12th Hindi Elective आरोहण JCERT/JAC Reference Book

12th Hindi Elective आरोहण JCERT/JAC Reference Book

 

12th Hindi Elective आरोहण JCERT/JAC Reference Book

2. आरोहण

संजीव हिन्दी साहित्य की जनवादी धारा के प्रमुख कथाकारों में से एक हैं। कहानी एवं उपन्यास दोनों विधाओं में समान रूप से रचनाशील। प्रायः समाज की मुख्यधारा से कटे विषयों, क्षेत्रों एवं वर्गों को लेकर गहन शोधपरक कथालेखक के रूप में मान्य।

जन्म - 6 जुलाई 1947

गाँव - बाँगर कलाँ, सुल्तानपुर, (उत्तर प्रदेश)

शिक्षा - बी०एस०सी०, ए०आई०सी०

व्यवसाय-1965 से 2003 ई० तक इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी, कुल्टी में केमिस्ट इंचार्ज ।

वहां से स्वैच्छिक सेवा-अवकाश लेने के पश्चात् कुछ महीने हैदराबाद विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर रहे। कुछ महीने तक 'अक्षरपर्व' (रायपुर) के संपादक रहे। करीब साल भर तक माधव प्रकाशन में संपादन कार्य करने के बाद राजेन्द्र यादव द्वारा 'हंस' के कार्यकारी संपादक नियुक्त होकर दिल्ली में ही रहने लगे। 'हंस' के संपादन से मुक्त होने के बाद भी स्वतंत्र लेखन करते हुए अनेक वर्षों से दिल्ली में ही रह रहे हैं।

लेखन कार्य

संजीव हिन्दी साहित्य में साठोत्तरी दौर के बाद जनवादी कथान्दोलन के प्रायः साथ- साथ विकसित पीढ़ी के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। कहानी एवं उपन्यास दोनों विधाओं में उन्होंने समान रूप से क्रियाशीलता एवं दक्षता का परिचय दिया है। अब तक उनके 13 कहानी संग्रह और 11 उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनके अतिरिक्त दो बाल उपन्यास एवं कुछ अन्य रचनाएँ भी प्रकाशित हैं।

लगभग चार दशकों की लंबी लेखन-अवधि में फैली उनकी कहानी-यात्रा के पाठ केंद्रित आलोचन-विश्लेषण के क्रम में डॉ० रविभूषण उनकी कहानियों को 'स्वतंत्र भारत की वास्तविक कथा' का अभिधान देते हैं-

"संजीव की कहानियों का फलक व्यापक है। प्रेमचन्द और यशपाल को छोड़कर इतने बड़े कथा-फलक का अन्य कोई कथाकार हिन्दी में नहीं है। "

प्रकाशित कृतियाँ

कहानी संग्रह- तीस साल का सफरनामा (1981)

आप यहाँ हैं (1984)

भूमिका और अन्य कहानियाँ (1987)

दुनिया की सबसे हसीन औरत (1990

प्रेतमुक्ति (1991)

प्रेरणास्रोत और अन्य कहानियाँ (1996)

ब्लैक होल (1997)

डायन और अन्य कहानियाँ (1999)

खोज (2000)

गली के मोड़ पर सूना-सा कोई दरवाजा (2008)

संजीव की कथायात्रा (सम्पूर्ण कहानियाँ, तीन खण्डों में) -2008

झूठी है तेतरी दादी -2012

गैर इरादतन हत्या उर्फ मृत्युपूर्व का इक़बालिया बयान (पूर्व में असंकलित प्रारंभिक कहानियों का संकलन) -2015

वह कौन थी (नवीन कहानी संग्रह)-2019

उपन्यास - किसनगढ़ के अहेरी -1981 (पुनर्लिखित रूप अहेर -2020)

सर्कस -1984, सावधान! नीचे आग है-1986

धार - 1990, पाँव तले की दूब -1995

जंगल जहाँ शुरु होता है -2000

सूत्रधार -2000, आकाश चम्पा-2008, रह गईं दिशाएँ इसी पार-2011, फाँस -2015 , प्रत्यंचा

नाटक-ऑपरेशन जोनाकी

बाल साहित्य - रानी की सराय, डायन

तीसरी नाक/भिड़ंत

यात्रा साहित्य-सात समंदर पार

पाठ परिचय

जनवादी कहानी 'आरोहण' लेखक संजीव द्वारा रचित एक यात्रा वृतांत की भांति लिखी कहानी है। इस कहानी में पात्रों के माध्यम से पर्वतीय प्रदेश के जीवन संघर्ष तथा प्राकृतिक परिवेश को उनकी भावनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से चित्रित किया गया है। मैदानी और समतल स्थानों की तुलना में पर्वतीय प्रदेशों का जीवन अधिक कठिन, जटिल, कष्टप्रद, दुखद और संघर्ष में होता है।

इसी संघर्षशील जीवन का सुंदर विवरण इस कहानी में किया गया है।

आरोहण पाठ के प्रमुख पात्र-

भूप सिंह का पिता रूप सिंह का बड़ा भाई व महेश

रूप सिंह - भूप सिंह का छोटा भाई

शैला - महीप की मां व भूप सिंह की पत्नी

महीप - भूप सिंह व शैला का बेटा

शेखर - गॉडफादर का बेटा व रूप सिंह का दोस्त

त्रिलोक सिंह - गांव का बूढ़ा आदमी

कहानी का सार

प्रायः लोग रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़कर बाहर जाते ही रहते हैं और रोजगार पाकर समय-समय पर अपने घर लौटते रहते हैं। तब उनके मन में हर्ष तथा गर्व का भाव होता है। पर रूप सिंह को एक अजीब किस्म की लाज, अपनत्व और झिझक की भावना होने लगती है।

वह पर्वतारोहण संस्थान में ₹4000 महीने की अच्छी नौकरी पा गया था। ग्यारह साल पहले गांव में भूस्खलन हुआ, भूप सिंह के मां-बाप खेत घर सब मलबे में दब जाते हैं। किसी तरह भूप दादा बस जाते हैं, भूप शैला नाम की लड़की से विवाह करके अपने जीवन की एक नई शुरुआत करता है। दोनों की मेहनत व लगन से खेती बढ़ती चली गई फिर उन दोनों ने पहाड़ को काटकर कड़ी मेहनत से झरने को खेत तक मोड़ने में सफलता हासिल की।

सैलानी शेखर और रूप सिंह घोड़े पर चलते हुए उस लड़के के रोजगार के बारे में सोच रहे थे जिसने उनको घोड़े पर सवार कर रखा था और स्वयं पैदल चल रहा था। उसका नाम महीप था वह अपने पिता भूप सिंह से नाराज होकर स्वयं मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था।

हम भी बाल मजदूरी के बारे में सोचते हैं बच्चों की यह उम्र तो पढ़ने लिखने की होती है। रूप सिंह ने पर्वतारोहण संस्थान में पहाड़ों पर चढ़ना भली प्रकार से सीखा था। वहां वह आधुनिक उपकरणों की सहायता से पहाड़ों पर चढ़ता था। यहां सिर्फ पेड़, पत्थरों के नाम मात्र सपोर्ट से शरीर का संतुलन बनाए रखना उसे कठिन प्रतीत हो रहा था। यही कारण था रूप सिंह थोड़ी ही देर में हांफ गया था। इसके विपरीत रूप का बड़ा भाई भूप सिंह ना जाने वनमानुष थे या रोबोट। वे चढ़ाई चढ़ते समय जिस धैर्य, आत्मविश्वास , ताकत और कुशलता से मांसपेशियों और अंगों का उपयोग कर रहे थे, वह रूप सिंह और शेखर के लिए हैरत की बात थी।

रूप सिंह ने बूढ़े त्रिलोकी सिंह को बताया कि पर्वतारोहण संस्थान पहाड़ पर चढ़ने की नौकरी के लिए उसे ₹4000 प्रतिमाह तनखा देती है। तब बूढ़े त्रिलोकी सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब लगा क्योंकि पहाड़ पर चढ़ना आम बात है। त्रिलोक सिंह को लगता है कि यह तो हमारा रोजमर्रा का काम है, इस काम के लिए नौकरी पर रखना और ₹4000 खर्च करना सरकार की मूर्खता है।

पहाड़ों का जीवन अत्यंत कठिन होता है जैसे-

पानी की समस्या, ईंधन की कमी, शिक्षा के लिए उचित साधनों की कमी, रोजगार के साधनों में कमी,

स्वास्थ्य सेवाओं में कमी, बिजली की पर्याप्त सुविधा नहीं।

इन समस्याओं को दूर करके उनके जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है।

आरोहण पाठ – महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1 - रूपसिंह पहाड़ पर चढ़ना सीखने के बावजूद भूप सिंह के सामने बौना क्यों पड़ गया था ?

उत्तर जब ग्यारह वर्षों बाद रूप सिंह की मुलाकात, अपने भाई भूप सिंह से हुई तो वह उन्हें ऊपर पहाड़ पर स्थित अपने घर चलने के लिए कहता है। लेकिन रूप सिंह व शेखर के लिए पहाड़ की सीधी चढ़ाई चढ़ना बड़ा मुश्किल हो रहा था। तब भूप सिंह नीचे आया और आकर मफलर को मजबूत से कमर में बांधकर रूप सिंह को ऊपर ले गया।

क्योंकि रूप सिंह जो पिछले ग्यारह वर्ष से पहाड़ी में रहने के बजाय समतल स्थान पर रह रहा था। उसके लिए पहाड़ की सीधी चढ़ाई चढ़ना आसान नहीं था और ऊपर से उसके पास पहाड़ पर चढ़ने के लिए संसाधन भी नहीं थे। लेकिन भूप सिंह के लिए पहाड़ पर चढ़ना रोज का काम था और यह उसके लिए सामान्य बात थी। उसमें रूप सिंह से कहीं अधिक धैर्य, आत्मविश्वास और शक्ति थी। इस प्रकार आज रूप सिंह पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग लेने के बाद भी भूप सिंह के सामने बौना महसूस कर रहा था।

प्रश्न 2. आरोहण पाठ में पहाड़ो की चढ़ाई में भूप दादा का कोई जवाब नहीं उनके चरित्र चित्रण की विशेषता बताइए।

उत्तर - भूप दादा, रूप सिंह के बड़े भाई थे और उनका सारा जीवन पहाड़ों पर बीता था। उनके चरित्र की विशेषताएं इस प्रकार है

आत्मविश्वासी - भूप दादा एक आत्मविश्वासी व्यक्ति थे, इसी के बल पर वे अपने नष्ट हुए खेत घर को पुनः बसा लेते हैं। वह शैला के साथ मिलकर झरने का मुंह मोड़ देते हैं।

रूप और शेखर को ऊपर चढ़ा कर ले आते हैं।

धैर्यशील -

भूप दादा एक धैर्यशील व्यक्ति हैं, वह मुश्किलों में अपना धैर्य नहीं खोते थे।

जब पहाड़ के गिरने से उनके मां-बाप खेत सब कुछ बर्बाद हो जाता है, तब भी वह अपना धैर्य नहीं छोड़ते हैं, बल्कि हिम्मत से काम लेते हैं।

स्नेहशील

भूप दादा के मन में अपने छोटे भाई रूप सिंह के लिए बहुत प्यार है।

जब रूप सिंह उन्हें धक्का देता है तब भी वह गुस्सा नहीं करते बल्कि उसकी जान बचाते हैं।

परिश्रमी -

मेहनती भूप दादा बहुत मेहनती थे, वह शैला के साथ मिलकर झरने का मुंह मोड़ते हैं। दोनों बैलों को कंधे पर उठाकर ले जाते हैं।

चढ़ाई में कुशल

भूप दादा का पहाड़ों पर चढ़ाई चढ़ने का कोई मुकाबला नहीं कर सकता था।

रूप सिंह और भूप सिंह दोनों भाई पहाड़ी होने के बाद भी, जहां रूप सिंह आधुनिक उपकरणों की सहायता से चढ़ाई करता था, वही भूप दादा को चढ़ाई के लिए किसी सहारे की जरूरत नहीं थी।

वह तो वनमानुष, छिपकली की तरह चढ़ाई करते थे।

प्रश्न 3 आरोहण कहानी पढ़ने के बाद पहाड़ी स्त्रियों की क्या छवि बनती है ?

उत्तर आरोहण कहानी पढ़ने के बाद निम्नलिखित छवि उत्पन्न होती है

दयनीय स्थिति

पर्वतीय वातावरण होने के कारण उनका जीवन दुखद कठिनाइयों और अभावों से भरा होता है।

शैला ने, भूप दादा का मुसीबत में पूरा साथ दिया था। परंतु मात्र खेती के बोझ के कारण उन्होंने दूसरी शादी कर ली, जिसके पश्चात् शैला को आत्महत्या करनी पड़ी।

परिश्रमी -

पहाड़ी स्त्रियां परिश्रमी होती हैं वे पुरुषों का आजीविका कमाने, खेती करने आदि में पूरा साथ देती है।

जैसे शैला ने भूप सिंह का साथ दिया और खेती को फिर से बढ़ा दिया।

शैला भेड़े चराती है, खेती का काम करती है।

अनपढ़ -

पहाड़ी स्त्रियां अनपढ़ या कम पढ़ी लिखी होती है क्योंकि वहां पढ़ाई के अवसर पूरी तरह से उपलब्ध नहीं होते।

सरल जीवन शैली -

उनकी जीवन शैली सरल व साधारण होती है।

वह भोली-भाली व छल-कपट से दूर रहती है। तभी तो जब भूप दादा दूसरी शादी कर लेता है तो वह उन्हें कुछ नहीं बोलती, बल्कि आत्महत्या कर लेती है।

प्रश्न 4 - यूं तो प्रायः लोग घर छोड़कर कहीं ना कहीं जाते हैं, परदेस जाते हैं किंतु घर लौटते समय रूप सिंह को एक अजीब किस्म की लाज, अपनत्व और झिझक क्यों घेरने लगी ?

उत्तर- रूप सिंह अपने घर ग्यारह वर्ष के पश्चात् जा रहा था। वह अपना घर गांव छोड़कर तब गया था, जब भूस्खलन से उसका पूरा गांव बर्बाद हो गया था। वह शहर की ओर पलायन कर गया और वहां पर्वतारोहण संस्थान से ट्रेनिंग लेकर पर्वत पर चढ़ाई करता, जिसके लिए उसे सरकार की तरफ से ₹4000 महीना मानदेय भी मिलता था। ग्यारह वर्ष के अंतराल में उसने कभी अपने घर से संपर्क नहीं किया। घर पर पिता समान बड़ा भाई भूप सिंह रहता था, लेकिन ना कभी खोज-खबर ली और ना ही कभी चिट्ठी पत्र लिखा।

जब रूप सिंह ग्यारह वर्ष के बाद अपने बड़े भाई से मिलने गांव जा रहा था तो एक अपनत्व की भावना उसमें जागृत हो रही थी। क्योंकि बड़ा भाई पिता के समान प्यार किया करता था और लज्जा इस बात के लिए आ रही थी क्योंकि उसने ग्यारह वर्ष के लंबे अंतराल में भी किसी प्रकार खोज खबर नहीं ली।

प्रश्न 5 आरोहण पाठ में पत्थर की जाति से लेखक का क्या आशय है? उसके विभिन्न प्रकारों के बारे में लिखिए ?

उत्तर - लेखक ने पत्थर की जातियां बताई है जो कुछ इस प्रकार है- ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर, इग्निशियस, सैंक स्टोन, सिलिका आदि। और भी बहुत सी प्रकार की जातियां पत्थर में पाई जाती है।

लेखक ने यहां पत्थर की जातियां इस लिए बताई है क्योंकि पर्वतारोही को यह पता रहना चाहिए कि वह किस पर्वत पर चढ़ाई करना आरंभ कर रहा है। अगर उसे पत्थर के प्रकार उसकी जाति का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होगा तो वह किसी बड़े दुर्घटना का शिकार हो सकता है। इसलिए पर्वत पर चढ़ाई से पूर्व पर्वतारोही भली प्रकार से जांच कर लेता है कि उस पर्वत पर किस प्रकार का पत्थर है।

प्रश्न 6. महीप अपने विषय में बात पूछे जाने पर उसे क्यों टाल देता था ?

उत्तर - महीप कम आयु का लड़का है, अभी उसकी उम्र विद्यालय जाने की है किंतु पेट की अग्नि को बुझाने के लिए वह रोजगार करता है।

महीप अपने विषय में पूछे जाने पर बातों को निम्न कारणों से डाल देता है-

भूप सिंह से रिश्ता -

रास्ते में महीप को मालूम होता है कि यह दोनों व्यक्ति का संबंध भूप सिंह से है।

भूप सिंह महीप का पिता है और वह अपने पिता से नाराज रह रहा था अपनी जानकारी रूप सिंह को न लग जाए इसलिए वह बीच बीच में बातों को टाल दिया करता था।

पिता से नाराजगी -

महीप का अपने पिता से नाराजगी थी वह अपनी मां की मृत्यु का कारण उन्हें मना करता था और छोटी-मोटी अनबन के कारण वह कम उम्र में कमाने के लिए घर छोड़कर निकल गया था।

संभवतः उपरोक्त दो कारणों से महीप, रूप सिंह तथा शेखर द्वारा बार-बार बातों के पूछने पर भी उन पर जवाब नहीं देता और बातों को टाल देता था।

प्रश्न 7 शैला और भूप सिंह ने मिलकर किस तरह पहाड़ पर अपनी खेती से नई जिंदगी की कहानी लिखी ?

उत्तर- ग्यारह वर्ष पूर्व आए भयंकर तबाही ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया था। भूस्खलन में पूरे गांव के लोग दब कर मर गए, खेतों में पर्वत से आए मलबे भर गए, जिसके कारण खेत भी तबाह हो गए। रोजी - रोटी और गुजर बसर का अब कोई साधन ना रहा। भूप सिंह ने हार नहीं मानी और पुनः निर्माण करने के लिए ठान लिया। सर्वप्रथम पर्वत के ऊंची चोटी पर अपना मकान बनाया तथा गांव की एक लड़की शैला से विवाह कर अपना गृहस्थ जीवन बसाया।

शैला कर्मशील महिला थी उसने भूप सिंह के साथ मिलकर खेतों को पूर्ण रूप से खेती लायक बनाया। पानी के प्रबंधन के लिए छोटे- छोटे तालाब भी बनाए।

दोनों के अथक परिश्रम ने पूरे गांव में खुशहाली ला दी थी।

खेत फिर जीवित हो उठे, गांव में खुशहाली आ गई।

इस प्रकार दोनों ने मिलकर भाग्य की नई रेखा खींची।

प्रश्न 8 बूढ़े त्रिलोकी सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब क्यों लगा ?

उत्तर- बूढ़े त्रिलोकी को पहाड़ों पर चढ़ना जैसी नौकरी सुनकर निम्नलिखित कारणों से अजीब लगा

त्रिलोकी पहाड़ी और ग्रामीण व्यक्ति था, वह सरकारी नौकरी और ऊपर से पर्वत पर चढ़ना इससे पूर्व नहीं जानता था। इसलिए उसे आश्चर्य हुआ की सरकार पर्वत पर चढ़ने के लिए भी पैसे देती है।

पहाड़ी जीवन में पहाड़ पर उतरना चढ़ना दिनचर्या का अंग होता है। बाजार तथा आवश्यकता के लिए उन्हें पहाड़ों से नीचे उतरना तथा वापस पहाड़ पर चढ़ना प्रतिदिन और नियमित हुआ करता था, इसलिए आश्चर्य हुआ।

बूढ़ा त्रिलोकी यह नहीं जानता कि सरकार को पर्वतारोहियों से क्या लाभ होता होगा। यूं ही व्यर्थ में पर्वत चढ़ने का भला कोई पैसा क्यों देगा। और पर्वत चढ़ने का पैसा सरकार देती है तो सभी पहाड़ियों को पैसा क्यों नहीं देती।

उपरोक्त कारणों से त्रिलोकी को पर्वत पर चढ़ना जैसी नौकरी सुनकर आश्चर्य हुआ और वह हंसते हुए रूप सिंह से बात कर रहा था।

यह विषय अजीब लग रहा था और इससे पूर्व त्रिलोकी ने सुना भी नहीं था।

प्रश्न 9 सैलानी (शेखर और रूप सिंह) घोड़े पर चलते हुए उस लड़के के रोजगार के बारे में सोच रहे थे। जिसने उनको घोड़े पर सवार कर रखा था, और स्वयं पैदल चल रहा था। क्या आप भी बाल मजदूरों के बारे में सोचते हैं ?

उत्तर- बाल मजदूरी समाज के लिए हानिकारक है। बालक समाज का आधार होता है, अगर आधार को ही मजबूत ना बनाया जाए तो मीनार कहां से मजबूत बन सकेगी। बाल मजदूरी करते हुए महिप जब सैलानियों को लेकर जा रहा था तो शहर से आए यह सैलानी बाल मजदूरी को देखकर चिंतन मनन कर रहे थे और आपस में बातचीत कर रहे थे क्योंकि शहरों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध है।

शहरों में बाल मजदूरी को लेकर विशेष प्रकार के कानून का प्रावधान है,

लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कानून की कोई परवाह नहीं होती।

आज चोरी-छिपे बाल मजदूरी जैसे अपराध को किया जाता है।

कुछ बालक स्वेच्छा से इस कार्य को करते हैं और कुछ को जोर जबरदस्ती के द्वारा कराया जाता है।

अगर समाज को मजबूत और सशक्त बनाना है तो बाल मजदूरी को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। बालकों के हाथ रोजगार नहीं बल्कि किताबों को थमाना चाहिए। वह शिक्षित होकर एक मजदूर नहीं बने, वह सोच-विचार कर स्वयं को समाज में स्थापित करें और यह सभी कार्य शिक्षा के बिना संभव नहीं है।

इसलिए बाल को को मजदूरी जैसे अपराध में नहीं धकेलना चाहिए।

प्रश्न 10 - भूप सिंह और शैला ने मिलकर जो चुनौतीपूर्ण कार्य किया, वह सामान्य व्यक्ति के सामर्थ्य से बाहर है। कैसे?

उत्तर - इसका उदाहरण रूप सिंह के रूप में देख सकते हैं

भूस्खलन के बाद जब पूरा गांव तबाह हो गया खेत बर्बाद हो गए तब रूप सिंह इस चुनौती भरे क्षण में अपना घर परिवार छोड़कर शहर की ओर पलायन कर जाता है।

वही भूप सिंह धैर्यशील, कर्मशील और विभिन्न दुर्लभ मानवीय गुणों से युक्त है।

उसने हार न मानकर चुनौती को स्वीकार किया और पुनः जीवन को स्थापित किया।

किसी भी व्यक्ति में धैर्य और कर्म के प्रति लगन हो तो वह दुष्कर कार्य भी आसानी से कर लेता है। इस पाठ को पढ़ने के बाद यही मुख्य निष्कर्ष सामने प्रस्तुत होता है।

वैकल्पिक प्रश्न

1. रूप सिंह कौन था?

(क) भूप सिंह का भाई।

(ख) महीप का पिता ।

(ग) शैला का पति।

(घ) महीप का बेटा।

2. रूप सिंह 11 वर्ष बाद कौन से शहर से लौटा था?

(क) कोलकाता से।

(ख) पटना से

(ग) कश्मीर से।

(घ) मसूरी से

3. उस बस स्टॉप का नाम बताइए जहां पर रूप सिंह और उसका मित्र शेखर ने उतरकर चाय पी?

(क) सरगी बस स्टॉप पर।

(ख) माही बस स्टॉप पर।

(ग) देवकुंड के बस स्टॉप पर।

(घ) मसूरी बस स्टॉप पर।

4. जब 11 साल बाद रूप सिंह अपने गांव लौटा तो उसके मन के भाव क्या थे?

(क) उसे गुस्सा आ रहा था।

(ख) उसके मन में अपनत्व, झिझक और लाज थी

(ग) वह उदास था।

(घ) उसकी खुशी का ठिकाना नहीं

5. शेखर कपूर किसका बेटा था?

(क) भूप सिंह का

(ख) रूप सिंह का

(ग) गॉड फादर कपूर साहब का

(घ) राम सिंह का

6. कपूर साहब कौन थे?

(क) शेखर कपूर के पिता

(ख) रूप सिंह के गुरु

(ग) (क), (ख) दोनों।

(घ) इनमें से कोई नहीं।

7. शेखर कपूर किस पद के लिए ट्रेनिंग कर रहे थे?

(क) आईपीएस के लिए।

(ख) आईएएस के लिए।

(ग) डीएसपी के लिए।

(घ) डीएम के लिए।

8. देवकुंड बस स्टॉप से रूप सिंह का गांव माही कितनी ऊंचाई पर था?

(क) 5000 फीट

(ख) 6000 फीट

(ग) 10000 फीट

(घ) 15000 फीट।

9. माही से अगला गांव कौन सा था?

(क) सरगी

(ख) रामगढ़।

(ग) आजमगढ़।

(घ) गुडगांव।

10. महीप कौन था?

(क) रूप सिंह और शैला का बेटा।

(ख) भूप सिंह और शैला का बेटा।

(ग) भूप सिंह और उसकी दूसरी पत्नी का बेटा।

(घ) कपूर साहब का बेटा।

11. भूप सिंह और शैला के बेटे महीप की उम्र क्या थी?

(क) 11 साल

(ख) 9 से 10 साल

(ग) 12 से 13 साल

(घ) 20 साल

12. चाय वाले ने दो घोड़ों के लिए कितना मेहनताना मांगा?

(क) ₹50 रुपए

(ख) ₹500 रुपए

(ग) ₹100 रुपए।

(घ) ₹200 रुपए।

13. आरोहन पाठ में कौन सी नदी का जिक्र किया गया?

(क) गंगा नदी

(ख) यमुना नदी

(ग) ब्रह्मपुत्र नदी

(घ) सूपिन नदी।

14. आरोहण पाठ में कौन से पक्षी का जिक्र किया गया?

(क) कबूतर

(ख) हिलांस

(ग) तोता

(घ) बाज।

15. रॉक पिटन, एंकर, रोप लेडर किस चीज से संबंधित थे?

(क) पर्वतारोहण से

(ख) रॉक क्लाइंबिंग स

(ग) तैराकी से

(घ) खेलों से।

16. इग्नियस, ग्रेनाइट, मेटा मार्फिक, सेंड स्टोन सिलिका किसके प्रकार हैं?

(क) पेड़ों के

(ख) सांपों के।

(ग) पत्थरों के।

(घ) घरों के।

17. संबंधित पाठ में कौन से पेड़ का वर्णन किया गया है?

(क) नारियल के पेड़ का

(ख) बनियान के पेड़ का।

(ग) देवदार के पेड़ का

(घ) नीम के पेड़ का।

18. संबंधित पाठ में दो घोड़ों का जिक्र किया गया है उन घोड़ों का क्या नाम था?

(क) हीरू नीरू

(ख) हीरू वीरू।

(ग) हीरा पंकज

(घ) इनमें से कोई नहीं।

19. बारून्स शब्द किसके लिए उपयोग किया गया है?

(क) पेड़ के लिए

(ख) फूल के लिए।

(ग) पहाड़ों के लिए।

(घ) पत्तों के लिए।

20. पाठ में सरगी गांव का अर्थ क्या बताया गया है?

(क) सरगी का अर्थ गीत होता है।

(ख) सरगी का अर्थ स्वर्ग होता है।

(ग) सरगी का अर्थ फूल होता है।

(घ) सरगी का अर्थ पर्वत होता है।

21. पाठ में आखिरी गांव का जिक्र किया गया है उसका नाम बताइए?

(क) माही

(ख) देवकुंड

(ग) सरगी

(घ) इनमें से कोई नहीं।

22. पाठ में कौन से मंदिर का जिक्र किया गया?

(क) शिव मंदिर

(ख) कृष्ण मंदिर

(ग) हनुमान मंदि

(घ) दुर्योधन जी का मंदिर।

23. डांडी और हिमांग क्या है?

(क) पेड़ों के नाम।

(ख) पहाड़ों के नाम।

(ग) गांव के नाम

(घ) बस स्टॉप के नाम।

24. रूप सिंह और भूप सिंह के पिता का क्या नाम था?

(क) तिलक सिंह

(ख) राम सिंह

(ग) तिरलोक

(घ) अरुण सिंह।

25. रूप सिंह गांव से भाग कर कौन सा काम कर रहा था?

(क) पर्वतों पर चढ़ाई का काम।

(ख) मजदूरी।

(ग) सरकारी कर्मचारी।

(घ) घरों में नौकरी।

26. रूप सिंह को पर्वतारोहण के लिए कितना मेहनताना मिलता था?

(क) ₹6000 रुपए

(ख) ₹15000 रुपए

(ग) ₹10000 रुपए।

(घ) ₹4000 रुपए।

27. पाठ में मुख्य रूप से कौन सी फसल की बात की गई है

(क) गेहूं की फसल।

(ख) चावल की फसल।

(ग) मक्का की फसल।

(घ) बाजरे की फसल।

28. पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं का जीवन कैसा होता है। पाठ के संदर्भ में बताइए?

(क) आसान और अच्छी।

(ख) मेहनती और देनीय।

(ग) क और ख दोनों।

(घ) बहुत सुविधाजनक।

29. गांव में किस प्रकार की औरतें रहती हैं?

(क) मेहनती और कुशल।

(ख) भोली और सीधी।

(ग) क और ख दोनों।

(घ) इनमें से कोई नहीं।

30. पाठ में कौन से पात्र ने आत्महत्या की थी?

(क) भूप सिंह ने।

(ख) रूप सिंह ने।

(ग) शैला ने।

(घ) भूप सिंह की दूसरी पत्नी ने।

31. किसने कहा था कि मेरी मोनालिसा यही है।

(क) लियोनार्दो द विंची ने।

(ख) कालिदास ने।

(ग) कबीर दास ने।

(घ) प्रेमचंद न

JCERT/JAC REFERENCE BOOK

Hindi Elective (विषय सूची)

भाग-1

क्रं.सं.

विवरण

1.

देवसेना का गीत

2.

सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

3.

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

4.

बनारस

5.

विष्णु खरे

6.

वसंत आया

7.

भरत राम का प्रेम पद

8.

बारहमासा

9.

विद्यापति (पद)

10.

रामचंद्रचंद्रिका

11.

घनानंद

12.

प्रेमघन की छाया-स्मृति

13.

सुमिरनी के मनके

14.

कच्चा चिट्ठा

15.

संवदिया

16.

गांधी नेहरू और यासर अराफात

17.

शेरपहचानचार हाथसाझा

18.

जहां कोई वापसी नहीं

19.

यथास्मै रोचते विश्वम

20.

दूसरा देवदास

21.

हजारी प्रसाद द्विवेदी

भाग-2

कं.सं.

विवरण

1.

सूरदास की झोंपड़ी

2.

आरोहण

3.

बिस्कोहर की माटी

4.

अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता


JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

Class 12 Hindi Elective (अंतरा - भाग 2)

पद्य खण्ड

आधुनिक

1.जयशंकर प्रसाद (क) देवसेना का गीत (ख) कार्नेलिया का गीत

2.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति

3.सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय (क) यह दीप अकेला (ख) मैंने देखा, एक बूँद

4.केदारनाथ सिंह (क) बनारस (ख) दिशा

5.विष्णु खरे (क) एक कम (ख) सत्य

6.रघुबीर सहाय (क) वसंत आया (ख) तोड़ो

प्राचीन

7.तुलसीदास (क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद

8.मलिक मुहम्मद जायसी (बारहमासा)

9.विद्यापति (विद्यापति के पद)

10.केशवदास (रामचंद्रचंद्रिका)

11.घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)

गद्य-खण्ड

12.रामचंद्र शुक्ल (प्रेमघन की छाया-स्मृति)

13.पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी (सुमिरिनी के मनके)

14.ब्रजमोहन व्यास (कच्चा चिट्ठा)

15.फणीश्वरनाथ रेणु (संवदिया)

16.भीष्म साहनी (गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात)

17.असगर वजाहत (शेर, पहचान, चार हाथ, साझा)

18.निर्मल वर्मा (जहाँ कोई वापसी नहीं)

19.रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)

20.ममता कालिया (दूसरा देवदास)

21.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (कुटज)

12 Hindi Antral (अंतरा)

1.प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी

2.संजीव = आरोहण

3.विश्वनाथ त्रिपाठी = बिस्कोहर की माटी

4.प्रभाष जोशी = अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता में

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