6. वसंत आया
कवि परिचय
जन्म- 1929
मृत्यु- 1990
राज्य- उत्तर प्रदेश
शहर-लखनऊ
शिक्षा- लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम ए
काल - आधुनिक काल (नई कविता के कवि)
विधा - गद्य और पद्य
रचना का विषय-कविता, कहानी, निबंध, अनुवादक
पहचान - हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार व पत्रकार
वसंत आया पाठ परिचय
i. साहित्यिक विशेषताएं-रघुवीर सहाय नई कविता के प्रमुख कवियों
में गिने जाते हैं इनकी कुछ प्रमुख कविताएं अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक में
संकलित है। इनके साहित्य के विषय कुछ इस प्रकार से रहे हैं-
1) आत्म पारक अनुभवों की जगह इन्होंने 'मानवीय पीड़ा' को
अपनी रचनाओं में स्थान दिया।
2) अकेलेपन, असुरक्षा की भावना, और जगजीवन के अनुभवों पर
इन्होंने अपनी कलम चलाई।
3) आजादी के बाद देश में उत्पन्न शोषण, अन्याय, हत्या आत्महत्या,
विषमता आदि जैसी बाधाओं का निरंतर विरोध करना उनका साहित्यिक लक्ष्य था।
ii. भाषा शैली-इनकी भाषा शैली में निम्नलिखित विशेषताएं देखने
को मिलती है-
1) मुक्त छंद के साथ-साथ छंद में भी इन्होंने कविताएं लिखी।
2) अनावश्यक या बेकार के शब्दों का प्रयोग इनकी रचनाओं में
देखने को नहीं मिलता।
3) खड़ी बोली के साथ-साथ देशज शब्दों का भी प्रयोग इनकी रचनाओं
में देखने को मिलता है।
4) इन्होंनेअपनी रचनाओं में संवेदनाओं को व्यक्त करने के
लिए सटीक शब्दों का चयन किया है।
iii. प्रमुख रचनाएं-सीढ़ियों पर धूप में, हंसो हंसो जल्दी
हंसो आत्महत्या के विरुद्ध, लोग भूल गए हैं (काव्य संग्रह) रास्ता इधर से है (कहानी
संग्रह)
उल्लेखनीय योगदान इनके कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं के
द्वारा देखा जा सकता है-
1 पेशे से यह पत्रकार थे।
2) प्रतीक पत्रिका में सहायक संपादक (1951 -52) रहे।
3) दिनमान पत्रिका में संपादन किया।
4) आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपासंपादक (1953-57) के
रूप में उन्होंने काम किया।
5) हैदराबाद से प्रकाशित होने वाली पत्रिका कल्पना के संपादन
का भी इन्होंने काम किया।
ट्रिक
1) रास्ता इधर से है लोग भूल गए हैं सीढ़ियों पर धूप में
हंसो हंसो जल्दी हंसो।
इस पूरे वाक्य के द्वारा भी हम रघुवीर सहाय की रचनाओं को
याद कर सकते हैं।
पुरस्कर - कविता संग्रह लोग भूल गए हैं के लिए 1984 में साहित्य
अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा में रघुवीर सहाय जी द्वारा रचित
दो कविताएं पढ़नी है वसंत आया एवं तोड़ो। आइए पहले प्रथम कविता वसंत आया का पाठ परिचय
प्राप्त करें-
वसंत आया पाठ परिचय वसंत आया पाठ में हम निम्नलिखित बिंदुओं
को जान पाएंगे जो इस प्रकार से है-
1. बहन की सराहना पाठ में सहाय जी अपनी बहन की सराहना करते
हुए कहते हैं कि वसंत ऋतु आने पर वे ही उन्हें अवगत कराती थी। अशोक नामक वृक्ष पर जब चिड़ियों
की आवाज कवि की कानों में जाती हैं तो उन्हें अपनी बहन की सहसा याद हो आती है। चिड़ियों
का कुकना कवि को अपनी बहन की मधुर आवाज में' दा'बुलाने के समान ही प्रतीत होती है क्योंकि
उन्हें चिड़ियों की आवाज अपनी बहन के समान मधुर प्रतीत होती है। चिड़ियों की आवाज से
उन्हें ज्ञात हुआ कि वसंत की ऋतु आ गई है जो प्रया : उनकी बहन उन्हें बताया करती थी।
2. वसंत ऋतु का शानदार चित्रण- वसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति
में जो परिवर्तन होता है उसे कवि ने बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। पैरों
तले आए बड़े-बड़े पीले पत्ते एवं चिड़ियों की आवाज के साथ-साथ शारीरिक स्पर्श करती
नरम-गरम हवा के बहाव कावर्णन करके पाठकों को प्रत्यक्ष रूप से ऋतु परिवर्तन के साथ
जोड़ दिया है।
3. अपनी पीड़ा को सांझा (बांटना) करना आधुनिक जीवन शैली को
अपनाकर लोग आज प्रकृति से दूर हो गए हैं। लेखक भी उसी श्रेणी में अपने आपको रखते हैं।
लेखक को एहसास होता कि उन्होंने फुर्सत के दिनों में केवल किताबों का शरण लेकर ऋतु
के बारे में जाना वास्तविक अनुभव से वे कोसों दूर रह गए जिसका उन्हें अफसोस है।
वसंत आया पाठ की व्याख्या-
मूल काव्यांश 1)
जैसे बहन 'दा 'कहती
ऐसे किसी बंगले के किसी तरु (अशोक)
पर कोइ चिड़िया कुऊकी
चलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर चुरमुराये पांव तले
ऊंचे तरुवर से गिरे
बड़े-बड़े पियराये पत्ते
कोई छह बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहायी हो-
खिली हुई हवा आयी फिरकी-सी आयी, चली गयी।
शब्दार्थ-दा-सम्मान सूचक शब्द ॥ कुऊकी- कुकना। लाल बजरी-लाल कण से युक्त मिट्टी। चुरमुराये
- चरमराने की आवज । - पांव तले-पैरके नीचे। तरुवर-वृक्ष। पियराये पत्ते - पीले पत्ते।
फिरकी - गोल चक्कर में घूमने वाला खिलौना, घूमता हुआ।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियां 'रघुवीर सहाय' जी द्वारा रचित 'वसंत आया कविता' से उद्धृत
है। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से प्रकृति में होने वाले परिवर्तन को दर्शाया है।
व्याख्या - कवि कहते हैं कि वसंत ऋतु के आगमन होने पर उन्हें अपनी बहन का स्मरण हो आता है। कवि को
चिड़ियों की मधुर आवाज अपनी बहन के समान प्रतीत होती है। चिड़ियों की मधुर आवाज की
भांति ही उनकी बहन भी बड़ी मधुरता के साथ अपने भाई को 'दा' कह कर संबोधित करती थी।
इस प्रकार कवि अपनी बहन की सराहना करते हैं। प्रकृति में वसंत ऋतु पर चारों तरफ परिवर्तन
ही परिवर्तन नजर आते हैं। ऊंची पेड़ से गिरकर पीले पत्ते जब कवि के पैरों तले चरमराई
शब्दों के साथ अपना अस्तित्व समाप्त कर रहे होते हैं तो लेखक को स्मरण हो आता है कि
वसंत ऋतु आ गई है। दूसरी तरफ गरम - नरम हवा भी अनुकूल वातावरण पाकर फिरकी खिलौने के
भांति घूमते हुए वातावरण में विचरण कर रही है और कवि को स्पर्श करते हुए निकल जाती
है हवा के स्पर्श से कवि को ज्ञात होता है कि शरद ऋतु की विदाई हो गई है और उसके स्थान
पर वसंत ने अपना आधिपत्य (अधिकार) जमा लिया है।
विशेष-
i. कवि ने वसंत ऋतु में होने वाले प्राकृतिक बदलाव को सुंदर
ढंग से चित्रित किया है।
ii. कवि ने प्रकृति के असाधारण क्षणों को दर्शाने के लिए
बिम्म का सहारा लिया है।
iii. काव्यांश में हम देखते हैं कि कवि ने अपनी बहन को स्नेह
के साथ स्मरण किया है।
iv. जैसे बहन, ऐसे किसी बंगले, सुबह जैसे गरम पानी से नहाई
में उत्प्रेक्षा अलंकार है। v. बड़े-बड़े में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। vi. पियराए
पत्ते में अनुप्रास अलंकार है।
vii. खिली हुई हवा आई, फिरकी-सी आई में उपमा अलंकार है।
viii. दा, पियराए आदि जैसे स्थानीय शब्दों का प्रयोग कवि
ने किया है।
ix. सुबह का मानवीकरण किया गया है। x. रचना छंद मुक्त काव्य
है।
मूल काव्यांश 2) –
ऐसे फुटपाथ पर चलते चलते चलते ।
कल मैंने जाना कि वसंत आया.
और यह कैलेण्डर से मालूम था
अमुक दिन वार मदनमहीने के होवेगी पंचमी
दफ़्तर में छुट्टी थी- यह था प्रमाण
और कविताएं पढ़ते रहने से यह पता था
कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल आम बौर आवेंगे
रंग-रस-गंध से लदे-फदे दूर के विदेश के वे नंदनवन होंगे यशस्वी
मधुमस्त पिक भौंर आदि अपना-अपना कृतित्व
अभ्यास करके दिखावेंगे
यही नहीं जाना था कि आज के नगण्य दिन जानूंगा
जैसे मैंने जाना, कि वसंत आया.।
शब्दार्थ-फुटपाथ-पगडंडी। कैलेंडर-तिथि पत्र, पंचांग। मालूम ज्ञात, जानना। अमूक- विशेष।
मदन महीने वसंत का महीना। पंचमी महीने की पांचवी तिथि। दफ्तर - ऑफिस, कार्यालय। प्रमाण-सबूत।
दहर-दहर-धधक कर जलना। दहकेंगे (आग का जलना) ढाक- पलास, वसंत ऋतु में खिलने वाला एक
सुंदर फूल। बौर-फूल आना। लदा-फदा-नीचे से ऊपर तक भरा हुआ। विदेश-पराया देश, दूर का
देश। नंदनवन इंद्र का वन, स्वर्ग का वन। यशस्वी-प्रसिद्धि, सुख्यात। मधुमस्त फूलों
का रस पीकर नशे में चूर होना। पिक-कोयल। भौर-भ्रमर, भंवर। कृतित्व-रचनात्मक गुण कार्य।
नगण्य - तुच्छ, ना गिनने योग्य, छोटा।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश 'रघुवीर सहाय' द्वारा रचित वसंत आया' पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत
काव्यांश में कवि ने आधुनिक जीवन शैली पर प्रश्न उठाया है। प्रकृति के साथ लोगों की
भागीदारी ना होने पर कवि ने चिंता व्यक्त की है।
व्याख्या- कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से वसंत ऋतु में होने वाले असाधारण परिवर्तन
को वर्णित किया है। कवि आधुनिक जीवन शैली पर प्रश्न उठाते हैं। आधुनिक जीवन शैली पर
लक्ष्य साधते हुए कवि कहते हैं कि आज व्यक्ति किताबी ज्ञान और कैलेंडर के द्वारा प्रकृति
में हो रहे परिवर्तन को जानते हैं। कैलेंडर में तय तारीख के अनुसार जब दफ्तर से कवि
को छुट्टी मिलती है तो वे फुर्सत के क्षणों में फुटपाथ पर घूमते हुए वसंत ऋतु का अनुभव
करते हैं। कवि ने किताबी ज्ञान के द्वारा यह जाना था कि दूर देश में स्थित स्वर्ग का
वन या इंद्र के वन के रूप में धरती, वसंत ऋतु की उत्कृष्ट सुंदरता पाकर प्रसिद्धि बटोरेगा।
ऋतुराज (वसंत ऋतु) की उपस्थिति में प्रकृति ऊर्जावान हो उठता है, और नाना प्रकार के
पुष्पों से पृथ्वी लद जाती है। लाल रंग के पलाश से पृथ्वी अग्नि की भांति दहक उठती
है, तो कहीं आम के मंजर से सुशोभित हो उठती है। कोयल और भंवरे भी अपना आलस्य त्यागकर
ऊर्जावान होकर गाने और नाचने लगते है। पूर्व में कवि जिसे आधिकारिक छुट्टी मानकर एक
सामान्य दिन मान रहे थे उन्हें एहसास होता है कि वह दिन कितना महत्वपूर्ण है। पहले
के लोग इन दिनों को उत्सव के रूप में मनाया करते थे, किंतु शहरीकरण के कारण यह दिन
अब नगण्य हो गये है।
विशेष-
i. कवि ने पृथ्वी के वसंत ऋतु की तुलना स्वर्ग के वसंत ऋतु
से की है।
ii. कवि ने खड़ी बोली के साथ संस्कृत, क्षेत्रीय और अंग्रेजी
के शब्दावली का भी प्रयोग किया है।
iii. दहर -दहर दहकेंगे में अनुप्रास अलंकार है।
iv. दहर-दहर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
v. कविता छंद मुक्त शैली में लिखी गई है।
vi. कवि ने आधुनिक जीवन शैली पर अपनी चिंता प्रकट की है।
vii. मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए प्रकृति के साथ जुड़ाव
होना आवश्यक है।
viii. यह काव्यांश प्रेरणादायक है।
वसंत आया पाठ का प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 वंसत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?
उत्तर - कवि को वसंत आगमन की सूचना कैलेंडर से मिली क्योंकि
कार्यालय में वसंत पंचमी के अवसर पर आधिकारिक अवकाश की घोषणा की गई थी।
प्रश्न 2 'कोई छः बजे सुबह फिरकी-सी आई, चली
गई पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-अवकाश के दिवस (दिन) पर जब कवि फुटपाथ पर टहल रहे थे
तब उन्हें गरम - नरम हवा छूते हुए निकल गई। हवा के गुनगुने पन से उन्हेंने जाना कि
शरद ऋतु की विदाई हो गई है और अब वसंत ऋतु का आगमन हो गया है।
प्रश्न 3' वसंत पंचमी' के अमूक दिन होने का
प्रमाण कवि ने क्या बताया और क्यों?
