

b. तापमान के घटने पर

c. तापमान के बढ़ने पर

d. तापमान के स्थिर रहने पर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. वायुमंडल में जल की तीन अवस्थाएं कौन-सी है?

उत्तरः वायुमंडल में जल की तीन अवस्थाएं ठोस, द्रव तथा गैस है

2. आर्द्रता किसे कहते हैं?

उत्तरः हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं।

3. निरपेक्ष आर्द्रता किसे कहते हैं?

उत्तरः वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं।

4. सापेक्ष आर्द्रता किसे कहा जाता है?

उत्तरः दिए गये तापमान में अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है।

5. वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा किसे कहते है?

उत्तरः वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जल द्रव से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता है। वाष्पीकरण का मुख्य कारण ताप है। जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरू करता है, उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

6. वर्षण के तीन प्रकारों के नाम लिखिए।

उत्तरः वर्षण के तीन प्रकार निम्नलिखित हैं :-

a. वर्षा b. हिमपात और c. सहिम वृष्टि तथा करकापात।

7. ओस किसे कहते हैं?

उत्तरः जब आर्द्रता धरातल पर हवा में संघनन केन्द्रको पर संघनित न होकर ठोस वस्तु जैसे पत्थर, घास, तथा पौधों की पत्तियों की ठंडी सतहों पर पानी की बूंदों के रूप में जमा होती है, तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है।

8. कोहरा एवं कुहासा में क्या अंतर होता है?

उत्तरः कोहरा एक बादल है, जिसका आधार सतह पर या सतह के बहुत नजदीक होता है। कोहरा तथा कुहासा के कारण दृश्यता कम से शून्य तक हो जाती है। कोहरे एवं कुहासे में केवल इतना अंतर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है।

9. कपासी वर्षी मेघ कितनी ऊँचाई में बनती है?

उत्तरः कपासी वर्षी मेघ 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई में बनते हैं।

10. वृष्टिछाया प्रदेश किसे कहते हैं?

उत्तरः पर्वतों के विपरीत वैसे प्रतिपवन क्षेत्र जहाँ वर्षा काफी कम होती है, वृष्टिछाया क्षेत्र कहलाते हैं।

11. निरपेक्ष एवं सापेक्ष आर्द्रता में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तरः निरपेक्ष आर्द्रता एवं सापेक्ष आर्द्रता में यह अंतर है कि निरपेक्ष आर्द्रता, वायुमंडल में जलवाष्प की वास्तविक मात्रा है जबकि सापेक्ष आर्द्रता, वायुमंडल के तापमान की कुल क्षमता में मौजूद आर्द्रता है।

12. संघनन केन्द्रक किसे कहते हैं?

उत्तरः स्वतंत्र हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों ओर ठंडा होने के कारण संघनन होता है तब इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केन्द्रक कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा तेजी से क्यों घटती है?

उत्तरः वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा वाष्पीकरण तथा संघनन से क्रमशः घटती-बढ़ती रहती है। हवा में मौजूद जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं। हवा के प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प को ग्राम प्रति घन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। हवा द्वारा जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता पूरी तरह से तापमान पर निर्भर होती है। ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटता जाता है अर्थात 165 मीटर की ऊँचाई पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान घट जाता है, इसलिए ऊँचाई बढने के साथ साथ तापमान घटने पर जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है।

2. बादल कैसे बनते हैं? बादलों का वर्गीकरण कीजिए।

उत्तरः बादल जल के छोटी बँदे या बर्फ के छोटे रवों की संहति होता है, जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार रूपों में में में वर्गीकृत किया जाता है -

1. पक्षाभ बादल

2. कपासी बादल

3. स्तरी बादल

4. वर्षा बादल।

3. संवहनीय वर्षा से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः हवा गर्म हो जाने पर हल्की होकर संवहन धाराओं के रूप में ऊपर की ओर उठती है, वायुमंडल की उपरी परत में पहुँचने के बाद यह फैलती है तथा तापमान के कम होने से ठंडी होती है। परिणामस्वरुप संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी मेघों का निर्माण होता है। गरज तथा बिजली कड़कने के साथ मुसलाधार वर्षा होती है, जिसे ही संवहनीय वर्षा कहते हैं।

4. वर्षण क्या है? वर्षण के प्रकारों को लिखें।

उत्तरः स्वतंत्र हवा में लगातार संघनन की प्रक्रिया संघनित कणों के आकार को बड़ा करने में मदद करती है। जब हवा का प्रतिरोध गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध उनको रोकने में असफल हो जाता है, तब ये पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं। इसलिए जलवाष्प के संघनन के बाद नमी के मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं।

वर्षण के निम्नलिखित प्रकार हैं वर्षा, हिमपात, सहिम वृष्टि तथा करकापात ।

वर्षा :- वर्षण जब पानी के रूप में होता है उसे वर्षा कहते हैं।

हिमपात :- जब तापमान 0° सेल्सियस से कम होता है तब वर्षण हिमतुलों के रूप में होता है, जिसे हिमपात कहते हैं।

सहिम वृष्टि तथा करकापात- वर्षा तथा हिमपात के अतिरिक्त वर्षण।

5. संघनन किसे कहते हैं? संघनन के कारणों का उल्लेख करें।

उत्तरः जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। संघनन हवा के तापमान, दाब, आयतन तथा आर्द्रता से प्रभावित होता है। संघनन तब होता है जब (i) वायु का आयतन नियत हो एवं तापमान ओसांक तक गिर जाय। (ii) वायु का आयतन तथा तापमान दोनों ही कम हो जाय। (iii) वाष्पीकरण द्वारा वायु में और अधिक जलवाष्प प्रविष्ट हो जाय।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।

उत्तरः एक साल में वर्षा की कुल मात्रा के आधार पर विश्व में निम्नलिखित भिन्नता देखने को मिलती है। सामान्य तौर पर जब हम विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर जाते हैं, वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है। विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के भीतरी भागों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है। वार्षिक वर्षण की कुल मात्रा के आधार पर विश्व की मुख्य वर्षण प्रकृति को निम्नलिखित रूपों में पहचाना जाता है। विषुवतीय पट्टी, शीतोष्ण प्रदेशों में पश्चिमी तटीय किनारों के पास के पर्वतों के वायु की ढाल पर तथा मानसून वाले क्षेत्रों के तटीय भागों में वर्षा बहत अधिक होती है, जो प्रतिवर्ष 200 सेंटीमीटर से ऊपर होती है। महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष 100 से 200 सेंटीमीटर वर्षा होती है। महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा मध्यम होती है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के केंद्रीय भाग तथा शीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा 50 से 100 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष तक होती है। महा‌द्विप के भीतरी भाग के वृष्टिछाया क्षेत्रों में पड़ने वाले भाग तथा ऊँचे अक्षांशों वार्ले क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 50 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है।

2. संघनन के कौन-कौन से प्रकार है? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।

उत्तरः वायुमंडल में विद्यमान जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। इस क्रिया के उत्पन्न होने के कई कारण हैं:-

(i) जब वायु निरन्तर ऊपर उठ कर ठंडी हो जाए।

(ii) जब नमी से भरी वायु किसी पर्वत के सहारे ऊँची उठ कर ठंडी हो जाए।

(iii) जब ठंडी और गर्म वाय आपस में मिल जाए। संघनन कई रूपों में हमारे सामने आते हैं- ओस, तुषार, कोहरा, कुहासा, बादल आदि।

ओस- जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केंद्रों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु जैसे पत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंदों के रूप में जमा होता है, तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है।

तुषार- यह ठंडी सतहों पर बनता है, जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु पर या उससे नीचे चले जाने पर होता है। इसमें अतिरिक्त नमी पानी की बूंदों की बजाय बर्फ के छोटे-छोटे रवों के रूप में जमा होता है।

कोहरा एवं कुहासा- जब बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प से भरी हुई वायु संहति अचानक नीचे की ओर गिरती है, तब छोटे-छोटे धूल कणों के ऊपर ही संघनन की प्रक्रिया होती है। यह सतह पर या सतह के काफी निकट होती है। कुहासे एवं कोहरे में केवल इतना अंतर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है, यानि कोहरे कुहासे की अपेक्षा अधिक शुष्क होते हैं।

बादल-बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होते हैं, जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जल वाष्प के संघनन के कारण बनते हैं।

ओस और तुषार बनने की प्रक्रिया ओस बनने के लिए सबसे उपर्युक्त अवस्थाएँ साफ आकाश, शांत हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठंडी एवं लंबी रातें हैं। ओस बनने के लिए यह आवश्यक है, कि ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर हो।।

तुषार ठंडी सतहों पर बनता है, जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु (0° सेंटीग्रेड) से नीचे चले जाने पर होता है। उजले तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ ओस के बनने की अवस्थाओं के समान है, केवल हवा का तापमान जमाव बिंदु पर या उससे नीचे होना चाहिए।

3. वर्षा किसे कहते हैं? वर्षा के प्रकारों को बताएँ।

उत्तरः वर्षा मुख्यतः संघनन का ही एक रूप है, जब सतह का जल सूर्य के प्रकाश से गर्म होकर वाष्प बनकर ऊपर जाता है और पुनः ऊपर तापमान कम मिलता है, तो यह जल के बूंदों में परिवर्तित होकर नीचे आता है इसे वर्षा कहते हैं।

उत्पति के आधार पर वर्षा को निम्नलिखित तीन प्रकारों में बाँटा जाता है :-

(i) सवहनीय वर्षा

(ii) पर्वतीय वर्षा

(iii) चक्रवातीय वर्षा

(i) संवहनीय वर्षा :- हवा गर्म हो जाने पर हल्की होकर संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है, वायुमंडल की ऊपरी परत में पहुँचने के बाद यह फैलती है तथा तापमान के कम होने से ठंढी होती है। परिणामस्वरूप संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी मेघों का निर्माण होता है। गरज तथा बिजली कडकने के साथ मुसलाधार वर्षा होती है जिसे ही संवहनीय वर्षा कहते हैं।

(ii) पर्वतीय वर्षा :- जब संतृप्त वायु की संहति पर्वतीय ढाल पर आती है, तब यह ऊपर उठने के लिए बाध्य हो जाती है तथा जैसे ही यह ऊपर की ओर उठती है, यह फैलती है, तापमान गिर जाता है तथा आर्द्रता संघनित हो जाती है। इस प्रकार की वर्षा का मुख्य गुण है कि पवानाभिमुख ढाल पर सबसे अधिक वर्षों होती है, जिसे ही पर्वतीय वर्षा कहते है।

(iii) चक्रवातीय वर्षा :- जब किसी क्षेत्र में चक्रवातों के कारण वर्षा होता है तो इसे चक्रवातीय वर्षा कहते हैं।

                                                  

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय-सूची

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (भाग 'अ')

अध्याय सं.

अध्याय का नाम

1.

भूगोल एक विषय के रूप में

2.

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

3.

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

4.

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

5.

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

6.

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

7.

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

8.

सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

9.

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

10.

वायुमंडल में जल

11.

विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

12.

महासागरीय जल

13.

महासागरीय जल संचलन

14.

जैव विविधता एवं संरक्षण

भारत : भौतिक पर्यावरण (भाग 'ब')

1.

भारत : स्थिति

2.

संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3.

अपवाह तंत्र

4.

जलवायु

5.

प्राकृतिक वनस्पति

6.

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर


खण्ड – क : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

1. भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as a Discipline)

2. पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)

4. महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

5. खनिज एवं शैल (Minerals and Rock)

6. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and theirEvolution)

8. वायुमंडल का संघटन तथा संरचना (Composition andStructure of Atmosphere)

9. सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (SolarRadiation, Heat Balance and Temperature)

10. वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ(Atmospheric Circulation and Weather Systems)

11. वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

12. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climateand Climate Change)

13. महासागरीय जल {Water (Oceans)}

14.  महासागरीय जल संचलन  (Movements of Ocean Water)

15. पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

16. जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity andConversation)

खण्ड – ख : भारत-भौतिक पर्यावरण

1. भारत-स्थिति (India Location)

2.  संरचना तथा भू-आकृतिविज्ञान (Structure and Physiography)

3. अपवाह तंत्र (Drainage System)

4. जलवायु (Climate)

5. प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

6. मृदा (Soils)

7. प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ (Natural Hazards andDisasters)

 

खण्ड – 3 : भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य

1. मानचित्र का परिचय (Introduction to Maps)

2. मानचित्र मापनी (Map Scale)

3. अक्षांश, देशांतर और समय (Latitude, Longitude andTime)

4. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projections)

5. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps)

6. वायव फोटो का परिचय (Introduction to AerialPhotographs)

7. सुदूर संवेदन का परिचय (Introduction to RemoteSensing)

8. मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट (WeatherInstruments. Maps and Charts)

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