नागरिकशास्त्र
लोकतंत्र राजनीति : लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
वैकल्पिक (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है? कारण दें।
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी समाज के अलग-अलग समूहों में सत्ता के बंटवारे की प्रक्रिया है
ताकि व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।
सत्ता
की साझेदारी निम्नांकित कारणों से आवश्यक है-
(1)
सत्ता की साझेदारी वह व्यवस्था है जिसमें समाज के सभी समूहों अथवा वर्गों को शासन व्यवस्था
में भागीदारी करने का अवसर प्राप्त होता है। शासन में किसी वर्ग-विशेष के हितों का
ध्यान न रखकर सभी नागरिकों के हितों की सुरक्षा की जाती है।
(2)
विभिन्न समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी से समूहों के बीच संघर्ष की संभावना कम हो
जाती है। इससे सामाजिक शांति बनी रहती है तथा राष्ट्रीय एकता का मार्ग प्रशस्त होता
है।
(3)
राजनीतिक स्थायित्व के लिए सत्ता की साझेदारी आवश्यक है क्योंकि इसके अभाव में हिंसा
और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
(4)
आधुनिक लोकतंत्र में शक्ति जनता के हाथों में निहित होती है जो इसका प्रयोग निर्वाचित
प्रतिनिधियों द्वारा करती है। सत्ता की साझेदारी राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की प्रोत्साहन
देती है क्योंकि सभी समूह स्वयं को राष्ट्र से जुड़ा मानते हैं।
(5)
सत्ता की साझेदारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण पहलू है। वैध सरकार वही है
जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन-व्यवस्था से जुड़ते हैं। सत्ता की
साझेदारी लोकतंत्र का मूल-मंत्र है जिसके अभाव में लोकतंत्र की कल्पना तक नहीं की जा
सकती।
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब किसी देश की शासन व्यवस्था में, समाज के सभी समूहों अथवा वर्गों को
प्रतिनिधित्व दिया जाता है, तो इस व्यवस्था को सत्ता की साझेदारी के नाम से जाना
जाता है।
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है जिससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव
का आशंका कम होती है तथा राजनीतिक स्थायित्व बरकरार रहता है। यह पक्षपात को
अपेक्षा कम करती है, विविधताओं को अपने में समेट लेती है तथा सत्ता में लोगों की
भागीदारी बढ़ाती है।
सत्ता
की साझेदारी के रूप
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी के रूपों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सरकार के अंगों में सत्ता का क्षैतिज बँटवारा, सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता का
उर्ध्वाधर बँटवारा, विभिन्न सामाजिक समूहों, धार्मिक समूहों आदि में बँटवारा और दबाव-समूहों
तथा आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित करना।
प्रश्न: सरकार के प्रमुख अंग कौन-कौन हैं?
उत्तर:
सरकार के तीन प्रमुख अंग होते हैं - विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका।
प्रश्न: आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में
सत्ता की साझेदारी की भागीदारी के चार अलग-अलग तरीके क्या-क्या हैं? इनमें से प्रत्येक
का एक उदाहरण दें।
अथवा, सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों
का वर्णन करें।
उत्तर: सत्ता की साझेदारी निम्नलिखित भिन्न-भिन्न तरीके
से संभव है-
(1) सत्ता का क्षैतिज वितरण: सत्ता के विभाजन का प्रथम रूप हमें सरकार के तीन अंगों जैसे
विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता के विभाजन से मिलता है। कोई भी
एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता तथा हर अंग दूसरे अंग पर अंकुश रखता है।
सत्ता के ऐसे बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं। जैसे - भारत, अमेरिका आदि।
(2) सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण: सत्ता के विभाजन का द्वितीय रूप हमें सरकार के बीच भिन्न-भिन्न
स्तरों से मिलता है। सम्पूर्ण देश में केन्द्रीय सरकार होती है तथा प्रान्तीय या क्षेत्रीय
सरकार का स्तर अलग-अलग होता है। भारत के संविधान के केन्द्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्रों
को संघ सूची तथा राज्य सरकार के कार्यों को राज्य सूची में वर्णित विषयों के द्वारा
सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण किया गया है।
(3) सत्ता का विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच बँटवारा: सत्ता का विभाजन सामाजिक समूहों जैसे भाषा समूहों तथा धार्मिक
समूहों में भी कर दिया जाता है। जैसे - बेल्जियम की सामुदायिक सरकार इसका उदाहरण है।
(4) राजनीतिक दल एवं दबाव समूहों में सत्ता का बँटवारा: अनेक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दल एवं दबाव समूहों में
भी सत्ता का बँटवारा कर दिया जाता है। जैसे - डेनमार्के में अनेक राजनीतिक दल हैं जो
सत्ता का बँटवारा कर सरकार चलाते हैं। विभिन्न प्रकार के राजनीतिक दल आपस में प्रतिस्पर्धी
और दबाव समूह आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित तथा नियंत्रित करके सत्ता में साझेदारी
करते हैं।
प्रश्न: सत्ता का क्षैतिज वितरण क्या होता
है?
उत्तर: सरकार के विभिन्न अंग, जैसे - विधायिका,
कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा 'सत्ता का क्षैतिज वितरण'
कहलाता है।
प्रश्न: सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण क्या होता
है?
उत्तर: सरकार के विभिन्न स्तर जैसे - केंद्रीय, प्रांतीय
और स्थानीय सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा 'सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण' कहलाता
है।
प्रश्न: भारत में सत्ता में भागीदारी के लिए
कौन-कौन से तरीके अपनाये गये हैं?
उत्तर: भारत में सत्ता में भागीदारी के लिए निम्नलिखित
प्रमुख तरीके अपनाये गये हैं -
(1) सत्ता का क्षैतिज वितरण: भारत में सत्ता के क्षैतिज वितरण के अन्तर्गत एक ही स्तर
की सत्ता को सरकार के तीन अंगों- कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका- में विभाजित
कर दिया गया है।
(2) सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण: इसके अन्तर्गत सत्ता को केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारों
के बीच बाँट दिया गया है।
(3) विभिन्न सामाजिक समूहों की हिस्सेदारी: सत्ता में विभिन्न सामाजिक समूहों की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित
की गयी है। इस हेतु अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं तथा अन्य पिछड़े वर्गों
को आरक्षण की व्यवस्था के द्वारा सत्ता में हिस्सेदारी निश्चित की गई है।
प्रश्न: भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी
का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक तथा एक नैतिक कारण बताएँ।
उत्तर: भारत में सत्ता के क्षैतिज वितरण के अन्तर्गत एक
ही स्तर की सत्ता को सरकार के तीन अंगों- कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और
न्यायपालिका - में विभाजित कर दिया गया है तथा ऊर्ध्वाधर वितरण के अन्तर्गत सत्ता
को केन्द्र सरकार और राज्यों की सरकारों के बीच बाँट दिया गया है।
इसके साथ ही सत्ता में विभिन्न सामाजिक समूहों की
हिस्सेदारी भी सुनिश्चित की गयी है। इस हेतु अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,
महिलाओं तथा अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण की व्यवस्था के द्वारा सत्ता में
हिस्सेदारी निश्चित की गई है। आरक्षित चुनाव क्षेत्र इसी तरह के सत्ता-विभाजन का
एक उदाहरण है।
इस प्रकार भारत में सत्ता की हिस्सेदारी का क्षैतिज और
ऊर्ध्वाधर वितरण इसका नैतिक तर्क है। दूसरी ओर, आरक्षण का व्यवस्था द्वारा विभिन्न
सामाजिक समूहों को सत्ता में साझेदारी देकर समूहों के बीच टकराव को कम करने का
युक्तिपरक कारण है।
बेल्जियम
और श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी
प्रश्न: बेल्जियम व अपनाये गये सत्ता-विभाजन के मॉडल की मुख्य विशेषताएँ
बताइए।
अथवा : बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के बारे में चर्चा
करें।
उत्तर:
बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ हैं:
(1)
संविधान में स्पष्ट रूप से इस बात की व्यवस्था की गयी कि केंद्रीय सरकार में डच और
फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान होगी।
(2)
कुछ विशेष कानून तभी बनाये जा सकते हैं जब दोनों भाषाई समुदाय के प्रतिनिधियों का बहुमत
उसके पक्ष में हो। कोई एक समुदाय एकतरफा फैसला नहीं कर सकता।
(3)
शासन की शक्तियों का विभाजन केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच स्पष्ट रूप से कर दिया
गया है। किसी भी मामले में राज्य सरकार केंद्रीय सरकार के अधीन नहीं है।
(4)
ब्रुसेल्स में अलग सरकार है जहाँ दोनों समुदायों के समान प्रतिनिधित्व है।
(5)
बेल्जियम में केंद्रीय एवं राज्य सरकार के अतिरिक्त एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम
करती है, जिसे सामुदायिक सरकार के नाम से जाना जाता है। इस सरकार में प्रतिनिधियों
का चुनाव अलग-अलग भाषा बोलने वाले समुदायों द्वारा होता है। यह सरकार संस्कृति, शिक्षा
और भाषा जैसे मामलों में निर्णय करती है।
प्रश्न: बेल्जियम सरकार की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
केन्द्रीय सरकार में बहुसंख्यक डच और अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी मंत्रियों की समान संख्या
होना और ब्रुसेल्स में अलग सरकार का होना।
प्रश्न: सामुदायिक सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामुदायिक सरकार उसे कहते हैं, जिसमें विभिन्न सामाजिक समूह को अपने समुदायों से संबंधित
मामलों को सँभालने की शक्ति दी जाती है और उससे आशा की जाती है कि वह किसी भी समुदाय
को कमजोर किए बिना आम जनता के लाभ के लिए संयुक्त रूप से काम करे।
बेल्जियम
में सामुदायिक सरकार में प्रतिनिधियों का चुनाव अलग-अलग भाषा बोलने वाले समुदायों द्वारा
होता है। यह सरकार संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मामलों में निर्णय करती है।
प्रश्न: बेल्जियम में सामुदायिक सरकार का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर:
सामुदायिक सरकार का चुनाव डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग, चाहे वे
जहाँ भी रहते हों, करते हैं।
प्रश्न: बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों
पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया - क्या आप सहमत हैं? स्पष्ट करें।
अथवा : बेल्जियम में डच-भाषी तथा फ्रेंच-भाषी समुदायों के बीच तनाव
के क्या कारण थे? बेल्जियम में भाषाई विवाद को किस प्रकार हल किया गया?
उत्तर:
बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक रूप से बहुसंख्यक डच-भाषी लोग से
अधिक समृद्ध तथा शक्तिशाली थे। स्वाभाविक रूप से डच-भाषी समुदाय इस स्थिति से नाराज
था। डच-भाषी लोग संख्या में अधिक थे परंतु धन-समृद्धि के मामले में कमजोर थे। दोनों
समुदायों के बीच तनाव का यही मूल कारण था।
परंतु
बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने
का प्रयास किया - इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता। क्योंकि -
(1)
बेल्जियम में विभिन्न समूहों को सत्ता में भागीदार बनाते हुए राष्ट्रीय एकता का प्रयास
किया गया। भाषाई विवाद को हल करने के लिए केंद्रीय सरकार में सभी भाषा-समूहों को समान
प्रतिनिधित्व दिया गया।
(2)
कुछ विशेष कानून तभी पारित हो सकते हैं जब विभिन्न भाषा समूहों में उसे विशेष या सहमति
हो। किसी एक भाषा विशेष की राजकीय भाषा भी घोषित किया गया। अलग-अलग भाषा समूहों को
अपनी सरकार बनाने का अवसर प्रदान किया गया।
(3)
इस सरकार का सांप्रदायिक सरकार कहा गया जो केंद्र तथा राज्य के बाद सिरे-सिर पर कार्य
करती थी। इसे संस्कृति तथा भाषा संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लेने के अधिकार प्रदान किये
गए।
इस
सभी प्रयासों के माध्यम से बेलजियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों
के भाषाई विवाद को हल करने का प्रयास किया गया जो पूर्णतया सफल रहा।
प्रश्न: श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के बारे में चर्चा
करें।
अथवा, 'श्रीलंका में सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषी बहुसंख्यक का
प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।' क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
अथवा, श्रीलंका में सिंहली तथा तमिल समुदाय के बीच तनाव के क्या कारण
थे?
उत्तर:
श्रीलंका में सिंहली बहुसंख्यक हैं तथा तमिल अल्पसंख्यक। श्रीलंका के सिंहली समुदाय
ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया तथा कई ऐसे कदम
उठाए जिनसे अल्पसंख्यक तमिल समुदाय को सत्ता में सोचतु साझेदारी नहीं मिली और उनके
हितों की हानि हुई। इसमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
(1)
तमिल भाषा की अवहेलना करते हुए 1956 में कानून द्वारा सिंहली भाषा को देश की एकमात्र
राजभाषा घोषित किया गया।
(2)
विश्वविद्यालयों तथा सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गयी।
(3)
बौद्ध धर्म का सरकारी संरक्षण दिया गया।
उपर्युक्त
असंतुष्टि और निवारण के परिणामस्वरूप श्रीलंका के तमिल समुदाय में तनाव फैला और दोनों
समुदायों के बीच संबंध बिगड़ने लगे।
प्रश्न: श्रीलंका के समाज के जातीय बनावट की व्याख्या करें।
उत्तर:
श्रीलंका की आबादी करीब दो करोड़ है। इसमें कई जातीय समूह के लोग हैं। सबसे प्रमुख
सामाजिक समूह सिंहलियों का है, जिनकी आबादी कुल जनसंख्या का 74% है।
दूसरा
प्रमुख समूह तमिलों का है। तमिलों की आबादी कुल जनसंख्या का 18% है।
तमिलों
में दो समूह हैं - श्रीलंकाई मूल के तमिल कुल तमिल जनसंख्या का 13% हैं और बाकी हिंदुस्तानी
तमिल हैं जो औपनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाए गए लोग
की संतान हैं। तमिलों की आबादी मुख्य रूप से श्रीलंका के उत्तर और पूर्वी प्रांतों
में है।
अधिकतर
सिंहली भाषी लोग बौद्ध हैं जबकि तमिल भाषी लोगों में कुछ हिंदू हैं और कुछ मुसलमान।
श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोग का हिस्सा 7% है और वे सिंहली और तमिल, दोनों भाषाएं
बोलते हैं।
प्रश्न: श्रीलंका में कौन-से जातीय समूहों के लोग रहते हैं और उनकी
जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
सिंहली जातीय समूह 74 प्रतिशत, श्रीलंकाई जातीय समूह 18 प्रतिशत, ईसाई 7 प्रतिशत, अन्य
1 प्रतिशत।
प्रश्न: श्रीलंका में लोग किस-किस धर्म के अनुयायी हैं?
उत्तर:
अधिकतर सिंहली भाषी लोग बौद्ध हैं जबकि तमिल भाषी लोगों में कुछ हिंदू और कुछ मुसलमान।
प्रश्न: श्रीलंका में तमिल किन प्रांतों में रहते हैं?
उत्तर:
श्रीलंका के उत्तर और पूर्वी प्रांतों में।
प्रश्न: बहुसंख्यकवाद क्या होता है?
उत्तर:
इसके अंतर्गत बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से देश का शासन कर सकता है और इसके
लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरतों या इच्छाओं की अनदेखा कर सकता है, जैसा श्रीलंका
में किया गया।
प्रश्न: गृहयुद्ध क्या होता है?
उत्तर:
जिस देश में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध-सा लगे
तो उसे गृहयुद्ध कहा जाता है।
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी से संबंधित बेल्जियम मॉडल तथा श्रीलंकाई
मॉडल में अंतर बताइए।
उत्तर:
(1)
बेल्जियम तथा श्रीलंका दोनों देशों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया, लेकिन सत्ता
की साझेदारी से संबंधित, दोनों देशों के विचार अलग-अलग थे। बेल्जियम ने क्षेत्रीय अंतर
और सांस्कृतिक विविधता को देखते हुए समन्वय एवं समुचित प्रतिनिधित्व वाली 'सामुदायिक
सरकार' का रास्ता अपनाया। श्रीलंका में 'बहुसंख्यकवाद' को प्रश्रय दिया गया।
(2)
बेल्जियम में विभिन्न समूहों तथा क्षेत्रों को सत्ता में भागीदार बनाते हुए राष्ट्रीय
एकता, समन्वय एवं शांति का प्रयास किया गया।
(3)
इसके विपरीत, श्रीलंका में ऐसा नहीं किया गया क्योंकि वहाँ बहुसंख्यक वर्ग अपना प्रभुत्व
स्थापित करना चाहता था। श्रीलंका में विभिन्न समूहों तथा क्षेत्रों को सत्ता में हिस्सेदारी
को राष्ट्रीय एकता पर खतरे के रूप में देखा गया।
(4)
बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यक और फ्रेंच-भाषी की संख्या कम है। लेकिन वहाँ इस बात
की व्यवस्था की गयी कि केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान
होगी। दोनों भाषाई समुदाय के प्रतिनिधियों के बिना कोई एक समुदाय एकतरफा फैसला नहीं
कर सकता।
(5)
श्रीलंका में सिंहली बहुसंख्यक हैं। तथा एक सिंहली सरकार है। श्रीलंका के सिंहली समुदाय
ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया तथा कई ऐसे कदम
उठाए जिनसे अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के हितों की हानि हुई। परिणामस्वरूप श्रीलंका के
तमिल समुदाय** में तनाव फैला और दोनों समुदायों के बीच संबंध बिगड़ने लगे।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न: निम्न में से किसे प्रत्येक लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक आवश्यक
और महत्वपूर्ण आधार माना जाता है?
(1)
धर्म में भागीदारी
(2)
परिवार में भागीदारी
(3)
सत्ता में भागीदारी
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(3)
प्रश्न: 'लोकतंत्र की आत्मा' क्या है, जो विभिन्न सामाजिक समूहों के
बीच टकराव को खत्म करता है?
(1)
स्वतंत्रता
(2)
समानता
(3)
सत्ता की साझेदारी
(4)
सहयोग
Ans.
(3)
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में निम्न में कौन कथन असत्य है?
(1)
सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
(2)
इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है।
(3)
यह अस्थिरता एवं आपसी फूट को बढ़ाती है।
(4)
सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ती है।
Ans.
(3)
प्रश्न: सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
(1)
क्षेत्र, भाषा और जाति के आधार पर बँटे समाज में
(2)
क्षेत्रीय विभाजन वाले बड़े राज्यों में
(3)
अनेक लोकतांत्रिक राज्य में
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: लोकतंत्र के एक बुनियादी सिद्धान्त के रूप में राजनीतिक शक्ति
का स्रोत किसे माना जाता है?
(1)
संसद
(2)
जनता
(3)
राज्य
(4)
न्यायालय
Ans.
(2)
प्रश्न: किस प्रकार के शासन में समाज के विभिन्न समूहों और उनके विचारों
को उचित सम्मान दिया जाता है?
(1)
लोकतांत्रिक
(2)
राजतंत्र
(3)
तानाशाही तंत्र
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: एक सरकार के विभिन्न अंगों यथा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका
के बीच सत्ता का बँटवारा रहता
है तो उसे सत्ता का -------- वितरण कहा जाता है?
(1)
क्षैतिज
(2)
उर्ध्वाधर
(3)
दबाव समूह
(4)
सामुदायिक
Ans.
(2)
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी के क्षैतिज वितरण के अंतर्गत कौन शामिल है?
(1)
केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सरकार
(2)
हितसमूह, दबाव समूह, राजनीतिक दल
(3)
विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
(4)
सामाजिक समूह, भाषायी समूह, धार्मिक समूह
Ans.
(3)
प्रश्न: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे को कहा जाता
है -
(1)
ऊर्ध्वाधर वितरण
(2)
क्षैतिज वितरण
(3)
सामुदायिक वितरण
(4)
राजनीतिक वितरण
Ans.
(1)
प्रश्न: सत्ता की साझेदारी के ऊर्ध्वाधर वितरण में निम्न में से कौन
संबंधित है?
(1)
विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
(2)
केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सरकार
(3)
सामाजिक समूह, भाषायी समूह, धार्मिक समूह
(4)
दबाव समूह, राजनीतिक दल, सामाजिक आंदोलन
Ans.
(2)
प्रश्न: न्यायपालिका की नियुक्ति कौन करता है?
(1)
कार्यपालिका
(2)
व्यवस्थापिका
(3)
चुनाव आयोग
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: कार्यपालिका और विधायिका पर अंकुश कौन रखता है?
(1)
राष्ट्रपति
(2)
मंत्रीमंडल
(3)
न्यायपालिका
(4)
मीडिया
Ans.
(3)
प्रश्न: शासन के विभिन्न अंगों द्वारा एक-दूसरे पर अंकुश रखने की प्रक्रिया
को क्या कहते हैं?
उत्तर:
नियंत्रण और संतुलन (चेक एवं बैलेंस)
प्रश्न: नियंत्रण एवं संतुलन की व्यवस्था का संबंध सत्ता की साझेदारी
के किस रूप से है?
(1)
सत्ता का क्षैतिज वितरण
(2)
सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण
(3)
सत्ता का विभिन्न समूहों के बीच वितरण
(4)
सत्ता का दबाव समूहों और आंदोलनों की गतिविधियों के मध्य वितरण
Ans.
(1)
प्रश्न: दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी को
क्या कहते हैं?
(1)
संघीय सरकार
(2)
गठबंधन सरकार
(3)
सामुदायिक सरकार
(4)
बहुदलीय सरकार
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत में केंद्र में गठबंधन सरकार की शुरुआत किस दशक से प्रारंभ
हुई?
(1)
1960
(2)
1970
(3)
1980
(4)
1990
Ans.
(4)
प्रश्न: बेल्जियम कहाँ का एक छोटा-सा देश है?
(1)
यूरोप
(2)
फ्रांस
(3)
जर्मनी
(4)
अमेरिका
Ans.
(1)
प्रश्न: बेल्जियम में सामाजिक विभाजन का आधार है -
(1)
नस्ल
(2)
जाति
(3)
भाषा
(4)
क्षेत्र
Ans.
(3)
प्रश्न: बेल्जियम में कौन-सी दो प्रमुख भाषाएँ बोली जाती हैं?
(1)
फ्रेंच और डच
(2)
अंग्रेजी और जर्मन
(3)
स्पेनिश और अंग्रेजी
(4)
अंग्रेजी और रूसी
Ans.
(1)
प्रश्न: निम्न में कौन बेल्जियम का एक भाषायी समूह नहीं है?
(1)
फ्रेंच
(2)
स्पेनिश
(3)
डच
(4)
जर्मन
Ans.
(2)
प्रश्न: बेल्जियम में कौन-सी भाषा बोलने वाले बहुसंख्यक हैं?
(1)
अंग्रेजी
(2)
डच
(3)
फ्रेंच
(4)
जर्मन
Ans.
(2)
प्रश्न: बेल्जियम में फ्रेंच भाषा बोलने वालों का प्रतिशत कितना है?
(1)
20
(2)
30
(3)
40
(4)
50
Ans.
(3)
प्रश्न: बेल्जियम में डच भाषा बोलने वालों की आबादी कितनी प्रतिशत है?
(1)
40
(2)
20
(3)
39
(4)
59
Ans.
(4)
प्रश्न: बेल्जियम में 1950 और 1960 के दशक में किन भाषा को बोलने वाले
समूहों के बीच तनाव बढ़ने लगा?
(1)
फ्रेंच और डच
(2)
डच और जर्मन
(3)
डच और सिंहली
(4)
फ्रेंच और जर्मन
Ans.
(1)
प्रश्न: बेल्जियम में अल्पसंख्यक के रूप में किस भाषा को बोलने वाले
लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं?
(1)
फ्रेंच
(2)
डच
(3)
जर्मन
(4)
अंग्रेजी
Ans.
(1)
प्रश्न: कौन-सा भाषायी समूह ब्रुसेल्स में बहुसंख्यक है?
(1)
फ्रेंच भाषी
(2)
डच भाषी
(3)
जर्मन भाषी
(4)
अंग्रेजी भाषी
Ans.
(1)
प्रश्न: ब्रुसेल्स किस देश की राजधानी है?
(1)
बेल्जियम
(2)
नीदरलैंड
(3)
श्रीलंका
(4)
वेस्ट इंडीज
Ans.
(1)
प्रश्न: यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ अवस्थित है?
(1)
ब्रुसेल्स
(2)
लंदन
(3)
रोम
(4)
पेरिस
Ans.
(1)
प्रश्न: 'सत्ता की साझेदारी' को ध्यान में रख कर 1970 और 1993 के बीच
बेल्जियम के संविधान में कितनी बार संशोधन किया गया?
(1)
2
(2)
4
(3)
5
(4)
2
Ans.
(2)
प्रश्न: बेल्जियम की केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों
की संख्या किस अनुपात में रखी गयी है?
(1)
जनसंख्या के अनुपात में
(2)
धर्म के अनुपात में
(3)
बराबर
(4)
सामाजिक प्रभुत्व के अनुपात में
Ans.
(3)
प्रश्न: विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी को क्या कहते
हैं?
(1)
सामुदायिक सरकार
(2)
गठबंधन सरकार
(3)
क्षेत्रीय सरकार
(4)
स्थानीय सरकार
Ans.
(1)
प्रश्न: सामुदायिक सरकार किस देश से संबंधित है?
(1)
श्रीलंका
(2)
बेल्जियम
(3)
भारत
(4)
जर्मनी
Ans.
(2)
प्रश्न: बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी के संबंध में कौन-सा कथन असत्य
है?
(1)
केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान है।
(2)
राज्य सरकारें केंद्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं।
(3)
बेल्जियम में अलग सरकार है और इसमें डच एवं फ्रेंच भाषी समुदायों का असमान प्रतिनिधित्व
है।
(4)
केंद्रीय एवं राज्य सरकार के अलावा वहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार - 'सामुदायिक सरकार'
भी काम करती है।
Ans.
(3)
प्रश्न: श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र कब बना?
(1)
1945
(2)
1946
(3)
1947
(4)
1948
Ans.
(4)
प्रश्न: श्रीलंका में कौन-सा समूह बहुसंख्यक है?
(1)
तमिल
(2)
मलयाली
(3)
सिंहली
(4)
एलंपा
Ans.
(3)
प्रश्न: श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहलियों की आबादी कुल आबादी का कितना
प्रतिशत है?
(1)
56%
(2)
64%
(3)
74%
(4)
84%
Ans.
(3)
प्रश्न: श्रीलंका में तमिलों की आबादी कुल आबादी का कितना प्रतिशत है?
(1)
18%
(2)
13%
(3)
28%
(4)
25%
Ans.
(1)
प्रश्न: श्रीलंका में तमिल समूह रूप से कहाँ रहते हैं?
(1)
उत्तर-पूर्वी प्रांतों में
(2)
पश्चिम-दक्षिण प्रांतों में
(3)
पश्चिमी-उत्तर प्रांतों में
(4)
दक्षिण-पूर्वी प्रांतों में
Ans.
(1)
प्रश्न: श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी का क्या आधार है?
(1)
अल्पसंख्यकवाद
(2)
बहुसंख्यकवाद
(3)
1 और 2 दोनों
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(2)
प्रश्न: श्रीलंका में किस समुदाय ने प्रभुत्व बनाने रखने का प्रयास
किया?
(1)
तमिल
(2)
सिंहली
(3)
ईसाई
(4)
मुस्लिम
Ans.
(2)
प्रश्न: श्रीलंका में सिंहली और तमिल समुदाय के बीच तनाव का क्या कारण
था?
(1)
बहुसंख्यकवाद
(2)
अल्पसंख्यकवाद
(3)
तुष्टीकरण
(4)
आतंकवाद
Ans.
(1)
प्रश्न: बहुसंख्यक समुदाय द्वारा मनचाहे ढंग से शासन और अल्पसंख्यक
समुदाय की अवहेलना करना क्या कहलाता है?
(1)
तुष्टीकरण
(2)
अल्पसंख्यकवाद
(3)
बहुसंख्यकवाद
(4)
आतंकवाद
Ans.
(3)
प्रश्न: 1956 ई. में श्रीलंका में जब कानून बनाया गया तो उसमें किन-किन
बातों को जोड़ा गया?
(1)
सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया
(2)
सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गयी
(3)
बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा दिया गया
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: 1956 ई. में श्रीलंका में किस भाषा को एकमात्र राजभाषा बना
दिया गया?
(1)
सिंहली
(2)
तमिल
(3)
अंग्रेजी
(4)
उर्दू
Ans.
(1)
प्रश्न: किस वर्ष श्रीलंका में कानून बनाकर 'सिंहली' को एकमात्र राजभाषा
घोषित कर दिया गया?
(1)
1956
(2)
1948
(3)
1950
(4)
1947
Ans.
(1)
प्रश्न: श्रीलंका का राजकीय धर्म क्या है?
(1)
इस्लाम
(2)
हिंदू
(3)
ईसाई
(4)
बौद्ध
Ans.
(4)
प्रश्न: श्रीलंका में अधिकांश सिंहली भाषी लोग किस धर्म को मानते वाले
हैं?
(1)
हिंदू
(2)
मुसलमान
(3)
बौद्ध
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाकर किस प्रकार
की माँगों को लेकर संघर्ष किया?
(1)
सिंहली को राजभाषा बनाने
(2)
शिक्षा और रोजगार में समान अवसर प्राप्त करने
(3)
क्षेत्रीय स्वायत्ता हासिल करने
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: श्रीलंका में सिंहली और तमिल के बीच टकराव ने क्या रूप ले लिया?
(1)
अधिकार
(2)
गृहयुद्ध
(3)
विकास
(4)
तानाशाही
Ans.
(2)
प्रश्न: श्रीलंका में तमिलों और सिंहली के बीच हुए गृहयुद्ध का अंत
कब हुआ?
(1)
2009 ई.
(2)
2011 ई.
(3)
2005 ई.
(4)
2008 ई.
Ans.
(1)
प्रश्न: लिट्टे कहाँ का एक आतंकवादी संगठन है -
(1)
श्रीलंका
(2)
पाकिस्तान
(3)
भारत
(4)
रूस
Ans.
(1)
प्रश्न: हेम शब्द का अर्थ है -
(1)
सरकार
(2)
राज्य
(3)
देश
(4)
राजनीतिक दल
Ans.
(4)
संघवाद
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न: 'संघवाद' से क्या अभिप्राय है?
अथवा, संघात्मक शासन व्यवस्था क्या है?
उत्तर:
'संघवाद' एक राजनीतिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत किसी देश को सर्वोच्च सत्ता केंद्रीय
प्राधिकार तथा उसकी घटक इकाइयों के बीच बाँट दी जाती है। इस प्रकार, एक संघीय व्यवस्था
में सरकार दो स्तर पर कार्य करती है - केंद्रीय स्तर पर तथा राज्य स्तर पर। राज्य स्तर
पर कार्य करने वाली सरकार केंद्रीय सरकार के अधीन नहीं होती।
प्रश्न: संघीय शासन व्यवस्था की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ:
(1)
संघीय शासन व्यवस्था में सत्ता का विभाजन दो या दो से अधिक स्तरों पर होता है अर्थात्
संघीय शासन व्यवस्था में सरकार दो या दो से अधिक स्तरों की होती है।
(2)
विभिन्न स्तरों की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं परंतु कानून बनाने,
कर वसूलने तथा शासन का अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
(3)
संविधान में, विभिन्न स्तर की सरकारों के कार्यक्षेत्र स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं।
संघीय सरकार के विभिन्न स्तरों के अस्तित्व तथा प्राधिकार की गारंटी और सुरक्षा देता
है।
(4)
संविधान के मौलिक प्रावधानों में परिवर्तन के लिए दोनों स्तर की सरकारों की सहमति आवश्यक
है।
(5)
न्यायपालिका को संविधान तथा सरकार के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार प्राप्त
होता है। विभिन्न स्तरों की सरकारों के बीच विवादों का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
किया जाता है।
(6)
विभिन्न स्तरों की वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए राजस्व के अलग-अलग स्रोत
निर्धारित किए जाते हैं।
(7)
संघीय शासन व्यवस्था के मूल रूप से दो उद्देश्य हैं - देश की एकता एवं अखंडता को बढ़ाना
तथा क्षेत्रीय विविधताओं का सम्मान करना।
प्रश्न: शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूप में क्या-क्या मुख्य अंतर
हैं? इसे उदाहरण के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था तथा एकात्मक शासन व्यवस्था में अंतर:
(1)
संघीय शासन व्यवस्था में सरकार का विभाजन दो स्तरों पर होता है - केंद्रीय स्तर तथा
राज्य स्तर। दोनों प्रकार की सरकारों का अपना अलग-अलग अधिकार क्षेत्र होता है। जबकि
एकात्मक शासन व्यवस्था में सरकार एक ही स्तर पर काम करती है।
(2)
संघीय शासन व्यवस्था में केंद्र सरकार के अधीन सभी नहीं होते, बल्कि दोनों स्तर की
सरकारें अपने स्तर पर लोगों के बीच सरकारी होती हैं। उदाहरण - भारत।
एकात्मक
शासन व्यवस्था में राज्य सरकारें केंद्रीय सरकार के अधीन होती हैं एवं राज्य सरकारें,
केंद्रीय सरकार के प्रति उत्तरदायी होती हैं। जैसे - इंग्लैंड, फ्रांस, श्रीलंका आदि।
(3)
संघीय शासन व्यवस्था में केंद्रीय सरकार राज्यों को आदेश जारी नहीं कर सकती जबकि एकात्मक
शासन व्यवस्था में केंद्रीय सरकार राज्य स्थानीय प्रशासन को आदेश जारी कर सकती है।
(4)
संघीय शासन व्यवस्था में संविधान प्रायः कठोर होता है। केंद्रीय सरकार अपनी मर्जी से
परिवर्तन नहीं कर सकती। एकात्मक शासन व्यवस्था में केंद्रीय सरकार अपनी मर्जी से संविधान
में परिवर्तन कर सकती है।
(5)
संघीय शासन व्यवस्था में देश की विविधताओं एवं क्षेत्रीय आकांक्षाओं को उचित स्थान
प्राप्त होता है। एकात्मक शासन व्यवस्था में इन मुद्दों की अनदेखी होती है।
प्रश्न: संघीय शासन व्यवस्था और एकात्मक शासन व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण
अंतर बताइए।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था में दो या अधिक स्तरों पर सरकारें होती हैं, जैसे-केंद्रीय सरकार,
राज्य सरकार और स्थानीय सरकार। परंतु एकात्मक शासन व्यवस्था में एक ही स्तर की सरकार
होती है और शेष इकाइयाँ उसके अधीन रहकर काम करती हैं।
प्रश्न: संघीय शासन व्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
देश की एकता की सुरक्षा करना तथा उसे बढ़ाना देना और क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान
करना।
प्रश्न: एक आदर्श संघीय व्यवस्था के दो महत्वपूर्ण तत्वों का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न स्तरों की सरकार के बीच सत्ता के बँटवारे को नियमों पर सहमति और एक-दूसरे पर
विश्वास करना।
प्रश्न: संघीय शासन व्यवस्था का गठन किस प्रकार से होता है?
उत्तर:
(i) दो या अधिक स्वतंत्र राष्ट्रों को साथ मिलाकर एक बड़ी इकाई गठित करना, जैसे-संयुक्त
राज्य अमेरिका। (ii) बड़े देश द्वारा आंतरिक विविधता को ध्यान में रखकर राज्यों का
गठन करना और फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के मध्य सत्ता का बँटवारा कर देना, जैसे-
भारत, बेल्जियम।
भारत
में संघीय व्यवस्था
प्रश्न: भारत में केंद्र तथा राज्यों के बीच शक्ति का बँटवारा कैसे
किया गया है?
उत्तर:
भारत में केंद्र तथा राज्यों के बीच शक्ति का बँटवारा निम्नलिखित विभाजन के आधार पर
किया गया है - (1) संघ सूची, (2) राज्य सूची, (3) समवर्ती सूची, (4) अवशिष्ट शक्तियाँ।
प्रश्न: भारत के संघीय व्यवस्था का वर्णन करें।
अथवा, केंद्र और राज्य संबंध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत की संघीय व्यवस्था में संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के माध्यम से किया
गया है।
प्रश्न: संघ सूची क्या है?
उत्तर:
इस सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय आते हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र
सरकार को है, जैसे- प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग आदि। इसमें 97 विषय शामिल हैं।
प्रश्न: राज्य सूची क्या है?
उत्तर:
इस सूची में वैसे विषय को शामिल किया गया है जिनके लिए राज्य सरकार उत्तरदायी है तथा
इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को प्राप्त है, जैसे- पुलिस,
व्यापार, वाणिज्य, कृषि, सिंचाई आदि। इसमें 52 विषय शामिल हैं।
प्रश्न: समवर्ती सूची से क्या समझते हैं?
उत्तर:
समवर्ती सूची के अंतर्गत उन विषयों को शामिल किया गया है जिन पर कानून बनाने का अधिकार
केंद्र और राज्य सरकार दोनों को प्राप्त है। जैसे- शिक्षा, वन, श्रम, पारिवारिक कानून
आदि। इसमें 47 विषय शामिल हैं।
प्रश्न: अवशिष्ट शक्तियाँ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची से अलग बचे हुए विषयों पर विधि निर्माण की शक्ति
को अवशिष्ट शक्ति के नाम से जाना जाता है। भारत में यह शक्ति केंद्र को प्राप्त है।
प्रश्न: भारतीय संघीय व्यवस्था में कितने स्तर की और कौन-सी सरकारें
हैं?
उत्तर:
तीन स्तर की सरकारें- केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार और पंचायतों व नगरपालिकाओं के रूप
में स्थानीय स्तर की सरकार।
प्रश्न: भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएँ:
(1)
भारतीय संघ, केंद्र और राज्यों के बीच किसी समझौता का परिणाम नहीं है, बल्कि इसका निर्माण
विभिन्न ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में हुआ है।
(2)
भारतीय संघवाद राज्यों का संघ है। भारतीय संघ के किसी राज्य को संघ से अलग होने का
अधिकार नहीं है।
(3)
भारतीय संघवाद में शक्तियों का बँटवारा तीन सूचियों - संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती
सूची के माध्यम से किया गया है।
(4)
भारतीय संघ में शक्तियों का विभाजन केंद्रीय सरकार के पक्ष में है। कुछ राज्यों को
विशिष्ट अधिकार प्रदान किए गए हैं।
(5)
भारतीय संघ में न्यायपालिकाओं की एक ही प्रणाली है। देश का एक ही सर्वोच्च न्यायालय
है।
(6)
भारतीय संघ में लोक सेवाओं का विभाजन नहीं किया गया है, अर्थात् लोकसेवक अपने कार्यों
में राज्य तथा केंद्रीय दोनों स्तर का कानूनों का पालन करते हैं।
प्रश्न: भारत की भाषा नीति को संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
भारत में संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिंदी
को राजभाषा माना गया, साथ ही अन्य भाषाओं के अनेक दूसरे रूप मान्य किये गये।
संविधान
में हिंदी के अलावा अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
प्रश्न: भारतीय संघवाद में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे
अलग एक विशेषता को बताइए।
उत्तर:
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती विशेषता - भारत और बेल्जियम दोनों
देशों में शासन की शक्तियों का विभाजन केंद्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच किया
गया है। दोनों देशों में राज्य सरकारें केंद्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं।
भारतीय
संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से अलग विशेषता - बेल्जियम में, संविधान में फ्रेंच एवं
डच भाषा को बराबर प्रतिनिधित्व दिया गया है। संपूर्ण संविधान में दोनों भाषाओं के प्रतिनिधियों
की सहमति आवश्यक है। इसके विपरीत भारत में भाषा को प्राथमिकता का आधार नहीं बनाया गया
है।
प्रश्न: तीन ऐसे राज्यों के नाम बताएँ जो सिर्फ बड़े राज्यों से काट
कर बनाया गया है।
उत्तर:
छत्तीसगढ़, उत्तराखंड तथा झारखंड।
प्रश्न: गठबंधन सरकार क्या होती है?
उत्तर:
गठबंधन सरकार एक ऐसी सरकार होती है जो एक से अधिक राजनीतिक पार्टियों द्वारा साथ मिलकर
बनाई गई हो। साधारणतया गठबंधन में सम्मिलित दल एक राजनीतिक गठजोड़ करते हैं और एक साझा
कार्यक्रम स्वीकार करते हैं।
सत्ता
का विकेंद्रीकरण
प्रश्न: विकेंद्रीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब केंद्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे
सत्ता का विकेंद्रीकरण कहते हैं।
प्रश्न: स्थानीय शासन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत में, संघीय व्यवस्था का अंतर्गत शासन की शक्तियों का विभाजन तीन स्तरों पर किया
गया है - केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार तथा स्थानीय सरकार। तीसरे स्तर के शासन को स्थानीय
शासन के नाम से जाना जाता है। स्थानीय सरकार, राज्य सरकार के अधीन नहीं होती।
प्रश्न: भारत में सत्ता के विकेंद्रीकरण के पीछे कौन-से तर्क दिए जाते
हैं?
अथवा, विकेंद्रीकरण की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत में सत्ता के विकेंद्रीकरण के पीछे निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं -
(1)
राज्यों का आकार बहुत बड़ा है अतः स्थानीय स्तर पर सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी है।
(2)
राज्य सरकार अकेले स्थानीय मामलों को प्रभावी ढंग से हल नहीं कर सकती अतः सत्ता की
साझेदारी तीन स्तरों पर होनी चाहिए।
(3)
स्थानीय निवासी अपने इलाके की समस्याओं से अच्छी तरह परिचित होते हैं तथा उन समस्याओं
का समाधान भी स्थानीय स्तर पर ही बेहतर ढंग से संभव है।
(4)
लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुसार, स्थानीय निवासियों को सत्ता में भागीदार बनाना आवश्यक
है। इससे लोकतांत्रिक भागीदारी का संस्कृति विकसित होती है।
प्रश्न: 1992 ई. के संविधान संशोधन के अंतर्गत स्थानीय शासन को शक्तिशाली
बनाने के लिए किए गए उपायों का उल्लेख करें।
अथवा, 1992 ई. के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के
महत्वपूर्ण अंतरों का उल्लेख करें।
उत्तर:
स्थानीय शासन को मजबूत और शक्तिशाली बनाने के लिए 1992 ई. में निम्नलिखित कदम उठाये
गये। ये प्रावधान पहले नहीं थे जिनके कारण स्थानीय शासन कमजोर था -
(1)
स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना एक संवैधानिक बाध्यता घोषित
की गई।
(2)
इन निकायों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण
की व्यवस्था की गई।
(3)
एक-तिहाई पदों पर महिलाओं को आरक्षण दिया गया।
(4)
पंचायत और नगरपालिका का चुनाव कराने के लिए प्रत्येक राज्य में राज्य चुनाव आयोग नामक
स्वतंत्र संस्था का गठन किया गया।
(5)
इन संस्थाओं को राज्य से वित्तीय सहायता तथा सत्ता संबंधी अधिकार प्राप्त होते हैं।
प्रश्न: ग्राम सभा के सदस्य कौन होते हैं?
उत्तर:
गाँव के सभी प्रौढ़ ग्रामसभा के सदस्य होते हैं।
प्रश्न: जिला परिषद के कौन-से पदेन (पद के कारण) सदस्य होते हैं?
उत्तर:
जिले के लोकसभा और विधानसभा के सदस्य और कुछ अधिकारी।
प्रश्न: नगरों में कौन-सी स्थानीय संस्थाएँ होती हैं?
उत्तर:
नगरपालिका, नगर निगम।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न: किस शासन में सत्ता का केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन होता
है?
(1)
संघात्मक
(2)
एकात्मक
(3)
राजशाही
(4)
एकात्मक
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में किस प्रकार की शासन व्यवस्था है?
(1)
संघात्मक
(2)
एकात्मक
(3)
सामुदायिक
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: संघात्मक शासन प्रणाली वाला देश इनमें से कौन नहीं है?
(1)
संयुक्त राज्य अमेरिका
(2)
श्रीलंका
(3)
बेल्जियम
(4)
ऑस्ट्रेलिया
Ans.
(2)
प्रश्न: किस शासन व्यवस्था में संपूर्ण शासन की सत्ता केंद्रीय सरकार
के पास होती है?
(1)
विकेंद्रीकृत
(2)
एकात्मक
(3)
सामुदायिक
(4)
साम्यवादी
Ans.
(2)
प्रश्न: संयुक्त राज्य अमेरिका में किस प्रकार की शासन प्रणाली है?
(1)
संसदीय
(2)
अध्यक्षात्मक
(3)
दैनिक
(4)
तानाशाही
Ans.
(2)
प्रश्न: साथ आकर संघ बनाने का उदाहरण निम्न में से कौन देश है?
(1)
भारत
(2)
बेल्जियम
(3)
संयुक्त राज्य अमेरिका
(4)
स्पेन
Ans.
(3)
प्रश्न: इनमें से कौन गैर-लोकतांत्रिक देश है?
(1)
बेल्जियम
(2)
भारत
(3)
संयुक्त राज्य अमेरिका
(4)
कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: इनमें से कौन लोकतांत्रिक देश है?
(1)
सऊदी अरब
(2)
अल्जीरिया
(3)
भारत
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से अभी किस प्रकार की शासन व्यवस्था
है?
(1)
संसदीय
(2)
अध्यक्षात्मक
(3)
सैनिक
(4)
एकात्मक
Ans.
(4)
प्रश्न: निम्न में से किस देश में एकात्मक शासन व्यवस्था है?
(1)
भारत
(2)
सं.रा. अमेरिका
(3)
स्विट्जरलैंड
(4)
श्रीलंका
Ans.
(4)
प्रश्न: दो या अधिक राष्ट्रों का साथ आ कर संघ बनाने का उदाहरण है
-
(1)
अमेरिका
(2)
स्विट्जरलैंड
(3)
ऑस्ट्रेलिया
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: 'भारतीय संविधान' कब बनकर तैयार हुआ?
(1)
15 अगस्त, 1947
(2)
26 नवंबर, 1949
(3)
26 जनवरी, 1950
(4)
2 अक्टूबर, 1869
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत किस प्रकार का राज्य है?
(1)
राजतंत्र और लोकतांत्रिक
(2)
संघ प्रमुख, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और संघीय
(3)
धर्मनिरपेक्ष और संघीय
(4)
राजतंत्र और अधिनायकवादी
Ans.
(2)
प्रश्न: किस शासन व्यवस्था में सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है?
(1)
तानाशाही
(2)
एकात्मक
(3)
संघात्मक
(4)
अध्यक्षात्मक
Ans.
(3)
प्रश्न: किस शासन व्यवस्था में केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र
संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज होते हैं और अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार
होता है?
(1)
पंचायती
(2)
संघात्मक
(3)
एकात्मक
(4)
अध्यक्षात्मक
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्न में से किस प्रकार की व्यवस्था में केंद्रीय सरकार, राज्य
सरकार को कुछ खास करने का आदेश नहीं दे सकती?
(1)
एकात्मक
(2)
संघीय
(3)
परिकृश
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(2)
प्रश्न: संघीय शासन व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य है -
(1)
देश की एकता
(2)
क्षेत्रीय विविधताओं का सम्मान
(3)
विभिन्न स्तर पर सत्ता का बँटवारा
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: संघीय व्यवस्था की निम्न में से कौन-सी एक विशेषता नहीं है?
(1)
यहाँ सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं।
(2)
यहाँ सरकारें एक अधिकार क्षेत्र संविधान में वर्णित होते हैं।
(3)
यहाँ सरकारों के बीच विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक भूमिका निभाता
है।
(4)
यहाँ सरकार एक स्तर वाली होती है।
Ans.
(4)
प्रश्न: संघीय सरकार एक द्विविधता नहीं है।
(1)
संघीय सरकार अपने कुछ अधिकार क्षेत्रीय सरकार को देती है।
(2)
सरकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(3)
निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(4)
सरकार की शक्ति शासन की विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
Ans.
(3)
प्रश्न: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का उल्लेख संविधान के
किस अनुसूची में किया गया है?
(1)
5वीं
(2)
6वीं
(3)
7वीं
(4)
8वीं
Ans.
(3)
प्रश्न: केंद्र और राज्यों के बीच सत्ता का बँटवारा कितनी सूचियों में
किया गया है?
(1)
3
(2)
4
(3)
5
(4)
6
Ans.
(1)
प्रश्न: केंद्रीय सरकार के हर स्तर के अस्तित्व और प्राधिकार की गारंटी
और सुरक्षा देता है?
(1)
संसद
(2)
संविधान
(3)
राष्ट्रपति
(4)
केंद्रीय मंत्रिमंडल
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत की संघीय प्रणाली में, राज्य सरकारें उन सभी विषयों पर
कानून बनाने की शक्ति रखती हैं जो निम्नलिखित में शामिल हैं:
(1)
संघ सूची
(2)
राज्य सूची
(3)
समवर्ती सूची
(4)
अवशिष्ट विषय
Ans.
(2)
प्रश्न: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के द्वारा केंद्र और
राज्यों के बीच किन अधिकारों (शक्तियों) का बँटवारा किया गया है?
(1)
नागरिक
(2)
आपातकालीन
(3)
विधायी
(4)
न्यायिक
Ans.
(3)
प्रश्न: प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार जैसे राष्ट्रीय महत्व
के विषय किस सूची के अंतर्गत आते हैं?
(1)
संघ सूची
(2)
राज्य सूची
(3)
समवर्ती सूची
(4)
मतदाता सूची
Ans.
(1)
प्रश्न: इनमें से कौन संघ सूची के विषय हैं?
(1)
पुलिस, व्यापार, कृषि
(2)
प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग
(3)
वाणिज्य, सिंचाई, स्थानीय निकाय
(4)
शिक्षा, वन, विवाह
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा विषय केंद्र सरकार के पास है?
(1)
शिक्षा
(2)
रक्षा
(3)
कृषि
(4)
स्वास्थ्य
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्न में से कौन-सा विषय संघ सूची का नहीं है?
(1)
विदेशनीति
(2)
बैंकिंग
(3)
पुलिस
(4)
संचार
Ans.
(3)
प्रश्न: पुलिस, व्यापार, कृषि, सिंचाई जैसे प्रांतीय महत्व के विषय
किस सूची के अंतर्गत आते हैं?
(1)
संघ सूची
(2)
राज्य सूची
(3)
समवर्ती सूची
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है?
(1)
बैंकिंग
(2)
कंप्यूटर
(3)
वाणिज्य
(4)
मुद्रा
Ans.
(3)
प्रश्न: निम्न में से कौन-सा विषय केंद्र सूची में शामिल नहीं है?
(1)
रेलवे
(2)
मुद्रा
(3)
कानून-व्यवस्था
(4)
बैंकिंग
Ans.
(3)
प्रश्न: किस सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार और
केंद्र सरकार दोनों को होता है?
(1)
संघ सूची
(2)
राज्य सूची
(3)
समवर्ती सूची
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: शिक्षा, वन, विवाह, गोद लेना, उत्तराधिकार आदि विषय किस सूची
के अंतर्गत आते हैं?
(1)
संघ सूची
(2)
राज्य सूची
(3)
समवर्ती सूची
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(3)
प्रश्न: समवर्ती सूची में कितने विषय हैं?
(1)
52
(2)
50
(3)
48
(4)
60
Ans.
(1)
प्रश्न: शिक्षा किस सूची में शामिल है?
(1)
संघ सूची
(2)
राज्य सूची
(3)
समवर्ती सूची
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: समवर्ती सूची के किसी विषय पर केंद्र और राज्य के बीच विवाद
होने पर किसका कानून लागू होता है?
(1)
राज्य सरकार
(2)
केंद्र सरकार
(3)
उच्च न्यायालय
(4)
राष्ट्रपति
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत में अवशिष्ट (बाकी बचे) विषय किसके अधिकार क्षेत्र में
आते हैं?
(1)
केंद्र सरकार
(2)
राज्य सरकार
(3)
केंद्र एवं राज्य सरकार
(4)
स्थानीय सरकार
Ans.
(1)
प्रश्न: केंद्र शासित प्रदेश का शासन चलाने का विशेष अधिकार किस सरकार
को है?
(1)
केंद्र सरकार
(2)
राज्य सरकार
(3)
स्थानीय सरकार
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच होने वाले विवादों का निपटारा
कौन करता है?
(1)
प्रधानमंत्री
(2)
राष्ट्रपति
(3)
न्यायपालिका
(4)
राज्यपाल
Ans.
(3)
प्रश्न: विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों के विवाद की स्थिति
में कौन अधिनिर्णायक की भूमिका निभाता है?
(1)
संविधान
(2)
सर्वोच्च न्यायालय
(3)
स्थानीय सरकार
(4)
मंत्रिपरिषद
Ans.
(2)
प्रश्न: संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या
करने का अधिकार किसे है?
(1)
न्यायालय
(2)
राष्ट्रपति
(3)
संसद
(4)
प्रधानमंत्री
Ans.
(1)
प्रश्न: निम्न में कौन सुमेलित नहीं है?
(1)
भारतीय संघ - राष्ट्रपति
(2)
राज्य - उपराष्ट्रपति
(3)
नगर निगम - मेयर
(4)
ग्राम पंचायत - सरपंच/मुखिया
Ans.
(2)
प्रश्न: एक से अधिक राजनीतिक दलों द्वारा मिल कर बनायी गयी सरकार को
क्या कहते हैं?
(1)
गठबंधन सरकार
(2)
बहुमत सरकार
(3)
लोकतांत्रिक सरकार
(4)
दल-बदल
Ans.
(1)
प्रश्न: राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को कब लागू किया गया था?
(1)
1 नवंबर 1991
(2)
10 दिसंबर 1990
(3)
1 नवंबर 1956
(4)
10 दिसंबर 1965
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत में कितने राज्य हैं?
(1)
22
(2)
28
(3)
29
(4)
26
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत में कितने केंद्र शासित प्रदेश हैं?
(1)
6
(2)
7
(3)
8
(4)
9
Ans.
(3)
प्रश्न: भारतीय संघ में इस समय है -
(1)
25 राज्य और 6 संघीय क्षेत्र
(2)
28 राज्य और 8 संघीय क्षेत्र
(3)
26 राज्य और 7 संघीय क्षेत्र
(4)
28 राज्य और 6 संघीय क्षेत्र
Ans.
(2)
प्रश्न: झारखंड राज्य का गठन कब हुआ?
(1)
2000 ई.
(2)
2001 ई.
(3)
2002 ई.
(4)
2003 ई.
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत की राष्ट्रभाषा है?
(1)
पंजाबी
(2)
हिंदी
(3)
अंग्रेजी
(4)
गुजराती
Ans.
(2)
प्रश्न: संविधान में कुल कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषाओं का दर्जा
दिया गया है?
(1)
15
(2)
17
(3)
19
(4)
22
Ans.
(4)
प्रश्न: हमारे देश की 22 प्रमुख भाषाओं को संविधान की किस अनुसूची में
रखा गया है?
(1)
8वीं
(2)
9वीं
(3)
7वीं
(4)
6वीं
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत की अनुसूचित भाषाओं में झारखंड को कौन-सी भाषा शामिल है?
(1)
मैथिली
(2)
संथाली
(3)
मगही
(4)
संथाली
Ans.
(4)
प्रश्न: हमारे देश में राजभाषा हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत कितना
है?
(1)
10
(2)
20
(3)
30
(4)
44
Ans.
(4)
प्रश्न: निम्न में कौन भारत की अनुसूचित भाषा का दर्जा शामिल नहीं है?
(1)
अरबी
(2)
मैथिली
(3)
संथाली
(4)
असमिया
Ans.
(1)
प्रश्न: ऐसी व्यवस्था जिसमें केंद्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ ले
कर स्थानीय सरकारों को दी जाती है, क्या कहलाता है?
(1)
राजबंधन
(2)
विकेंद्रीकरण
(3)
केंद्रीकरण
(4)
अतीकरण
Ans.
(2)
प्रश्न: सत्ता का विकेंद्रीकरण निम्न में कौन शामिल है?
(1)
केंद्र सरकार
(2)
केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सरकार
(3)
केंद्र सरकार, राज्य सरकार
(4)
राज्य सरकार
Ans.
(2)
प्रश्न: भारतीय संघवाद का तीसरा स्तर कौन-सा है?
(1)
केंद्र सरकार
(2)
राज्य सरकार
(3)
स्थानीय सरकार
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: स्थानीय शासन प्रणाली कितने स्तर की है?
(1)
एक-स्तरीय
(2)
त्रि-स्तरीय
(3)
द्वि-स्तरीय
(4)
पंच-स्तरीय
Ans.
(2)
प्रश्न: सरकार के तीसरे स्तर को किस नाम से जानते हैं?
(1)
ग्राम पंचायत
(2)
राज्य सरकार
(3)
स्थानीय स्वशासन
(4)
जिला परिषद
Ans.
(3)
प्रश्न: ग्राम स्तर पर संचालित प्रशासन को क्या कहते हैं?
(1)
स्थानीय स्वशासन
(2)
पंचायत
(3)
ग्राम सभा
(4)
ग्रामीणदेव
Ans.
(1)
प्रश्न: संविधान में संशोधन करके लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के तीसरे
स्तर को कैसा बनाया गया है?
(1)
शक्तिशाली और प्रभावी
(2)
शक्तिशाली और अप्रभावी
(3)
संवैधानिक और प्रभावी
(4)
स्वतंत्र और अप्रभावी
Ans.
(1)
प्रश्न: पंचायती राज को शक्तिशाली और प्रभावी बनाने के लिए संविधान
में 73वाँ संशोधन कब किया गया?
(1)
1959 ई.
(2)
1992 ई.
(3)
1998 ई.
(4)
2001 ई.
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत में विकेंद्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम कब उठाया गया?
(1)
1992
(2)
1993
(3)
1994
(4)
1995
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में विकेंद्रीकरण के संबंध में कौन सही नहीं है?
(1)
अब स्थानीय स्वशासन निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता नहीं है।
(2)
भारत में विकेंद्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम 1992 में उठाया गया।
(3)
कम से कम एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित है।
(4)
पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र संस्था का
गठन किया गया है।
Ans.
(1)
प्रश्न: पंचायती राज में नियमित चुनाव करवाने की जिम्मेदारी किसकी है?
(1)
राज्य चुनाव आयोग
(2)
केंद्र सरकार
(3)
राज्य सरकार
(4)
ग्राम सभा
Ans.
(1)
प्रश्न: पंचायती राज की प्रमुख इकाई क्या है?
(1)
ग्राम सेवक
(2)
मुखिया
(3)
ग्राम सभा
(4)
सरपंचा
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत में विकेंद्रीकरण के तहत कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर
किसका गठन होता है?
(1)
जिला परिषद
(2)
ग्राम सभा
(3)
नगरपालिका
(4)
पंचायत समिति
Ans.
(4)
प्रश्न: ग्राम पंचायत, नगरपालिका, नगर निगम आदि किस शासन व्यवस्था के
अंतर्गत आते हैं?
(1)
स्थानीय शासन
(2)
पंचायती राज
(3)
(1) और (2) दोनों
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: स्थानीय शासन व्यवस्था में कितने पद महिलाओं के लिए आरक्षित
हैं?
(1)
एक-तिहाई
(2)
एक-चौथाई
(3)
दो-तिहाई
(4)
तीन-चौथाई
Ans.
(1)
प्रश्न: पंचायतों में महिलाओं के लिए कितने प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान
किया गया है?
(1)
20
(2)
33
(3)
40
(4)
50
Ans.
(2)
प्रश्न: स्थानीय शासन वाली संस्थाएँ जो शहरों में काम करती हैं, कहलाती
हैं -
(1)
नगरपालिका और नगर निगम
(2)
जिला पंचायत
(3)
विधान परिषद
(4)
ग्राम पंचायत
Ans.
(1)
प्रश्न: नगर निगम के प्रमुख को क्या कहते हैं?
(1)
मेयर
(2)
चेयरमैन
(3)
सचिव
(4)
प्रधान
Ans.
(1)
प्रश्न: नगर निगम के प्रधान को क्या कहते हैं?
(1)
मुखिया
(2)
सरपंच
(3)
मेयर
(4)
पार्षद
Ans.
(3)
जाति, धर्म और लैंगिक मसले
लैंगिक
विभाजन
प्रश्न: सामाजिक विषमता के तीन मुख्य आधार कौन-से हैं?
उत्तर:
सामाजिक विषमता के तीन मुख्य आधार जाति, धर्म और लिंग हैं।
प्रश्न: ......... में एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित किये गये
हैं।
उत्तर:
पंचायतों और नगरपालिकाओं (अर्थात्, पंचायती राज संस्थाओं) में।
प्रश्न: राज्य विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधियों की प्रतिशतता क्या
है?
उत्तर:
राज्य विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधियों की प्रतिशतता 5% से भी कम है।
प्रश्न: लैंगिक असमानता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक भूमिकाओं, राजनीतिक भागीदारी तथा धार्मिक अवधारणाओं के आधार पर महिलाओं को
पुरुषों के समकक्ष नहीं मानने को लैंगिक असमानता के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: लैंगिक विभाजन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गयी असमान भूमिका को 'लैंगिक विभाजन' कहते हैं।
प्रश्न: नारीवादी आंदोलन क्या है?
उत्तर:
नारीवादी आंदोलन वह आंदोलन है जो पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकारों और अवसरों के
पक्ष में चलाए गए।
प्रश्न: पितृ प्रधान समाज तथा मातृ प्रधान समाज क्या है?
उत्तर:
जिस समाज में पुरुषों का प्रभुत्व होता है उसे पितृ प्रधान समाज तथा जिस समाज में महिलाओं
का प्रभुत्व होता है उसे मातृ प्रधान समाज के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: 'पितृप्रधान' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
'पितृप्रधान' से अभिप्राय है - समाज अथवा परिवार में पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा
अधिक महत्व, शक्ति, अधिकार आदि प्राप्त होना।
प्रश्न: पारिवारिक कानून क्या होता है?
उत्तर:
विवाह, तलाक, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे परिवार से जुड़े मसलों से संबंधित कानून
पारिवारिक कानून होते हैं। हमारे देश में सभी धर्मों के लिए अलग-अलग पारिवारिक कानून
हैं।
प्रश्न: पंचायती राज की संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण की क्या
व्यवस्था है?
उत्तर:
1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गयी हैं।
प्रश्न : जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में
स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमजोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के साथ अभी भी निम्नलिखित पहलुओं में भेदभाव होते हैं और वे कमजोर
उत्तर : स्थिति में होती हैं -
शिक्षा
में भेदभाव : भारत में महिलाओं में साक्षरता की दर अब
भी मात्र 54 फीसदी है, जबकि पुरुषों में 76 फीसदी। स्कूल पास करने वाली लड़कियों की
एक सीमित संख्या ही उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा पाती है। क्योंकि माँ-बाप अपने संसाधनों
को लड़के-लड़की दोनों पर खर्च करने की जगह लड़कों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं।
ऊँचे
पदों पर महिलाओं की कम संख्या: अब भी भारत में ऊँचा वेतन
और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है।
समान
कार्य के लिए समान मजदूरी नहीं होना: काम
के अनेक क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है, भले ही
दोनों ने समान काम किया हो।
लड़के
की चाह: भारत के अनेक हिस्सों में माँ-बाप को सिर्फ
लड़के की चाह होती है। इससे देश का लिंग-अनुपात गिरकर 919 रह गया है।
प्रश्न: भारत में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डालें।
अथवा, भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को क्या स्थिति
है?
उत्तर:
भारत की विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। भारतीय लोकतंत्र
तीन स्तरों पर कार्यरत है और तीनों स्तरों पर अलग-अलग महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति
है। यथा –
*
केंद्रीय स्तर पर संसद में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व पहली बार 2019 में ही 14.36% तक
पहुँचा है।
*
राज्यों की विधानसभाओं में यह 5 प्रतिशत से भी कम है।
*
1992 ई. में एक संवैधानिक संशोधन के द्वारा स्थानीय शासन की विधायिकाओं में वर्तमान
में महिलाओं का 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व आरक्षित है। आज भारत के ग्रामीण और शहरी स्थानीय
निकायों में निर्वाचित महिलाओं की संख्या 10 लाख से ज्यादा है।
विभिन्न
महिला संगठनों तथा महिला अधिकारों के समर्थकों ने यह माँग की है कि लोकसभा एवं राज्य
विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी जाएँ। इस आशय से संबंधित
एक विधेयक संसद में पेश किया गया है।
धार्मिक
अंतरों पर आधारित विभाजन
प्रश्न: सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सांप्रदायिकता समाज की वह स्थिति है जिसमें विभिन्न धार्मिक समूह अपनी-अपनी श्रेष्ठता
एवं प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास करते हैं। इस मानसिकता के अनुसार एक धार्मिक समुदाय
के लोगों को दूसरे समुदाय के वर्चस्व में रहना होगा। सांप्रदायिकता में धर्म को समुदाय
या राष्ट्र का मुख्य आधार मानने की प्रवृत्ति होती है। सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक
गोलबंदी कर वे अपने समुदाय का राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश में रहते हैं।
प्रश्न: सांप्रदायिकता के विभिन्न रूपों का उल्लेख करें।
उत्तर:
सांप्रदायिक राजनीति में निम्नलिखित रूप धारण कर सकती है -
(1)
धार्मिक श्रेष्ठता की भावना
(2)
राजनीतिक प्रभुत्व की चाह
(3)
धार्मिक लामबंदी
(4)
धार्मिक हिंसा
प्रश्न: सांप्रदायिक कौन है?
उत्तर:
धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाले व्यक्ति को सांप्रदायिक कहा जाता है।
प्रश्न: सांप्रदायिक राजनीति का आधार क्या होता है?
उत्तर:
धर्म ही सामाजिक समुदाय का निर्माण करता है और एक विशेष धर्म में आस्था रखने वाले लोग
एक ही समुदाय के होते हैं।
प्रश्न: सांप्रदायिक राजनीति के दो रूपों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
: धार्मिक समुदाय द्वारा राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयत्न और सांप्रदायिक
आधार पर राजनीतिक गोलबंदी।
प्रश्न : विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और एक-एक
उदाहरण भी दें?
उत्तर
: जब कुछ धर्मों के लोग अपने धर्म को दूसरों से श्रेष्ठ मानने लगते हैं, तो इस भावना
को सांप्रदायिकता कहते हैं। संप्रदायिकता राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है-
1.
राजनीतिक प्रभुत्व की इच्छा : जो लोग बहुसंख्यक होते हैं
उनका प्रयास रहता है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय पर अपना प्रभुत्व स्थापित करें। जैसे
श्रीलंका।
2.
राजनीतिक गोलबंदी: सांप्रदायिक आधार पर राजनीति
गोलबंदी करना सांप्रदायिकता का एक अन्य रूप है। इसमें धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्मगुरुओं
द्वारा मतदाताओं से धर्म के नाम पर अपील करना शामिल है। चुनावी राजनीतिक व्यवस्था में
एक धर्म के मतदाताओं की भावना या हितों की बात उठाने जैसे तरीके अक्सर अपनाए जाते हैं।
3.
हिंसा, दंगा व नरसंहार का रूप लेना : कभी-कभी
सांप्रदायिकता के नाम पर विभित्र क्षेत्रों में दो विरोधी संप्रदायों में किसी साधारण
घटना पर भी दंगे और नरसंहार हो जाते हैं जिसमें अनेक लोगों की जान चली जाती है। धन-संपत्ति
की भी हानि होती है। जैसे 1947 में देश विभाजन के समय इसी प्रकार के सांप्रदायिक दंगे
हुए थे।
प्रश्न: धर्मनिरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
: धर्मनिरपेक्ष राज्य वह राज्य है किसी धर्म को राजकीय धर्म का दर्जा नहीं दिया जाता।
इसमें सभी नागरिकों को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता होती है। राज्य धर्म के आधार
पर नागरिकों से कोई भेदभाव नहीं करता है।
प्रश्न : धर्मनिरपेक्ष राज्य की एक विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
: राज्य द्वारा किसी भी धर्म को राजकीय धर्म स्वीकार न करना।
प्रश्न : किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष
देश बनाते हैं।
उत्तर
: भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाने वाले प्रावधान हैं -
भारत
राज्य का अपना कोई राजकीय धर्म नहीं है। संविधान के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति के
साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगी।
देश
के सभी नागरिकों को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता दी गई है। नागरिक अपनी इच्छा
से किसी भी धर्म को मान सकते हैं तथा उसका प्रचार कर सकते हैं।
प्रश्न: भारत में अल्पसंख्यकों की चुनौती का समाधान किस प्रकार किया
गया है?
उत्तर
: भारत में, अल्पसंख्यकों की चुनौती का समाधान निम्न प्रकार से किया गया है -
(1)
अल्पसंख्यकों को वे सभी नागरिक अधिकार दिये गये हैं जो देश के सभी नागरिकों को प्राप्त
हैं। इससे अल्पसंख्यकों को देश के दूसरे दर्जे का नागरिक होने का अहसास नहीं होता।
(2)
अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा का विकास करने, विद्यालय अथवा महाविद्यालय चलाने, धर्म का
विकास करने आदि का अधिकार दिया गया है।'
(3)
अल्पसंख्यकों के हितों की बेहतर पहचान और प्राप्ति के लिए संविधान में विशेष आयोग की
व्यवस्था की गयी है जो संबंधित विषयों पर अपने विचार एवं समाधान राष्ट्रपति को प्रस्तुत
करता है।
जातिगत
असमानताएँ
प्रश्न : दो सामाजिक बुराइयों के नाम बताएँ जो भारतीय समाज में विद्यमान
है।
उत्तर
: जातिवाद, दहेज-प्रथा।
प्रश्न : भारतीय समाज में जाति से संबंधित एक विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
: जाति पर आधारित विभाजन भारतीय समाज की एक विशेषता है जो अन्य देशों में नहीं है।
प्रश्न : वर्ण-व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
: वर्ण-व्यवस्था जाति समूहों का पदानुक्रम है जिसमें एक जाति के लोग हर हाल में सामाजिक
पायदान में सबसे ऊपर रहेंगे तो किसी अन्य जाति समूह के लोग क्रमागत रूप में उनके नीचे।
प्रश्न : बताइए कि किस तरह भारत में अभी भी
जातिगत असमानताएँ हैं।
उत्तर :
(1) जाति व्यवस्था के पुराने पहलू आज भी बरकरार हैं। आज भी
ज्यादातर लोग अपनी ही जाति या कबीले में शादी करते हैं। अन्तर्जातीय विवाहों को
समाज में पूर्ण मान्यता नहीं प्राप्त हो सकी है।
(2) स्पष्ट संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद आज भी छुआछूत की
कुछ घटनाएँ होती हैं।
(3) कुछ जाति के लोग सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से काफी आगे बढ़
गये हैं। जबकि, बदलती तकनीक के कारण कुछ जातियाँ जातिगत पेशे को अपनाते हुए पीछे
रह गयी हैं।
(4) जातिगत वर्चस्व तथा कुछ राजनीतिक-सामाजिक कारणों से
अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली जातियों द्वारा दूसरी जातियों को प्रताड़ित करने की
घटनाएँ होती हैं।
(5) आरक्षण का लाभ भी कुछ जातियों को अधिक हुआ है, जबकि कुछ
जातियाँ इस दौड़ में काफी पीछे रह गयी हैं।
(6) चुनाव में लोग अपनी ही जाति के उम्मीदवार को ही वोट
डालते हैं तथा अपनी जाति के अन्य लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं।
(7) कुछ जातियाँ अभी भी जाति पंचायत कर अपने विभिन्न निर्णय
करती हैं।
हालाँकि, कुल मिलाकर विभिन्न वैधानिक प्रावधानों और सामाजिक
जागरूकता के कारण जातिगत असमानता में काफी कमी आयी है।
प्रश्न : जातिवाद के दुष्प्रभाव क्या है?
उत्तर : जातिवाद के दुष्प्रभाव
(1) जातिवाद राष्ट्रीय एकता को कमजोर करता है। इसके कारण
ऊँच-नीच की भावना उत्पन्न होती है जो समाज में तनाव बढ़ाता है।
(2) जातिवाद भेद-भाव और पक्षपात विहीन समाज के विकास में
बाधा डालता है। जातिवाद के कारण राजनीतिक और प्रशासनिक क्षत्रों में पक्षपात,
भेदभाव और उत्पीड़न का वातावरण पैदा होता है।
(3) जातिवादी समाज में लोग अनुभव और क्षमता के आधार पर नहीं
बल्कि अपनी जाति देख कर अपने उम्मीदवार को वोट देते हैं। इससे योग्य और अनुभवी
लोगों को राजनीति में भाग लेना कठिन होता है।
(4) राजनीतिक दल और उम्मीदवार समर्थन हासिल करने के लिए
जातिगत भावनाओं को उकसाते हैं।
प्रश्न : दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ जाति
के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।
उत्तर : भारत में सिर्फ जाति के आधार पर ही चुनावी नतीजे तय
नहीं होते; क्योंकि -
- देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति
के लोगों का बहुमत नहीं है।
-कभी-कभी एक ही जाति के अनेक उम्मीदवार एक ही संसदीय
क्षेत्र में मैदान में होते हैं।
- कोई भी पार्टी किसी एक जाति या समुदाय के सभी लोगों का
बोट हासिल नहीं कर सकती।
प्रश्न : जातिगत भेदभाव से मुक्त समाज
व्यवस्था बनाने का प्रयत्न वाले प्रमुख नेता कौन थे?
उत्तर : ज्योतिबा फुले, महात्मा गाँधी, डॉ. अंबेडकर और
पेरियार रामास्वामी नायकर।
प्रश्न : राजनीति में जाति किस प्रकार के रूप
ले सकती है?
उत्तर : चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन जाति के आधार पर,
वोट प्राप्त करने के लिए जातिगत भावनाओं को उकसाना, और जाति के आधार पर दलों की
स्थापना करना।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
लैंगिक विभाजन
प्रश्न : समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गयी असमान
भूमिका से क्या अभिप्राय है?
(1) नारीवाद
(2) लैंगिक विभाजन
(3) सशक्तिकरण
(4) मातृ-प्रधान
Ans. (2)
प्रश्न : जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते
हैं तो हमारा अभिप्राय होता है :
(1) स्त्री और पुरुष के बीच लैंगिक अन्तर
(2) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गयी असमान भूमिका
(3) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात
(4) लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का
अधिकार न मिलना।
Ans. (2)
प्रश्न: मनुष्य जाति की आबादी में औरतों का हिस्सा लगभग कितना है?
(1)
आधा
(2)
एक तिहाई
(3)
एक चौथाई
(4)
तीन चौथाई
Ans.
(1)
प्रश्न: सार्वजनिक जीवन एवं राजनीति में नारियों की भूमिका कैसी है?
(1)
अत्यधिक
(2)
समान
(3)
कमजोर
(4)
संतोषजनक
Ans.
(2)
प्रश्न: अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष को बराबर
मानने वाले को कहते हैं?
(1)
सांप्रदायिकतावादी
(2)
मातृ-सत्ता
(3)
नारीवादी
(4)
अतिवादी
Ans.
(3)
प्रश्न: महिलाओं को समाज में बराबरी की मांग के आंदोलन को क्या कहा
जाता है?
(1)
महिला मुक्ति आंदोलन
(2)
नारीवादी आंदोलन
(3)
स्त्री शक्ति आंदोलन
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(2)
प्रश्न: नारीवादी आंदोलन को क्या प्रमुखता थी?
(1)
नये शिक्षा एवं रोजगार
(2)
पुरुषों से बराबरी
(3)
नारीवाद
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: नारीवादी आंदोलन का लक्ष्य निम्न में से क्या प्राप्त करना
होता है?
(1)
स्वतंत्रता
(2)
सत्ता
(3)
समानता
(4)
एकता
Ans.
(3)
प्रश्न: किस देश के सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का स्तर
बहुत ऊँचा नहीं है?
(1)
स्वीडन
(2)
स्पेन
(3)
नॉर्वे
(4)
फिनलैंड
Ans.
(2)
प्रश्न: महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा महत्व, ज्यादा शक्ति
देने वाली व्यवस्था को क्या कहते हैं?
(1)
मातृ-प्रधान
(2)
पितृ-प्रधान
(3)
पुरुषार्थ
(4)
नारीवादी
Ans.
(2)
प्रश्न: भारतीय समाज का स्वरूप अभी भी कैसा है?
(1)
पितृ-प्रधान
(2)
मातृ-प्रधान
(3)
मातृ-प्रधान
(4)
राजनीतिक
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में पुरुषों की साक्षरता दर 76% है। महिलाओं में साक्षरता
की दर कितनी है?
(1)
74%
(2)
79%
(3)
64%
(4)
64%
Ans.
(3)
प्रश्न: 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात (1000 पुरुषों
के मुकाबले में स्त्रियों की संख्या) क्या है?
(1)
919
(2)
876
(3)
949
(4)
991
Ans.
(1)
प्रश्न: किस प्रदेश का लिंग अनुपात 800 से कम है।
(1)
बिहार
(2)
पंजाब
(3)
छत्तीसगढ़
(4)
असम
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान का एक प्रावधान है, जिसका
उद्देश्य लिंग समानता को बढ़ावा देना है?
(1)
अनुच्छेद 14
(2)
अनुच्छेद 15
(3)
अनुच्छेद 16
(4)
अनुच्छेद 21
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत की विधायिका में .......... प्रतिनिधियों की संख्या बहुत
कम है।
(1)
पुरुष
(2)
युवा
(3)
महिला
(4)
अनुभवी
Ans.
(3)
प्रश्न: 2006 में भारत की संसद में महिलाओं की संख्या ..........% थी।
(1)
8.3%
(2)
33.3%
(3)
9.7%
(4)
14.36%
Ans.
(1)
प्रश्न: 2019 में लोकसभा में सांसदों की संख्या का प्रतिशत कितना था?
(1)
33.3%
(2)
79.4%
(3)
14.36%
(4)
9.7%
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत के राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व
कितना फीसदी है?
(1)
5 फीसदी
(2)
4 फीसदी
(3)
14 फीसदी
(4)
5 फीसदी से कम
Ans.
(4)
प्रश्न: निम्न में से किस राजनीतिक संस्था में महिलाओं के लिए सीटें
आरक्षित हैं?
(1)
लोकसभा
(2)
विधानसभा
(3)
पंचायती राज
(4)
उपरोक्त सभी
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत में कहाँ औरतों के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था है?
(1)
लोकसभा
(2)
विधानसभा
(3)
मंत्रिमंडल
(4)
पंचायती राज
Ans.
(4)
प्रश्न: स्थानीय सरकारों यानी पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं
के लिए कितने प्रतिशत पद आरक्षित कर दिए गए हैं?
(1)
50%
(2)
25%
(3)
33.3%
(4)
41%
Ans.
(3)
प्रश्न: विवाह, तलाक, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे परिवार से जुड़े
मसलों से संबंधित कानून किस पर आधारित हैं?
(1)
पारिवारिक
(2)
राजनीतिक
(3)
धार्मिक
(4)
पंचायती
Ans.
(1)
प्रश्न: किस आंदोलन को कहना है कि सभी धर्मों से बंधित पारिवारिक कानून
महिलाओं से भेदभाव करते हैं।
(1)
धार्मिक आंदोलन
(2)
धर्म-सुधार आंदोलन
(3)
महिला-आंदोलन
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(3)
धार्मिक
अंतरों पर आधारित विभाजन
प्रश्न: विश्व में किस प्रकार की विभिन्नता आज बड़ी व्यापक हो चली है?
(1)
राजनीतिक
(2)
धार्मिक
(3)
जातीय
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(2)
प्रश्न: किसने कहा कि धर्म को कभी भी राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता?
(1)
डॉ. अम्बेडकर
(2)
महात्मा गांधी
(3)
विवेकानन्द
(4)
ज्योतिबा फुले
Ans.
(2)
प्रश्न: गांधीजी का मत है- महात्मा गांधी का कहना था की धर्म से से
होकर... मूल्यों से था, जो सभी धर्मों में होते हैं।
(1)
सांप्रदायिक
(2)
कट्टर
(3)
नैतिक
(4)
सांस्कृतिक
Ans.
(3)
प्रश्न: किसका मानना था कि राजनीति धर्म द्वारा स्थापित मूल्यों से
निर्देशित होनी चाहिए?
(1)
गांधी
(2)
नेहरू
(3)
अम्बेडकर
(4)
हिंदुओं
Ans.
(1)
प्रश्न: जब धर्म को राष्ट्र का आधार मान लिया जाता है तब कौन-सी समस्या
शुरू होती है?
(1)
जातिवाद
(2)
सांप्रदायिकता
(3)
असमानता
(4)
प्रवृत्त
Ans.
(2)
प्रश्न: राज्य अपनी सत्ता का इस्तेमाल किसी एक धर्म के पक्ष में करने
लगता है – राजनीति से धर्म को इस तरह जोड़ना क्या कहलाता है?
(1)
धार्मिकता
(2)
धर्म-निरपेक्ष
(3)
सांप्रदायिकता
(4)
धर्मनिरपेक्षता
Ans.
(3)
प्रश्न: धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति क्या कहलाता
है?
(1)
सांप्रदायिक
(2)
धर्मनिरपेक्ष
(3)
धार्मिक
(4)
सांस्कृतिक
Ans.
(1)
प्रश्न: व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव नहीं करने
वाला व्यक्ति है -
(1)
धार्मिक
(2)
वैधानिक
(3)
धर्मनिरपेक्ष
(4)
लोकतांत्रिक
Ans.
(3)
प्रश्न: सांप्रदायिक राजनीति के अनुसार सिर्फ क्या सामाजिक समुदाय का
निर्माण करता है?
(1)
धर्म
(2)
भेदभाव
(3)
भावना
(4)
नैतिकता
Ans.
(1)
प्रश्न: धर्म सामाजिक समुदाय का काम करता है यह मान्यता किस पर आधारित
है?
(1)
धन पर
(2)
सरकार पर
(3)
अनुभव पर
(4)
सांप्रदायिकता पर
Ans.
(4)
प्रश्न: सांप्रदायिक राजनीति इस सोच पर आधारित है कि धर्म ही सामाजिक
समुदाय का निर्माण करता है। इस मान्यता के अनुसार सोच रखना क्या कहलाता है?
(1)
धर्मनिरपेक्षता
(2)
सांप्रदायिकता
(3)
जातिवाद
(4)
आत्मनिर्भरता
Ans.
(2)
प्रश्न: सांप्रदायिकता की अभिव्यक्ति किन रूपों में प्रदर्शित होती
है?
(1)
धार्मिक पूर्वाग्रह
(2)
अन्य धार्मिक समुदायों के बारे में धारणाएं
(3)
एक धर्म को दूसरे से श्रेष्ठ मानना
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: सांप्रदायिक सोच रखकर अपने धार्मिक समुदाय का क्या स्थापित
करने के फिराक में रहती है?
(1)
विचार
(2)
राजनीतिक प्रभुत्व
(3)
संविधान
(4)
पितृ-रिवाज
Ans.
(2)
प्रश्न: सांप्रदायिक/धार्मिक आधार पर ......... सांप्रदायिकता का दूसरा
रूप है?
(1)
राजनीतिक गोलबंदी
(2)
आर्थिक गोलबंदी
(3)
धार्मिक गोलबंदी
(4)
भाई-चारा
Ans.
(1)
प्रश्न: कई बार सांप्रदायिकता सबसे गंदा रूप लेकर संप्रदाय के आधार
पर क्या करती है?
(1)
हिंसा
(2)
दंगा
(3)
नरसंहार
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: कई बार ........ सबसे गन्दा रूप ले लेता है।
उत्तर:
सांप्रदायवाद
प्रश्न: -------- राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है।
उत्तर:
सांप्रदायिकता
प्रश्न: विभाजन के समय भारत और .......... में भयावह सांप्रदायिक दंगे
हुए थे।
(1)
श्रीलंका
(2)
पाकिस्तान
(3)
म्यांमार
(4)
चीन
Ans.
(2)
प्रश्न: हमारे संविधान निर्माताओं ने सांप्रदायिकता की चुनौती से निपटने
के लिए कौन-सा मॉडल चुना?
(1)
कल्याणकारी
(2)
धर्मनिरपेक्ष
(3)
साम्यवादी
(4)
समाजवादी
Ans.
(2)
प्रश्न: श्रीलंका का राजधर्म .......... है।
(1)
हिन्दू
(2)
इस्लाम
(3)
बौद्ध
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: पाकिस्तान का राजकीय धर्म कौन-सा है?
(1)
इस्लाम
(2)
अरबी
(3)
ईसाई
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत का राजकीय धर्म कौन-सा है?
(1)
हिन्दू
(2)
इस्लाम
(3)
ईसाई
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(4)
प्रश्न: धर्म के प्रभाव के अनुसार भारत कैसा देश है?
(1)
धर्म प्रधान
(2)
हिंदू
(3)
मुस्लिम
(4)
धर्मनिरपेक्ष
Ans.
(4)
प्रश्न: भारत का संविधान किसी धर्म को क्या नहीं देता?
(1)
मान्यता
(2)
विशेष दर्जा
(3)
कानूनी दर्जा
(4)
वित्तीय सहायता
Ans.
(2)
प्रश्न: 1976 में हुए किस संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष'
शब्द जोड़ा गया था?
(1)
42वें
(2)
44वें
(3)
41वें
(4)
43वें
Ans.
(1)
प्रश्न: संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव
को क्या घोषित करता है?
(1)
संवैधानिक
(2)
वैधानिक
(3)
वैधानिक
(4)
अवैधानिक
Ans.
(4)
प्रश्न: भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन गलत है?
(1)
यह धर्म को राष्ट्र और पदभाव को मनाती करता है।
(2)
वह धर्म को राज्य का धर्म बताता है।
(3)
सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(4)
किसी धार्मिक समुदाय के सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्न में से कौन सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म
का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है?
(1)
संविधान
(2)
संसद
(3)
राष्ट्रपति
(4)
मानवाधिकार आयोग
Ans.
(1)
जातिगत
असमानताएँ
प्रश्न: भारत किस प्रकार का राज्य है?
(1)
लोकतांत्रिक
(2)
कल्याणकारी
(3)
कल्याणकारी राज्य
(4)
उपरोक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: किस समाज में ही जाति पर आधारित विभाजन देखने को मिलता है?
(1)
अमेरिकी
(2)
भारतीय
(3)
यूरोपीय
(4)
चीनी
Ans.
(2)
प्रश्न: एक जाति अथवा वर्ण जिसमें सभी जाति समूह को उच्चतम से निम्नतम
के रूप में रखा जाता है उसे कहते हैं -
(1)
जाति व्यवस्था
(2)
जाति पदानुक्रम
(3)
जाति भेदभाव
(4)
पिरामिड
Ans.
(2)
प्रश्न: किस व्यवस्था में पेशा के वंशानुगत विभाजन को रीति-रिवाजों
की मान्यता प्राप्त है?
(1)
जाति
(2)
सामंती
(3)
गुलाम
(4)
राजशाही
Ans.
(1)
प्रश्न: अन्य जाति-समूहों से भेदभाव और उन्हें अपने से अलग मानने की
धारणा निम्न में से किस व्यवस्था पर आधारित है?
(1)
शासन व्यवस्था
(2)
वर्ण-व्यवस्था
(3)
जातिवाद
(4)
साम्यवाद
Ans.
(3)
प्रश्न: शासन व्यवस्था क्या है?
(1)
वर्ण व्यवस्था
(2)
राजनीतिक व्यवस्था
(3)
जातीय व्यवस्था
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(2)
प्रश्न: जाति को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति होता है
-
(1)
सांप्रदायिक
(2)
जातिवादी
(3)
नारीवादी
(4)
व्यक्तिवादी
Ans.
(2)
प्रश्न: कई बार जातिवाद किस निकट परिस्थिति को भी बढ़ावा देता है?
(1)
दंगा
(2)
टकराव
(3)
हिंसा
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: किस महापुरुष ने जातिगत भेदभाव से मुक्त समाज व्यवस्था बनाने
के लिए काम किया?
(1)
ज्योतिबा फुले
(2)
डॉ. अम्बेडकर
(3)
पेरियार रामास्वामी नायकर
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: भारत में चुनाव में .......... की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
(1)
जाति
(2)
वर्ग
(3)
क्षेत्र
(4)
लिंग
Ans.
(1)
प्रश्न: जब लोग किसी जाति विशेष को किसी एक पार्टी का .......... कहते
हैं तो इसका मतलब होता है कि उस जाति के वफादार लोग उसी पार्टी को वोट देते हैं।
(1)
वरदत्त
(2)
वोट बैंक
(3)
कार्यकर्ता
(4)
विधायक
Ans.
(2)
प्रश्न: 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी में अनुसूचित जातियों
का प्रतिशत क्या है?
(1)
26.6%
(2)
8.6%
(3)
16.6%
(4)
18.6%
Ans.
(3)
प्रश्न: 2011 की जनगणना के अनुसार देश की आबादी में अनुसूचित जनजातियों
का प्रतिशत क्या है?
(1)
16.6%
(2)
8.6%
(3)
9.6%
(4)
6.8%
Ans.
(2)
प्रश्न: संविधान में किसी भी तरह के .......... भेदभाव का निषेध किया
गया है।
(1)
जातिगत
(2)
नस्ल
(3)
धर्म-आधारित
(4)
वर्ग आधारित
Ans.
(1)
प्रश्न: संविधान को किस अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया
गया है?
(1)
अनुच्छेद 16
(2)
अनुच्छेद 17
(3)
अनुच्छेद 18
(4)
अनुच्छेद 15
Ans.
(2)
प्रश्न: किन कारणों से जाति व्यवस्था के पुराने स्वरूप और मानसिकता
में बदलाव आ रहा है?
(1)
आर्थिक विकास और शहरीकरण
(2)
शिक्षा का विकास और पेशा चुनने की आजादी
(3)
जातिगत व्यवस्था का कमजोर होना
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
राजनीतिक दल
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न: भारत में दलीय व्यवस्था किस प्रकार की है?
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था।
प्रश्न: बहुदलीय व्यवस्था क्या है?
उत्तर:
जब किसी देश में अनेक दल सत्ता प्राप्ति की होड़ में हों और दो से अधिक दल अपने दम
पर या दूसरे दलों से गठबंधन कर सत्ता में आने का अवसर तलाशते हैं तो ऐसी व्यवस्था को
बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं।
प्रश्न: बहुदलीय व्यवस्था पर संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था में अनेक दल चुनाव और गठबंधन करके सत्ता पर आते हैं। इसमें दो दलों
से ज्यादा दलों के अपने दम पर या दूसरों से गठबंधन करके सत्ता में आने के ठीक-ठीक अवसर
होते हैं। बहुदलीय व्यवस्था वाले देश में अनेक पार्टियाँ चुनाव लड़ती हैं और सत्ता
में आने के लिए आपस में हाथ मिला लेती हैं और विजयी होने पर गठबंधन सरकार बनाती हैं।
भारत में भी ऐसी ही बहुदलीय व्यवस्था है।
जब
देश या क्षेत्र की सामाजिक और भौगोलिक विभिन्नताओं को समेट पाने में एक या दो पार्टियाँ
असमर्थ होती हैं तो बहुदलीय व्यवस्था विकसित होती है। बहुदलीय प्रणाली में विभिन्न
हितों और विचारों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल जाता है। हालांकि, कई बार बहुदलीय प्रणाली
देश को राजनीतिक अस्थिरता की तरफ भी ले जा सकती है।
प्रश्न: द्विदलीय व्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी राजनीतिक व्यवस्था जिसमें केवल दो ही दल भाग ले सकते हैं उसे द्विदलीय राजनीतिक
व्यवस्था कहते हैं, जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन।
प्रश्न: एकदलीय व्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
कई देशों में एक ही दल को शासन की प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार है, जबकि केवल
एक ही दल चुनाव लड़ता है और देश को चला सकता है उसे एकदलीय व्यवस्था कहते हैं, जैसे-
चीन।
प्रश्न: राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
राजनीतिक दल, लोगों का एक ऐसा संगठित समूह है जो चुनाव में भाग लेना है और सत्ता हासिल
करना अथवा सत्ता में भागीदारी करना चाहता है। राजनीतिक दल के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं
- नेता, सक्रिय सदस्य तथा अनुयायी या समर्थक।
प्रश्न: किसी भी राजनीतिक दल का क्या गुण होते हैं?
अथवा, राजनीतिक दल के महत्वपूर्ण गुणों का उल्लेख करें।
उत्तर:
एक राजनीतिक दल के प्रमुख गुण/विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं -
संगठित
समूह: एक राजनीतिक दल एक संगठित समूह है। संगठन के
बिना वे एक राजनीतिक दल का रूप धारण नहीं कर सकते।
मौखिक
सिद्धान्तों पर विश्वास: इसके सदस्य एक जैसे कार्यक्रम
पर विश्वास रखते हैं तथा उन पर सहमत भी होते हैं। ये प्रत्येक स्तर पर उन कार्यक्रमों
को ऊपर ही रखते हैं।
शांतिपूर्ण
तथा संवैधानिक साधनों में विश्वास: राजनीतिक दल के सदस्य
अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शांतिपूर्ण तथा संवैधानिक साधनों में विश्वास रखते
हैं।
राष्ट्रीय
हित को प्राथमिकता: प्रत्येक राजनीतिक दल सदैव
राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।
सत्ता
प्राप्त करने का उद्देश्य: राजनीतिक दल चुनाव जीतकर सत्ता में भागीदारी करते हैं।
प्रश्न: राजनीतिक दल के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दल के प्रमुख कार्य हैं:
(1)
सत्ता प्राप्त करने या सत्ता में भागीदारी के लिए चुनाव लड़ना।
(2)
अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाता के सामने रखना।
(3)
कानून निर्माण में राजनीतिक दल के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
(4)
सरकार का निर्माण करके अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना।
(5)
विपक्ष के रूप में सरकार की आलोचना करना एवं दबाव बनाना।
प्रश्न: राजनीतिक दल क्यों आवश्यक हैं?
अथवा, लोकतंत्र के लिए राजनीतिक दल क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दल के महत्वपूर्ण गुण जिनके कारण वे लोकतंत्र के लिए आवश्यक हैं:
(1)
राजनीतिक प्रशिक्षण: राजनीतिक दल जनता के लिए राजनीतिक
प्रशिक्षण के रूप में कार्य करते हैं। इससे जनता की राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि होती
है।
(2)
लोकतंत्र का आधार: राजनीतिक दल लोकतंत्र की सफलता
का मार्ग प्रशस्त करते हैं। राजनीतिक दलों के बिना लोकतंत्र की कल्पना तक नहीं की जा
सकती।
(3)
सामाजिक सुधार: कुछ राजनीतिक दल सामाजिक सुधार का भी कार्य
करते हैं, जैसे - भारत में हरिजनोद्धार तथा जातिगत उन्मूलन में कांग्रेस पार्टी का
महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
(4)
एक विशेष संगठन: प्रत्येक राजनीतिक दल का एक संगठित ढाँचा
होता है, जिसमें अमेरिका के लोकतंत्र के आधार पर विभिन्न पदों के लिए विभिन्न पदाधिकारियों
का चुनाव होता है। एक राजनीतिक दल के विभिन्न सदस्यों में विचारधारा की एकता पायी जाती
है।
(5)
संविधान में विश्वास: प्रत्येक राजनीतिक दल का संविधान
और संवैधानिक तरीकों पर अडिग विश्वास रहता है तथा चुनाव के माध्यम से सत्ता प्राप्त
करने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न: लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के कार्यों/भूमिकाओं का वर्णन करें।
अथवा, राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है? इसके कार्यों को बताएं।
अथवा, राजनीतिक दल से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख घटक कौन-से हैं?
राजनीतिक दलों के कार्यों का वर्णन करें।
अथवा, आधुनिक लोकतंत्र राजनीतिक दलों के बिना क्यों नहीं चल सकता? वर्णन
करें।
उत्तर:
राजनीतिक दल, लोगों का एक ऐसा संगठित और अनुशासित समूह है जो चुनाव के माध्यम से सत्ता
प्राप्त करना अथवा सत्ता में भागीदारी करना चाहता है।
राजनीतिक
दल के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं - नेता, सक्रिय सदस्य तथा अनुयायी या समर्थक।
राजनीतिक
दल लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। इनके बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा
सकती।
राजनीतिक
दल के प्रमुख कार्य/भूमिका
(1)
चुनाव लड़ना: राजनीतिक दल के उम्मीदवारों का चयन दल
के नेता द्वारा अथवा सदस्यी तथा समर्थकों द्वारा होता है। प्रत्येक राजनीतिक दल चुनाव
जीतना चाहता है ताकि सत्ता प्राप्त कर वह अपनी नीतियों को क्रियान्वित कर सके।
(2)
सरकारी नीति को दिशा निर्देश: विभिन्न राजनीतिक दल अपनी-अपनी
नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाता के सामने रखते हैं। जनता उनमें से अपनी पसंद की नीतियों
अथवा कार्यक्रमों को चुनती है। इससे सरकार को जनता की पसंद-नापसंद के बारे में पता
चलता है।
(3)
कानून निर्माण: राजनीतिक दल कानून निर्माण में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। विधायिका में राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं। कोई भी कानून विधायिका
में ही तैयार होता है जिसमें राजनीतिक दल के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
(4)
सरकार का संचालन तथा नीतियों एवं कार्यक्रमों का संचालन:
चुनाव में जिस राजनीतिक दल को सफलता मिलती है वह सरकार का निर्माण करता है तथा अपनी
नीतियों एवं कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है।
(5)
सरकार की आलोचना: चुनाव में असफल राजनीतिक दल संसद में विपक्ष
की भूमिका निभाते हैं। विपक्ष सरकारी नीतियों के माध्यम से सरकार की आलोचना करता है।
प्रश्न: विपक्षी दल सत्ताविरुद्ध दल को किस प्रकार नियंत्रित करता है?
उत्तर:
विपक्षी दल विधायिका में सत्ता पक्ष से प्रश्न पूछकर उन्हें कठघरे में खड़ा करते हैं।
वे
विभिन्न मुद्दों को जनता के समक्ष ले जाते हैं। वे धरना, प्रदर्शन और आंदोलन के द्वारा
सरकार के गलत निर्णयों के विरोध में जन-जागरूकता को बढ़ाते हैं।
इस
प्रकार वे सत्ताविरुद्ध दल को नियंत्रण होने से रोकते हैं तथा उसे यथासंभव नियन्त्रण
में रखते हैं।
प्रश्न: चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य:
(1)
चुनाव की तैयारी और चुनाव प्रक्रिया का नियंत्रण संचालन कराना:
चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी परिणामों की घोषणा तक की निष्पक्ष
चुनाव की समग्री प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू का नियंत्रण लेता है। इसके लिए मतदाता
सूची तैयार करना, राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह का आवेदन, उम्मीदवारों का नामांकन आदि
कार्य चुनाव आयोग करता है।
(2)
आदर्श चुनाव संहिता लागू करवाना: चुनाव आयोग आदर्श चुनाव
संहिता लागू करवाता है और इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को
सजा देता है।
(3)
सरकार को दिशा-निर्देश देना: चुनाव के दौरान चुनाव आयोग
सरकार को दिशा-निर्देश माने के आदेश दे सकता है। इससे सरकार द्वारा चुनाव जीतने के
लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों को धमकाना भी शामिल है।
(4)
चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारियों पर नियंत्रण: चुनाव
ड्यूटी पर तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में न होकर चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते
हैं।
प्रश्न: भारत में राजनीतिक दलों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
लगभग 750
प्रश्न: किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक दल का नाम बताओ।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्थापना कब हुई थी और इसके संस्थापक
कौन थे?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 ई. में हुई थी। इसके संस्थापक ए. ओ. ह्यूम
थे।
प्रश्न: राष्ट्रीय दल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऐसे राजनीतिक दल जो पूरे देश में फैले होते हैं, या यदि कोई राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव
में कुल वोट का 6% या अधिक हासिल करता है और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कुल
वोट का 6% या अधिक हासिल करता है और लोकसभा चुनाव में कम से कम 4 सीटों पर जीत दर्ज
करता है तो ऐसे दल को राष्ट्रीय दल कहते हैं।
प्रश्न: क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय दल किसी प्रांत या क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों में ज्यादा रुचि लेते हैं।
इनका विस्तार एक या कुछ राज्यों तक सीमित होता है।
तेलुगू
देशम पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, असम गण परिषद आदि क्षेत्रीय राजनीतिक दल के उदाहरण
हैं।
प्रश्न: क्षेत्रीय दलों का क्या-क्या महत्व है?
उत्तर:
क्षेत्रीय दलों का महत्व - भारत जैसे विस्तृत देश में क्षेत्रीय दलों का होना जरूरी
है क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी सारे भारत की जनता की हर छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान
करने में असमर्थ हो जाती है। उन परिस्थितियों में क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम होती
है। क्षेत्रीय दल किसी क्षेत्र-विशेष में रहने वाले लोगों की समस्याओं से जनता को अवगत
करवाता है।
प्रश्न: राजनीतिक दलों के सामने क्या मुख्य चुनौतियाँ हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं:
(1)
आंतरिक लोकतंत्र का अभाव: राजनीतिक दलों में प्राय:
आंतरिक लोकतंत्र का अभाव होता है। इसका अभिप्राय यह है कि दल की संपूर्ण शक्ति उसके
शीर्षस्थ नेताओं के हाथ में सिमट जाती है। शीर्षस्थ नेताओं द्वारा सामान्य कार्यकर्ताओं
को अंधेरे में रखा जाता है तथा पार्टी के नाम पर सारे फैसले वे स्वयं ले लेते हैं।
उनसे असहमति रखने वाले व्यक्ति के पास पार्टी छोड़ने के अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग नहीं
होता है। सिद्धांतों के स्थान पर पैसा ही महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
(2)
वंशवाद की चुनौती: अधिकांश दलों में वंशवाद द्वारा
अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ने का प्रयास होता है, जिससे परिणामस्वरूप एक सामान्य
कार्यकर्ता के नेता बनने के अवसर ही नहीं होते हैं। इसे दूसरे अनुवादों तथा बिना जनाधार
वाले लोग शीर्ष पर पहुँच जाते हैं।
(3)
पैसा और बाहुबल का प्रयोग: राजनीतिक पार्टियों का मुख्य
उद्देश्य चुनाव जीतना होता है, अतः, इसके लिए वे पैसे और बाहुबल के प्रयोग से नहीं
हिचकते हैं। इससे पार्टी पर अमीर लोगों तथा अपराधी तत्वों का प्रभाव बढ़ने लगता है तथा
पार्टी के सिद्धांत पृष्ठभूमि में चले जाते हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह एक
बहुत बड़ी चुनौती है।
(4)
जाति एवं सम्प्रदाय की बाध्यता: कई दलों में किसी खास
जाति या सम्प्रदाय का प्रभुत्व होता है। अपने सिद्धांतों को व्यापक जनाधार तक ले जाने
के लिए राजनीतिक दल इन तत्वों से छुटकारा पाने में बार-बार भी असमर्थ होते हैं।
(5)
सत्ता के लिए विचारों से समझौता: आज गठबंधन की राजनीति
में राजनीतिक दल सत्ता के लिए एकदम विपरीत विचारधारा वाले दलों से समझौता कर लेते हैं।
इसके कारण मतदाता और समर्थित कार्यकर्ता अपने-आप को ठगा-सा महसूस करते हैं।
प्रश्न: राजनीतिक दलों के सुधार के उपायों के बारे में बताएँ।
उत्तर:
(1) दलों में आंतरिक लोकतंत्र होना चाहिए।
(2)
धन-बल और बाहुबल पर नियंत्रण करने के लिए भ्रष्टाचार और अपराधी तत्वों से परहेज रखना
चाहिए। उम्मीदवारों की आर्थिक स्थिति में पारदर्शिता रखना चाहिए।
(3)
दलों को अपनी विचारधारा पर कायम रहना चाहिए तथा दल-बदल को हतोत्साहित करना चाहिए।
(4)
महिलाओं तथा समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देना चाहिए।
प्रश्न: राजनीतिक दल अपना काम कैसे कर सकती हैं? इसके लिए कुछ मजबूत
कानून बनाने के सुझाव दें।
अथवा, राजनीतिक दलों को कैसे सुधारा जा सकता है? कुछ उपायों का वर्णन
करें।
उत्तर:
(1)
दलों में आंतरिक लोकतंत्र: यद्यपि, दल-बदल कानून द्वारा
सांसदों तथा विधायकों द्वारा पार्टी के शीर्ष दल में कमी आयी है, पर इससे पार्टी में
विरोध का स्तर उठाना भी कठिन हो गया है। पार्टी के शीर्षस्थ नेता इन फैसलों को कभी
मानने की बाध्य नहीं होते हैं। व्यवस्था यह होनी चाहिए कि शीर्षस्थ नेताओं द्वारा पार्टी
के सदस्यों एवं अनुयायियों के विचारों को पर्याप्त महत्व दिया जाय तथा महत्वपूर्ण निर्णय
लेने से पहले सभी से परामर्श लिया जाय।
(2)
धन-बल और बाहुबल पर नियंत्रण: पैसे और अपराधियों का राजनीति
में प्रभाव कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अपनी
संपत्ति तथा अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का विवरण, एक शपथपत्र के माध्यम से देना
अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन उम्मीदवार द्वारा दी गयी सूचनाओं की सत्यता की जाँच
के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अतः इसकी पक्की व्यवस्था की जाने की आवश्यकता है।
(3)
उम्मीदवारों की आर्थिक स्थिति में पारदर्शिता: चुनाव
आयोग द्वारा सभी दलों के लिए आर्थिक चुनाव तथा आयक का रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया
गया है, लेकिन वास्तव में यह सिर्फ दिखावा और खानापूर्ति है। इसे सही अर्थों में तथा
सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
(4)
दलों के आन्तरिक क्रियाकलापों में पारदर्शिता: राजनीतिक
दलों के आंतरिक कामकाज को पारदर्शी तथा व्यवस्थित बनाने के लिए कानून बनाना चाहिए।
सदस्यों को सूची रखना, बड़े पदों के लिए चुनाव कराना आदि को अनिवार्य कर दिया जाय।
(5)
महिलाओं को प्रतिनिधित्व: राजनीतिक दल एक निश्चित अनुपात
में महिलाओं को टिकट दें। दल के प्रमुख पदों पर भी औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था
की जाय।
प्रश्न: दल-बदल की राजनीति क्या है?
उत्तर:
विधायिका के लिए किसी दल विशेष से निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधि का उस दल को छोड़कर
किसी अन्य दल में चले जाना दल-बदल की राजनीति कहलाता है।
प्रश्न: राजनीतिक दलों के समक्ष वंशवाद की चुनौती क्या है?
उत्तर:
अधिकांश दलों में नेताओं द्वारा अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ने की प्रवृत्ति होती
है, जिसके परिणामस्वरूप एक सामान्य कार्यकर्ता के नेता बनने के अवसर खत्म हो जाते हैं।
दूसरे, इसे अनुभवहीन तथा बिना जनाधार वाले लोग शीर्ष पद पर पहुँच जाते हैं।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न: चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता संभालने के लिए एक संगठित समूह
को क्या कहते हैं?
(1)
दबाव समूह
(2)
राजनीतिक दल
(3)
समिति
(4)
सम्मेलन
Ans.
(2)
प्रश्न: राजनीतिक दल लोकतंत्र का एक .......... शर्त है।
उत्तर:
अनिवार्य
प्रश्न: इनमें से कौन राजनीतिक दल के प्रमुख हिस्से हैं?
(1)
नेता
(2)
सक्रिय सदस्य
(3)
अनुयायी/समर्थक
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: राजनीतिक दल के प्रमुख कार्य इनमें से कौन हैं?
(1)
चुनाव लड़ना
(2)
नीतियों और कार्यक्रम बनाना
(3)
कानून बनाने में सहायक
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: राजनीतिक दल का क्या कार्य है?
(1)
पार्टी बनाना
(2)
चुनाव लड़ना
(3)
सरकार बनाना
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: राजनीतिक दलों को मान्यता कौन देता है?
(1)
चुनाव आयोग
(2)
राष्ट्रपति
(3)
संसद
(4)
न्यायपालिका
Ans.
(1)
प्रश्न: किसी देश के लिए राजनीतिक दलों में निर्णायक भूमिका कौन निभाता
है?
(1)
नेता
(2)
राजनीतिक दल
(3)
मतदाता
(4)
चुनाव क्षेत्र
Ans.
(2)
प्रश्न: इनमें से किस देश में एकदलीय शासन व्यवस्था है?
(1)
भारत
(2)
चीन
(3)
ब्रिटेन
(4)
अमेरिका
Ans.
(2)
प्रश्न: चीन में राजनीतिक दल के मामले में क्या व्यवस्था है?
(1)
एकदलीय
(2)
द्विदलीय
(3)
बहुदलीय
(4)
इनमें कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: चीन में केवल .......... की शासन करने की अनुमति है।
उत्तर:
कम्युनिस्ट पार्टी
प्रश्न: इनमें से कौन-से देश में द्विदलीय व्यवस्था है?
(1)
भारत
(2)
अमेरिका
(3)
फ्रांस
(4)
जर्मनी
Ans.
(2)
प्रश्न: किस प्रकार की व्यवस्था में अनेक दल चुनाव में भाग लेते हैं?
(1)
एकदलीय
(2)
द्विदलीय
(3)
बहुदलीय
(4)
राजशाही
Ans.
(3)
प्रश्न: निम्न में किस देश में बहुदलीय व्यवस्था है?
(1)
भारत
(2)
ब्रिटेन
(3)
संयुक्त राज्य अमेरिका
(4)
चीन
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था है?
(1)
एकदलीय
(2)
द्विदलीय
(3)
बहुदलीय
(4)
तीन दलीय
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत में राजनीतिक दलों को मान्यता कौन देता है?
(1)
राष्ट्रपति
(2)
संसद
(3)
उच्चतम न्यायालय
(4)
चुनाव आयोग
Ans.
(4)
प्रश्न: जब अनेक राजनीतिक दलों के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी से सरकार
बनती है, तब इस प्रकार की सरकार को क्या कहते हैं?
(1)
गठबंधन
(2)
मोर्चा
(3)
सम्मेलन
(4)
सामुदायिक
Ans.
(1)
प्रश्न: एक ऐसी सरकार जो एक से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों द्वारा एक
साथ मिलकर बनायी गयी है को कहलाती है?
(1)
एकातमक सरकार
(2)
द्विदलीय सरकार
(3)
बहुदलीय सरकार
(4)
गठबंधन सरकार
Ans.
(4)
प्रश्न: कानूनों को कौन पास करता है?
(1)
कार्यपालिका
(2)
विधायिका
(3)
न्यायपालिका
(4)
स्थानीय सरकार
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्न में कौन राजनीतिक पार्टी नहीं है?
(1)
बी.जे.पी.
(2)
आई.एन.सी.
(3)
बी.एस.पी.
(4)
तानाशाह
Ans.
(4)
प्रश्न: राष्ट्रीय राजनीतिक गठबंधन (एन.डी.ए.) किस दल के नेतृत्व में
बना?
(1)
कांग्रेस
(2)
भारतीय जनता दल
(3)
समाजवादी पार्टी
(4)
जनता दल
Ans.
(2)
प्रश्न: संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (यू.पी.ए.) का नेतृत्व कौन दल करता
है?
(1)
बी. जे. पी.
(2)
कांग्रेस
(3)
वामदल
(4)
एन. सी. पी.
Ans.
(2)
प्रश्न: भाजपा और कांग्रेस किस प्रकार के दल हैं?
(1)
राष्ट्रीय दल
(2)
प्रांतीय दल
(3)
सामाजिक दल
(4)
सरकारी दल
Ans.
(1)
प्रश्न: इनमें से कौन प्रांतीय दल है?
(1)
झामुमो
(2)
शिवसेना
(3)
डी. एम. के.
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: निम्न में से कौन राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी नहीं है?
(1)
भारतीय जनता पार्टी
(2)
कांग्रेस पार्टी
(3)
बहुजन समाज पार्टी
(4)
समाजवादी पार्टी
Ans.
(4)
प्रश्न: 2006 में देश में कितने कुल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त
दल थे।
(1)
12
(2)
10
(3)
8
(4)
6
Ans.
(4)
प्रश्न: 2020 में भारत में कितने राष्ट्रीय दल मौजूद थे?
(1)
2
(2)
3
(3)
8
(4)
7
Ans.
(3)
प्रश्न: भारतीय जनसंघ की स्थापना .......... ने 1951 में की थी।
उत्तर:
श्याम प्रसाद मुखर्जी
प्रश्न: निम्न में से किस पार्टी का स्थापना भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित
करके की गई थी?
(1)
समाजवादी पार्टी
(2)
राष्ट्रीय जनता दल
(3)
भारतीय जनता पार्टी
(4)
बहुजन समाज पार्टी
Ans.
(3)
प्रश्न: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना कब हुई?
(1)
1985
(2)
1980
(3)
1975
(4)
1970
Ans.
(2)
प्रश्न: भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
(1)
बहुजन समाज
(2)
कल्याणकारी लोकतंत्र
(3)
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(4)
आधुनिकता
Ans.
(3)
प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
(1)
1880
(2)
1885
(3)
1890
(4)
1906
Ans.
(2)
प्रश्न: बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थापना कब और किसने की थी?
(1)
1984, काशीराम
(2)
1985, मायावती
(3)
1990, ममता बनर्जी
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: चुनाव आयोग द्वारा .......... ई. में बहुजन समाज पार्टी को
राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया गया।
उत्तर:
1997
प्रश्न: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी पी आई) की स्थापना कब की गयी?
(1)
1925 ई.
(2)
1927 ई.
(3)
1929 ई.
(4)
1930 ई.
Ans.
(1)
प्रश्न: कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्ससिस्ट (सीआईई-एम) की स्थापना
.......... में हुई।
उत्तर:
1964
प्रश्न: किसी दल से निर्वाचित होने के बाद उस दल को छोड़ कर किसी अन्य
दल में चले जाने को क्या कहा जाता है?
(1)
दल-बदल
(2)
गठबंधन
(3)
बहुमत
(4)
मोर्चा
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार कब बनी?
(1)
1967
(2)
1977
(3)
1989
(4)
1991
Ans.
(2)
लोकतंत्र के परिणाम
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लोकतंत्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लोकतंत्र एक आधुनिक और विकसित शासन व्यवस्था है जिसमें शासन का संचालन जनता द्वारा
चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा होता है। अब्राहम लिंकन के अनुसार - "लोकतंत्र जनता
का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन व्यवस्था है।"
प्रश्न: लोकतांत्रिक सरकार के दो गुण लिखें?
उत्तर:
लोकतांत्रिक सरकार के दो गुण -
(1)
सरकार का चुनाव लोगों द्वारा किया जाता है।
(2)
सरकार जनता की इच्छा के अनुसार कार्य करती है।
प्रश्न: लोकतांत्रिक सरकार के दो अवगुण लिखें?
उत्तर:
लोकतांत्रिक सरकार के दो अवगुण -
(1)
कोई भी फैसला करने में अधिक समय लगता है।
(2)
लोकतांत्रिक शासन-प्रणाली खर्चीली शासन-प्रणाली है।
प्रश्न: लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
लोकतंत्र की विशेषताएँ -
(1)
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था एक संविधान के आधार पर संचालित की जाती है।
(2)
लोकतांत्रिक व्यवस्था में अल्पमत राजनीतिक दल तथा बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल दोनों
का अस्तित्व होता है तथा दोनों मिलकर शासन संचालित करते हैं।
(3)
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों को कुछ नागरिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
(4)
लोकतंत्र में शासन का संचालन जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता
है अर्थात् शासन जनता पर आधारित होता है।
(5)
लोकतांत्रिक स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांतों पर आधारित होता है।
प्रश्न: लोकतंत्र को सबसे बेहतर शासन क्यों कहा गया है, क्यों? कारण
बताएँ।
अथवा, किन कारणों से लोकतंत्र को अन्य शासन से बेहतर बताया गया है?
अथवा, लोकतंत्र के प्रमुख गुणों का उल्लेख करें।
अथवा, लोकतंत्र को सबसे अच्छी शासन व्यवस्था क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लोकतंत्र को अन्य शासन-प्रणालियों से बेहतर बताया गया है क्योंकि इस शासन व्यवस्था
में कुछ ऐसे गुण पाये जाते हैं जो अन्य शासन व्यवस्था में नहीं हैं।
जनमत
पर आधारित शासन: यह शासन जनता की सामान्य इच्छा के अनुसार
चलाया जाता है और प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा को ध्यान में रखा जाता है।
उत्तरदायी,
जिम्मेदार और वैध शासन व्यवस्था: लोकतंत्र में वैधानिक
तरीके से जनता सरकार चुनती है। अतः सरकार भी जन-कल्याण के प्रति उत्तरदायी एवं जिम्मेदार
होती है।
समानता
और स्वतंत्रता का पोषक: लोकतंत्र के अंतर्गत जाति,
वर्ग, रंग, धर्म, लिंग आदि का भेदभाव नहीं किया जाता है। कानून के समक्ष सभी नागरिक
समान माने जाते हैं। सभी नागरिकों को अपने विचार, भाषण, भाषा आदि की पूरी छूट दी जाती
है।
व्यक्ति
की गरिमा में वृद्धि: इसमें सभी नागरिकों को समान
माना जाता है। सभी व्यक्ति गरिमा के साथ जीते हैं। उसे द्वेष दृष्टि से नहीं देखा जाता,
चाहे वह किसी जाति, भाषा, रंग, धर्म, पेशा आदि का हो।
विविधताओं
में सामंजस्य: यह टकरावों को टालने-सँभालने का तरीका
देता है और इसमें गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है - लोकतंत्र में काफी विचार-विमर्श
के बाद ही निर्णय लिए जाते हैं। इससे गलतियों को सुधारने का अवसर प्राप्त होता है।
इससे टकराव भी टल जाता है।
प्रश्न: लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैध सरकार का गठन
करता है?
उत्तर:
उत्तरदायी तथा जिम्मेदार सरकार: लोकतंत्र, जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन
व्यवस्था है। अतः, यह जनता के प्रति उत्तरदायी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता को
सरकार के कार्यों, निर्णयों एवं नीतियों के बारे में जानने का अधिकार होता है। सरकार
कोई ऐसा कदम नहीं उठा सकती जो जनता की इच्छाओं के विरुद्ध हो। लोकतंत्र में जनता के
कल्याण और विकास को जिम्मेदारी भी सरकार पर होती है। इसके लिए शासन में जनता की भागीदारी
सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है।
वैध
सरकार: लोकतंत्र, चुनाव जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा संचालित होता
है, अतः यह एक वैध सरकार है। प्रतिनिधियों का चुनाव जनता करती है। अतः इसके चुनाव पर
कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सभी निर्णय एक निश्चित
कानून-कानून के अनुसार लिए जाते हैं। इसमें देर भले हो सकती है, परन्तु निर्णयों को
वैधता का प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न: लोकतंत्र, किस प्रकार की वैध शासन व्यवस्था है?
उत्तर:
लोकतंत्र, चुनाव जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा संचालित होता है,
अतः यह एक वैध व्यवस्था है। प्रतिनिधियों का चुनाव जनता करती है। अतः इसके चुनाव पर
कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सभी निर्णय एक निश्चित
कानून-कानून के अनुसार लिए जाते हैं। इसमें देर भले हो सकती है, परन्तु निर्णयों को
वैधता का प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न: लोकतंत्र किस रूप में एक उत्तरदायी शासन है?
अथवा, लोकतंत्र को एक उत्तरदायी शासन क्यों कहा जाता है?
उत्तर
: लोकतंत्र जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन व्यवस्था है। अतः यह जनता के
प्रति उत्तरदायी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता को सरकार के कार्यों, निर्णयों
एवं नीतियों के बारे में जानने का अधिकार होता है। सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठा सकती
जो जनता की इच्छाओं के विरुद्ध हो। लोकतंत्र में जनता के कल्याण और विकास की जिम्मेवारी
भी सरकार पर होती है।
प्रश्न: लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है
और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है? व्याख्या करें।
उत्तर
:
(1)
सामाजिक विविधता एक अनिवार्य परिस्थिति है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था, सामाजिक विविधताओं
को सँभालने की सुनिश्चित प्रक्रिया पर आधारित होती है। अतः लोकतांत्रिक व्यवस्था में
सामाजिक विविधता गंभीर टकराव या हिंसक रूप नहीं ले पाती।
(2)
लोकतंत्र में सामाजिक विविधता को सम्मानपूर्वक देखा जाता है तथा उनमें सामंजस्य स्थापित
करने का प्रयास किया जाता है।
(3)
लोकतंत्र का सीधे-सीधे अर्थ बहुमत की राय से शासन करना नहीं है। बहुमत को सदा ही अल्पमत
का ध्यान रखता होता है। तभी सरकार जन-सामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व कर पाती है।
(4)
बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल अथवा भाषाई आधार के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं
होता। लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने मताधिकार द्वारा किसी न किसी अवसर पर बहुमत
का हिस्सा बनने का मौका मिलता है।
(5)
लोकतंत्र में अल्पमत राजनीतिक दल तथा बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल दोनों का महत्त्वपूर्ण
स्थान है। दोनों पक्ष एवं विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाते है। गम्भीर मतभेद के
बावजूद वे देश के विकास में सामंजस्य बैठाते हैं और जनकल्याण के नीति-निर्धारण में
अपना योगदान करते हैं।
प्रश्न : लोकतंत्र किस प्रकार नागरिकों की गरिमा और आजादी सुरक्षित
रखता है? चर्चा कीजिए।
अथवा, लोकतंत्र व्यक्ति की गरिमा में वृद्धि किस प्रकार करता है?
उत्तर
:
(1)
प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ के लोगों से सम्मान पाना चाहता है।
(2)
लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों को भाषण देने और अपने विचार व्यक्त करने की पूर्ण
स्वतंत्रता होती है।
(3)
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी राजनीतिक दलों को चुनावों में, चुनावों से पहले और चुनावों
के बाद स्वतंत्र रूप से कार्य करने की आज्ञा होती है।
(4)
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी वर्गों और धर्मों का सम्मान किया जाता है।
प्रश्न : लोकतान्त्रिक अधिकार से आप क्या समझते हैं? प्रमुख लोकतान्त्रिक
अधिकारों का उल्लेख करें।
अथवा, भारत में लोकतान्त्रिक अधिकारों की चर्चा करें।
उत्तर
: लोकतान्त्रिक अधिकारों का अभिप्राय उन अधिकारों से है जो कि नागरिकों को राज्य की
ओर से अपने प्रतिनिधियों को चुनने, सरकार के कार्यों का आकलन करने एवं शासन में भाग
लेने के उद्देश्य से प्रदान किये जाते हैं। 'लोकतान्त्रिक अधिकार से तात्पर्य उन व्यवस्थाओं
से है जिनमें नागरिकों को शासन कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है।
प्रजातंत्रीय
शासन-व्यवस्था में इन अधिकारों का और भी अधिक महत्त्व है। इससे नागरिकों को राजनीतिक
प्रशिक्षण प्राप्त होता है। निर्वाचन में भाग लेने से राजनीतिक कार्यों को करने की
क्षमता तथा उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है।
प्रमुख
लोकतान्त्रिक अधिकार हैं-
(1)
मतदान का अधिकार,
(2)
निर्वाचित होने एवं राजनीतिक पद पाने का अधिकार,
(3)
प्रार्थना पत्र देने का अधिकार,
(4)
कानून के समक्ष समता का अधिकार,
(5)
सरकार की आलोचना करने का अधिकार इत्यादि।
प्रश्न : एक तानाशाही शासन की तुलना में लोकतांत्रिक शासन में नागरिकों
की गरिमा और आजादी बनी रहती है, कैसे?
उत्तर
: नागरिकों की गरिमा एवं आजादी को बनाये रखने में, लोकतंत्र निम्न प्रकार में सहायक
है -
(1)
लोकतंत्र में सिद्धान्त रूप से सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। इससे
नागरिकों में ऊँच-नीच का भाव नहीं पनपता। तानाशाह जनता के साथ मनमाना व्यवहार कर उन्हें
प्रताड़ित कर सकता है। यह नागरिकों की गरिमा और आजादी का हनन करता है।
(2)
लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार प्राप्त होता
है। इससे प्रत्येक नागरिक गरिमा और आजादी का अहसास करता है। तानाशाही शासन व्यवस्था
में लोगों को सरकारी नीतियों पर विचार व्यक्त करने अथवा आलोचना करने का अधिकार नहीं
होता है। उन्हें सरकारी नीतियों को हर-हाल में स्वीकार करना पड़ता है।
(3)
लोकतंत्र में समानता के सिद्धांत को अपनाया जाता है। इससे लोगों को समान प्रस्थिति
प्राप्त करने के लिए संघर्ष का अवसर प्राप्त होता है। जनता को सरकार चुनने का अधिकार
होता है। हर व्यक्ति की गरिमा का सम्मान होता है। तानाशाही में शासक के चुनाव में जनता
की भूमिका नहीं होती है।
प्रश्न : 'लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर
सकता।' इस कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर
: पक्ष में तर्क
(1)
यद्यपि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था समानता के सिद्धान्त पर आधारित होती है परन्तु व्यवहार
में यह देखा गया है कि लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम करने में असफल
रहा है।
(2)
लोकतंत्र के अन्तर्गत जनता को राजनीतिक क्षेत्र में तो परस्पर बराबरी का दर्जा मिल
जाता है, परन्तु आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में गंभीर असमानताओं का अस्तित्व बना रहता
है।
(3)
मतदाताओं में गरीबों तथा सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों की संख्या अधिक है, प्रत्येक
राजनीतिक दल इन्हें अपना वोट बैंक बनाना चाहता है अतः इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है
कि असमानताओं को बनाये रखा जाय। यह लोकतंत्र का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है।
(4)
नैसर्गिक क्षमता एवं व्यवसाय की लाभ-हानि पर लोकतन्त्र एक सीमा से अधिक अंकुश नहीं
लगा सकता। इसके कारण अपनी क्षमताओं के अनुसार कोई आगे बढ़ता है और कोई पीछे रह जाता
है।
(5)
लोकतन्त्र व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता। इस व्यवस्था में किसी की
आर्थिक या सामाजिक प्रगति को रोकना संभव नहीं है।
प्रश्न : 'लोकतन्त्र अपने नागरिकों के बीच आय की असमानता कम नहीं कर
सकता।' इस कथन के तर्क दीजिए।
अथवा, लोकतंत्र नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता को कम नहीं कर सकता।
क्यों?
उत्तर
: लोकतंत्र अपने नागरिकों को अपनी योग्यता, क्षमता, इच्छा आदि के आधार पर किसी भी रोजगार
अथवा व्यवसाय को करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। प्रत्येक व्यक्ति योग्यता तथा
क्षमता के दृष्टिकोण से दूसरे व्यक्ति से कम या अधिक है। ऐसी स्थिति में आय का उपार्जन
भी योग्यता और क्षमता पर निर्भर करता है।
लोकतन्त्र
में प्रत्येक नागरिक को वैध तरीके से आय उपार्जन की स्वतन्त्रता है। सरकार इसपर पाबंदी
नहीं लगा सकती। इस कारण से आर्थिक असमानता हमेशा बनी रहेगी। अतः कहा जा सकता है कि
लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच आय की असमानता को कम नहीं कर सकता है।
हालांकि,
सरकारें उच्च आय वर्ग से टैक्स ले कर उनका उपयोग निम्न आय वर्ग के आर्थिक विकास के
लिए करती है, जिससे आर्थिक असमानता को कम किया जा सके।
प्रश्न : 'लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का
अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता
है।' इस कथन के विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर : विपक्ष में तर्क :
(1) लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है तथा सभी
के वोट का मूल्य समान है अर्थात् राजनीतिक रूप से सभी समान हैं फिर भी लोकतंत्र में
प्रभुत्व और टकराव की आशंका बनी रहती है।
(2) जब किसी व्यक्ति या समूह को ऐसा लगता है कि उसके साथ
सम्मानपूर्ण व्यवहार नहीं किया जा रहा तो टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है।
(3) लोकतंत्र, सिद्धान्त रूप में सभी को सम्मानपूर्वक जीवन
का आश्वासन देता है परन्तु व्यावहारिकता के धरातल पर ऐसा करना संभव नहीं होता। उदाहरण
के लिए, भारत में महिलाओं तथा सानाविक रूप से पिछड़े लोगों के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार
नहीं किया गया, परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में टकराव और संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।
(4) जाति एवं धर्म की लामबन्दी हो जाने पर संख्या-बल देश
के सामाजिक, आर्थिक एवं लोकतांत्रिक मुद्दों अपना प्रभुत्व बना सकता है। इससे टकराव
की स्थिति उत्पन्न होती है।
(5) अशिक्षा और गरीबी के कारण जनता अपने बोट बिना सोचे-समझे
दे देती है। धन-बल और बाहुबल से भी बोटों का अनुचित उपयोग होता है। इसके कारण अनुचित
नेतृत्व और टकराव की आशंका बनी रहती है।
प्रश्न : 'लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का
अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी
तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।' इस कथन के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर : यह कथन उचित है कि लोकतंत्र में सभी को एक ही बोट
का अधिकार है, जिसके कारण लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
लोकतंत्र वोट की शक्ति से चलता है जो बहुमत की अभिव्यक्ति
होती है। सत्ता का प्रभुत्व उस व्यक्ति या दल के पास होता है जिसे जनता का बहुमत प्राप्त
होता है। यह किसी का आधिपत्य नहीं होता बल्कि बहुमत के अनुसार इच्छाओं और आकांक्षाओं
को पूरा करने के लिए नीतिगत फैसले लेने का साधन होता है।
मतदान में सभी वर्गों का समान अधिकार होता है अतः चुने हुए
प्रतिनिधि सभी की भावनाओं और लाभको ध्यान में रख कर नीतियाँ बनाते हैं। इसके कारण प्रभुत्व
और टकराव की संभावना कम से कम होती है। अगर कहीं छोटे-मोटे टकराव होते भी हैं तो सत्ता
सामंजस्य बनाते हुए समस्या का उचित हल निकालने का प्रयास करती है, जिससे अधिक से अधिक
मतदाता संतुष्ट हों।
बहुमत सत्ता के साथ-साथ उत्तरदायित्व भी देता है। एक समय
के बाद मतदाता सत्ता के कार्यों का हिसाब लेती है। प्रभुत्व और टकराव की स्थिति को
उचित तरीके से नहीं सँभालने पर जनता उसकी सजा सत्ता से बेदखल करके दे सकती है।
प्रश्न : भारत में गरीबी का मुख्य कारण क्या
है?
अथवा, भारत में आर्थिक असमानता के मुख्य कारण
बताइए।
उत्तर : भारत में गरीबी के मुख्य कारण :
(1)
जनसंख्या में तीव्र गति से हुई वृद्धि
ने संसाधनों के वितरण को प्रतिकूल ढंग से प्रभावित किया है।
ऐसी स्थिति में संसाधनों का कम पड़
जाना स्वाभाविक है।
(2) संपत्ति के संकेन्द्रण ने निर्धनता की समस्या को और अधिक
गंभीर बना दिया है।
(3)
कृषि के क्षेत्र में में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग तथा बेरोजगार युवकों में समुचित
कौशल प्रशिक्षण की कमी के कारण उत्पादकता में कमी हुई है, जिसने बेरोजगारी और आर्थिक
असमानता में वृद्धि की है।
(4)
सरकारी तंत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण योजनाओं के लिए दी गयी राशि संरचनात्मक
सुविधाओं के विकास पर खर्च नहीं हो पाती है। इसके कारण कृषि और ग्रामीण उद्योगों का
विकास नहीं हो पाता और गरीबी बढ़ती जाती है। सरकारी तंत्रों के विकास कार्यों के प्रति
उदासीन रहने के कारण योजनाओं का समुचित लाभ लोगों को नहीं पाता है।
(5)
समुचित अवसंरचनात्मक आधार के अभाव के कारण कृषि और उद्योग के क्षेत्र में वांछित सफलता
प्राप्त नहीं की जा सकी है।
प्रश्न: भारतीय लोकतंत्र पर निरक्षरता का क्या प्रभाव है?
उत्तर:
निरक्षरता निम्नांकित कारणों से लोकतंत्र के सफल संचालक में बाधक है-
(1)
लोकतंत्र में जनमत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। एक स्वस्थ जनमत के निर्माण के लिए जनता
का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। निरक्षरता राष्ट्रीय हितों को समझने में बाधक है।
(2)
अशिक्षा के कारण व्यक्ति अपने अधिकारों व कर्तव्यों से अनभिज्ञ रहता है। अशिक्षा के
कारण व्याक्ति अपने मताधिकार का गलत प्रयोग कर सकता है, जिससे अयोग्य प्रतिनिधियों
के चुने जाने की संभावना बनी रहती है।
(3)
अशिक्षा संकीर्ण मानसिकता को जन्म देती है, जिससे क्षेत्रवाद, भाषावाद, संप्रदायवाद
इत्यादि जैसी समस्याओं का जन्म होता है।
(4)
निरक्षरता के कारण नागरिकों की राजनीतिक सहभागिता कम हो जाती है, जिससे राजनीतिक संस्कृति
तथा राजनीतिक विकास प्रभावित होता है।
(5)
निरक्षरता के कारण लोग सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं से अनभिज्ञ होते हैं और उनका
समुचित लाभ नहीं ले पाते हैं।
प्रश्न : लोकतन्त्र की सफलता के किन्हीं पाँच आवश्यक शर्तों का वर्णन
करें।
अथवा, लोकतंत्र को शक्तिशाली एवं प्रभावी बनाने के लिए पाँच उपायों
का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
: (1) लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद की अभिव्यक्ति का पर्याप्त अवसर
एवं विकल्प मिलना चाहिए। ये अवसर तथा विकल्प सभी लोगों के लिए उपलब्ध होने चाहिए।
(2)
सरकार का गठन ऐसा होना चाहिए जो जनता के प्रति उत्तरदायी एवं जिम्मेवार हो और संविधान
के बुनियादी नियमों तथा नागरिक अधिकारों को मानते हुए कार्य करें।
(3)
लोकतांत्रिक अधिकार सिर्फ बोट देने, संगठन बनाने तथा चुनाव लड़ने तक सीमित नहीं रहने
चाहिए, बल्कि नागरिकों को कुछ सामाजिक तथा आर्थिक अधिकार भी मिलने चाहिए।
(4)
महिलाओं, वंचित समूहों एवं अल्पसंख्यकों के हितों को पर्याप्त महत्त्व देने की आवश्यकता
है।
(5)
सभी स्तरों पर सामाजिक एवं आर्थिक असमानता को कम करने का प्रयास होना चाहिए।
(6)
यद्यपि लोकतंत्र बहुमत का शासन है, फिर भी इसकी सफलता के लिए आवश्यक है कि अल्पमत का
भी पर्याप्त ध्यान रखा जाय, तभी सरकार जनसामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व कर पाती
है।
प्रश्न : 'सूचना का अधिकार' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के
नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के द्वारा कोई भी नागरिक, किसी भी सरकारी विभाग से
जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस अधिकार का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार
के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित
करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है।
प्रश्न : सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है, कैसे?
उत्तर
: लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार होती है जिसे जनता के हित में निर्णय लेने
की जिम्मेदारी होती है। सूचना के अधिकार के अन्तर्गत किसी भी नागरिक को यह जानने का
अधिकार है, कि सरकार ये फैसले नियम और कानून के अनुसार ले रही है या नहीं।
सूचना
के अधिकार द्वारा नागरिक निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करते हैं और सरकार को मनमानी
करने से रोकते हैं। जनता के पैसे का दुरुपयोग न हो, इसपर नजर रखते हैं। इस प्रकार,
सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है और निर्णय प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता
है।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन समकालीन दुनिया में सरकार का सबसे लोकप्रिय
रूप है?
(1)
तानाशाही
(2)
राजतंत्र
(3)
सैन्य शासन
(4)
लोकतंत्र
Ans.
(4)
प्रश्न: लोकतंत्र का क्या अर्थ है?
(1)
लोगों का शासन
(2)
राजा का शासन
(3)
सैनिकों का शासन
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषता अधिशासन लोकतंत्र के लिए
आम है?
(1)
उनका एक औपचारिक संविधान है
(2)
वे नियमित चुनाव करते हैं
(3)
उनके पास राजनीतिक दल हैं
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: एक लोकतांत्रिक सरकार की मुख्य विशेषता क्या है?
(1)
शक्ति का केंद्रीकरण
(2)
शक्तियों का पृथक्करण
(3)
व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षण
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को कौन-सा अधिकार प्राप्त है?
(1)
स्वयं राज्य करने का
(2)
शासन व्यवस्था ठीक करने का
(3)
अपनी सरकार चुनने का
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: इनमें से कौन लोकतंत्र की विशेषता नहीं है?
(1)
लोगों के लिए कानून
(2)
सत्ता पर एकाधिकार
(3)
समानता और स्वतंत्रता
(4)
अधिकारों की गारंटी
Ans.
(2)
प्रश्न: लोकतांत्रिक सरकार होती है -
(1)
उत्तरदायी सरकार
(2)
जिम्मेदार सरकार
(3)
वैध सरकार
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: इस समय निम्न में से किस प्रकार की सरकार सबसे बेहतर मानी जाती
है?
(1)
राजतंत्र
(2)
तानाशाही
(3)
लोकतंत्र
(4)
इनमें कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: विभिन्न लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में निम्न में से कौन-सी विशेषताएँ
सब में पाई जाती है?
(1)
उनके औपचारिक संविधान होते हैं।
(2)
उनके राजनीतिक दल होते हैं।
(3)
ये नागरिकों के अधिकारों की गारंटी देते हैं।
(4)
ये तीनों ही
Ans.
(4)
प्रश्न: तानाशाही का समर्थन करने वाली विचारधारा को क्या कहते हैं?
(1)
अल्पतंत्र
(2)
निरंकुशतावाद
(3)
लोकतंत्र
(4)
उदारवाद
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्नलिखित में से किस देश में लोकतंत्र तानाशाही के ऊपर पदोन्नत
नहीं किया जाता है?
(1)
बांग्लादेश
(2)
पाकिस्तान
(3)
श्रीलंका
(4)
भारत
Ans.
(2)
प्रश्न: विविधताओं के बीच सामंजस्य को स्थापन का सर्वाधिक क्षमता किस
शासन व्यवस्था में होती है?
(1)
अल्पतंत्र
(2)
अधिनायक तंत्र
(3)
लोकतंत्र
(4)
सैनिक तंत्र
Ans.
(3)
प्रश्न: लोकतंत्र क्यों उत्तरदायी शासन व्यवस्था मानी जाती है?
(1)
लोकतंत्र में जनता ही अपने शासक को चुनती है
(2)
जनता अपने शासकों पर नियंत्रण रखती है
(3)
शासन में जनता को अधिक से अधिक भागीदारी का अवसर मिलता है
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: सरकार को उत्तरदायी बनाने में निम्न में से कौन अपनी महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है?
(1)
जनता
(2)
राष्ट्रपति
(3)
स्थानीय सरकार
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: लोकतंत्र में, एक नागरिक को निर्णय लेने की प्रक्रिया की जाँच
करने का अधिकार और साधन होता है, इसे कहा जाता है -
(1)
तानाशाही
(2)
पारदर्शिता
(3)
वैधता
(4)
समानता
Ans.
(2)
प्रश्न: लोकतंत्र में निर्णय उचित प्रक्रिया से दिए जाते हैं तो उसे
क्या कहते हैं?
(1)
लोकतंत्र
(2)
तानाशाही
(3)
पारदर्शिता
(4)
उदारवादी गणराज्य
Ans.
(3)
प्रश्न: लोकतांत्रिक व्यवस्था में समय-समय पर क्या होता है?
(1)
परीक्षण
(2)
निरीक्षण
(3)
मूल्यांकन
(4)
उपरोक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से कोई एक चीज लोकतांत्रिक
व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है?
(1)
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
(2)
व्यक्ति की गरिमा
(3)
बहुसंख्यकों का शासन
(4)
कानून के समक्ष समानता
Ans.
(3)
प्रश्न: लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के
बारे में किये गये अध्ययन बताते हैं कि -
(1)
लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं
(2)
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं
(3)
लोकतांत्रिक व्यवस्था और तानाशाही दोनों में एक ही तरह का विकास होता है
(4)
तानाशाहीयों लोकतंत्र से बेहतर साबित हुई हैं
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्न में से कौन सत्ता तक लोकतंत्र के पक्ष में नहीं है।
(1)
लोकतंत्र लोग स्वतंत्रता और समानता का अनुभव करते हैं।
(2)
लोकतंत्र दूसरों की तुलना में विवादों को बेहतर ढंग से हल करता है।
(3)
लोकतंत्र लोगों के प्रति अधिक जिम्मेदार होता है।
(4)
लोकतंत्र अन्यों की तुलना में अधिक समृद्ध होता है।
Ans.
(4)
प्रश्न: देश का आर्थिक विकास किस कारक पर निर्भर करता है?
(1)
जनसंख्या का आकार
(2)
वैश्विक स्थिति
(3)
अन्य देशों के साथ सहयोग
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: लोकतंत्र में किस प्रकार का चुनाव होना चाहिए?
(1)
निष्पक्ष
(2)
नियमित
(3)
उचित
(4)
उपरोक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: भारतीय लोकतंत्र की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या है?
(1)
निष्पक्ष चुनाव
(2)
भेदभाव का अंत
(3)
जाति प्रथा का अंत
(4)
सांप्रदायिकता का अंत
Ans.
(1)
प्रश्न: लोकतंत्र का अपेक्षित परिणाम क्या है?
(1)
सरकार की गुणवत्ता
(2)
आर्थिक कल्याण
(3)
स्वतंत्रता और गरिमा
(4)
उपरोक्त सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन एक लोकतंत्र में संघर्ष को हल करने का
तरीका नहीं है?
(1)
बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाना
(2)
संसद का उपयोग करना
(3)
न्याय करना
(4)
सशस्त्र क्रांति
Ans.
(4)
प्रश्न: लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने निम्न में से किस को सफलतापूर्वक
हटा दिया है?
(1)
राजनीतिक असमानताओं को
(2)
सामाजिक भेदभाव को
(3)
आर्थिक विषमताओं को
(4)
क्षेत्रीय असंतुलन को
Ans.
(1)
प्रश्न: निम्न में से कौन सी बात अलोकतांत्रिक सरकार में नहीं पाई जाती
है?
(1)
पारदर्शिता
(2)
लोगों के प्रति उत्तरदायित्व में कमी
(3)
जनता के समर्थन का अभाव
(4)
बड़े राजनीतिक मामलों पर चर्चा का अभाव
Ans.
(1)
प्रश्न: लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी अन्य शासन प्रणाली से काफी आगे है,
क्योंकि -
(1)
यह व्यक्ति की गरिमा और आजादी को प्रेरित करती है।
(2)
यह बहुमत को देश पर शासन करने का अवसर प्रदान करती है।
(3)
लोकप्रिय लोगों के प्रति आर्थिक झुकाव
(4)
यह प्रभु सत्ता संपन्न है
Ans.
(1)
प्रश्न: लोकतांत्रिक व्यवस्था कम प्रभावी और साफ-सुथरी न होते हुए भी
अन्य शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है क्योंकि -
(1)
यह वैध शासन व्यवस्था है
(2)
यह लोगों को अपनी शासन व्यवस्था है
(3)
अपनी शक्ति को बढ़ाने में सक्षम है
(4)
ये सभी कारण
Ans. (4)
Class X Economics
Question Solution
Class 10 Economics All Chapter MVVI Objective & Subjective Questions Answer
Class 10 Science Jac Model Paper 2024-25
Class 10 Social Science Jac Model Paper 2024-25
Class 10 Hindi (A) Jac Model Paper Solution 2024-25
10th Hindi Jac Model Question Solution,2022-23
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class 10
सामाजिक विज्ञान
विषय-सूची
इतिहास | भारत और समकालीन विश्व- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
भूगोल | समकालीन भारत- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
नागरिक शास्त्र | लोकतांत्रिक राजनीति-2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
अर्थशास्त्र | आर्थिक विकास की समझ |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5 | |