उत्तर जिस दिन कार्यालय से उन्हें अवकाश प्राप्त होगा उसी
दिन वसंत पंचमी होगा क्योंकि व्यस्त दिनचर्या के कारण उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि वसंत
पंचमी कब होगा।
प्रश्न 4. 'और कविताएं पढ़ते रहने से आम बौरा
आवेंगे' में निहित व्यंग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - आधुनिक जीवन शैली पर कवि जहां व्यंग कसते हैं, वहीं
दूसरी तरफ चिंता भी व्यक्त करते हैं। आधुनिक जीवन शैली आज कई मानसिक बीमारियों का प्रजनन
(जन्म देने वाला) केंद्र बन गया है। निराशा, कुंठा, अवसाद आदि मानसिक बीमारियां आज
सामान्य बात हो गई है। अपनी व्यस्त दिनचर्या में अवकाश पाते ही लोग एक कमरे में बंद
होकर समय बिताना पसंद करते हैं। कवि कहते हैं कि एकांत में घरों में बैठकर किताबी ज्ञान
लेने से हम प्रकृति के वास्तविक सानिध्य से वंचित रह जाते हैं। प्रकृति ऊर्जावान और
जीवन को आनंदमय बनाने वालास्रोत है। अतः हमें दूर से नहीं बल्कि निकट से प्रकृति का
अनुभव करना चाहिए।
प्रश्न 5 अलंकार बताइए-
(क) बड़े-बड़े पियराए पत्ते
उत्तर बड़े-बड़े में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार तथा पियराए
पत्ते में अनुप्रास अलंकार है।
(ख) कोई छह बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो
उत्तर - सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो में उत्प्रेक्षा अलंकार
है।
(ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी-सी आई चली गई
उत्तर-फिरकी-सी में उपमा अलंकार है।
(घ) की दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल
उत्तर-दहर-दहर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार एवं दहर- दहर
दहकेंगे में अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न 6 वसंत आया कविता में कवि की चिंता
क्या है? उसका प्रतिपाद्य (उद्देश्य) लिखिए।
उत्तर-मनुष्य का प्रकृति से दूरी कवि का चिंता का मुख्य विषय
है। आधुनिक जीवन शैली आज कई मानसिक बीमारियों का प्रजनन (जन्म देने वाला) केंद्र बन
गया है। निराशा कुंठा, अवसाद आदि मानसिक बीमारियां आज सामान्य बात बन गई है। अपनी व्यस्त
दिनचर्या में अवकाश पाते ही लोग एक कमरे में बंद होकर समय बिताना पसंद करते हैं। कवि
कहते हैं कि एकांत में घरों में बैठकर किताबी ज्ञान लेने से हम प्रकृति के वास्तविक
सानिध्य से वंचित रह जाते हैं। प्रकृति ऊर्जावान और जीवन को आनंदमय बनाने वाले स्रोत
है। अतः हमें जीवन के आपाधापी से निकलकर प्रकृति के निकट जाना चाहिए और प्रकृति का
सानिध्य प्राप्त करना चाहिए।
प्रश्न 7' प्रकृति मनुष्य की साहचरी है 'इस
विषय पर विचार व्यक्त करते हुए आज के संदर्भ में इस कथन की वास्तविकता पर प्रकाश डालिए
उत्तर -भारत देश में प्रकृति एवं मनुष्य के बीच एक अटूट एवं
नाजुक रिश्ता रहा है। हमारे पूर्वजों ने इन कड़ियों के बीच में संतुलन स्थापित किया
ताकि हम सुरक्षित रह सके। हमारी सभ्यताओं का विकास इन प्राकृतिक संसाधनों के बीच ही
हुआ किंतु आज के भागदौड़ के जीवन में किसी के पास फुर्सत नहीं है कि प्रकृति के साथ
अपना सानिध्य स्थापित कर सके।॥ कुंठा, निराशा, तनाव और घुटन भरी जिंदगी आज सामान्य
बात मानी जाने लगी है किंतु प्रकृति से जुड़कर अवसादो से बचा जा सकता है। प्रकृति हमें
चैतन्य एवं ऊर्जावान बनाती है। प्रकृति का एक-एक हिस्सा हमें कुछ ना कुछ सिखाता है-जैसे
पत्तों का पेड़ों से गिरना मानो यह सिखलाती है कि बदलाव आवश्यक है। रात और दिन का होना
यह बतलाती है कि आराम करना आवश्यक है। चिड़ियों को एक झुंड में उड़ना यह सिखला जाती
है कि एकता हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक है। चीटियों, मधुमक्खियों जैसे छोटे प्राणियों
का श्रम करना यह बतलाता है कि हम में भी अपार संभावनाएं हैं। कविता - तोड़ो कवि - रघुवीर
सहाय हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा में रघुवीर सहाय जी द्वारा रचित उनकी दूसरी कविता तोड़ो
पाठ को सम्मिलित किया गया है। तनाव कुंठा, खीज आदि जैसे मनोभाव सहाय जी की लेखनी का
विषय रहा है, तोड़ो कविता भी इस बात की पुष्टि करती है। कविता का शीर्षक 'तोड़ो' है
जो विध्वंश का सूचक है, किंतु यहां पर 'तोड़ो' शब्द का अर्थ विध्वंस नहीं सृजन का भाव
बोध कराने वाली सूचक शब्द है। आइए तोड़ो कविता के मूल भाव को निम्नलिखित बिंदुओं के
द्वारा समझने का प्रयास किया जाए-
तोड़ो कविता परिचय
1. धरती के समान दृष्टिकोण अपनाना-धरती को सृजन का प्रतीक
माना गया है। इसीलिए तो ऊसर जमीन पर भी हल चला दिया जाए तो वह उपजाऊ बन जाती है और
अपने को फसल के लिए तैयार कर लेती है। ऊसर भूमि जो बरसों से अपने सीने में कंकड़ पत्थर
को समेटे रहती है उपजाऊ होते ही कंकड़, पत्थर रूपी बाधाओं के अस्तित्व को अपने अंदर
समेट लेती है। ठीक उसी प्रकार हमें मन को धरती के समान सृजित करना चाहिए और कुंठा,
क्रोध, खीज रूपी नकारात्मक बाधाओं के अस्तित्व को हमें नष्ट कर देना चाहिए।
2. सकारात्मक ऊर्जा की गणना करना अविश्वास, शंका, कुरीतियों
जैसे बंधनों को गिनने से अच्छा है कि हम अपने सकारात्मक ऊर्जा की गिनती को बढ़ाएं।
सकारात्मक भावनाओं के विकास से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से हम मन में उत्पन्न होने
वाली कुंठा आक्रोश जैसी भावनाओं से दूर रहकर अपने मन की सुन पाएंगे।
3. अपनी क्षमताओं के साथ खड़े होना- जिस प्रकार ऊसर मिट्टी
रस में घोलकर बीज को पोषण प्रदान करती है और धरती पर हरियाली लाती है ठीक उसी प्रकार
हमें अपने मिट्टी रूपी मन में उत्साह और उमंग रूपी रस का संचार करना होगा और इसके लिए
हमें पहले अपने मन से उदासीनता को हटाना होगा।
4. सृजन के लिए मन को निर्देशित (दिशा निर्देश) करने का आग्रह-
कविअपने मन को दिशानिर्देश देने की बात करते हैं। कवि कहते हैं कि द्वेष, ईर्ष्या,
कुंठा आदि जैसे भावनाएं परत दर परत हमारे मन पर अवसाद के रूप में चढ़ते चली जाती है
नतीजा हमारे मन का सृजन के प्रति उदासीन हो जाना है। जिस प्रकार खेत, जमीन, मैदान को
उपजाऊ बनाने के लिए उस पर पड़ी पत्थर, कंकड़ को हटाना आवश्यक है ठीक उसी प्रकार हमें
भी अपने मन को सृजित करने के लिए खीज कुंठा जैसे अवसादो को हटाना आवश्यक है।
मूल काव्यांश 1)
तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये पत्थर ये चट्टानें
ये झूठे बंधन टूटें
तो धरती का हम जानें
सुनते हैं मिट्टी में रस है जिससे उगती दूब है
अपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब है
आधे आधे गाने
1. शब्दार्थ-दूब-एक प्रकार की हरी घास। रस-सुख, आनंद, पोषण। व्यापी चारो
ओर फैला हुआ। मैदान - समतल भूमि। ऊब- निरसता अरुचि, किसी काम को करने में मन ना लगना।
आधा- अधूरा।
2. प्रसंग-उपयुक्त काव्यांश तोड़ो कविता से उद्धृत है इसके रचयिता समकालीन कविता के प्रमुख
कविकार रघुवीर सहाय जी हैं। कवि सृजक के पोषक है। वे मानव मन को सृजित करने का आग्रह
करते हैं। कवि कहते हैं कि हमें अंधविश्वास शंका, कुरीति जैसे बंधन और अवसाद रूपी ऊब
और खीज को मन से निकालकर सृजन के लायक बना देना चाहिए।
3. व्याख्या- धरती को सृजन का प्रतीक माना जाता है किंतु उस धरती को अगर लंबे समय तक जोता - बोया ना
जाए तो वो ऊसर, बंजर बन जाती है। धरती के सीने पर पत्थर और कंकर अपना अस्तित्व जमा
लेते हैं लेकिन हल चलते ही यह कंकड़ पत्थर रूपी बाधाएं अपने अस्तित्व को उपजाऊ भूमि
में विलीन कर देती है। ठीक उसी प्रकार हमारा मन भी शंका, अविश्वास और कुरीतियों जैसे
बाधाओं के चपेट में आकर अपनी सृजन क्षमताओं को अनदेखा कर देती है। कोई काम मन से ना
करने पर हम बुरी तरह से थक जाते हैं और कार्यों को बीच में ही छोड़ देते और हम मन रूपी
मैदान पर फैली उदासीनता का समर्थन करते रहते हैं। जिस प्रकार मिट्टी उत्साह और उमंग
रूपी फसलों को सृजत कर मानव को निहाल कर देती है ठीक उसी प्रकार हमें भी उत्साह, उमंग
विश्वास आदि जैसे रसों से अपने मन को भिगोकर असीम संभावनाओं को जागृत करना चाहिए।
4. विशेष –
i. यह कविता मुक्त छंद रचना है।
ii. कविता प्रतीकात्मक शैली में लिखी गई है।
iii. कविता की भाषा सरल एवं साहित्यिक खड़ी बोली है।
iv. कविता प्रयोगवाद शैली में लिखी गई है।
v. तोड़ो तोड़ो, आधे आधे में अनुप्रास अलंकार है।
vi. उगती दूब उत्साह उमंग का प्रतीक है।
मूल काव्यांश 2)
तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये ऊसर बंजर तोड़ो
ये चरती परती तोड़ो
सब खेत बनाकर छोड़ो
मिट्टी में रस होगा ही जब वह पोसेगी बीज को
हम इसको क्या कर डालें इस अपने मन की खीज को?
