मॉडल प्रश्न पत्र विषय
कक्षा-12 राजनीति विज्ञान
सामान्य
निर्देश:
1.
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर है ।
2.
सभी प्रश्न अनिवार्य है।
3.
कुल प्रश्नों की
संख्या 52 है।
4.
प्रश्न 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्य दिए गए हैं।
सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न के लिए 01 अंक निर्धारित है।
5.
प्रश्न संख्या 31 से 38 तक
अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना
अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक है।
6.
प्रश्न संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं।
जिसमें से किन्ही: 06 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान
3 अंक
है
7.
प्रश्न संख्या 47 से 52 तक दीर्घ
उत्तरीय प्रश्न है। किन्ही 04 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न
का मान 05 अंक है।
बहुविल्पिय प्रश्न (30×1=30)
1. बोल्शेविक क्रांति कब हुई थी ?
a.1916
b. 1917
c.
1918
d.
1919
2. सोवियत संघ का विघटन
कब हुआ ?
a.
1990
b.1991
c.
1992
d.
2006
3. खुले
द्वार की नीति चीन में किसने अपनाई
?
a.
माओत्से तुंग
b.
डॉक्टर सनयात सेन
c. डेंग शियाओपिंग
d.
कोई नहीं
4. यूरोपीय संघ की स्थापना कब की गई?
a.1990
b. 1992
c.
1995
d.
1982
5. किस देश में सिहली- तमिल विवाद उत्पन्न हुआ था ?
a. श्रीलंका
b.
भारत
c.
पाकिस्तान
d.
बांग्लादेश
6. सार्क संगठन की स्थापना कब हुई ।
a.
1990
b.1985
c.
1995
d.
2020
7. इनमें से कौन दक्षिण एशिया में शामिल नहीं है?
a.
भारत
b. चीन
c.
पाकिस्तान
d.
नेपाल
8. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई ?
a.
1914
b. 1945
c.
1951
d.
1965
9. विश्व बैंक की स्थापना कब हुई है ?
a. 1944 को
b.1945
को
c.
1948 को
d.
1990 को
10. संयुक्त राष्ट्र संघ के पहले महा सचिव कौन थे ?
a.
बान की मून
b.
डेग हैमरशोल्ड
c.
कोफी अन्नान
d. ट्रीगवी ली
11. मानवाधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
a.10 दिसम्बर
b.
8 दिसम्बर
c.
15 अगस्त
d.
9 जनवरी
12. क्योटो प्रोटोकॉल का संबंध किससे है?
a.
ऑक्सीजन की वृद्धि
b.
कार्बन डाइऑक्साइड की निकासी
c. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन
d.
वायुमंडल का प्रदूषण
13. विश्व में सबसे अधिक तेल भंडार कहाँ है ?
a. सऊदी अरब
b.
कुवैत
c.
ईरान
d.
इराक
14. ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पारित हुआ ?
a.2000
b.2001
c.
2002
d.
2006
15. विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है?
a.
पेरिस
b.
लंदन
c. जेनेवा
d.
न्यूर्योक
16. भाषा के आधार पर पहला राज्य कौन बना?
a.
तमिलनाडु
b. आंध्र प्रदेश
c.
पंजाब
d.
हरियाण
17. झारखण्ड राज्य कब अस्तित्व में आया ?
a.2000
b.
2010
c.
2020
d.
2015
18. चुनाव आयोग के प्रथम आयुक्त कौन थे ?
a.
सुकुमार सेन
b. टी एन सेशन
c. के एम मुंशी
d. सी राजगोपालाचारी
19. भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण किस पंचवर्षीय
योजना में हुआ ?
a. द्वितीय
b. चतुर्थ
c.
प्रथम
d. इनमें
से कोई नहीं
20. गुटनिरपेक्ष आंदोलन का स्थापना कब हुआ
?
a.1955
b.1961
c. 1965
d. 1966
21. भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुआ था ?
a.1942
b.
1952
c. 1964
d. 1967
22. "गरीबी हटाओ" का नारा किसने
दिया था ?
a. जयप्रकाश नारायण
b. मोरारजी देसाई
c.
इंदिरा गांधी
d. चौधरी चरण सिंह
23. राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा संविधान के
किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
a. अनुच्छेद 356
b. अनुच्छेद 355
c. अनुच्छेद 365
d. अनुच्छेद 353
24. स्वतंत्रता प्राप्ति के समय कश्मीर का
शासक कौन था ?
a.
हरि सिंह
b. करण सिंह
c. शंभू सिंह
d. अजीत
सिंह
25.
भारत में दक्षिण एशिया का प्रवेश द्वार किसे कहा जाता है?
a. दक्षिण भारत
b. उत्तर भारत
c. पश्चिम भारत
d.
पूर्वोत्तर भारत
26.
आपातकाल के दौरान कौन सा संविधान संशोधन पारित किया गया था?
a. 46 वां संशोधन
b.44 वां संशोधन
c. 45वां संशोधन
d. 42वां संशोधन
27. संपूर्ण क्रांति का नारा किसने दिया ?
a. इंदिरा गांधी
b.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण
c. शिबू सोरेन
d. मोरारजी देसाई
28. पहली लोकसभा में सबसे बड़ा विपक्षी दल कौन था ?
a.
भारतीय समाजवादी पार्टी
b. स्वतंत्र पार्टी
c.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
d.
भारतीय जनसंघ
29. किसको वाटरमैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है?
a.
कैलाश सत्यार्थी
b. राजेन्द्र सिंह
c.
अन्ना हज़ारे
d.
सुंदरलाल बहुगुणा
30. योजना आयोग के अध्यक्ष कौन होते थे ?
a.
मुख्यमंत्री
b. प्रधानमंत्री
c.
राष्ट्रपति
d.
राज्यपाल
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (6×2=12)
31. भारत के दो राष्ट्रीय राजनीतिक दलो के नाम लिखिए ?
उत्तर - भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हैं।
32. गुटनिरपेक्षता और तटस्थता में क्या अन्तर है?
उत्तर - तटस्थता युद्ध या संघर्ष से पूरी तरह अलग रहने की
कानूनी और स्थायी स्थिति है (जैसे स्विट्जरलैंड), जबकि गुटनिरपेक्षता किसी सैन्य
गुट में शामिल न होने की नीति है, लेकिन यह शांति, विकास और उपनिवेशवाद-विरोध के
लिए सक्रिय रूप से जुड़ सकती है।
33. दूसरी दुनिया का अभिप्राय क्या है
उत्तर - 'दूसरी
दुनिया' समाजवादी देशों को कहा जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध में इसका
नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था।
34. खुले द्वार की नीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर - 'खुले
द्वार की नीति' का उपयोग देंग शियाओपिंग द्वारा 1978 में शुरू किए गए चीन के आर्थिक
सुधारों के लिए किया जाता है, जिसके तहत चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश
और वैश्विक व्यापार के लिए खोल दिया था।
35. सिंधु जल विवाद क्या है?
उत्तर - सिंधु जल विवाद मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच
सिंधु नदी और उसकी पांच सहायक नदियों (झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज) के पानी
के बंटवारे को लेकर है।
36. सुरक्षा परिषद के कार्यों का वर्णन करें ?
उत्तर - संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्य
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।
37. विश्व बैंक के कार्यों का वर्णन करें?
उत्तर - विकासशील देशों को ऋण और अनुदान के साथ-साथ तकनीकी सहायता
और सलाह प्रदान करना है।
38. शक्ति संतुलन क्या है ?
उत्तर - शक्ति संतुलन का सामान्य अभिप्राय यह
है की दो राष्ट्रों की शक्ति में समानता होना । जब दो देशों की शक्ति एक-दुसरे के सामान
होंगे तो शांतिपूर्वक रहेंगे लेकिन एक की शक्ति बढ़ने पर वो दुसरे पर हावी होने का
प्रयास करेगा | इसलिए शक्ति का संतुलन करना ही शक्ति संतुलन कहलाता है ।
लघु उत्तरीय प्रश्न (6×3-18)
39. साझी संपदा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - ऐसे संसाधन जिन पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय
का अधिकार होता है इन्हें साझी संपदा कहते हैं जैसे चरागाह मैदान कुआं या नदी इस तरह
विश्व में कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के संप्रभु क्षेत्र अधिकार से बाहर होते
हैं इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी सारे विश्व की है वैश्विक संपदा या इन्हें मानवता
की सांझी विरासत कहा जाता है जैसे - वायुमंडल,
समुद्री जल, अंतरिक्ष आदि।
40. वैश्वीकरण की मुख्य विशेषताएं क्या है?
उत्तर - वैश्वीकरण की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित
हैं:
1. प्रवाह : वैश्वीकरण का मुख्य तत्व प्रवाह है।
इसमें विचारों, पूंजी, वस्तुओं और लोगों का एक देश से दूसरे देश में निर्बाध आवागमन
शामिल है।
2. बहुआयामी अवधारणा: यह केवल आर्थिक घटना नहीं है, बल्कि इसके
राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयाम भी हैं।
3. पूंजी की गतिशीलता: निवेश और व्यापार के माध्यम से दुनिया भर
में पूंजी का प्रवाह आसान हो गया है।
4. तकनीकी उन्नति: वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी,
विशेष रूप से इंटरनेट और संचार के साधनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
5. परस्पर जुड़ाव: दुनिया के विभिन्न हिस्से एक-दूसरे से आर्थिक
और सामाजिक रूप से अधिक जुड़ गए हैं, जिससे एक "ग्लोबल विलेज" की अवधारणा
विकसित हुई है।
6. बाजार अर्थव्यवस्था: वैश्वीकरण मुक्त व्यापार और खुली प्रतिस्पर्धा
पर जोर देता है, जिससे सरकारी हस्तक्षेप कम होता है।
7. सांस्कृतिक समरूपीकरण: इसके कारण वैश्विक स्तर पर खान-पान, पहनावा
और जीवनशैली में समानता आने लगी है, जिसे अक्सर पश्चिमीकरण के रूप में देखा जाता है।
41. राज पुनर्गठन आयोग के बारे में
लिखें ?
उत्तर - औपनिवेशिक शासन के समय प्रान्तों की
सीमाएँ प्रशासनिक सुविधा को देखते हुए निर्धारित की गई थीं, किन्तु स्वतन्त्रता के
पश्चात् स्थितियाँ बदलीं। सर्वप्रथम भाषा के आधार पर 1953 में आन्ध्र प्रदेश राज्य
का गठन किया गया। देश के अन्य भागों में भी भाषा के आधार पर राज्यों को गठित करने का
प्रयास चल पड़ा। केन्द्र सरकार ने 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया जिसका कार्य
राज्यों के सीमांकन के मामलों को देखना था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया
कि राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषाओं के आधार पर होना चाहिए।
इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू हुआ। इसके आधार
पर 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए।
42. पहली पंचवर्षीय योजना किस मॉडल पर आधारित था ?
उत्तर - प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956)
का मॉडल मुख्य रूप से हैरोड-डोमर मॉडल (Harrod-Domar Model) पर आधारित था, जिसका मुख्य
जोर कृषि विकास और सिंचाई परियोजनाओं पर था ताकि देश की आर्थिक नींव मजबूत की जा सके
और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
43. पंचशील समझौता क्या था ?
उत्तर - पंचशील समझौता 1954 में भारत और चीन के बीच हुआ शांतिपूर्ण
सह-अस्तित्व का समझौता है, जो पांच सिद्धांतों पर आधारित है: एक-दूसरे की
प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता का सम्मान, अनाक्रमण, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप
न करना, समानता और आपसी लाभ, और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
44. भारत- पाकिस्तान युद्ध के समय उत्पन्न परिस्थितियों का वर्णन करें
उत्तर - भारत-पाकिस्तान युद्धों के समय मुख्य परिस्थितियाँ कश्मीर
विवाद, भाषाई-सांस्कृतिक मतभेद (विशेषकर 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में), और सीमा
संबंधी तनाव थे, जिसके कारण 1947-48 (कश्मीर), 1965 (रंणकच्छ/कश्मीर), और 1971
(पूर्वी पाकिस्तान का मुक्ति संग्राम) में बड़े संघर्ष हुए, जो अक्सर पाकिस्तान के
आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और कश्मीर पर कब्जे की कोशिशों से उत्पन्न होते थे,
जिससे लाखों शरणार्थी और बड़े पैमाने पर सैन्य टकराव देखने को मिला।
45. राष्ट्रीय आपातकाल से क्या समझते हैं?
उत्तर - राष्ट्रीय आपातकाल से तात्पर्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद
352 के तहत राष्ट्रपति द्वारा घोषित उस स्थिति से है, जब देश की सुरक्षा, स्थिरता
या संप्रभुता को युद्ध, बाह्य आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह जैसे गंभीर खतरों से
खतरा हो, जिसमें केंद्र सरकार को देश को बचाने के लिए विशेष शक्तियां मिलती हैं और
नागरिकों के मौलिक अधिकार अस्थायी रूप से निलंबित हो सकते हैं, जिसका उद्देश्य देश
में सामान्य स्थिति बहाल करना है।
46. चिपको आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - चिपको आंदोलन 1970 के दशक में उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर
प्रदेश) में शुरू हुआ एक अहिंसक जन-आंदोलन था, जिसका मुख्य उद्देश्य पेड़ों की
व्यावसायिक कटाई और वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना था, जिसमें ग्रामीण, खासकर
महिलाएँ, पेड़ों से चिपककर (हिंदी शब्द 'चिपको' से) उन्हें कटने से बचाती थीं, और
यह आंदोलन स्थानीय लोगों के वन अधिकारों की रक्षा व पर्यावरण संरक्षण के लिए एक
मिसाल बन गया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (4×5=20)
47.
यूरोपीय संघ के आर्थिक एवं राजनीतिक प्रभावों की विवेचना करें ?
उत्तर - यूरोपीय संघ (EU) वर्तमान में विश्व राजनीति और
अर्थव्यवस्था में एक अत्यंत प्रभावशाली इकाई है। यह केवल एक क्षेत्रीय संगठन नहीं
है, बल्कि एक अधिसंघीय संरचना (Supranational structure) के रूप में कार्य करता
है।
यूरोपीय संघ के आर्थिक और राजनीतिक
प्रभावों की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत की जा सकती है:
A. आर्थिक प्रभाव -
यूरोपीय संघ दुनिया की सबसे बड़ी
अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसकी आर्थिक शक्ति इसे वैश्विक स्तर पर एक 'आर्थिक
महाशक्ति' बनाती है।
1. सकल घरेलू उत्पाद : 2022-23
के आंकड़ों के अनुसार, यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था लगभग 17 ट्रिलियन डॉलर से अधिक
है, जो इसे अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों में खड़ा
करती है।
2. साझा मुद्रा : 'यूरो' (€) मुद्रा ने अमेरिकी डॉलर के
प्रभुत्व को चुनौती दी है। वर्तमान में 20 देश यूरो का उपयोग करते हैं, जिससे
व्यापार में आसानी होती है और विनिमय दर का जोखिम कम होता है।
3. विश्व व्यापार में हिस्सेदारी: यूरोपीय संघ विश्व व्यापार
संगठन (WTO) में एक ब्लॉक के रूप में कार्य करता है। इसकी व्यापारिक शक्ति अमेरिका
से भी अधिक है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक नियमों को प्रभावित करने की क्षमता
देती है।
4. एकल बाज़ार : वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और श्रम
की मुक्त आवाजाही ने इसे एक विशाल एकीकृत बाज़ार बना दिया है, जिससे सदस्य देशों
की आर्थिक दक्षता बढ़ी है।
B. राजनीतिक एवं कूटनीतिक प्रभाव -
राजनीतिक रूप से यूरोपीय संघ के पास
वह शक्ति है जो दुनिया के किसी अन्य क्षेत्रीय संगठन के पास नहीं है।
1. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति: यूरोपीय संघ के दो सदस्य (फ्रांस और
पूर्व में ब्रिटेन) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रहे हैं। वर्तमान
में फ्रांस के पास यह वीटो पावर है, जिससे वैश्विक निर्णयों में EU की राय महत्वपूर्ण
हो जाती है।
2. सॉफ्ट पावर : मानवाधिकार, लोकतंत्र, जलवायु परिवर्तन
और सामाजिक कल्याण के मानकों को लेकर यूरोपीय संघ पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप
में कार्य करता है। इसकी 'सॉफ्ट पावर' का प्रभाव दुनिया भर के कानूनों और नीतियों पर
दिखाई देता है।
3. विदेश नीति और सुरक्षा: यद्यपि सदस्य देशों की अपनी स्वतंत्र
विदेश नीतियां भी हैं, लेकिन यूरोपीय संघ 'सामान्य विदेश और सुरक्षा नीति' के माध्यम
से महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों (जैसे ईरान परमाणु समझौता या रूस-यूक्रेन युद्ध)
पर एक साथ खड़ा होता है।
4. विस्तार की नीति: यूरोपीय संघ की सदस्यता पाने की चाहत पड़ोसी
देशों को अपने यहाँ लोकतांत्रिक सुधार और आर्थिक पारदर्शिता लाने के लिए मजबूर करती
है।
48.
संयुक्त राष्ट्र संघ के कितने अंग है। वर्णन करें?
उत्तर - संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations)
की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, इसके मुख्य
6 अंग हैं।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग निम्नलिखित
हैं:
1.
महासभा- यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्य विचार-विमर्श और नीति निर्धारण करने वाला अंग
है। इसमें सभी 193 सदस्य देशों का समान प्रतिनिधित्व होता है। महत्वपूर्ण निर्णयों
(जैसे शांति और सुरक्षा, नए सदस्यों का प्रवेश) के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता
होती है। इसे विश्व की 'लघु संसद' भी कहा जाता है।
2.
सुरक्षा परिषद - इसका प्राथमिक कार्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।
इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं: 5 स्थायी (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन) और
10 अस्थायी (जो 2 वर्ष के लिए चुने जाते हैं)। 5 स्थायी सदस्यों के पास 'वीटो'
(Veto) पावर होती है।
3.
आर्थिक और सामाजिक परिषद - यह अंग दुनिया के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों
पर चर्चा के लिए मुख्य मंच है। इसमें 54 सदस्य होते हैं, जिन्हें महासभा द्वारा 3 वर्ष
के लिए चुना जाता है। यह जीवन स्तर को सुधारने और मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा
देने का कार्य करती है।
4.
न्यास परिषद - इसकी स्थापना उन 11 'ट्रस्ट क्षेत्रों' की देखरेख के लिए की गई थी, जो
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र नहीं थे। 1994 में पलाऊ के स्वतंत्र होने के बाद,
इस परिषद के कार्यों को औपचारिक रूप से निलंबित कर दिया गया है। अब इसकी बैठकें केवल
आवश्यकता पड़ने पर होती हैं।
5.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय - यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्य न्यायिक अंग है। इसका मुख्यालय
द हेग (नीदरलैंड) में है। (बाकी सभी अंगों के मुख्यालय न्यूयॉर्क में हैं)। इसमें
15 न्यायाधीश होते हैं, जिनका कार्यकाल 9 वर्ष का होता है। यह देशों के बीच कानूनी
विवादों को सुलझाता है।
6.
सचिवालय - यह संयुक्त राष्ट्र का प्रशासनिक अंग है जो संगठन के दैनिक कार्यों को संचालित
करता है। इसका मुख्य अधिकारी महासचिव (Secretary-General) होता है, जिसकी नियुक्ति
सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा 5 वर्ष के लिए की जाती है।
49.
भारत के आंतरिक चुनौतियां पर प्रकाश डालें ?
उत्तर - भारत
की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता के सामने मौजूद चुनौतियां बहुआयामी हैं। ये चुनौतियां
न केवल देश की शांति को प्रभावित करती हैं, बल्कि आर्थिक विकास और सामाजिक सद्भाव के
लिए भी बाधा उत्पन्न करती हैं।
भारत की प्रमुख आंतरिक चुनौतियों को निम्नलिखित शीर्षकों के
अंतर्गत समझा जा सकता है:
1. आतंकवाद- यह भारत के लिए सबसे गंभीर चुनौती बनी हुई है। आतंकवाद
को दो रूपों में देखा जा सकता है:
a. सीमा पार आतंकवाद: मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर में, जिसे
बाहरी शक्तियों द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
b. भीतरी इलाकों में आतंकवाद: देश के विभिन्न शहरों में स्लीपर
सेल्स और कट्टरपंथी समूहों द्वारा की जाने वाली गतिविधियां।
2. वामपंथी उग्रवाद या नक्सलवाद- भारत के मध्य और पूर्वी हिस्सों (जैसे छत्तीसगढ़,
झारखंड, ओडिशा) में सक्रिय नक्सलवाद आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह मुख्य
रूप से सामाजिक-आर्थिक असमानता, भूमि सुधारों की विफलता और आदिवासियों के अधिकारों
के हनन से उपजा है। हालाँकि हाल के वर्षों में 'लाल गलियारे' का प्रभाव कम हुआ है,
लेकिन यह अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
3. पूर्वोत्तर भारत का विद्रोह- पूर्वोत्तर राज्यों में जातीय
संघर्ष और अलगाववादी आंदोलनों का लंबा इतिहास रहा है।
a. नृजातीय संघर्ष: विभिन्न जनजातियों के बीच अपनी पहचान और
संसाधनों को लेकर विवाद।
b. विद्रोही समूह: नगालैंड, मणिपुर और असम जैसे राज्यों में
सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूह जो स्वायत्तता या अलग राज्य की मांग करते हैं।
4. सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरपंथ- भारत जैसे विविधतापूर्ण
देश में विभिन्न समुदायों के बीच धार्मिक आधार पर तनाव पैदा होना एक बड़ी आंतरिक चुनौती
है। सोशल मीडिया के माध्यम से फैलने वाली अफवाहें और 'फेक न्यूज' इस समस्या को और अधिक
संवेदनशील बना देती हैं।
5. साइबर सुरक्षा- डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते कदमों के साथ साइबर
खतरों का जोखिम भी बढ़ा है।
a. डाटा चोरी और हैकिंग: महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे (पावर ग्रिड,
बैंकिंग) पर हमले।
b. सूचना युद्ध: देश के भीतर अस्थिरता फैलाने के लिए गलत सूचनाओं
का प्रसार।
6. संगठित अपराध- नशीली दवाओं की तस्करी, हथियारों की अवैध सप्लाई
और जाली नोटों (FICN) का कारोबार देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को कमजोर करता है।
विशेष रूप से पंजाब और पूर्वोत्तर जैसे सीमावर्ती राज्यों में नशे की समस्या गंभीर
है।
7. क्षेत्रीय असंतुलन और बेरोजगारी- आर्थिक असमानता और युवाओं
के बीच बढ़ती बेरोजगारी भी अशांति का कारण बनती है। जब विकास का लाभ समाज के हर वर्ग
तक नहीं पहुँचता, तो असंतोष पनपता है, जिसका फायदा राष्ट्र-विरोधी तत्व उठा सकते हैं।
50. भारत संघ निर्माण में सरदार वल्लभ भाई
पटेल की क्या भूमिका रही ?
उत्तर - भारत
संघ के निर्माण में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका अतुलनीय और ऐतिहासिक रही है। उन्हें
'भारत का लौह पुरुष' और 'भारत का बिस्मार्क' कहा जाता है क्योंकि उन्होंने आजादी के
बाद विखंडित होने की कगार पर खड़े भारत को एक सूत्र में पिरोने का असंभव कार्य कर दिखाया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती
लगभग 562-565 रियासतों का भविष्य था, जिन्हें अंग्रेजों ने यह विकल्प दिया था कि वे
भारत या पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें।
सरदार पटेल के मुख्य योगदान
रियासतों का एकीकरण: पटेल ने भारत के प्रथम गृह मंत्री और रियासती
विभाग के प्रमुख के रूप में वी.पी. मेनन के साथ मिलकर अधिकांश रियासतों को 'प्रिवी
पर्स' (राजभत्ता) और अन्य कूटनीतिक समझौतों के माध्यम से भारत संघ में शामिल होने के
लिए राजी किया।
दृढ़ इच्छाशक्ति और 'गाजर एवं छड़ी' की नीति: उन्होंने प्रेम
और कूटनीति का सहारा लिया, लेकिन जहां जरूरत पड़ी वहां सख्त निर्णय लेने से भी नहीं
कतराए।
1. प्रमुख रियासतों का विलय- सरदार पटेल की रणनीतिक समझ इन तीन
कठिन रियासतों के विलय में स्पष्ट दिखाई देती है:
जूनागढ़: यहां का नवाब पाकिस्तान में मिलना चाहता था, लेकिन
जनता भारत के पक्ष में थी। पटेल ने जनमत संग्रह (Plebiscite) का मार्ग चुना और अंततः
इसका भारत में विलय कराया।
हैदराबाद (ऑपरेशन पोलो): हैदराबाद के निजाम ने स्वतंत्र रहने
का फैसला किया था और वहां की जनता पर अत्याचार हो रहे थे। पटेल ने 13 सितंबर 1948 को
सैन्य कार्रवाई (Operation Polo) का आदेश दिया और मात्र 5 दिनों में हैदराबाद को भारतीय
संघ का हिस्सा बना लिया।
जोधपुर और भोपाल: इन रियासतों के शासकों को भी उन्होंने अपनी
व्यक्तिगत कूटनीति से भारत के पक्ष में मोड़ लिया।
2. अन्य महत्वपूर्ण कार्य
प्रशासनिक ढांचा (IAS/IPS): उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं
को भारत का 'स्टील फ्रेम' कहा और एक मजबूत केंद्रीय ढांचा तैयार किया ताकि देश की एकता
बनी रहे।
अखंड भारत का सपना: उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज भारत
की भौगोलिक सीमाएं इतनी विस्तृत और संगठित हैं। यदि वे न होते, तो भारत कई छोटे-छोटे
टुकड़ों में बंटा होता।
"सरदार पटेल ने खंडित भारत को जिस प्रकार संगठित किया,
वह किसी चमत्कार से कम नहीं था।"
51. भारत-चीन संबंधों का वर्णन करें ?
उत्तर - भारत
और चीन के संबंध दुनिया के दो सबसे बड़े आबादी वाले देशों और उभरती शक्तियों के बीच
"सहयोग और संघर्ष" का एक जटिल मिश्रण हैं। 2025 तक आते-आते, दोनों देशों
के रिश्तों में कूटनीतिक सुधार और गहरे आर्थिक असंतुलन का एक अनूठा दौर देखा जा रहा
है।
भारत-चीन संबंधों को हम निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं में समझ सकते
हैं:
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
a. सकारात्मक शुरुआत: 1950 में भारत, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना
को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। 1954 में 'पंचशील समझौते' के साथ
"हिंदी-चीनी भाई-भाई" का नारा बुलंद हुआ।
b. 1962 का युद्ध: सीमा विवाद के कारण हुए इस युद्ध ने संबंधों
में गहरा अविश्वास पैदा कर दिया, जो दशकों तक बना रहा।
c. राजीव गांधी की यात्रा (1988): इस यात्रा से संबंधों में
फिर से सुधार शुरू हुआ और सीमा विवाद को किनारे रखकर आर्थिक संबंधों पर ध्यान दिया
गया।
2. सीमा विवाद (LAC)- दोनों देशों के बीच लगभग 3,488 किमी लंबी
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद है।
a. गलवान संघर्ष (2020): 40 वर्षों में पहली बार हिंसक झड़प
हुई, जिससे संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए।
b. 2024-25 का सुधार: अक्टूबर 2024 में एक गश्ती समझौता
(Border Patrol Agreement) हुआ, जिसके बाद डेपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों से सेनाएं
पीछे हटीं। 2025 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विश्वास बहाली के प्रयास तेज हुए
हैं।
3. आर्थिक और व्यापारिक संबंध- सीमा पर तनाव के बावजूद, व्यापारिक
स्तर पर दोनों देश एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं।
a. सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार: अगस्त 2025 में चीन फिर से
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा।
b. व्यापार घाटा (Trade Deficit): यह भारत के लिए बड़ी चिंता
है। 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगभग 99 अरब डॉलर रहा, जो 2025 के
अंत तक 100 अरब डॉलर के पार जाने का अनुमान है।
c. निर्भरता: भारत आज भी सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और एक्टिव
फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (API) के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है।
4. रणनीतिक चुनौतियां
a. चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC): भारत इसे अपनी संप्रभुता
का उल्लंघन मानता है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरता है।
b. स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स (String of Pearls): चीन द्वारा भारत
के पड़ोसियों (जैसे श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान) में बंदरगाह विकसित करना भारत के
लिए सुरक्षा चुनौती है।
c. वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत 'क्वाड' (QUAD) जैसे संगठनों
के जरिए अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, जिसे चीन अपने खिलाफ एक गुट मानता है।
5. वर्तमान स्थिति (2025)- 2025 में दोनों देश अपने कूटनीतिक
संबंधों के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं। वर्तमान में सीधी उड़ानें बहाल करने और वीजा नियमों
में ढील देने पर चर्चा हो रही है। हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि "सीमा पर
शांति के बिना पूर्ण सामान्य संबंध संभव नहीं हैं।"
52. भारतीय राजनीति पर हरित क्रांति के प्रभाव
का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर - भारतीय
राजनीति पर हरित क्रांति का प्रभाव अत्यंत गहरा और दूरगामी रहा है। इसने न केवल भारत
की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि देश के राजनीतिक ढांचे को 'एक दल के प्रभुत्व'
से 'बहु-दलीय लोकतंत्र' की ओर धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हरित क्रांति के प्रमुख राजनीतिक प्रभावों को निम्नलिखित बिंदुओं
में समझा जा सकता है:
1. मध्यम और पिछड़ी जातियों का उदय- हरित क्रांति के कारण ग्रामीण
क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि आई। इससे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में
जाट, यादव, कुर्मी और कोइरी जैसी मध्यम और पिछड़ी जातियों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
आर्थिक रूप से सशक्त होने के बाद इन समूहों ने राजनीति में अपनी हिस्सेदारी मांगनी
शुरू की। इससे पहले की राजनीति जो शहरी अभिजात वर्ग और उच्च जातियों तक सीमित थी, वह
अब ग्रामीण भारत की ओर मुड़ गई।
2. क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का उदय- हरित क्रांति ने क्षेत्रीय
स्तर पर शक्तिशाली किसान नेताओं और दलों को जन्म दिया।
a. प्रमुख नेता: चौधरी चरण सिंह (उत्तर प्रदेश), देवीलाल (हरियाणा)
और प्रकाश सिंह बादल (पंजाब) जैसे नेताओं का उभार इसी क्रांति की उपज था।
b. प्रमुख दल: भारतीय लोक दल, अकाली दल और बाद में समाजवादी
पार्टी जैसे दलों ने अपनी जमीन मजबूत की। इन दलों ने किसानों के मुद्दों (जैसे सब्सिडी,
न्यूनतम समर्थन मूल्य) को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला दिया।
3. कांग्रेस के प्रभुत्व में कमी- आजादी के बाद से भारतीय राजनीति
में कांग्रेस का एकछत्र राज था। हरित क्रांति ने इस स्थिति को बदल दिया:
ग्रामीण 'वोट बैंक' जो पहले कांग्रेस के साथ था, वह अब अपने
क्षेत्रीय और जातीय नेताओं के साथ जुड़ने लगा। इसके परिणामस्वरूप 1967 के विधानसभा
चुनावों और उसके बाद केंद्र में कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई, जिससे गठबंधन राजनीति
का मार्ग प्रशस्त हुआ।
4. किसानों की 'दबाव समूह' के रूप में भूमिका- हरित क्रांति
ने किसानों को एक संगठित 'वोट बैंक' और शक्तिशाली दबाव समूह के रूप में बदल दिया। किसान
अब बिजली, पानी, उर्वरक और बीजों पर भारी सब्सिडी के लिए सरकार पर दबाव बनाने लगे।
आज भी भारतीय राजनीति में 'किसान राजनीति' एक ऐसा मुद्दा है जिसे कोई भी दल नजरअंदाज
नहीं कर सकता।
5. क्षेत्रीय असमानता और राजनीतिक असंतोष- हरित क्रांति का लाभ
मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम भारत (पंजाब, हरियाणा) तक सीमित रहा। इसके कारण बिहार, ओडिशा
और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पिछड़ गए। इस क्षेत्रीय आर्थिक अंतर ने 'क्षेत्रीय
गौरव' और 'असंतोष' को जन्म दिया, जिससे अलग-अलग राज्यों में स्थानीय स्वायत्तता की
मांग उठी।
निष्कर्ष: हरित क्रांति ने भारत को केवल "अन्नदाता"
ही नहीं बनाया, बल्कि उसने भारत के "वोटर" का चेहरा भी बदल दिया। इसने भारतीय
राजनीति को अधिक लोकतांत्रिक और प्रतिस्पर्धी बनाया।
