प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11 Hindi Core
वितान
पाठ 4. भारतीय कलाएँ
जीवन-सह-साहित्यिक परिचय
कला की अपनी भाषा होती है हम अपने आस-पास के परिवेश,
प्रकृति या भावों और विचारों को भाषा में व्यक्त करते हैं। वैसे ही चित्रकारी,
संगीत और नृत्य के माध्यम से भी हम आस-पास की प्रकृति को अभिव्यक्त करते हैं। हम
जो कुछ देखते या सुनते हैं उसे नए तरीके से अभिव्यक्त करना चाहते हैं। समुद्र से
उठती लहरों को देखकर चित्रकार उसे रंगों से सजाता है। चिड़ियों की चहचहाहट को गायक
स्वरों से सजाता है, नर्तक मन के भावों को विभिन्न मुद्राओं से सजाता है। हमारा
देश भारत उत्सव धर्मी है। विविधता हमारी पहचान है। विभिन्न संस्कृतियों और विभिन्न
त्योहारों के साथ-साथ विविध कलाएँ भी हमारी अनूठी पहचान है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
1. कला और भाषा की अंतर्संबंध पर आपकी
क्या राय है? लिखकर बताएँ।
उत्तरः- मेरा मत है कि भाषा और कला एक-दूसरे से गहराई से
जुडी हुई हैं। मनुष्य अपने विचार और भावों को भाषा के दवारा प्रकट करता है। कलाकार
भी अपनी कला के दवारा अपने भावों और विचारों को व्यक्त करता है। यदि कोई चित्रकार
है तो वह रंगों और रेखाओं के द्वारा अपने प्रकृति- प्रेम को चित्रों द्वारा व्यक्त
करता है। एक नृत्यकार अपने अंग-संचालन और मुद्राओं के द्वारा अपनी भावनाएँ व्यक्त
करता है। इसी प्रकार एक संगीतकार अपने गायन दद्वारा अपनी भावनाएँ श्रोताओं तक
पहुँचाता है। इस प्रकार कला और भाषा के बीच एक सहज संबंध है। यदि कला की अपनी भाषा
न होगी तो लोग उसमें रुचि नहीं लेंगे।
2. भारतीय कलाओं और भारतीय संस्कृति में आप
किस तरह का संबंध पाते हैं?
उत्तरः- भारतीय संस्कृति और भारतीय कलाओं के बीच घनिष्ठ
संबंध रहा है। भारतीय संस्कृति के विकास में कलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा
है। किसी भी देश के जन-जीवन के आचार-विचार, धर्म, उत्सव, वेश-भूषा आदि का सामूहिक
नाम ही संस्कृति है। इसमें कलाओं का भी विशिष्ट स्थान होता है। हमारी संस्कृति
अनेक प्रादेशिक संस्कृतियों से मिलकर बनी है। इन प्रदेशों या राज्यों की
संस्कृतियों में वहाँ प्रचलित कलाओं के भी दर्शन होते हैं।
मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका की गुफाओं में बने शैल
चित्र तत्कालीन सामाजिक जीवन या संस्कृति का परिचय कराते हैं। अजंता की गुफाओं के
चित्र गुप्तकालीन वेशभूषा, उत्सव, धार्मिक आस्था आदि के जीवंत उदाहरण हैं।
जन्मोत्सव, विवाह, त्योहार आदि जो संस्कृति के ही अंग हैं, उनमें भी सतिया, चौक
पूरना, रंगोली आदि के रूप में लोक चित्रकला का स्थान है। इसी प्रकार नृत्य के विविध रूप प्रादेशिक संस्कृतियों
की झलक दिखाते हैं। इस प्रकार भारतीय संस्कृति और भारतीय कलाएँ आपस में मनमोहक ढंग
से गूंथी हई हैं। कलाओं में संस्कृति झाँकती है तो संस्कृति की लोकप्रियता बढ़ाने में
कलाओं का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
3. शास्त्रीय कलाओं का आधार जनजातीय और लोक
कलाएँ हैं- अपनी सहमति और असहमति के पक्ष में तर्क दें।
उत्तरः- यदि हम कलाओं के विकास के इतिहास पर दृष्टि डालें तो पाएँगे
कि जनजातीय कलाओं और लोक कलाओं ने धीरे-धीरे व्यवस्थित होते हए शास्त्रीय रूप धारण
कर लिया। कलाओं ने जनजातीय समाज और लोक जीवन के बीच ही जन्म लिया था। धीरे-धीरे उनमें
निखार आता गया और उन्होंने व्यवसाय का रूप ले लिया। चित्रकार, संगीतकार और नृत्यकार
आदि पेशे बन गए। आगे चलकर इन सभी कलाओं को राजाओं और सम्पन्न लोगों का संरक्षण मिलता
गया। तब इनके नियम-उपनियम बने और इन्होंने शास्त्रों का रूप ले लिया। प्राचीन शैल चित्रों
से प्रारम्भ हई चित्रकारी से गुप्तकाल तक आते-आते चित्रकला की निपुणता चरम सौमा पर
पहुँच गयी। गुरु-शिष्य परंपरा ने कलाओं के शास्त्रीय स्वरूप को और भी पृष्ट और अनुशासित
बना दिया। अतः मेरा मत यह है कि जनजातीय कलाएँ और लोक कलाएँ ही शास्त्रीय कलाओं का
आधार है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. प्राचीन काल से हमारे जीवन का अभिन्न अंग
किसे माना जाता है?
क. चित्रकला
ख. खाना बनाना
ग. पाक कला
घ. इनमें से सभी
2. प्रागैतिहासिक काल में रहन-सहन भावों और
विचारों को किसके माध्यम से अभिव्यक्त किया जाता था?
क. चित्रों के माध्यम से
ख. किताबों के माध्यम से
ग. खेल के माध्यम से
घ. इनमें से कोई नहीं
3. शैल चित्रों का एक उदाहरण है
क. हिमालय की गुफाएँ
ख. भीमबेटका की गुफाएँ
ग. क और ख दोनों
घ. इनमें से कोई नहीं
4. अजंता की गुफाओं के दीवारों पर बने चित्र
किसके द्वारा बनाया गया है?
क. जैन के द्वारा
ख. नाथों के द्वारा
ग. बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा
घ. सिद्धों के द्वारा
5. एलोरा की गुफाएँ किस सदी में बनाई गई?
क.
पहली दूसरी सदी में
ख.
छठी सातवीं सदी में
ग.
आठवीं दसवीं सदी में
घ. सातवीं आठवीं सदी में
6. भीम बेटका की गुफाएं कहां स्थित है?
क.
उत्तर प्रदेश
ख. मध्य प्रदेश
ग.
आंध्र प्रदेश
घ.
छत्तीसगढ़
7. एलोरा और अजंता की गुफाएँ किसके लिए विख्यात हैं?
क.
शिकार के लिए
ख.
विशिष्ट पत्थरों के लिए
ग.
रंगों के लिए
घ. कलाकृतियों के लिए
8. कौन सा सामाज्य कलाओं के लिए स्वर्ण युग कहलाता है?
क.
मुगल साम्राज्य
ख.
चोल साम्राज्य
ग. गुप्त साम्राज्य
घ.
चालुक्य वंश
9. बाग और बादामी की गुफाएँ किस समय की है?
क. गुप्त साम्राज्य के समय
ख.
चोल साम्राज्य के समय
ग.
मुगल वंश के समय
घ.
इनमें से सभी
10. स्थायी लघुचित्र किसे कहा जाता है?
क.
जो कपड़ों पर किया जाता है
ख.
जो किताबों पर किया जाता है
ग.
जो लकड़ी या कागज पर किया जाता है
घ. इनमें से सभी
11. भारतीय संगीत किससे संबंधित है?
क.
सुर/ताल से
ख.
राग से
ग.
काल से
घ. इनमें से सभी
12. शास्त्रीय नृत्य में निम्न में से किस नृत्य को शामिल किया गया
है?
क
कथकली
ख.
भरत नाट्यम
ग.
कुचिपुड़ी
घ. इनमें से सभी
13. मोहिनीअट्टम किस राज्य का शास्त्रीय नृत्य है?
क.
मध्य प्रदेश
ख.
झारखंड
ग. उत्तर प्रदेश
घ.
तमिलनाडु
14. किवाड़ पेंटिंग चित्रकारी किस राज्य की है?
क.
पंजाब
ख. राजस्थान
ग.
उडीसा
घ.
बिहार
15. निम्न में से कौन अस्थाई कला नहीं है
क. पटचित्र
ख.
कोहबर
ग.
ऐपण
घ.
अल्पना
16. राजस्थान के चित्तौड़ में कलाकार लकड़ी के मंदिरों पर चित्रकारी
करते थे उसे किस नाम से जाना जाता है?
क. किवाड़ पेंटिंग
ख.
दिवार पेंटिंग
ग.
मंदिर पेंटिंग
घ.
चट्टान पेंटिंग
17. उत्तराखंड में जिसे ऐपण कहते हैं उसे राजस्थान में किस नाम से जाना
जाता है?
क.
रिपन
ख.
चौकपूराण
ग.
सतिया
घ. मंडवा
18. गीतगोविंद की रचना किसने की?
क.
केशवदास
ख. जयदेव
ग.
भरतमुनि
घ.
जायसी
19. साहित्य, संगीत कला से भिन्न मनुष्य साक्षात् बिना पूँछ के पशु
के समान होता है। यह किसने कहा है?
क. भर्तृहरि
ख.
जयदेव
ग.
भरतमुनि
घ.
केशवदास
20. भारत में प्राचीनतम संगीत का वर्णन किस काल में मिलत है?
क.
गुप्त काल
ख.
आधुनिक काल
ग. वैदिक काल
घ.
मौर्य वंश
21. भरतनाट्यम का प्रेरणा स्रोत किसे माना जाता है?
क.
कोडवा नृत्य
ख. कुरूवांजी नृत्य
ग.
बिहू नृत्य
घ.
इनमें से सभी
22. बंगाल, उड़ीसा, झारखंड का प्रमुख नृत्य निम्न में से कौन सा है?
क. छौ नृत्य
ख.
बिहू
ग.
कोलहम
घ.
गर्बा
23. भारत के किस राज्य की महिलाएँ गिद्दा नृत्य करती हैं?
क. पंजाब
ख.
असम
ग.
हरियाणा
घ.
महाराष्ट्र
24. निम्न में से कौन सा नृत्य समूह में किया जाता है?
क.
नागमेन नृत्य
ख.
कोलहम नृत्य
ग.
बिहू नृत्य
घ. इनमें से सभी
25. उत्तराखंड में जिसे ऐपण कहते हैं उसे राजस्थान में किस नाम से जाना
जाता है?
क.
रंगोली
ख.
कोलम
ग. मंडवा
घ.
अरिपन
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. नाट्यशास्त्र की रचना किसके द्वारा की गई?
उत्तरः- नाट्यशास्त्र की रचना भरत मुनि के द्वारा की गई।
2. विद्वानों ने लगभग पाँच हजार ई० पू० के
समय को कौन सा काल माना है?
उत्तरः- विद्वानों ने लगभग पाँच हजार ई० पू० के समय को वैदिक
काल माना है।
3. उत्तर
प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य क्या है?
उत्तरः- उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य कत्थक है।
4. सबसे प्राचीन चित्रों के नमूने किसे माना
जाता है?
उत्तरः- सबसे प्राचीन चित्रों के नमूने शैल चित्रों को माना
जाता है।
5. शैल चित्र किस पर बनाए जाते थे?
उत्तरः- शैल चित्र चट्टानों पर बनाए जाते थे।
6. प्राचीन भारत में संगीत कितने प्रकार के
होते थे?
उत्तरः- प्राचीन भारत में संगीत दो प्रकार के होते थे। पहला-
मार्गी , दूसरा- देसी।
7. गुजरात का टिप्पणी नृत्य कब और कहां किया
जाता है?
उत्तरः- गुजरात का टिप्पणी नृत्य फसल कटाई के बाद खलिहान
में किया जाता है।
8. प्रागैतिहासिक काल के चित्र कहाँ मिलते
हैं?
उत्तरः- प्रागैतिहासिक काल के चित्र प्राचीन गुफाओं और शिलाओं
में मिलते हैं।
9. शुरुआती दौर में सभी कलाओं का संबंध किससे
था?
उत्तरः- शुरुआती दौर में सभी कलाओं का संबंध लोक या समूह
सें था।
10. भारतीय संगीत में ब्रह्ममुहूर्त के लिए
कौन सा राग होता है ?
उत्तरः- भारतीय संगीत में ब्रह्ममुहूर्त के लिए भैरव राग
होता है।
11. हम अपने आसपास के वातावरण और प्रकृति को
किसके माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं?
उत्तरः- हम अपने आसपास के वातावरण और प्रकृति को चित्रकारी,
संगीत या नृत्य के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. कलाओं का स्वर्णयुग किसे कहा गया है, उस
युग का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरः- भारत में चौथी शताब्दी से लेकर छठी शताब्दी तक का
समय गुप्त साम्राज्य का समय था। इस समय को भारतीय कलाओं का स्वर्णयुग कहा गया है। विश्व
प्रसिद्ध अजंता की गुफाओं का निर्माण इसी युग की देन है। बाग और बादामी की गुफाएँ भी
इसी समय की हैं। अजंता की चित्रकला शैली तो इतनी आकर्षक है कि आज तक चित्रकार इसे अपनी
रचनाओं में स्थान देते आ रहे हैं। इन चित्रों में तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक
वातावरण का सजीव चित्रांकन हुआ है। उस समय के उत्सव, वेशभूषा, रीति-रिवाज, आस्था आदि
इन चित्रों में उपस्थित हैं। मान्यता है कि इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षुओं ने बनाया था।
2. ऐलोरा और 'एलीफेन्टा' की गुफाओं का संक्षिप्त
परिचय दीजिए।
उत्तरः- सातवीं-आठवीं शताब्दी में ऐलोरा और एलीफेन्टा की गुफाओं का
निर्माण हुआ था। ऐलोरा अपने भव्य 'कैलाश मंदिर' के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर इतना
विशाल और कलात्मक है कि इसे देखकर यह विश्वास कर पाना कठिन होता है कि इसे मनुष्यों
ने ही बनाया था। इस मंदिर के प्रारूप की कल्पना और फिर उस कल्पना को चित्रों और पत्थरों
में उतारने में कितना परिश्रम और समय लगा होगा, इसका अनुमान लगाना भी कठिन है। ऐलीफेन्टा
की गुफाएँ अपनी 'त्रिमूर्ति' नामक विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मूर्ति की
रचना और भव्यता देखकर दर्शक चकित रह जाते हैं।
3. भारतीय सामाजिक जीवन में कलाओं का क्या
स्थान है? 'भारतीय कलाएँ' पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः- हमारे सामाजिक जीवन में कलाओं का स्थान सदा से ही महत्वपूर्ण
रहा है। हमारी कलाएँ हमारे जन्मोत्सर्वो, त्योहारों, विवाहों, धार्मिक अनुष्ठानों आदि
से जुड़ी हुई हैं। इन अवसरों पर अल्पना, रंगोली, सतिया, चौक पूरना आदि चित्रकला से
संबंधित रचनाएँ आती हैं। विवाह और जन्मोत्सव के अवसरों पर संगीत और नृत्यकला सम्मिलित
रहती हैं। धार्मिक आयोजनों में भी महिलाएँ नृत्य-संगीत से अपने आनंद को प्रकट करती
हैं।
हमारे मनोरंजन के क्षेत्र में भी अनेक कलाओं का योगदान रहता
है। कलाएँ आज हमारे अनेक व्यवसायों और आजीविकाओं का भी आधार बनी हुई हैं। चित्रकारों,
संगीतकारों, नृत्यकारों और वास्तुकारों की आजीविका उनकी कलाओं पर ही आश्रित है। यदि
हमारे सामाजिक जीवन से कलाएँ निकल जाएँ तो जो खालीपन और नीरसता आएगी, उसमें जीवन बिताना
भी कठिन हो जाएगा।
4. भारतीय कला का जुड़ाव प्रकृति से है। स्पष्ट
करें।
उत्तरः- भारतीय कला का जुड़ाव प्रकृति से है इसके हमें कई
प्रमाण मिलते हैं। जैसे वीणा, जलतरंग, रवाब, दोतार या बांसुरी सुनकर हम इसे समझ सकते
हैं। इन सब में प्रयोग किए जाने वाली चीजें हमारे आसपास के रोजमर्रा में प्रयोग होने
वाली हैं। इस अद्भुत विशेषता के कारण यहाँ की कला सबसे अलग है। यह सहजता और प्रकृति
से जुड़ाव भारतीय कला की विशेषता को प्रदर्शित करती है।
5. पाठ
के आधार पर लघुचित्रों पर टिप्पणी करें?
उत्तरः- लघु चित्र दो प्रकार के होते हैं एक स्थायी जो कपड़ों, किताबों,
लकड़ी या कागज पर किया जाता है। इनमें आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ की कलमकारी, पंजाब
की फुलकारी, महाराष्ट्र की वरली इत्यादि प्रसि प्रसिद्ध हैं। इसमें प्रयोग होने वाली
सभी सामग्री प्राकृतिक होती हैं और दूसरा अस्थाई कला जिनमें कोहबर, ऐपण, अल्पना रंगोली
जैसी कलाएँ काफी प्रचलित हैं। इन कलाओं का संबंध शादी त्यौहार और उत्सवों से है। इन्हें
क्षेत्रीय भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. नृत्य कला के बारे में विस्तृत जानकारी
दें?
उत्तरः- भारतीय संगीत की तरह नृत्य में भी बदलाव आए हैं।
इसका भी मूल-शास्त्र भरतम्मिन का नाट्यशास्त्र ही है। भारत के हर राज्य के अलग-अलग
समुदायों की अपनी नृत्यकला होती है जो हमारे रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी होती है। जीवन
में जितने अनुष्ठान हैं उन सब से नृत्य कलाओं का संबंध है। पंजाब की महिलाएँ गिद्दा
करती हैं, राजस्थानी महिलाएँ घूमर, गुजरात में गरबा नृत्य तो महाराष्ट्र में लवणी नृत्य
प्रसिद्ध हैं।
2. भारत में प्रचलित प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों
का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरः- भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों की अपनी-अपनी विशेषताएँ
हैं। केरल के शास्त्रीय नृत्य कथकलि और मोहिनी अट्टम हैं। उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय
नृत्य कत्थक है। आंध्र प्रदेश का कुचिपूड़ि, उड़ीसा का ओड़ीसी, मणिपुर का मणिपुरी और
तमिलनाडु तथा कनार्टक का भरतनाट्यम् हैं। इन सभी नृत्यों का संबंध भारत के किसी-न-किसी
राज्य और उसकी परंपराओं से है। असम में प्रचलित सत्रीया नृत्य को भी शास्त्रीय नृत्य
माना गया है। शास्त्रीय नृत्य गुरु-शिष्य परंपरा से सीखे जाते हैं। इन नृत्यों में
निपुणता प्राप्त करने के लिए लम्बी और कठिन साधना की आवश्यकता होती है। शास्त्रीय नृत्यों
के स्वरूप में बहुत परिवर्तन आए हैं। कुछ शास्त्रीय नृत्य तो दो-तीन सौ वर्षों से भी
पुराने माने जाते हैं।
3. भारतीय कला का मूल शास्त्र कौन सा ग्रन्थ
है? भारतीय लोकनृत्यों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरः- भरतमुनि का नाट्यशास्त्र भारतीय नृत्यकला का आदि
या मूल शास्त्र है। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में नृत्य को भी अभिनय का ही एक रूप माना
गया है। नाट्यशास्त्र के अनुसार नृत्य का अर्थ अभिनय और नृत्य का अर्थ नाच है। भारत
में लोकनृत्यों की समृद्ध और बहुविध परंपरा रही है। ऋतुओं, अवसरों और उत्सवों के अनुसार
लोकनृत्यों के विविध रूप प्रचलित रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारत के राज्यों में भी लोकनृत्यों
को विशिष्ट रूप और नाम दिए गए हैं।
भारत के हिमालय क्षेत्रों में युद्ध नृत्यों के साथ ही उत्सव
नृत्य भी प्रचलित हैं। फसलों के बोने और कटने के अवसरों पर भी लोक नृत्यों की परंपरा
रही है। ये सभी सामूहिक नृत्य होते हैं। पंजाब में स्त्रियाँ गिद्दा नृत्य करती हैं।
राजस्थान का घूमर और गुजरात का डांडिया और गरबा नृत्य प्रसिद्ध हैं। महाराष्ट्र का
मछुआरा नृत्य और लावणी नृत्य, मैसूर का बालाकल या कुरुवाजी, अंडमानी, अरुणाचल प्रदेश
का निशि नृत्य, असम का बिहू नृत्य, हिमाचल का नागमेन और किन्नौरी नृत्य तथी बंगाल का
छाओनृत्य प्रसिद्ध रहे हैं।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
आरोह भाग-1 | |
पाठ सं. | अध्याय का नाम |
काव्य-खण्ड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | 1. हे भूख ! मत मचल, 2. हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर- अक्कमहादेवी |
7. | |
8. | |
गद्य-खण्ड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
वितान | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |