Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 काव्य-खंड पाठ 12. संध्या के बाद

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 Class 11 Hindi Elective अंतरा भाग -1 गद्य-खंड पाठ 8. भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11 Hindi Elective

अंतरा भाग -1 काव्य-खंड

पाठ 12. संध्या के बाद

कवि परिचय [सुमित्रानंदन पंत (सन् 1900-1977)]

सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा, उत्तराखंड के कौसानी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में तथा उच्च शिक्षा बनारस और इलाहाबाद में हुई। सन् 1919 में गाँधी जी के एक भाषण से प्रभावित होकर उन्होंने बिना परीक्षा दिए ही अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ दी और स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय हो हो गए।

पंत का काव्य-संग्रह 'पल्लव' और उसकी भूमिका हिंदी कविता में युगांतकारी महत्व रखते हैं। उन्होंने सन् 1938 में 'रूपाभ नामक पत्रिका निकाली, जिसकी प्रगतिशील साहित्य चेतना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पंतजी प्रकृति-प्रेम और सौंदर्य के कवि हैं। छायावादी कवियों में वे सबसे अधिक भावुक तथा कल्पनाशील कवि के रूप में चर्चित रहे हैं। कल्पनाशीलता के साथ-साथ रहस्यानुभूति और मानवतावादी दृष्टि उनके काव्य की मुख्य विशेषताएँ हैं।

पंत का संपूर्ण साहित्य आधुनिक चेतना का वाहक है। उन्होंने खड़ी बोली हिंदी की काव्य-आषा की व्यंजना शक्ति का विकास किया और उसे भावों तथा विचारों की अभिव्यक्ति के लिए अधिक सक्षम बनाया, इसीलिए उन्हें शब्द-शिल्पी कवि भी कहा जाता है।

पंत जी की महत्वपूर्ण काव्य कृतियाँ हैं- 'वीणा', 'ग्रंथि', 'पल्लव', 'गुंजन', 'युगांत', 'युगवाणी', 'ग्राम्या', 'स्वर्ण किरण', 'उत्तरा', 'कला और बूढ़ा चाँद', 'चिदंबरा' आदि। पंत जी ने छोटी कविताओं और गीतों के साथ 'परिवर्तन' जैसी लंबी कविता और 'लोकायतन' नामक महाकाव्य की रचना भी की है।

पाठ परिचय

'संध्या के बाद' कविता सुमित्रानंदन पंत के 'ग्राम्या' संकलन से ली गई है। 'ग्राम्या' का मूल स्वर ग्रामीण जन-जीवन के विविध सामाजिक यथार्थ से जुड़ता है। इस कविता में ढलती हुई साँझ के समय गाँव के वातावरण, जनजीवन और प्रकृति का सुंदर चित्रण हुआ है, जिसमें वृद्धाएँ, विधवाएँ, खेत से घर लौटते किसान और पशु-पक्षियों का चित्रण उल्लेखनीय है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

1. संध्या के समय प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं ? कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तरः- संध्या का वर्णन करते हुए सुमित्रानंदन पंत कहते हैं कि संध्या की लालिमा अपनै पंखें समेटकर वृक्षों की चोटियों पर जाकर बैठ गई है। साँझ की लाली के कारण पीपल के सूखे हुए पर्ती के रंग तांबे जैसा हो गया है। क्षितिज पर डूबते हुए सूर्य की परछाई नदी में ऐसे रूप में दिखाई दे रही है जैसे कोई प्रकाश-स्तंभ उस नदी की गहराई में धँसता जा रहा है। गंगा की विशाल टेढी-मेठी लहरों से युक्त जल राशि थके हुए कैचल के समान रंग-बिरंगी लंग रही है। नदी के किनारे पसरी हुई रेत हवा के झोंकों के कारण सॉप की आकृति धारण कर चुकी है।

नदी के नीले जल पर पड़ती हुई सूर्य की लाल किरणों के कारण जल की आभा पीली लगती है। रेत, पानी और हवा स्नेह पाश में बंधे हुए दिखाई देते हैं। आकाश पक्षियों की आवाज़ से ध्वनि युक्त है। मंदिर में शंख और घंटों की ध्वनि से मानो लहरै भी कंपन करने लगते है। पंक्तिबद्ध होकर उड़ते हुए सोन पक्षी अपनी आवाज़ से शांत आकाश को मुखरित कर देते हैं। इस समय गायों के खुरों से उठी हुई धूल सोने के चूर्ण जैसी सुनहरी लगती है। पक्षी अपने घोंसले की ओर लौट रहे हैं।

2. पंत जी ने नदी के तट का जो वर्णन किया है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तरः- कवि सुमित्रानंदन पंत ने 'संध्या के बाद' कविता में नदी के तट का वर्णन करते हुए कहा है कि नदी के किनारे पसरी हुई रेत हवा के झो ऑर्को के कारण सॉप की आकृति धारण कर चुकी है। उसके उभरे हुए भाग पर तो प्रकाश पड़ रहा है, परंतु गहरे हिस्सों पर छाया पड़ रही है। इस प्रकार पूरी रेत धूप-छाँव के रंग में रंगी हुई लग रही है। आकाश में छार्य चाँदी जैसे सफेद बादलों पर सूर्य की किरणों से छाया हुआ पीलापन नदी के जल में प्रतिबिंबित होकर उस स्थौन के जल को भी पीला बना दे रहा है, जहाँ उसकी परछाई पड़ रही है। जल में पीले प्रकाश की चाँदी जैसी आआ नीली लहरों में हिलकर अ‌द्वितीय हो रही है। संध्या के समय नदी का जल, किनारे की रेत और वहाँ बहने वाली शीतल हवा शाश्वत स्नेह के बंधन में बंधकर एकाकार हो चुके हैं। गंगा तट पर मंदिर में शंखों और घंर्टी की आवाज सुनाई दे रही है। उसके संगीत से जो लय उत्पन्न होती है, उसे गंगा का जल तरंगित हो गया है। नदी के तट पर बूढी विधवा जप और ध्यान में लीन होकर बगूलों की तरह निश्चल- अवस्थित सी प्रतीत हो रही है। उन विधवाओं के जप-तप में अपने अज्ञात भविष्य की चिंता के साये हैं।

3. बस्ती के छोटे से गाँव के अवसाद को किन-किन उपकरणों के द्वारा व्यक्त किया गया है?

उत्तरः- बस्ती के छोटे से गाँव के अवसाद को जाड़े की अंधेरी रात के दद्वारा अभिव्यक्त किया गया है कि गाँव के घरों में टीन की ढिबरी जलाई जाती है जो धुओं अधिक तथा रोशनी कम देती है। दीपक की लौ के संग उनके हृदय का कातर क्रंदन मूक निराशा काँपती रहती है अर्थात बस्ती के छोटे से गाँव में लोग इकट्ठा होते हैं और दीपक के प्रकाश में अपने लेन-देन की बात के अतिरिक्त अपने मन के दुख-दर्द को आपस में बॉटकर हल्का कर लेते हैं। बस्ती के निर्धन लोगों की निराशा और दुख दीपक की लौ की तरह कॉप कॉपकर प्रकट हो रहे हैं। लोगों के हृदय का मूक रुदन दीपक की धीमी रोशनी में जैसे मुखरित हो उठता है। गाँव का छोटा दुकानदार ग्राहकों की प्रतीक्षा में बैठा हुआ है। ग्रामीणों के मिट्टी एवं खपरैल के मकान से अवसाद अभिव्यक्त किया गया है।

4. लाला के मन में उठने वाली दुविधा को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तरः- लाला सर्दी की रात में अकेला अपनी दुकान पर बैठा हुआ अपने जीवन की असफलताओं व परेशानियों के विषय में सोच कर चिंतित और व्याकुल है। उसका मन पर्याप्त धन उपार्जन न कर पाने की ग्लानि से भर गया है। धनोपार्जन के लिए उसे तरह-तरह के अपमान सहना पड़ रहा है। फिर भी वह अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहा है। पैसे कमाने की होड़ में बार-बार झूठ बोलने के बावजूद परिवार के सदस्यों की जरूरत पूरे करने में वह असमर्थ है। वह आज तक अपने परिवार के लिए पक्का मकान भी नहीं बना पाया है। उसके मन में इस बात की पीड़ा है कि वह शहरी बनियों के समान महाजन क्यों नहीं बन पाया? वह व्यवस्था परिवर्तन की बात सोचते हुए शोषण मुक्त समाज की कल्पना करता है, परंतु सौदे में दंडी भी मारता है।

5. सामाजिक समानता की छवि की कल्पना किस तरह व्यक्त हुई है?

उत्तरः- सामाजिक समानता के विषय में अपनी कल्पना को अभिव्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि लोग सामूहिक जीवन के बारे में सोचें। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे लोगों के मन में सामूहिक जीवन जीने की भावना उत्पन्न हो? क्या व्यक्तिगत हित के स्थान पर संपूर्ण समाज के कल्याण की भावना जन-जन में विकसित नहीं हो सकती? बनिया के माध्यम से कवि सामाजिक समानता की छवि की कल्पना करते हुए ऐसे तरीकों की खोज की बात करते हैं जिससे समाज के सारे लोग मिलकर विश्व का निर्माण करें और सभी मिलजुलकर समान रूप से जीवन के सुखों का उपभोग करें। जन सामान्य का शोषण न हो, आम आदमी शोषण के बंधन से मुक्त हो जाए और संपति पर पूरे समाज का अधिकार हो। कवि का मानना है कि यदि ऐसा कुछ हो सका तभी समाज से शोषण दूर हो सकेगा। व्यक्ति के परिश्रम का लाभ व्यक्ति में विभाजित होगा और समानता के आधार पर सब एक समान सुखी होंगे।

6. 'कर्म और गुण के समान हो.... वितरण' पंक्ति के माध्यम से कौवे कैसे समाज की ओर संकेत कर रहा है?

उत्तर:- 'कर्म और गुण के समान हो... वितरण' पंक्ति के माध्यम से कवि ऐसे समाज की ओर संकेत कर रहे हैं जिसमें संपत्ति का विभाजन कर्म और गुण के आधार पर हो। साम्यवादी विचारधारा के अनुसार आय व्यक्ति की नहीं बल्कि समाज की होती है जिसपर पूरे राष्ट्र का समान अधिकार होता है। इसलिए राष्ट्रीय आय का विभाजन पूरे राष्ट्र में कर्म एवं गुण के आधार पर समान रूप से होना चाहिए, न कि किसी वर्ग विशेष का इस पर आधिपत्य होना चाहिए।

7. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ

विधवाएँ जप ध्यान में मगन,

मंथर धारा में बहता

जिनका अदृश्य, गति अंतर रोदन।

उत्तरः- भाव पक्ष कवि सुमित्रानंदन पंत ने 'संध्या के बाद' कविता में नदी के तट का संध्याकालीन सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि नदी के किनारे श्वेत वस्त्र पहने हुए ध्यान मग्न वृद्ध विधवाओं को देखकर ऐसा लगता है जैसे बगु‌ले कतार से बैठे हों। इन विधवाओं के मन में छिपा दुख नदी की मंथर धारा की तरह अदृश्य गति से बह रहा है। विधवाओं के अज्ञात भविष्य को नदी की मंथर धारा में बहता दर्शाकर कवि यह भाव प्रकट करना चाहता है कि जिस प्रकार नदी की बहती हुई धारा आगे चलकर कब और कहाँ विलुप्त हो जाएगी, यह निश्चित नहीं है, उसी प्रकार विधवाओं का भविष्य अनिश्चित है। उनके हृदय का विलाप भी नदी की धारा के साथ प्रवाहित हो रहा है। यहाँ विधवाओं की दयनीय दशा का अत्यंत भावपूर्ण चित्रण हुआ है।

शिल्प-सौंदर्य- इन पंक्तियों में सरस, प्रवाहमयी एवं भावपूर्ण आषा का प्रयोग हुआ है। तत्सम शब्दों का प्रयोग है। वृद्धाएँ विधवाएँ में अनुप्रास अलंकार तथा बगुलों- सी वृद्धाएँ में उपमा अलंकार है। पंक्तियों में चित्रात्मकता के गुण दर्शनीय हैं। काव्यांश में सुंदर शब्द -योजना है। संगीतात्मकता की मधुरता पूरे काव्यांश में विद्यमान है। करुण रस की प्रधानता है।

8. आशय स्पष्ट कीजिए-

क. ताम्मपर्ण, पीपल से, शतमुख झरते चंचल स्वर्णिम निर्झर।

उत्तरः- कवि संध्याकाल का वर्णन करते हुए कहता है कि सुबह की लालिमा से पीपल के पते ताँबे जैसे वर्ण के लग रहे हैं। उनके बीच से निकली सुनहरी किरणें ऐसी लगती हैं मानो सैंकड़ों मुख वाले झरने सुनहरी धाराओं में बह रहे हैं।

ख. दीप शिखा-सा ज्वलित कलश नभ में उठकर करता नीराजन ।

उत्तरः- संध्याकाल में मंदिर की चोटी पर लगा हुआ चमकीला कलश सूर्य की लालिमा पड़ने के कारण जलती हुई दीपशिखा के समान लगने लगता है। उस समय ऐसा प्रतीत होता है कि वह ज्योतिर्मान कलश प्रज्ज्वलित दीपशिखा का रूप धारण कर आकाश में ऊपर उठकर आरती कर रहा है।

ग. सोन खगों की पाँति / आर्द्र ध्वनि से नीरव नभ करती मुखरित ।

उत्तरः- आशय यह है कि संध्या के समय आकाश शांत एवं शब्दरहित है। संध्याकाल में नीड़ों की ओर लौटते सोन पक्षियों का कलरव शांत एवं शब्दरहित नभ को मुखरित कर रहा है।

घ. मन से कढ़ अवसाद श्रांति / आँखों के आगे बनती जाला।

उत्तरः- काव्यांश में संध्या के बाद ग्रामीण दुकानदारों की स्थिति का वर्णन किया गया है। साँझ के समय मिट्टी के तेल से जलने वाली छोटी सी ढिबरी से उजाला कम और धुआँ अधिक फैल रहा है। कवि को ऐसा लगता है कि जैसे ग्रामीण दुकानदारों के मन के भीतर छाई हुई उदासी और थकान ही वहाँ से बाहर निकलकर आँखों के आगे जाल बना रही है।

ड. क्षीण ज्योति ने चुपके ज्यों/गोपन मन को दे दी हो आषा।

उत्तरः ढलती हुई संध्या का अत्यंत भावपूर्ण चित्रण करते हुए कवि सुमित्रानंदन पंत लिखते है कि संध्या ढलने के बौद लाला की दुकान में जल रहे दीपक की लौ की ज्योति क्षीण होती जा रही है। धीमी होती प्रकाश में ग्रामीण जन अपने मन में छिपी करुण कथा को एक दूसरे से बाँटते हैं। उसे देखकर ऐसा लग रहा है जैसे दीपक की मंद होती जा रही लौ ने मन के अंदर के छिपे हुए भावों को भाषा दे दी हो।

च. बिना आय की क्लांति बन रही। उसके जीवन की परिभाषा।

उत्तरः- संध्या में लाला अपनी दुकान पर अकेला बैठा हुआ अपने जीवन की असफलताओं पर विचार करते हुए सोच रहा है कि उसकी आमदनी बहुत कम है जिसकै कारण उसके जीवन में केवल दुख ही दुख है। अतः वह सोचता है कि मेरे जीवन में आय के अभाव की थकावट ही मेरा परिचय बनकर उपस्थित हो रही है।

छ. व्यक्ति नहीं जग की परिपाटी / दोषी जन के दुख क्लेश की।

उत्तरः- सर्दी की संध्या में लाला अपनी दुकान पर अकेला बैठा हुआ विचार कर रहा है कि हमारी दयनीय और दुखपूर्ण अवस्था के लिए किसी व्यक्ति को दोष देना व्यर्थ है। वास्तव में मनुष्य के दुखों एवं क्लेशों का दोष समाज के प्राचीन परंपराओं एवं मान्यताओं का है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. सुमित्रानंदन पंत किस काव्य-धारा के कवि हैं?

क. छायावादी काव्यधारा

ख. प्रयोगवादी काव्यधारा

ग. हालावादी काव्यधारा

घ. इनमें से कोई नहीं

2. सुमित्रानंदन पंत का जन्म कहाँ हुआ था?

क. अल्मोड़ा, उत्तराखंड

ख. फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश

ग. मधुबनी, बिहार

घ. बिलासपुर, मध्य प्रदेश

3. सुमित्रानंदन पंत के किस काव्य संग्रह को छायावाद का ऐतिहासिक घोषणा पत्र कहा गया है?

क. पल्लव

ख. युगांत

ग. युगवाणी

घ. ग्राम्या

4. सुमित्रानंदन पंत द्वारा संपादित पत्रिका है-

क. चंद

ख. रूपाभ

ग. प्रतीक

घ. दीपक

5. सुमित्रानंदन पंत की काव्य भाषा कौन सी है?

क. ब्रजभाषा

ख. संस्कृत

ग. खड़ी बोली हिंदी

घ. क और ख दोनों

6. कवि पंत को किस रचना के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ?

क. पल्लव

ख. गुंजन

ग. चिदंबरा

घ. कला और बूढ़ा चांद

7. कवि पंत द्वारा रचित महाकाव्य का नाम है-

क. कामायनी

ख. लोकायतन

ग. परिवर्तन

घ. क और ख दोनों

8. 'संध्या के बाद' कविता कवि पंत के किस काव्य संकलन में संग्रहित है?

क. ग्राम्या

ख. युगवाणी

ग. उत्तर

घ. युगांत

9. ग्राम्या काव्य संग्रह का प्रकाशन वर्ष क्या है?

क. 1937

ख. 1938

ग. 1939

घ. 1940

10. ग्रामीण जीवन के प्रति बौद्धिक सहानुभूति कवि पंत की किस रचना में अभिव्यक्त हुआ है?

क. ग्रंथि

ख. युगांत

ग. युगवाणी

घ. ग्राम्या

11. 'संध्या के बाद' शीर्षक कविता में संध्या को किस रूप में चित्रित किया गया है ?

क. स्त्री

ख. नर्तकी

ग. चंचला

घ. पक्षी

12. संध्या की लाली अपने पंख सिमटा कर कहाँ जा बैठी है?

क. पेड़ की फुनगियों पर

ख. क्षितिज के किनारों पर

ग. सरिता के जल पर

घ. इनमें से कोई नहीं

13. संध्या के बाद सूर्य कहाँ ओझल होता है ?

क. गंगाजल में

ख. क्षितिज पर

ग. सरिता में

घ. अनिल में

14. 'ज्योति स्तंभ सा धंसा सरिता में पंक्ति के आधार पर बताएँ किसकी ज्योति स्तंभ के समान प्रतीत हो रही है?

क. साँझ की

ख. चाँद की

ग. रात की

घ. सूर्य की

15. 'वृहद जिहवा विश्वलय केचुल-सा' पंक्ति में विश्वलथ का अर्थ क्या है ?

क. विशाल

ख. अदृश्य

ग. थका हुआ

घ. हारा हुआ

16. अनिल ऊर्मियों में कौन सर्प का रूप ले रहा है ?

क. लहर

ख. हवा

ग. रेत

घ. जल

17. कौन सदा से स्नेह पास में बँधे हुए हैं?

क. सिकता, सलिल, समीर

ख. शिखर, साँझ, निर्झर

ग. ज्योति, किरण, प्रकाश

घ. इनमें से कोई नहीं

18. स्नेह पाश में बँधे समुज्ज्वल पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

क. उपमा

ख. अनुप्रास

ग. रूपक

घ. उपर्युक्त सभी

19. संध्या के बाद शंख और घंट कहाँ बजते हैं?

क. चौराहे पर

ख. घर में

ग. मंदिर में

घ. उपर्युक्त सभी

20. कवि ने वृद्धाओं की तुलना बगुलों से क्यों की है ?

क. कमजोर पैरों के कारण

ख. शारीरिक दुर्बलता के कारण

ग. सफेद वस्त्र के कारण

घ. कमजोर दृष्टि के कारण

21. किसके मन की अदृश्य पीड़ा नदी की धीमी धारा में बह जाती है ?

क. विधवाओं की

ख. मुसाफिरों की

ग. कन्याओं की

घ. उपर्युक्त कोई नहीं

22. पक्षियों की उड़ती पंक्ति की तुलना किससे की गई है ?

क. इंद्रधनुष से

ख. रेखाओं से

ग. बादलों से

घ. इनमें से कोई नहीं

23. स्वर्ण चूर्ण-सी में कौन-सा अलंकार का प्रयोग हुआ है?

क. रूपक

ख. उपमा

ग. उत्प्रेक्षा

घ. इनमें से कोई नहीं

24. 'संध्या के बाद' कविता किस छंद में रचित है ?

क. दोहा छंद

ख. चौपाई छंद

ग. मुक्त छंद

घ. इनमें से कोई नहीं

25. 'हुआँ-हुआँ - करते सियार पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

क. रूपक अलंकार

ख. मानवीकरण अलंकार

ग. पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार

घ. इनमें से कोई नहीं

26. ऊँट, घोड़े के संग बैठकर खाली बोरो पर कौन हुक्का पी रहे हैं?

क. कृषक

ख. युवक

ग. व्यापारी

घ. उपर्युक्त सभी

27. संध्या के बाद कहाँ से धुआँ सा उठने लगा है ?

क. चाय की दुकान से

ख. माली की मंडई से

ग. पाठशाला की रसोई से

घ. क और ख दोनों से

28. 'फिर भी क्या कुटुंब पलता है पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

क. दृष्टांत अलंकार

ख. उत्प्रेक्षा अलंकार

ग. प्रश्न अलंकार

घ. इनमें से कोई नहीं

29. बस्ती का बनिया क्या सोच रहा है ?

क. अपनी विवशता का कारण

ख. अपनी अभिलाषा का कारण

ग. अपने परिजन का सुख

घ. उपर्युक्त सभी

30. 'संध्या के बाद' कविता का मूल स्वर क्या है?

क. ग्रामीण जनजीवन का सामाजिक यथार्थ

ख. शहरी जनजीवन का नग्न यथार्थ

ग. ग्रामीण परिवेश का कुंठाग्रस्त चित्रण

घ. उपर्युक्त सभी

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. काव्य रचना के क्षेत्र में पंत जी की रचनाओं के चार पड़ाव कौन-कौन से हैं?

उत्तरः- छायावादी, प्रगतिवादी, नई कविता, अरविंद दर्शन।

2. पंत की किस रचना पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला?

उत्तरः- पंत जी को अपनी रचना चितंबरा पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968 हिंदी साहित्य का प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार) मिला।

3. महाजन किसे कहते हैं?

उत्तरः- वह व्यक्ति जो ब्याज पर धन उधार लेता है उसे महाजन कहते हैं।

4. गंगाजल चितकबरा क्यों लगता है?

उत्तरः- गंगाजल पर कहीं पेड़ों की छाया है और कहीं सूर्य की लाल किरणें हैं इससे वह चितकबरा लग रहा है।

5. मंदिरों में शंख और घंटे कब बजने लगते हैं?

उत्तरः- सूर्य के अस्त होने पर मंदिरों में शंख घंटे बजने लगते हैं।

6. संध्या के समय किस-किस के घर लौटने का वर्णन कविता में किया गया है?

उत्तरः- संध्या के समय कवि गायों, खगों, कृषकों, व्यापारियों के घर लौटने का वर्णन कविता में किया है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. वह प्रसिद्ध छंद लिखिए जिसके आधार पर पंत का प्रकृति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है।

उत्तर:-

छोड़ द्रुमों की मृदु छाया

तोड़ प्रकृति से भी माया

बाले तेरे बाल जाल में

कैसे उलझा दूँ लोचन

भूल अभी से इस जग को।

2. विधवाओं का अंतर रोदन से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तरः- भारतीय परंपरा में विधवाओं की स्थिति बहुत दयनीय होती है और वह भी वृद्धाएँ। पति के अभाँव में आय का कोई स्रोत नहीं है, पुत्र पुत्र वधुओं की उपेक्षा उसे भगवान के शरण में ले जाती है। जब वे एक साथ बैठती हैं तो अपने वेदना को कहकर कुछ हल्का महसूस करती हैं। अंतर रोदन मन की व्यथा-कथा की अभिव्यक्ति है।

3. 'पीला जल रजत जलद से बिंबित' से कवि का क्या आशय है?

उत्तरः 'पीला जल रजत जलद से बिम्बित' से कवि का यह आशय है कि छिपते सूर्य की पीली किरणों से गंगा नदी का जल पीला-पीला दिखाई देने लगता है। बादलों को रजत के समान सफेद बताया गया है। नदी के पीले जल पर जब बादलों की चाँदी की सी परछाई पड़ती है तब एक अद्भुत सौंदर्य की सृष्टि हो जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

जाड़ों की सूनी द्वाभा में

फूल रही निशि छाया गहरी,

डूब रहे निष्प्रभ विषाद में

खेत, बाग, गृह, तरु, तट, लहरी।

बिरहा गाते गाड़ी वाले,

भूक भूककर लड़ते कूकर,

हुआं- हुआं करते सियार

देते विष्णव निशि बेला को स्वर।

उत्तरः- संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ 'संध्या के बाद' शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत हैं। प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने सर्दी के मौसम की संध्या का वर्णन किया है। सर्दी के मौसम में अंधेरा जल्द ही हो जाता है। रात्रि के सन्नाटे में गाड़ीवान को कुत्तों के भौंकने तथा सियारो के हुओं-हुओं की आवाज सुनाई देती हैं।

व्याख्या- कवि कहते हैं कि जाड़े के मौसम में संध्या के बाद धुंधला प्रकाश सूनेपन से भर जाता है। सारी चहल-पहले समाप्त हो जाती है और सारा वातावरण सुनसान हो जाता है। उसे सुन धंधले प्रकाश में रात की गहराती जा रही छाया झूलने लग जाती है। तात्पर्य यह है कि उस समय प्रकाश धीरे-धीरे मंद पड़ जाता है और रात की कालिमा बढ़ने लगती है। खेत, बगीचे, घर, पेड़- पौधे, नदी का किनारा, लहरें सभी अपनी चमक खोकर अवसाद में डूबते चले जा रहे हैं। इस प्रकार दिनभर की आभायुक्त प्रसन्नता के बाद शाम को इन सब पर उदासी छा जाती है।

गाड़ीवान बिरहा (लोकगीत) गाते हुए गाड़ी ले जा रहे हैं। कुते भौंकते हुए आपस में लड़ रहे हैं तथा सियार हओं-हओं की आवाज से उदास रात को अपना स्वर दे रहे हैं। आशय यह है कि जाड़े की साँझ ढलते ही हर ओर खामोशी छा जाती है और बीच-बीच में गाड़ीवानों के बिरहा, कुत्तों के भौंकने और सियार के हुआँ-हुआँ के स्वर से रातें की उदासी प्रकट होने लगती है।

विशेष - शीत ऋतु में संध्या के बाद संपूर्ण वातावरण में छाई उदासी का शब्द चित्रों के द्वारा सजीव वर्णन किया गया है।

भाषा सरल, प्रवाह मयी एवं प्रभावोत्पादक है।

यहाँ निशि अर्थात रात्रि का मानवीकरण किया गया है।

'तरु तट, गाते गाड़ी' में अनुप्रास अलंकार है।

'हुआं- हुआं' और 'भूक-भूक' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

रात्रि के अवसाद का बिंब साकार हो उठा है।

2. काव्य कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः- काव्य मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

1. दृश्य काव्य

2. श्रव्य काव्य

'दृश्य काव्य' में नेत्रों से देखे जाने वाले नाटक आदि को रखा जा सकता है और 'श्रव्य काव्य' सुनने-सुनाने योग्य काव्य को (यथा- कहानी, कविता आदि) रखा जा सकता है। दृश्य काव्य में नाटक आदि आते हैं। श्रव्य काव्य में पहले प्रमुखतः दो भेद पद्य और गद्य किये गये। 'पद्म' के पुनः प्रबन्ध और मुक्तक ये दो भेद किये गये। प्रबन्ध में क्रमबद्ध (सिलसिलेवार) पद्य रचना आती है और मुक्तक में सिलसिले की आवश्यकता न होकर उसका प्रत्येक छंद एक-दूसरे से मुक्त (स्वतंत्र) रहता है। 'प्रबन्ध' काव्य के आकार की होष्ट से दो भेद-महाकाव्य और खंडकाव्य किये गये हैं। 'महाकाव्य' में समग्र जीवन का चित्रण करने का प्रयास रहा- जैसे 'रामचरितमानस' महाकाव्य इसलिए है क्योंकि तुलसी ने श्रीराम के बाल्यकाल से लेकर उनके जीवन के चरमोत्कर्ष तक का समग्र जीवन अंकित करने का प्रयास किया है। 'खंडकाव्य' में जीवन के एक खण्ड या हिस्से मात्र का चित्रण होता है। 'पंचवटी' खण्डकाव्य का उदाहरण है, क्योंकि उसमें मैथिलीशरण गुप्त श्रीराम के पंचवटी बंबंधी जीवन के भाग का चित्रण किया है।

इसी प्रकार 'मुक्तक' के दो भेद माने गये-एक तो 'पाठ्य मुक्तक' दूसरों 'गेय मुक्तक' अर्थात् 'गीतिकाव्य'। 'पाठ्य मुक्तक' पढ़ने-सुनने मात्र के लिए होते हैं। जैसे, रहीम और बिहारी के दोहे। और गीतिकाव्य में संगीतात्मकता और काव्यत्व का सार्थक संगम होता है। कबीर, सूर, तुलसी, मीरा आदि के पद इस गीतिकाव्य का उदाहरण हैं।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

पाठ सं.

पाठ का नाम

अंतरा भाग -1

गद्य-खंड

1.

ईदगाह

2.

दोपहर का भोजन

3.

टार्च बेचने वाले

4.

गूँगे

5.

ज्योतिबा फुले

6.

खानाबदोश

7.

उसकी माँ

8.

भारतवर्ष की उन्नत कैसे हो सकती है

काव्य-खंड

9.

अरे इन दोहुन राह न पाई, बालम, आवो हमारे गेह रे

10.

खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति

11.

हँसी की चोट, सपना, दरबार

12.

संध्या के बाद

13.

जाग तुझको दूर जाना

14.

बादल को घिरते देखा है

15.

हस्तक्षेप

16.

घर में वापसी

अंतराल भाग 1

1.

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

2.

आवारा मसीहा

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

जनसंचार माध्यम

2.

पत्रकारिता के विविध आयाम

3.

डायरी लिखने की कला

4.

पटकथा लेखन

5.

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

6.

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र

JAC वार्षिक परीक्षा, 2023 - प्रश्नोत्तर

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