प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Core
आरोह भाग -1 काव्य-खंड
पाठ 6. 1. हे भूख ! मत मचल, 2. हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर -अक्कमहादेवी
जीवन-सह-साहित्यिक परिचय
कवयित्री- अक्कमहादेवी
जन्म- 12वीं सदी
जन्म स्थान- कर्नाटक के उडुतरी गाँव जिला शिवमोगा
प्रमुख रचनाएं- हिंदी में 'वचन सौरभ' नाम से अंग्रेजी में 'स्पीकिंग ऑफ
शिवा'।
वीर शैव्य आंदोलन से जुड़े कवियों में अक्कमहादेवी एक महत्त्वपूर्ण
कवयित्री थी। चन्नमल्लिकार्जुन देव (शिव) इनके आराध्या थे। बसवन्ना और अल्लामा प्रभु
इनके समकालीन कन्नड़ संत कवि थे। कन्नड़ भाषा में अक्क शब्द का अर्थ बहिन होता है।
अक्कमहादेवी अपूर्व सुंदरी थी। एक बार वहाँ का स्थानीय राजा
इनके अद्भुत अलौकिक सौंदर्य देखकर मुग्ध हो गया तथा इनसे विवाह हेतु उनके परिवार पर
दबाव डाला। अक्कमहादेवी ने विवाह के लिए राजा के सामने तीन शर्तें रखी। विवाह के पश्चात
राजा शर्तों का पालन नहीं किया इसलिए महादेवी ने उसी क्षण वस्त्राभूषण तथा राज परिवार
को छोड़ दिया। यह त्याग स्त्री केवल शरीर नहीं है इसके गहरे बोध के साथ महावीर आदि
महापुरुषों के समक्ष खड़े होने का प्रयास था। मीरा की पंक्ति तन की आस कबहुँ नहीं कीनी
ज्यों रणमाँही सूरो अक्कामहादेवी पर पूर्णतया चरितार्थ होती है। अक्कमहादेवी के कारण
शैव आंदोलन से बड़ी संख्या में स्त्रियाँ जुड़ी और अपनी संघर्ष और यातना को कविता के
रूप में अभिव्यक्ति दी।
इस प्रकार अक्कमहादेवी की कविता पूरे भारतीय साहित्य में
संपूर्ण स्त्रीवादी आंदोलन के लिए एक अजस्र प्रेरणा स्रोत है।
पाठ-परिचय
यहाँ अक्कमहादेवी के दो वचन लिए गए हैं। प्रथम कविता या वचन
में इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश दिया गया है। यह उपदेशात्मक ना होकर प्रेम भरा
मनुहार है।
दूसरा वचन एक भक्त का ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है। चन्नमल्लिकार्जुन
की अनन्य भक्त अक्कमहादेवी उनकी अनुकंपा के लिए हर भौतिक वस्तु से अपनी झोली खाली रखना
चाहती है। वे ऐसी निष्पृह स्थिति की कामना करती है जिससे उनका स्व या अहंकार पूरी तरह
से नष्ट हो जाए।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
1. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती
हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए?
उत्तर- ज्ञानेंद्रियाँ मानव शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग हैं
जो अनुभव का माध्यम है। लक्ष्य प्राप्ति की जहाँ तक बातें है, यदि वह ईश्वर की प्राप्ति
करना चाहता है तो वह एक ऐसी साधना के समान है जिसमें इंद्रियाँ बाधक हैं। इस समय भूख,
प्यास, लालसा, लोभ, मोह, माया, कामना, प्रेम, क्रोध, का अनुभव हमें लक्ष्य से भटका
देता है। इन सबका अनुभव इंद्रियाँ करवाती हैं। अतः वे ही बाधक हैं।
2. ओ चराचर । मत चूक अवसर' इस पंक्ति का आशय
स्पष्ट कीजिए?
उत्तर- इस पंक्ति में कवयित्री का कहना है कि प्राणियों ने
जो जीवन प्राप्त किया है, यदि वे इस जीवन को शिव की भक्ति में लगाएँ तो उनका कल्याण
हो सकता है। समय व्यतीत हो जाने के बाद कुछ नहीं मिलता। जीव इंद्रियों के वश में आकर
सांसारिक मोह-माया में उलझा रहता है और ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर पाता। जीव इन चक्करों
में उलझा रहा तो ईश्वर-प्राप्ति का अवसर चूक जाएगा।
3. ईश्वर के लिए किस दृष्टान्त का प्रयोग किया
गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
उत्तर- कवयित्री ने ईश्वर के लिए जूही के फूल का दृष्टान्त
प्रस्तुत किया है। जूही का फूल सुन्दर, कोमल और सुर्गान्धत होता है। ईश्वर में भी भक्तों
और ज्ञानियों नै ऐसी ही विशेषताओं की उपस्थिति मानी है। ईश्वर को अनंत सौन्दर्य का
भंडार, कोमल हृदय और सारी सृष्टि में व्याप्त माना गया है।
4. अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने
की बात क्यों कही गई है?
उत्तर- कवयित्री के अनुसार अपना घर से तात्पर्य इस भौतिक
संसार से है। जब तक मनुष्य को इस भौतिक संसार की वस्तुएँ सुन्दर और सुख दायक लगती हैं
तब तक वह इसी माँह में उलझा रहता है। इस उलझन में मनुष्य ईश्वर के कल्याणकारी स्वरूप
का साक्षात्कार नहीं कर पाता। सांसारिक सुखों से विरक्त होकर ही मनुष्य ईश्वर की प्राप्ति
कर सकता है।
5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई
है ? और क्यों?
उत्तर- दूसरे वचन में कवयित्री ने ईश्वर से कामना की है कि
वह उसे संसार की चीजों से वंचित कर दे। वह अपना घर भूल जाय तथा अपनी आवश्यकता पूरी
करने के लिए उसे भीख मांगनी पड़े तो उसे भीख न मिले। यदि कोई भीख देने को हाथ बढ़ाये
तो वह वस्तु उसकी झोली में न आकर नीचे गिर जाय। जब उसे उठाने के लिए वह नीचे झुके तो
उसे कुत्ता झपटकर छीनकर ले जाए। कवयित्री ने ईश्वर से यही कामना की है। इसका उद्देश्य
अपने मन को पवित्र और अहंकार-मुक्त करना है, क्योंकि स्वयं के अहम को मिटाकर ही ईश्वर
की प्राप्ति सम्भव है।
कविता के आस-पास
1. क्या अक्कमहादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा
जा सकता है चर्चा करें ?
उत्तर- हाँ, अक्कमहादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है।
मीरा और अक्कमहादेवी दोनों विवाह से पूर्व अपने- अपने आराध्य के प्रति दीवानी थीं।
मीरा श्रीकृष्ण के प्रति तो अक्कमहादेवी चन्नमल्लिकार्जुन (शिव) के प्रति। दोनों विवाह
करना नहीं चाहती थीं। दोनों ने वैवाहिक बंधन को अपनी इच्छा से तोड़ा। मीरा का जन्म
राजघराने में हुआ, विवाह भी राजघराने में हुआ। वहीं अक्कमहादेवी का जन्म साधारण घर
में हुआ मगर विवाह राजघराने में। दोनों ने अपने-अपने समय में सामाजिक बंधनों को तोड़ा।
दोनों ने लोकलाज की परवाह नहीं की।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. अक्क महादेवी का जन्म कब हुआ था?
क. 12 वीं सदी
ख. 13 वीं सदी
ग. 11 वीं सदी
घ. 14 वीं सदी
2. नींद के कारण मानव किसकी प्राप्ति का मार्ग
भूल जाता है?
क. धन प्राप्ति का
ख. विद्या की प्राप्ति
ग. अन्न की प्राप्ति
घ. ईश्वर प्राप्ति
3. कवयित्री
ने ईश्वर को कैसा फूल माना है?
क. जूही का फूल
ख. गुलाब का फूल
ग. चंपा का फूल
घ. चमेली का फूल
4. अक्कमहादेवी
किस आंदोलन से जुड़ी थी।
क. शाक्त आंदोलन
ख. भक्ति आंदोलन
ग. शैव आंदोलन
घ. वैष्णव आंदोलन
5. अक्कमहादेवी
की प्रवृत्ति कैसी थी?
क. शात
ख. विद्रोही
ग. सरल
घ. इनमें से सभी
6. कवयित्री इस कविता में किस भाव को प्रकट
करती है?
क. त्याग
ख. समर्पण
ग. वात्सल्य
घ. अपनापन
7. ईर्ष्या
किसे जलाती है?
क. मनुष्य को
ख. पेड़ को
ग. जानवर को
घ. आत्मा को
8. चन्नमल्लिकार्जुन शब्द का क्या अर्थ है?
क. कार्तिक
ख. अर्जुन
ग. विष्णु
घ. शिव
9. प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने क्या संदेश
दिया है?
क. सामाजिक कार्य का
ख. ईश्वर भक्ति का
ग. इंद्रियों पर नियंत्रण रखने का
घ. इनमें से सभी
10. ईश्वर को पाने के लिए कवयित्री क्या त्यागने
की बात कहती है।
क. लोभ
ख. मोह
ग. अहंकार
घ. इनमें से सभी
11. अक्कमहादेवी ने किसका विरोध किया था?
क. पुरुष वर्चस्व का
ख. राजा का
ग. सामाजिक समता का
घ. इनमें से कोई नहीं
12. क्रोध क्या मचाता है?
क. ज्ञान-विज्ञान
ख. उथल-पुथल
ग. ठाट-बाट
घ. इनमें से सभी
13. अक्कमहादेवी ने किसको मचलने से मना किया
है?
क. ईर्ष्या को
ख. मोह को
ग. लोभ को
घ. भूख को
14. कन्नड़ भाषा में अक्क शब्द का क्या अर्थ
है?
क. बहिन
ख. ईश्वर
ग. माता
घ. पिता
15. अक्क महादेवी किससे मिलना चाहती है?
क. मनुष्य
ख. आत्मा-परमात्मा
ग. मन
घ. इनमें से कोई नहीं
16. मनुष्य
किस कारण से बुरे कार्यों की ओर अग्रसर होता है
क. अहंकार के कारण
ख. भूख प्यास से व्याकुल होने के कारण
ग. आलस्य के कारण
घ. इनमें से सभी
17. प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने क्या संदेश
दिया है ?
क. ईश्वर की आराधना करना
ख. सामाजिक कार्य करना
ग. राजनीतिक कार्य करना
घ. इंद्रियों पर नियंत्रण रखने का
18. कवयित्री लोभ, मोह और अहंकार को क्या करना
चाहती है?
क. प्राप्त करना
ख. मांगना
ग. त्यागना
घ. इनमें से सभी
19. किस कवयित्री को कन्नड़ की मौरा की संज्ञा
दी गई है?
क. निर्मला पुतुल
ख. अक्कमहादेवी
ग. महादेवी वर्मा
घ. इनमें से सभी
20. अक्कमहादेवी की कविता को हिंदी में क्या
कहा जाता है?
क. वचन
ख. साखी
ग. वाणी
घ. सबद
21. अक्कमहादेवी
के दोनों वचनों का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद किसने किया है?
क. प्रेमचंद
ख. केदारनाथ सिंह
ग. त्रिलोचन
घ. नागार्जुन
22. बसवन्ना और अल्लामा प्रभु किसके समकालीन
कन्नड़ संत कवि थे?
क. कबीर
ख. तुलसीदास
ग. महादेवी वर्मा
घ. अक्कमहादेवी
23. अक्कमहादेवी ने विवाह के लिए राजा के सामने
कितनी शर्तें रखी थी?
क. एक
ख. दो
ग. तीन
घ. चार
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मनुष्य
ईश्वर की प्राप्ति कैसे कर सकता है ?
उत्तर- मनुष्य अपने इंद्रियों को वश में कर ईश्वर की प्राप्ति
कर सकता है।
2. कवयित्री किससे प्रार्थना करती है कि संसार
से उनका लगाव समाप्त हो जाए?
उत्तर- कवयित्री अपने आराध्य से प्रार्थना करती है कि उनका
सांसारिक लगाव समाप्त हो जाए।
3. पाश का क्या अर्थ है?
उत्तर- पाश का अर्थ सांसारिक बंधन है।
4. कवयित्री किससे प्रार्थना करते हैं कि उनको
परेशान ना करें?
उत्तर- कवयित्री अपने इंद्रियों से प्रार्थना करती हैं कि
उनकी भूख, प्यास, नींद, क्रोध, मोह, लोभ, मद, ईर्ष्या जगा कर उनका मन विचलित कर ना
परेशान करें।
5. मोह क्या है?
उत्तर- अपना घर, परिवार, प्रियजन, सांसारिक सुख ही मोह है।
6. कवयित्री किसका संदेश लेकर आई है?
उत्तर- कवयित्री अपने आराध्य चन्नमल्लिकार्जुन देव शिव का
संदेश लेकर आई है।
7. अक्कमहादेवी की तुलना किससे की गई है?
उत्तर- अक्कमहादेवी की तुलना मीरा से की गई है।
8. अक्कमहादेवी के समकालीन कन्नड़ कवि कौन-कौन
थे?
उत्तर- अक्कमहादेवी के समकालीन कन्नड़ कवि अल्लामा और बसवन्ना
थे।
9. दोनों वचनों का अंग्रेजी अनुवाद किसने किया है?
उत्तर-
दोनों वचनों का अंग्रेजी में अनुवाद केदारनाथ सिंह ने किया है।
10. ईश्वर को जूही के फूल की उपमा क्यों दी गई है?
उत्तर-
ईश्वर को जूही के फूल की उपमा इसलिए दी गई है क्योंकि ईश्वर भी जूही के फूल के समान
लोगों को आनंद देते हैं उनका कल्याण करते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. पहले वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रथम वचन में इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश दिया गया है। यह उपदेशात्मक न होकर प्रेम-भरा
मनुहार है। वे चाहती हैं कि मनुष्य को अपनी भूख, प्यास, नींद आदि वृत्तियों व क्रोध,
मोह, लोभ, अह, ईर्ष्या आदि भावों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। वे लोगों को समझाती हैं
कि इंद्रियों को वश में करने से शिव की प्राप्ति संभव है।
2. सभी विकारों की शांति क्यों आवश्यक है?
उत्तर
- मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ दुर्लभ है, इसे हम तृष्णाओं के पीछे भागते हुए गवाँ देते
हैं और जीवन के अंत तक तृष्णाएँ शांत नहीं हो पाती, जिस कारण हम ईश्वर प्राप्ति की
ओर नहीं बढ़ पाते। इसलिए इन्हें शांत करना आवश्यक है।
3. "हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर और उसे झपट कर छीन ले मुझसे।"
इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अक्कमहादेवी ने इस कविता की रचना कन्नड़ भाषा में की थी। यहाँ इसका हिन्दी में अनुवाद
किया गया है। यहाँ जूही के फूलों की तुलना अपने आराध्य (शिव) से की गई है। इस पंक्ति
में उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है। भाषा शैली संवादात्मक है। कोई कुत्ता पंक्ति
में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है। इस पद में शौत रस को दर्शाया गया है।
4. मीरा के काव्य में जो सरसता है, क्या वैसी ही सरसता अक्कमहादेवी
की कविता में भी है?
