JAC ANNUAL INTER EXAM
Dumka History Model Set-01
सामान्य निर्देश :
1. इन प्रश्न पुस्तिका में दो भाग A तथा भाग B हैं ।
2. भाग A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग B में
50 अंक के विषय निष्ठ प्रश्न है।
3. परीक्षार्थियों को अलग से उपलब्ध कराए गए उत्तर पुस्तिका
में उत्तर देना है।
4. भाग - A में 30 बहुविकल्पीय प्रश्न है जिसके चार विकल्प
A,B,C तथा D है ।
परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है।
सभी प्रश्न अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक
काटा नहीं जाएगा ।
5. भाग B इस भाग में तीन खंड खंड A,B तथा C है। इस भाग में
अति लघु उत्तरीय लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषय निष्ठ प्रश्न है।
कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।
खंड - A - प्रश्न संख्या 31 से 38 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
है किंतु 6 प्रश्नों के उत्तर दें प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है।
खंड - B - प्रश्न संख्या 39 से 46 लघु उत्तरीय प्रश्न है।
प्रत्येक 6 प्रश्न के उत्तर दे।
प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर
अधिकतम 150 शब्दों में दें ।
खंड - C - प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय है। किन्ही 4 प्रश्नों के उत्तर दें
प्रत्येक
प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250
शब्दों में दें।
6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें-
भाग - A
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए 1x 30 = 30
1. पाँचवी रिपोर्ट कितने पेज में थी-
(a) 1002 पेज
(b)
1007 पेज
(c)
1010 पेज
(d)
1040 पेज
2. कुदाल एवं हल के संघर्ष में कुदाल किसका प्रतीक है-
(a)
संथाल
(b) पहाड़िया
(c)
जर्मीदार
(d)
महाजन
3. गंजूरिया शब्द किसका प्रतिनिधित्व करता है-
(a)
तालाब
(b)
नदी
(c) पहाड़
(d)
जमीन
4.1857 के विद्रोह में शामिल शाहमल कहाँ से संबंधित थे-
(a)
झारखंड
(b)
बिहार
(c)
बंगाल
(d) उत्तरप्रदेश
5."ये गिलास फल (cherry) एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा"-ये
किसके शब्द है-
(a) लार्ड डलहौज़ी
(b)
लार्ड क्लाइव
(c)
लार्ड कार्नवालिस
(d)
लार्ड कैनिंग
6. महात्मा गाँधी ने किस वर्ष से सर मुंडवा कर खद्दर या सूती वस्त्र
पहनना आरंभ कर दिया-
(a)1915
(b)1917
(c)1921
(d)1925
7. गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ था-
(a)1930
(b)1931
(c)1932
(d)1933
8. जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव कब पेश किया-
(a)
13 दिसम्बर 1945
(b) 13 दिसम्बर 1946
(c)
9 दिसंबर 1945
(d)
9 दिसंबर 1946
9. रॉयल इंडियन नेवी के सिपाहियों का विद्रोह कब हुआ-
(a)1942
(b)
1943
(c)1945
(d)1946
10. संविधान सभा मे कुल कितने सत्र हुए-
(a)10
(b)11
(c)12
(d)
इनमें कोई नही
11. सती बालिका का वृतांत किसके द्वारा दिया गया-
(a)
इब्नबतूता
(b)
अलबरूनी
(c)
पेलसर्ट
(d) बर्नियर
12. अलवार किसके उपासक थे-
(a) विष्णु
(b)
शिव
(c)
काली
(d)
गणेश
13. वीरशैव परंपरा कहाँ उदित हुई-
(a)
केरल
(b) कर्नाटक
(c)
बंगाल
(d)
उत्तरप्रदेश
14. गुरुनानक का जन्म कब हुआ था-
(a)1460
(b)1469
(c)1484
(d)1539
15. किस वर्ष कर्नल मैकेंजी के प्रयासों से हम्पी का भग्नावशेष प्रकाश
में आया-
(a) 1800 ईस्वी
(b)
1820 ईस्वी
(c)
1840 ईस्वी
(d)
1860 ईस्वी
16. रज्म नामा के नाम से किसका अनुवाद हुआ-
(a)
रामायण
(b) महाभारत
(c)
पंचतंत्र
(d)
बाबरनामा
17. बुलंद दरवाजा किसने बनवाया-
(a)
बाबर
(b) अकबर
(c)
जहाँगीर
(d)
शाहजहां
18. मुगल वंश भारत मे कब स्थापित हुआ-
(a)1520
(b)1526
(c)1530
(d)1536
19. भक्ति आंदोलन के संत शंकरदेव का संबंध था-
(a)
बिहार
(b)
बंगाल
(c)
केरल
(d) असम
20. महानवमी डब्बा क्या था-
(a) दुर्गापूजा का प्रसाद
(b)
इमारत
(c)
भूराजस्व
(d)
सिंचाई कर
21. अशोक के अभिलेखों को सर्वप्रथम किसने पढ़ा-
(a)
जॉन मार्शल
(b) जेम्स प्रिंसेप
(c)
अर्नेस्ट मैके
(d)
इनमें कोई नही
22. 16 महाजनपदों में कितने गणतंत्र थे-
(a)
2
(b) 4
(c)
6
(d)
8
23. दुर्योधन की माँ कौन थी-
(a) गांधारी
(b)
कुंती
(c)
माद्री
(d)
सत्यवती
24. सांची मध्यप्रदेश के किस जिले में है-
(a)
विदिशा
(b) रायसेन
(c)
सागर
(d)
भोपाल
25. जैनधर्म के 24वे तीर्थकर कौन थे-
(a) महावीर स्वामी
(b)
आदिनाथ
(c)
पाश्र्वनाथ
(d)
इनमें कोई नही
26. तृतीय बौद्ध संगीति कहाँ आयोजित हुई-
(a)
राजगीर
(b) पाटलिपुत्र
(c)
वैशाली
(d)
चंपा
27. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की-
(a)
श्रीगुप्त
(b)
चंद्रगुप्त प्रथम
(c)
चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) कुमारगुप्त
28. हड़प्पा की खुदाई दयाराम साहनी द्वारा किस वर्ष की गई-
(a)1920
(b)1921
(c)1922
(d)1923
29. हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो लगभग कितने हैक्टेयर
में फैला था-
(a)100
(b)200
(c)250
(d)500
30. महावीर स्वामी की मृत्यु कहाँ हुई थी-
(a)
वैशाली
(b)
लुम्बनी
(c) पावापुरी
(d)
कुशीनारा
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
किन्ही छः प्रश्नों के उत्तर दे-2×6=12
31. प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के कौन-कौन से स्रोत है?
उत्तर - प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के कई स्रोत हैं, जिनमें
साहित्यिक स्रोत, पुरातात्विक स्रोत, विदेशी विवरण, और जनजातीय गाथाएं शामिल हैं।
32. सगुण भक्ति क्या है?
उत्तर - ईश्वर के रूप, आकार, और गुणों में विश्वास करके
उनका बखान करने वाली भक्ति को सगुण भक्ति कहते हैं।
33. स्वतंत्रता आंदोलन में त्रिमूर्ति के नाम से कौन-कौन प्रसिद्ध थे?
उत्तर - स्वतंत्रता आंदोलन में लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर
तिलक, और विपिन चंद्र पाल को त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है।
34. दांडी यात्रा कब और कहाँ से आरंभ हुई?
उत्तर - 12 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से
35. भारत के अंतिम वायसराय कौन थे?
उत्तर - लॉर्ड लुईस माउंटबेटन
36. स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री कौन थे?
उत्तर - गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल
37. खुदकाश्त और पहिकास्त कौन थे?
उत्तर -
खुद-काश्त - ये किसान अपनी ज़मीन पर खेती करते थे और उसी गांव में रहते थे। खुद-काश्त
शब्द 'खुद' यानी 'स्वयं' और 'कष्ट' यानी 'खेती' से मिलकर बना है।
पाहि-काश्त - ये किसान दूसरों की ज़मीन पर खेती करते थे। ये
अनिवासी कृषक थे, जो अनुबंध के आधार पर किसी दूसरी जगह खेती करते थे।
38. विजयनगर किस नदी के तट पर स्थित है?
उत्तर - सन् 1336 ई. में कृष्ण देव राय के आचार्य हरिहर ने
वैदिक रीति से शंकर प्रथम का राज्याभिषेक संपन्न किया और तुंगभद्रा नदी के किनारे
विजयनगर नामक नगर का निर्माण किया।
लघुउत्तरीय प्रश्न
किन्ही छः प्रश्नों का उत्तर दे (अधिकतम 150 शब्द) 3×6=18
39. किताब उल हिंद पर एक लेख लिखें?
उत्तर - अरबी में लिखी गई
अल-बिरूनी की कृति 'किताब-उल-हिन्द' की भाषा सरल और स्पष्ट है। यह एक विस्तृत ग्रंथ
है जो धर्म और दर्शन, त्योहारों, खगोल-विज्ञान, कीमिया, रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं,
सामाजिक-जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान आदि विषयों
के आधार पर अस्सी अध्यायों में विभाजित है। सामान्यतः (हालाँकि हमेशा नहीं) अल-बिरूनी
ने प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया जिसमें आरंभ में एक प्रश्न
होता था, फिर संस्कृतवादी परंपराओं पर आधारित वर्णन और अंत में अन्य संस्कृतियों के
साथ एक तुलना।
आज के कुछ विद्वानों को तर्क है कि इस लगभग ज्यामितीय
संरचना, जो अपनी स्पष्टता तथा पूर्वानुमेयता के लिए उल्लेखनीय है, का एक मुख्य
कारण अल-बिरूनी का गणित की ओर झुकाव था। अल- बिरूनी जिसने लेखन में भी अरबी भाषा
का प्रयोग किया था, ने संभवतः अपनी कृतियाँ उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में
रहने वाले लोगों के लिए लिखी थीं। वह संस्कृत, पाली तथा प्राकृत ग्रंथों के अरबी
भाषा में अनुवादों तथा रूपांतरणों से परिचित था। इनमें दंतकथाओं से लेकर खगोल
विज्ञान और चिकित्सा संबंधी कृतियाँ सभी शामिल थीं, पर साथ ही इन ग्रंथों की लेखन-सामग्री
शैली के विषय में उसका दृष्टिकोण आलोचनात्मक था और निश्चित रूप से वह उनमें सुधार
करना चाहता था।
40. मनुस्मृति में वर्णित चांडालों का वर्णन करें।
उत्तर - प्राचीन हिंदू कानून की किताब मनुस्मृति में
चांडालों के बारे में बताया गया है-
1. चांडालों को गांव से बाहर रहना होता था।
2. उन्हें फेंके गए बर्तनों का इस्तेमाल करना होता था।
3. उन्हें मरे हुए लोगों के कपड़े पहनने होते थे।
4. उन्हें काले लोहे के गहने पहनने होते थे।
5. उन्हें लगातार चलते रहना होता था।
6. उन्हें रात में गांवों और शहरों में नहीं घूमना होता था।
7. उन्हें संबंधियों से विहीन मृतकों की अंत्येष्टि करनी पड़ती
थी।
8. उन्हें वधिक के रूप में भी कार्य करना होता था।
41. त्रिपिटक के बारे में आप क्या जानते है।
उत्तर - त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ है-तीन टोकरियाँ जिनमें
कि पुस्तक रखी जाती हैं। बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने उनकी
शिक्षाओं का संकलन तीन पिटकों सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक में किया।
इन्हें संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।
सुत्तपिटक में बुद्ध धर्म के सिद्धान्त मिलते हैं। विनय -
पिटक में बुद्ध धर्म के आचार-विचार एवं नियम मिलते हैं। अभिधम्मपिटक में बुद्ध का
दर्शन मिलता है।
जो इन तीनों पिटकों का ज्ञाता होता है उसे त्रिपिटकाचार्य
कहा जाता है। श्रीलंका के विद्यालंकार विहार ने राहुल सांकृत्यायन को
त्रिपिटकाचार्य की उपाधि दी थी।
42. बे-शरा और बा शरा में क्या अंतर है?
उत्तर - शरिया मुसलमानों को निर्देशित करने वाला कानून हैं।
यह कुरान शरीफ और हदीस पर आधारित हैं। शरिया का पालन करने वाले को बा-शरिया और
शरिया की अवेहलना करने वालों को बे शरिया कहा जाता था।
अंतर :
1. बा-शरीआ सूफी सन्त खानक़ाहो में रहते थे। खानकाह एक
फ़ारसी शब्द है, जिसका अर्थ है- आश्रम । जबकि बे-शरीआ सूफी संत खानकाह का तिरस्कार
करके रहस्यवादी एवं फ़कीर की जिन्दगी व्यतीत करते थे।
2. बा-शरीआ सिलसिले शरीआ का पालन करते थे, किन्तु बे-शरीआ
शरीआ में बंधे हुए नहीं थे।
43 सुलह ए कुल की नीति को स्पष्ट करें।
उत्तर - अकबर की.सुलह-ए-कुल. की नीति धार्मिक सहिष्णुता की
नीति थी। यह नीति विभिन्न धर्मों के अनुयाययिों में अन्तर नहीं करती। थी अपितु
इसका केन्द्र बिन्दु था—नीतिशास्त्र की एक व्यवस्था, जो सर्वत्र लागू की जा सकती
थी और जिसमें केवल सच्चाई, न्याय और शांति पर बल था।
44. सूर्यास्त कानून से आप क्या समझते है?
उत्तर - यह कानून स्थायी बंदोबस्त से संबंधित था जिसे ईस्ट
इंडिया कंपनी ने सन् 1794 ईस्वी मे लागू किया था। कार्नवालिस ने 1794 ई. में
'सूर्यास्त कानून' बनाया। इसके तहत यह घोषित किया गया कि यदि पूर्व निर्धारित तिथि
के सूर्यास्त तक सरकार को लगान नहीं दिया गया तो जमींदारी नीलाम हो जाएगी।
इसके बाद 1799 और 1812 ई. के रेग्युलेशन के आधार पर किसानों
को पूरी तरह जमींदारों के नियंत्रण में कर दिया गया। इसका परिणाम हुआ कि भू-राजस्व
कि रकम अधिकतम रूप में निर्धारित की गयीं तथा इसके लिए 1790 - 91 ई. के वर्ष को
आधार वर्ष बनाया गया। निष्कर्षतः 1765 - 93 के बीच कंपनी ने बंगाल में भू-राजस्व
की दर में दुगुनी बढ़ोतरी कर दी।
45.1857 के विद्रोह का तात्कालीन कारण क्या था?
उत्तर-
1856 ईस्वी में ब्रिटिश सरकार ने सैनिकों की पुरानी बंदुक ब्राउन बैस के स्थान पर
न्यु एन फील्ड राइफल नामक नई बंदुके देने का निश्चय किया। इन रायफलों का प्रयोग
करने के लिए कारतूसों को राइफल में भरने से पूर्व मुंह से खोलना पड़ता था। जनवरी
1857 ईस्वी में बंगाल के बैरकपुर छावनी में यह समाचार फैल गई कि इन कारतूसों में
गाय और सूअर की चर्बी लगी हुई थी। जिससे हिंदू और मुस्लिम सैनिकों में आक्रोश
उत्पन्न हो गया। इस प्रकार चर्बी वाले कारतूस 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण
बना।
46. खिलाफत आंदोलन क्या था?
उत्तर - ख़िलाफ़त आन्दोलन 1919 से 1922 के मध्य भारत में
मुख्य रूप से मुस्लिम बहुसंख्यक वर्ग द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन
था। इस आन्दोलन का उद्देश्य मुस्लिमों के मुखिया माने जाने वाले टर्की के ख़लीफ़ा
के पद की पुन: स्थापना कराने के लिये ब्रिटिश सरकार पर दबाव डालना था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
किन्ही चार प्रश्नों का उत्तर दे (अधिकतम 250 शब्द) 4×5=20
47. हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें।
उत्तर- हड़प्पा संस्कृति की सर्वप्रमुख विशेषता इसका नगर
नियोजन है। हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की खुदाई में पूर्व तथा पश्चिम में दो टीले
मिलते हैं। पूर्वी टीले पर नगर तथा पश्चिमी टीले पर दुर्ग स्थित था। दुर्ग में
सम्भवतः शासक वर्ग के लोग रहते थे। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर पर
ईंटों के मकानों वाला नगर बसा था जहाँ सामान्य लोग रहते थे।
1. सड़क व्यवस्था - मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता उसकी
सड़कें थीं। यहाँ की मुख्य सड़क 9.15 मीटर चौड़ी थी जिसे पुराविदों ने राजपथ कहा
है। अन्य सड़कों की चौड़ाई 2.75 से 3.66 मीटर तक थी। जाल पद्धति के आधार पर नगर
नियोजन होने के कारण सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं जिनसे नगर कई खण्डों
में विभक्त हो गया था। इस पद्धति को 'ऑक्सफोर्ड सर्कस' का नाम दिया गया है।
2. जल निकास प्रणाली- मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक और
प्रमुख विशेषता यहाँ की प्रभावशाली जल निकास प्रणाली थी। यहाँ के अधिकांश भवनों
में निजी कुएँ व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि
सभी का पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली में आता था। गली की
नाली को मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के
दोनों ओर बनी नालियों को पत्थरों अथवा शिलाओं द्वारा ढँक दिया जाता था। नालियों की
सफाई एवं कूड़ा-करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में नर मोखे (मेन होल) भी बनाये
गये थे। नालियों की इस प्रकार की अद्भुत विशेषता किसी अन्य समकालीन नगर में देखने
को नहीं मिलती।
3. स्नानागार - मोहनजोदड़ो का एक प्रमुख सार्वजनिक स्थल है
यहाँ के विशाल दुर्ग (54.86 × 33 मीटर) में स्थित विशाल स्नानागार। यह 39 फुट
(11.88 मीटर) लम्बा, 23 फुट (7.01 मीटर) चौड़ा एवं 8 फुट (2.44 मीटर) गहरा है।
इसमें उतरने के लिए उत्तर एवं दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। स्नानागार का फर्श
पक्की ईंटों से बना है। सम्भवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग 'आनुष्ठानिक स्नान'
हेतु होता होगा। स्नानागार से जल के निकास की भी व्यवस्था थी। यह स्नानागार उन्नत
तकनीक का परिचायक है। मार्शल महोदय ने इसी कारण इसे तत्कालीन विश्व का 'आश्चर्यजनक
निर्माण' बताया है।
4. अन्नागार - मोहनजोदड़ो में ही 45.72 मीटर लम्बा एवं
22.86 मीटर चौड़ा एक अन्नागार मिला है। हड़प्पा के दुर्ग में भी 12 धान्य कोठार
खोजे गये हैं। ये दो कतारों में छः-छः की संख्या में हैं। ये धान्य कोठार ईंटों के
चबूतरों पर हैं एवं प्रत्येक का आकार 15.23 मी. x 6.09 मी. है।
5. ईंटें - हड़प्पा संस्कृति के नगरों में पकाई हुई ईंटों
का प्रयोग भी यहाँ के नगर नियोजन की एक अद्भुत विशेषता है। ईंटें चतुर्भुजाकार
होती थीं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी ईंट का आकार 51.43 × 26.27 × 6.35
सेमी. है। सामान्यतः 27.94 × 13.97 × 6.35 सेमी. की ईंटें प्रयुक्त हुई हैं।
48. भारत छोड़ो आंदोलन पर एक निबंध लिखे।
उत्तर - भारत छोड़ो आन्दोलन सन् 1942 में महात्मा गाँधी
द्वारा प्रारम्भ किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतें
लगातार बढ़ती जा रही थीं। इन बढ़ती कीमतों के कारण जनता बहुत त्रस्त थी। इसी समय
भारतीयों की मदद के उद्देश्य से क्रिप्स मिशन भारत आया किन्तु इसका वास्तविक
उद्देश्य था भारत में अंग्रेजों द्वारा स्वशासन स्थापित करना। इसे गाँधीजी व अन्य
लोगों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया तथा यह बात स्पष्ट हो गई कि सरकार कोई भी कार्य
भारतीयों के पक्ष में नहीं कर सकती। महात्मा गाँधी ने इस समय ऐसे आन्दोलन की
आवश्यकता का अनुभव किया जो तीव्र हो। परिणामस्वरूप भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ
किया गया।
इस आन्दोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव हिलाकर रख दी। वकीलों,
अध्यापकों सहित विभिन्न सरकारी लोगों ने इस आन्दोलन में हिस्सेदारी की।
49. अकबर की धार्मिक नीति का वर्णन करें।
उत्तर - अकबर प्रथम सम्राट था, जिसके धार्मिक विचारों में
क्रमिक विकास दिखायी पड़ता है। उसके इस विकास को तीन कालों में विभाजित किया जा
सकता है-
प्रथम काल (1556-1575 ई.) - इस काल में अकबर इस्लाम धर्म का
कट्टर अनुयायी था। जहाँ उसने इस्लाम की उन्नति हेतु अनेक मस्जिदों का निर्माण
कराया, वहीं दिन में पाँच बार नमाज़ पढ़ना, रोज़े रखना, मुल्ला मौलवियों का आदर
करना, जैसे उसके मुख्य इस्लामिक कृत्य थे।
द्वितीय काल (1575-1582 ई.) - अकबर का यह काल धार्मिक
दृष्टि से क्रांतिकारी काल था। 1575 ई. में उसने फ़तेहपुर सीकरी में इबादतखाने की
स्थापना की। उसने 1578 ई. में इबादतखाने को धर्म संसद में बदल दिया। उसने शुक्रवार
को मांस खाना छोड़ दिया। अगस्त-सितम्बर, 1579 ई. में महजर की घोषणा कर अकबर
धार्मिक मामलों में सर्वोच्च निर्णायक बन गया। महजरनामा का प्रारूप शेख़ मुबारक
द्वारा तैयार किया गया था। उलेमाओं ने अकबर को ‘इमामे-आदिल’ घोषित कर विवादास्पद
क़ानूनी मामले पर आवश्यकतानुसार निर्णय का अधिकार दिया।
तृतीय काल (1582-1605 ई.) - इस काल में अकबर पूर्णरूपेण
दीन-ए-इलाही में अनुरक्त हो गया। इस्लाम धर्म में उसकी निष्ठा कम हो गयी। हर
रविवार की संध्या को इबादतखाने में विभिन्न धर्मों के लोग एकत्र होकर धार्मिक
विषयों पर वाद-विवाद किया करते थे। इबादतखाने के प्रारम्भिक दिनों में शेख़, पीर,
उलेमा ही यहाँ धार्मिक वार्ता हेतु उपस्थित होते थे, परन्तु कालान्तर में अन्य
धर्मों के लोग जैसे ईसाई, जरथुस्ट्रवादी, हिन्दू, जैन, बौद्ध, फ़ारसी, सूफ़ी आदि
को इबादतखाने में अपने-अपने धर्म के पत्र को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया
गया। इबादतखाने में होने वाले धार्मिक वाद विवादों में अबुल फ़ज़ल की महत्त्वपूर्ण
भूमिका होती थी।
50. कृष्णदेवराय को एक महान शासक क्यों कहा गया है?
उत्तर - राजा कृष्णदेव राय तुलुववंश के सबसे प्रसिद्ध और
प्रभावशाली राजा थे। इन्होंने 1509 ई. से 1529 ई. तक विजयनगर पर शासन किया। इनके
शासन काल में विजयनगर ऐश्वर्य एवं शक्ति की दृष्टि से अपने चरमोत्कर्ष पर था।
कृष्णदेव राय ने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच स्थित उपजाऊ भू-क्षेत्र रायचूर
दोआब पर अधिकार कर अपने राज्य का विस्तार और आर्थिक सुदृढ़ीकरण किया तथा उड़ीसा के
शासकों और बीजापुर के सुल्तान को पराजित किया।
कृष्णदेव राय की नीति सामरिक रूप से युद्ध के लिए हमेशा
तैयार रहने की थी परन्तु इससे राज्य के आंतरिक शान्ति और समृद्धि की परिस्थितियों
में कोई व्यवधान नहीं था। कृष्णदेव राय ने नागलपुर नामक नये नगर की स्थापना की तथा
हजारों एवं विठ्ठलस्वामी नामक मंदिर का निर्माण कराया। भव्य गोपुरमों के निर्माण
का श्रेय भी कृष्णदेव राय को ही जाता है। कृष्णदेव राय ने कृषि के विस्तार तथा जल
आपूर्ति के लिए विशाल हौजों, जलाशयों तथा नहरों का भी निर्माण कराया। कृष्णदेव राय
एक उच्च कोटि के कवि तथा लेखक भी थे, जिन्हें संस्कृत एवं तेलुगू भाषाओं में
प्रवीणता प्राप्त थी।
उनकी तेलुगू रचना 'आमुक्त मालयदम' था जो तेलुगू भाषा के
पाँच महाकाव्यों में से एक है। उन्होंने संस्कृत में एक नाटक जाम्बवती कल्याणम् की
रचना की। कृष्णदेव राय के दरबार में तेलुगू साहित्य के 8 सर्वश्रेष्ठ कवि रहते थे।
उनके दरबार में तेनालीराम एक प्रसिद्ध कवि था जिसने पाण्डुरंग महात्म्य की रचना
की। तेनालीराम की तुलना अकबर के प्रसिद्ध दरबारी बीरबल से की जाती है। कृष्णदेव
राय के दरबार में संस्कृत एवं कन्नड़ भाषाओं में विभिन्न पुस्तकों की रचना हुई
जिनमें 'भाव चिन्तारण' तथा 'वीर शैवामृत' प्रमुख हैं। कृष्णदेव राय और अच्युत राय
ने वैष्णवों लिंगायतों तथा जैनों को भी संरक्षण प्रदान किया।
51. सूफी आंदोलन पर एक लेख लिखे।
उत्तर - सूफी आंदोलन इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है जो
व्यक्तिगत अनुभव और ईश्वर के साथ प्रत्यक्ष संवाद को महत्व देता है। इस आंदोलन का
उद्देश्य आंतरिक आध्यात्मिक विकास और ईश्वर के निकट पहुंचना है। सूफी संतों ने
प्रेम, करुणा, सहिष्णुता और समाज सेवा जैसे मूल्यों को बढ़ावा दिया।
सूफी आंदोलन की उत्पत्ति और विकास
सूफी आंदोलन की उत्पत्ति 8वीं शताब्दी में अरब में हुई थी।
शुरुआत में, सूफी संत इस्लाम के अन्य अनुयायियों की तरह ही साधारण जीवन जीते थे।
धीरे-धीरे उन्होंने एक अलग पहचान बना ली और इस्लाम के रहस्यवादी आयाम पर जोर देने
लगे। सूफी संतों ने ध्यान, भक्ति और सेवा के माध्यम से ईश्वर के साथ एकात्मता
स्थापित करने का प्रयास किया।
सूफीवाद के प्रमुख सिद्धांत
1. ईश्वर की एकता: सूफी संतों का मानना था कि
ईश्वर एक है और सभी जीवों में व्याप्त है। वे सभी धर्मों और जातियों के लोगों को
समान मानते थे।
2. प्रेम और करुणा: सूफी संतों ने प्रेम और
करुणा को ईश्वर के साथ निकटता स्थापित करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन माना।
3. समाज सेवा: सूफी संतों ने समाज सेवा को
धर्म का एक अभिन्न अंग माना और उन्होंने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा
की।
4. सहिष्णुता: सूफी संतों ने सभी धर्मों और
संस्कृतियों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखा।
5. आत्मशुद्धि: सूफी संतों ने आत्मशुद्धि को
मोक्ष प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना।
सूफीवाद का भारत में प्रभाव
सूफीवाद का भारत में 12वीं शताब्दी में आगमन हुआ था। भारत
में सूफीवाद ने हिंदू धर्म के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किया और दोनों धर्मों के
बीच एकता का संदेश फैलाया। सूफी संतों ने भारत में कई दरगाहें और मजारें बनवाईं जो
आज भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं।
सूफीवाद के प्रमुख संप्रदाय
1. चिश्ती संप्रदाय: यह सूफीवाद का सबसे
लोकप्रिय संप्रदाय है। चिश्ती संतों ने भारत में सूफीवाद का प्रचार-प्रसार किया।
2. सुहरावर्दी संप्रदाय: इस संप्रदाय के
संतों ने शास्त्रीय ज्ञान और सूफीवाद को जोड़ा।
3. कादरी संप्रदाय: इस संप्रदाय के संतों ने
कृषि और व्यापार को बढ़ावा दिया।
सूफीवाद का महत्व
सूफीवाद ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला। सूफी संतों ने
भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध किया। सूफीवाद ने प्रेम, करुणा, सहिष्णुता और
समाज सेवा जैसे मूल्यों को बढ़ावा दिया जो आज भी प्रासंगिक हैं।
52. भारतीय संविधान की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर - भारतीय संविधान के निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह
एवं 18 दिन लगे। इसके निर्माण हेतु संविधान सभा के कुल 11 अधिवेशन एवं 165 बैठक
हुई। संविधान में कुल 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियों को शामिल किया गया।
भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) यह लिखित, निर्मित एवं विश्व का विशालतम संविधान है।
(2) संविधान की प्रस्तावना में प्रभुत्व सम्पन्न,
लोकतंत्रात्मक, पन्थनिरपेक्ष एवं समाजवादी गणराज्य की स्थापना की बात कही गई है।
(3) संविधान द्वारा भारत में संसदीय शासन प्रणाली की
स्थापना की गई है।
(4) राज्य के लिए नीति-निर्देशक तत्वों का समावेश किया है।
(5) नागरिकों के मूल अधिकार एवं कर्त्तव्यों को दिया गया
है।
(6) भारतीय संविधान लचीलेपन एवं कठोरता का अद्भुत मिश्रण
है।
(7) वयस्क मताधिकार का प्रावधान किया गया है।
(8) एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है।
(9) स्वतन्त्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है।
(10) भारत के एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की बात की गई
है।
भारतीय संविधान में समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन करने का प्रावधान है। वर्तमान में भारतीय संविधान में 450 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ तथा 22 भाग हैं। भारत के संविधान का स्रोत भारतीय जनता है।
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