झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् राँची, झारखंड
वार्षिक
परीक्षा 2024
मॉडल
प्रश्न पत्र
कक्षा-
12 |
विषय
- राजनिति विज्ञान |
पूर्णांक
- 80 |
समय-3
घंटा |
सामान्य
निर्देश:-
•
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
•
सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
•
कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।
•
प्रश्न 1 से 30 तक बहुविकल्पिय प्रश्न हैं। प्रत्येक
प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजियो प्रत्येक प्रश्न के
लिए 01 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों
का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे
से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक
निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है।
किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक
निर्धारित है।
1. भारत में राज्य पुनर्गठन
आयोग की स्थापना किस वर्ष की गई थी?
(क)
1951
(ख)
1952
(ग) 1953
(घ)
1954
2. इनमें से कौन सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(क)
अमेरिका और सोवियत संघ के बीच वैचारिक युद्ध का अंत
(ख)
स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल का जन्म
(ग)
शक्ति संतुलन में बदलाव
(घ) मध्य पूर्व में संकट
3. इनमें से किस क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व देखा जा सकता है
(क)
सैन्य
(ख)
आर्थिक
(ग)
सांस्कृतिक
(घ) उपरोक्त सभी
4. नीति आयोग ने भारत सरकार के किस संगठन का स्थान लिया?
(क)
चुनाव आयोग
(ख)
वित्त आयोग
(ग) योजना आयोग
(घ)
मानवाधिकार आयोग
5. बांग्लादेश किस वर्ष आज़ाद हुआ?
(क) 1971
(ख)
1965
(ग)
1972
(घ)
1961
6. "बम्बई योजना" का उद्देश्य क्या था?
(क)
सरकार को आर्थिक क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए
(ख) सरकार को औद्योगिक और आर्थिक निवेश के क्षेत्र में बड़े कदम उठाने
चाहिए।
(ग)
सरकार को उद्योगों पर अधिक कर लगाना चाहिए।
(घ)
उपरोक्त में से कोई नहीं.
7. " प्रथम पंचवर्षीय योजना" का उद्देश्य क्या था?
(क) कृषि पर जोर देना
(ख)
उद्योगों पर जोर देना
(ग)
पशुपालन पर जोर देना
(घ)
मत्स्य पालन पर जोर देनाष शोध नेतृत्व
8. "फरक्का समझौता" किन दो देशों के बीच हस्ताक्षरित हुआ?
(क)
पाकिस्तान और नेपाल
(ख)
पाकिस्तान और बांग्लादेश
(ग) भारत और बांग्लादेश
(घ)
बांग्लादेश और भूटान
9. ऊर्जा संरक्षण विधेयक किस वर्ष पारित किया गया था?
(क)
2000
(ख) 2001
(ग)
2002
(घ)
2003
10. सीमांत गांधी के नाम से किसे जाना जाता है?
(क)
महात्मा गांधी
(ख) खान अब्दुल गफ्फार खान
(ग)
भगत सिंह
(घ)
सरदार वल्लभ भाई पटेल
11. किन देशों ने अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए?
(क)
भारत और पाकिस्तान
(ख)
ब्रिटेन और फ्रांस
(ग) अमेरिका और ब्रिटेन
(घ)
जर्मनी और सोवियत संघ
12. "पंचशील समझौते" पर किस वर्ष हस्ताक्षर किये गये थे?
(क) 1954
(ख)
1956
(ग)
1958
(घ)
1960
13. वैश्वीकरण के संदर्भ में "प्रवाह" शब्द का क्या अर्थ
है?
(क)
विश्व के एक भाग से दूसरे भाग तक विचारों का संचालन
(ख)
एक स्थान से दूसरे स्थान तक पूंजी का आवागमन।
(ग)
विभिन्न देशों में माल की आवाजाही।
(घ) उपरोक्त सभी
14. 1965 के युद्ध की समाप्ति पर भारत और पाकिस्तान के बीच किस समझौते
पर हस्ताक्षर किये गये?
(क)
शिमला समझौता
(ख) ताशकंद समझौता
(ग)
पंचशील समझौता
(घ)
अटलांटिक चार्टर
15. कोई भी राष्ट्र अपनी विदेश नीति को ध्यान में रखकर बनाता है-
(क) राष्ट्रीय हित
(ख)
विदेशी हित
(ग)
घरेलू हित
(घ)
पड़ोसियों का हित
16. भारत ने 1968 की परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया?
(क) क्योंकि भारत इसे भेदभावपूर्ण मानता है
(ख)
भारत से इस पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहा गया।
(ग)
भारत को यह संधि पसंद नहीं है
(घ)
उपरोक्त में से कोई नहीं
17. इनमें से किस देश ने "खुले द्वार की नीति" अपनाई?
(क) चीन
(ख)
यूरोपीय संघ
(ग)
जापान
(घ)
अमेरिका
18. राष्ट्रीय आपातकाल किस वर्ष घोषित किया गया था?
(क)
1976
(ख)
1977
(ग) 1975
(घ)
1974
19. भारत सरकार द्वारा राजा-महाराजाओं को दिये जाने वाले विशेष विशेषाधिकारों
को कहा जाता था
(क) प्रिवी पर्स
(ख)
गुलाबी पर्स
(ग)
राजा का पर्स
(घ)
उपरोक्त में से कोई नहीं
20. 1962 में किस देश ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कीं?
(क)
अमेरिका
(ख) सोवियत संघ
(ग)
भरत
(घ)
फ्रांस
21. "शिमला समझौते" पर कब हस्ताक्षर किये गये थे?
(क)
1 जुलाई 1971
(ख) 3 जुलाई 1972
(ग)
1 जून 1971
(घ)
3 जून 1972
22. प्रथम गुट निरपेक्ष सम्मेलन कहाँ आयोजित किया गया था?
(क)
न्यूयॉर्क
(ख)
मास्को
(ग) बेलग्रेड
(घ)
मैनचेस्टर
23. बामसेफ का मतलब है
(क) पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ।
(ख)
पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय शिक्षा महासंघ।
(ग)
पिछड़ा एवं बहुसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ।
(घ)
उपरोक्त में से कोई नहीं
24. वैश्वीकरण से राज्य की क्षमता में होती है -
(क)
वृद्धि
(ख) कमी
(ग)
बहुत अधिक वृद्धि
(घ)
कोई परिवर्तन नहीं
25. मणिपुर के उस राजा का नाम बताइए जिसने भारत सरकार के साथ भारतीय
संघ में विलय के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे?
(क)
महाराजा हरिश्चंद्र
(ख) महाराजा बोधचंद्र सिंह
(ग)
राजा जय सिंह
(घ)
वीर टिकेन्द्रजीत सिंह
26. पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद कौन सी गैस लगातार कम हो रही है?
(क)
ऑक्सीजन
(ख) ओजोन
(ग)
हाइड्रोजन
(घ)
नाइट्रोजन
27. ग्लोबल वार्मिंग के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार है
(क)
कार्बन डाई ऑक्साइड
(ख)
मीथेन
(ग)
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
(घ) उपरोक्त सभी
28. कांग्रेस का नागपुर अधिवेशन किस वर्ष आयोजित किया गया था?
(क) 1920
(ख)
1919
(ग)
1921
(घ)
1918
29. पहला अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी शिखर सम्मेलन कब आयोजित किया गया था?
(क) 1992
(ख)
1991
(ग)
1990
(घ)
1993
30. लीग ऑफ नेशन का उत्तराधिकारी कौन सा संगठन था?
(क) यूएनओ
(ख)
सार्क
(ग)
आसियान
(घ)
साफ्टा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न 6 x 2 = 12
31. शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
- शीतयुद्ध 'युद्ध न होते हुए भी युद्ध की सी परिस्थिति बनाए रखने की कला है जिसमें
दोनों पक्ष शान्तिपूर्ण राजनयिक सम्बन्ध रखते हुए भी परस्पर शत्रुभाव रखते हैं।
32. भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त कौन थे?
उत्तर
- सुकुमार सेन भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे जो 21 मार्च 1950 से लेकर 19 दिसम्बर
1958 तक इस पद पर रहे।
33. UNO की सुरक्षा परिषद में कितने स्थायी और कितने गैर-स्थायी सदस्य
होते हैं।
उत्तर
- इसमें 15 सदस्य हैं, जिसमें से 5 स्थायी सदस्य हैं जबकि अन्य 10 अस्थायी सदस्य हैं।
स्थायी सदस्य चीन, रूसी संघ, फ्रांस, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम हैं।
34. UNO का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर
- UNO के चार मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
(1)
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करना।
(2)
युद्धों से बचते हुए, न्याय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के माध्यम से राष्ट्रों के बीच
संकट का समाधान करना।
(3)
सबसे मजबूत और कमजोर राष्ट्रों के भेदभाव से बचकर और मैत्रीपूर्ण संबंध, सहयोग और समन्वय
बढ़ाकर विश्व शांति के लिए स्वस्थ वातावरण बनाना।
(4)
सभी राष्ट्रों को एक साथ लाना और उनके बीच सहयोग करके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक
समस्याओं का समाधान करना।
35. सोवियत संघ की राजनीतिक व्यवस्था किसके विचार पर आधारित है।
उत्तर
- सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी। मार्क्सवाद-लेनिनवाद सोवियत
संघ का वैचारिक आधार था।
36. तिब्बत के कौन पारंपरिक नेता ने 1959 में भारत में शरण ली ?
उत्तर
- दलाई लामा
37. "आसियान" में कितने सदस्य देश है
उत्तर
- वर्तमान में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस,
सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम इसके दस सदस्य देश हैं।
38. कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में "सिंडिकेट" शब्द से आप
क्या समझते हैं ?