गोड़ो गोड़ो गोड़ो
1. शब्दार्थ तोड़ो तोड़ना, प्रहार करना। ऊसर बंजर-अनउपजाऊ भूमि, खेती
ना करने योग्य भूमि। चरती-पशुओं के विचरण करने के लिए छोड़ी गई भूमि। परती-ऐसी भूमि
जिस पर प्रतिवर्ष खेती नहीं की जाती है। पोसेगी -पोषण देना, पालना। खीज झुंझलाहट, कुढ़ना।
गोड़ो पैदा करने योग्य उपजाऊ बनाना।
2. प्रसंग-उपयुक्त काव्यांश 'तोड़ो' कविता से उद्धृत है इसके रचयिता समकालीन कविता के
प्रमुख कवि 'रघुवीर सहाय' जी हैं। कवि सृजन के पोषक है। वे मानव मन को सृजित करने का
आग्रह करते हैं। कवि ने मन पर चढ़ी उदासीनता को ऊसर, बंजर, चरती, परती जैसे नकारात्मक
शब्दों से व्यक्त किया हैं। वे लोगों से आग्रह करते हैं कि अपने मन में कंपन लाकर सृजन
को पोषित करें।
3. व्याख्या -कवि ने ऊसर, बंजर चरती, परती जैसे शब्दों का प्रयोग मन
के खीज के लिए किया है। ऐसे जमीन जिसे जोता-बोया ना जाए, पशुओं की विचरण के लिए छोड़
दिया जाए ऐसे जमीन या क्रियाएं उदासीनता का बोधक है। हमारा मन भी ऐसी गतिविधियों में
शामिल होकर अपनी सृजन शक्ति की अवहेलना करता है। मिट्टी में रस अर्थात पोषण होता है
उस का रस होना ही उसे उपजाऊ बनाता है। जिस प्रकार रस मिट्टी में घोलकर असीमित संभावनाएं
पैदा करती हैं और बीज को पोषित करके उसे फसल का रूप देती है उसी प्रकार हमें भी ऐसे
विचार जो हमारे ऊर्जा को अवशोषित करती हैं उसे बाहर निकालकर अपने लिए सृजन की संभावनाएं
को बढ़ाना है।
विशेष
i. यह कविता मुक्त छंद रचना है।
ii. कविता में प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। ऊसर,
बंजर, चरती परती बाधा का प्रतीक है।
iii. कविता की भाषा खड़ी साहित्यिक बोली है।
iv. चरती परती जैसे देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है।
v. गाड़ो गाड़ो गाड़ो में अनुप्रास अलंकार है।
vi. कावयांश प्रेरणादायक है।
vii. काव्यांश में व्यक्त किए गए शब्द क्रांतिकारी विचार
को बल देता है।
वसंत आयाः बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
1. 'दा' किस प्रकार के शब्द हैं?
(क) क्षेत्रीय शब्द
(ख)
विदेशी शब्द
(ग)
यौगिक शब्द
(घ)
रूढ़ शब्द
2. वसंत आया कविता में कवि किसे याद करता है?
(क) मां को
(ख) बहन को
(ग) दीदी को
(घ) दादी को
3. वसंत आने की सूचना कवि को कौन देता था?
(क) मां
(ख) बहन
(ग) दीदी
(घ) दादी
4. तरु पर बैठी चिड़िया का कुकना कवि को किसके
आवज के समान प्रतीत होता है?
(क) मां
(ख) बहन
(ग) दीदी
(घ) दादी
5. ऊंचे तरुवर से गिरे पीले पत्ते किस बात
का प्रतीक है?
(क)
ग्रीष्म ऋतु के आगमन का
(ख)
शरद ऋतु के आगमन का
(ग) वसंत ऋतु के आगमन का
(घ)
हेमंत ऋतु के आगमन का
6. ऊंचे तरुवर से क्या गिर रहे हैं?
(क) पीले पत्ते
(ख)
हरे पत्ते
(ग)
सूखे पत्ते
(घ)
सुंदर पत्ते
7. 'पियराए पत्ते'शब्द का अर्थ बताएं
(क) क) पीले पत्ते
(ख)
हरे पत्ते
(ग)
सूखे पत्ते
(घ)
सुंदर पत्ते
8. हल्के गुनगुने पानी से कौन नहाया हुआ सा कवि को प्रतीत हो रहा है?
(क)
दोपहर
(ख) सुबह
(ग)
रात
(घ)
शाम
9. 'फिरकी' क्या है?
(क) खिलौना
(ख) मिठाई
(ग) खाद्य पदार्थ
(घ) इनमें से कोई नहीं
10. कवि को वसंत पंचमी की तिथि किसके द्वारा
ज्ञात होती थी?
(क) स्वयं से
(ख) कैलेंडर के द्वारा
(ग) शहर के लोगों द्वारा
(घ) ऑफिस में कार्यरत लोगों के द्वारा
11. आधुनिक लोगों के लिए वंसत पंचमी दिवस का
क्या अर्थ है?
(क) अवकाश का एक दिन
(ख) पूजा का दिन
(ग) खेलने का दिन
(घ) घूमने का दिन
12. कार्यालय में अवकाश किस बात का प्रमाण
था?
(क) वसंत पंचमी का
(ख)
सामान्य दिन का
(ग)
विशेष दिन का
(घ)
इनमें से कोई नहीं
13. हवा का बहाव लेखक को कैसा प्रतीत हो रहा था?
(क)
खिली हुई सी
(ख)
फिरकी खिलौने सी
(ग)
सुखद
(घ) इनमें से सभी
14. वसंत ऋतु में होने वाले परिवर्तनों को कवि किसके माध्यम से जान
पाया था?
(क) किताबों के माध्यम से
(ख)
स्वयं से
(ग)
मित्रों से
(घ)
दफ्तर वालों से
15. कवि किताबों के माध्यम से वसंत ऋतु में होने वाले किन परिवर्तनों
को जान पाया था?
(क)
पलाश फूल का खिलना
(ख)
आम वृक्ष में मंजर लगना
(ग)
भौंरा एवं कोयल का नाचना- गाना
(घ) इनमें से सभी
16. चिड़ियों का कुकना, भंवरों का गुंजन करना,
कोयल का गाना किस ऋतु में देखा जाता हैं?
(क) ग्रीष्म ऋतु में
(ख) शरद ऋतु में
(ग) वसंत ऋतु में
(घ) हेमंत ऋतु में
17. गुनगुनी सुबह, पलाश फूल का खिलना, वनों
का फूलों से लद जाना किस ऋतु की विशेषताएं हैं?
(क) ग्रीष्म ऋतु की
(ख) शरद ऋतु की
(ग) वसंत ऋतु की
(घ) हेमंत ऋतु की
18. कविता में 'रंग-रस-गंध' से क्या आशय है?
(क) फूल
(ख) मिठाई
(ग) सब्जी
(घ) पकवान
19. 'दूर के विदेश के वे नंदन-वन का अभिप्राय
बताएं?
(क) इंद्र का वन
(ख) जादू का वन
(ग) चंद्र का वन
(घ) धरती का वन
20. एक लंबे समय के बाद कवि को किस बात का
पछतावा होता है?
(क) घर में रहने का
(ख) दफ्तर में काम करने का
(ग) प्रकृति से दूर रहने का
(घ) लोगों से बातचीत करने का
21. वसंत आया कविता में कवि किस बात को लेकर
चिंतत हैं?
(क) लोगों का प्रकृति से दूर होना
(ख) प्रकृति से निकटता
(ग) जंगलों का नष्ट होना
(घ) जंगलों की कमी
22. वसंत की ऋतु में कौन अपना-अपना कृतित्व
(करतब) दिखाते हैं?
(क)
कोयल और कबूतर
(ख) भौरे और कोयल
(ग)
कौवा और कोयल
(घ)
कौवा और कबूतर
23. पंचमी के दिवस को कवि कैसा दिवस मानते आए थे?
(क) नगण्य (तुच्छ)
(ख)
महत्वपूर्ण
(ग)
उत्तम
(घ)
सर्वोत्तम
24. फुटपाथ, कैलेंडर किस प्रकार के शब्द हैं?
(क)
देशज
(ख) अंग्रेजी के
(ग)
यौगिक शब्द
(घ)
रूढ़ शब्द
25. ढाक के जंगल का अर्थ बताएं।
(क)
कनेर का जंगल
(ख)
घना जंगल
(ग) पलाश का जंगल
(घ)
सुंदर जंगल
26. वसंत ऋतु में ढाक के जंगल कैसे दिखते हैं?
(क) दहकते हुए अग्नि के समान
(ख) सामान्य
(ग) नीरस
(घ) घना
27. आम के बौर (मंजरी) किस ऋतु में लगते हैं?
(क) वसंत ऋतु
(ख) शरद ऋतु
(ग) हेमंत ऋतु
(घ) शिशिर ऋतु
28. बड़े-बड़े पियराए पत्ते में कौन सा अलंकार
है?
(क) उपमा अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) अतिशयोक्ति अलंकार
29. बड़े-बड़े में कौन सा अलंकार है?
(क) उपमा अलंकार
(ख)
उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग)
अनुप्रास अलंकार
(घ) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
30.' कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो' में कौन सा अलंकार
है?
(क)
उपमा अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग)
अनुप्रास अलंकार
(घ)
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
31.' खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई चली गई' में कौन सा अलंकार है?
(क) उपमा अलंकार
(ख)
उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग)
अनुप्रास अलंकार
(घ)
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
तोड़ो पाठ का प्रश्न - अभ्यास
प्रश्न 1 पत्थर और चट्टान शब्द किसके प्रतीक
हैं?
उत्तर - वैसे तो पत्थर और चट्टान दृढ़ इच्छा शक्ति के प्रतीक
होते हैं किंतु रघुवीर सहाय जी ने अपनी तोड़ो नामक कविता में पत्थर और चट्टान को बाधा
के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 2 कवि को धरती और मन की भूमि में क्या
क्या सामानताएं दिखाई पड़ती है?
उत्तर-धरती को सृजन का प्रतीक माना जाता
है किंतु उस धरती को अगर लंबे समय
तक जोता - बोया ना जाए तो वो ऊसर, बंजर बन जाती है। धरती के सीने पर पत्थर और कंकर
अपना अस्तित्व जमा लेते हैं लेकिन हल चलते ही यह कंकड़ पत्थर रूपी बाधाएं अपने अस्तित्व
को उपजाऊ भूमि में विलीन कर देती है। ठीक उसी प्रकार हमारा मन भी शंका, अविश्वास और
कुरीतियों जैसे बाधाओं के चपेट में आकर अपनी सृजन क्षमताओं को अनदेखा कर देती है जिस
प्रकार मिट्टी रस को पाकर बीज बोने की क्षमता से परिपूर्ण हो उठती है और उत्साह और
उमंग रूपी फसलों कोसृजत कर मानव को निहाल कर देती है ठीक उसी प्रकार हमें भी उत्साह,
उमंग, विश्वास आदि जैसे रसों से अपने मन को भिगोकर असीम संभावनाओं को जगाना चाहिए।
प्रश्न 3 भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
मिट्टी में रस होगा ही जब वह पोसेगी बीज को
हम इसको क्या कर डालें इस अपने मन की खीज को?
गोड़ो गोड़ो गोड़ो
उत्तर - मिट्टी में रस अर्थात् पोषण होता है
उस का रस होना ही उसे उपजाऊ बनाता
है। जिस प्रकार रस मिट्टी में घोलकर असीमित संभावनाएं पैदा करती हैं बीज को पोषित करके
उसे फसल का रूप देती है उसी प्रकार हमें ऐसे विचार जो हमारे ऊर्जा को अवशोषित करती
हैं उसे बाहर निकलना जरूरी है नकारात्मक ऊर्जा को उंगलियों पर गिननेकी अपेक्षा उससे
बाहर निकालना आवश्यक हैऔर अपने लिए सृजन की संभावनाएं को बढ़ाना है।
प्रश्न 4: कविता का आरंभ 'तोड़ो तोड़ो तोड़ो'
से हुआ है और अंत 'गोड़ो गोड़ो गोड़ो' से। विचार कीजिए कि कवि ने ऐसा क्यों किया?
उत्तर - तनाव, कुंठा, खीज आदि जैसे
मनोभाव सहाय जी की लेखनी का विषय
रहा है, तोड़ो कविता भी इस बात की पुष्टि करती है। कविता का शीर्षक 'तोड़ो' है, जो
विध्वंश का सूचक है, किंतु यहां पर तोड़ो शब्द विध्वंस नहीं, सृजन का भाव बोध कराती
है। कवि ऐसे सारे बंधनों को तोड़ने का आग्रह करते हैं जो हमारे मन को सृजन करने से
रोकती है। कवि ने अपनी बात को पाठकों तक लाने के लिए बंजर, ऊसर चरती, परती जैसे जमीन
को बाधा के तौर पर प्रयोग किया है। सृजन करना धरती का गुण है किंतु अगर धरती को बोया
- जोता ना जाए, उसे पशुपालन के विचरण के लिए छोड़ दिया जाए, तो ऐसी गतिविधियां भूमि
की उर्वरा शक्ति को छीन लेती है। ठीक हमारा मन भी अनावश्यक एवं व्यर्थ के भावों को
रखकर बुरे भावों को स्वीकार करता चला जाता है और अपनी मन की उर्वरा को खो देता है।
कवि कहते हैं हम धरती को उर्वरक बनाने के लिए कई उपाय करते है-जैसे हल चलाते हैं, बीज
बोते हैं। ठीक उसी प्रकार मन रूपी जमीन को उर्वरक बनाने के लिए हमें शंकारहित भाव,
कुरीतियों का त्याग एवं विश्वास आदि जैसे अच्छी ऊर्जा के भाव को स्वीकार करते हुए अपने
मन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना चाहिए, ताकि हमारी सृजन की संभावनाएं बढ़ सके।
प्रश्न 5 ये झूठे बंधन टूटें
तो धरती को हम जानें
यहां पर झूठे बंधनों और धरती को जानने से क्या
अभिप्राय हैं?
उत्तर - अविश्वास, शंका, कुरीतियों जैसे बंधन मन के लिए झूठे
बंधन माने गये है। ऐसे नकारात्मक भावनाओं को गिनने से अच्छा है कि हम अपने सकारात्मक
ऊर्जा की गिनती बढ़ाएं। धरती का काम है सृजन करना किंतु जब उस पर कंकड़ और पत्थर रुपी
बाधाएं लंबे समय तक जम जाती है तो भूमि अपनी उर्वरता को खो देती है। अपनी उर्वरता को
पाने का एकमात्र तरीका यह है कि इन कक्कड़ पत्थर को तोड़ कर अपने में विलीन कर लेना,
ताकि मिट्टी को फसल के लिए तैयार किया जा सके। ठीक उसी प्रकार अविश्वास, शंका कुरीतियों
जैसी भावनाओं को नष्ट करके मन को सकारात्मक सृजन के लिए तैयार किया जा सकता है।
प्रश्न 6-आधे-आधे गाने के माध्यम से कवि क्या
कहना चाहता है?
उत्तर - कवि आधे-आधे गाने के माध्यम से मन के अधूरे पन को
दर्शाना चाहते हैं। मन में व्याप्त ऊब और खीज के कारण हम कोई भी कार्य करने में थक
से जाते हैं, काम के प्रति हमारी रुचि समाप्त हो जाती है इसलिए प्रायः लोग काम को अधूरा
ही छोड़ देते हैं। वैसे देखा जाए तो या प्रश्न हमारे आधुनिक जीवन शैली पर प्रश्नचिन्ह
खड़ा करता है। जहां पहले के लोग केवल शारीरिक बाधाओं जैसी समस्याओं पर उबते या खीजते
थे वही आज लोग छोटी-छोटी बातों पर तनाव, कुंठा ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि जैसे नकारात्मक
भावनाओं से ग्रसित हो जाते हैं।
7. 'दा' किस प्रकार के शब्द हैं?
एक प्रकार का क्षेत्रीय शब्द है। इस शब्द का प्रयोग सम्मान
देने के लिए किया जाता है।
8. कवि अपनी किस प्रिय व्यक्ति को कविता में
याद करता है और क्यों?
उत्तर - कवि अपने प्रिय बहन को याद करता है क्योंकि वसंता
आगमन की सूचना उन्हें अपनी बहन के द्वारा ही प्राप्त होती थी।
9. तरु पर बैठी चिड़िया का कुकना कवि को क्या
याद दिलाता है?
उत्तर - चिड़िया की कोमल आवाज कवि को अपनी बहन की याद दिलाती
है क्योंकि उनकी बहन भी इतने ही मधुरता से उन्हें 'दा' कहकर पुकारा करती थी।
10. लाल बजरी का अर्थ बताएं?
उत्तर - लाल कण से युक्त मिट्टी को लाल बजरी कहा जाता है।
11. ऊंचे तरुवर से गिरे पीले पत्ते किस बात
का प्रतीक है?
उत्तर - ऊंची तरुवर से गिरे पीले पत्ते इस बात की सूचना देती
है कि वसंत का आगमन हो चुका है।
12. वसंत ऋतु में पीले पत्तों का गिरना किस
बात का प्रतीक है?
उत्तर - वसंत ऋतु में पीले पत्तों का गिरना इस बात का सूचक
है कि नए को मौका देने के लिए पुराने को अपनी जगह छोड़ना आवश्यक है।
13. सुबह की हवा कवि को कैसी प्रतीत हुई?
उत्तर - हल्के गुनगुने पानी से नहायी हुई लेखक को सुबह की
हवा प्रतीत हुई।
14. फिरकी क्या है?
उत्तर - हवा के बहाव के सहारे गोल-गोल घूमने वाला एक खिलौने
का नाम फिरकी है। यह खिलौना हवा के सहायता से गोल-गोल नाचती सी प्रतीत होती है।
15. फिरकी-सी हवा आई का अर्थ बताएं?
उत्तर - कवि को वसंत ऋतु की हवा फिरकी खिलौने की भांति लग
रही थी क्योंकि वातावरण के अनुकूल हो जाने से हवाएं खिलौने की भांति नाचती सी प्रतीत
हो रही थी।
16. कवि को प्रकृति में होने वाले किन-किन
परिवर्तनों से ज्ञात हुआ कि वसंत ऋतु आ गई है?
उत्तर - पीले पत्तों का गिरना, चिड़ियों की कुकने की आवाज,
हवा में हल्का गुनगुना पन महसूस होना आदि परिवर्तनों से उन्हें ज्ञात हुआ कि वसंत की
ऋतु आ गई है।
17. कवि को वसंत ऋतु के आगमन की सूचना कैसे
प्राप्त होती थी?
उत्तर - कैलेंडर में दिए गए तारीख के हिसाब से दफ्तर में
जब छुट्टी होती थी तब उन्हें ज्ञात होता था कि वसंत ऋतु का आगमन हो चुका है।
18. आधुनिक लोगों के लिए वसंत पंचमी दिवस का
क्या अर्थ है?
उत्तर - आधुनिक लोगों के लिए पंचमी का दिवस केवल एक दिन की
छुट्टी का दिन है किंतु पुराने जमाने के लोग वसंत ऋतु के पंचमी दिवस को बड़ी धूम-धाम
से उत्सव के रूप में मनाया करते थे।
19. कवि किताबों के माध्यम से वसंत ऋतु में
होने वाले किन परिवर्तनों को जान पाया था?
उत्तर - जंगल में अग्नि की भांति पलाश फूल का खिलना, आम के
वृक्षों पर बौरे (मंजरी) आना एवं फूलों से लदे हुए नंदनवन में भौरोंएवं कोयल के क्रियाकलापों
को किताबों के माध्यम से कवि ने जाना था।
20. 'रंग-रस-गंध लदे फंदे दूर के विदेश के '।' में निहित भाव क्या है?
उत्तर - रंग-रस- गंध का अर्थ फूलों
से है। प्रकृति का फूलो एवं फलो से भर जाने को यहां पर लदे - फंदे शब्दो के द्वारा
व्यक्त किया गया है।
21.' दूर के विदेश के वे नंदन-वन होवेंगे यशस्वी' में निहित भाव का
अर्थ बताएं।
उत्तर - नंदनवन का अर्थ इंद्र या स्वर्ग
का वन है। इसीलिए कवि ने उसे दूर का देश माना है एक ऐसा देश जिसके बारे में केवल सुना
गया है लेकिन देखा नहीं गया है किंतु दंत कथाओं के अनुसार यह नंदनवन वसंत के ऋतु में
अनुपम सौंदर्य के कारण सुप्रसिद्ध है।
22. वसंत की ऋतु में भौरे और कोयल अपना-अपना कृतित्व (करतब) किस प्रकार
से दिखाते हैं?
उत्तर - प्रकृति वसंत ऋतु में पूरी
तरह से धरती को फूलों और फलों से लाद देती है जिसके कारण ऐसे जीव जंतु और पक्षी जो
फल एवं फूलों पर निर्भर होते हैं अच्छी पोषण एवं अनुकूल वातावरण को पाकर मदमस्त होकर
फूलों और फलों पर मंडराती नजर आती हैं। कोयल अपनी मृदु आवज से एवं भौंरे अपने गुंजन
से प्रकृति को विभोर कर देती है।
23. कवि के लिए पंचमी का दिन नगण्य (तुच्छ) दिवस क्यों था?
उत्तर - भाग-दौड़ की आधुनिक जीवन शैली
में लेखक को इस बात की फुर्सत नहीं थी कि वह प्रकृति के साथ अपना वक्त बिताएं। इसलिए
लेखक के लिए पंचमी का दिन केवल छुट्टी का दिवस के रूप में था इसलिए कवि ने उस दिन को एक नगण्य (तुच्छ) दिवस
के रूप में जाना है।
24. कवि को वसंत ऋतु का अनुभव किस प्रकार से
होता है?
उत्तर - एक दिन फुटपाथ पर चलते हुए लेखक ने प्रकृति में होने
वाली ढेर सारे परिवर्तनों को देखा। चिड़ियों के कुकने की आवाज, पीले पत्तों का लाल
बजरी पर गिरा होना एवं गुनगुनाती हवा का शरीर से स्पर्श करके निकल जाना आदि क्रियाकलापों
से लेखक को अनुभव होता है कि प्रकृति में वसंत ऋतु का आगमन हो चुका है।
25. कवि को किस बात का पछतावा होता है?
उत्तर - एक लंबे समय तक उन्होंने प्रकृति में होने वाले परिवर्तन
को अपनी बहन या किताब के द्वारा जाना जब उन्होंने स्वयं उसका अनुभव किया तब उन्हें
अपनी गलती का एहसास हुआ।
26. वसंत आया कविता में कुछ देशज शब्द आए हैं
लिखें?
उत्तर - दा, चुरमुराए, पांव, पियराए, ढाक।
27. फुटपाथ, कैलेंडर किस प्रकार के शब्द हैं?
उत्तर - अंग्रेजी के।
28. वसंत आया कविता का मूल संदेश क्या है?
उत्तर - आज के भाग दौड़ की आधुनिक जीवन शैली में लोगों ने
जिस तरह से प्रकृति से दूरी बना ली है वह मनुष्य के लिए उचित नहीं है। प्रकृति और मनुष्य
के बीच निकटता होनी चाहिए। यही कविता का मूल संदेश है।
तोड़ो कविता : लघु उत्तरीय प्रश्न
1) कविता में 'तोड़ो' शब्द किसका प्रतीक है?
उत्तर - 'तोड़ो' शब्द यहां कोई विध्वंसक शब्द नहीं है बल्कि
ऊब, कुंठा तनाव, अविश्वास, शंका एवं रूढ़ियों को अपने मन से हटाने की क्रिया है।
2) कविता में पत्थर और चट्टान किसका प्रतीक
है?।
उत्तर - कविता में पत्थर और चट्टान बाधाओं का प्रतीक है।
3) कविता में किस झूठे बंधन को तोड़ने की बात
की गई है? और क्यों?
उत्तर - मनुष्य द्वारा बनाए कुरीतियों, अविश्वास शंका आदि
जैसे मनोभाव को कविता में झूठे बंधन कहा गया हैं क्योंकि यह सारे बंधन हमें आगे बढ़ने
नहीं देता।
4) कविता में धरती किसका प्रतीक है?
उत्तर - कविता में धरती हमारे मन का प्रतीक है।
5) हम अपने मन की सृजन शक्ति को क्यों नहीं
पहचान पाते?
उत्तर - हम अपने मन की सृजन शक्ति को नहीं पहचान पाते क्योंकि
बहुत से झूठी बंधनों में हम जकड़े रहते हैं। ऊब, खीज, शंका कुंठा अविश्वास आदि जैसे
कई मनोभाव से हमारा मन घिरा रहता है इसलिए हम अपने मन को स्वयं ही नहीं पहचान पाते।
6) ऊब, और खीज आदि जैसी भावनाएं हमारे मन में
क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर - जब हमारा मन शंका, अविश्वास और रूढ़ियों आदि जैसी
भावनाओं को आश्रय देता है तब हमारे मन में ऊबऔर खींच उत्पन्न होती है।
7) मिट्टी और मन में क्या समानताएं हैं?
उत्तर - मिट्टी और मन दोनों में सृजन करने की क्षमताएं हैं।
8) मिट्टी में किस प्रकार की सृजन क्षमता है?
उत्तर - मिट्टी अपने अंदर पोषक तत्व को जमा करके रखती है।
इन पोषक तत्वों के द्वारा ही एक छोटे से बीज में अंकुरण आता है और फिर एक नए पौधे का
जन्म होता है।
9) हमारे मन रूपी मैदान पर क्या व्याप्त (फैला
होना) है?
उत्तर - हमारे मन रूपी मैदान पर ऊब, खीज, शंका अविश्वास आदि
जैसी भावनाएं व्याप्त है।
10) आज अधिकांश व्यक्ति आधे-आधे गाने क्यों
गा रहा है?
उत्तर - आज भाग-दौड़ की आधुनिक जीवन शैली में लोग निराशा,
तनाव, कुंठा आदि जैसे भावनाओं से ग्रसित है। यह भावनाएं हमारे मन में ऊब उत्पन्न करता
है। यह ऊब कोई भी काम मन लगाकर करने से रोकता है इसलिए काम में अधूरापन रह जाता है।
11) ऊसर शब्द का अर्थ बताएं?
उत्तर - अनुपजाउऊ भूमि को ऊसर कहते हैं। ऐसी भूमि पर फसलों
का उत्पादन नहीं होता।
12) चरती शब्द का अर्थ बताएं?
उत्तर - ऐसी भूमि जो पशुओं के चरने के लिए छोड़ दी जाती है
उसे चरती भूमि कहते हैं।
13) परती शब्द का अर्थ बताएं?
उत्तर - ऐसी भूमि जिसे जूता-बोया ना गया हो।
14) कवि किस भूमि को खेत बनाने का आग्रह करते
हैं?
ऊसर, बंजर, चरती, परती जैसे अनुपजाऊ भूमि को खेत बनाने का
आग्रह कवि करते हैं।
15) खेत शब्द का अर्थ बताएं?
उत्तर - ऐसी भूमि जिस पर फसलें उगाई जाती है जो उर्वरा शक्ति
से परिपूर्ण होती है और जिसमें रस रूपी पोषक तत्व पाए जाते हैं ऐसी भूमि को कवि खेत
कहते हैं।
16) कविता में खेत शब्द का प्रयोग किस भावना
से की गई है?
उत्तर - कविता में खेत शब्द का प्रयोग उत्साह वर्धन के रुप
में किया गया है। खेत ऊसर बंजर जैसी बाधा को अपने से दूर रखती है। उसी प्रकार हमें
अपने मन में ऊब, खीज आदि बाधाओं को पलने नहीं देना चाहिए।
17) पत्थर और चटाने उपजाऊ भूमि के लिए क्या
है?
उत्तर - पत्थर और चट्टाने उपजाऊ भूमि के लिए बाधा
है।
18) पत्थर और चट्टानें उपजाऊ भूमि के लिए बाधा
है कैसे?
उत्तर - पत्थर और चट्टाने जब लंबे समय तक भूमि पर पड़ी रहती
है तो ये पत्थर और चट्टानें भूमि की उर्वरा शक्ति को समाप्त करके उसे बंजर बना देती
है।
19) 'ऊब' और 'खीज' मन के लिए क्या है?
उत्तर - 'ऊब' और 'खीज' मन के लिए एक प्रकार का बाधा है।
20) 'ऊब' और 'खीज' मन के लिए बाधा है कैसे?
उत्तर - लंबे समय तक मन में अगर खीज और ऊब बनी रहे तो यह
मन की सृजन शक्ति को समाप्त करती है इस प्रकार से ऊब और खीज मन के लिए बड़ी चुनौती
अथवा बाधा है।
21) उसर और बंजर भूमि की तुलना किससे की गई
है?
उत्तर - ऊसर और बंजर भूमि की तुलना मन से की गई है।
22) मिट्टी में पड़ी बीज का पोषण कौन करता
है?
उत्तर - मिट्टी में पड़ी बीज का पोषण मिट्टी में घुली रस
करता है।\
23) बीज किसका प्रतीक है?
उत्तर - बीज सृजन का प्रतीक है एक छोटे से बीज में नए पौधे
उगाने की क्षमता होती है। यह बीज मिट्टी को रस उत्पन्न करने के लिए बाध्य करती है।
24) हमें सृजन के लिए अपने मन में कैसी भावनाओं
को आश्रय देना चाहिए?
उत्तर - जब हम अपने मन में उत्साह, आशा, विश्वास आदि जैसे
भाव को पलने देंगे तब ऊब, खीज कुंठा, आदि जैसे नकारात्मक भावनाएं हमारे मन में पनपने
नहीं पाएगी।
25) मन पर पड़ी ऊब और खीज को तोड़ने के लिए
कवि क्यों कहते हैं?
उत्तर - जब मिट्टी अपने ऊपर पड़ी चट्टान और पत्थर रूपी बाधाओं
को हटा देगी तो वह बीज का पोषण करने के लिए अवश्य तैयार हो जाएगी। उसी प्रकार मन पर
पड़ी बाधा रूपी ऊब और खीज जब हम तोड़ डालेंगे तब हमारा मन भी सृजन करने के लिए तैयार
हो जाएगा।
26) कवि ने गोड़ो शब्द का प्रयोग क्यों किया
है?
उत्तर - कवि ने गोड़ो शब्द का प्रयोग सृजन करने के लिए किया
है। कवि कहते हैं कि मन रूपी धरती से हमें बाधा रुपी खीजऔर ऊब को निकाल फेंकना है और
मन को सृजन के लिए तैयार करना है।
तोड़ो कविता : बहु वैकल्पिक प्रश्न
1. 'तोड़ो' कविता किसकी रचना है?
(क) रघुवीर सहाय
(ख) विष्णु खरे
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
(घ) जयशंकर प्रसाद
2. तोड़ो कविता किस शैली में लिखी गई कविता
है?
(क) उद्बोधन शैली
(ख) आत्मपरक शैली
(ग) वर्णनात्मक शैली
(घ) विवरणात्मक शैली?
3. कविता में 'तोड़ो 'शब्द किसका प्रतीक है?
(क) विध्वंस का
(ख) बाधाओं का
(ग) बाधाओं को हटाने का
(घ) इनमें से कोई नहीं
4. कविता में 'पत्थर' और 'चट्टानें' किसका
प्रतीक है?
(क) बाधा का
(ख) खुले रास्ते का
(ग) सफलता का
(घ) उत्साह का
5. कविता में किस झूठे बंधन को तोड़ने की बात
की गई है?
(क) अविश्वास
(ख) शंका
(ग) कुरीति
(घ) इनमें से सभी
6. कवि ऊसर, बंजर, चट्टान चरती, परती भूमि
को तोड़ने का आवह्वन क्यों करते हैं?
(क) सृजन के लिए
(ख) विध्वंस के लिए
(ग) बाधा के लिए
(घ) बंधन के लिए
7. हमें आगे कौन बढ़ने नहीं देता?
(क) झूठे बंधन
(ख) ऊब
(ग) खीज
(घ) इनमें से सभी
8. 'तोड़ो' कविता में धरती किसका प्रतीक है?
(क) मन का
(ख) शरीर का
(ग) पंचतत्व का
(घ) उपज का
9. मिट्टी और मन में क्या समानताएं हैं?
(क) सृजन की क्षमता
(ख) विध्वंस की क्षमता
(ग) बाधा उत्पन्न करने की क्षमता
(घ) इनमें से सभी
10. मिट्टी में रस किसका प्रतीक है?
(क) सृजन का
(ख) विध्वंस का
(ग) बाधा का
(घ) प्रलय का
11. उगती दूब किसका प्रतीक है?
(क) उत्साह का
(ख)
हरियाली का
(ग)
फसल का
(घ)
पैदावार का
12. हमारे मन रूपी मैदान पर क्या व्याप्त (पाया जाना) है?
(क) ऊब
(ख)
उत्साह
(ग)
उमंग
(घ)
इनमें से सभी
13. आज अधिकांश व्यक्ति आधे-आधे गाने क्यों गा रहा है?
(क)
क) ऊब
(ख)
खीज
(ग)
कुंठा
(घ) इनमें से सभी के कारण
14. ऊसर शब्द का अर्थ बताएं?
(क)
उपजाऊ भूमि
(ख) अनुपजाओ भूमि
(ग)
उपयोगी भूमि
(घ)
गुणवत्ता युक्त भूमि
15. कवि ने कैसी भूमि को खेत बनाने का आग्रह किया है?
(क)
ऊसर भूमि
(ख)
चरती भूमि
(ग)
परती भूमि
(घ) इनमें से सभी
16. मिट्टी में रस होने से वह किसका पोषण करेगी?
(क) बीज का
(ख)
फसल का
(ग)
पौधे का
(घ)
परती जमीन का
17. ऊब और खीज मन के लिए क्या है?
(क) बाधा
(ख)
उत्साह
(ग)
ऊर्जा
(घ)
उमंग
18. सृजन के लिए कवि ने किस शब्द का प्रयोग किया है?
(क)
तोड़ो
(ख) गोड़ों
(ग)
जोड़ों
(घ)
छोड़ो
19. तोड़ो तोड़ो, आधे आधे में कौन सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख)
उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग)
अतिशयोक्ति अलंकार
(घ)
रूपक अलंकार
JCERT/JAC REFERENCE BOOK
Hindi Elective (विषय सूची)
भाग-1 | |
क्रं.सं. | विवरण |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
17. | |
18. | |
19. | |
20. | |
21. | |
भाग-2 | |
कं.सं. | विवरण |
1. | |
2. | |
3. | |
4. |
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
6 | ||
7 | ||
8 | ||
Class 12 Hindi Elective (अंतरा - भाग 2)
पद्य खण्ड
आधुनिक
1.जयशंकर प्रसाद (क) देवसेना का गीत (ख) कार्नेलिया का गीत
2.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति
3.सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय (क) यह दीप अकेला (ख) मैंने देखा, एक बूँद
4.केदारनाथ सिंह (क) बनारस (ख) दिशा
5.विष्णु खरे (क) एक कम (ख) सत्य
6.रघुबीर सहाय (क) वसंत आया (ख) तोड़ो
प्राचीन
7.तुलसीदास (क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद
8.मलिक मुहम्मद जायसी (बारहमासा)
11.घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)
गद्य-खण्ड
12.रामचंद्र शुक्ल (प्रेमघन की छाया-स्मृति)
13.पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी (सुमिरिनी के मनके)
14.ब्रजमोहन व्यास (कच्चा चिट्ठा)
16.भीष्म साहनी (गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात)
17.असगर वजाहत (शेर, पहचान, चार हाथ, साझा)
18.निर्मल वर्मा (जहाँ कोई वापसी नहीं)
19.रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)
21.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (कुटज)
12 Hindi Antral (अंतरा)
1.प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी