12th Hindi Elective गांधी नेहरू और यासर अराफात JCERT/JAC Reference Book

12th Hindi Elective गांधी नेहरू और यासर अराफात JCERT/JAC Reference Book

 

12th Hindi Elective गांधी नेहरू और यासर अराफात JCERT/JAC Reference Book

16. गांधी नेहरू और यासर अराफात

जीवन परिचय

1. जन्म- 8 अगस्त 1915, रावलपिंडी, (पाकिस्तान)

मृत्यु -11 जुलाई 2003, दिल्ली

पिता - हरबंस लाल साहनी,

माता- लक्ष्मी देवी

पत्नी - शीला

भाई- बलराज साहनी (प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता)

2. शिक्षा - एम. ए. अंग्रेजी साहित्य, गवर्नमेन्ट कॉलेज (लाहौर) पी.एच.डी 1958 (पंजाब विश्वविद्यालय)

भाषा- हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी

शैली - साधारण एवं व्यंगात्मक शैली।

3. अन्य जानकारी देश के विभाजन से पहले भीष्म साहनी ने व्यापार भी किया और इसके साथ ही वे अध्यापन का भी काम करते रहे। तदनन्तर उन्होंने पत्रकारिता एवं 'इप्टा' नामक मण्डली में अभिनय का कार्य किया। करीब 7 वर्ष विदेशी भाषा प्रकाशन मास्को में भाषा अनुवादक के पद पर भी कार्यरत रहे। रूस प्रवास के अंतर्गत रूसी भाषा का अध्ययन तथा लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का अनुवाद साहनी जी की विशेष उपलब्धि रही है। लगभग ढाई वर्षों तक उन्होंने 'नई कहानियां' का कुशल संपादन किया। प्रगतिशील लेखक संघ एवं लेखन संघ से संबद्ध रहे। साहनी जी दिल्ली के जाकिर हुसैन कॉलेज से अंग्रेजी पढ़ाते हुए सेवा निवृत हुए।

4. प्रमुख रचनाएँ

उपन्यास - झरोखे, तमस, बसंती, मय्यादास की माड़ी, कुन्तो, नीलू निलिमा नीलोफर। कहानी संग्रह - मेरी प्रिय कहानियां, भाग्यरेखा, वांगचू, निशाचर। भटकती राह, पहला पाठ, पटरियाँ, और वाचू।

नाटक - हानूश (1977), माधवी (1984), कबिरा खड़ा बाजार में (1985), मुआवज़े (1993)

आत्मकथा- बलराज माय ब्रदर

बालकथा - गुलेल का खेल

5. पुरस्कार- उन्हें 1975 में 'तमस' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1975 में शिरोमणि लेखक अवार्ड (पंजाब सरकार), 1980 में एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन का लोटस अवार्ड, 1983 में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड तथा 1998 में भारत सरकार के पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया।

उनके उपन्यास 'तमस' पर 1986 में एक फिल्म का निर्माण भी किया गया था।

साहित्यिक विशेषताएं

भीष्म साहनी हिन्दी साहित्य के एक प्रमुख उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार और लेखक थे, जिन्हें मुंशी प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। साहित्य के अलावा, वे सामाजिक कार्यों में भी काफ़ी रुचि रखते थे।

कथाकार के रूप में भीष्म साहनी पर यशपाल और प्रेमचंद की गहरी छाप है। वे वामपंथी विचारधारा से जुड़े रहे और उन्होंने मानवीय मूल्यों को कभी आंखो से ओझल होने नहीं दिया। उनकी कहानियों में अन्तर्विरोधों व जीवन के द्वन्द्वों, विसंगतियों से जकड़े मध्य वर्ग के साथ ही निम्न वर्ग की जिजीविषा और संघर्षशीलता को उद्घाटित किया गया है।

जनवादी कथा आन्दोलन के दौरान भीष्म साहनी ने सामान्य जन की आशा, आकांक्षा, दुःख, पीड़ा, अभाव, संघर्ष तथा विडम्बनाओं को अपने उपन्यासों से ओझल नहीं होने दिया। नई कहानी में उन्होंने कथा साहित्य की जड़ता को तोड़कर उसे ठोस सामाजिक आधार दिया। एक भोक्ता की हैसियत से भीष्म जी ने देश के विभाजन के दुर्भाग्यपूर्ण खूनी इतिहास को भोगा है, जिसकी अभिव्यक्ति 'तमस' में हुई है।

उन्होंने अपनी रचनाओं में नारी के व्यक्तित्व विकास, स्वातन्त्र्य, एकाधिकार, आर्थिक स्वतन्त्रता, स्त्री शिक्षा तथा सामाजिक उत्तरदायित्व आदि उसकी सम्मानजनक स्थिति का समर्थन किया है।

उनकी रचनाओं में सामाजिक अन्तर्विरोध पूरी तरह उभरकर आया है। राजनैतिक मतवाद अथवा दलीयता के आरोप से दूर भीष्म साहनी ने भारतीय राजनीति में निरन्तर बढ़ते भ्रष्टाचार, नेताओं की पाखण्डी प्रवृत्ति, चुनावों की भ्रष्ट प्रणाली, राजनीति में धार्मिक भावना, साम्प्रदायिकता, जातिवाद का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद, नैतिक मूल्यों का ह्रास, व्यापक स्तर पर आचरण भ्रष्टता, शोषण की षड्यन्त्रकारी प्रवृत्तियों व राजनैतिक आदर्शों के खोखलेपन आदि का चित्रण बड़ी प्रामाणिकता व तटस्थता के साथ किया है।

उनका सामाजिक बोध व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित था। उनके उपन्यासों में शोषणहीन, समतामूलक प्रगतिशील समाज की रचना, पारिवारिक स्तर, रूढ़ियों का विरोध तथा संयुक्त परिवार के पारस्परिक विघटन की स्थितियों के प्रति असन्तोष व्यक्त हुआ है। भीष्म जी का सांस्कृतिक दृष्टिकोण नितान्त, वैज्ञानिक, प्रगतिशील और व्यावहारिक है।

भाषा को प्रवाहमयता प्रदान करने के लिए उन्होंने उर्दू, अंग्रेजी तथा फारसी शब्दों का प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त संस्कृतनिष्ट तत्सम शब्दों का सुन्दर मिश्रण किया। शब्दों का प्रसंगानुकूल प्रयोग उनकी भाषा की विशेषता है।

साहनी जी ने छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करके विषय को प्रभावी एवं रोचक बना दिया है। संवादों के प्रयोग ने वर्णन में ताजगी ला दी है। वाक़ई में भीष्म साहनी आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक काफ़ी प्रभावशाली लेखक हैं।

पाठ सारांश गांधी जी स्मरणीय बिंदु

भीष्म साहनी द्वारा रचित संस्मरण 'गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात' उनकी आत्मकथा 'आज के अतीत' का एक अंश है। सेवाग्राम में गांधी जी, कश्मीर में जवाहरलाल नेहरू तथा फिलिस्तीनी में यास्सेर अराफात के साथ बिताए समय का सरस एवं प्रभावी वर्णन किया है तथा देशभक्ति एवं अंतर्राष्ट्रीय मैत्री जैसे मुद्दे को पाठकों के समक्ष रखा है-

लेखक सन् 1938 में सेवाग्राम गये थे। लेखक के भाई बलराज साहनी सेवाग्राम में रहते थे। लेखक उनके पास रहने कुछ दिन के लिए गये थे। भाई बलराज ने उन्हें बताया कि गांधी जी प्रातः भ्रमण के लिए प्रतिदिन उनके क्वार्टर के सामने से जाते हैं। लेखक गांधी जी के साक्षात् दर्शन हेतु बेहद उत्साहित थे।

अगले दिन सुबह की सैर के दौरान वह गांधी जी से मिले। गांधी जी को पहली बार देखकर वह रोमांचित हो उठे। गांधी जी के साथ चलने का उनका पहला अनुभव बहुत अच्छा रहा। इस महान व्यक्ति को देखकर लेखक प्रसन्न हो उठे। उसने गांधी जी को चित्रों में जिस रूप में देखा था, वास्तविक रूप में भी वे बिल्कुल वैसे ही थे। उन्होंने बड़े प्रेम से लेखक से बात की। वे बहुत धीमी आवाज में बोलते थे तथा हमेशा हँसकर बात करते थे।

लेखक लगभग तीन सप्ताह तक सेवाग्राम में रहे। यहाँ उन्हें अनेक जाने माने व्यक्तित्व देखने को मिले। इनमें से प्रमुख थे पृथ्वी सिंह आजाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ्रपफार खान तथा राजेन्द्र बाबू।

आश्रम के बाहर सड़क के किनारे एक खोखे में एक पंद्रह वर्षीय बालक जोर-जोर से हाथ-पैर पटक रहा था तथा चिल्ला-चिल्लाकर बापू को पुकार रहा था। बापू आए और बालक का फूला हुआ पेट देखकर उसकी परेशानी समझ गए। उन्होनें उसे उल्टी कराई और जब तक वह उल्टी करता रहा, वह उसकी पीठ पर प्यार से हाथ रखे झुके रहे। इसके बाद उन्होनें उसे खोखे में लेटने को कहा। और वह बच्चा एकदम स्वस्थ हो गया।

पाठ सारांश नेहरू जी स्मरणीय बिंदु

नेहरू जी कश्मीर यात्रा पर आए थे। यहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में झेलम नदी में, शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक, नावों में उनकी शोभायात्रा निकाली गई।

लेखक पंडित जी की देखभाल में अपने फुफेरे भाई का सहायक था। नेहरू जी का कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था। लेखक नीचे आकर समाचार पत्र देखने लगे। उसने निर्णय किया कि जब तक नेहरू जी स्वयं समाचार पत्र नहीं माँगेगे, वह समाचार पत्र पढ़ता ही रहेगा। नेहरू जी कुछ देर चुपचाप खड़े रहे फिर धीरे से बोले "आपने देख लिया हो तो क्या मै भी एक नजर देख सकता हूँ।" यह सुनकर लेखक शर्मिन्दा हो गये और उसने तुरन्त वह अखबार नेहरू जी के हाथ में दे दिया।

पाठ सारांश यास्सेर अराफा स्मरणीय बिंदु

उन दिनों लेखक अफ्रो-एशियाई लेखक संघ में कार्यकारी महामंत्री के पद पर कार्यरत थे। ट्यूनीसिया की राजधानी ट्यूनिस में लेखक संघ के सम्मेलन में भाग लेने गये हुए थे। ट्यूनिस में उन दिनों यास्सेर अराफ़त के ने तृत्व में फिलिस्तीन में अस्थायी सरकार काम कर रही थी। लेखक संघ की गतिविध्यिौ में भी फिलिस्तीनी लेखकों, बुद्धिजीवियों तथा अस्थायी सरकार का बड़ा योगदान था।

ट्यूनिस में 'लोट्स' पत्रिका का संपादकीय कार्यालय था। एक दिन लोट्स के तत्कालीन संपादक लेखक के पास आए और उसे सपत्नी सदरमुकाम में आमंत्रित किया।

जब लेखक अपनी पत्नी के साथ वहाँ पहुँचे तो यास्सेर अराफ़त अपने एक- दो साथियों के साथ बाहर आए और उन्हें आदर सहित अंदर ले गए। बातचीत के दौरान यास्सेर अराफ़त से फिलिस्तीन के प्रति साम्राज्यवादी शक्तियों के अन्यायपूर्ण रवैये, भारतीय नेताओं द्वारा की गई उसकी निंदा, फिलिस्तीनी आंदोलन के प्रति भारत की सहानुभूति एवं समर्थन आदि विषयों पर चर्चा हुई।

बातचीत के दौरान गांधी जी का जिक्र आने पर अराफात बोले- 'वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता है। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए है। अराफात भारतीय नेताओं के निकट सम्पर्क में रहे थे। गांधी जी की प्रसिद्धि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थी। उनके सत्य, अंहिसा तथा सत्याग्रह आन्दोलनों तथा उनकी सफ़लता के कारण उन्हें पूरे विश्व में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। यास्सेर अराफ़त भी अहिंसक आन्दोलन के द्वारा फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि दिलाना चाहते थे। भारतीयों नेताओं का समर्थन एवं सहानुभूति उन्हें प्राप्त थी। इसलिए भारतीय नेताओं विशेषकर गांधी जी के प्रति उनके मन में आदर होना स्वाभाविक था।

यास्सेर अराफात ने लेखक का बड़ा अतिथि सत्कार किया। वे लेखक को स्वयं फल छील-छीलकर खिला रहे थे। वे उनके लिए शहद की चाय भी बना रहे थे साथ ही शहद की उपयोगिता के विषय में भी बता रहे थे।

भोजन के समय लेखक जब हाथ धोने गये तो उसे उस समय बड़ी झेंप महसूस हुई जब उन्होंने देखा कि अराफ़त गुसलखाने के बाहर तौलिया लिए हुए खड़े थे। अराफ़त का आतिथ्य प्रेम सचमुच हृदय को छू लेने वाला था।

शब्दार्थ

तालीम - शिक्षा। फासला - दूरी। घुप्प - गहन। बतियाते - बातें करते। सकुचाना - शर्माना। राह देखना – प्रतीक्षा (इंतजार करना)। ऐन- सही। पुलक- खिलना, प्रसन्न। हू-ब-हू - ज्यों का त्यों। झिझोड़ना- जोर से पकड़ रहिताना

विनिमय- आदान-प्रदान। प्रदक्षिणा- परिक्रमा, चक्कर लगाना, फेरी लगाना। सहसा- अचानक। चीवर -वस्त्र। गॉग- यंत्र का नाम। खोखा- लकड़ी का बना कमरा। कै- उल्टी, वमन। निरूद्देश्य- उद्देश्य रहित। ईख - गन्ना (गन्ने का रस) ।

हिदायत - सावधानी। रुग्ण- रोगी। दिक्- तपेदिक। क्षोभ- असंतोष। वार्तालाप - बातचीत। भव्य- शानदार। लब्धप्रतिष्ठ प्रसिद्धि प्राप्त। अदम्य- बिना दम लिए। गर्मजोशी - उत्साहपूर्वक। बाजीगर- खेल दिखाने वाला, मदारी। पर्व- उत्सव। तोहफा - उपहार। फटेहाल - गरीब। अभ्यर्थना- निवेदन, प्रार्थना। अंग चालन- शरीर के अंगों को चलाना। तन्मयता - एकाग्रता। दूषित- गंदा। चहेता- मनपसंद। तिलमिलाना- पीड़ा से बेचैन होना। आगबबूला - क्रोधित। दत्ताचित- ध्यानपूर्वक। नज़रसानी- नज़र डालना, पुनर्विचार करना। बचकाना- बच्चों जैसी। हरकत - शरारत। तरजने- कँपकँपा। पानी- पानी होना - शर्मसार होना। सदरमुकाम मुख्य कार्यालय। ब्यौरा - वर्णन। झेंपना= शरमा जाना। तपाक – तुरंत

सिलसिला- क्रम। रवैया- व्यवहार।  भर्त्सना- बुरा-भला। आतिथ्य- अतिथि सरकार। अनथक- बिना थके। इत्मीनान- आश्वस्त । गुसलखाना - स्नानगृह।

प्रश्न - उत्तर

प्रश्न 1. लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया था?

उत्तर : लेखक (भीष्म साहनी) अपने भाई बलराज साहनी के पास कुछ दिनों तक रहने के लिए सेवाग्राम गए थे जो उस समय वहाँ से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'नयी तालीम' के सह-सम्पादक थे। यह सन् 1938 के आसपास की बात है, जिस साल कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन हुआ था।

प्रश्न 2. लेखक का गांधीजी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?

उत्तर : गांधीजी प्रतिदिन प्रातः 7 बजे अपनी टोली के साथ टहलने जाते थे। बलराज जी ने भीष्म जी को बताया कि कोई भी गांधीजी के साथ टहलने जा सकता है। भीष्म जी ने बलराज जी से कहा कि आप भी मेरे साथ चलें। जब वे बाहर निकले तो गांधीजी काफी दूर जा चुके थे पर वे उनसे जा मिले। बलराज भाई ने उनका परिचय कराया 'मेरा भाई है, कुछ दिन के लिए मेरे पास आया है। इस टोली में डॉ. सुशीला नय्यर और गांधीजी के वैयक्तिक सचिव महादेव देसाई भी साथ थे। गांधीजी से कहा- आप बहुत साल पहले हमारे शहर रावलपिंडी आए थे। गांधीजी को याद था अतः उन्होंने पूछा मिस्टर जॉन कैसे हैं। वह रावलपिण्डी के एक बड़े वकील थे और संभवतः गांधीजी रावलपिंडी प्रवास के दौरान उनके पास ठहरे थे। गाँधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव लेखक के लिए उत्साहवर्द्धक रहा।

प्रश्न 3. लेखक ने सेवाग्राम में किन-किन लोगों के आने का जिक्र किया है?

उत्तर : जब भीष्म साहनी सेवाग्राम गए तब वहाँ उन्हें अनेक जाने-माने देशभक्त देखने को मिले जो वहाँ आए हुए थे। वहाँ पृथ्वीसिंह आजाद, जो प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, आए हुए थे। लेखक ने वहाँ मीराबेन, सीमांत गांधी के नाम से विख्यात खान अब्दुल गफ्फार खान और बाबू राजेन्द्र प्रसाद को भी देखा था। इन सबका जिक्र लेखक ने इस संस्मरण में किया है।

प्रश्न 4. रोगी बालक के प्रति गांधीजी का व्यवहार किस प्रकार का था?

उत्तर : एक रोगी बालक खोखे के भीतर लेटा बार- बार हाथ-पैर पटकता हुआ चीख रहा था "मैं मर जाऊँगा, बापू को बुलाओ।" बापू उसके पास आकर खड़े हो गए। उसके फूले हुए पेट पर हाथ फेरते रहे और फिर उसे सहारा देकर बोले-"अरे पागल इतनी ज्यादा ईख पी गया। इधर नीचे उतरो और मुँह में उँगली डालकर उल्टी कर दो।" इतना कहकर वे हँस पड़े। लड़के ने उनके आदेश का पालन किया। जब तक उसने उल्टी की, गांधी जी झुके हुए उसकी पीठ सहलाते रहे।

थोड़ी देर में उसका पेट हल्का हो गया और वह खोखे में जाकर लेट गया। गांधीजी के चेहरे पर लेशमात्र भी क्षोभ नहीं था, वे हँसते हुए चले गए। इस प्रकार गांधीजी का उस रोगी बालक के प्रति व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण एवं सेवाभाव से भरा हुआ था। एक अभिभावक की भाँति वे उसकी देखभाल कर रहे थे।

प्रश्न 5. कश्मीर के लोगों ने नेहरू जी का स्वागत किस प्रकार किया?

उत्तर : नेहरू जी के कश्मीर पहुँचने पर काश्मीर निवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में नगर में झेलम नदी में नावों पर नेहरू जी की शोभा यात्रा निकाली गयी। नदी के दोनों किनारों पर खड़े लोगों ने नेहरू जी का भव्य अभिनन्दन किया। यह शोभायात्रा शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँची।

प्रश्न 6. अखबार वाली घटना से नेहरू जी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता स्पष्ट होती है?

उत्तर : अखबार वाली घटना से यह पता चलता है कि नेहरू जी हर छोटे-बड़े व्यक्ति को सम्मान देते थे। उनमें अहंकार नहीं था तथा अपने को महत्त्व देकर दूसरे को तुच्छ समझने की वृत्ति उनमें नहीं थी। भीष्म जी की टाँगें तो डर के कारण काँप रहीं थीं पर नेहरू जी ने बड़ी शालीनता से कहा "यदि आपने अखबार देख लिया हो तो मैं एक नजर देख लूँ। इससे उनके शालीन व्यवहार का परिचय मिलता है।

प्रश्न 7. फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानुभूतिपूर्ण एवं समर्थन भरा क्यों था?

उत्तर : भारत की विदेश नीति अन्याय का विरोध करने की रही है। साम्राज्यवादी शक्तियों ने फिलिस्तीन के प्रति जो अन्यायपूर्ण रवैया अपनाया हुआ था। उसकी भर्त्सना भारत के नेताओं द्वारा की गयी थी। भारत के नागरिकों ने भी इसी कारण फिलिस्तीन और उसके नेता यास्सेर अराफात के प्रति अपनी सहानुभूति दिखायी और समर्थन व्यक्त किया। फिलिस्तीन हमारा मित्र देश है तथा यास्सेर अराफात का भारत में बहुत सम्मान था।

प्रश्न 8. अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबंधित किन्हीं दो घटनाओं का वर्णन कीजिए।

अथवा

भीष्म साहनी के लेख के आधार पर यास्सेर अराफात के आतिथ्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : भीष्म साहनी और उनकी पत्नी को यास्सेर अराफात ने भोजन के लिए आमंत्रित किया, बाहर आकर उनका स्वागत किया तथा चाय की मेज पर वे स्वयं फल छीलकर उन्हें खिलाते रहे। उन्होंने शहद की चाय उनके लिए स्वयं बनाकर दी। यही नहीं जब भीष्म जी टॉयलेट गए और बाहर निकले तो यास्सेर अराफात स्वयं तौलिया लेकर टॉयलेट के दरवाजे पर खड़े रहे जिससे भीष्म जी हाथ पोंछ सकें। ये घटनाएँ उनके आतिथ्य प्रेम की प्रमाण हैं।

प्रश्न 9. अराफात ने ऐसा क्यों बोला कि 'वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।' इस कथन के आधार पर गांधीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : चाय-पान के समय यास्सेर अराफात और भीष्म साहनी के बीच बातचीत होने लगी। बातचीत के दौरान जब गांधीजी का जिक्र लेखक ने किया तो अराफात ने गांधीजी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं और उतने ही आदरणीय भी हैं। उनके इस कथन से पता चलता है कि पूरे विश्व में गांधीजी के प्रति सम्मान भाव था। गांधीजी के सत्य, अहिंसा और प्रेम के सिद्धांत तथा उनके नैतिक मूल्यों ने सारे विश्व को प्रभावित कर रखा था। अपने इन गुणों के कारण वे पूरे विश्व में आदरणीय बन गए थे।

अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. भीष्म साहनी की पं. नेहरू जी से भेंट कहाँ हुई थी?

उत्तर : भीष्म साहनी की पं. नेहरू जी से भेंट कश्मीर में हुई थी।

प्रश्न 2. भीष्म साहनी अपने भाई बलराज साहनी के साथ सेवाग्राम में कब रहा था?

उत्तर : भीष्म साहनी अपने भाई बलराज साहनी के साथ सेवाग्राम में सन् 1947 के लगभग रहा था।

प्रश्न 3. यास्सेर अराफात से भीष्म साहनी की भेंट किस लेखक संघ के सम्मेलन के दौरान हुई?

उत्तर : यास्सेर अराफात से भीष्म साहनी की भेंट इण्डो-चाइना लेखक संघ के सम्मेलन के दौरन हुई

प्रश्न 4. अफ्रो एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन कहाँ हुआ था?

उत्तर : अफ्रो एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन ट्यूनिस में हुआ था।

प्रश्न 5. अफ्रो-एशियाई लेखक संघ के कार्यकारी महामंत्री को भोजन पर किसने आमंत्रित किया?

उत्तर : अफ्रो-एशियाई लेखक संघ के कार्यकारी महामंत्री को भोजन पर यास्सेर अराफात ने आमंत्रित किया।

प्रश्न 6. बलराज जी क्या काम करते थे?

उत्तर : पवित्रिका 'नयी तालिम' 7 के सह- संपादक के रूप में काम करते थे।

प्रश्न 7. कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन कब हुआ था?

उत्तर : कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन सन् 1938 में हुआ था।.

प्रश्न 8. गाँधी जी लगभग कितने बजे टहलने के लिए निकला करते थे?

उत्तर : गाँधी जी सुबह 7 बजे टहलने के लिए निकला करते थे।

प्रश्न 9. गांधी जी के साथ कौन-कौन टहलने निकला करता था?

उत्तर : गांधी जी के साथ सुबह अक्सर डाक्टर सुशीला नय्यर और गांधी के निजी सचिव महादेव देसाई टहला करते थे।

प्रश्न 10. मिस्टर जान कौन थे?

उत्तर : मिस्टर जान रावलपिंडी शहर के रहने वाले जाने-माने बैरिस्टर थे

प्रश्न 11. लड़का क्यों बापू को बार-बार याद कर रहा था?

उत्तर : वह पंद्रह साल का लड़का, जिसके ज्यादा ईख पी लेने से उसका पेट फूल गया था और बहुत तेज दर्द हो रहा था। उसको यह विश्वास था कि गांधी जी अगर आ जाएँ तो मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी।

प्रश्न 12. गांधी जी प्रत्येक दिन कच्ची सड़क पर क्या करने जाया करते थे?

उत्तर : गांधी जी प्रतिदिन प्रातः कच्ची सड़क पर घूमने निकलते जहाँ पर एक रुग्ण व्यक्ति रहता था, गांधी जी हर दिन उसके पास स्वास्थ्य का हाल-चाल जानने के लिए जाया करते थे।

प्रश्न 13. शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में क्या हुआ था?.

उत्तर : जब पंडित नेहरू कश्मीर यात्रा पर आए थे, तो उनका भव्य स्वागत करने हेतु शेख अब्दुल्ला को नेतृत्व सौंपा गया था। यह बिल्कुल अद्भुत दृश्य था।

प्रश्न 14. नेहरू जी के साथ खाने की मेज पर कौन कौन बैठा था?

उत्तर : खाने की मेज पर बड़े लब्धप्रतिष्ठ लोग बैठे थे- शेख अब्दुल्ला, खान अब्दुल गफ्फार खान, श्रीमती रामेश्वरी नेहरू, उनके पति आदि।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. लेखक सेवाग्राम कब गए थे?

क. 1930 के आसपास

ख. 1938 के आसपास

ग. 1940 के आसपा

घ. 1948 के आसपास

2. लेखक सेवाग्राम क्यों गए थे?

क. अपनी प्रेमिका से मिलने

ख. कुछ दिनों के लिए अपने भाई के पास रहन

ग. अपने दोस्त से मिलने

घ. या इनमें से कोई नहीं

3. लेखक ने सेवाग्राम में किन-किन लोगों के आने का जिक्र नहीं किया

क. महादेव देसाई

ख. सुशीला नैयर

ग. जापानी भिक्षु

घ. नेपाली भाई

4. रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था?

क. क्रोध पूर्ण व्यवहार

ख. वात्सल्य पूर्ण व्यवहा

ग. भेदभाव हीन व्यवहार

घ. शिष्टाचार व्यवहार

5. फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया किस प्रकार का था?

क. सहानुभूति पूर्ण समर्थन भरा

ख. भेदभाव भरा

ग. क्रोध पूर्ण भरा

घ. या उपरोक्त सभी

6. कश्मीर यात्रा में किसका जोरदार स्वागत हुआ था?

क. नेहरू जी का

ख. गांधी जी का

ग. प्रियंका जी का

घ. या उपरोक्त सभी

7. लेखक को जब रास्ते में गांधीजी मिले तो लेखक ने उनसे किस चीज का जिक्र किया?

क. अपने घर का

ख. अपने बचपन का

ग. गांव वालों का

घ. या रावलपिंडी का

8. कश्मीर शोभायात्रा में नेहरू जी का स्वागत किसके नेतृत्व में हुआ?

क. गांधी जी के नेतृत्व में

ख. शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में

ग. लेखक के नेतृत्व में

घ. इनमें से कोई नहीं

9. लेखक सेवाग्राम में कितने दिन रहे?

क. 2 दिन

ख. 3 दिन

ग. 21 दिन

घ. 30 दिन

JCERT/JAC REFERENCE BOOK

Hindi Elective (विषय सूची)

भाग-1

क्रं.सं.

विवरण

1.

देवसेना का गीत

2.

सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

3.

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

4.

बनारस

5.

विष्णु खरे

6.

वसंत आया

7.

भरत राम का प्रेम पद

8.

बारहमासा

9.

विद्यापति (पद)

10.

रामचंद्रचंद्रिका

11.

घनानंद

12.

प्रेमघन की छाया-स्मृति

13.

सुमिरनी के मनके

14.

कच्चा चिट्ठा

15.

संवदिया

16.

गांधी नेहरू और यासर अराफात

17.

शेरपहचानचार हाथसाझा

18.

जहां कोई वापसी नहीं

19.

यथास्मै रोचते विश्वम

20.

दूसरा देवदास

21.

हजारी प्रसाद द्विवेदी

भाग-2

कं.सं.

विवरण

1.

सूरदास की झोंपड़ी

2.

आरोहण

3.

बिस्कोहर की माटी

4.

अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता


JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

Class 12 Hindi Elective (अंतरा - भाग 2)

पद्य खण्ड

आधुनिक

1.जयशंकर प्रसाद (क) देवसेना का गीत (ख) कार्नेलिया का गीत

2.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति

3.सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय (क) यह दीप अकेला (ख) मैंने देखा, एक बूँद

4.केदारनाथ सिंह (क) बनारस (ख) दिशा

5.विष्णु खरे (क) एक कम (ख) सत्य

6.रघुबीर सहाय (क) वसंत आया (ख) तोड़ो

प्राचीन

7.तुलसीदास (क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद

8.मलिक मुहम्मद जायसी (बारहमासा)

9.विद्यापति (विद्यापति के पद)

10.केशवदास (रामचंद्रचंद्रिका)

11.घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)

गद्य-खण्ड

12.रामचंद्र शुक्ल (प्रेमघन की छाया-स्मृति)

13.पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी (सुमिरिनी के मनके)

14.ब्रजमोहन व्यास (कच्चा चिट्ठा)

15.फणीश्वरनाथ रेणु (संवदिया)

16.भीष्म साहनी (गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात)

17.असगर वजाहत (शेर, पहचान, चार हाथ, साझा)

18.निर्मल वर्मा (जहाँ कोई वापसी नहीं)

19.रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)

20.ममता कालिया (दूसरा देवदास)

21.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (कुटज)

12 Hindi Antral (अंतरा)

1.प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी

2.संजीव = आरोहण

3.विश्वनाथ त्रिपाठी = बिस्कोहर की माटी

4.प्रभाष जोशी = अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता में

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