उत्तर
- कांग्रेसी नेताओं के एक समूह को अनौपचारिक तौर पर 'सिंडिकेट' के नाम से इंगित किया
जाता था। इस समूह के नेताओं का पार्टी के संगठन पर नियंत्रण था ।
लघु उत्तरीय प्रश्न 6 x 3 = 18
39. संयुक्त राष्ट्र संघ में "बीटो" का क्या महत्व है?
उत्तर
- वीटो पावर स्थायी सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव
को वीटो (नामंजूर) करने का अधिकार देता है - संयुक्त राष्ट्र की स्थापना, शांति और
सुरक्षा बनाए रखने में इन पांच सदस्यों की भूमिका को अहम माना जाता है, इसलिए इन्हें
वीटो पावर दिया गया।
40. 1962 के भारत-चीन युद्ध के परिणाम की संक्षेप में चर्चा करें।
उत्तर
- प्रधानमन्त्री नेहरू ने चीन को विशेष महत्व दिया। जब माओ ने 1949 में समाजवादी राज्य
स्थापित किया तो भारत ने उसे तुरन्त मान्यता देकर उससे कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापित किए।
1954 में दोनों देशों के बीच मित्रता व व्यापार की सन्धि हुई जिसमें पंचशील के सूत्रों
को रखा गया। लेकिन 1958 के बाद इन सम्बन्धों में दरारें पड़ने लगीं क्योंकि चीन ने
सीमा विवाद उठाया। माओ ने नेहरू को 'ब्रिटिश साम्राज्य का सहायक श्वान' कहकर निन्दित
किया।
चीन
ने 1914 में निर्धारित मैकमोहन रेखा (Machmahon Line) को नकारा जिसके तहत तिब्बत व
नेफा (अब अरुणाचल प्रदेश) के बीच विभाजन किया गया। चीनी शासकों ने कहा कि यह रेखा एक
ब्रिटिश सैनिक अधिकारी ने डाली थी जिसे उस समय चीन की कमजोर सरकार ने मान लिया था।
वास्तव में, यह क्षेत्र चीन का है। उसने जम्मू-कश्मीर में लद्दाख का क्षेत्र भी माँगा
लेकिन भारत ने ऐसे आग्रहों को स्वीकार नहीं किया। मार्च 1959 में चीनी सेनाओं ने घुसकर
तिब्बत हड़प लिया लेकिन नेहरू ने इसे चीन का घरेलू मामला बताकर उसका विरोध नहीं किया।
अब बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने साथियों के साथ भारत में शरण ली, लेकिन भारत सरकार
ने उन्हें निर्वासन में राज्य बनाने की अनुमति नहीं दी।
दोनों
देशों के विशेषज्ञों के समूह समय-समय पर वार्ता करती रहे लेकिन उनका कोई परिणाम नहीं
निकला। अक्टूबर 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया जिसके पीछे प्रबल कारण बताए
जा सकते हैं-
1.
चीनी शासकगण शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के सूत्र में विश्वास नहीं रखते थे और इसीलिए
वे सोवियत नेता खुश्चेव तथा भारत के नेहरू के आग्रहों का उपहास कर रहे थे।
2.
चीनी शासकगण हर समस्या का बलपूर्वक समाधान करने की रणनीति के पक्षधर थे।
3.
चीनी शासकगण ऐसे प्रयास करके एशिया के अन्य देशों को प्रभावित करके उन्हें अपने नेतृत्वाधीन
करना चाहते थे।
4.
चीनी शासकों ने अनुमान लगाया कि युद्ध से भारत के आर्थिक विकास को धक्का लगेगा जिससे
वहाँ असन्तोष फैलेगा, नेहरू की काँग्रेस सरकार का पतन होगा, साम्यवादी लोग सत्ता में
आ जायेंगे।
5.
चीनी शासकों ने यह भी अनुमान लगाया कि कोई बड़ी शक्ति गुट-निरपेक्ष भारत की सहायता
नहीं करेगी तथा भारत-सोवियत मित्रता का सही परीक्षण हो सकेगा।
6.
चीनी शासक अपने देश की आर्थिक समस्याओं से अपने लोगों का ध्यान हटाना चाहते थे जो माओ
की महान छलांग की नीति (Great Leap Forward Policy) की असफलता के कारण पैदा हुई थीं।
इस युद्ध में चीन ने भारत को हराया तथा उसकी लगभग 30,000 वर्ग मील भूमि पर अवैध कब्जा
कर लिया। भारत को तुरन्त अमरीका व सोवियत संघ की निशर्त सैनिक सहायता मिली, युद्ध रुक
गया। दिसम्बर 1962 में कोलम्बो में पाँच गुट-निरपेक्ष देशों (श्रीलंका, म्यांमार, इण्डोनेशिया,
घाना व मिस्त्र) का सम्मेलन हुआ। उनके सुझाव आए जिन्हें भारत ने कुछ शर्तों के साथ
मान लिया लेकिन चीन ने उन्हें नकार दिया। इस युद्ध के कारण भारत-चीन सम्बन्ध टूट गए
लेकिन इस अपमानजनक पराजय ने भारत को यह शिक्षा दी कि उसे अपनी सैनिक शक्ति बढ़ानी चाहिए।
41. मंडल आयोग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर
- मंडल आयोग का गठन 1979 में जनता दल की सरकार द्वारा किया गया था। इस आयोग के अध्यक्ष
वी० पी० मण्डल थे। सन 1977 के लोकसभा के चुनावों में जनता दल ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र
में पिछडे वर्गों के लिए सरकारी और शैक्षणिक सेवाओं में 25 से 33 प्रतिशत तक स्थानों
के आरक्षण की बात कही थी। जब वह केन्द्र सत्ता में आयी तो इसी सन्दर्भ में उसने वी०
पी० मण्डल की अध्यक्षता में पिछडे वर्गों के लिए एक आयोग का गठन किया, जो मण्डल आयोग
के नाम से जाना गया।
इस
आयोग को निम्नलिखित कार्य सौंपे गये -
1.
पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु क्या कदम उठाये जाने चाहिए, इस सम्बन्ध में सुझाव देना।
2.
सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की परिभाषा हेतु कसौटियाँ निर्धारित करना।
3.
अपने द्वारा संकलित तथ्यों के आधार पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना एवं सिफारिशें करना।
4.
केन्द्र व जिन राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व
अपर्याप्त है वहाँ आरक्षण की सुविधाओं का पता लगाना।
42. राज्यों के भाषायी पुनर्गठन से क्या लाभ हुए ?
उत्तर
- भाषायी राज्यों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि एक भाषा बोलने वाले
लोग एक राज्य में आ जाएँ।
(i)
इससे देश ज्यादा एकीकृत और मजबूत हुआ।
(ii)
इससे प्रशासन भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सुविधाजनक हो गया।
43. "ऑपरेशन इनफिनिट रिच" क्या था?
उत्तर
- ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच क्लिंटन के काल का दूसरा सैनिक अभियान था l सन् 1998 में आतंकवादी
संगठन अलकायदा ने नैरेबी (केन्या) तथा दारे-सलाम (तंजानिया) स्थित अमेरिकी दूतावासों
में बम धमाके किए ये बम धमाके कट्टर मुस्लिम विचारधारा पर आधारित थे इसका बदला ही अॉपरेशन
इनफाइनाइट रीच था l
इस
अभियान के अंतर्गत अमरीका ने सूडान और अफगानिस्तान के अलकायदा के ठिकानो पर कई बार
क्रूज मिसाइल से हमले किए l अमरीका ने अपनी इस कार्रवाही के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ
की अनुमति लेने या इस सिलसिले में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की परवाह नहीं की l
इस
ऑपरेशन से अमरीका पर आरोप लगा कि उसने अपने इस अभियान में कुछ नागरिक ठिकानों पर भी
निशाना साधा जबकी इनका आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं था l
44. भारत में गठबंधन राजनीति का युग कब से प्रारम्भ हुआ?
उत्तर
- 1990 के दशक में राजनीतिक संघवाद और आर्थिक उदारीकरण के मामले में भारतीय राजनीतिक
व्यवस्था में जो परिवर्तन हुए हैं, उनका महत्वपूर्ण पहलू 1989 से नई दिल्ली में मौजूद
गठबंधन सरकारें और अल्पमत सरकारें भी हैं। 1989 तक कांग्रेस के लंबे प्रभुत्व के बाद
केंद्र में गठबंधन और अल्पमत की सरकारें दिखीं। हालांकि केंद्र में गठबंधन सरकारें
बनना 1989 में शुरू हो गया था और उसके बाद से ही जारी रहा है, लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़
जनता पार्टी (1977-79) भी एक तरह से गठबंधन ही थी। 1989 से 1999 के दशक में कई अस्थिर
गठबंधन और अल्पमत सरकारें दिखीं, जो एक के बाद एक आती रहीं। भारत में गठबंधन और अल्पमत
सरकारें संसदीय व्यवस्था की उस नाकामी का नतीजा हैं, जिसके तहत वह सरकार बनाने के लिए
निचले सदन (लोकसभा) में पूर्ण बहुमत हासिल करने के पैमाने पर खरी नहीं उतर पाती है।
1989 के बाद से कोई भी पार्टी सदन में बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। केवल 2014 में भारतीय
जनता पार्टी (भाजपा) 282 सीटें हासिल कर पाई। 2014 के चुनावों में भाजपा नीत राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 336 सीटें जीतकर (जिनमें भाजपा की 282 सीटें शामिल थीं)
ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
45. कौन से देश दक्षेश के सदस्य हैं?
उत्तर
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की स्थापना 8 दिसंबर,1985 को ढाका में सार्क
चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
दक्षिण
एशिया में क्षेत्रीय सहयोग का विचार सर्वप्रथम नवंबर 1980 में सामने आया था। सात संस्थापक
देशों- बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव नेपाल, पाकिस्तान एवं श्रीलंका के विदेश सचिवों
के परामर्श के बाद इनकी प्रथम मुलाकात अप्रैल 1981 में कोलंबिया में हुई थी।
अफगानिस्तान
वर्ष 2005 में आयोजित हुए 13वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में सार्क का सबसे नया सदस्य बना।
इस
संगठन का मुख्यालय एवं सचिवालय नेपाल के काठमांडू में अवस्थित है।
46. सोबियत संघ के विघटन के किसी एक कारण की चर्चा करें ?
उत्तर
- सोवियत संघ के विघटन के कारण
सैन्य
कारण - अंतरिक्ष और हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा में
सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में सोवियत संघ के संसाधनों का बड़ा नुकसान हुआ था।
मिखाइल
गोर्बाचेव की नीतियाँ-
A.
मृतप्राय होती सोवियत अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये गोर्बाचेव ने ‘ग्लासनोस्त’(Openness)
और ‘पेरेस्त्रोइका’ (Restructuring) नीतियों को अपनाया।
1.
ग्लासनोस्त का उद्देश्य राजनीतिक परिदृश्य का उदारीकरण था।
2.
पेरेस्त्रोइका का उद्देश्य सरकार द्वारा संचालित उद्योगों के स्थान पर अर्द्ध-मुक्त
बाज़ार नीतियों को प्रस्तुत करना था।
3.
इसने विभिन्न मंत्रालयों को अधिक स्वतंत्रता से कार्य करने की अनुमति दी और कई बाज़ार
अनुकूल सुधारों की शुरुआत हुई।
B.
इन कदमों ने साम्यवादी विचार में किसी पुनर्जागरण का प्रवेश कराने के बजाय संपूर्ण
सोवियत तंत्र की आलोचना का मार्ग खोल दिया।
1.
राज्य ने मीडिया और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों के ऊपर अपना नियंत्रण खो दिया तथा पूरे
सोवियत संघ में लोकतांत्रिक सुधार आंदोलनों ने गति पकड़ ली।
2.
इसके साथ ही बदहाल होती अर्थव्यवस्था, गरीबी, बेरोज़गारी आदि के कारण जनता में असंतोष
बढ़ रहा था और वे पश्चिमी विचारधारा एवं जीवनशैली की ओर आकर्षित हो रहे थे।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 4 x 5 = 20
47. भारत की गुट निरपेक्ष नीति की विस्तृत चर्चा करें?
उत्तर
- द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत विश्व राजनीति का दो ध्रुवों में विभाजन हो चुका था।
साम्यवादी सोवियत संघ और पूंजीवादी अमेरिका द्वारा संसार के नवस्वतंत्र देशों को अपने-अपने
गुटों में शामिल करने तथा इन देशों की शासन प्रणालियों को अपनी विचारधाराओं के अनुकूल
ढालने के भरसक प्रयास किये जा रहे थे। ऐसे विश्व परिदृश्य में भारत ने विश्व राजनीति
में अपनी पृथक पहचान एवं स्वतंत्र अस्तित्व बनाये रखने के उद्देश्य से गुटनिरपेक्षता
नीति का अनुपालन किया।
गुटनिरपेक्षता
को अपनाये जाने के कारण निम्नलिखित प्रकार से हैं-
1.
भारत किसी गुट में शामिल होकर विश्व में अनावश्यक तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने का इच्छुक
नहीं था।
2.
भारत किसी भी गुट के विचारधारायी प्रभाव से ग्रस्त होना नहीं चाहता था। किसी भी गुट
में शामिल होने पर भारत की शासनप्रणाली एवं नीतियों पर उस गुट विशेष के नेतृत्व का
दृष्टिकोण हावी हो जाता।
3.
भारत की भौगोलिक सीमाएं साम्यवादी देशों से जुड़ीं थीं, अतः पश्चिमी देशों के गुट में
शामिल होना अदूरदर्शी कदम होता। दूसरी ओर साम्यवादी गुट में शामिल होने पर भारत को
विशाल पश्चिमी आर्थिक व तकनीकी सहायता से वंचित होना पड़ता।
4.
नवस्वतंत्र भारत को आर्थिक विकास हेतु दोनों गुटों से समग्र तकनीकी एवं आर्थिक सहायता
की जरूरत थी, जिसे गुटनिरपेक्ष रहकर ही प्राप्त किया जा सकता था।
5.
गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत भारत की मिश्रित एवं सर्वमान्य संस्कृति के अनुरूप था।
6.
भारत के दक्षिणपंथी तथा वामपंथी दलों के विदेश नीति से जुड़े आपसी मतभेदों को समाप्त
करने का सर्वमान्य सूत्र, गुटनिरपेक्षता सिद्धांत को ही स्वीकार किया गय।
7.
गुटनिरपेक्षता स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान घोषित आदशों एवं मान्यताओं का पोषण करती
थी। यह गांधीवादी विचारधारा के सर्वाधिक निकट थी।
इस
प्रकार उपर्युक्त कारणों से भारत ने गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत को अपने विश्व राजनीतिक
व्यवहार का प्रमुख मापदंड बनाया।
भारत
की गुटनिरपेक्षता के प्रमुख लक्ष्य
स्वतंत्रता
आंदोलन के समय से ही भारतीय नेताओं पर कुछ मान्यताओं का स्पष्ट प्रभाव पड़ चुका था।
ये मान्यताएं थीं- राजनीति एवं सत्ता का आदर्शवादी दृष्टिकोण, एशियावाद, पश्चिमी लोकतांत्रिक
प्रणाली तथा साम्यवाद का सैद्धांतिक रूप से खंडन और अंतरराष्ट्रीय सम्बंधों के आदर्शवादी
दृष्टिकोण को मान्यता।
इन
मान्यताओं के प्रत्यक्ष प्रभाव के आलोक में ही भारत की गुटनिरपेक्षता नीति के लक्ष्य
निर्धारित किये गये। ये लक्ष्य इस प्रकार थे-
1.
अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को कायम रखना और उसका संवर्धन करना।
2.
उपनिवेशों के लोगों के आत्मनिर्णय अधिकार को बढ़ावा देना।
3.
समानता पर आधारित विश्व समुदाय की स्थापना तथा रंगभेद का विरोध।
4.
आणविक निरस्त्रीकरण तथा नवीन आर्थिक व्यवस्था की स्थापना।
5.
अफ्रीका और एशिया के देशों का समर्थन।
6.
अंतरराष्ट्रीय विवादों तथा संघर्षों के शांतिपूर्ण निपटारे का समर्थन ।
7.
संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के अंतर्गत ही उपर्युक्त लक्ष्यों की सिद्धि करना।
गुटनिरपेक्षता
की मुख्य विशेषताएं हैं-
1.
शीतयुद्ध का विरोध
2.
सैन्य एवं सुरक्षा गठबंधनों का विरोध
3.
शक्ति राजनीति से निर्लिप्तता
4.
स्वतंत्र विदेश नीति का समर्थन
5.
शांतिपूर्ण सहअस्तित्व तथा अहस्तक्षेप
6.
अलगाववाद की बजाय क्रियाशीलता की नीति
7.
कूटनीतिक साधन या वैधानिक स्थिति नहीं
8.
गुटनिरपेक्ष देशों की गुटबंदी नहीं
9.
विकास के लिए आपसी सहयोग की नीति
10.
नवउपनिवेशवाद का विरोध ।
मूल्यांकन
भारत
की गुटनिरपेक्षता की नीति पूर्णतः नेहरू के दृष्टिकोण और अंतःप्रज्ञा पर आधारित थी।
इसी कारण गुटनिरपेक्षता को सुसंगत एवं बोधगम्य नीति का रूप देने में कठिनाई पैदा हुई।
नेहरू द्वारा गुटनिरपेक्षता को विदेशनीति का साधन तथा लक्ष्य-दोनों, एक साथ मान लेना
एक गंभीर भूल थी। गुटनिरपेक्षता भारतीय विदेश नीति की आधारशिला है तथा उसका किसी भी
परिस्थिति में परित्याग नहीं किया जा सकता, यह मान लेना आत्मघाती था। परिस्थितियों
को ध्यान में रखकर गुटनिरपेक्षता के प्रति विभिन्न दृष्टिकोणों को अपनाया जाना अधिक
युक्तिसंगत साबित हो सकता था। इसी प्रकार गुटनिरपेक्षता की नैतिकता से सम्बद्ध मानना
असंगत था।
48. सोवियत संघ के विघटन का भारत जैसे देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
- सोवियत संघ के विघटन से पूर्व भारत और सोवियत संघ के बीच काफी अच्छे सम्बन्ध थे।
इसके बाद भारत के रूस के साथ भी गहरे सम्बन्ध बने। रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय
विश्व का था। भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के परिणाम भारत हेतु सोवियत
संघ के विघटन के अग्रलिखित परिणाम हुए-
⦁
सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत को यह आशा होने लगी कि अन्तर्राष्ट्रीय तनाव एवं संघर्ष
की समाप्ति हो जाएगी और हथियारों की दौड़ पर अंकुश लगेगा।
⦁
भारत जैसे देशों में लोग पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शक्तिशाली
एवं महत्त्वपूर्ण . अर्थव्यवस्था मानने लगे। उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की नीतियाँ अपनायी
जाने लगीं।
⦁ भारत में राजनीतिक रूप से उदारवादी लोकतन्त्र को
सभी दलों में श्रेष्ठ समझा।
⦁
भारत की विदेश नीति में परिवर्तन आया। भारत ने सोवियत संघ से अलग हुए सभी गणराज्यों
से नए रूप में अपने सम्बन्ध स्थापित किए। साथ ही चीन के साथ भारत को सम्बन्ध सुधारने
का भी लाभ हुआ।
⦁
भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश है। रूस भारत की परमाण्विक
योजना के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। भारत और रूस विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं में साझीदार
है।
इस
तरह स्पष्ट है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत ने अपनी विदेश नीति में थोड़ा-सा
परिवर्तन करके भारत के हितों की पूर्ति एवं अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को
और अधिक सुधारा।
49. भारत श्रीलंका संबंध पर एक नोट लिखें।
उत्तर
- भारत और श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित दो दक्षिण एशियाई देश हैं। भौगोलिक
दृष्टि से श्रीलंका भारत के दक्षिणी तट पर स्थित है, जो पाक जलडमरूमध्य द्वारा अलग
किया गया है।
इस
निकटता ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूती प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभाई है।
हिंद
महासागर व्यापार और सैन्य अभियानों के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण जलमार्ग है
तथा प्रमुख शिपिंग लेन के क्रॉस रोड पर श्रीलंका का स्थान इसे भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण
नियंत्रण बिंदु बनाता है।
संबंध:
ऐतिहासिक
संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच प्राचीन काल से ही
सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक संबंधों का एक वृहद् इतिहास रहा है।
दोनों
देशों के बीच मज़बूत सांस्कृतिक संबंध हैं, श्रीलंका के कई निवासी अपनी विरासत भारत
से जोड़ते हैं। बौद्ध धर्म, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई, श्रीलंका में भी एक महत्त्वपूर्ण
धर्म है।
आर्थिक
संबंध: अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत श्रीलंका का
तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। श्रीलंका अपने 60% से अधिक के निर्यात हेतु भारत-श्रीलंका
मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाता है। भारत श्रीलंका में एक प्रमुख निवेशक भी है।
वर्ष
2005 से 2019 तक भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) लगभग 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर
रहा।
रक्षा:
भारत और श्रीलंका संयुक्त सैन्य (मित्र शक्ति) तथा नौसेना अभ्यास (SLINEX) आयोजित करते
हैं।
समूहों
में भागीदारी: श्रीलंका बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक
सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) तथा SAARC जैसे समूहों का भी सदस्य है
जिसमें भारत अग्रणी भूमिका निभाता है।
50. भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में कांग्रेस के वर्चस्व के युग की चर्चा
करें।
उत्तर
- कई देशों में एकदलीय शासन रहा है, लेकिन भारत अपनी लोकतांत्रिक स्थितियों में अद्वितीय
है। हालाँकि कई पार्टियाँ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में उतरीं, फिर भी कांग्रेस चुनाव
दर चुनाव जीतने में सफल रही। 1885 और 1905 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने
वार्षिक सत्र में कई प्रस्ताव पारित किये। इन प्रस्तावों के साथ-साथ कांग्रेस द्वारा
की गई विनम्र मांगों में प्रशासनिक, आर्थिक और संवैधानिक नीतियां और नागरिक अधिकार
शामिल थे।
कांग्रेस
के प्रभुत्व के लिए जिम्मेदार कारक-
•
कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रीय आंदोलन के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था
•
कई हस्तियाँ जो अभियान में सबसे आगे थीं, अब कांग्रेस के लिए दौड़ रही थीं
•
कांग्रेस पहले से ही एक सुसंगठित पार्टी थी, और इससे पहले कि अन्य पार्टियाँ कोई रणनीति
सोच पातीं, कांग्रेस के प्रभुत्व ने अपना अभियान शुरू कर दिया था।
•
देश की आजादी के ठीक आसपास या उसके बाद कई राजनीतिक दलों का निर्माण हुआ। परिणामस्वरूप,
कांग्रेस को "प्रथम स्थान पर" होने का लाभ मिला।
•
आजादी के समय तक पार्टी न केवल पूरे देश में फैल चुकी थी, बल्कि स्थानीय स्तर तक इसका
एक संगठनात्मक नेटवर्क भी था।
•
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चूंकि कांग्रेस का प्रभुत्व हाल तक एक राष्ट्रीय आंदोलन
था, इसलिए यह सर्व-समावेशी था
1885
में कांग्रेस नवशिक्षित, पेशेवर और वाणिज्यिक वर्गों के लिए एक दबाव संगठन से बढ़कर
बीसवीं सदी में एक जन आंदोलन बन गई। इसने पार्टी को अंततः एक बड़े राजनीतिक दल में
बदलने और उसके बाद राजनीतिक प्रभुत्व के लिए आधार प्रदान किया।
51.स्वतंत्रता के बाद भारत के समक्ष उत्पन्न हुवे चुनौतियों पर चर्चा
करें।
उत्तर
- स्वतंत्रता के लिये एक लंबे संघर्ष के बाद भारत 15 अगस्त, 1947 को औपनिवेशिक शासन
से स्वतंत्र हुआ। हालाँकि यह स्वतंत्रता अपने साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं
के एक समूह के साथ आई।
स्वतंत्रता
के बाद भारत के सामने उपस्थित विभिन्न चुनौतियाँ:
•
विभाजन: विभाजन को बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा
के रूप में चिह्नित किया गया था। इसके अलावा विभाजन के कारण ही कश्मीर समस्या की उत्पत्ति
हुई और उसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के साथ युद्ध भी भी हुआ। साथ ही भारत को बड़ी संख्या
में शरणार्थियों को पुनर्वास प्रदान करने की आवश्यकता थी।
•
बड़े पैमाने पर गरीबी और निरक्षरता: स्वतंत्रता के समय
भारत में लगभग 80% या लगभग 250 मिलियन आबादी गरीब थी। अकाल और भूख ने भारत को अपनी
खाद्य सुरक्षा के लिये बाहरी मदद लेने हेतु प्रेरित किया।
•
विविधता में एकता सुनिश्चित करना: एक नए स्वतंत्र भारत
जिसे मुख्य रूप से रियासतों को आत्मसात करने से उत्पन्न चुनौतियों के कारण देश की एकता
और संप्रभुता को बनाए रखने की आवश्यकता थी।
•
ब्रिटिश भारतीय प्रांतों की सीमाओं को सांस्कृतिक और भाषाई एकता के बारे में सोचे बिना
बेतरतीब ढंग से खींचा गया था।
•
कम आर्थिक क्षमता: भारत में स्थिर कृषि और निम्न
औद्योगिक आधार जैसी समस्याएं मौजूद थीं। वर्ष 1947 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में
कृषि का 54% हिस्सा था। स्वतंत्रता के समय भारत की 60% जनसंख्या जीविका के लिए कृषि
पर निर्भर थी।
•
शीत-युद्ध तनाव: अधिकांश विकासशील देश संयुक्त राज्य अमेरिका
या सोवियत संघ की दो महाशक्तियों में से किसी एक से जुड़े हुए थे।
•
भारत ने शीत युद्ध की राजनीति से दूर रहने और इसके आंतरिक विकास पर ध्यान केंद्रित
करने के लिये गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया।
निष्कर्ष
सामाजिक-आर्थिक
और राजनीतिक चुनौतियों के कारण स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर कई ब्रिटिश विद्वानों
ने भविष्यवाणी की थी कि भारत एक राष्ट्र के रूप में जीवित नहीं रहेगा।
हालाँकि
यह इसके संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति भारत की मज़बूत प्रतिबद्धता ही थी जिसने भारत
को न केवल एक राष्ट्र के रूप में जीवित रहने के लिये बल्कि नए स्वतंत्र देशों के नेता
के रूप में उभरने हेतु भी प्रेरित किया।
52. भारत ने किस वर्ष "क्योटो प्रोटोकाल" पर हस्ताक्षर किये?
भारत तथा कई अन्य विकासशील देशों को "क्योटो प्रोटोकाल" की बाध्यताओं से
क्यों छूट दी गई हैं ?
उत्तर
- भारत ने 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये और इसका अनुमोदन किया गया।
भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट दी गयी
क्योंकि औद्योगीकरण के इतिहास में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में इनका
कोई विशेष योगदान नहीं था।
भारत
एक उभरता हुआ विकासशील देश है और वर्तमान में उसका तेजी से औद्योगीकरण जारी है। इसलिए
यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि उस पर भी बाध्यताएँ लागू होनी चाहिए। लेकिन अब तक के
औद्योगिक विकास में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में विकसित देशों के अधिक योगदान
के कारणभारत जैसे विकासशील देशों को बाध्यताओं से छूट दी गयी है।
ओलियम
गैस प्रकरण (1985) में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
(i)
भारत सरकार विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित करे जो सुरक्षा सम्बन्धी उपचार बताये।
(ii)
कारखानों के इर्द-गिर्द वृक्षारोपण व हरियाली हो।
(iii)
कारखानों में रहने वाले लोगों को पर्यावरण सम्बन्धी जानकारी उपलब्ध कराई जाये।
(iv)
कारखानों को ऐसी प्रत्याभूति योजनाएँ बनानी चाहिए कि दुर्घटनाग्रस्त पक्ष को बैंकों
से अविलम्ब अनुग्रह राशि मिल सके।
(v)
क्षेत्रीय स्तरों पर पर्यावरण सम्बन्धी अदालतें स्थापित की जायें ताकि ऐसे विवादों
का यथाशीघ्र निपटान हो सके।
पृथ्वी
शिखर सम्मेलन के चार्टर (1992) के मुख्य बिन्दु
(i)
सभी मानवों का यह अधिकार है कि वे प्रकृति से माधुर्य रखकर स्वस्थ व सुरक्षापूर्ण जीवन
व्यतीत कर सकें।
(ii)
विकास व पर्यावरण की अवधारणाओं को संश्लेषित किया जाना चाहिए।
(iii)
पर्यावरण की सुरक्षा का दायित्व सभी देशों व सभी लोगों पर है।
(iv)
पोषणीय विकास के साथ लोगों को अपने जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ानी चाहिए।
(v) शान्ति, विकास तथा पर्यावरण की सुरक्षा अन्तः निर्भर हैं।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
भाग 1 ( समकालीन विश्व राजनीति) | |
भाग 2 (स्वतंत्र भारत में राजनीति ) | |