उत्तर-
मीरा का काव्य श्रीकृष्ण के प्रति उनके समर्पण का काव्य है। मीरा ने श्रीकृष्ण को ही
अपना सर्वस्व माना है। 'जाके सिर मोर मुक्ट मेरो पति सोई' कहकर मीरा ने उन्हें अपना
पौते बताया है। मीरा अपने पति की चिर-वियोगिनी है। उसमें तड़प और पीड़ा है। पीड़ा और
दर्द की यह गहराई ही मीरा के काव्य की सरसता का रहस्य है। उसमें वियोग शृंगार रस का
सजीव चित्रण हुआ है। अक्कमहादेवी भी अपने आराध्य चन्नमल्लिकार्जुन के प्रति समर्पित
थी। परन्तु उनकी कविता में मीरा जैसा विरह का दर्द और पीड़ा नहीं है। उनकी कविता ईश्वर
के प्रति समर्पण की प्रेरणा भले ही देता हो परन्तु उसमें मीरा के काव्य जैसी सरसता
नहीं है।
5. कवयित्री ने ईश्वर से भीख मँगवाने की प्रार्थना क्यों की है?
उत्तर- कवयित्री ईश्वर की भक्ति सच्चे मन से करना चाहती है। ईश्वर
की सच्ची भक्ति के लिए भक्त का अहंकार रहित होना आवश्यक है। उसे किसी सांसारिक वस्तु
का स्वामी नहीं होना चाहिए। उसके पास अपना कुछ भी नहीं होना चाहिए। अपने मन के घमण्ड
को मिटाने के लिए कवयित्री चाहती है कि ईश्वर उससे भीख मँगवाये।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मानव
जीवन और भक्ति का क्या संबंध है?
उत्तर- कवयित्री अक्कमहादेवी ने मनुष्य जीवन पाने को सौभाग्य बताया
है। अतः जीवन प्रक्रिया जीवन मृत्यु से होकर गुजरती है। जिसमें मनुष्य द्वारा व्यतीत
किए गए समय को पूर्ण एवं सार्थक करने के लिए ईश्वर की भक्ति एकमात्र मार्ग है। इसी
कारण कवयित्री मनुष्यों को भक्ति पथ पर चलने के लिए प्रेरित करती है। मनुष्य अपने इंद्रियों
के जाल में फंस कर मोह माया में बंध जाता है जिससे वह अपने ईश्वर प्राप्ति का लक्ष्य
भूल जाता है। सांसारिक सुख पा कर भ्रमित हो जाता है। इसलिए समय रहते मनुष्य को ईश्वर
भक्ति का मार्ग अपनाकर मानव होने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहिए।
2. कवयित्री
शिव का क्या संदेश लेकर आई है?
उत्तर- कवयित्री शिव की अनन्य भक्त है। वह संसार में शिव का संदेश
प्रचारित करना चाहती है कि ईशरभक्ति में ही प्राणी की मुक्ति है। शिव करुणामयी हैं
तथा संसार का कल्याण करने वाले हैं। जो प्राणी सच्चे मन से उनकी भक्ति करता है, वे
उसे मुक्ति प्रदान करते हैं। प्राणी को जीवन में ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता। अतः
उसे इस अवसर को छोड़ना नहीं चाहिए।
3. कवयित्री मनोविकारों को क्यों दुत्कारती
है?
उत्तर- कवयित्री मनोविकारों को बंधन का कारण मानती है। मनोविकार मनुष्य को सांसारिक मोहमाया में लिप्त रखते हैं। मोह से संग्रह, क्रोध से विवेक खोना, लोभ से गलत कार्य, अहंकार से मदहोश आदि प्रवृत्तियों का उदय होता है। इस कारण मनुष्य स्वयं को महान समझता है। इसी अहंभाव के कारण मानव ईश्वर भक्ति से दूर हो जाता है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
आरोह भाग-1 | |
पाठ सं. | अध्याय का नाम |
काव्य-खण्ड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | 1. हे भूख ! मत मचल, 2. हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर- अक्कमहादेवी |
7. | |
8. | |
गद्य-खण्ड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
वितान | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |